क्या है कुंडलिनी योग? क्या कुल कुंडलिनी योग एक ही बात है? आइये आसान शब्दों से समझते हैं - सभी के शरीर में एक अदृश्य शक्ति मौजूद रहती है जिसके शांत भाव मे हम सभी रोजमर्रा का जीवन यापन कर रहे होते है और जब हम स्वयं को पहचान कर शारीरिक और मानसिक तौर पर अलग पहचान बनाना चाहते है तब *कुंडलिनी शक्ति* काम मे आती है ज्ञातव्य हो कि *शक्तिमान* धारावाहिक में भी बोला गया था कि - 'होता है जब आदमी को अपना ज्ञान कहलाया वो शक्तिमान' चित्र में दर्शाये गए तरीके से मन्त्र, आसनों ओर प्राणायाम के द्वारा शरीर के सप्त चक्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। मूलआधार चक्र- base of spine स्वाधिस्ठानचक्र मणिपुर चक्र अनाहत चक्र विशुद्धि चक्र अंजनी चक्र सहस्त्रार चक्र निरंतर योगाभ्यास से कुंडली शक्ति - मूलाधार चक्र से शरीर मे रीढ़ की हड्डी द्वारा सर्पिणी के जैसे ऊपर उठती है योगिक ग्रंथ हठयोगप्रदीपिका के अनुसार 40 मिनट रोज दिन में चार प्रहर *कर्णपीडा* आसान करने के बाद *भ्रस्त्रिका* प्राणायाम करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है व साधक को इसका आभास होने लगता है। अधिक सही जानकारी के लिए जरूर जुड़े *ध्यान योग केंद्र- राइट वे ऑफ डूइंग योग®©* से आपको बता दे कि प्रत्येक बुधवार को *ध्यान योग केन्द्र* संस्था में कम से कम 1 घंटे व अन्य दिन 20-30 मिनट योग आसान के बाद सही विधि द्वारा प्राणायाम व ध्यान कराया जाता है जिससे हर उम्र के लोग स्वस्थ व खुश रह सकें 7014289144 9799097860, 9829055776 www.dhyanyogkendra.org, www.dhyanyogakendra.com
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