सब कुछ हार गया
सब कुछ हार गया पर खुद को ना हार सका
जमाने के अनुसार खुद को ना ढाल सका,
ये मेरी जिद है अपने उसूलों को जिंदा रखना
जमाना चाहे मुझसे इत्तेफाक ना रख सका ।
अपनी पहचान को हर हाल में बनाए रखा
अपने उसूलों को जिंदा रखने में सब कुछ गवां रखा
लोग हंसते है मेरे खोखले उसूलों पर
पर क्या करूं सब कुछ हार कर खुद को ना हार सका ।।
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यह दुनिया की चलाकिया,
मेरा मासूम दिल कभी समझा नहीं।
ना जाने कितनी ठोकरे,
ना जाने कितने आंसू यह रोया करता है।
यह दिल तड़पता है,
और फिर अपनो के लिए पिघलता है।
नादान है ना,
इस दुनिया के चेहरे यह कहां समझता है।
अब थक सा गया है यह,
बार - बार आंखे सूजा के,
यह दिल रोता है इस दुनिया की बातों में आके।
मैने समझाया इसे,
की छोड़ दे यह सब,
कहां मिलेगा तुझे तेरा वो बीता वक्त।
यह मेरी बातें,
कुछ वक्त के लिए समझता है,
फिर डगमगाता है,
और फिर हार जाता है।
मुझसे अक्सर पूछता है,
क्यों है तू कमज़ोर इतनी,
तू भी चालक होती,
तो कभी ना खानी पड़ती मुझे चोट इतनी।
@scribblersobia
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सूफी फकीर हसन जब मरा। उससे किसी ने पूछा कि तेरे गुरु कितने थे? उसने कहाः गिनाना बहुत मुश्किल होगा। क्योंकि इतने-इतने गुरु थे कि ��ैं तुम्हें कहां गिनाऊंगा! गांव-गांव मेेरे गुरु फैले हैं। जिससे मैंने सीखा, वही मेरा गुरु है। जहां मेरा सिर झुका, वहीं मेरा गुरु।’
फिर भी जिद्द की लोगों ने कि कुछ तो कहो, तो उसने कहा, ‘तुम मानते नहीं, इसलिए सुनो। पहला गुरु था मेरा--एक चोर।’ वे तो लोग बहुत चैंके, उन्होंने कहाः चोर? कहते क्या हो! होश में हो। मरते वक्त कहीं एैसा तो नहीं कि दिमाग गड़बड़ा गया है! चोर और गुरु?’
उसने कहाः हां, चोर और गुरु। मैं एक गांव में आधी रात पहंुचा। रास्ता भटक गया था। सब लोग सो गए थे, एक चोर ही जग रहा था। वह अपनी तैयारी कर रहा था जाने की। वह घर से निकल ही रहा था। मैंने उससे कहाः ‘भाई, अब मैं कहां जाऊं? रात आधी हो गई। दरवाजे सब बंद हैं। धर्मशालाएं भी बंद हो गईं। किसको जगाऊ नींद से? तू मुझे रात ठहरने देगा?’
उसने कहाः ‘स्वागत आपका।’ ‘लेकिन’, उसने कहाः ‘एक बात मैं जाहिर कर दंूः मैं चोर हूं। मैं आदमी अच्छे घर का नहीं हूं। तुम अजनबी मालूम पड़ते हो। इस गांव मंे कोई आदमी मेरे घर में नहीं आना चाहेगा। मैं दूसरों के घर में जाता हूं, तो लोग नहीं घुसने देते। मेेरे घर तो कौन आएगा? मुझे भी रात अंधेरे में जब लोग सो जात हैं, तब उनके घरों में जाना पड़ता हैं। और मेरे घर के पास से लोग बच कर निकलते हैं। मैं जाहिर चोर हूं। इस गांव का जो नवाब है, वह भी मुझसे डरता और कंपता है। पुलिसवाले थक आते हैं। तुम अपने हाथ आ रहे हो! मैं तुम्हंे वचन नहीं देता। रात-बेरात लूट लूं! तो तुम जानो। ’
हसन ने कहा कि मैंने इतना सच्चा और ईमानदार आदमी कभी देखा ही नहीं था, जो खुद कहे कि मैं चोर हूं! और सावधान कर दे। यह तो साधु का लक्षण है। तो रुक गया। हसन ने कहा कि मैं रुकूंगा। तू मुझे लूट ही लेे, तो मुझे खुशी होगी।
सुबह-सुबह चोर वापस लौटा। हसन ने दरवाजा खोला। पूछाः ‘कुछ मिला?’ उसने कहाः ‘आज तो नहीं मिला, लेकिन फिर रात कोशिश करूंगा।’ ऐसा, हसन ने कहा, एक महीने तक मैं उसके घर रुका, और एक महीने तक उसे कभी कुछ न मिला।
वह रोज शाम जाता, उसी उत्साह उसी उमंग से--औैर रोज सुबह जब मैं पूछता--कुछ मिला भाई? तो वह कहता, अभी तो नहीं मिला। लेकिन क्या है, मिलेगा। आज नहीं तो कल नहीं तो परसों। कोशिश जारी रहनी चाहिए।
तो हसन ने कहा कि जब मैं परमात्मा की तलाश में गांव-गांव, जंगल-जंगल भटकता था और रोज हार जाता था, और रोज-रोज सोचता था कि है भी ईश्वर या नहीं, तब मुझे उस चोर की याद आती थी,कि वह चोर साधारण संपत्ति चुराने चला था; मैं परमात्मा को चुराने चला हूं। मैं परम संपत्ति का अधिकारी बनने चला हूं। उस चोर के मन में कभी निराशा न आई; मेरे भी निराशा का कोई कारण नहीं है। ऐसे मैं लगा ही रहा। इस चोर ने मुझे बचाया; नहीं तो मैं कई दफा भाग गया होता, छोड़ कर यह सब खोज। तो जिस दिन मुझे परमात्मा मिला, मैंने पहला धन्यवाद अपने उस चोर-गुरु को दिया।
तब तो लोग उत्सुक हो गए। उन्होंने कहा, ‘कुछ और कहो; इसके पहले कि तुम विदा हो जाओ। यह तो बड़ी आश्चर्य की बात तुमने कही; बड़ी सार्थक भी।
उसने कहाः और एक दूसरे गांव में ऐसा हुआ; मैं गांव में प्रवेश किया। एक छोटा सा बच्चा, हाथ में दीया लिए जा रहा था किसी मजार पर चढ़ाने को। मैंने उससे पूछा कि ‘बेटे, दीया तूने ही जलाया? उसने कहा, ‘हां, मैंने ही जलाया।’ तो मैंने उससे कहा कि ‘मुझे यह बता, यह रोशनी कहां से आती है? तूने ही जलाया। तूने यह रोशनी आते देखी? यह कहां से आती हैं?’
मैं सिर्फ मजाक कर रहा था--हसन ने कहा। छोटा बच्चा, प्यारा बच्चा था; मैं उसे थोड़ी पहेली में डालना चाहता था। लेकिन उसने बड़ी झंझट कर दी। उसने फूंक मार कर दीया बुझा दिया, और कहा कि सुनो, तुमने देखा; ज्योति चली गई; कहां चली गई?
मुझे झुक कर उसके पैर छूने पड़े। मैं सोचता था, वह बच्चा है, वह मेरा अहंकार था। मैं सोचता था, मैं उसे उलझा दंूगा, वह मेरा अहंकार था। उसने मुझे उलझा दिया। उसने मेरे सामने एक प्रश्न-चिह्न खड़ा कर दिया।
ऐसे हसन ने अपने गुरुओं की कहानियां कहीं।
तीसरा गुरु हसन ने कहा, एक कुत्ता था। मैं बैठा था एक नदी के किनारे--हसन ने कहा--और एक कुत्ता आया, प्यास से तड़फड़ाता। धूप घनी है, मरुस्थल है। नदी के किनारे तो आया, लेकिन जैसे उसने झांक कर देखा, उसे दूसरा कुत्ता दिखाई पड़ा पानी में, तो वह डर गया। तो वह पीछे हट गया। प्यास खींचे पानी की तरफ; भय खींचे पानी के विपरीत। जब भी जाए, नदी के पास, तो अपनी झलक दिखाई पड़े; घबड़ा जाए। पीछे लौट आए। मगर रुक भी न सके पीछे, क्योंकि प्यास तड़फ�� रही है। पसीना-पसीना हो रहा है। उसका कंठ दिखाई पड़ रहा है कि सूखा जा रहा है। और मैं बैठा देखता रहा। देखता रहा।
फिर उसने हिम्मत की और एक छलांग लगा दी--आंख बंद करके कूद ही गया पानी में। फिर दिल खोल कर पानी पीया, और दिल खोल कर नहाया। कूदते ही वह जो पानी में तस्वीर बनती थी, मिट गई।
*हसन ने कहा, ऐसी ही हालत मेरी रही। परमात्मा में झांक-झांक कर देखता था, डर-डर जाता था। अपना ही अहंकार वहां दिखाई पड़ता था, वही मुझे डरा देता था। लौट-लौट आता। लेकिन प्यास भी गहरी थी। उस कुत्ते की याद करता; उस कुत्ते की याद करता; सोचता। एक दिन छलांग मार दी; कूद ही गया; सब मिट गया। मैं भी मिट गया; अहंकार की छाया बनती थी, वह भी मिट गई; खूब दिल भर के पीया। कहै कबीर मैं पूरा पाया...।*
~PPG~
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बहुत दिनों से मैं इंतजार कर रहा था कि कोई मुझे रेणु की मैला आँचल किताब भेंट में दें। मै अपने कई मित्रो के सामने भी इस विचार को रखा। लेकिन सब के सब निठल्ले निकले। अंत में हार कर सोचा, जाने भी दो मेरी ही गलती है। मेरे मित्रगण मेरे मज़ाकिया व्यवहार को कभी गंभीरता से लिए ही नहीं। वो मेरी इस मांग को भी मज़ाक ही समझ लिए हो।
कुछेक दिन पहले भैया से बात हो रही थी, उन्होंने मुझे बताया कि वो रेणु को पढ़ रहे हैं वो भी मैला आँचल। मुझसे रहा न गया, मै झट से अमेज़न से किताब को आर्डर कर दिया।
किताब मुझे कल मिली। जब मै लिफाफा को खोलकर किताब को पकड़ा तो नास्टैल्जिया हुआ। महज मै कक्षा छठी या सातवीं का विद्यार्थी रहा हूँगा। मेरे छोटे वाले मामाजी जो मेरे बड़े भैया से एकाध साल के ही बड़े होंगे, को शायद पढ़ने का शौक़ रहा होगा। वो पहली बार हमसबकों, मेरे तीनो भाई-बहन और माँ को बैठाकर, संवदिया, जो कि रेणु के ही लिखी हुई कहानी है, पाठ किया और हरेक गद्यांश को सरलता से समझाया। हालाँकि रेणु भाषावली हमलोगो के लिए जटिल बिलकुल भी नहीं है क्योंकि वो जिन बोली से अपने भाषावली बनाते थे वो हमारे लिए अनजान नहीं था ब्लकि हम ऐसे शब्दों और कहावतों को आम दिनों में जीते थे। लेकिन, साहित्य या यों कहे कि किसी भी कला कृति से वास्ता नहीं होने से, हममे वो कल्पान्तक भाव को पहचानना जटिलता जैसे ही लगाती थी। मामाजी ने उसे इतने सरल से बताया कि जब सवांदिया बड़ी बहुरानी के पाँव पकड़ कर, अंत में, रो रहा था तो मेरी माँ की भी आँखे नम हो गई थी। मै भी भावुक हो गया था पर रोया नहीं। मैं अपने आप को मर्द बनाने की ट्रेनिंग जो दे रहा था।
ख़ैर, संवदिया की शब्दावली, भावुकता से सराबोर और बरौनी जंकशन का जिक्र, मुझे रेणु से आत्मीय रूप से करीब लेकर आया। तब से रेणु की लिखी कहानियां हिंदी के टेक्सटबुक्स में ढूंढते रहता। और जो भी कहानी मिल जाती, उसे मैं छुप-छुपाकर पढ़ लेता। छुपाना इसलिए पड़ता था, क्योंकि घरवाले को लगता था कि कहानी या साहित्य पढ़ने के बदले कुछ रसायन भौतिक गणित पढ़े तो जिंदगी में कुछ कर पावे। जो कभी स्कूल की चौखट न देखे हो, और जीवन मजूरी में बीत रही हो तो शिक्षा रोटी-पानी का एक सम्मानपूर्ण जरिया बनकर रहा जाता है।
परन्तु मैं इस मामले में, अपनेआप को सौभग्यपूर्ण मानता हूँ की, बिना ज्यादा पढ़े लिखे मैं अपने कक्षा में ठीक-ठाक कर लेता था, घर वालो की सिर्फ फ़िक्र थी तो वो मेरी लिखावट की, जो अभी तक बनी रही है। इसी वजह से मैं कहानी और साहित्य में रूचि बनवाने में अपवाद रहा हूँ। जो भी हिंदी की किताब मिल जाती उसे मैं किसी कमरे के एक अकेलेपन वाले कोने जाकर पढ़ लेता। उसी समय महादेवी वर्मा, प्रेंचन्द, राहुल संकृत्यायन आदि के लिखे कहानियां और लेख पढ़ने का मौका मिला। कवितायेँ भी पढ़ी, लेकिन कहानियों के और झुकाव काफी था।
दिल्ली आने के बाद हिंदी से लगभग वास्ता ही नहीं रह गया था। फिर चतुर सेन की वैशाली की नगरवधू हाथ लगी, और फिर से हिंदी पढ़ना शुरू किया।
रेणु की मैला आँचल शायद मै स्कूल समय में पढ़ रखा हूँ। लेकिन यह ठीक से याद नहीं है कि पूरी पढ़ी थी या नहीं। शायद पूरी पढ़ ली थी क्योंकि, कल जब मै ऐसे ही पन्ने पलट रहा था, 'चकई के चक-धूम' वाले गान, जिसे रेणु ने मैला आँचल में जगह दिए, पर नजर गई। तब मुझे याद आया कि मै इसे पहले भी पढ़ा हूँ। हालाँकि, उस उसमे इसे समझने का न ही तजुर्बा था न ही उम्र और साथ ही साथ यादास्त भी आजकल धोखा देती रहती है। इसलिए कल फिर से इसे पढना शुरू किआ। मेरीगंज की कहानी पढ़कर आँखे भर आयी और लगा मतलबी दुनिया प्यार के पागलपन को कांके का ही पागलपन समझेगा।
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Beautiful Husband Wife Shayari in Hindi
Husband Wife Shayari – दोस्तों अगर भी अपनी वाइफ/हस्बैंड से प्यार करते है और हस्बैंड वाइफ शायरी सर्च कर रहे है आप एक दम सही जगह आये है और उनको खुश करने के लिए कुछ करना चाहते है हम आपके लिए लेकर आये है हस्बैंड वाइफ शायरी और इमेजेस जिसे आप डाउनलोड करके स्टेटस या फिर स्टोरी लगा सकते है दोस्तों अगर आपको ये शायरी अछि लगे तो आप हमें कमैंट्स करके बता सकते, अगर दोस्तों आपको किसी और पर शायरी चाइये तो आप हमें बता सकते है
Married Couple Real Love Husband Wife Love Shayari
सब कहते हैं की बीवी केवल तकलीफ देती है
कभी किसी ने ये नहीं कहा की तकलीफ में हमारा
साथ भी सिर्फ वही देती है
तुमसे लड़ते-झगड़ते है और नाराजगी भी रखते हैं,
पर तुम्हारे बिना जीने का ख्याल नहीं रखते हैं.
पति पत्नी में कोई रूठे तो इक दूजे को मना लो
दिल उठे मोहब्बत के अरमान तो खुलकर बता दो
पति के लिए जो छोड़ देती है दुनिया अपनी
लोग उसे कहते हैं पत्नी
जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात है हम
छोड़ देते है लोग नाते बनाकर
जो कभी न छूटे वो साथ है हम
माना कि जिन्दगी का तजुर्बा थोड़ा कच्चा है
पर खुदा की कसम मुहब्बत आपसे सच्चा है
मेरी जिन्दगी में रौनक तेरे आने से है,
कभी तुझे सताने में तो कभी तुझे मनाने में.
किस्मत और पत्नी भले ही परेशान करती हो
लेकिन जब साथ देती है तो जिन्दगी बदल जाती है
पति-पत्नी ने गर अपने रिश्ते को नहीं सींचा,
तो घर बन जाएगा बिना फूलों का बगीचा
ना चांद की चाहत ना तारों की फरमाइश
हर जनम तू ही मिले यही हमारी ख्वाहिश
पत्नी को इज्जत वही देता है जो
पति पत्नी के रिश्ते का महत्व समझता हो
अगर तूने मुझे हजारों में चुना है तो सुन,
हम भी तुम्हें लाखों की भीड़ में खोने नहीं देंगे
वो ख़ुद ही अपनी नज़रों में एक दिन गिर जाता है
जो पति अपनी पत्नी को महत्व नहीं देता
Husband Wife Status in Hindi
हजारो महफिल है,लाखो मेले है,
पर जहां तुम नही, वहां हम नही
खुश्बू बनकर तेरी सांसो में समा जाएँगे,
सुकून बनकर तेरे दिल में उतर जाएँगे
महसूस करने की कोशिश तो कीजिए
दूर रहते हुए भी पास नजर आएँगे !
पति-पत्नी को लुटा देने चाहिए मोहब्बत के खजाने,
मांग लेनी चाहिए माफी, गर भूल हो जाए अनजाने
यादें अक्सर होती है सताने के लिए
कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए
रिश्तें निभाना कोई मुश्किल तो नहीं
बस दिलों में प्यार चाहिए उसे निभाने के लिए
Husband वाली Feeling आ जाती है,
जब तुम अच्छा जी कह कर बात करती हो !
नही चाहिए सोना चाँदी
नही चाहिए मोतियों के हार
चाहूँ तो बस इतना चाहूँ
मेरे साजन बस थोड़ा सा प्यार
सब कहते हैं की बीवी केवल तकलीफ देती है,
कभी किसी ने ये नहीं कहा,
की तकलीफ में हमारा साथ भी सिर्फ वही देती है !
सुनो जी तुम्हे दिल में बसाया है,
अब तुम धड़को या भड़को,
तुम्हारी मर्जी !
सब मिल गया आपको पाकर,
हमारा हर गम मिट गया आपको पाकर,
सवर गई है जिन्दगी हमारी हर लम्हे के साथ,
आपको अपनी जिन्दगी का हिस्सा बनाकर
जो रिश्ते में नहीं लाते कोई मलाल,
ऐसे पति-पत्नी ही लिख जाते हैं मिसाल।
एक पति पत्नी के बिना अधूरा है,
और एक पत्नी पति के बिना अधूरी है,
जिस तरह शरीर के बिना आत्मा अधूरी है,
और आत्मा के बिना शरीर अधूरा है !
हर पति-पत्नी की होती है यही कहानी
तू देता है सुकून और तुझमें है मस्ती रूहानी
True Love Husband Wife Shayari
गुर��र क्यों न हो मुझे खुद पर
क्योंकि तुम सिर्फ मेरे और सिर्फ मेरे हो
तेरे कंधे पर सर रख कर,
ग़मों से जीत जाता हूँ.
पति पत्नी के विश्वास पर शायरी
तुम से ही डरते है
लेकिन तुम पर ही मरते हे
तुम से ही है जिंदगी हमारी
तुम ही हो हमें जान सी प्यारी
जिंदगी तुम्हारे सिवा कटती नहीं
तुम्हारी सब यादे दिल से मिटती नही
तुम इस कदर बस गए हो मेरी आँखों में
की अब इन निगाहो से तुम्हारी तस्वीर हटती नहीं
लम्बी बातों से कोई मतलब नहीं,
मुझे तो आपका जी कहना कमाल लगता है.
सुनो जी तुम्हे दिल में बसाया है
अब तुम धड़को या भड़को तुम्हारी मर्ज़ी
सब कहते हैं की बीवी केवल तकलीफ देती है…
कभी किसी ने ये नहीं कहा की तकलीफ में हमारा
साथ भी सिर्फ वही देती है…
तेरे दिल में मुझे ऐसी उम्र क़ैद मिले,
की थक जाएँ सारे वकील मुझे जमानत न मिले.
सारी दुनिया की मोहब्बत से किनारा करके,
हमने रखा है फकत खुद को तुम्हारा करके.
पति सुख तो अकेला काट लेता हे
लेकिन दुःख में वो अपनी पत्नी को जरूर याद करता हे
पत्नी दुःख तो अकेले काट लेती हे
लेकिन सुख में वो अपने पति को जरूर याद करती हे
एक पति पत्नी के बिना अधूरा है
और एक पत्नी पति के बिना अधूरी है।
जिस तरह शरीर के बिना आत्मा अधूरी है
और आत्मा के बिना शरीर अधूरा है।
न समेट पाओगे जिसे क़यामत तक तुम,
कसम तुम्हारी तुम्हें इतना प्यार करते हैं
Heart Touch True Love Husband Wife Shayari
सिर्फ कुछ ही महीनो में,
उनको हमारी आदत हो गयी,
लगता हैं शादी के कुछ ही दिनों में,
उन्हें हमसे मोहब्बत हो गयी !
प्यार का मतलब तो हम जानते ही न थे,
पर जब से तुम आये हो मेरी जिन्दगी में,
हमने सिवाए प्यार और कुछ महसूस ही नही किया !
तेरी खातिर मेने अपनी खुशियों का जहाँ छोड़ दिया
तुमसे इतनी मोहब्बत की और तुमने मेरे दिल को तोड़ दिया
पति पत्नी का रिश्ता स्टेटस
सुख दुःख में हम तूम
हर पाल साथ निभायेंगे
एक जनम नहीं
सातों जनम पति-पत्नी बन आयेंगे
खूबसूरत होते हे वो पल ,जब पलकों में सपने होते हे
चाहे जितने भी दूर रहे, अपने तो अपने होते हे
रिश्तों की खूबसूरती को दिल में सजा लीजिये
अपनों के रूठने से पहले उन्हें मना लीजिये
यह वादा है तुमसे यह मोहब्बत का,
रिश्ता हर दम निभाएंगे रोज तुमसे,
लड़ेंगे और तुम्हे मनाएंगे !
एक शाम वो भी आएगी,
जब वह मेरी दुल्हन बन जाएगी,
मै सुबह देर तक सोता रहूंगा,
और वह मुझे चाय लेकर जगायेगी !
दो लफ्ज़ उसनें कहें थे दिल की पीडा मिट गयी
दुनिया ने हमेंशा पूछा कि तुम्हें क्या हो ग़या
बेक़रार आंखो ने मुस्कुरा के रह ग़या
यह भीं ना क़ह सका कि तुमसें प्यार हो ग़या
पति पत्नी का प्यार शायरी
यादे अक्सर होती है सतानें के लिये
कोईं रूठ ज़ाता हैं फ़िर मान ज़ाने के लिये
रिश्तें निभाना कोईं मुश्कि़ल तो नही
बस दिलो मे प्यार चाहिये उसें निभानें के लिये
मेरे सपनों को सदा यूँ ही महकता रखना,
मैंने थामा है तेरा हाथ बड़े मान के साथ
मेरी इब्तेदा मेरी इन्तेहाँ तेरे नाम से तेरी जात तक
मेरी ज़िन्दगी मेरी दो जहाँ तेरी साँस से तेरे साथ तक
काश तेरा सवाल होता सुकूं क्या है,
और हम मुस्कुराके तेरे दिल पे सर रख लेते.
पति पत्नी की रोमांटिक शायरी
जैसा मांगा उपरवाले से,
वैसा तेरे जैसा यार मिला,
कुछ और नहीं ख़्वाहिश मेरी,
तेरा जो इतना प्यार मिला।
बस कुछ और मुझे अब खुदा से नहीं चाहिए
आप मिले मेरी जिंदगी मुझे मिल गई !
कुछ इस तरह तेरी
आगोश में खो गए,
जैसे दो जिस्म एक ज��न हो गए।
तेरी हर ख़ुशी और गम से रिश्ता है मेरा
तू मेरी जिंदगी का इक अनमोल हिस्सा है मेरा
किस्मत और पत्नी भले ही परेशान करती हो
लेकिन जब साथ देती है तो जिन्दगी बदल जाती है
तुम चाय जैसी मोहब्बत करो,
मैं बिस्कुट जैसे डूब न जाओं तो कहना !
Shayari On Husband Wife Relation
पति पत्नी के रिश्तें की शान बन जाएँ
एक दुसरे के लबों की मुस्कान बन जाएँ
पति पत्नी में कोई रूठे तो इक दूजे को मना लो
दिल उठे मोहब्बत के अरमान तो खुलकर बता दो
जिसे तुम समझ सको वो बात है हम
जो नही सुबह लाये वो रात है हम
तोड़ देते है लोग रिश्ते बनाकर
जो कभी छूटे ना वो साथ है हम
एक दूजे से लड़ाई हो तो मना भी लिया करों
कभी तुम तो कभी वो रिश्तें को निभा लिया करों
हर कोई कहता हे
बीवी सिर्फ तकलीफ देती हे
कभी किसी ने यह नहीं कहा की
तकलीफ में हमारा साथ भी वह देती हे
इश्क़ के खूबसूरत रिश्ते भी टूट जाते हैं
जब दिल भर जाता है तो अपने भी रूठ जाते हैं
न जाने कौन सा, विटामिन है तुझमे
एक दिन याद न करू तो
कमजोरी सी महसूस होती हे
कोई चीज टूट जाएँ तो उसे सजाना सीखों
कोई अपना रूठ जाएँ तो उसे मनाना सीखों
रिश्तें बनते है बड़ी किस्मत से
हर हाल में रिश्तों को खूबसूरती से निभाना सीखों
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टकाटक, फटाफट और सफाचट...क्या विपक्ष एक बार फिर मोदी को पढ़ने में भूल कर गया?
नई दिल्ली: एग्जिट पोल के आए नतीजों और 4 जून को आने वाले असली नतीजों में कोई बड़ा फर्क नहीं हुआ तो विपक्ष के सामने कोई एक दो सवाल नहीं होंगे। सवाल ऐसे कि शायद ही अगले कुछ महीनों, वर्षों में विपक्ष उसका जवाब खोज पाए। विपक्षी दल खासकर कांग्रेस के लिए मुश्किल घड़ी होगी। जैसा एग्जिट पोल के नतीजे बता रहे हैं उसके मुताबिक विपक्ष के लिए यह चुभने वाली हार होगी। कांग्रेस समेत दूसरे दलों की ओर से चुनाव में तमाम बड़े वादे किए गए लेकिन लगता है कि पब्लिक को उस पर यकीन नहीं हुआ। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी जिनकी बातों पर जनता को अब भी काफी भरोसा है। जो गारंटी की बात कही उस पर विश्वास है। बीजेपी की जीत और विपक्ष की हार के बाद विश्लेषण भी होगा लेकिन एक बात तो तय है कि विपक्ष एक बार फिर पीएम मोदी को पढ़ने में भूल कर गया। चुनाव में टकाटक, फटाफट और चुनाव खत्म होने से कुछ दिन पहले बिहार की धरती से सफाचट की बात कही गई। अब यह उल्टा पड़ता दिख रहा है। मोदी की गारंटी... पब्लिक ने दिया भरपूर साथएक ओर एनडीए गठबंधन जिसकी अगुवाई प्रधानमंत्री कर रहे थे। तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष जिसकी अगुवाई कौन कर रहा किसी को पता नहीं। एनडीए की ओर से सिर्फ मोदी की गारंटी थी तो वहीं विपक्ष की ओर से कांग्रेस, सपा, आरजेडी, आम आदमी पार्टी, डीएमके के अपने-अपने वादे। कोई टकाटक अकाउंट में पैसे देने की बात कर रहा था तो कोई CAA खत्म करने की बात। कोई पीडीए की बात कर रहा था तो कोई पूरे देश में फ्री बिजली देने की बात कर रहा था। कई दल और कई सारे वादे। इन दलों की ओर से कहा जा रहा था कि बहुमत मिला तो हम अपने वादे पूरे कराने के लिए दबाव डालेंगे। कुल मिलाकर कहें कि जितने मुंह उतनी बातें। सभी दलों ने अपने-अपने राज्यों और वोटर्स के हिसाब से वादे किए। वहीं दूसरी ओर सिर्फ मोदी की गारंटी। अब एग्जिट पोल के नतीजों के हिसाब से यह गारंटी सब पर भारी पड़ रही है। टकाटक, फटाफट से सिर्फ काम नहीं चलेगाविपक्षी दलों की ओर से मेहनत नहीं की गई या उनकी रैलियों में भीड़ नहीं हुई, ऐसा नहीं कहा जा सकता। तेजस्वी, ममता बनर्जी, राहुल गांधी, अखिलेश यादव समेत और दूसरे दलों के नेताओं की ओर से कई रैलियां की गईं। फिर ऐसा क्या हुआ कि नतीजे पूरी तरह तो क्या थोड़े बहुत भी फेवर में जाते नहीं दिख रहे। विपक्ष को लेकर जनता के मन में शुरू से सवाल था और यह सवाल पता नहीं कब से है। आखिर कौन विपक्ष की अगुवाई कर रहा है। इन दलों को यह समझना होगा कि सिर्फ यह कह देने से काम नहीं चलेगा कि नतीजों के बाद तय कर लिया जाएगा। यह कहना ही कई बार जनता के मन में संदेह पैदा करता है। कांग्रेस की ओर से महिलाओं को एक खास रकम देने की बात कही गई और भी कई वादे किए गए लेकिन उस पर जनता को यकीन नहीं हुआ। वहीं मोदी अपनी जीत को लेकर शुरू से ही आश्वस्त दिख रहे हैं। फ्री राशन, आवास, जल ऐसी कई योजनाएं थीं जिसका पब्लिक को सीधा लाभ मिल रहा है। यह बात मोदी के फेवर में जाती दिख रही हैं। किंतु परंतु के मूड में नहीं पब्लिक2014, 2019 और अब एग्जिट पोल नतीजों के हिसाब से 2024 में जीत के बाद बनाने जा रहे हैं। 4 जून को नतीजे उलट नहीं हुए तो विपक्ष चाहें जो दलील दे लेकिन एक बात तय है कि पब्लिक के मन में चुनाव की शुरुआत से ही कोई शंका नहीं थी। पब्लिक किसी किंतु परंतु के मूड में शुरू से नहीं है। विपक्ष भले ही जनता और मोदी को भांपने में चूक कर रही थी लेकिन पब्लिक का मत एकदम क्लियर था। लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटना कोई आसान काम नहीं। मोदी ऐसा करते हुए दिख रहे हैं। सिर्फ केंद्र ही नहीं हाल के कई राज्यों के चुनाव में भी जनता अपना मत स्पष्ट तौर पर दे रही है। जिस दल को सत्ता सौंपनी है उसे पूरी मजबूती के साथ कुर्सी पर बिठाना है। कोई एक या दो बात मोदी के फेवर में गई है ऐसा नहीं कहा जा सकता है। विपक्षी दलों ने मिलकर इंडिया गठबंधन तो बना लिया लेकिन पब्लिक को उस पर पूरी तरह यकीन नहीं हो रहा था। जो साथ आ भी रहे थे वह कंडीशन के साथ। ऐसे में लगता है कि जनता को नियम और शर्तें लागू वाली बात पसंद नहीं आई। http://dlvr.it/T7jp2Z
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Day☛1308✍️+91/CG10☛In Home☛26/05/24 (Sun) ☛ 22:29
सच बताऊं तो गरमी बहुत बढ़ गई है, ठंड पानी सबको खूब पसन्द आ रही है, सभी वर्ग के जीव जन्तु गर्मी से हालाकान हैं, खासकर बच्चें लोग और ज्यादा परेशान हैं , दिन में कई कई बार नहा रहें हैं। क्या करें? कहां जाएं? ये तो हालात है मनहर.....
पूरी दुनिया माइंडसेट पर निर्भर है, जब आप सोचेंगे कि जीत होगी तो जीत है, अगर हार सोचोगे तो हार है, आप सोचते जाओ, सब कुछ का रास्ता निकलते जायेगा। जिस दिन आप हारे मतलब उसी दिन आपकी पराजय निश्चित है । अपने लक्ष्य को दिन रात सोचो, उसे लिख दो, उसे पाने की तरकीब सोचो, रोज नए प्लान बनाओ उसे पाने के लिए, एक दिन आप सफल जरूर हो जायेंगे। यह कायनात जैसे सोचते हैं वैसे सोचने वाले को प्रदान करता है.....💪💪
आज ऑफिस नहीं गया था, ऑफीस की हालात जर्जर हो गई है, अब क्या बोलूं जनाब। ऑफिस जाना जरूरी भी है, लेकीन अपने लिए जहां जाए वही ऑफिस है, चाहे वह बीच सड़क ही क्यों न हो।
आज से मोहल्ले के कुछ बच्चो को ट्यूशन पढ़ाना स्टार्ट किया हूं, अभी टाइम pass बोला जाए तो खराब नही है।
Okay 🆗 good night 🌃
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काया पलट
क्राईम फिक्शन के हैशटैग के अंतर्गत डेविड फ्रांसिस सीरीज़ का ‘डेढ़ सयानी’ के बाद यह दूसरा उपन्यास है— लेकिन क्रम में इसे पहले नंबर पर रखा जायेगा, क्योंकि डेविड के जीवन का पहला लिखने योग्य पंगा इसी कहानी में सामने आता है। यूं समझिये कि ‘डेढ़ सयानी’ प्रकाशित भले पहले हुई हो, लेकिन वह कहानी बाद की है, जिसे अगले एडिशन में सही क्रम दिया जायेगा… इसी वजह से इसे इस सीरीज़ का पहला क्रमांक दिया गया है, जो चीज़ पाठकों को कन्फ्यूज कर सकती है। डेढ़ सयानी का क्रम उन कहानियों के बाद आयेगा, जो डेविड ने अब याद करनी और लिखनी शुरू की हैं।
यह एक तरह से डेविड की अतीत यात्रा है— वह पैसिफिक के एक आईलैंड पर बैठ कर अपने उस अतीत को याद कर रहा है, जो लिखने योग्य है। इस अतीत में ही उसके चरित्र का विकास है। उसके साधारण से श्रेष्ठ बनने का सफ़र है। एक आम आदमी से जेम्स बॉण्ड बनने की पड़ावों से भरी प्रक्रिया है। जो आदमी वर्तमान में दस गुंडों को अकेले और निहत्थे पीटने की क्षमता रखता हो— उसके अपने से कम दो मामूली लड़कों से पिट जाने की दास्तान है। इस यात्रा में डेविड के अतीत से जुड़ी नौ कहानियां सामने आयेंगी— जिन्होंने इस कैरेक्टर को दशा और दिशा दी है।
जिन पाठकों ने ‘डेढ़ सयानी’ नहीं पढ़ी, उन्हें ��स कैरेक्टर के बारे में बता दूं कि यह एक योरोपियन पिता और भारतीय माँ से उत्पन्न संतान है, जो आर्थिक रूप से काफ़ी सम्पन्न है। किसी तरह जिसे बचपन से ही जासूसी किताबों और फिल्मों का चस्का लग गया और उसकी फितरत में वैसा ही कोई कैरेक्टर बनने की जो ललक पैदा हुई तो उसके व्यक्तित्व का विकास भी उसी मिज़ाज के अनुरूप होने लगा। इस आकर्षण के चलते ही जिसने शुरू से ही हर तरह की ट्रेनिंग ली, और हर तरह के तकनीकी ज्ञान में भी दक्षता हासिल की। फिर जब जवान होने और पढ़ाई पूरी होने के साथ ही माता-पिता एक रोड एक्सीडेंट में एक्सपायर हो गये, तो वह भी मुक्त हो कर अपने जेम्स बॉण्ड बनने के सफ़र पर निकल पड़ा।
लेकिन व्यवहारिक रूप से ऐसा कुछ हो पाना आसान नहीं होता। क़दम-क़दम पर पेश होने वाली मुसीबतें असल स्किल और जीजिविषा का सख़्त इम्तिहान लेती हैं— यह अलग बात है कि इन मुसीबतों से हार मान कर पीछे हटने के बजाय वह आगे बढ़ता जाता है और उसकी शख्सियत निखरती जाती है। ख़ुद को बारहा ख़तरे में डाल कर, निश्चित दिखती मौत के मुंह से अपने को वापस खींच कर, अंततः वह वैसा बनने में कामयाबी पाता है, जो वह होना चाहता था। ख़ुद को जासूसी दुनिया के किसी फिक्शनल किरदार की तरह ड्वेलप करना और दुनिया भर के अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की सोच रखना उसका एक खब्त था— लेकिन यही अकेला खब्त नहीं था।
उसे प्रकृति से भी कम लगाव नहीं था, वह ज़र्रे-ज़र्रे में एक अप्रतिम सौंदर्य ढूंढने का जज़्बा रखता था। उसे सब्ज़ जंगलों से प्यार था, उसे सूखे रेगिस्तानों से प्यार था, उसे गहरे समंदरों से प्यार था, उसे गर्व से सीना ताने खड़े पहाड़ों से प्यार था। वह पूरी दुनिया को घूम लेना और देख लेना चाहता था— चप्पे-चप्पे को महसूस करना चाहता था और सृष्टि रचियता की उस कारीगरी को निहारना चाहता था, जो हर जगह थी… ज़मीन के हर हिस्से में थी।
लेकिन यह दो शौक ही नहीं थे, जो उसके सर पर खब्त की तरह सवार थे, बल्कि जितनी दिलचस्पी उसे इन दोनों चीज़ों में थी, लड़कियों में उससे कम दिलचस्पी नहीं थी। औरत के मामले में उसका अपना दर्शन था— वह ज़मीन के हर हिस्से में पाई जाने वाली, हर रंग और नस्ल की औरत को भोग लेना चाहता था लेकिन ऐसे किसी रिश्ते में बंधना उसे स्वीकार नहीं था, जो उससे ज़िम्मेदारी की डिमांड करता हो। लड़कियां उसकी कमज़ोरी थीं और उसने जवान होने के बाद से ही ‘आई कांट सी ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस’ के सिद्धांत को अपना रखा था— उसकी ज़िंदगी के ज्यादातर पंगे तो इसी सिद्धांत के चलते थे।
तो यह कैरेक्टर ड्वेलप होने के साथ वह सब पाता है, जो इसने पाना चाहा था, लेकिन जहां से इसकी यह फसादी यात्रा शुरू होती है— वहां इसके साथ कुछ चमत्कार जैसा घटा था… जब सात अक्तूबर की रात दिल्ली से मुंबई पहुंच कर वह अपने घर में सोता है और उठता है तो पाता है कि तारीख़ पंद्रह अक्तूबर हो चुकी थी, वह अपनी वास्तविक उम्र से पच्चीस-तीस साल बड़ा और अधेड़ हो चुका था, उसका शरीर भी काफ़ी हद तक बदल चुका था, मुंबई के बजाय अब वह न्यूयार्क में किसी जगह था, अपने घर के बजाय एक आलीशान घर में था और सबसे बड़ी बात कि अब वह डेविड भी नहीं रहा था, बल्कि न्यूयार्क के टॉप लिस्टेड अमीरों में से एक अमीर राईन स्मिथ बन चुका था।
अब ऐसा कैसे हुआ… सोते-सोते उसका शरीर, उसकी उम्र, उसकी जगह, उसकी हैसियत कैसे बदल गई— इस गुत्थी को सुलझाने का नाम ही ‘काया पलट’ है।
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इस बस्ती के इक कूचे में-इब्न-ए-इंशा
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना
इक नार पे जान को हार गया मशहूर है उस का अफ़साना
उस नार में ऐसा रूप न था जिस रूप से दिन की धूप दबे
इस शहर में क्या क्या गोरी है महताब-रुख़े गुलनार-लबे
कुछ बात थी उस की बातों में कुछ भेद थे उस की चितवन में
वही भेद कि जोत जगाते हैं किसी चाहने वाले के मन में
उसे अपना बनाने की धुन में हुआ आप ही आप से बेगाना
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना
ना चंचल खेल जवानी के ना प्यार की अल्हड़ घातें थीं
बस राह में उन का मिलना था या फ़ोन पे उन की बातें थीं
इस इश्क़ पे हम भी हँसते थे बे-हासिल सा ��े-हासिल था
इक ज़ोर बिफरते सागर में ना कश्ती थी ना साहिल था
जो बात थी इन के जी में थी जो भेद था यकसर अन-जाना
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना
इक रोज़ मगर बरखा-रुत में वो भादों थी या सावन था
दीवार पे बीच समुंदर के ये देखने वालों ने देखा
मस्ताना हाथ में हाथ दिए ये एक कगर पर बैठे थे
यूँ शाम हुई फिर रात हुई जब सैलानी घर लौट गए
क्या रात थी वो जी चाहता है उस रात पे लिक्खें अफ़साना
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना
हाँ उम्र का साथ निभाने के थे अहद बहुत पैमान बहुत
वो जिन पे भरोसा करने में कुछ सूद नहीं नुक़सान बहुत
वो नार ये कह कर दूर हुई 'मजबूरी साजन मजबूरी'
ये वहशत से रंजूर हुए और रंजूरी सी रंजूरी?
उस रोज़ हमें मालूम हुआ उस शख़्स का मुश्किल समझाना
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना
गो आग से छाती जलती थी गो आँख से दरिया बहता था
हर एक से दुख नहीं कहता था चुप रहता था ग़म सहता था
नादान हैं वो जो छेड़ते हैं इस आलम में नादानों को
उस शख़्स से एक जवाब मिला सब अपनों को बेगानों को
'कुछ और कहो तो सुनता हूँ इस बाब में कुछ मत फ़रमाना'
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना
अब आगे का तहक़ीक़ नहीं गो सुनने को हम सुनते थे
उस नार की जो जो बातें थीं उस नार के जो जो क़िस्से थे
इक शाम जो उस को बुलवाया कुछ समझाया बेचारे ने
उस रात ये क़िस्सा पाक किया कुछ खा ही लिया दुखयारे ने
क्या बात हुई किस तौर हुई अख़बार से लोगों ने जाना
इस बस्ती के इक कूचे में इक इंशा नाम का दीवाना
हर बात की खोज तो ठीक नहीं तुम हम को कहानी कहने दो
उस नार का नाम मक़ाम है क्या इस बात पे पर्दा रहने दो
हम से भी तो सौदा मुमकिन है तुम से भी जफ़ा हो सकती है
ये अपना बयाँ हो सकता है ये अपनी कथा हो हो सकती है
वो नार भी आख़िर पछताई किस काम का ऐसा पछताना?
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना
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'मुझे याद है कि मैंने राहुल द्रविड़ से कहा था कि मैं विश्वास नहीं कर सकता कि सचिन तेंदुलकर विराट कोहली से बेहतर थे।'
इसके विरुद्ध: कॉनराड के पास न्यूज़ीलैंड में पूरी ताकत वाली टीम नहीं होगी, पहली टीम के कई खिलाड़ी स्वदेश में SA20 में शामिल होने के लिए तैयार हैं। लेकिन उनका मानना है कि प्रोटियाज़ 'वहां कुछ लोगों को आश्चर्यचकित कर सकता है।' | फोटो क्रेडिट: क्रिकेट साउथ अफ्रीका/गैलो इमेजेज
शुक्री कॉनराड ने पिछले जनवरी में एक चुनौतीपूर्ण समय में दक्षिण अफ्रीका की टेस्ट टीम के मुख्य कोच का पद संभाला था। टीम अपनी पिछली दोनों सीरीज़ हार गई थी और भविष्य अच्छा नहीं दिख रहा था, प्रोटियाज़ को भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की तुलना में काफी कम टेस्ट खेलने थे। हालाँकि, उन्होंने अपने पहले तीन टेस्ट मैचों में दक्षिण अफ्रीका को जीत दिलाई। सेंचुरियन में उनके लड़कों द्वारा भारत को एक पारी और 32 रनों से हराने के कुछ दिनों बाद, वह एक साक्षात्कार के लिए बैठे। हिन्दू केप टाउन के न्यूलैंड्स में, उनका घरेलू मैदान और क्रिकेट के सबसे सुंदर स्थानों में से एक। अंश:सेंचुरियन में जीत ऐसे समय में मिली जब दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट क्रिकेट के भविष्य को लेकर काफी चर्चा हो रही है। हम SA20 का प्रभाव पहले से ही देख सकते हैं...
जब मैं एक खिलाड़ी के दृष्टिकोण से बात करता हूं तो मुझे नहीं लगता कि दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट क्रिकेट संकट में है। उस चेंजरूम में हर खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट खेलना चाहता है। हम यह भी समझते हैं कि अगर हमारे पास भारत, इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया जैसे संसाधन होते तो हम अधिक टेस्ट मैच खेलते। मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि जब भी हम टेस्ट खेलें तो अच्छा खेलें।क्या यह अफ़सोस की बात नहीं है कि दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीम, जिसने खेल में पुनः प्रवेश के बाद से कुछ बेहतरीन टेस्ट खेले हैं और कई उत्कृष्ट खिलाड़ी तैयार किए हैं, को पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहे हैं?
हम हमेशा एक महान टीम रहे हैं। लेकिन जब भी हम खेलते हैं, हमारे पास दुनिया को यह दिखाने का अवसर होता है कि हमें और अधिक खेलना चाहिए। उम्मीद है कि विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के अगले कुछ चक्र अलग होंगे। एक टीम, एक देश के रूप में टेस्ट क्रिकेट अभी भी हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है।अब ऐसी स्थिति है कि आपको न्यूज़ीलैंड में केवल सात कैप्ड खिलाड़ियों के साथ टेस्ट श्रृंखला खेलनी होगी, क्योंकि आपके अधिकांश सर्वश्रेष्ठ ग्यारह खिलाड़ी SA20 में शामिल होने के लिए अनुबंधित हैं।
पूरे मामले में हर कोई एक दूसरे पर आरोप लगा रहा है. हम क्रिकेटरों के रूप में समझते हैं कि SA20 लीग बेहद महत्वपूर्ण है। यह राजस्व लाता है, ताकि हम भविष्य में अधिक टेस्ट क्रिकेट खेल सकें। अगर SA20 नहीं होता तो शायद दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट क्रिकेट नहीं होता।लेकिन एक आशा की किरण हो सकती है। कोई व्यक्ति न्यूजीलैंड में अपने करियर की शुरुआत कर सकता है।जैसे डेविड बेडिंघम और नांद्रे बर्गर ने यहां भारत के खिलाफ किया...
बिल्कुल। जब हम फ्लाइट में चढ़ेंगे तो हमें न्यूजीलैंड की चिंता होगी।' और हम वहां कुछ लोगों को आश्चर्यचकित कर सकते हैं।आपने दक्षिण अफ़्रीका में क्रिकेट के परिवर्तनकारी चरण को देखा है और उसका हिस्सा भी रहे हैं; आपने रंगभेद के दोनों ओर खेला है।
हाँ, मैंने हर चीज़ का थोड़ा-थोड़ा स्वाद चख लिया है। मैंने सफेद पक्ष में खेला, चलो बुलाते हैं। और मैं गैर-श्वेत पक्ष में खेला। और फिर जब एकता साथ आई तो मैं इसमें शामिल था। हर चीज़ थोड़ा थोड़ा। मैंने यह स��� देखा है.एक कोच के रूप में यात्रा कैसी रही?
मैंने बहुत सारी चीजें की हैं. मैंने अपनी कोचिंग यात्रा लगभग 20 साल पहले शुरू की थी। और कई बार मुझे लगा कि मुझे राष्ट्रीय कोच बनना चाहिए था। आप कड़ी मेहनत करते हैं और फिर अंततः जब ऐसा होता है, तो आप ऐसा महसूस करते हैं कि यह सब समय के बारे में है। मुझे लगता है कि अगर मुझे यह 10 साल पहले मिल गया होता, तो शायद मैं उतनी अच्छी तरह तैयार नहीं होता। और फिर भी जब आप यहां प्रवेश करते हैं, तो कभी-कभी मुझे लगता है, क्या मैं इसके लिए तैयार हूं?यह ऐसा है जैसे खिलाड़ियों को साकार करने के सपने होते हैं। मुझे लगता है कि एक कोच के रूप में मेरा सपना भी साकार हो गया है। और वापस आकर न्यूलैंड्स में नए साल के टेस्ट जैसे प्रतिष्ठित टेस्ट मैच में शामिल होना। हम सब यही सपना देखते हैं। मुझे याद है कि जब मैं बच्चा था, जहां वह नई इमारत है, उसके रास्ते में ��क पुराना स्कोरबोर्ड हुआ करता था। आप जानते हैं, बचपन में मैं स्कोरबोर्ड पर काम करता था। हाँ, यहाँ वापस आने के लिए, मैंने पाँच साल तक यहाँ प्रशिक्षण लिया। मैंने प्रांतीय टीम को प्रशिक्षित किया।तो क्या आपको उस समय के खिलाड़ी याद हैं, जब आपने स्कोरिंग की थी?
खैर, यह ऐसा है जैसे हम क्लाइव राइस और पीटर कर्स्टन और एलन लैम्ब्स की ओर वापस जा रहे हैं। आप जानते हैं, हम सभी के अपने नायक थे। पीटर कर्स्टन न्यूलैंड्स के नायक थे। उस समय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं था. लेकिन नए साल पर, उस समय उत्तर बनाम दक्षिण, पश्चिमी प्रांत और ट्रांसवाल का बड़ा मैच हुआ करता था। और फिर, जाहिर है, जब हमें यहां टेस्ट क्रिकेट मिला, तो मुझे याद है कि मैं एक दिन यहां आया था और मोहम्मद अज़हरुद्दीन और सचिन तेंदुलकर को वो पारियां खेलते हुए देखा था...1996-97 में पांच विकेट पर 58 रन पर एक साथ आने के बाद उनकी 222 रन की साझेदारी - यह दोनों छोर से सुंदर बल्लेबाजी थी...
हाँ यह था। मैं वहां रेलवे स्टैंड पर बैठा और मैंने इसे देखा और मैंने खुद से कहा, मुझे नहीं लगता कि मैं इससे बेहतर कुछ देख पाऊंगा। इस मैदान पर इससे बेहतर कुछ नहीं देखा गया। मेरे पास भी नहीं।अपने कोच की नजर से देखें तो किन क्रिकेटरों ने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया है?
मुझे इस बारे में राहुल द्रविड़ से बात करना याद है और मैंने कहा था, मैं विश्वास नहीं कर सकता कि सचिन तेंदुलकर विराट कोहली से बेहतर थे। और उन्होंने मुझसे कहा, देखो, सचिन मास्टर बने हुए हैं, विराट महान हैं।मुझे लगता है कि मैंने अब तक जितने भी बल्लेबाज देखे हैं उनमें कोहली सर्वश्रेष्ठ हैं। और मैंने ब्रायन लारा, रिकी पोंटिंग और जैक्स कैलिस को देखा है।कोहली को क्या अलग करता है?
उसके बारे में सब कुछ. वह अब तक का सबसे महान है. आप उसे अपना व्यवसाय करते हुए देखते हैं; उसका रवैया, सब कुछ. वह जिस तीव्रता के साथ खेलता है और उसकी अनुकूलनशीलता। यदि आप अपना खेल किसी पर आधारित करना चाहते हैं, तो आप कोहली को भी चुन सकते हैं।मैंने क्लाइव लॉयड के नेतृत्व वाली महान वेस्टइंडीज टीम की भी प्रशंसा की। और वास्तव में वेस्टइंडीज का हमारे घरेलू खेल पर व्यापक प्रभाव पड़ा क्योंकि डेसमंड हेन्स यहां खेलने आए थे। फ्रैंकलिन स्टीफेंसन ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। जैसा कि शॉन पोलक और लांस क्लूजनर के विकास में मैल्कम मार्शल ने किया था। एज्रा मोसले ने यहां खेला। एल्डीन बैप्टिस्ट. बहुत से खिलाड़ी पूर्वी प्रांत में उनकी भूमिका के बारे में बात करते हैं। एशवेल प्रिंस एल्डीन की बहुत प्रशंसा करते हैं और बताते हैं कि कैसे उन्होंने उसके विकास में सहायता की।क्या आप दक्षिण अफ्रीका में घरेलू क्रिकेट चलाने के तरीके से खुश हैं?
मुझे लगता है कि हमें और अधिक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने की जरूरत है।' हम अधिक दक्षिण अफ्रीका-ए दौरे देख रहे हैं।भारत को अपने 'ए' दौरों से फायदा हुआ है और द्रविड़ ने बड़ी भूमिका निभाई है...
मुझे याद है कि 2017 में जब मैं दक्षिण अफ्रीका-ए टीम को कोचिंग दे रहा था, तब राहुल भारत-ए के कोच के रूप में यहां आए थे। और तभी हम पहली बार मिले. मुझे एक रात उनके साथ डिनर करना याद है। आपको क्रिकेट में इससे अच्छा आदमी नहीं मिलेगा।
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Manan karne yogya Katha or apne prabhu me astha or vishwas
मनन करने योग्य कथा और अपने प्रभु में आस्था और विश्वास
*पुत्री का विवाह*
बनारस की गलियों में एक राम जानकी मंदिर है, जिसकी देख रेख मंदिर के पुजारी पंडित दीनदयाल के हाथों थी। पंडितजी भी अपनी पूरी जिंदगी इस राम जानकी मंदिर को समर्पित कर चुके थे।
संपत्ति के नाम पर उनके पास एक छोटा सा मकान और परिवार में उनकी पत्नी कमला और विवाह योग्य बेटी पूजा ।
मन्दिर में जो भी दान आता वही पंडित जी और उनके परिवार के गुजारे का साधन था। बेटी विवाह योग्य जो हो गयी थी और पंडित जी ने हर मुकम्मल कोशिश की जो शायद हर बेटी का पिता करता। पर वही दान दहेज़ पे आकर बात रुक जाती।
पंडित जी अब निराश हो चुके थे। सारे प्रयास कर के हार चुके थे।
एक दिन मंदिर में दोपहर के समय जब भीड़ न के बराबर होती है उसी समय चुपचाप राम सीता की प्रतिमा के सामने आँखें बंद किये अपनी बेटी के भविष्य के बारे में सोचते हुए उनकी आँखों से आँसू बहे जा रहे थे।
तभी उनकी कानों में एक आवाज आई, "नमस्कार, पंडित जी!"
झटके में आँखें खोलीं तो देखा सामने एक बुजुर्ग दंपत्ति हाथ जोड़े खड़े थे। पंडित जी ने बैठने का आग्रह किया। पंडित जी ने गौर किया कि वो वृद्ध दंपत्ति देखने में किसी अच्छे घर के लगते थे। दोनों के चेहरे पर एक सुन्दर सी आभा झलक रही थी।
"पंडित जी आपसे एक जरूरी बात करनी है।" वृद्ध पुरूष की आवाज़ सुनकर पंडित जी की तंत्रा टूटी।
"हाँ हाँ कहिये श्रीमान।" पंडित जी ने कहा।
उस वृद्ध आदमी ने कहा, "पंडित जी, मेरा नाम विशम्भर नाथ है, हम गुजरात से काशी दर्शन को आये हैं, हम निःसंतान हैं, बहुत जगह मन्नतें माँगी पर हमारे भाग्य में पुत्र/पुत्री सुख तो जैसे लिखा ही नहीं था।"
"बहुत सालों से हमनें एक मन्नत माँगी हुई है, एक गरीब कन्या का विवाह कराना है, कन्यादान करना है हम दोनों को, तभी इस जीवन को कोई सार्थक पड़ाव मिलेगा।"
वृद्ध दंपत्ति की बातों को सुनकर पंडित जी मन ही मन इतना खुश हुए जा रहे थे जैसे स्वयं भगवान ने उनकी इच्छा पूरी करने किसी को भेज दिया हो।
"आप किसी कन्या को जानते हैं पंडित जी जो विवाह योग्य हो पर उसका विवाह न हो पा रहा हो। हम हर तरह से दान दहेज देंगे उसके लिए और एक सुयोग्य वर भी है।" वृद्ध महिला ने कहा।
पंडित जी ने बिना एक पल गंवाए अपनी बेटी के बारे में सब विस्तार से बता दिया। वृद्ध दम्पत्ति बहुत खुश हुए, बोले, "आज से आपकी बेटी हमारी हुई, बस अब आपको उसकी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं, उसका विवाह हम करेंगे।"
पंडित जी की खुशी का कोई ठिकाना न रहा। उनकी मनचाही इच्छा जैसे पूरी हो गयी हो।
विशम्भर नाथ ने उन्हें एक विजिटिंग कार्ड दिया और बोला, "बनारस में ही ये लड़का है, ये उसके पिता के आफिस का पता है, आप जाइये। ये मेरे रिश्ते में मेरे साढ़ू लगते हैं।
बस आप जाइये और मेरे बारे में कुछ न बताइयेगा। मैं बीच में नहीं आना चाहता। आप जाइये, खुद से बात करिये।
पंडित जी घबराए और बोले, "मैं कैसे बात करूँ, न जान न पहचान, कहीं उन्होंने मना कर दिया इस रिश्ते के लिए तो..??"
वृद्ध दंपत्ति ने मुस्कुराते हुए आश्वासन दिया कि, "आप जाइये तो सही। लड़के के पिता का स्वभाव बहुत अच्छा है, वो आपको मना नहीं करेंगे।"
इतना कह कर वृद्ध दंपत्ति ने उनको अपना मोबाइल नंबर दिया और चले गए। पंडित जी ने बिना समय गंवाए लड़के के पिता के आफिस का रुख किया।
मानो जैसे कोई चमत्कार सा हो गया। 'ऑफिस में लड़के के पिता से मिलने के बाद लड़के के पिता की हाँ कर दी', 'तुरंत शादी की डेट फाइनल हो गयी', पंडित जी जब जब उस दंपत्ति को फोन करते तब तब शादी विवाह की जरूरत का दान दहेज उनके घर पहुँच जाता।
सारी बुकिंग, हर तरह का सहयोग बस पंडित जी के फोन कॉल करते ही उन तक पहुँचने लगते।
अंततः धूमधाम से विवाह संपन्न हुआ। पंडित जी की लड़की कमला विदा होकर अपने ससुराल चली गयी।
पंडित जी ने राहत की साँस ली। पंडित जी अगले दिन मंदिर में बैठे उस वृद्ध दम्पत्ति के बारे में सोच रहे थे कि कौन थे वो दम्पत्ति जिन्होंने मेरी बेटी को अपना समझा, बस एक ही बार मुझसे मिले और मेरी सारी परेशानी हर लिए।
यही सोचते-सोचते पंडित जी ने उनको फोन मिलाया। उनका फोन स्विच ऑफ बता रहा था। पंडित जी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
उन्होंने मन ही मन तय किया कि एक दो दिन और फोन करूँगा नहीं बात होने पर अपने समधी जी से पूछूँगा जरूर विशम्भर नाथ जी के बारे में।
अंततः लगातार 3 दिन फ़ोन करने के बाद भी विशम्भर नाथ जी का फ़ोन नहीं लगा तो उन्होंने तुरंत अपने समधी जी को फ़ोन मिलाया।
ये क्या….
फ़ोन पर बात करने के बाद पंडित जी की आँखों से झर झर आँसू बहने लगे। पंडित जी के समधी जी का दूर दूर तक विशम्भर नाथ नाम का न कोई सगा संबंधी, न ही कोई मित्र था।
पंडित जी आँखों में आँसू लिए मंदिर में प्रभु श्रीराम के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। और रोते हुए बोले,
*
"मुझे अब पता चला प्रभु, वो विशम्भर नाथ और कोई नहीं आप ही थे,
वो वृद्धा जानकी माता थीं, आपसे मेरा और मेरी बेटी का कष्ट देखा नहीं गया न?
दुनिया इस बात को माने या न माने पर आप ही आकर मुझसे बातें कर के मेरे दुःख को हरे प्रभु।"
राम जानकी की प्रतिमा जैसे मुस्कुराते हुए अपने भक्त पंडित जी को देखे जा रही थी।
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Pyaar Ka Pehla Adhyaya Shivshakti 5th August 2023 Hindi Written Update Episode
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एपिसोड की शुरुआत नंदू द्वारा शक्ति को यह बताने से होती है कि शिव ने मंत्री की बेटी के प्रवेश को अस्वीकार कर दिया है और उसे वह प्रवेश दे दिया है और यही कारण है कि मंत्री उससे बदला ले रहा है।
वह शक्ति से कहता है कि वह इस सारी ��ड़बड़ी के लिए जिम्मेदार है और उसे फिर कभी शिव के पास नहीं आना चाहिए।
नंदू के कठोर शब्द सुनकर शक्ति निराश हो जाती है और शिव को बचाने के लिए कुछ भी करने का फैसला करती है।
थोड़ी देर के बाद, शक्ति को अपने सोफे पर शिव का कोट मिलता है और उसे शिव के शब्द याद आते हैं जब उसने उससे कहा था कि उसने उसका सम्मान अर्जित किया है।
दूसरी ओर, शिव भी शक्ति से जुड़ाव महसूस करते हैं और उनके बारे में सोचते हैं।
शक्ति शिव की समस्याओं के लिए जिम्मेदार महसूस करती है क्योंकि वह खुद को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं थी जबकि शिव भी शक्ति के लिए ऐसा ही महसूस करते हैं।
एक डॉक्टर कभी हार नहीं मानता।
शक्ति अपने विचारों में शिव को संबोधित करती है और उससे पूछती है कि वह उसके लिए किससे लड़ेगा और उसे बताती है कि उसने उससे एक बार कहा था कि एक डॉक्टर कभी हार नहीं मानता।
अपने आंसू पोंछते हुए वह उसे भरोसा दिलाती है कि वह उसके लिए जरूर कुछ करेगी।
इस बीच, रघुनाथ वकील से जमानत न मिलने और क्या उसके बेटे को जेल में रात गुजारने के बारे में सवाल करता है।
वकील की डिग्री किसी काम की नहीं है।
मंदिरा ने उसे याद दिलाया कि तीन रातें हो जाएंगी क्योंकि अदालत दो दिनों के लिए बंद रहेगी।
वह भावनात्मक रूप से वकील से कहती है कि जब वे शिव को बाहर नहीं निकाल सकते तो उनकी वकील की डिग्री किसी काम की नहीं है।
इसके अलावा, मंदिरा अपने अद्भुत अभिनय के लिए अपने कंधे थपथपाती है जब वकील के अगले शब्द उसे गुस्से से भर देते हैं।
हालाँकि, वकील उन्हें बताता है कि अगर शक्ति वहाँ आती है और बयान देती है कि शिव उसे बचा रहे थे तो उसके खिलाफ ये आरोप हटाए जा सकते हैं।
लड़की का मामला होने के कारण मंत्री भी कुछ नहीं कर पाते. मंदिरा को एहसास होता है कि अगर शक्ति वहां आ गई तो उसकी सारी प्लानिंग बर्बाद हो जाएगी
तभी, शिव उनसे कहते हैं कि वे शक्ति को वहां न बुलाएं क्योंकि वह पहले से ही सदमे में होगी और यहां आकर और अधिक प्रताड़ित महसूस करेगी।
हालाँकि, रघुनाथ उससे कहता है कि उसे अभी मामला संभालने दो और वकील से कहता है कि वह खुद जाएगा और शक्ति को वहां लाएगा।
इस बीच, मंदिरा, रघुनाथ को शक्ति के घर जाते देखकर चिंतित हो जाती है और उससे कहती है कि उसे नहीं जाना चाहिए क्योंकि उनकी पारिवारिक प्रतिष्ठा जांच के दायरे में आ जाएगी।
जैसे ही मंदिरा जाती है, नंदू उसके पीछे आता है
वह उससे यह भी कहती है कि वह खुद जाकर शक्ति को ले आएगी क्योंकि उसने पहले कभी उसे विफल नहीं किया है।
जैसे ही मंदिरा जाती है, नंदू उसके पीछे आता है और उससे पूछता है कि क्या वह शक्ति को पुलिस स्टेशन ला सकता है।
इस बीच, मंदिरा क्रोधित हो जाती है और उसे याद दिलाती है कि कैसे वह शक्ति को शिव के कमरे में लाने वाला था और उसे शिव के साथ रहने के लिए कहता है जैसा कि उसे बताया गया था।
बाद में, नंदू शक्ति को फोन करता है और उसे बताता है कि केवल वह शिव को जेल में रात बिताने से बचा सकती है यदि वह आकर बयान देने के लिए सहमत हो कि शिव उसे गुंडों से बचा रहा था।
उधर, मंदिरा अपनी बेटी और कीर्तन को फोन करती है और कहती है कि शक्ति को किसी भी कीमत पर पुलिस स्टेशन नहीं पहुंचना चाहिए।
अगर रिमझिम घर छोड़ेगी तो मनोरमा उसे माफ नहीं करेगी।
वह कीर्तन को शक्ति से दूर रहने के लिए भी कहती है और यह सब खत्म होने के बाद वे इस विषय पर बात करेंगे।
इस बीच, शक्ति पुलिस स्टेशन जाने का रास्ता सोच रही है तभी रिमझिम उससे कहती है कि अगर वह घर छोड़ेगी तो मनोरमा उसे माफ नहीं करेगी।
हालाँकि, शक्ति उससे कहती है कि वह डॉ. शिव को किसी समस्या में नहीं छोड़ सकती, जबकि मनोरमा खाने की प्लेट लेकर उनके कमरे में आती है और उनसे पूछती है कि वे किस बारे में बात कर रहे हैं।
Source link:- Pyaar Ka Pehla Adhyaya Shivshakti 5th August 2023 Hindi Written Update Episode -
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तुम चलो तो सही
तुम चलो तो सह
मंजिले हैं यहीं कहीं
हार कर बैठ जाओगे तो कुछ ना पाओगे
चलते रहते रहने से सदा दूरी कम पाओगे,
जिंदगी एक सफर तय करते सब मगर
किसी को खुशियां मिली
कोई बैठ गया थक हारकर,
कोई बाधा नहीं गर जज्बा जीत का
चलते रहो मत रुको यही नियत जिंदगी का,
एक दिन तेरा जीवन बदल जाएगा
मेहनत करने का फल मिल जायेगा ।।
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#ज्ञानगंगा_Part78
"भूतों व रोगों के सत्ताए परिवार को आबाद करना
भक्तमति अपलेश देवी पत्नी श्री रामेहर पुत्र श्री मांगेराम, गाँव-मिरच, तहसील चरखी दादरी, जिला भिवानी (हरियाणा) ।
मैं अपलेश देवी अपने दुःखी जीवन की एक झलक आपको बता रही हूँ। मैं और मेरे बच्चे - राहूल और ज्योति हैं जो बीते समय के बुरे हालातों को याद करके सिहर जाते हैं। जिनका वर्णन करते समय कलेजा मुंह को आता है।
6 दिसम्बर 1995 की रात्री में बदमाशों ने मेरे पति को ड्यूटी के दौरान जान से मार दिया था। लेकिन इस पूर्ण परमात्मा (कबीर साहिब) ने हमारा ध्यान रखा और मेरे पति को जीवन दान दिया जो आज हमें परिवार सहित बन्दी छोड़ गुरु रामपाल जी महाराज की दया से पूर्ण परमात्मा के चरणों में स्थान मिल गया है। हमारे परिवार में मेरे पति को साफ कपड़े पहनाते जो कुछ देर बाद अन्डर वियर के ऊपर के हिस्से पर जहाँ पर रबड़ या नाड़ा होता है वहाँ चारों ओर खून से कपड़े रंगीन हो जाते थे, तथा बच्चों को भी बलगम के साथ खून आता था और मैं भी एक वर्ष से हार्ट (दिल) की बीमारी से बहुत परेशान हो चुकी थी। जिसके लिए वर्षों से दवाईयाँ खा रही थी। मेरे पतिदेव दिल्ली पुलिस में हैं। मेरे सारे शरीर पर फोड़े-फुन्सी हो जाते थे। घर में परेशानियों के कारण मेरे पति रामेहर का दिमागी संतुलन भी बिगड़ गया था।
हमने इन परेशानियों के लिए सन् 1995 से जुलाई 2000 तक एक दर्जन से भी ज्यादा लंगड़े, लोभी व लालची गुरुवों के दरवाजे खटखटाए तथा भारत वर्ष में तीर्थ स्थानों जैसे जमुना, गंगा, हरिद्वार, ज्वाला जी, चामुन्डा, चिन्तपूरनी, नगर कोट, बाला जी, मेहन्दी पुर व गुड़गाँवा वाली माई तथा गौरख टीला राजस्थान वाले प्रत्येक स्थानों पर बच्चों सहित काफी बार चक्कर लगाते रहे लेकिन हमें कोई राहत नहीं मिली।
इस प्रकार हमारे परिवार की हालत यहाँ तक आ चुकी थी कि हम होली व दिवाली भी किसी मस्जिद में बैठकर बिताने लग गये थे। हम बड़े खुशनसीब हैं जो हमें संत रामपाल जी महाराज के द्वारा परम पूज्य कबीर परमेश्वर की शरण मिल गई। अब कहाँ गये वे काल के दूत तथा वे हमारी बीमारियाँ जिनका ईलाज आल इण्डिया हॉस्पीटल में चल रहा था, जो सतगुरुदेव के चरणों की धूल के आगे टिक नहीं पाई। 25 फरवरी 2001 को एक काल की पूजा करने वाले स्थाने ने फोन करके पूछा कि अपलेश तुम्हारा नाम है। मैंने कहा कि हाँ, आप अपना नाम बताओ। तब वह स्याना कहता है कि यह बलवान कौन है, आपका क्या लगता है? मैंने कहा कि तुम कौन हो, आपका क्या नाम है तथा यह सब क्यों पूछना चाहते हो ? तब वह स्याना कहता है कि बेटी तुम मेरा नाम मत पूछो। मैं बताना नहीं चाहता तथा मैं हांसी से बोल रहा हूँ। यह बलवान तथा इसके साथ एक आदमी आए और दोनों मुझे 3700 रूपए तुम पर घाल घलवाने के लिए दे गए थे। मैंने तुम्हारा फोन नं. भी बलवान से लिया था कि मैं पूछूंगा कि उनकी दुर्गति हुई या नहीं। मेरे पास आपका फोन नं. नहीं था, बलवान ने ही दिया था। जो मैंने यह बुरा कार्य रात्री में किया। लेकिन जैसे ही मैं सोने लगा तो मुझे सफेद कपड़ों में जिस गुरु की तुम पूजा करते हो वे दिखाई दिये, जिन्होंने मुझे बतला दिया कि इसका परिणाम तुम खुद भोगोगे । यह परिवार सर्व शक्तिमान सर्व कष्ट हरण परम पूज्य कबीर परमेश्वर की शरण में है । आपकी तो औकात ही क्या है ? यहाँ का धर्मराज भी अब इस परिवार का कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
गरीब, जम जौरा जासै डरै मिटें कर्म के लेख अदली अदल कबीर हैं, कुल के सद्गुरु एक ।।
परम पूज्य कबीर परमेश्वर जी से जम (काल तथा काल के दूत) तथा मौत भी डरती है। वे पूर्ण प्रभु पाप कर्म के दण्ड के लेख को भी समाप्त कर देते हैं। इसके बाद उस स्थाने ने कहा कि बेटी तुम्हें यह बतला दूँ कि तुम जिस देव पुरुषोत्तम की पूजा करते हो, वे बहुत प्रबल शक्ति हैं। मैं 25 वर्ष से यह घाल घालने का कार्य कर रहा हूँ। न जाने कितने परिवार उजाड़ चुका हूँ। परन्तु आज पहली बार हार खाई है। बेटी इस शक्ति को मत छोड़ देना, नहीं तो मार खा जाओगे। आपके विनाश के लिए बलवान आदि घूम रहे हैं। मैंने कहा कि हम पूर्ण परमात्मा की पूजा करते हैं, बलवान मेरे पति का बड़ा भाई है। हमारा जानी दुश्मन बना है।
हम आज इतने खुशनसीब हैं कि हमारे दिल में किसी वस्तु या कार्य की आवश्यकता होती है उसको यह सतगुरुदेव, सत कबीर साहिब पूर्ण कर देते हैं। आज गुरु गोविन्द दोनों खड़े, हम किसके लागे पाय । हम बलिहारी सतगुरुदेव रामपाल जी के चरणों में जिन्हें परमेश्वर दिया मिलाय ।
हे भाईयों और बहनों हम सारा परिवार मिलकर आपको यह सन्देश देते हैं कि अगर आपको सतलोक का मार्ग, पूर्ण मोक्ष व सर्व सुख प्राप्त करना हो और सांसारिक दुःखों से छुटकारा पाना हो तो बन्दी छोड़ संत रामपाल जी महाराज से सतनाम प्राप्त कर लेना और अपना अनमोल मनुष्य जन्म सफल कर लेना । ।।
��त साहिब ।।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
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मर्डर, गैंगस्टर एक्ट, NSA और जेल... फिर 'LLM अपराधी' की दलीलों के आगे यूं हार गई पुलिस
नई दिल्ली। बात साल 2011 की है। यूपी में बागपत के किरठल गांव का 18 साल का एक नौजवान देश की सेना में जाने का सपना देख रहा था। जिस वक्त गांव के लोग भोर की मीठी नींद में होते, उस वक्त वो नौजवान सड़कों पर पसीना बहा रहा होता था। दौड़ते वक्त उसकी आंखों में बस उस दिन को देखने का इंतजार था, जब उसके शरीर पर सेना की वर्दी होगी। लेकिन, इस बीच कुछ ऐसा हुआ, जिससे इस नौजवान की जिंदगी बदल गई। एक रात जब वो सोया हुआ था, तो यूपी पुलिस की एक टीम आई और उसे उठाकर ले गई। केस मेरठ का था, जहां दो पुलिसकर्मियों की हत्या हुई थी। पुलिस ने मामले में 17 लोगों को आरोपी बनाया और उनमें एक नाम नाम के इस नौजवान का भी था।सूबे में उस वक्त मायावती की सरकार थी। मामला दो पुलिसकर्मियों की हत्या और उनकी बंदूकें लूटने का था। ऐसे में आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी के आदेश थे। पुलिस ने बाकी आरोपियों के साथ-साथ अमित के ऊपर भी केस दर्ज किया। उनके ऊपर गैंगस्टर एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) भी लगाया गया। अमित ने बताया कि जिस वक्त की ये घटना है, उस वक्त वो अपनी बहन के साथ यूपी के शामली में था। लेकिन, सुनवाई नहीं हुई और उन्हें दो साल उस जुर्म के लिए जेल में काटने पड़े, जो उन्होंने किया ही नहीं था। अमित का परिवार, उनका करियर और उनके सपने... सब कुछ टूट रहा था।
अमित को अपने गैंग में शामिल करना चाहते थे गैंगस्टर
पुलिसकर्मियों की हत्या के पीछे कुख्यात कैल गैंग का हाथ था। अमित के ऊपर आरोप लगा कि वो इसी कैल गैंग का हिस्सा है। अमित लगातार खुद को बेगुनाह बताते रहे, लेकिन कहीं से उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखी। यहां तक कि जेल में रहने के दौरान खूंखार गैंगस्टरों ने उन्हें अपने गैंग का हिस्सा बनाने की भी कोशिश की। उस वक्त मुजफ्फरनगर जेल में अनिल दुजाना और विक्की त्यागी जैसे गैंगस्टर बंद थे। दोनों ने उनसे कहा कि वो उनके गैंग में शामिल हो जाए। लेकिन, अमित एक किसान का बेटे थे, जो जुर्म के रास्ते पर चलने की सोच भी नहीं सकते थे।
2013 में मिली जमानत, लेकिन लड़ाई अभी बाकी थी
किस्मत से उस वक्त मुजफ्फरनगर जेल के जेलर काफी नेकदिल थे। उन्होंने अमित को एक ऐसी बैरक में शिफ्ट कर दिया, जहां कोई गैंगस्टर नहीं था। दो साल बीतने के बाद 2013 में अमित को जमानत मिल गई। केस अभी खत्म नहीं हुआ था और अमित का नाम इसमें शामिल था। समाज में कुछ लोग थे, जो जानते थे कि उनका अमित ऐसा कभी नहीं कर सकता। लेकिन, कुछ ऐसी नजरें भी थीं, जो उन्हें और उनके परिवार को शक के नजरिए से देखती थीं। ऐसे में अमित ने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने तय किया कि वो कानून की पढ़ाई करेंगे और अपने लिए इंसाफ की लड़ाई खुद लड़ेंगे।
कोर्ट में अपनी पैरवी के लिए खुद उतरे अमित
12वीं पास अमित ने पहले बीए की डिग्री ली। फिर एलएलबी और इसके बाद एलएलएम की पढ़ाई की। उन्होंने पढ़ाई को ही अपने जीवन का इकलौता मकसद बना लिया। डिग्रियां हासिल करने के बाद अमित ने बार काउंसिल की परीक्षा भी पास कर ली। कभी फौजी बनने के लिए जी-तोड़ मेहनत करने वाले अमित अब वकील बन चुके थे। जिस मामले में वो आरोपी थे, उसकी सुनवाई में वो खुद ही अपनी पैरवी करने लगे। अमित बताते हैं, 'सुनवाई के दौरान एक वकील के तौर पर मैं कोर्ट में था और पुलिस अधिकारी कठघरे में खड़े थे। उन्होंने मुझे पहचानने से इंकार कर दिया। ये सुनकर मामले की सुनवाई कर रहीं जज हैरान रह गई। उन्हें यकीन हो गया कि मुझे गलत तरीके से फंसाया गया है।'
कोर्ट ने किया अमित को बाइज्जत बरी
करीब 12 साल बाद दिसंबर 2023 में इस केस का फैसला आया। सरकारी वकील इस बात को साबित नहीं कर पाए कि कांस्टेबल कृष्णपाल और अमित कुमार की हत्या करने और उनकी राइफलें लूटने की साजिश में अमित चौधरी शामिल हैं। कोर्ट ने अमित चौधरी को निर्दोष मानते हुए उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया। इस हत्या में सुमित कैल, नीतू और धर्मेंद्र का हाथ था। सुमित 2013 में एक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। नीतू को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वहीं, फैसला आने से पहले ही धर्मेंद्र की कैंसर से मौत हो गई। वहीं, अमित अब क्रिमिनल जस्टिस में पीएचडी करने की तैयारी कर रहे हैं। http://dlvr.it/T4xFjb
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Day☛1291✍️+91/CG10☛In Home☛09/05/24 (Thu) ☛ 22:27
समय मई महीने के 9 को पार करने वाली है, धीरे धीरे अपनी 2025 की मंजिल की ओर बढ़ती हुई यह साल, लेकीन अपनी मंज़िल का कोई ठिकाना नहीं है, कब और किस हाल में मिलेगा, अब तक तो नही मिला अब आगे क्या मिलेगा? हां भी हो सकता है और न भी। क्योंकि अगर हां है तो इसीलिए क्योंकि हार नही माननी चाहिए और अगर न है तो अब तक तो सफलता मिली नही तो बढ़ती उम्र में क्या खाक मिलेंगी? पुत की पहचान पालने में ही हो जाती है, अब हम पुत नहीं रहें, एक पापा बन गए हैं, एक पति भी है, एक जिम्मेदार पति एवं पापा, जिसको हर हाल में अपने बीवी बच्चों को खुश रखना है।
आज भी ऑफीस नही गया था, जाने का मन नहीं किया, बॉस का कॉल आजकल नही आता है यही मेरे लिए plus points है, जब बॉस याद करता है तो सब कुछ हिल जाता है, ऑफीस की दहलीज पार करना हर हाल में रहता है।
यह आखिरी साल है उसके बाद अपना खुद का टूटी फुटी ऑफीस होगी जहां से बैठकर अपना consultant and services के सभी काम का संचालन होगा, दूसरों की नौकरी करते करते उम्र बीत गए अब शेष बचे उम्र को अपने स्वयं के काम में लगाने का दिन आ गया है।
समझे लल्लू राम 🤪😜👍
Gn
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