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#मधुमेह भोजन
mwsnewshindi · 2 years
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निम्न रक्त शर्करा: रक्त शर्करा को बढ़ावा देने के लिए सड़क पर स्नैकिंग विकल्प
निम्न रक्त शर्करा: रक्त शर्करा को बढ़ावा देने के लिए सड़क पर स्नैकिंग विकल्प
मधुमेह नाश्ता: कई मधुमेह रोगी जो प्रिस्क्रिप्शन दवाएं लेते हैं, जैसे कि सल्फोनील्यूरिया और इंसुलिन, निम्न रक्त शर्करा या हाइपोग्लाइसीमिया के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे भोजन छोड़ना, अत्यधिक गतिविधि में शामिल होना, अत्यधिक इंसुलिन का उपयोग करना, या शराब पीना, विशेष रूप से खाली पेट। यहां हमारे पास मधुमेह के अनुकूल खाद्य पदार्थों के साथ कुछ देसी व्यंजनों की एक सूची…
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aushadhiauryog1 · 2 years
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प्रोटीनेक्स पाउडर प्रयोग करने से पहले जन लीजिये ये 10 बातें- Protinex Powder Benefits in Hindi
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दोस्तों प्रोटीनेक्स पाउडर बाजार में पाया जाने वाला एक खास किस्म का स्वास्थ्य वर्धक प्रोटीन सप्लीमेंट है। अक्सर लोग इस पाउडर का प्रयोग लोग अपने शरीर की मांसपेशियों को विकसित करने बॉडी बनाने वजन बढ़ाने और समूचे स्वास्थ्य को बूस्ट करने के लिए करते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे कि प्रोटीनेक्स पाउडर के क्या-क्या स्वास्थ्य लाभ-Protinex Powder Benefits in Hindi हैं और इसके क्या  साइड इफेक्ट्स है-
मसल्स ग्रोथ में प्रोटीनेक्स का प्रयोग- Protinex for Muscle Growth
प्रोटीनेक्स में उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन होता है जो मांसपेशियों और उतकों के निर्माण और मरम्मत के लिए आवश्यक है।
वर्कआउट के बाद प्रोटीनेक्स पाउडर का सेवन करने से मांसपेशियों की वृद्धि और रिकवरी में सहायता मिलती है।
शरीर का वजन संतुलित करने में प्रोटीनेक्स का प्रयोग
बहुत से लोग बचपन से ही दुबले पतले होते हैं और अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं। शारीरिक रूप से कमजोर और दुबला पतला होना बहुत ही लज्जा जनक होता है। इसलिए लोग अपना वजन बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं।
प्रोटीनेक्स पाउडर में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट और फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह शरीर का वजन तेजी से बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही साथ ही यदि आप शारीरिक व्यायाम करते हैं तो मसल्स ग्रोथ में बहुत सहायता देता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में प्रोटीनेक्स का प्रयोग
प्रोटीनेक्स पाउडर में विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर के साथ-साथ मिनरल्स और अमीनो अम्ल भी पाए जाते हैं। यह सभी तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और रोगों से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं।
ऊर्जा और स्फूर्ति बढ़ाने के लिए प्रोटीनेक्स का प्रयोग
प्रोटीनेक्स पाउडर में कार्बोहाइड्रेट की अच्छी मात्रा होती है जो शरीर को त्वरित गति से उर्जा प्रदान करती है। यदि इस पाउडर का सेवन मुख्य रूप से एथलीट और सक्रिय जीवन शैली वाले लोग करते हैं तो उन्हें अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।
हड्डियों को मजबूत बनाने में प्रोटीनेक्स का प्रयोग
प्रोटीनेक्स पाउडर में कैल्शियम की अच्छी मात्रा उपलब्ध होती है जो शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है। इस पाउडर का नियमित प्रयोग हड्डियों के नुकसान को रोकने और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
पाचन क्रिया को सुधारने में प्रोटीनेक्स का प्रयोग
इस पाउडर में फाइबर की अच्छी मात्रा उपलब्ध होने के कारण यह पाचन क्रिया में भी सुधार लाता है। इसके साथ ही साथ यह आंतों को भी स्वस्थ बनाता है।
प्रोटीनेक्स पाउडर का नियमित सेवन करने से कब्ज और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक किया जा सकता है।
कोलेस्ट्रॉल को कम करने में प्रोटीनेक्स का प्रयोग
प्रोटीनेक्स पाउडर विभिन्न पोषक तत्वों से युक्त होता है और इसमें सोया प्रोटीन पाई जाती है। सोया प्रोटीन शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती है। नियमित रूप से प्रोटीनेक्स पाउडर का सेवन करने से हृदय रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है।
ब्रेन फंक्शन सुधारने में प्रोटीनेक्स का प्रयोग
प्रोटीनेक्स पाउडर में पाया जाने वाला कोलीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड ग्रीन फंक्शन को सुधारने के लिए बहुत आवश्यक तत्व माने गए हैं। इसके नियमित सेवन से याददाश्त और दिमागी कार्य क्षमता को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
मधुमेह अर्थात डायबिटीज को संतुलित करने में प्रोटीनेक्स का प्रयोग
प्रोटीनेक्स पाउडर में जटिल कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो मधुमेह के रोगियों की रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। संतुलित आहार के रूप में प्रोटीनेक्स पाउडर का प्रयोग करने से रक्त शर्करा को संतुलित किया जा सकता है और मधुमेह की जटिलताओं से बचा जा सकता है।
जनरल हेल्थ सप्लीमेंट के रूप में प्रोटीनेक्स पाउडर का प्रयोग
सामान्य तौर पर लोग प्रोटीनेक्स पाउडर का प्रयोग एक जनरल हेल्थ सप्लीमेंट की तरह करते हैं। सामान्य भारतीय भोजन में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की कमी पाई जाती है। जिसकी पूर्ति प्रोटीनेक्स पाउडर के सेवन द्वारा आसानी से की जा सकती है। नियमित रूप से प्रोटीनेक्स पाउडर का प्रयोग करने से लंबे समय तक दुरुस्त रहा जा सकता है।
प्रोटीनेक्स पाउडर बाजार में तीन प्रकार के उपलब्ध हैं- बच्चों के लिए प्रोटीनेक्स जूनियर, महिलाओं के लिए mama Protinex और वयस्कों के लिए सामान्य Protinex. भारतीय बाजार में 1kg protinex pack  600~700 INR तक के मूल्य में उपलब्ध है.
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💓 अपने दिल का ख्याल रखें, यह आपके लिए धड़कता है 💓
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आपका दिल हर दिन आपके लिए अथक परिश्रम करता है। इसे स्वस्थ रखने के लिए कुछ ज़रूरी कदम इस प्रकार हैं:
ब्लड प्रेशर की जाँच करें: अपने ब्लड प्रेशर की नियमित निगरानी से समस्याओं का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है। उच्च रक्तचाप में अक्सर कोई लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन यह गंभीर स्थितियों का कारण बन सकता है।
ब्लड शुगर की जाँच करें: अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखना दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है। मधुमेह से दिल की बीमारी का जोखिम काफ़ी हद तक बढ़ सकता है।
रोज़ाना व्यायाम करें: सप्ताह के ज़्यादातर दिनों में कम से कम 30 मिनट तक मध्यम व्यायाम करने का लक्ष्य रखें। पैदल चलना, साइकिल चलाना या तैराकी जैसी गतिविधियाँ आपके दिल को मज़बूत बना सकती हैं और रक्त संचार को बेहतर बना सकती हैं।
स्वस्थ भोजन करें: फलों, सब्ज़ियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार कोलेस्ट्रॉल को कम करने और स्वस्थ वज़न बनाए रखने में मदद कर सकता है। प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और शर्करा का सेवन सीमित करें।
पर्याप्त नींद लें: समग्र स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद बहुत ज़रूरी है। अपने शरीर को ठीक होने और तरोताज़ा करने के लिए हर रात 7-9 घंटे की नींद लें।
हाइड्रेटेड रहें: रक्त की मात्रा को बनाए रखने और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पानी पीना ज़रूरी है। दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीने का लक्ष्य रखें।
तनाव को नियंत्रित करें: पुराना तनाव आपके हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ध्यान, योग और गहरी साँस लेने के व्यायाम जैसी तकनीकें आपको तनाव के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।
ये कदम उठाने से आपको हृदय-स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिल सकती है। व्यक्तिगत सलाह के लिए, Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology), सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 से परामर्श लें। अधिक जानकारी के लिए 6200784486 पर कॉल करें या drfarhancardiologist.com पर जाएँ।
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किन चीजों को खाली पेट खाएं और किसे नहीं? जानें सही सलाह ताकि आपकी आंतें रहें स्वस्थ!
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भोजन हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन यह भी जरूरी होता है कि हम क्या और कब खा रहे हैं। खाने का समय और खाद्य पदार्थ दोनों ही हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। सुबह के भोजन में ऑरेंज जूस और ब्रेड जैसी चीजें बहुत आम होती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि खाली पेट ऑरेंज जूस पीने से शरीर में शुगर का स्तर बढ़ जाता है और अधिक मात्रा में शुगर लेने से मधुमेह जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा ब्रेड जैसी चीजें शरीर के लिए उपयोगी नहीं होती हैं क्योंकि इनमें काफी मात्रा में मैदा होता है जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इससे शरीर में आयरन की कमी हो सकती है और अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। लेकिन यदि आप खट्टे फल जैसे आम, अंगूर, संतरा आदि खा लेते हैं, तो उनमें मौजूद एसिड से हार्टबर्न की समस्या हो सकती है।
खाली पेट कुछ खाने से हमारे शरीर को बहुत फायदे होते हैं। लेकिन कुछ ऐसी चीजें भी होती हैं, जिन्हें खाली पेट नहीं खाना चाहिए। इस ब्लॉग में हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताएंगे जो आप खाली पेट खा सकते हैं और जो नहीं खा सकते हैं।
खाली पेट इन चीजों के सेवन से बचें
अगर आप सुबह बीमार होने से बचना चाहते हैं तो कोशिश करें कि मसालेदार नाश्ता न करें। इससे पेट में एसिड और अपच जैसी समस्याओं से बचने में मदद मिलेगी। कच्ची सब्जियों में फाइबर अधिक होता है, जिसे खाली पेट खाने से अपच हो सकता है, लेकिन सुबह के समय सेवन करने पर गैस और पेट में दर्द होने की भी संभावना होती है।
खाली पेट खट्टे फल खाने से एसिड का उत्पादन बढ़ सकता है जो पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकता है। इसलिए सुबह-सुबह खट्टे और रेशे वाले फल खाने से बचना चाहिए।
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खाली पेट कॉफी पीने से एसिडिटी हो सकती है. खाली पेट इसके सेवन से पाचन तंत्र में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव उत्तेजित हो जाता है, जो कुछ लोगों में पेट की समस्या का कारण बनता है ।
खाली पेट ठंडी ड्रिंक्स नहीं पीनी चाहिए और फ्रिज का पानी भी नहीं पिया जाना चाहिए। ऐसा करने से पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है।
खाली पेट अल्कोहल का सेवन खतरनाक हो सकता है। यह आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और आपके रक्त व लिवर पर बुरा असर पड़ता है। खाली पेट दही नहीं खाना चाहिए क्योंकि दही में लैक्टिक एसिड होता है जो पेट की अम्लता को बढ़ा सकता है और खाली पेट दूध के उत्पादों में लैक्टिक एसिड होता है जो पेट के अच्छे बैक्टीरिया को मार सकते हैं। 
खाली पेट किन चीजों का सेवन फायदेमंद
अगर आपको सुबह खाली पेट एक गिलास सादा पानी पीने की आदत है तो यह शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में काफी मदद करता है। यह वजन घटाने में भी मददगार है।
खाली पेट पानी में भीगे हुए बादाम का सेवन करने से आपके शरीर को भरपूर पोषण मिलता है, जिससे आपको पूरे दिन के लिए एनर्जी मिलती है। नट्स दिन की शुरुआत करने का एक अच्छा तरीका है क्योंकि ये पाचन में सुधार करने और पेट के पीएच स्तर को सामान्य रखने में मदद करते हैं।
खाली पेट शहद खाने से शरीर को ताकत मिलती है और इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है। इसके अलावा, शहद एंटीऑक्सीडेंट्स का भी एक बहुत अच्छा स्रोत होता है। खाली पेट नारियल पानी पीने से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और नारियल पानी में विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम, और कैल्शियम जैसे विभिन्न पोषक तत्व होते हैं, जो आपके शरीर को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
दलिया एक पौष्टिक नाश्ता है जो आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है औरआपकी आंतों को स्वस्थ रखता है। सुबह खाली पेट इसे खाने से आपका पेट देर तक भरा रहेगा।
पपीता प्राकृतिक फाइबर और विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है, इसे नाश्ते में शामिल करना आसान है और यह बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करता है, जिससे हृदय रोगों से बचाव होता है। तरबूज खाली पेट खाने से शरीर को हाइड्रेशन की डोज मिलती है। इसके अलावा यह शुगर क्रेविंग से बचाता है और कैलोरी में कम होता है। तरबूज इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर होता है जो ह्रदय और आंखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है।
इसलिए, सुबह के समय आप सेहतमंद और हेल्दी रहने के लिए खाली पेट में सब्जी, दलिया, ओटमील, पोहा, अंडे आदि खा सकते हैं। ये आपको ऊर्जा प्रदान करते हैं और पेट को भी सही तरीके से साफ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, तरबूज, पपीता जैसे फल भी सुबह के समय खाने के लिए अच्छे होते हैं। इनमें फाइबर का अच्छा स्रोत होता है जो पेट से संबंधित समस्याओं से बचाता है।
(Disclaimer: This article has been written by - Dt. Alka Kothari)
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happymillionsayurved · 2 months
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Diabetes kya hai in Hindi
शुगर की आयुर्वेदिक औषधि ( Sugar ki ayurvedic dawai)
ग्लुकोपॉज़ टैबलेट एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मधुमेह को प्रबंधित करने में मदद करती है। यह प्राकृतिक अवयवों जैसे सलासिया रेटिकुलाटा, जिमनेमा सिल्वेस्ट्रे, मॉमोरडिका चरंटिया और ट्रिगोनेला फोएम से बनी है। ये तत्व रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक होते हैं। इस टैबलेट को भोजन के बाद दिन में दो बार लिया जाता है। यह किसी भी कृत्रिम रंग, स्वाद या परिरक्षक से मुक्त है, जिससे यह सुरक्षित और प्रभावी बनती है।
ग्लुकोपॉज़ टैबलेट (Glucopause Tablet)
मुख्य सामग्री:
सलासिया रेटिकुलाटा (Salacia reticulata): 150mg
जिमनेमा सिल्वेस्ट्रे (Gymnema sylvestre): 50mg
मॉमोरडिका चरंटिया (Momordica charantia): 200mg
ट्रिगोनेला फोएम (Trigonella foenum): 250mg
लाभ:
रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
समग्र स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करता है।
प्राकृतिक अवयवों से बना, बिना किसी कृत्रिम रंग, स्वाद या परिरक्षक के।
अधिक जानकारी और खरीद के लिए यहां क्लिक करें। ‘
FAQ
क्या आयुर्वेदिक डायबिटीज  उपचार के लिए  सुरक्षित हैं?
आयुर्वेदिक उपचार आमतौर पर प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और प्रक्रियाओं पर आधारित होते हैं, जो हजारों सालों से उपयोग में हैं। हालांकि, किसी भी चिकित्सा पद्धति की तरह, आयुर्वेदिक उपचार भी तभी सुरक्षित होते हैं जब इन्हें सही तरीके से और एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार लिया जाए।
क्या आयुर्वेद से डायबिटीज   ठीक हो सकता है?
आयुर्वेद में डायबिटीज  को प्रमेह के रूप में वर्णित किया गया है, और यह मूल रूप से एक चयापचय विकार है जो शरीर में ग्लूकोज को तोड़ने में असमर्थता के कारण होता है। भले ही डायबिटीज   का पूर्ण इलाज बहस का विषय है, लेकिन स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखकर आयुर्वेद में डायबिटीज  का इलाज संभव है। आपको स्वस्थ जीवन शैली जीने और डायबिटीज  को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा आयुर्वेदिक पूरक, समग्र शुद्धिकरण उपचार और उपचारात्मक मालिश दी जाती है।
डायबिटीज  के लिए कौन से खाद्य पदार्थ सुरक्षित हैं?
कुछ सब्जियाँ जैसे गोभी, गाजर, ब्रोकोली, पालक, प्याज, लहसुन, ककड़ी, सलाद, टमाटर, मूली, और चुकंदर, और खट्टे फल डायबिटीज  रोगियों के लिए बहुत अच्छे हैं। रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए आप साबुत अनाज, अंकुरित अनाज, छोले और आंवला, दालचीनी, हल्दी, मेथी, नीम, हरी चाय और एलोवेरा जैसे हर्बल आहार अनुपूरक का भी सेवन कर सकते हैं। फिर भी, विशेषज्ञों से परामर्श करने और आयुर्वेद में डायबिटीज  का उचित और सर्वोत्तम उपचार पाने के लिए आयुर्वेदग्राम में आपका हमेशा स्वागत है।
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astrovastukosh · 3 months
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*🌞~ दिनांक - 08 जुलाई 2024 का हिन्दू पंचांग ~🌞*
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*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायण*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - आषाढ़*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - तृतीया पूर्ण रात्रि जुलाई 9 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - पुष्य प्रातः 06:03 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*⛅योग - वज्र रात्रि 02:06 जुलाई 09 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल - प्रातः 07:41 से प्रातः 09:23 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:00*
*⛅सूर्यास्त - 07:29*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:36 से 05:18 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12.18 से दोपहर 01:12*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:24 जुलाई 09 से रात्रि 01:06 जुलाई 09 तक*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹औषधीय गुणों से भरपूर काली मिर्च🔹*
*🔸काली मिर्च गर्म, रुचिकर, पचने में हलकी, भूखवर्धक, भोजन पचाने में सहायक तथा कफ एवं वायु को दूर करनेवाली है । यह खाँसी, जुकाम, दमा, अजीर्ण, अफरा, पेटदर्द, कृमिरोग, चर्मरोग, आँखों के रोग, पेशाब संबंधी तकलीफों, भूख की कमी, यकृत (liver) के रोग, हृदय की दुर्बलता आदि में लाभदायी है । नेत्रविकारों में सफेद मिर्च का विशेषरूप से उपयोग होता है ।*
*🔸काली मिर्च के सेवन से मूत्र की मात्रा बढ़ती है । यह घृतयुक्त स्निग्ध पदार्थों को शीघ्र पचाती है । अल्प मात्रा में तीक्ष्ण होने से यह शरीर के समस्त स्रोतों से मल को बाहर कर स्रोत शुद्धि - (शरीर के विभिन्न प्रवाह तंत्रों की शुद्धि) करती है, जिससे मोटापा, मधुमेह (diabetes), हृदय की रक्तवाहिनियों के अवरोध (coronary artery disease) आदि से सुरक्षा होती है । दाँत दर्द या दंतकृमि में इसके चूर्ण से मंजन करना अथवा इसे मुँह में रखकर चूसना लाभदायी है। नाड़ी-दौर्बल्य में लाभदायी है ।*
*🔹काली मिर्च के औषधीय प्रयोग🔹*
*🔸(१) मस्तिष्क व नेत्रों के लिए : प्रातः काली मिर्च का १-२ चुटकी चूर्णं शुद्ध घी व मिश्री के साथ सेवन करने से मस्तिष्क शांत रहता है तथा दृष्टि बलवान होती है ।*
*🔸(२) शरीर पुष्टि हेतु रात्रि के समय १-२ काली मिर्च दूध में उबाल के लेने से शरीर में रस धातु की वृद्धि होकर शेष सभी धातुएँ पुष्ट होती हैं, शरीर का पोषण ठीक प्रकार से होता है ।*
*🔸(३) दमा व खाँसी में काली मिर्च का ४ चुटकी चूर्ण १ चम्मच मिश्री, आधा चम्मच शहद व १ चम्मच शुद्ध घी के साथ मिला के दिन में दो बार चाटने से सर्दी, छाती दर्दसहित होनेवाले दमे व खाँसी में लाभ होता है तथा फेफड़ों में संचित दूषित कफ निकल जाता है ।*
*🔸(४) गले के रोग दिन में एक से दो बार काली मिर्च को चूसना या उसके काढ़े से कुल्ला करना लाभदायी है ।*
*🔸(५) अफरा: काली मिर्च से युक्त संतकृपा चूर्ण २ ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार लें । अफरे के अलावा यह चूर्ण कब्ज, पेट के कृमि, गैस, बदहजमी, अम्लपित्त (hyperacidity), सर्दी, खाँसी, सिरदर्द आदि को दूर करने तथा स्फूर्ति एवं ताजगी लाने हेतु लाभप्रद है ।*
*🔸सावधानी: अधिक मात्रा में काली मिर्च के सेवन से पेटदर्द, उलटी, पेशाब में जलन आदि विकार उत्पन्न होते हैं । अतः इसका अल्प मात्रा में सेवन करें ।*
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synerhealseo · 3 months
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मधुमेह (डायबिटीज) के लिए सिफारिश की गई भोजन!
इंसुलिन की कमी से या कोशिकाओं (सेल) के इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता के बढ़ने एवं रक्तप्रवाह में ब्लड शुगर (ग्लूकोज) के स्तर में वृद्धि के कारण मधुमेह (डायबिटीज) होता है। दुनिया भर मे लाखों लोग मधुमेह (डायबिटीज)  से प्रभावित हैं। इनमें से अधिकांश निम्न-मध्यम आय वाले देशों में रहने वाले लोग हैं। समय-समय पर मधुमेह की जांच न कराने से हर साल मृत्यु दर मे बढ़ोतरी हो रही है। पिछले कुछ दशकों में प्रभावित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
मधुमेह मे वृद्धि के कारक:
खनपान मे बढ़ते हुए बदलाव, मोटापा, वजन बढ़ना एवं शारीरिक निष्क्रियता मधुमेह (डायबिटीज) का एक प्रमुख  कारण है और यह एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। 
किस प्रकार खनपान मे परिवर्तन मधुमेह (डायबिटीज)  का प्रमुख कारण बना है ?
कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन करने के बाद ब्लड शुगर (रक्तप्रवाह में ग्लूकोज) के स्तर में वृद्धि होता है। स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ जैसे ब्रेड, आलू, चावल और दूध खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। कार्बोहाइड्रेट हर किसी के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मधुमेह से क्या-क्या खतरे हैं?
समय के साथ, मधुमेह हृदय, रक्त वाहिकाओं (ब्लड वैसेल्स), आंखों, गुर्दे (किडनी) और तंत्रिकाओं (नर्वस) को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे दीर्घकालिक समस्याएं और अल्प अवधि में शीघ्र मृत्यु के कारण उत्पन्न होता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि दुनिया भर मे मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ रही है, और बच्चों मे किशोर
मधुमेह (जुवेनाइल डायबिटीज) के रूप मे यह बीमारी के विकसित होने का खतरा अधिक है।
प्रारंभिक कार्रवाई और रोगियों को शिक्षित करना आवश्यक है, लेकिन कई देशों को पर्याप्त स्वास्थ्य प्रणालियों की कमी के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
मधुमेह रोगियों को अपने ब्लड शुगर (रक्त में ग्लूकोज) के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए अपने भोजन के विकल्पों पर ध्यान देने की आवश्यकता है:
निम्नलिखित के कारणों से ब्लड शुगर (रक्त मे ग्लूकोज) का स्तर बढ़ सकता है:
● कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन।
● शारीरिक गतिविधि या व्यायाम का अभाव।
● निर्जलीकरण/पर्याप्त पानी का सेवन न करना
● तनाव एक महत्वपूर्ण कारक है
● पर्याप्त नींद न आना।
● विशिष्ट (स्पेसिफिक) दवाएं, जैसे स्टेरॉयड।
यहां कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ दिए गए हैं जिनका सेवन करने से आपको बेहतर एवं फर्क महसूस होता है।
1. बिना स्टार्च वाली सब्जियाँ:
बिना स्टार्च वाली सब्जियों में कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी कम होती है एवं फाइबर अधिक होता है, जो उन्हें मधुमेह वाले व्यक्तियों के लिए अत्युत्तम विकल्प बनाता है।
आहार में पालक या कोई भी पत्तेदार साग, ब्रोकोली, फूलगोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, बेल मिर्च और खीरे या कोई भी पानी आधारित सब्जियां शामिल होनी चाहिए जिनमें स्टार्च की मात्रा कम हो और जो आपके देश में उगाई गई हो।
2. प्रोटीन:
प्रोटीन खाने से ग्लूकोज का प्रवाह धीमा होता है और ब्लड शुगर (रक्त में ग्लूकोज) को स्थिर करने में मदद मिलता है। प्रोटीन ग्लूकोज को रोक उन्हें धीमा करता हैं और फिर उन्हें धीरे-धीरे रक्तप्रवाह में छोड़ता हैं ताकि आपके ब्लड शुगर (रक्त मे ग्लूकोज) सामान्य सीमा में रहे। मुख्य रूप से प्रोटीन के साथ इंसुलिन शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने में मदद करता है। ये ब्लड शुगर (रक्त ग्लूकोज) के स्तर को प्रभावित नहीं करता और समग्र स्वास्थ्य बनाए रखने एवं वजन घटाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
3. साबुत अनाज:
हालाँकि साबुत अनाज, जौ, बाजरा आदि ( में कार्बोहाइड्रेट होता हैं) फाइबर का भी समृद्ध स्रोत हैं जो ब्लड शुगर (रक्त में ग्लूकोज) के स्तर को बनाए रखने में मदद करता हैं।
4. हेल्दी फैट:
हमें ऐसे भोजन को शामिल करना चाहिए जो रक्तप्रवाह में ग्लूकोज के अवशोषण(अब्ज़ॉर्प्शन) को धीमा करने में मदद कर सके और आपको पेट भरा हुआ महसूस कराए। जैसे: एवोकाडो, ड्राई फ्रूट्स, बीज, जैतून का तेल और अन्य वनस्पति तेल । सुबह सबसे पहले एक चम्मच घी, वर्जिन जैतून या वर्जिन नारियल जैसे वसा (फैट/तेल) का सेवन  इंसुलिन स्पाइक को कम करता है और शरीर को इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध को कम करने में मदद करता है।
5. डेयरी उत्पाद:
 कम वसा(फैट) वाले और बिना चीनी वाले खाद्य पदार्थ जैसे: ग्रीक दही, कॉटेज पनीर, बिना चीनी वाले बादाम या सोया दूध इत्यादि उपयुक्त है। डेयरी में मौजूद ठोस तैयब दूध में भी चीनी में परिवर्तित होने की प्रवृत्ति होती है इसलिए गैर डेयरी या दही और छाछ के रूप उपयुक्त है।
6. फल:
फलों में जामुन, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, रसभरी, सेब, नाशपाती इत्यादि शामिल हैं ।
संतुलित आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
7. जड़ी-बूटियाँ और मसाले:
दालचीनी, हल्दी, अदरक भोजन मे बिना कार्बोहाइड्रेट के स्वाद बढ़ाता हैं।
निम्नलिखित कदम हमारे शरीर के रक्त मे ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है:
1. अपने शरीर को सक्रिय रखने और इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
2. संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधि के मा��्यम से स्वस्थ शरीर का वजन बनाए रखें।
3. मीठे पेय और मिठाइयों का सेवन कम करके चीनी का सेवन कम करें।
4. रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट सीमित करें
5. ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए फल, सब्जियां और साबुत अनाज जैसे हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ चुनें।
6. पूरे दिन खूब सारा पानी पीकर हाइड्रेटेड रहें।
7. समग्र स्वास्थ्य और हार्मोन विनियमन के लिए नींद को प्राथमिकता दें।
8. स्थिर ब्लड शुगर को बनाए रखने के लिए तनाव प्रबंधन तकनीकों जैसे योग, ध्यान, अनुलोम-विलोम योग का अभ्यास करें।
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healthremedeistips · 5 months
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fatty liver kya hai aur uske gharelu upay
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फैटी लीवर तब होता है। जब आपके लीवर में बहुत अधिक वसा होता है। यह आम बात है खासकर उन लोगों में जिन्हें मधुमेह है और जिनका वजन अधिक है। हालाँकि यह कोई लक्षण पैदा नहीं कर सकता है ,लेकिन यह महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इस स्थिति को रोकने और सुधारने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करना महत्वपूर्ण है।लीवर भोजन और अपशिष्ट पदार्थों के प्रसंस्करण के लिए शरीर का मुख्य अंग है। एक स्वस्थ लीवर में बहुत से या बिल्कुल भी वसा नहीं होता है। यदि आप बहुत अधिक शराब पीते हैं ,या बहुत अधिक भोजन खाते हैं तो आपका शरीर कुछ कैलोरी को वसा में बदलकर इस अतिरिक्त कैलोरी से निपटता है। यह वसा फिर यकृत कोशिकाओं में जमा हो जाता है। जब वसा आपके लीवर के कुल वजन का 50 % से 10 % से अधिक हो जाता है तो आपको फैटी लीवर होता है। और पढ़े 
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jahnvikhurana · 6 months
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शीर्षक: टाइप 1 मधुमेह: लक्षण, प्रबंधन, और स्वस्थ जीवन
अनुक्रम में बदलाव: विचारधारा और सूचना के माध्यम से समाचार प्रदान करने के लिए अपनी भूमिका में वृद्धि के लिए निम्नलिखित प्रकार के अनुक्रम को उपयोग करें: टाइप 1 मधुमेह (T1D) एक ऐसी अवस्था है जिसमें प्रतिदिन का प्रबंधन और सतर्कता की आवश्यकता होती है। यह अधिकांश बचपन या किशोरावस्था में डायग्नोज़ किया जाता है, T1D जिन लोगों को प्रभावित करता है, उन्हें और उनके प्रियजनों को पूरी तरह से समझने की आवश्यकता है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि T1D क्या है, इसके लक्षण, प्रबंधन रणनीतियाँ, और इस स्थिति के साथ अच्छे जीवन के लिए टिप्स क्या हैं।
टाइप 1 मधुमेह क्या है? टाइप 1 मधुमेह एक ऑटोइम्यून रोग है जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम शरीर के पैंक्रियास में इंसुलिन उत्पादन करने वाले बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इंसुलिन शरीर में रक्त चीन्हों (ग्लूकोज) के स्तर को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इंसुलिन के बिना, रक्त में ग्लूकोज एनर्जी के लिए उपयोग किए जाने के बजाय बढ़ता है, जिससे विभिन्न जटिलताएँ हो सकती हैं।
टाइप 1 मधुमेह के लक्षण: T1D की शुरुआत अचानक और तीव्र हो सकती है। सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
अत्यधिक प्यास और भूख:
उच्च रक्त चीन्हों के कारण, व्यक्ति बार-बार भूखा और प्यासा महसूस कर सकता है, भोजन के बावजूद। बार-बार पेशाब: रक्त में अधिक ग्लूकोज के कारण विकर्षण बढ़ जाता है। अकारण वजन कमी: भोजन के बावजूद वजन कम हो सकता है, जबकि शरीर इसे ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के बजाय मूत्र के माध्यम से ग्लूकोज खो देता है।
थकान:
बिना ऊर्जा के उपयोग किए बिना, थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है। धुंधला दृष्टिकोण: उच्च रक्त चीन्हों के कारण, आंतर्दृष्टि को प्रभावित किया जा सकता
Call - (+91) 709 830 0000
 Address - Opp Octroi Post, Hambran Road, Ludhiana-141004, Punjab
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felixhealthservice · 6 months
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ग्लूकोमा रोग (Glaucoma Disease In Hindi) - लक्षण, कारण और उपचार
हमारे शरीर के सबसे खास और नाजुक अंगों में से एक होती हैं आंखें। अगर हम इनका ख्‍याल नहीं रखें, तो यह छोटी-सी परेशानी बड़ी तकलीफ में बदल सकती है। लेकिन बहुत कम लोगों को अपनी आंखों की सेहत के प्रति ध्यान देने की जरूरत का एहसास होता है। इसीलिए, बहुत से लोग अपनी आंखों की सेहत के बारे में सचेत नहीं होते हैं, और इस अनसुचित ध्यान के कारण, 40 साल की उम्र के बाद कई लोग आंखों की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें से काला मोतियाबिंद (कैटरैक्ट) भी एक है।
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एक अनुमान के अनुसार, भारत में 40 साल से अधिक आयु के लगभग 1 करोड़ या उससे अधिक लोग काले मोतियाबिंद से पीड़ित होते हैं। अगर उन्हें सही समय पर उपचार नहीं मिला तो उनकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली जाती है। इसके अलावा, लगभग तीन करोड़ लोगों को प्राथमिक (क्रॉनिक) ओपन एंगल ग्लूकोमा होता है या होने का खतरा है(glaucoma disease in hindi)।
इस समस्या से बचने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी आंखों का नियमित रूप से जांच कराएं, सही उपचार कराएं, पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें और अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं।क्या आप आपके नजदीकी में हॉस्पिटल में ग्लूकोमा की जाँच चाहते है , फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के लिए तैयार है। आज ही हमसे संपर्क करें और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानें और देखें कि हम आपके परिवार को सर्वोत्तम देखभाल कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। हम आपके परिवार के स्वास्थ्य सफ़र में हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। अभी फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करें और हमारे ऑप्थॉलॉजी टीम के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
ग्लूकोमा या मोतियाबिंद क्या होता है(Glaucoma Kya Hota Hai)?
आंखें, हमारे लिए कुदरत का तोहफा मानी जाती हैं, जिनकी मदद से हम दुनिया के खूबसूरत नजारे ले पाते हैं। हालांकि समय के साथ आंखों से संबंधित कई प्रकार की बीमारियों का जोखिम बढ़ता जा रहा है। यहां तक कि कम उम्र के लोग भी रोशनी की कमजोरी, कम दिखाई देने के शिकार हो रहे हैं जिस वजह से उन्हें चश्मे की जरूरत हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों में आंखों से संबंधित कई बीमारियों को भी बढ़ते देखा जा रहा है, ग्लूकोमा (glaucoma) उनमें से एक है। ग्लूकोमा या काला मोतियाबिंद (black cataract) को 'दृष्टि चोर sight thief' भी कहा जाता है, क्योंकि अधिकांश समय तक इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते और धीरे-धीरे दिखना बंद हो जाता है।
काला मोतिया और सफेद मोतिया दोनों में ही दृष्टि धीरे-धीरे कम होती है, लेकिन दोनों में एक अंतर है, सफेद मोतिया में ऑपरेशन के बाद दृष्टि वापस आ जाती है, लेकिन काला मोतिया के कारण जो नजर जाती है, वह लौटती नहीं है। इसका बड़ा कारण है काला मोतिया में आंखों की भीतरी नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं यानी जो नसें आंखों को दिमाग से जोड़ती हैं, जिससे इंसान देख पाता है, वे पूरी तरह खराब हो जाती हैं। हर साल 12 मार्च को दुनियाभर में विश्व ग्लूकोमा दिवस World Glaucoma Day मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके।ग्लूकोमा की कई श्रेणियां होती हैं। पहली श्रेणी को प्राइमरी ओपन एंगल या क्रोनिक ग्लूकोमा कहते हैं, दूसरी श्रेणी क्लोज्ड एंगल या एक्यूट ग्लूकोमा और तीसरी श्रेणी कानजेनियल या सेकेंडरी ग्लूकोमा होती है।
प्रारंभिक अवस्था में ग्लूकोमा सामान्य तौर पर कोई गौर करने लायक लक्षण नहीं प्रकट करता। क्रोनिक ग्लूकोमा इतनी धीमी गति से विकसित होता है की कुछ पता ही नहीं चलता। ऐसे में आपको समय-समय पर अपनी आंखों की जांच कराते रहना चाहिए, ताकि लक्षणों का पता लगते ही इससे बचा जा सके। एक्यूट ग्लूकोमा की स्थिति जो की इंट्रोक्युलर प्रेशर (आंखों के अंदर दबाव) में वृद्धि की वजह से आती है। इसके लक्षण यह है(Glaucoma Symptoms In Hindi), जैसे आंखों में अंध क्ष���त्रों का एहसास, प्रकाश के ��ारों तरफ इंद्रधनुषी रंगों का प्रभामंडल नज़र आना, आंखों में तेज दर्द, चेहरे में दर्द, लाल आंखे, रोशनी के चारों तरफ प्रभामंडल के साथ धुंधली दृष्टि और मतली आना। जिन लोगों को ग्लूकोमा होने का अधिक खतरा रहता है उनमे यदि किसी के परिवार में ग्लूकोमा रहा है, मधुमेह की पृष्ठभूमि, ऊंचे माइनस या प्लस पावर का चश्मा पहनने वाले या हाइपरटेंशन से पीड़ित लोग।
आंखें ईश्वर का वरदान हैं, इन्हीं की मदद से हम दुनिया के खूबसूरत नजारे ले पाते हैं। हालांकि दुर्भाग्यवश भारत में अनुमानित 4.95 मिलियन (49.5 लाख) से अधिक लोग अंधेपन का शिकार हैं, इनमें बच्चे भी शामिल हैं। दिनचर्या-आहार में गड़बड़ी के कारण समय के साथ इसका खतरा और भी बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को आंखों की गंभीरता से देखभाल करनी चाहिए। इसके लिए पौष्टिक आहार का सेवन, आंखों को चोट से बचाने के साथ दिनचर्या में कुछ बदलाव भी आवश्यक हैं। अगर आपको भी इस तरह की दिक्कतें हो रही हैं तो सावधान हो जाइए।(Glaucoma Symptoms In Hindi) धीरे-धीरे आपकी दृष्टि में हर जगह धब्बे दिखाई देने लगते हैं। चीजों को देखने में कठिनाई होती है, अधिक जोर लगाने की जरूरत हो सकती है। अक्सर सिरदर्द- आंखों में तेज दर्द रहना। दर्द के साथ मतली या उल्टी जैसा लगना।
धुंधली दृष्टि। रोशनी के चारों रंगीन छल्ले नजर आना। आंखों का अक्सर लाल रहना लक्षण है। दुनियाभर में बढ़ती आंखों की समस्या और अंधेपन का एक कारण ग्लूकोमा को माना जाता है। ग्लूकोमा (glaucoma in hindi), आंखों की बीमारियों का एक समूह है जो ऑप्टिक नर्व नामक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाकर दृष्टि हानि और अंधापन का कारण बन सकती है।
ग्लूकोमा से बचने के लिए आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। जैसे कि आंखों में कोई भी ड्रॉप डालने से पहले अपने हाथों में अच्छी तरह धो लें। दवाई को ठंडी और ड्राई जगह पर रखें। एक बार में एक ही ड्रॉप डालें और दो दवाइयों के बीच में आधा घंटे का गैप जरूर करें। अगर आप अपने आई स्पेशलिस्ट से लगातार मिलते रहते हैं और समय से दवाइयां लेते हैं , तो आप अपने ग्लूकोमा को समय से कंट्रोल करके एक नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं।विश्व ग्लूकोमा दिवस World Glaucoma Day जागरूकता के लिए मनाया जाता है ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके |
क्यों होता है काला मोतिया Why Does Glaucoma Occur ?
काला मोतिया होने का सबसे बड़ा कारण (Causes of Glaucoma In Hindi ) है आंखों का दबाव बढ़ना। जिस तरह रक्तचाप बढ़ने से शरीर को नुकसान होता है, उसी तरह दबाव बढ़ने से आंखों को भी नुकसान होता है। इसे समय रहते नियंत्रित करना जरूरी है। दबाव के कारण आंखों के पीछे की नसें सूखने लगती हैं और उनके कार्य करने की क्षमता खत्म हो जाती है। एक बार इन नसों के नष्ट होने के बाद उसे वापस नहीं लाया जा सकता। ग्लूकोमा आंखों में होने वाली बीमारी है जो ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है। ऑप्टिक नर्व्स आपकी आंख से मस्तिष्क तक दृश्यों की जानकारी भेजती हैं। आंख में किसी कारण से उच्च दबाव की स्थिति इन तंत्रिकाओं को क्षति पहुंचाने वाली हो सकती है। ये ग्लूकोमा का कारण बन सकती है। ग्लूकोमा किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन वृद्ध लोगों में यह अधिक आम है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अंधेपन के लिए इसे प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। अगर आप नियमित रूप से आंखों की जांच कराते रहते हैं तो आंखों पर पड़ने वाले दबाव का पता लगाने और समय रहते ग्लूकोमा का निदान करने में मदद मिल सकती है।
सफेद मोतिया व काला मोतिया में अंतर (Difference Between Cataract and Glaucoma Disease In Hindi)
दोनों में काफी अंतर है। काला मोतिया (ग्लूकोमा) में यदि रोशनी चली जाए तो वह फिर वापस नहीं आ सकती। इसका कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं है, जबकि सफेद मोतिया (मोतियाबिंद) में रोशनी वापस आ सकती है। इसका आसान सा इलाज मौजूद है। यह मर्ज उम्र बढ़ने के साथ होता है। 60 वर्ष के बाद अक्सर लोगों में होता है।
ग्लूकोमा कितने प्रकार के होते है (Types Of Glaucoma In Hindi)
ओपन-एंगल (क्रोनिक) ग्लूकोमा (Open-angle (chronic) glaucoma):- नेशनल आई इंस्टीट्यूट के अनुसार यह एक सबसे आम प्रकार का ग्लूकोमा है जिससे ज्यादातर लोग प्रभावित होते हैं। यह समस्या का विषय इसलिए भी है क्योंकि इसमें आंखों की रोशनी धीमे-धीमे कम होने के अलावा कोई भी लक्षण देखने को नहीं मिलता। ऐसे में आंखों की रोशनी कम होने के पीछे के कारण का पता लगाना मुश्किल हो जाता है हालांकि चिकित्सा परामर्श लेने के बाद इस चीज का पता लगाया जा सकता है।
एक्यूट एंगल क्लोजर ग्लूकोमा acute angle closure glaucoma :- यह एक इमरजेंसी सिचुएशन है। जिसमें aqueous humor fluid अचानक रुक जाता है। जिसके बाद आंखों में तेज दर्द की समस्या होती है। इसमें आंखों के सामने धुंधलापन सबसे आम लक्षण हैं ऐसे में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर फौरन डॉक्टर के पास जाना सबसे बेहतर विकल्प है। यदि वक्त पर इसका पता लग जाए तो इसका इलाज सर्जरी के माध्यम से संभव होता है।
नॉर्मल टेंशन ग्लूकोमा (normal tension glaucoma) :- ग्लूकोमा क्या होता है ?(Glaucoma kya hota hai )कुछ मामलों में बिना दबाव के ऑप्टिक तंत्रिका पर नुकसान पहुंच जाता है। इस प्रकार के पीछे का कारण क्या है यह अभी तक पता नहीं चल पाया है हालांकि अत्याधिक संवेदनशीलता या आपके ऑप्टिक तंत्रिका में रक्त के प्रभाव में कमी इस प्रकार के ग्लूकोमा का कारण बन के सामने आ सकता है।
सेकेंडरी ग्लूकोमा (secondary glaucoma) :- ग्लूकोमा का यह प्रकार अक्सर आंखों की स्थिति यह किसी अन्य चोट के कारण हो सकता है। मोतियाबिंद आंखों में ट्यूमर का दुष्प्रभाव भी ग्लूकोमा के इस प्रकार का कारण बन सकता है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसी दवाएं भी इस प्रकार के ग्लूकोमा का कारण बन सकती हैं।  
जन्मजात ग्लूकोमा (congenital glaucoma) :- जैसे कि इसके नाम से पता चलता है कि यह जन्म के साथ ही खो जाता है। यह शिशु की आंखों में दोष के कारण होता है। जो सामान्य द्रव निकासी को धीमा कर देता है। आमतौर पर इसके लक्षण देखने को मिलते हैं। जिसमें आंखों से पानी आना, ज्यादा रोशनी ना बर्दाश्त कर पाना सबसे आम लक्षण है।
ग्लूकोमा के लक्षण क्या होते हैं (Glaucoma Symptoms In Hindi) :
ग्लूकोमा के लक्षण रोग की स्थिति और इसके प्रकारों पर निर्भर करती है। शुरुआती चरणों में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं पर समय के साथ ये कम दिखाई देने या अंधेपन का कारण बन सकती है। इसके अलावा ग्लूकोमा बढ़ने के कारण आपको अक्सर सिरदर्द होने, आंखों में तेज दर्द, मतली या उल्टी, धुंधला दिखाई देने, आंखों के लाल होने की समस्या हो सकती है। ग्लूकोमा वाले रोगियों में जिस लक्षण को सबसे प्रमुखता से देखा जाता है वह है किसी बल्ब या रोशनी की तरफ देखने पर इंद्रधनुषी घेरा दिखाई देना। अगर आपको भी कुछ समय से बल्ब देखते समय उसके आसपास किसी तरह का घेरा दिखाई देता है तो इसे ग्लूकोमा का संकेत माना जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं सभी लोगों को इसके जोखिमों को लेकर अलर्ट रहने की आवश्यकता होती है।आइये जानते है ग्लूकोमा के लक्षण व ग्लूकोमा क्या होता है (Glaucoma kya hota hai)? 
रोशनी के चारों तरफ इंद्रधनुष दिखने लगता है।
धीरे-धीरे देखने में भी परेशानी बढ़ने लगती है।
दबाव बढ़ने पर आंखों के चारों तरफ और सिर में दर्द महसूस होता है।
अक्सर मरीज जब डॉक्टर के पास पहुंचता है, तो पता चलता है कि नजर जा चुकी होती है।
यदि कभी आंखों में बहुत तेज दर्द महसूस होता है तो उसका मतलब है कि आंखों पर प्रेशर अचानक काफी बढ़ गया है।
फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के लिए तैयार है। आज ही हमसे संपर्क करें और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानें और देखें कि हम आपके परिवार को सर्वोत्तम देखभाल कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। हम आपके परिवार के स्वास्थ्य सफ़र में हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। अभी फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करें और हमारे ऑप्थॉलॉजी टीम के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
ग्लूकोमा से बचने के उपाय (Glaucoma Treatment In Hindi) :
 घर में अगर किसी को ग्लूकोमा है तो बच्चे को होने की ज्यादा संभावना होती है क्योंकि यह एक आनुवांशिक बीमारी है। ऐसे में बच्चे की आंखों की जांच करवा लीजिए।
आंखों की एलर्जी, अस्थमा, चर्म रोग या किसी अन्य रोग के लिए स्टेरॉइड दवाओं का प्रयोग करने से आंखों में दिक्कत आ जाती है। ऐसी दवाईयों के सेवन ��े बचे।
आंखों में दर्द हो या आंखें लाल हो जाएं तो स्पेशलिस्ट डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा का प्रयोग करें।
खेलने के दौरान (टेनिस या क्रिकेट बॉल से) अगर आंखों में चोट लग जाए तो इसका इलाज कराएं।
आंखों में कभी किसी प्रकार की कोई सर्जरी हुई हो या कोई घाव हो गया हो तो उसकी जांच समय-समय पर करवाते रहें, क्योंकि सर्जरी से ग्लूकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है।
हर दो साल में आंखों की नियमित जांच करवाते रहिए। चेकअप करवाने से आंखों की रोशनी का पता लगाया जा सकता है।
अगर आपके चश्मे का नंबर बदल रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कीजिए।
जब आप सीधे देख रहें हों तो आंखों के किनारे से न दिखाई दे रहा हो तब आंखों की जांच करवाएं।
आंखों में दर्द हो, सिर और पेट में दर्द हो तो इसको नजरअंदाज मत कीजिए, तुरंत चिकित्सक से संपर्क कीजिए।
आंखों को पोषण देने वाले तत्वों  जैसे बादाम, दूध, संतरे का जूस, खरबूजे, अंडा, सोयाबीन का दूध, मूंगफली आदि का ज्यादा मात्रा में सेवन कीजिए।
ग्लोकोमा (काला मोतिया) के लिए निदान, स्क्रीनिंग और परीक्षण (Glaucoma Treatment In Hindi) :
नियमित नेत्र परीक्षा के दौरान, एक टोनोमीटर का उपयोग आपके इंट्रा ऑक्युलर दबाव, या IOP को मापने के लिए किया जाता है । आपकी आंख आमतौर पर टोपिकल (सामयिक) आई ड्रॉप के साथ सुन्न कर दी जाती है, और एक छोटा सा प्रोब , धीरे-धीरे आँखों की सतह पर आकर टिकता है । अन्य टोनोमीटर आपकी आंख की सतह पर हवा का एक झोंका जैसा छोड़ते हैं ।
एक असामान्य रूप से उच्च IOP रीडिंग आंख में तरल पदार्थ की मात्रा के साथ एक समस्या को इंगित करता है । या तो आंख बहुत अधिक तरल पदार्थ का उत्पादन कर रही होती है, या यह ठीक से  बाहर  नहीं निकल पा रही है ।
आम तौर पर, IOP 21 mmHg (मिलीमीटर पारा के) से नीचे होना चाहिए - माप की एक इकाई जो एक निश्चित परिभाषित क्षेत्र के भीतर कितना बल है, इस पर आधारित होती है ।
यदि आपका IOP 30 mmHg से अधिक है, तो ग्लोकोमा (काला मोतिया) से दृष्टि की हानि का जोखिम 15 mmHg या उससे कम इंट्राओक्यूलर दबाव वाले किसी व्यक्ति की तुलना में 40 गुना अधिक है । यही कारण है कि ग्लोकोमा (काला मोतिया) के उपचार जैसे आई ड्रॉपस IOP को कम रखने के लिए  डिज़ाइन किए गए हैं ।
ग्लोकोमा (काला मोतिया) की निगरानी के अन्य तरीकों में आधारभूत चित्र और आंख के ऑप्टिक नर्व  और आंतरिक संरचनाओं के माप को बनाने के लिए परिष्कृत इमेजिंग तकनीक का उपयोग शामिल है ।
फिर, निर्दिष्ट अंतराल पर, यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त चित्र और माप लिया जाता है कि कोई परिवर्तन तो नहीं हुआ है जो प्रगतिशील ग्लोकोमा (काला मोतिया) से होने वाले क्षति का संकेत दे सकता है ।
उपयोगी सुझाव (Glaucoma Treatment In Hindi)
आंखों में ड्राइनेस बढ़ जाने पर जलन, खुजलाहट महसूस होती है।
लगातार स्क्रीन पर समय बिताने के बजाय ब्रेक लेना आवश्यक है।
हर आधे घंटे में पांच मिनट का ब्रेक लेकर दूर देखें, आंखों को थोड़ी राहत दें।
40 वर्ष की उम्र के बाद हर वर्ष कम से कम एक बार आंखों की जांच जरूरी है।
आंखों को ब्लिंक करते रहें यानी पलकों को झपकाते रहें, अन्यथा आंखों में ड्राइनेस बढ़ती है।
अगर में आंखों में तकलीफ महसूस हो रही है, तो तुरंत नेत्र चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
स्मार्टफोन या लैपटाप पर काम करते समय आसपास पर्याप्त रोशनी रखें, अंधेरे में काम न करें।
हमारी आंखें नजदीक नहीं, दूर देखने के लिए बनी हैं। लगातार नजदीक में देखते रहने से आंखों पर जोर पड़ता है
Resource: https://www.felixhospital.com/blogs/glaucoma-disease-In-hindi
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mwsnewshindi · 2 years
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उच्च रक्त शर्करा प्रबंधन: मधुमेह वाले लोग बिना किसी अपराधबोध के 7 खाद्य पदार्थ खा सकते हैं
उच्च रक्त शर्करा प्रबंधन: मधुमेह वाले लोग बिना किसी अपराधबोध के 7 खाद्य पदार्थ खा सकते हैं
हाई ब्लड शुगर वस्तुतः एक मूक महामारी है जो विश्व स्तर पर लाखों लोगों को प्रभावित करती है। मधुमेह को नियंत्रण में रखने के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली और सही आहार आवश्यक है। खासकर जब बात खाने की हो तो जिन लोगों का ब्लड शुगर हाई होता है उन्हें सावधान रहने की जरूरत है। वसा और कैलोरी में कम और फाइबर में उच्च खाद्य पदार्थ मधुमेह रोगियों के लिए अच्छे होते हैं। यहां 7 अलग-अलग प्रकार के भोजन हैं जिनका मधुमेह…
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abhinews1 · 9 months
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जय को के.डी. हॉस्पिटल में मिली नई जिन्दगी
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जय को के.डी. हॉस्पिटल में मिली नई जिन्दगी
मथुरा। डायबिटीज या शुगर (मधुमेह) जिसे कभी बुजुर्गों की बीमारी कहा जाता था, वह आज जवानों और बच्चों को भी अपना शिकार बना रही है। इसी बीमारी की गिरफ्त में बेहोशी की हालत में आए छह वर्षीय जय पुत्र विवेक सिंह को के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. के.पी. दत्ता तथा डॉ. सुमित के प्रयासों से नई जिन्दगी मिली है। अब जय पूरी तरह से स्वस्थ है तथा उसके माता-पिता के.डी. हॉस्पिटल प्रबंधन का आभार मान रहे हैं। ज्ञातव्य है कि ग्राम कटैला, राया मथुरा निवासी जय पुत्र विवेक सिंह को अचानक 14 दिसम्बर को उल्टियां होने लगीं तथा थोड़ी ही देर बाद वह बेहोश हो गया। बच्चे की खराब स्थिति को देखते हुए परिजन उसे मथुरा के कई निजी चिकित्सालयों में ले गए लेकिन हर किसी ने उपचार से मना कर दिया। आखिरकार उसे के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर लाया गया। विशेषज्ञ शिशु रोग डॉ. के.पी. दत्ता ने बच्चे का प्राथमिक परीक्षण किया जिससे पता चला कि वह डायबिटिक कीटोएसिडोसिस तथा प्री-कोमा का शिकार है। डॉ. के.पी. दत्ता और डॉ. सुमित ने बिना विलम्ब किए इंटरनेशनल प्रोटोकाल के तहत जय का उपचार शुरू कर दिया। बच्चे को चार दिन तक सघन चिकित्सा इकाई में रखा गया। अब जय पूरी तरह से स्वस्थ है। डॉ. के.पी. दत्ता का कहना है कि यदि बच्चे को लाने में कुछ और विलम्ब हो जाता तो उसकी जान जा सकती थी। उन्होंने बताया कि डायबिटिक बीमारी एक बार में अपना लक्षण नहीं दिखाती बल्कि खराब लाइफ स्टाइल और अन्य कारकों के चलते हमारे शरीर में धीरे-धीरे पनपती है और वक्त के साथ घातक हो जाती है। डॉ. दत्ता बताते हैं कि कुछ बच्चों में डायबिटीज होने का आनुवंशिक कारण होता है। अगर माता-पिता में से किसी एक को डायबिटीज है, तो बच्चे में डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है। डॉ. दत्ता बताते हैं कि समय पर बीमारी का पता न चलने से मरीजों को खतरा हो जाता है तथा कई बीमारियां होने की आशंका रहती है। डॉ. दत्ता बताते हैं कि डायबिटीज दो प्रकार की होती है। इसमें पहली है टाइप 1 और दूसरी है टाइप-2. टाइप 1 में इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में नहीं बनती या बननी बंद हो जाती है। टाइप-2 में ब्लड में शुगर का लेवल काफी बढ़ जाता है। विभागाध्यक्ष शिशु रोग डॉ. दत्ता बताते हैं कि चूंकि के.डी. हॉस्पिटल के एनआईसीयू तथा पीआईसीयू में आधुनिकतम उपकरण तथा विशेषज्ञ नर्सेज हैं लिहाजा यहां हर शिशु का अच्छे तरीके से उपचार सम्भव हो पाता है। डॉ. दत्ता का कहना है कि यदि हमें डायबिटीज से बचना है तो नियमित रूप से एक्सरसाइज करें तथा छोटे बच्चों को खेलकूद की तरफ प्रेरित करें। इतना ही नहीं कम फैट वाला भोजन लें तथा उसमें प्रोटीन और विटामिन को शामिल करें। फाइबर युक्त भोजन लें तथा जंक फूड खाने से परहेज करें। जय के पूर्ण स्वस्थ होने से उसके माता-पिता बहुत खुश हैं। जय की मां का कहना है कि एकबारगी तो उन्होंने उम्मीद ही छोड़ दी थी लेकिन के.डी. हॉस्पिटल में उनके बच्चे का नया जन्म हुआ है। जय के पिता विवेक सिंह कहते हैं कि कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद आखिरी उम्मीद लेकर के.डी. हॉस्पिटल आए थे। उन्होंने हॉस्पिटल प्रबंधन तथा डॉक्टरों की टीम की प्रशंसा करते हुए सभी का आभार माना। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने जय का समय से सही उपचार करने के लिए चिकित्सकों की टीम को बधाई देते हुए बच्चे के सुखद जीवन की कामना की है।
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जय को के.डी. हॉस्पिटल में मिली नई जिन्दगी
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👨‍⚕️हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सरल कदम: हृदय अटैक और स्ट्रोक का जोखिम कम करें
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झारखंड के रांची में सुकून हार्ट केयर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद फरहान शिकोह आपके हृदय स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हार्ट अटैक और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए यहां कुछ व्यावहारिक उपाय दिए गए हैं:
तंबाकू को नकारें: सभी प्रकार के तंबाकू से बचना महत्वपूर्ण है। सिगरेट पीने से आपकी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे हृदय रोग का जोखिम बढ़ जाता है।
नमक की इस्तेमाल को सीमित करें: अत्यधिक नमक का सेवन रक्तचाप को बढ़ा सकता है, जिससे हृदय समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। नमक की जगह हर्ब्स और मसालों का उपयोग करें।
फल और सब्जियों का आनंद लें: फल और सब्जियों से भरपूर आहार में महत्वपूर्ण पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। अपने भोजन में विविधता लाने का प्रयास करें।
नियमित व्यायाम को प्राथमिकता दें: नियमित व्यायाम हृदय के लिए महत्वपूर्ण है। हफ्ते में कम से कम 30 मिनट के लिए मध्यम तंतु का व्यायाम करने का अभ्यास बनाएं। व्यक्तिगत व्यायाम सुझाव के लिए डॉ. फ़रहान शिकोह से सलाह लें।
दवाओं का पालन करें: यदि आपका उच्च रक्तचाप या मधुमेह है, तो आपके निर्धारित दवा नियम का पालन करना महत्वपूर्ण है। ये दवाएँ आपके स्थिति को प्रबंधित करती हैं और जोखिम को कम करती हैं।
याद रखें, जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव आपके हृदय स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण अंतर ला सकते हैं। व्यक्तिगत मार्गदर्शन और व्यापक हृदय देखभाल के लिए, आप सुकून हार्ट केयर में Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) से संपर्क कर सकते हैं। सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 पर उनसे संपर्क करें या 6200784486 पर कॉल करें। अधिक जानकारी के लिए drfarhancardiologist.com पर जाएँ।
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healthnews69 · 11 months
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Belight Capsule are all-natural capsules that help the body’s metabolism and glucose and carbohydrate balance. The filmed Capsule assist you in managing your weight and reducing cravings for food, which helps you manage the symptoms of diabetes. The manufacturer, “Herbal Doctor,” guarantees high-quality ingredients and offers attractive price breaks on their online website. In India , about 5,000,000 copies have already been sold. Opinions and remarks regarding Belight Capsule on forums indicate that the medication is effective in treating endocrinological disorders. The testimonials contain no complaints regarding contraindications.
Its contents are derived from a variety of plants and herbs and have the ability to balance blood sugar levels. They maintain the liver’s and pancreatic functioning. The safety of the filmed capsules is confirmed through comprehensive clinical study investigation. According to the Certificate of Quality, their efficacy in reducing type 2 diabetic symptoms is 91%.
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Belight Capsule पूरी तरह से प्राकृतिक कैप्सूल हैं जो शरीर के चयापचय और ग्लूकोज और कार्बोहाइड्रेट संतुलन में मदद करते हैं। फिल्माई गई गोलियाँ आपके वजन को नियंत्रित करने और भोजन की लालसा को कम करने में आपकी सहायता करती हैं, जिससे आपको मधुमेह के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद मिलती है। निर्माता, “हर्बल डॉक्टर”, उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री की गारंटी देता है और अपनी ऑनलाइन वेबसाइट पर आकर्षक मूल्य छूट प्रदान करता है। भारत में इसकी लगभग 5,000,000 प्रतियां पहले ही बिक चुकी हैं। मंचों पर Belight Capsule के संबंध में राय और टिप्पणियाँ इंगित करती हैं कि दवा एंडोक्रिनोलॉजिकल विकारों के इलाज में प्रभावी है। प्रशंसापत्र में मतभेदों के संबंध में कोई शिकायत नहीं है।
ग्लूकोज संतुलन को पुनः स्थापित करने और इंसुलिन उत्पादन को सामान्य करने के लिए एक शानदार प्राकृतिक उपचार है बेलाइट कैप्सूल। इसकी सामग्री विभिन्न प्रकार के पौधों और जड़ी-बूटियों से प्राप्त होती है और इसमें रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित करने की क्षमता होती है। वे यकृत और अग्न्याशय की कार्यप्रणाली को बनाए रखते हैं। व्यापक नैदानिक अध्ययन जांच के माध्यम से फिल्माए गए कैप्सूल की सुरक्षा की पुष्टि की जाती है। गुणवत्ता प्रमाणपत्र के अनुसार, टाइप 2 मधुमेह के लक्षणों को कम करने में उनकी प्रभावकारिता 91% है।
Belight Capsule — What Is It & How Does It Work
Belight Capsule is an all-natural supplement that lowers cholesterol and blood sugar. The filmed tablets are able to calm appetites and curb sweet tooth cravings. They provide the body with energy and aid in weight loss, which can help you better manage the symptoms of diabetes. Purchasing a copy is a simple process when done through the manufacturer’s official website, “Herbal Doctor.” There are frequent price reductions. Prominent endocrinologists and nutritionists, such as Dr. Bruno Moretti and Dr. Stefano Dorigatti, support the product’s use. One of the most cutting-edge treatments for improving liver and pancreatic functions is Belight Capsule . It restores equilibrium to the production and uptake of insulin.
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आधिकारिक साइट: — Belight Capsule
Benefits & Advantages of the Capsules for Better Blood Glucose Control
dietitians who recommend Belight Capsule to their patients due to its many benefits. According to the two experts, using these capsules offers a completely natural method of treating diabetes and high blood glucose levels. Over 5,000,000 people in India have started taking it everyday thanks to its immediate effects.
The advantages and benefits of Belight Capsule even helped it to earn the Best New Product for Insulin Control Award. In addition to helping you manage your appetite and hunger cravings, the film-coated capsules dissolve 15 to 20 minutes after use. The official website makes ordering them simple.
Pros
With an all-natural composition that enhances insulin production and glucose absorption, the film-coated capsules are nominated by the Association of Professional Endocrinologists for the Best New Product for Insulin Control in India . They are 91% effective in preventing obesity and weight gain, and over 5,000,000 people take them daily with excellent results. Currently, anyone can use them.
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CONS:
Ensure that you begin a low-carb diet while the intake is underway.
Avoid searching for the product at the drugstore or supermarket;
Belight Capsule — यह क्या है और यह कैसे काम करता है
Belight Capsule एक पूर्णतः प्राकृतिक पूरक है जो कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा को कम करता है। फिल्माई गई गोलियाँ भूख को शांत करने और मीठे दाँत की लालसा को रोकने में सक्षम हैं। वे शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और वजन घटाने में सहायता करते हैं, जो आपको मधुमेह के लक्षणों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद कर सकता है। निर्माता की आधिकारिक वेबसाइट, “हर्बल डॉक्टर” के माध्यम से कॉपी खरीदना एक सरल प्रक्रिया है। कीमतों में लगातार कटौती हो रही है लीवर और अग्न्याशय के कार्यों में सुधार के लिए सबसे अत्याधुनिक उपचारों में से एक है बेलाइट कैप्सूल। यह इंसुलिन के उत्पादन और अवशोषण में संतुलन बहाल करता है।
बेहतर रक्त ग्लूकोज नियंत्रण के लिए Belight Capsule के लाभ और फायदे
आहार विशेषज्ञ जो इसके कई लाभों के कारण अपने रोगियों को Belight Capsule की सलाह देते हैं। दो विशेषज्ञों के अनुसार, इन कैप्सूलों का उपयोग मधुमेह और उच्च रक्त शर्करा के स्तर के इलाज का पूरी तरह से प्राकृतिक तरीका प्रदान करता है। इसके तत्काल प्रभाव से भारत में 5,000,000 से अधिक लोगों ने इसे प्रतिदिन लेना शुरू कर दिया है।
Belight Capsule के फायदों और फायदों ने इसे इंसुलिन नियंत्रण के लिए सर्वश्रेष्ठ नए उत्पाद का पुरस्कार अर्जित करने में भी मदद की। आपकी भूख और भूख की लालसा को प्रबंधित करने में मदद करने के अलावा, फिल्म-लेपित कैप्सूल उपयोग के 15 से 20 मिनट बाद घुल जाते हैं। आधिकारिक वेबसाइट उन्हें ऑर्डर करना सरल बनाती है।
पेशेवरों
पूरी तरह से प्राकृतिक संरचना के साथ जो इंसुलिन उत्पादन और ग्लूकोज अवशोषण को बढ़ाती है, फिल्म-लेपित कैप्सूल को एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल एंडोक्रिनोलॉजिस्ट द्वारा भारत में इंसुलिन नियंत्रण के लिए सर्वश्रेष्ठ नए उत्पाद के लिए नामांकित किया गया है। वे मोटापे और वजन बढ़ने को रोकने में 91% प्रभावी हैं, और उत्कृष्ट परिणामों के साथ प्रतिदिन 5,000,000 से अधिक लोग उनका सेवन करते हैं। फ़िलहाल इन्हें कोई भी इस्तेमाल कर सकता है.
दोष:
सुनिश्चित करें कि जब सेवन चल रहा हो तब आप कम कार्ब वाला आहार शुरू करें।
दवा की दुकान या सुपरमार्केट में उत्पाद खोजने से बचें;
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ragbuveer · 1 year
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया, व राशिफल (एकादशी तिथि व्रत सभी के लिए)*📖
आज कोई श्राद्ध नहीं है
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-10-अक्टूबर-2023
वार :--------मंगलवार
तिथि :------11एकादशी:-15:09
माह:-------आश्विन
पक्ष:--------कृष्णपक्ष
नक्षत्र:--------मधा:-29:45
योग:---------साध्य:-07:47
करण:--------बालव:-15:09
चन्द्रमा:--------सिंह
सुर्योदय:--------06:38
सुर्यास्त:---------18:12
दिशा शुल-----------उत्तर
निवारण उपाय:----धनिया का सेवन
ऋतु:-------------शरद ऋतु
गुंलिक काल:---12:24से 13:52
राहू काल:-------15:19से16:47
अभीजित-------11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:-----पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
चंचल:-09:30से10:56तक
लाभ:-10:56से12:22तक
अमृत:-12:22से13:48तक
शुभ:-15:18से16:44तक
🌓चोघङिया रात🌗
लाभ:-19:47से21:20तक
शुभ:-22:54से00:26तक
अमृत:-00:26से02:00तक
चंचल:-02:00से03:34तक
🌸आज के विशेष योग🌸
वर्ष का202वाँ दिन, इन्दिरा एकादशी व्रत, मधा श्राद्ध, कुमारयोग 15:09तक,
🌠वास्तु टिप्स 🌠
पितृ पक्ष के दौरान चना या फिर चने से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
सुविचार
मनुष्य के जीवन में दुख इसलिए आते हैं ताकि वह सुख का महत्व समझ सके...👍 राधे राधे...
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
मधुमेह के घरेलू नुस्खे :-
1. डायबिटीज में चीनी वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए |
2. इस रोग में धीरे-धीरे पैदल चलना तथा सुबह-२ सैर अवश्य करनी चाहिए ।
3. जामुन के ४ हरे और नरम पत्ते खूब बारीक़ कर ६० ग्राम पानी में रगड़ कर छान लें और सुबह १० दिन तक लगातार पिए ।
4. डायबिटीज के शुरुवात में जामुन के ४ पत्ते प्रातः और शाम को चबाकर खाने से तीसरे दिन से ही लाभ होने लगेगा |
5. डायबिटीज में करेले के रस का सेवन करना भी एक घरेलू नुस्खा है |
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
आय में वृद्धि होगी। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। कोर्ट-कचहरी तथा सरकारी कार्यालयों में अटके काम पूरे हो सकते हैं तथा स्थिति सुधरेगी। घर में व्यय होगा। किसी दुविधा से निर्णय लेने की क्षमता कम होगी। बुद्धि का प्रयोग करें। प्रमाद न करें।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में चैन रहेगा। किसी लंबे कारोबारी प्रवास की योजना बन सकती है। स्थायी संपत्ति में वृद्धि के योग हैं। कोई कारोबारी बड़ा सौदा हो सकता है। समय की अनुकूलता का लाभ लें। प्रसन्नता रहेगी।
👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
अध्ययन आदि में एकाग्रता रहेगी। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। किसी मनोरंजक यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है। विद्यार्थी वर्ग अपने कार्य में सफलता हासिल करेगा। नौकरी में कोई नया कार्य कर पाएंगे। उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। बनते काम बिगड़ सकते हैं। दौड़धूप अधिक होगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। कारोबार में लाभ होगा। आय होगी। धैर्य रखें।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। निवेश शुभ फल देंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। प्रयास सफल रहेंगे। कार्य की प्रशंसा होगी। नौकरी में कार्यभार रहेगा। अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। जल्दबाजी न करें।
🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। निवेश में जल्दबाजी न करें। दूर से उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगा। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। आय बनी रहेगी। उत्साह से काम कर पाएंगे।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। आय में वृद्धि होगी। कोई बड़ा रुका हुआ कार्य पूर्ण होने के योग हैं। कारोबार अच्‍छा चलेगा। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। उत्साह बना रहेगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधान रहें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। किसी बड़ी समस्या स�� सामना हो सकता है। कारोबार ठीक चलेगा। फालतू खर्च होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। आय में निश्चितता रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। काम में मन लगेगा। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण बनेगा। कारोबार अच्‍छा चलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। निवेश शुभ रहेगा। जीवन सु्‍खमय रहेगा।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
प्रभावशाली लोगों का सहयोग प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। निवेशादि लाभदायक रहेंगे। कार्यकारी नए काम मिल सकते हैं। योजना फलीभूत होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
कारोबार में वृद्धि के योग हैं। नौकरी में चैन रहेगा। विवाद से बचें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। अध्यात्म में रुचि रहेगी। किसी संत-महात्मा का आशीर्वाद मिल सकता है। बेकार बातों पर ध्यान न दें। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। प्रमाद न करें।
🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। नकारात्मकता रहेगी। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। विवाद से क्लेश हो सकता है। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। प्रमाद न करें।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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🍃🍁NADI PARIKSHAN CAMP KHARGHAR NAVI MUMBAI
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⛑दी आर्ट ऑफ लिविंग बंगलोर के नाड़ी वैद्य Dr.Nandu द्वारा नाड़ी परीक्षण,स्वास्थ सलाह व निदान🍂
🍀पाएं स्वस्थ जीवन और शांत मन 🍁
😊😊😊😊😊
नाड़ी परीक्षा रोग निदान की एक प्रभावशाली किफायती तथा हानिरहित पद्धति है।
यह व्यापक है,बीमारियों की जड़ तक जाती है न कि मात्र लक्षण बताती है।यह संभावित रोगों से सचेत करती है।
हमारे डॉक्टर पुराने और असाध्य रोगों के विशेषज्ञ हैं:-
👉🏽 😤 सर्दी जुकाम सिरदर्द ,माइग्रेन
👉🏻🚶🏼जोड़ों के दर्द
👉🏻💩पाचन संबंधी व्याधियां
👉🏻🗣सभी प्रकार की एलर्जी
👉🏽🤕स्ट्रेस,रक्तचाप,थायरॉइड एवं अनिद्रा
👉🏻💆 त्वचा एवं बाल संबंधित समस्या
👉🏻👦अधिक / कम वजन
👉🏻😤मधुमेह, एलर्जी, अश्थामा
👉🏻💓हृदय संबंधित समस्याएं
👉👉🏻 स्त्रियों से संबंधित समस्याएं
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🗓शिविर :-
Wednesday 26July 2023
#Time-12.30 PM to 7.30 PM
स्थान-302, Balaji Heights.सेक्टर 34 B ,खारघर
👉🏻नाड़ी परीक्षा खाली पेट या भोजन के 3 घंटे बाद की जाती है।
☎For Pre registration/appointment contact /what's app .
*94253 84880,
7354930505
NOTE: Chekup is done with min. 3 hrs of empty stomach.
To avoid inconvenience please register/ take appointment.
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