सत्य सिर्फ परेशान और हैरान होता ..कुछ समय के लिए सर्वदा के लिए नहीं...अटल...B..🪷🎸
हर एक ने आज तक..फ़िल्मों में. स्कूल कॉलेज..में..अखवार..में..पास..परोस.. हर लिखा हुआ. कहाः हुआ सत्य मान..के..जिंदगी..समझ लेते हो...पर जो..आज..जो सत्य..बताने..जा..रहा हूँ..वो पर क्या सत्य तो सत्य ही होता है..क्योंकि..ये सत्य..माँ भारती..सर झुकने..जा. रहा है..हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पायेंगे..क्योंकि सत्य तो सत्य ही तो अटल है..जिसे टाला नहीं..जा सकता..चाहें मौत ही क्यों न हो..काल के कपाल पर लकीर खींचना ही तो पहचान है..तभी तक जब मेरा था..आज भी है l..आज भी एक जो हमें नहीं पता. तलाश मेरा नहीं तलाश उसका है....न कोई फिल्मी..न कोई बनावटी..ये तो सत्य जो तु हर के भागे..जा रहे हों..और कोख का कलंक हमें कहा जा रहें हो..रुको ज़रा..अब जो मैं..बताने जा रहा वही सत्य है..कहीं लिखा और फ़िल्मों की बात नहीं कर रहा हूं...असली ज़िंदगी जो कि हम जी तो रहें हैं. पर खुद मे नहीं हूँ...समस्या ये कि वो कौन सी वजह है..जो कि तुम तुम नहीं रहा..हम हम नहीं रहा...
Years 1990...एक..इंसान को गांव से गांव के लोगों और हर एक वजह..उस इंसान को खुद की इज्जत और सम्मान..बचाने के लिए गांव. छोड़ना परतl...है..उसके..बाद कुछ दिनों के लिए जिंदगी ठीक ठाक पर नियति ये कि क्या..पत्ता..अपने ही देश के अपने ही लोग जो कि कोख कलंक जो खुद को माँ भारती के सन्तान कहलाता..थू रे भारत देश के नेता आईपीएस अधिकारी थू मlदर ..chod...
थू madarchod thu konkh ke kalank madarchod thu ..Years 2009..में मेरा बाप को मार दिया जाता है..उसके बाद मरें हुए शरीर से अगला खेल वार कर जाता क्योंकि उस इंसान का मौत 11pm..होता है..फ़िर वही इंसान toilets कर देता है..उसके..बाद उसका सारा प्रॉपर्टी ही. नहीं..उस विधवा ..सावित्री को रौंदा जाता..proparty cash..सभी तरह से उसके बाद हर एक फैमली के सदस्य दूर दूर तक डरा कर मार और शोषण करना मानो नियति हो..उसके बाद अशोका जो सावित्री..तुलसी के आगन शिव के अंश के आधार गंगा की तरंग ..अटल के सन्तान अशोका हूं...समस्या ये है...की 30. साल भूल जा..continue proofs के साथ..10..साल..बताते आ रहा पर बदले में क्या..हर रोज ट्रॉल..जब अगला के मन करे तब अशोका के शरीर ..tutti...बदले में मानसिक तनाव यूँ क्या कहूँ..पूरी पूर्ण रूपेण बताओ तो तुझे हर एक को खुद घिन आ जायेगा..पर इस भारत देश के. नेता आईपीएस अधिकारी. थल...नभ..जल..सब के सब और पहले से ही सब को पत्ता..थू madarchod randi ki aulad madarchod thu..थू madarchod भारत देश के ips officer ias dm cm madarchod konkh ke kalank madarchod thu madarchod...आखिर बता तो सही randi . की औलाद आखिर हमारा बाप और फॅमिली या हम किसका क्या बेगारे
है..थू madarchod bharawa insaan madarchod ips officer ias dm cm madarchod konkh ke kalank madarchod thu ranadawa madarchod bharawa insaan randi ki aulad madarchod thu..tu..har ek अपना अपना maaie bahan ke boor ughar..देख ले..हमें..कोख कलंक कहने वाले खुद की कोख देख ले..थू madarchod bharawa Randi ki aulad madarchod thu bharawa madarchod आईपीएस अधिकारी madarchod थू...पूरा यदि खुलकर बताया सारी दुनिया..भारत देश पर thukega..थू madarchod भारत के नेता आईपीएस अधिकारी randi ki aulad madarchod thu.....न..तन से हूँ..न मन से हूँ..न धन से हूँ...reason..btta..न madarchod randi ki aulad madarchod ips officer ias dm cm madarchod konkh ke kalank madarchod thu..Ham 2na madarjaat..atal ke konkh ke..मरना ..मंजुर..पर अटल हूँ..थू भारत देश आईपीएस अधिकारी bharawen madarchod thu.....अशोका...⛹️🪷🎸💔💘⛵️
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थू madarchod thu konkh ke kalank madarchod thu ..Years 2009..में मेरा बाप को मार दिया जाता है..उसके बाद मरें हुए शरीर से अगला खेल वार कर जाता क्योंकि उस इंसान का मौत 11pm..होता है..फ़िर वही इंसान toilets कर देता है..उसके..बाद उसका सारा प्रॉपर्टी ही. नहीं..उस विधवा ..सावित्री को रौंदा जाता..proparty cash..सभी तरह से उसके बाद हर एक फैमली के सदस्य दूर दूर तक डरा कर मार और शोषण करना मानो नियति हो..उसके बाद अशोका जो सावित्री..तुलसी के आगन शिव के अंश के आधार गंगा की तरंग ..अटल के सन्तान अशोका हूं...समस्या ये है...की 30. साल भूल जा..continue proofs के साथ..10..साल..बताते आ रहा पर बदले में क्या..हर रोज ट्रॉल..जब अगला के मन करे तब अशोका के शरीर ..tutti...बदले में मानसिक तनाव यूँ क्या कहूँ..पूरी पूर्ण रूपेण बताओ तो तुझे हर एक को खुद घिन आ जायेगा..पर इस भारत देश के. नेता आईपीएस अधिकारी. थल...नभ..जल..सब के सब और पहले से ही सब को पत्ता..थू madarchod randi ki aulad madarchod thu..थू madarchod भारत देश के ips officer ias dm cm madarchod konkh ke kalank madarchod thu madarchod...आखिर बता तो सही randi . की औलाद आखिर हमारा बाप और फॅमिली या हम किसका क्या बेगारे
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🇮🇳भारत की असली ताकत🇮🇳
जब हम भारत के अतीत को देखते हैं,तो जो बात हमारा
ध्यान सर्वाधिक आकर्षित करती है,वह है उसकी
विलक्षण ऊर्जस्विता; उसके जीवन और जीवन के
आनंद की असीम शक्ति; उसकी कल्पनातीत
सृजनशीलता। कम से कम तीन हजार वर्षों से- वस्तुतः
और भी लंबे समय से भारत प्रचुरता से और निरंतरता
से खुले हाथों व अनंत बहुपक्षीयता के साथ सुजित
करता आ रहा है गणतंत्रों,राज्यों और साम्राज्यों की
दर्शनों,राष्टि-मीमांसाओं को विज्ञानों और पंथी को,
समुदायों, समाजों और धार्मिक व्यवस्थाओं को,कानूनों
व संहिताओं,व्यापारी,उद्योगों को यह सूची अनंत है
और प्रत्येक मद में प्रायः क्रियाशीलता का बाहुल्य है।
वह सृजन करता ही जाता है,करता ही जाता है और
न संतुष्ट होता है,न थकता है,वह उसका अंत नहीं
करना चाहेगा। आराम करने के लिए स्थान की
आवश्यकता भी नहीं लगती,न आलस्य अथवा खाली
पड़े रहने के लिए समय की। वह अपनी सीमाओं के
बाहर भी विस्तार करता है; उसके जहाज महासागर पार
करते हैं और उसकी संपदा का उत्तम अतिरेक छलककर
जूडेआ,मिस्र और रोम पहुंचता है; उसके उपनिवेश
उसकी कलाओं,उसके महाकाव्यों और उसके पंथों को
द्वीप-समूहों में प्रसारित कर देते हैं; उसके चिह्न
मैसोपोटामिया की रेतों में पाए जाते हैं; उसके धर्म चीन
और जापान को जीत लेते हैं और पश्चिम की दिशा में
फलस्तीन और सिकंदरिया तक फैल जाते हैं और
उपनिषदों के स्वर तथा बौद्धों की उक्तियां ईसा मसीह के
होठों पर पुनः गुंजरित हो उठते हैं। सर्वत्र, जैसी उसकी
मिट्टी में,वैसी ही उसके कामों में भरपूर जीवन की
ऊर्जा की अति- विपुलता है। ...
वस्तुतः इस भरपूर ऊर्जा और भरपूर बौद्धिकता के बिना भारत इतना कुछ कभी नहीं कर पाता,जितना उसने अपनी आध्यात्मिक प्रवृत्तियों के साथ किया। यह समझना भारी भूल है कि आध्यात्मिकता सबसे अधिक वहां पनपती है,जहां की भूमि दरिद्र होती है,जीवन अधमरा होता है और बुद्धि हतोत्साहित तथा भयाक्रांति होती है।
ऐसी जो आध्यात्मिकता पनपती है,वह विकृत यदि चाहे,तो भारत उन समस्याओं को निर्णायक मोड़ दे सकता है, जिनके ऊपर सारी मानव जाति परिश्रम कर र��ी है और लड़खड़ा रही है,क्योंकि उनके हल का सुराग उसके प्राचीन ज्ञान में है।
होती है,क्षयग्रस्त होती है और उससे हमेशा खतरनाक प्रतिक्रियाओं का डर बना रहता है। जब जाति अत्यंत
समुद्धता से रह लेती है और भव्यता के साथ विचार कर
लेती है,तभी आध्यात्मिकता अपनी ऊंचाइयों और
गहराइयों को तथा अपनी निरंतर व बहुमुखी सिद्धि को
प्राप्त करती है।...
यदि चाहे,तो भारत उन समस्याओं को एक नया और निर्णायक मोड़ दे सकता है, जिनके ऊपर साgरी मानव जाति परिश्रम कर रही है और लड़खड़ा रही है,क्योंकि उनके हल का सुराग उसके प्राचीन ज्ञान में है।
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