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#नया इनकम टैक्स स्लैब
rudrjobdesk · 2 years
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Interview : नए इनकम टैक्स स्लैब पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं- करदाताओं की क्षमता जानने के लिए बनाई नई व्यवस्था
Interview : नए इनकम टैक्स स्लैब पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं- करदाताओं की क्षमता जानने के लिए बनाई नई व्यवस्था
निर्मला सीतारमण इंटरव्यू: I कामयाबी की समझ में आने पर उसे पता चलेगा। इस तरह से और बदल दिया गया है। ‘हिन्दुस्तान’ के विशेष बजट सौर मंडल से बातचीत में एक साथ रहने वाले लोगों को यह नहीं कहा जाएगा। प्रश्न: ‘ संशोधित करने के लिए संशोधित करें। अपने नए सुधारों को सुधारें? उत्तर: जिल्दसाज़ भी नहीं है। साफ साफ साफ है। टीवी से चलने वाले टीवी टेलीविजन में सक्रिय रूप से आगे बढ़ते हैं। लागू होने पर खराब होने…
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poonamranius · 3 years
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Tax Exemption : अपनी टैक्स छूट से जुड़ी इन बातों को समझना जरूरी है, यहां पढ़ें
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Tax Exemption : अपनी टैक्स छूट से जुड़ी इन बातों को समझना जरूरी है | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 (FY 2022-23) के लिए बजट (Budget 2022) पेश किया था! वित्त मंत्री ने बजट में इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slabs) में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन साथ ही उन्होंने ये कहा कि उन्होंने टैक्स नहीं बढ़ाकर आम लोगों को बहुत बड़ी राहत देने की कोशिश की है! Tax Exemption : : अपनी टैक्स छूट से जुड़ी इन बातों को समझना जरूरी है Tax Exemption ऐसे में अगर आप भी बजट के बाद अपनी टैक्स देनदारी (Tax Liability) और अपने निवेश के विकल्पों (Investment Options) पर असर के बारे में जानना चाहते हैं तो हम आपको इस बारे में आज अपनी इस पोस्ट में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं! साथ ही अपनी टैक्स छूट (Tax Exemption) से जुड़ी इन बातों को समझना आपके लिए बेहद जरूरी है चो चलिए आपको बताते हैं इस बातों के बारे में! सेक्शन 80c (Income Tax Act section 80C) अगर आप की सालाना आमदनी 30 फ़ीसदी टैक्स के दायरे में आती है तो आप इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80c (Income Tax Act section 80C) के तहत 1!5 लाख रुपये का निवेश कर 45,000 की टैक्स बचत (Save Tax) कर सकते हैं! अगर आप नया टैक्स रिजीम (New Tax Regime) नहीं चुनते और पुराने टैक्स रिजीम में सेक्शन 80c के तहत निवेश वाले विकल्पों में से किसी के जरिए इन्वेस्ट करते हैं तो आप इतना टैक्स बचा सकते हैं! सेक्शन 80c के तहत आने वाले विकल्प (Options covered under section 80C) - प्रोविडेंट फंड में निवेश (Investing in Provident Fund) - हाउसिंग लोन के मूलधन के रूप में चुकाई गई रकम (Amount repaid as housing loan principal) - पब्लिक प्रोविडेंट फंड में 1!5 लाख तक का निवेश (Invest up to 1!5 lakhs in Public Provident Fund) - दो बच्चे की स्कूल की ट्यूशन फीस (School tuition fee for two children) - खुद, परिवार या बच्चों के लिए जीवन बीमा पॉलिसी का प्रीमियम (Life insurance policy premium for self, family or children) - यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान में किया गया योगदान (Contribution made in Unit Linked Insurance Plan) - नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट स्कीम में किया गया निवेश (Investment made in National Savings Certificate Scheme) - बैंक या पोस्ट ऑफिस में 5 साल का टर्म डिपॉजिट (5 years term deposit in bank or post office) - सुकन्या समृद्धि योजना में किया गया डेढ़ लाख रुपये तक का निवेश (Up to 1!5 lakh rupees invested in Sukanya Samriddhi Yojana) EPF एडवांस पर टैक्स नहीं (No tax on EPF advance) कोरोना संक्रमण (Corona Ear) के दौर में बहुत से लोगों को पैसे की जरूरत पड़ी और इसका ध्यान रखते हुए EPFO ने कहा है कि अगर कोई स्टाफ यूपीएससी एडवांस रकम (UPSC Advance Amount) लेता है, जिसे लौटाया नहीं जाना है तो उसे टैक्स फ्री (Tax Free) कर दिया गया है! आप एम्पलाई प्रोविडेंट फंड (Employee Provident Fund) से 3 महीने के बेसिक (Basic) और डीए (DA) के बराबर की रकम या ईपीएफ अकाउंट (EPF Account) में मौजूद रकम का 75 फ़ीसदी एडवांस के रूप में ले सकते हैं! साथ ही एम्पलाइज प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) ने ये साफ किया है कि इस तरह के किसी एडवांस पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा! आमतौर पर किसी नौकरी में 5 साल पूरे होने के बाद पीएफ की रकम (PF Amount) निकालने पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती! HRA पर क��तना टैक्स छूट (How much tax exemption on HRA) अगर बात हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance) की करें तो ये किसी भी व्यक्ति के सीटीसी (CTC) में आम कंपोनेंट होता है, जो लोग किराए के मकान में रहकर नौकरी कर रहे हैं वो हाउस रेंट अलाउंस (HRA) का फायदा ले सकते हैं! HRA के मामले में आपको इन तीनों में से सबसे कम रकम पर राहत मिल सकती है! अगर आप बेसिक सैलरी (Basic Salary) और महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) की रकम के 10 फ़ीसदी से कम किराया चुका रहे हों! अगर आप के किराए का घर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता या चेन्नई में है तो आप अपनी सैलरी का 50% एचआरए (HRA) के रूप में दिखाकर उसे टैक्स से बचा सकते हैं! साथ ही अगर आपका घर किसी दूसरे शहर में है तो वहां आपको वेतन का 40 फ़ीसदी हिस्सा एचआरए (HRA) के रूप में टैक्स के दायरे से बाहर रखने में मदद मिल सकती है! आपकी कंपनी आपको जितना एचआरए देती है आप उस रकम पर टैक्स बचा सकते हैं! इसके अलावा अगर आपकी सीटीसी (CTC) में एचआरए (HRA) नहीं है तो आप किराए के मकान में रहने के बदले अपने ग्रॉस टैक्सेबल इनकम (Gross Taxable Income) से किराए की रकम को घटाकर टैक्स चुका सकते हैं! इसकी ज्यादातर सीमा 5000 रुपये महीना है! अगर आप अपने घर में रहते हैं तो आपको मिलने वाले HRA पर टैक्स चुकाना होगा! LTC की रकम पर टैक्स छूट (Tax exemption on LTC amount) बता दें कि लीव ट्रैवल कंसेशन (Leave Travel Concession) के रूप में आप 4 साल के ब्लॉक में दो बार घरेलू यात्रा पर किए गए खर्च के रूप में टैक्स से राहत पा सकते हैं! एलटीसी (LTC) का नया ब्लॉक 1 जनवरी 2022 से शुरू हुआ है! इसमें कई तरह की बंदिशें भी हैं! जैसे- अगर आप हवाई जहाज से यात्रा कर रहे हैं तो आपको केवल इकोनामी क्लास के एयरफेयर पर ही एलटीसी का फायदा (Benefit of LTC) मिल सकता है! इसके लिए भी आपको सबसे छोटा रूट चुनने की जरूरत है! अगर आप परिवार के साथ कहीं घूमने जाते हैं तो होटल और लोकल कन्वेंस जैसे खर्च पर आपको एलटीसी का फायदा नहीं मिल सकता! Read the full article
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vilaspatelvlogs · 4 years
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Budget 2021: इनकम टैक्स स्लैब नहीं बदला तो क्या? Tax को लेकर ये 6 बड़े बदलाव भी कम नहीं
Budget 2021: इनकम टैक्स स्लैब नहीं बदला तो क्या? Tax को लेकर ये 6 बड़े बदलाव भी कम नहीं
Budget 2021: 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया. कोरोना संकट से उबरती अर्थव्यवस्था को नया बूस्टर देने की कोशिश की गई. हेल्थ, एग्री, इंफ्रास्ट्रक्चर सभी को कुछ न कुछ मिला, लेकिन आम आदमी और सैलरीड क्लास हाथ खाली रह गया, लेकिन क्या वाकई ऐसा है. हम आपको बताने जा रहे हैं वो 6 बड़े ऐलान जो टैक्स को लेकर किए गए हैं, जिसका असर टैक्सपेयर्स पर होगा.  1. 75 साल ��े ज्यादा उम्रवालों को…
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ashokgehlotofficial · 4 years
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केंद्रीय बजट गरीब और किसान विरोधी, महंगाई बढ़ाने वाला, दिशाहीन और निराशाजनक बजट है। इस बजट में कोरोना महामारी से पैदा हुई विकट बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। मिडिल क्लास करदाताओं को उम्मीद थी कि मोदी सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव कर कोई राहत देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस बजट से समाज का हर तबका पूरी तरह से निराश हुआ है।
राजस्थान के लिए यह बजट पूरी तरह निराशाजनक है। हमें उम्मीद थी कि बजट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा और हर घर नल योजना में राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। प्रदेश से सभी सांसद एनडीए के होने के बावजूद केंद्र सरकार ने राजस्थान से भेदभावपूर्ण व्यवहार किया है। इस बजट का पूरा फोकस सिर्फ चुनावी राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी पर रहा। यह केंद्रीय बजट से ज्यादा ‘पांच चुनावी राज्य बजट’ प्रतीत हो रहा है।
कोरोना महामारी के कारण राज्यों के वित्तीय स्रोत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। राज्यों को उम्मीद थी कि बजट में विशेष आर्थिक पैकेज दिए जाएंगे जिससे राज्यों की स्थिति सुधर सके। ऐसे पैकेज के द्वारा नए रोजगार पैदा किए जा सकें और आमजन की परचेजिंग पावर बढ़ सके लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले महीनों में केंद्र सरकार ने रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन किया है तब भी मोदी सरकार राज्यों को जीएसटी का हिस्सा नहीं दे रही है जिससे राज्यों में विकास के कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देने वाले कृषि और रीयल ए��्टेट सेक्टर को इस बजट में विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए था। किसान अपनी मांगों को लेकर महीनों से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार ने इस बजट में किसान हित में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया है। रीयल एस्टेट सेक्टर आमजन को सस्ता आवास उपलब्ध एवं स्किल्ड और अनस्किल्ड दोनों प्रकार के लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने वाला सेक्टर है। लॉकडाउन के बाद से परेशानियों में घिरे इस सेक्टर को राहत पैकेज दिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
यह बजट पूरी तरह बड़े उद्योगपतियों के हितों को साधने वाला बजट है। मोदी सरकार ने इस बजट के माध्यम से अपनी 'सूट बूट की सरकार' की छवि को पुन: जाहिर करते हुए सिर्फ बड़े उद्योगपतियों को राहत देने का प्रयास किया है। मोदी सरकार ने पूर्व में कॉर्पोरेट टैक्स में कमी की थी जिससे इस वर्ष कॉर्पोरेट टैक्स के कलेक्शन में 16% से अधिक की कमी आई है। इससे विकास योजनाओं को 76 हजार करोड़ की राशि कम अर्जित हुई। इसका विकास कार्यों पर बेहद प्रतिकूल असर होगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बावजूद मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ाती जा रही है। आमजन को उम्मीद थी कि बजट में केंद्रीय करों में कटौती कर मोदी सरकार राहत प्रदान करेगी लेकिन बजट में एक नया सेस लगा दिया गया है। फिलहाल इसका सीधा असर आम आदमी पर ना पड़े लेकिन आखिर में इसका बोझ आमजन को ही उठाना पड़ेगा।
मोदी सरकार द्वारा FDI को बढ़ावा देने पर कहा कि यूपीए सरकार के समय FDI की मुखर विरोधी रही भाजपा सरकार में आने के बाद से FDI को बढ़ावा दे रही है जिसकी झलक बजट में भी दिखी। अगर पूर्व में सिर्फ राजनीतिक कारणों से FDI का विरोध करने की जगह देशहित में बीजेपी ने यूपीए का सहयोग किया होता तो इस दिशा में देश और भी आगे होता। इस बजट में मोदी सरकार द्वारा पिछले कार्यकाल में शुरू किए गए बहुचर्चित मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया जैसी कई योजनाओं के बारे में कोई जिक्र तक नहीं किया है। इससे लगता है कि स्वयं मोदी सरकार ने ही इन सभी योजनाओं को असफल मान लिया है।
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kisansatta · 4 years
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INCOME TAX : बजट 2020 की घोषणा के बाद नए वित्तीय वर्ष में लागू हुए नए नियम
नई दिल्ली : आज से शुरू हुए नए वित्त वर्ष के साथ ही सरकार के कई नए नियम भी प्रभावी हो रहे हैं। इससे इतर कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देश भर में चल रहे 21 दिन के लॉकडाउन के कारण सरकार ने कुछ नियमों या प्रक्रियाओं की समय सीमा में इजाफा कर दिया है, इससे वे नए वित्त वर्ष के शुरू होने पर भी यथावत बनी रहेंगी। इसमें साल 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न की फाइलिंग भी शामिल है। सरकार ने इसकी आखिरी तारीख को आगे बढ़ा दिया है।
आज हम आपको बजट 2020 में घोषित हुए कुछे ऐसे आयकर से जुड़े नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो एक अप्रैल से प्रभावी हो रहे हैं।
1. बजट 2020 में हुई घोषणा के अनुसार, नया टैक्स स्लैब एक अप्रैल से प्रभावी रहेगा। हालांकि, पुराना टैक्स स्लेब भी प्रभावी रहेगा। इससे लोगों के सामने दोनों में से किसी एक का चयन करने का विकल्प रहेगा। बजट में घोषित नए टैक्स स्लैब में 2.5 लाख तक की सालाना आय पर शून्य, 2.5 लाख से 5 लाख तक की सालाना आय पर 5 फीसद, पांच लाख से ऊपर और 7.5 लाख से कम की सालाना आय पर 10 फीसद, 7.5 लाख से ऊपर और 10 लाख से कम सालाना आय पर 15 फीसद, 10 लाख से ऊपर और 12.5 लाख से कम सालाना आय पर 20 फीसद, 12.5 लाख से ऊपर और 15 लाख से कम सालाना आय पर 25 फीसद और 15 लाख से ऊपर की सालाना आय पर 30 फीसद टैक्स का प्रावधान है।
2. म्युचुअल फंड्स और घरेलू कंपनियों से मिला डिविडेंड्स प्राप्तकर्ता के लिए कर योग्य होगा। एक अप्रैल से प्रभावी नए टैक्स नियम से उच्च टैक्स ब्रैकेट्स में आने वाले निवेशकों पर ज्यादा बोझ पड़ेगा, जबकि निचले टैक्स ब्रैकेट्स वाले लोगों के लिए बोझ कम होगा।
3. अगर एनपीएस, ईपीएफ और पेंशन फंड में एक साल में नियोक्ता का योगदान 7.5 लाख रुपये को पार करता है, तो यह कर्मचारी के सिरे पर करयोग्य होगा। आय कर नियम में यह परिवर्तन नए और पुराने दोनों टैक्स स्लैब में लागू होगा।
4. वे लोग जो पहली बार घर खरीद रहे हैं और इसकी कीमत 45 लाख रुपये तक है, तो उनके लिए सरकार ने अतिरिक्त कर लाभ की तारीख को एक साल के लिए 31 मार्च 2021 तक बढा दिया है। 45 लाख तक का घर खरीदने के लिए लोन लेने वाले मकान मालिक को मौजूदा दो लाख की ट���क्स छूट के अतिरिक्त ब्याज पर 1.5 लाख की अतिरिक्ट टैक्स छूट का क्लेम करने का मौका मिलेगा।
5. स्टार्टअप्स के कर्मचारियों को राहत देते हुए एक अप्रैल से लागू टैक्स नियमों में उन्हें ESOPs या एंप्लाई स्टॉक ऑनरशिप प्लान के अंदर आवंटित शेयर पर टैक्स भुगतान से मोहलत दी गई है।
https://kisansatta.com/income-tax-new-rules-come-into-effect-in-the-new-financial-year-after-the-announcement-of-the-budget-2020/ #INCOMETAXNewRulesComeIntoEffectInTheNewFinancialYearAfterTheAnnouncementOfTheBudget2020 INCOME TAX: New rules come into effect in the new financial year after the announcement of the budget 2020 Business, Top, Trending #Business, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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newswave-kota · 5 years
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कोटा को हवाई सेवा का लाभ बहुत जल्द: बिरला
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-लोकसभा स्पीकर बिरला ने दो दिवसीय राष्ट्रीय टैक्स कॉन्फ्रेंस मंथन-2020 का किया शुभारंभ -कॉन्फ्रेंस में देशभर से आये 800 कर विशेषज्ञ न्यूजवेव @ कोटा टैक्स बार एसोसिएशन कोटा द्वारा शनिवार को सीपी टावर ऑडिट���रियम में मुख्य अतिथि लोकसभा स्पीकर ओम बिऱला ने नेशनल टैक्स कॉन्फ्रेंस मंथन-2020 का शुभारंभ किया। वक्रांगी लिमिटेड के सीएमडी सीए दिनेश नंदवाना ने अध्यक्षता की तथा एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक गोविंद माहेश्वरी, स्वास्तिक इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के निदेशक सुनील न्याती व आरटीसीए के अध्यक्ष सीए सतीश कुमार गुप्ता विशिष्ट अतिथि रहे।
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लोकसभा स्पीकर ओम बिऱला ने कहा कि ईमानदारी से टैक्स जमा कराने वाले करदाताओं को कोई समस्या नहीं हो, यह मोदी सरकार ने सुनिश्चित किया है। सरकार को कर से पर्याप्त राजस्व मिले और सरकार व करदाताओं के बीच में कठिनाइयों को हल करने का रास्ता निकाला जाएगा। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा करदाताओं व टैक्सपेयर्स से मिला राजस्व देश के विकास में महत्वपूर्ण भागीदारी है। बिऱला ने कहा कि टैक्सपेयर्स नियमों के तहत टैक्स जमा करवाए। टैक्स व्यवस्था को लेकर सरकार कारगर कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि कोटा के लोगों को जल्द ही हवाई सेवा का लाभ मिलेगा,ताकि कोटा फिर से औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान बना सके। देश की वित्तीय हैल्थ का भी ध्यान रखें
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वक्रांगी लिमिटेड के सीएमडी सीए दिनेश नंदवाना ने कहा कि मोदी सरकार वर्ष 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का दावा कर रही है। इसे साकार करने में कर विशेषज्ञों का बड़ा योगदान रहेगा। केंद्र व राज्य सरकार कर विशेषज्ञों को आशा भरी नजर से देखती है। सीए सदस्यों के साथ कर विशेषज्ञों की जिम्मेदारी है कि वे करदाता की हेल्थ के साथ देश की वित्तीय हेल्थ का भी ध्यान रखना चाहिए। कोटा में 200 लोग करोड़पति सीए नंदवाना ने कहा कि वर्तमान में देश में 52 करोड़ लोग अधिक आय वाले है, जिसमें 5.87 करोड़ करदाता इनकम टैक्स की रिटर्न फाइल करते है। साथ ही देश में करीब 1.5 करोड़ टैक्सपेयर्स है तथा करीब 6 करोड़ प्रोफेशनल हैं। करीब 31 लाख लोगों ने 10 लाख रुपए इनकम दिखाई है। कोटा में भी करीब 200 लोग ऐसे है जिनकी आय एक करोड़ रुपए से अधिक है। वहीं सरकार द्वारा कई नये प्रावधान लागू कर रही है, जिसके कारण हम देश की इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बना सकते है। टैक्स का स्ट्रक्चर सही हो स्वास्तिक इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के निदेशक सुनील न्याती ने कहा कि मोदी सरकार का 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य बहुत बड़ा है, लेकिन इसमें कर विशेषज्ञ अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। उन्होंने कहा कि टैक्स की पॉलिसी का सही स्ट्रक्चर होने के साथ उचित मार्गदर्शन जरूरी है। कर विशेषज्ञ करदाताओं का सही प्रकार से मार्गदर्शन करे तो देश विश्व में एक मजबूत आर्थिक अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक गोविंद माहेश्वरी ने कहा कि देश के विकास में करदाताओं का सबसे बड़ा योगदान है। मंथन कॉन्फ्रेंस टेक्स क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। केंद्र सरकार को भेजा जाएगा प्रस्ताव कोटा टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट राजकुमार विजय ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि मंथन कॉन्फ्रेंस में सभी कर का���ूनों का विश्लेषण करके एक प्रस्ताव बनाया जाएगा, जिसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कर विशेषज्ञों को आश्वासन दिया कि कर विशेषज्ञों को भी कठिनाइयां आ रही है उसका एक प्रस्ताव बनाएं वे उनकी अधिकारियों के साथ वित्त मंत्री के साथ बैठक करवाकर उनकी समस्याओं का समाधान करवायेंगे। सीए मिलिंद विजयवर्गीय ने कहा कि कर विशेषज्ञ करदाता को सही प्रकार से टैक्स जमा करवाने के लिए प्रेरित करते है। एडवोकेट गोपाल जैन ने कहा कि आगामी समय में कर विशेषज्ञों को पूरी सावधानी से कार्य करना होगा। किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितता वाले विषय पर करदाता को किसी भी प्रकार की शरीयत नहीं देने का प्रण लेना होगा। कॉन्फ्रेंस के संरक्षक वरिष्ठ टैक्स एडवोकेट एम.एल.पाटौदी ने कहा कि वर्तमान समय में जीएसटी टैक्स कानून में करदाताओं के साथ व्यापारी वर्ग को तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण गुजरात व मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में व्यापारियों ने हड़ताल कर रखी है। इस कारण जीएसटी कानून पर मंथन करने की आवश्यकता है। इनकम टैक्स रिटर्न व जीएसटी ऑडिट में टैक्स एडवोकेट, सीए व व्यापारियों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस प्रकार केंद्र सरकार को जीएसटी कानून की विसंगतियों को दूर किया जाने की आवश्यकता है। इनकम टैक्स के नये सिस्टम को स्वीकार नहीं कर रहे करदाता टैक्स गुरू सीए डॉ.गिरीश आहूजा ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार आम बजट में ऐसा कानून लाई है जिसे करदाता स्वीकार नहीं कर रहे है। करदाताओं के सामने यह समस्या खड़ी हो गई है कि वह इनकम टैक्स के पुराने सिस्टम में जाए या नये सिस्टम में जाए। इनकम टैक्स के नये सिस्टम के अनुसार देश में 15 लाख रुपए की वार्षिक आय वाले करदाताओं को किसी भी प्रकार की छूट नहीं मिलेगी। मेडिकल छूट को भी सरकार ने समाप्त कर दिया है। इससे इनकम टैक्स के नये सिस्टम में कोई भी करदाता नहीं जाएगा। करदाता की बचत पर ही पूरा देश का सिस्टम चल रहा है। नये सिस्टम में पांच लाख रुपए की वार्षिक आय वाला ही करदाता जाएगा। इनकम टैक्स के इस नये प्रावधान के चलते देश में नया निवेश नहीं होगा। जीएसटी टैक्स को दो स्लेब में लागू करें दिल्ली के वरिष्ठ सीए विमल जैन ने कहा कि जीएसटी कानून में करदाताओं को जीएसटी रिटर्न के साथ रिवाइज का मौका नहीं मिलता है, जिससे करतदाताओं को परेशानी हो रही है। ऐसे में जीएसटी रिटर्न में रिवीजन का ऑप्शन किया जाये। सीए जैन ने कहा कि करदाता टेक्स की इनवॉइस अधिक से अधिक जनरेट करे और केश वाले ट्रांजेक्शन से बाहर आए। जीएसटी टैक्स में करदाता को इनवोइस लेना शुरू करना चाहिए। एमएसएमई व एसएमई सेक्टर जीएसटी रिटर्न समय पर दाखिल करें। ताकि उन्हें समय से आईटीसी मिल सके। सरकार जीएसटी में आ रही खामियों को दूर करने का पूरा प्रयास कर रही है। देश में जीएसटी टैक्स के आने से सभी उत्पादों की कीमतें पूर्व की अपेक्षा करीब 3 से 4 फीसदी कम हुई है। मोदी सरकार को चाहिए कि वह अन्य देशों की तर्ज पर जीएसटी टैक्स के स्लैब में कटौती कर इसको दो स्लैब 5 व 12 फीसदी में लागू करना चाहिए। जीएसटी टैक्स में 28 फीसदी स्लैब को समाप्त कर देना चाहिए। कॉन्फ्रेंस में शहर के प्रमुख व्यापार एवं औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारी, डायरेक्ट और इन डायरेक्ट टैक्सेस डिपार्टमेंट के अधिकारी, बड़े उद्योगों के प्रतिनिधि समेत देश के प्रमुख कर विशेषज्ञों के साथ सीए सदस्य उपस्थित थे। इससे पूर्व कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने स्मारिका का भी विमोचन किया। कार्यक्रम के बाद शनिवार शाम को एलेन कॅरियर इंस्टीट्यूट के सत्यार्थ परिसर में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कॉन्फ्रेंस में देशभर के विभिन्न हिस्सों से करीब 800 कर विशेषज्ञों व सीए सदस्यों ने भाग लिया। हेल्थ चेकअप शिविर लगाया नेशनल टैक्स कॉन्फ्रेंस मंथन परिसर में हेल्थ चैकअप शिविर लगाया गया, जहां कर विशेषज्ञों के साथ प्रोफेशनल वर्ग के लोगों ने भाग लिया। परिसर की प्रदर्शनी में प्रोफेशनल से संबंधित स्टॉलें लगाई गई। न्यू जीएसटी रिटर्न पर मंथन आज टैक्स बार एसोसिएशन के सचिव सीए लोकेश माहेश्वरी ने बताया कि कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन सीए गौरव गुप्ता दिल्ली, संभागीय आयुक्त एल.एन.सोनी, सीए राजेंद्र अरोड़ा दिल्ली न्यू जीएसटी रिटर्न के प्रावधानों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा एडवोकेट संजय झंवर जयपुर, मंगलम सीमेंट के सीनियर जॉइंट प्रेसीडेंट अनिल मंडोत, सीए विनोद गुप्ता, सीए सीजेएस नंदा, सीए कपिल गोयल आदि कर कानूनों पर मंथन करेंगे। Read the full article
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vsplusonline · 5 years
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Budget 2020: इकोनॉमी को बचाने के लिए थीं बड़ी उम्मीदें, क्या मोदी सरकार का बजट खरा उतर पाया?
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Budget 2020: इकोनॉमी को बचाने के लिए थीं बड़ी उम्मीदें, क्या मोदी सरकार का बजट खरा उतर पाया?
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पिछले एक साल से इकोनॉमी की हालत बेहद खराब है
उम्मीद थी कि वित्त मंत्री बजट में कोई बूस्टर डोज देंगी
हालांकि, बजट में कोई बड़ा सुधार या पैकेज नहीं दिखा
वर्ष 2020-21 के बजट को मोदी सरकार के लिए अब तक के सबसे कठिन बजट माना जा रहा था. खासकर पिछले एक साल में इकोनॉमी की हालत बेहद खस्ता थी, ऐसे में बड़ी उम्मीद थी कि वित्त मंत्री ऐसे कुछ साहसिक उपायों की घोषणा करेंगी, जिससे मांग- निवेश को प्रोत्साहन मिले और जीडीपी ग्रोथ रफ्तार पकड़े. आइए जानते हैं कि यह बजट इस मामले में कितना खरा उतर पाया है.
क्या था देश का माहौल
पिछले एक साल से अर्थव्यवस्था की हालत काफी खराब है. इस वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बढ़त महज 5 फीसदी रहने का अनुमान है. सितंबर में खत्म तिमाही में तो इकोनॉमी की बढ़त दर महज 4.8 फीसदी रह गई थी. पिछले एक साल में जीडीपी की रफ्तार तेजी से घटने से नौकरियां तो जा रही हैं और नई नौकरियां पर्याप्त संख्या में पैदा नहीं हो रही हैं. पिछले साल लीक हुए एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक हाल के वर्षों में बेरोजगारी दर 45 साल के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी. सरकार ने हर साल 2 करोड़ नौकरियों का वादा किया था, लेकिन नई नौकरियां कुछ लाख में मिल रही हैं. हाल के महीनों में महंगाई भी काफी ऊंचाई पर पहुंच गई है.
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क्या है समस्या की वजह
इकोनॉमी की सुस्ती की प्रमुख वजह यह है कि अर्थव्यवस्था के सभी इंजन सुस्त पड़ गए हैं. असल में किसी इकोनॉमी को आगे बढ़ाने के लिए मुख्यत: चार इंजन होते हैं- निजी उपभोग, सरकारी खर्च, कारोबारियों का निवेश और आयात-निर्यात. पिछले एक साल में इन सभी में हालात ठीक नहीं रहे हैं.
क्या कर सकती थीं वित्त मंत्री
ग्रोथ को बढ़ाने के लिए 50 फीसदी से ज्यादा योगदान पहले इंजन यानी निजी उपभोग का होता है और इसके बाद कारोबारी निवेश का स्थान होता है. सरकारी खर्च का योगदान सबसे कम होता है. इसलिए सबसे बड़ी उम्मीद तो यही थी कि वित्त मंत्री निजी उपभोग को बढ़ाने के लिए खास उपाय करेंगी. राजस्व संग्रह लक्ष्य से कम होने की वजह से सरकारी खर्च बढ़ाने की ज्यादा गुंजाइश नहीं थी.
सरकार पहले ही कॉरपोरेट टैक्स घटाकर इनको राहत दे चुकी है और कंपनियों ने इस तरह मिले फायदे के बावजूद निवेश नहीं किया. मंदी के दौर में जब मांग ही नहीं है तो कंपनियां भला निवेश क्यों करेंगी, वे इसीलिए कारोबारी नकदी दबाकर बैठे हैं या शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं.
वित्त मंत्री के पास एक विकल्प यह था कि व्यक्तिगत आयकर में कटौती करके लोगों की जेब में पैसा डालें और निजी उपभोग को बढ़ावा दिया जाए. वित्त मंत्री ने टैक्स स्लैब में बदलाव कर ऐसा करने की कोशिश भी की है. 6 तरह का नया टैक्स स्लैब बनाते हुए लोगों को यह विकल्प भी दिया गया कि वे नया स्लैब चुनें या पुराना. लेकिन इसका बहुत फायदा मिलता इसलिए नहीं दिख रहा है क्योंकि लोगों की टैक्स बचत कुछ खास नहीं हो रही और ज्यादातर टैक्सपेयर्स पुराने स्लैब में ही बने रहना चाहेंगे.
बजट से पता चलता है कि सरकार जो कर्ज ले रही है उससे  पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडीचर) बढ़ाने की कोश‍िश नहीं हो रही है, बल्कि उसे राजस्व व्यय बढ़ाया जा रहा है. पूंजीगत व्यय का मतलब है सड़क जैसे बुनियादी ढांचे पर खर्च, जब इस तरह का खर्च बढ़ता है तो इकोनॉमी को ज्यादा रफ्तार मिलती है. राजस्व व्यय से इसका करीब एक-तिहाई फायदा ही होता है.
पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री यूपी के को-चेयरमैन मनीष खेमका कहते हैं, ‘निर्यात को रफ्तार देने के लिए कुछ बड़े कदम उठाए जाने चाहिए थे. निर्यात को बढ़ाए बिना अर्थव्यवस्था की गति तेज करना मुमकिन नहीं है.’  
क्या कहा वित्त मंत्री ने
इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए बजट में कुछ खास क्यों नहीं किया गया, इस सवाल पर तमाम मीडिया इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘ निजी निवेश नहीं बढ़ रहा तो अब दारोमदार सरकार के ऊपर ही था. हम निजी निवेश का इंतजार नहीं कर रहे हैं और हमने साफ कहा कि निवेश करेंगे, खासकर बुनियादी ढांचे में. बुनियादी ढांचे में 100 लाख करोड़ से ज्यादा का निवेश होने जा रहा है. सॉवरेन फंड को काफी रियायतें दी गई हैं ताकि वे भारत आएं, लेकिन शर्त यह है कि उन्हें बुनियादी ढांचे में निवेश करना होगा.’
इसे भी पढ़ें: अपनी सैलरी के हिसाब से जानें इनकम टैक्स में आपको कितना हुआ फायदा
इकोनॉमी की सच्चाई से बेखबर हैं वित्त मंत्री!
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत कहती हैं, ‘अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण भारतीय अर्थव्यवस्था के किसी भी घटक को प्रेरित करने में विफल रहा है. तीव्र आर्थिक मंदी और मांग एवं निवेश दोनों में मंदी के दौरान प्रस्तुत बजट से अर्थव्यवस्था को गति देने की उम्मीद की गई थी, लेकिन यह बुरी तरह विफल रहा. भारतीय अर्थव्यवस्था के हितधारकों के लिए एक भयावह चिंता यह है कि सरकार आर्थिक संकट की व्यापकता को स्वीकारने में अभी भी इनकार कर रही है. तभी तो बजट में कोई बड़े कदम और उपचार का जि‍क्र नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘निजी निवेश के लिए कुछ भी नहीं है, खपत को प्रोत्साहित करने या निर्यात को पुनर्जीवित करने के लिए कोई बड़ा कदम नहीं है. नौकरियों को बनाने के लिए कोई रणनीतिक सोच नहीं है. दो सेक्टर जो जल्दी से रोजगार पैदा कर सकते थे – ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट उनके के बारे में कोई बड़ी योजना नहीं है-  किफायती आवास को छोड़कर कोई भी उल्लेख नहीं मिलता है जो कि खुद बहुत छोटा हिस्सा है. ‘
रोजगार को तवज्जो नहीं
एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017-18 में बेरोजगारी दर 45 साल के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी. सरकार ने हर साल 2 करोड़ नौकरियों का वादा किया था, लेकिन ईपीएफओ और ईएसआईसी के आंकड़ों के बावजूद संख्या लाखों तक ही सीमित रह गई है. बजट में रोजगार बढ़ाने के लिए किसी बड़े या ठोस उपाय की घोषणा नहीं की गई है.
इकोनॉमी को बूस्ट के लिए कोई भी बड़ा ऐलान या राहत पैकेज नहीं
बजट में ऐसा कोई साहसिक कदम, बड़ा ऐलान या राहत पैकेज नहीं देखा गया, जैसा कि आमतौर पर संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था में देखा जाता है. इसी तरह बजट में कोई बड़ा नीतिगत सुधार भी नहीं दिखा. अर्थव्यवस्था में मंदी की एक वजह यह भी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में संकट है, मांग नहीं है. मांग में कमी का मतलब यह है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मुश्किल के दौर में है.
लेकिन इस मांग को बढ़ाने के लिए खास उपाय नहीं दिख रहे. पीएम किसान निध‍ि या मनरेगा का बजट बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्र का संकट दूर करने की उम्मीद की जा रही है. सच तो यह है कि पीएम किसान निध‍ि भी पिछले साल बजट में तय लक्ष्य का करीब 30 फीसदी कम खर्च हुआ है. इसी तरह मनरेगा योजना अब बहुत प्रभावी नहीं रही है.
यही नहीं, समूचे फूड सब्सिडी का बजट घटाया गया है. पिछले साल के तय बजट 1.84 लाख करोड़ के फूड सब्सिडी के मुकाबले खर्च महज 1.08 लाख करोड़ रुपये का हुआ. इस तरह से न तो शहरी मांग को बढ़ाने का कोई पुख्ता इंतजार किया गया और न ही ग्रामीण मांग को, जबकि मांग को बढ़ाए बिना अर्थव्यवस्था की चाल तेज करना मुश्किल है. इसके अलावा संकट में चल रहे ऑटो और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए भी कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं.
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chaitanyabharatnews · 5 years
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लाल कपड़े में बजट लेकर संसद पहुंची निर्मला सीतारमण, तोड़ी बरसों पुरानी परंपरा
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अब से कुछ देर बाद ही लोकसभा में केंद्रीय बजट को पेश करेंगी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये दूसरा आम बजट है। निर्मला सीतारमण 11 बजे बजट पेश करेंगी। इस बार भी उन्होंने बरसों से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए बजट को ब्रीफकेस की जगह एक लाल रंग के फोल्डर में रखा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); Delhi: Finance Minister Nirmala Sitharaman arrives at Ministry of Finance; She will present her second Budget today pic.twitter.com/LGwGcumYk1 — ANI (@ANI) February 1, 2020 बता दें निर्मला सीतारमण पहली महिला वित्त मंत्री हैं, जिनपर पूर्ण रूप से वित्त मंत्रालय का कार्यभार है। निर्मला सीतारमण आज अपना दूसरा बजट पेश करेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद भवन पहुंच गए हैं। कुछ ही देर में मोदी कैबिनेट की बैठक होनी है, जिसमें केंद्रीय बजट को मंजूरी मिलेगी। पिछले काफी समय से भारत की अर्थव्यवस्था सुस्त चल रही है। ऐसे में इस बजट पर आज दुनियाभर की निगाहें हैं। Delhi: Prime Minister Narendra Modi arrives at the Parliament, ahead of presentation of Union Budget 2020-21. #Budget2020 pic.twitter.com/0JhnBWCyMo — ANI (@ANI) February 1, 2020 लोकसभा में बजट पेश करने से पहले हर बार की तरह इस बार भी वित्त मंत्री ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार सुबह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। बजट को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है और अब केंद्रीय कैबिनेट में बजट पास होगा। As per tradition, Finance Minister @nsitharaman calls on President Kovind at Rashtrapati Bhavan before presenting the Union Budget. pic.twitter.com/JLEbSxNhAe — President of India (@rashtrapatibhvn) February 1, 2020 सूत्रों के मुताबिक, किसानों और मिडिल क्लास के लिए बजट में कुछ बड़े ऐलान किए जा सकते हैं। जैसे- टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स छूट की सीमा को 2।5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए किया जा सकता है। 5 लाख से 7।50 लाख रुपए की आय पर 10 फीसदी का एक नया टैक्स स्लैब का ऐलान संभव है। निवेश पर टैक्स छूट की सीमा को 1।50 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए की जा सकती है। पीएम किसान योजना में मिलने वाली 6000 रुपए की रकम को 8000 रुपए किए जाने के आसार। Read the full article
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poonamranius · 3 years
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Budget 2022 Income Tax : आपकी कमाई पर कितना टैक्स लगेगा, इनकम टैक्स को लेकर ऐसा रहा बजट
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Budget 2022 Income Tax : आपकी कमाई पर कितना टैक्स लगेगा, इनकम टैक्स को लेकर ऐसा रहा बजट | आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बजट (Budget 2022) का ऐलान किया, जिसके दौरान उन्होंने कई बड़ी बातें कहीं और और कई बड़ी पेशकश की है! वहीं इस बार देश के सभी टैक्सपेयर्स (Taxpayers) ने काफी उम्मीदें लगाई थीं, जो पूरी नहीं हुई! इस बार बजट पर अपनी नजरें टिकाएं सभी करदाता और आम आदमी को काफी निराश का सामना करना पड़ा! Budget 2022 Income Tax : आपकी कमाई पर कितना टैक्स लगेगा, इनकम टैक्स को लेकर ऐसा रहा बजट Budget 2022 Income Tax वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Finance Minister Nirmala Sitharaman ) ने बजट में ऐलान करते हुए बताया कि इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं (No Change in Income Tax Slabs) किया जाएगा! नौकरी पेशा लोगों के लिए सरकार की ओर से कोई बदलाव नहीं किया है! इसके अलावा सरकार ने 80C, 80D और स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) में भी किसी तरह के कोई बदलाव का ऐलान नहीं किया है! साथ ही इस बार के बजट 2022 से पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि सरकार नौकरीपेशा को राहत दे सकती है! नया टैक्स सिस्टम (New Tax System) नए टैक्स सिस्टम (New Tax System) में सात स्लैब (7 Slabs) थे! 2!5 लाख की कमाई वालों को कोई टैक्स नहीं देना (No Tax Pay) होगा! 2!5 लाख से 5 लाख तक की आय वालों पर 5 फीसदी टैक्स लगाया जाता है! वहीं 5 लाख से 7!5 लाख तक की आय वालों पर 10 फीसदी टैक्स देना होता है, जबकि 7!5 लाख से 10 लाख रुपए तक की सालाना इनकम (Yearly Income) वालों पर 15 फीसदी टैक्स लगता है! 10 लाख रुपए से 12!5 लाख रुपए की सालाना कमाई (Yearly Salary) पर 20 फीसदी टैक्स चुकाना (Tax Pay) होगा! अगर किसी व्यक्ति की आय 12!5 लाख से 15 लाख रुपए तक की है तो उन पर 25 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा! 15 लाख रुपए से ज्यादा कमाई वालों पर 30 फीसदी का टैक्स लगाया जाता है! नए नियमों में टैक्स स्लैब की दरों में कमी (Reduction in Tax Slab Rates) लाई गई है लेकिन इसमें सेक्शन 80C के तहत और बाकी टैक्स छूटों को कम (Reduce Tax Exemptions) कर दिया गया है! पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax System) पुराने टैक्स सिस्टम (Old Tax System) में 2!5 लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है! अगर किसी की कमाई 2!5 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक की है तो उस व्यक्ति पर 5 फीसदी का टैक्स लगेगा! 5 लाख से 10 लाख रुपए तक की कमाई वालों पर 20 फीसदी का टैक्स लगता है! कुल 10 लाख से ज्यादा कमाई करने वालों पर 30 फीसदी का टैक्स लगता है! टैक्स पेश करती हुई बोलीं वित्त मंत्री (Finance Minister said while presenting the tax) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बजट पेश करने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘हमने टैक्स नहीं बढ़ाया. एक भी पैसे के आलाव टैक्स के द्वारा कमाने की कोशिश नहीं की. पिछली बार प्रधानमंत्री का आदेश था कि घाटा कितना भी हो, महामारी में जनता पर टैक्स का बोझ नहीं डालना. इस बार भी वही निर्देश थे.’ साथ ही उन्होंने कहा कि ‘हम हर ट्रांजैक्शन पर 1% टीडीएस (TDS) लगाकर उसमें (Crypto Currency) पैसे के हर लेन-देन पर भी नजर रख रहे हैं.’ टैक्स को लेकर क्या बोलीं वित्त मंत्री (What did the Finance Minister say about the tax) - कॉपरेटिव टैक्स ( Cooperative Tax Reduced ) घट कर 18% से 15% हुआ. - इस पर लगने वाला सरचार्ज भी कम किया गया, जो पहले 12% था, अब 7%. - कॉपोरेटिव टैक्स की सीमा बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए हुई. - ITR में गड़बड़ सुधारने को दो साल का वक्त मिलेगा. - पेंशन (Pension) में भी टैक्स पर छूट (Tax Exemption). - क्रिप्टो करेंसी ( Crypto Currency ) से होने वाली आय पर 30 फीसदी कर. Read the full article
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jainyupdates · 4 years
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वेतन और नई टैक्स स्लैब पर कैसे तय होगा TDS? आयकर विभाग का स्पष्टीकरण
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Sat, 18 Apr 2020 03:19 PM IST
देश में नया इनकम टैक्स स्लैब 1 अप्रैल 2020 से लागू हो गया है। सरकार द्वारा नई टैक्स स्लैब की दरों को वैकल्पिक रखा गया है। अगर किसी करदाता को पुराने स्लैब से ज्यादा फायदा हो रहा है, तो वो उसे दाखिल कर सकता है। आयकर विभाग ने उन लोगों के लिए एक स्पष्टीकरण जारी किया है, जो बजट 2020 में घोषित किए गए नए टैक्स स्लैब का चयन…
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cnnworldnewsindia · 5 years
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नया इनकम टैक्स स्लैब मोटी कमाई वालों के लिए फायदेमंद, देखें एक विशलेष्णात्मक रिपोर्ट
नया इनकम टैक्स स्लैब मोटी कमाई वालों के लिए फायदेमंद, देखें एक विशलेष्णात्मक रिपोर्ट
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4srfriends · 5 years
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बजट में नए टैक्स स्लैब को लेकर हैं कंफ्यूज? तो यहां समझिए पूरा गणित
Budget 2020 में मोदी सरकार ने देश में नए इनकम टैक्स स्लैब का ऐलान कर दिया है. हालांकि नया इनकम... from आज तक https://ift.tt/2thojCa via IFTTT from Blogger https://ift.tt/2UhRVdW via IFTTT
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googleyoffer-blog · 5 years
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दशक के पहले बजट के बाद सेंसेक्स 988 अंक गिरा; टैक्स स्लैब का नया विकल्प, नौकरीपेशा इसे हर साल बदल सकते हैं
दशक के पहले बजट के बाद सेंसेक्स 988 अंक गिरा; टैक्स स्लैब का नया विकल्प, नौकरीपेशा इसे हर साल बदल सकते हैं
नई दिल्ली.वित्त मंत्री नर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश किया। वित्तमंत्री का भाषण पिछले 73 साल में पेश हुए 91 बजट में सबसे लंबा था। वे सदन में 2 घंटे 41 मिनट तक बोलीं। सीतारमण ने 30.42 लाख करोड़ का बजट पेश किया। इस दिन शेयरबाजार में 6 घंटे में निवेशकों के 3.4 लाख करोड़ रुपए डूब गए, जो कुल बजट का 11% है। पहली बार सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब के 2 विकल्प दिए, लेकिन सिर्फ 30 डिडक्शंस वाला नया…
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vsplusonline · 5 years
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Union Budget 2020: मिडिल क्लास को बंपर तोहफा, बदल गया आयकर स्लैब - Union budget 2020 new income tax slabs and rates atam
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Union Budget 2020: मिडिल क्लास को बंपर तोहफा, बदल गया आयकर स्लैब - Union budget 2020 new income tax slabs and rates atam
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम करदाताओं को इस बजट से काफी उम्मीदें थीं, और उनकी झोली भर गई है. सरकार इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़ा दी है. आयकर छूट में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है.  
वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि 5 लाख तक आमदनी वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. 5 से 7.50 लाख रुपये तक आमदनी वालों को अब 10 फीसदी टैक्स देना होगा, जिसे अब तक 20 फीसदी देना होता था.
जिनकी आमदनी 7.50 लाख से 10 लाख रुपये तक है, उन्हें अब 15 फीसदी टैक्स होना होगा. 10 से 12.50 लाख रुपये तक आमदनी वालों को 20 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा, जिसे अब तक 30 फीसदी देना पड़ता है.
12.50 लाख से 15 लाख रुपये की आमदनी वालों को 25 फीसदी टैक्स देना होगा, जिन्हें अब तक 30 फीसदी तक लगता था. वहीं जिनकी आमदमी 15 लाख रुपये से ज्यादा है, ऐसे लोगों को 30 फीसदी टैक्स लगेगा. 
नया आयकर स्लैब:
0 से 5 लाख तक- 0%
5 लाख से 7.5 लाख तक-10%
7.50 लाख से 10 लाख तक- 15%
10 लाख से 12.50 लाख तक- 20%
12.50 लाख से 15 लाख-  25%
15 लाख ऊपर आमदनी पर- 30 फीसदी
अभी क्‍या है टैक्‍स स्‍लैब
वर्तमान टैक्‍स स्‍लैब के मुताबिक 2.5-5 लाख रुपये की सालाना कमाई पर  5 फीसदी टैक्स देना होता है. इसी तरह 5-10 लाख रुपये पर 20 फीसदी जबकि 10 लाख और उससे अधिक की कमाई पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान है.
बता दें, 1 फरवरी 2019 को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल का अंतरिम बजट पेश करते हुए तब के वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 5 लाख रुपये तक की सालाना कमाई पर रीबेट यानी छूट दी थी. इस छूट का लाभ तभी पाया जा सकता है जब आप रिर्टन भरें. अगर 5 लाख सालाना कमाई है और आप रिटर्न नहीं भरते हैं तो आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है.
आयकर छूट का फायदा उठाने के लिए आपको अपनी सालाना आय घोषित करनी होगी. 5 लाख तक की आय पर छूट रिबेट को तौर पर मिलेगी. यहां बता दें कि वर्तमान में स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन के अलावा सेक्शन 80C के तहत कुल 2 लाख रुपये की छूट मिलती है.
मौजूदा आयकर छूट की सीमा
2.5 लाख तक- 0%
2.5 लाख से 5 लाख तक- 5%
5 लाख से 10 लाख तक- 20%
10 लाख से ऊपर- 30%
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sonita0526 · 5 years
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दशक के पहले बजट के बाद सेंसेक्स 988 अंक गिरा; टैक्स स्लैब का नया विकल्प, जोबपिशा इसे हर साल बदल सकता है
दशक के पहले बजट के बाद सेंसेक्स 988 अंक गिरा; टैक्स स्लैब का नया विकल्प, जोबपिशा इसे हर साल बदल सकता है
नई दिल्ली।वित्त मंत्री नर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश किया। वित्त मंत्री का भाषण पिछले 73 साल में पेश किया गया 91 बजट में सबसे लंबा था। वे सदन में 2 घंटे 41 मिनट तक बोलीं। सीतारमण ने 30.42 लाख करोड़ का बजट पेश किया। इस दिन बाजार में 6 घंटे में निवेशकों के 3.4 लाख करोड़ रुपए डूब गए, जो कुल बजट का 10% है। पहली बार सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब के 2 विकल्प दिए, लेकिन सिर्फ 30 डिडक्शन्स के नए…
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ajitnehrano0haryana · 5 years
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नई दिल्ली। क्या आप टैक्स बचाने के लिए सेविंग नहीं कर पाते हैं? अगर हां, तो बजट एक नए टैक्स स्लैब के साथ आपके लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आ गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में एक नए टैक्स स्लैब का ऐलान किया। यह टैक्स स्लैब पहले से चले आ रहे टैक्स स्लैब से अलग रहेगा। जो टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स ऐक्ट के तहत मिल रही टैक्स छूट नहीं चाहते हैं, वे कम टैक्स रेट वाले इस स्लैब का चुनाव कर सकते हैं। यह पूरी तरह टैक्सपेयर पर रहेगा कि वह अपनी फाइनैंशल प्लैनिंग के हिसाब से कौन सा टैक्स स्लैब चुनना चाहता है।
क्या है यह नया टैक्स स्लैब
5 लाख से 7.5% लाख तक की आमदनी पर 10% टैक्स देना होगा। पहले 20% टैक्स लागू था।
7.5 लाख से 10 लाख तक की आमदनी पर 15% की दर से टैक्स देना होगा। पहले 20% की दर से टैक्स लगता था।
10 लाख से 12.5 लाख तक की आमदनी पर 20% से टैक्स लगेगा। पहले 30% से टैक्स वसूला जाता था।
12.5 लाख से 15 लाख तक 25% की दर से टैक्स लगेगा। पहले 30% की दर से लगता था।
15 लाख रुपये से ऊपर की टैक्सेबल इनकम पर पहले की तरह ही 30% की दर से टैक्स लगता रहेगा।
क्या होगा फायदा दरअसल इस टैक्स स्लैब का बड़ा फायदा उन लोगों को होगा, जिनकी आय टैक्स दायरे में तो आती थी, लेकिन वे टैक्स बचाने के लिए जरूरी सेविंग नहीं कर पाते थे। इस नए स्लैब के मुताबिक 15 लाख रुपये तक की आमदनी वालों को पहले के मुकाबले कम रेट से टैक्स देने होंगे। हालांकि, यह टैक्सपेयर्स की मर्जी पर निर्भर करेगा कि वह पहले वाला टैक्स स्लैब चुनता है या नया।
5 लाख की आमदनी तक कोई टैक्स नहीं वित्त मंत्री के मुताबिक, इनकम टैक्स ऐक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली टैक्स छूट नहीं लेने पर नए टैक्स स्लैब्स इस प्रकार होंगे। ध्यान रहे कि नई व्यवस्था के तहत टैक्स रेट्स उन्हीं टैक्स पेयर्स पर लागू होगा जो कोई इग्जेंप्शन नहीं लेंगे। अगर किसी को नई व्यवस्था पसंद नहीं हैं तो पुराने टैक्स स्लैब्स के मुताबिक टैक्स दे सकते हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि इनकम टैक्स का मौजूदा ढांचा थोड़ा पेचीदा है, इसलिए इसे आसान बनाने के लिए एक नई व्यवस्था लाई जा रही है। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था में अगर टैक्सपेयर्स कुछ डिडक्शन और इग्जेंप्शन लेना छोड़ दें तो उनके लिए नया टैक्स स्लैब्स लागू हो जाएगा। 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर किसी भी व्यवस्था में कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
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