#छठ_पूजा_Reality
मान्यता – छठ पर्व में छठी मैया व सूर्यदेव की पूजा करने से जीवन में सुख शांति मिलती है।
सच्चाई – पाप से दुःख होता है और पाप को केवल कविर्देव (कबीर साहेब) ही समाप्त कर सकता है। कविर्देव ही सम्पूर्ण शांतिदायक परमेश्वर है।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32, अध्याय 8 मंत्र 13 में यह प्रमाण है।
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छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा से हमारे दुःख दूर नहीं हो सकते। बल्कि परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) की सतभक्ति से ही हमारे दुःख अर्थात पाप समाप्त हो सकते हैं। – यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
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आध्यात्मिक ज्ञान
छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा से हमारे दुःख दूर नहीं हो सकते। बल्कि परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) की सतभक्ति से ही हमारे दुःख अर्थात पाप समाप्त हो सकते हैं। – यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
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Paras ji explained About Kumbh
कुंभ संक्रांति-: स्नान-ध्यान और दान-पुण्य का विशेष महत्व
हिंदू धर्म में कुंभ संक्रांति का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति की तरह ही इस दिन भी स्नान-ध्यान और दान-पुण्य किया जाता है। इस दिन पुण्य काल में स्नान और दान करना कई तरह से लाभदायी होता है। इस दिन ��ंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन आप स्नान ध्यान और सूर्य देव की पूजा-उपासना कर सकते हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं कि कब है कुंभ संक्रांति और क्या है इस तिथि का महत्व ?
क्या होता है संक्रांति का अर्थ?
सनातन धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है। सबसे पहले संक्रांति का अर्थ जानते हैं, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं उसे संक्रांति कहा जाता है। यानि इस दिन सूर्य देव एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। फाल्गुन माह में कुंभ संक्रांति के दिन भी सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। इस दौरान सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं जिसे कुंभ संक्रांति कहा जाता है।
कब है कुंभ संक्रांति?
कुंभ संक्रांति 13 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि इस दिन गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और भक्त को उनकी कृपा मिलती है। इस वर्ष कुंभ संक्रांति का त्यौहार मंगलवार के दिन मनाया जाएगा, जिस वजह से आपको हनुमान जी की उपासना का भी असीम फल प्राप्त होगा।
कुंभ संक्रांति की पूजा विधि
कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, श्रीहरि विष्णु का स्मरण करें और गंगा स्नान करें या फिर इसके अलावा किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। यदि किसी पवित्र नदी में स्नान करना संभव न हो सके तो घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। स्नान करने के उपरांत तिल मिलाकर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य जरूर दें। फिर मंदिर में फल, पुष्प अर्पित कर धूप, दीप जलायें और भगवान सूर्य का जाप करें। इस दिन सूर्य मंत्र का जाप करने के साथ सूर्य चालीसा औरआदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी कुंडली में स्थित सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद किसी गरीब और किसी जरूरतमंद व्यक्ति को और पंडित को दान जरूर दें। इसके अलावा अपनी सामर्थ्य के अनुसार वस्त्रों का दान भी करें।
इन चीज़ों के दान से चमक जायेगी आपकी किस्मत
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि कुंभ संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ गरीब लोगों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देने का विशेष महत्व माना गया है। इन चीज़ों के दान से आपकी किस्मत चमक जायेगी और आपको सफलता अवश्य मिलेगी। आइये जानते हैं कुंभ संक्रांति के दिन किन चीज़ों का दान करना शुभ माना जाता है?
कुंभ संक्रांति पर करें तिल का दान
डेरा नसीब दा के महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार कुम्भ संक्रांति के दिन काले तिल का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तिल का दान करने से भगवान सूर्य देव के साथ-साथ शनि देव की कृपा भी प्राप्त होती है। व्यक्ति को आरोग्य के साथ-साथ सूर्य दोष से भी छुटकारा मिल सकता है और जीवन में अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।
कुंभ संक्रांति पर अन्न का दान करें
कुंभ संक्रांति के दिन अन्न का दान करना भी शुभ होता है इसलिए इस दिन अन्न का दान अवश्य करें। पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि कुंभ संक्रांति के दिन अन्न का दान करने से आपके घर में अन्न का भंडार कभी ख़ाली नहीं होता और आपके घर में हमेशा बरकत होती है।
कुंभ संक्रांति पर गुड़ का दान करें
अगर आपके घर में कोई व्यक्ति बार-बार बीमार होता है तो कुंभ संक्रांति के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को गुड़ का दान जरूर करें। ऐसा करने से बीमार व्यक्ति की सेहत अवश्य ठीक हो जायेगी।
कुंभ संक्रांति पर तांबे का दान करें
ज्योतिष शास्त्र में तांबे को सूर्य की धातु कहा गया है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार कुंभ संक्रांति के दिन तांबा या तांबे के बर्तन दान करना शुभ होता है। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।इसके अलावा आप इस दिन जरूरतमंदों को घी, लाल वस्त्र, गेहूँ और लाल फूल का दान भी कर सकते हैं। महान ज्योतिष महंत श्री पारस जी ने बताया कि सूर्यदेव को लाल रंग बेहद प्रिय है इसलिए कुंभ संक्रांति के दिन लाल रंग के कपड़े का दान करना शुभ माना जाता है।
कुंभ संक्रांति का महत्व
कुंभ संक्रांति का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह हिन्दू धर्म और हिन्दू परंपरा में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो कि मकर संक्रांति के बाद होता है। साथ ही यह त्यौहार, सामाजिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को प्रोत्साहित करता है। पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि कुंभ संक्रांति पर्व के दिन स्नान-दान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह उन सभी लोगों को एक साथ लाता है, जो अलग-अलग धर्म, जाति, और परंपराओं से संबंधित होते हैं। इस दिन को कुंभ स्नान के रूप में जाना जाता है, जो धार्मिक और सामाजिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह त्योहार लोगों को सामूहिक एकता की भावना से भर देता है और उन्हें धर्म, संस्कृति, और सामाजिक मूल्यों के प्रति समर्पित बनाता है। महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि इस विशेष दिन पर सूर्य देव की उपासना करने से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
कुंभ संक्रांति के दिन इन मंत्रों का करें जाप
यदि आप किसी भी तरह से परेशान हैं तो इन मंत्रों के जाप से आपकी सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी।
ॐ सूर्याय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ आदित्याय नमः
यह त्यौहार आत्मिक और धार्मिक उन्नति में मदद करता है
कुंभ संक्रांति पर लाखों लोग तीर्थयात्रा करते हैं और संगम स्थलों में स्नान करते हैं, जो उनके आत्मिक और धार्मिक उन्नति में मदद करता है। इस दिन को अपने आपको बदलने और अपनी आत्मा को शुद्ध करने का उत्कृष्ट मौका माना जाता है, जो लोगों को सच्चे और ईश्वर के निकट ले जाता है। कुंभ संक्रांति के दौरान गायों को दान देना भी काफी शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी का जितना महत्व है उतना ही महत्व संक्रांति तिथि का भी होता है। देवी पुराण में कहा गया है कि संक्रांति के दिन जो स्नान नहीं करता उसे कई जन्मों तक दरिद्रता में जीवन गुजारना पड़ता है। संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान जरूर करें और गरीबों को भोजन कराएं। सूर्य देव हनुमान जी के गुरु माने जाते हैं, जिस वजह से इस दिन सूर्य देव के साथ हनुमान जी की उपासना करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होगा।
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Aaj ka Vedic Panchang 24 March 2024: जाने अपने कार्य के लिये आज के शुभ मुहूर्त राहुकाल नक्षत्र और रविवार के अचूक उपाय के साथ होली के उपाय
आज दिनांक - 24 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग और होली विशेषांक
दिन - रविवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - फाल्गुन
पक्ष - शुक्ल
तिथि - चतुर्दशी सुबह 09:54 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र - पूर्वा फाल्गुनी सुबह 07:54 तक तत्पश्चात उत्तरा फाल्गुनी
योग - गण्ड रात्रि 08:34 तक तत्पश्चात वृद्धि
राहु काल - शाम 05:21 से 06:52 तक
सूर्योदय - 06:40
सूर्यास्त - 06:52
दिशा शूल - पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:52 तक
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:21 से 01:10 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:09 तक
व्रत पर्व विवरण - व्रत पूर्णिमा, हुताशनी पूर्णिमा, होलिका दहन, श्री हरि बाबा जयंती (ति.अ.)
विशेष - चतुर्दशी और पूर्णिमा के दिन तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
मंत्र-साफल्य दिवस : होली
होली रात्रि जागरण - 24 मार्च 2024
होली के दिन किया हुआ जप लाख गुना फलदायी होता है । यह साफल्य – दिवस है, घुमक्कड़ों की नाई भटकने का दिन नहीं है । मौन रहना, उपवास पर रहना, फलाहार करना और अपना-अपना गुरुमंत्र जपना ।
इस दिन जिस निमित्त से भी जप करोंगे वह सिद्ध होगा । ईश्वर को पाने के लिए जप करना । नाम –जप की कमाई बढ़ा देना ताकि दुबारा माँ की कोख में उल्टा होकर न टंगना पड़े । पेशाब के रास्ते से बहकर नाली में गिरना न पड़े । होली के दिन लग जाना लाला- लालियाँ ! आरोग्य मंत्र की भी कुछ मालाएँ कर लेना ।
अच्युतानन्तगोविन्द नामोच्चारणभेषजात ।
नश्यन्ति सकला रोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम ।।
‘ हे अच्युत ! हे अनंत ! हे गोविंद ! – इस नामोच्चारणरूप औषधि से तमाम रोग नष्ट हो जाते है, यह मैं सत्य कहता हूँ, सत्य कहता हूँ |’ (धन्वंतरि महाराज)
दोनों नथुनों से श्वास लेकर करीब सवा से डेढ़ मिनट तक रोकते हुए मन–ही–मन दुहराना –
नासै रोग हरै सब पीरा ।जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।
फिर 50 से 60 सेकंड श्वास बाहर रोककर मंत्र दुहराना । इस दिन जप-ध्यान का फायदा उठाना, काम-धंधे तो होते रहेंगे । अपने-अपने कमरे में गोझरणमिश्रित पानी से पोछा लगाकर थोडा गंगाजल छिडक के बैठ जाना । हो सके तो इस दिन गोझरण मिला के स्नान कर लेना ।
लक्ष्मी स्थायी रखने की इच्छा रखनेवाले गाय का दही शरीर पर रगड़के स्नान कर लेना । लेकिन वास्तविक तत्त्व तो सदा स्थायी है, उसमें अपने ‘मैं’ को मिला दो बस, हो गया काम !
ब्रम्हचर्य-पालन में मदद के लिए “ॐ अर्यमायै नम:” मंत्र का जप बड़ा महत्त्वपूर्ण है।
रविवार विशेष
रविवार के दिन स्त्री तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन आँवला, मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना एवं पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।
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*🌞~ आज दिनांक 13 जनवरी 2024 रविवार का हिन्दू पंचांग ~🌞*
https://youtu.be/oAAXKhpHS7Q?si=Jf3VpDOF5Jkf_29v
*⛅दिनांक - 13 जनवरी 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वितीया सुबह 11:11 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - श्रवण दोपहर 12:49 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*⛅योग - वज्र सुबह 10:14 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल - सुबह 10:06 से 11:27 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:23*
*⛅सूर्यास्त - 06:14*
*⛅दिशा शूल - पूर्व*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:15 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - पंचक (आरम्भ रात्रि 11:35)*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 सूर्योपासना का पावन पुण्यदायी पर्व – मकर संक्रांति – 15 जनवरी 2024*
*🌹 संक्रांति का स्नान रोग, पाप और निर्धनता को हर लेता है । जो उत्तरायण पर्व के दिन स्नान नहीं कर पाता वह ७ जन्म तक रोगी और दरिद्र रहता है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है ।*
*🌹 संक्रांति के दिन देवों को दिया गया हव्य (यज्ञ, हवन आदि में दी जानेवाली आहुति के द्रव्य ) और पितरों को दिया गया कव्य (पिंडदान आदि में दिया जानेवाला द्रव्य ) सूर्यदेव की करुणा-कृपा ��े द्वारा भविष्य के जन्मों में कई गुना करके तुम्हें लौटाया जाता है ।*
*🌹 मकर संक्रांति के दिन किये हुए शुभ कर्म करोड़ों गुना फलदायी होते हैं । सुर्यापासना और सूर्यकिरणों का सेवन, सूर्यदेव का ध्यान विशेष लाभकारी है ।*
*🌹 इस दिन तो सूर्यदेव के मूलमंत्र का जप करना बहुत हितकारी रहेगा, और दिन भी करें तो अच्छा है । आप जीभ तालू में लगाकर इसे पक्का करिये । अश्रद्धालु, नास्तिक व विधर्मी को यह मंत्र नहीं फलता । यह तो भारतीय संस्कृति के सपूतों के लिए है । बच्चों की बुद्धि बढ़ानी हो तो पहले इस मंत्र की महत्ता बताओ, उनकी ललक जगाओ, बाद में उनको मंत्र बताओ ।*
*मंत्र है : ॐ ह्रां ह्रीं स: सूर्याय नम: । (पद्म पुराण)*
*🌹 यह सूर्यदेव का मूलमंत्र है । इससे तुम्हारा सुर्यकेन्द्र सक्रिय होगा और यदि भगवान् सूर्य का भ्रूमध्य में ध्यान करोगे तो तुम्हारी बुद्धि के अधिष्ठाता देव की कृपा विशेष आयेगी । बुद्धि में ब्रह्मसुख, ब्रह्मज्ञान का सामर्थ्य आयेगा । अगर नाभि में सूर्यदेव का ध्यान करोगे तो आरोग्य-केंद्र सक्षम रहेगा, आप बिना दवाइयों के निरोग रहोगे ।*
*📖 लोक कल्याण सेतु – दिसम्बर २०१९*
*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*
*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*
*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*
*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*
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*🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞*
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🔔मान्यता – छठ पर्व में छठी मैया व सूर्यदेव की पूजा करने से जीवन में सुख शांति मिलती है।
सच्चाई – पाप से दुःख होता है और पाप को केवल कविर्देव (कबीर साहेब) ही समाप्त कर सकता है। कविर्देव ही सम्पूर्ण शांतिदायक परमेश्वर है।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32, अध्याय 8 मंत्र 13 में यह प्रमाण है।
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छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा से हमारे दुःख दूर नहीं हो सकते। बल्कि परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) की सतभक्ति से ही हमारे दुःख अर्थात पाप समाप्त हो सकते हैं। – यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
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छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा से हमारे दुःख दूर नहीं हो सकते। बल्कि परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) की सतभक्ति से ही हमारे दुःख अर्थात पाप समाप्त हो सकते हैं। – यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
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मान्यता – छठ पर्व में छठी मैया व सूर्यदेव की पूजा करने से जीवन में सुख शांति मिलती है।
सच्चाई – पाप से दुःख होता है और पाप को केवल कविर्देव (कबीर साहेब) ही समाप्त कर सकता है। कविर्देव ही सम्पूर्ण शांतिदायक परमेश्वर है।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32, अध्याय 8 मंत्र 13 में यह प्रमाण है।
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आध्यात्मिक ज्ञान
छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा से हमारे दुःख दूर नहीं हो सकते। बल्कि परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) की सतभक्ति से ही हमारे दुःख अर्थात पाप समाप्त हो सकते हैं। – यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
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छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा से हमारे दुःख दूर नहीं हो सकते। बल्कि परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) की सतभक्ति से ही हमारे दुःख अर्थात पाप समाप्त हो सकते हैं। – यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
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छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा से हमारे दुःख दूर नहीं हो सकते। बल्कि परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) की सतभक्ति से ही हमारे दुःख अर्थात पाप समाप्त हो सकते हैं। – यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
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*🌞~ आज दिनांक - 07 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी प्रातः 04:13 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा दोपहर 01:03 तक तत्पश्चात श्रवण*
*⛅योग - वरियान सुबह 08:24 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:19 से 03:48 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:56*
*⛅सूर्यास्त - 06:46*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:18 से 06:07 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:26 से 01:15 तक*
*⛅अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:27 से 01:14*
*⛅व्रत पर्व विवरण - विजया एकादशी (भागवत)*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹विजया एकादशी - 06 मार्च 2024🌹*
*🌹जो मनुष्य इस विधि से व्रत करते हैं, उन्हें इस लोक में विजय प्राप्त होती है और उनका परलोक भी अक्षय बना रहता है ।*
*इस प्रसंग को पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है ।*
*🌹महाशिवरात्रि (08 मार्च)व्रत महिमा🌹*
*🌹एक बार कैलास पर्वत पर पार्वतीजी ने भगवान शंकर से पूछा : 'हे भगवन् ! धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इस चतुर्वर्ग के आप ही हेतु हैं । साधना से संतुष्ट हो आप ही इसे मनुष्य को प्रदान करते हैं। (अतः यह जानने की इच्छा होती है कि) किस कर्म, व्रत या तपस्या से आप प्रसन्न होते हैं ?'*
*🌹भगवान शंकर ने कहा : 'फाल्गुन (गुजरात-महाराष्ट्र में माघ) के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को आश्रय करके जिस अंधकारमयी रजनी का उदय होता है, उसीको 'शिवरात्रि' कहते हैं । उस दिन जो उपवास करता है वह निश्चय ही मुझे संतुष्ट करता है । उस दिन उपवास करने पर मैं जैसा प्रसन्न होता हूँ, वैसा स्नान, वस्त्र, धूप और पुष्प के अर्पण से भी नहीं होता ।'*
*🌹'स्कन्द पुराण' में आता है : शिवरात्रि व्रत परात्पर है । जो जीव इस शिवरात्रि में महादेव की पूजा भक्तिपूर्वक नहीं करता, वह अवश्य सहस्रों वर्षों तक जन्मचक्रों में घूमता रहता है ।'*
*🌹'चाहे सागर सूख जाय, हिमालय भी क्षय को प्राप्त हो जाय, मन्दर, विन्ध्यादि पर्वत भी विचलित हो जायें पर शिवव्रत कभी विचलित (निष्फल) नहीं हो सकता ।*
*🌹पद्म पुराण' में आता है : 'चाहे सूर्यदेव का उपासक हो, चाहे विष्णु का या अन्य किसी देव का, जो शिवरात्रि का व्रत नहीं करता उसको फल की प्राप्ति नहीं होती ।'*
*🌹शिवरात्रि व्रत' का अर्थ है : 'शिव की वह प्रिय (आनंदमयी) रात्रि, जिसके साथ व्रत का विशेष सम्बन्ध है वह व्रत 'शिवरात्रि व्रत' कहलाता है ।*
*🌹इस व्रत का प्रधान अंग उपवास ही है । फिर भी रात्रि के चार प्रहरों में चार बार पृथक् पृथक् पूजा का विधान भी है ।*
*दुग्धेन प्रथमे स्नानं दध्ना चैव द्वितीयके।*
*तृतीये तु तथाऽऽज्येन चतुर्थे मधुना तथा ।।*
*🔸 'प्रथम प्रहर में दुग्ध द्वारा, द्वितीय प्रहर में दही द्वारा, तृतीय प्रहर में घृत द्वारा तथा चतुर्थ प्रहर में शहद द्वारा शिवमूर्ति को स्नान कराकर उनका पूजन करना चाहिए ।'*
*🔸प्रत्येक प्रहर में पूजन के समय निम्न मंत्र बोलकर प्रार्थना करनी चाहिए :*
*तव तत्त्वं न जानामि कीदृशोऽसि महेश्वरः ।*
*यादृशोऽसि महादेव तादृशाय नमो नमः ।।*
*🔸'प्रभो ! हमारा कल्याण किसमें है और अकल्याण किसमें है, हम इसका निर्णय करने में असमर्थ हैं । इस तत्त्व को समझने का सामर्थ्य हममें नहीं है । आप क्या हैं, कैसे हैं यह भी हम नहीं जानते । वेदशास्त्रों में आपके जिस स्वरूप, गुण, कर्म, स्वभाव का वर्णन है वह भी हम नहीं जानते । आप जो कुछ भी हों, जैसे भी हों, आपको प्रणाम हैं ।'*
*🔸प्रभातकाल में विसर्जन के बाद व्रत-कथा सुनकर अमावस्या को यह कहते हुए पारण करना चाहिए :*
*🔸'हे भगवान शंकर ! मैं नित्य संसार की यातना से दग्ध हो रहा हूँ । इस व्रत से आप मुझ पर प्रसन्न हों । हे प्रभो ! संतुष्ट होकर आप मुझे ज्ञानदृष्टि प्रदान करो ।'*
*🔸'ईशान संहिता' में आता है : 'महाशिवरात्रि व्रत सभी पापों का नाश करनेवाला है । इस व्रत के अधिकारी चाण्डाल तक सभी मनुष्य-प्राणी हैं, जिन्हें यह व्रत भुक्ति व मुक्ति दोनों ही प्रदान करता है ।'*
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