सामाजिक समरसता और भारत के राष्ट्रीय एकत्व का प्रतीक है जगन्नाथ रथयात्रा
उतार चढ़ाव, विध्वंस और पुनर्निर्माण का भी लंबा इतिहास
— रमेश शर्मा
उड़ीसा प्राँत के पुरी में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा और रथोत्सव 7 जुलाई से आरंभ हो रहा है । जो 16 जुलाई तक चलेगा । भारत राष्ट्र के एकत्व और सामाजिक समरसता के प्रतीक इस मंदिर का इतिहास बहुत उतार चढ़ाव से भरा है । विध्वंस और पुनर्निर्माण का संघर्ष अयोध्या के बाद इसी मंदिर का है ।
यह रथयात्रा और पुरी का जगन्नाथ मंदिर ऐतिहासिक…
जगन्नाथ का मंदिर समुद्र द्वारा बार बार नष्ट कर दिया जाता था। परमात्मा कबीर जी ने ही समुद्र को मन्दिर तोड़ने से रोका था।#JagannathDham #purijagannadh #puri #Odisha #odia #krishna #vishnu
श्राद्ध किसके लिए निकालते हैं। श्राद्ध उनके लिए करते हैं जो मृत्यु को प्राप्त हो गए यानी प्रेत पित्तर बन गए। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इसके लिए मना किया गया है।
विष्णु पुराण के अंदर लिखा हुआ है, व्यास जी कह रहे हैं कि हे राजन! श्राद्ध के समय यदि एक हजार ब्राह्मण बैठे हों। भोजन करने आये हों।
और एक तरफ योगी बैठ जा। तो वो ब्राह्मणों समेत, पित्तरों समेत, यजमानों समेत सबका उद्धार कर देता है। वह योगी कौन है?
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है।
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ने राजा इन्द्रदमन को आश्वस्त किया कि वे समुद्र को मंदिर तोडने से रोक देंगे। उन्होंने राजा को एक चबूतरा बनवाने को कहा, जिस पर बैठकर कबीर परमात्मा ने समुद्र को मंदिर तोडने से रोका था।