आज़ से 505 वर्ष पहले ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष पूर्णमासी को विक्रमी संवत् 1455 सन् 1398 में सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से डेढ़ घंटा पहले) काशी में लहरतारा तालाब पर कमल के फूल पर शिशु रुप में कबीर परमेश्वर प्रकट हुए थे। उस समय स्वामी रामानंद जी के शिष्य अष्टानंद ऋषि भी स्नान करने लहरतारा तालाब पर गए हुए थे। जब कबीर परमेश्वर शिशु रुप में तेजपुंज का शरीर बनाकर कमल के फूल पर विराजमान हुए थे। उस घटना को अष्टानंद जी ने अपनी आंखों से देखा, लेकिन चमकीला प्रकाश होने से कबीर परमेश्वर को नहीं देख पाए।
जब अष्टानंद जी ने अपने गुरुदेव स्वामी रामानंद जी को सारी बात बताई तो रामानंद जी ने कहा कि, जब ऊपर के लोक से अवतारी शक्ति धरती पर अवतरित होते हैं तब ऐसी ही घटना होती है।
गरीब, सेवक होकर उतरे, इस पृथ्वी के माहिं।
जीव उधारन जगतगुरु, बार बार बलि जांव।।
कबीर परमेश्वर ने 120 वर्ष तक पृथ्वी पर रहकर अनेकों लीलाएं की। अपने सतलोक गमन करने के दौरान भी एक अद्भुत लीला की।
उस समय ब्राह्मणों ने एक ग़लत धारणा फैला रखी थी कि काशी में मरने वाला स्वर्ग तथा मगहर में मरने वाला नर्क में जाता है। इसी भ्रम को दूर करने के लिए कबीर परमेश्वर माघ महीने की शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि.सं.1575 सन् 1518 को काशी से चलकर
मगहर आए और सशरीर सतलोक गमन किया। और लोगों का भ्रम निवारण किया कि सतभक्ति करने वाला कहीं भी प्राण त्यागे वह अपने स्थान पर ही जाएगा। और सतभक्ति न करने वाले चाहे काशी में प्राण त्यागे तो भी नर्क में जाएगा ही जाएगा।
मगहर में शरीर छोड़ने से पहले कबीर परमेश्वर ने मगहर की एकमात्र आमी नदी जो भगवान शिव जी के श्राप से सूख गई थी उसमें जल बहा दिया जो आज भी प्रमाण के तौर पर विद्यमान है।
सतलोक प्रस्थान के समय हिंदू तथा मुस्लिम आपस में कबीर साहेब के शरीर को लेकर उनके अंतिम संस्कार को लेकर लड़ाई करने की तैयारी में थे, लेकिन कबीर परमेश्वर ने एक अद्भुत लीला की। और कहा कि मेरे जाने के पश्चात आप आपस में लड़ना मत, क्योंकि आप दो नहीं बल्कि एक ही परमेश्वर के पुत्र हो।
कबीर परमेश्वर ने राजा बीर सिंह बघेल तथा बिजली खां पठान से कहां कि एक चद्दर नीचे बिछाओ और एक मेरे ऊपर। फिर कुछ देर बाद आकाशवाणी हुई कि,
उठा लो पर्दा, इसमें नहीं है मुर्दा।
जब चद्दर उठाकर देखा तो वहां कबीर परमेश्वर का शव नहीं मिला, वहां सुगंधित फूलों का ढेर मिला। जिसे हिंदू मुसलमानों ने आधे आधे बांटकर वही पर 100 -100 फुट की दूरी पर एक एक यादगार बनाई,जो आज भी विद्यमान है।
#कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023
#मगहर_लीला
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परमेश्वर कबीर साहेब जी इस कांशी की धरती पर कैसे प्रकट हुए। 2D Animation Video
8 सितंबर 2022 जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का 72 वां अवतरण दिवस है इस पावन अवसर पर विशाल भंडारा, निःशुल्क नाम दीक्षा व 6 से 8 सितंबर तक 3 दिवसीय अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है जिसमें आप सभी सह परिवार सादर आमंत्रित हैं। #8thSeptember_AvataranDiwas
परम संत सतगुरु रामपाल जी महाराज गुरुपद प्राप्त करने से पहले साधारण जीवन यापन कर रहे थे उन्हें नहीं पता था कि वह कभी गुरु पद पर भी प्राप्त होंगे। उनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत (हरियाणा) के किसान परिवार में हुआ। वह सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद पर प्राप्त थे। संत रामपाल जी महाराज जी की मुलाकात 37 वर्ष की आयु में परम संत स्वामी रामदेवानंद जी महाराज जी से हुई जिससे उन्होंने 1988 में नाम दीक्षा ग्रहण की। संत रामपाल जी महाराज जी के नाम दीक्षा लेने के पश्चात उनका जीवन पूरी तरीके से बदल गया। यहीं से उनकी संघर्ष की कहानी प्रारंभ होती है।
संत रामपाल जी महाराज जी को सन 1994 में नाम दीक्षा देने का आदेश प्राप्त हुआ। जिसके परिणाम स्वरूप संत रामपाल जी महाराज जी को जूनियर इंजीनियर की नौकरी त्याग नहीं पड़ी। तबसे संत रामपाल जी महाराज जी घर–घर जाकर के सत्संग व पाठ किया करते थे। उस दौरान संत रामपाल जी महाराज जी के काफी संख्या में अनुयायी बनने लगे तथा उनका विरोध भी गांव गांव में होने लगा। कारण यह था कि संत रामपाल जी महाराज यथार्थता को उजागर कर रहे थे तथा सत भक्ति का मार्ग प्रशस्त कर रहे थे। साथ ही जो नकली साधना करते तथा करवाते थे उनकी पूजा को व्यर्थ भी बताते थे। जिसके परिणाम स्वरूप अज्ञानी धर्मगुरुओं ने संत रामपाल जी महाराज जी का विरोध करना प्रारंभ कर दिया।
संत रामपाल जी महाराज जी के विरोध करने का परिणाम ही करौंथा कांड था जो 2006 में तथाकथित अज्ञानी धर्मगुरुओं द्वारा झूठे आरोप में 2 वर्ष जेल तक भी जाना पड़ा और वर्तमान में भी 2014 से अब तक संत रामपाल जी महाराज जेल में रहकर संघर्ष कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी जेल में होने के बावजूद भी अनेकों जगह सत्संग आयोजन का प्रावधान कर रखे। 500 से भी अधिक नाम दीक्षा केंद्र खोले जा चुके हैं। 9 आश्रमों का निर्माण हो चुका है। दिन प्रतिदिन लगातार अनुयायियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
संत रामपाल जी महाराज जी का यह महान परोपकार है जो जेल में होने के बावजूद भी इतने कम समय में अनेक पुस्तकों की रचना की है। जनता को सुखी करने के लिए तथा उनके जीवन का कल्याण करने के लिए "अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान", "जीने की राह", "मुक्तिबोध", "यथार्थ कबीर परिचय" इत्यादि पुस्तकों की रचना की जिसे समाज सत मार्ग से परिचित हो सके और अपना कल्याण करवा सकें। आज तक कोई भी धर्म गुरु एक परमेश्वर के विषय में जानकारी तक ��हीं दे पाई और संत रामपाल जी महाराज जी ने पुस्तकों में उस एक परमेश्वर की भक्ति बताई तथा उसका नाम भी सद ग्रंथों में दिखाया। संत रामपाल जी महाराज जी ने अज्ञान के गुत्थी को सुलझा दिया है जो अब कभी भी उलझने वाला नहीं है।
"नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झक मार।
सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।"
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य यह है कि समाज को सत मार्ग दिखाना तथा आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर करना। एक परमेश्वर की भक्ति पर जोर देना तथा समाज में विभिन्न बुराइयां जैसे– दहेज, पाखंडवाद, कुरीतियां, नशा, चोरी, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार इत्यादि ऐसी समस्या है जो समाज को आगे बढ़ने नहीं देती। एक स्वस्थ समाज का निर्माण करने के लिए संत रामपाल जी महाराज आज बहुत संघर्ष कर रहे हैं हम तक ज्ञान पहुंचाने के लिए वह जेल तक चले गए। अतः आपसे प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखी गई पुस्तक "जीने की राह" जरूर पढ़ें।
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विश्व कल्याण के लिए संत रामपाल जी महाराज जी का त्याग एवं संघर्ष🎄
संत रामपाल जी ��ा जन्म 8 सितम्बर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में एक किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करके हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजिनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988 में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की तथा तन-मन से सक्रिय होकर स्वामी रामदेवानंद जी द्वारा बताए भक्ति मार्ग से साधना की तथा परमात्मा का साक्षात्कार किया।
संत रामपाल जी महाराज का जीवन संघर्ष बहुत कठिनाई से गुजरा और अभी भी बहुत संघर्ष कर, रहे हैं पूरे विश्व को सत भक्ति, और साधना देकर मुक्ति कराना चाहते हैं इसलिए आज भी संत रामपाल जी महाराज संघर्ष कर, रहे हैं ताकि मनुष्य जन्म सफल हो, विश्व में शांति स्थापित करना चाहते हैं।
संत रामपाल जी महाराज इस ज्ञान को जन जन तक पहुचाने के लिए दिन रात प्रयत्न किया है। एक बार घर त्याग देने के बाद संत रामपाल जी कभी मुड़कर घर वापस नहीं गए। उन्होंने अपने कुछ भक्तों के सहयोग से गाँव गाँव, नगर नगर जाकर सतज्ञान का प्रचार किया।सर्व धर्मों के शास्त्रों का अध्ययन किया और उनमें से परमात्मा का सच्चा ज्ञान निकालकर भक्त समाज के सामने रख दिया। दिन रात सत्संग किये, पुस्तकें लिखी। 20-20 घंटे लगातार काम किया।
संत रामपाल जी ने विश्व के सर्व धर्मगुरुओं को ज्ञान चर्चा का न्यौता दिया। भारत के चारों शंकराचार्यों को सतगुरु जी ने पत्र लिख कर ज्ञान चर्चा का आमंत्रण दिया। पर किसी की भी हिम्मत नहीं हुई संत रामपाल जी के साथ ज्ञान चर्चा करने की। न ही किसी संत ने सतगुरु रामपाल जी के ज्ञान का खंडन किया।
संत रामपाल जी महाराज के अदभुत ज्ञान के सामने किसी भी सन्त, महन्त एवं शंकराचार्य, महर्षि एवं नकली धर्मगुरु टिक नही पाए एवं संत रामपाल जी के अद्वितीय ज्ञान और अद्भुत आध्यात्मिक शक्ति से हारे हुए सब संत और महंत उनके दुश्मन बन गए।
संत रामपाल जी महाराज के और भी अनेकों उदहारण है। इस तत्वज्ञान को मानव समाज तक पहुँचाने के । और उन्होंने जेल में जाने की भी परवाह नही की इस पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं। वह परमार्थ के लिए, हम जीवों के उद्धार के लिए ही उनको जेल जाना पड़ा है।
इस तत्वज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया है, उसे समझकर संत जी से नाम उपदेश लेना हमारा परम कर्तव्य बनता है क्योंकि मोक्ष प्राप्त करना ही इस मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है। उनके त्याग और बलिदान को हमें व्यर्थ नहीं होने देना है क्योंकि वे हमारे लिए ही इस पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं।
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#महानपरोपकारीसंतरामपालजी
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7 Days Left For Avataran Diwas
According to our Scriptures, only SaintRampal ji Maharaj is a true spiritual leader. He is giving the true way of devotion that will really give you profit in this life and through this true way of worship, we can achieve Moksha.
Ganesh Chaturthi 2022: Ganesh Chaturthi is a festival that is about the worship of Lord Ganesha who is considered to be holy at the time of commencing something new. But have we ever wondered that our whole community is worshipping Lord Ganesha still all our tasks don’t go as we expect them to. Why does this happen? It is because of the fact we don’t know the right method to attain benefits from Lord Aadi Ganesha. Let us explore the blog completely to know about the festival and how we can attain benefits from Aadi Ganesha.
कबीर परमात्मा ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत 1455 ( सन् 1398) सोमवार ब्रह्म मुहूर्त के समय काशी के लहरतारा तालाब में एक विकसित कमल के फूल पर सतलोक से आकर शिशु रूप में प्रकट हुए। और निसंतान दंपति नीरू नीमा को मिले। इसके प्रत्यक्ष दृष्टा ऋषि अष्टानंद जी है।
गगन मंडल से उतरे, सतगुरु सत्य कबीर।।
जल मांहि पौडन किए, सब पीरन के पीर।।
कबीर साहेब जी का प्रकट दिवस मनाया जाता है ना की जयंती क्योंकि क्योंकि कबीर परमात्मा ने किसी मां के गर्भ से जन्म नहीं लिया, वह स्वयं प्रकट हुए थे।
कबीर साहेब जी अपनी वाणी में कहा हैं कि :
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
कबीर साहेब जी को एक संत, कवि व समाज सुधारक के रूप में ही देखते आए हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि कबीर साहेब ही इस सृष्टि के रचनहार, कुल के मालिक और सभी आत्माओं के जनक है। वह अपनी पुण्य आत्माओं को तत्वज्ञान संदेश देने के लिए प्रत्येक युग में शिशु रूप में प्रकट होकर आते हैं। इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष जेष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी को कबीर प्रकट दिवस मनाया जाता है।
शिशु रूप कबीर परमेश्वर का नामकरण करने आए काजियों ने जब कुरान शरीफ को खोला तो कुरान शरीफ में सर्व अक्षर कबीर-कबीर-कबीर हो गए। तब कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले हे काशी के काजियों। मैं कबीर अल्लाह हू, मेरा नाम ‘‘कबीर’’ ही रखो।
पूर्ण परमेश्वर का नाम कबीर (कविर्देव) है जिसका प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 16, 17, 18 व् आदि वेद मंत्रों में भी स्पष्ट देखा जा सकता है।
14 जून को कबीर साहेब की जी का प्रकट दिवस है वह परमात्मा सतलोक से चलकर आते हैं। जैसे यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में कहा है कि ‘अग्नेः तनुः असि = परमेश्वर सशरीर है। विष्णवे त्वा सोमस्य तनुः असि = उस अमर प्रभु का पालन पोषण करने के लिए अन्य शरीर है जो अतिथि रूप में कुछ दिन संसार में आता है। तत्त्व ज्ञान से अज्ञान निंद्रा में सोए प्रभु प्रेमियों को जगाता है। वही प्रमाण इस मंत्र में है कि कुछ समय के लिए पूर्ण परमात्मा रूप बदलकर सामान्य व्यक्ति जैसा रूप बनाकर पृथ्वी मण्डल पर प्रकट होता है।
सभी सद्ग्रन्थों में प्रमाणित है कि ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 देता है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है इन सभी प्रमाणों से प्रमाणित होता है कबीर साहेब जी ही पूर्ण परमात्मा है।
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
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Kabir is God
Rigved Mandal 9 Sukt 96 Mantra 17
The narrator of Ved, Brahm, says that Supreme God KavirDev by appearing in the form of an extraordinary human child, explains His true knowledge through poems.
#कबीरसाहेबजी_का_अद्भुत_ज्ञानकबीर साहेब जी का अद्वितीय ज्ञानसंखों लहर मेहर की ऊपजैं, कहर नहीं जहाँ कोई।दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।कबीर साहेब जी ने बताया कि सतलोक ऐसा लोक है जो अजर अमर है वहाँ सुख ही सुख है कोई दुःख नहीं है। वहाँ जन्म-मृत्यु, वृद्धावस्था का कष्ट नहीं है। जिसे श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में शाश्वत स्थान अर्थात सनातन परम धाम कहा है और यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में सतधाम अर्थात अविनाशी धाम (लोक) कहा है।
कबीर साहेब ने ही सर्वप्रथम अपने दोहों, वाणियों के द्वारा पाखण्ड तथा जाति धर्म के भेदभाव का विरोध किया है। तथा सबको मानवता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया है।
कबीर साहेब बताते है:-
कोई कहै हमारा राम बड़ा है, कोई कहे खुदाई रे।
कोई कहे ईसामसीह बड़ा है, ये बाटा रहे लगाई रे।।
#KnowAboutSupremeGod
#KabirPrakatDiwas24June2021
गीता अध्याय 15 के श्लोक 17 में कहा गया है कि उत्तम पुरुष तो अन्य ही है जिसे परमात्मा कहा जाता है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है। वह अविनाशी परमेश्वर है। जिसके बारे में संत गरीबदास जी कहते हैं कि
भजन करो उस रब का, जो दाता है कुल सबका।
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📺📺📺अवश्य देखे संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन निम्न TV चैनल पर
🌈सुबह 5.00 से 6.00 👉 जनतंत्र TV
🌈दोपहर 2:00 से 3:00 👉 श्रद्धा TV
🌈रात्रि 7.30 से 8.30 👉साधना TV
✨आदरणीय गरीबदास जी महाराज ने बताया है कि
तीन चरण चिन्तामणी साहेब, शेष बदन पर छाए।
माता, पिता, कुल न बन्धु, ना किन्हें जननी जाये।।
पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी स्वयम्भू हैं अर्थात माता से जन्म नहीं लेते हैं तथा जरा-मरण के बन्धन से मुक्त सर्व उत्पादक प्रभु हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी आज वही संदेश जन जन तक पहुंचा रहे हैं जो आज से 600 साल पहले परमेश्वर कबीर जी दिया करते थे। #aghori #kaal #jaimahakaal #jaishriram #laddugopal #gopal #laddu #dwarka #dev #devi #somnath #shivbhakt #shankar #parvati #ganpati #india #jai #shree #mata #jaymataji #gujju #maa #shakti #jaimatadi #parshuram #shivoham #shivay #bambambhole #SaintRampalJi