IND vs SL: उमरान मलिक की आंधी, महिष थिक्षाना के बोल्ड हिट ने हवा में उड़ाया स्टंप, देखें वीडियो
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नई दिल्ली: भारत और श्रीलंका के बीच शनिवार को राजकोट में खेले गए तीसरे टी20 मैच में जहां एक ओर सूर्यकुमार यादव का तूफान देखने को मिला, वहीं तेज गेंदबाज उमरान मलिक ने भी अपनी खतरनाक गेंदबाजी से सबको चौंका दिया. उमरान ने इस मैच में 3 ओवर में 31 रन देकर 2 विकेट लिए। उमरान ने वानिंदु हसरंगा को 9 और महिष थिक्षाना को 2 रन पर आउट कर पवेलियन की राह दिखाई। उमरान ने अपनी तूफानी गेंद पर थिक्षणा को ऐसा बोल्ड…
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आधी रात को साथ दिखे अरबाज-मलाइका
आधी रात को साथ दिखे अरबाज-मलाइका
सेलेब्रिटीज ने नोटिस किया: अरबाज खान और मलाइका अरोड़ा बॉलीवुड के एक्स कपल हैं। फिलहाल दोनों अपनी-अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके हैं। बावजूद इसके दोनों दोस्त बनकर एक-दूसरे के साथ डिनर डेट पर जाते नजर आ रहे हैं. इसी कड़ी में बीती रात एक्स कपल डिनर डेट पर वापस आया, जिसका वीडियो इंटरनेट की दुनिया में वायरल हो रहा है. इस पर फैंस भी जमकर रिएक्शन दे रहे हैं।
मलाइका के साथ स्पॉट हुए अरबाज (सेलेब्स…
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धौम्य गोत्र के आस्पद (अल्लैं)
1. लायसे- ये आश्वलायन ऋषि के वंशज 2986 वि0पू0 हैं । ऋग्वेद की आश्वलायन शाखा के कुछ लोग मध्य प्रदेश के रायसेन तथा सबलानों स्थानों में जाकर रहे थे । आश्वलायन जन्मेजय के नागसत्र में सदस्य थे ।
2. भरतवार- ये भरद्वाज के पिता भरत चक्रवर्ती के आश्रय प्राप्त 4882 वि0पू0 सम्मानित सभासद थे । इनने भारत वर्ष देश के अन्तर्गत अपना भरत खंड राज्य स्थापित किया था ।
3. घरवारी- ये गार्हपत्य नामक अग्नि कुल के देव पुरूष थे । वेद में इन्हें"अग्निर्गृपतिर्युवा" कहा है । ऋग्वेद के अनुसार ये सहस्त्रशीर्ष विराज पुरूष के पुत्र थे । वैसांधर अल्ल के माथुर वैश्वानर अग्नि वंशी भी इसी शाखा में थे । वैश्वानर अग्नि ने सरस्वतीतट मथुरा से पुष्कर राजस्थान तक तथा पांचाल देश पीलीभीत व बरैली अल्मौड़ा नैनीताल तक की भूमि में फैले गहन वनों को जलाकर पवित्र देश पांचाल मत्स्य सूरसेन जनपदों के स्वायंभू मनु के प्रदेश ब्रह्मर्षि देश(9200 वि0पू0) को प्रकट किया । गृहपति अग्नि ने पुरूरवा के यज्ञ में मंथु अग्नि पुरगटकर किभाबसु अग्नि प्रगटर की ओर उसके तीन भाग करके (आहवनीय, गार्हपत्य, दक्षियाणाड्नि) तीनों के तीन यज्ञ कुण्डों में स्थापित कर यज्ञ कराया था ।
'तस्य निर्मथाज्जातो जातवेदा विभावसु' ।
इस यज्ञ से 6241 वि0पू0 में प्रतिष्ठान पुर ब्रज के पैठा स्थान में पुत्रेष्टियाग के फलरूप आयु नहुष ययाति पुत्र चन्द्र वन्श की वृद्धि कर्त्ता उत्पत्र हुए थे । विराट प्रजापति (दीर्घविष्णु) 7 के पुत्र थे जो आदि मानव प्रजा के पितर कहे गये हैं । इनमें चार वेद ज्ञाता चतुर्वेद तथा पत्निगृह (पाकशाला) में प्रयुक्त गार्हपत्य अग्नि कर्म के प्राशिक्षक गार्हपत्य अग्नि (9200 वि.पू.) घरवारी प्रधान थे ।
ये 7 आध पित-1. अग्निष्वात 2. सोमप (वर्हिषद) 3. बैराज 4. गार्हपत्य, 5. चतुर्वेथ, 6. एक श्रंग, 7 कुल के नाम के थे । मत्स्य के अनुसार ये सभी महायोगी थे । योग भंग होने पर पृथ्वी पर जन्मे । श्रेष्ठ ब्रह्मवादी होने और पूर्वजन्म के ज्ञान से ये योगाभ्यास में मग्न रहकर प्रजाओं का कल्याण करते थे । इनकी मानसी कन्या मैनां (मैनांगढ़ टीला मथुरा) में उत्पत्र हुई थी जिसके वन्शधर मैनां या मीणां जाति के लोग यहाँ रहते थे जो प्रजा विस्तार होने पर मैनाक पर्वत तथा समस्त राजस्थान और ब्रज क्षेत्र में फैल गये । मैनका अप्सरायें इसी वंश में थी ।
मैना ब्रज के हिमवन्त मेवात के पर्वतीय राजा हिमवन्त को ब्याही थी और उससे हेमवती पार्वती उमां गौरी आदि अनेक नामों वाली पुत्री हुई जो सतीदहन के बाद तप करके भगवान शिव की पत्नी बनी और उससे विनायक गणेश (गणेश टीला) तथा स्कंधस्वामी (खंडवेल तीर्थ मथुरा) वासी विश्व विजयी देवता (स्कैंडेनेविया सिकन्दरिया बन्दरगाह नाम प्रदाता तथा सिकन्दर यूनानी विश्व विजयी को प्रभावशाली नामकरण प्रदाता) पुत्र हुए । ये सातौ आद्यपितर परम कृपालु परोपकारी स्नेहमय स्वभाव के तथा पितृ स्नेह से समस्त प्रजाओं का संरक्षण और संवर्धन करने के कारण ही मानव पितर माने गये ।
4. तिलमने- ये यज्ञ साकल्य हेतु श्यामातिल (कालेतिल) उत्पत्र करने वाले क्षेत्र तिलपत के निवासी तिलमटे लोगों के प्रोहित होने से तिलमने कहलाये । तिलपत का गौकुला जाट बड़ी सेना लेकर औरंगजेब के समय ब्रज में हुए विद्रोह का नेतृत्व करने आया था । दलित मत्तिल नाम के दो यक्षों के सरोवर भी कामबन में दतीला मतीला कुन्ड नाम से थे । ये दत्तिल संगीत शास्त्र ग्रन्थ का प्रमुख आचार्य था तथा उसका दत्तिलम, नाम वाला संगीत ग्रन्थ प्रसिद्ध है ।
तिलोत्तमा अप्सरायें अतिसुन्दर और नृत्य करने वाली इस वन्श में प्रख्यात रही हैं । इस वन्श के तैलंग जनों ने दक्षिण महाराष्ट्र में तिलंगाना प्रदेश बसाया तथा तेल निकालने की कला विस्तार किया । यमराज के नर्कों में कोल्हू यन्त्र में पापियों को पेरने या बैलों की जगह जोतने का उल्लेख पुराणों में मिलता है ।
5. शुक्ल- याज्ञवल्क्य के शुक्ल यजु प्रयोगों के अनुयायी शुक्ल कहलाये । शुक्ल वस्त्रधारी 'शुक्लांवर धर विष्णु' भगवान विष्णु देवी सरस्वती, वेदमाता गायत्री- तथा इनके भक्त माथुर ब्राह्मण शुक्त प्रसिद्ध हुए ।
6. व्रह्मपुरि- मथुरा में ब्रह्मलोक तीर्थ के ब्रह्मोपासक ब्रह्मसभा के सदस्य मालाधारी ब्रह्मपुर्या जिस स्थान में रहते थे वह पद्मनाम तीर्थ पद्मावती सरस्वती के तट पर था उसे अभी भी मालावारी चौवे को शिवाजी महाराज द्वारादिया गया हाथी उनके द्वार पर झूमता था जिससे इसे हाथीवारी गली कहते हैं । राव मरहठों में सरदार को तथा राजस्थान में राजा की बांदियों के पुत्र होते हैं । मानाराव को राव की पदवी शिवाजी ने ही प्रदान की तथा जियाजीराव, दौलतराव, सयाजीराव आदि रावों ने अपनी समता का राव पद देकर पचीसियों गांव भेंट कर अपना पूज्य पुरोहित बनाया था । इसी क्षेत्र में पांडे माथुरों का प्राचीन निवास है ।
7. आत्मोती- आत्मा को आत्मतत्व में लीन कर उसके परम गूढ प्रकाश का अनुभव अरने और कराने वाले आत्माहुति ब्रह्मज्ञान विद्या के साधक सिद्ध पुरूष आलोवि प्रसिद्ध थे । भगवान श्री कृष्ण ने गीता में आत्म ज्ञान कहा है ।
8. मौरे- ये मयूरगणों की प्रजा मार्यवन्श केप्रे हित होने से मौरे कहे गये । मौर्यवंश में ही मुरदैत्य प्रजाओं के प्राचीन आवास मोरा मयूरवन, मुरसान, मुरार, मौरैड़, मोरवी मयूरकूट पर्वत (मोरकुटी) हैं तथा मुरदैत्यों का संहार करने के कारण श्री कृष्ण को मुरारी कहा जाता है ।
9. चंदपेरखी- चंद्रवंशी यादवों के मनोरंजन हेतु यादवों की रंगशाला प्रेक्षागृह का निर्माण और उसकी रंगमंचीय व्यवस्था सम्भालने वाले माथुर चन्द्रप्रेक्षी या चैदपेखी थे । माथुरी भाषा में श्रंगार युक्त नारी को पेखने की पूतरी' कहा जाता है । पाणिनि के अनुसार यादव कंस वध का अभिनय (उत्प्रेक्ष दर्शन पेखनां) बड़े उत्साह के साथ आयोजित करते थे ।
10. जोजले- देवों के यजन पूजा आराधना स्तुति पाठ कीर्तन भजन आदि प्रहलाद द्वारा प्रतिपादित नवधा भक्ति के आचार्य 'याजक' संयोजक झूंझर आक्रोश के साथ भक्ति उन्माद में आत्म विस्मृत जुझारून रूवभाव के लोग जोजले कहे जाने लगे ।
11. सोती- यह बड़ी अल्ल है । श्रौत स्मार्त धर्म के उपदेशक सोती थे । श्रौतधर्म में मूलवैदिक संहिताओं के अतिरिक्त वेदांग, उपवेद, ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक, परिशिष्ट, निरूद्य, सूत्र, उपनिषद, सहितायें, इतिहास पुराण, आदि अनेक आधार हैं । सूत पुत्र सौति वन्श के जिन्हें वेदाधिकार नहीं था उन शूद्र वर्ण रथकारों को वेदातिरिक्त पुराण विद्या तथा संहितादि अन्य ग्रन्थों का स्वाध्याय प्रदान करते रहने को महर्षि वेद व्यास ने इन्हैं सूतों शौनकों के धर्मोपदेशक के रूप में नियुक्त किया था । सोती प्रवासी माथरों के साथ भदावर आदि क्षेत्रों में जाकर बस गये थे ।
12. सोगरे- सोगर गाँव के सोगरिया जाटों के पुरोहित सोगरे हैं ।
13. चौपरे चौपरे या चौपौरिया इनके 4 घर(पौरी) मूल में एक स्थान पर स्थिति थे । एक कथन से चौपड़ का खेल जो कौरव पांडवों के समय में बहुप्रचलित था उसमें ये परम परांगत पासा डालने की मन्त्र विद्या इन्हें सिद्ध थी तथा बड़ी बड़ी राज सभाओं में द्यूत निर्णय के लिए बुलाये और सम्मानित किये जाते थे । शकुनी इनका गांधारी (अफ़ग़ान) शिष्य था ।
प्रकीर्ण परवर्ती आस्पद
इनके अतिरिक्त परवर्तीकाल में माथुरों के कुछ अन्यान्द आस्पद आख्या या ख्यात समयानुसार बनते गये जिनमें से कुछ के नाम हैं – छौंका, भारवारे, तिवारे, नौसैनावासी, तखतवारे, महलवारे, नारेनाग, सकनां, होरीवारे, भरौच, चीबौड़ा, उचाड़ा, भदौरियाद्व, घाट्या, नगरावार, दक्ख, मानाराव, टोपीदास के, देवमन मंसाराम के, लाल चौवे के, गहनियाँ के, पंडिता के, भारवाले, आरतीवारे, नौघर वारे, करमफोर के, कोबीराम के, काहौ, स्वामी, मुकद्दम, चौधरी, पटवारी, निधाये के, हथरौसिया, मुरसानियाँ, करौर्या आदि ।
माथुर चतुर्वेद विरूदावली
माथुरों की वंश वैभव युक्त विरूदावली लल्लू गोपालजी द्वारा प्रस्तुत यहाँ दी जा रही है-
माथुर परिचय-
चौसठ अल्लैं
136 से 138
माथुर चतुर्वेदियों की माता-श्री यमुना मैया
श्री यमुना महारानी माथुरों की परम वात्सल्यमयी कुल प्रतिपालिनी मैया हैं । श्री यमुना विश्व की सबसे पुरातन प्रजा संरक्षिणी देवी हैं । आसुरी सर्ग युग् 12600 वि0पू0 में वे यमयमी के रूप में भाई बहिन सूर्य देव सूरसेन देश में उत्पत्र हुए, और अंतरिक्ष में बिहार करने की कामना से आकाश मंडल (आक्सस नदी, आकाश गंगा और आक्साई चीन आकाशिय उदीचीना प्रदेश) में ऊँचे पर्वतों पर वीणां बजाते हुए बिहार करने को चले गये । वहां यमी ने आसुरी धर्म से प्रभावित होकर अपने भाई की धर्म नीति की परीक्षा हेतु उससे संयोग की याचना की जिसे यमदेव ने द्दठता से ठुकराकर चरित्र श्रेष्ठता का परिचय दिया । इत पवित्र आचरण से नतमस्त होकर असुरों ने उन्हैं जमशेद (यम सिद्ध), जमरूद (यमरूद्र), जुम्मा, जुमेरात जमालू, जमाउल अव्वल, आदि रूपों में पूजित माना । मार्कण्डेय आश्रम (मक्का) में अश्वत्थ लिंग (संग असवद) के मन्दिर में इनका यमुना यम सरोवर आवेजमजम के नाम से पवित्र माना जाता है । 9370 वि.पू. में ब्रह्मदेव की मानसी सृष्टि में ये पुन: कश्यपवंश में माता अदिति के गर्भ से उत्पत्र द्वादश सूर्यों में ज्येष्ठ आदित्य विवस्वान देव के यहाँ संज्ञा माता के गर्भ से मथुरा देव पुरी के प्राजापत्यययाग प्रयाग तीर्थ में अवतरित हुए । यहाँ दिवाकर देव ने पुत्र यमराज को दक्षिण दिशा में यमलोक बसाकर पापी जनों को दण्ड देकर धर्म और सदाचार की मर्यादा बनाये रखने का धर्मराज पद पितामह ब्रह्मा से दिलाया, और सूरसेन (सूर्य सेनाओं का देश) देवलोक का अनुग्रह युक्त शानक अपनी प्रिय पुत्री यमुना को प्रदान किया । आनी बहिन तपती देवी के शाप से जलधारा नदी रूप बनी श्री यमुना भागीरथी गंगा से बहुत यु��ों प्राचीन हैं । श्रीयमुना की उत्पत्ति 9,320 वि0पू0 है और प्रभु बारादेव ने बसुन्धरा देवी से श्री यमुना का महात्म कहा है । भक्त प्रहलाद ने भी 9254 वि0पू0 में अपनी तीर्थ यात्रा में यमुना तट के तीर्थों की यात्रा की है ।
माथुरों के यमुना पुत्र होने का चरित्र ब्रज रहस्य महोदधि श्री उद्ववाचार्य देव जू ने अपने ब्रज यात्रा ग्रन्थ में कथन किया है जो माथुरों के लिए प्रमाणप है-
एकदा ब्रह्म सदने कश्यपस्य कृतेऽच्वरे ।
समेता सुप्रजा सर्वा कश्यपस्यच औरसा ।।1।।
भक्तिनम्रा धावयन्ता: कर्मान् सम्पादयन्ति ते ।
तान्द्दष्ट्वा भानुतनया मनोभवं मनोदधे ।।2।।
एमाद्दषी प्रजा धन्या मद्गृहेपि भवेदिति ।
तानहं पालयिष्यामि बात्सल्य रस निर्भरा: ।।3।।
पुत्रेष्वेव गृहं धन्यं शोभाढ़यं गृहमेधिनाम् ।
पुत्रका यत्र क्रीडन्ति तदेव सुकृतं गृहम् ।।4।।
एक दिवस शुभ मुहूर्त में ब्रह्मलोक तीर्थ मथुरा में कश्यप महर्षि के आयोजित महासत्र में समस्त देव प्रजा और कश्यप वंशज ब्राह्मण सम्मिलित हुए । ये महर्षि गण अपने पुत्र पौत्रों और पत्नियों पिरवारों सहित भक्ति से विनम्र होकर दौड़ दौड़कर यज्ञ कार्यों को बड़े उत्साह से सम्पादन कर रहे थे इन्हैं इस आनन्दमय रूप से देखकर सूर्य पुत्री श्री यमुना महारानी जी ने अपने मन में यह भावना स्थापित की- इस प्रकार की सुन्दर ह्दय को आकर्षित करने वाली प्रजा धन्य है तथा ऐसी प्रजा मेरे भवन में भी स्थापित होनी चाहिए । मैं उनका सनेह मय अन्त: करण से लालन पालन करूँगी और सदा वात्सल्य रस में आनन्द निमग्न रहूँगी ।
आहूता बालका सर्वे सप्तर्षि कुल संभवा: ।
माथुरान् गृह्म उत्संगे पयपानं मुद्रा ददु: ।।5।।
स्नेह निर्झरितं वक्षं तानलिंग्य त्वरान्विता ।
मुहुर्महु मुखं द्दष्ट्वा परमानन्द प्राप्नुयु: ।।6।।
एतानि विप्र जातानि अग्निवंश समुद्भवान् ।
विद्या विनय सम्पत्रान् सदाचार समन्वितान् ।।7।।
माथुरेस्मिन्पुण्यक्षेत्रे पुत्रत्वेन व्रतानि मे ।
अद्यत: मम पुत्रावै लोके ख्याति लभंतिहि ।।8।।
दत्वा बहुगुणं प्रीतिं हैरण्यं भवनानि च ।
स्वगेहे स्थापिता: सर्वे माथुरा मुनि पुंगवा ।।9।।
कदाचिदपि मद्धामं न त्यजेयु: मुनीश्वरा: ।
ममाश्रये द्दढी भूत्वा दुर्गमान् संतरिष्यत: ।।10।।
तब माताजी ने हेला देकर सपत ऋषियों के दल को बुलाया एवं उन माथुर मुनि बालकों को गोद में उठाकर उन्हैं स्नेह से झरते हुए अपने स्तनों का पयपान कराया ।।5।।
प्रेम से झरते हुए वक्ष स्थल से उन्हैं अति आतुर होकर अलिंगन किया तथा उनके मुख बारम्बार निहारकार परम आनन्द का अनुभव किया ।।6।।
माता ने कहा- ये श्रेष्ठ ब्राह्मणों के कुल अग्निवंश में उत्पत्र हैं तथा विद्या विनय और सदाचार से युक्त हैं ।।7।।
इस परम पुण्यमय मथुरा क्षेत्र में मैंने इन्हैं पुत्र पद पर वरण किया है अत: आज से लोग में मेरे पुत्र अर्थात् यमुना पुत्र नाम की ख्याति प्राप्त करेंगे ।।8।।
इतना महान पद देकर माता ने उन माथुर पुत्रों को बहुत श्रेष्ठ अपना अपार प्यार बहुत सा सोना और अनेक उत्तम देवोपम भवन दिए और उन माथुर मुनि पुगवों के पुत्रों को अपने निज भवन में स्थापित किया ।।9।।
उनसे कहा – हे पुत्रो कभी भी कैसे घोर संकट में भी मेरे इस धाम को त्याग मत करना यहाँ रहकर मेरे आश्रय की दृढ़ता को गृहण किए हुए तुम सब दुर्गम संकटों से निश्चय पूर्वक पार हो जाओगे ।।10।।
माता ने अपने पुत्रों को यह उदार बर दिया और इसे पाकर महर्षि अंगिरा ने वेदोक्त 'श्री यमुना सूक्त' का सरस्वर भक्ति और स्नेह के साथ गान किया जिसे सुनकर माता ने अपार हर्ष का अनुभव किया । यह अति दुर्लभ सद्य फल प्रद कृपा का सहज साधन सूक्त महर्षि अंगिरा ने 9300 वि.पू. में जगज्जनिनी मातु श्री के चरणों में बैठकर सिद्ध किया तथा श्रीमद् उद्धवाचार्य देववर्य इसको धारण कर परम सिद्ध पुरूष बन गये ।
इसके द्वारा यमुना उपासना भक्त प्रहलाद, प्रभु वामन देव, हिरण्यकशि पुदैत्यराज, स्वायंभूमनु देव, अंवरीष राजा, शत्रुघ्न, यपरशुराम मुनीन्द्र, वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, दक्ष, उशनाभृंगु, पुरन्दर इन्द्र, वायुदेव ने की तथा महर्षि वेद व्यास के काल में इसकी उपासना से चन्द्रवन्शी यादवों पौरवों आनवों ने विशेषकर नहुष ययाति, यदु, बसुदेव, श्री कृष्ण बलराम, महर्षि वेद व्यास ने माता कालिदी की आराधना करके वेद विभाजन, 18 पुराण प्रतिपादन, महाभारत, श्रीमद् भागवत ब्रह्मसूत्र आदि अनेकानेक शास्त्रों की रचना की ।
यह सर्वप्राचीन, वेदसत्रिहित, सर्व सिद्धित्रद माथुरों का मातृस्तवन सूक्त है जो यहाँ दिया जा रहा है-
हरि: ओउम्- आदित्यासो जायमानां सहस्त्रभारस्वद्रोचिषम् ।
श्यामारूणां वैवस्वतिं श्री यमुनां भजमाहे ।।1।।
संज्ञात्मजां यमस्वसां विश्रयन्ति भृमृतावृधे ।
देवयन्तिं देवगणानाम् वरदां संवृणीमहे ।।2।।
आवाह्मामि श्रीयमुने कालिंदी संशितवृते ।
एह्मेहि विरजे सत्ये राष्ट्र मे शर्म यच्छताम् ।।3।।
कूर्मासनां मणिपृष्ठां वेणु पद्मां भुजद्वयाम् ।
केयूर मेखलांन्वितां महामणि किरीटिनीम् ।।4।।
संमे सन्तु सिद्धि दात्रिं श्री मधुपुर्याधीश्वरिम् ।
धान्यं धनं प्रजां राज्यं विभवं देहि मे जयम् ।।5।।
वर्धयन्तिं महैश्वर्य प्रियं नो अस्तु मातर: ।
नित्यं संसेवनं धेहि पादार्चनं गृणीमहे ।।6।।
वरेण्यां ब्रजाधिष्ठात्रिं वासल्यां सुप्रसादिनीं ।
संरक्षिणी प्रवर्धिनी अकानुकूल्यं बावृधस्व ।।7।।
वैराज धारिणीं विरजां गभस्ति कोटि मास्वतिम् ।
सौरसेनिं गोष्ठ शतिं सोमं क्रतुमयच्छतु ।।8।।
मधु कैट दिनं निघ्नां कौमारीं संपयस्त्रविम् ।
तां माधवीं उपव्हये आर्विभव हिरण्ययी ।।9।।
कालिंदी सरस्वतीत यमुना तिस्त्रो पदेशु भ्राजिता: ।
अरंकृर्ति मधुमर्ति सौर्या गव्यं गृणीमसि: ।।10।।
आयाहि शर्म यच्छति प्रथमं विश्व सृजे ।
अर्यन्त प्रार्चन्त देवा: साँजलि र्नतकन्धरा: ।।11।।
जिधांसति यमकौर्य शरण्यं ईरयति शर्मम् ।
मूर्त्या मांगल्यमये संसीदस्व कुले मम ।।12।।
तपस्विनीं स्वयं सिद्धां वरेण्यां भर्ग भास्करिम् ।
संगोप्त्रि अक्षयनिधिं गोपशी स्वस्तिरस्तुन: ।।13।।
उपैतु मां महाराज्ञी कीर्ति प्रज्ञां स्थैर्य सह ।
अभिरक्षतु मां नित्यं कालिन्दी माथुरेश्वरी ।।14।।
संकृणुध्वं पदानुगं आत्मानं भर्ग आभर ।
नित्योत्सवा वैजयन्ति अनन्या भीति शन्तमे ।।15।।
यज्ञेश्वरी मन्त्रेश्वरी भक्तानुग्रह तत्परा: ।
कौवेरं निधिं साम्राज्यं महैश्वर्य दधातु मे ।।16।।
तुरीयस्था योग प्रभा सहस्त्रदल मीरिता: ।
आत्मतत्वा परतत्वा महाविद्या पात्वंहस ।।17।।
गोवर्धनं वर्धयन्तिं गवि गोष्ठान्यकरन्महत् ।
मनश्चिन्तां जिघन्वतिं अभिष्टय: सम्प्रमोषि: ।।18।।
त्रिसप्त धामं त्रिदिवं त्रयो त्रिशदभ्यर्चितम् ।
यक्षस्वधामं द्युमन्तं ध्रुवस्यांगिरसस्यहि ।।19।।
प्रहल्लादो उरूक्रमणों हिरप्यकशिपु बलिं: ।
स्वायंभुवश्चांवरीषो अरिघ्नो भार्गवोत्तम: ।।20।।
वशिष्ठो कश्यपश्चात्रि: दक्षो औशनसो भृगु: ।
पुरन्दरस्य वायोश्च विधेहि से महत्पदम् ।।21।।
ब्रह्मविद्या राजविद्या ब्रह्मपारगा: छान्दोगा: ।
सहस्त्रदल संस्थिता: दधातु मेऽजरा मरम् ।।22।।
नारायणीं महत्पदां नमोमि पुत्र वत्सलाम् ।
संवर्धयति सौभाग्यं शं मे सन्तु सुवर्चसा: ।।23।।
यज्ञेश्वरी विस्फुलिंगा आयाहि जातवेदसे ।
प्रियगंधा: प्रियरसा: धियंनो धार्यतां ध्रुवम् ।।24।।
व्यासोवाच-चतुविंशतिकं सूक्तं श्री यमुनाया: प्रमीरितम् ।
जय कामो यशस्कामो श्रेयस्कामो विधारयेत् ।।1।।
शुचिर्भूत्वा ऽनन्यामना जुहुयाच्च साज्यं मधुम् ।
सर्वान्कामान वाप्नोति पदं वैश्रवणोपमम् ।।2।।
यावल्लीलां न पश्येत तावच्छेवा व्रतं चरेत् ।
प्रणतिं दर्शनं जाप्यं सर्व सिद्धि करं मतम् ।।3।।
जयं राज्यं धनं धान्यं आरोग्यं सुप्रजां सुखम् ।
सर्वाधिपत्यं यशसं संसिद्धि जयते ध्रुवम् ।।4।।
दर्शयोद् विग्रहं पुण्यं कैंकर्यत्वं समाचरेत् ।
गुरा: सेवा समायुक्तो सर्व सिद्धि प्रजायते ।।5।।
इत्यंगिरा प्रकथितं श्री यमुना सूक्त मुत्तमम् ।
भक्तिं मुक्तिं रसोद्भांव लीला प्रत्यक्ष कारकम् ।।6।।
आरार्धितं चन्द्रवंशेन नहुषेन ययातिना ।
यदोश्च श्रीकृष्णश्च बलरामेण धारितम् ।।7।।
वेदव्यासमिदं जप्त्वा ध्यात्वा श्री रविरात्मजाम् ।
कृतवानसर्व शास्त्राणि वेदांश्चापि प्रयणदिता ।।8।।
तस्मात्सर्व प्रयत्नेन गोपयेत्परमं धनम् ।
अस्याराधनया वत्स सर्व सिद्धि प्रजायते ।।9।।
हरि:ओऽम् तत्सत् नमोनम: ।
महर्षि अंगिरा द्वारा सम्पूर्ण माथुर मुनि पुत्रों के साथ गान किये इस सूक्त से माता श्री यमुना अति आनंदित हुई । उन्होंने पुन: कहा-
यो यूयं मम पुत्रान्वै अर्चयिष्यन्ति श्रद्या ।
तेन मे परमातुष्टि भवेदिति न संशय: ।।11।।
माथुरा मम रूपाहि माथुरा मम वल्लभा ।
माथुरे परि तुष्टे वै तुष्टोऽहं नात्र संशय ।।22।।
हे प्रिय पुत्रो ! जो धर्म निष्ठ प्राणी उदार विनय युक्त मन से मेरे तुम पुत्रों माथुरों की अर्चना करेगा तुम्हें सन्तुष्ट करेगा उससे मैं परम सन्तुष्टि प्राप्त करूँगी इसमें सन्देह नहीं है ।।11।।
माथुर मेरे ही रूप हैं, माथुर मुझे प्राणों से ज़्यादा प्यारे हैं, माथुर के सन्तुष्ट होने से मैं आप स्वयं आनन्द के साथ सन्तुष्ट होती हूँ यह निश्चित अटल सत्य है ।।22।।
इस सन्दर्भ में श्री उद्धाचार्य देवजू के सुपुत्र श्री भगवान मिहारी के कुछ सुन्दर छन्द भी प्राप्त हैं-
कवित्त-
चाह करी मन में रविनं दिनी ।
सप्त ऋषीन के बालकटेरे ।
पुत्र बिना घर सून्यों अमंगल,
वाल विनोद आनन्द घनेरे ।।
'भगवन्त जू' याविधि पायि सनेह,
कहै सब जै जै महासुख हेरे ।।
माथुर बाल लगाये हियेते,
सो आजु ते पूत भये तुम मेरे ।।1।।
मो मथुरा करियो सदा बास,
औ कीजो सदां पयपान सुखारी ।
उत्तम भोजन कंचन वैभव,
पाऔ सदा मुद मंगलकारी ।।
भगवंतजू पूजियो मोहि सनेह सौ,
जो नहीं पूजै सो होई भिखारी
पूत सपूत बने रहोगे तो मैं-
रच्छा करौं सब काल तिहारी ।2।
यमूना पूत्र कर्त्तव्य
द्वारपै नाम जो मेरौ लिखै, घर भीतर सेवा मेरी पघरावै ।
मन्त्र जपै नित, ध्यान धरै, सिर सादर नायि मेरे गुन गावै ।।
भगवंत प्रसादी बिना नहीं भोजन, पर्थ पै उच्छव हर्ख मनावै ।
या मति मेरौ आधार गहैं रहैं, एसौ सपूत मेरे मन भावै ।।3।।
कृपा प्रभाव प्रत्यक्ष
राजा नवै, महाराजा गहै पद, मातु कृपा कौ प्रतापु है भारी ।
संत महंत आचार्ज घनाधिप, आसन दैंई दै मान अपारौ ।।
'भगवंत' ज वैभव ठाठ लगे रहैं, भाव अभाव न हो दुखारी ।
एसी उदार अपार कृपा, रविनंदनि की महिमां कछु न्यारी ।।
माथुर चतुर्वेदी ब्राह्मणों की परम स्नेहमयी इन मातु श्री का स्तवन प्राय: प्रत्येक संप्रदाय के आचार्य ने किया है । अपने आराधित इष्ट देव की सिद्धि का साक्षात्कार बिना श्री यमुना मैया की कृपा के होना असंभव मानकर श्री आद्यशंकराचार्य ने श्री यमुना स्तबन-"जययमुने जय भीतिनिवारिणि संकट नाशिनि पाबय माम्", श्री कालिन्दी माता का स्तबन-" धुनोतु मे मनोमलं कलिंदनंदिनी सदा" किया है श्री गर्गाचार्य मुनि की गर्ग संहिता माधुर्य खंड में महर्षि सौमरि का राजा मांधाता को उपदिष्ट श्री यमुना पंचांग(यमुना स्तोत्र, कवच, पटल, अर्चन, सहस्त्रनाम) श्री प्रभु उद्धवाचार्यदेव का यमुना शरणागति स्तोत्र, श्रीमद् बल्लभाचार्य का यमुना अष्टक, श्री गो0 विद्वल नाथजी, श्री हरिराय जी, हरिबल्लभ, माधव, हरिदास, रमेश भट्ट गोकुलेश आदि वैष्णव भक्तों के स्तोत्र, श्री हित हरिवंश (राधा बल्लभी आचार्य) श्री रूप (सनातन) गौड़ीय आचार्य, सम्राट दीक्षित पंडितराज, कविवर ग्वाल, कविवर श्री मुदित मुकुन्द की यमुना लहरी आदि प्रभूत साहित्य हैं, जिसे वेदपाठी श्री बिहारीलाल जी की यमुना पूजन पद्धति में देखा जा सकता हैं ।
श्री मथ���रा पुरी में महर्षि अंगिरा द्वारा आराधित श्री यमुना मैया की यह पुरातन देव विग्रह प्रतिमा अनंदमयी मुद्रा में वैदिक सूत्र के अनुसार- "कूर्मासनां मणि पृष्ठां वेणु पद्मां भुज द्वयाम्" छवि को धारण किये हुए यमुना तट पर अपने निजधाम श्री यमुना निकुंज देवस्थान सूर्य गोलपुर (गोल पारा) प्रयाग घाट पर विराजमान हैं । यह माथुरों की परम पूज्य मैया और श्री सिद्धि स्वरूपा हैं । आश्चर्य है कि माथुर मुनीश अपनी परमाराधनीय इस माता की सेवा आराधना करने में निपट उदासीन तणा बहिर्मुख हैं । यहीं श्री उद्धवाचार्य देवजू का प्राचीन ब्रजयात्रा ग्रंथ उनकी छवि जी तथा पादुका जी विराजमान हैं जो सेवा करने पर कृपा सिद्धि प्रदायक हैं ।
वृम्हरात्रि का अधर्म वृद्धि युग
3000 वि.पू. के बाद कलियुग ने अपना पैर जमाया । महाभारत के पश्चात मगध का राजवंश चक्रवर्ती सम्राट बना परिक्षित को कलिप्रेरित प्रयास से ब्राह्मण शाप द्वारा तक्षक नाग ने समाप्त कर दिया । यादव स्वयं ही कलह की अग्नि में कूद गये । द्वारिका की जल प्रलय ने दूर दूर तक समुद्र तटवर्ती देशों को ध्वस्त किया । जनमेजय को नागों की शक्ति के सामने पराभव देखना पड़ा । वैशम्पायन और याज्ञवल्क्य की कलह में यजुर्वेद के कारे गोरे दो टुकड़े हो गये । जरासंध ने मथुरा शूरसेन देश पर 17 आक्रमण किये जिनमें 41 राज्यों के सत्ताधारी सहायक थे । इधर श्री कृष्ण बलराम के साथ मात्र केवल 18 यादव नरेश ही थे । बड़ी सेना के दबाव से वे 32 वर्ष की आयु में अंधक वृष्णि संघ के साथ सुदूर पश्चिम के जल दुर्ग द्वारिका में चले गये ।
जरासंध यादवों का शत्रु था । द्रोपदी स्वयंवर में बृहद्रथ में धनुष उठाते समय घुटने फूट जाने पर उसका पलायन और श्री कृष्ण के समर्थन से अर्जुन का द्रोपदी से विवाह, महर्षि धौम्य की पांडव पौरोहित्य प्रतिष्ठा, कंस का वध और उग्रसेन का राज्यारोहण इसके उत्तेजक हेतु थे । उधर सूत मागध शौनकशूद्र प्राय माने जाते थे । इन्होंने माथुर महामुनीष महर्षि वेद व्यास की सेवा में अपने को समर्पित किया और कृपालु मुनि ने सूतों को पुराणाचार्य पद, शौनक को अथर्वा वेदाचार्य तथा मागधों को माथुरों की मैत्री के साथ गया तीर्थ का पौरोहित्य और वंदीजनों को ब्रह्ममट्ट राय भाट जागा के रूप में वंशावली संरक्षण् के कार्यों में नियुक्त किया । "माथुरों मागधश्चैव" एक मैत्री बनी और माथुरों को उस समय की अपनी उदार नीति के कारण अनेक प्रहार और अपवाद सहन करने पड़े , परिणामत: मथुरा पर अधिकार के बाद जरासँध ने मथुरा को लूटा जलाया या विनष्ट किया हो ऐसा उल्लेख नहीं मिलता ।
जरासंध की शत्रुता यादवों से थी । उसने 86 यादव नरेश और उनकी अविवाहित राजकन्याओं को अपने कारागार में डाल रखीं थीं महाभारत के बाद योद्धाओं की शक्ति समाप्त नहीं हुई थी । मगध साम्राज्य का शौर्य और विस्तार बढ़ रहा था । किन्तु मगध विदेशयी जातीय गांधारी (कंधारी पठान) वंश के उपरिचर बसु की सन्तान होने से वैदिक यज्ञों धर्म और देव पद्यति के प्रति निष्ठावान न थे । उनके ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज में उच्चता समानता युक्त सम्मान भी प्राप्त �� था फिर भी उन्होंने 3233 से 2011 वि0पू0 तक 1222 बर्ष भारत पर अपना एक छत्र राज्य जमाये रक्खा । इसी अवधि में 1800 वि0 पू0 में ब्रह्म दिवस के कलियुग का अवसान हुआ ।
व्रम्हरात्रि का द्वितिय कलयुग- शौनकसत्र
ब्रहद्रथ वंश के राजा रिपुंजय के बाद शुनक वंशी व्यासशिष्य शौनकों का वंश शासनारूढ़ हुआ । वृहद्रथ वंश ने अपने लंबे राज्यकाल में कोई उल्लेखनीय धर्म कार्य किया हो एसा ज्ञात नहीं होता, किन्तु शुनक वंशियों ने सूतों को पुराणों के क्षेत्र में महान प्रतिष्ठा देकर नैमिषारण्य मिश्रिक आदि नव तीर्थों की स्थापना करके लंबे काल के कथा सत्र आयोजित किये । इन कथा महा सम्मेलनों में 88 हज़ार ऋषि महर्षि, लक्षाबधि प्रजाजन, तथा दानी मानी राजपुरूषों ने भक्ति के साथ 18 पुराणों का कथारस पान किया ं पुराणों का बहुविधि विकास विस्तार और जनसम्मान इसी युग में माथुर वेदव्यास शिष्यों के द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर प्रचारित हुआ । माथुर ऋषि महर्षि इन सत्रों के प्रथम कोटि के निर्देशन और सहायक थे । इन सत्रों में श्री कृष्ण की महिमा, उनके रसप्लावित चरित्र, ब्रजभूमि, मथुरा, और माथुर चतुर्वेद ब्रह्मणों की कीर्ति का महान प्रचार हुआ । 5 पीढ़ी राजकर 1873 वि0पू0 में महाराज वंशजों ब्रज औ काशी के नागों का अधिकार मगध साम्राज्य पर आया ।
भाग ब्रज की प्राचीन जाति थी । इस वंश में विंवसार(1727-1689 वि0पू0) अजात शत्रु (1627-1662 वि0पू0) उदायी डदितोदय मथुरा का राजा(1627-1594 वि0पू0), नंदिवर्धन(1594-1554 वि0पू0) तथा महामंदी कालाशोक (1554-1511 वि0पू0) आदि 10 राजा हुए । यह द्वितीय कलि (1800-600 वि0पू0) का समय इतिहास में बहुत क्रान्तिकारी समय हैं । एतिहासिक शंसोधन के अनुसार इस युग में जैन धर्म आचार्य महावीर स्वामी का जन्म 1797 वि0पू0 मेंतथा बुद्धि धर्म प्रवर्तक बुद्धदेव का जन्म 1760 वि0पू0 में हुआ । इन दोनों मतों ने प्राचीन वैदिक धर्म को झकझोर डाला और रात्रि कलियुग का झंझावात खड़ा कर दिया । उदायी या ऊदितोदय के मथुरा पर सासनारूढ़ रहने के उल्लेख बौद्ध साहित्य में है, और उसके समय मथुरा धर्म प्रचार का प्रधान केन्द्र था तथा माथुर अपनी स्वधर्म निष्ठा पर दृढ़ तथा सम्मानित थे ।
महापद्म नंद वंश
1511 वि0पू0 में महापद्मनंद के वंश का महा साम्राज्य स्थापित हुआ । महापद्मनंद एक महान प्रतापी सम्राट था उसके राज्य में माथुरा और मथुरों के वैभव और श्रेष्ठता का महान विस्तार हुआ । सुमाल्य आदि इसके 9 पुत्रों ने मथुरा की वैभव वृद्धि में स्नेहयुक्त योगदान दिया ।
मौर्य वंश
1411 वि0पू0 में कटैलिया जाटों के पुरोहित कौटिल्य चांड़क्य की कूटनीति योजना से परम प्रतापी चंद्रगुप्तमौर्य द्वारा मौर्य वंश के साम्राज्य की नींव पड़ी । मौर्य मूलत: ब्रज के मयूर ग्राम(मोरा गाँव) के निवासी मयूर गण थे । ब्रज की तेजस्विता के फलस्वरूप वे अनेक खंडों में फैलकर स्व्च्छंद और महावलशाली बन कर मुरदैत्य तथा मूर मुराई मुरशद कहे जाने लगे । मुरसान, मुरार, मोरवी, मुरैना मोरावां आदि अनेक क्षेत्रों में इनका वंश फैंल चुका था । चंद्रगुप्त के उत्तर भारतीय साम्राज्य में मथुरा एक प्रमुख केन्द्र था, तथा इस वंश के वैभवशाली राजपुरोहित मौरे अल्ल धारी माथुरों के अनेक परिवार अभी भी मथुरा नगर में बसे हुए हैं । मौर्य काल में बौद्ध मत सारे भारत तथा विदेशों में भी ख़ूब फैला । विंदुसार पुत्र सम्राट अशोक इस वंश का सबसे अधिक प्रतापी सम्राट था । इसने मथुरा में अनेक बौद्धस्तूप विहार और सनातन धर्म के देवालय निर्माण कराये, जिनकी वैभव संपति तथा अर्चना विधि के संचालक माथुर ब्राह्मण थे । इस वंश के सम्राट शालिशूक (इंद्रपालित) 1300 वि.पू. के समय बौद्धधर्म बहुत विकृतियों से युक्त हो गया था । बौद्ध राजाओं का आरय पाकर बौद्धभिक्षुओं की संख्या इतनी बढ़ी कि वह भूमि का भार बन गयी ।
कुछ इतिहास ज्ञों के मत से बौद्ध भिक्षु बल पूर्वक ग्रहस्थों के घरों से भिक्षा बसूल करने लगे । वे किसान का अनाज, ग्वालों का दूध घी, कुम्हारों के वर्तन, बजाज, दर्जी, माली, तेली, नाई, वाहन, चालकों के उत्पादनों और साधनों का बिना मूल्य अपहरण करने लगे । किसान, कारीगर, मजदूर, व्ययसायी, विद्वज्जन सभी वस्त्र रंगकर बौद्ध विहारों में भिक्षु बनकर मुफ़्त के माल उड़ाने लगे । राजाओं की सेना सैनिक निशस्त्र भिक्षु बनकर चैन की नींद लेते हुए शौर्य हीन हो गये । राजदंड में क्षमा और दया का ��्रवेश होने से चोरी लूट व्यभिचार आदि अपराध बढ़ गये । बौद्ध भिक्षुव्यसनी विलासी और तंत्र मंत्र नग्नासनों सिद्धियों के प्रयोंक्ता बन गये । सारा देश अकर्मण्य दुर्वल, कायर, शौर्यहीन और निस्तेज हो गया । इस अवसर का लाभ उठाने को उत्तर पश्चिम के आसुर क्रूर लोग भारत की दबोच कर अपने आधीन करने के प्रयास करने लगे । देश का धर्म और सुरक्षा महान संकट में पड़ गये ।
भगवान काल्कि का प्रादुर्भाव
ऐसे समय गीता में अपनी धर्म घोषणा के प्रतिपालनार्थ प्रभु ने भगवान काल्कि के रूप् में अवतार धारण किया । प्रभु काल्कि का आविर्भाव संमल ग्राम में विष्णुयशा पराशर बशिष्ठ गोत्रीय ब्राह्मण के यहाँ मौर्य शालिशूक राज के राज्यकाल में 1338 वि0पू0 में हुआ । विष्णुयश को अपने गुरु याज्ञवल्क्य वंशज तपस्वी ब्राह्मण से कृपारूप् आशीर्वाद प्राप्त था । कल्कि ने सिंहल द्वीप में पद्मावती नाम की राजकन्या से विवाह किया और फिर वहाँ से देवदत्त अश्व पर सवार होकर कराल खग्ङ धारण कर वैदिक धर्म के विरोधियों के संहार की घोषणा की । प्रथम उन्होंने विन्ध्येश्वरी नंदपुत्री योगमाया भगवती की आराधना की और फिर आकर मगध देश में ही विशाल धर्म सेना तैयार कर विधर्मियों का दमन आरंभ किया । इस समय बुद्ध धर्म को 450 वर्ष तथा उसके 25 बुद्ध हो चुके थे ।
देश में नास्तिक अधर्मवादी संप्रदायों का जोर था । इनमें चावकि निरीश्वरवादी, अजितकेशी, उच्छेवादी, गोशालमंखली, आजोवकी, गोष्ठा माहिल, अनीश्वरवादी, पक्थ काच्चायन अशाश्वत वादी, पूरण काश्यप, सांजय वेल्हीपुत्र विक्षेप वादी आडार कालम अकिर्चिन्नायन बाद (संसार में कहीं कुछ नहीं है), आम्रपालिगणिका उपलि नापित का जात पांत निर्मूलन प्रयास, आदि प्रमुख थे । ये दान धर्म यज्ञ पाप पुण्य स्वर्ग नर्क कुछ नहीं हैं, हत्या चोरी व्यभिचार से पाप नहीं लगता तथा तीर्थ दान पूजा से पुण्य नहीं होता ऐसा घर घर प्रचार करते थे । जैनों के 363 पंथ तथा बौद्धों के अनगिनती थे । मगध, लिच्छवी, शाल्व, बुलि, कोल्लिय, मत्म्त्मे, कौशल आदि अनेकों राजा इन संघों के भक्त थे ।
प्रभु काल्कि ने इन सबका प्रतारण किया । अधिक रक्त पात न करके उन्होंने यज्ञों द्वारा प्रजा को आकर्षित करके और सेना भय से नरेशों को कुमार्ग से विरत करके सारे देश में शाश्वत वैदिक श्रौत स्मार्त पौराणिक धर्म की ध्वजा समग्र भारत वर्ष में फरहादी । लोग लाखों की संख्या में भगवान काल्कि के दर्शनों, यज्ञ महोत्सवों और अपने प्राचीन धर्म को पुन: अंगीकर करने की आने लगे । कहीं कहीं कुछ गर्वित नरेशों ने युद्ध भी किया परन्तु वे पूर्णत: ध्वस्त हुए । फिर उन्होंने सीमा पर आक्रमण की तैयारी करते हुए यवन म्लेच्छ खश, काम्बोज, शवर, बर्वर, भूतवासी सारमेयी, काक, उलूक, चीन, पुर्लिद, श्वपच पिशाच, मल्लार देशों को विजय कर उन्हें धर्मानुकूल बनाया ।
इस धर्म विजय के पश्चात अयोध्या तथा फिर "मथुरा मागमन्मही" 'तस्या, भूपंसूर्यकेतु' मभिषिच्य महाप्रभु' वे मथुरा पधारे यहाँ विशाल यज्ञ आयोजित किया प्रधान ब्राह्मण माथुरों की अर्चना की तया समस्त जीती हुई भूमि ब्राह्मणों को दान करके देदी । माथुरा के बाद गाँव में इस यज्ञ का आयोजन करके प्रभु काल्कि ने मथुरों को वेदवाद प्रचार के लिये संयोजित किया । इस प्रकार अपना अवतार कार्य परिपूर्ण करके वे 1296 वि0पू0 में हिमालय में प्रवेश करके स्वधाम को प्रयाण कर गये । भगवान काल्कि का स्नेह माथुर ब्राह्मणों पर विशेष रूप से था पिंडारक तीर्थ पर जब माथुर महर्षि गण अत्नि वशिष्ठ मृगु पराशर दुर्वासा अंगिरा उनके समीप पहुँचे तो उन्होंने कहा –
मथुरायामहं स्थित्वा हरिष्यामितु वो भयम् ।।26।।
युवां शस्त्रास्त्र कुशलौ सेनागण परिच्छदौ ।
भूत्वा महारथौ लोके मया सह चरिष्यथ: ।।28।।
भगवान कल्कि का चरित्र दिव्य महान और विस्तार युक्त है । कल्कि पुराण में इसका पूर्ण वर्णन हुआ है । यह पुराण भारत धर्म महामंडल काशी द्वारा 1962 वि0 में निगमागम पुस्तक भंडार बांस का फाटक बाराणसी से प्रकाशित हुआ है तथा बैंकटेश्वर प्रेस बंबई एवं खेमराज श्री कृष्णदास बंबई से भी इसके प्रकाशन हुए हैं । अमरीका की पेन्सिलवेनियाँ विश्वविद्यालय तथा ब्रुकलिन कालेज न्यूया्रक में कल्कि अवतार पर शोधकार्य हुआ है पुराणों में स्कंद पुराण माहेश्वर कल्प के कुमारिकाखंड में तथा महाभारत के बन पर्व 188 तथा 190,191 में भी इस अवतार का कथन है फिर न जाने किस कारण से विद्वद्वर्ग ने ऐसे महान अवतार को अंथकार के गर्त में डाल रक्खा है ।
जगद्गुरु श्री शंकराचार्य और कुमारिल स्वामी
600 वि0पू0 से 1800 विक्रम संवत तक ब्रह्मरात्रि का द्वापर युग प्रवर्तित हुआ । इस काल में आंध्रमृत्यु, वाकाटक, सात वाहन, भारशिवनाग, गुप्तवंश, चालुक्य, पल्लव, पांड्य चोल, बल्लभी, मौखरी आदि अनेक वंश उठे और गिरे/हूणों के आक्रमण का ताँता लगा । युग धर्म के अनुसार जो पांखंड मत काल्कि विजय में भेष बदल कर लुप्त हो गये वे पुन: सिर उठाने लगे । अत: धर्मवीज के अंकुर की रक्षा के लिए भगवद अन्श से और दो महापुरूषों ने जन्म धारण किया । इनमें प्रथम श्री कुमारिलभट्ट स्वामी थे जो श्री शंकराचार्य से 57 वर्ष बड़े थे । श्री पी0 एन0 ओक की शोध के अनुसार इनका जन्म लगभग 509 वि0पू0 का है । इन्होंने 97 वर्ष आयु प्राप्त करके आसेतु हिमालय वेदमार्ग की घ्वजा फहरा कर बौद्धों तथा अन्य बचे खुचे पाखन्ड मतों को उन्मूजन किया । श्री शंकराचार्य के बौद्ध मत खन्डन पत्रक में इनका विशेष उल्लेख है । इन्होंने कार्तकिेय स्वामी का अवतार होने से स्वामी पद धारण किया था । मगध विहार के नालंदा विश्व विद्यालय में जबसे बौद्ध आचार्य से न्याय दर्शन पढ़ रहे थे तब गुरु के चरण दबाते समय वेद निन्दा सुनकर अनके नेत्रों से आँसू टपक कर आचार्य के चरणों में गिरे । यह देख बौद्धों ने यह तो वेद वादी है । वे उन्हैं धनवाद के राजा सुघन्वा के सामने ले गये और वहाँ उन्हैं ताड़ना देकर ऊँचे पर्वत से गिराया गया किन्तू वेद सत्य है तो मेरी रक्षा होगी' एसे निश्चय से इनकी रक्षा हुई । तब इन्होंने समस्त भारत वर्ष में वेद धर्म के प्रचार की प्रतिज्ञा ली । मथुरा के वेदपाठी चतुर्वेदी माथुर ब्राम्हाणों के महत्व को अनुभव कर उन्होंने अपना वेद धर्म आन्दोलन यहीं से श्रीगणेश किया । उन्होंने वेदपाठी चतुर्वेदी ब्राह्मणों का एक वेद प्रचार वर्ग बनाया और उसका केन्द्र जिस स्थान पर रक्खा वह वेदवाद तीर्थ बाद गाँव नाम से अभी भी मथुरा में है तथा इस समूह के वेद वादी माथुरों की भारद्धाज गोत्रिय शाखा कुमारिली या रिली कही जाती है विद्वानों ने इस शाखा को अनअल मनमानी कहा है जबकि उनने इस प्राचीन शाखा के गौरव को जाना ही नहीं । इसके बाद बाद गाँव को आगे चलकर भक्त महात्मा श्री हित हरि वंश जी की जन्म भूमि होने का भी महत्व प्राप्त हुआ है ।
एक बार कुमपरिल स्वामी राजा सुघन्वा के राज महल के नीचे से जा रहे थे । उन्हैं देख राजा की राजकुमारी ने छत पर से व्याथित स्वर में पुकार की 'कि करोमि क्व गच्छामि, को नुइरिष्ययति ।' उन्होंने ऊपर देखा और उत्तर दिया 'मा चितय बरारोहे भट्टाचार्योस्ति भूतले ।।' बौद्धमतानुयामी सुघन्वा राजा ने इन्हैं अनेक कष्ट दिये किन्तु अन्त में पराजित होकर वह इनका शिष्य हो गया और सारे देश में दुन्दुभी घोष करा दिया-
व्यादाथाज्ञां ततो राजा बधाय श्रुति विद्विषां ।
आसेतो रातुषाराद्रे, बौद्धानां वृद्धिं घातकम्
नहनिष्यतिय: स हन्तव्य. भृत्यानित्यन्वशानृप ।
इस राजाज्ञा से सारा बौद्ध समाज निरस्त हो गया ।
विद्यारण्य स्वामी लिखते हैं-
बौद्धादि नास्तिकाध्वस्त वेदमार्ग पुरा किल ।
भट्टाचार्य: कुमाररांश: स्थापयामास भूतले ।।4।।
जगदगुरु श्री आद्यशकराचार्य महाराज- इस समय में 452 वि0पू0 में केरल में शंकर भगवान के अवतार श्री आद्य शंकराचार्य सवामी का प्रादुर्भाव हुआ । वे केवल 32 वर्ष ही भूलव पर विराजे किन्तु इतने समय में ही उन्होंने सन्यास ग्रहण कर भारत वर्ष के समस्त धरा मण्डल का परिभ्रमण कर वैदिक समातन धर्म की अखन्ड ध्वजा फहरा दी ।
उन्होंने देश की चारों सीमाओं पर उत्तर में ज्योतिर्मठ, दक्षिण में श्रृंगेरीमट, पूर्व में गोवर्धन मठ और पश्चिम में शारदा मठ के प्रबल धर्म केन्द्र स्थापित किये । वे मथुरा पुरी भी पधारे और माथुरों का मानकर श्री यमुना महारानी के परम भक्ति पूर्ण दो यमुनाष्टक रचकर गान किये । इनमें से एक में "धुनोतु में मनोमलं कलिंदनदिनी सदा" कहकर महर्षि वेद व्यास के कृष्ण गंगा आश्रम पर विराजमान कलिंदी माता जी तथा दूसरे में जय यमुने जय भीति निवारिणि शंकट नाशिनि पावय माम्" कहकर मधुवन चारिणि भास्कर वाहिनि अर्थात् सूर्य सेन पुरी मथुरा के सूर्य सांव तीर्थ से मधुवन में बहने वाली एतिहासिक यमुना धारा की वन्दनात्मक सूचना दी है ।
इन स्तोत्रों में श्री महाराज ने 'तटाँतवास दास हँस ता" "ब्रजपुरवासि जनार्जित पातक हारिणि तथा तव पद पंकज आश्रित मानव कहकर यमुना पुत्र माथुरों की ओर संकेत किया है । इसी महान परम्परा के द्वारिका पीठ के श्री शंकराचार्य स्वामी वर्य ने यहाँ माथुरों पर होता आक्षेप सुनकर एक अति महत्वपूर्ण धर्म व्यवस्था माथुरों को स्नेहाई होकर प्रदान की जो इस प्रकार हैं-
श्री शारदा पीठ द्वारिका के पीठाधीश्वर जगद् गुरु श्री शंकराचार्य स्वामी द्वारा घोषित
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Today's Horoscope -
मेष (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन कोई भी निर्णय जल्दबाजी में ना लें वरना बाद में पछताना पड़ेगा। परिस्थितियां आज हानिकारक बनी हुई है सही दिशा में जा रहा काम भी किसी की गलती से बिगड़ने की संभावना है। कार्य व्यवसाय में आज किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती नुकसान कराएगी। धन को लेकर दो पक्षो में खींचतान की स्थिति बनेंगी। धर्य से काम लें अन्यथा मामला गंभीर हो सकता है। कार्य स्थल पर सहकर्मियों का असहयोगी व्यवहार अखरेगा। काम के समय आज सभी पीठ दिखाएंगे। केवल घर के सदस्य ही कठिन परिस्थिति में साथ देंगे। पारिवारिक वातावरण भी किसी ना किसी कारण उखड़ा सा रहेगा। आरोग्य में कमी रहेगी।
वृष (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन राज-समाज मे आपकी प्रतिष्ठा बढ़ाएगा। आज कुछ ना करने पर भी आपका व्यक्तित्त्व बढ़ा हुआ रहेगा। लेकिन थोड़ी सी प्रशंसा पाकर अहम की भावना भी आएगी अपने से छोटो को अहमियत नही देंगे जहां से स्वार्थ सिद्धि की संभावना रहेगी वहां चापलूसी करने से भी नही चूकेंगे परन्तु जहां कोई लाभ नजर नही आएगा वहां देखेंगे तक नही। कार्य व्यवसाय में बुद्धि चातुर्य से लाभ कमाएंगे लेकिन किसी ना किसी कारण कुछ समय के लिये अशांति बनेगी। नौकरो अथवा सहकर्मियों पर ज्यादा दबाव डालने पर अकेले काम करने की नौबत आ सकती है। गृहस्थ जीवन मे आप हास्य के पात्र बनेंगे लेकिन शन्ति रहेगी। सेहत आज कुछ बेहतर बनेगी।
मिथुन (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन कार्यो में सफलता दिलाने वाला रहेगा परन्तु सफलता को धन के साथ ना जोड़े अन्यथा दुखी होना पड़ेगा। आर्थिके दृष्टिकोण से दिन पहले की तुलना में बेहतर रहेगा परन्तु इसके लिये सहयोग की आवश्यकता भी पड़ेगी। वैसे तो आज आप व्यवहारिक ही रहेंगे लेकिन उच्चवर्गीय लोगो के साथ संपर्क में में अभिमान जगायेगा जो आगे के लिये स्नेह संबंधों में खटास ला सकता है। कार्य क्षेत्र पर सरकारी सहयोग पाने के लिये दिन उत्तम है प्रयास में कमी ना रखें। नौकरी वालो पर अधिकारी कृपा दृष्टि रखेंगे लेकिन ज्यादा उत्सुक ना हो इसके पीछे बड़ा स्वार्थ हो सकता है। परिवार का वातावरण आपकी अनदेखी के कारण अशान्त होगा स्वतः ही सामान्य भी हो जाएगा। सेहत में कुछ समय के लिये नरमी रहेगी।
कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से लाभदायक रहेगा। धर्म कर्म के प्रति आज निष्ठा रहेगी दान पुण्य करने के अवसर सुलभ होंगे इनका लाभ निकट भविष्य में किसी भी रूप में अवश्य मिलेगा। कार्य-व्यवसाय की स्थिति मध्यान तक दयनीय रहेगी इसके बाद एक आध सौदे मिलने से खर्च निकालने लायक आय हो जाएगी ज्यादा धन कमाने की कामना से आज डोर रहना ही बेहतर रहेगा सहज रूप से जितना मिले उसमे संतोष करें अन्यथा कोई नई मुसीबत आ सकती है। संध्या का समय व्यवसायी वर्ग के लिये सुखद रहेगा भविष्य से संबंधित शुभ समाचार मिलेंगे। घर की सुख शांति वाणी पर नियंत्रण पर निर्भर रहेगी। पेट संबंधित विकार होगा।
सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन मिला-जुला फल देगा। आज आप जिस कार्य को करने का मन बनाएंगे उसके आरम्भ में पहले खराब सेहत बाधा डालेगी आरम्भ होने के बाद भी सरकारी अथवा अन्य आर्थिक कारणों से बीच मे छोड़ना पड़ा सकता है। कार्य क्षेत्र की गतिविधियां आपकी सोच के विपरीत रहेंगी सहकर्मी अथवा कर्मचारी आपकी अनदेखी का फायदा उठाने से चूकेंगे नही लोग अपना हित साधने के लिये आपके नुकसान की परवाह नही करेंगे। धन को लेकर आज कुछ ना कुछ समस्या लगी रहेगी। सही समय पर कार्य पूर्ण ना होने पर आगे के व्यावसायिक व्यवहार प्रभावित होंगे। परिजन अथवा अन्य बाहरी व्यक्ति किसी बात का बदला ले सकता है।
कन्या (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज दिन के आरंभ से ही मानसिक रूप से स्फूर्ति रहेगी सेहत उत्तम रहने पर भी आलस्य नही जाएगा। लेकिन दिनचार्य गई गति धीमी होने पर भी मध्यान बाद गंभीरता से कार्य कर कमियों की भरपाई कर लेंगे। आज आप जिस भी कार्य को करेंगे उसमे सफलता निश्चित रहेगी लेकिन कार्य आरंभ से पहले भ्रमित होने से बचें अन्य किसी से मार्गदर्शन की अपेक्षा ना रखें वरना कुछ उल्टा ही होगा। धन की आमद में पिछले दिनों से सुधार होगा दैनिक खर्च आसानी से निकल जायेंगे भविष्य के लिये संचय भी कर सकेंगे। नए व्यवसाय अथवा व्यवसाय विस्तार के लिये निवेश अत्यंत शुभ रहेगा। घर के सदस्य कामना पूर्ति में विलंब होने पर गुस्सा करेंगे पूर्ति होने के बाद उत्साहित रहेंगे। असन्तुलित खान-पान अथवा दिनचार्य नए रोग को जन्म देगी।
तुला (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन सम्पन्नता कारक रहेगा दिन के आरंभिक भाग में किसी महत्त्वपूर्ण कार्य का निर्णय लेने में दुविधा होगी लेकिन परिजन अथवा अन्य किसी वरिष्ठ व्यक्ति का मार्गदर्शन इससे बाहर निकलेगा। कार्य-व्यवसाय में भाग्य का साथ मिलने पर प्रतिस्पर्धा के बाद भी संतोषजनक लाभ पा लेंगे धन के साथ ही अन्य सुख के साधनों में भी वृद्धि होगी। लेकिन ध्यान रहे आज छोटी मोटी बातो पर बहस करने से बचें अन्यथा भविष्य के लाभदायक संबंध खराब हो सकते है। नौकरी पेशा लोग अन्य लोगो से बेहतर कार्य करने पर सम्मानित होंगे। परिजनों अथवा किसी नजदीकी से उपहार लाभ मिलेगा पर इसके बीचे कुछ निजी स्वार्थ भी रहेगा। आरोग्य के ऊपर खर्च होगा।
वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज आपके व्यक्तित्त्व में विकास होगा अधिकांश कार्यो को देखभाल कर ही करेंगे वाणी में मिठास रहेगी लेकिन मन मे कड़वाहट परिजनो से नही छुपा सकेंगे। कार्य क्षेत्र पर किस पुरानी बात को लेकर वैर भाव बढेगा लेकिन विवेक जाग्रत रहने के कारण स्थिति गंभीर नही हो सकेगी। काम-धंधे से आज चालाकी से ही लाभ कमाया जा सकता है परंतु प्रलोभन से बचे अन्यथा पुराने व्यवसायिक संबंध खराब हो सकते हैं। धन लाभ समय रहेगा। नौकरी करने वाले अपनी विद्या बुद्धि के बल से उन्नति पाएंगे सामाजिक क्षेत्र पर आप अत्यंत बुद्धिमान समझे जाएंगे परन्तु घर मे आपकी छवि कुटिल जैसी रहेगी। घरेलू कामो की अनदेखी अशान्ति फैला सकती है। सेहत मानसिक परिश्रम अधिक रहने के कारण विपरीत रहेगी।
धनु (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन प्रतिकूल फलदायी रहेगा। दिन का पहला भाग नासमझी के कारण व्यर्थ खराब होगा। परिजनो से बिना कारण के ही फटकार सुननी पड़ेगी स्वभाव में उद्दंडता तो रहेगी परन्तु स्थिति को भांप विरोध नही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी आज मानसिक दबाव में कार्य करना पड़ेगा जो निर्णय सही लग रहे होंगे वह अंत समय मे गलत सिद्ध होंगे धन संबंधित व्यवहार आज देख भाल कर ही करें विवाद होने की आशंका है। कार्य क्षेत्र पर भी गरमा गरमी का माहौल बनेगा जिसका सीधा असर काम पर पड़ेगा धन लाभ में कमी आने से भी परेशान रहेंगे। संध्या का समय घर मे मौन रहकर बिताये धैर्य खोने पर विवाद बढ़ सकता है।
मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज आपको लाभ की सम्भावना दिन के आरंभ से ही रहेगी कुछ शुभ प्रसंग घटने पर मानसिक रूप से निश्चिन्त रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज अन्य दिनों की तुलना में कम मेहनत से अधिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे। नौकरी वाले लोग अतिरिक्त आय बनाने के लिये जोड़ तोड़ करेंगे इसमें सफलता मिलेगी लेकिन विलंब से। आर्थिक रूप से दिन मध्यान तक उदासीन रहने के कारण अधीरता आएगी जल्दबाजी से बचें धन लाभ विलंब से सही लेकिन होगा जरूर। व्यापार में विस्तार कर सकते है लेकिन नया व्यवसाय आरम्भ करने के लिये एक दिन और प्रतीक्षा करें। पारिवारिक सदस्य आपके निर्णय की प्रतीक्षा में रहेंगे किसी को निराश नही करेंगे। धर्म कर्म में आस्था बढ़ेगी। सेहत में आपकी गलती से शिथिलता आएगी।
कुंभ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन आप कुछ अभाव का अनुभव करेंगे फिर भी परिस्थिति के अनुसार स्वयं को ढाल लेना ही बेहतर समझेंगे। आज आप अपने स्वभाव में परिवर्तन लाने का प्रयास करेंगे इसमें काफी हद तक सफल भी रहेंगे लेकिन मन की इच्छाओं को मारना आंतरिक दुख का कारण बनेगा। आज परोपकार और आध्यात्म की भावना रहने से अपने कार्य छोड़ औरो की सहायता को तत्पर रहेंगे इसके पीछे कुछ स्वार्थ भी अवश्य रहेगा। कार्य क्षेत्र से लाभ की आशा अन्य दिनों की तुलना में कम रहेगी दिनचार्य को भी उसी अनुसार रखेंगे। संध्या के आस पास थोड़ा बहुत धन मिलने से संतोष होगा लेकिन परिजन आपसे असंतुष्ट ही रहेंगे। सेहत आज लगभग ठीक ही रहेगी।
मीन (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन से आप कुछ अधिक आशा लगाए रहेंगे दिन के मध्यान तक दिनचार्य सुव्यवस्थित रहेगी लेकिन मध्यान बाद से स्वभाव में लापरवाही आने के कारण अव्यवस्था बढ़ेगी। धन लाभ आज किसी ना किसी रूप में अवश्य होगा परन्तु आशानुकूल ना होने पर मन उदास भी रहेगा। आपका मनमौजी व्यवहार स्नेहीजन से संबंध में कड़वाहट लायेगा। किसी से किया वादा अंत समय मे तोड़ने पर कलह की स्थिति बनेगी। धर्म कर्म में आस्था तो रहेगी लेकिन पूजा पाठ केवल औपचारिकता पूर्ति के लिये ही करेंगे। कार्य व्यवसाय की गति सामान्य रहेगी परन्तु मन की चंचलता उचित लाभ से दूर रखेगी। स्वास्थ्य में सुधार आएगा मौज शौक पर बिना विचारे खर्च करेंगे।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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Sthree (Savithri) : Aadhe Adhure, Mohan Rakesh || स्त्री (सावित्री) : आध...
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RPF Recruitment 2024, Posts: 4660 रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स में कांस्टेबल और सब इंस्पेक्टर के 4660 पदों पर निकली बम्पर भर्ती
RPF Recruitment 202 Golden Opportunity for Aspiring Constables and Inspectors
Introduction of RPF Recruitment
रेलवे RPF Recruitment 2024 ने रेलवे सुरक्षा बल में कांस्टेबल और सब-इंस्पेक्टर के 4660 पदों पर भर्ती की घोषणा की है। आरपीएफ भर्ती 2024 के लिए आधिकारिक अधिसूचना अब उपलब्ध है। रेलवे सुरक्षा बल का यह भर्ती अभियान कांस्टेबलों और उप-निरीक्षकों के लिए रिक्तियों की पेशकश करता है। आरपीएफ भर्ती 2024 के लिए इच्छुक और योग्य उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आरपीएफ भर्ती 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया और सीधा लिंक नीचे दिया गया है। आरपीएफ भर्ती 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन 15 अप्रैल से 14 मई 2024 तक जमा किया जा सकता है। आरपीएफ भर्ती 2024 के लिए पात्रता मानदंड, आयु सीमा, आवेदन शुल्क और सभी आवश्यक जानकारी के बारे में विवरण नीचे दिया गया है। आवेदकों को सलाह दी जाती है कि आवेदन करने से पहले आधिकारिक अधिसूचना की समीक्षा कर लें।
RPF Recruitment 2024 Official Notification
रेलवे सुरक्षा बलों में भर्ती के लिए 2024 का आधिकारिक नोटिफिकेशन 4660 पदों पर जारी किया गया है। RPF भर्ती 2024 में सब इंस्पेक्टर और कांस्टेबल पदों पर होगी। RPF भर्ती 2024 के लिए 15 अप्रैल 2024 से ऑनलाइन आवेदन करना शुरू होगा। 2024 आरपीएफ भर्ती के लिए उम्मीदवारों को 14 मई 2024 तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा। रेलवे सुरक्षा बलों की भर्ती 2024 के बारे में आधिकारिक नोटिफिकेशन देखें।
Overview of RPF Recruitment 2024
ecruitment Organization
Railway Protection Force (RPF)
Post Name
Constable/ Sub-Inspector (SI)
Advt No.
CEN No. RPF 01/2024 and CEN No. RPF 02/2024
Vacancies
4660
Salary/ Pay Scale
Varies Post Wise
Job Location
All India
Category
RPF Recruitment 2024
Mode of Apply
Online
Last Date Form
14 May 2024
Official Website
rpf.indianrailways.gov.in
Details of Vacancies in RPF Recruitment 2024
RPF भर्ती 2024 के लिए आधिकारिक नोटिफिकेशन 4660 पदों पर जारी हुआ है। रेलवे सुरक्षा बल की भर्ती 2024 में 4208 कांस्टेबल और 452 सब इंस्पेक्टर पद रखे गए हैं। RPPF भर्ती 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 14 मई 2024 है।
Important Dates of RPF Recruitment 2024
Event
Date
RPF Recruitment 2024 Start Form Date
15 April 2024
RPF Recruitment 2024 Last Date
14 May 2024
RPF Recruitment 2024 Exam date
Updated Soon
RPF Recruitment 2024 Application Fee
RPF भर्ती 2024 में सामान्य, ओबीसी श्रेणी के लिए आवेदन शुल्क 500 रुपये है। जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, माइनॉरिटी, एक्स सर्विसमैन के लिए आवेदन शुल्क 250 रुपए है। आवेदक शुल्क का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से कर सकते हैं।
Category
Fees
Gen/ OBC
Rs. 500/-
SC/ ST/ ESM/ Female/ Minorities/ EWS
Rs. 250/-
Mode of Payment
ऑनलाइन
RPF Recruitment 2024 Age Limit
आरपीएफ में कांस्टेबल पदों के लिए आयु सीमा 18 से 28 वर्ष है। जबकि सब इंस्पेक्टर पद पर 20 से 28 वर्ष की आयु सीमा है। 1 जुलाई 2024 को आधार मानकर इस भर्ती में आयु की गणना की जाएगी। इसके अलावा, सरकारी नियमों के अनुसार, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, एससी, एसटी और आरक्षित वर्गों को अधिकतम आयु सीमा से छूट मिली है।
Post Name
Age Limit (as on 1 July 2024)
Constable
18 to 28 Years
Sub-Inspector
20 to 28 Years
RPF Recruitment 2024 for Educational Qualification
2024 आरपीएफ भर्ती मे, कांस्टेबल पद के लिए उम्मीदवारों को 10वीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए। इस बीच, सब इंस्पेक्टर पद के लिए पात्रता के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक होना आवश्यक है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आरपीएफ भर्ती 2024 के लिए आधिकारिक अधिसूचना अभी तक जारी नहीं हुई है, जो 2 मार्च, 2024 के लिए निर्धारित है। इस अधिसूचना में शैक्षणिक योग्यता और अन्य पात्रता मानदंडों के बारे में अतिरिक्त विवरण शामिल हो सकते हैं। आधिकारिक सूचना पर अपडेट रहने के लिए, आप आरपीएफ की आधिकारिक वेबसाइट: https://rpf. Indianrailways.gov.in/ पर जा सकते हैं।
RPF Recruitment 2024 Selection Process: Enhancing Clarity and Quality
आरपीएफ भर्ती 2024 में अभ्यर्थियों का चयन ऑनलाइन कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट, फिजिकल टेस्ट, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और मेडिकल के आधार पर किया जाएगा। 2024 के लिए रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) भर्ती प्रक्रिया मानक प्रारूप का पालन करने की उम्मीद है, जिसमें आम तौर पर ये चरण शामिल होते हैं:
चरण 1: कंप्यूटर आधारित परीक्षण (सीबीटी): Computer-Based Test (CBT):
यह ऑनलाइन परीक्षा विभिन्न विषयों में उम्मीदवारों के ज्ञान का आकलन करती है, जिनमें आम तौर पर शामिल हैं:
सामान्य जागरूकता: वर्तमान घटनाएं, भारतीय राजनीति, भूगोल, इतिहास, आदि।
अंकगणित: बुनियादी गणितीय संचालन, प्रतिशत के साथ गणना, आदि।
सामान्य बुद्धिमत्ता और तर्क: विश्लेषणात्मक तर्क, समस्या-समाधान, निर्णय लेना, आदि।
आधिकारिक अधिसूचना जारी होने पर प्रश्नों की संख्या, समय सीमा और अंकन योजना की पुष्टि की जा सकती है।
चरण 2: शारीरिक दक्षता परीक्षण (पीईटी) और शारीरिक माप परीक्षण (पीएमटी):
इन शारीरिक परीक्षणों के लिए केवल एक विशिष्ट संख्या में उम्मीदवारों को उनके सीबीटी स्कोर और उपलब्ध रिक्तियों के आधार पर बुलाया जाएगा।
पीईटी: यह परीक्षण दौड़ने, कूदने और लंबी कूद जैसे कार्यों के माध्यम से शारीरिक ��िटनेस का मूल्यांकन करता है।
पीएमटी: यह परीक्षण सत्यापित करता है कि उम्मीदवार निर्धारित न्यूनतम शारीरिक आवश्यकताओं जैसे ऊंचाई, वजन, छाती की माप आदि को पूरा करते हैं।
चरण 3: दस्तावेज़ सत्यापन (Document verification)
सीबीटी और शारीरिक परीक्षण दोनों में अर्हता प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को सत्यापन के लिए मूल दस्तावेज जमा करने होंगे। इन दस्तावेज़ों में आम तौर पर शामिल हैं:
शैक्षणिक प्रमाण पत्र
आयु प्रमाण
जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
चरित्र प्रमाण पत्र
अधिसूचना में निर्दिष्ट अन्य दस्तावेज
चरण 4: चिकित्सा परीक्षण (Medical Examination)
दस्तावेज़ सत्यापन में सफल होने वाले उम्मीदवारों को यह सुनिश्चित करने के लिए एक चिकित्सा परीक्षा से गुजरना होगा कि वे नौकरी के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से फिट हैं।
महत्वपूर्ण लेख: विशिष्ट तिथियों, पात्रता मानदंड और दस्तावेज़ आवश्यकताओं सहित चयन प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ आरपीएफ भर्ती 2024 के लिए आधिकारिक अधिसूचना 2 मार्च, 2024 को जारी होने की उम्मीद है। नवीनतम और सबसे सटीक जानकारी के लिए आधिकारिक आरपीएफ वेबसाइट (https://rpf. Indianrailways.gov.in/) पर भरोसा करने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।
RPF Constable Recruitment 2024 Exam Pattern
- पिछले वर्षों और उपलब्ध जानकारी के आधार पर आरपीएफ कांस्टेबल भर्ती 2024 के लिए अपेक्षित परीक्षा पैटर्न यहां दिया गया है:
Section
Marks
Questions
Exam Duration
General Awareness
50
50
90 Minutes
Arithmetic
35
35
General Intelligence & Reasoning
35
35
- परीक्षा मोड: कंप्यूटर आधारित टेस्ट (सीबीटी)
- प्रश्नों की संख्या: 120
- कुल अंक: 120
-
General Awareness (50 marks): This section covers topics like:
Current affairs (national and international)
Indian polity and governance
Indian economy and science
History and geography of India
General knowledge
Arithmetic (35 marks): This section tests basic mathematical operations like:
Addition, subtraction, multiplication, and division
Fractions and decimals
Percentages
Ratio and proportion
Simple interest
General Intelligence and Reasoning (35 marks): This section assesses your ability in:
Analytical reasoning
Problem-solving
Decision-making
Verbal reasoning
Non-verbal reasoning
Marking Scheme:
प्रत्येक सही उत्तर पर एक अंक है। गलत उत्तरों के लिए नकारात्मक अंकन है, आमतौर पर प्रत्येक गलत उत्तर के लिए एक तिहाई अंक काटा जाता है। समय अवधि: 90 मिनट
प्रत्येक सही उत्तर पर एक अंक है।
गलत उत्तरों के लिए नकारात्मक अंकन है, आमतौर पर प्रत्येक गलत उत्तर के लिए एक तिहाई अंक काटा जाता है।
भाषा: परीक्षा पिछले भर्ती चक्रों के अनुसार अंग्रेजी, हिंदी और कई क्षेत्रीय भाषाओं में पेश की जाएगी। हालाँकि, पुष्टि आधिकारिक अधिसूचना में उपलब्ध होगी।
कृपया ध्यान दें:
यह जानकारी पिछले भर्ती चक्रों और उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। 2 मार्च, 2024 को निर्धारित आधिकारिक अधिसूचना सबसे सटीक और अद्यतन विवरण प्रदान करेगी।
नवीनतम और सबसे सटीक जानकारी के लिए आधिकारिक आरपीएफ वेबसाइट (https://rpf. Indianrailways.gov.in/) पर भरोसा करने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।
RPF Recruitment 2024 Pay Scale
आरपीएफ भर्ती 2024 में कांस्टेबल पद हेतु पे मैट्रिक्स लेवल 3 के तहत वेतनमान 21700 रुपए और सब इंस्पेक्टर पद हेतु पे मैट्रिक्स लेवल 7 के तहत वेतनमान 35400 रुपए रखा गया है। इसके अतिरिक्त अन्य भत्ते नियमानुसार दिए जाएंगे।
RPF Recruitment 2024 Required Documents
RPF Recruitment 2024 के लिए अभ्यर्थी के पास निम्नलिखित आवश्यक दस्तावेज होने चाहिए।
- 10वीं कक्षा की मार्कशीट
- 12वीं कक्षा की मार्कशीट
- ग्रेजुएशन की मार्कशीट
- अभ्यर्थी का फोटो एवं सिग्नेचर
- जाति प्रमाण पत्र
- अभ्यर्थी का मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी
- आधार कार्ड
- अन्य कोई दस्तावेज, जिसका अभ्यर्थी लाभ चाहता है।
How to Apply RPF Recruitment 2024
रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स भर्ती 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें। RPF Recruitment 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया नीचे दी गई है। अभ्यर्थी नीचे दी गई स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस को फॉलो करते हुए RPF Recruitment 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकता है।
- सबसे पहले ऑफिशियल वेबसाइट को ओपन करना है।
- इसके बाद आपको होम पेज पर Recruitment सेक्शन पर क्लिक करना है।
- फिर आपको RPF Recruitment 2024 पर क्लिक करना है।
- इसके बाद RPF Constable Recruitment 2024/ RPF Sub-Inspector Recruitment 2024 के ऑफिशल नोटिफिकेशन को ध्यान पूर्वक पूरा पढ़ लेना है।
- फिर अभ्यर्थी को अप्लाई ऑनलाइन पर क्लिक करना है।
- इसके बाद अभ्यर्थी को आवेदन फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी ध्यान पूर्वक सही-सही भरनी है।
- फिर अपने आवश्यक डाक्यूमेंट्स, फोटो एवं सिग्नेचर अपलोड करने हैं।
- इसके बाद अभ्यर्थी को अपनी कैटेगरी के अनुसार आवेदन शुल्क का भुगतान करना है।
- आवेदन फॉर्म पूरा भरने के बाद इसे फाइनल सबमिट कर देना है।
- अंत में आपको आवेदन फॉर्म का एक प्रिंट आउट निकाल कर सुरक्षित रख लेना है।
RPF Recruitment 2024 Important Links
Start RPF Recruitment 2024
15 April 2024
Last Date Online Application form
14 May 2024
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RPF Recruitment 2024 Short Notice
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RPF Recruitment 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि क्या है?
रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स भर्ती 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन 15 अप्रैल से 14 मई 2024 तक कर सकते हैं।
RPF Recruitment 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?
रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स भर्ती 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया और डायरेक्ट लिंक ऊपर दिया गया है।
RPF Recruitment 2024 कितने पदों पर आयोजित होगी?
आरपीएफ भर्ती 2024 में कांस्टेबल के 4208 पद और सब इंस्पेक्टर के 452 पद रखे गए हैं.
Conclusion
The RPF Recruitment 2024 is not just a job opportunity; it is a gateway to a secure and enriching career in one of India's most critical service sectors. Potential candidates are encouraged to approach this with a mindset of rigorous preparation, discipline, and an eager anticipation to secure a future brimming with potential. With the right mindset and adherence to the outlined procedures, you stand a chance to become a part of India's esteemed Railway Protection Force, protecting the nation's lifeline and serving the community with honor. The recruitment is a beacon for those seeking to make a difference through their career path, and it beckons with the promise of a bright and fulfilling future. Stay focused, prepared, and committed; your RPF story awaits!
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नयी दिल्ली: भारत और श्रीलंका के बीच पुणे में खेले गए दूसरे टी20 मैच में संकट से घिरी टीम इंडिया के लिए अक्षर पटेल ने ऐसी तूफानी पारी खेली कि क्रिकेट के गलियारे तालियों से गूंज उठे. अक्षर पटेल ने एक के बाद एक चौके छक्के लगाकर करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का मन मोह लिया. उन्होंने वानिन्दु हसरंगा के ओवर की पहली तीन गेंदों में तीन छक्के लगाकर सनसनी मचा दी थी. चिट्ठियों की आंधी में रंग ऐसे उड़े कि मैच का…
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ऐसे ही जो सतपुरूष लौ लावै। कुल परिवार सब बिसरावै।।1
नारि सुत का मोह न आने। जगत रू जीवन स्वपन कर जानै।।2
जग में जीवन थोड़ा भाई। अंत समय कोई नहीं सहाई।।
बहुत प्यारी नारि जग मांही। मात-पिता जा के सम नाहीं।।
तेही कारण नर शीश जो देही। अंत समय सो नहीं संग देही।।
एक-आध जलै पति के संगा। फिर दोनों बनैं कीट पतंगा।।
फिर कोई पशु कोई पक्षी जन्म पावै। बिन सतगुरू दुःख कौन मिटावै।।
ऐसी नारि बहुतेरी भाई। पति मरै तब रूधन मचाई।।
काम पूर्ति की हानि विचारै। दिन तेरह ऐसे पुकारै।।
निज स्वार्थ को रोदन करही। तुरंत ही खसम दूसरो करही।।
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मेष (चु, चे, चो, ला, लि, लु, ले, लो, अ):-व्यापारी वर्ग के लिए आज का दिन उन्नतिदायक साबित होगा। आपकी इनकम स्थिर रहेगी लेकिन खर्चों में बढ़ोतरी होने से कुछ चिंता की लकीरें आपके माथे पर आ सकती हैं। घर के वरिष्ठ सदस्य की सेहत को लेकर चिंतित रहेंगे। ज्यादा सोच विचार आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता हैं। किसी से वायदा करने से पहले अच्छे बुरे पहलू पर विचार करें। सुसराल पक्ष की तरफ से रिश्ते मजबूत होंगे।
वृषभ (इ, उ, ए, ओ, वा, वि, वु, वे, वो):-आज आपके कामों में कुछ लोग विघ्न डालने प्रयास कर सकते हैं। अपने और परायों में पहचान कराने वाला दिन साबित हो सकता है। किसी के साथ भी अनावश्यक वार्तालाप से बचें। आपकी किसी खास व्यक्ति से मुलाकात हो सकती है। आप किसी पारिवारिक विषय पर अपने घर के बड़ों से बात कर सकते हैं। अधिकारी वर्ग आपसे प्रसन्न होंगे। जीवनसाथी की कोई इच्छा पूरी करेंगे , आपका जीवनसाथी आपसे प्रसन्न रहेगा।
मिथुन (का, कि, कु, घ, ङ, छ, के, को, हा):-आपको बहुत से नए अवसर मिल रहे हैं, जिनसे आपके जीवन में उन्नति होगी और अध्यात्मिक रूप से आपकी वृद्धि होगी। किसी किसी खास व्यक्ति से आप लंबे समय से नाराज़ हैं तो उस व्यक्ति को माफ़ करने का प्रयास करें। किसी भी कार्य या रिश्ते में अत्यधिक प्रयास करने की बजाय उसे समय के साथ संभालने का मौका दें। वरिष्ठ अधिकारियों तथा समाज के गणमान्य लोगों का साथ मधुर संबंध बनेंगे। बच्चों को उनके कैरियर संबंधी कोई कार्य फलीभूत ना होने से तनाव रहेगा। इस समय बच्चों का मनोबल बना कर रखना अति आवश्यक है।
कर्क (हि, हु, हे, हो, डा, डि, डु, डे, डो) :-आज का दिन आपके लिए सामान्य रहेगा। किसी चिंता को खुद पर हावी ना होने दें। काम के सिलसिले में दिनमान अच्छा है लेकिन मेहनत करने से ना घबराएं। नये सम्पर्क विकसित हो सकते हैं। नए विचारों के साथ आज आप अपने कार्य को गति देंगे। सेहत में सुधार होगा। विरोधी आपकी गतिविधियों पर नजर रखेंगे। आपकी गुप्त योजनाएं आपके काम में फायदा देंगी। इस समय कहीं से अचानक लाभ मिलने की भी उम्मीद है।
सिंह (मा, मि, मु, मे, मो, टा, टि, टु, टे) :-रिश्तों में बदलाव और परिवर्तन के कारण आप चिंतित रह सकते हैं। संवेदनशीलता और असुरक्षा के भाव मन में आने से आपका आज कामकाज में मन नहीं लगेगा। व्यर्थ की बातों को इग्नोर करने का प्रयास करें। किसी प्रेरक व्यक्ति की सलाह से अपने अंदर कुछ चेंज महसूस करेंगे। अपनी योजनाओं को किसी के सामने ज्यादा जाहिर न करें। नौकरीपेशा लोग अधिकारियों से विवाद में न उलझें। समय पर काम पूरे करते रहें।
कन्या (टो, पा, पि, पु, ष, ण, ठ, पे, पो):-खुद को आज के दिन आप नए विचारों से अपडेट करेंगे। किसी विशेष कार्यक्रम में आपके ना पहुंच पाने के कारण आप आज परेशानी महसूस कर सकते हैं। किसी की कही हुई बात आपके मन को ठेस पहुंचा सकती है। धन के लेनदेन में सावधानी का प्रयोग करें। व्यर्थ की यात्राओं को टालने की कोशिश करें। आप भावनाओं में बहकर किसी के सामने अपने ही राज उजागर कर सकते हैं। आज के दिन अधूरे कामों को पूरा करने का प्रयास करें। परिवार जनों के बीच आपसी सामंजस्य मधुर बना रहेगा। प्रेम संबंधों में चल रही नाराजगी दूर होगी, और संबंधों में पुनः मधुरता आएगी।
तुला (रा, रि, रु, रे, रो, ता, ति, तु, ते) :-आपको कार्य में सफलता मिलेगी। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और आप जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। घर-परिवार तथा सहकर्मियों का अच्छा साथ मिलेगा। आपकी वाणी में मिठास रहेगी। आज आप आलस्य से दूर रहें। कार्यक्षेत्र में लोगों का सहयोग मिलेगा। यात्रा का प्रोग्राम बन सकता हैं। ज्यादा तनाव और अत्यधिक कार्यभार की वजह से आपका स्वास्थ्य प्रभावित होगा। कुछ समय अपने आराम के लिए भी अवश्य निकालें।
वृश्चिक (तो, ना, नि, नु, ने, नो, या, यि, यु) :-दूसरों के व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप करने की बजाय अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित रखें। प्रिय व्यक्ति से मुलाकात होने पर मन में हर्ष रहेगा और सुकून भी मिलेगा। रुका हुआ कार्य पूरा होने से आनंद की भी अनुभूति होगी। मित्रों के साथ और सहयोग से आप प्रसन्न रहेंगे और आपके काम भी आसानी से बनते रहेंगे। बुद्धि-विवेक से सफलता आज आपके कदम चूमेगी। मनोरंजन कार्य में समय अधिक व्यतीत होगा। हाथ में पर्याप्त धन आ जाने का सुख मिलेगा। घर की साज-सज्जा में परिवर्तन करेंगे।
धनु (ये, यो, भा, भि, भु, धा, फा, ढा, भे):-आज खर्च की अधिकता रहेगी, किसी न किसी कारण से अनावश्यक खर्च होता रहेगा। व्यर्थ की यात्रा भी हो सकती है। सोच-समझकर ही कार्य-व्यवहार करें। कोई चिंता देने वाली सूचना आ सकती हैं। यात्रा से कष्ट एवं मानसिक तनाव रह सकता हैं। बिना सोच-विचार किए कोई कार्य न करें। अपने लिए भी कुछ समय जरूर निकालें, इससे सुकून भी मिलेगा। आध्यात्मिक तथा धार्मिक गतिविधियों में समय व्यतीत करने से आप अपने अंदर अद्भुत शांति महसूस करेंगे।
मकर(भो,जा,जि,जु,जे,जो,ख,खि,खु,खे,खो,गा,गि):-आज परिवार वालों के साथ धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करवा सकते है। आपके मित्रों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। आज का दिन आप दूसरों की सेवा में व्यतीत करेंगे। वाणी पर संयम रखें अन्यथा किसी को इससे ठेस पहुँच सकती है। व्यापारियों को लाभ प्राप्त होगा। जो लोग लंबे समय से किसी छोटी-मोटी बीमारियों से जूझ रहे हैं, उन्हें राहत मिलेगी।
कुम्भ (गु, गे, गो, सा, सि, सु, से, सो, दा):-आज का दिन आपके लिए अच्छा रहने वाला है। आपमें आत्मविश्वास की कमी नहीं रहेगी और दोपहर के समय आपके पास धन का आगमन होगा, जिससे आप अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर काफी खुश रहेंगे। काम के सिलसिले में किए गए प्रयास सफल होंगे और आपकी मेहनत रंग लाएगी। अपने लक्ष्यों पर से ध्यान नहीं हटाएं और कड़ी मेहनत करना जारी रखें। आज आपके पराक्रम और तेज में वृद्धि होगी।
मीन (दि, दु, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, चि):-सकारात्मक दृष्टि और ऊर्जा के साथ विभिन्न् स्थितियों में अच्छा बदलाव लाएंगे। किसी काम के पूरा होने से मनोबल बढ़ेगा। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि का योग हैं। आज की शुभता और ऊर्जा का फायदा अपने रुके पड़े कामों को पूर करने में इस्तेमाल करें। मेहमान व्यस्तता बढ़ाएंगे। आज के दिन यात्रा करते हैं तो वाहन चलाने में विशेष रूप से सावधानी का प्रयोग करें। हाथ में पर्याप्त धन आ जाने का सुख मिलेगा। घर की साज-सज्जा में परिवर्तन करेंगे।
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सभी शास्त्रों का एक ही सार (निचोड़) है कि
पूर्ण मुक्ति के लिए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के
प्रतिनिधि संत (जिनको उनके गुरु द्वारा नाम देने
की आज्ञा भी हो) से नाम उपदेश ले कर आत्म
कल्याण करवाना चाहिए।
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Today's Horoscope-
मेष (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन से आप कुछ अधिक आशा लगाए रहेंगे दिन के मध्यान तक दिनचार्य सुव्यवस्थित रहेगी लेकिन मध्यान बाद से स्वभाव में लापरवाही आने के कारण अव्यवस्था बढ़ेगी। धन लाभ आज किसी ना किसी रूप में अवश्य होगा परन्तु आशानुकूल ना होने पर मन उदास भी रहेगा। आपका मनमौजी व्यवहार स्नेहीजन से संबंध में कड़वाहट लायेगा। किसी से किया वादा अंत समय मे तोड़ने पर कलह की स्थिति बनेगी। धर्म कर्म में आस्था तो रहेगी लेकिन पूजा पाठ केवल औपचारिकता पूर्ति के लिये ही करेंगे। कार्य व्यवसाय की गति सामान्य रहेगी परन्तु मन की चंचलता उचित लाभ से दूर रखेगी। स्वास्थ्य में सुधार आएगा मौज शौक पर बिना विचारे खर्च करेंगे।
वृष (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन कोई भी निर्णय जल्दबाजी में ना ले वरना बाद में पछताना पड़ेगा परिस्थितियां आज हानिकारक बनी हुई है सही दिशा में जा रहा काम भी किसी की गलती से बिगड़ने की संभावना है। कार्य व्यवसाय में आज किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती नुकसान कराएगी। धन को लेकर दो पक्षो में खींचतान की स्थिति बनेंगी धैर्य से काम लें अन्यथा मामला गंभीर हो सकता है। कार्य स्थल पर सहकर्मियों का असहयोगी व्यवहार अखरेगा। काम के समय आज सभी पीठ दिखाएंगे केवल घर के सदस्य ही कठिन परिस्थिति में साथ देंगे। पारिवारिक वातावरण भी किसी ना किसी कारण उखड़ा सा रहेगा। आरोग्य में कमी रहेगी।
मिथुन (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन राज-समाज मे आपकी प्रतिष्ठा बढ़ाएगा। आज कुछ ना करने पर भी आपका व्यक्तित्त्व बढ़ा हुआ रहेगा। लेकिन थोड़ी सी प्रशंसा पाकर अहम की भावना भी आएगी अपने से छोटो को अहमियत नही देंगे जहां से स्वार्थ सिद्धि की संभावना रहेगी वहां चापलूसी करने से भी नही चूकेंगे परन्तु जहां कोई लाभ नजर नही आएगा वहां देखेंगे तक नही। कार्य व्यवसाय में बुद्धि चातुर्य से लाभ कमाएंगे लेकिन किसी ना किसी कारण कुछ समय के लिये अशांति बनेगी। नौकरो अथवा सहकर्मियों पर ज्यादा दबाव डालने पर अकेले काम करने की नौबत आ सकती है। गृहस्थ जीवन मे आप हास्य के पात्र बनेंगे लेकिन शन्ति रहेगी। सेहत आज कुछ बेहतर बनेगी।
कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन कार्यो में सफलता दिलाने वाला रहेगा परन्तु सफलता को धन के साथ ना जोड़े अन्यथा दुखी होना पड़ेगा। आर्थिके दृष्टिकोण से दिन पहले की तुलना में बेहतर रहेगा परन्तु इसके लिये सहयोग की आवश्यकता भी पड़ेगी। वैसे तो आज आप व्यवहारिक ही रहेंगे लेकिन उच्चवर्गीय लोगो के साथ संपर्क में में अभिमान जगायेगा जो आगे के लिये स्नेह संबंधों में खटास ला सकता है। कार्य क्षेत्र पर सरकारी सहयोग पाने के लिये दिन उत्तम है प्रयास में कमी ना रखें। नौकरी वालो पर अधिकारी कृपा दृष्टि रखेंगे लेकिन ज्यादा उत्सुक ना हो इसके पीछे बड़ा स्वार्थ हो सकता है। परिवार का वातावरण आपकी अनदेखी के कारण अशान्त होगा स्वतः ही सामान्य भी हो जाएगा। सेहत में कुछ समय के लिये नरमी रहेगी।
सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से लाभदायक रहेगा। धर्म कर्म के प्रति आज निष्ठा रहेगी दान पुण्य करने के अवसर सुलभ होंगे इनक��� लाभ निकट भविष्य में किसी भी रूप में अवश्य मिलेगा। कार्य-व्यवसाय की स्थिति मध्यान तक दयनीय रहेगी इसके बाद एक आध सौदे मिलने से खर्च निकालने लायक आय हो जाएगी ज्यादा धन कमाने की कामना से आज डोर रहना ही बेहतर रहेगा सहज रूप से जितना मिले उसमे संतोष करें अन्यथा कोई नई मुसीबत आ सकती है। संध्या का समय व्यवसायी वर्ग के लिये सुखद रहेगा भविष्य से संबंधित शुभ समाचार मिलेंगे। घर की सुख शांति वाणी पर नियंत्रण पर निर्भर रहेगी। पेट संबंधित विकार होगा।
कन्या (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन प्रतिकूल फलदायी रहेगा। दिन का पहला भाग नासमझी के कारण व्यर्थ खराब होगा। परिजनो से बिना कारण के ही फटकार सुननी पड़ेगी स्वभाव में उद्दंडता तो रहेगी परन्तु स्थिति को भांप विरोध नही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी आज मानसिक दबाव में कार्य करना पड़ेगा जो निर्णय सही लग रहे होंगे वह अंत समय मे गलत सिद्ध होंगे धन संबंधित व्यवहार आज देख भाल कर ही करें विवाद होने की आशंका है। कार्य क्षेत्र पर भी गरमा गरमी का माहौल बनेगा जिसका सीधा असर काम पर पड़ेगा धन लाभ में कमी आने से भी परेशान रहेंगे। संध्या का समय घर मे मौन रहकर बिताये धर्य खोने पर विवाद बढ़ सकता है।
तुला (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आपको लाभ की सम्भावना दिन के आरंभ से ही रहेगी कुछ शुभ प्रसंग घटने पर मानसिक रूप से निश्चिन्त रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज अन्य दिनों की तुलना में कम मेहनत से अधिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे। नौकरी वाले लोग अतिरिक्त आय बनाने के लिये जोड़ तोड़ करेंगे इसमें सफलता मिलेगी लेकिन विलंब से। आर्थिक रूप से दिन मध्यान तक उदासीन रहने के कारण अधीरता आएगी जल्दबाजी से बचें धन लाभ विलंब से सही लेकिन होगा जरूर। व्यापार में विस्तार कर सकते है लेकिन नया व्यवसाय आरम्भ करने के लिये एक दिन और प्रतीक्षा करें। पारिवारिक सदस्य आपके निर्णय की प्रतीक्षा में रहेंगे किसी को निराश नही करेंगे। धर्म कर्म में आस्था बढ़ेगी। सेहत में आपकी गलती से शिथिलता आएगी।
वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन सम्पन्नता कारक रहेगा दिन के आरंभिक भाग में किसी महत्त्वपूर्ण कार्य का निर्णय लेने में दुविधा होगी लेकिन परिजन अथवा अन्य किसी वरिष्ठ व्यक्ति का मार्गदर्शन इससे बाहर निकलेगा। कार्य-व्यवसाय में भाग्य का साथ मिलने पर प्रतिस्पर्धा के बाद भी संतोषजनक लाभ पा लेंगे धन के साथ ही अन्य सुख के साधनों में भी वृद्धि होगी। लेकिन ध्यान रहे आज छोटी मोटी बातो पर बहस करने से बचें अन्यथा भविष्य के लाभदायक संबंध खराब हो सकते है। नौकरी पेशा लोग अन्य लोगो से बेहतर कार्य करने पर सम्मानित होंगे। परिजनों अथवा किसी नजदीकी से उपहार लाभ मिलेगा पर इसके बीचे कुछ निजी स्वार्थ भी रहेगा। आरोग्य के ऊपर खर्च होगा।
धनु (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आपके व्यक्तित्त्व में विकास होगा अधिकांश कार्यो को देखभाल कर ही करेंगे वाणी में मिठास रहेगी लेकिन मन मे कड़वाहट परिजनो से नही छुपा सकेंगे। कार्य क्षेत्र पर किस पुरानी बात को लेकर वैर भाव बढेगा लेकिन विवेक जाग्रत रहने के कारण स्थिति गंभीर नही हो सकेगी। काम-धंधे से आज चालाकी से ही लाभ कमाया जा सकता है परंतु प्रलोभन से बचे अन्यथा पुराने व्यवसायिक संबंध खराब हो सकते हैं। धन लाभ समय रहेगा। नौकरी करने वाले अपनी विद्या बुद्धि के बल से उन्नति पाएंगे सामाजिक क्षेत्र पर आप अत्यंत बुद्धिमान समझे जाएंगे परन्तु घर मे आपकी छवि कुटिल जैसी रहेगी। घरेलू कामो की अनदेखी अशान्ति फैला सकती है। सेहत मानसिक परिश्रम अधिक रहने के कारण विपरीत रहेगी।
मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन मिला-जुला फल देगा। आज आप जिस कार्य को करने का मन बनाएंगे उसके आरम्भ में पहले खराब सेहत बाधा डालेगी आरम्भ होने के बाद भी सरकारी अथवा अन्य आर्थिक कारणों से बीच मे छोड़ना पड़ा सकता है। कार्य क्षेत्र की गतिविधियां आपकी सोच के विपरीत रहेंगी सहकर्मी अथवा कर्मचारी आपकी अनदेखी का फायदा उठाने से चूकेंगे नही लोग अपना हित साधने के लिये आपके नुकसान की परवाह नही करेंगे। धन को लेकर आज कुछ ना कुछ समस्या लगी रहेगी। सही समय पर कार्य पूर्ण ना होने पर आगे के व्यावसायिक व्यवहार प्रभावित होंगे। परिजन अथवा अन्य बाहरी व्यक्ति किसी बात का बदला ले सकता है।
कुंभ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज दिन के आरंभ से ही मानसिक रूप से स्फूर्ति रहेगी सेहत उत्तम रहने पर भी आलस्य नही जाएगा। लेकिन दिनचार्य गई गति धीमी होने पर भी मध्यान बाद गंभीरता से कार्य कर कमियों की भरपाई कर लेंगे। आज आप जिस भी कार्य को करेंगे उसमे सफलता निश्चित रहेगी लेकिन कार्य आरंभ से पहले भ्रमित होने से बचें अन्य किसी से मार्गदर्शन की अपेक्षा ना रखें वरना कुछ उल्टा ही होगा। धन की आमद में पिछले दिनों से सुधार होगा दैनिक खर्च आसानी से निकल जायेंगे भविष्य के लिये संचय भी कर सकेंगे। नए व्यवसाय अथवा व्यवसाय विस्तार के लिये निवेश अत्यंत शुभ रहेगा। घर के सदस्य कामना पूर्ति में विलंब होने पर गुस्सा करेंगे पूर्ति होने के बाद उत्साहित रहेंगे। असन्तुलित खान-पान अथवा दिनचार्य नए रोग को जन्म देगी।
मीन (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आप कुछ अभाव का अनुभव करेंगे फिर भी परिस्थिति के अनुसार स्वयं को ढाल लेना ही बेहतर समझेंगे। आज आप अपने स्वभाव में परिवर्तन लाने का प्रयास करेंगे इसमें काफी हद तक सफल भी रहेंगे लेकिन मन की इच्छाओं को मारना आंतरिक दुख का कारण बनेगा। आज परोपकार और आध्यात्म की भावना रहने से अपने कार्य छोड़ औरो की सहायता को तत्पर रहेंगे इसके पीछे कुछ स्वार्थ भी अवश्य रहेगा। कार्य क्षेत्र से लाभ की आशा अन्य दिनों की तुलना में कम रहेगी दिनचार्य को भी उसी अनुसार रखेंगे। संध्या के आस पास थोड़ा बहुत धन मिलने से संतोष होगा लेकिन परिजन आपसे असंतुष्ट ही रहेंगे। सेहत आज लगभग ठीक ही रहेगी।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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