न्यूज़ीलैंड लगभग पूर्ण धूम्रपान प्रतिबंध में चरणबद्ध होगा
न्यूज़ीलैंड लगभग पूर्ण धूम्रपान प्रतिबंध में चरणबद्ध होगा
द्वारा एएफपी
वेलिंगटन: न्यूजीलैंड अगले साल से तंबाकू पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देगा, जो 2008 के बाद पैदा हुए किसी भी व्यक्ति को कभी भी सिगरेट खरीदने से रोकेगा और इस बीच बेचे जाने वाले उत्पादों में निकोटिन की मात्रा को कम करेगा।
मंगलवार को संसद द्वारा पारित कानून के तहत, सिगरेट बहुत कमजोर, खरीदने में अधिक कठिन और वर्तमान में 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति के लिए स्थायी रूप से अनुपलब्ध…
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धूम्रपान मारता है लेकिन उदासी और अकेलापन आपको तेजी से मार सकता है, शोध कहता है
धूम्रपान मारता है लेकिन उदासी और अकेलापन आपको तेजी से मार सकता है, शोध कहता है
आणविक क्षति की शुरुआत उम्र से संबंधित कमजोरी और गंभीर बीमारियों को बदतर बना देती है। कुछ लोग अपनी आणविक प्रक्रियाओं के अधिक गहन होने के कारण दूसरों की तुलना में अधिक तेज़ी से बढ़ते हैं।
सौभाग्य से, उम्र बढ़ने के कम्प्यूटेशनल मॉडल को नियोजित करने से इसके विनाशकारी प्रभाव स्पष्ट होने से पहले उम्र बढ़ने की त्वरित दर की पहचान करने में मदद मिल सकती है (उम्र बढ़ने की घड़ियां)। इन मॉडलों का उपयोग…
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31.05.2024, लखनऊ | "विश्व तंबाकू निषेध दिवस - 2024" के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन एवं एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एजूकेशन के संयुक्त तत्वावधान में जागरूकता कार्यक्रम "सेहत की राह : तंबाकू का त्याग" का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, स्वयंसेवकों एवं एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एजूकेशन के छात्र-छात्राओं ने मुंशी पुलिया से हजरतगंज तथा हजरतगंज से मुंशी पुलिया जाने वाली मेट्रो में यात्रा कर रहे यात्रियों को बैनर एवं पोस्टर के माध्यम से तंबाकू से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में अवगत कराया तथा हजरतगंज मेट्रो स्टेशन पर एक नुक्कड़ नाटक "सेहत की राह : तंबाकू का त्याग" का मंचन किया |
नुक्कड़ नाटक "सेहत की राह : तंबाकू का त्याग" में छात्र-छात्राओं ने यमराज और चित्रगुप्त के माध्यम से आमजन को यह अवगत कराया कि किस तरह से तंबाकू का सेवन आपको मौत की ओर ले जाता है |
"यह बीड़ी यह सिगरेट यह पान मसाला, तूने खुद से ही खुद का मजाक बना डाला"
तंबाकू की लत लग जाने पर व्यक्ति अपने घर परिवार की जरूरत को पूरा ना करके बीड़ी और गुटखा खरीदने में ही सारा पैसा बर्बाद कर देता है | तंबाकू ने न सिर्फ वयस्क लोगों को अपनी चपेट में लिया है बल्कि आजकल छोटे-छोटे बच्चे भी तंबाकू का सेवन करने लगे हैं | नाटक में यह भी बताया गया कि तंबाकू के निरंतर सेवन से मुंह से खून आना, गले में गांठ पड़ जाना, फेफड़े का खराब हो जाना आदि बीमारियां हो जाती हैं जो व्यक्ति को मौत की ओर ले जाती हैं | अंत में कलाकारों ने सभी से तंबाकू और धूम्रपान से दूर रहने की अपील की क्योंकि "जीवन आपका, जिंदगी आपकी, सुरक्षा आपकी" | अतः हम सभी को खुद भी धूम्रपान से दूर रहना चाहिए और अपने आसपास के लोगों को भी इससे दूर रहने के लिए जागरूक करना चाहिए |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन तथा एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन का धन्यवाद देते हुए कहा कि, "नुक्कड़ नाटक सामाजिक संदेश साझा करने और जागरूकता फैलाने का एक सशक्त माध्यम है | आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के सहयोग से एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन के छात्र-छात्राओं द्वारा जनहित में "सेहत की राह: तंबाकू का त्याग" नाटक का मंचन आप सबके सामने किया गया जिसके माध्यम से हमारे कलाकारों ने आप सभी से तंबाकू से दूर रहने की अपील की | तंबाकू का सेवन न सिर्फ वयस्क पुरुषों एवं महिलाओं को प्रभावित कर रहा है बल्कि बच्चों और युवाओं को भी अपने चपेट में ले रहा है | तो आइए आज "विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024" के अवसर पर हम सभी तंबाकू से दूर रहने का संकल्प ले तथा एक स्वस्थ एवं विकसित भारत के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें |"
जागरूकता कार्यक्रम "सेहत की राह : तंबाकू का त्याग" मे हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन से श्री अंकित श्रीवास्तव, श्री सचिन कुमार सिंह, श्री विशाल, श्री गोविंद कुशवाहा, श्री जितेंद्र, श्री आर एन यादव, श्री राम अवतार, एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन से सुश्री प्रियंका, सुश्री शिवानी गुप्ता, सुश्री दीक्षा, सुश्री नेहा कुमारी, सुश्री शालू ओझा, सुश्री राशि सिंह, सुश्री स्नेहा त्रिपाठी, सुश्री इर्तिका नूर, सुश्री नशरह नदीम, सुश्री मीनाक्षी द्विवेदी, सुश्री साक्षी सिंह, सुश्री अंशिका, सुश्री हर्षिता सिंह, सुश्री शिदरा फातिमा, श्री रिचर्ड मेसी, श्री अश्मित मौर्य तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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*Dr. Smita Goel Homeopathy Clinic*
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एसिडिटी या अम्लता एक चिकित्सा स्थिति है जो एसिड के अतिरिक्त उत्पादन के कारण होती है। यह एसिड पेट की ग्रंथियों द्वारा उत्पादित होता है। अम्लता पेट, गैस्ट्रिक सूजन, दिल की धड़कन और डिस्प्सीसिया में अल्सर जैसे लक्षण पैदा करती है। यह आमतौर पर अनियमित खाने के पैटर्न, शारीरिक खेल या गतिविधियों की कमी, शराब की खपत, धूम्रपान, तनाव, फड आहार और खराब खाने की आदतों जैसे कई कारकों के कारण होता है। लोग उन जगहों पर अम्लता विकसित करने में अधिक प्रवण होते हैं। जहां लोग अधिक शाकाहारी, मसालेदार और तेल के भोजन का उपभोग करते हैं। एनएसएआईडी (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) जैसी कई दवाएं गैस्ट्रिक अम्लता विकसित करने में एक व्यक्ति को अधिक संवेदनशील बना सकती हैं। एक भारी भोजन लेने के बाद अम्लता को गहरी जलती हुई सनसनी की विशेषता है। अम्लता वाले लोगों में अपचन और कब्ज भी आम है। यह घरेलू उपचार या एंटासिड का उपभोग करके और स्वस्थ कार्यान्वयन से ठीक हो सकता है। एंडोस्टिज्म के रूप में जाना जाने वाला एक तकनीक एसिड भाटा से भी बहुत राहत प्रदान करता है। अम्लता के सामान्य लक्षणों में पेट और गले में मुंह, कब्ज, बेचैनी और जलने की उत्तेजना में अपचन, मतली, खट्टा स्वाद शामिल है।
# अम्लता का कारण क्या होता है?
हमारा पेट आमतौर पर गैस्ट्रिक एसिड पैदा करता है जो पाचन में मदद करता है। इन एसिड के संक्षारक प्रभाव प्रोस्टाग्लैंडिन और प्राकृतिक बाइकार्बोनेट के उत्पादन से संतुलित होते हैं जो श्लेष्म अस्तर में गुप्त होते हैं। यह पेट की अस्तर को नुकसान पहुंचाता है और अम्लता का कारण बनता है। अन्य कारक जो अम्लता का कारण बनते हैं उनमें शामिल हैं:
मांसाहारी और मसालेदार खाद्य पदार्थों का उपभोग करना।
अत्यधिक तनाव
बहुत अधिक शराब का उपभोग।
अक्सर धूम्रपान
पेट के ट्यूमर, गैस्ट्रोसोफेजियल रीफ्लक्स रोग और पेप्टिक अल्सर जैसे पेट विकार।
एनएसएआईडीएस (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) जैसी दवाएं।
√ अम्लता के लिए उपचार:
एल्यूमीनियम, कैल्शियम या मैग्नीशियम युक्त एंटीसिड का उपभोग करके अम्लता ठीक हो सकती है। कई बार, एच 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स (हिस्टामाइन अवरुद्ध एजेंट) जैसे निजाटिडाइन, फ़ोटोटिडाइन, रैनिटिडाइन और सिमेटिडाइन का उपयोग किया जाता है। यदि आपके पास गंभीर अम्लता है तो प्रोटॉन पंप इनहिबिटर डॉक्टर द्वारा भी निर्धारित किए जाते हैं। अम्लता का इलाज घरेलू उपचारों जैसे कि केले, ठंडे दूध, एनीज, जीरा, कार्डोमन, लौंग, टकसाल के पत्तों और अदरक का उपभोग भी किया जा सकता है। आप भोजन के दौरान मसालेदार भोजन या अचार से बचने, अधिक सब्जियों और फलों को खाने, गैर शाकाहारी भोजन का उपभोग न करने, एनएसएड्स (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) और स्टेरॉयड जैसी दवाओं से बचने और तनाव को कम करने से अम्लता को रोक सकते हैं।
कभी-कभी नींद से पहले भोजन लेने से अम्लता भी हो सकती है। यह पेट के एंजाइमों को आपके एसोफैगस पर वापस जाने और एसिड भाटा का कारण बनने के लिए उत्तेजित करता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है।
√ लक्षण:
पेट में जलन जलन
गले में जलन जलन।
डकार।
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विश्व अस्थमा दिवस पर समस्त देश व प्रदेश वासियों को उत्तम स्वास्थ्य की शुभकामनाएं ।
आइये, इस दिवस पर पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने के उपाय करें, धूम्रपान से बचें और दूसरों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का संकल्प करें ।
सजग रहें, स्वस्थ रहें ।
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विश्व अस्थमा दिवस पर समस्त देश व प्रदेश वासियों को उत्तम स्वास्थ्य की शुभकामनाएं ।
आइये, इस दिवस पर पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने के उपाय करें, धूम्रपान से बचें और दूसरों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का संकल्प करें ।
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DE Treatment: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
पुरुषों में होने वाले विलंबित स्खलन के बारे में संक्षिप्त जानकारी:
विलंबित स्खलन (डीई) एक प्रकार का पुरुषो में होने वाला गुप्त व यौन रोग है, विशेष रूप से स्खलन विकार से सम्बंधित है, जिसमें स्खलन प्राप्त करने में कठिनाई, स्खलन में अपेक्षित समय से अधिक समय का लगना और संभोग के दौरान स्खलन न कर पाना शामिल है। आकड़ो के अनुसार, 8-12% भारतीय पुरुष अलग-अलग उम्र में इस विलंबित स्खलन गुप्त व यौन समस्या का अनुभव करते हैं। वास्तव में, यह गुप्त व यौन समस्या 35 वर्ष की आयु के बाद पुरुषों में अधिक देखने को मिलती है।
हमारे विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य और समाजसेवी डॉ. सुनील दुबे जो कि आयुर्वेद चिकित्सा अनुसंधान और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ हैं, उन्होंने पुरुषों और महिलाओं के विभिन्न गुप्त व यौन रोगों पर अपना शोध किया है। उन्होंने पुरुषों में होने वाली इस विलंबित स्खलन विकार सबंधी गुप्त व य��न समस्या पर भी शोध किया है और उसके बाद उन्होंने इस प्रकार के गुप्त रोगियों के लिए सबसे कारगर आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार की खोज भी की है। डॉ. सुनील दुबे, जो पटना के बेस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर में शीर्ष स्थान पर हैं, बताते हैं कि इस तरह की गुप्त व यौन समस्या होने के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जैसे कि यौन ज्ञान की कमी या निम्न स्तर, निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति, यौन स्वास्थ्य देखभाल के बारे में अज्ञानता और शहरी और ग्रामीण विभाजन। सामान्य रूप से, आयुर्वेद की भाषा में कहे तो वात, पित्त, और कफ़ का अंसन्तुलन होने पर शारीरिक व यौन क्रिया में गड़बड़ी होती है।
विलंबित स्खलन (डीई) के कारण:
डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि पुरुषो में विलंबित स्खलन गुप्त व यौन विकार होने के कई कारण हैं जैसे कि मनोवैज्ञानिक मुद्दा, न्यूरोलॉजिकल की समस्या, हार्मोनल असंतुलन, चिकित्सा सम्बन्धी समस्या और अनियमित जीवनशैली। सभी कारणों को विस्तार से जानने से व्यक्ति को उपचार और दवा लेने में मदद मिलती है और वह इस समस्या से बच सकता है।
मनोवैज्ञानिक कारक: चिंता, अवसाद, तनाव, आघात और रिश्ते संबंधी समस्याएं।
न्यूरोलॉजिकल विकार: रीढ़ की हड्डी में चोट, मल्टीपल स्केलेरोसिस और मधुमेह।
हार्मोनल असंतुलन: कम टेस्टोस्टेरोन और थायरॉयड विकार।
दवा: एंटीडिप्रेसेंट, एंटीसाइकोटिक्स और रक्तचाप की दवाएं।
जीवनशैली कारक: धूम्रपान, अधिक शराब का सेवन, मोटापा और गतिहीन जीवनशैली।
डॉ. सुनील दुबे जो कि बिहार के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट है कहते हैं कि चूंकि यह गुप्त व यौन समस्या 18 वर्ष से लेकर 55 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को प्रभावित करती है, इसलिए इस समस्या के लिए स्वयं की देखभाल और एहतियात बहुत आवश्यक है। इस गुप्त व यौन समस्या के कारण पुरुषो में बांझपन और प्रजनन प्रणाली के नुकसान की संभावना रहती है और व्यक्ति के यौन और पारिवारिक जीवन भी प्रभावित होती है। इसलिए, हर व्यक्ति को विलंबित स्खलन यौन समस्या के लक्षणों के बारे में हमेशा जागरूक रहना चाहिए। यह व्यक्ति को व्यक्तिगत मार्गदर्शन, उपचार, दवा और सहायता के लिए एक नैदानिक आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर से मिलने में भी मदद करता है।
पुरुषों में विलंबित स्खलन के लक्षण निम्नलिखित है:
स्खलन प्राप्त करने में कठिनाई होना।
विलंबित या अनुपस्थित संभोग सुख।
कम वीर्य की मात्रा का उपस्थित होना।
दर्दनाक स्खलन का होना।
भावनात्मक संकट का होना।
कामेच्छा में कमी का होना।
स्खलन में लगने वाले समय में वृद्धि का होना।
विलंबित स्खलन रोगी के लिए निदान और आयुर्वेदिक चिकित्सा-उपचार:
निदान चिकित्सा मामले में, रोगी का ऐतिहासिक पृष्ट्भूमि, शारीरिक परिक्षण, मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन, हार्मोन स्तर का परीक्षण और वीर्य का विश्लेषण शामिल है। उसके बाद, एक अनुभवी नैदानिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर द्वारा उपचार प्रक्रिया शुरू की जाती है। डॉ. सुनील दुबे सभी प्रकार के गुप्त व यौन रोगियों को अपना संपूर्ण आयुर्वेदिक चिकित्सा-उपचार प्रदान करते हैं। अपने उपचार में, वे आयुर्वेदिक दवाइयाँ, प्रभावी भस्म, संज्ञानात्मक-व्यवहार चिकित्सा, यौन परामर्श, युगल चिकित्सा, जीवनशैली में बदलाव (व्यायाम, तनाव प्रबंधन तकनीक, स्वस्थ आहार और धूम्रपान बंद करना) के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
उनका कहना है कि आयुर्वेद हमारे देश की पारंपरिक प्राकृतिक चिकित्सा-उपचार प्रणाली है और यह किसी भी गुप्त व यौन समस्या को पूर्णकालिक प्रभावी समाधान प्रदान करता है। सबसे बड़ी बात, यह है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा-उपचार का शरीर पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव होने की संभवना नहीं होती जिससे किडनी, मस्तिष्क, व हृदय पर कोई बुरा प्रभाव पड़ता है। कोई भी रोगी आयुर्वेदिक चिकित्सा-उपचार के माध्यम से अपने गुप्त व यौन रोग में सुधार कर सकता है। जिनसेंग, मैका, एल-आर्जिनिन, जिंक सप्लीमेंट्स और अश्वगंधा जैसे कुछ प्राकृतिक उपचार हैं जो सभी यौन समस्याओं से उबरने में सहायक होते हैं।
दुबे क्लिनिक के साथ अपॉइंटमेंट बुक करें:
अपने दैनिक अभ्यास, शोध, अनुभव और रोगी के व्यवहार के आधार पर डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि विलंबित स्खलन के तीन प्रकार हैं जैसे आजीवन डीई, अधिग्रहित डीई और स्थितिजन्य डीई। इस सभी गुप्त व यौन विकार के प्रकार के अनुसार वे रोगी का इलाज करते हैं।
यदि आप किसी भी प्रकार की विलंबित स्खलन संबंधी यौन समस्या का सामना कर रहे हैं, तो व्यक्तिगत आयुर्वेदिक उपचार, दवा, मार्गदर्शन और सहायता के लिए डॉ. सुनील दुबे से परामर्श लें। दुबे क्लिनिक के साथ अपॉइंटमेंट लें जहाँ वे यौन रोगियों को अपनी व्यापक सेवा और सुविधाएँ प्रदान करते हैं। प्रतिदिन सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक फ़ोन पर अपॉइंटमेंट उपलब्ध हैं। अब तक भारत के साढ़े सात लाख से अधिक गुप्त व यौन रोगी दुबे क्लिनिक के आयुर्वेदिक चिकित्सा-उपचार से ठीक हो चुके है।
शुभकामनाओं के साथ
दुबे क्लिनिक
भारत का एक प्रमाणित आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, वरिष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच (लंदन) | आयुर्वेद में पी.एच.डी. (यू.एस.ए.)
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
स्थान: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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खतरनाक है बंद घर और ऑफिस में घंटों बिताना, वेंटिलेशन नहीं होने से हो सकती है फेफड़ों से जुड़ी बीमारी
Image Source : FREEPIK
World Lung Day 2024
बढ़ता प्रदूषण फेफड़ों का दुश्मन बन रहा है। वहीं खराब लाइफस्टाइल और ज्यादा धूम्रपान से फेफड़े प्रभावित हो रहे हैं। फेफड़ों की ज्यादातर बीमारियां इन्हीं कारण की वजह से होती हैं। हालांकि बंद घरों और दफ्तरों में काम करने वाले लोग भी फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं झेल रहे हैं। जी हां जिन लोगों के घरों में वेंटिलेशन की समस्या है उन्हें फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का…
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सभी देश एवं प्रदेशवासियों को “विश्व फेफड़ा दिवस” की शुभकामनाएं ।
आइए, आज संकल्प लें कि हम अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखेंगे । रोजाना व्यायाम करेंगे, धूम्रपान, तंबाकू और प्रदूषण से दूर रहेंगे ।
#WorldLungDay #LungHealth
#विश्वफेफड़ेदिवस #फेफड़ोंकास्वास्थ्य
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सभी देश एवं प्रदेशवासियों को “विश्व फेफड़ा दिवस” की शुभकामनाएं ।
आइए, आज संकल्प लें कि हम अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखेंगे । रोजाना व्यायाम करेंगे, धूम्रपान, तंबाकू और प्रदूषण से दूर रहेंगे ।
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मुंह की बदबू से छुटकारा पाने के 8 आसान तरीके
मुंह की बदबू, जिसे चिकित्सकीय भाषा में हैलीटोसिस कहा जाता है, एक आम समस्या है जिससे कई लोग परेशान रहते हैं। यह न केवल आत्मविश्वास को कम कर सकती है, बल्कि दूसरों के साथ संवाद करने में भी कठिनाई पैदा कर सकती है। हालांकि, इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे मुंह की सफाई की कमी, खाना, तम्बाकू का उपयोग, या स्वास्थ्य समस्याएं। लेकिन चिंता की बात नहीं, यहां हम आपको मुंह की दुर्गंध भगाने के 8 तरीके बता रहे हैं।
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1. मुंह की सफाई का ध्यान रखें
मुंह की बदबू का सबसे आम कारण मुंह की सफाई की कमी होता है। दांतों के बीच फंसे भोजन के कण बैक्टीरिया का कारण बनते हैं, जो बदबू पैदा करते हैं। इसलिए, दिन में कम से कम दो बार दांतों को ब्रश करें और फ्लॉस का उपयोग करें ताकि दांतों के बीच फंसे छोटे कण भी साफ हो जाएं।
2. जीभ को साफ करें
जीभ की सफाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि दांतों की। जीभ पर बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं, जो मुंह की बदबू का कारण बन सकते हैं। जीभ को साफ करने के लिए जीभ साफ करने वाला टंग स्क्रेपर उपयोग करें, जो जीभ पर जमी गंदगी और बैक्टीरिया को हटाने में मदद करता है।
3. ज्यादा पानी पिएं
मुंह की बदबू से बचने का सबसे आसान और प्रभावी तरीका है कि आप पर्याप्त पानी पिएं। जब आपका मुंह सूखता है, तो उसमें लार कम बनती है और मुंह में मौजूद बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं, जिससे बदबू आती है। इसलिए दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की आदत डालें।
4. माउथवॉश का उपयोग करें
अच्छे माउथवॉश का उपयोग भी मुंह की बदबू से छुटकारा पाने का एक प्रभावी तरीका है। एंटीबैक्टीरियल माउथवॉश बैक्टीरिया को खत्म करता है और ताजगी प्रदान करता है। इसे अपने ब्रशिंग रूटीन में शामिल करें और हर दिन इसका इस्तेमाल करें।
5. खाने के बाद कुल्ला करें
खाने के बाद कुल्ला करने से मुंह में फंसे खाने के कण हट जाते हैं। यह एक सरल तरीका है जिससे आप अपने दांतों और मसूड़ों को साफ रख सकते हैं और बैक्टीरिया को बढ़ने से रोक सकते हैं। खाने के बाद अगर आप कुल्ला करेंगे तो मुंह की बदबू की समस्या से बच सकते हैं।
6. पुदीने या इलायची का सेवन करें
प्राकृतिक ताजगी देने वाले पुदीने के पत्ते या इलायची का सेवन मुंह की बदबू से तुरंत राहत देता है। ये दोनों सामग्री मुंह में एंटीबैक्टीरियल प्रभाव डालते हैं और ताजगी बनाए रखते हैं। पुदीने की चाय भी पी सकते हैं या इलायची चबाकर भी आप मुंह की बदबू से छुटकारा पा सकते हैं।
7. धूम्रपान और तम्बाकू से दूरी बनाएं
धूम्रपान और तम्बाकू उत्पाद न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं, बल्कि ये मुंह की बदबू का भी प्रमुख कारण होते हैं। तम्बाकू और धूम्रपान करने से मुंह सूखता है और उसमें बैक्टीरिया जमा होते हैं, जिससे बदबू आती है। इसलिए इनसे दूरी बनाएं और अपनी सेहत का ध्यान रखें।
8. स्वस्थ आहार लें
मुंह की बदबू को नियंत्रित करने के लिए अपने आहार पर भी ध्यान देना जरूरी है। प्याज, लहसुन, और मसालेदार भोजन का सेवन करने से बचें, क्योंकि ये बदबू को बढ़ा सकते हैं। इसके बजाय ताजे फल, सब्जियां, और हर्ब्स का सेवन करें, जो मुंह को ताजगी और स्वास्थ्य प्रदान करेंगे।
निष्कर्ष
मुंह की बदबू से छुटकारा पाना मुश्किल नहीं है, बशर्ते आप नियमित रूप से मुंह की सफाई और सही आहार का पालन करें। ऊपर बताए गए ये 8 तरीके न केवल आपकी सांसों को ताजा बनाएंगे, बल्कि आपको आत्मविश्वास भी देंगे। अगर समस्या बनी रहती है, तो दंत चिकित्सक से सलाह जरूर लें ताकि किसी गंभीर समस्या का निदान किया जा सके।
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मसूड़ों की बीमारी और हृदय रोग: छिपा हुआ संबंध
क्या आप जानते हैं कि मसूड़ों की बीमारी और हृदय रोग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं? आपके संपूर्ण हृदय स्वास्थ्य के लिए मौखिक स्वच्छता बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। यहाँ कुछ ज़रूरी सुझाव दिए गए हैं:
नियमित रूप से ब्रश और फ़्लॉस करे: अपने दाँतों और मसूड़ों को साफ़ रखने से हानिकारक बैक्टीरिया कम होते हैं, जो रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं और आपके हृदय को प्रभावित कर सकते हैं।
धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान न केवल आपके मसूड़ों को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि हृदय रोग के जोखिम को भी बढ़ाता है। धूम्रपान छोड़ने से आपके स्वास्थ्य में काफ़ी सुधार हो सकता है।
स्वस्थ आहार बनाए रखें: फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार खाने से आपके मौखिक और हृदय स्वास्थ्य दोनों को फ़ायदा होता है।
तनाव को प्रबंधित करें: उच्च तनाव के स्तर से मसूड़ों में सूजन हो सकती है और हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। ध्यान या व्यायाम जैसी तनाव प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करें।
हृदय स्वास्थ्य पर विशेषज्ञ मार्गदर्शन के लिए, आप सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 में Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology), से परामर्श कर सकते हैं। अपॉइंटमेंट के लिए, 6200784486 पर कॉल करें या drfarhancardiologist.com पर जाएं।
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महिलाओं में धूम्रपान की बढ़ती प्रवृत्ति और इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव!
धूम्रपान का प्रचलन कई वर्षों से मुख्य रूप से पुरुषों के साथ जुड़ा रहा है, लेकिन हाल के दशकों में महिलाओं में धूम्रपान की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में कार्डियोलॉजी के एडिशनल डायरेक्टर, डॉ. अरुण कोचर के अनुसार, यह बदलाव महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे पैदा कर रहा है। विशेष रूप से हृदय संबंधी बीमारियों में वृद्धि देखी गई है, जिसका एक बड़ा कारण महिलाओं में बढ़ता…
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आइए विश्व धूम्रपान निषेध दिवस पर तंबाकू और उससे बने उत्पादों से होने वाली बीमारियों के प्रति स्वयं व दूसरों को जागरूक करने का संकल्प करें ।
धूम्रपान करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । जो न केवल धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को, बल्कि उसके सहयोगियों और परिवार के सदस्यों को भी नुकसान पहुँचाता है ।
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*Dr. Smita Goel Homeopathy Clinic*
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एसिडिटी या अम्लता एक चिकित्सा स्थिति है जो एसिड के अतिरिक्त उत्पादन के कारण होती है। यह एसिड पेट की ग्रंथियों द्वारा उत्पादित होता है। अम्लता पेट, गैस्ट्रिक सूजन, दिल की धड़कन और डिस्प्सीसिया में अल्सर जैसे लक्षण पैदा करती है। यह आमतौर पर अनियमित खाने के पैटर्न, शारीरिक खेल या गतिविधियों की कमी, शराब की खपत, धूम्रपान, तनाव, फड आहार और खराब खाने की आदतों जैसे कई कारकों के कारण होता है। लोग उन जगहों पर अम्लता विकसित करने में अधिक प्रवण होते हैं। जहां लोग अधिक शाकाहारी, मसालेदार और तेल के भोजन का उपभोग करते हैं। एनएसएआईडी (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) जैसी कई दवाएं गैस्ट्रिक अम्लता विकसित करने में एक व्यक्ति को अधिक संवेदनशील बना सकती हैं। एक भारी भोजन लेने के बाद अम्लता को गहरी जलती हुई सनसनी की विशेषता है। अम्लता वाले लोगों में अपचन और कब्ज भी आम है। यह घरेलू उपचार या एंटासिड का उपभोग करके और स्वस्थ कार्यान्वयन से ठीक हो सकता है। एंडोस्टिज्म के रूप में जाना जाने वाला एक तकनीक एसिड भाटा से भी बहुत राहत प्रदान करता है। अम्लता के सामान्य लक्षणों में पेट और गले में मुंह, कब्ज, बेचैनी और जलने की उत्तेजना में अपचन, मतली, खट्टा स्वाद शामिल है।
# अम्लता का कारण क्या होता है?
हमारा पेट आमतौर पर गैस्ट्रिक एसिड पैदा करता है जो पाचन में मदद करता है। इन एसिड के संक्षारक प्रभाव प्रोस्टाग्लैंडिन और प्राकृतिक बाइकार्बोनेट के उत्पादन से संतुलित होते हैं जो श्लेष्म अस्तर में गुप्त होते हैं। यह पेट की अस्तर को नुकसान पहुंचाता है और अम्लता का कारण बनता है। अन्य कारक जो अम्लता का कारण बनते हैं उनमें शामिल हैं:
मांसाहारी और मसालेदार खाद्य पदार्थों का उपभोग करना।
अत्यधिक तनाव
बहुत अधिक शराब का उपभोग।
अक्सर धूम्रपान
पेट के ट्यूमर, गैस्ट्रोसोफेजियल रीफ्लक्स रोग और पेप्टिक अल्सर जैसे पेट विकार।
एनएसएआईडीएस (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) जैसी दवाएं।
√ अम्लता के लिए उपचार:
एल्यूमीनियम, कैल्शियम या मैग्नीशियम युक्त एंटीसिड का उपभोग करके अम्लता ठीक हो सकती है। कई बार, एच 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स (हिस्टामाइन अवरुद्ध एजेंट) जैसे निजाटिडाइन, फ़ोटोटिडाइन, रैनिटिडाइन और सिमेटिडाइन का उपयोग किया जाता है। यदि आपके पास गंभीर अम्लता है तो प्रोटॉन पंप इनहिबिटर डॉक्टर द्वारा भी निर्धारित किए जाते हैं। अम्लता का इलाज घरेलू उपचारों जैसे कि केले, ठंडे दूध, एनीज, जीरा, कार्डोमन, लौंग, टकसाल के पत्तों और अदरक का उपभोग भी किया जा सकता है। आप भोजन के दौरान मसालेदार भोजन या अचार से बचने, अधिक सब्जियों और फलों को खाने, गैर शाकाहारी भोजन का उपभोग न करने, एनएसएड्स (गैर स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स) और स्टेरॉयड जैसी दवाओं से बचने और तनाव को कम करने से अम्लता को रोक सकते हैं।
कभी-कभी नींद से पहले भोजन लेने से अम्लता भी हो सकती है। यह पेट के एंजाइमों को आपके एसोफैगस पर वापस जाने और एसिड भाटा का कारण बनने के लिए उत्तेजित करता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है।
√ लक्षण:
पेट में जलन जलन
गले में जलन जलन।
डकार।
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सभी देश एवं प्रदेशवासियों को “विश्व फेफड़ा दिवस” की शुभकामनाएं ।
आइए, आज संकल्प लें कि हम अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखेंगे । रोजाना व्यायाम करेंगे, धूम्रपान, तंबाकू और प्रदूषण से दूर रहेंगे ।
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