जब भी भारत में विमान हाईजैक की बात आती है तो कंधार हाईजैक या नीरजा भनोट का जिक्र होता है। लेकिन, इससे पहले 1976 में भी इंडियन एयरलाइंस का विमान हाईजैक हुआ था। आज का इतिहास उसी हाईजैक से जुड़ा है।
इंडियन एयरलाइंस के विमान ने आज से 54 साल पहले दिल्ली से मुंबई के लिए उड़ान भरी थी। बोइंग 737 विमान में 66 यात्री थे। कुछ कश्मीरी युवक आजाद कश्मीर के मुद्दे पर ध्यान खींचना चाहते थे। इसी वजह से उन्होंने इंडियन एयरलाइंस के विमान को हाईजैक करने का फैसला किया था।
जहाज कमांडर बीएन रेड्डी और को-पायलट आरएस यादव चला रहे थे। उन्हें मुंबई से पहले जयपुर और औरंगाबाद रुकना था। टेक-ऑफ करते ही दो लोग कॉकपिट में आ गए। उन्होंने रेड्डी की कनपटी पर बंदूक अड़ाई और विमान लीबिया ले जाने के लिए अड़ गए।
पायलटों ने ईंधन कम होने का बहाना बनाया। विमान लाहौर (पाकिस्तान) ले गए। वहां पर मैप्स न होने का बहाना बनाया। पाकिस्तान के अधिकारियों ने मदद की और खाने में बेहोशी की दवा मिलाकर आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया। 11 सितंबर 1976 को विमान सभी यात्रियों को लेकर भारत लौटा।
रणजीत सिंह का जन्म; उनके नाम से होती है रणजी ट्रॉफी
रणजीत सिंह 1907 से 1933 तक नवानगर के महाराजा भी रहे।
गुजरात के नवानगर में 10 सितंबर 1872 को सर रणजीत सिंह विभाजी जडेजा यानी रणजी का जन्म हुआ था। उनके नाम पर ही हमारे देश में घरेलू क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी खेला जाता है। वे नवानगर के 1907 से 1933 महाराजा भी रहे। रणजी भारत के पहले टेस्ट क्रिकेटर हैं, जिन्होंने इंग्लिश क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और ससेक्स के लिए काउंटी क्रिकेट भी खेला। पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने 1935 में रणजी ट्रॉफी की शुरुआत की। भूपिंदर सिंह के भतीजे दुलीप सिंह ने भी इंग्लैंड में फर्स्ट-क्लास क्रिकेट खेला और इंग्लिश क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व भी किया।
174 साल पहले सिलाई मशीन का आविष्कार
सिलाई मशीन के आविष्कारकएलायस होवे।
आज दुनिया के फैशन में तरह-तरह के कपड़े देखने को मिलते हैं। लेकिन, क्या यह बिना सिलाई मशीन के संभव होता? शायद नहीं। अमेरिका की टेक्सटाइल कंपनी में बतौर ट्रेनर 1835 में एलायस होवे ने काम शुरू किया। वहीं रहकर कड़ी मेहनत की और 11 साल में एलायस होवे ने ही सिलाई मशीन बनाई थी। 10 सितंबर 1846 को उन्होंने इसका पेटेंट करवाया था।
इतिहास के पन्नों में आज के दिन को इन घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है...
सोवियत संघ ने 10 सितंबर 1961 में नोवाया जेमलिया क्षेत्र में परमाणु परीक्षण किया।
संसद ने 1966 में पंजाब एवं हरियाणा के गठन को मंजूरी दी।
संयुक्त राष्ट्र आम सभा में 1996 को व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि 3 के मुकाबले 158 मतों से स्वीकृत, भारत सहित तीन देशों द्वारा संधि का विरोध।
येवगेनी प्रीमाकोव को 1998 में रूस का नया प्रधानमंत्री मनोनीत किया गया, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया परमाणु अप्रसार की दिशा में समन्वित प्रयास करने पर सहमत।
यूरोपीय देश स्विट्जरलैंड 2002 में संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना।
सर्वोच्च न्यायालय ने 2008 में उपहार अग्निकांड मामले मे�� दोषी ठहराए गए अंसल बंधुओं की जमानत रद्द की।
जेट एयरवेज प्रबंधन और उसके पायलट व्यापक समझौते पर 2009 में राजी हुए।
इराक में 2013 को सिलसिलेवार बम धमाकों में 16 लोगों की मौत।
रियो पैरा ओलिंपिक में मरियप्पन थंगवेलु ने 2016 में स्वर्ण पदक और वरुण भाटी ने कांस्य पदक जीता।
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44 years ago flight hijack of Indian Airlines, 148 years ago the birth of cricketer Ranjit Singh in whose name is played Ranji Trophy
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मुंबई ब्लास्ट के दोषी की हुई नासिक सेंट्रल जेल में मौत, जानिए कैसे..!
मुंबई ब्लास्ट के दोषी की हुई नासिक सेंट्रल जेल में मौत, जानिए कैसे..!
1993 में हुए मुंबई बम धमाके में दोषियों में से एक युसूफ मेनन की जेल में मौत हो गई। वह नासिक जेल में बंद था। उसकी मौत कैसे हुई, इसकी जांच जारी है। हालांकि शुरुआती तौर पर मौत की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। इन धमाकों में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी जबकि 1400 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।
यूसुफ की मौत के बारे में बताते हुए नासिक सेंट्रल जेल के जेलर प्रमोद…
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मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में अब्दुल गनी तुर्क को सेन्चुरी बाजार के मैनहोल के नीचे आडीएक्स लगाने का दोषी पाया गया था। इस विस्फोट में 113 लोगों की मौत हुई थी जबकि 227 लोग घायल हुए थे।
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12 मार्च 1993 को मुंबई 12 बम धमाकों से दहल उठी थी। इसमें 257 लोगों की मौत हुई थी। लगभग एक हजार लोग घायल हुए थे। इन धमाकों की जांच के बाद टाडा के केस में संजय दत्त भी आरोपी थे। वे दोषी करार दिए गए और उन्हें सजा हुई। संजय दत्त पुलिस की जांच के घेरे में कैसे आए, इससे जुड़ी दिलचस्प कहानी है।
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अफगानिस्तान: काबुल में 20 मिनट के अंतर में हुए तीन धमाके खास बातेंकाबुल में बुधवार को 20 मिनट के अंतराल में तीन सिलसिलेवार विस्फोट हुएपहला विस्फोट काबुल के पश्चिमी किनारे पर स्थित दश्त-ए-बरची इलाके में हुआदूसरा व तीसरा विस्फोट शाहरी नाओ में हुआकाबुल : कई बड़े धमाकों और उसके बाद हुई गोलीबारी ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल को दहला दिया. समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि वहां मौजूद उसके पत्रकारों ने शहर में कई धमाकों की आवाज सुनी जिसकी पुष्टि पुलिस के प्रवक्ता हश्मतुल्ला एस्तानाकजई ने भी की. मुंबई धमाके मामले के दोषी ताहिर मर्चेंट की अस्पताल में मौत, सुनाई गई थी फांसी की सजा बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बुधवार को 20 मिनट के अंतराल में तीन सिलसिलेवार विस्फोट हुए. अधिकारियों ने इन विस्फोटों में लोगों के मरने की आशंका जताई है. पहला विस्फोट काबुल के पश्चिमी किनारे पर स्थित दश्त-ए-बरची इलाके में हुआ और दूसरा व तीसरा विस्फोट शाहरी नाओ में हुआ. समाचार एजेंसी एएफपी के वहां मौजूद संवाददाताओं ने शहर के मध्य में कई धमाकों की आवाज सुनी जिसकी पुष्टि पुलिस के प्रवक्ता हश्मतुल्ला एस्तानाकजई ने भी की. एस्तानाकजई ने एएफपी को बताया कि पश्चिम काबुल में पुलिस के लिए प्रयुक्त होने वाले एक हिस्से के समक्ष एक विस्फोट हुआ. उन्होंने बताया कि काबुल के शेर-ए-नॉ क्षेत्र से कुछ विस्फोट होने की सूचना मिली है. हमें छोटे हथियारों के इस्तेमाल की खबरें भी मिली हैं. बाद में अधिक जानकारी उपलब्ध करायी जायेगी. विस्फोट की तुरंत किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है. कार के अंदर अचानक होने लगे धमाके, उतरकर यूं भागने लगे लोगटिप्पणियां
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ब्रिटेन समेत कई देशों में दाऊद की अकूत संपत्ति पाकिस्तान में मौजूद अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के बारे में पहले ऐसी खबरें आई थीं कि वह काफी बीमार है और भारत आने के लिए समझौता करना चाहता है । कहा जा रहा था कि छोटे भाई इकबाल कासकर की गिरफ्तार और इकलौते बेटे के मौलाना बनने के बाद उसका काला कारोबार फीका पड गया है । हालांकि अब उसके बारे में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई हैं । ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि १९९३ मुंबई धमाकों के मास्टरमाइंड का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है । वह ब्रिटेन में कई संपत्तियों का मालिक बन बैठा हैं । रिपोर्ट के मुताबिक ६२ वर्षीय भगोडे दाऊद ने ब्रिटेन के मिडलैंड्स और साउथ-ईस्ट, भारत, संयुक्त अरब अमीरात, स्पेन, मोरक्को, तुर्की, साइप्रस और ऑस्ट्रेलिया में काफी संपत्तियां अर्जित कर ली है । दाऊद की संपत्तियों का ब्योरा तैयार करने के लिए भारतीय अधिकारियों द्वारा तैयार कइ गए डॉजियर का मिलान ब्रिटेन के कंपनीज हाउस के रेकॉर्ड, लैंड रजिस्ट्री और पनामा दस्तावेजों से किया है । रिपोर्ट के मुताबिक दस्तावेजों में यह भी आरपो लगाया गया है कि दाऊद की ओर से उसका दाहिना हाथ कहे जाने वाले मोहम्मद इकबाल मिर्ची मेमन ने ब्रिटेन में काफी संपत्तियां जुटाई, जिनमें इंग्लैंड के दक्षिण पूर्व में होटल, आलीशन हवेली, टावर ब्लॉक और कई घर शामिल हैं । दाऊद पर मैच फिक्सिंग और जबरन वसूली का भी आरोप हैं । गौरतलब है कि मुंबई में १९९३ में हुए बम विस्फोटों में मेमन भी एक संदिग्ध था और विस्फोटों के बाद उसने लंदन में शरण मांगी थी । भारत की ओर से उसे प्रत्यार्पित करने के सारे प्रयास विफल रहे । उसे कभी किसी अपराध में दोषी नहीं ठहराया गया और उसने दाऊद के गिरोह से अपने संबंध होने से इन्कार कर दिया । ब्रिटेन में वह ११ कंपनियों का निदेशक था । २०१३ में दिल का दौरा पडने से उसकी मौत हो गई थी । दाऊद के खिलाफ जहां इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है वहीं, ब्रिटेन के वित्त विभाग ने उसे प्रतिबंध सूची में शामिल कर दिया हैं । वित्त विभाग ने पाकिस्तान में उसके तीन पतो का जिक्र किया हैं । भारतीय पासपोर्ट में उसके जन्मस्थान पर महाराष्ट्र का खेर इलाका तथा नागरिकता भारतीय दर्ज है जो पासपोर्ट भारत सरकार ने खारिज कर दिया हैं । ब्रिटिश सरकार ने इस सप्ताह एनएक्सप्लेन्ड वेल्थ ऑर्डर्स पेश किया है और दाऊद की संपत्तियां अ�� इसके निशाने पर आ सकती है । अनएक्स्प्लेन्ड वेल्थ ऑर्डर्स के अंतर्गत भ्रष्टाचार और रिश्वत में शामिल संदिग्धों को ५०००० पाउंड से ऊपर की संपत्ति का स्त्रोत बताना होगा । ऐसा पहली बार हुआ है कि जब ब्रिटेन ने यूरोपियन यूनियन से बाहर के देशों में मौजूद भ्रष्ट राजनीतिज्ञों से भी रिकवरी का प्रावधान भी कानून में शामिल कर दिया गया हैं ।
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Sanjay Dutt Says Rapists should Sentenced To Capital Punishment नई दिल्ली : बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त ने 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट मामले में पुणे की यरवडा जेल में कई साल गुजारे हैं. उन्हें अवैध हथियार रखने के मामले में दोषी पाया गया था. अपनी फिल्म 'भूमि' के प्रमोशन में बिजी संजू बाबा का कहना है कि अगर कोई जुर्म करता है तो उसे सजा भी मिलनी चाहिए. उनके मुताबिक किसी बलात्कारी को तो बिलकुल भी दया-ममता नहीं मिलनी चाहिए. पढ़ें: दिल्ली में बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना पर भावुक संजय दत्त बोले, 'यह डरावना है...' जेल से आने के बाद संजय दत्त फिल्म 'भूमि' से बड़े पर्दे पर कमबैक कर रहे हैं. उनकी यह फिल्म पिता और बेटी के रिश्तों पर बनी है. इस फिल्म में वो एक ऐसे पिता का किरदार निभा रहे हैं जिसकी बेटी के साथ कुछ ऐसा होता है कि उसकी पूरी जिंदगी तहस-नहस हो जाती है. पढ़ें: संजय दत्त को इस जज ने मुंबई बम धमाकों में सुनाई थी सजा, अब बदला लेने को तैयार सुपरस्टार! अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने जब संजय ���त्त से बलत्कारियों को सजा-ए-मौत देने के बारे में उनके विचार जानने चाहे तो उन्होंने कहा, 'बलात्कार जैसे जघन्य अपराध करने वालों को दया दिखाने की जरूरत नहीं. बलात्कार एक ऐसा अपराध है जो सिर्फ हिंसक ही नहीं बल्कि अमानवीय भी है. बलात्कारियों को मौत की सजा ही मिलनी चाहिए.' बहरहाल, संजय दत्त की फिल्म 'भूमि' 22 सितंबर को रिलीज हो रही है. Source link
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कभी ब्लैक में सिनेमा के टिकट बेचता था छोटा राजन, 'वास्तव' में ऐसी थी 'कंपनी' की कहानी Divya Sandesh
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कभी ब्लैक में सिनेमा के टिकट बेचता था छोटा राजन, 'वास्तव' में ऐसी थी 'कंपनी' की कहानी
राजेंद्र सदाशिव निखल्जे। यानी छोटा राजन। मुंबई अंडवर्ल्ड की दुनिया में दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) का वह सिक्का, जो कभी खोटा साबित नहीं हुआ। शुक्रवार को ऐसी खबरें आईं कि कोरोना संक्रमण के कारण छोटा राजन (Chhota Rajan) की मौत हो गई। हालांकि बाद में वह खबर अफवाह साबित हुई। छोटा राजन दिल्ली की तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। फिलहाल एम्स में भर्ती है। छोटा राजन की जिंदगी ने वैसे तो कई करवटें लीं। लेकिन अपराध की दुनिया में उसकी एंट्री सिनेमाघर से बाहर से ही हुई थी। वह कभी मुंबई में शंकर सिनेमा के बाहर ब्लैक में टिकटें बेचाता था। छोटा राजन, दाऊद इब्राहिम का सबसे करीबी दोस्त था, फिर दुश्मन भी बना। सिनेमाई पर्दे पर छोटा राजन की कहानी को कई बार दिखाया गया। उसकी जिंदगी की कहानी से प्रेरित कई किरदार फिल्मी पर्दे पर गढ़े गए। फिर चाहे वह संजय दत्त की ‘वास्तव’ (Vaastav) हो या विवेक ओबेरॉय-अजय देवगन की ‘कंपनी’ (Company).छोटा राजन (Chhota Rajan) कभी अंडवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) का सबसे खास था। अपराध की दुनिया में उसकी एंट्री सिनेमाघर से बाहर से ही हुई थी। वह शंकर सिनेमा के बाहर ब्लैक में टिकटें बेचाता था। उसकी जिंदगी की कहानी (Chhota Rajan Real Life Story) पर संजय दत्त की ‘वास्तव’ (Vaastav) से लेकर विवेक ओबेरॉय-अजय देवगन की ‘कंपनी’ (Company) तक कई फिल्में बन चुकी हैं।राजेंद्र सदाशिव निखल्जे। यानी छोटा राजन। मुंबई अंडवर्ल्ड की दुनिया में दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) का वह सिक्का, जो कभी खोटा साबित नहीं हुआ। शुक्रवार को ऐसी खबरें आईं कि कोरोना संक्रमण के कारण छोटा राजन (Chhota Rajan) की मौत हो गई। हालांकि बाद में वह खबर अफवाह साबित हुई। छोटा राजन दिल्ली की तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। फिलहाल एम्स में भर्ती है। छोटा राजन की जिंदगी ने वैसे तो कई करवटें लीं। लेकिन अपराध की दुनिया में उसकी एंट्री सिनेमाघर से बाहर से ही हुई थी। वह कभी मुंबई में शंकर सिनेमा के बाहर ब्लैक में टिकटें बेचाता था। छोटा राजन, दाऊद इब्राहिम का सबसे करीबी दोस्त था, फिर दुश्मन भी बना। सिनेमाई पर्दे पर छोटा राजन की कहानी को कई बार दिखाया गया। उसकी जिंदगी की कहानी से प्रेरित कई किरदार फिल्मी पर्दे पर गढ़े गए। फिर चाहे वह संजय दत्त की ‘वास्तव’ (Vaastav) हो या विवेक ओबेरॉय-अजय देवगन की ‘कंपनी’ (Company).छोटा राजन के भाई ने प्रड्यूस की थी ‘वास्तव’यह भी दिलचस्प है कि महेश मांजरेकर के डायरेक्शन में बनी ‘वास्तव: द रियलिटी’ को छोटा राजन के छोटे भाई दीपक निखल्जे (Deepak Nikalje) ने ही प्रड्यूस किया था। इस फिल्म ने ‘रघु’ के किरदार में संजय दत्त (Sanjay Dutt) को नया मुकाम दिया। ‘रघु’ का किरदार छोटा राजन की असल कहानी से प्रेरित था। जैसे मुंबई में एक साधारण परिवार में रहने वाला रघु हालात के आगे मजबूर होकर अपराध के दलदल में चला गया, छोटा राजन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। 20 साल की उम्र और सिनेमाहॉल के बाहर पुलिस पर हमलामुंबई के चेंबूर के तिलक नगर में 1959 में परिवार में राजेंद्र सदाशिव निखल्जे का जन्म हुआ। राजन के तीन भाई और दो बहनें थीं। पिता एक सामान्य नौकरी करते थे। पढ़ाई में कम ही मन लगता था, इसलिए पांचवीं तक पढ़ने के बाद राजेंद्र सदाशिव ने स्कूल छोड़ दिया। उम्र बढ़ रही थी, राजेंद्र सदाशिव ने छोटे-मोटे रोजगार में हाथ डालना शुरू किया। 20 साल की उम्र में उसकी जिंदगी में बड़ा मोड़ आया। राजेंद्र सदाशिव शंकर सिनेमा के बाहर ब्लैक में टिकटें बेच रहा था। पुलिस ने कालाबाजारी पर शिकंजा कसने के लिए वहां लाठीचार्ज किया। राजेंद्र को गुस्सा आया तो उसने एक कॉन्सटेबल से लाठी छीनी और उसे ही पीटने लगा। पुलिस से राजेंद्र सदाशिव निखल्जे की यह पहली मुठभेड़ थी।रिहाई के बाद जॉइन किया ‘बड़ा राजन’ गैंगइस घटना में कई पुलिसवाले घायल हुए। पुलिस ने राजेंद्र सदाशिव को गिरफ्तार कर लिया। जब तब वह जेल से जमानत पर रिहा हुआ, मुंबई में बदमाशों के गई गैंग उस पर नजर टिकाए बैठे थे। पुलिसवालों से इस तरह उलझना किसी के बस की बात नहीं थी। राजेंद्र का कद महज पांच फुट तीन इंच था। लेकिन उसकी डेयरिंग ने बड़े-बड़े गैंगस्टर्स को हिला दिया था। शुरुआत में छोटी-मोटी बदमाशियां करने के बाद राजेंद्र सदाशिव ने गैंगस्टर राजन नायर (Rajan Nair aka Bada Rajan)यानी बड़ा राजन के गैंग को जॉइन कर लिया। अपराध की दुनिया में उसकी एंट्री हो चुकी थी। बड़ा राजन की हत्या, छोटा राजन का उदयरिपोर्ट्स के मुताबिक, 1982 में ही बड़ा राजन के दुश्मन पठान भाइयों ने अब्दुल कुंजू की मदद से बड़ा राजन की हत्या कर दी। उसे अदालत के बाहर गोली मार दी गई। अब्दुल कुंजू भी बड़ा राजन का दुश्मन था। उसने बड़ा राजन की गर्लफ्रेंड से शादी की थी। बड़ा राजन की मौत के बाद गैंग का सारा काम अब राजेंद्र सदाशिव निखल्जे के हाथों में था। नाम पड़ा छोटा राजन। कत्ल का बदला था पहला मकसदछोटा राजन को बड़ा राजन की मौत का बदला लेना था। छोटा राजन के खौफ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब्दुल कुंजू ने उससे बचने के लिए ही 1983 में क्राइम ब्रांच में जाकर सरेंडर कर दिया। 1984 की जनवरी में छोटा राजन ने कुंजू को मारने की कोशिश की। लेकिन वह घायल होकर भाग निकला। लेकिन 25 अप्रैल 1984 को जब पुलिस कुंजू को इलाज के लिए अस्पताल ले गई। एक ‘मरीज’ हाथ में प्लास्टर बांधे बैठा था। कुंजू को देखते ही उसने फायरिंग ���ुरू कर दी। कुंजू फिर बच गया। …और दाऊद की नजरों में आ गया छोटा राजनछोटा राजन की इस डेयरिंग से सिर्फ दाऊद इब्राहिम ही प्रभावित नहीं हुआ। बॉलिवुड की कई फिल्मों में आज भी ऐसे सीन फिल्माए जाते हैं। हुसैन जैदी अपनी किताब ‘डोंगरी टू दुबई’ (Dongri To Dubai) में लिखते हैं, ‘इस घटना के बाद दाऊद ने छोटा राजन को मिलने बुलाया। छोटा राजन को दाऊद की गैंग में जगह मिल गई। अगली बार वह कुंजू को मारने में भी सफल रहा। क्रिकेट के मैदान में घेरकर कुंजू पर गोलियां बरसाई गईं।’दाऊद से पक्की दोस्ती और नया नाम- नानादाऊद इब्राहिम और छोटा राजन की दोस्ती समय के साथ पक्की हो चली। दाऊद को अब छोटा राजन पर ही सबसे ज्यादा भरोसा था। लेकिन दाऊद के गैंग में छोटा शकील (Chhota Shakeel) भी था। 1987 में दाऊद ने छोटा राजन को काम संभालने के लिए दुबई भेज दिया। एक साल बाद छोटा शकील भी दुबई पहुंचा। दाऊद और राजन में दोस्ती ज्यादा पक्की थी। यही बात छोटा शकील को चुभती थी। छोटा राजन को अब गिरोह के लोग ‘नाना’ कहने लगे थे। वह बिल्डर्स और अमीर लोगों से रंगदारी लेता। पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 90 के दशक में छोटा राजन की कमाई हर महीने 80 लाख रुपये के आसपास थी। यही नहीं, छोटा राजन के नाम पर सिर्फ मुंबई में 122 बेनामी होटल और पब थे। छोटा शकील को खटकने लगा छोटा राजनदाऊद के गैंग में छोटा राजन का बढ़ता कद देख छोटा शकील ने एक टोली बनाई। इसमें शामिल था शरद शेट्टी, और सुनील रावत। तीनों ने मिलकर दाऊद को छोटा राजन के खिलाफ खूब भड़काया। यह भी कहा कि छोटा राजन कभी भी आपकी कुर्सी ले लेगा। हुसैन जैदी लिखते हैं, ‘दाऊद ने तब जवाब दिया था- तुम लोग कब से ऐसी अफवाहों पर यकीन करने लगे. वो बस अपनी गैंग का मैनेजर है।’छोटा शकील ने लिया दाऊद के भाई का बदलादाऊद ने छोटा राजन को अपने भाई साबिर इब्राहिम कासकर की हत्यारे करीम लाला और अमीरजादा को मारने का काम सौंपा था। इस काम में देरी हो रही थी। छोटा शकील और सौत्या ने दाऊद से एक मौका मांगा। दाऊद ने मौका दिया तो 12 सितंबर 1992 को अस्पताल में घुसकर इन लोगों ने पुलिस पंचनामे के मुताबिक, 500 राउंड फायरिंग की। दाऊद का बदला भी पूरा किया और छोटा राजन की ओर से काम में देरी का मेडल भी अपने नाम कर लिया। 1993 बम धमाकों के बाद बदले रिश्तेइस घटना के बाद दाऊद का छोटा शकील पर भरोसा बढ़ गया। 1993 मुंबई बम धमाके में सबसे काला चेहरा दाऊद और छोटा राजन का ही था। हुसैन जैदी लिखते हैं, ‘छोटा राजन ने मीडिया के जरिए अपना पक्ष रखने की कोशिश की। उसने दाऊद भी बचाव किया।’ छोटा राजन बम धमाकों में अपना नाम आने से परेशान था। लेकिन इसी बात का फायदा उठाया छोटा शकील ने। उसने छोटा राजन को गद्दार कहना शुरू किया। एक साल के भीतर ही ये दूरियां ऐसी बढ़ीं कि छोटा राजन ने दाऊद गैंग के लिए काम करना बंद कर दिया। छोटा राजन अब हिंदुस्तान लौटना चाहता था। लेकिन उसका पासपोर्ट शेखों के पास था। ‘कंपनी’ के चंदू और मलिक, छोटा राजन और दाऊदराम गोपाल वर्मा ने साल 2002 में विवेक ओबेरॉय (Vivek Oberoi) और अजय देवगन (Ajay Devgn) के साथ ‘कंपनी’ (Company) फिल्म बनाई थी। इस फिल्म में ‘चंदू’ और ‘मलिक’ की दुश्मनी की कहानी दो दोस्तों के इसी अलगाव पर आधारित थी। राम गोपाल वर्मा ने इससे पहले अंडरवर्ल्ड पर ‘सत्या’ बनाई थी। जबकि बाद में उन्होंने सीरीज की तीसरी फिल्म ‘डी’ बनाई।दाऊद की वो पार्टी और मारने की प्लानिंगछोटा राजन की कहानी में एक बड़ा मोड़ दाऊद की पार्टी में भी आया। हुसैन जैदी अपनी किताब में लिखते हैं, ‘दाऊद ने दुबई में एक बड़ी पार्टी दी। इसमें शहर के बड़े लोगों को बुलाया गया। छोटा राजन भी पार्टी में जाने के लिए तैयार था। लेकिन तभी उसे एक फोन आया कि तुमको टपकाने का प्लानिंग है। छोटा राजन ने फोन रखते ही भारतीय दूतावास पहुंच गया। वहां एक रॉ अफसर से राजन की बात होती है। दिल्ली की की जाती है और कुछ ही घंटों में छोटा राजन को काठमांडू और फिर वहां से मलेशिया भेजा जाता है।’बैंकॉक में छोटा राजन पर हमलाइधर, दुबई से छोटा राजन के गायब होने से सबसे ज्यादा खुश छोटा शकील था। वह अब दाऊद का दाहिना हाथ बन गया था। छोटा राजन को यह भरोसा हो गया था कि दाऊद उसे खत्म कर देगा। इसलिए उसने कई साल छिपकर बिताए। वह मलेशिया से कंबोडिया, इंडोनेशिया होते हुए बैंकॉक पहुंचा। साल 2000 में छोटा शकील ने छोटा राजन का पता लगा लिया। 14 सितंबर को चार हथियारबंद लोगों ने राजन के अपार्टमेंट पर हमला किया, लेकिन वह बच निकला। इस हमले के बाद भारतीय एजेंसियों को भी पता चल गया था कि राजन बैंकॉक में है। ज्योतिर्��य डे की हत्या, गोसालिया का मर्डरसाल 2001 में छोटा राजन ने बदला लिया। उसने छोटा शकील गैंग के दो गुर्गों को मरवा दिया। इसके बाद 10 साल छोटा राजन कहां गायब हो गया, किसी को खबर नहीं लगी। फिर अचानक साल 2011 के जून महीने में सीनियर क्राइम रिपोर्टर ज्योतिर्मय डे की मंबई के पवई में गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्या में छोटा राजन का नाम आया। इसके बाद 2013 में मुंबई के बिल्डर अजय गोसालिया और अरशद शेख की हत्या हुई, यहां भी छोटा राजन का नाम आया। रेड कॉर्नर नोटिस, गिरफ्तारी और आजीवन कारावासइन आपराधिक वारदातों के बाद इंटरपोल ने छोटा राजन के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया। 2015 में खबर आई कि छोटा राजन पर ऑस्ट्रेलिया में हमला हुआ। उसी साल अक्टूबर महीने में छोटा राजन को इंडोनेशिया के बाली में गिरफ्तार कर लिया गया। हत्या, वसूली, ड्रग्स का धंधा, हथियार रखने, तस्करी समेत करीब 70 मामलों में आरोपी छोटा राजन को पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या का दोषी माना गया और आजीवन कैद की सजा सुनाई गई। तब से इस गैंगस्टर का पता दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल का बैरक है। हालांकि, बीते दिनों कोरोना संक्रमित होने के कारण वह एम्स, दिल्ली के कैदी वार्ड में है। इन फिल्मों में भी दिखी ‘छोटा राजन’ की झलकबॉलिवुड में समय-समय पर छोटा राजन की जिंदगी से प्रेरित कई फिल्में रिलीज होती रही हैं। ‘वास्तव’ और ‘कंपनी’ के अलावा विधू विनोद चोपड़ा की ‘परिंदा’, ‘वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई’, ‘वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा’ भी कुछ ऐसी फिल्में रहीं, जिनमें कोई न कोई किरदार छोटा राजन की जिंदगी से प्रेरित दिखा। इसके अलावा अपूर्व लाखिया की फिल्म ‘हसीना’ में भी ऐसा ही एक किरदार नजर आया था।
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12 मार्च 1993 को मुंबई 12 बम धमाकों से दहल उठी थी। इसमें 257 लोगों की मौत हुई थी। लगभग एक हजार लोग घायल हुए थे। इन धमाकों की जांच के बाद टाडा के केस में संजय दत्त भी आरोपी थे। वे दोषी करार दिए गए और उन्हें सजा हुई। संजय दत्त पुलिस की जांच के घेरे में कैसे आए, इससे जुड़ी दिलचस्प कहानी है।
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12 मार्च 1993 को मुंबई 12 बम धमाकों से दहल उठी थी। इसमें 257 लोगों की मौत हुई थी। लगभग एक हजार लोग घायल हुए थे। इन धमाकों की जांच के बाद टाडा के केस में संजय दत्त भी आरोपी थे। वे दोषी करार दिए गए और उन्हें सजा हुई। संजय दत्त पुलिस की जांच के घेरे में कैसे आए, इससे जुड़ी दिलचस्प कहानी है।
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मुंबई ब्लास्ट केसः ताहिर-फिरोज को फांसी, अबू सलेम को उम्रकैद मुंबई बम ब्लास्ट केस में मुंबई की विशेष टाडा कोर्ट ने ताहिर मर्चेट और फिरोज खान को फांसी की सजा सुनाई हैं । वहीं अबू सलेम और करीमुल्ला शेख को उम्रकैद दी हैं । इसके अलावा रियाज सिद्दीकी को १० साल की सजा सुनाई हैं । अदालत ने सलेम और करीमुल्ला पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया हैं। आपको बता दें कि अदालत ने जून में छह आरोपियों अबू सलेम, मुस्तफा दौसा, फिरोज अब्दुल राशिद खान, ताहिर मर्चेट, बता दें कि अदालत ने जून में छह आरोपियों अबू सलेम, मुस्तफा दौसा, फिरोज अब्दुल राशिद खान, ताहिर मर्चेट, करीमुल्लाह खान और रियाज सिद्दीकी को दोषी माना था । जबकि एक अन्य आरोपी अब्दुल कयूम को अदालत ने बरी कर दिया था । इस बीच एक आरोपी की मौत हो गई थी । गौरतलब है कि मुंबई धमाकों में २५७ लोगों की मौत हुई थी, जबकि करीब ७०० लोग घायल हुए थे । अदालत ने सलेम को हथियार लाने और बांटने का दोषी माना था । वहीं दौसा को मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर ब्लास्ट और हत्या करने का दोषी माना था । दौसा ने ही अबू सलेम के घर पर हमलों की साजिश रची थी । उस पर विस्फोटक लाने के लिए अबू सलेम को कार देने का भी आरोप हैं �� आपको बता दें कि सलेम के भारत प्रत्यर्पण के लिए भारत की तरफ से तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने लिखित तौर पर पुर्तगाल सरकार और कोर्ट को यह आश्वासन दिया था कि उसे मौत की सजा भी नहीं दी जाएगी । आपको बता दें कि २००५ में प्रत्यर्पण के बाद से अबू सलेम १२ से १३ साल जेल की सजा काट चुका हैं । आरोपी मुस्तफा दौसा को २००४ में यूएई से गिरफ्तार किया गया था । साल २००५ में अंडरवर्ल्ड डोन अबू सलेम और उसकी गर्लफ्रेन्ड मोनिका देवी का पुर्तगाल से प्रत्यर्पण किया गया था । अदालत ने मुंबई धमाको पर सबसे बड़ा फैसला साल २००६ में सुनाया था । उस समय टाडा कोर्ट ने १२३ अभियुक्तों में १०० को सजा सुनाई थी जबकि २३ लोगों को बरी कर दिया था । साल २००७ में पूरी हुई सुनवाई के पहले चरण में टाडा अदालत ने इस मामले में याकूब मेमन सहित सौ आरोपियों को दोषी ठहराया था। जबकि २३ लोग बरी हुए थे । इस मामले में मुख्य आरोपी याकूब मेमन को ३० जुलाई २०१५ को फांसी की सजा दी जा चुकी हैं । १२ मार्च १९९३ को मुंबई में एक के बाद एक १२ बम धमाके हुए थे । इन बम धमाकों में २५७ की जान गई थी । जबकि ७१२ से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे । एक अनुमान के मुताबिक धमाकों में २७ करोड़ रुपये की सपत्ति नष्ट हुई थी । इस मामले में जांच एजेंसी की तरफ से १२९ लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था ।
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१९९३ के सीरीयल ब्लास्ट मामले में मुस्तफा दोसा की मौत १९९३के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में दोषी मुस्तफा दौसा की मौत हो गई हैं । मंगलवार की रात उसे सीने में दर्द की शिकायत के बाद जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था । मुस्तफा को उच्च रक्तचाप और शुगर की शिकायत थी । उसने टाडा कोर्ट को अपनी हार्ट प्रोब्लेम के बारे में भी बताया था । इसे ब्लास्ट केस में फांसी की सजा भी मिल सकती थी । मुंबई सीरीयल ब्लास्ट के२स में दोषी मुस्तफा दौसा, अंडरवर्ल्ड डोन अबु सलेम समेत ६ दोषियों की सजा पर कोर्ट में बहस शुरु हो गई थी । सीबीआई के वकील दीपक साल्वी ने दोषियों के लिए फांसी की मांग की हैं । कोर्ट ने सलेम को मास्टर माइंड मानते हुए मुस्तफा दौसा को मुंबई सीरियल ब्लास्ट के लिए हथियार और विस्फोटक मंगवाने का मास्टरमाइंड माना जाता हैं । उसे रायगढ़ मे हथियार लैंड कराने , आरोपियों को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजने और साजिश रचने का दोषी पाया गया था । मुस्तफा दोसा को साल २००४ में यूएई से गिरफ्तार किया गया तो २००५ में अबू सलेम का प्रत्यर्पण हुआ था । बताते चले कि मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस में १६ जून को आरोपियों के दूसरे बैच को सजा सुनाई गई थी । इससे पहले २००७ में १०० लोग दोषी ठहराए गए थे, जबकि २३ बरी किए गए थे । सुप्रीम कोर्ट तक सुनवाई के बाद याकूब मेमन को २०१५ में फांसी की सजा दे दी, जबकि फिल्म अभिनेता संजय दत्त सहित ९९ लोगों को जेल भेजा गया था । १२ मार्च १९९३ को मुंबई में एक के बाद एक १२ बम धमाके हुए थे । इन बम धमाकों में २५७ लोगों की मौत हो गई थी । जबकि ७०० से ज्यादा लोग घायल हुए थे । इन धमाकों में २७ करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हुई थी । इस मामले में १२९ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था । अवैध हथियार मामले में संजय दत्त अपनी सजा पूरी कर चुके हैं ।
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