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#वास्तु-संग
mypanditastrologer · 6 months
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ragbuveer · 1 year
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌺 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌺
🔔 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (द्वादशी तिथि व श्राद्ध)*🔔
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
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#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-11-अक्टूबर-2023
वार:---------बुधवार
तिथी :--------12द्बादशी:-17:38
पक्ष:---------कृष्णपक्ष
माह:--------आश्विन
नक्षत्र:-------मधा:-08:45
योग:--------शुभ:-08:42
करण:--------तैतिल:-17:38
चन्द्रमा:------सिंह
सुर्योदय:-------06:38
सुर्यास्त:--------18:11
दिशा शूल------- उत्तर
निवारण उपाय:---गुड का सेवन
ऋतु :---------------शरद ऋतु
गुलीक काल:---10:46से 12:14
राहू काल:-------12:14से13:41
अभीजित-------- नहीं है
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
लाभ:-06:38से08:06तक
अमृत:-08:06से09:33तक
शुभ:-11:00से12:27तक
चंचल:-15:16से 16:43तक
लाभ:-16:43से 18:11तक
🌓चोघङिया रात🌗
शुभ:-19:47से21:20तक
अमृत :-21:20से22:54तक
चंचल :-22:54से00:28तक
लाभ :-03:36से05:06तक
🙏आज के विशेष योग 🙏
वर्ष का203वाँ दिन, द्बादशी श्राद्ध, रेटिया बारस, संन्यासियों का श्राद्ध, सूर्य चित्रा पर 07:59, संग सू.चंद्र स्त्री स्त्री वाहन मूषक, वर्षा मध्यम, राजयोग 08:45से17:37तक, वैधृति महापात 29:24से,
👉वास्तु टिप्स👈
श्राद्ध पक्ष के दौरान मसूर की दाल का सेवन ना करे।
सुविचार
दूसरों को दुःखी देखकर उनके सहायक बनें।
👍 राधे राधे...
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*दांतों में सड़न को दूर करने के घरेलू उपाय -*
*1. नमक पानी -*
यह दांत से संबंधित दर्द के लिए सबसे आम घरेलू उपाय है। यह मुंह से बैक्टीरिया को मुक्त रखता है और कैविटी से चिपचिपापन को हटा देता है। इसके लिए आप एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच नमक या सेंधा नमक डालिए। इसे अच्छी तरह से मिक्स करके गरारे कीजिए। आपको जरूर फायदा मिलेगा।
*2. लौंग का तेल -*
एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों के कारण लौंग एक बेहतरीन औषधि है तथा भारत के व्यंजनों में लौंग का इस्तेमाल कई तरीकों से किया जाता है। इससे बना तेल दांतों में सड़न को दूर करने का बहुत ही अच्छा रामबाण उपाय है। लौंग का तेल कैविटी और दांत के सड़न के कारण होने वाले दर्द से आपको बहुत ही आराम देता है। लौंग में यूजीनॉल होता है, जो नैचुरल एंटीसेप्टिक हैं। इसके एंटीमाइक्रोबायल घटक विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, कवक, और वायरस के विकास को रोकते हैं। आप लौंग के तेल को कॉटन में डिप करके दांत के प्रभावित क्षेत्र में रख सकते हैं।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
रुका हुआ धन मिल सकता है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे। चिंता रहेगी।
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
कार्यप्रणाली में सुधार होगा। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा। लेन-देन में सावधानी रखें। पूजा-पाठ में मन लगेगा।
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
तीर्थदर्शन संभव है। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। धनार्जन होगा। व्यापारिक गतिविधियां तेज होंगी।
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
क्रोध ���र नियंत्रण रखें। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। घर-बाहर अशांति रह सकती है।
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। लाभ होगा।
👱🏻‍♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
बेचैनी रहेगी। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। रोजगार मिलेगा। स्वास्‍थ्य कमजोर रहेगा।
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
भागदौड़ रहेगी। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता अर्जित करेगा। धनार्जन होगा।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
व्यर्थ दौड़धूप रहेगी। शोक समाचार मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
चोट व रोग से बचें। प्रयास सफल रहेंगे। मान-सम्मान मिलेगा। धनलाभ होगा। चिंता बनी रहेगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
पुराने मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। शुभ समाचार मिलेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद न करें।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
बेरोजगारी दूर होगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। प्रसन्नता रहेगी।
🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
आकस्मिक खर्च अधिक होंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। पुराना रोग उभर सकता है। जोखिम न लें।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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dranandbhardwaj · 3 years
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कमरों व दीवारों के रंग-वास्तु के संग-Vastu for colours, wall colours acc...रंगों से रंगीन हो यह ज़िंदगी -Vastu for colours with details of wall colors according to Vastu, घर की ऊर्जा- रंगो से बढे, कलर- ऊर्जा बढ़ाने का सशक्त माध्यम Yes, it is very strong energy booster. Hence we call दीवारों के रंग- वास्तु के संग and define the Wall colours Vastui हर कमरे का रंग हो वास्तु अनुसार so that it may work as a Vastu remedies and we assume 100 वास्तुदोष दूर करें रंग as रंगों की ऊर्जा- वास्तु के संग and this is खुशहाल ज़िंदगी का एक रहस्य यह भी. Dr. Anand Bhardwaj expert Vastu for home defines the fact & figures of Vastu for colours that includes Vastu for black colour, Vastu for Red colour, Vastu for Dark Brown colour, Vastu for White colour, Vastu for Yellow colour, Vastu for Green colour, Vastu for Pink colour, Vastu for Grey colour etc covering all the colours & shades which are important to discuss here. Therefore wall colors according to Vastu should be positive. Friends Vastu for bedroom colour and Vastu for kitchen colour are totally different because bedroom should be soothing and the kitchen should we aggressive and all the positive Colours for the master bedroom as well as Vastu colours for the children bedroom are very essential so that the positive energy increases inside the house with wall colours and wall paints as per Vastu shastra. Vastu Colours for home defines all types of colours and Shades which are available in the market and the big companies are manufacturing and selling most of the shades and we can have the shades or colour from the paint shop and they prepare the computerized paint as per your requirement and the shade or wall colour is exactly the same as you perceive. Here we will be define about puja room colour as well as colour combination for bedroom according to Vastu because master bedroom colour as per Vastu is very important factor when we define the positivity and negativity which is generated by the colours as per Vastu shastra. Now let us discuss the thumb rule of Vastu colours as colour as per Vastu is believe and south wall colour as per Vastu is red whereas the green wall can be the red colour and West wall can be the metallic colour including light grey and white which are the best colours. This is the easy formula on the basis of this formula everybody can assume what colour is good for his house as per Vastu shastra if he believes in Vastu Shastra because Vastu Colours for hall and Vastu Colours for main door, main entry gate the colours for the boundary wall are totally different because they are dependent on the directions only. Dark Grey colour as per Vastu is not much appreciated because that is the colour of Ashes. South west bedroom colour as per Vastu is different if the bedroom is located in south east and South East bedroom should be painted in red, pink, purple, violet and it also may be green or light green but that south-east room should be given to the guest or it may be a play room with main TV room or home theatre etc. but not the master bedroom. Somebody ask that Vastu colour for main gate and Vastu colour for main door to be different yes says Dr. Anand Bhardwaj Vastu expert and master in Vastu correction without emulation and he also deals in Vastu for home.
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darshaknews · 4 years
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#Bollywood #AliaBhatt रणबीर कपूर के टावर में आलियाने 32 करोड़ का घर खरीदा
#Bollywood #AliaBhatt रणबीर कपूर के टावर में आलियाने 32 करोड़ का घर खरीदा
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 दीपिका और कैटरीना को डेट करने के बाद आलिया भट्ट संग रणबीर रिलेशन में हैं। आलिया भट्ट ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ से कदम रखा था। कोरोना वायरस लॉकडाउन में भी खबरों के मुताबिक, आलिया, रणबीर संग उनके अपार्टमेंट में रह रही थीं। 
लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, एक्ट्रेस ने 32 करोड़ का घर खरीदा है जो रणबीर कपूर के टावर में है। यह अपार्टमेंट 2460 sq.feet है। बांद्रा स्थित वास्तु…
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bisaria · 6 years
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हिमालय सदियों से ऋषि-मुनियों तथा देवताओं की तप:स्थली रहा है। महान् विभूतियों ने यहाँ तपस्या करके आध्यात्मिक शक्ति अर्जित की और विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया। उत्तराखण्ड प्रदेश के हिमालय क्षेत्र में चारधाम के नाम से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री तथा यमुनोत्री प्रसिद्ध हैं। ये तीर्थ देश के सिर-मुकुट में चमकते हुए बहुमूल्य रत्न हैं। इनमें बद्रीनाथ और केदारनाथ तीर्थो के दर्शन का विशेष महत्त्व है। केदारखण्ड में द्वादश (बारह) ज्योतिर्लिंग में आने वाले केदारनाथ दर्शन के सम्बन्ध में लिखा है कि जो कोई व्यक्ति बिना केदारनाथ भगवान का दर्शन किये यदि बद्रीनाथ क्षेत्र की यात्रा करता है, तो उसकी यात्रा निष्फल अर्थात् व्यर्थ हो जाती है-
अकृत्वा दर्शनं वैश्वय केदारस्याघनाशिन:। यो गच्छेद् बदरीं तस्य यात्रा निष्फलतां व्रजेत्।।
श्री केदारनाथ जी का मन्दिर पर्वतराज हिमालय की 'केदार' नामक चोटी पर अवस्थित है। इस चोटी की पूर्व दिशा में कल-कल करती उछलती अलकनन्दा नदी के परम पावन तट पर भगवान बद्री विशाल का पवित्र देवालय स्थित है तथा पश्चिम में पुण्य सलिला मन्दाकिनी नदी के किनारे भगवान श्री केदारनाथ विराजमान हैं। अलकनन्दा और मंदाकिनी उन दोनों नदियों का पवित्र संगम रुद्रप्रयाग में होता है और वहाँ से ये एक धारा बनकर पुन: देवप्रयाग में ‘भागीरथी-गंगा’ से संगम करती हैं। देवप्रयाग में गंगा उत्तराखण्ड के पवित्र तीर्थ 'गंगोत्री' से निकलकर आती है। देवप्रयाग के बाद अलकनन्दा और मंदाकिनी का अस्तित्त्व विलीन होकर गंगा में समाहित हो जाता है तथा वहीं गंगा प्रथम बार हरिद्वार की समतल धरती पर उतरती हैं। भगवान केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद बद्री क्षेत्र में भगवान नर-नारायण का दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। और उसे जीवन-मुक्ति भी प्राप्त हो जाती है। इसी आशय को शिव पुराण के कोटि रुद्र संहिता में भी व्यक्त किया गया है-
तस्यैव रूपं दृष्ट्वा च सर्वपापै: प्रमुच्यते। जीवन्मक्तो भवेत् सोऽपि यो गतो बदरीबने।। दृष्ट्वा रूपं नरस्यैव तथा नारायणस्य च। केदारेश्वरनाम्नश्च मुक्तिभागी न संशय:।।[1]
वास्तु शिल्प
केदारेश्वर (केदारनाथ) ज्योतिर्लिंग के प्राचीन मन्दिर का निर्माण पाण्डवों ने कराया था, जो पर्वत की 11750 फुट की ऊँचाई पर अवस्थित है। पौराणिक प्रमाण के अनुसार ‘केदार’ महिष अर्थात् भैंसे का पिछला अंग (भाग) है। केदारनाथ मन्दिर की ऊँचाई 80 फुट है, जो एक विशाल चौकोर चबूतरे पर खड़ा है। इस मन्दिर के निर्माण में भूरे रंग के पत्थरों का उपयोग किया गया है। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि, यह भव्य मन्दिर प्राचीन काल में यान्त्रिक साधनों के अभाव में ऐसे दुर्गम स्थल पर उन विशाल पत्थरों को लाकर कैसे स्थापित किया गया होगा? यह भव्य मन्दिर पाण्डवों की शिव भक्ति, उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति तथा उनके बाहुबल का जीता जागता प्रमाण है।
इस मन्दिर में उत्तम प्रकार की कारीगरी की गई है। मन्दिर के ऊपर स्तम्भों में सहारे लकड़ी की छतरी निर्मित है, जिसके ऊपर ताँबा मढ़ा गया है। मन्दिर का शिखर (कलश) भी ताँबे का ही है, किन्तु उसके ऊपर सोने की पॉलिश की गयी है। मन्दिर के गर्भ गृह में केदारनाथ का स्वयंमभू ज्योतिर्लिंग है, जो अनगढ़ पत्थर का है। यह लिंगमूर्ति चार हाथ लम्बी तथा डेढ़ हाथ मोटी है, जिसका स्वरूप भैंसे की पीठ के समान दिखाई पड़ता है। इसके आस-पास सँकरी परिक्रमा बनी हुई है, जिसमें श्रद्धालु भक्तगण प्रदक्षिणा करते हैं। इस ज्योतिर्लिंग के सामने जल, फूल, बिल्वपत्र आदि को चढ़ाया जाता है और इसके दूसरे भाग में यात्रीगण घीपोतते हैं। भक्त लोग इस लिंगमूर्ति को अपनी बाँहों में भरकर भगवान से मिलते भी हैं।
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केदारनाथ मन्दिर
अन्य मंदिर और कुण्ड
मन्दिर के जगमोहन में द्रौपदी सहित पाँच पाण्डवों की विशाल मूर्तियाँ हैं। केदारनाथ-मन्दिर के प्रवेश द्वार पर नन्दी की विशाल प्रतिमा स्थापित है और वहाँ से दक्षिण की ओर एक पहाड़ी पर श्री भैरव जी का एक सुन्दर मन्दिर है। केदारनाथ-मन्दिर के द्वार पर दोनों ओर द्वारपालों की मूर्तियाँ हैं। केदारनाथ की श्रृंगार मूर्ति पाँच मुखवाली है और इसे हमेशा वस्त्र तथा आभूषणों से सजाया जाता है। मन्दिर में उक्त मूर्तियों के अतिरिक्त पन्द्रह अन्य देवमूर्तियाँ भी स्थापित हैं। मन्दिर से पीछे लगभग तीन हाथ लम्बा एक कुण्ड है, जिसे 'अमृतकुण्ड' कहा जाता है। इस अमृतकुण्ड में दो शिवलिंग हैं। इनके पूर्व और उत्तर भाग में 'हंसकुण्ड' और 'रेतसकुण्ड' स्थित हैं। यहाँ की परम्परा है कि रेतसकुण्ड में पैर (जंघा) टेककर बायें हाथ से तीन आचमन किये जाते हैं। यहीं पर ईशानेश्वर-महादेव की प्रतिमा विराजमान है। वासुकी ताल केदारनाथ से 8 किमी की दूरी पर और समुद्रतल से 4135 मी की ऊँचाई पर स्थित है। यह झील शानदार हिमालय पर्वतश्रृंखलाओं के बीच स्थित है और उत्तराखण्ड का महत्वपूर्ण पर्यटक गंतव्य है।
केदारनाथजी के मन्दिर के सामने एक छोटे मन्दिर में 'उदक कुण्ड' है। इस कुण्ड में भी रेतसकुण्ड के समान ही आचमन लेने की प्रथा प्रचलित है। इस मन्दिर के पीछे मीठे जल का एक कुण्ड स्थित है, जिसका पानी भक्तगण पीते हैं। श्रावण के महीने में केदारेश्वर की पूजा गंगाजल, बिल्वपत्र तथा ब्रह्मकमल के फूलों से की जाती है। केदारघाटी के इस क्षेत्र में पंचकेदार (पाँच केदारनाथ) प्रसिद्ध हैं, जिनके स्थान मन्दिर और शिवलिंगों का अपना-अपना विशेष महत्त्व है। भगवान केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के आविर्भाव के सम्बन्ध में शिवमहापुराण की कथा इस प्रकार है-
शिव पुराण में कथा
भगवान विष्णु के नर और नारायण नामक दो अवतार हुए हैं। नर और नारायण इन दोनों ने पवित्र हिमालय के बदरिकाश्रम में बड़ी तपस्या की थी। उन्होंने पार्थिव (मिट्टी) का शिवलिंग बनाकर श्रद्धा और भक्तिपूर्वक उसमें विराजने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। पार्थिव लिंग में शिव के विद्यमान होने पर दोनों (नर व नारायण) ने शास्त्र-विधि से उनकी पूजा-अर्चना की। प्रतिदिन निरन्तर शिव का पार्थिव-पूजन करना और उनके ही ध्यान में मग्न रहना उन तपस्वियों की संयमित दिनचर्या थी। बहुत दिनों के बाद उनकी आराधना से सन्तुष्ट परमेश्वर शंकर भगवान ने कहा कि मैं तुम दोनों पर बहुत प्रसन्न हूँ, इसलिए तुम लोग मुझसे वर माँगो। भगवान शंकर की बात सुनकर प्रसन्न नर और नारायण ने जनकल्याण की भावना से कहा- 'देवेश्वर! यदि आप प्रसन्न हैं और हमें वर देना चाहते हैं, तो आप अपने स्वरूप से पूजा स्वीकार करने हेतु सर्वदा के लिए यहीं स्थित हो जाइए।'
जगत का कल्याण करने वाले भगवान शंकर उन दोनों तपस्वी-बन्धुओं के अनुरोध को स्वीकारते हुए हिमालय के केदारतीर्थ में ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थित हो गये। उन दोनों अनन्य भक्तों से पूजित हो सम्पूर्ण भय और दु:ख का नाश करने हेतु तथा अपने भक्तों को दर्शन देने की इच्छा से केदारेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव वहाँ सदा ही विद्यमान रहते हैं। भगवान केदारनाथ दर्शन-पूजन करने वाले को सुख-शान्ति प्रदान करते हैं। नर-नारायण की तपस्या के आधार पर विराजने वाले केदारेश्वर की जिसने भी भक्तिभाव से पूजा की, उसे स्वप्न में भी दु:ख और कष्ट के दर्शन नहीं हुए। शिव का प्रिय भक्त केदारलिंग के समीप शिव का स्वरूप अंकित[2] कड़ा चढ़ाता है, वह उस वलय से सुशोभित भगवान शिव का दर्शन करके इस भवसागर से पार हो जाता है अर्थात् वह जीवनमुक्त हो जाता है।
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केदारनाथ मन्दिर
जो मनुष्य ��दरीवन की यात्रा करके नर तथा नारायण और केदारेश्वर शिव के स्वरूप का दर्शन करता है, नि:सन्देह वह मोक्ष पद का भागी बन जाता है। ऐसा मनुष्य जो केदारनाथ ज्योतिर्लिंग में भक्ति-भावना रखता है और उनके दर्शन के लिए अपने स्थान से प्रस्थान करता है, किन्तु रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो जाती है, जिससे वह केदारेश्वर का दर्शन नहीं कर पाता है, तो समझना चाहिए कि निश्चित ही उस मनुष्य की मुक्ति हो गई। शिव पुराण का यह भी अभिमत है कि केदारतीर्थ में पहुँचकर, वहाँ केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का पूजन कर जो मनुष्य वहाँ का जल पी लेता है, उसका पुनर्जन्म नहीं होता है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वह भक्ति-भाव पूर्वक भगवान नर-नारायण और केदारेश्वर शिवलिंग की पूजा-अर्चना करे। श्री शिव महापुराण के कोटि रुद्र संहिता में इसी बात को निम्नलिखित प्रकार कहा गया है-
केदारेशस्य भक्ता ये मार्गस्थास्तस्य वै मृता:। तेऽपि मुक्ता भवन्त्येव नात्र कार्य्या विचारणा।। तत्वा तत्र प्रतियुक्त: केदारेशं प्रपूज्य च। तत्रत्यमुदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विन्दति।।[3]
अन्य कथा
शिव महापुराण में एक अन्य कथा का भी संकेत प्राप्त होता है। उसके अनुसार जब महाभारत-युद्ध समाप्त हो गया और पाण्डव विजयी हो गये, उस समय भारतवर्ष की वीरता महाभारत के समर (युद्ध) में विलीन हो गई, युद्ध का परिणाम भय़ंकर हुआ क्योंकि क्षत्रिय योद्धाओं का संहार हो गया। कौरवों के साथ-साथ पाण्डवों पर भी उस युद्ध की ज़िम्मेदारी कम न थी यद्यपि महाभारत का युद्ध न्याय और अन्याय का संघर्ष था, किन्तु उसका दुष्परिणाम समूचे राष्ट्र को भुगतना पड़ा। युद्ध समाप्त होने के बाद जब पाण्डवों ने उस पर विचार मन्थन किया, तो वे दु:ख से अत्यन्त व्याकुल हो उठे। उन्होंने स्वयं अपने ही हाथों अपने सगे-सम्बन्धियों तथा कुल के लोगों का नाश कर डाला था। पाण्डवों ने आत्मकुल-नाश और गोत्र-हत्या के पाप से पीछा छुड़ाने हेतु अर्थात् मुक्ति प्राप्त करने हेतु वेदव्यास जी से प्रायश्चित का विधान जानना चाहा। व्यास जी ने उन पाण्डवों को बताया कि संसार में सबका भला होता देखा गया है, किन्तु अपने वंश की हत्या करने वाले कुलघाती का कभी कल्याण नहीं होता है। उन्होंने कहा कि यदि तुम लोग इस पाप से मुक्त होना चाहते हो, तो केदार क्षेत्र में जाकर भगवान केदारनाथ का दर्शन और पूजा करो। केदारेश्वर शिवलिंग के दर्शन के बिना तुम लोगों को मुक्ति नहीं मिलेगी। केदार क्षेत्र का वर्णन करते हुए व्यास जी ने बताया कि जिस क्षेत्र में नदियों में श्रेष्ठ मंदाकिनी अनेक धाराओं में विभक्त होकर बहती है, जहाँ भगवान महेश, पार्वती के संग अपने सैकड़ों महान् वीर गणों के साथ निवास करते हैं और उनके दर्शनों के लिए कर्मनिष्ठ तपेव्रती ब्रह्मा आदि देवता उपस्थित होते हैं, जहाँ विविध प्रकार के वाद्य यन्त्रों की ध्वनियाँ तथा वेदों की ऋचाएँ अनवरत सुनायी पड़ती हैं, उस महापथ नाम से निर्मित देवस्थान में तुम लोग चले जाओ। व्यास जी से निर्देश और उपदेश ग्रहण कर प्रसन्नचित्त पाण्डव भगवान शिव के दर्शन हेतु तीर्थयात्रा पर निकल पड़े।
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केदारनाथ का एक दृश्य
पाण्डव सर्वप्रथम काशी की यात्रा पर श्री विश्वनाथ भोलेनाथ का दर्शन करने हेतु पहुँचे, किन्तु इन कुलघाती पापियों को भगवान शिव प्रत्यक्ष दर्शन नहीं देना चाहते थे। इसलिए पाण्डव निराश होकर श्री व्यास जी द्वारा निर्देशित केदार क्षेत्र की ओर मुड़ गये। इन्हें केदारखण्ड में आते देख भगवान शंकर गुप्तकाशी में जाकर अन्तर्धान हो गये। उसके बाद कुछ दूर और आगे जाकर महादेव जी ने एक भैंसे का रूप धारण किया और विचरण करने लगे। पाण्डव दल को इस प्रकरण का ज्ञान आकाशवाणी के द्वारा हो गया। जब भगवान शिव ने पाण्डवों के मन की बात जान ली, तब वे भैंसा रूपी शिव भूमिगत होने के लिए दलदली धरती में धँसने लगे। महान् बलशाली और पराक्रमी भीम ने भैंसा रूपी शिव की पूँछ पकड़ ली। इसी परिस्थिति में अन्य सभी पाण्डव करुणापूर्वक क्रन्दन करते हुए विविध प्रकार से भगवान भोलेनाथ श्री केदारेश्वर की स्तुति करने लगे।
उनकी श्रद्धा-भक्ति और स्तुति से आशुतोष भगवान शिव प्रभावित होकर उन पर प्रसन्न हो गये। उन पाण्डवों की प्रार्थना पर भैंसा के पृष्ठभाग (पीठ) के यप में सर्वदा के लिए शंकर जी वहीं स्थित हो गये, जिनकी पूजा पाण्डवों ने विधिपूर्वक की। वहाँ पर भी पाण्डवों को नभ वाणी सुनाई पड़ी– 'पाण्डवों! मेरी इस पूजा से तुम्हारे सकल मनोरथ सिद्ध हो जाएँगें।' शिव को भैंसा के पृष्ठ के रूप में पूजन कर पाण्डव गोत्र हत्या के पाप से मुक्त हो गये। इसी कथा के आधार पर केदार घाटी में पाँच स्थानों पर पाँच केदार का दर्शन-पूजन करने का प्रचलन है।
भैंसा रूपी शिव के अंगों के आधार पर ये केदार-स्थान इस प्रकार हैं–
केदारनाथ प्रमुख तीर्थ में भैंसा की पीठ के रूप में।
मध्य महेश्वर में उसकी नाभि के यप में।
तुंगनाथ में उसकी भुजाएँ और हृदय के रूप में।
रुद्रनाथ में मुख के रूप में और
कल्पेश्वर में जटाओं के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
उत्��राखंड के इन पाँचो केदारों के दर्शन का विशेष महत्त्व है। यहाँ एक बूढ़ा केदार भी हैं। इनके सम्बन्ध में कहा जाता है कि जब पाण्डव तीर्थयात्रा पर निकले थे, तो उन्होंने भगवान शिव के दर्शन हेतु बूढा केदार में जाकर दर्शन किया था। शिव के भैंसा रूप का वर्णन जो पाण्डवों से सम्बन्धित है, शिव महापुराण के कोटि रुद्र संहिता में इस प्रकार किया गया है–
यो वै हि पाण्डवान्दृष्ट्वा महिषं रूपमास्थित:। मायामास्थाय तत्रैव पलायनपरोऽभवत्।। धृतश्च पाण्डवैस्तत्र ह्मवांगमुखतया स्थित:। पुच्छं चैव धृतं तैस्तु प्रर्थितश्च पुन:।। तद्रूपेण स्थितस्तत्र भक्तवत्सलनामभाक्। नयपाले शिरोभागो गतस्तद्रूपत: स्थित:।। तथैव पूजनान्नित्यामाज्ञां चैवाप्यदात्तथा। पूजयित्वा गतास्ते तु पाण्डवा मुदितास्तदा। लब्ध्वा चित्तोप्सितं सर्व विमुक्ता: सर्वदु:खत:।।[4]
स्कन्द पुराण में यात्रा का महात्मय
भगवान शंकर को मंदाकिनी, गंगा, मधुगंगा, क्षीर गंगा आदि नदियों से सिंचित और सैकड़ों शिवलिंगों से सुशोभित तथा हिमखण्डों से आच्छादित यह केदार क्षेत्र अतिशय प्रिय है। स्कन्द पुराण की कथा के अनुसार माँ पार्वती के द्वारा केदार क्षेत्र की महिमा पूछने पर भगवान शिव ने उन्हें बताया कि यह क्षेत्र अधिक प्रिय होने के कारण वे इसे कभी नहीं छोड़ते हैं। उन्होंने पार्वती जी से कहा कि मैंने जब सृष्टि-कार्य के लिए ब्रह्माजी का रूप धारण किया था, तभी से परब्रह्म को जीतने के लिए मैं इस क्षेत्र में सर्वदा निवास करता हूँ। इस क्षेत्र के द्वार पर नन्दी, भृँगी आदि प्रहरी (द्वारपाल) बनकर खड़े रहते हैं। जो मनुष्य अपने निवास पर रहते हुए इस केदार यात्रा का विचार करता है, इसके लिए कार्यक्रम बनाता है, उसके तीन सौ पीढ़ियों के पितर शिव लोक में निवास प्राप्त करते हैं। जो व्यक्ति मन, वाणी और कर्म से मेरे प्रति समर्पित होकर श्री केदारनाथ जी का दर्शन करता है, तो यदि उसे ब्रह्महत्या के समान भी पाप लगा हो, वे सब दर्शनमात्र से ही नष्ट हो जाते हैं। जैसे देवताओं में भगवान विष्णु, सरोवरों में समुद्र, नदियों में गंगा, पर्वतों में हिमालय, भक्तों में नारद, गऊओं में कामधेनु और सभी पुरियों में कैलाश श्रेष्ठ है, वैसे ही सम्पूर्ण क्षेत्रों में केदार क्षेत्र सर्वश्रेष्ठ है।
स्कन्द पुराण की कथा
इस प्रकार केदार क्षेत्र के बखान में आनन्दित भगवान शंकर ने माता गौरी को एक कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि एक गाँव में एक हिंसक 'बहेलिया'([5] रहता था। उसे मृगों का मांस बहुत प्रिय था और मांसाहारी होने के कारण वह दुराचार भी बहुत करता था। वह प्रतिदिन मृगों का शिकार करता था और उन्हें अपना आहार बना लेता था। एक दिन वह शिकार के सिलसिले में केदारतीर्थ में पहुँच गया। जब वह सघन जंगलों से होकर शिकार की खोज में पर्वतों पर विचरण कर रहा था, तब उसे मुनि नारद दिखाई दिये जिनको स्वर्ण मृग समझ लिया, क्योंकि वह बहुत दूर से उन्हें देख रहा था। उसने अपने धनुष पर बाण चढ़ा लिया। जब वह ऋषि नारद को बाण से मारने के लिए उद्यत हुआ, तब तक सूर्यास्त हो चला था।
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केदारनाथ मन्दिर
उस समय उस बहेलिए ने वहाँ देखा कि एक साँप मेंढक को निगल गया है, किन्तु वह मृत्यु प्राप्त मेढ़क शिव के स्वरूप में हो गया। जब वह कुछ दूर और आगे गया, तो देखा कि उस बाघ ने हिरण को मार डाला है, किन्तु वह हिरण शिव गणों के साथ शिवलोक में जा रहा है। इन सब दृश्यों को देखकर वह बहेलिया भ्रमित और चकित हो उठा। इतने में ऋषि नारद जी उस बहेलिये के पास पहुँच गये। मनुष्य के रूप में नारद को अपने पास आया देख उस शिकारी ने उपर्युक्त घटित घटनाओं के सम्बन्ध में उनसे जानने की इच्छा प्रकट की। नारद मुनि ने उससे कहा कि तुम बहुत सौभाग्यशाली हो, जो इस परम पवित्र तीर्थ में पधारे हो। जैसा कि तुमने देखा है, इस कल्याणकारक शुभ तीर्थ में निकृष्ट जीव भी तुम्हारे देखते-देखते शिवतत्त्व को प्राप्त हो गये हैं।
उसके बाद उस बहेलिए (व्याध) ने घोर आश्चर्य में पड़कर मुनिश्रेष्ठ नारद के चरणों में दण्डवत प्रणाम किया। उसने अपने उद्धार हेतु नारद जी से बड़ी विनती की। नारद जी ने भगवान शिव के सम्बन्ध में उसे उपदेश तथा निर्देश दिया। उनके उपदेशानुसार वह शिकारी उसी केदार क्षेत्र का निवासी बन गया और केदारेश्वर भगवान के भजन-चिन्तन में रम गया। घोर हिंसा करने वाला वह बहेलिया केदारनाथ की भक्ति करने से अन्त में परम गति (मुक्ति) को प्राप्त हुआ।
स्कन्द पुराण में महिष रूपधारी भगवान शिव की एक भिन्न कथा भी आती है। केदार क्षेत्र में देवराज इन्द्र ने भगवान शंकर की तपस्या की थी। उस प्रकरण में महाबलशाली दैत्य हिरण्याक्ष उत्पन्न हुआ था। उस दैत्य ने युद्ध में देवताओं के राजा इन्द्र को पराजित कर स्वर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया था। पराजित इन्द्र ने देवताओं सहित देवाधिदेव महादेव की श्रद्धा-भक्ति पूर्वक आराधना की। उनकी तपस्या से आशुतोष भगवान शिव प्रसन्न हो उठे। वे एक दिन महिष (भैंसा) का रूप धारण करके इन्द्र के समक्ष ही धरती से निकल पड़े। उन्होंने कहा- ‘देवेन्द्र! मैं इस रूप में किस-किस को पानी में फेंककर विदीर्ण कर डालूँ, अर्थात् मार डालूँ?’ भगवान शिव के द्वारा ऐसा पूछने पर इन्द्र ने हिरण्याक्ष सहित पाँच राक्षसों का नाम बताया। इन्द्र द्वारा बताये गये उन बलशाली ��ाँच दैत्यों के स्थान पर भोलेनाथ शिव गये।
वहाँ पर उन दैत्यों के अन्य भी भयंकर पराक्रमी साथी विद्यमान थे। वे सभी अस्त्र-शस्त्र लेकर भैंसा रूपी शिव की ओर दौड़ पड़े, जिन्हें महादेव जी ने अपनी सींगों से मार-मारकर जल में डुबोया और यमलोक पहुँचा दिया। उसके बाद उन्होंने इन्द्र से वर माँगने के लिए कहा। इन्द्र ने पिनाकधारी शिव से प्रार्थना करते हुए कहा कि आप धर्म तथा तीनों लोकों की रक्षा करने के लिए इसी क्षेत्र में सर्वदा निवास करें। भगवान शिव ने इन्द्र की याचना को स्वीकार कर लिया। इन्द्र से शिव जी ने पूछा – ‘के दरयामि?’ यहाँ ‘कं जलम्’ अर्थात् ‘कम्’ जल को कहा जाता है और उसका अधिकरण कारक में रूप बनता है 'के'। इसी प्रकार ‘छिदिर-भिदिर विदारणे’ धातु से ‘विदारयामि’ अर्थात् फाड़ डालूँ ऐसा वाक्य तैयार होता है। इसका तात्पर्य यह है कि, जल में फेंककर मार (विदीर्ण) डालता हूँ। इन्द्र ने भगवान शिव से कहा कि आपने ‘के दरयामि’ ऐसा वाक्य प्रयोग किया है, इसीलिए इस क्षेत्र का नाम ‘केदार’ शब्द से प्रसिद्ध होगा।
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केदारनाथ मन्दिर
संचालन हेतु मंदिर समिति
श्री केदारनाथ और श्री बदरीनाथ के मन्दिरों के संचालन हेतु प्रदेश की सरकार ने मन्दिर-समिति बनाई है। मन्दिर-समिति के माध्यम से मन्दिरों का संचालन होता है तथा उनके आय-व्यय और सर्व प्रकार की व्यवस्था का दायित्व उसी पर होता है। आम जनता द्वारा मन्दिरों में पूजा, भोग-राग, आरती आदि करवाने हेतु मन्दिर-समिति ने दक्षिणा (शुल्क) निर्धारित किया है। दक्षिण भारत के रावल (ब्राह्मण) मन्दिर के प्रमुख पुजारी होते हैं। मन्दिर के सभी कर्मचारियों को समिति द्वारा वेतन दिया जाता है।
दर्शन का समय
केदारनाथ जी का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 7:00 बजे खुलता है।
दोपहर एक से दो बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
पुन: शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर खोला जाता है।
पाँच मुख वाली भगवान शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक नियमित आरती होती है।
रात्रि 8:30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
शीतकाल में केदारघाटी बर्फ़ से ढँक जाती है। यद्यपि केदारनाथ-मन्दिर के खोलने और बन्द करने का मुहूर्त निकाला जाता है, किन्तु यह सामान्यत: नवम्बर माह की 15 तारीख से पूर्व (वृश्चिक संक्रान्ति से दो दिन पूर्व) बन्द हो जाता है और छ: माह बाद अर्थात् वैशाखी (13-14 अप्रैल) के बाद कपाट खुलता है।
ऐसी स्थिति में केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को ‘उखीमठ’ में लाया जाता हैं। इसी प्रतिमा की पूजा यहाँ भी रावल जी करते हैं।
केदारनाथ म���ं जनता शुल्क जमा कराकर रसीद प्राप्त करती है और उसके अनुसार ही वह मन्दिर की पूजा-आरती कराती है अथवा भोग-प्रसाद ग्रहण करती है।
पूजा का क्रम
भगवान की पूजाओं के क्रम में प्रात:कालिक पूजा, महाभिषेक पूजा, अभिषेक, लघु रुद्राभिषेक, षोडशोपचार पूजन, अष्टोपचार पूजन, सम्पूर्ण आरती, पाण्डव पूजा, गणेश पूजा, श्री भैरव पूजा, पार्वती जी की पूजा, शिव सहस्त्रनाम आदि प्रमुख हैं। मन्दिर-समिति द्वारा केदारनाथ मन्दिर में पूजा कराने हेतु जनता से जो दक्षिणा (शुल्क) लिया जाता है, उसमें समिति समय-समय पर परिर्वतन भी करती है।
आने जाने की व्यवस्था
हिमालय के पवित्र तीर्थों के दर्शन करने हेतु तीर्थयात्रियों को रेल, बस, टैक्सी आदि के द्वारा हरिद्वार आना चाहिए। हरिद्वार से उत्तराखंड की यात्राओं के लिए साधन उपलब्ध होते हैं। हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी 247 किलोमीटर है। हरिद्वार से गौरीकुण्ड 233 किलोमीटर की यात्रा मोटरमार्ग से की जाती है, जबकि गौरी कुण्ड से केदारनाथ तक 14 किलोमीटर की दूरी पैदल मार्ग से जाना पड़ता है। पैदल चलने में असमर्थ व्यक्ति के लिए गौरी कुण्ड से घोड़ा, पालकी, पिट्ठू आदि के साधन मिलते हैं। यह यात्रा हरिद्वार से ऋषिकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि कुण्ड, गुप्तकाशी, नाला, फाटा, रामपुर, सोनप्रयाग, गौरीकुण्ड, रामबाढ़ा और गरुड़चट्टी होते हुए श्रीकेदारनाथ तक पहुँचती है।
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गौरीकुण्ड, केदारनाथ
गंगोत्री और यमुनोत्री
उत्तराखण्ड के चारों धाम की यात्रा में पहले यमुनोत्री की यात्रा का विधान है। गंगोत्री, यमुनोत्री तीर्थों के बाद भक्तगण केदारनाथ का दर्शन करते हैं, फिर अन्त में बद्रीनाथ जाते हैं। गंगोत्री से केदारनाथ जाने के लिए दो मोटर मार्ग हैं। प्रथम मार्ग गंगोत्री से भैरोघाटी, हरसिल, भटवाड़ी, उत्तरकाशी, धरासू, टिहरी, घनसाली, चिरबटिया, अगस्त्यमुनि, गुप्तकाशी, फोटा, सोनप्रयाग, गौरीकुण्ड तथा गरुड़चट्टी होकर केदारनाथ पहुँचता है। इस रास्ते की कुल दूरी 348 किलोमीटर बैठती है। गंगोत्री से केदारनाथ जाने के लिए एक दूसरा मार्ग भी है, जिसकी कुल दूरी 343 किलोमीटर पड़ती है। गंगोत्री से भैरवघाटी, उत्तरकाशी, धरासू, टिहरी, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा और गौरी कुण्ड होते हुए केदारनाथ पहुँचा जाता है।
कोटद्वार से केदारनाथ
कोटद्वार से दुगड्डा, पौडी, श्रीनगर, गुप्तकाशी और गौरीकुण्ड होकर केदारनाथ जाने का भी मार्ग है।
रुद्रप्रयाग 171 किलोमीटर पड़ता है, जबकि रुद्रप्रयाग से गौरीकुण्ड की दूरी 70 किलोमीटर।
गुप्तकाशी की ऊँचाई समुद्रतल से 1479 मीटर है।
केदारनाथ के लिए यात्रियों को गोचर से हेलिकाप्टर-सेवा भी उपलब्ध है। किसी भी मार्ग से यात्रा की जाये, किन्तु गौरीकुण्ड चौदह किलोमीटर पैदल चलकर ही केदारनाथ पहुँचना पड़ता हैं।
गौरीकुण्ड में हिमालय कन्या गौरी (पार्वती) ने भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने हेतु तप किया था। कठोर नियम वाली गौरी कमज़ोर-शरीर हो गयी थीं और सर्दी के कारण व्यथित थीं। वहाँ भगवान रुद्र ने अग्नि के रूप में प्रकट होकर जल को गर्म कर दिया था, जिसमें गौरी ने स्नान किया। आज भी तीर्थयात्री उस तप्तकुण्ड में स्नान करके श्री केदारनाथ के दर्शन के लिए जाते हैं।
गौरी कुण्ड पर ही माता ने गणेश जी को जन्म दिया था। यहाँ वैनायिकी (मुंडाकटा) मन्दिर आज भी विद्यमान है।
भगवान श्री केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर एक सुरम्य प्रकृति की शोभा है, उसके माँग का सिन्दूर है। नीचे मंदाकिनी का कल-कल निनाद, ऊपर पहाड़ों पर बर्फ़ की सफ़ेद चादरें, उस रात को छिटकती चन्द्रमा की शीतल चाँदनी, मंदिर के घंटा घड़ियाल का मधुर संगीत, वेदमन्त्रों के घोष और बीच-बीच में हर-हर महादेव तथा ‘नम: शिवाय’ की ध्वनि, रोम-रोम में साक्षात शिवलोक का अनुभव कराती है।
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केदारनाथ का रास्ता
समाचार
केदारनाथ में कुदरत का कहर, गौरीकुंड-रामबाड़ा तबाह, लाशों से पटा मंदिर परिसर केदारनाथ में मंदाकिनी की कल-कल धाराएं भगवान शिव के कदमों को चूमकर यहां आगे बढ़ती हैं लेकिन 16 जून को केदारनाथ के चारों तरफ मौजूद पर्वत शृंखलाओं से खौफनाक सैलाब की आहट सुनाई पड़ी। बादल फटने से हुई जबरदस्त बारिश का कहर केदारनाथ पर टूटा। हाल ये है कि केदारनाथ के पास रामबाड़ा बाज़ार पूरी तरह बह गया। चश्मदीदों का दावा है कि केदारनाथ मंदिर का मुख्य द्वार भी पानी के तेज बहाव की चपेट में आने से बह गया। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि लोग सो रहे थे, कुछ पूजा कर रहे थे, घूम रहे थे तभी अचानक बहुत भारी मात्रा में पीछे से पत्थर, मलबा, पानी आया। ये इतनी तेजी से आया कि कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही वे मलबे की चपेट में आ गए। ये मलबा बीच-बाज़ार से गुजरा। सिर्फ मंदिर दिख रहा है बाकी पीछे के होटल, लॉज, मंदिर का मुख्य द्वार सब पानी में बह गए। कई लोग मलबे के नीचे दबे और उनके बचने की कोई संभावना नहीं लगती। एक प्रत्य़क्षदर्शी ने बताया कि केदारनाथ एक श्मशान घाट में बदल गया है। जब सैलाब आया तो एक बड़ा पत्थर आकर मंदिर के पीछे लग गया, इससे मंदिर तो सुरक्षित बच गया, लेकिन आगे-पीछे-दाएं-बाएं कुछ भी नहीं बचा। सैलाब का सितम खत्म हुआ तो तबाही और विनाश के बीच बस मंदिर ही बचा रहा। केदारनाथ के बाद गौरीकुंड में भी भारी तबाही हुई है। केदारनाथ, गौरीकुंड और रामबाड़ा में जान-माल का कितना नुकसान हुआ है। इसका अंदाजा भले ही अभी नहीं लग पाया हो लेकिन यहां भारी तबाही हुई है। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।
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केदारनाथ मंदिर प्राकृतिक त्रासदी के बाद
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mayongnews-dot-com · 7 years
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वास्तु शास्त्र अनुसार घरमा राखिने कुचो र धनको सम्बन्ध
वास्तु शास्त्र अनुसार घरमा राखिने कुचो र धनको सम्बन्ध
वास्तु शास्त्र अनुसार घरमा राखिने कुचो र धनको सम्बन्ध यस्तो छ  
-कुचो लाई घरमा आउने पाहुना हरुले नदेख्ने ठाउँमा राख्नु पर्छ ।
-कुचो घरमा सुर्यास्त को समय पछि लगाउन हुदैन ।
-कुचो लाई घरमा सधै सफा संग राख्नु पर्छ र खुट्टा ले कुच्नु हुन्न ।
-भाडामा बस्नेहरुले नया ठाउँ सर्दा वा नयाँ घर मा सर्दा पुरानो कुचो पनि संगै लैजानु पर्छ । अन्यथा नयाँ ठाउँ सराई फलदायी हुदैन ।
-कुचो लाई घरमा ठाडो पारेर नराख्नु…
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ragbuveer · 1 year
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌺 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌺
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (चतुर्दशी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-13-सितम्बर-2023
वार:-----------बुधवार
तिथी :--------14चतुर्दशी:-28:50
पक्ष:--------कृष्णपक्ष
माह:--------भाद्रपद
नक्षत्र:-------मघा:-26:01
योग:--------सिद्��ि:-26:08
करण:-------विष्टि:-15:36
चन्द्रमा:------सिंह
सुर्योदय:------06:26
सुर्यास्त:-------18:41
दिशा शूल-------उत्तर
निवारण उपाय:---गुड का सेवन
ऋतु :---------------शरद ऋतु
गुलीक काल:---11:00से 12:32
राहू काल:-------12:32से14:04
अभीजित--------- नहीं है
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
लाभ:-06:26से07:58तक
अमृत:-07:58से09:30तक
शुभ:-11:00से12:32तक
चंचल:-15:36से 17:08तक
लाभ:-17:08से 18:41तक
🌓चोघङिया रात🌗
शुभ:-20:11से21:39तक
अमृत :-21:39से23:07तक
चंचल :-23:07से00:35तक
लाभ :-03:31से04:58तक
🙏आज के विशेष योग 🙏
वर्ष का175वाँ दिन, भद्रा समाप्त15:36, मास शिवरात्रि, अघोरा चतुर्दशी, पर्युषण पर्व प्रारम्भ (पंचमी जैन), सूर्य उफा.पर 27:26, संग सू.सू.स्त्री वाहन गज(हाथी), वर्षा श्रेष्ठ
👉वास्तु टिप्स👈
मास शिवरात्रि के दिन एक मुखी रुद्राक्ष की पूजा करके तिजोरी में जरुर रखे।
*सुविचार👏*
उत्पन्न और नष्ट होने वाली वस्तु को लेकर अपने को बड़ा अथवा छोटा मानना बहुत बड़ी भूल है, तुच्छता है। 👍🏻 राधे राधे...
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
पेट दर्द से बचने के लिए होम्योपैथी कोलोसिंथ 6 या 30 शक्ति का प्रयोग सर्वोत्तम है।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *मेष*
बेवजह झुंझलाहट रहेगी। विवाद को बढ़ावा न दें। शोक समाचार प्राप्त हो सकता है, धैर्य रखें। दौड़धूप अधिक होगी। लाभ में कमी रहेगी। पुराना रोग उभर सकता है। बिछड़े साथियों से मुलाकात होगी। क्रोध न करें।
🐂 *वृष*
थोड़े प्रयास से काम बनेंगे। प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कुसंगति से बचें। थकान महसूस होगी। रोजगार में वृद्धि होगी। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा मनोनुकूल रहेगी।
👫 *मिथुन*
घर में अतिथियों की आवाजाही रहेगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। उचित निर्णय ले पाएंगे। धनार्जन होगा। जल्दबाजी न करें। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य पर व्यय होगा।
🦀 *कर्क*
भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी व लापरवाही न करें, लाभ होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।
🦁 *सिंह*
स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। स्वास्थ्य पर खर्च होगा। यात्रा में जल्दबाजी न करें। कर्ज लेना पड़ सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें, बाकी सामान्य रहेगा। चिंता बनी रहेगी। झंझटों में न पड़ें। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे।
👰🏼 *कन्या*
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। शत्रु सक्रिय रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। आय में वृद्धि होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
⚖ *तुला*
योजना फलीभूत होगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। रोजगार व आय में वृद्धि होगी। निर्णय क्षमता बढ़ेगी। यात्रा सफल रहेगी। योजना फलीभूत होगी। आय के साधन बढ़ेंगे।
🦂 *वृश्चिक*
राजकीय सहयोग से काम बनेंगे। तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। बेरोजगारी दूर होगी। धनार्जन होगा। अपनी जानकारी गोपनीय रखें। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी।
🏹 *धनु*
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। बनते काम बिगड़ेंगे। आवक बनी रहेगी। जोखिम न उठाएं। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। झंझटों से दूर रहें।
🐊 *मकर*
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। राजकीय सहयोग से काम बनेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। परिवार के सदस्य कार्य में सहयोग करेंगे। लाभ में वृद्धि होगी। विवाद न करें। राजकीय सहयोग से लाभ में वृद्धि होगी।
🏺 *कुंभ*
संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। मान में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। राजकीय सहयोग मिलेगा। धनार्जन होगा। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है।
🐬 *मीन*
रचनात्मक कार्य पूर्ण व सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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ragbuveer · 1 year
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (द्वितीया तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-03-अगस्त-2023
वार:--------गुरुवार
तिथी :-----02द्बितिया:-16:17
पक्ष :------कृष्णपक्ष
माह:------द्बितिया श्रावण
नक्षत्र :-----धनिष्ठा:-09:56
योग:------सौभाग्य:-10:18
करण:-----तैतिल:-06:10
चन्द्रमा:-----कुम्भ
सुर्योदय:-----06:08
सुर्यास्त:------19:20
दिशा शूल-----दक्षिण
निवारण उपाय:----राई का सेवन
ऋतु :---------------वर्षा-ऋतु
गुलीक काल:---09:16से 10:55
राहू काल:-----14:11से15:50
अभीजित------12:00से12:56
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:-----पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-06:08से07:46तक
चंचल:-11:04से12:43तक
लाभ:-12:43से14:22तक
अमृत:-14:22से16:01तक
शुभ:-17:40से19:20तक
🌗चोघङिया रात🌓
अमृत:-19:20से20:41तक
चंचल:-20:41से22:12तक
लाभ:-00:49से02:10तक
शुभ:-03:27से04:48तक
अमृत:-04:48से06:09तक
आज के विशेष योग
वर्ष का134वा दिन, भद्रा प्रारंभ 26:29, पंचक, सूर्य आश्लेषा पर 15:53 संग चं.सू.स्त्री पु.वाहन महिष, वर्षा
🙏🪷वास्तु टिप्स🪷🙏
गुरुवार के दिन केले के पेड़ में हल्दी चढ़ाएं।
सुविचार
जब तक तुम और तुम्हारी पहचान अस्तित्व में नहीं है तब तक तुम किसी के लिए कुछ नहीं हो..👍 राधे राधे...
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
☀️ मेष राशि :- आज जो लोग दूसरे के लिए मांगते हैं, उन्हें कभी अपने लिए नहीं मांगना पड़ता। माता के स्वास्थ की चिंता रहेगी। किसी के बहकाने से अपने संबंध ना तोड़ें। पैर में चोट लग सकती है।
☀️ वृषभ राशि :- आज जिन लोगों का सहयोग आपने किया था, आज वे ही आपसे मुंह फेर रहे हैं। स्वास्थ्य बिगड़ सकता है, अपनी सेहत का ध्यान रखें। नए भवन में जाने के योग हैं।
☀️ मिथुन राशि :- आज अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना बहुत जरूरी है। कार्यस्थल पर योजना लाभप्रद रहेगी। पड़ोसियों की मदद करनी पड़ सकती है। क्रोध की अधिकता से परिजन नाखुश होंगे। शेयर बाजार में निवेश से लाभ होगा।
☀️ कर्क राशि :- आज किसी के बहकावे में आप बहुत जल्द आ जाते हैं। समय रहते जरूरी कार्य पूरे करें। निजी जीवन में दूसरों को प्रवेश न दें। पिता के व्यवहार से मन मुटाव होगा। जीवनशैली में परिवर्तन के योग हैं। पुरानी दुश्मनी के चलते विवाद संभव है।
☀️ सिंह राशि :- आज सोचे हुए कार्य समय पर होंगे, जिससे मन प्रसन्न रहेगा। अपने वाक् चातुर्य से सभी काम आसानी से करवा लेंगे। कार्यस्थल पर अपनी अलग पहचान स्थापित करेंगे। प्रेम-प्रसंग के चलते मन उदास रहेगा।
☀️ कन्या राशि :- आज आपकी कार्यक्षमता में वृद्धि होगी। जीवनशैली में आये परिवर्तन से खुश होंगे। आजीविका के नए स्त्रोत स्थापित होंगे। पारिवारिक सौहार्द बना रहेगा। मांगलिक समारोह में सक्रिय भूमिका रहेगी।
☀️ तुला राशि :- आज आपको अपने हिसाब से जिंदगी जीना पसंद है। जो लोग आपके कार्यों की सराहना करते थे, वे आपका विरोध करेंगे। भवन-भूमि के विवादों का अंत होगा। पिता के व्यवसाय में रूचि कम रहेगी।
☀️ वृश्चिक राशि :- आज समय रहते अपने कार्य पूर्ण करें। पारिवारिक लोगों का सहयोग न मिलने से कार्य प्रभावित होंगे। घर में वास्तु अनुरूप परिवर्तन करें, तो पारिवारिक तनाव खत्म होगा। फैक्ट्री में प्रवेश द्वार पर पंचमुखी हनुमान की तस्वीर लगायें, चमत्कारिक लाभ होगा।
☀️ धनु राशि :- आज व्ययस्ता के कारण सेहत को न भूलें। अपने जीवन-साथी से नम्रता से बात करें और आप दोनों की वार्तालाप में स्नेह झलके न की बनावटी बातें करें। वाणी में मधुर रहें, यात्रा के योग हैं।
☀️ मकर राशि :- आज सेहत को नजरअंदाज न करें। आनावाश्यक किसी को परेशान करना अच्छी बात नहीं है। मेहमानों की खातिरदारी करनी पड़ेगी। अपने संपर्कों से रुके कार्य पूरे होंगे। बहनों के विवाह की चिंता रहेगी।
☀️ कुंभ राशि :- आज जल्दबाजी में किये फैसलों से भारी नुकसान हो सकता है। परिवार में आपकी बातों को सुना जायेगा। धार्मिक कार्यक्रमों में सहभागिता होगी। जीवन-साथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। परीक्षा परिणाम अनुकूल होगा।
☀️ मीन राशि :- आज तक समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को नहीं मिला। अपने बारी का इंजतार करें। संतान के सहयोग से कार्य पूरे होंगे। नए लोगों से संपर्क बनेंगे, जो भविष्य में लाभदायक रहेगा। वाहन सुख संभव है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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ragbuveer · 2 years
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल(त्रयोदशी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-05-मार्च-2023
वार :-------रविवार
तिथी :-----13त्रयोदशी:-14:07
पक्ष:-------शुक्लपक्ष
माह:-------फाल्गुन
नक्षत्र:-------अश्लेषा:-21:29
योग:---------अतिगंड:-20:20
करण:--------तैतिल:-14:07
चन्द्रमा:------कर्क:-21:30/सिंह
सुर्योदय:-------07:02
सुर्यास्त:--------18:37
दिशा शूल--------पश्चिम
निवारण उपाय:---पान का सेवन
ऋतु :--------------बंसत ऋतु
गुलीक काल:----15:35से 17:03
‌राहू काल:------17:03से18:31
अभीजित-------12:09से13:00
विक्रम सम्वंत .........2079
शक सम्वंत ............1944
युगाब्द ..................5124
सम्वंत सर नाम:-------नल
🌞चोघङिया दिन🌞
चंचल:-08:32से10:00तक
लाभ:-10:00से11:28तक
अमृत:-11:28से12:26तक
शुभ:-14:24से15:52तक
🌗चोघङिया रात🌓
शुभ:-18:37से20:09तक
अमृत:-20:09से21:41तक
चंचल:-21:41से26:13तक
लाभ :-02:17से03:49तक
शुभ :-05:30से07:02तक
🌲आज के विशेष योग🌲
वर्ष का 336वाँ दिन, यमघण्टयोग 21:30से सूर्योदय, रवियोग प्रारंभ
21:30, नन्द त्रयोदशी,
🌺 👉वास्तु टिप्स 👈🌺
होली की राख को घर के आग्‍नेय कोण में लाकर रखें।
*सुविचार*
ये चार साक्षात् अमृत हैं- ईश्वर का चिन्तन, सत्पुरुषों का संग, सद्गुण-सदाचार, परोपकार।👍🏻हरी मोहन शर्मा आध्यात्मिक गुरु करौली राज...
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*अदरक और शहद के फायदे -*
*पाचन के लिए -*
पाचन तंत्र स्वास्थ्य को बनाए रखना आवश्यक है, क्योंकि यह खाद्य पदार्थों को पोषण में बदल देता है। ऐसा माना जाता है कि अदरक और शहद टॉनिक या सिरप पाचन के लिए सही होते हैं। इसके अलावा दोनों में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा या इम्यूनिटी में सुधार होता है। इसलिए, अदरक और शहद टॉनिक का एक चम्मच सेवन करने से उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है जिनका पाचन तंत्र कमजोर है। अदरक शहद टॉनिक में प्रोटीन के उच्च स्तर होते हैं, जो पाचन प्रक्रिया में सहायता करते हैं, और यह पित्त के स्राव को भी उत्तेजित करते हैं, जो वसा को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह आंतों के लिए भी काम करता है, जो पाचन प्रक्रिया को गति देता है और मल त्याग को सुविधाजनक बनाता है।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। कारोबार में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि मनोनुकूल लाभ देंगे। विरोधी सक्रिय रहेंगे। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय रहेगा। विवाद से बचें। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। प्रमाद न करें।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्‍य संबंधी चिंता रहेगी। शत्रुभय रहेगा। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। नौकरी में नए कार्य प्राप्त हो सकते हैं। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। प्रसन्नता रहेगी।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
बुद्धि का प्रयोग करें। चिंता रहेगी। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट-कचहरी व सरकारी कार्यालयों में रुके कार्य मनोनुकूल रहेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। विवाद से क्लेश संभव है। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। तीर्थयात्रा का कार्यक्रम बन सकता है।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
धनहानि हो सकती है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। शारीरिक कष्ट हो सकता है। जल्दबाजी व लापरवाही न करें। विवाद से क्लेश हो सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। जवाबदारी बढ़ सकती है।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। प्रेम-प्रसंग अनुकूल रहेंगे। कोर्ट-कचहरी व सरकारी कार्यालयों में अटके काम पूरे हो सकते हैं। धन प्राप्ति सुगम होगी। किसी विशेष कार्य के बारे में चिंता रहेगी। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। मातहतों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा।
👩🏻‍🦱 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
शत्रु पस्त होंगे। प्रतिद्वंद्विता में कमी होगी। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। भूमि व भवन संबंधी कार्य लाभदायक रहेंगे। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। कारोबारी बड़े सौदे हो सकते हैं। बड़ा लाभ होगा। चिंता में कमी रहेगी।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
परिवार के एकाधिक सदस्यों की चिंता रहेगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। चोट व रोग से कष्ट संभव है। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। विद्यार्थी वर्ग अपने कार्य में सफलता प्राप्त करेंगे। नौकरी में नया काम हो सकता है। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता बनी रहेगी।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
पुराना रोग उभर सकता है। कीमती वस्तुएं गुम हो सकती हैं, संभालकर रखें। दु:खद समाचार की प्राप्ति संभव है। भागदौड़ अधिक रहेगी। लाभ के अवसर हाथ से निकल सकते हैं। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे, धैर्य रखें।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
किसी अनहोनी के होने की चिंता रहेगी। स्वास्‍थ्य पर खर्च हो सकता है। पुराने किए गए प्रयासों का फल अब मिल सकता है। सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होगी। मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
घर में वृ‍द्ध व्यक्तियों के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। ने‍त्र पीड़ा हो सकती है। दूर से शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। घर में अतिथियों का आगमन होगा। नए मित्र बन सकते हैं। कोई बड़ा कार्य करने की इच्छा होगी।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ के योग हैं। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। किसी बड़ी समस्या से निजात मिल सकती है। शरीर के ऊपरी हिस्से में कष्ट हो सकता है। जल्दबाजी न करें।
🐠 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
राज्य की तरफ से दिक्कत हो सकती है। विवाद करने व जल्दबाजी से बचें। नेत्र पीड़ा हो सकती है। स्वास्थ्य पर व्यय होगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। आर्थिक समस्या रहेगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यापार ठीक चलेगा।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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