Tumgik
#धार्मिक समागम
sat-saheb-ji · 8 months
Text
Tumblr media
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस और परमेश्वर कबीर जी के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में 17 से 20 फरवरी 2024 को चार दिवसीय खुला पाठ विशाल सत्संग विशाल भंडारा का आयोजन किया जा रहा है।
इस धार्मिक भंडारे में आप सभी सहपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
समागम स्थान : सतलोक आश्रम धनाना धाम, सतलोक आश्रम वेदखेड़ी, सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र, सतलोक आश्रम धूरी, सतलोक आश्रम मुंडका, सतलोक आश्रम खमाणों, सतलोक आश्रम सोजत, सतलोक आश्रम भिवानी, सतलोक आश्रम धनुषा, सतलोक आश्रम बैतूल।
14 notes · View notes
mangesh1982 · 3 days
Text
#श्राद्धकी_शास्त्रानुकूल_विधि #श्राद्ध
#shradh #shraadh #pitrupaksha #pitra #pitradosh #vastushastra #amavasya #astro #vastutips #motivationalspeaker
#SaintRampalJiQuotes #SantRampalJiQuotes #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJi
#astrology #vastuexpert #trending #viralreels #jyotish #meditation #kundli #astrologerofindia
#श्राद्धकी_शास्त्रानुकूल_विधि #श्राद्ध
#shradh
#SaintRampalJiQuotes #SantRampalJiQuotes
#SantRampalJiMaharaj #SaintRampalJi
🌀 श्राद्ध किसके लिए निकालते हैं। श्राद्ध उनके लिए करते हैं जो मृत्यु को प्राप्त हो गए यानी प्रेत पित्तर बन गए। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इसके लिए मना किया गया है।
विष्णु पुराण के अंदर लिखा हुआ है, व्यास जी कह रहे हैं कि हे राजन! श्राद्ध के समय यदि एक हजार ब्राह्मण बैठे हों। भोजन करने आये हों।
और एक तरफ योगी बैठ जा। तो वो ब्राह्मणों समेत, पित्तरों समेत, यजमानों समेत सबका उद्धार कर देता है। वह योगी कौन है?
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है।
🌀श्राद्ध की शास्त्र अनुकूल विधि संत रामपाल जी महाराज के सभी सतलोक आश्रमों में हर दूसरे तीसरे महीने समागम में की जाती ही। वहां तो श्राद्ध हर दूसरे तीसरे महीने निकालते हैं। आप जी तो साल में एक ही बार निकालते हो।
🌀विष्णु पुराण, तृतीय अंश के अध्याय 15 में श्लोक 55-56, पर लिखा है कि एक योगी (शास्त्रानुकूल सत्य साधक) अकेला ही पित्तरों तथा एक हजार ब्राह्मणों तथा यजमान सहित सर्व का उद्धार कर देगा। शास्त्रानुकूल सत्य साधना केवल संत रामपाल जी महाराज करवाते हैं इसलिए उनके शिष्य ही वह योगी हैं जिसका उपरोक्त शास्त्र में जिक्र किया है।
🌀पवित्र गीता अध्याय 9 मंत्र 25 व 23 से 24 तथा अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तथा 20 से 23 में भगवान ने स्पष्ट मना किया है श्राद्ध करने (पितर पूजा करने), पिण्ड दान करने(भूत पूजा करने) से तथा अन्य देवताओं की पूजा करने से मना किया है। कहा है कि जो पित्तर पूजा करते हैं अर्थात श्राद्ध निकालते हैं वे पित्तरों के पास जायेंगे अर्थात पित्तर बन जायेंगे,
मुक्त नहीं हो सकते। पिण्ड दान अर्थात भूत पूजने वाले भी भूत बनेंगे तथा देवताओं को पूजने वाले
देवताओं के पास जायेंगे, उनके नौकर लगेंगे। फिर सर्व देवताओं (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा
श्री शिव जी) सहित तथा इनके उपासक क्षणिक सुख भोगकर मृत्यु को प्राप्त होंगे, मुक्ति नहीं होगी।
यह मूर्खों की पूजा है।
🌀कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि -
एकै साधे सब सधै, सब साधै सब जाय।
माली सीचें मूल को, फलै फूलै अघाय।।
संत रामपाल जी महाराज, सर्वसुख व पूर्णमोक्ष दायक शास्त्रानुकूल भक्ति साधना (धार्मिक अनुष्ठान) करवाते हैं, जिसके करने से साधक पितर, भूत नहीं बनता अपितु पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है तथा जो पूर्वज गलत साधना करके पित्तर भूत बने हैं, उनका भी छुटकारा हो जाता है।
🌀परमात्मा कबीर जी समझाते हैं कि हे भोले प्राणी! गरूड़ पुराण का पाठ जीव को मृत्यु से पहले सुनाना चाहिए था ताकि वह परमात्मा के विधान को समझकर पाप कर्मों से बचता। पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष करता। जिस कारण से वह न प्रेत बनता, न प���तर बनता, न पशु-पक्षी आदि-आदि के शरीरों में कष्ट उठाता। मृत्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण के पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता।
🌀सूक्ष्मवेद (तत्वज्ञान) में तथा चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथवर्वेद) तथा इन चारों वेदों के सारांश गीता में स्पष्ट किया है कि आन-उपासना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये शास्त्रों में वर्णित न होने से मनमाना आचरण है जो गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में व्यर्थ बताया है। शास्त्रोक्त साधना करने का आदेश दिया है।
🌀मार्कण्डेय पुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित) में श्राद्ध के विषय मे एक कथा का वर्णन मिलता है जिसमें रूची नामक एक ऋषि को अपने चार पूर्वज जो शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे, दिखाई दिए। पितरों ने कहा कि बेटा रूची हमारे श्राद्ध निकाल, हम दुःखी हो रहे हैं। रूची ऋषि ने जवाब दिया की पित्रामहों वेद में कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को मूर्खों की साधना कहा है, अर्थात यह क्रिया व्यर्थ व शास्त्र विरुद्ध है।
🌀श्राद्ध आदि शास्त्रविरूद्ध क्रियाऐं करने से अनमोल जीवन नष्ट हो जाता है। यदि सतगुरू (तत्वदर्शी संत) का सत्संग सुनते, उसकी संगति करते तो सर्व पापकर्म नष्ट हो जाते। सत्य साधना करके अमर लोक यानि गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहे (शाश्वतं स्थानं) सनातन परम धाम में आप जी का आसन यानि स्थाई ठिकाना होता जहाँ कोई कष्ट नहीं। वहाँ पर परम शांति है क्योंकि वहाँ पर कभी जन्म-मृत्यु नहीं होता।
🌀भूत पूजा तथा पितर पूजा क्या है?
इन पूजाओं के निषेध का प्रमाण पवित्र गीता शास्त्र के अध्याय 9 श्लोक 25 में लिखा है कि भूत पूजा करने वाले भूत बनकर भूतों के समूह में मृत्यु उपरांत चले जाऐंगे। पितर पूजा करने वाले पितर लोक में पितर योनि प्राप्त करके पितरों के पास चले जाऐंगे। मोक्ष प्राप्त प्राणी सदा के लिए जन्म-मरण से मुक्त हो जाता है।
🌀श्री विष्णु पुराण के तीसरे अंश में अध्याय 15 श्लोक 55-56 पर लिखा है कि श्राद्ध के भोज में यदि एक योगी यानी शास्त्रोक्त साधक को भोजन करवाया जाए तो श्राद्ध में आए हजार ब्राह्मणों तथा यजमान के पूरे परिवार सहित सर्व पितरों का उद्धार कर देता है।
🌀कबीर, भक्ति बीज जो होये हंसा, तारूं तास के एकोत्तर वंशा।
श्राद्ध आदि निकालना शास्त्र विरुद्ध है, सत्य शास्त्रोक्त साधना करने वाले साधक की 101 पीढ़ी पार होती हैं। सत्य शास्त्रानुसार साधना केवल तत्वदर्शी संत दे सकता है जिसकी शरण में जाने के लिए गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा गया है। वर्तमान में वह पूर्ण तत्वदर्शी संत केवल संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
🌀गीता भी हमें श्राद्ध के विषय में निर्णायक ज्ञान देती है। गीता के अध्याय 9 के श्लोक 25 में कहा है कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने (पिण्ड दान करने) वाले भूतों को प्राप्त होते हैं अर्थात भूत बन जाते हैं, शास्त्रानुकूल (पवित्र वेदों व गीता अनुसार) पूजा करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं अर्थात ब्रह्मलोक के स्वर्ग व महास्वर्ग आदि में कुछ ज्यादा समय मौज कर लेते हैं और पुण्यरूपी कमाई खत्म होने पर फिर से 84 लाख योनियों में प्रवेश कर जाते हैं।
🌀जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां।
कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि जीवित पिता को तो समय पर टूक (रोटी) भी नहीं दिया जाता। मृत्यु के पश्चात् उसको पवित्र दरिया में बहाकर आता है। कितना खर्च करता है। अपने माता-पिता की जीवित रहते प्यार से सेवा करो। उनकी आत्मा को प्रसन्न करो। उनकी वास्तविक श्रद्धा सेवा तो यह है।
🌀"श्राद्ध और पितृ पूजा से जीव की गति नहीं होती"
प्रेत शिला पर जाय विराजे, फिर पितरों पिण्ड भराहीं।
बहुर श्राद्ध खान कूं आया, काग भये कलि माहीं।।
🌀जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां।
जीवित बाप के साथ तो लड़ाई रखते हैं और उनके मरने के उपरांत उनके श्राद्ध निकालते हैं।
परमात्मा कहते हैं रे भोली सी दुनिया सतगुरु बिन कैसे सरिया।
बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर सतभक्ति करने से मनुष्य 84 लाख योनियों का कष्ट नहीं भोगता।
🌀श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
🌀भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात्‌ यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है।
🌀तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
🌀नर सेती तू पशुवा कीजै, गधा, बैल बनाई।
छप्पन भोग कहाँ मन बौरे, कहीं कुरड़ी चरने जाई।।
मनुष्य जीवन में हम कितने अच्छे अर्थात् 56 प्रकार के भोजन खाते हैं। भक्ति न करने से या शास्त्रविरूद्ध साधना करने से गधा बनेगा, फिर ये छप्पन प्रकार के भोजन कहाँ प्राप्त होंगे, कहीं कुरड़ियों (रूड़ी) पर पेट भरने के लिए घास खाने जाएगा। इसी प्रकार बैल आदि-आदि पशुओं की योनियों में कष्ट पर कष्ट उठाएगा।
🌀श्राद्ध क्रिया कर्म मनमाना आचरण है यह शास्त्रों में अविद्या कहा गया है बल्कि गीता अध्याय 16 श्लोज 23 और 24 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनकी ना तो गति होती है न ही उन्हें किसी प्रकार का आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है इसलिए शास्त्र ही प्रमाण है।
🌀जै सतगुरू की संगत करते, सकल कर्म कटि जाईं।
अमर पुरि पर आसन होते, जहाँ धूप न छाँइ।।
संत गरीबदास जी ने परमेश्वर कबीर जी से प्राप्त सूक्ष्मवेद में कहा है कि यदि सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेते तो सर्व कर्मों के कष्ट कट जाते अर्थात् न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते।
🌀जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है।
सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
🌀सत्य भक्ति वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। जिससे इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी सन्त से तत्वज्ञान प्राप्त करके, उस तत्वज्ञान से अज्ञान का नाश करके, उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्च��त् साधक फिर लौटकर संसार में क��ी नहीं आता।
Tumblr media
0 notes
234ravindar · 3 days
Text
Tumblr media
*🎄बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🎄*
18/09/24
*⌛Facebook Sewa ⌛*
🧩 *मालिक की दया से Facebook पर श्राद्ध की श्रेष्ठ विधि बताते हुए सेवा करेंगे जी।*
*टैग और कीवर्ड⤵️*
*#श्राद्धकी_शास्त्रानुकूल_विधि*
#SantRampalJi Maharaj
#श्राद्ध #पितृपक्ष #ancestors #ancestorworship #pinddaan
#pitrupaksha #pitrapaksh #shradh #amavasya #astrology #karma #vastu #reels #trending
★★★★★
📷 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो लिंक⤵️*
https://www.satsaheb.org/shradh-hindi/
https://www.satsaheb.org/shradh-english/
*⛳सेवा Points* ⤵️
🌀 श्राद्ध किसके लिए निकालते हैं। श्राद्ध उनके लिए करते हैं जो मृत्यु को प्राप्त हो गए यानी प्रेत पित्तर बन गए। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इसके लिए मना किया गया है।
विष्णु पुराण के अंदर लिखा हुआ है, व्यास जी कह रहे हैं कि हे राजन! श्राद्ध के समय यदि एक हजार ब्राह्मण बैठे हों। भोजन करने आये हों।
और एक तरफ योगी बैठ जा। तो वो ब्राह्मणों समेत, पित्तरों समेत, यजमानों समेत सबका उद्धार कर देता है। वह योगी कौन है?
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है।
🌀श्राद्ध की शास्त्र अनुकूल विधि संत रामपाल जी महाराज के सभी सतलोक आश्रमों में हर दूसरे तीसरे महीने समागम में की जाती ही। वहां तो श्राद्ध हर दूसरे तीसरे महीने निकालते हैं। आप जी तो साल में एक ही बार निकालते हो।
🌀विष्णु पुराण, तृतीय अंश के अध्याय 15 में श्लोक 55-56, पर लिखा है कि एक योगी (शास्त्रानुकूल सत्य साधक) अकेला ही पित्तरों तथा एक हजार ब्राह्मणों तथा यजमान सहित सर्व का उद्धार कर देगा। शास्त्रानुकूल सत्य साधना केवल संत रामपाल जी महाराज करवाते हैं इसलिए उनके शिष्य ही वह योगी हैं जिसका उपरोक्त शास्त्र में जिक्र किया है।
🌀पवित्र गीता अध्याय 9 मंत्र 25 व 23 से 24 तथा अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तथा 20 से 23 में भगवान ने स्पष्ट मना किया है श्राद्ध करने (पितर पूजा करने), पिण्ड दान करने(भूत पूजा करने) से तथा अन्य देवताओं की पूजा करने से मना किया है। कहा है कि जो पित्तर पूजा करते हैं अर्थात श्राद्ध निकालते हैं वे पित्तरों के पास जायेंगे अर्थात पित्तर बन जायेंगे,
मुक्त नहीं हो सकते। पिण्ड दान अर्थात भूत पूजने वाले भी भूत बनेंगे तथा देवताओं को पूजने वाले
देवताओं के पास जायेंगे, उनके नौकर लगेंगे। फिर सर्व देवताओं (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा
श्री शिव जी) सहित तथा इनके उपासक क्षणिक सुख भोगकर मृत्यु को प्राप्त होंगे, मुक्ति नहीं होगी।
यह मूर्खों की पूजा है।
🌀कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि -
एकै साधे सब सधै, सब साधै सब जाय।
माली सीचें मूल को, फलै फूलै अघाय।।
संत रामपाल जी महाराज, सर्वसुख व पूर्णमोक्ष दायक शास्त्रानुकूल भक्ति साधना (धार्मिक अनुष्ठान) करवाते हैं, जिसके करने से साधक पितर, भूत नहीं बनता अपितु पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है तथा जो पूर्वज गलत साधना करके पित्तर भूत बने हैं, उनका भी छुटकारा हो जाता है।
🌀परमात्मा कबीर जी समझाते हैं कि हे भोले प्राणी! गरूड़ पुराण का पाठ जीव को मृत्यु से पहले सुनाना चाहिए था ताकि वह परमात्मा के विधान को समझकर पाप कर्मों से बचता। पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष करता। जिस कारण से वह न प्रेत बनता, न पितर बनता, न पशु-पक्षी आदि-आदि के शरीरों में कष्ट उठाता। मृत्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण के पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता।
🌀सूक्ष्मवेद (तत्वज्ञान) में तथा चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथवर्वेद) तथा इन चारों वेदों के सारांश गीता में स्पष्ट किया है कि आन-उपासना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये शास्त्रों में वर्णित न होने से मनमाना आचरण है जो गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में व्यर्थ बताया है। शास्त्रोक्त साधना करने का आदेश दिया है।
🌀मार्कण्डेय पुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित) में श्राद्ध के विषय मे एक कथा का वर्णन मिलता है जिसमें रूची नामक एक ऋषि को अपने चार पूर्वज जो शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे, दिखाई दिए। पितरों ने कहा कि बेटा रूची हमारे श्राद्ध निकाल, हम दुःखी हो रहे हैं। रूची ऋषि ने जवाब दिया की पित्रामहों वेद में कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को मूर्खों की साधना कहा है, अर्थात यह क्रिया व्यर्थ व शास्त्र विरुद्ध है।
🌀श्राद्ध आदि शास्त्रविरूद्ध क्रियाऐं करने से अनमोल जीवन नष्ट हो जाता है। यदि सतगुरू (तत्वदर्शी संत) का सत्संग सुनते, उसकी संगति करते तो सर्व पापकर्म नष्ट हो जाते। सत्य साधना करके अमर लोक यानि गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहे (शाश्वतं स्थानं) सनातन परम धाम में आप जी का आसन यानि स्थाई ठिकाना होता जहाँ कोई कष्ट नहीं। वहाँ पर परम शांति है क्योंकि वहाँ पर कभी जन्म-मृत्यु नहीं होता।
🌀भूत पूजा तथा पितर पूजा क्या है?
इन पूजाओं के निषेध का प्रमाण पवित्र गीता शास्त्र के अध्याय 9 श्लोक 25 में लिखा है कि भूत पूजा करने वाले भूत बनकर भूतों के समूह में मृत्यु उपरांत चले जाऐंगे। पितर पूजा करने वाले पितर लोक में पितर योनि प्राप्त करके पितरों के पास चले जाऐंगे। मोक्ष प्राप्त प्राणी सदा के लिए जन्म-मरण से मुक्त हो जाता है।
🌀श्री विष्णु पुराण के तीसरे अंश में अध्याय 15 श्लोक 55-56 पर लिखा है कि श्राद्ध के भोज में यदि एक योगी यानी शास्त्रोक्त साधक को भोजन करवाया जाए तो श्राद्ध में आए हजार ब्राह्मणों तथा यजमान के पूरे परिवार सहित सर्व पितरों का उद्धार कर देता है।
🌀कबीर, भक्ति बीज जो होये हंसा, तारूं तास के एकोत्तर वंशा।
श्राद्ध आदि निकालना शास्त्र विरुद्ध है, सत्य शास्त्रोक्त साधना करने वाले साधक की 101 पीढ़ी पार होती हैं। सत्य शास्त्रानुसार साधना केवल तत्वदर्शी संत दे सकता है जिसकी शरण में जाने के लिए गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा गया है। वर्तमान में वह पूर्ण तत्वदर्शी संत केवल संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
🌀गीता भी हमें श्राद्ध के विषय में निर्णायक ज्ञान देती है। गीता के अध्याय 9 के श्लोक 25 में कहा है कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने (पिण्ड दान करने) वाले भूतों को प्राप्त होते हैं अर्थात भूत बन जाते हैं, शास्त्रानुकूल (पवित्र वेदों व गीता अनुसार) पूजा करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं अर्थात ब्रह्मलोक के स्वर्ग व महास्वर्ग आदि में कुछ ज्यादा समय मौज कर लेते हैं और पुण्यरूपी कमाई खत्म होने पर फिर से 84 लाख योनियों में प्रवेश कर जाते हैं।
🌀जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां।
कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि जीवित पिता को तो समय पर टूक (रोटी) भी नहीं दिया जाता। मृत्यु के पश्चात् उसको पवित्र दरिया में बहाकर आता है। कितना खर्च करता है। अपने माता-पिता की जीवित रहते प्यार से सेवा करो। उनकी आत्मा को प्रसन्न करो। उनकी वास्तविक श्रद्धा सेवा तो यह है।
🌀"श्राद्ध और पितृ पूजा से जीव की गति नहीं होती"
प्रेत शिला पर जाय विराजे, फिर पितरों पिण्ड भराहीं।
बहुर श्राद्ध खान कूं आया, काग भये कलि माहीं।।
🌀जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां।
जीवित बाप के साथ तो लड़ाई रखते हैं और उनके मरने के उपरांत उनके श्राद्ध निकालते हैं।
परमात्मा कहते हैं रे भोली सी दुनिया सतगुरु बिन कैसे सरिया।
बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर सतभक्ति करने से मनुष्य 84 लाख योनियों का कष्ट नहीं भोगता।
🌀श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
🌀भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात्‌ यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है।
🌀तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
🌀नर सेती तू पशुवा कीजै, गधा, बैल बनाई।
छप्पन भोग कहाँ मन बौरे, कहीं कुरड़ी चरने जाई।।
मनुष्य जीवन में हम कितने अच्छे अर्थात् 56 प्रकार के भोजन खाते हैं। भक्ति न करने से या शास्त्रविरूद्ध साधना करने से गधा बनेगा, फिर ये छप्पन प्रकार के भोजन कहाँ प्राप्त होंगे, कहीं कुरड़ियों (रूड़ी) पर पेट भरने के लिए घास खाने जाएगा। इसी प्रकार बैल आदि-आदि पशुओं की योनियों में कष्ट पर कष्ट उठाएगा।
🌀श्राद्ध क्रिया कर्म मनमाना आचरण है यह शास्त्रों में अविद्या कहा गया है बल्कि गीता अध्याय 16 श्लोज 23 और 24 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनकी ना तो गति होती है न ही उन्हें किसी प्रकार का आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है इसलिए शास्त्र ही प्रमाण है।
🌀जै सतगुरू की संगत करते, सकल कर्म कटि जाईं।
अमर पुरि पर आसन होते, जहाँ धूप न छाँइ।।
संत गरीबदास जी ने परमेश्वर कबीर जी से प्राप्त सूक्ष्मवेद में कहा है कि यदि सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेते तो सर्व कर्मों के कष्ट कट जाते अर्थात् न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते।
🌀जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है।
सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
🌀सत्य भक्ति वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। जिससे इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी सन्त से तत्वज्ञान प्राप्त करके, उस तत्वज्ञान से अज्ञान का नाश करके, उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
❌ *No Copy Paste* ❌
0 notes
h1an2s3 · 18 days
Text
[04/09, 12:31 pm] +91 83078 98929: अवतरण दिवस पर आमंत्रण
धन्य वौह देश गाम प्रपट्टन, जहाँ जन्में संत दयाल।
गरीबदास घट भक्ति मालवै, भेजी पुरुष कबीर रिसाल।।
संत रामपाल जी महाराज जी के 74वें अवतरण दिवस पर 6, 7, और 8 सितंबर 2024 को विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह, रक्तदान शिविर, आध्यात्मिक प्रदर्शनी और नि:शुल्क नाम दीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी इस विशाल भंडारे में सह परिवार सादर आमंत्रित हैं।
#सत्संग_निमंत्रण
#SantRampalJiMaharaj
#SantRampalJi_AvataranDiwas
[04/09, 12:31 pm] +91 83078 98929: समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज जी के अवतरण दिवस पर 6 से 8 सितंबर 2024 को भारत और नेपाल के 10 आश्रमों में महासमागम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें तीन दिवसीय अखंड पाठ, विशाल भंडारा, सत्संग, दहेज रहित शादी और आध्यात्मिक प्रदर्शनी जैसे भव्य कार्यक्रम आयोजित होंगे। आप सभी परिवार सहित सादर आमंत्रित हैं।
#सत्संग_निमंत्रण
#SantRampalJiMaharaj
#SantRampalJi_AvataranDiwas
[04/09, 12:31 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में 6, 7 और 8 सितंबर 2024 को भारत और नेपाल के 10 सतलोक आश्रमों में शुद्ध देसी घी से निर्मित तीन दिवसीय विशाल भंडारा और संत गरीबदास जी महाराज की अमृतमयी वाणी का अखंड पाठ आयोजित किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
#सत्संग_निमंत्रण
#SantRampalJiMaharaj
#SantRampalJi_AvataranDiwas
[04/09, 12:31 pm] +91 83078 98929: आध्यात्मिक समागम का आमंत्रण
अध्यात्म के पथ पर चलने वालों के लिए एक सुनहरा अवसर! संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस पर 6, 7 और 8 सितंबर 2024 को महासमागम का आयोजन किया जा रहा है। इस पावन उत्सव में अखंड पाठ, शुद्ध देसी घी का भंडारा, रक्तदान शिविर, दहेज मुक्त सामूहिक विवाह, नशामुक्ति अभियान, नि:शुल्क नाम दीक्षा और आध्यात्मिक प्रदर्शनी का आयोजन होगा। आप सभी से निवेदन है कि इस दिव्य आयोजन में अवश्य पधारें और अपने जीवन को धन्य बनाएं।
#सत्संग_निमंत्रण
#SantRampalJiMaharaj
#SantRampalJi_AvataranDiwas
[04/09, 12:31 pm] +91 83078 98929: अवतरण दिवस पर आमंत्रण
गरीब, धन जननी धन भूमि धन, धन नगरी धन देश।
धन करनी धन कुल धन, जहां साधु प्रवेश।।
संत रामपाल जी महाराज जी के 74वें अवतरण दिवस के अवसर पर 6 से 8 सितंबर 2024 को सतलोक आश्रमों में विशाल भंडारा, रक्तदान शिविर, दहेज मुक्त विवाह और आध्यात्मिक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। कृपया पधारकर इस अवसर का लाभ उठाएं।
#सत्संग_निमंत्रण
#SantRampalJiMaharaj
#SantRampalJi_AvataranDiwas
[04/09, 12:32 pm] +91 83078 98929: जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में 6 से 8 सितंबर 2024 को तीन दिवसीय भंडारा 10 सतलोक आश्रमों में आयोजित किया जा रहा है। इस भंडारे की खास बात यह है कि इसमें देशी घी से बने पकवानों का प्रसाद वितरित किया जाएगा, जो देश-विदेश से आए करोड़ों लोग ग्रहण करेंगे। आप सभी भी इस विशाल भंडारे में सह परिवार सादर आमंत्रित हैं।
#सत्संग_निमंत्रण
#SantRampalJiMaharaj
#SantRampalJi_AvataranDiwas
[04/09, 12:32 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन भारत समेत नेपाल के 10 सतलोक आश्रमों में 6 से 8 सितंबर 2024 को किया गया है, जिसमें संपूर्ण विश्व से लोगों को आमंत्रित किया गया है। यहाँ श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद, स्नानघर, शौचालय, चिकित्सालय, पार्किंग और जूता घर जैसी सभी सुविधाएँ नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी।
#सत्संग_निमंत्रण
#SantRampalJiMaharaj
#SantRampalJi_AvataranDiwas
[04/09, 12:32 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस पर 6, 7 और 8 सितंबर 2024 को भारत समेत नेपाल के 10 सतलोक आश्रमों पर विशाल भंडारा और संत गरीबदास जी महाराज के अमरग्रन्थ की अमरवाणी का अखंड पाठ आयोजित किया जाएगा। यह भंडारा नि:शुल्क है और इसका गांव-गांव में प्रचार करके सभी को आमंत्रित किया गया है। अत: आप भी इस विशाल भंडारे में सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
#सत्संग_निमंत्रण
#SantRampalJiMaharaj
#SantRampalJi_AvataranDiwas
[04/09, 12:32 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज समय-समय पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन करते हैं, जिसमें पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाकर प्रसाद वितरित किया जाता है। धार्मिक हवन, यज्ञ, पाठ आदि से परमेश्वर प्रसन्न होते हैं, और वातावरण शुद्ध होता है। ऐसा ही विशाल भंडारा संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस पर 6 से 8 सितंबर 2024 को किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
#सत्संग_निमंत्रण
#SantRampalJiMaharaj
#SantRampalJi_AvataranDiwas
[04/09, 12:32 pm] +91 83078 98929: 6 से 8 सितंबर 2024 को संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस पर भारत सहित नेपाल के 10 सतलोक आश्रमों में नि:शुल्क भंडारे की व्यवस्था की जा रही है। इसके साथ-साथ संत गरीबदास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, हवन यज्ञ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह और रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
#सत्संग_निमंत्रण
#SantRampalJiMaharaj
#SantRampalJi_AvataranDiwas
0 notes
indrabalakhanna · 27 days
Text
Satsang Ishwar TV | 25-08-2024 | Episode: 2491 | Sant Rampal Ji Maharaj ...
*📣🙏बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🙏📣*
*25/08/24 Sunday/रविवार*
*🦚🦚🌼🥀🌼*
#GodMorningSunday
#SundayMotivation
#SundayThoughts
1🌐जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने सचेत किया है कि ज्ञान के बिना मनुष्य पशु-पक्षी की तरह संतानोत्पत्ति और उनके पालन पोषण के लिए आजीवन संघर्षरत रहते हैं! अंत में प्राण त्याग कर कर्मानुसार पुनर्जन्म को प्राप्त होते हैं! यदि सतगुरु के सत्संग मिल जाए तो मनुष्य तत्वज्ञान व सतभक्ति द्वारा पूर्ण मोक्ष को प्राप्त होता है। इसलिए हमें संत रामपाल जी के सत्संग अवश्य सुनने चाहिए!
2🌐क्यों सुनें संत रामपाल जी महाराज के सत्संग?
संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर आज लाखों लोग सामाजिक कुप्रथाओं व बुराइयों जैसे छुआ छूत, तेरहवीं, मृत्यु भोज, नशा, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या आदि को बिल्कुल छोड़ चुके हैं व सुखी एवं शान्तिमय जीवन जी रहें हैं! यह शांति आप भी संत रामपाल जी के सत्संग सुनकर प्राप्त कर सकते हैं!
3🌐संत रामपाल जी महाराज के सत्संग क्यों सुनें?
संत रामपाल जी महाराज, संत शास्त्रों से प्रमाणित सत्संग करते हैं वे अपने सत्संगो में कही एक-एक बात का प्रमाण शास्त्रों में दिखाते हैं। संत रामपाल जी महाराज मनमानी शास्त्रविरुद्ध पूजा जैसे कि श्राद्ध, पिण्ड दान, माता मसानी और प्रेतों की पूजा करना निषेध करते हैं, क्योंकि गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इन क्रियाओं को मना किया गया है और वे एक पूर्ण परमात्मा की शास्त्र अनुसार साधना कराते हैं जिससे साधक को सभी सुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है!
4🌐संत रामपाल जी महाराज के सत्संग क्यों सुनें?
गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में वर्णित मोक्ष प्राप्ति के सांकेतिक मंत्र ओम्-तत्-सत् का रहस्य संत रामपाल जी महाराज उजागर करते हैं! इसलिए हमें प्रतिदिन संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनने चाहिए!
5🌐संत रामपाल जी महाराज के सत्संग क्यों सुनें?
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा गया है कि शास्त्र विरुद्ध मनमानी क्रियाओं से कोई लाभ नहीं होता! जबकि संत रामपाल जी महाराज शास्त्र अनुकूल भक्ति बताते हैं इसलिए हमें प्रतिदिन संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनने चाहिए!
6🌐क्यों सुनें संत रामपाल जी का सत्संग?
संत रामपाल जी महाराज का सत्संग हमें इसलिए सुनना चाहिए क्योंकि आज तक जो तत्वज्ञान हमारे तथाकथित धर्मगुरु नहीं बता सके वह तत्वज्ञान संत रामपाल जी ने गीता, वेदों, पुराणों व सभी धर्म शास्त्रों से प्रमाण सहित बताया है! जिससे भक्त समाज अंधविश्वास, पाखंड और धार्मिक भ्रांतियों से बच सकता है!
7🌐संत रामपाल जी महाराज, सत्संग में जीवन के वास्तविक उद्देश्य की प्राप्ति के बारे में बताते हैं कि मनुष्य जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति है और इसके लिए सही गुरु की पहचान और सही मार्गदर्शन आवश्यक है! इस बारे में कबीर साहेब ने कहा है:
*कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार!
तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि!!*
8🌐संत रामपाल जी महाराज के सत्संग में समाज की विभिन्न बुराइयों जैसे दहेज प्रथा, भ्रष्टाचार, व्यभिचार, चोरी, जारी, शराब सेवन और अन्य कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाई जाती है! यह समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का महत्वपूर्ण साधन है!
9🌐हजार वर्ष तप करने का जो फल प्राप्त होता है उससे अधिक फल तत्वदर्शी संत का एक पल का सत्संग मिल जाए उससे होता है!
कबीर साहेब जी कहते हैं -
*सत्संग की आधी घड़ी, तप के वर्ष हजार !
तो भी बराबर है नहीं, कहै कबीर विचार!!*
10🌐संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक सत्संग सुनने से मनुष्य को ज्ञात होता है कि उसके जीवन का मूल उद्देश्य क्या है, सत भक्ति की विधि क्या है, किस परमात्मा की भक्ति करने से उसका जीवन सफल होगा तथा उसे क्या कर्म करना चाहिए और क्या नहीं!
11🌐तत्वज्ञान युक्त सत्संग सुनने से सतभक्ति मार्ग का ज्ञान होता है! यदि एक आत्मा को भी सतभक्ति मार्ग पर लगाकर उसका आत्म कल्याण करवा दिया जाए तो करोड़ अवश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है!
*आत्म प्राण उद्धार ही, ऐसा धर्म नहीं और!
कोटि अश्वमेघ यज्ञ, सकल समाना भौर!!*
जीवात्मा के उद्धार के लिए किए गए कार्य अर्थात् सेवा से श्रेष्ठ कोई भी कार्य नहीं है, जो वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज कर रहे हैं!
12🌐संत रामपाल जी महाराज बताते हैं सत्संग से आत्मा को गुरु वचनों की खुराक मिलती है और सकारात्मक भावनाएं जागती हैं!
*संत समागम, हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय!
सुत दारा और लक्ष्मी यह तो घर पापी के भी होए!!*
13🌐मानव समाज के लिए दहेज एक अभिशाप है बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है! उन्हें जन्म लेने ही नहीं दिया जाता! इसका कारण केवल और केवल दहेज है!¡संत रामपाल जी महाराज जी ने बीड़ा उठाया है दहेज मुक्त समाज का निर्माण करना। संत रामपाल जी महाराज जी सत्संग के माध्यम से बताते हैं दहेज लेना अपराध है। इससे न तो बेटी सुखी हो सकती है और न ही दहेज लेने वाला सुखी हो सकता है।
0 notes
kamlesh091 · 27 days
Text
Tumblr media
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस
के उपलक्ष्य में इस महासमागम का आयोजन 6 से 8 सितंबर 2024 को किया जा रहा है।
इस धार्मिक भंडारे में आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
🍁समागम स्थान : सतलोक आश्रम धनाना धाम, सतलोक आश्रम वेदखेड़ी, सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र, सतलोक आश्रम धूरी, सतलोक आश्रम खमाणों, सतलोक आश्रम सोजत, सतलोक आश्रम भिवानी, सतलोक आश्रम धनुषा, सतलोक आश्रम इंदौर सतलोक आश्रम बैतूल।
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
0 notes
pushpas-posts · 1 month
Text
*💎बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय💎*
11/08/24
*🎈Twitter Trending सेवा🎈*
🎡  *मालिक की दया से अब संत रामपाल जी महाराज जी के परोपकारी कार्य बताते हुए Twitter पर Trending सेवा करेंगे जी।*
*अपना टैग और keyword है⤵️*
*#संतरामपालजीके_परोपकारी_कार्य*
*Social reformer Sant Rampal Ji*
♦️♦️
*सेवा से सम्बंधित फ़ोटो Website पर उपलब्ध हैं जी।*
*Hindi*⤵️
https://www.satsaheb.org/social-reform-hindi-photos/
*English*⤵️
https://news.jagatgururampalji.org/social-reformer-english
*🎯Sewa Points🎯* ⤵
🐚 संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में अमूल्य योगदान
संत रामपाल जी महाराज दहेज जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के साथ-साथ जातीय, धार्मिक भेदभाव, छुआछूत, मृत्यु भोज व नशे जैसी अन्य बुराइयों को समाज से ख़त्म कर रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
🐚 अद्वितीय तत्वज्ञान से समाज सुधार
एक तरफ जहां निःसंतान को समाज में हेयदृष्टि से देखा जाता था। वहीं संत रामपाल जी महाराज ने इस गलत धारणा को अपने अद्वितीय तत्वज्ञान से समाप्त कर दिया और बताया कि निःसंतान तो बहुत ही पुण्यकर्मी प्राणी होता है। क्योंकि उसका किसी से कोई पिछला संस्कार नहीं जुड़ा होता न कोई ऋण होता बच्चों का, जिससे सतगुरु शरण में आकर उसका सहजता से मोक्ष हो सकता है।
🐚संत रामपाल जी महाराज ने विवाह की एक ऐसी सादगीपूर्ण विधि समाज को दी है जिसमें न तो किसी प्रकार के दहेज की सरदर्दी होती और न ही फिजूलखर्ची होती। जिससे सचमुच अब बेटियां माता-पिता के लिए बोझ नहीं रहीं हैं।
🐚संत रामपाल जी महाराज की अद्वितीय समाज सेवा
बाढ़ हो या कोरोना जैसी महामारी, जब-जब मानव से लेकर पशु धन पर आपत्ति आई, तब-तब संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से उनके अनुयायियों ने समाज सेवा कर अद्वितीय उदाहरण पेश किया।
🐚वृक्षारोपण का अद्भुत उदाहरण
पंजाब प्रांत में संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से उनके हजारों समर्थकों ने एक दिन में 50000 से अधिक वृक्षारोपण और पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाई।
🐚 समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज
नशा भारत सहित पूरे विश्व की एक बड़ी समस्या है। युवाओं से लेकर महिलाओं तक सभी नशे में लिप्त हो रहे हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से करोड़ों लोग आज नशा मुक्त हो चुके हैं, जिससे उनका जीवन सुखी तो हुआ ही, साथ ही उनका पूरा परिवार भी सुखी हो चुका है। इस तरह संत रामपाल जी के सानिध्य में नशा मुक्त समाज तैयार हो रहा है।
🐚 समाज सेवा का अद्भुत उदाहरण
ओडिशा के बालासोर भीषण रेल हादसे को कौन भूल सकता है, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने जान गंवाई थी, तो वही बड़ी तादाद में लोग घायल हुए थे। जिनके इलाज के लिए संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में उनके समर्थकों ने बड़ी संख्या में रक्तदान कर मानवीय सहायता भेजी थी।
🐚 समाज सेवा हो तो ऐसी!
कोरोना महामारी के दो वर्षों को कौन भूल सकता है, जो मानव जाति पर कहर बरपा रही थी, कोरोना मानव जाति को तबाह करने पर आमादा थी। उस दौरान अस्पताल भी कम पड़ रहे थे, तब मानव जाति की रक्षा के लिए संत रामपाल जी महाराज व उनके अनुयायी सामने आए थे और संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश) व सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा) में अस्थायी कोविड सेंटर खोले गए थे। जिससे मानव जाति को एक बड़ी राहत मिली थी।
🐚 रक्तदान कर बना रहे समाज सेवा का विश्व रिकॉर्ड
रक्तदान की जब भी बात हो और संत रामपाल जी महाराज व उनके अनुयायियों की बात न हो ऐसा संभव ही नहीं है।
हर साल संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में छः बड़े समागम होते हैं जिसमें संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा पाकर उनके समर्थक मानव हित में प्रत्येक बार हजारों यूनिट रक्तदान करते हैं।
🐚 संत रामपाल जी महाराज के समाज सुधारक कार्य
आम समाज में बेटे व बेटियों में बहुत फ़र्क समझा जाता रहा है। जिसके कारण भ्रूण हत्या अर्थात लड़की को गर्भ में मारने जैसा भयंकर अपराध भी शुरू हो गया था। संत रामपाल जी महाराज ने इसी लिंग भेद को स्थायी रूप से समाप्त किया है जिससे उनके करोड़ों अनुयायी बेटा व बेटी में किसी प्रकार का भेद नहीं समझते।
🐚 समाज सेवा से पर्यावरण संरक्षण तक
जलवायु परिवर्तन आज दुनिया की एक सबसे बड़ी समस्या है। जिसे देखते हुए संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में उनके लाखों अनुयायियों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक दिन में 11-12 लाख पौधे लगाने में सरकार का सहयोग देकर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
🐚 संत रामपाल जी महाराज जी वह अवतार हैं जो सभी कुप्रथाओं व बुराइयों जैसे नशा, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या आदि को जड़ से खत्म कर रहे हैं।
🐚 संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में अमूल्य योगदान
संत रामपाल जी महाराज दहेज जैसी कुरीति को जड़ से खत्म करने के साथ-साथ मृत्यु भोज व नशे जैसी अन्य बुराइयों को समाज से ख़त्म कर रहे हैं।
🐚 देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी अपने अनुयायियों को ऐसा निर्मल ज्ञान दे रहे हैं जिससे उनके अनुयायी न रिश्वत लेते हैं और न देते हैं।
🐚निःस्वार्थ समाज सेवी के अद्भुत उदाहरण हैं संत रामपाल जी महाराज
समाज को दहेज प्रथा, नशा, भ्रष्टाचार, पाखंड, अंधविश्वास, छुआछात आदि से मुक्ति दिलाने के लिए संत रामपाल जी महाराज निःस्वार्थ भाव से पिछले करीब 30 वर्षों से संघर्षरत हैं। जिसमें उनके अनुयायी भी बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। जिससे एक स्वच्छ समाज तैयार हो रहा है।
❌ *No Copy Paste* ❌
Tumblr media
0 notes
jeevanjali · 2 months
Text
August 2024 VratTyohar Full List: अगस्त का महीना त्योहारों से है भरा, जानिए कब है कौन सा त्योहारअगस्त का महीना भारतीय संस्कृति में कई महत्वपूर्ण त्योहारों के लिए जाना जाता है। यह महीना धार्मिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक समागम का प्रतीक है।
0 notes
sharpbharat · 5 months
Text
jamshedpur Sakchi Gurudwara -'… सो क्यों मंदा आखिये जित जम्मे राजान', समाज में नारी शक्ति की भागीदारी और महत्व का वंदन हुआ सिरजनहारी कीर्तन दरबार में
जमशेदपुर: महिलाओं के सम्मान को समर्पित एक दिवसीय अलौकि��� कीर्तन और गुरमत विचार एवं कथा समागम सिरजनहारी महिलाओं की भागीदारी और समाज में उनके महत्त्व पर खूब धार्मिक विचार हुए. रविवार को साकची गुरुद्वारा साहिब के पूर्ण वातानुकूलित परिसर में रागी बीबी अमनदीप कौर ने जब “….. सो क्यों मंदा आखिये जित जम्मे राजान” अर्थात उसे बुरा क्यों कहा जाये जिसने सृष्टि का सृजन किया है शब्द का गायन किया तो गुरुद्वारा…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
astrologerchandan · 5 months
Text
Tumblr media
Today's Horoscope -
20 अप्रैल 2024 शनिवार : कैसा बीतेगा आपका आज का दिन जाने अपना राशिफल
मेष - कम प्रयास से काम बनेंगे। धनार्जन होगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। परिवार से संबंध घनिष्ठ होंगे। नए संबंधों के प्रति सतर्क रहें। भूल करने से विरोधी बढ़ेंगे। रुके धन की प्राप्ति में अड़चनें आएंगी।
वृषभ-मेहमानों का आगमन होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मसम्मान बढ़ेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यापार में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अपने काम से काम रखें। दूसरों के विश्वास में न आएं। परिवार में तनावपूर्ण माहौल रह सकता है।
मिथुन - लेन-देन में सावधानी रखें। रोजगार मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अचानक लाभ होगा। धन संबंधी कार्यों में विलंब से चिंता हो सकती है। लाभदायक समाचार मिलेंगे। कार्य के विस्तार की योजना बनेगी। संत-समागम होगा।
कर्क -चोट व रोग से हानि संभव है। कुसंगति से हानि होगी। विवाद न करें। फालतू खर्च बढ़ेंगे। आवास संबंधी समस्या का समाधान संभव है। आवेश में कोई कार्य नहीं करें। सामाजिक एवं राजकीय ख्याति में अभिवृद्धि होगी। व्यापार अच्छा रहेगा।
सिंह - शारीरिक कष्ट संभव है। लेन-देन में सावधानी रखें। सुख के साधन जुटेंगे। रुका हुआ धन मिलेगा। अधूरे काम समय पर सफलता से होने पर उत्साह बढ़ेगा। वाहन चलाते समय सावधानी रखें। व्यापार के कार्य से बाहर जाना पड़ सकता है।
कन्या - दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। आय बढ़ेगी। भोग-विलास में रुचि बढ़ेगी। जीवनसाथी से संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी। स्थायी संपत्ति के मामले उलझेंगे। कार्य में मित्रों की मदद मिलेगी। आर्थिक मनोबल बढ़ेगा।
तुला - कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। थकान रहेगी। परिवार एवं समाज में आपके कामों को महत्व एवं सम्मान प्राप्त हो सकेगा। वाणी पर संयम आवश्यक है। व्यापार-व्यवसाय में लाभ होगा।
वृश्चिक -चोरी, चोट व विवाद आदि से हानि संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। धनार्जन होगा। भागदौड़, बाधाओं व सतर्कता के बाद सफलता मिलेगी। पारिवारिक सुख, संतोष बढ़ेगा। उपहार मिलने के योग हैं। अधिक व्यय न करें। खर्चों में कमी करें।
धनु - पुराना रोग उभर सकता है। बेचैनी रहेगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। कानूनी बाधा दूर होगी। रुका धन मिलने से धन संग्रह होगा। कार्य में भागीदार सहयोग करेंगे। विकास की योजनाएं बनेंगी। दांपत्य जीवन में गलतफहमी आ सकती है।
मकर - घर-परिवार की चिंता रहेगी। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। बेरोजगारी दूर होगी। आपका सामाजिक क्षेत्र बढ़ेगा। लाभदायक सौदे होंगे। विपरीत परिस्थितियों का सफलता से सामना कर सकेंगे। जीवनसाथी से आर्थिक मतभेद हो सकते हैं।
कुंभ - शत्रु परास्त होंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। किसी नए कार्य में भाग लेने के योग हैं। विद्वानों के साथ रहने का अवसर मिलेगा। व्यापार में भागीदार सहयोग करेंगे।
मीन - अचानक यात्रा के भी अच्छे फल मिलेंगे। आमदनी में वृद्धि होगी। प्रसिद्धि एवं सम्मान में इजाफा होगा। नौकरी में उन्नति के योग हैं। घर-परिवार की चिंता रहेगी। विवाद को बढ़ावा न दें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। जोखिम न लें। शारीरिक कष्ट संभव है।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो। समस्या चाहे कैसी भी हो 100% समाधान प्राप्त करे:- स्पेशलिस्ट- मनचाही लव मैरिज करवाना, पति या प्रेमी को मनाना, कारोबार का न चलना, धन की प्राप्ति, पति पत्नी में अनबन और गुप्त प्रेम आदि समस्याओ का समाधान। एक फोन बदल सकता है आपकी जिन्दगी। Astrologer Chandan Call Now: - +91-8306593867 फीस संबंधी जानकारी के लिए #Facebook page के message box में #message करें। आप Whatsapp भी कर सकते हैं। #famousastrologer #astronews #astroworld #Astrology #Horoscope #Kundli #Jyotish #yearly #monthlychallengey #weekly #numerology #rashifal #RashiRatan #gemstone #real #onlinepuja #remedies #lovemarraigespecilist #prediction #motivation #dailyhoroscope #TopAstrologer
0 notes
sat-saheb-ji · 8 months
Text
Tumblr media
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस और परमेश्वर कबीर जी के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में 17 से 20 फरवरी 2024 को चार दिवसीय खुला पाठ विशाल सत्संग विशाल भंडारा का आयोजन किया जा रहा है।
इस धार्मिक भंडारे में आप सभी सहपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
समागम स्थान : सतलोक आश्रम धनाना धाम, सतलोक आश्रम वेदखेड़ी, सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र, सतलोक आश्रम धूरी, सतलोक आश्रम मुंडका, सतलोक आश्रम खमाणों, सतलोक आश्रम सोजत, सतलोक आश्रम भिवानी, सतलोक आश्रम धनुषा, सतलोक आश्रम बैतूल।
2 notes · View notes
mangesh1982 · 4 days
Text
*#श्राद्धकी_शास्त्रानुकूल_विधि*
#SantRampalJi Maharaj
#श्राद्ध #पितृपक्ष #ancestors #ancestorworship #pinddaan
#pitrupaksha #pitrapaksh #shradh #amavasya #astrology #karma #vastu #reels #trending
🌀 श्राद्ध किसके लिए निकालते हैं। श्राद्ध उनके लिए करते हैं जो मृत्यु को प्राप्त हो गए यानी प्रेत पित्तर बन गए। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इसके लिए मना किया गया है।
विष्णु पुराण के अंदर लिखा हुआ है, व्यास जी कह रहे हैं कि हे राजन! श्राद्ध के समय यदि एक हजार ब्राह्मण बैठे हों। भोजन करने ��ये हों।
और एक तरफ योगी बैठ जा। तो वो ब्राह्मणों समेत, पित्तरों समेत, यजमानों समेत सबका उद्धार कर देता है। वह योगी कौन है?
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है।
🌀श्राद्ध की शास्त्र अनुकूल विधि संत रामपाल जी महाराज के सभी सतलोक आश्रमों में हर दूसरे तीसरे महीने समागम में की जाती ही। वहां तो श्राद्ध हर दूसरे तीसरे महीने निकालते हैं। आप जी तो साल में एक ही बार निकालते हो।
🌀विष्णु पुराण, तृतीय अंश के अध्याय 15 में श्लोक 55-56, पर लिखा है कि एक योगी (शास्त्रानुकूल सत्य साधक) अकेला ही पित्तरों तथा एक हजार ब्राह्मणों तथा यजमान सहित सर्व का उद्धार कर देगा। शास्त्रानुकूल सत्य साधना केवल संत रामपाल जी महाराज करवाते हैं इसलिए उनके शिष्य ही वह योगी हैं जिसका उपरोक्त शास्त्र में जिक्र किया है।
🌀पवित्र गीता अध्याय 9 मंत्र 25 व 23 से 24 तथा अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तथा 20 से 23 में भगवान ने स्पष्ट मना किया है श्राद्ध करने (पितर पूजा करने), पिण्ड दान करने(भूत पूजा करने) से तथा अन्य देवताओं की पूजा करने से मना किया है। कहा है कि जो पित्तर पूजा करते हैं अर्थात श्राद्ध निकालते हैं वे पित्तरों के पास जायेंगे अर्थात पित्तर बन जायेंगे,
मुक्त नहीं हो सकते। पिण्ड दान अर्थात भूत पूजने वाले भी भूत बनेंगे तथा देवताओं को पूजने वाले
देवताओं के पास जायेंगे, उनके नौकर लगेंगे। फिर सर्व देवताओं (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा
श्री शिव जी) सहित तथा इनके उपासक क्षणिक सुख भोगकर मृत्यु को प्राप्त होंगे, मुक्ति नहीं होगी।
यह मूर्खों की पूजा है।
🌀कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि -
एकै साधे सब सधै, सब साधै सब जाय।
माली सीचें मूल को, फलै फूलै अघाय।।
संत रामपाल जी महाराज, सर्वसुख व पूर्णमोक्ष दायक शास्त्रानुकूल भक्ति साधना (धार्मिक अनुष्ठान) करवाते हैं, जिसके करने से साधक पितर, भूत नहीं बनता अपितु पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है तथा जो पूर्वज गलत साधना करके पित्तर भूत बने हैं, उनका भी छुटकारा हो जाता है।
🌀परमात्मा कबीर जी समझाते हैं कि हे भोले प्राणी! गरूड़ पुराण का पाठ जीव को मृत्यु से पहले सुनाना चाहिए था ताकि वह परमात्मा के विधान को समझकर पाप कर्मों से बचता। पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष करता। जिस कारण से वह न प्रेत बनता, न पितर बनता, न पशु-पक्षी आदि-आदि के शरीरों में कष्ट उठाता। मृत्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण के पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता।
🌀सूक्ष्मवेद (तत्वज्ञान) में तथा चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथवर्वेद) तथा इन चारों वेदों के सारांश गीता में स्पष्ट किया है कि आन-उपासना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये शास्त्रों में वर्णित न होने से मनमाना आचरण है जो गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में व्यर्थ बताया है। शास्त्रोक्त साधना करने का आदेश दिया है।
🌀मार्कण्डेय पुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित) में श्राद्ध के विषय मे एक कथा का वर्णन मिलता है जिसमें रूची नामक एक ऋषि को अपने चार पूर्वज जो शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे, दिखाई दिए। पितरों ने कहा कि बेटा रूची हमारे श्राद्ध निकाल, हम दुःखी हो रहे हैं। रूची ऋषि ने जवाब दिया की पित्रामहों वेद में कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को मूर्खों की साधना कहा है, अर्थात यह क्रिया व्यर्थ व शास्त्र विरुद्ध है।
🌀श्राद्ध आदि शास्त्रविरूद्ध क्रियाऐं करने से अनमोल जीवन नष्ट हो जाता है। यदि सतगुरू (तत्वदर्शी संत) का सत्संग सुनते, उसकी संगति करते तो सर्व पापकर्म नष्ट हो जाते। सत्य साधना करके अमर लोक यानि गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहे (शाश्वतं स्थानं) सनातन परम धाम में आप जी का आसन यानि स्थाई ठिकाना होता जहाँ कोई कष्ट नहीं। वहाँ पर परम शांति है क्योंकि वहाँ पर कभी जन्म-मृत्यु नहीं होता।
🌀भूत पूजा तथा पितर पूजा क्या है?
इन पूजाओं के निषेध का प्रमाण पवित्र गीता शास्त्र के अध्याय 9 श्लोक 25 में लिखा है कि भूत पूजा करने वाले भूत बनकर भूतों के समूह में मृत्यु उपरांत चले जाऐंगे। पितर पूजा करने वाले पितर लोक में पितर योनि प्राप्त करके पितरों के पास चले जाऐंगे। मोक्ष प्राप्त प्राणी सदा के लिए जन्म-मरण से मुक्त हो जाता है।
🌀श्री विष्णु पुराण के तीसरे अंश में अध्याय 15 श्लोक 55-56 पर लिखा है कि श्राद्ध के भोज में यदि एक योगी यानी शास्त्रोक्त साधक को भोजन करवाया जाए तो श्राद्ध में आए हजार ब्राह्मणों तथा यजमान के पूरे परिवार सहित सर्व पितरों का उद्धार कर देता है।
🌀कबीर, भक्ति बीज जो होये हंसा, तारूं तास के एकोत्तर वंशा।
श्राद्ध आदि निकालना शास्त्र विरुद्ध है, सत्य शास्त्रोक्त साधना करने वाले साधक की 101 पीढ़ी पार होती हैं। सत्य शास्त्रानुसार साधना केवल तत्वदर्शी संत दे सकता है जिसकी शरण में जाने के लिए गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा गया है। वर्तमान में वह पूर्ण तत्वदर्शी संत केवल संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
🌀गीता भी हमें श्राद्ध के विषय में निर्णायक ज्ञान देती है। गीता के अध्याय 9 के श्लोक 25 में कहा है कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने (पिण्ड दान करने) वाले भूतों को प्राप्त होते हैं अर्थात भूत बन जाते हैं, शास्त्रानुकूल (पवित्र वेदों व गीता अनुसार) पूजा करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं अर्थात ब्रह्मलोक के स्वर्ग व महास्वर्ग आदि में कुछ ज्यादा समय मौज कर लेते हैं और पुण्यरूपी कमाई खत्म होने पर फिर से 84 लाख योनियों में प्रवेश कर जाते हैं।
🌀जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां।
कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि जीवित पिता को तो समय पर टूक (रोटी) भी नहीं दिया जाता। मृत्यु के पश्चात् उसको पवित्र दरिया में बहाकर आता है। कितना खर्च करता है। अपने माता-पिता की जीवित रहते प्यार से सेवा करो। उनकी आत्मा को प्रसन्न करो। उनकी वास्तविक श्रद्धा सेवा तो यह है।
🌀"श्राद्ध और पितृ पूजा से जीव की गति नहीं होती"
प्रेत शिला पर जाय विराजे, फिर पितरों पिण्ड भराहीं।
बहुर श्राद्ध खान कूं आया, काग भये कलि माहीं।।
🌀जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां।
जीवित बाप के साथ तो लड़ाई रखते हैं और उनके मरने के उपरांत उनके श्राद्ध निकालते हैं।
परमात्मा कहते हैं रे भोली सी दुनिया सतगुरु बिन कैसे सरिया।
बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर सतभक्ति करने से मनुष्य 84 लाख योनियों का कष्ट नहीं भोगता।
🌀श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
🌀भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात्‌ यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है।
🌀तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
🌀नर सेती तू पशुवा कीजै, गधा, बैल बनाई।
छप्पन भोग कहाँ मन बौरे, कहीं कुरड़ी चरने जाई।।
मनुष्य जीवन में हम कितने अच्छे अर्थात् 56 प्रकार के भोजन खाते हैं। भक्ति न करने से या शास्त्रविरूद्ध साधना करने से गधा बनेगा, फिर ये छप्पन प्रकार के भोजन कहाँ प्राप्त होंगे, कहीं कुरड़ियों (रूड़ी) पर पेट भरने के लिए घास खाने जाएगा। इसी प्रकार बैल आदि-आदि पशुओं की योनियों में कष्ट पर कष्ट उठाएगा।
🌀श्राद्ध क्रिया कर्म मनमाना आचरण है यह शास्त्रों में अविद्या कहा गया है बल्कि गीता अध्याय 16 श्लोज 23 और 24 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनकी ना तो गति होती है न ही उन्हें किसी प्रकार का आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है इसलिए शास्त्र ही प्रमाण है।
🌀जै सतगुरू की संगत करते, सकल कर्म कटि जाईं।
अमर पुरि पर आसन होते, जहाँ धूप न छाँइ।।
संत गरीबदास जी ने परमेश्वर कबीर जी से प्राप्त सूक्ष्मवेद में कहा है कि यदि सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेते तो सर्व कर्मों के कष्ट कट जाते अर्थात् न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते।
🌀जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है।
सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
🌀सत्य भक्ति वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। जिससे इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी सन्त से तत्वज्ञान प्राप्त करके, उस तत्वज्ञान से अज्ञान का नाश करके, उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
Tumblr media
0 notes
234ravindar · 3 days
Text
Tumblr media
*🎄बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🎄*
18/09/24
*⌛Facebook Sewa ⌛*
🧩 *मालिक की दया से Facebook पर श्राद्ध की श्रेष्ठ विधि बताते हुए सेवा करेंगे जी।*
*टैग और कीवर्ड⤵️*
*#श्राद्धकी_शास्त्रानुकूल_विधि*
#SantRampalJi Maharaj
#श्राद्ध #पितृपक्ष #ancestors #ancestorworship #pinddaan
#pitrupaksha #pitrapaksh #shradh #amavasya #astrology #karma #vastu #reels #trending
★★★★★
📷 *सेवा से सम्बंधित फ़ोटो लिंक⤵️*
https://www.satsaheb.org/shradh-hindi/
https://www.satsaheb.org/shradh-english/
*⛳सेवा Points* ⤵️
🌀 श्राद्ध किसके लिए निकालते हैं। श्राद्ध उनके लिए करते हैं जो मृत्यु को प्राप्त हो गए यानी प्रेत पित्तर बन गए। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इसके लिए मना किया गया है।
विष्णु पुराण के अंदर लिखा हुआ है, व्यास जी कह रहे हैं कि हे राजन! श्राद्ध के समय यदि एक हजार ब्राह्मण बैठे हों। भोजन करने आये हों।
और एक तरफ योगी बैठ जा। तो वो ब्राह्मणों समेत, पित्तरों समेत, यजमानों समेत सबका उद्धार कर देता है। वह योगी कौन है?
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है।
🌀श्राद्ध की शास्त्र अनुकूल विधि संत रामपाल जी महाराज के सभी सतलोक आश्रमों में हर दूसरे तीसरे महीने समागम में की जाती ही। वहां तो श्राद्ध हर दूसरे तीसरे महीने निकालते हैं। आप जी तो साल में एक ही बार निकालते हो।
🌀विष्णु पुराण, तृतीय अंश के अध्याय 15 में श्लोक 55-56, पर लिखा है कि एक योगी (शास्त्रानुकूल सत्य साधक) अकेला ही पित्तरों तथा एक हजार ब्राह्मणों तथा यजमान सहित सर्व का उद्धार कर देगा। शास्त्रानुकूल सत्य साधना केवल संत रामपाल जी महाराज करवाते हैं इसलिए उनके शिष्य ही वह योगी हैं जिसका उपरोक्त शास्त्र में जिक्र किया है।
🌀पवित्र गीता अध्याय 9 मंत्र 25 व 23 से 24 तथा अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तथा 20 से 23 में भगवान ने स्पष्ट मना किया है श्राद्ध करने (पितर पूजा करने), पिण्ड दान करने(भूत पूजा करने) से तथा अन्य देवताओं की पूजा करने से मना किया है। कहा है कि जो पित्तर पूजा करते हैं अर्थात श्राद्ध निकालते हैं वे पित्तरों के पास जायेंगे अर्थात पित्तर बन जायेंगे,
मुक्त नहीं हो सकते। पिण्ड दान अर्थात भूत पूजने वाले भी भूत बनेंगे तथा देवताओं को पूजने वाले
देवताओं के पास जायेंगे, उनके नौकर लगेंगे। फिर सर्व देवताओं (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा
श्री शिव जी) सहित तथा इनके उपासक क्षणिक सुख भोगकर मृत्यु को प्राप्त होंगे, मुक्ति नहीं होगी।
यह मूर्खों की पूजा है।
🌀कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि -
एकै साधे सब सधै, सब साधै सब जाय।
माली सीचें मूल को, फलै फूलै अघाय।।
संत रामपाल जी महाराज, सर्वसुख व पूर्णमोक्ष दायक शास्त्रानुकूल भक्ति साधना (धार्मिक अनुष्ठान) करवाते हैं, जिसके करने से साधक पितर, भूत नहीं बनता अपितु पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है तथा जो पूर्वज गलत साधना करके पित्तर भूत बने हैं, उनका भी छुटकारा हो जाता है।
🌀परमात्मा कबीर जी समझाते हैं कि हे भोले प्राणी! गरूड़ पुराण का पाठ जीव को मृत्यु से पहले सुनाना चाहिए था ताकि वह परमात्मा के विधान को समझकर पाप कर्मों से बचता। पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष करता। जिस कारण से वह न प्रेत बनता, न पितर बनता, न पशु-पक्षी आदि-आदि के शरीरों में कष्ट उठाता। मृत्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण के पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता।
🌀सूक्ष्मवेद (तत्वज्ञान) में तथा चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथवर्वेद) तथा इन चारों वेदों के सारांश गीता में स्पष्ट किया है कि आन-उपासना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये शास्त्रों में वर्णित न होने से मनमाना आचरण है जो गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में व्यर्थ बताया है। शास्त्रोक्त साधना करने का आदेश दिया है।
🌀मार्कण्डेय पुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित) में श्राद्ध के विषय मे एक कथा का वर्णन मिलता है जिसमें रूची नामक एक ऋषि को अपने चार पूर्वज जो शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे, दिखाई दिए। पितरों ने कहा कि बेटा रूची हमारे श्राद्ध निकाल, हम दुःखी हो रहे हैं। रूची ऋषि ने जवाब दिया की पित्रामहों वेद में कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को मूर्खों की साधना कहा है, अर्थात यह क्रिया व्यर्थ व शास्त्र विरुद्ध है।
🌀श्राद्ध आदि शास्त्रविरूद्ध क्रियाऐं करने से अनमोल जीवन नष्ट हो जाता है। यदि सतगुरू (तत्वदर्शी संत) का सत्संग सुनते, उसकी संगति करते तो सर्व पापकर्म नष्ट हो जाते। सत्य साधना करके अमर लोक यानि गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहे (शाश्वतं स्थानं) सनातन परम धाम में आप जी का आसन यानि स्थाई ठिकाना होता जहाँ कोई कष्ट नहीं। वहाँ पर परम शांति है क्योंकि वहाँ पर कभी जन्म-मृत्यु नहीं होता।
🌀भूत पूजा तथा पितर पूजा क्या है?
इन पूजाओं के निषेध का प्रमाण पवित्र गीता शास्त्र के अध्याय 9 श्लोक 25 में लिखा है कि भूत पूजा करने वाले भूत बनकर भूतों के समूह में मृत्यु उपरांत चले जाऐंगे। पितर पूजा करने वाले पितर लोक में पितर योनि प्राप्त करके पितरों के पास चले जाऐंगे। मोक्ष प्राप्त प्राणी सदा के लिए जन्म-मरण से मुक्त हो जाता है।
🌀श्री विष्णु पुराण के तीसरे अंश में अध्याय 15 श्लोक 55-56 पर लिखा है कि श्राद्ध के भोज में यदि एक योगी यानी शास्त्रोक्त साधक को भोजन करवाया जाए तो श्राद्ध में आए हजार ब्राह्मणों तथा यजमान के पूरे परिवार सहित सर्व पितरों का उद्धार कर देता है।
🌀कबीर, भक्ति बीज जो होये हंसा, तारूं तास के एकोत्तर वंशा।
श्राद्ध आदि निकालना शास्त्र विरुद्ध है, सत्य शास्त्रोक्त साधना करने वाले साधक की 101 पीढ़ी पार होती हैं। सत्य शास्त्रानुसार साधना केवल तत्वदर्शी संत दे सकता है जिसकी शरण में जाने के लिए गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा गया है। वर्तमान में वह पूर्ण तत्वदर्शी संत केवल संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
🌀गीता भी हमें श्राद्ध के विषय में निर्णायक ज्ञान देती है। गीता के अध्याय 9 के श्लोक 25 में कहा है कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने (पिण्ड दान करने) वाले भूतों को प्राप्त होते हैं अर्थात भूत बन जाते हैं, शास्त्रानुकूल (पवित्र वेदों व गीता अनुसार) पूजा करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं अर्थात ब्रह्मलोक के स्वर्ग व महास्वर्ग आदि में कुछ ज्यादा समय मौज कर लेते हैं और पुण्यरूपी कमाई खत्म होने पर फिर से 84 लाख योनियों में प्रवेश कर जाते हैं।
🌀जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां।
कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि जीवित पिता को तो समय पर टूक (रोटी) भी नहीं दिया जाता। मृत्यु के पश्चात् उसको पवित्र दरिया में बहाकर आता है। कितना खर्च करता है। अपने माता-पिता की जीवित रहते प्यार से सेवा करो। उनकी आत्मा को प्रसन्न करो। उनकी वास्तविक श्रद्धा सेवा तो यह है।
🌀"श्राद्ध और पितृ पूजा से जीव की गति नहीं होती"
प्रेत शिला पर जाय विराजे, फिर पितरों पिण्ड भराहीं।
बहुर श्राद्ध खान कूं आया, काग भये कलि माहीं।।
🌀जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां।
जीवित बाप के साथ तो लड़ाई रखते हैं और उनके मरने के उपरांत उनके श्राद्ध निकालते हैं।
परमात्मा कहते हैं रे भोली सी दुनिया सतगुरु बिन कैसे सरिया।
बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर सतभक्ति करने से मनुष्य 84 लाख योनियों का कष्ट नहीं भोगता।
🌀श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
🌀भक्ति नहीं करने वाले व शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले, नकली गुरु बनाने वाले एवं पाप अपराध करने वालों को मृत्यु पश्चात्‌ यमदूत घसीटकर ले जाते हैं और नरक में भयंकर यातनाएं देते हैं। तत्पश्चात् 84 लाख कष्टदायक योनियों में जन्म मिलता है।
🌀तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
🌀नर सेती तू पशुवा कीजै, गधा, बैल बनाई।
छप्पन भोग कहाँ मन बौरे, कहीं कुरड़ी चरने जाई।।
मनुष्य जीवन में हम कितने अच्छे अर्थात् 56 प्रकार के भोजन खाते हैं। भक्ति न करने से या शास्त्रविरूद्ध साधना करने से गधा बनेगा, फिर ये छप्पन प्रकार के भोजन कहाँ प्राप्त होंगे, कहीं कुरड़ियों (रूड़ी) पर पेट भरने के लिए घास खाने जाएगा। इसी प्रकार बैल आदि-आदि पशुओं की योनियों में कष्ट पर कष्ट उठाएगा।
🌀श्राद्ध क्रिया कर्म मनमाना आचरण है यह शास्त्रों में अविद्या कहा गया है बल्कि गीता अध्याय 16 श्लोज 23 और 24 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनकी ना तो गति होती है न ही उन्हें किसी प्रकार का आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है इसलिए शास्त्र ही प्रमाण है।
🌀जै सतगुरू की संगत करते, सकल कर्म कटि जाईं।
अमर पुरि पर आसन होते, जहाँ धूप न छाँइ।।
संत गरीबदास जी ने परमेश्वर कबीर जी से प्राप्त सूक्ष्मवेद में कहा है कि यदि सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेते तो सर्व कर्मों के कष्ट कट जाते अर्थात् न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते।
🌀जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है।
सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
🌀सत्य भक्ति वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। जिससे इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी सन्त से तत्वज्ञान प्राप्त करके, उस तत्वज्ञान से अज्ञान का नाश करके, उसके पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए। जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
❌ *No Copy Paste* ❌
0 notes
h1an2s3 · 3 months
Text
[26/06, 7:39 am] +91 83078 98929: सफल हुआ महासमागम
627 वें कबीर साहेब प्रकट दिवस के उपलक्ष्य पर 20-21-22 जून 2024 को संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 11 सतलोक आश्रमों में शांति पूर्वक भंडारा सम्पूर्ण हुआ।
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर समाज के हित में रक्तदान भी किया गया।
#सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
#SantRampalJiMaharaj #bhandara #langar #feast
[26/06, 7:39 am] +91 83078 98929: कबीर साहेब प्रकट दिवस जो हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार भी 20 से 22 जून 2024 तक तीन दिवसीय अखंड पाठ और भंडारे का आयोजन किया गया जो पूर्ण रूप से सफल हुआ। इस भंडारे में लाखों श्रद्धालुओं ने कबीर परमात्मा के बारे में जाना और जय जय कार की।
#सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
#SantRampalJiMaharaj #bhandara #langar #feast
[26/06, 7:39 am] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद से 20-22 जून 2024 को 11 सतलोक आश्रमों में विशाल भंडारा सफल हुआ। इस भंडारे में लाखों श्रद्धालुओं ने नि:शुल्क भंडारा पाया। साथ में पवित्र वेदों, गीता, कुरान, पुराणों से जाना की वास्तव में परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं।
#सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
#SantRampalJiMaharaj #bhandara #langar #feast
[26/06, 7:39 am] +91 83078 98929: सफल हुआ विशाल भंडारा
627 वें कबीर साहेब प्रकट दिवस के उपलक्ष्य पर 20-21-22 जून 2024 को संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 11 सतलोक आश्रमों में शांति पूर्वक भंडारा सम्पूर्ण हुआ जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने भंडारा ग्रहण किया।
#सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
#SantRampalJiMaharaj #bhandara #langar #feast
[26/06, 7:39 am] +91 83078 98929: सफल हुआ दिव्य भंडारा
कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर हुए विशाल भंडारे व सत्संग समागम में रक्तदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें हज़ारों श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़कर रक्तदान किया, देहदान का संकल्प लिया, दहेजमुक्त विवाह किए।
#सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
#SantRampalJiMaharaj #bhandara #langar #feast
[26/06, 7:39 am] +91 83078 98929: 20-21-22 जून 2024 को कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर हुए सैंकड़ों दहेज मुक्त विवाह। यह सामाजिक कुरीति को मिटाने की दिशा में एक सराहनीय पहल है।
#सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
#SantRampalJiMaharaj #bhandara #langar #feast
[26/06, 7:39 am] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में उनके शिष्यों ने कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर सतलोक आश्रमों में हज़ारों यूनिट हुआ रक्तदान। 20-22 जून 2024 को 11 सतलोक आश्रमों में विशाल भंडारा सफल हुआ।
#सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
#SantRampalJiMaharaj #bhandara #langar #feast
[26/06, 7:39 am] +91 83078 98929: 20-21-22 जून 2024 को कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर हुआ विशाल भंडारा शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 11 सतलोक आश्रमों में 300 से ज्यादा जोड़ों की दहेज मुक्त शादी हुई। भक्तों ने इस अवसर पर रक्तदान कर मानवता की सेवा का कार्य किया। साथ ही, उन्होंने देहदान का संकल्प भी लिया।
#सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
#SantRampalJiMaharaj #bhandara #langar #feast
[26/06, 7:39 am] +91 83078 98929: शांतिपूर्ण आयोजन: 20-21-22 जून 2024 को 11 सतलोक आश्रमों में संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में आयोजित भंडारा शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ।
#सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
#SantRampalJiMaharaj #bhandara #langar #feast
[26/06, 7:39 am] +91 83078 98929: सफल हुआ विशाल भंडारा
20-21-22 जून 2024 को 11 सतलोक आश्रमों में संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में आयोजित भंडारा शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ।
संत रामपाल जी महाराज ने सतभक्ति साधना के साथ परमार्थ करने को श्रेष्ठ बताया है। इसी कारण उनके अनुयायी आए दिन जरूरतमंदों की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं (जैसे रक्तदान, देहदान, दहेज मुक्त विवाह)
#सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
#SantRampalJiMaharaj #bhandara #langar #feast
[26/06, 7:39 am] +91 83078 98929: 627वां कबीर साहेब प्रकट दिवस धार्मिक उत्साह और सामाजिक सेवा के कार्यों से भरा रहा।
#सफल_हुआ_विशाल_भंडारा
#SantRampalJiMaharaj #bhandara #langar #feast
0 notes
indrabalakhanna · 27 days
Text
Satsang Ishwar TV | 25-08-2024 | Episode: 2491 | Sant Rampal Ji Maharaj ...
*📣🙏बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🙏📣*
*25/08/24 Sunday/रविवार*
*🦚🦚🌼🥀🌼*
#SundayMotivation
#SundayThoughts
1🌐जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने सचेत किया है कि ज्ञान के बिना मनुष्य पशु-पक्षी की तरह संतानोत्पत्ति और उनके पालन पोषण के लिए आजीवन संघर्षरत रहते हैं! अंत में प्राण त्याग कर कर्मानुसार पुनर्जन्म को प्राप्त होते हैं! यदि सतगुरु के सत्संग मिल जाए तो मनुष्य तत्वज्ञान व सतभक्ति द्वारा पूर्ण मोक्ष को प्राप्त होता है। इसलिए हमें संत रामपाल जी के सत्संग अवश्य सुनने चाहिए!
2🌐क्यों सुनें संत रामपाल जी महाराज के सत्संग?
संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर आज लाखों लोग सामाजिक कुप्रथाओं व बुराइयों जैसे छुआ छूत, तेरहवीं, मृत्यु भोज, नशा, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या आदि को बिल्कुल छोड़ चुके हैं व सुखी एवं शान्तिमय जीवन जी रहें हैं! यह शांति आप भी संत रामपाल जी के सत्संग सुनकर प्राप्त कर सकते हैं!
3🌐संत रामपाल जी महाराज के सत्संग क्यों सुनें?
संत रामपाल जी महाराज, संत शास्त्रों से प्रमाणित सत्संग करते हैं वे अपने सत्संगो में कही एक-एक बात का प्रमाण शास्त्रों में दिखाते हैं। संत रामपाल जी महाराज मनमानी शास्त्रविरुद्ध पूजा जैसे कि श्राद्ध, पिण्ड दान, माता मसानी और प्रेतों की पूजा करना निषेध करते हैं, क्योंकि गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इन क्रियाओं को मना किया गया है और वे एक पूर्ण परमात्मा की शास्त्र अनुसार साधना कराते हैं जिससे साधक को सभी सुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है!
4🌐संत रामपाल जी महाराज के सत्संग क्यों सुनें?
गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में वर्णित मोक्ष प्राप्ति के सांकेतिक मंत्र ओम्-तत्-सत् का रहस्य संत रामपाल जी महाराज उजागर करते हैं! इसलिए हमें प्रतिदिन संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनने चाहिए!
5🌐संत रामपाल जी महाराज के सत्संग क्यों सुनें?
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा गया है कि शास्त्र विरुद्ध मनमानी क्रियाओं से कोई लाभ नहीं होता! जबकि संत रामपाल जी महाराज शास्त्र अनुकूल भक्ति बताते हैं इसलिए हमें प्रतिदिन संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनने चाहिए!
6🌐क्यों सुनें संत रामपाल जी का सत्संग?
संत रामपाल जी महाराज का सत्संग हमें इसलिए सुनना चाहिए क्योंकि आज तक जो तत्वज्ञान हमारे तथाकथित धर्मगुरु नहीं बता सके वह तत्वज्ञान संत रामपाल जी ने गीता, वेदों, पुराणों व सभी धर्म शास्त्रों से प्रमाण सहित बताया है! जिससे भक्त समाज अंधविश्वास, पाखंड और धार्मिक भ्रांतियों से बच सकता है!
7🌐संत रामपाल जी महाराज, सत्संग में जीवन के वास्तविक उद्देश्य की प्राप्ति के बारे में बताते हैं कि मनुष्य जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति है और इसके लिए सही गुरु की पहचान और सही मार्गदर्शन आवश्यक है! इस बारे में कबीर साहेब ने कहा है:
*कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार!
तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि!!*
8🌐संत रामपाल जी महाराज के सत्संग में समाज की विभिन्न बुराइयों जैसे दहेज प्रथा, भ्रष्टाचार, व्यभिचार, चोरी, जारी, शराब सेवन और अन्य कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाई जाती है! यह समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का महत्वपूर्ण साधन है!
9🌐हजार वर्ष तप करने का जो फल प्राप्त होता है उससे अधिक फल ��त्वदर्शी संत का एक पल का सत्संग मिल जाए ��ससे होता है!
कबीर साहेब जी कहते हैं -
*सत्संग की आधी घड़ी, तप के वर्ष हजार !
तो भी बराबर है नहीं, कहै कबीर विचार!!*
10🌐संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक सत्संग सुनने से मनुष्य को ज्ञात होता है कि उसके जीवन का मूल उद्देश्य क्या है, सत भक्ति की विधि क्या है, किस परमात्मा की भक्ति करने से उसका जीवन सफल होगा तथा उसे क्या कर्म करना चाहिए और क्या नहीं!
11🌐तत्वज्ञान युक्त सत्संग सुनने से सतभक्ति मार्ग का ज्ञान होता है! यदि एक आत्मा को भी सतभक्ति मार्ग पर लगाकर उसका आत्म कल्याण करवा दिया जाए तो करोड़ अवश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है!
*आत्म प्राण उद्धार ही, ऐसा धर्म नहीं और!
कोटि अश्वमेघ यज्ञ, सकल समाना भौर!!*
जीवात्मा के उद्धार के लिए किए गए कार्य अर्थात् सेवा से श्रेष्ठ कोई भी कार्य नहीं है, जो वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज कर रहे हैं!
12🌐संत रामपाल जी महाराज बताते हैं सत्संग से आत्मा को गुरु वचनों की खुराक मिलती है और सकारात्मक भावनाएं जागती हैं!
*संत समागम, हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय!
सुत दारा और लक्ष्मी यह तो घर पापी के भी होए!!*
13🌐मानव समाज के लिए दहेज एक अभिशाप है बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है! उन्हें जन्म लेने ही नहीं दिया जाता! इसका कारण केवल और केवल दहेज है!¡संत रामपाल जी महाराज जी ने बीड़ा उठाया है दहेज मुक्त समाज का निर्माण करना। संत रामपाल जी महाराज जी सत्संग के माध्यम से बताते हैं दहेज लेना अपराध है। इससे न तो बेटी सुखी हो सकती है और न ही दहेज लेने वाला सुखी हो सकता है।
0 notes
kamlesh091 · 1 month
Text
Tumblr media
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में निम्नलिखित कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं:
1. विशाल भंडारा
2. विशाल सत्संग
3. दहेजमुक्त विवाह
4. अखण्ड पाठ
5. निःशुल्क नाम दीक्षा
6. रक्तदान शिविर
यह महासमागम 6 से 8 सितंबर 2024 को आयोजित किया जाएगा।
➡️समागम स्थल
- सतलोक आश्रम धनाना धाम
- सतलोक आश्रम वेदखेड़ी
- सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र
- सतलोक आश्रम धूरी
- सतलोक आश्रम मुंडका
- सतलोक आश्रम खमाणों
- सतलोक आश्रम सोजत
- सतलोक आश्रम भिवानी
- सतलोक आश्रम धनुषा
- सतलोक आश्रम इंदौर
- सतलोक आश्रम बैतूल
आप सभी सपरिवार इस धार्मिक भंडारे में सादर आमंत्रित हैं।
🙏🙏🙏🙏
1 note · View note