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#लकवा से बचाव के उपाय
gomediitechnologies · 5 years
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लकवा एक एकल मांसपेशी, समूह या शरीर के एक बड़े क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है, यह सब इसके कारण पर निर्भर करता है। स्ट्रोक, सिर या मस्तिष्क की चोट, रीढ़ की हड्डी में चोट और मल्टीपल स्केलेरोसिस लकवा के मुख्य कारणों में से हैं। आपको बता दें की जब किसी व्यक्ति में लकवा स्थायी होता है, तो इसका इलाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन कुछ यांत्रिक उपकरणों की मदद से रोगी के जीवन को आसान बनाने की कोशिश जरूर की जा सकती है।
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chaitanyabharatnews · 5 years
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वर्ल्ड स्ट्रोक डे : हर साल डेढ़ करोड़ लोगों की जान ले रहा स्ट्रोक, जानें इससे बचने के उपाय
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चैतन्य भारत न्यूज  स्ट्रोक एक किस्म का दिमाग का दौरा (अटैक) होता है, जो दिमाग को खून की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिका के फटने से या दिमाग की नसों में खून का बहना रुकने (ब्लॉकेज) के कारण होता है। स्ट्रोक एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसकी चपेट में कोई भी, कभी भी आ सकता है। स्ट्रोक के कारण दुनियाभर में सबसे ज्यादा लोग विकलांग होते हैं और हर साल स्ट्रोक के कारण ही लाखों लोगों की जान चली जाती है। यदि समय पर स्ट्रोक का इलाज नहीं किया गया तो व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति बहुत खराब हो सकती है। इस बीमारी के बढ़ते मरीज और इसकी गंभीरता को लेकर जागरुकता फैलाने के मकसद से हर साल 29 अक्टूबर को दुनियाभर में 'वर्ल्ड स्ट्रोक डे' मनाया जाता है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); हर साल डेढ़ करोड़ लोग होते हैं स्ट्रोक के शिकार वर्ल्ड स्ट्रोक कैंपेन की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल करीब डेढ़ करोड़ लोग स्ट्रोक की चपेट में आ जाते हैं। इनमें से स्ट्रोक के चलते करीब 55 लाख लोगों की मौत भी हो जाती है। जानकारी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक करीब 8 करोड़ लोगों में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है। स्ट्रोक के कारण व्यक्ति की संचार शक्ति बिल्कुल कमजोर पड़ जाती है। क्यों होता है स्ट्रोक विशेषज्ञों के मुताबिक, स्ट्रोक इंसान को कभी भी अपनी चपेट में ले सकता है। यह दिमाग की कोशिकाओं के बीच सही से ब्लड सर्कुलेशन न होने की परिस्थिति में होता है। जब दिमाग की कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण मिलना बंद हो जाता है, तो व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो जाता है। जो लोग स्ट्रोक के आघात से जिंदा बच जाते हैं, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे - लकवा, बात सुनने-समझने में समस्या, पागलपन, याददाश्त खोना आदि। ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण स्ट्रोक होने पर मांसपेशियों पर नियंत्रण कम हो जाता है। इस वजह से चेहरे की आकृति बिगड़ जाती है। हाथ-पैर या शरीर का कोई भी हिस्सा बेजान या सुन्न होने लगता है। जुबान लड़खड़ाना या ठीक से न बोल पाना इन सभी परिस्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क कर इलाज शुरू करवाना चाहिए। ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के उपाय शराब न पिएं। धूम्रपान न करें। संतुलित आहार लें। नमक कम मात्रा में खाएं। वसायुक्त आहार अधिक मात्रा में न खाएं। वजन नियंत्रित रखें। नियमित व्यायाम करें। ब्लड प्रेशर (बीपी) नियंत्रित रखें। शारीरिक सक्रियता बनाए रखें। हृदय रोगी नियमित जांच करवाएं। रक्त में शक्कर का स्तर नियंत्रित रखें। कोलेस���ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रखें। विशेष ध्यानार्थः यह आलेख केवल पाठकों की अति सामान्य जागरुकता के लिए है। चैतन्य भारत न्यूज का सुझाव है कि इस आलेख को केवल जानकारी के दृष्टिकोण से लें। इनके आधार पर किसी बीमारी के बारे में धारणा न बनाएं या उसके इलाज का प्रयास न करें। यह भी याद रखें कि स्वास्थ्य से संबंधित उचित सलाह, सुझाव और इलाज प्रशिक्षित डॉक्टर ही कर सकते हैं। ये भी पढ़े... हर 1 मिनट में 3 भारतीय हो रहे हैं ब्रेन स्ट्रोक का शिकार, जानिए इससे बचाव के तरीके ऑफिस से छुट्टियां नहीं लेने वाले लोगों को हो सकती है यह गंभीर बीमारी : रिपोर्ट रात में लाइट या टीवी चलाकर सोने वाली महिलाओं का तेजी से बढ़ सकता है मोटापा! Read the full article
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shriram8823 · 4 years
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 नींबू के फायदे|Which Disease Are Cured Lemonनींबू किन किन बीमारियों में है फायदेमंदहरा और पीला सा दिखने वाला छोटा सा नींबू अपने स्वाद और जायके की वजह से जाना जाता है। नींबू का उपयोग गर्मियों में रिफ्रेशमेंट ड्रिंक बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है तथा नींबू के रस का उपयोग व्यंजनों को और अधिक जायकेदार बनाने के लिए किया जाता है। नींबू के गुण औषधीय विज्ञान में विख्यात रूप से प्रसिद्ध है। नींबू स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से फायदेमंद साबित हो सकता है। हेल्थ केयर आर के टिप्स के इस लेख में जानेंगे की नींबू का उपयोग किस तरीके से स्वास्थ्य को भयंकर बीमारियों से बचाता है और किस तरीके से नींबू के लाभ लिए जा सकते हैं और नींबू में कौन-कौन से औषधीय गुण पाए जाते हैं इसके बारे में आइए जानते हैं।  नींबू के औषधीय गुण नींबू अपने खास खट्टे रस के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। इसमें ऐसे कई औषधीय तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं जैसे कि यह विटामिन-सी से समृद्ध पाया जाता है। इसके अलावा इसमें फाइबर, पोटैशियम तथा कैल्सियम जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसके साथ-साथ यह एंटी कैंसर, anti inflammatory, और एंटी-माइक्रोबियल गुणों से भरा हुआ पाया जाता है। इसके अलावा यह शरीर के अंदर मौजूद रक्त को साफ करने और अस्थमा जैसी बीमारी की स्थिति मैं भी कारगर साबित होता है। नींबू से शरीर को हाइड्रेट करना नींबू से बना हुआ नींबू पानी शरीर में पानी की कमी को दूर करता है और शरीर को हाइड्रेशन की समस्या से बचाता है। क्योंकि मनुष्य का शरीर 70% पानी से बना हुआ है यदि शरीर में पानी की कमी हो जाए तो शरीर कई बीमारियों से ग्रसित हो सकता है। इसलिए शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए नींबू पानी एक सबसे अच्छा और कारगर उपाय है। नींबू शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करता है। नींबू के अंदर विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जब आप नींबू पानी पीते हो या नींबू का किसी भी रूप में सेवन करते हो तो इससे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। कमजोर इम्यून सिस्टम होने की वजह से जो बीमारियां हो सकती हैं। नींबू की वजह से उनसे शरीर का बचाव होता है तथा शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। आजकल जो महामारी फैली हुई है उसके अंदर मजबूत इम्यून सिस्टम इस महामारी से बचने के लिए आवश्यक है। नींबू से वायरल फ्लू में होता है बचाव। नींबू में मौजूद विटामिन सी की वजह से इम्यून सिस्टम मजबूत होने के कारण होने वाले मौसमी वायरल फ्लू से लड़ने में मदद मिलती है। और वायरल फ्लू होने के खतरे को कम करता है। नींबू से हृदय के लिए बचाव। नींबू ह्रदय को मजबूती प्रदान करता है और हृदय संबंधी कई बीमारियों से दूर रखता है। शरीर में पानी की कमी से रक्त संचालन में बाधा उत्पन्न होती है यदि नींबू पानी का उपयोग नियमित रूप से किया जाता है तो इससे रक्त में पानी की कमी पूरी होती है और रक्त संचालन में उत्पन्न हुई बाधा दूर होती है। इससे हार्ट अटैक जैसी भयंकर परेशानियों से हृदय को सुरक्षा प्रदान होती है। नींबू पानी से स्ट्रोक से बचाव। नींबू पानी पीने से stroke से बचाव होता है स्ट्रोक का मतलब यदि आपकी मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में फैट जमा हो जाए और खून का बहाव रुक जाए उसको स्ट्रोक कहते हैं। Stroke की वजह से आदमी की जान जा सकती है या फिर उसको लकवा भी मार सकता है। यदि नींबू पानी नियमित रूप से पीते हैं तो स्ट्रोक से बचे रह सकते हैं। बढ़ती हुई उम्र के साथ-साथ शरीर में रक्त वाहिकाओं में फैट जमा होने की वजह से स्ट्रोक आने की संभावना काफी अधिक होती हैं यदि इस दौरान नींबू पानी का उपयोग नियमित रूप से किया जाता है तो stroke जैसी समस्या से बचे रह सकते हैं। नींबू पानी दूर करता है हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे की समस्या को। जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है उन लोगों को नींबू पानी का उपयोग जरूर करना चाहिए। क्योंकि नींबू पानी पीने से शरीर में खून का बहाव नियमित रूप से संचार में रहता है जिसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या दूर होती है। नींबू पानी पीने से हाई ब्लड प्रेशर के साथ-साथ मोटापे से भी छुटकारा मिलता है तो आज से ही आप नींबू पानी का सेवन जरूर करें। नींबू पानी के डायबिटीज में फायदे। मधुमेह के मरीजों के लिए नींबू पानी काफी फायदेमंद है क्योंकि मधुमेह के मरीजों के शरीर में काफी अधिक इंसुलिन बनती है और शरीर उस इंसुलिन का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं कर पाता है जिसकी वजह से शरीर में शुगर लेवल काफी हाई हो जाता है। नींबू पानी पीने से शरीर में इंसुलिन कम बनती है जिसकी वजह से शरीर इंसुलिन के प्रति संवेदनशील हो जाता है और उस इंसुलिन का सही रूप से इस्तेमाल कर पाता है जिसकी वजह से ब्लड में हाई शुगर लेवल को कम करने में मदद मिलती हैं। नींबू फायदेमंद है त्वचा के लिए। अगर अपनी त्वचा को लंबे समय तक जवान रखना चाहते हैं या फिर अपनी त्वचा से झुर्रियों को दूर करना चाहते हैं तो नींबू पानी का सेवन जरूर करें क्योंकि नींबू पानी खुश्क त्वचा और झुर्रियों को दूर करता है। और त्वचा को नमी प्रदान करता है। नींबू पानी स्किन डैमेज को भी बचाता है। जब आप धूप में निकलते हैं तो धूप की वजह से होने वाली स्किन डैमेज से ���ींबू पानी बचाव करता है और त्वचा को डैमेज होने से बचाता है। नींबू कब्ज और पाचन क्रिया को सही करता है। आजकल के दौर में हर एक दूसरा या तीसरा व्यक्ति कब्ज की समस्या से परेशान हैं। रोजाना नींबू पानी पीने से है कब्ज जैसी समस्या दूर होती हैं और आपका पेट स्वस्थ रहता है। जिनको पाचन क्रिया में समस्या आती हैं या फिर खाना ठीक से पचता नहीं है उनके लिए नींबू काफी मददगार साबित होता है नींबू के खट्टे जायके की वजह से खाना सही तरीके से पच जाता है और अपच जैसी समस्या उत्पन्न नहीं होती।
http://www.healthcarerktips.live/2020/09/which-disease-are-cured-lemon-nimbu-ke.html
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gethealthy18-blog · 5 years
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पोलियो के कारण, लक्षण और इलाज – Polio (Poliomyelitis) Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
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पोलियो के कारण, लक्षण और इलाज – Polio (Poliomyelitis) Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
पोलियो के कारण, लक्षण और इलाज – Polio (Poliomyelitis) Causes, Symptoms and Treatment in Hindi Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 January 24, 2020
पोलियो एक गंभीर बीमारी है, जिससे आज भी कई देश पीड़ित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 99 प्रतिशत पोलियो को कम किया जा चुका है, लेकिन इससे अभी भी कई गरीब देश प्रभावित हैं (1)। भारत की बात करें तो यूनीसेफ (UNICEF) ने भारत को 2011 में ही पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया था (2)। फिर भी देश को पोलियो मुक्त बनाए रखने के लिए हर वर्ष एक निर्धारित समय पर पोलियो वैक्सीन लगाए जाते हैं। यह एक गंभीर बीमारी है, इसलिए इस बारे में पूर्ण रूप से जानकारी रखना जरूरी है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम पोलियो से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। यहां आपको पोलियो, पोलियों के प्रकार और पोलियो से बचने के उपाय संबंधित जानकारी मिलेगी। साथ ही पोलियो का टीका और पोलियो का इलाज कैसे किया जा सकता है, इस पर भी प्रकाश डाला जाएगा।
यह सभी जानकारी जानने से पहले, विस्तार से जानिए कि पोलियो क्या होता है।
विषय सूची
पोलियो क्या है – What is Polio (Poliomyelitis) in Hindi
पोलियो या पोलियोमाइलाइटिस एक ऐसा रोग है, जो तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुंचाकर लकवा (पैरालिसिस) का कारण बन सकता है (3)। पोलियो वायरस एक संक्रमित व्यक्ति के शरीर से दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है और रीढ़ की हड्डी को संक्रमित कर सकता है, जिससे पैरालिसिस (पूरा शरीर या शरीर के कुछ अंगों से जुड़ी गतिहीनता) हो सकता है (4)। पोलियो वैक्सीन पूरी दुनिया में अच्छी तरह लागू होने के बाद इसका खतरा कम हो गया है, लेकिन यह अब भी एक घातक बीमारी है। इस वजह से पोलियो का इलाज और उससे बचने के उपाय के बारे में ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।
पोलियो क्या है जानने के बाद, आगे जानिए पोलियो के प्रकार।  
पोलियो के प्रकार – Types of Polio in Hindi
पोलियो के प्रकार की बात करें तो यह दो प्रकार का हो सकता है (5):
पैरालिटिक पोलियो : इसमें पोलियो वायरस कुछ नर्व फाइबर (Nerve Fiber) के जरिए फैलता है और रीढ़ की हड्डी के साथ मस्तिष्क के भाग (ब्रेन स्टेम और मोटर कॉर्टेक्स) में मौजूद मोटर न्यूरॉन्स (कोशिकाएं, जो जरूरी मांसपेशियों की गतिविधियों को नियंत्रित करती हैं, जैसे बोलना, चलना, सांस लेना और निगलना (6)) को नुकसान पहुंचाता है। यह क्षति पैरालिटिक पोलियोमाइलाइटिस का निर्माण करती है। न्यूरोंस को पहुंची क्षति के आधार पर पैरालिटिक पोलियो के प्रकार को तीन भागों में बांटा जा सकता है:
स्पाइनल पोलियो : इस प्रकार में पोलियो वायरस रीढ़ की हड्डी में मौजूद मोटर न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है। यह वायरस प्रभावित क्षेत्र की मासपेशियों को कमजोर बना सकता है और उन्हें लकवाग्रस्त कर सकता है।
बल्बर पोलियो : इस प्रकार में पोलियो वायरस मस्तिष्क के बल्बर भाग (ब्रेनस्टेम और सेरिबैलम को जोड़ने वाला) को प्रभावित करता है। वायरस बल्बर भाग की नसों को नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण सांस लेने, बोलने और निगलने में मुश्किल हो सकती है।
बल्बोस्पाइनल पोलियो : पैरालिटिक पोलियो के लगभग 19 प्रतिशत मामलों में मरीज बल्बोस्पाइनल पोलियो से पीड़ित होता है। इस प्रकार में रीढ़ की हड्डी और बल्बर, दोनों पोलियो वायरस से प्रभावित होते हैं। इस दौरान व्यक्ति को वेंटीलेटर के बिना सांस लेने में समस्या होती है। इसके साथ, उसके हाथ और पैरों पर लकवा मार सकता है और हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है।
पाथोफिजियोलोजी (Pathophysiology) : पोलियो के इस प्रकार में पोलियो वायरस मुंह के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है। शरीर में प्रवेश करते ही सबसे पहले यह ग्रसनी (Pharynx – गले का एक भाग) और आंतों का म्यूकोसा (Intestinal Mucosa) की कोशिकाओं को संक्रमित करता है। यह वायरस आगे बढ़कर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है और शरीर में इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकता है।
पोलियो के प्रकार बताने के बाद, आइए आपको बता दें कि पोलियो के कारण क्या हो सकते हैं। 
पोलियो के कारण – Causes of Polio (Poliomyelitis) in Hindi
पोलियो वायरस, पोलियो की मुख्य वजह है। इसके फैलने की कई वजह हो सकती हैं, जिन्हें पोलियो के कारण में शामिल किया जा सकता है, जैसे (7) :
संक्रमित व्यक्ति से सीधा संपर्क
नाक और मुंह से निकले संक्रमित बलगम से संपर्क
संक्रमित मल से संपर्क
लेख के अगले भाग में हम आपको बताएंगे कि पोलियो के लक्षण क्या-क्या होते हैं।
पोलियो के लक्षण – Symptoms of Polio (Poliomyelitis) in Hindi
आमतौर पर पोलियो से संक्रमित लोगों में किसी प्रकार के लक्षण नही दिखाई देते, लेकिन कुछ मामलों में पोलियो के लक्षण फ्लू की तरह दिखते हैं। ये लक्षण कुछ दो से पांच दिन के लिए रहते हैं और फिर गायब हो जाते हैं, जैसे (4) :
गले में खराश
बुखार
थकान
जी मिचलाना
सिरदर्द
पेट दर्द
इनके अलावा, कुछ मामलों में पोलियो के लक्षण गंभीर हो जाते हैं और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) को प्रभावित करने लगते हैं। इन मामलों में व्यक्ति कुछ गंभीर लक्षणों से गुजरता है, जैसे :
पैरेस्थीसिया – पैरों में सुई चुभने जैसा एहसास होना
मैनिंजाइटिस के लक्षण – मस्तिष्क और रीढ़ से जुड़ा संक्रमण
पैरालिसिस (लकवा)
हर शारीरिक समस्या की तरह पोलियो के भी कुछ जोखिम कारक हैं, जो इसके होने का खतरा बढ़ा सकते हैं। उनके बारे में लेख के अगले भाग में बताया गया है। 
पोलियो के जोखिम कारक – Risk Factors of Polio in Hindi
पोलियो के कारण के अलावा कुछ जोखिम कारक भी हैं, जो इस रोग के होने की वजह बन सकते हैं, जैसे (7) (3):
पोलियो का टीका न लगवाना
पोलियो से संक्रमित जगह पर जाना
अस्वच्छ वातावरण में रहने वाले बच्चे और शिशु
पोलियो के उपचार से जुड़ी जानकारी के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहिए यह लेख।  
पोलियो का इलाज – Treatment of Polio (Poliomyelitis) in Hindi
इस भाग के शुरुआत में हम आपको बता दें कि कोई भी मेडिकल ट्रीटमेंट पोलियो का इलाज नहीं कर सकता है। नीचे बताए गए उपचार सिर्फ पोलियो के लक्षण को कम करने में मदद कर सकते हैं (7) :
एंटीबायोटिक्स : यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के लक्षण (मूत्र मार्ग का संक्रमण) को कम करने के लिए।
हीटिंग पैड : मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को कम करने के लिए।
दर्द निवारक दवाएं : सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को कम करने के लिए।
फिजिकल थेरेपी : मांसपेशियों की ताकत और कार्यप्रणाली को बेहतर करने के लिए। इस दौरान, कुछ गंभीर मामलों में आर्थोपेडिक सर्जरी भी की जा सकती है।
पोलियो का उपचार बताने के बाद, लेख के अगले भाग में हम आपको पोलियो से बचने के उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं।
पोलियो से बचने के उपाय – Prevention Tips for Polio in Hindi
किसी भी अन्य बीमारी की तरह ही पोलियो से बचने में उपाय अपनाना पोलियो का इलाज करवाने से बेहतर हैं।
ये बचाव उपाय पोलियो का टीका होते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है (8) (9) :
ओरल पोलियो वैक्सीन : पोलियों से बचाव के लिए इस वैक्सीन को मुंह के जरिए दिया जाता है। इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी है। दरअसल, वैक्सीन में लाइव वायरस की मौजूदगी के कारण इसे लेने वाला व्यक्ति दूसरे को संक्रमित कर सकता है। दुर्लभ मामलों में यह ओरल वैक्सीन, ‘वैक्सीन डराइव्ड पोलियो वायरस’ बनकर पोलियो का कारण भी बन सकती है। यही वजह है कि अमेरिका ने इस वैक्सीन को बैन कर दिया है, फिर भी कई कई देशों में इसे अपनाया जा रहा है।
इनएक्टिवेटेड पोलियोवायरस वैक्सीन : इस वैक्सीन को व्यक्ति के बांह या पैर में इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है। यह पोलियो का टीका व्यक्ति को पोलियो के तीनों प्रकार से बचाता है। इसमें लाइव वायरस नहीं होते, इसलिए यह पोलियो वैक्सीन अन्य लोगों में संक्रमण का कारण नहीं बनती।
पोलियो के मामले में यह बात बिलकुल सटीक बैठती है कि इलाज से बेहतर बचाव है। पोलियो का उपचार उपलब्ध न होने के कारण इससे बचाव करने के लिए सही समय पर पोलियो वैक्सीन लगवाना जरूरी है। भारत में भले ही पोलियो पूरी तरह खत्म हो गया हो, लेकिन इसे पोलियो मुक्त बनाए रखने के लिए पोलियो का टीका अवश्य लगवाएं। हम आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए उपयोगी रहा होगा। अगर पोलियो के कारण, लक्षण या उससे जुड़ा कोई भी सवाल अब भी आपके मन में हो, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हम तक जरूर पहुंचाएं।
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Soumya Vyas
सौम्या व्यास ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बीएससी किया है और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया, बेंगलुरु से टेलीविजन मीडिया में पीजी किया है। सौम्या एक प्रशिक्षित डांसर हैं। साथ ही इन्हें कविताएं लिखने का भी शौक है। इनके सबसे पसंदीदा कवि फैज़ अहमद फैज़, गुलज़ार और रूमी हैं। साथ ही ये हैरी पॉटर की भी बड़ी प्रशंसक हैं। अपने खाली समय में सौम्या पढ़ना और फिल्मे देखना पसंद करती हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/polio-ke-karan-lakshan-aur-ilaj-in-hindi/
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काली मिर्च के फायदे - All Ayurvedic - A Natural Way of Improving Your Health
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काली मिर्च के फायदे - All Ayurvedic - A Natural Way of Improving Your Health
All Ayurvedic – A Natural Way of Improving Your Health
आयुर्वेदिक औषधियाँ
आरोग्यम
जड़ी बूटी
काली मिर्च एक ऐसा मसाला है जो स्वाद के साथ ही औषधिय गुणों से भी भरपूर है। इसे सलाद, कटे फल या दाल शाक पर बुरक कर उपयोग लिया जाता है। इसका उपयोग घरेलु इलाज में भी किया जा सकता है। काली मिर्च खाने के बड़े ही फायदे हैं, (ब्लॅक पेपर) के कई घरेलू नुस्खे और उपाय हैं, जिससे आपको कई बीमारियो और समस्याओं में बहुत लाभ मिलता हैं। 
काली मिर्च के तीखे स्वाद के कारण इसका बहुत ही कम इस्तेमाल किया जाता हैं, लेकिन अनेक प्रकार की बीमारियो में काली मिर्च का इस्तेमाल घरेलू नुस्खे के तौर पर किया जाता हैं। पेट, स्किन और हड्डियो से जुड़ी प्रॉब्लम्स को डोर करने में काली मिर्च बहुत ज़्यादा असरदार होती हैं। आज जाँएंगे की इसका कैसे और कितनी मात्रा में इस्तेमाल करके रोगो को दूर किया जा सकता हैं। यदि आप प्रतिदिन 1 काली मिर्च का सेवन करे तो आपको 56 फायदे होंगे, आइये आज हम आपको बताने जा रहे हैं कालीमिर्च के रामबाण प्रयोग व फायदे।
काली मिर्च के फायदे :
उम्र बढ़ने के साथ ही होने वाला गठिया रोग काली मिर्च का इस्तेमाल बहुत ही फयदेमंद होता हैं। इसे तिल के तेल में जलने तक गरम करे। उसके बाद इस तेल को ठंडा होने पर दर्द वाली जगह आदि पर लगाए आपको बहुत ही आराम मिलेगा।
जंक फुड के कारण बवासीर की समस्या आजकल ज़्यादातर लोगो को रोग कर रही हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए जीरा, काली मिर्च और चीनी या मिशरी को पीस कर एक साथ मिला ले। सुबह-शाम दो से तीन बार इसे लेने से बवासीर में राहत मिलती हैं।
पेट दर्द का कारण सिर्फ़ खराब ख़ान-पान ही नही होता हैं, बल्कि कीड़े भी इसकी वजह हो सकते हैं। इससे भूख कम लगती हैं और वजन तेज़ी के साथ घटने लगता हैं। इन्हे डोर करने के लिए च्छच्छ में काली मिर्च का पाउडर मिला कर पिए इसके अलावा काली मिर्च को किसमिस के साथ मिला कर खाने से भी पेट के कीड़े दूर होते हैं।
त्वचा पर कहीं भी फुंसी उठने पर, काली मिर्च पानी के साथ पत्थर पर घिस कर अनामिका अंगुली से सिर्फ फुंसी पर लगाने से फुंसी बैठ जाती है।
काली मिर्च को सुई से छेद कर दीये की लौ से जलाएं। जब धुआं उठे तो इस धुएं को नाक से अंदर खीच लें। इस प्रयोग से सिर दर्द ठीक हो जाता है। हिचकी चलना भी बंद हो जाती है।
ब्लड प्रेशर लो रहता है, तो दिन में दो-तीन बार पांच दाने कालीमिर्च के साथ 21 दाने किशमिश का सेवन करें।
काली मिर्च 20 ग्राम, जीरा 10 ग्राम और शक्कर या मिश्री 15 ग्राम कूट पीस कर मिला लें। इसे सुबह शाम पानी के साथ फंाक लें। बावासीर रोग में लाभ होता है।
आधा चम्मच पिसी काली मिर्च थोड़े से घी के साथ मिला कर रोजाना सुबह-शाम नियमित खाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
काली मिर्च 20 ग्राम, सोंठ पीपल, जीरा व सेंधा नमक सब 10-10 ग्राम मात्रा में पीस कर मिला लें। भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से जल के साथ फांकने से मंदाग्रि दूर हो जाती है।
शहद में पिसी काली मिर्च मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से खांसी बंद हो जाती है।
बुखार में तुलसी, कालीमिर्च तथा गिलोय का काढ़ा लाभ करता है।
चार-पांच दाने कालीमिर्च के साथ 15 दाने किशमिश चबाने से खांसी में लाभ होता है।
कालीमिर्च सभी प्रकार के संक्रमण में लाभ देती है।
हर साल अप्रैल के दूसरे सप्ताह की शुरुआत में निम के कोमल 7 ताजा पत्ते, 7 कालिमिर्ची और चुटकी भर सेंधा नमक पानी डालकर पीसकर 5 चम्मच पानी में घोलकर सुबह भूखे पेट एक बार एक दिन में पियें। इसके बाद 2 घंटो तक कुछ न खाएं। यह एक व्यक्ति की खुराक हैं ऐसे लेने से साल भर बुखार नहीं आएगा। हर साल इसी तरह लेते रहे और बुखार से बचें रहे।  
कालिमिर्ची में मौजूद पाईपरिन नामक तत्व कीटाणुनाशक होता हैं। यह मलेरिया और वायरस जैसे ज्वरो के विषाणुओं को नष्ट कर देता हैं। 60 ग्राम पीसी हुई कालिमिर्ची 2 ग्लास पानी में इतना उबालें की आधा ग्लास पानी रह जाये फिर इसे छानकर हर 4 घंटे से उसके 3 भाग करके पियें। इससे मलेरिया बुखार ठीक हो जाता हैं।
सिर में डेंड्रफ और खुजली के वजह से बाल गिरते हो तो कालिमिर्ची, प्याज, नमक सबको पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। बालो का झड़ना बंद हो जायेगा।
अगर बाल सफ़ेद हो गए हो तो 10 कालिमिर्ची रोजाना सुबह भूखे पेट और शामको चबाकर निगल जाएं। यह प्रयोग कम से कम एक साल से ज्यादा करें। यह आजमाया हुआ प्रयोग हैं। कालिमिर्ची मीठे तेल, (तिल का तेल) मिलाकर लगाएं तो और अधिक लाभ होगा।
कालिमिर्ची और फिटकरी समान मात्रा में बारीक पीसकर मिला लें। थोड़ा सा पाउडर लेकर पानी डालकर पेस्ट बनाकर तिनके की रुई लगाकर फुरेरी से मस्सों पर रोजाना दिन में 3 बार लगाएं। मस्से हट जायेंगे।
फोड़ा, फुंसी, दाध, खुजली आदि पर पीसी कालिमिर्ची और घी मिलाकर लगाए लाभ होता हैं।
हरे पुदीना के 30 पत्ती 2-2 चम्मच सौंफ और मिश्री, 5 कालिमिर्ची सब में पानी डालकर पीसकर एक कप गर्म पानी में घोलकर छानकर पिने से हिचकी बंद हो जाएगी।
5 कालिमिर्ची जलाकर पीसकर बार बार सूंघने से हिचकी बंद हो जाती हैं।
निम की निम्बोली के अंदर की सुखी गिरी और कालिमिर्ची को बराबर मात्रा में लेकर दोनों को कूटपीसकर आधा चम्मच रोजाना सुबह भूखे पेट पानी से फांकी 2 सप्ताह तक लें। इससे आशातीत लाभ होंगे, चाहे केसा भी बवासीर हो ठीक हो जाती हैं।
यह पाचनशक्ति बढ़ाती हैं। एक कालिमिर्ची, जीरा, सेंधा नमक, सोडा, पीपल सब समान भाग में लेकर पिसलें खाना खाने के बाद आधा चम्मच पानी से 2 बार लें। खाना अच्छी तरह से पचेगा हजम होगा।
अगर खाना ठीक से नहीं पचता हो और शौच ढीली और आंवयुक्त होती हो तो कालिमिर्ची सेंधा नमक अजवाइन सुखा पोदीना बड़ी इलायची समान भाग में पीसकर एक-एक चम्मच 2 बार खाने के बाद फांक लें।
5 ग्राम कालिमिर्ची पीसकर आधा चम्मच गाय के घी के साथ लेने से सब तरह की खुजली और विष का प्रभाव दूर हो जाता हैं। फुंसी उठते ही उसपर कालिमिर्ची पानी में पीसकर लगाने से फुंसी बैठ जाती हैं। गुहेरी, बाल तोड़ फोड़े भी ठीक हो जाते हैं।
कुत्ते के काटने पर प्राथमिक उपचार के तोर पर कालिमिर्ची पीसकर घाव पर भुरक दें और फिर डॉकटर को भी दिखा दें। ऐसा करने से जहर का प्रभाव कम हो जायेगा।
चाय में कालिमिर्ची, लौंग, दाल चीनी, सोडा, छोटी इलायची अपने टेस्ट के हिसाब से डालकर पिने से स्फूर्ति आती हैं। आलसी और उदासीनता दूर हो जाती हैं। थकान होने पर, मानसिक संताप, दुःख होने पर यह चाय जरूर पियें।
5 कालिमिर्ची और 10 किशमिश मिलाकर चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
कालिमिर्ची स्वाद तन्तु को उत्तेजित कर पाचनशक्ति बढाती हैं। आंतो में बनने वाली गैस को बनने से भी रोकती हैं।
गुड कालिमिर्ची पीसकर मिलाकर थोड़ा-थोड़ा रोजाना दिन में 3 बार खाएं और गर्म पानी पिएं।
पित्त, दौर्बल्य, नैत्रज्योतिवर्धक : चौथाई चम्मच पीसी कालिमिर्ची आधा चम्मच घी या मक्खन में मिलाकर चाटें जो इसके कड़वेपन के कारण नहीं खा सके वह इसमें मिश्री मिलाकर खा सकते हैं।
फुंसी, फोड़े कच्चे बिना पके, खुजली और दाद में उपरोक्त नुस्खे के साथ कालिमिर्ची पानी डालकर चटनी की तरह पीसकर लगाएं।
आधे सिर का वह दर्द जो की सूर्य उदय के साथ होता हो, इसमें कालिमिर्ची के 10 दाने और 2 चम्मच मिश्री को कुटपिसकर सुबह सूर्यौदय से पहले फांक लेने से लाभ होता हैं।
छुरी, चाक़ू से कटने पर घांव पर पानी डालकर साफ़ कर उस पर कालिमिर्ची का पाउडर छिड़कर दबा दें। खून बहना तत्काल रुक जायेगा। दर्द और इन्फेक्शन भी नहीं होंगे। क्योंकि कालिमिर्ची दर्द निवारक, एंटी बैक्टीरियल और एंटीसॉफ्टिक होती हैं। घाव पर कालिमिर्ची पाउडर से जलन भी नहीं होंगी।
एक परिवार में 5 व्यक्तियों के लिए चटनी का अनुपात मुनक्का 10, अदरक 10 ग्राम, लॉन्ग 5, तुलसी के पत्ते 20 और अपने टेस्ट के हिसाब से नमक, जीरा, कालिमिर्ची मिलाकर चटनी बनाकर हर तीसरे दिन खाते रहने से वर्षा ऋतू के दुष्प्रभाव से बचाव होता हैं।
चुटकीभर पीसी कालिमिर्ची एक चम्मच शहद में मिलाकर रोजाना 2 बार चाटें। इससे बुद्धि का विकास भी होगा।
30 ग्राम मक्खन या एक चम्मच घी में आटा कालिमिर्ची और शक्कर मिलाकर रोजाना चाटने से स्मरण शक्ति बढ़ती हैं। मस्तिष्क में तरावट आती हैं और बुद्धि प्रखर होती है। कमजोरी दूर होती हैं।
15 कालिमिर्ची, 2 बादाम, गिरी 5, मुनक्का 2 छोटी इलायची एक गुलाब का फूल आधा चम्मच पोस्ता के दाने सबको रात को एक कुल्ल्हड़ पानी से भरकर भिगो दें। सुबह सब को 250 ग्राम गर्म दूध में मिलाकर रोजाना कुछ महीनो तक पियें। इससे मस्तिष्क को तरावट मिलेगी थकान दूर होगी शक्ति बढ़ेगी।
12 कालिमिर्ची कूटकर घी में तलें। घी नितारकर इसमें गेहूं का आटा सेंक कर गुड या शकर डालकर हलुआ बनाकर उसमें तली हुई कालिमिर्ची डालकर सुबह शाम भोजन से पहले खाएं। चक्कर आना बंद हो जायेगा।
20 कालिमिर्ची गुलाबजल में पीसकर रात को चेहरे पर लगाएं और सुबह गर्म पानी से धोयें। इससे कील मुंहासे झूरिया साफ़ होकर चेहरा साफ़ होने लगता हैं।
5 कालिमिर्ची 10 तुलसी के पत्ते पीसकर शहद में मिलाकर 3 बार रोजाना चाटें।
इसमें 10 कालिमिर्ची पीसकर पानी से फांक लेने या खाने से लाभ होता हैं।
कालीमिर्च अलम्पित्त को ख़त्म करती हैं। 5 कालिमिर्ची का पाउडर प्याज और निम्बू का रस एक-एक चम्मच तीनो। तिन चम्मच पानी में मिलाकर एक बार रोजाना सुबह पियें। अलम्पित्त में फायदे होंगे। 
कालिमिर्ची का पाउडर घी शकर मिलाकर चौथाई चम्मच सुबह शाम लेने से शरीर बलवान रहता हैं।
10 कालिमिर्ची पीसकर एक ग्लास दूध में उबालकर मीठा डालकर पिने से पेट दर्द में लाभ होता हैं।
कालिमिर्ची, हींग, सोडा समान मात्रा में पिसलें। आधा-आधा चम्मच सुबह शाम गर्म पानी से फांक लें।
10 पीसी कालिमिर्ची, एक कप दंहि, जरा सा गुड मिलाकर रोजाना 2 बार खाने से नकसीर में लाभ होता हैं।
एक ग्लास दूध में चुटकी भर कालिमिर्ची और हल्दी डालकर उबालकर सोते समय गर्म-गर्म रोजाना पिएं।
10 कालिमिर्ची कूटकर एक ग्लास पानी में उबालकर गरारे करने से गला साफ़ हो जाता हैं, गले का दर्द, दांत दर्द, संक्रमण दूर हो जाता हैं।
जुकाम खांसी नाक बंद और एलर्जी हो तो सुबह शाम 5 साबुत कालिमिर्ची दांतों से अच्छी तरह चबाएं और एक ग्लास गुन-गुना दूध पियें। द��ध में अदरक और तुलसी के पत्तो का रस मिला लें और पियें। ऐसा 5 दिन तक लगातार करें। इससे जुकाम और एलर्जी में जल्द ही आराम मिलता हैं।
12 कालिमिर्ची 3 ग्राम ब्राह्मी की पत्तियां पीसकर आधा ग्लास पानी में छानकर रोजाना 2 बार पिएं।
नैत्रज्योतिवर्धक (आंखों की रोशनी बढ़ाना) : कालिमिर्ची नैत्रज्योति बढ़ाती हैं, घी कालिमिर्ची, मिश्री मिलाकर चाटें।
पीसी हुई कालिमिर्ची घी में मिलाकर चांदनी रात में खुले स्थान में रखें। सुबह होने से पहले खुले स्थान में से हटाले यह आधा चम्मच रोजाना खाएं।
अनियमित मासिक धर्म : एक चम्मच शहद में पीसी हुई 5 कालिमिर्ची मिलाकर लगातार २ महीने तक चाटने से मासिकधर्म नियमित हो जाता हैं, अन्य दोष भी दूर हो जाते हैं।
बहुत बारीक पीसी हुई कालीमिर्ची 2 चम्मच, 3 चम्मच देसी घी में मिलाकर लकवा ग्रस्त अंगो पर लैप और मालिश 10 दिन तक करें।
कालिमिर्ची चबाने से मुंह का स्वाद ठीक हो जाता हैं, जी नहीं मचलाता हैं।
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