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VASTU DOSH | घर से वास्तु दोष कैसे हटाए
VASTU DOSH | घर से वास्तु दोष कैसे हटाए
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Vastu Dosh At Home: कैसे पता करें कि घर में वास्तु दोष है या नहीं? जानें इसके कारण, लक्षण और निवारणVastu dosh, vastu dosh kya hota hai, vastu dosh ke upay, vastu dosh ke lakshan, vastu dosh kaise theek karen, vastu dosh ko kaise dur karen, Blogs Hindi News in Hindi, Blogs Hindi News in Hindi, Blogs Hindi Hindi News
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Vyapar Vriddhi Yantra is located in a business-related area. When it is regularly worshipped with a pure heart, doors to prosperity open up and company expansion becomes more difficult. When a firm is consistently losing money, repeating a mantra while having this yantra in front of you can make a huge profit.
Any negative energy that might exist in the plot or potential Vastu Shastra problems in the house can be resolved with the Vastu Dosh Nashak yantra. It restores equilibrium to the fundamental five elements of nature and cleanses the surrounding region of all negative energy.
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दुकान का वास्तु दोष निवारण कैसे करें?
व्यापार के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए बहुत लोग अपनी दुकान की सही वास्तु का ध्यान रखते हैं। वास्तु दोष का सामर्थ्य सही तरीके से निवारण करना आपके व्यापार को और भी सुखद बना सकता है।
Understanding Vastu Dosha
वास्तु दोष एक प्राचीन वास्तुशास्त्र में उपस्थित सूचना के अनुसार नकारात्मक ऊर्जा के स्थान को कहा जाता है जो किसी भी स्थान की सकारात्मक ऊर्जा को हमेशा के लिए बदल सकती है। दुकान में वास्तु दोष से बचने के लिए हमें इसे सही तरीके से समझना होगा।
Identifying Vastu Dosha in Your Shop
अपनी दुकान में वास्तु दोष की पहचान करने के लिए हमें उसके संकेतों को समझना होगा। सही ऊर्जा की दिशा और स्थान का ठीक से अनुकरण करने से हम इसे सुधार सकते हैं।
Common Vastu Doshas in Shops
कुछ सामान्य वास्तु दोष दुकानों में सामान्य हैं जो आपके व्यापार को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि प्रवेश की स्थिति, नकद काउंटर की स्थिति, और संग्रहण व्यवस्थाओं की स्थिति।
Remedies for Entrance Placement Dosha
उचित प्रवेश दिशा और डिज़ाइन का अनुसरण करने से हम अपनी दुकान के प्रवेश से संबंधित समस्याओं को ठीक कर सकते हैं।
Optimal Cash Counter Position
कैश काउंटर की उचित स्थिति का महत्वपूर्ण होता है और हमें इसे सही तरीके से रखना चाहिए।
Ideal Storage Arrangements
भंडारण स्थान का सही ढंग से प्रबंधन करने का भी महत्व है क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह को प्रभावित कर सकता है।
Enhancing Positive Energies
सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित करने के लिए रंग और प्रतीकों का उपयोग करें और दुकान में वास्तु-सौहार्दपूर्ण डिकॉर को शामिल करें।
Rituals and Practices for Vastu Dosha Nivaran
ऊर्जा को मिलान के लिए वास्तु पूजा और अन्य रीतिरिवाज करना महत्वपूर्ण है और रोजाना की प्रथाएं भी सकारात्मक आवृत्ति को बनाए रख सकती हैं।
Seeking Professional Help
वास्तु दोषों की पहचान और सुधार करने में वास्तु विशेषज्ञों का महत्वपूर्ण योगदान होता है और सही वास्तु सलाहकार का चयन कैसे करें, इस पर विचार करें।
Real-Life Success Stories
वास्तु सुधारों से लाभ प्राप्त करने वाले व्यापारों की कहानियों का साझा करें और उन्होंने वास्तु उपायों के माध्यम से चुनौतियों को कैसे पार किया।
Customer Experiences
उन दुकानदारों की प्रतिक्रियाएँ शेयर करें जिन्होंने वास्तु समाधानों को अपनाया और उससे कैसे उन्हें फर्जी हुआ।
The Science Behind Vastu
वास्तु के वैज्ञानिक पहलुओं को संक्षेप में जांचें और ऐस्थानिक ज्ञान को आधुनिक परिप्रेक्ष्य से जोड़ें।
Tips for Sustaining Vastu Harmony
सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने के लिए नियमित मूल्यांकन और समायोजन के लिए टिप्स दें ताकि पढ़ने वाला सकारात्मक योजना को बनाए रख सके।
Conclusion
समापन में, यह सारांश में कह सकते हैं कि वास्तु दोष निवारण एक महत्वपूर्ण कदम है जो एक दुकान को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकता है और सफलता में मदद कर सकता है।
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अक्सर हम में से कई लोग दिन रात मेहनत करने के बाद भी अपने जीवन में सफलता हासिल ��हीं कर पाते है। किसी को जीवन भर बीमारियां घेरे रखती है तो किसी की तरक्की में रूकावटे आने लगती है। आपको बता दें इन सब के पिछे और कुछ नहीं बल्कि हमारे घर का वास्तु होता है। वास्तु शास्त्र का हमारे जीवन में बेहद महत्व होता है, घर में रखी हर एक वस्तु का सीधा सीधा संबध घर के वास्तु से होता है। कैसे पता करें कि घर में वास्तु दोष है या नहीं?
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पारस: हिंदू धर्म में शंख का क्यों है इतना महत्व ?
पारस: हिंदू धर्म में शंख का महत्व
पारस परिवार के संस्थापक, आदरणीय “महंत श्री पारस भाई जी” एक सच्चे मार्गदर्शक, एक महान ज्योतिषी, एक आध्यात्मिक लीडर, एक असाधारण प्रेरक वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो देश और समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करना। लोगों को अँधेरे से निकालकर उनके जीवन में रोशनी फैलाना।
“पारस परिवार” हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। पारस परिवार से जो भी जुड़ जाता है वो इस परिवार का एक अहम हिस्सा बन जाता है और यह संगठन और भी मजबूत बन जाता है। जिस तरह एक परिवार में एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। ठीक उसी तरह पारस परिवार भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का सम्मान करता है और जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ यह परिवार एकजुट की भावना रखता है ।
‘महंत श्री पारस भाई जी’ एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जहाँ जाति-धर्म के नाम पर झगड़े न हों और जहाँ आपस में लोग मिलजुलकर रहें। साथ ही लोगों में द्वेष न रहे और प्रेम की भावना का विकास हो। पारस परिवार निस्वार्थ रूप से जन कल्याण की विचारधारा से प्रभावित है।
इसी विचारधारा को लेकर वह भक्तों के आंतरिक और बाहरी विकास के लिए कई आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र (Spiritual Sector) की बात करें तो महंत श्री पारस भाई जी “दुख निवारण महाचण्डी पाठ”, “प्रार्थना सभा” और “पवित्र जल वितरण” जैसे दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जिससे वे भक्तों के दुखों का निवारण, उनकी आंतरिक शांति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए समर्पित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो पारस परिवार सामाजिक जागरूकता और समाज कल्याण के लिए भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लंगर, धर्मरथ और गौ सेवा जैसे महान कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा और मध्य प्रदेश में “डेरा नसीब दा” जैसे महान कार्य का निर्माण भी है, जहाँ जाकर सोया हुआ नसीब भी जाग जाता है।
महंत श्री पारस भाई जी शंख के महत्व के बारे में बताते हैं कि जिस घर में शंख होता है, वहां हमेशा देवी लक्ष्मी का वास होता है। शंख की पवित्रता और शुद्धता को आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि इसे सभी देवताओं ने स्वयं अपने हाथों में धारण किया है।
सनातन धर्म या हिंदू धर्म में शंख का विशेष महत्व है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि हिंदू धर्म में शंख को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना गया है। क्योंकि सनातन परंपरा में जब भी कोई शुभ कार्य, पूजा पाठ, हवन आदि होता है तो शंख अवश्य बजाया जाता है। चलिये आज इस आर्टिकल में हम आपको शंख के महत्व और इसके लाभ के बारे में बताते हैं।
भगवान विष्णु को शंख अत्यंत प्रिय है
मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकले 14 कीमती रत्नों से शंख की उत्पत्ति हुई थी। शंख समुद्र मंथन में से निकले 14 रत्नों में से एक है। भगवान विष्णु को शंख अत्यंत प्रिय है इसलिए भगवान श्री नारायण की पूजा में शंखनाद जरूर होता है। उत्तर पूर्व दिशा में शंख रखने से घर में खुशहाली आती है। भगवान विष्णु हमेशा अपने दाहिने हाथ में शंख पकड़े हुए दिखाई देते हैं। शंख हिंदू धर्म और धार्मिक परंपरा का एक अभिन्न अंग है। जब शंख बजाया जाता है तो ऐसा कहा जाता है कि इससे वातावरण की सारी नकारात्मकता दूर होती है और शंख की ध्वनि से वातावरण बुरे प्रभावों से मुक्त हो जाता है।
शंख सुख-समृद्धि और शुभता का कारक
पूजा पाठ या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में शंख का उपयोग किया जाता है। शंख की ध्वनि जीवन में आशा का संचार करके बाधाओं को दूर करती है। पूजा करते समय शंख में रखा जल छिड़क कर स्थान की शुद्धि की जाती है। सनातन धर्म में किसी भी पूजा-पाठ के पहले और आखिरी में शंखनाद जरूर किया जाता है। पूजा-पाठ के साथ हर मांगलिक कार्यों के दौरान भी शंख बजाया जाता है। शंख को सुख-समृद्धि और शुभता का कारक माना गया है। शंख बजाए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
शंख के लाभ
शंख बजाने से हमारी सेहत भी अच्छी बनी रहती है।
हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं और सांस लेने की समस्या दूर होती है।
नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और वातावरण शुद्ध होता है।
वास्तु शास्त्र में शंख का विशेष महत्व है।
शंख को घर में रखने से यश, उन्नति, कीर्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इससे आरोग्य वृद्धि, पुत्र प्राप्ति, पितृ दोष शांति, विवाह आदि की रुकावट भी दूर होती है।
शंखनाद से अद्भुत शौर्य और शक्ति का अनुभव होता है इसलिए योद्धाओं द्रारा इसका प्रयोग किया जाता था।
शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
महत्व
पूजा-पाठ में शंख का विशेष महत्व माना जाता है। शंख का प्रयोग वास्तु दोषों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। इसके साथ ही शंख बजाने का संबंध स्वास्थ्य से भी है। शंख की पूजा के बारे में महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि तीर्थों में जाकर दर्शन करने से जो शुभ फल प्राप्त होता है, वह शंख को घर में रखने और दर्शन करने मात्र से ही पूरा हो जाता है। धार्मिक कार्यों में शंख बजाना बहुत ही अच्छा माना जाता है।
माना जाता है कि देवताओं को शंख की आवाज बहुत पसंद होती है इसलिए शंख की आवाज से प्रसन्न होकर भगवान भक्तों की हर इच्छा को पूरी करते हैं। वास्तु के अनुसार शंख बजाने से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में पूजा में न केवल शंख का इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि शंख की भी पूजा की जाती है।
महंत पारस भाई जी ने बताया कि अथर्ववेद में शंख को पापों का नाश करने वाला, लंबी आयु का दाता और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला बताया गया है।
महंत श्री पारस भाई जी बताते हैं कि शंख से घर में पॉजिटिव वाइब्स आती है। शंख से निकलने वाली ध्वनि से बीमारियों के कीटाणु खत्म होते हैं, जिससे आप स्वस्थ रहते हैं।
ध्वनि का प्रतीक माना जाता है शंख
शंख नाद ध्वनि का प्रतीक माना जाता है। शंख की ध्वनि आत्म नाद यानि आत्मा की आवाज की शिक्षा देती है। अध्यात्म में शंख ध्वनि, ओम ध्वनि के समान ही मानी गई है। शंख एकता, व्यवस्था और अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है। शंख बजाने से घर की सभी बुराईयां नष्ट होती हैं और घर का वातावरण अच्छा रहता है। शंख जीव को आत्मा से जुड़ने का ज्ञान देता है।
पूजा में क्यों जरूरी माना जाता है शंख?
पूजा घर में दक्षिणावर्ती शंख रखना और बजाना अत्यंत शुभ माना जाता है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनि, पूजा या यज्ञ में शंख का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। शंख बजाने के बाद ही कोई भी पूजा सफल मानी जाती है। शंख बजाने से ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है।
सुबह-शाम शंख बजाने से आपका परिवार बुरी नजर से बचा रहता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि सभी समस्याओं और दोषों को दूर करती है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां पर माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
शंख का पूजन कैसे करें
घर में नया शंख लाने के बाद उसे सबसे पहले किसी साफ बर्तन में रखकर अच्छी तरह से जल से साफ कर लें। इसके बाद शंख का गाय के कच्चे दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। अब शंख को पोंछकर चंदन, पुष्प, धूप और दीप से पूजन करें। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का स्मरण करें और हाथ जोड़कर निवेदन करें कि वो हमारे घर में आयें और इस शंख में आकर वास करें।
महान ज्योतिष महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि हर दिन इसी तरह शंख की सच्चे भाव से पूजा करने के बाद ही इसे बजायें। क्योंकि ऐसा करने पर आपको अवश्य ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
दूर होती हैं कई बीमारियां
कहते हैं रोजाना शंख बजाने से हमारी मांसपेशियां मजबूत होती हैं। जिस कारण पेट, छाती और गर्दन से जुड़ी बीमारियां दूर होती हैं। साथ ही शंखनाद से श्वास लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। शंख बजाने से सांस की समस्याएं भी खत्म होती हैं। सांस की प्रक्रिया सही तरीके से चलती है और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। इसके अलावा इससे थायराइड या बोलने संबंधित बीमारियों में राहत मिलती है।
जब हम शंख बजाते हैं तो तब हमारी मांसपेशियों में खिंचाव आता है जिसकी वजह से झुर्रियों की समस्या भी दूर होती है। शंख में कैल्शियम होता है। यदि आपको त्वचा से संबंधित कोई रोग है तो रात को शंख में पानी भरकर रख दें और फिर सुबह उस पानी से त्वचा पर मालिश करें। ऐसा करने पर त्वचा से संबंधित रोग दूर हो जाते हैं। शंख बजाने से हृदय रोग भी दूर होते हैं।
शंख बजाने से तनाव तो दूर होता ही है, साथ ही मन शांत रहता है। माना जाता है कि यदि आप प्रतिदिन शंख बजाते हैं तो दिल का दौरा पड़ने की संभावना काफी कम हो जाती है।
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अति शीघ्र धन प्राप्ति के उपाय - अपार धन प्राप्ति के लिए आजमाएं ५ अचूक उपाय
अति शीघ्र धन प्राप्ति के उपाय – अपार धन प्राप्ति के लिए आजमाएं ५ अचूक उपाय – धन की आवश्यकता हर किसी को होती हैं। लेकिन जब व्यक्ति मेहनत करने के बावजूद गरीबी के दलदल में फंस जाता हैं तो पैसे के लिए दर-दर की ठोकरें खाता फिरता हैं। शिक्षित और योग्य होने के बावजूद अगर आप गरीब हैं तो इसकी वजह घर की खराब वास्तु, ग्रह दोष और आपके पूर्व जन्म के बुरे कर्म हो सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार, अगर कुंडली के ४थे…
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सावन में जरूर लगाएं ये पौधे होगी भोलेनाथ की कृपा
सावन का महीना शुभ होता है और शिव जी का प्रिय महीना होता है।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सावन में कुछ पौधे लगाने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। और वास्तु दोष भी दूर होते है।
जाने वो कोनसे पौधे है जिनको सावन में जरूर लगाना चाहिए।
सावन के महीने में तुलसी का पौधा लगाना शुभ होता है
सावन के महीने में केले का पौधा घर की पीछे की तरफ लगाना शुभ होता है।
सावन में रात के समय अनार का पौधा लगाना काफी शुभ माना जाता है।
सावन के महीने में शनिवार के दिन शमी का पौधा घर के मुख्य द्वार के बाई और लगाना शुभ होता है।
कॉमेंट बॉक्स में हर हर महादेव लिखना ना भूले
ऐसी ही और जानकारी के लिए चैनल को फॉलो और सब्सक्राइब करना न भूले
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घर में करें वास्तु शांति पूजा
वास्तु पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू परंपरा है जिसका पालन अ��्छे स्वास्थ्य और समृद्धि को बनाए रखने के लिए किया जाता है। वास्तु पूजा से घर के वास्तु दोष को भी दूर करने में मदद मिलती है और घर में समृद्धि आती है। इसमें कई अनुष्ठान शामिल होते हैं जो नकारात्मक प्रभावों को दूर करने और उन्हें सकारात्मक प्रभावों से बदलने के लिए आयोजित किए जाते हैं। वैकुंठ के माध्यम से वास्तु पूजा से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर किया जाता है जिसमें विवाह, आपसी संबंध, नौकरी आदि शामिल हैं।
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Shaligram Puja Niyam: घर में शालीग्राम रखने से पहले इन बातों को जान लेना है बेहद जरूरी, वरना पड़ सकता है भारी
Vishnu Shaligram Puja Rules: शालीग्राम को भगवान विष्णु का रूप मानते हैं. विष्णु पुराण के अनुसार जो व्यक्ति शालीग्राम को अपने घर में रखता है और रोजाना उसकी पूजा करता है उसे भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. हालांकि इसे घर में रखने से पहले इससे जुड़े नियमों का पालन करना जरूरी है.
Shaligram Puja Niyam: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार शालीग्राम को विष्णु का विग्रह रूप माना जाता है. विष्णु पुराण के अनुसार जो व्यक्ति शालीग्राम को अपने घर में रखता है और रोजाना उसकी पूजा-पाठ करता है उसे भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. ऐसा घर तीर्थ समान होता है जहां सुख-समृद्धि, खुशहाली की कभी कमी नहीं होती.
अगर आप भी अपने घर में शालीग्राम रखना चाहते है तो सबसे पहले इसे जुड़े नियम जानना बेहद जरूरी है. तो आइए विस्तार से जानते हैं कि शालीग्राम को स्थापित करने से पहले किन नियमों का पालन करना जरूरी होता है.
घर में शालीग्राम रखने से पहले जान लें नियम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार घर में कभी भी शालीग्राम को स्थापित करने से पहले इस बात का ख्याल रखें कि इसे हमेशा खरीदकर ही अपने घर में स्थापित करें. किसी से उपहार में ऐसे कभी नहीं लेना चाहिए.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार घर में शालीग्राम हमेशा एक ही होना चाहिए. यदि आपके घर एक से ज्यादा शालीग्राम है तो इसे क्षमा मांगते हुए नदी में बहा दें.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शालीग्राम की पूजा करते वक्त अक्षत का इस्तेमाल न करें. यदि आप अक्षत चढ़ाना चाहते हैं तो हमेशा पीले रंग के अक्षत का इस्तेमाल करें.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस घर में शालीग्राम स्थापित होता है उस घर में मांस, मदीरा, गुटखा आदि नशे से जुड़ी चीजों का सेवन वर्जित माना गया है. इससे इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शालीग्राम को तुलसी के पौधे के साथ रखना चाहिए. इससे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शालीग्राम को रोजाना पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए. ये शुभ माना जाता है. इससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.
ऐसे करें पूजा
शालीग्राम की पूजा करने से पहले सबसे पहले स्नान आदि से निवृत हो जाएं. अब शालीग्राम को पंचामृत (दूध, दही, शहद, गंगाजल और घी) से स्नान कराएं. इसके बाग चंदल, फूल आदि चढ़ाएं. अब घी का दीपक जलाएं और भोग लगाएं. भोग में तुलसी का पत्ता जरूर रखें और अब विष्णु भगवान की आरती करें.
इस तरह करें पूजा
सुबह स्नान आदि से निवृत होकर सबसे पहले शालिग्राम को स्नान कराएं। इसके बाद चंदन, फूल, भोग आदि अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं। भोग में तुलसी दल जरूर डालें। इससे वह प्रसन्न होते हैं, जिससे साधक के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। अंत में परिवार के साथ विष्णु जी की आरती करें।
इस तरह कराएं स्नान
भगवान शालिग्राम को रोजाना पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, जल, शहद और घी को मिलाएं। स्नान कराने के बाद इस चरणामृत को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और अन्य लोगों में भी बांटे।
इन बातों का रखें ध्यान
शालिग्राम की पूजा में इस बात का ध्यान रखें कि शालिग्राम जी की पूजा का क्रम टूटना नहीं चाहिए। इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि घर में केवल एक ही शालिग्राम रखना चाहिए। एक से अधिक शालिग्राम रखने पर वास्तु दोष लग सकता है।
जिस घर में शालिग्राम जी की पूजा की जाती है, वहां मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही शालिग्राम की के पूजा स्थान पर साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें और उनके साथ विष्णु जी की तस्वीर या प्रतिमा भी जरूर रखनी चाहिए।
Shaligram Stone : अयोध्या में रामलाल की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल ���े शालिग्राम की खास शिलाएं मंगवाई गई हैं. सनातन धर्म में शालिग्राम पत्थर को साक्षात भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है और प्रभु राम विष्णु जी के ही सातवें अवतार माने जाते हैं. शालिग्राम को कुछ लोग अपने घर के मंदिर या पूजा के स्थान पर रखते हैं. इसे घर में रखने से न केवल भगवान विष्णु प्रसन्न रहते है, बल्कि धन की देवी माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शालिग्राम को घर में स्थापित करने के बाद कुछ खास नियमों की अनदेखी इंसान को बर्बाद भी कर देती है.
अक्षत न चढ़ाएं - ज्योतिषियों का कहना है कि शालिग्राम महाराज पर कभी भी अक्षत यानी चावल नहीं चढ़ाना चाहिए. हर महीने आने वाली एकादशी भगवान विष्णु को ही समर्पित होती है और इसमें भी श्री हरि को अक्षत अर्पित नहीं किया जाता है.
मेहनत की कमाई लाएं शालिग्राम - अगर आप अपने घर में शालिग्राम को स्थापित करना चाहते हैं तो हमेशा अपनी मेहनत की कमाई से ही इसे खरीदकर घर लाएं. यह न तो किसी गृहस्थ इंसान को उपहार के रूप में देना चाहिए और न ही किसी से लेना चाहिए. आप या तो इसे अपनी कमाई से खरीद सकते हैं या फिर किसी साधु-संत से ले सकते हैं.
एक ही रखें शालिग्राम - शालिग्राम के उपयोग से घर के सभी वास्तु दोष दूर हो जाते हैं. शालिग्राम करीब 33 प्रकार के हैं, जिनमें से 24 को श्री हरि भगवान विष्णु के अवतार के रूप में देखा जाता है. शालिग्राम जिस घर में होता है, वहां कभी लोगों पर संकट नहीं आता है. हालांकि ज्योतिषविद कहते हैं कि हमें घर में सिर्फ एक ही शालिग्राम रखना चाहिए. एक से ज्यादा शालिग्राम भूलकर भी न रखें.
घर में मांस-मदिरा का सेवन- यदि आपने घर के मंदिर में शालिग्राम रखा है तो आपको मांस या मदिरा-पान के सेवन से परहेज करना चाहिए. अगर ऐसा करना आपके लिए संभव नहीं है तो कम से कम गुरुवार के दिन ऐसी चीजों से बिल्कुल दूर रहें. यह दिन भगवान विष्णु को ही समर्पित होता है. अगर आप इस नियम का पालन नहीं कर पा रहे हैं तो शालिग्राम को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें.
पूजा का क्रम न तोड़ें- ज्योतिषियों का कहना है कि घर में एक बार शालिग्राम की पूजा का क्रम शुरू हो जाए तो इसे बिल्कुल नहीं तोड़ना चाहिए. यानी नियमित तौर पर शालिग्राम की पूजा जरूरी है. शालिग्राम को नियमित चंदन, पुष्प, मिष्ठान आदि अर्पित करते रहें. पूजा के समय अगर आप तुलसी दल भी अर्पित कर पाएं तो ये बहुत ही उत्तम होगा.
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Vastu Tips: वास्तु दोष से हैं परेशान? तो जानें दूर करने के आसान तरीकेVastu Tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में रखी हर चीज और दिशा का विशेष महत्व होता है। वास्तु के अनुसार घर की हर दिशा से विशेष संकेत मिलते हैं।
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