शुक्रवार को इस विधि से पूजा करें, जरूर प्रसन्न होगी धन की देवी लक्ष्मी
चैतन्य भारत न्यूज
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है। शास्त्रों में लक्ष्मी को चंचला कहा गया है। चंचला का मतलब है ऐसी देवी जिनका किसी एक स्थान पर अधिक समय तक रहना तय नहीं। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है वे लोग शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा खासतौर से करें। इस दिन व्रत रखने का भी प्रावधान है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की पूजा-विधि..
मां लक्ष्मी की पूजा-विधि-
मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है।
पूजा के दौरान पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, फूल, नारियल, तांबे का कलश, लाल कपड़ा और घी होना चाहिए।
इसके बाद मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद सबसे पहले गणपति बप्पा और फिर लक्ष्मीजी का पूजन करें।
इस पूजा में गणपति बप्पा और लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु की स्थापना जरूर करें।
शुक्रवार के दिन भोजन और धन दान करना बेहद शुभ माना गया है।
मां लक्ष्मी के विशेष स्वरूप हैं, जिनकी उपासना शुक्रवार के दिन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़े...
शुक्रवार को दही खाने का होता है विशेष महत्व, जानिए वजह
शुक्रवार की रात मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न, इन उपायों को अपनाएंगे तो हमेशा बरसेगी कृपा
गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
Read the full article
0 notes
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार को इस विधि से करें पूजा-अर्चना, जरूर होगी शुभ फल की प्राप्ति
चैतन्य भारत न्यूज
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है। शास्त्रों में लक्ष्मी को चंचला कहा गया है। चंचला का मतलब है ऐसी देवी जिनका किसी एक स्थान पर अधिक समय तक रहना तय नहीं। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है वे लोग शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा खासतौर से करें। इस दिन व्रत रखने का भी प्रावधान है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की पूजा-विधि...
मां लक्ष्मी की पूजा-विधि-
मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है।
पूजा के दौरान पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, फूल, नारियल, तांबे का कलश, लाल कपड़ा और घी होना चाहिए।
इसके बाद मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद सबसे पहले गणपति बप्पा और फिर लक्ष्मीजी का पूजन करें।
इस पूजा में गणपति बप्पा और लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु की स्थापना जरूर करें।
शुक्रवार के दिन भोजन और धन दान करना बेहद शुभ माना गया है।
मां लक्ष्मी के विशेष स्वरूप हैं, जिनकी उपासना शुक्रवार के दिन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़े...
शुक्रवार को दही खाने का होता है विशेष महत्व, जानिए वजह
शुक्रवार की रात मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न, इन उपायों को अपनाएंगे तो हमेशा बरसेगी कृपा
गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
Read the full article
0 notes
माता लक्ष्मी की पानी है कृपा, तो शुक्रवार को इस विधि से करें पूजा
चैतन्य भारत न्यूज
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है। शास्त्रों में लक्ष्मी को चंचला कहा गया है। चंचला का मतलब है ऐसी देवी जिनका किसी एक स्थान पर अधिक समय तक रहना तय नहीं। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है वे लोग शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा खासतौर से करें। इस दिन व्रत रखने का भी प्रावधान है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की पूजा-विधि..
मां लक्ष्मी की पूजा-विधि-
मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है।
पूजा के दौरान पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, फूल, नारियल, तांबे का कलश, लाल कपड़ा और घी होना चाहिए।
इसके बाद मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद सबसे पहले गणपति बप्पा और फिर लक्ष्मीजी का पूजन करें।
इस पूजा में गणपति बप्पा और लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु की स्थापना जरूर करें।
शुक्रवार के दिन भोजन और धन दान करना बेहद शुभ माना गया है।
मां लक्ष्मी के विशेष स्वरूप हैं, जिनकी उपासना शुक्रवार के दिन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़े...
शुक्रवार को दही खाने का होता है विशेष महत्व, जानिए वजह
शुक्रवार की रात मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न, इन उपायों को अपनाएंगे तो हमेशा बरसेगी कृपा
गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
Read the full article
0 notes
माता लक्ष्मी की पानी है कृपा, तो शुक्रवार को इस विधि से करें पूजा
चैतन्य भारत न्यूज
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है। शास्त्रों में लक्ष्मी को चंचला कहा गया है। चंचला का मतलब है ऐसी देवी जिनका किसी एक स्थान पर अधिक समय तक रहना तय नहीं। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है वे लोग शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा खासतौर से करें। इस दिन व्रत रखने का भी प्रावधान है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की पूजा-विधि..
मां लक्ष्मी की पूजा-विधि-
मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है।
पूजा के दौरान पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, फूल, नारियल, तांबे का कलश, लाल कपड़ा और घी होना चाहिए।
इसके बाद मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद सबसे पहले गणपति बप्पा और फिर लक्ष्मीजी का पूजन करें।
इस पूजा में गणपति बप्पा और लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु की स्थापना जरूर करें।
शुक्रवार के दिन भोजन और धन दान करना बेहद शुभ माना गया है।
मां लक्ष्मी के विशेष स्वरूप हैं, जिनकी उपासना शुक्रवार के दिन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़े...
शुक्रवार को दही खाने का होता है विशेष महत्व, जानिए वजह
शुक्रवार की रात मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न, ��न उपायों को अपनाएंगे तो हमेशा बरसेगी कृपा
गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
Read the full article
0 notes
माता लक्ष्मी की पानी है कृपा, तो शुक्रवार को इस विधि से करें पूजा
चैतन्य भारत न्यूज
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है। शास्त्रों में लक्ष्मी को चंचला कहा गया है। चंचला का मतलब है ऐसी देवी जिनका किसी एक स्थान पर अधिक समय तक रहना तय नहीं। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है वे लोग शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा खासतौर से करें। इस दिन व्रत रखने का भी प्रावधान है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की पूजा-विधि..
मां लक्ष्मी की पूजा-विधि-
मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है।
पूजा के दौरान पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, फूल, नारियल, तांबे का कलश, लाल कपड़ा और घी होना चाहिए।
इसके बाद मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद सबसे पहले गणपति बप्पा और फिर लक्ष्मीजी का पूजन करें।
इस पूजा में गणपति बप्पा और लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु की स्थापना जरूर करें।
शुक्रवार के दिन भोजन और धन दान करना बेहद शुभ माना गया है।
मां लक्ष्मी के विशेष स्वरूप हैं, जिनकी उपासना शुक्रवार के दिन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़े...
शुक्रवार को दही खाने का होता है विशेष महत्व, जानिए वजह
शुक्रवार की रात मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न, इन उपायों को अपनाएंगे तो हमेशा बरसेगी कृपा
गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
Read the full article
0 notes
माता लक्ष्मी की पानी है कृपा, तो शुक्रवार को इस विधि से करें पूजा
चैतन्य भारत न्यूज
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है। शास्त्रों में लक्ष्मी को चंचला कहा गया है। चंचला का मतलब है ऐसी देवी जिनका किसी एक स्थान पर अधिक समय तक रहना तय नहीं। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है वे लोग शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा खासतौर से करें। इस दिन व्रत रखने का भी प्रावधान है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की पूजा-विधि..
मां लक्ष्मी की पूजा-विधि-
मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है।
पूजा के दौरान पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, फूल, नारियल, तांबे का कलश, लाल कपड़ा और घी होना चाहिए।
इसके बाद मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद सबसे पहले गणपति बप्पा और फिर लक्ष्मीजी का पूजन करें।
इस पूजा में गणपति बप्पा और लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु की स्थापना जरूर करें।
शुक्रवार के दिन भोजन और धन दान करना बेहद शुभ माना गया है।
मां लक्ष्मी के विशेष स्वरूप हैं, जिनकी उपासना शुक्रवार के दिन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़े...
शुक्रवार को दही खाने का होता है विशेष महत्व, जानिए वजह
शुक्रवार की रात मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न, इन उपायों को अपनाएंगे तो हमेशा बरसेगी कृपा
गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
Read the full article
0 notes
माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए शुक्रवार को इस विधि से करें पूजा-अर्चना, होगी शुभ फल की प्राप्ति
चैतन्य भारत न्यूज
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है। शास्त्रों में लक्ष्मी को चंचला कहा गया है। चंचला का मतलब है ऐसी देवी जिनका किसी एक स्थान पर अधिक समय तक रहना तय नहीं। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है वे लोग शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा खासतौर से करें। इस दिन व्रत रखने का भी प्रावधान है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की पूजा-विधि..
मां लक्ष्मी की पूजा-विधि-
मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है।
पूजा के दौरान पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, फूल, नारियल, तांबे का कलश, लाल कपड़ा और घी होना चाहिए।
इसके बाद मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद सबसे पहले गणपति बप्पा और फिर लक्ष्मीजी का पूजन करें।
इस पूजा में गणपति बप्पा और लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु की स्थापना जरूर करें।
शुक्रवार के दिन भोजन और धन दान करना बेहद शुभ माना गया है।
मां लक्ष्मी के विशेष स्वरूप हैं, जिनकी उपासना शुक्रवार के दिन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़े...
शुक्रवार को दही खाने का होता है विशेष महत्व, जानिए वजह
शुक्रवार की रात मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न, इन उपायों को अपनाएंगे तो हमेशा बरसेगी कृपा
गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
Read the full article
0 notes
चैत्र नवरात्रि : अंतिम दिन करें सिद्धिदात्री देवी की पूजा-अर्चना, इस मंत्र के जाप से मां हो जाएंगी प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन मां के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री देवी की उपासना की जाती है। मान्यता है कि केवल इस दिन मां की उपासना करने से सम्पूर्ण नवरात्रि की उपासना का फल मिलता है। मां सिद्धिदात्री को सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। मां के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह आठ सिद्धियां हैं। माना जाता है कि नवमी के दिन महासरस्वती की भी उपासना करने से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि-
प्रातः काल स्नान करने के बाद मां के समक्ष दीपक जलाएं।
देवी को 9 कमल के फूल चढ़ाएं।
फिर मां को 9 तरह के खाद्य पदार्थ भी अर्पित करें।
पूजा के दौरान मां के मंत्र "ॐ ह्रीं दुर्गाय नमः" का जाप करें।
पूजा करने के पश्चात् अर्पित किए हुए कमल के फूल को लाल वस्त्र में लपेटकर रखें।
इसके अलावा पहले निर्धनों को भोजन कराएं और फिर स्वयं भोजन करें।
मां सिद्धिदात्री को इस मंत्र के जाप से करें प्रसन्न-
सिद्धगन्धिर्वयक्षाद्यैरसुरैरम���ैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
ये भी पढ़े...
गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
40 सालों में एक बार जल समाधि से बाहर निकलते हैं भगवान अती वरदार, 48 दिन भक्तों को देते हैं दर्शन
इस दिन से शुरू होगी श्रीखंड महादेव यात्रा, जान जोखिम में डालकर 18,500 फीट की ऊंचाई पर दर्शन करने पहुंचते हैं श्रद्धालु
Read the full article
0 notes
आज से शुरू हुई गुप्त नवरात्रि, 9 की बजाय 10 देवियों की होती है साधना, जानिए महत्व और पूजन-विधि
चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में एक साल में कुल 4 बार नवरात्रि आती हैं, जिनमें से दो गुप्त रूप से और दो सार्वजनिक रूप से मनाई जाती है। माघ मास की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि है जिसे माघी नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इस बार गुप्त माघी नवरात्रि 25 जनवरी से शुरू हो रही है। आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि का महत्व और पूजन-विधि।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
गुप्त नवरात्रि का महत्व
आम तौर पर जहां नवरात्र में नौ देवियों की विशेष पूजा का प्रावधान है, वहीं गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्र में पूजी जाने वाली 10 महाविद्याओं में मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी हैं। इस नवरात्र में तंत्र और मंत्र दोनों के माध्यम से भगवती की पूजा की जाती है। इन गुप्त साधनाओं के लिए कठिन नियमों का पालन करना होता है। वहीं इससे जुड़ी साधना-आराधना को भी लोगों से गुप्त रखा जाता है। मान्यता है कि साधक जितनी गुप्त रूप से देवी की साधना करता है, उस पर भगवती की उतनी ही कृपा बरसती है।
गुप्त नवरात्रि की पूजन-विधि
गुप्त नवरात्रि में विभिन्न स्वरूपों के साथ दस महाविद्याओं की साधना करें।
गुप्त नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक माता के 32 नाम के साथ उनके मंत्र का 108 बार जाप भी करें।
इसके अलावा सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का 18 बार पाठ कीजिए। इससे आपके घर में सुख-समृद्धि आएगी।
हो सके तो गुप्त नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का एक पाठ प्रातः और एक रात्रि में कीजिए।
मान्यता है कि इन दिनों ���्रम्ह मुहूर्त में श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ करने से दैहिक, दैविक और भौतिक तापों का नाश होता है।
ये भी पढ़े...
150 साल बाद ऐसा संयोग, मकर राशि में शनि का प्रवेश इन राशियों के लिए रहेगा शुभ
शनि के दोषों से बचने के लिए रोजाना अपनाएं ये उपाय, हमेशा बरसेगी कृपा
2020 में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज त्योहार, यहां देखें पूरे साल की लिस्ट
Read the full article
0 notes
पाना चाहते हैं लक्ष्मी माता की कृपा, तो शुक्रवार को इस विधि से करें मां की पूजा-अर्चना
चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इन नौ दिनों में देवी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है। शास्त्रों में लक्ष्मी को चंचला कहा गया है। चंचला का मतलब है ऐसी देवी जिनका किसी एक स्थान पर अधिक समय तक रहना तय नहीं। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है वे लोग शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा खासतौर से करें। इस दिन व्रत रखने का भी प्रावधान है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की पूजा-विधि..
मां लक्ष्मी की पूजा-विधि-
मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है।
पूजा के दौरान पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, फूल, नारियल, तांबे का कलश, लाल कपड़ा और घी होना चाहिए।
इसके बाद मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद सबसे पहले गणपति बप्पा और फिर लक्ष्मीजी का पूजन करें।
इस पूजा में गणपति बप्पा और लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु की स्थापना जरूर करें।
शुक्रवार के दिन भोजन और धन दान करना बेहद शुभ माना गया है।
मां लक्ष्मी के विशेष स्वरूप हैं, जिनकी उपासना शुक्रवार के दिन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़े...
शुक्रवार को दही खाने का होता है विशेष महत्व, जानिए वजह
शुक्रवार की रात मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न, इन उपायों को अपनाएंगे तो हमेशा बरसेगी कृपा
गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
Read the full article
0 notes
गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन करें सिद्धिदात्री देवी की पूजा-अर्चना, इस मंत्र के जाप से मां हो जाएंगी प्रसन्न
चैतन्य भारत न्यूज
गुप्त नवरात्रि के नौवें दिन मां के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री देवी की उपासना की जाती है। मान्यता है कि केवल इस दिन मां की उपासना करने से सम्पूर्ण नवरात्रि की उपासना का फल मिलता है। मां सिद्धिदात्री को सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। मां के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह आठ सिद्धियां हैं। माना जाता है कि नवमी के दिन महासरस्वती की भी उपासना करने से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि-
प्रातः काल स्नान करने के बाद मां के समक्ष दीपक जलाएं।
देवी को 9 कमल के फूल चढ़ाएं।
फिर मां को 9 तरह के खाद्य पदार्थ भी अर्पित करें।
पूजा के दौरान मां के मंत्र "ॐ ह्रीं दुर्गाय नमः" का जाप करें।
पूजा करने के पश्चात् अर्पित किए हुए कमल के फूल को लाल वस्त्र में लपेटकर रखें।
इसके अलावा पहले निर्धनों को भोजन कराएं और फिर स्वयं भोजन करें।
मां सिद्धिदात्री को इस मंत्र के जाप से करें प्रसन्न-
सिद्धगन्धिर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
ये भी पढ़े...
गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
40 सालों में एक बार जल समाधि से बाहर निकलते हैं भगवान अती वरदार, 48 दिन भक्तों को देते हैं दर्शन
इस दिन से शुरू होगी श्रीखंड महादेव यात्रा, जान जोखिम में डालकर 18,500 फीट की ऊंचाई पर दर्शन करने पहुंचते हैं श्रद्धालु
Read the full article
0 notes
गुप्त नवरात्रि 2019 : आज करें मां कात्यायनी की पूजा, विवाह संबंधी परेशानियां हो जाएंगी दूर
चैतन्य भारत न्यूज
आज गुप्त नवरात्रि का छठा दिन है। आज मां दुर्गा के छठवें रूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस देवी की आराधना करने से भक्तों को आसानी से अर्थ, धर्म, कर्म और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी का दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। इसके अलावा मां का बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार है तथा नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। मां कात्यायनी की पूजा विवाह संबंधी मामलों के लिए शुभ साबित होती है। साथ ही इनकी उपासना करने से योग्य और मनचाहा पति प्राप्त होता है।
मां कात्यायनी की पूजा विधि-
सबसे पहले चौकी पर माता कात्यायनी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और फिर इसे गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
मां की तस्वीर के साथ ही चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें।
इनके अलावा चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) भी स्थापना करें।
कात्यायनी देवी की पूजा के दौरान हमेशा पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करें।
मां कात्यायनी को पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें। बता दें मां को शहद अर्पित करना शुभ माना जाता है।
पूजा के दौरान आसन, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार,
सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि शामिल करें।
अंत में मां के मंत्र का जाप करें और इसके बाद पूजन संपन्न करें।
इन मंत्रों से करें मां कात्यायनी की आराधना-
वंदना मंत्र
कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।
मां कात्यायनी स्त्रोत पाठ
कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां।
सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
परमांवदमयी देवि परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति,कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
Read the full article
0 notes
गुप्त नवरात्रि : मैनेजमेंट, वाणिज्य और बैंकिंग से जुड़े लोग आज इस पूजा-विधि से करें स्कंदमाता की उपासना
चैतन्य भारत न्यूज
गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। स्कंदमाता को मोक्ष का द्वार खोलने वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद जी की मां हैं और इसलिये उनका नाम स्कंदमाता रखा गया है। स्कंदमाता की उपासना करने से अज्ञानी भी ज्ञानी हो जाता है।
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनमें से दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से वह अपने पुत्र स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं तथा नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। इसके अलावा देवी की बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। मैनेजमेंट, वाणिज्य, बैंकिंग अथवा व्यापार से जुड़े लोगों के लिए स्कंदमाता की पूजा करना अच्छा रहता है।
स्कंदमाता की पूजा विधि-
सबसे पहले चौकी पर स्कंदमाता की तस्वीर लगाए और फिर गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
देवी के साथ ही उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी) की स्थापना भी करें।
स्कंदमाता की पूजा का श्रेष्ठ समय दिन का दूसरा प्रहर है।
देवी को चंपा के फूल, कांच की हरी चूड़ियां व मूंग से बने मिष्ठान प्रिय है।
देवी की उपसाना करते समय सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
स्कंदमाता को भोग में केला चढ़ाए और फिर यह प्रसाद ब्राह्मण को दे दीजिए।
पूजा के दौरान करें इस मंत्र का जाप
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
ये भी पढ़े...
गुप्त नवरात्रि : भक्तों के रोग हर लेने वाली मां कूष्मांडा की आज करें पूजा, इस मंत्र के जाप से होगी समृद्धि की प्राप्ति
गुप्त नवरात्रि : आज करें भक्तों के कष्ट हरने वाली मां चंद्रघंटा की पूजा, इस मंत्र के जाप से दूर होंगी परेशानियां
गुप्त नवरात्रि : आज इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की उपासना, विद्यार्थी जरूर करें इस मंत्र का जाप
Read the full article
0 notes
गुप्त नवरात्रि : आज करें भक्तों के कष्ट हरने वाली मां चंद्रघंटा की पूजा, इस मंत्र के जाप से दूर होंगी परेशानियां
चैतन्य भारत न्यूज
आज गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा के सिर पर घंटे के आकार का चंद्रमा बना होता है इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। माता के दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और यह देवी हमेशा युद्ध की मुद्रा में रहती हैं। इनका रूप सोने की तरह चमकीला होता है और वह सिंह की सवारी करती हैं। मान्यता है कि, मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि-
मां चंद्रघंटा की पूजा करते वक्त लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
मां को लाल के पुष्प चढ़ाएं और साथ ही उन्हें लाल चुनरी भी समर्पित करें।
मां चंद्रघंटा को सुगंध प्रिय है, इसलिए इनका पूजन करते समय फूल और इत्र चढ़ाएं।
मां चंद्रघंटा को तांबे का सिक्का या फिर तांबे की वस्तु में हलवा या फिर मेवे का भोग लगाएं।
मां की पूजा करते समय "ॐ अँ अंगारकाय नमः" का जाप करें।
मां की उपासना का मंत्र-
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ये भी पढ़े...
गुप्त नवरात्रि : आज इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की उपासना, विद्यार्थी जरूर करें इस मंत्र का जाप
गुप्त नवरात्रि : आज महिलाएं करें मां शैलपुत्री की पूजा, मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान
3 जुलाई से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
Read the full article
0 notes
पाना चाहते हैं लक्ष्मी माता की कृपा, तो शुक्रवार को इस विधि से करें मां की पूजा-अर्चना
चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इन नौ दिनों में देवी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है। शास्त्रों में लक्ष्मी को चंचला कहा गया है। चंचला का मतलब है ऐसी देवी जिनका किसी एक स्थान पर अधिक समय तक रहना तय नहीं। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है वे लोग शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा खासतौर से करें। इस दिन व्रत रखने का भी प्रावधान है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की पूजा-विधि..
मां लक्ष्मी की पूजा-विधि-
मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है।
पूजा के दौरान पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, फूल, नारियल, तांबे का कलश, लाल कपड़ा और घी होना चाहिए।
इसके बाद मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद सबसे पहले गणपति बप्पा और फिर लक्ष्मीजी का पूजन करें।
इस पूजा में गणपति बप्पा और लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु की स्थापना जरूर करें।
शुक्रवार के दिन भोजन और धन दान करना बेहद शुभ माना गया है।
मां लक्ष्मी के विशेष स्वरूप हैं, जिनकी उपासना शुक्रवार के दिन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़े...
शुक्रवार को दही खाने का होता है विशेष महत्व, जानिए वजह
शुक्रवार की रात मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न, इन उपायों को अपनाएंगे तो हमेशा बरसेगी कृपा
गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, जुलाई में आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
Read the full article
0 notes
गुप्त नवरात्रि : आज इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की उपासना, विद्यार्थी जरूर करें इस मंत्र का जाप
चैतन्य भारत न्यूज
गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी के हाथों मे अक्षमाला और कमंडल होता है। इन्हें ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। भगवान शंकर को अपने पति के रूप से प्राप्त करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी ने घोर तपस्या की थी। इसलिए उन्हें तपश्चारिणी और ब्रह्मचारिणी भी कहा जाता है। ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करना विद्यार्थियों और तपस्वियों के लिए बेहद शुभ और फलदायी होती है। साथ ही जिसका चंद्रमा कमजोर होता है, उन्हें भी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करना चाहिए।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि-
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय हमेशा पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।
मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग के फूल अथवा वस्तुएं जैसे- मिश्री, शक्कर या पंचामृत अर्पित करें।
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करते समय ज्ञान और वैराग्य के मंत्र का जाप करें।
मां ब्रह्मचारिणी के लिए सबसे उत्तम जाप "ॐ ऐं नमः" माना जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते वक्त हाथों में एक सफेद रंग का फूल लेकर देवी का ध्यान करें और फिर इस मंत्र का उच्चारण करें-
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
ये भी पढ़े...
विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा 4 जुलाई से होगी शुरू, छुट्टियां मनाने मौसी के घर जाएंगे भगवान
गुप्त नवरात्रि : आज महिलाएं करें मां शैलपुत्री की पूजा, मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान
3 जुलाई से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
Read the full article
0 notes