क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:। स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥ #गीता #गीता_अध्याय_18वां #गीता_ज्ञान_दाता_काल_है #गीतासार #गीताज्ञान #गीताप्रेस_गोरखपुर #गीता_तेरा_ज्ञान_अमृत #हिन्दू #हिंदुस्तान #सनातनधर्म #हिंदीसाहित्य (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CJNWvWoAa1s/?igshid=1pmnx069y1bug
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वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।। एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम। य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।। #तुलसी_पूजन_दिवस #तुलसी #तुलसी_नामाष्टक_मंत्र #हिन्दू #पूजा_पाठ_में_वह_शक्ति_है #गर्व_से_कहो_हम_हिंदू_हैं #संस्कृति #संस्कृतिसंस्कार #पूजा_विधि #सनातनधर्म #सनातन_सर्वश्रेष्ठ_है #सनातनधर्मकीजय🚩 #सनातन_संस्कृति (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CJNGpWVAdb7/?igshid=c8vlu5v3yaj9
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#राशि_अनुसार_करे_ये_उपाय मेष. शरद पूर्णिमा पर मेष राशि के लोग कन्याओं को खीर खिलाएं और चावल को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएं। ऐसा करने से आपके सारे कष्ट दूर हो सकते हैं। वृष. इस राशि में चंद्रमा उच्च का होता है। वृष राशि शुक्र की राशि है और राशि स्वामी शुक्र प्रसन्न होने पर भौतिक सुख-सुविधाएं प्रदान करते हैं। शुक्र देवता को प्रसन्न करने के लिए इस राशि के लोग दही और गाय का घी मंदिर में दान करें। मिथुन. इस राशि का स्वामी बुध, चंद्र के साथ मिल कर आपकी व्यापारिक एवं कार्य क्षेत्र के निर्णयों को प्रभावित करता है। उन्नति के लिए आप दूध और चावल का दान करें तो उत्तम रहेगा। कर्क. आपके मन का स्वामी चंद्रमा है, जो कि आपका राशि स्वामी भी है। इसलिए आपको तनाव मुक्त और प्रसन्न रहने के लिए मिश्री मिला हुआ दूध मंदिर में दान देना चाहिए। सिंह. आपका राशि का स्वामी सूर्य है। शरद पूर्णिमा के अवसर पर धन प्राप्ति के लिए मंदिर में गुड़ का दान करें तो आपकी आर्थिक स्थिति में परिवर्तन हो सकता है। कन्या. इस पवित्र पर्व पर आपको अपनी राशि के अनुसार 3 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को भोजन में खीर खिलाना विशेष लाभदाई रहेगा। तुला. इस राशि पर शुक्र का विशेष प्रभाव होता है। इस राशि के लोग धन और ऐश्वर्य के लिए धर्म स्थानों यानी मंदिरों पर दूध, चावल व शुद्ध घी का दान दें। वृश्चिक. इस राशि में चंद्रमा नीच का होता है। सुख-शांति और संपन्नता के लिए इस राशि के लोग अपने राशि स्वामी मंगल देव से संबंधित वस्तुओं, कन्याओं को दूध व चांदी का दान दें। धनु. इस राशि का स्वामी गुरु है। इस समय गुरु उच्च राशि में है और गुरु की नौवीं दृष्टि चंद्रमा पर रहेगी। इसलिए इस राशि वालों को शरद पूर्णिमा के अवसर पर किए गए दान का पूरा फल मिलेगा। चने की दाल पीले कपड़े में रख कर मंदिर में दान दें। मकर. इस राशि का स्वामी शनि है। गुरु की सातवी दृष्टि आपकी राशि पर है जो कि शुभ है। आप बहते पानी में चावल बहाएं। इस उपाय से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। कुंभ. इस राशि के लोगों का राशि स्वामी शनि है। इसलिए इस पर्व पर शनि के उपाय करें तो विशेष लाभ मिलेगा। आप दृष्टिहीनों को भोजन करवाएं। मीन. शरद पूर्णिमा के अवसर पर आपकी राशि में पूर्ण चंद्रोदय होगा। इसलिए आप सुख, ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CG833DtgRWz/?igshid=16p3km9gbxfae
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हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् । सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥ (at Delhi, India) https://www.instagram.com/p/CGfO6b8Ao4i/?igshid=v4n1n2wxniv9
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हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् । सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥ (at Delhi, India) https://www.instagram.com/p/CGfO6b8Ao4i/?igshid=v4n1n2wxniv9
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#पद्मिनी_एकादशी पंचांग के अनुसार अधिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 26 सितंबर 2020 से हो रहा है. मान्यता है कि एकादशी व्रत की पूजा एकादशी की तिथि आरंभ होने से ही शुरू हो जाती है. एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. अधिक मास चल रहे हैं. अधिक मास भगवान विष्णु को समर्पित है. अधिक मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते है. पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है. अधिक मास में पड़ने वाली एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि एकादशी का व्रत भी भगवान विष्णु को ही समर्पित है. #मुहूर्त एकादशी तिथि प्रारम्भ: 26 सितम्बर को शाम 06 बजकर 59 मिनट एकादशी तिथि समाप्त: 27 सितम्बर को शाम 07 बजकर 46 मिनट पद्मिनी एकादशी पारणा मुहूर्त: 28 सितंबर 2020 को प्रात: 06 बजकर 12 मिनट 41 सेकेंड से प्रात: 08 बजकर 36 मिनट 09 सेकेंड तक. #पूजा_विधि पद्मिनी एकादशी व्रत का आरंभ 27 सितंबर 2020 से होगा. इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा स्थल पर बैठकर व्रत का संकल्प लें और पूजा आरंभ करें. एकादशी व्रत में विष्णु पुराण को पढ़ना और सुनना चाहिए. इस व्रत में रात्रि के समय भी भगवान विष्णु की पूजा का नियम है. इसलिए रात्रि में भजन और कीर्तन करना चाहिए. इस व्रत में हर प्रहर में भगवान की पूजा की जाती है. एकादशी व्रत का समापन यानि पारण भी नियम पूर्वक करना चाहिए तभी इस व्रत का पूर्ण लाभ और पुण्य प्राप्त होता है. #महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर से पद्मिनी एकादशी के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि मलमास के समय में लोगों को अनेक पुण्यों को प्रदान करने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति कीर्ति प्राप्त करता है और मृत्यु के बाद बैकुंठ को जाता है। बैकुंठ तो मनुष्यों के लिए भी दुर्लभ है। (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CFlXuIOgezj/?igshid=1bxmt9b713y49
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#पद्मिनी_एकादशी पंचांग के अनुसार अधिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 26 सितंबर 2020 से हो रहा है. मान्यता है कि एकादशी व्रत की पूजा एकादशी की तिथि आरंभ होने से ही शुरू हो जाती है. एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. अधिक मास चल रहे हैं. अधिक मास भगवान विष्णु को समर्पित है. अधिक मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते है. पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है. अधिक मास में पड़ने वाली एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि एकादशी का व्रत भी भगवान विष्णु को ही समर्पित है. #मुहूर्त एकादशी तिथि प्रारम्भ: 26 सितम्बर को शाम 06 बजकर 59 मिनट एकादशी तिथि समाप्त: 27 सितम्बर को शाम 07 बजकर 46 मिनट पद्मिनी एकादशी पारणा मुहूर्त: 28 सितंबर 2020 को प्रात: 06 बजकर 12 मिनट 41 सेकेंड से प्रात: 08 बजकर 36 मिनट 09 सेकेंड तक. #पूजा_विधि पद्मिनी एकादशी व्रत का आरंभ 27 सितंबर 2020 से होगा. इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा स्थल पर बैठकर व्रत का संकल्प लें और पूजा आरंभ करें. एकादशी व्रत में विष्णु पुराण को पढ़ना और सुनना चाहिए. इस व्रत में रात्रि के समय भी भगवान विष्णु की पूजा का नियम है. इसलिए रात्रि में भजन और कीर्तन करना चाहिए. इस व्रत में हर प्रहर में भगवान की पूजा की जाती है. एकादशी व्रत का समापन यानि पारण भी नियम पूर्वक करना चाहिए तभी इस व्रत का पूर्ण लाभ और पुण्य प्राप्त ह��ता है. #महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर से पद्मिनी एकादशी के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि मलमास के समय में लोगों को अनेक पुण्यों को प्रदान करने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति कीर्ति प्राप्त करता है और मृत्यु के बाद बैकुंठ को जाता है। बैकुंठ तो मनुष्यों के लिए भी दुर्लभ है। (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CFlXuIOgezj/?igshid=1bxmt9b713y49
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#अनंत_चतुर्दशी अनंत चतुर्दशी का व्रत 01 सितंबर दिन मंगलवार को है। यह व्रत हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होता है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा होती है और अनंत चौदस की कथा सुनी जाती है। आज के दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और कहा जाता है कि लगातार 14 वर्षों तक यह व्रत करने से व्यक्ति को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। #पूजा_मुहूर्त भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 31 अगस्त दिन सोमवार को सुबह 08 बजकर 49 मिनट से हो रहा है, जो 01 सितंबर को सुबह 09 बजकर 39 मिनट तक है। व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह में स्नान आदि से निवृत होकर पूजा कर लेनी चाहिए। #पूजा_विधि चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और हाथ में जल लेकर अनंत चतुर्दशी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें। व्रत का संकल्प लेने के लिए इस मंत्र 'ममाखिलपापक्षयपूर्वकशुभफलवृद्धये श्रीमदनन्तप्रीतिकामनया अनन्तव्रतमहं करिष्ये' का उच्चारण करें। इसके पश्चात पूजा स्थान को साफ कर लें। अब एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या कुश से बनी सात फणों वाली शेष स्वरुप भगवान अनन्त की मूर्ति स्थापित करें। अब मूर्ति के समक्ष अनंत सूत्र, जिसमें 14 गांठें लगी हों, उसे रखें। कच्चे सूत को हल्दी लगाकर अनंत सूत्र तैयार किया जाता है। अब आप आम पत्र, नैवेद्य, गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि भगवान अनंत की पूजा करें। भगवान विष्णु को पंचामृत, पंजीरी, केला और मोदक प्रसाद में चढ़ाएं। पूजा के समय इस मंत्र को पढ़ें। नमस्ते देव देवेश नमस्ते धरणीधर। नमस्ते सर्वनागेन्द्र नमस्ते पुरुषोत्तम।। इसके बाद अनंत चतुर्दशी की कथा सुनें। फिर कपूर या घी के दीपक से भगवान विष्णु की आरती करें। व्रत करने वाले व्यक्ति को बिना नमक वाले भोज्य पादार्थों का ही सेवन करना होता है। (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CElAiZVA-Dq/?igshid=1725pi56a68y6
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#पितृ_पक्ष_कैलेंडर 2020 02 सितंबर 2020 बुधवार पूर्णिमा श्राद्ध 03 सितंबर 2020 गुरुवार प्रतिपदा श्राद्ध 04 सितंबर 2020 शुक्रवार द्वितीय श्राद्ध 05 सितंबर 2020 शनिवार तृतीय श्राद्ध 06 सितंबर 2020 रविवार चतुर्थी श्राद्ध 07 सितंबर 2020 सोमवार पंचमी श्राद्ध 08 सितंबर 2020 मंगलवार षष्ठी श्राद्ध 09 सितंबर 2020 बुधवार सप्तमी श्राद्ध 10 सितंबर 2020 गुरुवार अष्टमी श्राद्ध 11 सितंबर 2020 शुक्रवार नवमी श्राद्ध 12 सितंबर 2020 शनिवार दशमी श्राद्ध 13 सितंबर 2020 रविवार एकादशी श्राद्ध 14 सितंबर 2020 सोमवार द्वादशी श्राद्ध 15 सितंबर 2020 मंगलवार त्रयोदशी श्राद्ध 16 सितंबर 2020 बुधवार चतुर्दशी श्राद्ध 17 सितंबर 2020 गुरुवार सर्वपितृ अमावस्या, महालय अमावस्या हमारे पूर्वज हमारे अस्तित्व की नींव है, उनके कृतज्ञता का सम्मान करने का एक पल भी न छूटे.. अनंत कोटि कोटि नमन पूर्वजों का आशीर्वाद सबको प्राप्त हो। #श्राद्ध_किसे_कहते_हैं? श्रद्धार्थमिंद श्राद्धम्। श्रद्धया इदं श्राद्धम्। पितरों के उद्देश्य से विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है उसे श्राद्ध कहते हैं। #क्या_करें? शास्त्रों में मनुष्य के लिए देवऋण, ऋषिऋण और पितृऋण उतारना आवश्यक है।अतः पितृऋण से मुक्ति हेतु श्राद्ध करके हम मुक्ति को प्राप्त होता सकते है #पितृपक्ष_में_श्राद्ध_कब_करें? पितृपक्ष में मृत व्यक्ति की जो तिथि आये, उस तिथि पर मुख्य रूप से पार्वण श्राद्ध करने का विधान है। सोलह दिनों तक पितरों को तर्पण करें और विशेष तिथि को श्राद्ध करें (जिस दिन उनका स्वर्गवास हुआ हो)। यदि किसी को पितरों के स्वर्गवास का दिन ज्ञात न हो तो वे अमावस्या को श्राद्ध करें। इस श्राद्ध को पार्वण श्राद्ध कहते हैं। पार्वण श्राद्ध का समय- पूर्वाह्णे दैविकं श्राद्धमपराह्णेतु पार्वणम्। एकोदिष्टं तु मध्याह्ने प्रातर्वृद्धि- निमित्तकम्॥ अत: पार्वण श्राद्ध अपराह्ण में (अर्थात् लगभग 2pm) बजे करना चाहिए। #श्राद्ध_का_महत्त्व:- महर्षि जाबालि कहते हैं- पुत्रानायुस्तथाऽऽरोग्यमैश्वर्यमतुलं तथा। प्राप्नोति पञ्चेमान् कृत्वा श्राद्धं कामांश्च पुष्कलान्॥ अर्थात् पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पुत्र, आयु,आरोग्य,अतुल एैश्वर्य और अभिलाषित वस्तुओं की प्राप्ति होती है। #श्राद्ध_न_करने_पर:- महर्षि काण्वायिनि कहते हैं- वृश्चिके समनुप्राप्ते पितरो दैवतै: सह। नि:श्वस्य प्रतिगच्छन्ति शापं दत्वाबुदारुणम्॥ अर्थात् सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश करते तक यदि श्राद्ध न किया जाए तो पितर गृहस्थ को दारुण शाप देकर पितृलोक लौट जाते है। पूर्वजों के (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CEb7R77gALr/?igshid=19fejs3i0s4bp
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#परिवर्तिनी_एकादशी एकादशी का व्रत कल 29 अगस्त दिन शनिवार को रखा जाएगा. यह व्रत भगवान विष्णु के भक्त यानी वैष्णव रखते हैं. भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के दिन 4 महीनों के लिए सो जाते हैं. देवउठनी एकादशी पर उठते हैं. माना जाता है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु सोते हुए करवट बदलते हैं. स्थान में परिवर्तन होने के कारण ही इस एकादशी को परिवर्तिनी नाम दिया गया है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है, इसलिए ही उनके भक्त इस दिन व्रत कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. #शुभ_मुहूर्त एकादशी तिथि आरंभ 28 अगस्त दिन शुक्रवार की सुबह 08 बजकर 38 मिनट पर एकादशी तिथि समाप्त 29 अगस्त दिन शनिवार की सुबह 08 बजकर 17 मिनट पर पारण का समय 30 अगस्त दिन रविवार की सुबह 05 बजकर 58 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट तक #पूजा_विधि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, इसके बाद साफ कपड़े पहनें. जिस स्थान पर पूजा करनी है उस स्थान की सफाई करें. फिर गंगाजल डालकर पूजन स्थल को पवित्र करें. इसके बाद एक चौकी लें और उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. भगवान लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा उस पर विराजित करें. दीपक जलाएं और प्रतिमा पर कुमकुम या चंदन का तिलक लगाएं. हाथ जोड़कर भगवान विष्णु का ध्यान करें. प्रतिमा पर तुलसी के पत्ते और पीले फूल अर्पित करें. फिर विष्णु चालीसा, विष्णु स्तोत्र और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों या नाम का जाप अवश्य करें. इसके बाद विष्णु जी की आरती करें. उनसे पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें. किसी पीले फल या मिठाई का भोग लगाएं. (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CEaucwDgZJh/?igshid=poxj9feqyof9
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#गणेश_पूजा_मुहूर्त (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CEJ-ifpgKe0/?igshid=1ic5k92qq2wuz
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#भाद्रपद_शुक्ल_चतुर्थी-शनिवार-22 अगस्त इस दिन प्रातः काल शुक्ल(सफ़ेद) तिल मिश्रित जल से स्नान करके मध्याह्न में गणेश जी का पूजन करें ! #क्या_करें : इस दिन गणेश जी का पूजन जास्वंती के फूलों से करें, दूर्वा चढायें, 21 मोदक का भोग लगायें ! अथर्वशीर्ष, गणेश द्वादश नाम स्तोत्र, संकटनाशन गणेश स्तोत्र इत्यादि का पाठ करें ! यथासंभव दान विशेषकर अन्नदान ��्राम्हण एवं जरूर���मंद को करें ! किसी ब्राम्हण को अपने यहाँ भोजन करायें ! ॥ श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्र ॥ सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः। लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥ धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः। द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥ विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा। संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥ #भावार्थ:- १.सुमुख २.एकदन्त ३.कपिल ४.गजकर्ण ५.लम्बोदर ६.विकट ७.विघ्ननाश ८.विनायक ९.धूम्रकेतु १०.गणाध्यक्ष ११.भालचन्द्र १२.गजानन इन बारह नामों के पाठ करने व सुनने से छः स्थानों १.विद्यारम्भ २.विवाह ३. प्रवेश ४.निर्गम ५.संग्राम और ६.संकट में सभी विघ्नों का नाश होता है । शुभमस्तु जय हो गणेश भगवान की https://www.instagram.com/p/CEIqdVrgayW/?igshid=lvd6tuksj6cq
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#अजा_एकादशी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहते हैं। इस साल अजा एकादशी का व्रत 15 अगस्त (शनिवार) को रखा जाएगा। मान्यता है कि इस व्रत को करने वाले को अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। इसलिए सनातन धर्म में एकादशी का उपवास श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। कहते हैं कि एकादशी में श्री हरि की सच्चे भाव से पूजा करने वालों पर वह अपनी कृपा बरसाते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। #तिथि_आरंभ_और_समापन_समय- तिथि आरंभ- 14 अगस्त 2020 दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से समापन - 15 अगस्त 2020 रात 2 बजकर 20 मिनट पर पारण का समय -16 अगस्त2020 05:51 से 08:29 #व्रत_में_रखें_ये_सावधानियां अजा एकादशी के महत्व और कहानी के बारे में आप जान चुके हैं लेकिन इस व्रत के दौरान कुछ सावधानियां भी जरुर बरतनी चाहिये अन्यथा व्रत का फल अपेक्षानुसार नहीं मिलता। दशमी तिथि की रात्रि में मसूर की दाल नहीं खानी चाहिये और ना ही चने या चने के आटे से बनी चीजें खानी चाहियें। शाकादि भोजन, शहद आदि खाने से भी बचना चाहिये। ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिये। #व्रत_पूजा_विधि एकादशी के दिन व्रती को प्रात:काल में उठकर नित्यक्रिया से निपटने के बाद घर की साफ-सफाई करनी चाहिये। इसके बाद तिल व मिट्टी के लेप का इस्तेमाल करते हुए कुशा से स्नान करना चाहिये। स्नानादि के पश्चात व्रती को भगवान श्री हरि यानि कि विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिये। पूजा करने से पहले घट स्थापना भी की जाती है जिसमें कुंभ को लाल रंग के वस्त्र से सजाया जाता है और स्थापना करने के बाद कुंभ की पूजा की जाती है। तत्पश्चात कुंभ के ऊपर श्री विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित कर उनके समक्ष व्रती संकल्प लेते हैं फिर धूप, दीप और पुष्पादि से श्री हरि की पूजा की जाती है। लेकिन यदि आपको जीवन में काफी संघर्ष और कष्टों से गुजरना पड़ रहा है तो इसके उपाय के लिये आपको विद्वान ज्योतिषाचार्यों से परामर्श लेना चाहिये जो कि अब बहुत ही सरल हो गया है। (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CD20zetgMwe/?igshid=1qpjxwwjgamwq
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#गृहस्थ(स्मार्त) के लिए जन्माष्टमी का व्रत मंगलवार-11 अगस्त को है । #वैष्णव बुधवार-12 अगस्त को जन्माष्टमी मना रहे हैं । चार रात्रियाँ विशेष पुण्य प्रदान करने वाली हैं । किसी भी सिद्धि प्राप्ति या मनोकामना पूर्ति के लिए चार रात्रियाँ सर्वश्रेष्ठ हैं । -मोहरात्रि (जन्माष्टमी) -कालरात्रि (दीपावली) -दारूण रात्रि (होली) -अहोरात्रि (शिवरात्रि) या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी । यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः ॥ सर्व प्राणियों की अर्थात विषयासक्त संसारी जनों की जो निशा है उसमे संयमी जगे रहते हैं । आत्मदर्शनविमुख प्राणीगण जिस जगदवस्था में जागते हैं मनीषी आत्मदर्शन योगी के लिए वो निशा है। अतः जन्माष्टमी में जागरण करना आवश्यक है । इन विशेष रात्रियों को किया गया ध्यान,जप,तप,जागरण अनंत गुना फल देता है । (at New Delhi) https://www.instagram.com/p/CDt3WLJlO4T/?igshid=1oochbpzqsypu
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जन्माष्टमी:11 अगस्त-मंगलवार जो जानकर जन्माष्टमी का व्रत नहीं करते वे वन में सर्प एवं व्याघ्र होते हैं ! भविष्यपुराण का वाक्य है की जो मनुष्य जन्माष्टमी का व्रत नहीं करता वह क्रूर राक्षस होता है ! स्कंदपुराण का कथन है की जो मनुष्यों में श्रेष्ठ जन्माष्टमी का व्रत करते व कराते हैं उनके यहाँ निरंतर लक्ष्मी स्थिर रहती है और इस व्रत के करने से सब ही कार्य सिद्ध होते हैं ! जन्माष्टमी को आधी रात के समय रोहिणी नक्षत्र हो तो उसमें कृष्ण का पूजन करने से तीन जनम के पाप दूर होते हैं ! जन्माष्टमी को मोहरात्रि कहा गया है ! कृष्णकृष्णेति कृष्णेति यो मां स्मरति नित्यशः । जलं भित्त्वा यथा पद्मं नरकादुद्धराम्यहम् ।। जो "हे कृष्ण ! हे कृष्ण ! हे कृष्ण !" ऐसा कहकर मेरा प्रतिदिन स्मरण करता है, उसे जिस प्रकार कमल जल को भेदकर ऊपर निकल आता है, उसी प्रकार मैं नरक से निकाल लाता हूँ ! क्या करें जन्माष्टमी को: अगर गंगा स्नान कर सकते हैं तो अतिउत्तम अन्यथा नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें ! सुबह स्नान आदि से निवृत होकर "ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा" इस मंत्र का 108 बार जप करें ! याद रखें पूरे दिन कुछ नहीं खाना है ! अगर संभव नहीं हो तो फल खा लें ! गौसेवा करें, गौ को हरी घास खिलाएं! ब्राम्हण एवं जरूरतमंद को दान करें !(मंगलवार की रात या बुधवार को प्रातः काल) रात्रि के बारह बजे गर्भ से जन्म लेने के प्रतिस्वरूप खीरा काटकर भगवान का जन्म कराएं। बाल गोपाल कृष्ण को पंचामृत से स्नान करा कर, केसर मिश्रित कच्चा दूध, गंगाजल, गुलाब जल को अलग अलग शंख में भरकर स्नान कराएं ! नवीन वस्त्र पहनायें ।। चन्दन लगायें। यथासंभव श्रृंगार करें ! फूलअर्पित करें। मोरपंख मस्तक पर लगायें या अर्पित करें ! मखाने की खीर का भोग लगाएं। खीर में तुलसी जरूर होनी चाहिए ! माखन मिश्री का भोग लगाएं ! बालकृष्ण को तुलसी समर्पित करें। और अगर गोपाल सहस्त्रनाम बोलते हुए 1008 तुलसी समर्पित कर सकते हैं तो अतिउत्तम ! विभिन्न कृष्ण स्तोत्रों, मन्त्रों का पाठ करें ! पूरे रात जागते हुए नाचते गाते हुए जन्माष्टमी का उत्सव मनाएं ! (at Delhi, India) https://www.instagram.com/p/CDt3GoZFJES/?igshid=7y9rk5x3vwyt
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न यावद् उमानाथपादारविन्दम्। भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्। न तावत्सुखम् शान्ति सन्तापनाशम्। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥ हे पार्वती के पति, जब तक मनुष्य आपके चरण कमलों को नहीं भजते, तब तक उन्हें न तो इस लोक में न परलोक में सुख शान्ति मिलती है और न ही तापों का नाश होता है। अत: हे समस्त जीवों के अंदर (हृदय में) निवास करने वाले प्रभो, प्रसन्न होइये। ॐ नमः शिवाय (at Delhi, India) https://www.instagram.com/p/CDeDVbpgn9f/?igshid=12b4lqpzz016d
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#राखी_बांधने_का_शुभ_मुहूर्त भद्रा के समय राखी बांधना निषेध सुबह भद्रा का समय 9:28 तक है। इस काल में राखी बांधना शास्त्रों के अनुसार निषेध है । भद्रा काल में राखी पर्व नहीं बनाया जाता है। इसे अशुभ माना गया है । चौघड़िया के अनुसार राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुभ : 9:30 से 10:55 तक अभिजीत: 12:01 से 12:50 तक चर : 14:12 से 15:51 तक लाभ: 15:51 से 17:29 तक अमृत : 17:29 से 19:08 तक #मंत्र येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।। (at Delhi, India) https://www.instagram.com/p/CDaJBlUAOm0/?igshid=tynm4kk9kljp
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