Tumgik
#मोहित
mohit-trendster · 10 days
Text
कई बार जीतने के लिए किसी योग्यता से ज़्यादा आयोजन की जगह पर आपका होना अहम होता है। अनगिनत औसत लोग जाने क्या-क्या उपलब्धियां गिनाते फ़िरते हैं। असलियत उनको भी पता है और उनके आस-पास के लोगों को भी... बस हाज़िरी लगाएं और जीत जाएं! #ज़हन #mohit_trendster #quote
0 notes
trendingwatch · 2 years
Text
यू मुंबा 15-15 पुनेरी पलटन लाइव स्कोर, प्रो कबड्डी 2022: हाफ-टाइम स्कोर स्तर के रूप में रेडर चमक
यू मुंबा 15-15 पुनेरी पलटन लाइव स्कोर, प्रो कबड्डी 2022: हाफ-टाइम स्कोर स्तर के रूप में रेडर चमक
नमस्ते और यू मुंबा बनाम पुनेरी पलटन खेल के स्पोर्टस्टार के लाइव कवरेज में आपका स्वागत है। स्कोर के रूप में पढ़ा जाएगा मुंबा बनाम पुनेरी: हाफ टाइम: यह सीट थ्रिलर का एक उचित किनारा है। मुंबा के लिए गुमान सिंह आग पर हैं, और इसलिए पुनेरी पलटन के लिए असलम इनामदार और मोहित गोयत हैं। मैच की शुरुआत धीमी रही लेकिन तब से टीम ने रफ्तार पकड़ ली है। अंतत: दोनों टीमों को आधे रास्ते पर अलग करने के लिए कुछ भी…
View On WordPress
0 notes
Text
So much krishna but not enough Radharani in our gopiblr so I shall write some canon features about the Goddess Gopi and my fav bestie ever <3
"जो जग को मोहित करे वो मोहन, जो मोहन को मोहित करे वो राधा~"
Radha is your sweet seeming girl who's more mischievous than even krishna. Loving sister vibes. The daughter of Vrishbhanu and Kirtida, she's also the daughter Yashoda maiya never had, always helping her and teasing kanha with her. But in the end they both dearly give in to his leela.
She's sooo soft but very passionate and loyal when it comes to krishna and her sakhis. She heard Radha Kaise Na Jale and laughed throughout the song. "Radha is literally krishna and krishna is radha, how can I be jealous of other gopis when I want my kanha to be as much loved as possible?"
She twins with Rukmini and gives her tips as to how to enchant krishna. She makes handmade gifts and sweets for the Ashtabharya of Krishna. "What about mee!!? :(" krishna pouts and asks. "Kanha, all our childhood I've made maakhan for you. Won't you let me make something for my new sakhis now? Now shhh, don't disturb me"
She discusses everything with her bestie Parvati. "Mahadev is so devoted to you, and here kanha is always messing with me!! I don't like to pull his ears and chase him down when he runs away but he leaves me with no choice!!!"
Parvati smiles "If Krishna lets anyone joyfully punish him then it's his Radha."
92 notes · View notes
kadachit · 27 days
Text
छवि से तेरी मोहित होता मेरा संसार।
2 notes · View notes
sstkabir-0809 · 11 months
Text
( #MuktiBodh_Part116 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part117
हम प�� रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 229-230
कथा :- शंकर जी का मोहिनी स्त्री के रूप पर मोहित होना
जिसमें दक्ष की बेटी यानि उमा (शंकर जी की पत्नी) ने श्री रामचन्द्र जी की बनवास में सीता रूप बनाकर परीक्षा ली थी। श्री शिव जी ऐसा न करने को कहकर घर से बाहर चले गए थे। सीता जी का अपहरण होने के पश्चात् श्रीराम जी अपनी पत्नी के वियोग में विलाप कर रहे थे तो उनको सामान्य मानव जानकर उमा जी ने शंकर भगवान की उस बात पर विश्वास नहीं हुआ कि ये विष्णु जी ही पृथ्वी पर लीला कर रहे हैं। जब उमा जी सीता जी का रूप बनाकर श्री राम जी के पास गई तो वे बोले, हे दक्ष पुत्र माया! भगवान शंकर को कहाँ छोड़ आई। इस बात को श्री राम जी के मुख से सुनकर उमा जी लज्जित हुई और अपने निवास पर आई। शंकर जी की आत्मा में प्रेरणा हुई कि उमा ने परीक्षा ली है। शंकर जी ने विश्वास के साथ कहा कि परीक्षा ले आई। उमा जी ने कुछ संकोच करके
भय के साथ कहा कि परीक्षा नहीं ली अविनाशी। शंकर जी ने सती जी को हृदय से त्याग दिया था। पत्नी वाला कर्म भी बंद कर दिया। बोलना भी कम कर दिया तो सती जी अपने घर राजा दक्ष के पास चली गई।
राजा दक्ष ने उसका आदर नहीं किया क्योंकि उसने शिव जी के साथ विवाह पिता की इच्छा के विरूद्ध किया था। राजा दक्ष ने हवन कर रखा था। हवन कुण्ड में छलाँग लगाकर सती जी ने प्राणान्त कर दिया था। शंकर जी को पता चला तो अपनी ससुराल आए। राजा दक्ष का सिर काटा, फिर उस पर बकरे का सिर लगाया। अपनी पत्नी के कंकाल को उठाकर दस हजार वर्ष तक उमा-उमा करते हुए पागलों की तरह फिरते रहे। एक दिन भगवान विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से उस कंकाल को टुकड़े-टुकड़े कर दिया। जहाँ पर धड़ गिरा, वहाँ पर वैष्णव देवी मंदिर बना। जहाँ पर आँखें गिरी, वहाँ पर नैना देवी मंदिर बना।
जहाँ पर जीभ गिरी, वहाँ पर ज्वाला जी का मंदिर बना तथा पर्वत से अग्नि की लपट निकलने लगी। तब शंकर जी सचेत हुए तथा अपनी दुर्गति का कारण कामदेव (sex) को माना। कामदेव वश हो जाए तो न स्त्री की आवश्यकता हो और न ऐसी परेशानी हो। यह विचार करके हजारों वर्ष काम (sex) का दमन करने के उद्देश्य से तप किया। एक दिन कामदेव उनके निकट आया और शंकर जी की दृष्टि से भस्म हो गया। शंकर जी को अपनी सफलता पर असीम प्रसन्नता हुई। जो भी देव उनके पास आता था तो उससे कहते थे कि मैंने कामदेव को भस्म कर दिया है यानि काम विषय पर विजय प्राप्त कर ली है। मैं कभी भी किसी सुंदरी से प्रभावित नहीं हो सकता। अन्य जो विवाह किए हुए हैं, वे ऊपर से सुखी नजर आते हैं, अंदर से महादुःखी रहते हैं। उनको सदा अपनी पत्नी की रखवाली, समय पर घर पर न आने से डाँटें खाना आदि-आदि परेशानियां सदा बनी रहती हैं। मैंने यह दुःख निकट से देखा है। अब न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
काल ब्रह्म को चिंता बनी कि यदि सब इस प्रकार स्त्री से घृणा करेंगे तो संसार का अंत हो जाएगा। मेरे लिए एक लाख मानव का आहार कहाँ से आएगा? इस उद्देश्य से नारद जी को प्रेरित किया। एक दिन नारद मुनि जी आए। उनके सामने भी अपनी कामदेव पर विजय की कथा सुनाई। नारद जी ने भगवान विष्णु को यथावत सुनाई। श्री विष्णु जी को काल ब्रह्म ने प्रेरणा की। भाई की परीक्षा करनी चाहिए कि ये कितने खरे हैं। काल ब्रह्म की प्रेरणा से एक दिन शिव जी विष्णु जी के घर के आँगन में आकर बैठ गए। सामने बहुत बड़ा फलदार वृक्षों का बाग था। भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल खिले थे। बसंत जैसा मौसम था। श्री विष्णु जी, शिव जी के पास बैठ गए। कुशलमंगल जाना। फिर विष्णु जी ने पूछा, सुना है
कि आपने काम पर विजय प्राप्ति कर ली है। शिव जी बोले, हाँ, मैंने कामदेव का नाश कर दिया है। कुछ देर बाद शिव जी के मन में प्रेरणा हुई कि भगवान मैंने सुना है कि सागर मंथन के समय आप जी ने मोहिनी रूप बनाकर राक्षसों को आकर्षित किया था। आप उस रूप में कैसे लग रहे थे? मैं देखना चाहता हूँ। पहले तो बहुत बार विष्णु जी ने मना किया, परंतु शिव जी के हठ के सामने स्वीकार किया और कहा कि कभी फिर आना। आज मुझे किसी आवश्यक कार्य से कहीं जाना है। यह कहकर विष्णु जी अपने महल में चले गए। शिव जी ने कहा कि जब तक आप वह रूप नहीं दिखाओगे, मैं भी जाने वाला नहीं हूँ। कुछ ही समय के बाद शिव जी की दृष्टि बाग के एक दूर वाले कोने में एक अपसरा पर पड़ी जो सुन्दरता का सूर्य थी। इधर-उधर देखकर शिव जी उसकी ओर चले पड़े, ज्यों-ज्यों निकट गए तो वह सुंदरी अधिक सुंदर लगने लगी और वह अर्धनग्न वस्त्र पहने थी। कभी गुप्तांग वस्त्र से ढ़क जाता तो कभी हवा के झोंके से आधा हट जाता। सुंदरी ऐसे भाव दिखा रही थी कि जैसे उसको कोई नहीं देख रहा। जब शिव जी को निकट देखा तो शर्मशार होकर तेज चाल से चल पड़ी। शिव जी ने भी गति बढ़ा दी। बड़े परिश्रम के पश्चात् तथा घने वृक्षों के बीच मोहिनी का हाथ पकड़ पाए। तब तक शिव जी का शुक्रपात हो चुका था। उसी समय सुंदरी वाला स्वरूप श्री विष्णु रूप था। भगवान विष्णु जी शिव जी की दशा देखकर मुस्काए तथा कहा कि ऐसे उन राक्षसों से अमृत छीनकर लाया था। वे राक्षस ऐसे मोहित हुए थे जैसे मेरा छोटा भाई कामजीत अब काम पराजित हो गया। शिव जी ने उसके पश्चात् हिमालय राजा की बेटी पार्वती से अंतिम बार विवाह किया। पार्वती वाली आत्मा वही है जो सती जी थी। पार्वती रूप में अमरनाथ स्थान पर अमर मंत्रा शिव जी से प्राप्त करके अमर हुई है। इस प्रकार वाणी में कहा है कि शंकर जी की समाधि तो अडिग (न डिगने वाली) थी जैसा पौराणिक मानते हैं। वह भी मोहे गए। माया के वश हो गए।
◆ वाणी नं. 140 में बताया है कि भगवान शिव की पत्नी पार्वती तीनों लोकों में सबसे सुंदर स्त्रियां में से एक है। शिव राजा ऐसी सुंदर पत्नी को छोड़ मोहिनी स्त्री के पीछे चल पड़े। पहले अठासी हजार वर्ष तप किया। फिर लाख वर्ष तप किया काम (sex) पर विजय पाने के लिए और भर्म भी था कि मैनें काम जीत लिया। फिर हार गया।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 145 :-
गरीब, कष्ण गोपिका भोगि करि, फेरि जती कहलाय। याकी गति पाई नहीं, ऐसे त्रिभुवनराय।। 145।।
◆ सरलार्थ :- श्री कृष्ण के विषय में श्रीमद् भागवत (सुधा सागर) में प्रमाण है कि श्री कृष्ण मथुरा वृंदावन की गोपियों (गोपों की स्त्रियों) के साथ संभोग (sex) किया करते थे। वे फिर भी जती कहलाए। (अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य की स्त्री से कभी संभोग न करने वाला या पूर्ण रूप से ब्रह्मचारी को जती कहते हैं।) उसका भेद ही नहीं पाया। ऐसे ये तीन लोक के मालिक {श्री कृष्ण के अंदर प्रवेश करके काल ब्रह्म गोपियों से सैक्स करता था। स्त्रियों को तो श्री कृष्ण नजर आता था। काल ब्रह्म सब कार्य गुप्त करता है।} हैं।
◆ वाणी नं. 142-144 :-
गरीब, योह बीजक बिस्तार है, मन की झाल किलोल। पुत्र ब्रह्मा देखि करि, हो गये डामांडोल।।142।।
गरीब, देह तजी दुनियां तजी, शिब शिर मारी थाप।
ऐसे ब्रह्मा पिता कै, काम लगाया पाप।।143।।
गरीब, फेरि कल्प करुणा करी, ब्रह्मा पिता सुभान।
स्वर्ग समूल जिहांन में, योह मन है शैतान।।144।।
◆ सरलार्थ :- एक समय ब्रह्मा जी देवताओं तथा ऋषियों को वेद ज्ञान समझा रहे थे। मन तथा इंद्रियों पर संयम रखने पर जोर दे रहे थे। ब्रह्मा जी की बेटी सरस्वती पति चुनने के लिए अपने पिता की सभा में गई जिसमें युवा देवता तथा ऋषि विराजमान थे। उनको आकर्षित करने के लिए सब श्रृंगार करके सज-धजकर गई थी। अपनी पुत्र की सुंदरता देखकर काम (sex) के वश होकर संयम खोकर विवेक का नाश करके अपनी बेटी से संभोग (Sex) करने को उतारू हो गया था। ब्रह्मा पाप के भागी बने। मन तो कबीर परमात्मा की भक्ति तथा तत्वज्ञान से काबू में आता है।
Tumblr media
क्रमशः__________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
6 notes · View notes
Text
आखिर कितनी खूबसूरत थीं हमीदा बानो, आज सचमुच देख लो
2 notes · View notes
prabhudarshankarlo · 2 years
Photo
Tumblr media
'ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।' #Ganesha #LordGanesha #GaneshChaturthi #Ganpati #GaneshUtsav #GaneshJi #Bappa #Morya #Vighnaharta #GaneshFestival #GaneshIdol (at India) https://www.instagram.com/p/CnV_iiOS9Da/?igshid=NGJjMDIxMWI=
5 notes · View notes
iskconchd · 1 year
Photo
Tumblr media
श्रीमद्‌ भगवद्‌गीता यथारूप 2.22 https://srimadbhagavadgita.in/2/22 वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि । तथा शरीराणि विहाय जीर्णा- न्यन्यानि संयाति नवानि देही ॥ २.२२ ॥ TRANSLATION जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नए वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने तथा व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नवीन भौतिक शरीर धारण करता है । PURPORT अणु-आत्मा द्वारा शरीर का परिवर्तन एक स्वीकृत तथ्य है । आधुनिक विज्ञानीजन तक, जो आत्मा के अस्तित्व पर विश्र्वास नहीं करते, पर साथ ही हृदय से शक्ति-साधन की व्याख्या भी नहीं कर पाते, उन परिवर्तनों को स्वीकार करने को बाध्य हैं, जो बाल्यकाल से कौमारावस्था औए फिर तरुणावस्था तथा वृद्धावस्था में होते रहते हैं । वृद्धावस्था से यही परिवर्तन दूसरे शरीर में स्थानान्तरित हो जाता है । इसकी व्याख्या एक पिछले श्लोक में (२.१३) की जा चुकी है । अणु-आत्मा का दूसरे शरीर में स्थानान्तरण परमात्मा की कृपा से सम्भव हो पाता है । परमात्मा अणु-आत्मा की इच्छाओं की पूर्ति उसी तरह करते हैं जिस प्रकार एक मित्र दूसरे की इच्छापूर्ति करता है । मुण्डक तथा श्र्वेताश्र्वतर उपनिषदों में आत्मा तथा परमात्मा की उपमा दो मित्र पक्षियों से दी गयी है और जो एक ही वृक्ष पर बैठे हैं । इनमें से एक पक्षी (अणु-आत्मा) वृक्ष के फल खा रहा है और दूसरा पक्षी (कृष्ण) अपने मित्र को देख रहा है । यद्यपि दोनों पक्षी समान गुण वाले हैं, किन्तु इनमें से एक भौतिक वृक्ष के फलों पर मोहित है, किन्तु दूसरा अपने मित्र के कार्यकलापों का साक्षी मात्र है । कृष्ण साक्षी पक्षी हैं, और अर्जुन फल-भोक्ता पक्षी । यद्यपि दोनों मित्र (सखा) हैं, किन्तु फिर भी एक स्वामी है और दूसरा सेवक है । अणु-आत्मा द्वारा इस सम्बन्ध की विस्मृति ही उसके एक वृक्ष से दूसरे पर जाने या एक शरीर से दूसरे शरीर में जाने का कारण है । जीव आत्मा प्राकृत शरीर रूपी वृक्ष पर अत्याधिक संघर्षशील है, किन्तु ज्योंही वह दूसरे पक्षी को परम गुरु के रूप में स्वीकार करता है – जिस प्रकार अर्जुन कृष्ण का उपदेश ग्रहण करने के लिए स्वेच्छा से उनकी शरण में जाता है – त्योंही परतन्त्र पक्षी तुरन्त सारे शोकों से विमुक्त हो जाता है । मुण्डक-उपनिषद् (३.१.२) तथा श्र्वेताश्र्वतर-उपनिषद् (४.७) समान रूप से इसकी पुष्टि करते हैं – समाने वृक्षे पुरुषो निमग्नोSनीशया शोचति मुह्यमानः । जुष्टं यदा पश्यत्यन्यमीशमस्य महिमानमिति वीतशोकः ॥ “यद्यपि दोनों पक्षी एक ही वृक्ष पर बैठे हैं, किन्तु फल खाने वाला पक्षी वृक्ष के फल के भोक्ता रूप में चिंता तथा विषाद में निमग्न है । यदि किसी तरह वह अपने मित्र भगवान् की ओर अन्मुख होता है और उनकी महिमा को जान लेता है तो वह कष्ट भोगने वाला पक्षी तुरन्त समस्त चिंताओं से मुक्त हो जाता है ।” अब अर्जुन ने अपना मुख अपने शाश्र्वत मित्र कृष्ण की ओर फेरा है और उनसे भगवद्गीता समझ रहा है । इस प्रकार वह कृष्ण से श्रवण करके भगवान् की परम महिमा को समझ कर शोक से मुक्त हो जाता है । यहाँ भगवान् ने अर्जुन को उपदेश दिया है कि वह अपने पितामह तथा गुरु से देहान्तरण पर शोक प्रकट न करे अपितु उसे इस धर्मयुद्ध में उनके शरीरों का वध करने में प्रसन्न होना चाहिए, जिससे वे सब विभिन्न शारीरिक कर्म-फलों से तुरन्त मुक्त हो जायें । बलिवेदी पर या धर्मयुद्ध में प्राणों को अर्पित करने वाला व्यक्ति तुरन्त शारीरिक पापों से मुक्त हो जाता है और उच्च लोक को प्राप्त होता है । अतः अर्जुन का शोक करना युक्तिसंगत नहीं है । ----- Srimad Bhagavad Gita As It Is 2.22 vāsāṁsi jīrṇāni yathā vihāya navāni gṛhṇāti naro ’parāṇi tathā śarīrāṇi vihāya jīrṇāny anyāni saṁyāti navāni dehī TRANSLATION As a person puts on new garments, giving up old ones, the soul similarly accepts new material bodies, giving up the old and useless ones. PURPORT Change of body by the atomic individual soul is an accepted fact. Even the modern scientists who do not believe in the existence of the soul, but at the same time cannot explain the source of energy from the heart, have to accept continuous changes of body which appear from childhood to boyhood and from boyhood to youth and again from youth to old age. From old age, the change is transferred to another body. This has already been explained in a previous verse (2.13). Transference of the atomic individual soul to another body is made possible by the grace of the Supersoul. The Supersoul fulfills the desire of the atomic soul as one friend fulfills the desire of another. The Vedas, like the Muṇḍaka Upaniṣad, as well as the Śvetāśvatara Upaniṣad, compare the soul and the Supersoul to two friendly birds sitting on the same tree. One of the birds (the individual atomic soul) is eating the fruit of the tree, and the other bird (Kṛṣṇa) is simply watching His friend. Of these two birds – although they are the same in quality – one is captivated by the fruits of the material tree, while the other is simply witnessing the activities of His friend. Kṛṣṇa is the witnessing bird, and Arjuna is the eating bird. Although they are friends, one is still the master and the other is the servant. Forgetfulness of this relationship by the atomic soul is the cause of one’s changing his position from one tree to another, or from one body to another. The jīva soul is struggling very hard on the tree of the material body, but as soon as he agrees to accept the other bird as the supreme spiritual master – as Arjuna agreed to do by voluntary surrender unto Kṛṣṇa for instruction – the subordinate bird immediately becomes free from all lamentations. Both the Muṇḍaka Upaniṣad (3.1.2) and Śvetāśvatara Upaniṣad (4.7) confirm this: samāne vṛkṣe puruṣo nimagno ’nīśayā śocati muhyamānaḥ juṣṭaṁ yadā paśyaty anyam īśam asya mahimānam iti vīta-śokaḥ “Although the two birds are in the same tree, the eating bird is fully engrossed with anxiety and moroseness as the enjoyer of the fruits of the tree. But if in some way or other he turns his face to his friend the Lord and knows His glories – at once the suffering bird becomes free from all anxieties.” Arjuna has now turned his face towards his eternal friend, Kṛṣṇa, and is understanding the Bhagavad-gītā from Him. And thus, hearing from Kṛṣṇa, he can understand the supreme glories of the Lord and be free from lamentation. Arjuna is advised herewith by the Lord not to lament for the bodily change of his old grandfather and his teacher. He should rather be happy to kill their bodies in the righteous fight so that they may be cleansed at once of all reactions from various bodily activities. One who lays down his life on the sacrificial altar, or in the proper battlefield, is at once cleansed of bodily reactions and promoted to a higher status of life. So there was no cause for Arjuna’s lamentation. ----- #krishna #iskconphotos #motivation #success #love #bhagavatamin #india #creativity #inspiration #life #spdailyquotes #devotion
1 note · View note
bkbacklink · 4 days
Text
Best 10+ Phoolon ki Shayari in Hindi | फूल पर शायरी
Tumblr media
Phoolon ki Shayari in Hindi: जीतें अपने किसी खास के दिल को, यहाँ पर हमारी फूलों से सजीव शायरी के साथ। Phoolon ki Shayari, जो कोई भी हो, सभी मनों को मोहित कर लेती हैं। सजावट से लेकर प्यार के इज़हार तक, फूल हमें अनगिनत रूपों में सराहना का अवसर देते हैं।
1 note · View note
mohit-trendster · 27 days
Text
Wordpress Blog - Mohit Trendster's Team 3 Reigns Supreme in CCL Season 2 Championship
0 notes
trendingwatch · 2 years
Text
हरियाणा स्टीलर्स बनाम पुनेरी पलटन लाइव स्कोर, प्रो कबड्डी 2022: मंजीत ने रेड पर 4 अंक जीते, पुनेरी पलटन 24-22 से आगे
हरियाणा स्टीलर्स बनाम पुनेरी पलटन लाइव स्कोर, प्रो कबड्डी 2022: मंजीत ने रेड पर 4 अंक जीते, पुनेरी पलटन 24-22 से आगे
प्रो कबड्डी लीग 2022 के बीच 28 अक्टूबर के दूसरे मैच के लाइव कवरेज में आपका स्वागत है हरियाणा स्टीलर्स और पुनेरी पलटन शुक्रवार को पुणे में श्री शिवछत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, बालेवाड़ी में। पलटन बनाम स्टीलर्स के स्कोर: 26-26: स्कोर स्तर हैं! ओह उन्होंने कर दिया है। आकाश शिंदे एक छापे की तलाश में बाहर है और बस्तमी उसे वापस खींच लेता है क्योंकि वह अपने आधे हिस्से में वापस जाने की कोशिश करता है।…
View On WordPress
0 notes
imranjalna · 5 days
Text
क्रांतिकारी प्रतीक: चे ग्वेरा की विरासत का अनावरण
चे ग्वेरा, एक प्रतिष्ठित क्रांतिकारी व्यक्तित्व, अपनी क्रांतिकारी भावना और सामाजिक न्याय के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ दुनिया को आज भी मोहित करते हैं। क्यूबा की क्रांति में उनकी भूमिका से लेकर प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में उनके वैश्विक प्रभाव तक, चे की विरासत आज भी उनके जीवनकाल की तरह ही प्रासंगिक है। उनकी जीवन और विरासत की इस खोज में, हम उनकी यात्रा को आकार देने वाले प्रमुख क्षणों और दुनिया…
0 notes
astroclasses · 5 days
Link
0 notes
aaastarztimes · 9 days
Text
The Buckingham Murders vs. Sector 36: Kareena Kapoor Khan या Vikrant Massey—किसने किया बड़ा प्रभाव? नेटिज़न्स की राय
Tumblr media
The Buckingham Murders vs. Sector 36
एक रोमांचक संयोग में, बॉलीवुड ने शुक्रवार 13 तारीख को दर्शकों को क्राइम थ्रिलर का डबल डोज़ पेश किया। जहां Kareena Kapoor Khan की The Buckingham Murders सिनेमाघरों में आई, वहीं Vikrant Massey की Sector 36 स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर डेब्यू की। दोनों फिल्मों ने काफी चर्चा को जन्म दिया है, लेकिन किसने दर्शकों पर ज्यादा प्रभाव छोड़ा? आइए नेटिज़न्स की प्रतिक्रियाओं को देख कर इसका पता लगाते हैं।The Buckingham Murders में Kareena Kapoor Khan को एक नई और चुनौतीपूर्ण भूमिका में दिखाया गया है, जो उनकी versatility को दर्शाती है। फिल्म, जो एक रहस्य और रोमांच की पृष्ठभूमि पर सेट है, ने अपने gripping narrative और Kapoor के compelling performance के लिए ध्यान आकर्षित किया है।Kareena के फैंस ने उनकी इस nuanced character को निभाने की क्षमता की सराहना की है, और कैसे उनके अभिनय ने उनके करियर में एक नया आयाम जोड़ा है।इसके विपरीत, Sector 36 ने Vikrant Massey के एक सीरियल किलर के रूप में portrayal के लिए काफी सराहना प्राप्त की है, जो 2006 के infamous Nithari Killings से प्रेरित है। फिल्म की dark और intense narrative Massey की powerful performance से मेल खाती है, जिसने दर्शकों को मोहित कर दिया है। सोशल मीडिया पर समीक्षाएं Massey की क्षमता की गहरी सराहना करती हैं, जिन्होंने एक जटिल और unsettling character को गहराई से प्रस्तुत किया है।दोनों फिल्मों के अपने-अपने strengths हैं, और नेटिज़न्स ने दोनों के लिए mixed लेकिन उत्साही समीक्षाएं साझा की हैं। Kareena Kapoor Khan की The Buckingham Murders का thriller genre में कदम रखा गया प्रयास इसकी emotional depth और उसकी strong performance के लिए सराहा गया है। दूसरी ओर, Sector 36 की intense storytelling और Vikrant Massey के remarkable embodiment of a sinister character के लिए तारीफ की गई है।सारांश में, जबकि The Buckingham Murders ने अपने नए दृष्टिकोण और Kareena Kapoor Khan की performance के साथ प्रभावित किया है, Sector 36 अपने gripping portrayal of true crime और Vikrant Massey की impactful भूमिका के लिए standout करता है। जैसे हमेशा होता है, व्यक्तिगत पसंद इन फिल्मों की perception में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे दोनों के बीच चुनाव व्यक्तिगत taste का मामला बन जाता है।Also Read:क्या Pushpa 2: The Rule आप की स्क्रीन पर आ रही है? पता करें कि किस OTT  प्लेट फॉर्म पर है खबर! Read the full article
0 notes
sstkabir-0809 · 11 months
Text
( #MuktiBodh_Part115 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part116
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 227-228
वाणी नं. 134.141 :-
गरीब, कर्म लगे शिब बिष्णु कै, भरमें तीनौं देव।
ब्रह्मा जुग छतीस लग, कछू न पाया भेव।।134।।
गरीब, शिब कूं ऐसा बर दिया, अपनेही परि आय।
भागि फिरे तिहूं लोक में, भस्मागिर लिये ताय।।135���।
गरीब, बिष्णु रूप धरि छल किया, मारे भसमां भूत।
रूप मोहिनी धरि लिया, बेगि सिंहारे दूत।।136।।
गरीब, शिब कूं बिंदु जराईयां, कंदर्प कीया नांस।
फेरि बौहरि प्रकाशियां, ऐसी मनकी बांस।।137।।
गरीब, लाख लाख जुग तप किया, शिब कंदर्प कै हेत।
काया माया छाडिकरि, ध्यान कंवल शिब श्वेत।।138।।
गरीब, फूक्या बिंदु बिधान सैं, बौहर न ऊगै बीज।
कला बिश्वंभर नाथ की, कहां छिपाऊं रीझ।।139।।
गरीब, पारबती पत्नी पलक परि, त्रिलोकी का रूप।
ऐसी पत्नी छाडिकरि, कहां चले शिब भूप।।140।।
गरीब, रूप मोहनी मोहिया, शिब से सुमरथ देव।
नारद मुनि से को गिनै, मरकट रूप धरेव।।141।।
◆ वाणी नं. 134-136 का सरलार्थ :- सुक्ष्म मन की मार सर्व जीवों पर गिरती है। सब एक समान सुक्ष्म मन के सामने विवश हैं। जब तक पूर्ण सतगुरू नहीं मिलता, तब तक सुक्ष्म मन के सामने विवेक कार्य नहीं करता। हिन्दु धर्म के श्रद्धालु श्री शिव जी को तो सक्षम मानते हैं। सब देवों का देव यानि महादेव कहते हैं। सुक्ष्म मन के कारण वे भी मार खा गए।
◆ प्रमाण :- जिस समय भस्मासुर ने तप करके भस्मकण्डा श्री शिव जी से वचनबद्ध करके ले लिया था। तब भस्मासुर ने शिव से कहा कि मैं तेरे को भस्म करूँगा। तेरे को मारकर तेरी पत्नी पार्वती को अपनी पत्नी बनाऊँगा। तब भय के कारण श्री शिव जी भाग लिए। भस्मासुर में भी सिद्धियां थी। वह भी साथ दौड़ा। शिवजी भय के कारण अधिक गति
से दौड़ा तथा एक मोड़ पर मुड़ गया। उसी मोड़ पर एक सुंदर स्त्री खड़ी थी। उसने भस्मासुर की ओर अश्लील दृष्टि से देखा और बोली कि शिव तो आसपास रूकेगा नहीं, जाने दे। आजा मेरे साथ मौज-मस्ती कर ले। मैं तेरा ही इंतजार कर रही हूँ। तुम पूर्ण मर्द हो, शक्तिशाली हो। भस्मासुर पर काम वासना का भूत सवार था ही, उसे और क्या चाहिए था? उसी समय रूक गया। युवती ने उसका हाथ पकड़कर नचाया। गंडहथ नृत्य करते समय हाथ सिर पर करना होता है। भस्मासुर का भस्मकण्डे वाला हाथ भस्मासुर के सिर पर करने को युवती ने कहा कि इस नृत्य में दांया हाथ सिर पर करते हैं। यह नृत्य पूरा करके मिलन करेंगे। ज्यों ही भस्मासुर ने भस्मकण्डे वाला हाथ सिर पर किया तो युवती ने बोला भस्म। उसी समय भस्मासुर जलकर नष्ट हो गया। वह युवती भगवान स्वयं ही शिव शंकर की जान की रक्षा के लिए बने थे।, परंतु महिमा विष्णु को दी। विष्णु रूप में प्रकट होकर परमात्मा उस भस्मकण्डे को लेकर श्री शिव के सामने खडे़ हो गए तथा शिव से कहा हे शिव!
इतने तेज क्यों दौड़ रहे हो? शिव ने सब बात बताई कि आप भी दौड़ जाओ। भस्मासुर मुझे मारने को मेरे पीछे लगा है। तब विष्णु रूपधारी परमात्मा ने कहा कि देख! आपका
भस्मकण्डा मेरे पास है। शिव ने तुरंत पहचान लिया और रूककर पूछा कि यह आपको कैसे मिला? विश्वास नहीं हो रहा है। भगवान ने कहा यह न पूछ। अपना कण्डा लो और घर को जाओ। परंतु शिव को विश्वास नहीं हो रहा था कि उग्र रूप धारण किए भस्मासुर से कैसे ये भस्मकण्डा लिया। जिद कर ली। तब परमात्मा ने कहा कि फिर बताऊँगा। इतना कहकर अंतर्ध्यान (अदृश्य) हो गए। शिव कुछ आगे गया तो देखा कि एक अति सुंदर युवती
अर्धनग्न शरीर में मस्ती से एक बाग में टहल रही थी। दूर तक कोई व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा था। शिवजी ने इधर-उधर देखा और लड़की की ओर मिलन के उद्देश्य से चले। लड़की शिव को देखकर मुस्कुराकर आगे को कुछ तेज चाल से चटक-मटककर चल पड़ी।
शिव ने मुस्कट के बाद लड़की का हाथ पकड़ा। तब तक शिव का वीर्यपतन हो चुका था। उसी समय विष्णु रूप में परमात्मा खड़े थे और कहा कि मैंने भस्मासुर को इस प्रकार वश में करके गंडहथ नाच नचाकर भस्म किया है।
संत गरीबदास जी ने सुक्ष्म मन की शक्ति बताई है कि शिवजी की पत्नी पार्वती तीन लोक में अति सुंदर स्त्रियों में से एक थी। अपनी पत्नी को छोड़कर शिवजी ने चंचल माया
यानि बद नारी से मिलन (sex) करने के लिए उसे पकड़ लिया। यह सुक्ष्म मन की उत्पत्ति का उत्पात है।
◆ वाणी नं. 137-141 का सरलार्थ :-
◆ इन्हीं काल प्रेरित आत्माओं (देवियों) ने ब्रह्मादिक (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) को भी मोहित कर लिया यानि अपने जाल में फँसा रखा है। शेष यानि अन्य बचे हुए गणेश जी भी स्त्री से संग में रहे। गणेश जी के दो पुत्र थे। एक का नाम शुभम्=शुभ, दूसरे लाभम्=लाभ था। शंकर (शिव जी) की अडिग
(विचलित न होने वाली) समाधि
(आंतरिक ध्यान) लगी थी जो हमेशा (सदा) ध्यान में रहते हैं। उनको भी मोहिनी अप्सरा (स्वर्ग की देवी) ने मोहित करके डगमग कर दिया था।
Tumblr media
क्रमशः_________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
3 notes · View notes
navinsamachar · 9 days
Text
बिग ब्रेकिंग: उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव पर आने लगे परिणाम, कई पदों पर प्रत्याशी जीते…
नवीन समाचार, नैनीताल, 13 सितम्बर 2024 (Results of Uttarakhand High Court Bar Elections)। उत्तराखंड हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के चुनाव परिणामों पर बड़ी अपडेट है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कोषाध्यक्ष पद के लिए मोहित कुमार को 401 मत मिले हैं और वह जीत गये हैं, जबकि संजय कुमार को 318 मत मिले हैं। वहीं लाईब्रेरियन के पद के लिए हिमांशु राठौर ने 377 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की जबकि प्रभाकर नारायण को 363 मद…
0 notes