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#आजमगढ़ Samachar
lok-shakti · 2 years
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Azamgarh : किन्नर के प्यार में निहाल हुआ युवक, 2 साल के रिलेशनशिप के बाद की शादी, गजब है लव स्टोरी
Azamgarh : किन्नर के प्यार में निहाल हुआ युवक, 2 साल के रिलेशनशिप के बाद की शादी, गजब है लव स्टोरी
आजमगढ़: जब बात प्यार की होती है तो प्रेमी-प्रेमिका कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही प्यार का मामला आजमगढ़ में देखने को मिला है। जहां एक 24 साल के युवक को किन्नर से प्यार हो गया। दो साल चले प्रेम-प्रसंग के बाद शुक्रवार को दोनों ने शादी (Marriage With Transgender) कर ली। यह शादी चर्चा का विषय बनी हुई है। हिंदू रीति रिवाज के साथ हुई शादीजिले में स्थित भैरव धाम मंदिर परिसर में युवक ने…
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tezlivenews · 3 years
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Purvanchal Expressway news: पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से आजमगढ़ के लोगों को होगा कितना फायदा, जानें हर सवाल का जवाब
Purvanchal Expressway news: पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से आजमगढ़ के लोगों को होगा कितना फायदा, जानें हर सवाल का जवाब
हाइलाइट्स पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के जरिए आजमगढ़ के लोगों की लखनऊ से होगी सीधी कनेक्टिविटी आजमगढ़ के किसानों को अपने उत्पाद बड़े बाजार तक ले जाने में होगी आसानी जिले में व्यवसायिक गतिविधियों को तेज करने में मिलेगी मदद, युवाओं को मिलेगा रोजगार आजमगढ़प्रदेश में 340 किलोमीटर लंबी बनी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो चुकी है। आजमगढ़ में भी एक्सप्रेसवे का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। फिनिशिंग टच दिया जा…
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journalistcafe · 3 years
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UP Election 2022 : अखिलेश यादव का बड़ा ऐलान, नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव
UP Election 2022 : अखिलेश यादव का बड़ा ऐलान, नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव
यूपी में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ऐलान किया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। अखिलेश यादव विधान परिषद सदस्य रहे हैं। उन्होंने एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान ये बयान दिया। उनके इस ऐलान से यह साफ हो गया है कि इस बार भी वह विधान परिषद के जरिए ही सदस्य बनेंगे। ये हो सकती है अखिलेश की रणनीति- अभी ​अखिलेश यादव आजमगढ़ से लोकसभा सदस्य हैं। अखिलेश के इस बयान से…
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azaadsamachar · 2 years
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UP Board 2022 : आजमगढ़ में हाईस्कूल की परीक्षा में पकड़े गए मुन्ना-भाई
*UP Board 2022: Munna-Bhai caught in high school examination in Azamgarh*
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lok-shakti · 2 years
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Azamgarh ByPoll: जब बड़ा भाई सांसद रहते आजमगढ़ नहीं आया तो छोटा क्‍या आएगा? केशव मौर्य ने अखिलेश पर कसा तंज
Azamgarh ByPoll: जब बड़ा भाई सांसद रहते आजमगढ़ नहीं आया तो छोटा क्‍या आएगा? केशव मौर्य ने अखिलेश पर कसा तंज
अमन गुप्ता, आजमगढ़: आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी प्र��्‍याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ की जीत तय करने के लिए बीजेपी के संगठन और सरकार से जुड़े नेताओं का जमावड़ा आजमगढ़ में लगा हुआ है। इसी कड़ी में सोमवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शाहगढ़ बाजार में निरहुआ के समर्थन में जनसभा की। डिप्टी सीएम ने कहा कि रामपुर में आजम खान का किला ढह रहा है और आजमगढ़ में भी बीजेपी प्रत्याशी निरहुआ की जीत…
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googlesamachar · 8 years
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उत्तर प्रदेश की बदहाली के लिए सपा-बसपा ज़िम्मेदार, साइकिल 'खटारा' और हाथी हो चला है 'बूढ़ा': राजनाथ सिंह - Jansatta
Jansatta उत्तर प्रदेश की बदहाली के लिए सपा-बसपा ज़िम्मेदार, साइकिल 'खटारा' और हाथी हो चला है 'बूढ़ा': राजनाथ सिंह Jansatta राजनाथ सिंह ने कहा, 'मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं कि काम बोलता है लेकिन उनको समझ नहीं है कि काम बोलता नहीं बल्कि दिखता है।' Author भाषा आजमगढ़ (उप्र) | February 23, 2017 18:45 pm. 0. Shares. Facebook · Twitter · Google Plus · Whatsapp. लखनऊ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह। (पीटीआई फोटो/13 फरवरी, 2017). केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश की बदहाली के लिए सपा और बसपा की सरकारों को दोषी ठहराते हुए गुरुवार (23 फरवरी) को कहा कि 'साइकिल' अब खटारा हो चुकी है जबकि हाथी 'बूढ़ा' हो चला है। राजनाथ ने यहां एक चुनावी सभा में आरोप लगाया, 'सपा, बसपा और ... सरकार बनी तो श्री राम की अयोध्या को देंगे भव्य रूप : राजनाथ सिंहपंजाब केसरी साइकिल खटारा और हाथी हो चला है बूढ़ा : राजनाथनवभारत टाइम्स चुनाव से पहले जिसने पकड़ी खाट, वह अब क्या लड़ेगा : राजनाथअमर उजाला Samachar Jagat -देशबन्धु -Patrika -दैनिक भास्कर सभी १३ समाचार लेख » http://dlvr.it/NSKgx9
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lok-shakti · 2 years
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Yashwant Singh: MLC यशवंत सिंह को BJP ने 6 साल के लिए पार्टी से निकाला, बीजेपी कैंडिडेट के सामने बेटे ने निर्दल भरा है पर्चा
Yashwant Singh: MLC यशवंत सिंह को BJP ने 6 साल के लिए पार्टी से निकाला, बीजेपी कैंडिडेट के सामने बेटे ने निर्दल भरा है पर्चा
लखनऊ: बीजेपी ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए एमएलसी यशवंत सिंह (MLC Yashwant Singh) को पार्टी से 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है। आजमगढ़-मऊ स्थानीय निकाय प्राधिकारी क्षेत्र से बीजेपी कैंडिडेट अरुण कुमार यादव (BJP MLC Candidate Arun Kumar Yadav) के खिलाफ बेटे विक्रांत सिंह उर्फ रिशू (Vikrant Singh aka Rishu) को चुनाव लड़ाना यशवंत सिंह को भारी पड़ गया। फूलपुर से पूर्व विधायक अरुण कुमार…
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lok-shakti · 3 years
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रेल रोको आंदोलन: आजमगढ़ में जय किसान आंदोलन के प्रदेश उपाध्यक्ष नजरबंद , पुलिस ने आवास में ही रोका
रेल रोको आंदोलन: आजमगढ़ में जय किसान आंदोलन के प्रदेश उपाध्यक्ष नजरबंद , पुलिस ने आवास में ही रोका
अमर उजाला नेटवर्क, आजमगढ़ Published by: उत्पल कांत Updated Mon, 18 Oct 2021 09:32 AM IST सार लखीमपुर खीरी घटना के विरोध में संयुक्त किसान मोर्च ने सोमवार को रेल रोको आंदोलन का एलान किया है। आजमगढ़ में कुछ लोग रेल रोकने की तैयारी में निकलने वाले थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें नजरबंद कर दिया।  जय किसान आंदोलन के प्रदेश उपाध्यक्ष नजरबंद – फोटो : अमर उजाला ख़बर सुनें ख़बर सुनें संयुक्त किसान मोर्चा के…
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lok-shakti · 3 years
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आजमगढ़ः फार्मेसी कॉलेज की जांच में 'खेल', माफिया कुंटू सिंह समेत दो अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज, पत्नियों पर भी होगी कार्रवाई
आजमगढ़ः फार्मेसी कॉलेज की जांच में ‘खेल’, माफिया कुंटू सिंह समेत दो अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज, पत्नियों पर भी होगी कार्रवाई
सार आजमगढ़ एसपी सुधीर सिंह ने बताया कि कुंटू सिंह ने फार्मेसी कॉलेज की मान्यता के लिए 2016 में जेल से ही आवेदन किया था। यूनानी अधिकारी के साथ दो सदस्यीय टीम ने विद्यालय भवन की जांच की थी। ख़बर सुनें ख़बर सुनें उत्तर प्रदेश के टॉप-10 अपराधियों में शुमार ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह के ऊपर पुलिस ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। इसके साथ ही उनके फार्मेसी कॉलेज की जांच कर रिपोर्ट लगाने वाले दो…
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azaadsamachar · 3 years
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आजमगढ़ के दीदारगंज में सोते समय नानी-नतिनी की धारदार हथियार से हत्या, कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंची
*Murder with a sharp weapon while sleeping in Didarganj, Azamgarh, force of many police stations reached the spot*
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azaadsamachar · 3 years
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आजमगढ़ में मुठभेड़ : 50 हजार का इनामी शराब माफिया नईम घायल
*Encounter in Azamgarh: 50 thousand reward liquor mafia Naeem injured*
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जब संसद भवन में फूट फूट कर रोए थे योगी ,क्या थी असली वजह? देखे वीडियो...
तो बात यह तब की है जब 2006 में स्टेट में समाजवादी पार्टी की सरकार थी. मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. तो पूर्वांचल में बवाल मचा हुआ था. तमाम मार काट खून खच्चर. तो योगी के एक साथी थे अजित सिंह. आजमगढ़ के छात्र नेता रह चुके थे. इनका मर्डर हो गया था, जिसकी वजह से हिंसा शुरू हुई थी. इनकी तेरहवीं में आदित्यनाथ शामिल होने जा रहे थे. साथ में लाव लश्कर भी था. तमाम गाड़ी सांय सांय हार्न मारती चली जा रही थीं. उनके रास्ते में एक तकिया गांव पड़ता था. वहां उनके काफिले पर हमला हो गया.
अचानक हुए हमले में सब अकबका गए. योगी घेर लिए गए, उनके साथियों का खूब खून खच्चर हुआ. तो योगी के गार्ड ने अपना फर्ज निभाया और फायरिंग कर दी. हमले करने वालों में से एक वहीं निपट गया. इसके बाद जो हुआ वो न पूछो. उस पूरे इलाके में हिंदू मुस्लिम दंगा हो गया. पुलिस योगी के पीछे पड़ गई. मुकदमे दर्ज हुए और योगी की खोज चालू हो गई. जो समर्थक जहां मिला, वहीं से धकिया के जेल में ठेल दिया गया. पुलिस का इतना डर बैठ गया था कि योगी के समर्थक गांव छोड़कर भाग गए थे. इसी बीच योगी एक दिन गोरखपुर जा रहे थे तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. योगी का कहना था कि इस केस में कानूनन उनको सिर्फ 12 घंटे जेल में रखा जा सकता था लेकिन 11 दिन तक रखा गया.
पूरी कहानी ये है, उससे पहले वीडियो देखो.
youtube
पुलिस इंटेरोगेशन में जो दर्द मिले वही व्यथा योगी संसद में सुनाते हुए रोए थे. इसके लिए पहले लोकसभा अध्यक्ष से रिक्वेस्ट की थी. लोकसभा अध्यक्ष उस वक्त सोमनाथ चटर्जी थे. इजाजत मिलने के बाद भाषण शुरू करते ही योगी रोने लगे. काफी देर तक कुछ बोल नहीं पाए. फिर बोलना शुरू किया तो ये बोला.
मैं तीसरी बार गोरखपुर से लोकसभा का सदस्य बना हूं. महोदय पहली बार मैं पच्चीस हजार वोटों से जीता था. दूसरी बार पचास हजार से जीता, तीसरी बार लगभग डेढ़ लाख मतों से चुनकर लोकसभा में आया हूं. लेकिन पिछले कुछ समय से महोदय राजनीतिक द्वेष के कारण मुझे जिस प्रकार से राजनीतिक पूर्वाग्रह का शिकार बनाया जा रहा है. मैं केवल आपसे ये अनुरोध करने आया हूं कि मैं इस सदन का सदस्य हूं या नहीं हूं. और ये सदन मुझे संरक्षण दे पाएगा या नहीं दे पाएगा. मुझे संरक्षण नहीं दे सकता तो मैं आज ही सदन को छोड़कर जाना चाहता हूं. मैं इसमें कोई महत्व नहीं रखता. मैंने अपने जीवन से संन्यास लिया है अपने समाज के लिए. मैंने अपने परिवार को छोड़ा है. मैंने अपने मां बाप को छोड़ा है. मुझे अपराधी बनाया जा रहा है महोदय. राजनीतिक पूर्वाग्रह के साथ, खाली इसलिए क्योंकि मैंने वहां भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए थे. क्योंकि मैंने भारत और नेपाल की सीमा पर आईएसआई और राष्ट्रद्रोही गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाई थी, बराबर उसके खिलाफ सदन का ध्यान आकर्षित करता रहा. मैं वहां पर भुखमरी से हो रही मौतों के खिलाफ प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उठाता रहा. इसमें मेरे खिलाफ महोदय सारे के सारे मामले बनाए गए हैं, बनाए जा रहे हैं.
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माया ने बीजेपी पर बोला हमला,बीजेपी अबतक क��� पांचों चरणों में हार चुकी
उत्‍तर प्रदेश के छठे चरण के चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले अमित शाह ने गोरखपुर में रोड शो किया। रोड शो में ��नके साथ योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। इन सब के बीच जनता नेताओं के भाग्य फैसला ईवीएम में बमद कर रही है।  11 मार्च को सभी की किस्मत का फैसला होगा।
49 सीटों पर डाले जाएंगे वोट
छठे दौर में पूर्वांचल के सात जिलों में शनिवार को वोट डाले जाने हैं, इनमें महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ और बलिया जिलों की 49 सीटों पर वोट पड़ेंगे।
बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने चंदौली में कहा कि बीजेपी अबतक के पांचों चरणों में हार चुकी है। उधर डिंपल यादव ने आजमगढ़ में एक रैली में पीएम से पूछा कि जब जीडीपी बढ़ रही है तो सिलेंडर की कीमतें क्यों बढ़ा दीं?
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googlesamachar · 8 years
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 117 वर्षीय 'ड्राइवर' का निधन - बीबीसी हिन्दी
बीबीसी हिन्दी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 117 वर्षीय 'ड्राइवर' का निधन बीबीसी हिन्दी अपने को आज़ाद हिंद फ़ौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस का ड्राइवर बताने वाले 117 वर्षीय 'कर्नल' निजामुद्दीन का सोमवार सुबह निधन हो गया है. इनका असली नाम सैफ़ुद्दीन था और इनकी मृत्यु आजमगढ़ के मुबारकपुर इलाके में अपने घर पर हुई. 'कर्नल' निजामुद्दीन के बेटे शेख अकरम ने बीबीसी को बताया, "रात को बाबूजी ने दाल, देसी घी और एक रोटी भी खाई थी." नेताजी के ड्राइवर और उम्र 116 साल · नेताजी को कौन मारना चाहता था? मोदी ही सुभाष चंद्र बोस बन सकते हैं: निज़ामुद्दीन. निजामुद्दीन. उन्होंने कहा, "पिछले कुछ दिनों से बाबूजी की तबीयत ढीली चल रही थी और उन्हें सर्दी-ज़ुखाम की शिकायत थी. सुभाषचंद्र बोस के करीबी रहे निजामुद्दीन का 117 साल की उम्र में निधनदैनिक भास्कर कर्नल निजामुद्दीन का 117 साल की उम्र में निधन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के थे पर्सनल बॉडीगार्डNews18 इंडिया आज़ादहिंद फौज के कर्नल निजामुद्दीन का 117 की उम्र में निधनपंजाब केसरी Live हिन्दुस्तान -Samachar Jagat -Legend News -India.com हिंदी सभी १२ समाचार लेख » http://dlvr.it/NJCk1Q
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सीटों के लिहाज से पूर्वांचल का इलाका इस दंगल में खासा ही महत्व रखता है
लखनऊ। सियासत को लेकर हर दांव लग चुका है। सपा और कांग्रेस एक साथ दम भर रहे हैं। तो बसपा अपना अलग ही राग गा रही है। चारों ओर सियासत के बादल छाए हुए हैं। राजनीति के महारथी अपने अपने तरीकों से रण भूमि में उतर चुके हैं। इस दंगल में उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के इलाके को साधने के लिए हर दल ने अपनी हुंकार भरी है। क्योंकि सीटों के लिहाज से पूर्वांचल का इलाका इस दंगल में खासा ही महत्व रखता है। पूर्वांचल पर फोकस क्यूं सियासी जगत में कहा जाता है जरूरत पड़े तो जानी दुश्मन को भी दोस्त बनाया जाता है। इसी लिहाज से चुनावी मौसम में सभी राजनीतिक पार्टियां इस इलाके अपने रूढ़ों को मनाने में लगी हुई हैं। हर दल अपने-अपने तरीके से यहां के मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहा है। पूर्वांचल का ये हिस्सा सूबे की ही नहीं देश की राजनीति का भी अहम हिस्सा रहा है। क्योंकि सूबे की 403 विधान सभाओं में से अकेले पूर्वांचल के हिस्से में 170 सीटें आती हैं। प्रदेश की सियासी गणित का फैसला भी पूर्वांचल ही करता है। जिस पार्टी की लहर पूर्वांचल में होती है, जीत का उसी के कदम चूमती है। पिछले 2012 के विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को अकेले 106 सीटों पर काबिज हुई थी। सूबे के 28 जिलों में फैले इस 170 सीटों वाले क्षेत्र की प्रदेश की राजनीति में बड़ी वकत है।
पूर्वांचल को लेकर समाजवादी पार्टी की तैयारी 2012 के विधान सभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के हाथों में सत्ता की चाबी इस इलाके में उसकी बंपर जीत का नतीजा थी। ये इलाका समाजवादी पार्टी के लिए उस चुनाव में वरदान साबित हुआ । पार्टी चुनाव जीती ही नहीं सत्ता पर भी काबिज हुई। इसके बाद से उसने सरकार में मंत्रियों में पूर्वांचल को बड़ी महत्वपूर्ण जगह भी दी गई। समाजवादी सरकार ने पूर्वांचल में अपने वोटों को लेकर लगातार योजनाओं के साथ इस इलाके पर अपना ध्यान बनाए रखा। हांलाकि 2014 की मोदी लहर में सपा का बर्चश्व खत्म हो गया केवल आजमगढ़ की सीट ही सपा के पाले में गिरी। लेकिन उ��े बाद सपा ने पूर्वांचल पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए कई बड़े प्रोजेक्ट और प्रयास किए हैं। इसीलिए सपा मुखिया ने गाजीपुर से अपने चुनावी अभियान का शंखनाद भी किया।
पूर्वांचल को लेकर बसपा का चुनावी मंथन पूर्वांचल के जातीय समीकरणों को लेकर मायावती ने 2007 में सत्ता की राह पकड़ी थी। लेकिन पूर्वांचल की लगातार उपेक्षा ने मायावती को 2012 के सत्ता में पहुंचने से रोक दिया था । पूर्वांचल के 28 जिलों में 170 सीटों में बसपा के पाले में महज 23 सीटें ही आई थी। तो लोकसभा के 2014 के चुनाव में सूपड़ा ही साफ हो गया था। इसलिए इस बार मायावती ने पूर्वांचल को साधने के लिए अपने पाले में जातीय समीकरणों के आधार पर चयन की कोशिश की है। यहां के मतदाताओं के अपने खेमे में लाने के लिए जमीनी स्तर पर रैलियों का बसपा सुप्रीमों ने आगाज कर दिया है।
पूर्वांचल को लेकर कांग्रेस की सियासत प्रदेश में अपनी खोई सियासी जमीन को राहुल गांधी के नाम के सहारे तलाशने उतरी कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान की शुरूआत कर ये साफ किया कि उसकी पहली प्राथमिकता केवल पूर्वांचल ही है। खाट पंचायत का आगाज इसीलिए कुशीनगर से किया। कांग्रेस को ये बात अच्छी तरह मालूम है कि सत्ता की चाभी केवल पूर्वांचल के पास है। अगर पूर्वांचल का किला किसी तरह फतह कर लिया जाये तो सत्ता का सुख सूबे में कांग्रेस को मिल सकता है। इसी के साथ वह एक बार फिर 2019 के लिए अपनी जमीन केन्द्र में बैठने के मकसद से तैयार कर सकती है।
पूर्वांचल को लेकर भाजपा का फोकस भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनावी अभियान की सूबे में पूर्वांचल से शुरूआत की थी। केन्द्र सरकार ने इसके बाद से पूर्वांचल को लेकर लगातार कई बड़ी परियोजनाएं भी दीं हैं। देश के प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र भी पूर्वांचल में है। इसी लिहाज से भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां पर बड़ी जीत दर्ज कर केन्द्र की सत्ता का सफर तय किया था। इसलिए वो अच्छी तरह जानती है। किसी पूर्वांचल को साधे बिना प्रदेश में सत्ता की वापसी सम्भव नहीं है। भाजपा भी लगातार सूबे में रैलियां और यात्राएं निकालकर पूर्वांचल को साधने में जुटी है।
सत्ता के करीब आने और अपनी गणित साधने में अब कोई पार्टी पीछे नहीं है। क्योंकि अब चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सत्ता की जंग अब 403 सीटों पर जनता के बीच लड़ते हुए सत्ता की सीढी चढ़ना होगा। फिलहाल अभी तक चुनावी दंगल में सिर्फ बातें और वादे ही हो रहे हैं। लेकिन ये जानना भी जरूरी होगा आने वाले समय में ऊंट किस करवट बैठेगा।
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