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abhay121996-blog · 3 years
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क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करेगी केंद्र सरकार, बैलेंस शीट में उल्लेख करना अनिवार्य Divya Sandesh
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क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करेगी केंद्र सरकार, बैलेंस शीट में उल्लेख करना अनिवार्य
नई दिल्ली। भारत सरकार ने बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्रा (क्रिप्टो करंसी) पर सख्ती करने और इसके जरिये होने वाले निवेश तथा कारोबार में पारदर्शिता लाने की तैयारी कर ली है। केंद्र सरकार की कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने एक आदेश जारी कर सभी कंपनियों को निर्देश दिया है कि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल 2021 से वे अपनी बैलेंसशीट में क्रिप्टो करंसी में किये गए सभी लेनदेन और उनकी होल्डिंग की पूरी जानकारी अनिवार्य रूप से दें। 
सरकार के इस आदेश के बाद कंपनियों को अपनी बैलेंस शीट में क्रिप्टो करंसी से जुड़ी तमाम जानकारियां देनी होंगी। जानकारों के मुताबिक मंत्रालय का ये आदेश भारत में क्रिप्टो करंसीज को रेगुलेट करने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। इससे क्रिप्टो करंसी के जरिये किए गए निवेश की रिपोर्टिंग और फाइलिंग में पारदर्शिता आएगी। इसके साथ ही सरकार को इस बात की भी जानकारी मिल सकेगी कि किस कंपनी के पास कितनी और कौन सी क्रिप्टोकरंसी है। इतना ही नहीं कंपनियों को बैलेंसशीट में इस बात का भी जिक्र करना आवश्यक हो जाएगा कि उनके द्वारा क्रिप्टो करंसी का लेनदेन कितना और किसके साथ हुआ है। 
केंद्र सरकार ने कंपनी एक्ट-2013 के तीसरे शेड्यूल में संशोधन कर इस बात को अनिवार्य कर दिया है कि कंपनियों को क्रिप्टो करंसी या आभासी मुद्रा से जुड़े सभी लेनदेन, उनकी होल्डिंग और उनके लेनदेन की वजह से होने वाले नफा-नुकसान (प्रॉफिट एंड लॉस) को दिखाना होगा। ये प्रावधान 2021-22 के पहले दिन यानी 1 अप्रैल, 2021 से ही लागू हो जाएंगे। 
जानकारों का कहना है कि दरअसल क्रिप्टो करंसी को लेकर दुनिया भर में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है, इसलिए केंद्र सरकार इन आभासी मुद्राओं को रेगुलेट करने की कोशिश कर रही है। इसके तहत जल्द ही एक कानून भी बनाया जा सकता है। सरकार ये भी जानने की कोशिश कर रही है कि क्रिप्टो करंसी का इस्तेमाल करने वाली कंपनियां इन आभासी मुद्राओं के जरिये किस तरह से और कैसा कारोबार कर रही हैं। 
ट्रेड एनालिस्ट विक्रम धीर के मुताबिक देश में करीब एक करोड़ लोगों या कंपनियों ने क्रिप्टो करंसी में निवेश कर रखा है। इसके बावजूद सरकार को इस बात की जानकारी नहीं है कि किस व्यक्ति या कंपनी ने इन मुद्राओं में कितना निवेश किया है या फिर इसके जरिये वे किस तरह का कारोबार कर रहे हैं। अब बैलेंसशीट में क्रिप्टो करंसी से जुड़ी हर जानकारी देने की बाध्यता होने के बाद सरकार के पास इसकी ट्रेडिंग, होल्डिंग और इनवेस्टमेंट से जुड़ी सभी जानकारियां आसनी से पहुंच जाएंगी। 
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क्रिप्टो करंसी के कारोबार से जड़े लोगों का मानना है कि सरकार के इस कदम से इस सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी और माहौल सुधरेगा। भारत में क्रिप्टो करंसी एक्सचेंज बाईयूकॉइन के सीईओ शिवम ठकराल का कहना है कि केंद्र सरकार का यह कदम क्रिप्टो एसेट्स को बढ़ावा देने वाला साबित होगा। उनका कहना है कि क्रिप्टो करंसी के काराबोर से जुड़े लोग लंबे समय से क्रिप्टो करंसी को रेगुलेट करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक या संबंधित मंत्रालय के कदमों का इंतजार कर रहे हैं, ताकि अनिश्चितता का माहौल खत्म हो सके। 
ठकराल के मुताबिक भारत में व्यक्तिगत और संस्थागत रूप से क्रिप्टो करंसी के कारोबार में करीब डेढ़ अरब डॉलर का निवेश हो चुका है। इन सभी निवेशकों को सरकार की ओर से रेगुलेशन का इंतजार है, ताकि वे निश्चिंत होकर क्रिप्टो करंसी के फील्ड में कारोबार कर सकें। 
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sakettimes · 3 years
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PSU BANKS पर जानिये दिग्गज ब्रोकरेजेस हाउसेज की निवेश रणनीति Know the investment strategy of big brokerages houses at PSU BANKS
PSU BANKS पर जानिये दिग्गज ब्रोकरेजेस हाउसेज की निवेश रणनीति Know the investment strategy of big brokerages houses at PSU BANKS
MORGAN STANLEY ने PSU BANK पर राय देते हुए कहा है कि सरकारी बैंकों की बैलेंसशीट में सुधार नजर आया है। आगे बैकों की बैंलेंसशीट और सुधरने का अनुमान है। इन्हें सरकारी बैंकों में SBI सबसे ज्यादा पसंद है। इन्होंने BoB,PNB को अपग्रेड किया है। इसके अलावा Canara Bank, Bank of India पर अंडरवेट रेटिंग दी है। MORGAN STANLEY की SBI पर राय MORGAN STANLEY ने SBI पर ओवरवेट रेटिंग दी है और लक्ष्य को 600 रुपये तय…
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देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में देश के सबसे अमीर अम्बानी परिवार का दामाद शामिल'
नमस्कार मैं देवकी नंदन एक बार फ़िर से अपनी कलम से यह ब्लॉग लिख रहा हूँ । जहां तक मेरा अनुमान है यह ब्लॉग पढ़ने में थोड़ा बड़ा हो जाएगा क्यों कि इस को लिखते लिखते मेरे 9 घंटे के सफ़र का एक तिहाही समय लग गया है। तो किर्पया देश मे हो रहे घोटाले को  लेकर इस को आपके समस्त कर  रहा हूँ। तो हकीकत जानने से मत वंचित रह जाना।
यदि यह हेडलाइन आपको आज के अखबारों में, न्यूज़ चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज़ में नही दिखाई दे रही है इसका मतलब है कि मीडिया पूरा बिक चुका है जो ऊपर लिखा है वह 100 प्रतिशत सत्य है लेकिन कोई बताएगा नही !,
कल जिस नीरव मोदी का नाम पीएनबी घोटाले में सामने आ रहा है उसके सगे भाई निशाल मोदी से, धीरूभाई अंबानी की बेटी, मुकेश ओर अनिल अंबानी की बहन दीप्ति सलगांवकर की बेटी इशिता की शादी हुई है सीबीआई ने एफआईआर में निशाल का भी नाम लिया है
कल पीएनबी बैंक में जो घोटाला सामने आया है उसने पूरे विश्व मे भारतीय बैंकिंग व्यवस्था की इज्जत की धज्जियाँ बिखेर दी है ,पोस्ट लम्बी है पर पूरी जरूर पढियेगा वैसे पता नही मीडिया इसे किस तरह से दिखाएगा पर वास्तव में यह घोटाला बताता है कि हमारी बैंकिंग व्यवस्था की चाबी किस तरह के भ्रष्ट लोगो के हाथ मे आ गयी है
आपकी जानकारी के लिए बता दूं पंजाब नेशनल बैंक देश में एसबीआई के बाद सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है और जो रकम घोटाले की बताई जा रही है वह 11,330 करोड़ रुपए (1.8 अरब डॉलर) हैं पंजाब नेशनल बैंक की 2017 में 1320 करोड़ नेट इनकम थी यानी घोटाला सालभर की नेट इनकम का आठ गुना है. घोटाले के सामने आने के बाद शेयर बाजार में पीएनबी के शेयरों की कीमत 10 फीसद गिर गई हैं दूसरे बैंकों के शेयरों ने भी खूब गोता ल��ाया है।
अब पीएनबी तो अपना दामन बचाते हुए कह रहा है कि इस रकम से हुए लेन-देन अनिश्चित स्वरूप के है
लेकिन यदि  लेन-देन की वैधता साबित हो जाती है तो  बैंक को इतनी रकम का प्रावधान अपने बैलेंसशीट में करना होगा, यानी जिसकी आय 1320 करोड़ रुपये वार्षिक हो उसे 11330 करोड़ रुपये भरना ही होंगे यह रक़म बैंक के मार्केट कैप का एक तिहाई है
अब जिसके बारे में मीडिया चुप होकर बैठ गया है वह भी सुन लीजिए कि यह घोटाला किया किसने है ?
दरअसल भारत मे डायमंड ओर डायमंड ज्वेलरी से जुड़ा व्यापार 70 हजार करोड़ रुपए का है, इस व्यापार का मुख्य गढ़ सूरत ओर मुम्बई है कहते हैं कि इस इंडस्ट्री के छह बड़े बिजनेस टाइकून है जिनके आसपास यह सारा व्यापार घूमता है, उसमे से दो टाइकून इस घोटाले में संलिप्त पाए गए है पहले है नीरव मोदी और दूसरे है मेहुल चोकसी
नीरव मोदी ज्वेलरी डिजाइनर कहे जाते है और 2.3 अरब डॉलर के फ़ायरस्टार डायमंड के संस्थापक हैं यह साल 2013 में फ़ोर्ब्स लिस्ट ऑफ़ इंडियन बिलिनेयर में आए थे और तब से अपनी जगह बनाए हुए हैं. नीरव देश के सबसे रईस लोगों की गिनती में 46वें पायदान पर खड़े हैं इनके खिलाफ एक हफ्ते पहले भी 280 करोड़ की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ नीरव की पत्नी एमी ओर भाई निशाल मोदी भी इस घोटाले में शामिल हैं
दूसरे आरोपी है मेहुल चोकसी, आपने नक्षत्र, संगिनी और अश्मि जैसे ब्रांड का नाम सुना होगा मेहुल चोकसी इसे बनाने वाली कम्पनी गीतांजलि जेम्स के मालिक है ओर नीरव मोदी के चाचा है पर ऐसा नही है कि गीतांजली जेम्स इस से पहले बिल्कुल साफ सुथरी कम्पनी रही हो 2013 में ही सेबी ने इसके खिलाफ कुछ एक्शन लिया था उन पर आरोप थे कि गीतांजलि में ट्रेड करने के लिए चोकसी  25 शैल कंपनियों को फाइनैंस करते थे
लेकिन 2013 भी छोड़िए आरोपी नीरव मोदी के यहाँ जनवरी 2017 में आयकर विभाग ने घर समेत 50 दफ्तरों पर छापेमारी की थी ओर उसी वक़्त इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने गीतांजली ग्रुप के दफ्तरों पर भी रेड मारी थी यह मामला तभी खुल सकता था लेकिन कुछ नही किया गया
अब आते हैं उस पक्ष की ओर जिसे समझना बहुत आवश्यक है कि यह घोटाला किया कैसे गया ?
आपने कुछ दिन पहले यह सुना होगा कि अमित शाह के बेटे को एक प्राइवेट वित्तीय कम्पनी ने लेटर ऑफ क्रेडिट जारी किया था
यहाँ भी कुछ ऐसा ही मामला है
दरअसल नीरव मोदी पीएनबी की मुम्बई कारपोरेट ब्रांच  से हासिल एलओयू के आधार पर दूसरे देशों में कर्ज हासिल करता था यह काम वर्ष 2010 से ही चल रहा था
एल ओ यू का अर्थ है "लेटर ऑफ अंडरटेकिंग" यह एक बैंक शाखा की तरफ से , दूसरे बैंक शाखा को जारी एक ऐसा प्रपत्र है जो निश्चित खाताधारकों के पक्ष में दी गई एक गारंटी होती है। इसके आधार पर दूसरे जगह स्थित बैंक शाखा उस ग्राहक को कर्ज की सुविधा देती हैं
नीरव मोदी पीएनबी की उक्त शाखा से हासिल एलओयू के आधार पर दूसरे देशों में कर्ज हासिल करता था मोदी इस कर्ज को समय पर चुका देता था और बात दबी रहती थी  लेकिन हाल ही में नीरव मोदी ने कर्ज का भुगतान नहीं किया
हुआ यूं कि गड़बड़ी में शामिल पीएनबी के अधिकारियों ने अधिक रिश्वत की मांग की। मोदी ने इसे देने से मना कर दिया इसके जवाब में उसे पीएनबी ने भी एलओयू जारी नहीं किया ओर वर्षों से चल रहा यह चक्र टूट गया ऐसे में एक विदेशी बैंक ने हांगकांग की नियामक एजेंसी के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक को सूचना भेज दी
आरबीआइ ने जब पीएनबी से जबाव तलब किया तो उसके पास इसे सार्वजनिक करने और मामला की जांच करवाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा
लेकिन यह मामला अब सिर्फ पीएनबी तक ही सीमित नही रह गया है पता चला है कि यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक और निजी क्षेत्र के एक्सिस बैंक ने भी पीएनबी की तरफ से गड़बडी करने वाले खाताधारकों को जारी एलओयू के आधार पर कर्ज दिए हैं
सबसे अधिक शर्मिंदगी की बात तो यह है कि विदेशी बैंकों को भी एक तरह से धोखा दिया गया है
यह मामला भारतीय  बैंकिंग पर लग चुका बदनुमा दाग है यह मामला टिप ऑफ द आइसबर्ग भी साबित हो सकता है क्योंकि जानकारों की मानें तो बैंक एलओयू जारी करने का यह धंधा अनाधिकृत तौर पर आयातकों के साथ मिल कर खूब करते हैं और इसे परोक्ष तौर पर उन्हें शीर्ष अधिकारियों से अनुमति होती है
अब इस केस में अम्बानी के दामाद शामिल है इसीलिए मोदी सरकार के वित्त मंत्रालय के बैंकिंग विभाग में संयुक्त सचिव लोक रंजन जी कह रहे है कि 'यह एक बड़ा मामला नहीं है और ऐसी स्थिति नहीं है जिसे कहा जाए कि हालात काबू में नहीं है।'
अम्बानी के दामाद का मामला हो तो हालात क्यो न काबू में बताए जाएंगे शायद यह घोटाला भी अच्छे दिनों की गिनती में आ जायेगा।
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allgyan · 2 years
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What Is a Balance Sheet -
What Is a Balance Sheet - बैलेंस शीट शब्द एक वित्तीय विवरण को संदर्भित करता है जो एक विशिष्ट समय पर कंपनी की संपत्ति, देनदारियों और शेयरधारक इक्विटी की रिपोर्ट करता है। बैलेंस शीट निवेशकों के लिए रिटर्न की दरों की गणना करने और कंपनी की पूंजी संरचना का मूल्यांकन करने का आधार प्रदान करती है। संक्षेप में, बैलेंस शीट एक वित्तीय विवरण है जो एक कंपनी के स्वामित्व और बकाया राशि के साथ-साथ शेयरधारकों द्वारा निवेश की गई राशि का एक स्नैपशॉट प्रदान करता है।मौलिक विश्लेषण या वित्तीय अनुपात की गणना करने के लिए अन्य महत्वपूर्ण वित्तीय विवरणों के साथ बैलेंस शीट का उपयोग किया जा सकता है।
पॉइंट्स -
१-एक बैलेंस शीट एक वित्तीय विवरण है जो कंपनी की संपत्ति, देनदारियों और शेयरधारक इक्विटी की रिपोर्ट करता है। २-बैलेंस शीट तीन मुख्य वित्तीय विवरणों में से एक है जिसका उपयोग किसी व्यवसाय का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। ३-यह प्रकाशन की तारीख के अनुसार कंपनी के वित्त (जो उसका स्वामित्व और बकाया है) का एक स्नैपशॉट प्रदान करता है। ४-बैलेंस शीट एक समीकरण का पालन करती है जो संपत्ति को देनदारियों और शेयरधारक इक्विटी के योग के साथ जोड़ती है। मौलिक विश्लेषक वित्तीय अनुपात की गणना के लिए बैलेंस शीट का उपयोग करते हैं।
How Balance Sheets Work
बैलेंस शीट एक समय में कंपनी के वित्त की स्थिति का अवलोकन प्रदान करती है। यह लंबे समय तक चलने वाले रुझानों का अपने आप में आभास नहीं दे सकता है। इस कारण से, बैलेंस शीट की तुलना पिछली अवधियों के साथ की जानी चाहिए
कई अन्य के साथ-साथ डेट-टू-इक्विटी अनुपात और एसिड-टेस्ट अनुपात सहित, बैलेंस शीट से प्राप्त किए जा सकने वाले कई अनुपातों का उपयोग करके निवेशक कंपनी की वित्तीय भलाई की भावना प्राप्त कर सकते हैं। आय विवरण और नकदी प्रवाह का विवरण भी कंपनी के वित्त का आकलन करने के लिए मूल्यवान संदर्भ प्रदान करता है, जैसा कि किसी आय रिपोर्ट में कोई नोट्स या परिशिष्ट है जो बैलेंस शीट को वापस संदर्भित कर सकता है
बैलेंस शीट निम्नलिखित लेखांकन समीकरण का पालन करती है, एक तरफ संपत्ति के साथ, और दूसरी तरफ देनदारियां प्लस शेयरधारक इक्विटी, शेष राशि:
Assets=Liabilities+Shareholders’ Equity
यह सूत्र सहज ज्ञान युक्त है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक कंपनी को उन सभी चीजों के लिए भुगतान करना पड़ता है जो उसके पास (संपत्ति) होती है या तो पैसा उधार लेती है (देयताएं लेती है) या इसे निवेशकों से (शेयरधारक इक्विटी जारी करके) लेती है।
यदि कोई कंपनी किसी बैंक से पांच साल का, $4,000 का ऋण लेती है, तो उसकी संपत्ति (विशेष रूप से, नकद खाता) में $4,000 की वृद्धि होगी। इसकी देनदारियां (विशेष रूप से, दीर्घकालिक ऋण खाता) भी समीकरण के दोनों पक्षों को संतुलित करते हुए $4,000 की वृद्धि करेगी। अगर कंपनी निवेशकों से 8,000 डॉलर लेती है, तो उसकी संपत्ति उस राशि से बढ़ेगी, जैसा कि उसके शेयरधारक इक्विटी में होगा। कंपनी अपने खर्चों से अधिक आय अर्जित करती है जो शेयरधारक इक्विटी खाते में जाएगी। ये राजस्व संपत्ति के पक्ष में संतुलित होगा, नकद, निवेश, सूची, या अन्य संपत्तियों के रूप में प्रदर्शित होगा
Special Considerations -
जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, आप कंपनी की बैलेंस शीट पर संपत्ति, देनदारियों और शेयरधारक इक्विटी के बारे में जानकारी पा सकते हैं। संपत्ति हमेशा देनदारियों और शेयरधारक इक्विटी के बराबर होनी चाहिए। इसका मतलब है कि बैलेंस शीट हमेशा बैलेंस होनी चाहिए, इसलिए नाम। यदि वे संतुलन नहीं रखते हैं, तो कुछ समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें गलत या गलत डेटा, इन्वेंट्री और/या विनिमय दर त्रुटियां, या गलत गणना शामिल हैं।
प्रत्येक श्रेणी में कई छोटे खाते होते हैं जो कंपनी के वित्त की बारीकियों को तोड़ते हैं। ये खाते उद्योग द्वारा व्यापक रूप से भिन्न होते हैं, और व्यवसाय की प्रकृति के आधार पर समान शर्तों के अलग-अलग निहितार्थ हो सकते हैं। लेकिन कुछ सामान्य घटक हैं जो निवेशकों के सामने आने की संभावना है।
Components of a Balance Sheet - (बैलेंस शीट के घटक)-
एसेट्स-
इस खंड के खातों को उनकी तरलता के क्रम में ऊपर से नीचे तक सूचीबद्ध किया गया है। यह वह आसानी है जिसके साथ उन्हें नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है। उन्हें चालू परिसंपत्तियों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें एक वर्ष या उससे कम समय में नकदी में बदला जा सकता है; और गैर-वर्तमान या दीर्घकालिक संपत्ति, जो नहीं कर सकती।
वर्तमान परिसंपत्तियों के भीतर खातों का सामान्य क्रम यहां दिया गया है:
Cash and cash एक्विवैलेंट्स -नकद और नकद समकक्ष सबसे अधिक तरल संपत्ति हैं और इसमें ट्रेजरी बिल और जमा के अल्पकालिक प्रमाण पत्र, साथ ही हार्ड मुद्रा शामिल हो सकते हैं। विपणन योग्य प्रतिभूतियां इक्विटी और ऋण प्रतिभूतियां हैं जिनके लिए एक तरल बाजार है। प्राप्य खाते (एआर) उस धन को संदर्भित करते हैं जो ग्राहकों को कंपनी पर बकाया है। इसमें संदिग्ध खातों के लिए एक भत्ता शामिल हो सकता है क्योंकि कुछ ग्राहक अपने बकाया का भुगतान नहीं कर सकते हैं। इन्वेंटरी बिक्री के लिए उपलब्ध किसी भी सामान को संदर्भित करता है, जिसका मूल्य लागत या बाजार मूल्य से कम होता है। प्रीपेड खर्च उस मूल्य का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसके लिए पहले ही भुगतान किया जा चुका है, जैसे बीमा, विज्ञापन अनुबंध, या किराया।
Long-term assets include the followingलंबी अवधि की संपत्ति में निम्नलिखित शामिल हैं:
लंबी अवधि के निवेश प्रतिभूतियां हैं जो अगले वर्ष में परिसमाप्त नहीं होंगी या नहीं की जा सकती हैं।
अचल संपत्तियों में भूमि, मशीनरी, उपकरण, भवन और अन्य टिकाऊ, आम तौर पर पूंजी-गहन संपत्तियां शामिल हैं। अमूर्त संपत्ति में गैर-भौतिक (लेकिन अभी भी मूल्यवान) संपत्ति जैसे बौद्धिक संपदा और सद्भावना शामिल हैं। इन संपत्तियों को आम तौर पर केवल बैलेंस शीट पर सूचीबद्ध किया जाता है, यदि वे अधिग्रहित की जाती हैं, बजाय आंतरिक रूप से विकसित की जाती हैं। इस प्रकार उनके मूल्य को बेतहाशा कम किया जा सकता है (उदाहरण के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त लोगो को शामिल नहीं करके) या बेतहाशा अतिरंजित किया जा सकता है।
Liabilities
एक देनदारी कोई भी पैसा है जो एक कंपनी को बाहरी पार्टियों के लिए बकाया है, बिलों से इसे आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने के लिए लेनदारों को किराए, उपयोगिताओं और वेतन के लिए जारी किए गए बांड पर ब्याज देना पड़ता है। वर्तमान देनदारियां एक वर्ष के भीतर देय हैं और उनकी देय तिथि के क्रम में सूचीबद्ध हैं। दूसरी ओर, दीर्घकालिक देनदारियां, एक वर्ष के बाद किसी भी समय देय होती हैं।
वर्तमान देनदारियों के खातों में शामिल हो सकते हैं:
दीर्घावधि ऋण का वर्तमान भाग बैंक का कर्ज देय ब्याज देय मजदूरी ग्राहक पूर्व भुगतान देय लाभांश और अन्य अर्जित और अनर्जित प्रीमियम देय खाते दीर्घकालिक देनदारियों में शामिल हो सकते हैं:
लंबी अवधि के ऋण में जारी किए गए बांडों पर कोई ब्याज और मूलधन शामिल होता है। पेंशन फंड देयता उस धन को संदर्भित करती है जिसे कंपनी को अपने कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति खातों में भुगतान करने की आवश्यकता होती है। आस्थगित कर देयता उन करों की राशि है जो अर्जित हुए हैं लेकिन एक और वर्ष के लिए भुगतान नहीं किया जाएगा। समय के अलावा, यह आंकड़ा वित्तीय रिपोर्टिंग के लिए आवश्यकताओं और जिस तरह से कर का आकलन किया जाता है, जैसे मूल्यह्रास गणना के बीच अंतर को समेटता है। कुछ देनदारियों को बैलेंस शीट से बाहर माना जाता है, जिसका अर्थ है कि वे बैलेंस शीट पर दिखाई नहीं देती हैं।
Shareholder Equityशेयरधारक इक्विटी-
शेयरधारक इक्विटी एक व्यवसाय के मालिकों या उसके शेयरधारकों के लिए जिम्मेदार धन है। इसे शुद्ध संपत्ति के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह किसी कंपनी की कुल संपत्ति के बराबर है जो कि उसकी देनदारियों या गैर-शेयरधारकों के लिए बकाया ऋण है।
बरकरार रखी गई कमाई शुद्ध कमाई है जो एक कंपनी या तो व्यवसाय में पुनर्निवेश करती है या कर्ज चुकाने के लिए उपयोग करती है। शेष राशि शेयरधारकों को लाभांश के रूप में वितरित की जाती है।
ट्रेजरी स्टॉक वह स्टॉक है जिसे कंपनी ने पुनर्खरीद किया है। इसे बाद की तारीख में नकद जुटाने के लिए बेचा जा सकता है या शत्रुतापूर्ण अधिग्रहण को रोकने के लिए आरक्षित किया जा सकता है।
कुछ कंपनियां पसंदीदा स्टॉक जारी करती हैं, जिन्हें इस खंड के तहत सामान्य स्टॉक से अलग सूचीबद्ध किया जाएगा। पसंदीदा स्टॉक को एक मनमाना सममूल्य दिया जाता है (जैसा कि कुछ मामलों में सामान्य स्टॉक है) जिसका शेयरों के बाजार मूल्य पर कोई अस�� नहीं पड़ता है। सामान्य स्टॉक और पसंदीदा स्टॉक खातों की गणना सममूल्य को जारी किए गए शेयरों की संख्या से गुणा करके की जाती है।
अतिरिक्त भुगतान की गई पूंजी या पूंजी अधिशेष उस राशि का प्रतिनिधित्व करता है जिसे शेयरधारकों ने आम या पसंदीदा स्टॉक खातों से अधिक में निवेश किया है, जो बाजार मूल्य के बजाय सममूल्य पर आधारित हैं। शेयरधारक इक्विटी सीधे कंपनी के बाजार पूंजीकरण से संबंधित नहीं है। उत्तरार्द्ध स्टॉक की वर्तमान कीमत पर आधारित है, जबकि पेड-इन कैपिटल उस इक्विटी का योग है जिसे किसी भी कीमत पर खरीदा गया है।
Limitations of Balance Sheets -
हालांकि बैलेंस शीट निवेशकों और विश्लेषकों के लिए एक अमूल्य जानकारी है, लेकिन कुछ कमियां हैं। चूंकि यह समय में केवल एक स्नैपशॉट है, यह केवल इस बिंदु और अतीत में किसी अन्य एकल बिंदु के बीच के अंतर का उपयोग कर सकता है। क्योंकि यह स्थिर है, कई वित्तीय अनुपात बैलेंस शीट और अधिक गतिशील आय विवरण और नकदी प्रवाह के विवरण दोनों में शामिल डेटा पर आकर्षित होते हैं ताकि कंपनी के व्यवसाय के साथ क्या हो रहा है, इसकी पूरी तस्वीर पेश की जा सके।
विभिन्न लेखा प्रणाली और मूल्यह्रास और सूची से निपटने के तरीके भी बैलेंस शीट में पोस्ट किए गए आंकड़ों को बदल देंगे। इस वजह से, प्रबंधकों के पास अधिक अनुकूल दिखने के लिए संख्याओं का खेल करने की कुछ क्षमता होती है। बैलेंस शीट के फुटनोट पर ध्यान दें ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि उनके लेखांकन में कौन सी प्रणालियों का उपयोग किया जा रहा है और लाल झंडों को देखने के लिए।
Why Is a Balance Sheet Important?
बैलेंस शीट एक व्यवसाय के वर्तमान वित्तीय स्वास्थ्य को समझने के लिए अधिकारियों, निवेशकों, विश्लेषकों और नियामकों द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक आवश्यक उपकरण है। यह आम तौर पर दो अन्य प्रकार के वित्तीय विवरणों के साथ प्रयोग किया जाता है: आय विवरण और नकदी प्रवाह विवरण।
बैलेंस शीट उपयोगकर्ता को कंपनी की संपत्ति और देनदारियों के बारे में एक नज़र में देखने की अनुमति देती है। बैलेंस शीट उपयोगकर्ताओं को सवालों के जवाब देने में मदद कर सकती है जैसे कि क्या कंपनी के पास सकारात्मक निवल मूल्य है, क्या उसके पास अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नकदी और अल्पकालिक संपत्ति है, और क्या कंपनी अपने साथियों के सापेक्ष अत्यधिक ऋणी है।
What Is Included in the Balance Sheet?
बैलेंस शीट में कंपनी की संपत्ति और देनदारियों के बारे में जानकारी शामिल होती है। कंपनी के आधार पर, इसमें अल्पकालिक संपत्तियां शामिल हो सकती हैं, जैसे नकद और प्राप्य खाते, या लंबी अवधि की संपत्ति जैसे संपत्ति, संयंत्र और उपकरण (पीपी एंड ई)। इसी तरह, इसकी देनदारियों में अल्पकालिक दायित्व शामिल हो सकते हैं जैसे कि देय खाते और देय मजदूरी, या दीर्घकालिक देनदारियां जैसे बैंक ऋण और अन्य ऋण दायित्व।
Who Prepares the Balance Sheet?बैलेंस शीट कौन तैयार करता है?
कंपनी के आधार पर, बैलेंस शीट तैयार करने के लिए विभिन्न पार्टियां जिम्मेदार हो सकती हैं। छोटे निजी तौर पर आयोजित व्यवसायों के लिए, बैलेंस शीट मालिक या कंपनी के बुककीपर द्वारा तैयार की जा सकती है। मध्यम आकार की निजी फर्मों के लिए, उन्हें आंतरिक रूप से तैयार किया जा सकता है और फिर एक बाहरी लेखाकार द्वारा देखा जा सकता है।
दूसरी ओर, सार्वजनिक कंपनियों को सार्वजनिक लेखाकारों द्वारा बाहरी लेखा परीक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी पुस्तकों को उच्च स्तर पर रखा गया है। इन कंपनियों की बैलेंस शीट और अन्य वित्तीय विवरण आम तौर पर स्वीकृत लेखा सिद्धांतों (जीएएपी) के अनुसार तैयार किए जाने चाहिए और प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) के साथ नियमित रूप से दर्ज किए जाने चाहिए।
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chaitanyabharatnews · 4 years
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वित्तीय संकट से जूझ रहे Yes Bank पर RBI ने कसा शिकंजा, एक महीने में सिर्फ 50 हजार ही निकाल सकेंगे ग्राहक
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. वित्तीय संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पैसा निकालने की ऊपरी सीमा निर्धारित कर दी है। इसके तहत अब यस बैंक के खाताधारक एक महीने में सिर्फ 50 हजार रुपए ही निकाल सकेंगे। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); 3 अप्रैल तक जारी रहेगा नियम जानकारी के मुताबिक, रिजर्व बैंक के द्वारा जारी आदेश के मुताबिक ये सीमा 5 मार्च 2020 को शाम 6 बजे से लागू हो चुकी है और 3 अप्रैल 2020 तक जारी रहेगी। आरबीआई के निर्देश के मुताबिक, ये सीमा बचत, चालू या किसी भी अन्य खाते पर लागू रहेगी। वहीं यदि एक जमाकर्ता बैंक में एक से ज्यादा खाते रखता है तो भी सभी खाते से कुल निकासी भी इस सीमा के अंदर ही रहेगी। ग्राहकों में अफरातफरी आरबीआई के इस फैसले के बाद ग्राहकों में अफरातफरी मच गई। जमाकर्ताओं को एटीएम से पैसा निकालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं एटीएम मशीन बंद पड़ी मिली तो कहीं एटीएम में धन नहीं था। यस बैंक के ग्राहकों की मुसीबत तब और बढ़ गई जब उन्हें इंटरनेट बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से धन स्थानांतरित करने में भी असुविधा झेलनी पड़ी। लगातार बढ़ रहा कर्जा आरबीआई ने यस बैंक के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है। एसबीआई के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है। आरबीआई ने यह फैसला यस बैंक की आर्थिक हालत को देखते हुए की है। बता दें पिछले कुछ समय से यस बैंक फंड जुटाने के लिए संघर्ष कर रहा है। करीब 15 साल पहले शुरू हुए इस बैंक की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। बैंक पर कर्जा लगातार बढ़ता जा रहा है। बैंक की बदहाली इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि सिर्फ 15 महीने के भीतर ही बैंक के निवेशकों को 90 फीसदी से अधिक का नुकसान हो गया है। क्यों हुई यस बैंक की ऐसी हालत? पिछले कुछ सालों में यस बैंक को लगातार एक के बाद एक झटके लगे हैं। सबसे बड़ा झटका आरबीआई द्वारा यस बैंक को दिया गया। साल 2018 में जब आरबीआई को लगा कि यस बैंक अपने डूबे हुए कर्जे और बैलेंसशीट में गड़बड़ी कर रहा है तो उसने यस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को जबरन में पद से हटा दिया। बैंक के इतिहास में पहली बार था जब किसी चेयरमैन को इस तरह से पद से हटाया गया। इन कंपनियों को बांटे लोन यस बैंक ने कई ऐसी कंपनियों को भी लोन दे दिया जो या तो दागी थे या जिनका वित्तीय लेनदेन साफ नहीं था। कोई भी दूसरा बैंक उन कंपनियों को लोन देने को तैयार नहीं था। बैंक ने जिन कंपनियों को लोन दिया उनमें एलएंडएफएस, दीवान हाउसिंग, जेट एयरवेज, कॉक्स एंड किंग्स, सीजी पावर और कैफे कॉफी डे जैसी कंपनियां शामिल हैं। यस बैंक को खरीद सकता है SBI भारतीय स्टेट बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों को संकट से जूझ रहे यस बैंक को खरीदने के लिए सरकार ने मंजूरी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही इसे लेकर आधिकारिक घो���णा हो सकती है। साथ ही सरकार ने अपने स्वामित्व वाली बीमा कंपनी एलआईसी (LIC) से एसबीआई के साथ मिलकर यस बैंक की हिस्सेदारी खरीदने को कहा है। बता दें एलआईसी के पास पहले से ही यस बैंक की 8 फीसदी हिस्सेदारी है। ये भी पढ़े... मोदी सरकार ने इन 10 सरकारी बैंकों के विलय को दी मंजूरी, जानें ग्राहकों पर क्या होगा असर मार्च में 13 दिन बंद रहेंगे बैंक, जल्द निपटा लीजिए अपने जरुरी काम इन 4 एप्स को डाउनलोड करने से बचें, वरना खाली हो सकता है आपका बैंक खाता Read the full article
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morningstorytalk · 4 years
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टॉप 50 कंपनियों ने चुकाया 59,600 करोड़ रुपये का कर्ज, बैलेंसशीट सुधारने के लिए उठाया कदम https://ift.tt/2F3n8sn
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vilaspatelvlogs · 3 years
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बिटकॉइन का असर: इस हफ्ते में एलन मस्क की संपत्ति में 27 अरब डॉलर की कमी, शेयरों के गिरने का असर
बिटकॉइन का असर: इस हफ्ते में एलन मस्क की संपत्ति में 27 अरब डॉलर की कमी, शेयरों के गिरने का असर
Hindi News Business Elon Musk Net Worth Update | Tesla Ceo Elon Muskassets Decreased By $ 27 Billion Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप मुंबईएक घंटा पहले कॉपी लिंक टेस्ला ने पिछले महीने खुलासा किया था कि बैलेंसशीट में क्रिप्टोकरेंसी की भी इनकम है मस्क की संपत्ति को इसके ठीक दो हफ्ते बाद 15 अरब डॉलर का झटका लगा टेस्ला के सीईओ को इस हफ्ते में सोमवार से अब तक…
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rohtakmedia-blog · 5 years
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Maruti के साथ बिजनेस का शानदार मौका, हर महीने होगी मोटी कमाई
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Maruti के साथ बिजनेस का शानदार मौका, हर महीने होगी मोटी कमाई : अगर आप भी पिछले कुछ दिनों से बिजनेस करने का प्लान कर रहे हैं तो छोटे निवेश से आपको हर महीने अच्छी कमाई हो सकती है. देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की तरफ से आपके लिए बिजनेस का शानदार मौका आया है. जी हां, मारुति इस साल अपने साथ कारोबारियों को जोड़ने की प्लानिंग कर रही है. कंपनी ने इस वित्त वर्ष अपनी बिक्री नेटवर्क को बढ़ाने की योजना बनाई है. इसमें डीलरशिप भी शामिल है. कंपनी पूरे देश में नए डीलर बनाने की तैयारी कर रही है. इन्हे भी पढ़े :- 44 हजार से 66 हजार किमी पर पहुंची रोहतक डिपो की दौड़ अभी देश में मारुति के पास 2625 डीलर्स हैं, आने वाले दिनों में 250 से ज्यादा नए डीलर बनाएं जाएंगे. अगर आप भी डीलरशिप लेने के इच्छुक हैं तो आगे पढ़िए आपको इसके लिए क्या करना होगा. ऐसे करें डीलरशिप के लिए आवेदन अगर आप मारुति के डीलर बनना चाहते हैं तो कंपनी से सीधे संपर्क करना होगा. इसके लिए आपको सबसे पहले मारुति सुजुकी की वेबसाइट www.marutisuzuki.com पा जाना होगा. इस पेज पर एक कॉलम कॉरपोरेट का दिया गया है, जिस पर क्लिक करने के बाद आपको एक विकल्प बिजनेस अपॉर्च्युनिटी का मिलेगा. क्लिक करने पर आपके पास कुछ विकल्प आएंगे. इन विकल्पों में डीलर रिक्वायरमेंट का एक विकल्प होगा. डिलर रिक्वायरमेंट पर क्लिक करने पर आपके पास आवेदन फॉर्म खुल जाएगा, जिसे पूरा भरकर सबमिट करना होगा. वैसे goo.gl/TuRP3J एड्रेस के जरिए सीधे डीलर रिक्वायरमेंट के विकल्प तक पहुंच सकते हैं. ये जानकारियां देनी जरूरी - पर्सनल डिटेल (नाम, डेट ऑफ बर्थ, जॉब) - कांटैक्ट नंबर - एड्रेस - मेलिंग एड्रेस - किस शहर में डीलरशिप के लिए आवेदन कर रहे हैं. - जहां शोरूम खोलना है, वहां की फोटो - 3 साल की बैंक बैलेंसशीट - टैक्स रिटर्न की कॉपी - कंपनी के नाम से एक डिमांड ड्रॉफ्ट (वेबसाइट पर दी गई जानकारी के लिहाज से 1 लाख रुपए). मारुति तय करेगी आपकी डीलरशिप अगर आपका नाम सेलेक्ट नहीं होता है तो आपके द्वारा भेजा गया डीडी आपको वापस मिल जाएगा. वहीं, अगर आपका नाम सेलेक्ट हो जाता है तो आपको कंपनी द्वारा एकमुश्‍त रकम कंपनी के पास डीडी के जरिये जमा करानी होती है. इन्हे भी पढ़े :- नविन जयहिंद के खिलाफ गवाही देने नहीं आये पुलिस अधिकारी आपको डीलरशिप मिलेगी या नहीं, यह मारुति का मैनेजमेंट तय करेगा. मसलन जहां शोरूम खुल रहा है, वहां बिक्री की कितनी संभावना है. कितना फायदा होगा यह देखने के बाद ही मारुति आपको डीलरशिप देगी. Maruti के साथ बिजनेस का शानदार मौका, हर महीने होगी मोटी कमाई स्त्रोत :- aajtak छायाचित्र भिन्न हो सकता है Read the full article
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gokul2181 · 4 years
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Market News In Hindi : Since March 23, large cap category of mutual funds has given better returns, investors have got the equivalent of Nifty | 23 मार्च के बाद से म्यूचुअल फंड की लॉर्ज कैप कटेगरी ने दिया बेहतर रिटर्न, निफ्टी के बराबर का मिला निवेशकों को लाभ
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Market News In Hindi : Since March 23, large cap category of mutual funds has given better returns, investors have got the equivalent of Nifty | 23 मार्च के बाद से म्यूचुअल फंड की लॉर्ज कैप कटेगरी ने दिया बेहतर रिटर्न, निफ्टी के बराबर का मिला निवेशकों को लाभ
बड़ी कंपनियों के पास रिसोर्सेस होता है और वे इसका लाभ सबसे पहले उठाती हैं
पिछले तीन महीनों में बाजार की गिरावट में एफआईआई निवेशकों ने अच्छा पैसा लगाया है
दैनिक भास्कर
Jun 29, 2020, 04:40 PM IST
मुंबई. 23 मार्च से लेकर अब तक निफ्टी ने करीबन 35 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। इसी अवधि में म्यूचुअल फंड की लॉर्ज कैप कटेगरी ने भी 35 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया है। यह इसलिए हुआ क्योंकि इस दौरान लॉर्ज कैप शेयरों में अच्छी खासी तेजी देखी गई। 23 मार्च को निफ्टी निचले स्तर पर पहुंच गया था। इसके बाद से निवेशकों ने इसका लाभ उठाया है। एफआईआई ने इस दौरान बाजार में अच्छा खासा निवेश किया है।
बाजार की रिकवरी में लॉर्ज कैप को पहले फायदा होता है
बाजार के विश्लेषकों के मुताबिक जब बाजार चलता है तब लॉर्ज कैप सबसे पहले चलता है। यानी बाजार के साथ-साथ लॉर्ज कैप स्टॉक भी अच्छा खासा रिटर्न देते हैं। आंकड़े बताते हैं कि 23 मार्च के बाद से अब तक जिन फंड हाउसों के लॉर्ज कैप फंड ने बेहतर रिटर्न दिया है, उसमें काफी सारे फंड हैं। आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में इनवेस्को इंडिया लॉर्ज कैप फंड- ग्रोथ ने 34.76 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। जबकि मिरै असेट लॉर्ज कैप ने 34.40 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।
ग्रोथ फंड्स ने दिया है अच्छा रिटर्न
इसी तरह इसी अवधि में डीएसपी टॉप 100 इक्विटी फंड ने इसी अवधि में 34.26 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। आदित्य बिरला सन लाइफ फ्रंटलाइन इक्विटी ने 34.21 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। आंकड़ों के अनुसार यह सभी ग्रोथ फंड हैं। इसमें एसबीआई ब्लूचिप फंड ने 33.37 प्रतिशत का रिटर्न दिया है तो पीजीआईएम इंडिया लॉर्ज कैप ने 32.45 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। एलएंडटी इंडिया लॉर्ज कैप ने इसी अवधि में 31.65 प्रतिशत का लाभ निवेशकों को दिया है।
निफ्टी ने 35.76 प्रतिशत का लाभ दिया है
निप्पॉन इंडिया लार्ज कैप ने 28.69 प्रतिशत का रिटर्न दिया तो टॉरस लॉर्जकैप इक्विटी फंड ने 28.16 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। एलआईसी लॉर्ज कैप फंड ने 23.39 प्रतिशत का लाभ दिया तो एक्सिस ब्लूचिप ने 21.98 प्रतिशत का लाभ दिया है। विश्लेषकों के मुताबिक निफ्टी 50 टीआरआई ने इस दौरान 35.76 प्रतिशत का लाभ दिया है। हालांकि यह हाल के समय में पहला मौका है, जब इतनी कम अवधि में म्यूचुअल फंड के लॉर्ज कैप ने बेहतर रिटर्न दिया है।
अर्थव्यवस्था खुलने कंपनियों की बैलेंसशीट ठीक होगी
माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था खुलने पर कंपनियों की बैलेंसशीट ठीक होगी। वे जल्दी रिकवरी करेंगे, क्योंकि उनके पास रिसोर्सेस है। बाजार यहां से ठीक ठाक रहा तो आगे ये लॉर्ज कैप और बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। बता दें कि हाल में इक्विटी बाजार की तेजी में काफी पैसे आए हैं। निवेशकों ने लॉकडाउन के समय इक्विटी बाजार में पैसे इसलिए लगाए क्योंकि ब्याज दरों में तेजी से गिरावट दिखी है। आरबीआई द्वारा रेट कट और साथ ही अन्य ब्याज दरों में गिरावट और जोखिम बढ़ने से निवेशकों का रुझान लॉर्ज कैप की ओर हो गया है। जानकार मान रहे हैं कि आनेवाले समय में इक्विटी में और इंफ्लो आ सकता है।
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anki14542 · 4 years
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कंपनियों ने अब कोविड-19 का सहारा लेना शुरू किया, बिजनेस के नुकसान को बैलेंसशीट में एडजस्ट कर दिखाया जाएगा
कंपनियों ने अब कोविड-19 का सहारा लेना शुरू किया, बिजनेस के नुकसान को बैलेंसशीट में एडजस्ट कर दिखाया जाएगा
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ऑडिटर्स और कंपनियों के बीच एक्सेप्शनल आइटम को लेकर शुरू हुआ विवाद
कंपनियों की बैलेंसशीट में EBITDA पहले से था। इसके आगे सी जोड़ दिया गया है
दैनिक भास्कर
Jun 06, 2020, 02:27 PM IST
मुंबई. कोविड-19 संकट के कारण कंपनियों और उनके ऑडिटर्स के बीच एक्सेप्शनल आइटम को लेकर वाद -विवाद शुरू हो गया है। मौजूदा वक्त में कंपनियों ने बड़ी संख्या में कोविड-19 का सहारा लेना शुरू कर दिया है ताकि इसके जरिए…
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vilaspatelvlogs · 3 years
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बैंकों को मिल सकती है अच्छी रकम: कोर्ट पर टिका है महामारी से तबाह कंपनियों का फैसला, कई मामलों में होनी है सुनवाई
बैंकों को मिल सकती है अच्छी रकम: कोर्ट पर टिका है महामारी से तबाह कंपनियों का फैसला, कई मामलों में होनी है सुनवाई
Hindi News Business Loan Moratorium To Bankruptcy; Supreme Court Important Hearing Amid Coronavirus Outbreak Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप मुंबई13 घंटे पहले कॉपी लिंक अगर सुप्रीम कोर्ट इन फैसलों को जल्दी से सुना देता है तो इससे बैंकों को भारी -भरकम उनकी बकाया रकम मिल जाएगी जिससे उनकी बैलेंसशीट मजबूत हो जाएगी 12 बड़े दिवालिया (bankruptcy) की फाइलिंग में…
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khabaruttarakhandki · 4 years
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पूरा वेतन न देने पर प्राइवेट कंपनियों पर कार्रवाई न करे सरकार: सुप्रीम कोर्ट
Edited By Dil Prakash | नवभारत टाइम्स | Updated: 04 Jun 2020, 03:09:00 PM IST
फाइल फोटो
हाइलाइट्स
केंद्र ने मार्च में नोटिफिकेशन जारी कर सभी कंपनियों को पूरा वेतन देने को कहा था
कुछ कंपनियों ने सरकार के नोटिफिकेशन को दी थी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
याचिका पर कोर्ट को फैसला सुरक्षित, 12 जून को सुनाया जाएगा फैसला
कोर्ट ने सरकार से पूरा वेतन नहीं देने वाली कंपनियों पर कार्रवाई नहीं करने को कहा
राजेश चौधरी, नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लॉकडाउन के कारण अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं देने वाली किसी भी कंपनी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि कंपनियों को लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देना होगा। कुछ प्राइवेट कंपनियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है और कहा है कि वह 12 जून को फैसला देगी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोकभूषण, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की। केंद्र सरकार ने मार्च में नोटिफिकेशन जारी किया था और इसके तहत कहा गया था कि कोई भी प्राइवेट कंपनी लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों का वेतन नहीं काटेगी बल्कि पूरा वेतन देगी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया कि 29 मार्च का नोटिफिकेशन तात्कालीन प्रकृति का था और वह 54 दिनों के लिए था।
वर्करों को रोकना था नोटिफिकेशन का मकसद
केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि लाखों लोग पलायन कर रहे थे और सरकार चाहती थी कि इंडस्ट्रीज चलती रहे। नोटिफिकेशन का मकसद ही यही था कि वर्करों को जाने से रोका जाए और ये तभी संभव था जब उन्हें वेतनदिया जाएगा। नोटिफिकेशन मानवीय कारण से था ताकि लोगों को परेशानी न हो। लेकिन साथ ही कहा कि ये मामला कर्मचारियों और मालिक के बीच का था।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन तो कहता है कि 100 फीसदी सैलरी देनी होगी। लेकिन ये 50 फीसदी और 75 फीसदी भी हो सकता था। सवाल ये है कि क्या केंद्र सरकार के पास अधिकार है कि 100 फीसदी सैलरी का आदेश दे और ऐसा नहीं देने पर कार्रवाई कर सकें? जस्टिस कौल ने कहा कि सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करने के लिए इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट का इस्तेमाल नहीं किया। इसके तहत कर्मचारियों को काम नहीं होने पर 50 फीसदी तक मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन गृह मंत्रालय ने तो 100 फीसदी देने को कहा था? अटॉर्नी जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो भी किया था वह मानवीय पहलू को देखते हुए किया। जस्टिस भूषण ने कहा कि कंपनियों और कर्मचारियों के बीच 54 दिनों की सैलरी को तय करने के लिए बातचीत हो सकती है।
केंद्र ने नोटिफिकेशन को ठहराया सही
केंद्र सरकार ने 29 मार्च के नोटिफिकेशन को सही बताया और कहा कि पूरी सैलरी नहीं देने वाली कंपनियों को कोर्ट के सामने अपनी बैलेंसशीट पेश करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। जो नोटिफिकेशन जारी हुआ था वह प्रवासी और दिहाड़ी मजदूरों को आर्थिक परेशानी से बचाने के लिए था। जो भी सरकार काफैसला था वह डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत संविधान के दायरे में था। नोटिफिकेशन 54 दिनों के लिए था और उसकी अवधि समाप्त हो चुकी है।
सरकार के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था। कोर्ट में केरल स्टेट स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से अर्जी दाखिल की गई। अर्जी में कोर्ट से उन्हें प्रोटेक्ट करने की गुहार लगाई है। अदालत में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि सरकार का आदेश मनमाना, अतार्किक और भेदभावपूर्ण है। केंद्र सरकार की ओर से मार्च में नोटिफिकेशन जारी किया गया था।
प्राइवेट कंपनियों की दलील
याचिका में कहा गया है कि कोरोना के कारण अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। लगातार कोरोना के कारण राज्यों में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है। 25 मार्च से देश भर के तमाम संस्थान बंद हैं। सिर्फ जरूरी सेवाओं को छूट मिली हुई है बाकी तमाम दुकानें इंडस्ट्रीज, कंपनियां और ऑफिस आदि बंद पड़े हैं। छोटे और मझोले उद्योगों का हाल बुरा है और वे नीलामी के कगार पर पहुंच चुके हैं। ऐसी स्थिति में उन कंपनियों के लिए अपने सभी कर्मचारियों का वेतन देना संभव नहीं है।
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gokul2181 · 4 years
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Economy News In Hindi : Private equity Carlyle buys 20% stake in Piramal Pharma business, deals for Rs 3,700 crore | प्राइवेट इक्विटी कार्लाइल ने पिरामल फार्मा बिजनेस में खरीदी 20 प्रतिशत हिस्सेदारी, 3,700 करोड़ रुपए में हुआ सौदा
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Economy News In Hindi : Private equity Carlyle buys 20% stake in Piramal Pharma business, deals for Rs 3,700 crore | प्राइवेट इक्विटी कार्लाइल ने पिरामल फार्मा बिजनेस में खरीदी 20 प्रतिशत हिस्सेदारी, 3,700 करोड़ रुपए में हुआ सौदा
पिरामल इंटरप्राइजेज का मार्केट कैपिटलाइजेशन 30 हजार 280 करोड़ रुपए है
पिरामल कई सेक्टर में कार्यरत है जिसमें रियल इस्टेट, फार्मा आदि हैं
दैनिक भास्कर
Jun 27, 2020, 11:51 AM IST
मुंबई. अग्रणी प्राइवेट इक्विटी (पीई) कार्लाइल ने पिरामल फार्मा बिजनेस में 20 प्रतिशत इक्विटी खरीदने को मंजूरी दे दी है। कंपनी इसके लिए 3,700 करोड़ रुपए पिरामल को देगी। इस सौदे से कार्लाइल अपनी प्रतिद्ंवदी कंपनी केकेआर और टीए एसोसिएट्स के बराबर खड़ी हो गई है।
पिरामल फार्मा बिजनेस का वैल्यूएशन 20 हजार करोड़ रुपए 
कार्लाइल के इस सौदे के आधार पर पिरामल के फार्मा बिजनेस का कुल मूल्य 20 हजार करोड़ रुपए आंका जा रहा है। पिरामल इंटरप्राइजेज का मार्केट कैपिटलाइजेशन 30 हजार 280 करोड़ रुपए है। पिछले एक महीने में इस शेयर ने 48 प्रतिशत का रिटर्न निवेशकों को दिया है। हालांकि मार्च तिमाही में पिरामल इंटरप्राइजेज ने घाटा दिखाया था। कंपनी के वित्तीय वर्ष 2021 के प्रदर्शन के आधार पर देखें तो इसका कर्ज सहित कुल वैल्यूएशन 2.7 अरब डॉलर आ रहा है।
कार्लाइल फार्मा सेक्टर में खरीदती रही है हिस्सेदारी
अमेरिकी पीई कंपनी कार्लाइल के लिए भारत में यह दूसरा फार्मा सौदा है। इससे पहले उसने सीक्वेंट साइंटिफिक में हिस्सेदारी खरीदी थी। वैश्विक स्तर पर कार्लाइल के पास फार्मा सर्विस सेक्टर में मजबूत अनुभव है। कंपनी ने इससे पहले ग्लोबल कांट्रैक्ट रिसर्च डेवलपमेंट और मैन्यूफैक्चरिंग ऑर्गनाइजेशन एएमआर में भी निवेश किया है।
फार्मा में आकर्षक अवसर देख रहे हैं- एमडी
कार्लाइल के एशिया में एमडी नीरज भारद्वाज ने कहा कि वैश्विक फार्मा इंडस्ट्री के रुझान में हम आकर्षक अवसर देख रहे हैं। इसमें ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक ग्रोथ दोनों शामिल हैं। हम अपने ग्लोबल नेटवर्क के नॉलेज का लाभ उठाते हुए हेल्थकेयर सेक्टर में डील करते रहे हैं। हम आगे भी इस अनुभव का विस्तार करते रहेंगे। पिरामल इंटरप्राइजेज एक डाइवर्सिफाई कंपनी है और इसकी मौजूदगी फार्मा के साथ-साथ फाइनेंशियल सर्विसेस एवं हेल्थकेयर में है।
मार्च तिमाही में 1,703 करोड़ रुपए का घाटा
कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 46.6 प्रतिशत है। हालांकि ग्रुप का फाइनेंशियल सर्विसेस बिजनेस काफी दबाव में रहा है। पिछले एक साल में इसके शेयर ने 51 प्रतिशत का घाटा दिया है। पिरामल समूह की बैलेंसशीट कमजोर कॉर्पोरेट लेंडर्स को दिए गए लोन के कारण प्रभावित हुई है। पिरामल इंटरप्राइजेज को मार्च तिमाही में 1,703 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। इसने 1,500 करोड़ रुपए का प्रोविजन किया था। यह प्रोविजन कोरोना से संबंधित नुकसान को देखते हुए किया था।
पिरामल ने 2010 में एबॉट को फॉर्मूलेशन बिजनेस बेचा था 
कंपनी ने अपने घरेलू फॉर्मूलेशन बिजनेस को एबॉट को 17,000 करोड़ रुपए में 2010 में बेच दिया था। अरबों डॉलर का बिजनेस खड़ा करनेवाला पिरामल समूह इस तरह का डील करता रहा है। इसके कुल कारोबार में फार्मा बिजनेस का योगदान करीबन 41 प्रतिशत है। दो साल पहले की तुलना में इसमें 60 प्रतिशत की गिरावट आई है। कंपनी का फार्मा वर्टिकल 15 प्रतिशत सीएजीआर की दर से पिछले 9 साल में बढ़ा है। 2020 में इसकी बिक्री 5,419 करोड़ रुपए रही है।
पिरामल ने श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस में बेची थी 2,300 करोड़ में हिस्सेदारी
कंपनी फार्मा के कई सेक्टर के साथ-साथ रियल इस्टेट, फाइनेंशियल सर्विसेस आदि में शामिल है। कंपनी ने इससे पहले श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस में अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी 2,300 करोड़ रुपए में बेची थी। इसी तरह जनवरी में कनाडियन पेंशन फंड ने 1,750 करोड़ रुपए का निवेश प्रफरेंशियल अलॉटमेंट के जरिए किया था। इसके अलावा राइट्स इश्यू में इसी फंड ने 3,650 करोड़ रुपए का निवेश किया था। 
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ankitasagaruniverse · 4 years
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देश इन दिनों भारी समस्या से जूझ रहा है एक ओर कोरोना का प्रकोप और दूसरी ओर यस बैंक का संकट लोगों पर कहर बनकर टूटा है। आर्थिक संकट से जूझ रहे यस बैंक पर एनपीए और बैलेंसशीट में गड़बड़ी के आरोप लगने के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सख्ती बरती है। जिसमें आरबीआई ने कार्रवाई करते हुए सबसे पहले यस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को हटाया। तो वहीं अब आरबीआई ने यस बैंक पर बड़ी कार्रवाई करते हुए यस बैंक के ग्राहकों के लिए 50 हजार रुपये निकालने की सीमा तय कर दी है। जिसका सीधा सा मतलब है कि अब ग्राहक अपने सेविंग्स, करंट और अन्य अकाउंट खाते से एक महीने में सिर्फ 50 हजार रुपये ही निकाल सकेंगे।
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