Alibaba ने भारत में बंद किया UC Browser और UC News का कारोबार
New Delhi: जैसा कि सभी को पता है भारत द्वारा चीन की 59 ऐप्स बैन कर दी गई हैं। इन बैन हुई ऐप्स में अलीबाबा (Alibaba) की यूसी ब्राउजर (UC Browser और UC News) ऐप भी शामिल है। इसी के चलते चीन की सबसे बड़ी जैक मा के स्वामित्व मानी जाने वाली ई-कॉमर्स कंपनी Alibaba को अब भारत में कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है। इसी के चलते अब अलीबाबा ने बड़ा फैसला लेते हुए भारत से कारोबार समेटने का और भारत के कार्यरत कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का मन बना लिया है।
भारत से कारोबार समेट रही कंपनी
एक रिपोर्ट में जानकारी दी गई थी कि UCWeb ने भारत में ब्राउजर और न्यूज ऐप के साथ ही शॉर्ट वीडियो ऐप Vmate का भी संचालन किया था। वहीं कंपनी के कुछ कर्मचारियों ने 15 जुलाई को एक पत्र के जरिए बताया कि भारत में चाइनीज ऐप्स पर बैन लगने के बाद वे अपनी नौकरी खो रहे हैं।
https://webvarta.com/business/these-indian-apps-funded-by-china-face-users-ire/
रिपोर्ट
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मारुति के पूर्व प्रबंध निदेशक जगदीश खट्टर पर 110 करोड़ के लोन घोटाले का आरोप, CBI ने दर्ज किया केस
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मारुति उद्योग के पूर्व प्रबंध निदेशक जगदीश खट्टर (77) के खिलाफ बैंक ऋण धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। सीबीआई अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, 'खट्टर और उनकी कंपनी कारनेशन ऑटो इंडिया पर 110 करोड़ रुपए के लोन घोटाले का आरोप है।'
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जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने खट्टर के ठिकानों और कारनेशन ऑटो के दफ्तरों पर सोमवार को छापे की कार्रवाई भी की थी। सीबीआई ने एफआईआर में खट्टर और उनकी कंपनी कारनेशन ऑटो इंडिया लि. के खिलाफ पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) को 110 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के लिए मामला दर्ज किया है। वहीं दूसरी ओर खट्टर ने खुद पर लगे सभी आरोपों को नकारते हुए दावा किया है कि बैंकों द्वारा किए गए ऑडिट में उनकी कंपनी के कामकाज में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली है।
बता दें खट्टर साल 1993 से 2007 तक मारुति उद्योग में बतौर प्रबंध निदेशक रहे थे। रिटायर होने के बाद उन्होंने कारनेशन ऑटो इंडिया लिमिटेड के नाम से अपनी कंपनी बनाई। इस कंपनी के जरिए खट्टर ने 2009 में पीएनबी से 170 करोड़ रुपए का लोन लिया। फिर 2015 में लोन एनपीए घोषित हो गया। जांच एजेंसी ने पीएनबी की शिकायत पर खट्टर और उनकी कंपनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
सीबीआई का आरोप है कि खट्टर और उनकी कंपनी ने धोखाधड़ी से बैंक के पास बंधक रखे सामान को बेच दिया। इसके लिए उन्होंने बैंक की अनुमति भी नहीं ली। बैंक की ओर से किए गए फॉरेंसिक आडिट से पता चलता है कि 66.92 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां बिना उसकी मंजूरी के 4.55 करोड़ रुपए में बेची गईं। इतना ही नहीं बल्कि खट्टर पर यह भी आरोप है कि उन्होंने बिक्री से मिली पूंजी को बैंक के पास जमा नहीं कराया और बेईमानी और धोखाधड़ी से इसे सिस्टर/कंसर्न्ड सब्सिडियरी कंपनियों को ट्रांसफर कर दिया।
एफआईआर में कहा गया है कि, इस मामले में बैंक अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। बैंक के अधिकारियों ने कथित रूप से स्टॉक का मंथली वेरिफिकेशन नहीं किया। अब सीबीआइ बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करेगी। बैंक ने 17 अक्टूबर, 2019 की शिकायत में पांच आरोपितों का जिक्र किया है, जिनमें तीन कंपनियों के नाम गारंटर हैं। इसमें Khattar Auto India Pvt Ltd, Carnation Realty Pvt Ltd और Carnation Insurance Broking Company Pvt Ltd का नाम भी शामिल है। हालांकि, जांच की प्रक्रिया में इनकी इस मामले में कोई प्रत्यक्ष भूमिका दिखाई नहीं दी।
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मारुति के पूर्व प्रबंध निदेशक जगदीश खट्टर पर 110 करोड़ के लोन घोटाले का आरोप, CBI ने दर्ज किया केस
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मारुति उद्योग के पूर्व प्रबंध निदेशक जगदीश खट्टर (77) के खिलाफ बैंक ऋण धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। सीबीआई अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, 'खट्टर और उनकी कंपनी कारनेशन ऑटो इंडिया पर 110 करोड़ रुपए के लोन घोटाले का आरोप है।'
जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने खट्टर के ठिकानों और कारनेशन ऑटो के दफ्तरों पर सोमवार को छापे की कार्रवाई भी की थी। सीबीआई ने एफआईआर में खट्टर और उनकी कंपनी कारनेशन ऑटो इंडिया लि. के खिलाफ पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) को 110 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के लिए मामला दर्ज किया है। वहीं दूसरी ओर खट्टर ने खुद पर लगे सभी आरोपों को नकारते हुए दावा किया है कि बैंकों द्वारा किए गए ऑडिट में उनकी कंपनी के कामकाज में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली है।
बता दें खट्टर साल 1993 से 2007 तक मारुति उद्योग में बतौर प्रबंध निदेशक रहे थे। रिटायर होने के बाद उन्होंने कारनेशन ऑटो इंडिया लिमिटेड के नाम से अपनी कंपनी बनाई। इस कंपनी के जरिए खट्टर ने 2009 में पीएनबी से 170 करोड़ रुपए का लोन लिया। फिर 2015 में लोन एनपीए घोषित हो गया। जांच एजेंसी ने पीएनबी की शिकायत पर खट्टर और उनकी कंपनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
सीबीआई का आरोप है कि खट्टर और उनकी कंपनी ने धोखाधड़ी से बैंक के पास बंधक रखे सामान को बेच दिया। इसके लिए उन्होंने बैंक की अनुमति भी नहीं ली। बैंक की ओर से किए गए फॉरेंसिक आडिट से पता चलता है कि 66.92 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां बिना उसकी मंजूरी के 4.55 करोड़ रुपए में बेची गईं। इतना ही नहीं बल्कि खट्टर पर यह भी आरोप है कि उन्होंने बिक्री से मिली पूंजी को बैंक के पास जमा नहीं कराया और बेईमानी और धोखाधड़ी से इसे सिस्टर/कंसर्न्ड सब्सिडियरी कंपनियों को ट्रांसफर कर दिया।
एफआईआर में कहा गया है कि, इस मामले में बैंक अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। बैंक के अधिकारियों ने कथित रूप से स्टॉक का मंथली वेरिफिकेशन नहीं किया। अब सीबीआइ बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करेगी। बैंक ने 17 अक्टूबर, 2019 की शिकायत में पांच आरोपितों का जिक्र किया है, जिनमें तीन कंपनियों के नाम गारंटर हैं। इसमें Khattar Auto India Pvt Ltd, Carnation Realty Pvt Ltd और Carnation Insurance Broking Company Pvt Ltd का नाम भी शामिल है। हालांकि, जांच की प्रक्रिया में इनकी इस मामले में कोई प्रत्यक्ष भूमिका दिखाई नहीं दी।
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