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निम्न रक्त शर्करा: रक्त शर्करा को बढ़ावा देने के लिए सड़क पर स्नैकिंग विकल्प
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मधुमेह नाश्ता: कई मधुमेह रोगी जो प्रिस्क्रिप्शन दवाएं लेते हैं, जैसे कि सल्फोनील्यूरिया और इंसुलिन, निम्न रक्त शर्करा या हाइपोग्लाइसीमिया के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे भोजन छोड़ना, अत्यधिक गतिविधि में शामिल होना, अत्यधिक इंसुलिन का उपयोग करना, या शराब पीना, विशेष रूप से खाली पेट। यहां हमारे पास मधुमेह के अनुकूल खाद्य पदार्थों के साथ कुछ देसी व्यंजनों की एक सूची…
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क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मदद करता है?- Paleo Diet For Weight Loss in Hindi
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क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मदद करता है?- Paleo Diet For Weight Loss in Hindi
क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मदद करता है?- Paleo Diet For Weight Loss in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 December 16, 2019
बढ़ता वजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, कुछ लोग योग, व्यायाम और अन्य तरीकों के साथ-साथ कई तरह की डाइट प्लान ( Keto, Intermittent Fasting etc) का भी सहारा लेते हैं। इन्हीं में से एक है पैलियो डाइट। हो सकता है कि इस डाइट प्लान का नाम आपके लिए नया हो। इसलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख से हम पैलियो डाइट क्या है व पैलियो डाइट के फायदे के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश करेंगे। इतना ही नहीं अगर पैलियो डाइट के नुकसान हैं, तो हम उसके बारे में भी आपको बताएंगे। अगर मन में यह सवाल चल रहा है कि क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मदद कर सकती है, तो इस लेख को जरूर पढ़ें।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि पैलियो डाइट क्या है।
विषय सूची
पैलियो डाइट प्लान क्या है? – What Is A Paleo Diet In Hindi
पैलियो एक खास प्रकार का डाइट प्लान है, जिसे केवमैन या स्टोन-एज डाइट भी कहा जाता है। इसमें फल, सब्जी, लीन मीट, मछली, अंडा व नट्स आदि को शामिल किया जाता है (1) (2)। वहीं, इसमें अनाज, डेयरी उत्पाद, नमक, प्रोसेस्ड फैट और चीनी जैसे खाद्य पदार्थों से दूरी बनाने के लिए कहा जाता है (3)।
लेख के आगे के भाग में हम पैलियो डाइट प्लान के फायदे के बारे में जानकारी देने की कोशिश करेंगे। इसके बाद आपको पैलियो डाइट चार्ट और वजन कम करने में पैलियो डाइट प्लान के फायदे के बारे में बताया जाएगा।
पैलिया डाइट प्लान के फायदे – Paleo Diet Plan Benefits In Hindi
नीचे हम पैलियो डाइट के फायदे के बारे में बता रहे हैं। यहां हम स्पष्ट कर दें कि इस डाइट के फायदे बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (4):
हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) कम हो सकता है।
कैंसर का जोखिम कम हो सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है।
कील-मुंहासों से बचाव।
मायोपिया (myopia) एक तरह की नेत्र संबंधी समस्या से बचाव कर सकता है।
पैलियो डाइट के फायदे जानने के बाद कई लोग इसके मील प्लान के बारे में जानना चाहते होंगे। इसलिए, लेख के आगे के भाग में जानिए पैलियो डाइट का मील प्लान क्या हो सकता है।
पैलियो डाइट में सात दिन का मील प्लान – Sample 7 Days Paleo Diet Plan In Hindi
नीचे हम पैलियो डाइट की एक सूची साझा कर रहे हैं। ध्यान रहे कि यह सूची एक नमूने के तौर पर दी जा रही है। इसमें बताए गए खाद्य पदार्थ और उसकी मात्रा में व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य, जरूरत और पसंद के अनुसार बदलाव किया जा सकता है। इसके लिए आप एक बार किसी आहार विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
दिन क्या खाएं सोमवार नाश्ता – एक या दो अंडे, ऑलिव ऑयल में हल्की तली हुई सब्जियां, कोई भी एक फल और पांच भीगे बादाम।
दोपहर का खाना – मुट्ठी भर नट्स के साथ चिकन सलाद।
रात का खाना – हल्की तली सब्जियों के साथ उबली हुई या ग्रिल्ड मछली।
मंगलवार नाश्ता- बहुत सारी सब्जियों के साथ अंडे की भुर्जी।
दोपहर का खाना –  फिश सलाद/चिकन सलाद।
रात का खाना – भुना हुआ चिकन और सब्जियों के साथ घर का बना मशरूम सूप।
बुधवार नाश्ता – एक या दो अंडे का ऑमलेट, 1 कटोरी तरबूज और आधा चम्मच अलसी के बीज।
दोपहर का खाना – हरे बीन्स के सलाद के साथ ग्रिल्ड चिकन।
रात का खाना – 1 कटोरी गोभी के सूप के साथ बेक्ड मछली।
गुरुवार नाश्ता – एक या दो बेक्ड अंडे और ब्रोकली।
दोपहर का खाना – मछली एवोकैडो लेट्यूस रैप।
रात का खाना – तला हुआ मीट और सब्जियां।
शुक्रवार नाश्ता: शिमला मिर्च के साथ अंडे की ऑमलेट।
दोपहर का खाना – मसालेदार काली मिर्च में भुना हुआ चिकन।
रात का खाना –  चिकन चेट्टीनाड (दक्षिण भारतीय व्यंजन) साथ में हल्की तली सब्जियां।
शनिवार नाश्ता – शकरकंद के साथ अंडे की भुर्जी।
दोपहर का खाना – सिट्रस और हर्ब चिकन।
रात का खाना – नींबू और थाइम के साथ बेक्ड मछली।
रविवार नाश्ता – टमाटर और प्याज के साथ उबला हुआ अंडा
दोपहर का खाना – भुने हुए टमाटर के साथ चिकन
रात का खाना – ग्रिल्ड मछली या चिकन के साथ हरी सब्जियों का सलाद।
आगे जानिए पैलियो डाइट में क्या-क्या खाद्य पदार्थ खाए जा सकते हैं।
पैलियो डाइट में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ – Foods to Eat on the Paleo Diet In Hindi
अगर कोई ऊपर दिए गए चार्ट को फॉलो नहीं कर सकता, तो कम से कम इन खाद्य पदार्थों को तो अपनी पैलियो डाइट में जरूर शामिल किया जाना चाहिए (5)।
अंडा
लीन मीट जैसे – चिकन
नट्स
हरी सब्जियां
फल
मछली
जैतून का तेल
नारियल का तेल
अब बारी आती है जानने की कि पैलियो डाइट में क्या न खाएं।
पैलियो डाइट में इन खाद्य पदार्थों को खाने से बचें – Foods to Avoid on the Paleo Diet In Hindi
नीचे जानिए पैलियो डाइट में किन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए (5)।
साबुत अनाज (Whole Grains)
अनाज (Cereals)
शुगर
डेयरी उत्पाद
सफेद आलू
फलियां (मूंगफली, सेम, मसूर)
अल्कोहल
कॉफी
नमक
कैनोला जैसे रिफाइंड वनस्पति तेल
क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मददगार है या नहीं?
अब बात करते हैं कि यह डाइट प्लान किस प्रकार वजन को कम कर सकता है। इसी संबंध में वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की है। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने रजोनिवृत्ति के बाद (Post Menopausal) मोटापे से ग्रस्त 70 महिलाओं को शामिल किया। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित इस रिसर्च के अनुसार, इन महिलाओं को दो तरह की डाइट पर रखा गया, जिनमें से एक पैलियो डाइट थी। शोध में पैलियो डाइट का पालन करने वाली महिलाओं में काफी मात्रा में फैट कम होता हुआ पाया गया। दूसरी डाइट की तुलना में पैलियो डाइट करने वाली महिलाओं में ट्राइग्लिसराइड (Triglyceride-एक प्रकार का फैट) का स्तर काफी कम हुआ (1) (2)। यह अभी शुरुआती रिसर्च है। इस संबंध में और शोध किया जाना बाकी है।
अगर ऊपर बताए गए शोध को देखा जाए, तो पैलियो डाइट से कुछ हद तक वजन कम हो सकता है, लेकिन यह व्यक्ति के स्वास्थ्य और वजन पर निर्भर करता है। हर किसी की शारीरिक स्थिति एक जैसी नहीं होती है। ऐसे में यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि पैलियो डाइट सभी के लिए कारगर है या नहीं। हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि पैलियो डाइट से वजन पूरी तरह कम हो या न हो, लेकिन कुछ बीमारियों का जोखिम जरूर कम हो सकता है।
लेख के आगे के भाग में जानिए पैलियो डाइट के नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं।
पैलियो डाइट प्लान के नुकसान – Paleo Diet Plan Side Effect In Hindi
हर चीज का फायदा और नुकसान दोनों होते हैं। वैसे ही अगर पैलियो डाइट के फायदे हैं, तो उसके कुछ नुकसान भी हैं। उन्हीं के बारे में हम लेख के इस भाग में जानकारी दे रहे हैं (5)।
पैलियो डाइट प्लान में कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी होता है। यह डाइट ताजे खाद्य पदार्थों पर निर्भर करती है। ऐसे में इस व्यस्त जीवनशैली में भोजन को तैयार करने और पकाने के लिए वक्त निकालना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
इस डाइट में साबुत अनाज और डेयरी उत्पादों का सेवन नहीं किया जाता है। ऐसे में यह डाइट पोषक तत्व जैसे – कैल्शियम, विटामिन-बी व डी की कमी का कारण बन सकता है। इस स्थिति में जरूरी है कि कुछ नॉन डेयरी प्रोडक्ट का सेवन किया जाए, जिससे शरीर को कैल्शियम मिले। इसके अलावा, साबुत अनाज का सेवन न करने से फाइबर जैसे लाभकारी पोषक तत्व की कमी भी हो सक��ी है, जिससे मधुमेह और हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है।
साथ ही इसमें मौजूद किसी विशेष खाद्य पदार्थ का सेवन अगर व्यक्ति पहली बार कर रहा है, तो उसे फूड एलर्जी जैसी समस्या भी हो सकती है।
उम्मीद करते हैं कि इस लेख के जरिए पैलियो डाइट से संबंधित जानकारी से कई लोगों को इसके बारे में थोड़ा-बहुत अंदाजा हो गया होगा। पैलियो डाइट प्लान के फायदे जानने के बाद इसे कई लोग अपनाने का सोच रहे होंगे। इसे फॉलो करने में कोई बुराई नहीं है। अगर सही तरीके से इस डाइट का पालन किया जाए, तो पैलियो डाइट के फायदे जरूर दिखेंगे। फिर भी बेहतर है कि एक बार डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय जरूर ली जाए। अंत में अगर पैलियो डाइट से संबंधित कोई भी सवाल या सुझाव आपके पास हो, तो आप उसे हमारे साथ साझा कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या चावल पैलियो आहार का हिस्सा है?
नहीं, पैलियो फूड लिस्ट में चावल नहीं है, क्योंकि यह एक अनाज है। हालांकि, कई पैलियो डाइटर्स कभी-कभी चावल खाते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इसे आदत न बनाएं। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति पैलिओ डाइट की शुरुआत कर रहा है, तो बेहतर है की वो चावल का सेवन न करें। अधिक जानकारी के लिए आहार विशेषज्ञ से सलाह ली जा सकती है।
क्या पैलियो डाइट में चीज़ का सेवन किया जा सकता है ?
पैलियो डाइट में डेयरी प्रोडक्ट के सेवन से बचना चाहिए। इसलिए, बेहतर है कि चीज़ को डाइट में शामिल न करें। इसके अलावा और बेहतर जानकारी के लिए आहार विशेषज्ञ से भी राय जरूर लें (5)।
पैलियो डाइट में वजन कितनी तेजी से कम हो सकता है ?
डाइट के पहले सप्ताह में शरीर में पानी का वजन कम हो सकता है। इसलिए, पहले हफ्ते में बहुत अधिक वजन कम करने की संभावना हो सकती है। वहीं, दूसरे हफ्ते में शरीर से फैट कम हो सकता है, जो पैलियो डाइट का मुख्य लक्ष्य होता है। हालांकि, वजन कितनी तेजी से कम हो सकता है, यह व्यक्ति के शुरुआती वजन और डाइट को फॉलो करने पर निर्भर है। डाइट को सही तरीके से फॉलो करने से परिणाम धीरे-धीरे दिख सकते हैं।
क्या शाकाहारी व्यक्ति पैलियो डाइट कर सकता है?
हां, शाकाहारी व्यक्ति भी पैलियो डाइट कर सकता है।
क्या पैलियो डाइट में कॉर्न टॉर्टिला (Corn Tortillas) का सेवन किया जा सकता है?
नहीं, जब आप पैलियो डाइट पर हों, तो कॉर्न टॉर्टिला (Corn Tortilla) खाने से बचें, क्योंकि यह अनाज होता है और पैलियो डाइट में अनाज का सेवन करना मना है (6)।
पैलियो डाइट में कौन से स्नैक्स खा सकते हैं?
पैलियो डाइट में खाए जाने वाले स्नैक्स कुछ इस प्रकार हैं –
खीरा
गाजर
मटर और अन्य सब्जियों की सलाद
फलों की सलाद
पिस्ता
क्या पैलियो डाइट के दौरान कुछ पी सकते हैं?
पैलियो डाइट के दौरान नीचे बताए गए पेय-पदार्थों का सेवन कर सकते हैं –
भरपूर मात्रा में पानी
ग्रीन टी
फलों का जूस
सूप
यह व्यक्ति की डाइट और शरीर पर निर्भर करता है, इसलिए इस बारे में एक बार डॉक्टर से सलाह लेना अच्छा हो सकता है।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/kya-paleo-diet-weight-loss-me-madad-karta-hai-in-hindi/
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mwsnewshindi · 2 years
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EXCLUSIVE: दिवाली 2022 फूड गाइड - इन मिठाइयों और स्नैक्स के साथ ब्लड शुगर और वजन को नियंत्रित करें
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कसावा के फायदे, उपयोग और नुकसान – Cassava Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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कसावा के फायदे, उपयोग और नुकसान – Cassava Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
कसावा के फायदे, उपयोग और नुकसान – Cassava Benefits, Uses and Side Effects in Hindi Ankit Rastogi Hyderabd040-395603080 November 11, 2019
खाने में हम कई तरह के खाद्य पदार्थों को शामिल करते हैं, जो हमारे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। इन्हीं खाद्य पदार्थों में कसावा का नाम भी शामिल है। अगर आप कसावा से परिचित नहीं हैं, तो यह लेख इसे जानने में आपकी मदद करेगा। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको कसावा के उपयोग, गुण और फायदों के बारे में विस्तार से बताएंगे। लेख में बताई गई समस्याओं से कसावा कुछ हद तक राहत तो दिला सकता है, लेकिन यह सटीक उपचार नहीं हो सकता। हां, यह डॉक्टरी इलाज के प्रभाव को बढ़ाने में मदद जरूर कर सकता है। साथ ही कसावा आपके लिए फायदेमंद है या नहीं, इस बारे में एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
कसावा के गुण और फायदे जानने से पहले कसावा क्या है, आइए थोड़ा इस बारे में जान लेते हैं।
विषय सूची
कसावा क्या है – What is Cassava in Hindi
कसावा एक झाड़ीनुमा पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम मनिहॉट एस्‍कुलेंटा (Manihot esculenta) है। यह कम पानी में भी तेजी से बढ़ता है। सामान्य तौर पर यह गर्म स्थानों में पाया जाता है, जहां पानी की कमी होती है। खाने के लिए इसकी जड़ का इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है कि इसकी जड़ कसावा के नाम से अधिक प्रचलित है। इसकी जड़ काफी हद तक शकरकंद जैसी नजर आती है। अमूमन, हर घर में इस्तेमाल किया जाने वाला साबूदाना कसावा के पाउडर से ही तैयार किया जाता है। खाने के लिए इसे कई प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है, जिसके बारे में हम आपको लेख में आगे बताएंगे।
लेख के अगले भाग में अब हम कसावा के फायदे के बारे में जानेंगे।
कसावा के फायदे – Benefits of Cassava in Hindi
1. भूख कम करने में सहायक
अगर मोटापे की समस्या से परेशान कोई व्यक्ति वजन घटाने की कोशिश कर रहा है, तो उसके लिए कसावा फायदेमंद साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसमें कुछ ऐसे तत्व मौजूद होते हैं, जो भूख के एहसास को कम करने में मदद करते हैं। इससे खाने की इच्छा पर नियंत्रण लगता है और वजन घटाने में सहायता मिलती है (1)। इस कारण यह कहा जा सकता है कि कसावा के गुण मोटापे की समस्या से छुटकारा दिलाने में सहायक साबित हो सकते हैं।
2. एंटी-न्यूट्रिएंट्स से युक्त
कसावा में फाइटेट और टैनिन नाम के एंटी-न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। इनकी मौजूदगी कसावा के विषैले पदार्थों को कम कर इसे सेहत के लिए फायदेमंद बनाती है (2)। वहीं, एक अन्य शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि ये एंटी-न्यूट्रिएंट्स नपुंसकता, बांझपन, ब्लड ग्लूकोज, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को नियंत्रित करने के साथ कैंसर के जोखिमों कम करने में भी सहायता करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं (3)।
3. पाचन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
कसावा की जड़ के साथ-साथ इसके पत्तों को भी पाचन क्रिया के लिए सहायक माना जा सकता है। दरअसल, कसावा के गुण पाचन से संबंधित माइक्रोब्स (जीवाणु) की सक्रियता को बढ़ाने में मदद करते हैं। साथ ही यह पाचन के साथ-साथ संपूर्ण शरीर की उपापचय प्रक्रिया को भी प्रभावित करते हैं (4)। इस कारण यह माना जा सकता है कि कसावा पाचन शक्ति को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।
कसावा के फायदे जानने के बाद आगे लेख में हम इसके पौष्टिक तत्वों के बारे में बात करेंगे।
कसावा के पौष्टिक तत्व – Cassava Nutritional Value in Hindi
नीचे दिए गए चार्ट के माध्यम से आप कसावा के पौष्टिक तत्वों के बारे में विस्तार से जान सकते हैं (5)।
पोषक तत्व यूनिट मात्रा प्रति 100 ग्राम पानी g 59.68 एनर्जी Kcal 160 प्रोटीन g 1.36 टोटल लिपिड (फैट) g 0.28 कार्बोहाइड्रेट g 38.6 फाइबर (टोटल डाइटरी) g 1.8 शुगर g 1.7 मिनरल कैल्शियम mg 16 आयरन mg 0.27 मैग्नीशियम mg 21 फास्फोरस mg 27 पोटैशियम mg 271 सोडियम mg 14 जिंक mg 0.34 कॉपर mg 0.1 मैंगनीज mg 0.384 सेलेनियम µg 0.7 विटामिन विटामिन सी mg 20.6 थियामिन mg 0.087 राइबोफ्लेविन mg 0.048 नियासिन mg 0.854 विटामिन बी-6 mg 0.088 फोलेट (डीएफई) µg 27 विटामिन ए (आरएई) µg 1 विटामिन ए (आईयू) IU 13 विटामिन ई (अल्फा टोकोफेरॉल) mg 0.19 विटामिन के µg 1.9 लिपिड फैटी एसिड (सैचुरेटेड) g 0.074 फैटी एसिड (मोनोअनसैचुरेटेड) g 0.075 फैटी एसिड (पॉलीसैचुरेटेड) g 0.048
 पौष्टिक तत्वों के बाद अब हम लेख के अगले भाग में कसावा के उपयोग के बारे में आपको बताएंगे।
कसावा का उपयोग – How to Use Cassava in Hindi
कसावा की जड़ आलू की तरह ही एक कंद (जमीन के अंदर बढ़ने वाली जड़ या तना) है। इसलिए, कसावा के उपयोग के तरीके कई हैं। आइए, इसके उपयोग के कुछ तरीकों को जानते हैं।
आप इसके चिप्स को नारियल के तेल में फ्राई करके स्नैक्स के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
कसावा से ही साबूदाना बनाया जाता है, तो आप इसका सेवन खीर या खिचड़ी बनाकर कर सकते हैं।
वहीं, आप ��ाहें तो इसे मसलकर इसका हलवा बनाकर भी उपयोग में ला सकते हैं।
इसे आलू की तरह उबालकर कई प्रकार के व्यंजन भी तैयार किए जा सकते हैं।
मात्रा- कसावा की ली जाने वाली मात्रा की बात करें, तो करीब एक तिहाई कप तक दिन में दो बार तक सेवन किया जा सकता है (6)। बेहतर य��ी होगा कि आप अपने डॉक्टर से पूछ लें कि आपके लिए कसावा की कितनी मात्रा का सेवन करना फायदेमंद रहेगा।
उपयोग के बाद अब हम कसावा के नुकसान के बारे में भी जान लेते हैं।
कसावा के नुकसान – Side Effects of Cassava in Hindi
कसावा के गुण तो अपने जान ही लिए हैं, लेकिन साथ ही साथ कसावा के नुकसान भी हैं, जिनके बारे में पता होना जरूरी है। यही कारण है कि सेवन के लिए ली जाने वाली इसकी मात्रा को लेकर अधिक सावधान रहने की आवश्यकता होती है।
1. बच्चों के पैरों में लकवे की शिकायत
कसावा की कड़वी जड़ में कुछ विषैले पदार्थ मौजूद होते हैं। इस कारण इसके उपयोग से बच्चों में अमूमन पैरों में लकवे की शिकायत देखी जा सकती हैं। इसलिए, ध्यान रखें कि स्वाद में कड़वी जड़ का उपयोग न करें। वहीं, एक शोध में यह पाया गया है कि कसावा की जड़ को भिगोकर रखने से इसमें मौजूद विषैले तत्वों को काफी हद तक कम किया जा सकता है (7)।
2. आयोडीन का स्तर होता है कम
 विशेषज्ञों के मुताबिक, कसावा में गोइट्रोजेनिक (थायराइड हार्मोन को बढ़ाने वाला) प्रभाव पाया जाता है, जिसके कारण शरीर में आयोडीन की मात्रा कम हो सकती है। इस कारण यह कहा जा सकता है कि इसका अधिक सेवन आयोडीन की कमी का एक कारण बन सकता है (8)।
3. घेंघा रोग की समस्या
जैसा कि आयोडीन वाले पॉइंट में बताया गया है कि कसावा में गोइट्रोजेनिक (थायराइड हार्मोन को बढ़ाने वाला) प्रभाव पाया जाता है और इसके अधिक सेवन से आयोडीन की कमी हो सकती है (8)। वहीं, शरीर में आयोडीन की कमी होने से घेंघा रोग हो सकता है (9)।
4. आंखों की रोशनी करता है कम
कसावा की जड़ में घातक और विषैला पदार्थ सायनाइड पाया जाता है। यही कारण है कि इसका अधिक मात्रा में सेवन आंखों में जलन व अन्य परेशानियों का कारण बन सकता है (10)। साथ ही यह देखने की क्षमता को भी कमजोर कर सकता है। इसलिए, इसकी ली जाने वाली संतुलित मात्रा का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
5. शारीरिक कमजोरी
 जैसा कि आप जान चुके हैं कि कसावा की जड़ में सायनाइड पाया जाता है। यह विषैला तत्व कई शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है, जिसमें शारीरिक कमजोरी भी शामिल है। इस कारण यह माना जाता है कि इसका अधिक मात्रा में सेवन आपको शारीरिक रूप से कमजोर कर सकता है (10)।
6. तंत्रिका संबंधी विकार
 कसावा की जड़ में सायनाइड (एक विषैला तत्व) होने के कारण यह तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है और उससे जुड़ी कार्यप्रणाली में अवरोध का कारण बन सकता है। इसलिए, इसके अधिक सेवन के प्रति आपको हमेशा सजग रहना चाहिए (10)।
7. कैंसर का खतरा
कसावा की जड़ में आर्सेनिक और कैडमियम जैसे विषैले तत्व भी पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं के साथ कैंसर का भी कारण बन सकते हैं (11)।
अब तो आप कसावा के उपयोग, गुण और फायदों के बारे में भी अच्छी तरह जान गए होंगे। साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि कसावा में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। ऐसे में अगर आप इसके उपयोग के बारे में विचार कर रहे हैं, तो कसावा के नुकसान को भी अच्छी तरह से जान लेना आपके लिए बेहतर होगा। इसकी अधिक मात्रा फायदों के बदले दुष्प्रभाव का कारण बन सकती है। इसलिए, हमारी सलाह यही है कि पहले आप लेख में इससे संबंधित सभी जरूरी बातों को एक बार अच्छे से पढ़ लें। बाद में इसे प्रयोग में लाएं। इस संबंध में अगर आपके मन में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से उसे आप हम तक पहुंचा सकते हैं।
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Ankit Rastogi
अंकित रस्तोगी ने साल 2013 में हिसार यूनिवर्सिटी, हरियाणा से एमए मास कॉम की डिग्री हासिल की है। वहीं, इन्होंने अपने स्नातक के पहले वर्ष में कदम रखते ही टीवी और प्रिंट मीडिया का अनुभव लेना शुरू कर दिया था। वहीं, प्रोफेसनल तौर पर इन्हें इस फील्ड में करीब 6 सालों का अनुभव है। प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में इन्होंने संपादन का काम किया है। कई डिजिटल वेबसाइट पर इनके राजनीतिक, स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल से संबंधित कई लेख प्रकाशित हुए हैं। इनकी मुख्य रुचि फीचर लेखन में है। इन्हें गीत सुनने और गाने के साथ-साथ कई तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने का शौक भी हैं।
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स्किन टाइट करने के आसान घरेलू उपाय – Home Remedies For Skin Tightening in Hindi
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फूल गोभी के 15 फायदे, उपयोग और नुकसान – Cauliflower (Phool Gobhi) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
दुनिया भर में अपने स्वाद के लिए मशहूर फूल गोभी (Phool Gobhi) का उपयोग सब्जी बनाने से लेकर, पराठे और पकौड़े बनाने तक में होता है। इसके अलावा भी कई ऐसे व्यंजन हैं
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साबूदाना के 10 फायदे और नुकसान – Sago (Sabudana) Benefits and Side Effects in Hindi
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साबूदाना के 10 फायदे और नुकसान – Sago (Sabudana) Benefits and Side Effects in Hindi
साबूदाना के 10 फायदे और नुकसान – Sago (Sabudana) Benefits and Side Effects in Hindi Saral Jain Hyderabd040-395603080 October 15, 2019
साबूदाने का नाम सुनते ही दिमाग में सफेद रंग के बीज या मोती जैसे खाद्य पदार्थ की तस्वीर उभरकर आती है। अकसर व्रत और उपवास में सामान्य भोजन को त्याग दिया जाता है और इसके स्थान पर साबूदाने के पकवानों का सेवन किया जाता है। व्रत के अलावा भी साबूदाने का उपयोग कई व्यंजनों में किया जाता है। साबूदाने की खीर और खिचड़ी के बारे में तो सभी वाकिफ ही होंगे। क्या आपको मालूम है कि पकवानों और व्यंजनों के रूप में खाया जाने वाला साबूदाना आपकी सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। स्टाइक्रेज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे साबूदाने के बारे में। साथ ही यह भी जानेंगे कि साबूदाने के फायदे, उपयोग और नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं।
सबसे पहले हम साबूदाने के बारे में जान लेते हैं।
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साबूदाना क्‍या है? – What is Tapioca in Hindi
साबूदाना सफेद मोतियों जैसा खाने योग्य पदार्थ होता है। इसे शकरकंद जैसे दिखाई देने वाले और मिट्टी के अंदर उगने वाले कसावा की जड़ से निकाले जाने वाले स्टार्च से बनाया जाता है। पहले तो यह तरल के रूप में होता है। फिर इसे मशीनों की सहायता से ठोस मोतियों जैसा छोटे-छोटे दानों का रूप दिया जाता है। ये दाने बाजार में किराने की दुकानों पर दो प्रकार से उपलब्ध होते हैं, बड़े दाने और छोटे दाने। इसके अलावा, इसके आटे को भी बेचा जाता है। इसका उपयोग स्वाद के साथ ही सेहत के लिए भी बड़ी मात्रा में किया जाता है (1)।
आगे हम सेहत के लिए साबूदाना के फायदे के बारे में बात कर रहे हैं।
साबूदाना के फायदे – Benefits of Tapioca (Sabudana) in Hindi
साबूदाने का सेवन स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि स्वास्थ्य के लिए साबूदाने के क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।
1. वजन बढ़ाने के लिए साबूदाने के फायदे
अगर आप दुबलेपन का शिकार हैं और वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो साबूदाने का सेवन आपकी इस समस्या को दूर कर सकता है। साबूदाने के सेवन से वजन को बढ़ाया जा सकता है। साबूदाने में अच्छी मात्रा में कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है (2)। कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट दोनों का सेवन करने से वजन बढ़ सकता है, क्योंकि ये दोनों ही शरीर में ऊर्जा को अवशोषित कर फैट को बढ़ने में मदद करते हैं (3) (4)।
2. गर्मी से बचाव में साबूदाने का उपयोग
व्यायाम के दौरान हमारा शरीर अतिरिक्त ऊर्जा के रूप में ग्लाइकोजन (चर्बी) का उपयोग करता है। इससे हमारे शरीर में गर्मी बढ़ने लगती है। ऐसे में साबूदाने का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें पाया जाने वाला कार्बोहइड्रेट शरीर के मेटाबॉलिज्म स्तर को संतुलित करता है और ग्लूकोज के रूप में ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे ग्लाइकोजन की कम खपत होती है। इससे गर्मी को कम करने में मदद मिलती है। कई बार साबूदाने से बने खाद्य पदार्थों का उपयोग कर खेल के दौरान खिलाड़ियों की बड़ी हुई गर्मी को कम करके ऊर्जा को बढ़ाया जा सकता है (5)।
3. हड्डियों के लिए साबूदाने खाने के फायदे
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अगर आपकी हड्डियां कमजोर हैं, तो साबूदाना आपकी हड्डियों को मजबूत करने में फायदेमंद साबित हो सकता है। साबूदाने में कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है (2)। जहां एक तरफ कैल्शियम आपकी हड्डियों के विकास के साथ ही उन्हें मजबूती प्रदान करता है (6), वहीं आयरन ऑस्टियोपोरोसिस जैसे हड्डियों के विकार को दूर करता है (7)। साथ ही मैग्नीशियम हड्डियों को टूटने से बचाने और कई समस्याओं से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करता है (8)।
4. ऊर्जा के लिए साबूदाने के फायदे
क्या आप काम करते-करते जल्दी थक जाते हैं और आपको शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है। अगर ऐसा है, तो आपको साबूदाने के सेवन की जरूरत है। साबूदाना न सिर्फ आपको ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि यह आपको ज्यादा देर तक काम करने की ताकत भी देता है। इसमें ऊर्जा, कैलोरी और प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है (2)। जहां कैलोरी अपने आप टूटकर ऊर्जा में बदल जाती है, वहीं प्रोटीन मसल्स को मजबूती प्रदान करता है और थकान होने से रोकता है। इससे आप बिना थके ज्यादा देर तक काम कर सकते हैं (9)। इसके अलावा, इसमें पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट भी दैनिक ऊर्जा का अच्छा स्रोत होता है। इसकी वजह से आपके शरीर को ज्यादा देर तक काम करने में मदद मिलती है (10)।
5. उच्च रक्तचाप में साबूदाने के फायदे
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उच्च रक्तचाप की समस्या काे दूर करने में भी साबूदाना लाभदायक हो सकता है। इसमें पाया जाने वाला फाइबर, पोटैशियम और फास्फोरस आपके बढ़ते हुए रक्तचाप को कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकता है (2)। जहां फाइबर प्लाज्मा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है (11), वहीं फास्फोरस निम्न रक्तचाप का कारण होता है, लेकिन उच्च रक्तचाप की स्थिति में इसे लेना लाभदायक साबित हो सकता है (12)। इसके अलावा, साबूदाने में मौजूद पोटैशियम हृदय रोगों की समस्या के साथ-साथ उच्च रक्तचाप की समस्या को भी दूर करने में आपकी मदद कर सकता है (13)।
6. एनीमिया के लिए साबूदाने खाने के फायदे
हमेशा थकान, कमजोरी और सीने में दर्द महसूस करना एनीमिया का लक्षण हो सकता है। शरीर में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं की कमी और कमजोरी के साथ ही आयरन की कमी के कारण आपको एनीमिया हो सकता है। इस समस्या को दूर करने के लिए साबूदाना आपके लिए एक बेहतर आहार हो सकता है। साबूदाने में आयरन की मात्रा पाई जाती है (2)। आयरन फेफड़ों से ऑक्सीजन को पूरे शरीर तक पहुंचाने में मदद करता है। इससे एनीमिया और इससे होने वाली परेशानी को दूर किया जा सकता है (14)।
7. मस्तिष्क के लिए साबूदाने के फायदे
साबूदाना सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद है। इसमें मस्तिष्क की कई परेशानियों को दूर करने के गुण होते हैं। इसमें फोलेट की मात्रा पाई जाती है (2)। फोलेट हर उम्र के लोगों के स्वस्थ दिमाग के लिए फायदेमंद होता है। यह मस्तिष्क के विकार के साथ ही कई बीमारियों को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। यह मस्तिष्क के विकास में भी योगदान देता है (15)।
8. रक्त संचार के लिए साबूदाना का उपयोग
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बेहतर रक्त संचार के लिए साबूदाने का सेवन आपके लिए कारगर हो सकता है। इसमें पाया जाने वाला फोलेट आपकी रक्त संचार प्रणाली को सुदृढ़ करने में सक्षम होता है (2)। इसमें पाया जाने वाला फोलेट मतबल फोलिक एसिड रक्त वाहिकाओं को आराम देने के साथ ही धमनियों में हो रहे रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में आपकी मदद कर हृदय संबंधी कई जोखिम को कम करता है (16)।
9. पाचन के लिए साबूदाने खाने के फायदे
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अगर आपको पाचन तंत्र से जुड़ी कोई समस्या हो, तो आप साबूदाने पर भरोसा कर सकते हैं। साबूदाने में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है, जाे पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली को बेहतर करने में आपकी मदद कर सकता है (2)। फाइबर आपके मल को चिकना बनाता है और कब्ज जैसी पेट की परेशानियों से बचाता है (17)।
10. त्वचा के लिए साबूदाने के फायदे
जब हम सम्पूर्ण स्वास्थ्य की बात कर रहे हैं, तो त्वचा को नजरअंदाज कैसे कर सकते हैं। साबूदाना आपकी त्वचा के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। इसमें जिंक, कॉपर और सेलेनियम की मात्रा पाई जाती है (2)। ये तीनों ही त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। जिंक सूरज की हानिकारक परा बैंगनी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है। वहीं, कॉपर में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को फ्री-रेडिकल्स से बचाते हैं। इसके अलावा, सेलेनियम में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से त्वचा की रक्षा करते हैं। ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के कारण स्किन कैंसर होने की आशंका रहती है (18)।
साबूदाना के फायदों को जानने के बाद यहां हम आपको बता रहे हैं इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में।
साबूदाना के पौष्टिक तत्व – Tapioca Nutritional Value in Hindi
साबूदाने से होने वाले फायदों के पीछे अहम कारण इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व हैं। यहां हम जानेंगे कि साबूदाने में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं (2)।
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम पानी 10.99 ग्राम कैलोरी 358 kcal प्रोटीन 0.19 ग्राम फैट 0.02 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 88.69 ग्राम फाइबर 0.9 ग्राम शुगर 3.35 ग्राम मिनरल्स कैल्शियम 20 मिलीग्राम आयरन 1.58 मिलीग्राम मैग्नीशियम 1 मिलीग्राम फास्फोरस 7 मिलीग्राम पोटैशियम 11 मिलीग्राम सोडियम 1 मिलीग्राम जिंक 0.12 मिलीग्राम कॉपर 0.02 मिलीग्राम मैग्नीशियम 0.11 माइक्रोग्राम सेलेनियम 0.8 माइक्रोग्राम विटामिन थायमिन 0.004 मिलीग्राम पैंटोथैनिक एसिड 0.135 मिलीग्राम विटामिन-बी 6 0.008 मिलीग्राम फोलेट 4 माइक्रोग्राम कोलीन 1.2 मिलीग्राम लिपिड फैटी एसिड टोटल सैचुरेटेड 0.005 ग्राम फैटी एसिड टोटल मोनोअनसैचुरेटेड 0.005 ग्राम फैटी एसिड टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.003 ग्राम
साबूदाने में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को जानने के बाद हम यहां बता रहे हैं कि इसे कैसे-कैसे उपयोग किया जा सकता है।
साबूदाना का उपयोग – How to Use Tapioca (Sabudana) in Hindi
इसका उपयोग एक सीमित मात्रा में करने से यह स्वाद के साथ-साथ सेहत भी बनाता है। आप इसका सेवन कभी भी कर सकते हैं। आइए, जानते हैं कि इसे किन तरीकों से डाइट में शामिल किया जा सकता है।
आप साबूदाने का उपयोग मिष्ठान के रूप में खीर बनाने के लिए कर सकते हैं।
साबूदाने की चटपटी खिचड़ी भी लोकप्रिय है।
साबूदाने से वड़े भी बनाए जा सकते हैं, जो स्नैक्स के तौर पर खाए जाते हैं।
साबमदाने को फ्राई करके उस पर हल्का नमक व मसाले छिड़कर नाश्ते में भी खा सकते हैं।
साबूदाने के पापड़ भी बना सकते हैं।
साबूदाने के आटे के साथ मसले हुए आलू, पिसी हुई मूंगफली, हरी मिर्च, धनिया पत्ता, जीरा, नींबू का रस, चीनी और नमक मिलाकर साबूदाना थालीपीठ बना सकते हैं। यह महाराष्ट्र में बनाया जाने वाला खास व्यंजन है, जिसे व्रत के दौरान खाया जाता है।
आप अगर साबूदाने को मिठाई के रूप में खाना चाहते हैं, तो इससे बनने वाले लड्डू भी स्वादिष्ट होते हैं।
कितनी मात्रा में करें उपयोग
आप अच्छी सेहत और बेहतर स्वाद के लिए दिन भर में साबूदाने की एक कटोरी से बने व्यंजनों का सेवन कर सकते हैं।
साबूदाने के उपयोग और पोषक तत्वों के बाद, इससे होने वाले नुकसान के बारे में जानना भी जरूरी है।
साबूदाना के नुकसान – Side Effects of Tapioca in Hindi
साबूदाना आपके लिए तब तक ही फायदेमंद हो सकता है, जब तक कि आप इसका सेवन सीमित मात्रा करते हैं। इसका अधिक सेवन आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे होने वाले कुछ नुकसान कुछ इस प्रकार हैं।
साबूदाने में कार्बोहाइड्रेट की उच्च मात्रा होती है (2)। अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का सेवन आपको मधुमेह का मरीज बना सकता है (19)।
इसमें कैलोरी की मात्रा अच्छी होती है, जो वजन बढ़ाने में सहायक होता है (2) (3) (4)। वहीं, इसके अधिक सेवन से आप मोटापे का शिकार हो सकते हैं, जिससे अन्य बीमारियां हो सकती हैं, जैसे : दिल की समस्या, मधुमेह, रक्तचाप की समस्या, पथरी और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारी भी हाे सकती हैं (20)।
साबूदान�� में कैल्शियम भी पाया जाता है (2)। कैल्शियम के अधिक सेवन से हड्डियों की समस्या के साथ-साथ किडनी स्टोन होने का डर भी हो सकता है (21)।
बेशक, साबूदाने में साइनाइड की कम मात्रा पाई जाती है, लेकिन फिर भी इसके अधिक सेवन से कई दुष्प्रभाव देखने में आ सकते हैं। इसका अधिक सेवन मस्तिष्क और हृदय को नुकसान पहुंचाने के साथ ही कोमा और मृत्यु का कारण भी हो सकता है। इसके अलावा, इससे और भी कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे: सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, उल्टी, रक्त का विकार, सिरदर्द और थायरायड (22)।
आपने इस आर्टिकल के माध्यम से जाना कि छोटे-छोटे सफेद मोती जैसे दानों वाला साबूदाना बड़े-बड़े गुणों का भण्डार है। इस आर्टिकल में आपने जाना कि इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व न सिर्फ आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं, बल्कि ये आपकी त्वचा संबंधी परेशानियों को भी दूर करने में आपकी मदद करते हैं। अब जब साबूदाने के इतने फायदे हैं, तो क्यों न इसे आपनी डाइट में शामिल किया जाए। साबूदाने से संबंधित यह आर्टिकल आपको कैसा लगा, हमें जरूर बताएं। अगर आप इस विषय के संबंध में और कुछ जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हमें संपर्क करें।
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Saral Jain
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से पत्रकारिता में बीए किया है। सरल को इलेक्ट्रानिक मीडिया का लगभग 8 वर्षों का एवं प्रिंट मीडिया का एक साल का अनुभव है। इन्होंने 3 साल तक टीवी चैनल के कई कार्यक्रमों में एंकर की भूमिका भी निभाई है। इन्हें फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, एडवंचर व वाइल्ड लाइफ शूट, कैंपिंग व घूमना पसंद है। सरल जैन संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी व कन्नड़ भाषाओं के जानकार हैं।
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चीज़ खाने के फायदे और नुकसान – Cheese Benefits and Side Effects in Hindi
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चीज़ खाने के फायदे और नुकसान – Cheese Benefits and Side Effects in Hindi
Bhupendra Verma Hyderabd040-395603080 September 30, 2019
पनीर और मक्खन के साथ-साथ अब चीज़ का चलन भी बढ़ गया है। बाजार में ऐसी कई डिश मिलती हैं, जिसमें चीज़ इस्तेमाल किया जाता है। कुछ लोग तो एक्स्ट्रा चीज़ के दीवाने हैं। वहीं, घर में बनने वाले खाने-पीने के सामान में भी चीज़ का इस्तेमाल अधिक होने लगा है। संभव है कि आप भी चीज़ खाने वाले शौकिनों की लिस्ट में शामिल हो, लेकिन क्या आप इस चीज़ के फायदों से परिचित हैं? अगर आपको ऐसा लगता है कि चीज़ का काम सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाना है, तो आप आधा सच जानते हैं, जबकि पूरा सच यह है कि स्वास्थ्य के लिए चीज़ काम की चीज है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम इसी बारे में बात करेंगे। हम चीज़ का उपयोग और चीज़ खाने के फायदे के बारे में जानकारी देंगे।
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चीज़ क्या है? – What is Cheese in Hindi
अगर चीज़ को पनीर का आधुनिक रूप कहा जाए, तो गलत नहीं होगा। पनीर की तरह यह भी एक तरह का डेयरी पदार्थ है, जिसे दूध से बनाया जाता है। जहां पनीर को बनाने के लिए दूध में खटास का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, चीज़ के निर्माण के लिए दूध में बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाता है। चीज़ दो तरह के होते है, सॉफ्ट और हार्ड चीज़। यह दिखने में पनीर की तरह होता है, लेकिन स्वाद में पनीर से बिल्कुल अलग और मीठा होता है। यह कई तरह के पोषक तत्व से भरपूर होता है, जो कि आपके लिए लाभदायक हो सकता है। इसके पोषक तत्वों के बारे में हम आगे लेख में जिक्र करेंगे।
चलिए अब चीज़ खाने के फायदे के बारे में जानते हैं।
चीज़ के फायदे – Benefits of Cheese in Hindi
चीज़ से कई तरह के फायदे हो सकते हैं, जिसकी जानकारी इस लेख में दी जा रही है।
1. कैविटी
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कैविटी के कारण दांतों के खराब होने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में चीज़ के सेवन से दांतों में कैविटी होने के जोखिम को कम किया जा सकता है। चीज़ में कैरोस्टेटिक गुण पाए जाते हैं, जो कैविटी को कम करने का काम कर सकते हैं। साथ ही यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत होता है, जो आपके दांत को लाभ पहुंचाने में फायदेमंद हो सकता है (1)।
2. कैंसर
एक शोध के अनुसार, चीज़ का सेवन करने से कोलोरेक्टल व ब्रैस्ट कैंसर आदि से बचा जा सकता है। चीज़ में कैल्शियम व विटामिन-डी जैसे गुण पाए जाते हैं, जो कैंसर से हमारी रक्षा करते हैं (2) (3) (4) ।
3. वजन बढ़ाने के लिए
अगर आप दुबले-पतले हैं, तो आपके वजन को बढ़ाने में चीज़ अहम भूमिका निभा सकता है। चीज़ में प्रोटीन, कैलोरी और वसा भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो आपके वजन को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं (5)।
4. हड्डियों की मजबूती के लिए
चीज़ के लाभ हड्डियों के लिए भी हो सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, चीज़ में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत करने का काम करता है। इसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस जैसे हड्डियों से संबंधित रोगों को दूर रखने में भी मदद मिल सकती है (6)। ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां कमजोर हो जाती है और उनके टूटने की आशंका बनी रहती है।
6. उच्च रक्तचाप के लिए
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रक्तचाप बढ़ने से हृदय संबंधी विकार उत्पन्न हो सकते हैं। ऐसे में चीज़ का उपयोग इस समस्या को कम करने में सहायक हो सकता है। चीज़ को रक्तचाप को कम करने वाली डैश (DASH) डाइट में भी शामिल किया जाता है। दरअसल, चीज़ में सोडियम और प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है, जो रक्तचाप को नियंत्रण करने का काम कर सकते हैं (7)। इसलिए, चीज़ के लाभ उच्च रक्तचाप के लिए भी माने जा सकते हैं।
7. प्रेगनेंसी में लाभदायक
गर्भावस्था के दौरान चीज़ खाने को लेकर भी आपके मन में कुछ संशय जरूर होगा। अगर ऐसा है, तो यहां आपको इसका जवाब मिल जाएगा। गर्भावस्था के दौरान सॉफ्ट चीज़ के जगह हार्ड चीज़ का सेवन करना ज्यादा सुरक्षित हो सकता है (8)। चीज़ में कैल्शियम, विटामिन और मिनरल भरपूर मात्रा में होते हैं, जो भ्रूण की हड्डियों की संरचना में मदद कर सकते हैं (2) (9)। साथ ही जन्म दोष (रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क से संबंधित) की समस्या से भी छुटकार दिलाने का काम कर सकते हैं।
8. प्री मेंस्ट्रुएशन सिंड्रोम
लगभग हर युवती को प्री मेंस्ट्रुएशन सिंड्रोम से गुजरना पड़ता है। पीरियड्स से हफ्ते भर पहले होने वाले शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव को प्री मेंस्ट्रुएशन सिंड्रोम कहा जाता है। इस अवस्था में युवती को चिड़चिड़ापन, पेट में दर्द व सिरदर्द हो सकता है। एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, चीज़ के सेवन से प्री मेंस्ट्रुएशन सिंड्रोम के समय होने वाली थकान, अवसाद और खाने की लालसा को कम किया जा सकता है। यह चीज़ में पाई जाने वाली कैल्शियम की मात्रा के कारण संभव हो पाता है (10)।
9. माइग्रेन
एक शोध के अनुसार, माइग्रेन की समस्या को कम करने के लिए कुछ खाद्य पदार्थों का खासतौर पर जिक्र किया गया है। इसमें चीज़ को भी शामिल किया गया है। चीज़ में राइबोफ्लेविन पाए जाते हैं, जो माइग्रेन और माइग्रेन से होने वाले दर्द से राहत दिलाने का काम कर सकते हैं (2) (11)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि चीज़ के फायदे माइग्रेन के लिए भी हो सकते हैं।
10. प्रतिरक्षा प्रणाली
चीज़ के उपयोग से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है। मिनस फ्रैस्कल नामक चीज़ प्रोबायोटिक से भरपूर होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने में मदद कर सकता है। साथ ही यह इन्फेक्शन की समस्या से भी निजात दिलाने का काम कर सकता है। यह मुख्य रूप से एथलीटों के लिए लाभदायक हो सकता है (12)।
11. नींद में मदद
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अगर आपको अनिद्रा की समस्या है, तो चीज़ का सेवन आपके लिए लाभदायक हो सकता है। चीज़ में मेलाटोनिन पाया जाता है। यह एक प्रकार का हार्मोन होता है, जो नींद के लिए मददगार साबित हो सकता है। इसलिए, अनिद्रा की समस्या से राहत पाने के लिए चीज़ का उपयोग किया जा सकता है (13)।
12. चमकती त्वचा के लिए
त्वचा की रंगत को निखारने के लिए चीज़ उपयोग किया जा सकता है। एक शोध में पाया गया है कि विटामिन-बी त्वचा के रंग को निखारने का काम कर सकता है (14)। वहीं, अन्य शोध के अनुसार, चीज़ में विटामिन-बी की मात्रा पाई जाती है (2)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि चीज़ के लाभ त्वचा के लिए भी हो सकते हैं।
13. बाल स्वास्थ्य
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बालों के स्वास्थ्य के लिए चीज़ का उपयोग लाभदायक हो सकता है। चीज़ में विटामिन बी, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है (2), जो बालों को झड़ने से रोकने में मदद कर सकते हैं (15)।
चीज़ में मौजूद पौष्टिक तत्वों के बारे में जानने के लिए लेख के अगले भाग को पढ़ें।
चीज़ के पौष्टिक तत्व – Cheese Nutritional Value in Hindi
चीज़ में कई तरह के पौष्टिक तत्व होते हैं, जिस कारण यह आपके लिए फायदेमंद होता है। इन पौष्टिक तत्वों को हम एक चार्ट के जरिए समझा रहे हैं (2) :
पोषक कुल मात्रा पानी 36.75 g ऊर्जा 403kcal प्रोटीन 22.87g टोटल लिपिड (फैट) 33.31 g कार्बोहाइड्रेट 3.37 g शुगर, टोटल 0.48g
मिनरल
कैल्शियम Ca 710 mg आयरन, Fe 0.14mg मैग्नीशियम, mg 27mg फास्फोरस, P 455 mg पोटैशियम, K 76mg सोडियम, Na 653 mg जिंक, Zn 3.64 mg
विटामिन
थियामिन 0.029mg राइबोफ्लेविन 0.428 mg नियासिन 0.059mg विटामिन बी-6 0.066mg फोलेट, DFE 27 µg विटामिन बी -12 1.10 µg विटामिन ए, RAE 337µg विटामिन ए,।U 1242।U विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरोल) 0.71mg विटामिन डी (डी 2 +डी 3) 0.6 µg विटामिन डी 24 ।U विटामिन के 2.4 µg लिपिड फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड 18.867 g फैटी एसिड, टोटल मोनोअन��ैचुरेटेड 9.391 g फैटी एसिड, टोटल पॉलीसैचुरेटेड 0.942 g कोलेस्ट्रोल 99 mg
आइए, अब जानते हैं कि चीज़ को किस प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता है।
चीज़ का उपयोग – How to Eat Cheese in Hindi
अगर आप सोच रहे है कि चीज़ कैसे खाएं, तो यह लेख आपके लिए सहायक हो सकता है। यहां हम बता रहे हैं कि चीज़ को किस-किस प्रकार से इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
कैसे करें सेवन :
चीज़ को कई तरह से खाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
चीज़ पिज्जा
चीज़ सैंडविच
चीज़ बॉल
चीज़ डोसा
चीज़ पराठा
चीज़ मैक्रोनी पास्ता
चीज़ गार्लिक ब्रेड
चीज़ ब्रेड पकौड़ा
कब खाए़ं :
सुबह नाश्ते के रूप में खा सकते हैं।
इसे शाम को स्नैक्स के तौर पर भी ले सकते हैं।
सुबह या दोपहर को पराठे पर लगाकर खाया जा सकता है।
कितना खाएं :
वैसे तो चीज़ खाने के लिए कोई निर्धारित मात्रा नहीं है। यह व्यक्ति के आहार क्षमता पर निर्भर करता है।
आइए, लेख के आगे भाग में चीज़ खाने के नुकसान के बारे में जानते हैं।
चीज़ के नुकसान – Side Effects of Cheese in Hindi
जैसा कि आपने ऊपर चीज़ के फायदे जाने हैं, उसी तरह चीज़ खाने के कुछ नुकसान भी हैं, जो इस प्रकार हैं :
चीज़ के सेवन से एलर्जी होने का जोखिम बढ़ सकता है (16)।
चीज़ में फैट की मात्रा ज्यादा होती है, जिस कारण इसे मधुमेह की समस्या में लेने से माना किया जाता है। इसे अधिक मात्रा में खाने से मधुमेह की समस्या उत्पन्न हो सकती है (17)।
अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो चीज़ का सेवन न करें, क्योंकि इससे वजन बढ़ सकता है (5)।
संभव है कि आपके मन में चीज़ को लेकर जितने भी सवाल थे, उस सभी के जवाब मिल गए होंगे। साथ ही यह भी पता चल गया होगा कि चीज़ कासेवन करने से किन-किन समस्याओं से निकलने में मदद मिल सकती है। इस लेख को पढ़ने के बाद आप यह भी समझ गए हों कि चीज़ को किस-किस तरह से खाने के लिए उपयोग कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि हमारा यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। अगर आप इस विषय से जुड़ी किसी अन्य प्रकार की जानकारी चाहते हैं, तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं।
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जिमीकंद (सूरन) के 13 फायदे, उपयोग और नुकसान – Yam (Jimikand) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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जिमीकंद (सूरन) के 13 फायदे, उपयोग और नुकसान – Yam (Jimikand) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
Somendra Singh Hyderabd040-395603080 August 21, 2019
बाजार में आम सब्जियों के साथ कुछ ऐसी भी सब्जियां मौजूद होती हैं, जिनके विषय में ज्यादा लोगों को पता नहीं होता। जिमीकंद भी ऐसी ही सब्जी है, जिसका सेवन शायद ही आपने किया हो। जिमीकंद एक प्रकार का कंद-मूल है, जिसमें कई खास पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिमीकंद पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि यह खाद्य पदार्थ शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाने का काम कर सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हमारे साथ जानिए जिमीकंद के फायदे, जिमीकंद बनाने के तरीके और इससे होने वाले नुकसान के बारे में।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि जिमीकंद (सूरन) क्या है?
विषय सूची
जिमीकंद (सूरन) क्या है – What is Yam (Jimikand) in Hindi
जिमीकंद यानी सूरन सिर्फ सब्जी भर नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से प्राकृतिक जड़ी-बूटी जैसे फायदे भी हैं। यह दिखने में हाथी के पैर जैसा लगता है, इसलिए इसे एलीफैंट फुट याम भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम अमोरफोफ्लस पाओनीफोलिअस (Amorphophallus Paeoniifolius) है। इसे अंग्रेजी में याम (Yam) के नाम से भी जाना जाता है। जिमीकंद एक कंद के रूप में होता है और यह अपने आप ही उगता है, लेकिन इसके गुणों को देखते हुए पिछले कुछ सालों से इसकी खेती भी की जाने लगी है। ये कई प्रकार के होते हैं, जिनकी चर्चा हम नीचे करेंगे।
आइए, लेख के अगले भाग में अब जिमीकंद के प्रकार के बारे में जानते हैं।
जिमीकंद के प्रकार – Types of Yam in Hindi
जिमीकंद कई प्रकार में मौजूद हैं, नीचे जानिए जिमीकंद की कुछ खास किस्मों के बारे में।
संतरा गाची : संतरा गाची जिमीकंद की एक किस्म है। जिमीकंद की इस किस्म के पौधे बड़े होते हैं, जिनकी लंबाई 3 से 4 फुट तक हो सकती है। इनका कंद खुरदुरा और इनका भीतरी भाग मक्खनी रंग का होता है। इसकी पैदावार भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में ज्यादा प्रचलित है। इसे खाने से गले में हल्की जलन हो सकती है।
कोववयूर: यह एक उन्नत किस्म का जिमीकंद माना जाता है, जिसे आमतौर पर हाइब्रिड बीज की प्रजाति भी कहा जाता है। इसका अंदरूनी भाग सफेद रंग का होता है। जिमीकंद की यह किस्म व्यापारिक किस्म भी मानी जाती है।
गजेन्द्र-1: गजेन्द्र-1 भी जिमीकंद की एक किस्म है, जिसके अंदर का गूदा हल्का नारंगी रंग का होता है। आमतौर पर यह घरों के बाहर और फूलों की नर्सरी में भी उगाया जाता है। खाने में सबसे ज्यादा गजेन्द्र-1 जिमीकंद का ही इस्तेमाल किया जाता है। इसे खाने से गले में हल्की जलन हो सकती है।
जिमीकंद के प्रकार के बाद आइए लेख के अगले भाग में जानते हैं जिमीकंद के स्वास्थ्य लाभ।
जिमीकंद (सूरन) के फायदे – Benefits of Yam (Jimikand) in Hindi
जिमीकंद के सेवन से कई स्वास्थ्य संबंधी फायदे हो सकते हैं, जिनके बारे में नीचे आपको पूरी जानकारी दी जा रही है (1)।
1. डायबिटीज में सहायक
डायबिटीज में सूरन के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, जिमीकंद में प्राकृतिक रूप से एलेन्टॉइन (allantoin) नामक एक खास तत्व पाया जाता है और एक वैज्ञानिक शोध में इसके एंटी डायबिटिक प्रभाव के बारे में पता चला है, जो मधुमेह पर लाभकारी प्रभाव छोड़ सकता है। हालांकि, इस पर अभी और अध्ययन की आवश्यकता है (2)।
2. कैंसर में उपयोगी
सूरन के फायदे कैंसर में भी काम आ सकते हैं और ऐसा उसके औषधीय गुणों के कारण संभव हो सकता है। यहां पर एक बार फिर एलेन्टॉइन (allantoin) यौगिक का जिक्र होगा। जी हां, एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के आधार यह देखा गया है कि जिमीकंद में मौजूद एलेन्टॉइन कैंसर के इलाज में लाभदायक हो सकता है (2)।
इसके अलावा, जिमीकंद (ओल) में एल-आर्जिनिन (l-arginine) नामक यौगिक पाया जाता है, जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कैंसर की रोकथाम में अहम योगदान निभा सकता है (2)।
3. वजन घटने में
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जिमीकंद को वजन घटाने के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है। जिमीकंद में फाइबर पाया जाता है (3)। फाइबर शरीर की पाचन क्रिया को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह बताया गया है कि अगर प्रतिदिन 30 ग्राम फाइबर का सेवन किया जाए, तो यह वजन घटाने में मदद कर सकता है (4)।
4. एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में
सूरन के फायदे में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट का प्रभाव भी शामिल है, जो हमारे शरीर को कई रोगों से बचाने के काम आ सकते हैं। विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार यह कहा गया है कि ओल यानी जिमीकंद इंफ्लेमेशन प्रक्रिया को कम कर कोलन कैंसर से बचाव का काम कर सकता है (5)।
5. रजोनिवृत्ति के लक्षण में आरामदायक
महिलाओं को अचानक गर्मी लगना, नींद न आना और उनका अजीब व्यवहार रजोनिवृत्ति के लक्षण हो सकते हैं (6)। यहां सूरन के फायदे देखे जा सकते हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार ओल के अर्क (yam extract) के इस्तेमाल से रजोनिवृत्ति के लक्षण में कुछ हद तक आराम पहुंचाया जा सकता है (7)। हालांकि, अभी इसके प्रयोग को लेकर विस्तृत वैज्ञानिक प्रमाण की आवश्यकता है, ताकि यह साफ हो सके कि इसका इस्तेमाल रजोनिवृत्ति के लक्षण को कैसे खत्म कर सकता है।
6. विटामिन-बी6 की पूर्ति के लिए
जिमीकंद खाने के फायदे आपकी शरीर के लिए जरूरी विटामिन की कमी को भी पूरा कर सकते हैं। इन्हीं में से एक है विटामिन बी6। विटामिन बी6 ह्रदय रोग के जोखिम को कम करने के साथ-साथ चिड़चिड़ापन, सूजन और चिंता की स्थिति को कम कर सकता है (8)। शरीर में विटामिन बी6 की पूर्ति के लिए जिमीकंद का सेवन किया जा सकता है (3)।
7. शरीर में खून बढ़ाने के लिए
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शरीर में आयरन और फोलेट की कमी एनीमिया (खून की कमी) का कारण बनती है (9) (10)। यहां जिमीकंद की अहम भूमिका देखी जा सकती है। जिमीकंद आयरन के साथ-साथ फोलेट से भी समृद्ध होता है और शरीर में इन दो खास पोषक तत्वों की पूर्ति इस खास खाद्य पदार्थ के सेवन से की जा सकती है (3)।
8. याददाश्त के लिए उपयोगी
जिमीकंद के फायदे याददाश्त बढ़ाने के लिए उपयोगी हो सकते हैं। ओल में डाइओसजेनिन (diosgenin) नामक यौगिक पाया जाता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, अल्जाइमर (याददाश्त कमजोर होने की एक स्थिति) रोग में डाइओसजेनिन सुधार कर सकता है। अध्ययन में यह भी देखा गया कि सामान्य अवस्था में भी यह न्यूरोनल उत्तेजना (neuronal excitation) और याददाश्त क्रिया को बढ़ावा दे सकता है (11)।
9. पाचन में सहायक
जिमीकंद खाने के फायदे में पाचन क्रिया को बेहतर बनाना भी शामिल है। जिमीकंद फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों में से एक है (12)। फाइबर पाचन क्रिया मजबूत करने के साथ-साथ मल को मुलायम कर कब्ज जैसी समस्या से निजात देने का काम कर सकता है (13)।
10. गर्भावस्था की क्षमता बढ़ाने में
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मां बनने में अगर किसी प्रकार की समस्या आ रही है, तो इसका एक कारण गर्भाधारण क्षमता का कमजोर होना भी हो सकता है। ऐसे में ओल इसे बढ़ाने में काम आ सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह कहा गया है कि गर्भावस्था में विटामिन ई, आयरन, जिंक के सेवन से गर्भाधारण क्षमता को बढ़ाया जा सकता है और ये सभी पोषक तत्व जिमीकंद में भी पाए जाते हैं (14), (3)।
नोट – गर्भावस्था के दौरान जिमीकंद का सेवन करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।
11. बेबी फूड के लिए अच्छा विकल्प
जिमीकंद को बेबीफूड के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए बच्चे की उम्र 6 महीने से अधिक होनी चाहिए। जिमीकंद आयरन से समृद्ध होता है, जिससे बच्चे के विकास में मदद मिल सकती है (3) (15)।
12. त्वचा के लिए फायदेमंद
त्वचा के लिए भी ओल फायदेमंद हो सकता है। जिमीकंद में विटामिन ए और नियासिन (विटामिन बी का एक रूप) पाए जाते हैं और ये पोषक तत्व त्वचा को स्वस्थ रखने का काम कर सकते हैं (3) (16)। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, विटामिन ए त्वचा की झुर्रियों को ठीक कर सकता है। साथ ही यह एजिंग के प्रभाव को भी कम कर सकता है (17)।
13. बालों के स्वास्थ्य के लिए
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जिमीकंद का सेवन बालों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसमें विटामिन-बी6 पाया जाता है (3)। विशेषज्ञों के द्वारा किए गए एक अध्ययन के आधार पर यह बताया गया कि कई हफ्तों तक विटामिन बी 6 के सेवन से बालों की स्थिति में सुधार किया जा सकता है और यह एलोपीशिया में बाल झड़ने को कम कर सकता है (17)।
लेख के अगले भाग में जिमीकंद के पौष्टिक तत्वों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
जिमीकंद के पौष्टिक तत्व – Yam Nutritional Value in Hindi
नीचे दी गई तालिका में जिमीकंद के पौष्टिक तत्वों को दर्शाया गया है (3)।
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम जल 69.60g ऊर्जा 118kcal प्रोटीन 1.53g कुललिपिड(वसा) 0.17g कार्बोहाइड्रेट 27.88g फाइबर, कुलडाइटरी 4.1g शुगर, कुल 0.50g मिनरल कैल्शियम 17mg आयरन 0.54mg मैग्नीशियम 21mg फास्फोरस 55mg पोटैशियम 816mg सोडियम 9mg जिंक 0.24mg विटामिन विटामिनसी, कुलएस्कॉर्बिकएसिड 17.1mg थायमिन 0.112mg रिबोफ्लेविन 0.032mg नियासिन 0.552mg विटामिनबी-6 0.293mg फोलेट, डीएफई 23μg विटामिनबी-12 0.00μg विटामिनए, आरएई 7μg विटामिनए, आईयू 138IU विटामिनई(अल्फा-टोकोफेरॉल) 0.35mg विटामिनडी(डी2+डी3) 0.0μg विटामिनडी 0IU विटामिनके, (फिलोकिओनोन) 2.3μg लिपिड फैटीएसिड, टोटलसैचुरेटेड 0.037g फैटीएसिड, टोटलमोनोअनसैचुरेटेड 0.006g फैटीएसिड, टोटलपॉलीअनसैचुरेटेड 0.076g फैटीएसिड, टोटलट्रांस 0.000g कोलेस्ट्रॉल 0mg अन्य कैफीन 0mg
जिमीकंद (सूरन) के पौष्टिक तत्व जानने के बाद आइए अब जिमीकंद के उपयोग के बारे में जानते हैं।
जिमीकंद (सूरन) का उपयोग – How to Use Yam in Hindi
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जिमीकंद को हम निम्न रूप में उपयोग कर सकते हैं।
जिमीकंद की सब्जी बनाकर सेवन किया जा सकता है।
जिमीकंद को उबालने के बाद उसे कद्दूकस करके पकौड़े बनाकर खा सकते हैं।
जिमीकंद को चटनी के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं।
जिमीकंद का अचार बनाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
कब खाएं :
जिमीकंद को आप सुबह, दोपहर और शाम को सब्जी के रूप में खा सकते हैं। इसे टुकड़े में काटकर फ्राई करके क्रंची स्नैक्स के रूप में शाम को चाय के साथ भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
खाने की मात्रा :
आप आधा चम्मच जिमीकंद का अचार खाने के साथ ले सकते हैं। इसके अलावा, सीमित मात्रा में जिमीकंद की सब्जी का सेवन कर सकते हैं। एक दिन में जिमीकंद की मात्रा कितनी होनी चाहिए, इस पर कोई सटीक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
लेख के इस भाग में आपको जिमीकंद से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा रहा है।
जिमीकंद के नुकसान – Side Effects of Yam (Jimikand) in Hindi
जिमीकंद में मौजूद फास्फोरस की अधिक मात्रा किडनी की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए हानिकारक हो सकती है (3) (18)। यह खाने में थोड़ा कड़वा भी होता है, जो आपके गले में खाने के थोड़ी देर बाद जलन का कारण भी बन सकता है। हालांकि, इस तथ्य की पुष्टि के लिए सटीक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
जिमीकंद, एस्ट्रोजन (यौन विकास के लिए एक हार्मोन) की तरह कार्य करता है। अगर आपको कोई ऐसी समस्या हो, जो एस्ट्रोजन के संपर्क में आने से प्रभावित हो जाए, तो इसका सेवन आपको नुकसान पहुंचा सकता है (19)।
प्रोटीन एस की कमी वाले लोग इसका सेवन करने से बचें, क्योंकि एस्ट्रोजन की तरह काम करने के कारण यह आंखों में थक्का भी बना सकता है (19)।
जिमीकंद में मौजूद फाइबर का अत्यधिक सेवन पेट में गैस की समस्या का कारण बन सकता है (3), (20)।
जिमीकंद शरीर में एलर्जी का कारण भी बन सकता है (21)।
जिमीकंद जिसे अभी तक आप एक सामान्य खाद्य पदार्थ समझ रहे थे, इस लेख को पढ़ने के बाद आपको यह जरूर उपयोगी लग रहा होगा। अगर आप लेख में बताई गई किसी भी समस्या से पीड़ित हैं, तो ओल का सेवन एक औषधि के रूप में कर सकते हैं। हालांकि, इसके खाने से कुछ बताए गए दुष्प्रभाव सामने आ सकते हैं। दुष्प्रभाव की स्थिति में आप इसका सेवन बंद करें और डॉक्टर से संपर्क करें। हम उम्मीद करते हैं कि जिमीकंद पर आधारित यह लेख आपको जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको जिमीकंद से जुड़ा हुआ कोई प्रश्न परेशान कर रहा है, तो बेझिझक नीचे दिए गए कॉमेंट बॉक्स के जरिए हम तक जरूर पहुंचाएं।
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सूरजमुखी के बीज के 14 फायदे, उपयोग और नुकसान – Sunflower Seeds Benefits in Hindi
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सूरजमुखी के बीज के 14 फायदे, उपयोग और नुकसान – Sunflower Seeds Benefits in Hindi
Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 August 13, 2019
सूरजमुखी के फूल दुनिया के चुनिंदा खूबसूरत फूलों में गिने में जाते हैं। ये जितने देखने में आकर्षक लगते हैं, उससे कहीं ज्यादा गुणकारी हैं। इसका पूरा राज छुपा है, सुरजमुखी के बीज में। दरअसल, अभी तक हुए कई अध्ययनों में सूरजमुखी के बीज के औषधीय गुणों के बारे में पता चला है, जो शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाने का काम कर सकते हैं।
इस लेख के जरिए आप न सिर्फ सूरजमुखी के बीज खाने के फायदे जानेंगे, बल्कि हम आपको इसके पौष्टिक तत्वों और उपयोग के बारे में भी बताएंगे। आइए, जानते हैं सूरजमुखी के बीज के फायदे।
विषय सूची
सूरजमुखी के बीज क्या हैं और आपकी सेहत के लिए क्यों अच्छे हैं?
सूरजमुखी के बीज सूरजमुखी को एक कारगर औषधि बनाने का काम करते हैं। जब सूरजमुखी के फूल सूख जाते हैं, तो उनकी पंखुड़ियां झड़ जाती हैं और फूल के बचे मध्य भाग में बीज बच जाते हैं, जिन्हें आसानी से निकाल लिया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, सूरजमुखी में लगभग दो हजार से ज्यादा बीज हो सकते हैं। इसके बीज मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, एक जो बीज आप खा सकते हैं और दूसरे वो बीज जिससे सूरजमुखी का तेल निकाला जाता है।
अब बात करते हैं, सूरजमुखी बीज के फायदों की। सूरजमुखी के बीज औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं, जिनका सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है। सूरजमुखी के बीज कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन और कई अन्य पौष्टिक तत्वों से समृद्ध होते हैं। ये शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाने का काम कर सकते हैं। इस लेख के आगे के भाग में हम इसी बारे में विस्तार से जानकारी देंगे (1)।
सूरजमुखी के बीज के फायदे अनेक हैं, जिनमें से कुछ की जानकारी हम नीचे आपको बता रहे हैं।
सूरजमुखी के बीज के फायदे – Benefits of Sunflower Seeds in Hindi
1. दिल के लिए सूरजमुखी के बीज के फायदे
सूरजमुखी के बीज में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी के साथ-साथ घाव को भरने का गुण (wound-healing) भी होता है। सूरजमुखी के बीज में फ्लेवोनॉइड, पॉलीसैचुरेटेड फैटी एसिड और विटामिन मौजूद होते हैं, जो ह्रदय संबंधी समस्याओं से बचाव करने का काम करते हैं (2)। जरूरी नहीं कि जिनको दिल की समस्या है, वही इसका सेवन करें, जिनको ह्रदय रोग नहीं है, वो भी इसका सेवन कर सकते हैं, क्योंकि इसके सेवन से ह्रदय स्वास्थ्य बरकरार रहता है। याद रखें कि दिल स्वस्थ तो आप स्वस्थ।
2. कोलेस्ट्रॉल के लिए सूरजमुखी के बीज के फायदे
अगर आपको कोलेस्ट्रॉल की समस्या है या भविष्य में कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बचना है, तो आप सूरजमुखी के बीज के तेल को खाने में उपयोग कर सकते हैं। इसमें ओलेइक और लिनोलिक फैटी एसिड (oleic & linoleic acid) की प्रचुर मात्रा होती है, जो एलडीएल (LDL  cholesterol) यानी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है (2), (3)। जिससे कई तरह की ह्रदय संबंधी समस्याओं से भी बचाव हो सकता है। इसलिए, आप अपने खाने के लिए सूरजमुखी के तेल का उपयोग एक स्वस्थ विकल्प के तौर पर कर सकते हैं।
3. कैंसर के सूरजमुखी के बीज
लिगनेन युक्त खाद्य पदार्थ हार्मोन बदलाव से जुड़े कैंसर से बचाव कर सकते हैं। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के खतरे में इसके लाभ देखे जा सकते हैं। दरअसल, सूरजमुखी के बीज का सेवन महिलाओं को मेनोपॉज के बाद ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है (4)। सूर��मुखी के बीज में लिगनेन मौजूद होता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। लिगनेन एक प्रकार के पॉलीफेनोल होते हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं (5) (6)।
4. हड्डियों के लिए सूरजमुखी के बीज
अगर शुरुआत से ही हड्डियों का ध्यान न रखा गया, तो बढ़ती उम्र का प्रभाव हड्डियों पर भी पड़ने लगता है। इसलिए, पोषक तत्वों से भरपूर आहार को अपनी डाइट में शामिल करना जरूरी है। खासकर, आयरन, कैल्शियम व जिंक (7) और सूरजमुखी के बीज में आयरन, जिंक, कैल्शियम मौजूद होते हैं, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं (8), (9)।
5. दिमाग के लिए सूरजमुखी के बीज
मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी पोषक तत्व जरूरी होते हैं। बढ़ती उम्र का असर दिमाग पर भी पड़ता है, जिससे कई तरह की मस्तिष्क संबंधी समस्याएं (भूलने की बीमारी, सोचने की शक्ति कमजोर होना) उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे में सूरजमुखी के बीज आपकी मदद कर सकते हैं। सूरजमुखी के बीज में कैल्शियम व जिंक जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो मस्तिष्क विकास में लाभकारी हो सकते हैं (10)।
6. मधुमेह के लिए सूरजमुखी के बीज
मधुमेह के मरीजों को हमेशा दुविधा महसूस होती है कि क्या खाएं और क्या न खाएं। यहां सुरजमुखी की अहम भूमिका देखी जा सकती है। मधुमेह के मरीज सूरजमुखी के बीज को स्नैक्स के तौर पर खा सकते हैं या सूरजमुखी के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं।
इसमें पोलीसैचुरेटेड फैट होता है। साथ ही इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी कम होती है, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकती है (11), (12)। अगर आप सूरजमुखी के तेल का उपयोग कर रहे हैं, तो ध्यान रखें कि आप एक दिन में तीन चम्मच से ज्यादा तेल का उपयोग न करें (13)।
7. सूरजमुखी बीज में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण
कई बार इन्फ्लेमेशन यानी सूजन के कारण भी शरीर में कई बीमारियां होने लगती है, जैसे – डायबिटीज, कैंसर, अल्जाइमर, हड्डियों और त्वचा से संबंधित समस्याएं शामिल हैं। इस स्थिति में सूरजमुखी के बीज या तेल काफी उपयोगी हो सकता है, क्योंकि इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं (6) (14) (15)।
8. एस्ट्रोजेन असंतुलन को नियंत्रित करता है
एस्ट्रोजेन एक प्रकार का हॉर्मोन होता है, जिसके असंतुलन से शरीर में कई तरह की समस्याएं जैसे – थायराइड, डायबिटीज व ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। वहीं, सूरजमुखी में फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं, जो एस्ट्रोजन को संतुलित करने का काम कर सकते हैं। फाइटोएस्ट्रोजेन को एस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट थेरेपी के लिए प्राकृतिक विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है (16)। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, फायटोएस्ट्रोजन ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम कम कर सकता है (17)। यहां तक कि मेनोपॉज के बाद होने वाले कैंसर के खतरे को भी यह कम करने का कम करता है (18)।
9. ऊर्जा बढ़ाने के लिए सूरजमुखी के बीज
शरीर सही तरीके से काम करे उसके लिए ऊर्जा की जरूरत होती है। ऐसे में मेवे और बीज फायदेमंद साबित माने जाते हैं (19)। सूरजमुखी के बीज भी पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत माने गए हैं। शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखने के लिए आप सूरजमुखी के बीज का सेवन कर सकते हैं (6)।
10. रुमेटाइट अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)
यह शरीर में सूजन के वजह से होने वाली जोड़ों से संबंधित समस्या है। इसमें हाथ-पैर व कोहनी के जोड़ों में दर्द होने की शिकायत होती है। ऐसे में सूरजमुखी तेल के कैप्सूल का सेवन इस समस्या से राहत दिला सकता है (20)। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टरी परामर्श जरूरी है।
11. कब्ज के लिए सूरजमुखी के बीज के फायदे
कब्ज की शिकायत किसी को भी हो सकती है, ऐसे में फाइबर युक्त सूरजमुखी के बीज का सेवन लाभकारी हो सकता है (21)। ध्यान रहे कि आप सूरजमुखी के बीज का सेवन उसके छिलके को हटाकर करें। छिलके के साथ इसका सेवन फायदे के बजाय नुकसानदायक होता है।
12. सूरजमुखी के बीज के एंटी-माइक्रोबियल गुण
सूरजमुखी के बीज में एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-बैक्टीरियल व एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर को हानिकारक बैक्टीरिया से बचाने का काम करते हैं। इस कारण शरीर से कई बीमारियां दूर रहती हैं और शरीर स्वस्थ रहता है (6)।
13. चमकदार त्वचा के लिए सूरजमुखी के बीज के फायदे
कई बार पानी कम पीने की वजह से या देखभाल की कमी के कारण त्वचा अपनी प्राकृतिक चमक खोने लगती है। ऐसे में सूरजमुखी के बीज का तेल काफी लाभकारी हो सकता है। इसमें मौजूद लिनोलिक एसिड (linoleic acid) त्वचा को हाइड्रेट करके उसकी चमक बढ़ा सकता है (22)।
14. बालों के लिए सूरजमुखी के बीज
खूबसूरत लंबे बालों की चाहत लगभग हर किसी को होती है, लेकिन देखभाल की कमी, धूल-मिट्टी और प्रदूषण से बाल खराब होने लगते हैं। साथ ही शरीर में पोषक तत्वों की कमी भी बाल झडने का अहम कारण बनती है (23) (24)। ऐसे में सूरजमुखी के बीज के सेवन से बाल झड़ने की समस्या काफी हद तक ठीक हो सकती है, क्योंकि इसमें विटामिन, आयरन व जिंक जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो बालों को स्वस्थ बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं (1)। आप चाहें तो सूरजमुखी के तेल से स्कैल्प और बालों की मालिश कर सकते हैं। इसके अलावा, सूरजमुखी के बीज या तेल युक्त हेयर केयर उत्पादों का उपयोग भी कर सकते हैं।
सूरजमुखी के फायदे जानने के बाद अब बारी आती है, उसमें मौजूद पोषक तत्वों के बारे में जानने की। नीचे हम उसी की सूची आपके साथ साझा कर रहे हैं।
सूरजमुखी के बीज के पौष्टिक तत्व – Sunflower Seeds Nutritional Value in Hindi
अब जानिए सूरजमुखी के बीज में कौन-कौन से पोषक तत्व हैं, जो उन्हें इतना लाभकारी बनाते हैं (1)।
पोषक तत्व    मात्रा प्रति 100 ग्राम  पानी  4.73 ग्राम  ऊर्जा  584 केसीएल  प्रोटीन  20.78 ग्राम  टोटल लिपिड (फैट)  51.46 ग्राम  कार्बोहाइड्रेट  20.00 ग्राम  फाइबर, टोटल डायरी  8.6 ग्राम  शुगर, टोटल  2.62 ग्रा���     मिनरल  कैल्शियम  78 मिलीग्राम  आयरन  5.25 मिलीग्राम  मैग्नीशियम  325  मिलीग्राम  फास्फोरस  660 मिलीग्राम  पोटैशियम  645 मिलीग्राम  सोडियम  9 मिलीग्राम  जिंक  5.00 मिलीग्राम     विटामिन  विटामिन सी, टोटल एस्कॉर्बिक एसिड  1.4 मिलीग्राम  थायमिन  1.480 मिलीग्राम  राइबोफ्लेविन  0.355 मिलीग्राम  नियासिन  8.335 मिलीग्राम  विटामिन बी -6  1.345 मिलीग्राम  फोलेट डीएफई (Folate, DFE)  227 माइक्रोग्राम  विटामिन बी-12  0.00    माइक्रोग्राम  विटामिन ए, आरएई (Vitamin A, RAE)  3 माइक्रोग्राम  विटामिन ए, आईयू (Vitamin A, IU)  50 आई यू  विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरोल)  35.17 मिलीग्राम  विटामिन डी (डी2 + डी 3)  0.0 माइक्रोग्राम  विटामिन डी  0 आई यू  विटामिन के (फिलोक्विनोन-phylloquinone)  0.0 माइक्रोग्राम     लिपिड  फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड  4.455 ग्राम  फैटी एसिड, टोटल मोनोसैचुरेटेड  18.528 ग्राम  फैटी एसिड, टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड  23.137 ग्राम
सूरजमुखी के बीज खाने के फायदे तभी अच्छे से होंगे जब इसे सही तरीके से उपयोग किया जाएगा। नीचे हम आपको सूरजमुखी के बीज के उपयोग का तरीका बता रहे हैं।
सूरजमुखी के बीज का उपयोग – How to Use Sunflower Seeds in Hindi
सूरजमुखी के बीज के फायदे जल्दी अनुभव करने के लिए उसे सही तरीके से सेवन करना जरूरी है, इसलिए नीचे जानिए सूरजमुखी के बीज के सेवन का तरीका-
सूरजमुखी के बीज को छिलकर आप कच्चा खा सकते हैं।
आप सूरजमुखी के बीज को छिलकर और फिर उसे भूनकर स्नैक्स के रूप में खा सकते हैं।
आप सूरजमुखी बीज का मक्खन की तरह पेस्ट बनाकर उपयोग कर सकते हैं।
आप सूरजमुखी बीज को नर्म खाने को कुरकुरा बनाने के लिए भी उपयोग कर सकते हैं।
आप इसे सलाद, सैंडविच व पास्ता में भी उपयोग कर सकते हैं। इससे न सिर्फ स्वाद बढ़ेगा, बल्कि पौष्टिकता भी बढ़ेगी।
नोट : अगर बात करें कि इसे कितनी मात्रा में सेवन किया जाए, तो उसके बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हर व्यक्ति एक दूसरे से अलग होता है और उनके शरीर की जरूरतें भी अलग होती है। इसलिए, सही मात्रा का सेवन करने के लिए आप डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 
आगे जानिए सूरजमुखी के बीज को स्टोर करने का तरीका।
सूरजमुखी के बीज को कैसे स्टोर करें?
आप सूरजमुखी के बीज को एयर टाइट डिब्बे में रख सकते हैं।
इसे एयर टाइट बैग में भी रखा जा सकता है।
ध्यान रहे कि आप इसे प्लास्टिक के डिब्बे या बैग में न रखें।
आप इसे शीशे के जार में रख सकते हैं।
इसे शीशे के एयर टाइट जार या डिब्बे में डालकर फ्रिज में भी रख सकते हैं।
अगर आपको इसमें से खराब या सड़ी हुई गंध आए, तो इसका उपयोग न करें।
आगे जानिए सूरजमुखी के बीज के नुकसान।
सूरजमुखी के बीज के नुकसान – Side Effects of Sunflower Seeds in Hindi 
अगर कोई भी चीज जरूरत से ज्यादा उपयोग की जाए, तो उसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। ठीक उसी तरह से सूरजमुखी के फायदे हैं तो नुकसान भी हैं। अगर सूरजमुखी के बीज का अत्यधिक सेवन किया जाए, तो वो हानिकारक भी हो सकते हैं। इसलिए, हम आपको सूरजमुखी के बीज के नुकसान बता रहे हैं, ताकि आप सावधानी से इसका सेवन करें।
गर्भवती महिलाएं या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सूरजमुखी के बीज नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। इस संबंध में अभी शोध की आवश्यकता है।
जब भी सूरजमुखी के बीज का सेवन करें, तो उसका छिलका हटा लें। छिलके के साथ खाने से इसके फायदे न होकर नुकसान होंगे। इससे पेट दर्द और उल्टी जैसी समस्या हो सकती हैं (25)।
सूरजमुखी के बीज के सेवन से एलर्जी की समस्या भी हो सकती है। इसमें पित्ती, श्वास संबंधी एलर्जी ( दमा) और कई अन्य एलर्जी शामिल हैं (26), (6)।
सूरजमुखी के फूल की सुंदरता जैसे आंखों को भाती है, वैसे ही उनके बीज की गुणवत्ता शरीर को सेहतमंद बनाती है। ऊपर सूरजमुखी के बीज के फायदे जानने के बाद आप इसे अपने डाइट में शामिल कर इसके गुणों का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, इसका अत्यधिक सेवन नुकसानदायक भी हो सकता है, जिसके बारे में हमने लेख में आपको बताया है। अगर सूरजमुखी के बीज के सेवन या इस्तेमाल के दौरान कुछ दुष्प्रभाव आपको नजर आते हैं, तो संबंधित डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। इसके अलावा, अगर आपके पास सूरजमुखी के बीज खाने के फायदे से जुड़े कुछ अनुभव या सवाल हैं, तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें।
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आलूबुखारा के 11 फायदे, उपयोग और नुकसान – Plums Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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आलूबुखारा के 11 फायदे, उपयोग और नुकसान – Plums Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
vinita pangeni Hyderabd040-395603080 August 6, 2019
फल खाना हर किसी को पसंद होता है, लेकिन फलों को लेकर हर किसी की रुचि अलग-अलग हो सकती है। कुछ लोगों को सेब पसंद होता है, तो कुछ लोगों को संतरे का स्वाद भाता है। वहीं, कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें खट्टे-मीठे फल ज्यादा लुभाते हैं। ऐसे ही फलों में शामिल है आलूबुखारा। इस फल में केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि कई औषधीय गुण भी छुपे हुए हैं। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको पौष्टिकता से भरपूर आलूबुखारा के उपयोग और फायदों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
आलूबुखारा के फायदे जानने से पहले जानना जरूरी है कि आखिर आलूबुखारा क्या है?
विषय सूची
आलूबुखारा क्या है- What is Plums in Hindi
स्वाद में खट्टा-मीठा आलूबुखारा गुलाब परिवार (Rosaceae) का गुठली वाला फल है (1)। अंग्रेजी में इसे प्लम के नाम से जाना जाता है। आलूबुखारा टमाटर जैसा दिखता है और इसका रंग बैंगनी या लाल होता है। आमतौर पर आलूबुखारा मई से अक्टूबर तक बाजार में मिलता है। इसकी कुछ आम किस्मों में काला आलूबुखारा, ग्रींगेज (Greengage) प्लम, रेड प्लम, येलो प्लम व प्लूट्स शामिल हैं।
आलूबुखारा फल कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से समृद्ध होता है, जिनके गुणों की चर्चा हम नीचे करने जा रहे हैं।  आलूबुखारा के फायदे जानने के लिए पढ़ते रहें यह लेख।  
आलूबुखारा के फायदे – Benefits of Plums in Hindi 
1. ह्रदय स्वास्थ्य
आलूबुखारा उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) को नियंत्रित कर सकता है, जिससे ह्रदय की सुरक्षा होती है। एक अध्ययन के मुताबिक, जिन लोगों ने सूखा आलूबुखारा (Prunes) और इसके जूस का सेवन किया, उनमें रक्तचाप का स्तर कम पाया गया। यह अध्ययन बताता है कि आलूबुखारा का सेवन ह्रदय संबंधी बीमारियों से बचाव में सहायक साबित हो सकता है (2)। दरअसल, ब्लड प्रेशर ज्यादा होने से रक्त वाहिकाओं में दवाब पड़ता है, जिससे ह्रदय का जोखिम बढ़ सकता है (3)।
इसके अलावा, सूखा आलूबुखारा यानी प्रून्स का सेवन एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) से बचाव में सहायक हो सकता है (4)। एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आर्टरी वाल्स में फैट, कोलेस्ट्रॉल और प्लाग जमने लगते हैं। ये आपके रक्त प्रवाह को प्रभावित कर ब्लड क्लॉट यानी खून के थक्कों और ह्रदय से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं (5)।
2. कब्ज
आलूबुखारा फल फाइबर से भरपूर होता है, इसलिए यह कब्ज के इलाज में सहायक माना जा सकता है। साथ ही एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, सूखा आलूबुखारा यानी प्रून्स में मौजूद फेनोलिक कंपाउंड मल त्याग में होने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं (6)।
3. कैंसर
आलूबुखारा ही नहीं, बल्कि सूखा आलूबुखारा के फायदे भी अनेक हैं। इन दोनों में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो कैंसर से लड़ने में सहायक हैं (7)। आलूबुखारा का अर्क ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी कम करता है (8)। वहीं, एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, सूखे प्लम में मौजूद फाइबर और पॉलीफेनोल्स पेट के कैंसर के जोखिम कारकों को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं (9)। हालांकि, इसको लेकर शोध की आवश्यकता है।
4. डायबिटीज
सूखे आलूबुखारे में मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड डायबिटीज के खतरे को कम कर सकते हैं। स्वाद में मीठा होने के बावजूद सूखा आलूबुखारा ब्लड शूगर को बढ़ाने का काम नहीं करता (10)। मधुमेह के लिए सूखे आलूबुखारा को आप स्नैक्स के तौर पर खा सकते हैं।
5. हड्डी स्वास्थ्य
आलूबुखारा के फायदे में हड्डी स्वास्थ्य भी शामिल है। एक अध्ययन के मुताबिक, रोजाना 100 ग्राम प्रून्स यानी सूखा आलूबुखारा खाने से हड्डी कमजोर करने वाले कारकों को दूर किया जा सकता है। साथ ही, इससे बोन मिनरल डेंसिटी में भी सुधार होता है (11)।
6. कोलेस्ट्रॉल
प्रून्स के सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम करने में भी मदद मिल सकती है। इसके नियमित सेवन से खराब कोलेस्ट्रॉल एलडीएल (LDL) को कम किया जा सकता है। दरअसल, आलूबुखारा फल फाइबर से भरपूर होता है, जिस वजह से यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने का काम कर सकता है (12)।
7. वजन कम करने में सहायक
आलूबुखारा फल मोटापे को कम करने में भी सहायक होता है (13)। दरअसल, आलूबुखारे में काफी कम कैलोरी पाई जाती है (14)। इस वजह से यह फल वजन को नियंत्रित रखने में सहायक साबित हो सकता है। वहीं, फाइबर से भरपूर होने की वजह से भी आलूबुखारा फल को वजन कम करने में फायदेमंद माना जाता है (15) , (16)।
8. आंखों की सेहत
आलूबुखारा के गुण में आंखों की सेहत का ख्याल रखना भी शामिल है। इस फल में विटामिन-सी और विटामिन-ई प्रचुर मात्रा में ह��ते हैं (17)। ये दोनों पोषक तत्व उम्र के साथ घटती आंखों की रोशनी की समस्या से राहत दिलाने में सहायक साबित हो सकते हैं (18)। हालांकि, मोतियाबिंद की रोकथाम में ये पोषक तत्व सहायक हैं या नहीं इस पर अन्य शोध की जरूरत है। आंखों की सेहत के लिए सूखा आलूबुखारा और आलूबुखारा फल दोनों का ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
9. इम्यूनिटी
आलूबुखारा फल में मौजूद विटामिन-ए प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही इसमें मिलने वाला विटामिन-सी शरीर में मौजूद टिश्यू को रिपेयर करने और इनके विकास में सहायक होते हैं (19)। वहीं, आलूबुखारा को लेकर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, प्लम में प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले गुण हो सकते हैं। आहार में प्लम को शामिल करने के बाद बीमारी से लड़ने की क्षमता में बढ़ोत्तरी पाई गई (20)।
10. मस्तिष्क स्वास्थ्य
प्लम में मौजूद पॉलीफेनॉल्स कंपाउंड मस्तिष्क स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। यह मस्तिष्क के कोलेस्ट्रॉल स्तर को भी कम करके दिमागी बीमारियों के जोखिम को कम करता है (21)। आलूबुखारे को लेकर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, आलूबुखारा का जूस बढ़ती उम्र के साथ मस्तिष्क कार्यप्रणाली में आने वाली कमी को दूर करने में सहायक हो सकता है (22)। आलूबुखारा फल में ज्यादा फिनोलेक्स कंपाउंड होते हैं।
11. एंटीऑक्सीडेंट
आलूबुखारा विटामिन-ए, विटामिन-सी, कैरोटीनॉयड व पॉलीफेनॉल्स से भरपूर होता है। ये सभी आलूबुखारा में एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं (23)। दरअसल, एंटीऑक्सीडेंट की कमी से शरीर में मुक्त कणों (Free Radicals) का खतरा बढ़ जाता है, जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं (24)। बता दें कि फ्री रेडिकल्स कि वजह से आपकी आंखों के प्राकृतिक लेन्स खराब हो सकते हैं, जिससे अंधापन भी हो सकता है। इसके अलावा, जोड़ों में सूजन (गठिया) हो सकती है। साथ ही ये मस्तिष्क से जुड़ी समस्या और ह्रदय रोग का कारण भी बन सकते हैं (25)। इसलिए, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आलूबुखारा खाने से हम शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं (26)।
आलूबुखारा के फायदे जानने के बाद चलिए बात करते हैं, इसमें मौजूद पोषक तत्वों की।
आलूबुखारा के पौष्टिक तत्व – Plums Nutritional Value in Hindi 
आलूबुखारा फल को पौष्टिकता का खजाना भी कह सकते हैं। नीचे देखें प्रति 100 ग्राम आलूबुखारा में पोषक तत्वों की मात्रा कितनी पाई जाती है (17)। 
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम जल 87.23 ऊर्जा 46kcal प्रोटीन 0.70g कुल फैट 0.28g कार्बोहाइड्रेट 11.42g फाइबर 1.4g शुगर 9.92g  मिनरल्स कैल्शियम 6mg आयरन 0.17mg मैग्नीशियम 7mg फास्फोरस, पी 16mg पोटैशियम, के 157mg जिंक 0.10mg विटामिन विटामिन सी 9.5mg थायमिन  0.028mg राइबोफ्लेविन 0.026mg नियासिन 0.417 mg विटामिन बी-6 0.026mg फोलेट, डीएफई 5 µg विटामिन ए, RAE 17µg विटामिन ए, IU 345IU विटामिन ई, (अल्फा-टोकोफेरॉल) 0.26mg विटामिन के (फाइलोक्विनोन)  6.4µg लिपिड फैटी एसिड, सैचुरेटेड 0.017g फैटी एसिड, कुल मोनोअनसैचुरेटेड  0.134g फैटी एसिड, कुल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.044g
आर्टिकल के अगले हिस्से में हम बता रहे हैं कि आलूबुखारे और सूखे आलूबुखारे के बीच क्या फर्क है। 
आलूबुखारा और सूखा आलूबुखारा के बीच अंतर क्या है?
आलूबुखारा रसदार गूदे से भरा होता है। जब ये फल सूख जाता है, तो इसे सूखा आलूबुखारा कहा जाता है, जो मेवे की श्रेणी में आता है। सूखे आलूबुखारा को अंग्रेजी में प्रून्स कहते हैं। आइए नीचे विस्तार से जानते हैं, दोनों के बीच के अंतर को-
आलूबुखारा गुठली वाला फल है, जो मुलायम गूदे से भरा होता है। वहीं, सूखा आलूबुखारा चिपचिपा होता है।
आलूबुखारा फल मई से अक्टूबर के बीच बाजार में मिलता है, लेकिन सूखा आलूबुखारा साल भर मिलता है।
सूखा आलूबुखारा फल से भी ज्यादा मीठा होता है।
आलूबुखारा में विटामिन- सी की मात्रा अधिक होती है, जबकि सूखे आलूबुखारे में विटामिन-सी कम होता है।
आलूबुखारा फल में पानी की मात्रा ज्यादा होती है। जहां प्रति 100 ग्राम फल में पानी की मात्रा 87.23g वहीं सूखे आलूबुखारे में यह घटकर 30.92g हो जाती है (17) , (27) ।
सूखा आलूबुखारा (प्रून्स) में फाइबर की मात्रा आलूबुखारा फल (प्लम) से ज्यादा पाई जाती है। इस वजह से कब्ज दूर करने के लिए प्रून्स का ही अधिक इस्तेमाल किया जाता है (28)।
आइए, अब जानते हैं कि आलूबुखारे को किस-किस तरह से प्रयाेग किया जा सकता है।
आलूबुखारा का उपयोग – How to Use Plums in Hindi 
आलूबुखारा के उपयोग करने के कई तरीके हैं, लेकिन इससे पहले आपको ठोस, रसदार और बिना निशान लगे हुए आलूबुखारे खरीदने चाहिए।
आप आलूबुखारे को काटकर ओटमील, सलाद, दही, स्मूदी और पुडिंग में मिलाकर खा सकते हैं।
आप आलूबुखारा और सूखा आलूबुखारा दोनों को पिज्जा की टॉपिंग के लिए भी उपयोग में ला सकते हैं।
आलूबुखारा का इस्तेमाल मफिन, ब्रेड और अन्य डेजर्ट में भी किया जा सकता है।
आलूबुखारे की आप खट्टी-मिठ्ठी चटनी भी बना सकते हैं।
आप इसका जूस बनाकर भी पी सकते हैं।
सूखा आलूबुखारा को आप आइसक्रीम व केक की टॉपिंग के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
सूखे आलूबुखारे को सीधे स्नैक के तौर पर भी खाया जा सकता है (29)।
चलिए, अब आपको झटपट बनने वाली आलूबुखारे की चटनी की रेसिपी के बारे में भी बता देते हैं। 
आलूबुखारे की चटनी
सामग्री:
250 ग्राम कटा हुआ आलूबुखारा
4 बड़े चम्मच कटे हुए बादाम
आधा छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
20 ग्राम पिसा हुई अदरक
दो चम्मच नींबू का रस
नमक स्वादानुसार
कुछ पुदीने के पत्ते गार्निशिंग के लिए
बनाने की विधि:
सबसे पहले आलूबुखारे को धो लें।
फिर आलूबुखारे को कुछ घंटे पानी में भिगोकर रख दें।
इसके बाद आलूबुखारे की गुठली निकालकर इसे टुकड़ों में काट लें।
अब आलूबुखारा, नमक और अदरक को एक पैन में डालकर गाढ़ा पेस्ट बनने तक पकाएं।
अंत में नींबू का रस डालकर इसे अच्छे से मिक्स कर लें।
लीजिए, तैयार है आलूबुखारे की चटनी। इसे ठंडा होने के बाद पुदीने के पत्तों से गार्निशिंग कर सर्व करें।
इस लजीज चटनी को आप पराठें, आलू टिक्की या पकौड़ों के साथ खा सकते हैं। इसके अलावा, इसे स्नैक्स के साथ भी परोसा जा सकता है। वहीं, यह चटनी ब्रेड पर जैम की तरह इस्तेमाल की जा सकती हैं।
आलूबुखारा जैसा पौष्टिक फल आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। आइये, जानते हैं आलूबुखारा के नुकसान।
आलूबुखारा के नुकसान – Side Effects of Plums in Hindi 
पौष्टिक आलूबुखारा के वैसे तो कोई नुकसान नहीं होते, लेकिन आपको इसका सेवन अत्यधिक मात्रा में नहीं करना चाहि। साथ ही इसके सेवन से पहले यह भी जान लेना जरूरी है कि कहीं आपको इससे एलर्जी तो नहीं है।
आलूबुखारा में लैक्सेटिव (पेट साफ करने का प्राकृतिक गुण) होता है(30)। इसलिए, इसके अत्यधिक सेवन से आपको डायरिया भी हो सकता है (31)।
सूखे आलूबुखारे के ज्यादा सेवन से गैस की समस्या हो सकती है (32)।
आलूबुखारे में पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है (17)। इसके अधिक सेवन से हाइपरकलेमिया यानी शरीर में पोटैशियम की मात्रा बढ़ सकती है। इससे सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, जी मिचलाना और उल्टी हो सकती है (33)।
पौष्टिक तत्वों से भरपूर आलूबुखारा के फायदे तो अब आप जान ही चुके हैं। अब आप इसे अपनी डाइट में शामिल कर इसमें छुपे स्वास्थ्य लाभ उठा सकते हैं, लेकिन इसका सेवन संतुलित मात्रा में करें, क्योंकि इसका अत्यधिक सेवन लेख में बताए गए आलूबुखारा के नुकसान का कारण बन सकता है। आलूबुखारा के गुण जानने के बाद आपको इसमें सबसे अच्छा क्या लगा, हमें नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। इसके अलावा, आप हमसे आलूबुखारा से जुड़े सवाल भी पूछ सकते हैं।
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मूंगफली के फायदे, उपयोग और नुकसान – Peanut (Mungfali) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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मूंगफली के फायदे, उपयोग और नुकसान – Peanut (Mungfali) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 June 19, 2019
यह कहना गलत नहीं होगा कि मूंगफली के फायदे बादाम से किसी भी तरह से कम नहीं हैं। यह न सिर्फ ठंड के मौसम में दोस्तों के बीच हंसी-ठिठोली और टाइम पास का जरिया है, बल्कि यह पौष्टिक तत्वों का खजाना भी है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम मूंगफली खाने के फायदे बता रहे हैं। हालांकि, इनमें से कुछ फायदे ऐसे हैं, जो शायद कई लोगों को पता होंगे, लेकिन इसमें कुछ फायदे ऐसे हैं जिन्हें जानकर आप चौंक जाएंगे। आइए, अब जानते हैं मूंगफली के फायदे।
मूंगफली के बारे में जानें कुछ महत्वपूर्ण बातें
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मूंगफली के फायदे पता करने से पहले उससे जुड़ी कुछ जानकारियों के बारे में जानना जरूरी है। बेशक, मूंगफली को फलियों की श्रेणी में रखा गया है, लेकिन इसमें बादाम व काजू जैसे सूखे मेवों के भी सभी गुण मौजूद हैं। यही कारण है कि इसे नट्स की श्रेणी में भी शामिल किया गया है। मूंगफली को कई नामों से जाना जाता है, जैसे हिंदी में मूंगफली, तेलगु में ‘पलेलु’ (Pallelu), तमिल में ‘कदलाई’ (Kadalai), मलयालम में ‘निलक्कड़ला’ (Nilakkadala), गुजराती में ‘सिंगदाना’ (Singdana) और मराठी में ‘शेंगदाना’ (Shengdaane) कहा जाता है। इसके अलावा, मूंगफली को जमीन से प्राप्त किया जाता है, जिस कारण इसे ग्राउंडनट भी कहा जाता है। मूंगफली आसानी से भारत में लगभग हर जगह वर्ष भर मिलती है। भारत में मूंगफली को सबसे ज्यादा तेल के रूप में और भुने हुए स्नैक के रूप में उपयोग किया जाता है।
आगे हम विस्तार से मूंगफली के फायदे बता रहे हैं।
विषय सूची
मूंगफली के फायदे – Benefits of Peanut in Hindi
मूंगफली कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। सर्दी-जुकाम ठीक करने से लेकर, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करने, वजन कम करने, ऊर्जा बढ़ाने और पाचन शक्ति तक को बेहतर में मूंगफली खाने के फायदे हैं। यहां जानिए कि मूंगफली के फायदे क्या-क्या हैं।
सेहत के लिए मूंगफली के फायदे – Health Benefits of Peanut in Hindi
वैसे तो मूंगफली खाने के फायदे सेहत, त्वचा और बाल तीनों के लिए हैं, लेकिन हम शुरुआत करेंगे सेहत के लिए मूंगफली के फायदे से। नीचे हम आपको विस्तार से सेहत के लिए मूंगफली के फायदे बता रहे हैं।
1. ब्लड शुगर या डायबिटीज के लिए मूंगफली के फायदे
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बदलती जीवनशैली के साथ कई बीमारियां आम हो चुकी हैं। ब्लड शुगर यानी डायबिटीज भी उन्हीं में से एक है। इस बीमारी का सही वक्त पर पता चलना जरूरी है, नहीं तो इससे शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं, खासकर किडनी। डायबिटीज तीन प्रकार के होते हैं टाइप 1 डायबिटीज, टाइ��� 2 डायबिटीज और गर्भावधि डायबिटीज। जिन्हें डायबिटीज है या जो लोग इससे बचना चाहते हैं, उन्हें अपनी डाइट में मूंगफली को जरूर शामिल करना चाह��ए। मूंगफली में मौजूद मैंगनीज कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। वहीं, वसा और कार्बोहाइड्रेट चयापचय और खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने में भी मदद करता है (1)। ऐसे में अगर आप मूंगफली का सेवन नहीं भी करना चाहें, तो बाजार में मिलने वाले पीनट बटर का सेवन कर सकते हैं। पीनट बटर के सेवन से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है (2)।
2. दिमाग के लिए मूंगफली के फायदे
दिमाग तेज करने के मामले में बादाम खाने की सलाह दी जाती है, लेकिन यही काम सस्ती-सी मूंगफली भी कर सकती है। मूंगफली और पीनट बटर में प्रचुर मात्रा में विटामिन-ई मौजूद होता है (3)। यह शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो नर्वस मेम्ब्रेन की रक्षा करता है। इसमें मौजूद थायमिन (Thiamine) मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र तक ऊर्जा पहुंचाने में मदद करता है। इसके अलावा, मस्तिष्क तक रक्त का प्रवाह भी ठीक रहता है (4)।
3. कैंसर से बचाव के लिए मूंगफली खाने के फायदे
मूंगफली के सेवन से कैंसर जैसी बीमारी से भी बचा जा सकता है। मूंगफली के सेवन से महिलाओं में होने वाले कोलन कैंसर (colon cancer) यानी पेट के कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है (5) (6)। आप मूंगफली की जगह पीनट बटर भी खा सकते हैं। खासतौर पर महिलाओं को इसका सेवन जरूर करना चाहिए।
4. ऊर्जा बढ़ाने के लिए मूंगफली के फायदे
घंटों कुर्सी पर बैठकर कंप्यूटर व लैपटॉप पर काम करना हो या घर के कामों की भागादौड़ी हो, हर काम में ऊर्जा की जरूरत होती है। ऐसे में उन आहारों को अपनी जीवनशैली में शामिल करना चाहिए, जिसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व हों और शरीर को ऊर्जा मिले। इस काम में मूंगफली आपकी मदद कर सकती है। मूंगफली में विटामिन, खनिज, पोषक तत्व और एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। इनसे आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में एनर्जी मिलती है (7)। आप मूंगफली को स्नैक्स के तौर पर फ्राई करके खाएं, इसकी चटनी बनाकर खाएं या फिर ब्रेड पर पीनट बटर लगाकर खाएं, आपको हर तरह से लाभ होगा।
5. हृदय रोग, नस के रोग और अल्जाइमर के लिए मूंगफली के फायदे
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तनाव की वजह से दिल की बीमारी किसी को भी हो सकती है। इसके लिए सिर्फ दवाइयां ही नहीं, बल्कि सही खान-पान भी जरूरी है। ऐसे में मूंगफली का सेवन ह्रदय संबंधी परेशानी में काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। मूंगफली में रेस्वेराट्रोल (Resveratrol) नामक एंटी-ऑक्सीडेंट होता है, जो शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड के उत्पादन को बढ़ाकर दिल के दौरे को रोक सकता है (8)। रेस्वेराट्रोल सिर्फ दिल की बीमारी ही नहीं, बल्कि नस के रोग, कैंसर, तंत्रिका रोगों, समय से पहले होने वाले एजिंग के लक्षणों, वायरल व फंगल संक्रमण से भी बचाव कर सकता है (9)।
इनके अलावा, बढ़ती उम्र के साथ होने वाली अल्जाइमर नामक बीमारी से भी बचा जा सकता है। अल्जाइमर में उम्र बढ़ने के साथ-साथ मरीज की याददाश्त कम होने लगती है। मूंगफली में नियासिन (niacin) मौजूद होता है, जो मस्तिष्क के लिए अच्छा होता है। सिर्फ अल्जाइमर ही नहीं, बल्कि दिमाग से जुड़ी कई अन्य समस्याओं से भी बचा जा सकता है (4)।
6. तनाव के लिए मूंगफली खाने के फायदे
ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो तनाव की समस्या से जूझ रहे हैं। इससे बचने के लिए कुछ लोग दवाइयां खाते हैं, जो सेहत के लिए ठीक नहीं है। ऐसे में अगर आप अपने आहार में मूंगफली को शामिल कर सकते हैं, तो तनाव से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है। व्यक्ति को तनाव तब होता है, जब शरीर में सेरोटोनिन का स्तर कम हो जाता है, ऐसे में मूंगफली का सेवन काफी फायदेमंद होता है। मूंगफली में ट्रिप्टोफैन पाया जाता है, जो शरीर में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाता है (10)। इसलिए, मूंगफली के सेवन से मन व दिमाग शांत होता है और तनाव से राहत मिलती है। आप मूंगफली को चाय के साथ स्नैक्स की तरह खा सकते हैं।
7. गठिया या हड्डियों के लिए मूंगफली के फायदे
अगर आप अपनी डायट में मूंगफली को शामिल करेंगे, तो गठिया की समस्या से काफी हद तक आराम मिलेगा। मधुमेह भी गठिया का एक कारण हो सकता है। ऐसे में मूंगफली के सेवन से ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है और शरीर के हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को भी कम कर सकता है। इसके अलावा, मूंगफली अन्य ड्राई फ्रूट्स की तुलना में सस्ती भी होती है (11)।
8. कोलेस्ट्रॉल के लिए मूंगफली खाने के फायदे
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हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं – एचडीएल (HDL-high-density lipoprotein) यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल और दूसरा एलडीएल (LDL-low-density lipoprotein) यानी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल। जब हानिकारक कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है, तो दिल की बीमारी, किडनी में समस्या, मोटापा, आंखों की बीमारी और ऐसी ही कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में अगर आप अपनी डाइट में मूंगफली को शामिल करें और कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बच सकते हैं। मूंगफली खाने से खराब कोलेस्ट्रॉल कम होता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल का निर्माण होता है (12) (13)। मूंगफली में मोनो-अनसैचुरेटेड फैटी एसिड और ओलिक एसिड (oleic acid) होता है, जो दिल की बीमारियों से बचा सकता है (4)।
9. गॉलब्लैडर में स्टोन के लिए मूंगफली के फायदे
गॉलब्लैडर में पथरी की समस्या बहुत ही कष्टदायक होती है। अगर जल्द से जल्द इसका इलाज न कराया जाए, तो यह खतरनाक रूप भी ले सकती है। अक्सर इसके लक्षण सामान्य होते हैं, जिस कारण यह बीमारी जल्द पकड़ में नहीं आती है। ऐसे में इसके लक्षणों को पहचान कर तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर दवाइयां तो लेनी ही चाहिए, साथ ही अपने खान-पान का भी ख्याल रखना चाहिए। इस मामले में मूंगफली आपको काफी हद तक आराम देगी। इसलिए, आप नियमित रूप से मूंगफली का सेवन कर सकते हैं (14)।
10. भ्रूण के विकास के लिए मूंगफली खाने के फायदे
गर्भवस्था किसी भी महिला के लिए महत्वपूर्ण चरण होता है। इस दौरान पौष्टिक आहार न लेने से भ्रूण के विकास में समस्या हो सकती है। कई बार शिशु न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स जैसी समस्या का शिकार हो जाता है। आपको बता दें कि न्यूरल ट्यूब एक रिबन की तरह होती है। यह भ्रूण की रीढ़ के हड्डी में, दिमाग और नसों में विकसित होती है। इस ट्यूब के ठीक तरह से विकसित न होने पर भ्रूण के महत्वपूर्ण अंग प्रभावित हो सकते हैं, जिससे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट हो सकता है। अगर कोई महिला गर्भावस्था के पहले या गर्भावस्था के दौरान सीमित मात्रा में मूंगफली का सेवन कर���ी है, तो इसमें मौजूद फोलिक एसिड व अन्य पोषक तत्व शिशु को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से बचा सकते हैं।
नोट : अगर आपको मूंगफली से एलर्जी है या पहली बार मूंगफली खा रही हैं, तो एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
11. वजन संतुलित रखने के लिए मूंगफली के फायदे
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मोटापे के कारण छोटी-मोटी कई समस्याएं और बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं। इसलिए, संतुलित वजन जरूरी है। आप अपनी डाइट में मूंगफली को शामिल कर बढ़ते वजन को रोक सकते हैं। जो महिलाएं सप्ताह में कम से कम दो बार मूंगफली या पीनट बटर खाती हैं, उन्हें मोटापा होने की आशंका उन महिलाओं के मुकाबले कम होती है, जो मूंगफनी नहीं खाती हैं। आप वजन कम करने के लिए ब्रेड स्लाइस पर पीनट बटर लगाकर खा सकती हैं (15)।
12. विटामिन
फल, सब्जियों व नट्स को विटामिन का अच्छा स्रोत माना गया है। हालांकि, कई बार अखरोट, बादाम व पिस्ता जैसे महंगे ड्राई फ्रूट्स खाना जेब पर काफी भारी पड़ जाता है। इस स्थिति में आपको जरूरी विटामिन सस्ती मूंगफली से मिल सकते हैं। जी हां, मूंगफली गुणों का खजाना है और विटामिन से भरपूर है। मूंगफली में बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन जैसे नियासिन (niacin), राइबोफ्लेविन (riboflavin), थियामिन(thiamin), पैंटोथेनिक एसिड (pantothenic acid) आदि होते हैं (4)। मूंगफली आपको अंदर से मजबूत बनाकर स्वस्थ रखेगी।
13. मिनरल्स
अगर आप चाहते हैं कि आपका शरीर सही तरह से काम करे, तो विटामिन्स के साथ-साथ मिनरल्स की भी जरूरत है। दिल को स्वस्थ्य रखना हो, मसूड़ों और दांतों को मजबूत करना हो, हड्डियों और मांसपेशियों को सही रखना हो या शरीर के अन्य अंगों को स्वस्थ रखना हो, तो मिनरल जरूरी होता है। ऐसे में मूंगफली आपके लिए गुणों का खजाना है। मूंगफली में पोटैशियम, मैंगनीज, कॉपर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, सेलेनियम और जिंक जैसे जरूरी मिनरल्स होते हैं (4)।
ऊपर आपने सेहत के लिए मूंगफली खाने के फायदे जानें, अब वक्त है त्वचा के लिए मूंगफली के फायदे जानने का।
त्वचा के लिए मूंगफली के फायदे – Skin Benefits of Peanut in Hindi
अगर आप अपनी त्वचा को लेकर चिंतित रहते हैं और चाहते हैं कि हर वक्त आपकी त्वचा निखरी लगे, तो फिर त्वचा के लिए मूंगफली के फायदे को जानें।
1. स्वस्थ्य त्वचा के लिए मूंगफली खाने के फायदे
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शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाने से उसका असर हमारे शरीर, त्वचा और चेहरे पर पड़ता है। इससे त्वचा पर कील-मुहांसे होने लगते हैं, त्वचा रूखी-बेजान लगने लगती है या फिर चेहरा जरूरत से ज्यादा तैलीय हो जाता है। ऐसे में मूंगफली के सेवन से त्वचा स्वस्थ हो सकती है। मूंगफली में कई तरह के पौष्टिक तत्व जैसे – विटामिन व मैग्नीशियम होते हैं, जिससे त्वचा स्वस्थ नजर आती है (4)।
2. एंटी-एजिंग/झुर्रियों के लिए मूंगफली के फायदे
उम्र के साथ चेहरे पर झुर्रियां या फाइन लाइन्स दिखना सामान्य है, लेकिन कई बार धूल-मिट्टी, प्रदूषण, मौसम, तनाव और कई अन्य कारणों से उम्र से पहले ही त्वचा पर झुर्रियां आने लगती है। इससे निपटने के लिए लोग महंगी क्रीम व अन्य ब्यूडी प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं, लेकिन खास फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे में मूंगफली आपकी मदद कर सकती है। मूंगफली में फैटी एसिड होता है (4)। मूंगफली के सेवन से झुर्रियां आदि त्वचा संबंधी समस्याओं का कारण बनने वाले तनाव और मूड स्विंग को कम करने में मदद मिलती है।
झुर्रियों के अलावा त्वचा की रंगत में बदलाव और त्वचा की गुणवत्ता में कमी आना भी बढ़ती उम्र के लक्षण होते हैं। ये किसी के लिए भी चिंता का कारण बन सकते हैं। ऐसे में मूंगफली के सेवन से काफी फर्क पड़ सकता है, क्योंकि मूंगफली में विटामिन-सी की मात्रा होती है (4), जो कोलेजन के उत्पादन के लिए आवश्यक है। कोलेजन त्वचा, नस और कार्टिलेज के लिए जरूरी होता है। यह त्वचा में लचीलापन बनाए रखता है, ताकि त्वचा जवां और कोमल रहे।
3. एक्जिमा या सोरायसिस
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बदलते मौसम, कीटाणुओं व पौष्टिक आहार न लेने आदि के कारण त्वचा पर एक्जिमा या सोरायसिस जैसी समस्या हो जाती है। ऐसे में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर मूंगफली इन त्वचा संबंधी समस्याओं को कम कर सकती है। मूंगफली में मौजूद फैटी एसिड सूजन और त्वचा की लालिमा को भी कम करता है। मूंगफली में विटामिन-ई, जिंक और मैग्नीशियम होता है, जो त्वचा को भीतर से दमकता हुआ रखता है और मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ता है। मूंगफली में मौजूद प्रोटीन त्वचा की कोशिकाओं में सुधार कर उन्हें फिर से उत्पन्न होने में मदद करता है (4)। इसके अलावा, आप मूंगफली के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं। मूंगफली के तेल में फ्लुसीनोलोन (Fluocinolone) मौजूद होता है। मूंगफली के तेल का इस्तेमाल स्कैल्प सोरायसिस और एटोपिक डरमिटाइटिस (atopic dermatitis) जैसे एक्जिमा के लिए भी किया जा सकता है (16)।
4. सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाव
गर्मियों का मौसम हो या ठंड का, धूप की हानिकारक किरणें त्वचा को क्षति पहुंचा सकती है। ये किरणें त्वचा की चमक को छीनकर उसे बेजान बना देती है। ऐसे में मूंगफली या मूंगफली का तेल त्वचा को सनबर्न से बचाता है और धूप से होने वाले टैन को भी काफी हद तक कम कर सकता है। इतना ही नहीं, ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के कारण भी त्वचा को नुकसान होता है। यह एक रासायनिक प्रक्रिया है, जिसमें मुक्त कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं में से इलेक्ट्रॉन को चुरा लेती हैं या निकाल देती हैं। ऐसे में मूंगफली में मौजूद विटामिन-ई ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस की क्षति के खिलाफ त्वचा की कोशिकाओं का बचाव करता है। इसलिए, आप मूंगफली का सेवन कर सकती हैं या उसका तेल लगा सकती है (17)।
5. त्वचा को मॉइस्चराइज और हाइड्रेट करे
बदलते मौसम के साथ त्वचा में भी कई बदलाव आते हैं। हवा की वजह से त्वचा अपनी नमी खोने लगती है और रूखी-बेजान होकर अपनी प्राकृतिक चमक खोने लगती है। कई बार तो मॉइस्चराइजर और लोशन का भी कोई असर नहीं होता है। ऐसे में आप मूंगफली का सेवन कर सकते हैं या मूंगफली का तेल लगा सकते हैं। मूंगफली में प्रचुर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है (18), जो त्वचा के लिए लाभकारी होता है। यह शरीर में किसी भी तरह के सूजन से बचाता है, त्वचा को फटने या रूखा होने से भी बचाता है। यह सूखी और पपड़ीदार त्वचा का इलाज करने के लिए भीतर से त्वचा को मॉइस्चराइज और हाइड्रेट कर सकता है।
6. त्वचा के रैशेज के लिए मूंगफली खाने के फायदे
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अधिक गर्मी, एलर्जी, दवाइयों के साइड इफेक्ट, गलत खान-पान, धूल-मिट्टी, पसीने या फिर बैक्टीरिया के कारण त्वचा पर रैशेज हो सकते हैं। कभी-कभी रैशेज कष्टदायक हो जाते हैं। ऐसे में मूंगफली पस्ट्युल (pustules) (19), त्वचा के रैशेज (skin rashes) और ���ोसासिया (rosacea) के इलाज के लिए प्रभावी हो सकती है।
नोट : अगर आपको पहले कभी मूंगफली या पीनट बटर से एलर्जी हुई है, तो आप इसका सेवन न करें या सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से पूछ लें।
सेहत और त्वचा के लिए मूंगफली खाने के फायदे तो आप जान ही गए हैं, अब वक्त है बालों के लिए मूंगफली के फायदे जानने का।
बालों के लिए मूंगफली के फायदे – Hair Benefits of Peanut in Hindi
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मूंगफली में मौजूद पोषक तत्व बालों को काफी हद पोषण देकर उन्हें खूबसूरत बनाने में मदद कर सकते हैं। नीचे हम इसी बारे में आपको विस्तार से बता रहे हैं।
1. बालों को स्वस्थ रखने के लिए मूंगफली
मूंगफली में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं, जो बालों को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है। इसमें भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है (18), जो बालों के विकास को बढ़ावा देने के लिए स्कैल्प के स्वास्थ्य और हेयर फॉलिकल्स (hair follicles) को स्वस्थ रखता है, ताकि बालों को बढ़ने में मदद मिल सके।
2. लंबे-मजबूत बालों के लिए मूंगफली
लंबे-मजबूत बाल खूबसूरती में चार-चांद लगा देते हैं, लेकिन प्रदूषण और पोषक तत्वों की कमी से बाल टूटने लगते हैं। खासकर, विटामिन-ई की कमी से बाल कमजोर होकर टूट सकते हैं (20) (21), इसलिए अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में विटामिन-ई युक्त मूंगफली को शामिल करें।
3. गंजेपन के लिए मूंगफली
बालों के झड़ने को कभी अनदेखा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे आप गंजेपन का शिकार हो सकते हैं। बढ़ती उम्र, दवाइयों के साइड इफेक्ट, पोषक तत्वों की कमी (20), आनुवंशिक, गर्भावस्था व गलत डाइट आदि कारणों से गंजेपन की परेशानी हो सकती है। महिलाएं रजनोवृत्ति के बाद हॉर्मोनल बदलाव के कारण बालों के झड़ने का शिकार हो सकती है (22)। ऐसे में अपने जीवनशैली में मूंगफली को शामिल कर आप अपने बालों के झड़ने को कुछ हद तक रोक सकते हैं। इसमें मौजूद पोषक तत्व बालों के लिए लाभकारी होते हैं। आप मूंगफली का सेवन भूनकर या कच्चा भी खा सकते हैं।
आगे हम आपको मूंगफली में मौजूद सभी पौष्टिक तत्वों के बारे में बता रहे हैं।
मूंगफली के पौष्टिक तत्व – Peanut Nutritional Value in Hindi
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तत्व पोषक मूल्य आरडीए प्रतिशत ऊर्जा 567 Kcal 29% कार्बोहाइड्रेट 16.13 g 12%  प्रोटीन 25.80 g 46% टोटल फैट 49.24 g 165% कोलेस्ट्रॉल 0 mg 0% डाइटरी फाइबर 8.5 g  22% विटामिन्स फॉलेट्स 240 µg 60% नियासिन 12.066 mg  75% पैंटोथेनिक एसिड 1.767 mg 35% पायरीडॉक्सीन 0.348 mg  27% राइबोफ्लेविन 0.135 mg 10% थायमिन 0.640 mg 53% विटामिन ए 0 IU 0%  विटामिन सी  0mg 0% विटामिन ई 8.33 mg 55.5% इलेक्ट्रोलाइट्स सोडियम 18 mg 1% पोटैशियम 705 mg 15% मिनरल्स कैल्शियम 92 mg 9%  कॉपर 1.144 mg 127% आयरन 4.58 mg 57% मैग्नीशियम 168 mg 42% मैंगनीज 1.934 mg 84% फास्फोरस  76 mg 54% सेलेनियम  7.2 µg 13% जिंक 3.27 mg 30% फाइटो न्यूट्रिएंट्स  बीटा कैरोटीन (Carotene-ß)  0 µg — क्रिप्टोजैन्थिन (Crypto-xanthin-ß)  0 µg — लुटिन जिआजेंथिन (Lutein-zeaxanthin)  0 µg —
मूंगफली के नुकसान – Side Effects of Peanut in Hindi
किसी भी चीज का जरूरत से ज्यादा सेवन हानिकारक हो सकता है। इसी प्रकार अधिक मूंगफली खाने से भी नुकसान हो सकता है। साथ ही कुछ लोगों को इसे खानी से परेशानी हो सकती है।
मूंगफली से एलर्जी की समस्या हो सकती है। आपको पहले कभी मूंगफली से एलर्जी हुई है, तो इसे खाने से बचें। अगर आप पहली बार मूंगफली का सेवन कर रहे हैं, तो आप एक बार डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ से सलाह लें। आप चाहें तो पहले मूंगफली के एक या दो दाने खाकर देख लें कि यह आपको सूट कर रही है या नहीं। कुछ लोगों को मूंगफली खाने से सांस लेने में परेशानी हो सकती है। ऐसी स्थिति में बिना देर करते हुए डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है, तो आपको त्वचा में खुजली व रैशेज की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, त्वचा या गले में सूजन की समस्या भी एलर्जी के ही लक्षण हैं।
जरूरत से ज्यादा मूंगफली खाने से गैस, सीने में जलन यानी एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
मूंगफली के सेवन से पेट से जुड़ी समस्या जैसे – लिवर की परेशानी भी हो सकती है।
इसके सेवन से अस्थमा या दमा का अटैक हो सकता है। इसलिए, जिन्हें अस्थमा की समस्या है, वो थोड़ी सावधानी के साथ इसका सेवन करें। अगर आपको थायराइड है, तो मूंगफली के सेवन से बचें या किसी डॉक्टर या विशेषज्ञ से बात करके ही इसका सेवन करें।
मूंगफली की तासीर गर्म होती है, इसलिए ध्यान रहे कि आप ठंड के मौसम में इसका सेवन करें। अगर आप गर्मी में इसे खा रहे हैं, तो ज्यादा मात्रा में इसका सेवन न करें। गर्मी में इसके ज्यादा सेवन से पेट खराब की परेशानी भी हो सकती है।
आगे हम बता रहे हैं कि अच्छे मूंगफली का चयन कैसे किया जाए।
मूंगफली का चयन – How to Choose Good Peanut in Hindi
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अच्छी मूंगफली चुनने के लिए नीचे हम कुछ जरूरी टिप्स बता रहे हैं :
मूंगफली पूरे साल सुपरमार्केट और किराने की दुकानों में एयरटाइट पैकेट में उपलब्ध होती है। यह अलग-अलग रूप में जैसे – छिलके वाली, कच्ची, भुनी हुई या फिर नमक वाली होती है।
छिलके वाले बिना पकी हुई (unshelled) मूंगफली हर मायने में प्रोसेस्ड मूंगफली से ज्यादा बेहतर है। प्रोसेस्ड नट के छिलके को निकालने के लिए कई तरह की रासायनिक प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।
कच्ची मूंगफली खरीदते समय यह सुनिश्चित करें कि मूंगफली की फली क्रीम रंग की हो।
मूंगफली खरीदते वक्त ध्यान रहे कि उसमें नमी या पैकेट के अंदर किसी भी प्रकार के कीड़े-मकोड़े न हो।
छिलके वाले मूंगफली खरीदते वक्त ध्यान रखें कि वो सूखी न हो। इससे पता चलता है कि मूंगफली कितनी पुरानी है। ध्यान रहे मूंगफली का छिलका नाजुक हो, ताकि वो आसानी से निकल जाए या उसे आसानी से छिला जा सके।
छिलके वाली या साबुत मूंगफली (Unshelled) को कई महीनों तक ठंडी और अंधेरी जगह में रखा जा सकता है, जबकि मूंगफली के दानों (shell) को सालों तक एयरटाइट कंटेनर में रखा जा सकता है।
मूंगफली में तेल की मात्रा अधिक होती है, इसलिए कमरे के तापमान में लंबे समय तक रखने पर यह जल्दी खराब हो सकती है। आप मूंगफली को कमरे के तापमान में स्टोर कर सकते हैं, लेकिन इसकी ताजगी बनाए रखने और इसकी शेल्फ लाइफ को लंबा करने के लिए इन्हें रेफ्रिजरेटर में स्टोर किया जा सकता है। मूंगफली में पानी की मात्रा कम होती है, जिस कारण यह जमेगी नहीं।
ध्यान रहे कि मूंगफली को स्टोर करने से पहले उसे काटे नहीं।
अगर आप मूंगफली को सही तरीके से स्टोर नहीं करेंगे, तो यह नर्म, बासी और खराब हो सकती है।
मूंगफली खरीदते और उपयोग करते वक्त उसे सूंघ लें। अगर उस��ें से बदबू आए, तो इसका मतलब यह है ��ूंगफली खराब हो चुकी है।
आप मूंगफली को शीशे के या प्लास्टिक कंटेनर और जिप लॉक बैग में स्टोर कर सकते हैं।
मूंगफली किसी भी गंध को आसानी से अवशोषित कर लेती है, इसलिए उसे अन्य तीव्र गंध वाले या बदबूदार भोजन से दूर रखें।
कई लोगों को मूंगफली भूनकर खाना पसंद है। यहां तक कि कुछ लोग मूंगफली को भूनकर कई-कई दिनों तक डिब्बे में बंद करके रखते हैं, लेकिन शायद उनको पता नहीं होगा कि मूंगफली भूनने से उसका प्राकृतिक तेल निकल जाता है और उसकी शेल्फ लाइफ भी कम हो जाती है। जहां कच्ची मूंगफली को एक हफ्ते तक स्टोर किया जा सकता है, वहीं भुनी हुई मूंगफली मुश्किल से एक या दो दिन तक ही ठीक रहती है।
आइए, अब जान लेते हैं कि मूंगफली कैसे खाएं।
मूंगफली का उपयोग कैसे करें – How to Use Peanut in Hindi
आप मूंगफली को आसानी से अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसके लिए आपको ज्यादा मेहनत करने की भी जरूरत नहीं है। नीचे हम इसी बारे में आपको बता रहे हैं।
1. उबली हुई मूंगफली
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आप मूंगफली को उबालकर खा सकते हैं। कहा जाता है कि अमेरिका में मूंगफली को उबालकर खाना बहुत प्रचलित है। उबली हुई मूंगफली बहुत ही स्वादिष्ट होती है और सेहतमंद भी होती है, क्योंकि यह रोग से लड़ने वाले यौगिकों को लगभग चार गुना बढ़ा देती है। इसके अलावा, मूंगफली में कम मात्रा में सैचुरेटेड फैट होता है, जो इसे एक संपूर्ण आहार बनाता है। नीचे हम मूंगफली उबालने की विधि आपको बता रहे हैं।
सबसे पहले मूंगफली को अच्छे से धो लें और फिर एक घंटे के लिए पानी में भिगोकर रख दें।
अब 200 एमएल पानी में एक चम्मच नमक मिला दें।
फिर इसमें मुट्ठीभर मूंगफली डालकर उबाल लें।
मूंगफली में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है। इसलिए, इसे विभिन्न तरीकों जैसे – मक्खन, तेल, आटा और फ्लेक के रूप में उपयोग किया जाता है। मूंगफली का तेल बड़े पैमाने पर खाना पकाने और कृत्रिम मक्खन तैयार करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे हाइड्रोलिक प्रेशर लगाकर शेल और क्रश की हुई मूंगफली से निकाला जाता है।
2. मूंगफली का आटा
कई लोग मूंगफली के आटे का भी सेवन करते हैं। मूंगफली का आटा बनाने के लिए हल्की और उबली हुई सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली मूंगफली का चयन किया जाता है। फिर इन्हें भूना जाता है और कम वसा वाला आटा बनाया जाता है। इस आटे का उपयोग मिठाई बनाने या फिर बेकरी में किया जाता है। इसका उपयोग बेकिंग, कुकिंग और पाई बनाने के लिए भी किया जाता है।
3. पीनट बटर
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कई लोग पीनट बटर यानी मूंगफली का मक्खन खाना भी पसंद करते हैं। यह आसानी से बाजार में व सुपरमार्केट में मिल जाता है, लेकिन आप इसे घर में भी बना सकते हैं। बाजार की तुलना में घर में बना पीनट बटर न सिर्फ सेहतमंद होगा, बल्कि सस्ता भी होगा। नीचे हम इसकी आसान विधि आपको बता रहे हैं :
सामग्री :
दो से तीन कप मूंगफली
आधा या एक चम्मच चीनी (आवश्यकतानुसार)
एक चम्मच शहद (वैकल्पिक)
एक चौथाई चम्मच या चुटकीभर नमक
दो से तीन बड़े चम्मच मूंगफली का तेल या अन्य वेजिटेबल ऑयल
बनाने की विधि :
पहले कड़ाही या पैन में कच्ची मूंगफली को बिना तेल-घी के भून लें।
जब यह सुनहरी हो जाए, तो गैस बंद कर दें और इसे ठंडा होने दें।
ठंडा होने के बाद इसके छिलके निकाल लें।
फिर इसे मिक्सी में पीस लें। उसके बाद अन्य सामग्रियां जैसे – मूंगफली का तेल, चीनी, नमक व शहद मिलाकर एक बार और पीस लें।
पीसते वक्त बीच-बीच में मिक्सी खोलकर पेस्ट को चलाते रहें, ताकि यह अच्छे से पेस्ट बन जाएं।
ध्यान रहे कि आप सामग्रियों को मिलाकर एक बार चख लें और सामग्रियां अपने स्वाद अनुसार ही मिलाएं।
अब आपका पीनट बटर तैयार है। आप इसे किसी साफ-सुथरे शीशे के बोतल या अन्य किसी जार में रख सकते हैं। फिर जब मन करे, तब आप इसे रोटी या ब्रेड के साथ खाएं।
4. भुनी हुई मूंगफली
भुनी हुई मूंगफली लोकप्रिय भारतीय स्नैक है और इसे तैयार करना भी आसान है। आप मूंगफली को बिना तेल-घी के कड़ाही या फ्राई पैन में भून सकते हैं। इसके अलावा, आप तेल-घी के साथ भी इसे भून सकते हैं और भूनते वक्त स्वादानुसार नमक भी मिला सकते हैं। भूनने के बाद खाते वक्त भी नमक मिलाया जा सकता है। आप भुनी हुई मूंगफली को स्नैक्स के तौर पर, मिक्सचर के साथ, खीरे-प्याज के साथ या अन्य कई तरीकों से सेवन कर सकते हैं।
मूंगफली को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने का तरीका – How to Store Peanut in Hindi
अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि इसे कैसे स्टोर किया जाए कि यह लंबे वक्त तक ठीक रहे। इसके लिए आपको ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है, हम आपको मूंगफली को लंबे वक्त तक सुरक्षित रखने का तरीका बता रहे हैं।
आप मूंगफली के दानों को एयर टाइट जार में कुछ वक्त तक स्टोर करके रख सकते हैं।
साबुत मूंगफली (Unshelled) को अगर ठंडी जगह पर रखा जाए, तो यह कई महीनों तक ठीक रह सकती है।
ध्यान रहे कि मूंगफली में कीड़े भी लग सकते हैं, इसलिए अगर मूंगफली को फ्रिज में रखना है, तो उसे जीप लॉक बैग में डालकर रखें।
घर में बने पीनट बटर को एयर टाइट डिब्बे में बंद करके फ्रिज में रखें। कोशिश करें कि इतना ही पीनट बटर बनाएं, जो एक-दो दिन में खत्म हो जाए।
अगर आप बाजार से पीनट बटर खरीद रहे हैं, तो ध्यान रहे कि आप उसकी एक्सपायरी डेट देखकर ही खरीदें।
अगर आप मूंगफली को भूनकर रख रहे हैं, तो कोशिश करें कि भुनी हुई मूंगफली उसी दिन या अगले दिन तक खत्म हो जाए। भुनी हुई मूंगफली को ज्यादा दिनों तक स्टोर न करें।
अगर मूंगफली का सही तरीके से सेवन किया जाए, तो मूंगफली खाने के फायदे अनेक हैं। अब जब आपको मूंगफली के फायदे पता चल चुके हैं, तो आप इसे अपनी डाइट में शामिल करना न भूलें। अगर बात करें मूंगफली के नुकसान की, तो सीमित मात्रा में उपयोग करने से नुकसान नहीं होगा। याद रखें कि सावधानी में ही सुरक्षा है। आप मूंगफली को संतुलित मात्रा में अपनी डाइट में शामिल कर इसके गुणों को अपने शरीर में अवशोषित कर खुद को सेहतमंद रखें और हमारे साथ अपने अनुभव नीचे दिए कमेंट में शेयर करना न भूलें।
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रामबुतान के 11 अद्भुत स्वास्थ्य लाभ – Health Benefits Of Rambutan in Hindi
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रामबुतान के 11 अद्भुत स्वास्थ्य लाभ – Health Benefits Of Rambutan in Hindi
Nripendra Balmiki March 13, 2019
दक्षिण-पूर्व एशिया में बहुतायत पाया जाने वाला रामबुतान स्वादिष्ट और गुणकारी फल है। अकेले ऑस्ट्रेलिया में इसकी 50 से ज्यादा प्रजातियों की पहचान की गई है, जिनमें से 15 की व्यापारिक रूप से खेती की जाती है (1)। लीची जैसा दिखने वाला यह फल भले ही आम बाजार में कम देखने को मिले, लेकिन सुपरमार्केट्स और ऑनलाइन स्टोर से आप इसे आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। रामबुतान विभिन्न औषधीय गुणों से समृद्ध होता है और आपकी कई शारीरिक समस्याओं का इलाज कर सकता है। इस लेख में हमारे साथ जानिए शरीर के लिए रामबुतान के फायदों के बारे में।
विषय सूची
रामबुतान क्या है? – What is Rambutan in Hindi?
रामबुतान सैपिनडेसिया परिवार के अंतर्गत एक मध्यम आकार का उष्णकटिबंधीय पेड़ है। वैज्ञानिक रूप से इसे नेफेलियम लैपेसम के नाम से जाना जाता है। रामबुतान को अपने स्वाद के लिए जाना जाता है। यह फल और भी कई नामों से जाना जाता है, जैसे रामबुटन (rambotan), रामबूटान (ramboutan) व रामबुस्तान (rambustan) आदि। यह फल अन्य उष्णकटिबंधीय फलों जैसे लीची, लोंगान और मैमोनसील्लो (mamoncillo) जैसा है। मूल भाषा में रामबत का अर्थ बाल होता है। इस फल की बाहरी परत पर बाल जैसे रैशे निकले होते हैं। वियतनाम में इस फल को चोम-चोम के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है मेसी हेयर।
रामबुतान शरीर के लिए क्यों अच्छा है?
रामबुतान एक गुणकारी फल है, जो कई औषधीय गुणों से समृद्ध होता है। इस फल में विटामिन-सी की मात्रा अधिक पाई जाती है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। रामबुतान में कॉपर और आयरन भी होता है, जो रक्त वाहिकाओं और रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ रखने का काम करता है। रामबुतान फल के फायदे कई हैं, जिनके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे।
आइए, अब रामबुतान के इतिहास के बारे में जानते हैं।
रामबतन का इतिहास – History of Rambutan in Hindi
रामबुतान मूल रूप से मलेशिया और इंडोनेशिया से संबंध रखता है। यहां इस फल की बहुतायत में खेती की जाती है। 14वीं शताब्दी के आसपास अरब व्यापारियों ने पूर्वी अफ्रीका को इस खास फल की पहचान कराई थी। 19वीं शताब्दी में डच ने इस फल को दक्षिण अमेरिका में पेश किया। इसके बाद 1912 में यह इंडोनेशिया और फिलीपींस पहुंचा।
अब हम इस फल में मौजूद खास पोषक तत्वों के बारे में बात करेंगे।
रामबुतान के पोषण तत्व क्या-क्या हैं – Nutritional Profile Of Rambutan in Hindi
100 ग्राम रामबुतान में लगभग 84 कैलोरी और 0.1 ग्राम फैटा होता है। इसमें 0.9 ग्राम प्रोटीन और लगभग 28 प्रतिशत आयरन होता है। इस फल के 100 ग्राम में विटामिन-सी का 40 प्रतिशत हिस्सा होता है, जिसकी आपको रोज जरूरत होती है।
पोषण तत्व यूनिट 1 वैल्यू प्रति 100 ग्राम 1.0 कप, ड्रेंड 150 ग्राम 1.0 कप, 214 ग्राम 1.0 फल 9 ग्राम प्रॉक्सिमेट पानी g 78.04 117.6 167.01 7.02 ऊर्जा kacl 82 123 175 7 प्रोटीन g 0.65 0.98 1.39 0.06 कूल फैट g 0.21 0.32 0.45 0.02 कार्बोहाइड्रेट, बाय डिफरेंस (फैट) g 20.87 31.30 44.66 1.88 फाइबर, कुल डाइटरी g 0.9 1.4 1.9 0.1
मिनरल्स
कैल्शियम mg 22 33 47 2 आयरन mg 0.35 0.52 0.75 0.03 मैग्नीशियम mg 7 10 15 1 फास्फोरस mg 9 14 19 1 पोटैशियम mg 42 63 90 4 सोडियम mg 11 16 24 1 जिंक mg 0.08 0.12 0.17 0.01
विटामिन
विटामिन-सी, कुल एस्कॉर्बिक एसिड mg 4.9 7.4 10.4 0.4 थायमिन mg 0.013 0.020 0.028 0.001 नियासिन mg 1.352 2.028 2.893 0.122 विटामिन-बी6 mg 0.020 0.030 0.043 0.002 फोलेट µg 8 12 17 1 विटामिन-बी12 µg 0.00 0.00 0.00 0.00 वि��ामिन-ए RAE µg 0 0 0 0 विटामिन ए IU IU 3 4 6 0
लिपिड
कोलेस्ट्रॉल mg 0 0 0 0
अब, जानिए शरीर के लिए रामबुतान के फायदे के बारे में।
रामबतुन खाने के फायदे – Benefits Of Eating Rambutan in Hindi
रामबुतान फल खाने के फायदे कई हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से समृद्ध है, जो फ्री रेडिकल्स से लड़ने का काम करता है। फ्री रेडिकल्स के कारण कई बीमारियां हो सकती हैं। इनमें कैंसर, इंफ्लेमेशन और हृदय रोग शामिल हैं। विटामिन्स की प्रचुरता और स्वाद इसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ बनाने का काम करता है।
1. मधुमेह के लिए फायदेमंद
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एक चाइनीज अध्ययन के अनुसार रामबुतान के छिलके एंटी-डायबिटिक गुणों से समृद्ध होते हैं। जब मधमेह से पीड़ित चूहों को रामबुतान के छिलके का फेनोलिक रस दिया गया, तो उनके रक्त शर्करा के स्तर में गिरावट देखी गई (2)।
2. बढ़ते वजन को रोक सकता है
हालांकि, इस संबंध में कोई सटीक शोध उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि रामबुतान बढ़ते वजन पर रोक ��गा सकता है। रामबुतान में लो एनर्ज�� डेंसिटी युक्त गुण होता है (3)। साथ ही इस फल में कुछ मात्रा में फाइबर भी होता है, जो वजन कम करने में आपकी मदद कर सकता है।
3. हृदय स्वास्थ्य में सुधार
रामबुतान में मौजूद उच्च फाइबर कोरोनरी हार्ट डिजीज के खतरे को कम कर सकता है (4)। उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह खास फल उच्च रक्तचाप को कम करने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम कर सकता है।
4. हड्डियों के लिए बेहतर
रामबुतान में फास्फोरस भी पाया जाता है, जो हड्डियों के लिए जरूरी है। यह हड्डियों के निर्माण और उनकी मरम्मत में मदद करता है। रामबुतान में मौजूद विटामिन-सी भी हड्डियों के स्वास्थ्य में योगदान देता है।
5. रोक सकता है कैंसर को
उच्च एंटीऑक्सीडेंट वाले फलों में एक रामबुतान भी है, जो कैंसर को रोक सकता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण इंफ्लेमेशन से लड़ सकते हैं और शरीर की कोशिकाओं को प्रभावित होने से रोक सकते हैं। इस मामले में फल में मौजूद विटामिन-सी भी मदद कर सकता है। विटामिन-सी हानिकारक फ्री रेडिकल्स को बेअसर करता है और कैंसर के विभिन्न रूपों से सुरक्षा प्रदान करता है।
एक अध्ययन के अनुसार, रामबुतान के छिलके कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोक सकते हैं और लिवर के कैंसर से रोकथाम कर सकते हैं (5)। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार रोजाना पांच रामबुतान का सेवन करने से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है (6)।
6. एंटी बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण
अध्ययनों से पता चलता है कि रामबुतान का उपयोग प्राचीन काल से इसके एंटी बैक्टीरियल गुणों के लिए किया जा रहा है (6)। कुछ अध्ययन इस फल में एंटीसेप्टिक गुणों की भी बात करते हैं, जो शरीर को कई संक्रमणों से बचाते हैं। यह फल घाव को तेजी से भर सकता है और मवाद को बनने से रोक सकता है।
7. बढ़ाता है ऊर्जा
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रामबुतान में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन दोनों तत्व पाए जाते हैं। ये दोनों तत्व आवश्यकता पड़ने पर शरीर में ऊर्जा बढ़ाने का काम करते हैं। फल में मौजूद प्राकृतिक शर्करा भी इस मामले में मदद कर सकता है।
8. पाचन स्वास्थ्य में सुधार
रामबुतान में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। यह पाचन तंत्र को ठीक बनाए रखने के साथ-साथ कब्ज को रोकने का काम भी कर सकता है। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण आंतों में मौजूद विषैले जीवाणुओं को मारने का काम कर सकते हैं। रामबुतान दस्त से भी आपको निजात दिला सकता है। बेहतर पाचन और कब्ज के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल करने से पहले कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें, क्योंकि इस विषय पर अभी शोध होना बाकी है।
9. कामोत्तेजक के रूप में
कुछ स्रोत के अनुसार रामबुतान की पत्तियां कामोत्तेजक के रूप में काम कर सकती हैं। माना जाता है कि पत्तियों को पानी में डुबोकर सेवन करने से कामोत्तेजना बढ़ाने वाले हार्मोंस सक्रिय हो जाते हैं। माना जाता है कि रामबुतान प्रजनन क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं, लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई शोध उपलब्ध नहीं है। इस उद्देश्य के लिए रामबुतान का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
10. स्कैल्प और बालों के लिए
रामबुतान में मौजूद जीवाणुरोधी गुण रूसी और स्कैल्प की समस्याएं जैसे खुजली का इलाज कर सकते हैं। इसमें मौजूद विटामिन-सी बालों और स्कैल्प को पोषण देने का काम कर सकता है। रामबुतान में मौजूद कॉपर बालों को झड़ने से रोक सकता है। यह बालों के रंग को भी तेज करता है और समय से पहले सफेद होने से रोकता है।
रामबुतान प्रोटीन से भी समृद्ध होता है, जो बालों की जड़ों को मजबूत कर सकता है। साथ ही विटामिन-सी आपके बालों को चमक देने का काम करता है। इस्तेमाल करने के लिए आप नहाने से 15 मिनट पहले रामबुतान का रस बालों और स्कैल्प पर लगा लें। इस विषय पर अभी ज्यादा शोध नहीं हुआ हैं, इसलिए बालों के लिए इसका इस्तेमाल करने से पहले आप संबंधित डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।
11. त्वचा स्वास्थ्य
रामबुतान के बीज त्वचा के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। चेहरे के लिए आप बीजों का पेस्ट बना लें और चेहरे पर लगाएं। नियमित रूप से बीज का पेस्ट उपयोग करने से आपकी त्वचा नरम और चिकनी हो सकती है और चेहरे के टेक्स्चर में भी सुधार हो सकता है। इसके अलावा, रामबुतान त्वचा को हाइड्रेट करने का काम भी करता है।
इसमें मौजूद मैंगनीज व विटामिन-सी कोलेजन का उत्पादन को बढ़ावा देते हैं और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं, जो फ्री रेडिकल्स को दूर करते हैं। ये सब आपकी त्वचा को लंबे समय तक स्वस्थ और जवां बनाए रखते हैं।
आगे हम एक जैसे दिखने वाले रामबुतान और लीची के बीच अंतर बता रहे हैं।
लीची और रामबुतान के बीच अंतर – Difference between Lychee and Rambutan in Hindi
रामबुतान
रामबुतान का आकार गोल्फ की गेंद जैसा होता है। इसकी बाहरी त्वचा लाल रंग की होती है और पीले रंग के लंबे-लंबे बाल जैसे निकले होते हैं। फल का गुदा सफेद रंग का होता है, जिसके अंदर एक बड़ा बीज मौजूद होता है। इसका स्वाद मीठा और मलाईदार होता है।
लीची
लीची, रामबुतान से थोड़ी छोटी होती है। इसकी भी त्वचा लाल रंग की होती है, लेकिन रामबुतान की तुलना में खुरदरी होती है। लीची का गुदा भी सफेद होता है, लेकिन इसका स्वाद रामबुतान से अलग होता है। इसके गुदे के अंदर भी बड़ा बीज होता है। लीची की त्वचा ज्यादा मोटी नहीं होती है यानी आप इसे आसानी से छिल सकते हैं।
रामबुतान का उपयोग कैसे किया जा सकता है?
हम ऊपर बता चुके हैं कि स्वास्थ्य के लिए रामबुतान फल का इस्तेमाल किस प्रकार किया जा सकता है, लेकिन इतना ही काफी नहीं है। फल के अलावा भी रामबुतान पेड़ के अन्य भागों का प्रयोग किया जा सकता है। इनमें पत्ते, बीज, छिलके और छाल शामिल हैं। नीचे जानिए विस्तार से।
पत्तियां
रामबुतान की पत्तियां एनाल्जेसिक गुण से समृद्ध होती हैं। पत्तियों का रस दर्द निवारक के रूप में कार्य कर सकता है। पत्तियों का रस आपके स्कैल्प के लिए भी लाभदायक हो सकता है। आप बालों के उलझने की समस्या से निजात पा सकते हैं। इस्तेमाल करने के लिए आप पत्तियों के रस को स्कैल्प पर लगाएं और एक घंटे बाद सिर को धो लें। आप यह प्रक्रिया सप्ताह में दो बार दोहरा सकते हैं।
बीज
बीज में कई लाभकारी गुण होते हैं, लेकिन हम इसे कच्चा खाने का सुझाव नहीं देते। इसमें सैपोनिन नाम का कंपाउंड होता है, जो जहरीला हो सकता है। इसके बीज प्रोटीन और कार्ब्स से भी भरे होते हैं। इन्हें स्नैक्स में शामिल करना बेहतरीन विकल्प हो सकता है। बीज ऑक्सिडेटिव गुण से समृद्ध होते हैं, जो आपकी त्वचा से दाग-धब्बों को दूर कर सकते हैं। आपको बीजों को पीसकर पेस्ट बनाना होगा और त्वचा पर लगाना होगा।
छिलका
रामबुतान के छिलके में फ्लेवोनोइड्स और गैलिक एसिड होता है, जिनमें एंटी-कैंसर और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। आप छिलकों को धोकर उन्हें कच्चा खा सकते हैं। छिलका पेचिश और बुखार को ठीक कर सकता है। बस छिलका उबालें और छानकर दिन में दो बार इसका सेवन करें।
पेड़ की छाल
रामबुतान पेड़ की छाल में एस्ट्रिंजेंट गुण होता है, जो नासूर घावों का इलाज कर सकता हैं।
रामबुतान से जुड़े रोचक तथ्य – Interesting Facts About Rambutan in Hindi
रामबुतान का पौधा 66 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है।
रामबुतान साल में दो बार फल देता है। सीजन के दौरान एक पेड़ पर करीब छह हजार फल लग सकते हैं।
रामबुतान के बीजों से निकाला गया तेल खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
वर्तमान में रामबुतान की 200 से अधिक किस्में मौजूद हैं।
आमतौर पर रामबुतान के कई फलों को शाखाओं से तोड़ा नहीं जाता है। इससे फल लंबे समय तक ताजा रहते हैं और खराब होने की आशंका कम होती है।
रामबुतान उन फलों में शामिल हैं, जिन्हें आप बाजार में कम ही देखते होंगे। आगे हम बता रहे हैं कि आप रामबुतान फल कहां से ले सकते हैं।
रामबुतान कहां से खरीदें? – Where To Buy Rambutans in Hindi?
आप चुनिंदा स्टोर से रामबुतान को खरीद सकते हैं, जिनमें क्रोगर, वेगमैंस, इंडिपेंडेंट एशियन सुपरमार्केट, वॉलमार्ट, होल फूड्स मार्केट और 99 रेंच मार्केट शामिल है। आप ऑनलाइन भी इस फल को खरीद सकते हैं।
रामबुतान ऐसा फल है, जो सिर्फ पेड़ पर ही पक सकता है। इसलिए, इसे समय से पहले नहीं काटा जा सकता है। यूएसए में इस फल का सीजन अगस्त के अंत में और फिर दिसंबर से जनवरी तक होता है। अमेरिका से यह फल हवाई मार्ग से आता है।
अगर आप रामबुतान खरीदने के लिए बाजार जा रहे हैं, तो इसे चुनना और स्टोर करने का तरीका अलग-अगल है।
रामबुतान का चयन व स्टोर – Selection And Storage of Rambutan in Hindi
चयन
हमेशा चमकदार लाल या पीले रामबुतान खरीदें, ये ताजे माने जाते हैं। कभी भी ज्यादा खरोंच लगे या दाग लगे रामबुतान न खरीदें। ये ज्यादा पके हुए या खराब रामबुतान हो सकते हैं।
स्टोर
रामबुतान को कुछ दिनों के लिए कमरे के तापमान में स्टोर किया जा सकता है। फलों को फ्रिज में रखने से उन्हें एक सप्ताह का जीवनकाल मिल जाता है, लेकिन वे अपनी सुगंध खो सकते हैं। उन्हें आदर्श रूप से पेपर टॉवल या किसी छेदवाली प्लास्टिक बैग में लपेट कर रखा जाना चाहिए।
रामबुतान का चयन और इसे स्टोर करने के तरीकों के बाद आगे जानिए इसे पकाने के कुछ जरूरी टिप्स।
रामबुतान को बनाने के लिए जरूरी टिप्स – Any Tips For Cooking in Hindi
रामबुतान का उपयोग करने से पहले इसे छिल लें।
अगर आप इसे मेहमानों को परोस रहे हैं, तो आप रामबुतान को आधा छिल कर प्लेट में रख सकते हैं। यह प्लेट की खूबसूरती को बढ़ाने का काम करेगा। मेहमान आधे छिलके को हटाकर फल का आनंद ले सकते हैं।
ध्यान रहे कि आप फल को बीज तक न काटें।
रामबुतान किस तरह से खाया जाए? How To Eat Rambutan Properly in Hindi?
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सबसे पहले तो आप एक पका हुआ रामबुतान चुनें। पका हुआ रामबुतान हरे रंग की स्पाइक्स के साथ चमकदार लाल रंग का होता है।
अब फल को एक कटिंग बोर्ड पर रखें और चाकू से उसके छिलके को काटें। फल को आधे में काटने की कोशिश न करें, क्योंकि फल के बीच में बीज होता है।
जब फल का कुछ हिस्सा छिल जाए, तो उंगलियों की मदद से पूरे छिलके को उतार लें।
फिर फल खाने से पहले बीज को निकाल लें।
इस प्रकार आप स्वादिष्ट रामबुतान का आनंद ले सकते हैं।
लोकप्रिय रामबुतान रेसिपी – Popular Rambutan Recipes in Hindi
रामबुतान का स्वाज लाजवाब होता है। फिर चाहे आप इसे ऐसे ही खाएं, फ्रूट सलाद के रूप में खाएं या फिर जैम और शरबत के रूप में लें।
1. रामबुतान लाइम शरबत
सामग्री
एक पाउंड रामबुतान (छिला और बिना बीज का)
तीन ऑर्गेनिक नींबू का छिलका और रस
आधा कप चीनी
तीन चम्मच शहद
प्रक्रिया
पहले लाइम सिरप बनाने के लिए एक सॉस पैन में चीनी, शहद और नींबू का रस डालें। चीनी घुलने तक मध्यम आंच पर चलाते रहें।
एक ब्लेंडर में रामबुतान और लाइम सिरप डालें और मुलायम होने तक ब्लेंड करें। अब इस मिश्रण को आइसक्रीम मेकर में डालें।
फ्रीजर में स्टोर करें और खाने से पहले 30 मिनट पहले बाहर निकालें।
2. रामबुतान सलाद
सामग्री
एक बारीक कटा हुआ लाल प्याज
लहसुन की एक कली बारीक कटी हुई
अनानास का सिरका
बिना बीज की लाल मिर्च
आधा कप ताजे पुदीने की पत्तियां
आधा कप तुलसी की पत्तियां
आवश्यकतानुसार रामबुतान
नमक और काली मिर्च स्वादनुसार
प्रक्रिया
एक कटोरी में प्याज, नमक, काली मिर्च, लहसुन और सिरका मिलाएं।
रामबु���ान का बीज और छिलका निकाल लें। एक व्यक्ति के लिए आप पांच रामबुतान रख सकते हैं।
अब पुदीना के पत्ते, तुलसी की पत्तियां और मिर्च डालें। फिर, सभी सामग्रियों को एक साथ मिलाएं।
अब आप इसे पत्तेदार साग या अपने पसंद के मांस के साथ परोस सकते हैं। आप इसे ग्रिल्ड फिश के साथ भी ले सकते हैं।
क्या रामबुतान का कोई दुष्प्रभाव है? – Does Rambutan Have Any Side Effects in Hindi?
रामबुतान के अधिकांश दुष्प्रभाव इसके मीठे स्वाद से जुड़े हैं। नीचे जानिए इसके कुछ नुकसानों के बारे में।
मधुमेह
हमने शुरुआत में बताया था कि इसमें एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, लेकिन इसका एक और पहलु भी है। रामबुतान में फ्रुक्टोज होता है, जो इंसुलिन को बढ़ा सकता है। इससे मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है। अधिक मात्रा में लेने पर यह रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है।
नोट : रामबुतान में मौजूद फाइबर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने का काम करता है। ब्लड शुगर के मरीजों के लिए यह अच्छा विकल्प हो सकता है।
उच्च रक्तचाप
अगर आप फल को बहुत ज्यादा पकने देते हैं, तो फल में मौजूद चीनी शराब में बदल सकती है। इस स्थिति में यह फल रक्तचाप की समस्या वाले लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
विषाक्तता
रामबुतान के बीज विषाक्त होते हैं, इसलिए इन्हें खाने से बचें।
अब आप इस खास और अनोखे फल के बार में बहुत कुछ जान गए होंगे। बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए आप रामबुतान को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना सकते हैं। जैसा कि हमने पहले बताया है कि यह फल आपको हर जगह नहीं मिलेंगे, इसलिए बताई गई जगहों से आप इसे खरीद सकते हैं। फल का चुनाव और इसके स्टोर करने के तरीकों का खास ध्यान रखें। इसका सेवन करने के साथ-साथ इससे जुड़ी तमाम सावधानियों का भी पूरा ध्यान रखें। आपको यह लेख कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में बताना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या रामबुतान के बीज जहरीले होते हैं?
हां, रामबुतान के बीज जहरीले होते हैं, इसलिए हम आपको इसका सेवन न करने की सलाह देते हैं।
रामबुतान किस मौसम में उगाया जाता है?
फलों को जुलाई से सितंबर, दिसंबर से जनवरी और जुलाई से सितंबर के बीच की अवधि में उगाया जाता है।
रामबुतान कैसे उगाया जाता है?
रामबुतान का पेड़ उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय वातावरण में विकसित हो सकता हैं। इसके लिए 71 से 87o F के बीच का तापमान आवश्यक है। 50 से नीचे तापमान पेड़ को मार सकता है। इसलिए, यह कैलिफोर्निया और फ्लोरिडा जैसे गर्म क्षेत्रों में सबसे अधिक उगाया जाता है।
रामबुतान के पेड़ में गीलापन रहना जरूरी है। आप छेद वाले गमले में इसका बीज लगा सकते हैं। गमला कार्बनिक मिट्टी से भरा होना चाहिए। साथ ही उसमें रेत व जैविक खाद मिली होनी चाहिए। आप बीज को डालकर ऊपर से मिट्टी डाल दें। बीज को अंकुरित होने के लिए 10 से 21 दिन तक का समय लग सकता है।
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Nripendra Balmiki
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/rambutan-ke-fayde-in-hindi/
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