भारत में यहां स्थित है दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहें, दोस्तों संग जरूर जाएं घूमने
चैतन्य भारत न्यूज
जब भी खूबसूरत जगहों का जिक्र आता है तो कई लोगों के मन में विदेश का ख्याल आता है। लेकिन भारत देश में भी कई खूबसूरत और दिलकश जगहें हैं। आज हम आपको बताएंगे भारत की कुछ ऐसी खूबसूरत जगहों के बारे में जो अनेक कलाओं और संस्कृतियों से सजी हुई है। यहां जाने के बाद आप कभी भी इस यात्रा को भूल नहीं पाएंगे।
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टी गार्डन हिल ऑफ मुन्नार, केरल
यहां चारों तरफ फैली हरियाली और प्राकृतिक के खूबसूरत नजारें लोगों के मन को मोह लेते हैं। मुन्नार एक खूबसूरत हिल स्टेशन भी है। एक ऐसी जगह जहां प्रकृति की शानदार पहाड़ियों, झीलों, झरनों और जंगलों का संगम देखने को मिलता है। यह जगह समुद्री तट से लगभग 7000 फीट ऊंचाई पर स्थित है।
नंदा देवी, उत्तराखंड
उत्तराखंड में स्थित नंदा देवी बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थल है। नंदा देवी भारत की दूसरी सबसे ऊंची पहाड़ी है। इसकी पहाड़ियों का ऊपरी हिस्सा बर्फ की सफेद चादर से ढका हुआ है जिसे दिखने के बाद आप इस पल को कभी भूल नहीं पाएंगे।
लोनार सरोवर, महाराष्ट्र
भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में शुमार लोनार सरोवर आपको एक बार जरूर जाना चाहिए। लोनार सरोवर झील महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित है। यह एक सेलाइन सोडा लेक है। यहां आपको बहुत ही अद्भुत नजारें देखने को मिलेंगे।
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इंडिया के 10 बेस्ट शहरों में शामिल रायपुर सिर्फ रहने के ही नहीं घूमने के लिए भी है बेहतरीन
नए रायपुर के 100 किलोमीटर के दायरे में छोटे भारत का दर्शन होता है। हाल ही में इसे रहने लायक देश के बेस्ट दस शहरों में शामिल किया गया है।
देश के 26वें राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी है रायपुर। अब अटल नगर के रूप में यहां बसाया और विकसित किया जा रहा है अनूठा नगर नया रायपुर। हाल ही में इसे रहने लायक देश के बेस्ट दस शहरों में शामिल किया गया है। आज चलते हैं स्मार्ट सिटी के शहरों में आदर्श माने जाने वाले शहर रायपुर के सफर पर।
इतिहासकारों की मानें तो इस शहर का अस्तित्व 10वीं शताब्दी से है। आम राय है कि कलचुरी शासकों ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। बाद में यह भोंसले शासकों के अधीन हुआ फिर अंग्रेजों ने इसे कमिश्नरी बनाया। साल-दर-साल शहर बनता गया और आज इसके 100 किलोमीटर के दायरे में छोटे भारत का दर्शन होता है। हर बोली-भाषा के लोग बड़े ही सहज ढंग से यहां रह रहे हैं। मौजूदा समय में इसकी सबसे बड़ी खासियत नया रायपुर है। पूर्व प्रधानमंत्री और छत्तीस���ढ़ के निर्माता भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के दिवंगत होने के बाद इसका नाम अब अटल नगर रख दिया गया है। वैसे तो पुराने रायपुर में भी ऐसा बहुत कुछ है, जो आपको यहां रहने-बसने या कुछ वक्त गुजारने के लिए लुभाएगा।
संस्कृति संग अटल नगर
पुराने शहर से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है नया रायपुर। अगर हरियाली आपको लुभाती है तो यहां तक के सफर में मजा आ जाएगा। दावा है कि अटल नगर 21वीं सदी का शहर है। 237 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाले इस शहर को बसाने के लिए चार भागों में बांटा गया है। फिलहाल लेयर वन में काम चल रहा है और इसी लेयर में इतना कुछ है कि आप देखते-देखते मुग्ध हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ सरकार की प्रशासनिक राजधानी भी यही है। मंत्रालय-सचिवालय समेत तमाम सरकारी दफ्तर यहां हैं। एकदम साफ-सुथरा और सजा-धजा, बिलकुल कायदे से सारी चीजें व्यवस्थित। सिक्स और फोरलेन सड़कों का करीब 100किलोमीटर लंबा जाल आपको एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में मिनटों में पहुंचा देगा। यह गांवों के संग बस रहा अद्भुत शहर है।
नैनों को भाए यह हरियाली
स्मार्ट सिटी परियोजना में शामिल छत्तीसगढ़ के नए शहर यानी अटल नगर पर 8000 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं और 20 हजार करोड़ रुपए के काम चल रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि अभी देश के किसी भी स्मार्ट सिटी में सभी सात मापदंडों का वैसा पालन नहीं हो रहा है जैसा कि नया रायपुर में हो रहा है। वैसे तो इस शहर को 2031 तक पूरी तरह बसाने की योजना है और तब यह शहर होगा 5 लाख 60 हजार लोगों के रहने के लिए। पहले लेयर में ही 40 सेक्टर बन रहे हैं, जहां रिहायशी के अलावा व्यावसायिक व औद्योगिक प्रयोजन के लिए स्थान चिह्नित हैं और इसी क्रम में इनकी स्थापना भी हो रही है। हरियाली ऐसी कि कुल क्षेत्र का 38.29 फीसद हिस्सा ग्रीन एरिया के लिए सुरक्षित है। इसमें 500 मीटर चौड़ा ग्रीन बेल्ट शामिल है। हरियाली से पटा यह शहर पहली नजर में ही आपका मन मोह लेगा।
'बूढ़ा तालाब' का गौरव
पुराने रायपुर शहर का सबसे पुराना सरोवर होने का गौरव 'बूढ़ा तालाब' को है। आदिवासियों द्वारा पूजित बूढ़ादेव के नाम पर इसका नामकरण हुआ था। इसके मध्य में एक सुंदर गार्डन है, जहां स्वामी विवेकानंद की 37 फीट ऊंची बैठी हुई प्रतिमा लगी है। वैसे, यहां यानी पुराने रायपुर में कई दर्शनीय स्थल हैं। नगर घड़ी चौक, विवेकानंद आश्रम और राजकुमार कॉलेज भी शहर की पहचान हैं। राजकुमार कॉलेज की स्थापना वर्ष 1894 में हुई, जहां राजाओं, जमींदारों के घरों के बच्चे पढ़ते थे। यह संस्थान आज भी है और रजवाड़ों की पहली पसंद है। अब धनाढ्यों और आला अफसरों के बच्चे यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यहां विशाल तेलीबांधा तालाब को खूबसूरत रंग देकर मरीन ड्राइव के रूप में विकसित किया गया है। मध्य भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज यहां लहरा रहा है।
समरसता की मिसाल
रायपुर ने हर वर्ग व जाति के लोगों को बड़े अपनत्व से अपनाया है। इसीलिए यह एक लघु भारत की तरह नजर आता है। यहां की प्रमुख सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है-महंत घासीदास संग्रहालय, जहां सालभर संगीत, नाटक, नृत्य, गोष्ठी, कार्यशाला, विभिन्ना कलात्मक विधाओं पर प्रशिक्षण चलता रहता है। संग्रहालय में छत्तीसगढ़ में मिलीं छठीं सदी से लेकर 18वीं सदी तक की पुरातात्विक सामग्रियां हैं। शिव, विष्णु व गणेश की प्राचीन प्रस्तर व धातु प्रतिमाएं, बुद्ध-महावीर समेत तीर्थंकरों की मूर्तियां हैं। प्राचीन काल में प्रयोग में लाए गए पुराने हथियार, कृषि उपकरण, वस्त्र, आभूषण भी यहां रखे गए हैं।
आसपास घूमने वाली जगहें
आयुर्वेदिक स्नानकुंड
रायपुर से 85 किमी दूर नेशनल हाइवे पर स्थित है सिरपूर, जो कभी शरभवंशीय व सोमवंशी राजाओं की राजधानी हुआ करता था। चीन के प्रसिद्ध यात्री ह्वेनसांग भी यहां आए थे। खुदाई से मिले पुरावशेषों के कारण पुरातत्वविदों के लिए सिरपुर अनजाना नहीं है। यहां खुदाई में 22 शिव मंदिर, चार विष्णु मंदिर, 10 बौद्ध विहार, तीन जैन विहार मिले थे। छठी शताब्दी में बना आयुर्वेदिक स्नान कुंड और भूमिगत अनाज बाजार लोगों को अचंभित कर देते हैं। ईंटों से बना लक्ष्मणेश्वर और गंधेश्वर मंदिर शिल्प कला का अद्भुत नमूना है।
चंपारण्य
रायपुर से करीब 40 किमी की दूरी पर महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली चंपारण्य है। वल्लभ संप्रदाय के लोगों के अलावा महाराष्ट्र और गुजरात से हर साल बड़ी संख्या में भक्तगण यहां आते हैं। यहां पर चंपेश्वर महादेव का मंदिर भी दर्शनीय है।
समंदर सरीखा रविशंकर जलाशय
रायपुर के दक्षिण दिशा में बढ़े तो गंगरेल डैम यानि रविशंकर जलाशय है। यह विशाल जलाशय समुद्र की तरह नज़र आता है। यहां वॉटर स्पोर्ट्स की भी सुविधा है। महानदी पर बने इस डैम के किनारे चौड़ा रेतीला तट हैं। रेत पर आराम कुर्सी लगाकर बैठें तो ऐसा लगता है जैसे गोवा में समुद्र किनारे बैठे हैं।
खजुराहो भोरमदेव
भोरमदेव मंदिर शिव मंदिर है, जो रायपुर से करीब 130 किमी दूर है। शिवलिंग मंदिर के गर्भगृह में विराजित है। सातवीं सदी में बने इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर खजुराहो जैसी मिथुन मुदाएं बनी हुई हैं। यह मंदिर खजुराहों और कोणार्क सूर्य मंदिर का मिला-जुला रूप कहा जा सकता है। कुछ निर्माण 11वीं सदी में भी हुए हैं। मंदिर की खूबसूरती में इसके पीछे की हरियाली चार चांद लगा देती है। इसी से लगा भोरमदेव अभ्यारण्य भी है।
छत्तीसगढ़ का प्रयाग
रायपुर से करीब 45 किमी दूर देवालयों की नगरी राजिम है। यहां ऐतिहासिक राजीव लोचन मंदिर और कुलेश्वर महादेव का मंदिर है। सोंढुर, पैरी और महानदी का संगम होने के कराण स्थानीय लोग यहां श्राद्ध कर्म भी करते हैं। यही वजह है कि इस त्रिवेणी संगम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है। यहां माघ पूर्णिमा को मेला लगता है, जो पखवाडे भर चलता है। पुरातत्व की दृष्टि से भी यह जगह महत्वपूर्ण है। राजीव लोचन मंदिर की स्थापना का समय सातवीं शताब्दी माना गया है, जबकि कुलेश्वर महादेव का 9वीं शताब्दी। इन मंदिरों से लगे और भी बहुत से मंदिर इसके बाद बने हैं। यहां से आगे जाने पर जतमई-घटारानी पिकनिक स्पॉट हैं, जहां पहाड़ों से गिरती जल धाराएं मन को प्रफुल्लित कर देती हैं। बरसात के दिनों में यहां का नजारा और भी मोहक हो जाता है।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग सभी बड़े शहरों से रायपुर के लिए फ्लाइट्स अवेलेबल हैं।
रेल मार्ग यहां तक पहुंचने के लिए हर एक जगह से ट्रेन की भी सुविधा अवेलेबल है।
सड़क मार्ग सभी बड़े शहरों से यहां तक पहुंचने के लिए लगातार बसें चलती हैं।
Posted By: Priyanka Singh
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सफर करते वक्त सावधानी बरतें, मास्क, ग्लव्ज और हैंड सैनिटाइजर का करें उपयोग, बार-बार हाथ धोएं
एक्सपर्ट्स की सलाह- मानसून में घूमने के लिए प्लेन एरिया में ही जाएं, हिल स्टेशन पर लैंड स्लाइड का खतरा
निसर्ग दीक्षित
Jun 27, 2020, 09:43 AM IST
मानसून, साल का वो वक्त होता है, जब घूमने के शौकीन सफर में होते हैं। लोग तेज बारिश के दौरान नेचर के बीच कुछ खाली वक्त बिताने अपनी पसंदीदा जगहों पर जाते हैं। हालांकि, कोरोनावायरस ने इस साल वेकेशन प्लान को खराब कर दिया है। इतना ही नहीं महामारी के कारण भारत के पर्यटन को भी खासा नुकसान हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुजरात स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में विजिटर्स की संख्या जनवरी से फरवरी तक 38% कम हुई है। जबकि रेवेन्यू कलेक्शन 5 करोड़ तक गिर गय��� है।
बेरोजगार हो सकते हैं 3.8 करोड़ लोग
फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन इन इंडिया टूरिज्म एंड हॉस्पिटेलिटी (फेथ) ने पीएम नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। संस्था ने अनुमान लगाया है कि व्यापार बंद होने जैसे कई कारणों के चलते 70 फीसदी यानी 3.8 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं। जबकि कुल कर्मचारियों की संख्या करीब 5.5 करोड़ है।
अक्टूबर से मार्च है टूरिज्म का वक्त
कई प्रमुख ट्रैवल वेबसाइट्स और जानकारों के मुताबिक, भारत में सबसे ज्यादा टूरिज्म अक्टूबर से शुरू होकर मार्च तक चलता है। खासतौर से नवंबर से लेकर मध्य फरवरी तक। इस दौरान पूरे देश में मौसम ठंडा और शांत होता है। इसके बावजूद भारत में ऐसी कई जगह हैं, जहां यात्री केवल बारिश में ही जाना पसंद करते हैं।
दिल्ली स्थित ट्रेवल एजेंसी घूम इंडिया घूम के फाउंडर सर्वजीत संकिृत बताते हैं कि हम मानसून के दौरान घूमने के शौकीन लोगों को प्लेन एरिया में जाने की सलाह देते हैं। हिल स्टेशन पर लैंड स्लाइड का खतरा होता है। सर्वजीत के मुताबिक, मानसून घूमने का अच्छा वक्त इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि इस दौरान टूर पैकेज और होटल रेट आम दिनों के मुकाबले सस्ते होते हैं।
थॉमस-कुक ब्लॉग के मुताबिक देश में मानसून में घूमने की प्रमुख जगहें-
कोडइकनाल, तमिलनाडु
तमिलनाडु राज्य के दक्षिण में स्थित कोडइकनाल भी मानसून के दौरान खासी लोकप्रिय जगह है। यहां मानसून के वक्त इलाके झरने, झील और हरियाली से भर जाते हैं। यहां टूरिस्ट कोडइकनाल लेक, कोकर्स वॉक, ब्रायंट पार्क समेत कई चीजों की मजा ले सकते हैं। यहां वॉटर स्पोर्ट्स भी मशहूर है।
अंडमान एंड निकोबार आईलैंड
वाइल्ड लाइफ और वॉटर स्पोर्ट्स के लिए मशहूर अंडमान और निकोबार आइलैंड में करीब 570 आईलैंड्स हैं। अंडमान एंड निकोबार आईलैंड को भी मानसून के दौरान घूमने के लिए खास जगहों में गिना जाता है। यहां हेवलॉक आईलैंड, बारातांग और राधानगर बीच काफी मशहूर हैं।
कूर्ग, कर्नाटक
फ्लोरा एंड फॉना से ढके कूर्ग को मानसून के दौरान खास जगहों में गिना जाता है। यहां पर कॉफी की खेती काफी फेमस है। कूर्ग में टूरिस्ट के अलावा ट्रैकिंग, पहाड़ पर चढ़ने और कैंपिंग के शौकीन लोग भी इकट्ठे होते हैं।
मुन्नार, केरल
केरल राज्य का शहर मुन्नार ब्रिटिश राज के समय से मशहूर हिल स्टेशन है। यह शहर घुमावदार पहाड़ियों पर की जाने वाली चाय की खेती के लिए भी मशहूर है। मानसून के दौरान पर्यटकों के बीच मुन्नार खासी लोकप्रिय है।
सफर न करें तो बेहतर है
गुजरात के आईओसी वडोदरा में सीनियर कंस्लटेंट सर्जन और सीएमओ डॉक्टर हिमांशु पांडेय कहते हैं कि इस वक्त में ट्रैवल करना अवॉइड करना चाहिए। डॉक्टर पांडेय के मुताबिक, अगर सफर करना जरूरी है तो अपनी निजी वाहन का उपयोग करें। अगर आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जा रहे हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और ग्लव्ज जैसी बुनियादी सावधानियां बरतें।
अगर जाना जरूरी है तो इन बातों का रखें ध्यान:
कोरोना के चलते लोगों ने बदले व्यवसाय
टूरिज्म स्पॉट पचमढ़ी में होटल व्यवसाय करने वाले रोहित माहेश्वरी बताते हैं कि मई और जून पचमढ़ी का पीक सीजन होता है, लेकिन कोरोना के कारण इस बार सब खाली है। पचमढ़ी पूरी तरह से टूरिज्म पर निर्भर है, यहां का हर बिजनेस टूरिज्म का ही है। अगर यहां टूरिज्म नहीं रहा तो कहीं न कहीं इस शहर में यह इंडस्ट्री खत्म हो जाएगी।
रोहित कहते हैं कि कई लोगों ने यहां अपना काम बदल लिया है। टैक्सी और टूरिस्ट गाइड जैसे व्यवसाय बंद हो चुके हैं। ऐसे में लोगों ने दूसरे काम शुरू किए हैं। कुछ फॉरेस्ट में जाकर काम कर रहे हैं, तो कुछ सब्जियां बेच रहे हैं। उनके होटल में पहले करीब 15-20 लोग होते थे, लेकिन यह आंकड़ा कम होकर 3 पर आ गया है। पचमढ़ी में हर होटल में केवल 10 फीसदी ही स्टाफ बचा है।
महाराष्ट्र के खंडाला स्थित सनराइज हिल रिसॉर्ट के जनरल मैनेजर इस्माइल मुरशद के मुताबिक, महामारी के कारण करीब 70 फीसदी कारोबार का नुकसान हो चुका है। हम मानसून के चार महीनों में ही साल भर की कमाई कवर करते हैं। तीन मुख्य टूरिस्ट स्पॉट मुंबई, पुणे और लोनावला हैं। यहां 60 प्रतिशत लोग मुंबई और पुणे से ही छुट्टियां मनाने आते हैं, लेकिन इस बार कोई भी नहीं आ रहा है।
जब तक डर है लोग नहीं आएंगे
रोहित टूरिज्म के कम होने का कारण लोगों के डर को भी मानते हैं। कहते हैं कि सरकार ने भले ही लॉकडाउन में ढील दिए हैं, लेकिन लोगों के मन में डर है, इसलिए बिजनेस को कोई प्रॉफिट नहीं हो रहा है। जब तक लोगों का डर खत्म नहीं होता है, मुझे लगता है तब तक ऐसे ही चलेगा। जब तक लोगों का डर खत्म नहीं होगा तो लोग ट्रैवल नहीं करेंगे।
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