Tumgik
#लंबे बाल
scribblesbyavi · 2 months
Text
Tumblr media
वो लड़की थी साधारण सी
लेकिन थी बेहत प्यारी सी ।
क्या बताओ उसके ख़्वाब क्या थे
और उसकी नादानियों के किससे ।
उससे बातें करता तो वक़्त कब बीट जाये
और बात करते वक़्त भी उसी की याद आये ।
उसे ख़ुद पर सबसे ज़्यादा गर्व था
किसीकी सहारे की न थी उसे ज़रूरत ।
ख़ुद कुछ कर दिखाने का हौसला था उसमें
अपने पढ़ाई के साथ अपना काम वो सम्भालती ।
सुबह सुबह उठ कर वो तैयार हो जाती
हमें बेहत पसंद थी उसके घने और लंबे बाल ।
गाँव के स्कूल में बच्चों को गणित पढ़ाती
और स्कूल से वापस आकर घर के बाक़ी काम ।
पूरे दिन एक दूसरे की इंतज़ार में रहते
आख़िर में जब मौक़ा मिलता तो हम घंटों बात करते ।
रात को नींद में उसकी उँगलियाँ नहीं चलती
फिर भी मेसेज में मेरा नाम हमेशा सही लिखती ।
कितनी प्यारी सी है वो क्या बताओ तुम्हें
पर नजाने क्यों रूठी हुई है वो अब मुझसे ।
मुझे पता है हमने कोई वादा नहीं की है एक दूजे से
पर ऐसा है के अब हम अनजान भी तो नहीं ?
और तुम तो गणित पढ़ाती हो ना ?
तो क्यों तुमने मुझे अपना न मान लिया ?
क्या बस यही था हमारा रिश्ता ?
क्या इतनी ही दूर था हमें साथ चलना ?
वो लड़की सिर्फ़ लगती थी साधारण सी
लेकिन अंदर से वो कोमल और बेहत प्यारी सी।
avis
18 notes · View notes
brijpal · 3 months
Text
Tumblr media
#परमात्मा_का_प्रकट_दिवस
कबीर साहेब जी को नवजात शिशु रूप में देखकर जुलाहा कॉलोनी के लोग कह रहे थे कि,
आंखें जैसे कमल का फूल हों, घुँघराले बाल, लंबे हाथ, गोरा वर्ण। शरीर से मानो नूर झलक रहा हो। पूरी काशी नगरी में ऐसा अद्भुत बालक नहीं था.
627th Kabir Prakat Diwas
2 notes · View notes
Text
Tumblr media
 alona__kravchenko
एलेना के बाल इतने लंबे हैं कि जब वे चलती हैं तो ये उनके पैरों में आ जाते हैं। इन बालों को बढ़ाते हुए एलेना को 30 साल हो चुके हैं। वे अपने बालों का बड़े अच्छे से ख्याल भी रखती हैं। वे बालों को सिर्फ हफ्ते में एक बार ही धोती हैं। इतने लंबे बाल धोने में उन्हें पूरे 30 मिनट लग जाते हैं। वे बालों में कंघी नहीं करती हैं। उन्हें डर लगता है कि कहीं उनके बाल टूट न जाए।
30 notes · View notes
bhanusahu099 · 1 year
Text
#626वां_कबीरसाहेब_प्रकटदिवस
कबीर साहेब जी को नवजात शिशु रूप में देखकर जुलाहा कॉलोनी के लोग कह रहे थे कि.
कबीर परमेश्वर 626 वां प्रकट दिवस
आंखें जैसे कमल का फूल हों, घुंघराले बाल, लंबे हाथ, गोरा वर्ण। शरीर से मानो नूर झलक रहा हो। पूरी काशी नगरी में ऐसा अद्भुत बालक नहीं था।
Sant Rampal Ji Live Program
Tumblr media
2 notes · View notes
crzayfrog · 1 year
Text
भाभी के साथ हसीन रात
राधिका 35, एक बड़े घराने की घरेलू महिला था, बिलकुल अपने संस्कृति और धर्म को मानने वाली महिला थी, उनका पति एक बैंक के मैनेजर पोस्ट पर काम करते थे, और उनका नया नया सादी हुआ था, और वो अपने मायके और ससुराल से दूर असम आई हुई थी क्योंकि उनके हब्बी विक्रांत का ट्रांसफर वहीं हुआ था
कबीर 23, ग्रेज्यूशन पहला पार्ट में दाखिला करा कर, छोटे मोटे ऑफिस में काम करके अपना पढ़ाई का खर्चा उठा रहा था, परिवार सामर्थ नही था की कबीर को पढ़ा सके या उसके लिए कुछ कर सके, और शायद ये बात कबीर भी कुछ हद्द तक जानता था, समय बीतता गया और कबीर भी सही ट्रैक पर आ गया
बीते दो तीन साल
कबीर शुरू से शर्मिला था और वो उसका लगाव औरतों और लड़कियों में कम था, अब यूं कहे की उसे अपने कैरियर का खतरा लगता या वो ये सब चक्कर में नही फसना चाहता था
कुछ दिन बाद एक कंपनी का कॉल आया, कबीर ने बहुत ही सोच समझ कर उत्तर देते गया और उसकी नौकरी फ्लिपकार्ट में लग गई , अच्छे सैलरी पैकेज के साथ, ये बात उसने पहले अपने मां बाबूजी को बताया फिर अपने दोस्तों के साथ जश्न किया
करीब एक साल बाद वो ऑफिस के लिए रोजमर्रा की तरह निकलता और शाम को लौटता, उसे इतना तक पता नही की कोई उसे लंबे समय से ताड़ रहा है
वो ठहड़ा सीधा साधा, काम पी जाता और शाम को लौटता, एक दिन ऐसा समय आया की भाभी ने जानकर कबीर के तरफ इशारा की, तो कबीर को वहम लगा और उस दिन भी बिना देखे कबीर ऑफिस चला गया
अचानक से राधिका अपना सारी का पल्लू को कमर में बांधे हुए, कबीर के पास पहुंची और बोली बहरा है क्या, सुनाई नही देता है
4 दिन से चिल्ला रही हूं और तुम हो की इग्नोर किए जा रहे हो, किस बात का इतना घमंड है तुझ में, ये पकड़ो तुम्हारा चड्डी उस दिन हवा में उर के हमारे बालकनी में आ गिरा था, मुझे भी कोई शौक नही है तुम्हे बुलाने का पर किसी के मेहनत का मैं फिजूल बर्बाद नही होना देना चाहती
राधिका वही गरम मिजाज में वहां से चली गई और ढेड़ सारा बात कबीर को सुना दी, उसे समझ नही आ रहा था की क्या बोले, वो शांत से उस भाभी को देखे जा रहा था, ऐसे जैसे उसकी शिक्षिका ने कवीर को किसी बात को लेकर ताना मार कर गई हो
अब कबीर को समझ नही आ रहा था की जो चड्डी सामने वाला भाभी से मिला है वो उसका है भी या नहीं उसे समझ नही आ रहा था, क्योंकि कबीर सब अपना सामान बहुत संयोज के रखता है
खैर उसने उठाया और चला गया, क्योंकि वो इतना सुन लिया था की उसे बाहर में रहने की हिम्मत नही हुई, समय उस दिन कैसे काट गया, कुछ भी पता नही चला
अगले दिन सुबह करीब 5 बजे रोज की तरह कबीर निकला और बाहर टहलने लगा, ठीक 5 मिनट बाद भाभी भी बालकनी में खुले बाल के साथ आ गई, बड़े गले का मैक्सी और काजल का अधूरापन जैसे दिखना ये कबीर के जहन में छा गई
कभी कबीर देखता तो कभी वो, धीरे धीरे दोनो में नजदीकियां आने लगी, और रोज की तरह भाभी समय पर आ जाती, एक दिन रविवार का समय था, राधिका अपने कमरे तक से बाहर नहीं निकली
इधर कबीर पूरा परेशान, समझ नही आ रहा था क्या करे, फिर उसने जैसे तैसे खुद को संभाला और अपने कमरे में बिना कुछ खाए सो गया
शाम करीब 5:15 हो रहा था तभी राधिका उसके कमरे में आई और बोली, आज बाहर क्यूं नही आए
कबीर को तेज गुस्सा आया और वो निगल गया, जान गया था की अभी गुस्सा करना ठीक नहीं, उसने बस एक बात कहा, सुबह से आप कहां थी, बस यही कारण था की हम आपको इग्नोर करते थे और मुझे ये भी पता था, की वो चड्डी हमारा नही था
राधिका मुस्कुराते हुए बोली, मैं जानती हूं पर तुम्हे पता है की मैं 6 महीना से परेशान थी तुम्हारे लिए, किसी का कैसे होने दूं और फाई राधिका बड़े ही बेशर्म होकर गले लगा ली
अब इनबॉक्स में चर्चा कर सकते हैं
Tumblr media
3 notes · View notes
poonamranius · 10 days
Text
🧴बालों को धोने के लिए पुराने जमाने की ये नेचुरल चीजें यूज करें, बाल हो जाएंगे काले और घने 🌿💁‍♀️ | Best Natural Hair Care Tips 2024 🚿✨
आजकल हर कोई लंबे और घने बालों की चाहत रखता है, लेकिन मार्केट में उपलब्ध केमिकल युक्त शैंपू और कंडीशनर से बालों को नुकसान पहुंचता है। 🌱 इसके बजाय, पुराने जमाने की नेचुरल चीजें जैसे रीठा, आंवला, शिकाकाई और मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल करना सबसे बेहतरीन विकल्प है। ये प्राकृतिक सामग्रियां बालों को पोषण देती हैं और उन्हें मजबूत, काले और घने बनाती हैं। 🧖‍♀️💇‍♀️ इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कैसे इन…
0 notes
astrovastukosh · 14 days
Text
Tumblr media
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 7 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी शाम 05:37 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - चित्रा दोपहर 12:34 तक तत्पश्चात स्वाति*
*⛅योग - ब्रह्म रात्रि 11:17 तक तत्पश्चात इंद्र*
*⛅राहु काल - प्रातः 09:31 से प्रातः 11:04 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:27*
*⛅सूर्यास्त - 06:49*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से 01:02 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:14 सितम्बर 08 से रात्रि 01:01 सितम्बर 08 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - गणेश चतुर्थी (चंद्र दर्शन निषिद्ध, चन्द्रास्त - रात्रि 09.27), गणेश महोत्सव प्रारम्भ, सर्वार्थ सिद्धि योग (दोपहर 12:24 से प्रातः 06:24 सितम्बर 08 तक)*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹अपने हाथ में ही अपना आरोग्य🔹*
*🔸१) सभी अंगों में पुष्टिदायक तेल की मालिश अवश्य करानी चाहिए सिर में कान में और पैरों में तो विशेष रूप से करानी चाहिए । कराने से वायु तथा कफ मिटता है, थकान मिटती है, शक्ति तथा सुख की प्राप्ति होती है, नींद अच्छी आती है, शरीर का वर्ण सुधरता है, शरीर में कोमलता आती है, आयुष्य की वृद्धि होती है तथा देह की पुष्टि होती है ।*
*🔸(२) सिर में मालिश किया हुआ तेल सभी इन्द्रियों को तृप्त करता है, दृष्टि को बल देता है, सिर के दर्दों को मिटाता है। बाल में तेल पहुँचने से बाल घने, लम्बे तथा मुलायम होते हैं । लंबे समय तक टिकते हैं और बाल काले बने रहते हैं तथा सिर को भी भरा हुआ रखता है ।*
*🔸(३) नित्य कान में तेल डालने से कान में रोग या मैल नहीं होता । गले के बाजू की नाड़ी तथा दाढ़ी अकड नहीं जाती । बहुत ऊँचे से सुनना या बहरापन नहीं होता । कान में रस आदि पदार्थ डालने हों तो भोजन से पहले डालना हितकर है ।*
*🔸(४) पैरों पर तेल मसलने से पाँव मजबूत होते हैं। नींद अच्छी आती है, आँख स्वच्छ रहती है तथा पैर झूठे नहीं पड़ जाते, श्रम से अकड़ नहीं जाते, संकोच प्राप्त नहीं करते तथा फटते भी नहीं । जिस तरह गरुड़ के पास साँप नहीं जाते उसी तरह कसरत के अभ्यासी और तेल की मालिश करानेवाले के पास रोग नहीं जाते । नहाते समय तेल का उपयोग किया हो तो वह तेल रोंगटों के छिद्रों, शिराओं के समूह तथा धमनियों के द्वारा सम्पूर्ण शरीर को तृप्त करता है तथा बल प्रदान करता है ।*
*🔸(५) जिस तरह मूल में सिंचित वृक्षों के पत्ते आदि वृद्धि प्राप्त करते हैं उसी तरह अंगों पर तेल मलवानेवाले मानवों की तेल से सिंचित धातुएँ पुष्टि प्राप्त करती हैं ।*
*🔸(६) बुखार से पीड़ित, कब्जियतवाले, जिसने जुलाब लिया हो, जिसे उल्टी हुई हो, उसे कभी भी तेल की मालिश नहीं करनी चाहिये ।*
*🔸(७) मुँह पर तेल मलने से आँखें मजबूत होती हैं, गाल पुष्ट होते हैं, फोड़े तथा फुन्सियाँ नहीं होती और मुँह कमल के समान सुशोभित होता है ।*
*🔸(८) जो मनुष्य प्रतिदिन आँवले से स्नान करता है उसके बाल जल्दी सफेद नहीं होते और वह सौ वर्ष तक जीवित रहता है ।*
*🔸(९) दर्पण में देहदर्शन करना यह मंगलरूप है, कांतिकारक है, पुष्टिदाता है, बल तथा आयुष्य को बढ़ाने वाला है और पाप तथा अलक्ष्मी का नाश करनेवाला ।*
*🔸(१०) जो मनुष्य सोते समय बिजोरे के पत्तों का चूर्ण शहद के साथ चाटता है वह सुखपूर्वक सो सकता है ।*
0 notes
jyotis-things · 29 days
Text
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart75 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart76
"दसवां अध्याय"
प्रत्यक्ष दृष्टा संतों ने बताया कबीर काशी वाला (धाणक) जुलाहा परम अक्षर ब्रह्म यानि सत्यपुरुष हैं :- प्रमाण :-
"कबीर परमेश्वर सृजनकर्ता है, पेश हैं छः गवाह"
* कलयुग में परमात्मा अन्य निम्न अच्छी आत्माओं (दृढ़ भक्तों) को मिले :- प्रश्न 51 :- इस बात का कहाँ प्रमाण है कि कबीर जी जुलाहा (काशी-भारत वाले) ही समर्थ परमेश्वर है जिसने सब रचना की है।
उत्तर :- पहले यह सिद्ध करता हूँ कि काशी (बनारस) शहर में जो कबीर नामक जुलाहा रहा करता था, वह सब सृष्टि का रचने वाला परम अक्षर ब्रह्म है। इसके लिए अनेकों चश्मदीद गवाह (Eye Witness) हैं जिन्होंने उस समर्थ परमेश्वर को ऊपर (तख्त) सिंहासन पर बैठे देखा तथा बताया कि जो कबीर काशी शहर (भारत देश) में जुलाहे की भूमिका किया करता, वही समर्थ परमेश्वर है।
> गवाह नं. 1 संत गरीबदास जी गाँव-छुड़ानी, जिला झज्जर, प्रांत हरियाणा (देश-भारत) संत गरीबदास जी दस वर्ष के बालक अपने खेतों में गाँव के अन्य ग्वालों के साथ प्रतिदिन की तरह गाय चराने गए हुए थे। विक्रमी संवत् 1774 (सन् 1717) फाल्गुन महीने की शुदी (चांदनी) द्वादशी को दिन के लगभग दस बजे ग्वाले तथा बालक गरीबदास जी एक जांडी के वृक्ष के नीचे छाया में बैठकर भोजन खा रहे थे।
परमेश्वर जी जिंदा बाबा (अल-खिज्ज) के वेश में ऊपर आसमान वाले तख्त (सिंहासन) से चलकर कुछ दूरी पर धरती के ऊपर उतरे तथा ग्वालों के पास गए। वह जांडी का पेड़ गाँव-कबलाना से गाँव-छुड़ानी को जाने वाले कच्चे रास्ते पर था तथा कबलाना की सीमा के सटे संत गरीबदास जी के खेत में था। संत गरीबदास के पिता जी के पास गाँव में एक हजार तीन सौ पचहत्तर (1375) एकड़ जमीन थी। उसी जमीन पर चरागाह बना रखी थी जिसमें गाँव छुड़ानी के अन्य निर्धन व्यक्ति भी अपनी गायों को चराने के लिए ले जाया करते थे। बाबा जिंदा यानि साधु को देखकर बड़ी आयु के ग्वालों (पालियों) में से एक ने कहा कि बाबा जी भोजन खाओ।
साधु ने कहा, "भोजन तो मैं अपने डेरे से खाकर आया हूँ।" कई ग्वाले एक साथ बोले, "यदि भोजन नहीं खाते तो दूध पी लो।" परमेश्वर ने कहा कि दूध पिला दो, परंतु दूध उसका पिलाओ जिसको कभी बच्चा उत्पन्न न हुआ हो यानि कंवारी गाय का। पालियों ने उसे मजाक समझा।
बालक गरीबदास जी उठे तथा एक अपनी प्रिय बछिया को लाए और बोले, हे बाबा जी! यह कंवारी गाय दूध कैसे दे सकती है? तब बाबा जी ने कहा कि यह दूध देगी, तुम स्वच्छ बर्तन लेकर इसके थनों के नीचे रखो। संत गरीबदास जी ने एक मिट्टी का बर्तन (छोटा घड़ा 3-4 किलोग्राम की क्षमता का) लिया और उसे हाथों से पकड़कर बछिया के थनों के नीचे करके बैठ गया। बाबा जिंदा (अल-खिज) ने गाय की बछड़ी की पीठ के ऊपर हाथ से थपकी मारी। उसी समय थन लंबे व कुछ मोटे हो गए तथा दूध निकलने लगा। जब वह तीन-चार किलोग्राम का बर्तन भर गया तो थनों से दूध आना बंद हो गया। बालक गरीबदास जी ने वह दूध से भरा बर्तन बाबा जी को दे दिया तथा कहा कि यह तो आपकी दया से मिला है, पी लो। बाबा जिंदा ने उस बर्तन को मुख लगाकर कुछ दूध पीया। शेष उन पालियों की ओर किया कि पी लो, यह प्रसाद है। अन्य ग्वाले उठकर चल दिए। कहने लगे कि यह दूध जादू-जंत्र करके कंवारी बछड़ी से निकाला है। हमारे को कोई भूत-प्रेत की बाधा हो जाएगी। यह कोई सेवड़ा (भूत-प्रेत निकालने वाला) लगता है। कंवारी गाय का दूध पाप का दूध है। यह बाबा पता नहीं किस छोटी जाति का है। इसका झूठा दूध हम नहीं पीएँगे।
बालक गरीबदास जी ने बाबा से बर्तन लिया और पालियों के देखते-देखते उसमें से कुछ दूध पीया। वे बड़ी आयु के ग्वाले बालक को दूध न पीने के लिए कहते रहे। बालक नहीं माना। सब दूर चले गए। बाबा जिंदा तथा बालक गरीबदास जी रह गए। तब कुछ ज्ञान सुनाया। बालक ने सतलोक और समर्थ परमात्मा (जो ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा शिव जी से भी शक्तिशाली जो बाबा ने बताया था) आँखों देखने की इच्छा की। जिंदा बाबा बालक गरीबदास के जीव को शरीर से निकालकर आसमान में ले गया। ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा शिव जी के लोक दिखाए। स्वर्ग तथा नरक दिखाए। ब्रह्मलोक काल ब्रह्म का दिखाया। फिर और ऊपर अपने अमरलोक में ले गए। जो बाबा जिंदा बालक के साथ गया था, वह ऊपर बने (तख्त) सिंहासन के ऊपर बैठ गया। उस समय परमात्मा रूप बन गए। परमात्मा के एक रोम (शरीर के बाल) का प्रकाश करोड़ सूर्यों के प्रकाश से भी अधिक था। अमरलोक प्रकाशित था। बालक गरीबदास जी का भी अन्य शरीर बन गया जिसका प्रकाश सोलह सूर्यों के समान था। अमरलोक के सब भक्त/भक्तमति (हँस हँसनी) अपने परमेश्वर को दंडवत् करने लगे। जय हो कबीर सतपुरूष की बुलाने लगे। सबने कहा कि ये अनंत करोड़ ब्रांड का सृजनहार समर्थ परमेश्वर है। इसका नाम कबीर है। फिर परमात्मा ने सब ज्ञान अपने नबी गरीबदास जी की आत्मा में डाल दिया। सारा सतलोक तथा नीचे के सब लोक दिखाकर बालक की आत्मा को शरीर में प्रवेश करा दिया। उस समय बालक गरीबदास जी के शरीर को अंतिम संस्कार के लिए चिता (लकड़ियों के ढेर) पर रखा था। अग्नि लगाने ही वाले थे, उसी समय गरीबदास जी उठ लिए। गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई। संत गरीबदास जी को उसी जिंदा बाबा वेशधारी परमेश्वर जी ने दीक्षा दी। संत गरीबदास जी ने आँखों देखा तथा परमेश्वर के मुख कमल से सुना सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान दोहों, चौपाईयों, शब्दों के रूप में बोला जो एक दादू जी के पंथ से दीक्षित गोपाल दास नाम के महात्मा जी ने लिखा। लेखन कार्य में लगभग छः महीने लगे।
संत गरीबदास जी ने बताया :-
गरीब, हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया। जाति जुलाहा भेद ना पाया, काशी मांही कबीर हुआ ।।
अर्थात् संत गरीबदास जी ने बताया है कि हम सब (मैं गरीबदास, सुल्तान इब्राहिम इब्न अधम, सिख धर्म प्रवर्तक नानक जी तथा संत दादू जी) को उस कबीर सतगुरू परमेश्वर ने पार किया जो काशी शहर में जुलाहे जाति में हुआ है।
फिर कहा है कि :-
गरीब, अनंत कोटि ब्रांड का, एक रति नहीं भार। सतगुरू पुरूष कबीर हैं, कुल के सृजनहार ।।
अर्थात् सर्व ब्रांडों के उत्पत्तिकर्ता यानि सारी कायनात के सृजनकर्ता मेरे सतगुरू तथा परमेश्वर कबीर जी हैं। उन्होंने सब लोकों, तारागण तथा सब नक्षत्रों (सूर्य, चाँद, ग्रहों) को बनाकर अपनी शक्ति से रोका हुआ है जिसे विज्ञान की भाषा में गुरूत्वाकर्षण शक्ति कहते हैं। उस सृजनहार कबीर के ऊपर इस सारी रचना (अनंत करोड़ ब्रांडों) का कोई भार नहीं है। जैसे वैज्ञानिक ने वायुयान (Airplane) बनाकर उड़ा लिया। स्वयं भी उसमें सवार हो गया। जिस प्रकार उस वायुयान का वैज्ञानिक के ऊपर कोई भार नहीं है, उल्टा उसके ऊपर सवार है। इसी प्रकार कबीर कादर अल्लाह सब लोकों की रचना करके उनके ऊपर सवार है तथा सारे जीव सवार कर रखे हैं। इससे सिद्ध हुआ कि अल-खिज ही अल कबीर है।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
0 notes
pradeepdasblog · 29 days
Text
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart75 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart76
"दसवां अध्याय"
प्रत्यक्ष दृष्टा संतों ने बताया कबीर काशी वाला (धाणक) जुलाहा परम अक्षर ब्रह्म यानि सत्यपुरुष हैं :- प्रमाण :-
"कबीर परमेश्वर सृजनकर्ता है, पेश हैं छः गवाह"
* कलयुग में परमात्मा अन्य निम्न अच्छी आत्माओं (दृढ़ भक्तों) को मिले :- प्रश्न 51 :- इस बात का कहाँ प्रमाण है कि कबीर जी जुलाहा (काशी-भारत वाले) ही समर्थ परमेश्वर है जिसने सब रचना की है।
उत्तर :- पहले यह सिद्ध करता हूँ कि काशी (बनारस) शहर में जो कबीर नामक जुलाहा रहा करता था, वह सब सृष्टि का रचने वाला परम अक्षर ब्रह्म है। इसके लिए अनेकों चश्मदीद गवाह (Eye Witness) हैं जिन्होंने उस समर्थ परमेश्वर को ऊपर (तख्त) सिंहासन पर बैठे देखा तथा बताया कि जो कबीर काशी शहर (भारत देश) में जुलाहे की भूमिका किया करता, वही समर्थ परमेश्वर है।
> गवाह नं. 1 संत गरीबदास जी गाँव-छुड़ानी, जिला झज्जर, प्रांत हरियाणा (देश-भारत) संत गरीबदास जी दस वर्ष के बालक अपने खेतों में गाँव के अन्य ग्वालों के साथ प्रतिदिन की तरह गाय चराने गए हुए थे। विक्रमी संवत् 1774 (सन् 1717) फाल्गुन महीने की शुदी (चांदनी) द्वादशी को दिन के लगभग दस बजे ग्वाले तथा बालक गरीबदास जी एक जांडी के वृक्ष के नीचे छाया में बैठकर भोजन खा रहे थे।
परमेश्वर जी जिंदा बाबा (अल-खिज्ज) के वेश में ऊपर आसमान वाले तख्त (सिंहासन) से चलकर कुछ दूरी पर धरती के ऊपर उतरे तथा ग्वालों के पास गए। वह जांडी का पेड़ गाँव-कबलाना से गाँव-छुड़ानी को जाने वाले कच्चे रास्ते पर था तथा कबलाना की सीमा के सटे संत गरीबदास जी के खेत में था। संत गरीबदास के पिता जी के पास गाँव में एक हजार तीन सौ पचहत्तर (1375) एकड़ जमीन थी। उसी जमीन पर चरागाह बना रखी थी जिसमें गाँव छुड़ानी के अन्य निर्धन व्यक्ति भी अपनी गायों को चराने के लिए ले जाया करते थे। बाबा जिंदा यानि साधु को देखकर बड़ी आयु के ग्वालों (पालियों) में से एक ने कहा कि बाबा जी भोजन खाओ।
साधु ने कहा, "भोजन तो मैं अपने डेरे से खाकर आया हूँ।" कई ग्वाले एक साथ बोले, "यदि भोजन नहीं खाते तो दूध पी लो।" परमेश्वर ने कहा कि दूध पिला दो, परंतु दूध उसका पिलाओ जिसको कभी बच्चा उत्पन्न न हुआ हो यानि कंवारी गाय का। पालियों ने उसे मजाक समझा।
बालक गरीबदास जी उठे तथा एक अपनी प्रिय बछिया को लाए और बोले, हे बाबा जी! यह कंवारी गाय दूध कैसे दे सकती है? तब बाबा जी ने कहा कि यह दूध देगी, तुम स्वच्छ बर्तन लेकर इसके थनों के नीचे रखो। संत गरीबदास जी ने एक मिट्टी का बर्तन (छोटा घड़ा 3-4 किलोग्राम की क्षमता का) लिया और उसे हाथों से पकड़कर बछिया के थनों के नीचे करके बैठ गया। बाबा जिंदा (अल-खिज) ने गाय की बछड़ी की पीठ के ऊपर हाथ से थपकी मारी। उसी समय थन लंबे व कुछ मोटे हो गए तथा दूध निकलने लगा। जब वह तीन-चार किलोग्राम का बर्तन भर गया तो थनों से दूध आना बंद हो गया। बालक गरीबदास जी ने वह दूध से भरा बर्तन बाबा जी को दे दिया तथा कहा कि यह तो आपकी दया से मिला है, पी लो। बाबा जिंदा ने उस बर्तन को मुख लगाकर कुछ दूध पीया। शेष उन पालियों की ओर किया कि पी लो, यह प्रसाद है। अन्य ग्वाले उठकर चल दिए। कहने लगे कि यह दूध जादू-जंत्र करके कंवारी बछड़ी से निकाला है। हमारे को कोई भूत-प्रेत की बाधा हो जाएगी। यह कोई सेवड़ा (भूत-प्रेत निकालने वाला) लगता है। कंवारी गाय का दूध पाप का दूध है। यह बाबा पता नहीं किस छोटी जाति का है। इसका झूठा दूध हम नहीं पीएँगे।
बालक गरीबदास जी ने बाबा से बर्तन लिया और पालियों के देखते-देखते उसमें से कुछ दूध पीया। वे बड़ी आयु के ग्वाले बालक को दूध न पीने के लिए कहते रहे। बालक नहीं माना। सब दूर चले गए। बाबा जिंदा तथा बालक गरीबदास जी रह गए। तब कुछ ज्ञान सुनाया। बालक ने सतलोक और समर्थ परमात्मा (जो ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा शिव जी से भी शक्तिशाली जो बाबा ने बताया था) आँखों देखने की इच्छा की। जिंदा बाबा बालक गरीबदास के जीव को शरीर से निकालकर आसमान में ले गया। ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा शिव जी के लोक दिखाए। स्वर्ग तथा नरक दिखाए। ब्रह्मलोक काल ब्रह्म का दिखाया। फिर और ऊपर अपने अमरलोक में ले गए। जो बाबा जिंदा बालक के साथ गया था, वह ऊपर बने (तख्त) सिंहासन के ऊपर बैठ गया। उस समय परमात्मा रूप बन गए। परमात्मा के एक रोम (शरीर के बाल) का प्रकाश करोड़ सूर्यों के प्रकाश से भी अधिक था। अमरलोक प्रकाशित था। बालक गरीबदास जी का भी अन्य शरीर बन गया जिसका प्रकाश सोलह सूर्यों के समान था। अमरलोक के सब भक्त/भक्तमति (हँस हँसनी) अपने परमेश्वर को दंडवत् करने लगे। जय हो कबीर सतपुरूष की बुलाने लगे। सबने कहा कि ये अनंत करोड़ ब्रांड का सृजनहार समर्थ परमेश्वर है। इसका नाम कबीर है। फिर परमात्मा ने सब ज्ञान अपने नबी गरीबदास जी की आत्मा में डाल दिया। सारा सतलोक तथा नीचे के सब लोक दिखाकर बालक की आत्मा को शरीर में प्रवेश करा दिया। उस समय बालक गरीबदास जी के शरीर को अंतिम संस्कार के लिए चिता (लकड़ियों के ढेर) पर रखा था। अग्नि लगाने ही वाले थे, उसी समय गरीबदास जी उठ लिए। गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई। संत गरीबदास जी को उसी जिंदा बाबा वेशधारी परमेश्वर जी ने दीक्षा दी। संत गरीबदास जी ने आँखों देखा तथा परमेश्वर के मुख कमल से सुना सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान दोहों, चौपाईयों, शब्दों के रूप में बोला जो एक दादू जी के पंथ से दीक्षित गोपाल दास नाम के महात्मा जी ने लिखा। लेखन कार्य में लगभग छः महीने लगे।
संत गरीबदास जी ने बताया :-
गरीब, हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया। जाति जुलाहा भेद ना पाया, काशी मांही कबीर हुआ ।।
अर्थात् संत गरीबदास जी ने बताया है कि हम सब (मैं गरीबदास, सुल्तान इब्राहिम इब्न अधम, सिख धर्म प्रवर्तक नानक जी तथा संत दादू जी) को उस कबीर सतगुरू परमेश्वर ने पार किया जो काशी शहर में जुलाहे जाति में हुआ है।
फिर कहा है कि :-
गरीब, अनंत कोटि ब्रांड का, एक रति नहीं भार। सतगुरू पुरूष कबीर हैं, कुल के सृजनहार ।।
अर्थात् सर्व ब्रांडों के उत्पत्तिकर्ता यानि सारी कायनात के सृजनकर्ता मेरे सतगुरू तथा परमेश्वर कबीर जी हैं। उन्होंने सब लोकों, तारागण तथा सब नक्षत्रों (सूर्य, चाँद, ग्रहों) को बनाकर अपनी शक्ति से रोका हुआ है जिसे विज्ञान की भाषा में गुरूत्वाकर्षण शक्ति कहते हैं। उस सृजनहार कबीर के ऊपर इस सारी रचना (अनंत करोड़ ब्रांडों) का कोई भार नहीं है। जैसे वैज्ञानिक ने वायुयान (Airplane) बनाकर उड़ा लिया। स्वयं भी उसमें सवार हो गया। जिस प्रकार उस वायुयान का वैज्ञानिक के ऊपर कोई भार नहीं है, उल्टा उसके ऊपर सवार है। इसी प्रकार कबीर कादर अल्लाह सब लोकों की रचना करके उनके ऊपर सवार है तथा सारे जीव सवार कर रखे हैं। इससे सिद्ध हुआ कि अल-खिज ही अल कबीर है।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Tumblr media
0 notes
manojsihag9 · 1 month
Text
Tumblr media
#GodMorningWednesday
#कबीर_God_है_प्रत्यक्ष_प्रमाण
कबीर साहेब जी को नवजात शिशु रूप में देखकर जुलाहा कॉलोनी के लोग कह रहे थे कि,
आंखें जैसे कमल का फूल हों, घुँघराले बाल, लंबे हाथ, गोरा वर्ण। शरीर से मानो नूर झलक रहा हो। पूरी काशी नगरी में ऐसा अद्भुत बालक नहीं था।
पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा
निःशुल्क पायें । अपना नाम, पूरा पता भेजें +91 7496801825
0 notes
vikramsabalsblog · 1 month
Text
Tumblr media
कबीर साहेब जी को नवजात शिशु रूप में देखकर जुलाहा कॉलोनी के लोग कह रहे थे कि,
आंखें जैसे कमल का फूल हों, घुँघराले बाल, लंबे हाथ, गोरा वर्ण।
शरीर से मानो नूर झलक रहा हो। पूरी काशी नगरी में ऐसा अद्भुत बालक नहीं था।
➡️अधिक जानकारी के लिए
Visit करें :⤵️⤵️
Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
0 notes
nationalistbharat · 2 months
Text
एनएमसीएच में जल्द शुरू होगी मूक बधिर बच्चों की बेरा जांच
पटना: मुख्यमंत्री बाल श्रवण उपचार योजना के तहत मूक-बधिर सात साल तक के बच्चों को सरकार द्वारा कोक्लियर इंप्लांट के लिए 6.5 लाख तक की सहायता राशि दी जाती है। इस योजना का लाभ अधिक से अधिक बच्चों तक पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक बड़ी पहल की है। नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल के कान नाक गला विभाग में लंबे समय से टेक्नीशियन के अभाव में बेकार पड़ी आडियोमेट्री मशीन के संचालन के लिए श्री गुरु…
0 notes
infotechs · 2 months
Text
1 note · View note
Text
Tumblr media
PRP ट्रीटमेंट: बालों को झड़ने से रोकने का प्रभावी समाधान
बाल झड़ने की समस्या आजकल बहुत आम हो गई है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे तनाव, आनुवंशिकता, खराब आहार, हार्मोनल बदलाव आदि। लेकिन चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बालों को झड़ने से रोकने का प्रभावी उपचार है - पीआरपी (PRP) ट्रीटमेंट।
जानें क्यों पीआरपी ट्रीटमेंट बाल झड़ने के लिए उपयोगी है:
प्राकृतिक और सुरक्षित: पीआरपी ट्रीटमेंट में मरीज के अपने ही खून का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल या विदेशी पदार्थ का प्रयोग नहीं होता, जिससे यह एकदम सुरक्षित और प्राकृतिक होता है।
बालों की जड़ों को मजबूत करता है: पीआरपी में प्लेटलेट्स होते हैं जो बालों की जड़ों में जाकर उन्हें मजबूती प्रदान करते हैं और नए बालों के विकास को प्रोत्साहित करते हैं। यह बालों की मोटाई और घनत्व को बढ़ाने में मदद करता है।
दर्दरहित और सरल प्रक्रिया: पीआरपी ट्रीटमेंट एक गैर-सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें न्यूनतम दर्द होता है। यह एक सरल और तेज प्रक्रिया है जिसमें मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती।
प्रभावी और लंबे समय तक परिणाम: पीआरपी ट्रीटमेंट के परिणाम धीरे-धीरे लेकिन स्थायी होते हैं। इससे बालों की ग्रोथ में सुधार होता है और बाल झड़ने की समस्या में कमी आती है।
जल्दी रिकवरी और कोई साइड इफेक्ट नहीं: पीआरपी ट्रीटमेंट के बाद रिकवरी बहुत जल्दी होती है और इसके कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होते।
अगर आप भी बाल झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो पीआरपी ट्रीटमेंट को आजमाकर देखें। अधिक जानकारी और परामर्श के लिए संपर्क करें: 📞 80590-00333 📍 सनोली रोड, सिटी हॉस्पिटल के सामने, पानीपत
0 notes
100newsup · 3 months
Text
क्या आप हर दिन अपने बालों को खूबसूरत बनाना चाहते हैं? इन 5 हेयर केयर टिप्स को अपने रूटीन में करें शामिल और पाएं लंबे, चमकदार व मजबूत बाल
घने, लंबे और चमकदार बाल हर किसी की चाहत होती है। आखिरकार, अच्छे बालों के साथ – कोई भी लगभग हर चीज़ को संभाल सकता है। लेकिन, स्वस्थ बाल पाने के लिए, यह याद रखना ज़रूरी है कि जब तक आप आनुवंशिक रूप से धन्य न हों, अपने बालों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सावधानीपूर्वक प्रयासों की आवश्यकता होती है। हार्मोनल परिवर्तन, उम्र बढ़ने और तनाव से लेकर पर्यावरण तक, ऐसे कई कारक हैं जो आपके बालों के स्वास्थ्य…
0 notes
ramkaranjangra · 3 months
Text
#परमात्मा_का_प्रकट_दिवस
🌺🌺🌺
कबीर साहेब जी को नवजात शिशु रूप में देखकर जुलाहा कॉलोनी के लोग कह रहे थे कि, आंखें जैसे कमल का फूल हों, घुँघराले बाल, लंबे हाथ, गोरा वर्ण।
शरीर से मानो नूर झलक रहा हो।
पूरी काशी नगरी में ऐसा अद्भुत बालक नहीं था।
627th Kabir Prakat Diwas
Tumblr media
0 notes