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#आपके घर की उत्तर दिशा
kathahindi · 4 days
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आइये सीखें कर्मकांड पूजा विधि Karmakand Sikhe
 आइये सीखें कर्मकांड पूजा विधि Karmakand Sikhe
कर्मकांड पूजा विधि: एक आध्यात्मिक यात्रा
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र में आपका स्वागत है, जहाँ आप कर्मकांड पूजा विधि सीख सकते हैं। कर्मकांड का अभ्यास भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से आत्मिक शांति और संतोष की प्राप्ति में मदद करता है। यहाँ पर आप केवल 5 महीनों में कर्मकांड पूजा विधि की विधिवत तैयारी कर सकते हैं।
कर्मकांड का महत्व
कर्मकांड, जिसे हिन्दू धर्म में अनुष्ठान और पूजा विधियों का संग्रह माना जाता है, हमारे जीवन में विशेष स्थान रखता है। यह न केवल व्यक्तिगत भक्ति का साधन है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। कर्मकांड का अध्ययन हमें निम्नलिखित बातों का ज्ञान कराता है:
धार्मिक अनुष्ठान: कर्मकांड पूजा विधि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करने में मदद करती है, जो व्यक्ति को ईश्वर के निकट लाने का कार्य करती है।
सामाजिक एकता: सामूहिक पूजा और अनुष्ठान समुदाय को एकजुट करते हैं और आपसी संबंधों को मजबूत बनाते हैं।
आध्यात्मिक विकास: नियमित पूजा से व्यक्ति का मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। यह आत्मा को शुद्ध करने और सकारात्मकता लाने में सहायक है।
संस्कारों का पालन: कर्मकांड हमें संस्कारों और परंपराओं को बनाए रखने में मदद करते हैं, जो पीढ़ियों से आगे बढ़ते हैं।
प्रशिक्षण केंद्र का उद्देश्य
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र का उद्देश्य आपको कर्मकांड पूजा विधि का गहन अध्ययन और अभ्यास कराना है। यहाँ पर आप निम्नलिखित लाभ उठा सकते हैं:
विधिवत अध्ययन: आप कर्मकांड की विधियों को विस्तार से समझ सकते हैं और उन्हें सही तरीके से लागू कर सकते हैं।
ऑनलाइन क्लासेस: यह सुविधा आपको घर बैठे सीखने की अनुमति देती है। आप किसी भी समय और स्थान से कक्षाओं में शामिल हो सकते हैं।
अनुभवी शिक्षक: हमारे प्रशिक्षित शिक्षक आपको पूजा विधियों की विस्तृत जानकारी देंगे, जिससे आप इसे सही तरीके से सीख सकें।
कक्षाओं का विवरण
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र में विभिन्न ऑनलाइन कक्षाएँ निम्नलिखित हैं:
कर्मकांड ऑनलाइन क्लास
समय: 04:00 PM से 05:00 PM
भागवत पुराण मूलपाठ ऑनलाइन क्लास
समय: 06:05 PM से 07:00 PM
भागवत पुराण साप्ताहिक कथा ऑनलाइन क्लास
समय: 07:30 PM से 09:00 PM
राम कथा ऑनलाइन क्लास
समय: 09:05 PM से 10:00 PM
कक्षा में जुड़ने की प्रक्रिया
आप कक्षा में शामिल होने के लिए निम्नलिखित लिंक का उपयोग कर सकते हैं:
Join Zoom Meeting: Join Zoom Meeting
Meeting ID: 419 969 0017
Passcode: Radhe
सभी कक्षाओं में जुड़ने का लिंक वही है, इसलिए बस आपको समय का ध्यान रखना है।
कैसे तैयारी करें
कक्षा में शामिल होने के लिए निम्नलिखित सुझावों का पालन करें:
पंजीकरण: पहले से संपर्क करें और अपनी सीट सुनिश्चित करें।
सामग्री की तैयारी: कक्षा से पहले अध्ययन सामग्री को पढ़ें और किसी भी प्रश्न को नोट करें।
अनुशासन बनाए रखें: कक्षा में भाग लेते समय ध्यान और अनुशासन बनाए रखें ताकि आप बेहतर तरीके से सीख सकें।
कर्मकांड पूजा विधि की मूल बातें
कर्मकांड पूजा विधि में निम्नलिखित महत्वपूर्ण तत्व शामिल होते हैं:
पूजा की तैयारी: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री का संग्रह करना जैसे फूल, दीपक, धूप, और नैवेद्य।
शुद्धता का ध्यान: पूजा के समय शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। इसे मन, वचन, और क्रिया से पालन करना चाहिए।
मंत्रों का उच्चारण: सही मंत्रों का उच्चारण करना आवश्यक है, क्योंकि मंत्रों की शक्ति विशेष होती है। सही उच्चारण से पूजा का प्रभाव बढ़ता है।
नैवेद्य अर्पण: भगवान को भोग अर्पित करना और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करना महत्वपूर्ण है।
आरती और प्रार्थना: पूजा के अंत में आरती करना और प्रार्थना करना, ईश्वर क��� कृपा प्राप्त करने का एक साधन है।
निष्कर्ष
कर्मकांड पूजा विधि केवल धार्मिक कृत्यों का पालन नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है जो हमें सिखाती है कि जीवन को किस प्रकार से सार्थक बनाया जाए। श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से आप इस अद्भुत विधि का अध्ययन कर सकते हैं और अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं।
इस यात्रा में शामिल होकर आप न केवल कर्मकांड की विधियों को जानेंगे, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति का अनुभव भी करेंगे। हम आपके सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए यहाँ हैं। आइए, इस आध्यात्मिक यात्रा में कदम रखें और अपने जीवन को समर्पित करें।
आइये सीखें कर्मकांड पूजा विधि Karmakand Sikhe
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astroclasses · 1 month
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ragbuveer · 4 months
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*🚩🏵️ॐगं गणपतये नमः 🏵️🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (पंचमी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-28-मई-2024
वार :-------मंगलवार
तिथि :----05पचंमी:-15:24
माह:--------ज्येष्ठ
पक्ष:-------कृष्णपक्ष
नक्षत्र:---उत्तराषाढा:-09:33
योग:------ब्रह्म:-26:05
करण:------तैतिल:-15:23
चन्द्रमा:-------मकर
सूर्योदय:-------05:50
सूर्यास्त:-------19:20
दिशा शूल-------उत्तर
निवारण उपाय: ---धनिया का सेवन
ऋतु:-----ग्रीष्म ऋतु
गुंलिक काल:---12:36से 14:17
राहू काल:---15:56से17:37
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगाब्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:---कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
चंचल:-09:16से10:56तक
लाभ:-10:56से12:36तक
अमृत:-12:36से14:16तक
शुभ:-15:56से17:36तक
🌓चोघङिया रात🌗
लाभ:-20:36से21:56तक
शुभ:-23:16से00:36तक
अमृत:-00:36से01:56तक
चंचल:-01:56से03:16तक
🌸आज के विशेष योग🌸
वर्ष का50वाँ दिन, वज्रमुसल- योग सूर्योदय से 09:33, दग्धयोग सूर्योदय से 15:24, कुमारयोग प्रारंभ 09:33, वैधृति महापात 19:51से 25:20, वीर सावरकर जयंती, 🙏🙏 टिप्स 🙏🙏 पूर्व दिशा के घर में सूर्य यंत्र की स्थापना करें।
सुविचार
पहाड़ो पर जाकर तप करना महान बात है लेकिन उससे भी महान बात, परिवार के बीच रहकर संयम बनाये रखने में है 👍 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
मुंह के छाले हो जाने पर त्रिफला चूर्ण को पानी मे मिलाकर कुल्ले करने और मिश्री चबाने से राहत मिलती हैं।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
☀️ मेष राशि :- आज जल्दबाजी में कोई काम न करें। आप विपरीत लिंगी के प्रति आकर्षित हो सकते हैं। व्यापार में लाभकारी परिवर्तन हो सकते हैं, परिवार का ध्यान रखें।
☀️ वृषभ राशि :- आज दिन के समय आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है और कठिन परिश्रम के बाद व्यापार अच्छा चलेगा। जीवन-साथी के व्यवहार में अनुकूलता रहेगी।
☀️ मिथुन राशि :- आज धनार्जन के अवसरों में वृद्धि होगी। साथ ही साथ एक से अधिक प्रेम संबंध स्थापित हो सकते हैं। स्थायी संपत्ति की प्राप्ति के भी योग हैं।
☀️ कर्क राशि :- आज जो लोग विदेशी व्यापार में कार्यरत हैं या विदेशी स्रोतों के द्वारा कार्य कर रहे हैं उनके लिए समय बेहतर है, पूर्ण रूप से यह समय आपके लिए एक भाग्यशाली अवधि है।
☀️ सिंह राशि :- आज का समय आर्थिक रूप से भाग्यशाली रहेगा। आप विभिन्न स्रोतों के माध्यम से पैसा कमा सकते हैं। अटका हुआ धन प्राप्त होगा।
☀️ कन्या राशि :- आज के दिन की अवधि के दौरान दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं। बोलचाल में कटुता न आने दें, ध्यान रखें।
☀️ तुला राशि :- आज आपको अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। बुद्धि चातुर्य से अनेक कठिनाइयां दूर हो सकेंगी।
☀️ वृश्चिक राशि :- आज आप अपने काम के स्थान पर आदर और सम्मान प्राप्त कर सकेंगे, कार्य-व्यवसाय में आशातीत सफलता मिल सकेगी। आप विभिन्न स्रोतों के माध्यम से पैसा कमा सकते हैं। अटका हुआ धन प्राप्त होगा।
☀️ धनु राशि :- आज आप किसी मुसीबत में फंस सकते हैं आपको विश्वासघात करने के कारण सजा भी मिल सकती है, बोलचाल में कटुता न आने दें। स्थायी संपत्ति क्रय करने में जल्दी न करें।
☀️ मकर राशि :- आज आपके व्यक्तित्व में आकर्षण का भाव रहेगा इस कारण लोग आपसे जल्द ही प्रभावित हो जायेंगे।, आप विभिन्न स्रोतों के माध्यम से पैसा कमा सकते हैं। अटका हुआ धन प्राप्त होगा। परिचय क्षेत्र का विस्तार होगा।
☀️ कुंभ राशि :- आज आपको स्वास्थ्य से संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, आपको अपनी सेहत का ध्यान रखने की आवश्यकता है।
☀️ मीन राशि :- आज आपको अपने करीबी दोस्तों से धोखा भी मिल सकता है, बोलचाल में कटुता न आने दें।धन संग्रह एवं बचत के लिए समय अनुकूल नहीं है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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jeevanjali · 4 months
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Vastu Tips: जीवन भर स्वस्थ रहने के लिए इस दिशा को कर लें ठीक, आपके सभी रोग हो जाएंगे दूरNorth of North East For Health: यदि आप जीवन भर सेहतमंद बने रहना चाहते हैं या यदि घर में कोई व्यक्ति बीमार हो गया है और उसकी बीमारी ठीक ही नहीं हो रही है तो आपको घर की उत्तर ईशान दिशा की जांच करनी चाहिए।
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astrovastukosh · 6 months
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*🌞~ आज दिनांक - 19 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी मध्य रात्रि 12:21 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 08:10 तक तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग - शोभन शाम 04:37 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*⛅राहु काल - शाम 03:49 से 05:20 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:44*
*⛅सूर्यास्त - 06:50*
*⛅दिशा शूल - उत्तर*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:09 से 05:57 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:11 तक*
*⛅अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:23 से 01:12 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - फाल्गुन दशमी (ओड़िशा)*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹आमलकी एकादशी - 20 मार्च 2024🌹*
*🌹फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष में यदि पुष्य नक्षत्र से युक्त एकादशी हो तो वह महान पुण्य देनेवाली और बड़े बड़े पातकों का नाश करनेवाली होती है । इस दिन आँवले के वृक्ष के पास जाकर वहाँ रात्रि में जागरण करना चाहिए । इससे मनुष्य सब पापों से छुट जाता है और सहस्र गोदान का फल प्राप्त करता है ।*
*🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸*
*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
*👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
*🔸होली की ४ महत्त्वपूर्ण बातें🔸*
*🔹१] पलाश के फूलों के रंग से होली खेलनी चाहिए । होली के बाद धरती पर सूर्य की सीधी तीखी किरणें पडती हैं, जिससे सप्तरंग और सप्तधातुओं में हलचल मच जाती है । अत: पलाश और गेंदे के फूलों का रंग हम होली पूर्णिमा और धुलेंडी को एक – दूसरे पर छिडकें तो वह सप्तरंग, सप्तधातुओं को संतुलित करेगा और हमें सूर्य की सीधी तीखी धूप पचाने की शक्ति मिलेगी ।*
*🔹२] होली के बाद के २० - २५ दिन नीम के २० - २५ कोमल पत्ते व १ - २ काली मिर्च खा लो या नीम के फूलों का रस १ – २ काली मिर्च का चूर्ण डालकर पी लो । इससे शरीर में ठंडक रहेगी और गर्मी झेलने की शक्ति आयेगी, पित्त-शमन होगा और व्यक्ति वर्षभर निरोग रहेगा ।*
*🔹३] होली के बाद १५ – २० दिनों तक बिना नमक का भोजन करें तो आपके स्वास्थ्य में चार चाँद लग जायें । बिना नमक का नहीं कर सकते तो कम नमकवाला भोजन करो ।*
*🔹४] अपने सिर को धूप से बचाना चाहिए । जो सिर पर धूप सहते हैं उनकी स्मरणशक्ति, नेत्रज्योति और कानों की सुनने की शक्ति क्षीण होने लगती है । ४२ साल के बाद बुढापा शुरू होता है, असंयमी और असावधानीवालों का दिमाग कमजोर हो जाता है । गर्मियों में नंगे सिर धूप में घूमने से पित्त बढ़ जाता है, आँखें जलती हैं । अत: सिर को धूप से बचाओं, अपने को दुःखों से बचाओ, मन को अहंकार से बचाओ और जीवात्मा को जन्म-मरण से बचा के परमात्मा से प्रेम करना सिखा दो !*
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Astro Tips For Money 2023 आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए करें ये वास्तु उपाय
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Astro Tips For Money 2023 आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए करें ये वास्तु उपाय - हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। वास्तु शास्त्र के नियमों को अपनाकर आप बड़ी से बड़ी समस्याओं से छुटकारा पा सकते है। यदि दिन-रात मेहनत करने के बाद भी आप सुखी नही है, पैसा घर में रूकता ही नही है। और आप हमेशा किसी न किसी वजह से परेशान रहते है। तो वास्तु के कुछ नियमों को अपनाने से आपके धन का भंडार हमेशा रहेगा और आप सुखी जीवन व्यतीत कर सकेंगे। Astro Tips For Money 2023 आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए करें ये वास्तु उपाय - वास्तु शास्त्र के अनुसार सुख-समृद्धि की चाह रखने वालों को अपने घर की उत्तर दिशा का वास्तु विशेष रूप से सही करके रखना चाहिए. यदि इस दिशा में कोई वास्तु दोष है और आप उसे नहीं दूर कर पा रहे हैं तो इस दिशा में आप तुलसी का पौधा जरूर लगाएं. - व्यापर में वृद्धि के लिए कारोबार सही ढंग से नहीं चल रहा हो और लगातार घांटे का सौदा करना पड़ रहा है तो रात को सोते समय अपने बेड के पास किसी बर्तन में जौ रख देना चाहिए. इसके बाद उसे अगली सुबह गाय को खिला देंना चाहुए. ऐसा लगातार करने से कारोबार में धीरे-धीरे बढ़ने लगेगा और ग्राहकों की संख्या में इजाफा होगा, जिससे आपका फायदा बढ़ेगा. - अगर आप अपार धन प्राप्ति करना चाहते हैं, तो हर शनिवार के दिन पीपल के जड़ में जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करें। इस उपाय को करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। - तिजोरी वाले कमरे में सिर्फ एक ही प्रवेश द्वार होना चाहिए। यह प्रवेश द्वार उत्तर या पूर्व दिशा से होना चाहिए। दक्षिण दिशा में कोई भी दरवाजा हो तो उसे तुरंत बंद कर देना चाहिए। देश और दुनिया की ताज़ा खबरें सबसे पहले techbugs पर  Folllow us on  Twitter and Join Google news for More Read the full article
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more-savi · 1 year
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Jaipur mai Ghumane ki jagah
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Jaipur mai Ghumane ki jagah - Jaipur Tourist Places
  यदि आप Jaipur mai Ghumane ki jagah की तलाश में हैं तो आपकी खोज यहीं समाप्त होती है।   तो आइए, हम सब मिलकर इस शहर की अद्भुत सैर करें और जानें कि इस शहर की ऐसी क्या खूबियां हैं जो आपको मंत्रमुग्ध कर देंगी।    आमेर किला आमेर किला, जिसे आमेर किला भी कहा जाता है, जयपुर का एक अनोखा पर्यटन स्थल है। यह किला पहाड़ियों पर स्थित है और अपनी मजबूत दीवारों, महलों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां से आप शहर की ऊपरी दिशाएं भी देख सकते हैं।   हवा महल क्या आप हवा के साथ खेलना चाहते हैं? हवा महल उस इच्छा को पूरा करता है। इसकी खासियत इसकी जालीदार दीवारों में है, जिनसे होकर हवा गुजरती है और इन्हें ठंडा करती है।   जंतर मंतर जयपुर का जंतर मंतर विज्ञान और गणित की एक महत्वपूर्ण श्रृंखला है जो आपको आश्चर्यचकित कर देगी। यहां विभिन्न प्रकार के यंत्र हैं जो सूर्य, चंद्रमा, ग्रहों की गति को मापते हैं।   सिटी पैलेस जयपुर के सिटी पैलेस में आपको महाराजाओं के शाही निवास की गरिमा और शान देखने को मिलेगी। यहां के संग्रहालय आपको शहर के सर्वोत्तम इतिहास, संस्कृति और कला से परिचित कराएंगे।   नाहरगढ़ किला नाहरगढ़ किला जयपुर की प्राचीन वास्तुकला का प्रतीक है और यह आपको महाराजाओं की जीवनशैली और उनके महलों की याद दिलाता है। यहां से आप शहर का पूरा जल दिशा देख सकते हैं, जिसका नजारा आपका मन मोह लेगा।   जयगढ़ किला जयगढ़ किला सबसे ऊंची चोटी पर है और यहां से आपको शहर के प्राचीन और आधुनिक दोनों हिस्सों का अनोखा दृश्य देखने को मिलेगा।   बागड़ी महल अगर आप शिकार और खेलने के शौकीन हैं तो बागरी महल आपके लिए आकर्षण का केंद्र हो सकता है। यहां पुराने समय के गेम हंटर्स और उनकी जीवनशैली की तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं।   अल्बर्ट हॉल अल्बर्ट हॉल शहर के पश्चिमी भाग में स्थित एक विशाल प्रवेश द्वार है। यह स्थल शहर की व्यावसायिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र रहा है और वहां गतिविधि का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है।   रामबाग पैलेस रामबाग पैलेस शहर का सबसे पुराना महल है और राजपूताना की भव्यता और गरिमा को दर्शाता है। यहां के बगीचे और विशाल हवेलियों की दीवारें आपको शहर के शाही इतिहास की कहानियां सुनाएंगी।    जयपुर कैसे पहुंचे  जयपुर पहुंचने के लिए विभिन्न साधन हैं। आप निम्नलिखित तरीकों से जयपुर पहुंच सकते हैं: हवाई मार्ग: जयपुर पहुंचने का सबसे सुरक्षित और तेज़ तरीका हवाई मार्ग है। सांगानेर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जयपुर का सबसे महत्वपूर्ण हवाई यातायात केंद्र है। विभिन्न शहरों से नियमित हवाई उड़ानें उपलब्ध हैं। रेल मार्ग द्वारा: जयपुर रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के मुख्य रेलवे नेटवर्क में शामिल है। आप यहां से अपने शहर से ट्रेन से भी जा सकते हैं। सड़क मार्ग से: जयपुर सड़क मार्ग से भी मनोरंजक और भावपूर्ण हो सकता है। आप कार, बस या टैक्सी से जयपुर पहुंच सकते हैं। बस मार्ग: जयपुर पहुंचने के लिए बस सेवा भी एक अच्छा विकल्प हो सकती है। आप अपने नजदीकी शहरों से बस सेवा ले सकते हैं और जयपुर पहुंच सकते हैं। Main Shopping Places in Jaipur जयपुर, अक्सर "गुलाबी शहर" कहा जाता है, अपने जीवंत बाजारों और व्यस्त बाज़ारों के लिए प्रसिद्ध है। जयपुर में कुछ प्रमुख खरीदारी स्थान हैं जहां आप विभिन्न खरीदारी अनुभवों का आनंद ले सकते हैं: जौहरी मार्केट: यह प्रसिद्ध आभूषण प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है। कुंदन और मीनाकारी के टुकड़े, सोना, चांदी और कीमती और अर्ध-कीमती ��त्न सहित पारंपरिक और समकालीन गहनों की एक विस्तृत विविधता है। श्री बाजार: बापू बाजार जीवंत साड़ियों, पोशाक सामग्री और पगड़ियों की खरीदारी के लिए एक शानदार स्थान है. यह अपने वस्त्रों, कपड़ों और पारंपरिक राजस्थानी परिधानों के लिए जाना जाता है। यह भी "मोजरी" नामक पारंपरिक राजस्थानी फुटवियर की दुकान है। त्रिपोलिया मार्केट: त्रिपोलिया बाजार देखने लायक जगह है अगर आप वस्त्रों में रुचि रखते हैं, खासकर बंधनी और लेहरिया जैसे जीवंत टाई-एंड-डाई कपड़ों में। पीतल के बर्तन, बर्तन और अन्य सजावटी वस्तुओं के लिए भी यह प्रसिद्ध है। चांदपोल मार्केट: विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प, मिट्टी के बर्तन, वस्त्र और लकड़ी की मूर्तियों के लिए यह बाजार जाना जाता है। पारंपरिक राजस्थानी कलाकृतियों, घर की सजावट और स्मृति चिन्हों को देख सकते हैं। नेहरू मार्केट: एक व्यस्त बाजार जो कपड़ा, हस्तशिल्प, इत्र, पारंपरिक राजस्थानी जूते (जूते) और बहुत कुछ बेचता है। स्मृति चिन्हों और उपहारों के लिए यह एक अच्छा स्थान है। किशनपोल मार्केट: किशनपोल बाज़ार घूमने लायक जगह है अगर आप अच्छे लकड़ी के फर्नीचर, हस्तशिल्प और वस्त्रों की तलाश में हैं। यह बाजार घरेलू साज-सज्जा और नक्काशीदार लकड़ी की वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है। Gourav Tower Mall: यदि आप एक आधुनिक खरीदारी अनुभव की तलाश में हैं, तो गौरव टावर मॉल खुदरा दुकानों, फैशन ब्रांडों, इलेक्ट्रॉनिक्स दुकानों और खाद्य ���दार्थों का एक संयोजन प्रदान करता है। Jaipur Handcraft Development Centre: सरकार द्वारा संचालित इस एम्पोरियम में गुणवत्तापूर्ण राजस्थानी हस्तशिल्प, वस्त्र, आभूषण और कला की एक विस्तृत विविधता दिखाई देती है। स्थानीय कारीगरों को समर्थन देने के लिए यह एक अच्छा स्थान है।    Frequently Asked Questions: प्रश्न 1: जयपुर में कितने पर्यटन स्थल हैं? उत्तर: जयपुर में कुल 10 प्रमुख पर्यटन स्थल हैं जो आपकी साहसिक यात्रा के लिए आदर्श हो सकते हैं।   प्रश्न 2: क्या मैं अपने परिवार के साथ जयपुर घूमने आ सकता हूँ? उत्तर: बिल्कुल, जयपुर विभिन्न प्रकार के आकर्षणों के साथ पारिवारिक यात्रा के लिए एक उत्कृष्ट स्थान है जो सभी उम्र के लोगों को प्रसन्न करेगा।   प्रश्न 3: क्या जयपुर में पर्यटकों के लिए अच्छे होटल हैं? उत्तर: हाँ, जयपुर में विभिन्न बजट और लक्जरी होटल हैं जो आपकी सुविधा के लिए उपलब्ध हैं।   प्रश्न 4: क्या जयपुर के पर्यटन स्थलों की निजी गाइड उपलब्ध है? उत्तर: हाँ, आप जयपुर के पर्यटन स्थलों के निजी गाइड किराये पर ले सकते हैं जो आपको उन स्थानों के बारे में रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।   प्रश्न 5: हमें कितने दिनों के लिए जयपुर की यात्रा की योजना बनानी चाहिए? उत्तर: यह आपकी रुचियों और समय पर निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर 3-4 दिन की यात्रा शहर के मुख्य आकर्षणों को कवर करने के लिए पर्याप्त होती है। Homepage Also Read - - Vadodara mai ghumane ki jagah - Delhi mai Ghumane ki jagah Read the full article
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therealpchellper · 2 years
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Apply for FREE CCC, O level Computer Course बचाये पुरे 600 रुपए जल्दी करे Apply ?
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क्या आप एक स्टूडेंट है और आप ट्रिपल सी (CCC), ओ लेवल (O LEVEL) का कोर्स करने की सोच रहे हैं परंतु पैसे ना होने के कारण आप ट्रिपल सी (CCC) या ओ लेवल (O LEVEL) के लिए अप्लाई नहीं कर पा रहे हैं आपके मन में सबाल आ रहा है कि हम फ्री में CCC, O LEVEL NIELIT Course कैसे करे? तो आप इस पोस्ट के माध्यम से फ्री में ट्रिपल सी या ओ लेवल के लिए अप्लाई कर सकते हैं जी हां आपने सही सुना आप अपने 600 से अधिक पैसे बचा सकते हैं तो चलिए जानते हैं कि फ्री में ट्रिपल सी (CCC), ओ लेवल (O LEVEL) के लिए फ्री में अप्लाई कैसे करें? Apply for FREE CCC, O level Computer Course
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फ्री में CCC, O LEVEL NIELIT Course कैसे करे? | दोस्तों पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा एक योजना चलाई जाती है जिसका नाम है ओ लेवल एवं सीसीसी कंप्यूटर प्रशिक्षण योजना जिसके तहत छात्रों को फ्री में ओ लेवल एवं सीसीसी कंप्यूटर कोर्स का फ्री प्रशिक्षण दिया जाता है अगर आप भी फ्री में ट्रिपल सी (सी0सी0सी0) या फिर ओ लेवल का फॉर्म भरना चाहते हैं तो आप पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश शासन की ऑफिशल वेबसाइट obccomputertraining.upsdc.gov.in पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं, फ्री में CCC, O LEVEL NIELIT Course कैसे करे - क्या है CCC Course, और कहा आएगा काम? पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग निशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत CCC और O Level में आवेदन करने के लिए आपको पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग कि ऑफिसियल वेबसाइट पर आ जाना है. वेबसाइट पर जाने के लिए आप इस लिंक का सहारा ले सकते है Click Here … Free CCC and O Level Computer Training For OBC
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- वेबसाइट पर आ जाने पर आपको राईट साइड बार में Student Registration लिखा दिखेगा इस पर आपको क्लिक कर देना है. - Student Registraion का फॉर्म खुल जाता है आपको छात्र का नाम व् मोबाइल नंबर टाइप कर देना है उसके बाद Captcha फिल कर देना है और Click बटन पर क्लिक कर दे. - अब आपके मोबाइल नंबर पर एक OTP आता है उसे आप फिल कर दे और Verify and Register बटन पर क्लिक करे. - OTP Verify होने के बाद आपके मोबाइल नंबर पर Registraion Number व् Password भेज दिया जाता है आप Click here To Login बटन पर क्लिक करेंगे और ID, password डाल कर लॉग इन कर लेंगे, login करने पर आपसे पासवर्ड चेंज करने को कहा जाता है आप चेंज कर ले, - अब आपको पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग कि ऑफिसियल वेबसाइट के होम पेज पर आ जाना है यहाँ पर पर आपको Student Login बटन दिखेगा इस पर क्लिक कर आपको लॉग इन कर लेना है. - लॉग इन करने के बाद फॉर्म अप्लाई करने के लिए दिशा निर्देश आ जाते है जो में आपको पहले बता चुका हू जिन्हें आप पढ़ सकते है ऊपर कि साईट में आपको चरण 1 लिखा दिखेगा इस पर आपको क्लिक कर देना है. Apply for FREE CCC, O level Computer Course Choose Couce CCC / O Level – अब आपके सामने CCC और O Level कोर्स अप्लाई करने के लिए फॉर्म खुल जाता है सबसे पहले आपको अपने जनपद का नाम सेलेक्ट कर लेना है उसके बाद आपको प्रशिक्षण पाठ्यक्रम जिसके लिए आवेदन किया जा रहा है यहाँ पर आपको दो आप्शन दिखाई देंगे 1 – CCC और 2 – O Level जिस भी कोर्स के लिए आपको आवेदन करना है उसे सेलेक्ट कर ले. Select Institutes – अब आपको अपने नजदीकी Computer Institute सेलेक्ट कर लेना है यहाँ पर 5 Institute आप Choose कर सकते है आपने ऊपर जो भी जनपद सेलेक्ट किया है उस जिले के सभी Institute इस लिस्ट में आ जायेगा आप के घर के पास जो भी Institute हो उसे आप सेल्क्ट कर ले. Fill Student Details – अब आपको अपनी सारी डिटेल भर देनी है जैसे कि शैक्षणिक विवरण, आय, जाती, धर्म विवरण फुल डिटेल फिल कर देनी है. Upload Document – डॉक्यूमेंट अपलोड करने से पहले आप यह जान ले कि डॉक्यूमेंट साइज़ 50 KB से ज्यादा नहीं होनी चाइये और डॉक्यूमेंट PDF फोर्मेट में अपलोड होने चाइये तभी आपके डॉक्यूमेंट अपलोड होंगे. आपको यह 4 डॉक्यूमेंट अपलोड करने होंगे. - जाती प्रमाण पत्र - आय प्रमाण पत्र - आवेदन कि फोटो - 12th कि मार्कशीट ये सारी डिटेल फिल करने के बाद आपको Final Lock बटन पर क्लिक कर देना है तो आपका फॉर्म भर जायेगा, इसकी सिलिप आप प्रिंट कराकर Institute में जमा कर दे. फ्री में CCC, O LEVEL NIELIT Course कैसे करे-----इस Process को Follow करके आप ऑनलाइन CCC सीसीसी एवं ओ लेवल O LEVEL के लिए अप्लाई कर सकते है अगर आपको अप्लाई करने में किसी भी प्रकार की समस्या हो रही है तो आप हमें Comments कर बता सकते है हम आपकी पूरी मदद करेंगे---- - गोल्डन कार्ड लिस्ट में नाम जुडवाए ऑनलाइन Read the full article
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monkvyasaa · 2 years
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Vastu Shastra Tips In Hindi For Home, Office
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वास्तु शास्त्र वास्तुकला पर सबसे महत्वपूर्ण प्राचीन भारतीय ��्रंथों में से एक है। यह किसी भी स्थान पर स्वस्थ और शुभ वातावरण बनाने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है, चाहे वह किसी व्यक्ति का घर हो या सार्वजनिक स्थान। इस लेख में, हम आपको अधिक सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाने में मदद करने के लिए कुछ Vastu Shastra Tips Hindi में साझा करेंगे।
वास्तु शास्त्र वास्तुकला और डिजाइन की एक प्रणाली है जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी। वास्तु शास्त्र के पीछे दर्शन यह है कि एक घर को प्राकृतिक नियम या कंपन के सिद्धांतों के अनुसार डिजाइन किया जाना चाहिए।
इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि दरवाजे और खिड़कियां सही जगहों पर हैं, फर्नीचर को उन्मुख करना ताकि यह ऊर्जा प्रवाह में बाधा न डाले, और सजावटी सुविधाओं को स्थापित करना जो आसपास के वातावरण के अनुरूप हों।
आप अपने घर के आकार और दिशा का निर्धारण कैसे करते हैं?
स्वास्थ्य और समृद्धि को बेहतर बनाने के लिए वास्तु शास्त्र की सही समझ होना जरूरी है। वास्तुकला का प्राचीन हिंदू विज्ञान हमारे घरों को उनके प्राकृतिक प्रवाह और ऊर्जा के अनुसार डिजाइन करने में हमारा मार्गदर्शन करता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक घर का अपने परिवेश में संतुलन बनाने के लिए एक विशिष्ट आकार और दिशा होनी चाहिए।
वास्तु तीन तत्वों से बना है: राजा (राजा), तुला (तारा) और नक्षत्र (स्थान)। ये तत्व मिलकर एक ज्यामिति बनाते हैं जो एक इमारत को आकार देती है। अपने घर के आकार और आकार की गणना करने के कई तरीके हैं, लेकिन ऐसा करने का सबसे सटीक तरीका वास्तु शास्त्र के विशेषज्ञ से सलाह लेना है।
वास्तु क्या है? आपके घर में वास्तु सिद्धांतों का पालन करने के क्या लाभ हैं?
इसमें आपके घर की ऊर्जा में सुधार के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं। घर की ऊर्जा का निर्धारण करने में सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक वस्तुओं और फर्नीचर का स्थान है। शुरुवात करने में आपकी सहायता के लिए यहां 25 Vastu Shastra Tips Hindi में दी गई हैं:
अगर आपको वास्तु शास्त्र के बारे में और जानकारी चाहिए तो किसी Expert Astrologer की सहायता ले.
1) मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार पर लगाने से राहू का दोष दूर होता है, कालसर्प दोष दूर करने के लिये भी मोरपंख को तकिये के अन्दर रखा जाता है. यदि रात में डरावने सपने आते हों तो मोर पंख को अपने तकिये के नीचे रख लें और सोते समय जले रक्षतु वाराहः स्थले रक्षतु वामनः अटव्यां नारसिंहश्च सर्वतः पातु केशवः इस मन्त्र का जाप करें, ऐसा करने से डरावने सपने नहीं आते हैं.
2) वास्तु विज्ञान के अनुसार लाल रंग के फूल जीवन में उत्साह और उमंग लाते हैं. इस रंग के फूल बगीचे या घर के दक्षिण में लगाना चाहिये। ईस दिशा में लाल फूल लगाने से यश और कीर्ति मिलती है. इसके अलावा बगीचे की दक्षिण दिशा में लाल गुलाब और गुड़हल का पौधा लगाना शुभ माना जाता है, इससे पति-पत्नी के जीवन में भी प्रेम बढ़ता है.
3) मनी प्लांट की जड़ो को कभी भी जमीन पर न फैलाएं इसे दीवारों के सहारे ऊपर की ओर जाने देना चाहिए, इससे धन की वृद्धि होती है. 
4) वास्तु के अनुसार बच्चों के कमरे में नीले, गुलाबी या हरे रंग के पर्दे लगाने चाहिए, यह रंग शांति और अच्छे स्वास्थ्य का संकेत माना जाता है और इससे बच्चों का मन भी पढ़ाई में लगा रहता है.
5) रसोई में कभी भी दवाई नहीं रखनी चाहिए, ऐसा करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं और जीवन में सुख की कमी भी होती है। दवाई हमेशा घर की ईशान कोण में रखनी चाहिए। दवाओं को उत्तर-पूर्व दिशा में रखने से भी इन दवाओं का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और स्वास्थ्य लाभ भी बना रहता है।
6) यदि कोई व्यक्ति तनावग्रस्त या मानसिक रूप से परेशान है तो प्रतिदिन मिट्टी के बने गमले से पौधों को पानी दें। आप किसी भी पेड़ या पौधे में मिट्टी के बर्तन से पानी डाल सकते हैं। रोजाना ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है और नकारात्मकता और तनाव से मुक्ति मिलती है। घर में मिट्टी के छोटे-छोटे सजावटी बर्तन रखने से भी रिश्तों में मधुरता बनी रहती है।
7) किसी भी कार्य की सफलता के लिए घर से निकलने से पहले जाते समय रोटी हाथ में लें। रास्ते में जहां कहीं भी कौवे दिखें, उस रोटी को टुकड़ों में काटकर आगे बढ़ा दें, इससे सफलता मिलती है।
8) घर में कलश में शुद्ध जल भरकर अशोक या आम के पत्तों को लाल धागे से बांधना चाहिए। इस तरह से कलश रखने से स्वास्थ्य, समृद्धि और कल्याण में वृद्धि होती है। इसे घर के मंदिर में स्थापित करना शुभ होता है, इसे भी समय-समय पर बदलते रहना चाहिए।
9) क्रसुला का पौधा धन को चुंबक की तरह आकर्षित करता है। घर में क्रसुला का पौधा लगाने से सकारात्मक ऊर्जा आती है। वास्तु शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि इस पौधे को रखने से घर में धन की वृद्धि होती है।
10) सोमवार के उपाय व्यवसाय में उन्नति के लिए सोमवार के दिन शिव-मंदिर में जाकर दूध मिश्रित जल शिवलिंग पर चढ़ाएं। महीने की किसी भी पूर्णिमा को जल में दूध मिला कर चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्यवसाय में उन्नति की प्रार्थना करें, तुरन्त ही असर दिखाई देगा।
11) अगर आप अक्सर माइग्रेन या सिर दर्द से परेशान रहते हैं तो घर को चमेली, मेंहदी और शीशम की खुशबू से भर दें। वास्तु के अनुसार इन फूलों की सुगंध से मानसिक शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
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rudrjobdesk · 2 years
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Vastu Tips: घर में इन तीन जगहों का रखें खास ध्यान, एक गलती के चलते होगा गरीबी का वास
Vastu Tips: घर में इन तीन जगहों का रखें खास ध्यान, एक गलती के चलते होगा गरीबी का वास
Image Source : INDIA TV Vastu Tips Vastu Tips: वास्तु जीवन में सुख-शांति के लिए बेहद जरूरी होता है। यदि आपका वास्तु ठीक है तो आपको छोटी-छोटी चीज़ें कभी परेशान नहीं करेंगी। यदि आप ज्यादा खर्चीले इंसान हैं। आपके पास पैसा तो आता है लेकिन आते ही तुरंत चला भी जाता है। लाख कोशिशों के बाद भी आप चाहकर भी अपना पैसा जोड़ नहीं पा रहे। तो आपको समझने की जरूरत है कि आप वास्तु के नियन के अनुसार नहीं चल रहे…
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buzz-london · 2 years
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*जिंदगी बचाने के अचूक तरीके :* (1.) *गले में कुछ फँस जाए- तब केवल अपनी भुजाओं को ऊपर उठाएं* एक बच्चे की 56 वर्षीय दादी घर पर टेलीविज़न देखते हुए फल खा रही थी। जब वो अपना सर हिला रही थी तब अचानक एक फल का टुकड़ा उसके गले में फँस गया। उसने अपने सीने को बहुत दबाया पर कुछ भी फायदा नहीं हुआ। जब बच्चे ने दादी को परेशान देखा तो उसने पूछा कि "दादी माँ क्या आपके गले में कुछ फँस गया है?" वो कुछ भी उत्तर नहीं दे पाई। "मुझे लगता है कि आपके गले में कुछ फँस गया है। अपने हाथ ऊपर करो, हाथ ऊपर करो।" दादी माँ ने तुरंत अपने हाथ ऊपर कर दिए और वो जल्द ही फँसे हुए फल के टुकड़े को गले से बाहर थूकने में कामयाब हो गयी। उसके पोते ने बताया कि ये बात उसने अपने विद्यालय में सीखी है। (2.) *सुबह उठते वक्त होने वाले शरीर के दर्द* क्या आपको सुबह उठते वक्त शरीर में दर्द होता है? क्या आपको सुबह उठते वक्त गर्दन में दर्द और अकड़न महसूस होती है? यदि आपको ये सब होता है तो आप क्या करें? तब आप अपने पांव ऊपर उठाएं। अपने पांव के अंगूठे को बाहर की तरफ खेंचे और धीरे धीरे उसकी मालिश करें और घड़ी की दिशा में एवं घड़ी की विपरीत दिशा में घुमाए। (3.) *पांव में आने वाले बॉयटा या ऐठन* यदि आपके बाएँ पांव में बॉयटा आया है तो अपने दाएँ हाथ को जितना ऊपर उठा सकते हैं उठायें। यदि ये बॉयटा आपके दाएँ पांव में आया है तो आप अपने बाएँ हाथ को जितना ऊपर ले जा सकते हैं ले जायें। इससे आपको तुरंत आराम आएगा। (4.) *पांव का सुन्न होना* यदि आपका बायां पांव सुन्न होता है तो अपने दाएं हाथ को जोर से बाहर की ओर झुलायें या झटके दें। यदि आपका दायां पांव सुन्न है तो अपने बाऐं हाथ को जोर से बाहर की ओर झुलायें या झटका दें। (5.) *आधे शरीर में लकवा* एक सिलाई की सुई लेकर तुरन्त ही कानों की लोलिका के सबसे नीचे वाले भाग में सुई चुभा कर एक एक बूंद खून निकालें। इससे रोगी को तुरंत आराम आ जायेगा। उस पर से सब पक्षाघात के लक्षण भी मिट जायेंगे। (6.) *ह्रदय आघात की वजह से हृदय का रुकना* ऐसे व्यक्ति के पांव से जुराबें उतार कर (यदि पहनी है तो) सुई से उसकी दसों पांव की उंगलियों में सुई चुभो कर एक एक बूंद रक्त की निकालें। इससे रोगी तुरन्त उठ जाएगा। (7.) *यदि रोगी को सांस लेने में तकलीफ हो* चाहे ये दमा से हो या ध्वनि तंत्र की सूजन की वजह या और कोई कारण हो, जब तक कि रोगी का चेहरा सांस न ले पाने की वजह से लाल हो उसके नासिका के अग्रभाग पर सुई से छिद्र कर दो बून्द काला रक्त निकाल दें। उपरोक्त सभी तरीकों से कोई खतरा नहीं है और ये केवल 10 सेकेंड में ही किये जा सकते हैं।🌹🌹🙏 आप सभी से निवेदन है, कि इस मैसेज को सुरक्षित (Save) करके रखलें... आपातकाल (Emergency) मे काम आयेगा। किसी की *जान बचा सकते हो।*
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astroclasses · 8 months
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gaurav184-blog · 6 years
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Ravana | Dakshin ka Dashgreev Part 1
यूँ तो जो जीवित है वो ईर्ष्या द्वेष घृणा भेदभाव से गुथा है। ये वो फितरत है जो हर जीने वाले दूसरे जीने वाले से बेहतर और श्रेष्ठ} बंनाने की होड़ में व्यक्तित्व मैं घर कर जाती है । जैसे दो दरख्तों को साथ में रोपित कर देने से वही पेड़ फलता फूलता है जो दूसरे की जड़ों को सुखा कर उसे नष्ट कर देता है । इसी स्वभाव से जुड़ा है मानव जीवन भी जो लाख कोशिश कर ले खुद को इन द्वेषों से बचाने को पर बच नही सकता । फिर वो चाहे आम आदमी हो या ईशवर के सबसे निकट मानने वाला खुद को कोई ऋषि मुनि। ये कहानी ऐसे ही भेदभाव और ईर्ष्या से जन्मे एक व्यक्ति की है जो सात्विक ब्राहिम होते हुए भी एक निर्मम और क्रूर शाशक के रूप में जाना गया।जिसने अपनी प्रबल बुद्धि छमता से बड़े बड़े विद्वानों को शास्त्रों में हराया , तो अपने अदम्य साहस और बाहुबल से कई पराक्रमी योद्धाओं को एक पल में धूल चटा दी। ये कहानी है उत्तर के उस योद्धा की जो दशग्रीव से दशानन बना और दशानन से रावण । ये उस दक्षीण के दशग्रीव की कहानी है जो देवता और राक्षस के आपसी द्वेष से रावण बन उभरा और सदा के लिए इतिहास के पन्नों पर छा गया ।
दक्षिण का दशग्रीव भाग १
वट वृक्ष की छाया में दीप्तमान पुरुष विचारमग्न बैठे थे। उनके शरीर से
निकलता तेज सो ने के समान चमकदान एवं  आभा सूर्य के तेज से भी कई
गुना अधिक थी। ऐ सा प्रतीत होता था जैसे सूर्य अपना स्थान आकाश से
त्यागकर स्वयं  उस वृा के नीचे  विराजमान है । कमर मे बँधा पीत वस्त्र, गले मे
पड़ी हुयी तुलसी की माला, सिर पर बँधा केशो  का जूड़ा सारी सृष्टि के
आभूषणों  को फीका कर रहा था। आँख मस्तक के बीच ऐसे सुशोभित हो रही
थी मानो प्रभु महादेव ने दोनों  हाथों  में पारस मणि उठा रखी हो।
(ऋषियों  में श्रेष्ठ ऋषि नारद का आगमन)
- हे ऋषियों  में श्रेष्ठ आप किस चिं ता में ध्यान मग्न हैं।
पुलस्त्य- प्रणाम देवर्षि (ऐसा कहकर महर्षि पुलस्त्य ने अपना ध्यान तोड़ा
और नारद मुनि का अभिवादन किया।)
नारद- प्रणाम महर्षि! क्या बात है? आज आप कु छ व्यथित दिखाई पड़
रहे हैं।
पुलस्त्य- बस, कुछ भविष्य की चिंतायं हैं। महर्षि जिनके बारे में  सोचकर मैं
परेशान हूँ।
नारद- हे पुत्र! सप्तऋषियों  में एक, परम ज्ञानी पुलस्त्य, आप स्वयं चारों
वेदों के ज्ञाता हैं। आपको किसी भी विषय पर ज्ञान देना सू र्य को
दीपक दिखाने जैसा है । जो  इस सृष्टि पर परम पिता परमे श्वर
द्वारा रचित है वह तो घटित होकर ही रहेगा। आप और मैं क्या?
ब्रह्मा भी उसे टाल नहीं सकते । फिर जो  होना हो उसके  बारे में
विचार करके अपने  मन को  व्यथित करने से क्या लाभ? भविष्य
की चिंताओं को  भविष्य पर ही छोड़कर आप वर्तमान में जीवन
को सही दिशा की ओर अग्रसर करें।
आप सत्य कहते हैं मुनि मुझे वर्तमान में रहना चाहिये और भविष्य
की चिं तायें परमपिता पर छोड़ देनी चाहिये।
- यही उचित है । (ऐ सा कहकर नारद मुनि ने मुस्करा कर दूसरा
प्रसंग छेड़।)
- वैसे ब्राह्मण श्रेष्ठ कहीं आप भविष्य में अपने विवाह के सम्बन्ध में
तो चिंताग्रस्त नहीं थे।
(महर्षि नारद के इस विनोद पर ऋषि पुलस्त्य के चिंता ग्रस्त
मुख पर मुस्कान की लहर दौड़  गयी।)
- हा-हा-हा- नहीं -नहीं , मुनिवर ऐसा कोई प्रसं ग नहीं  (ऋषियों  में
श्रे ष्ठ नारद जब जाने को  हुये  तो , महर्षि  पुलस्त्य ने उनसे  एक
प्रश्न ओ र कर दिया।)
- देवर्षि अब आप यहाँ आ ही गये हैं तो कृपा करके  मुझे  सही
दिशा का ज्ञान करो दें मैं अपनी यात्रा कहाँ के लिये आरम्भ
करूँ?
- हे! ब्राह्मण श्रेष्ठ मैं सोचता हूँ कि आपके व्यथित शरीर औ र
आँखों को अब प्रकृति के कुछ रमणीय दृश्यों की आवश्यकता है।
आप सुमेरु पर्वत पर जायें वहाँ राजर्षि तृणबिन्दु का आश्रम है।
जो अत्यंत पवित्र और रमणीय है। आप वहाँ जाकर स्वाध्याय
और तपश्चर्या में लीन हों।
वह आश्रम यहाँ से तीन माह की दूरी पर है। (ऐ सा कहकर
देवर्षि नारद ने प्रस्थान किया।)
(मुनि श्रे ष्ठ पुलस्त्य ने नारद को  प्रणाम कर अपनी यात्रा आरम्भ
की।)
कई  दिना की दुर्गम यात्रा करके महर्षि  पु लस्त्य जब सुमे रु पर्व त
के निकट पहुँचे  तो  उन्हें एक गम्भीर समस्या का सामना कना
पड़ा सुमेरु पर्वत और उनके  बीच सरयू नदी का उफान था जो
आगे बढ़ने से रोक रहा था। ऋषि तट पर खड़ े आगे जाने का
विचार कर ही रहे थे, तभी उन्हें एक व्यक्ति ने आवाज दी और
वह पीछे  मुड़ ।
- हे! ब्राह्मण देव में निषाद राज निक्रेतु आपकी कोई सहायता कर
सकता हू ँ।
- हे ! निषाद राज मैं  परम पिता ब्रह्मा का मानस पुत्र पुलस्त्य हू ँ
और मैं सुमे रु पर्वत के निकट राजर्षि  तृणबिन्दु के आश्रम मे ं
धर्मयात्रा पर जा रहा हू ँ परन्तु रास्ते मे ं  बहती इस सरयू  नदी से
परेशान हूँ जो मुझे  उस पार पहुँचा दे ऐसी कोई युक्ति यदि
आपके पास हो तो मुझे  बतायें।
(निषाद राज निक्रेतु ने महर्षि  पु लस्त्य का नाम सुनकर पुनः उनके
चरणों  को स्पर्श किया और बोले )
- सभी ब्राह्मणों में  श्रेष्ठ, महान तपस्वी, सप्त ऋषियों में एक ब्रह्मा
पुत्र आपके  तपोशक्ति के  आगे बड़ े -बड़ े  समु द्र  अपना स्थान
छो ड़कर मार्ग बना देते है ं । पर्वत शृं खलाये ं  अपनी ऊँचाई  कम कर
देती हैं। फिर ये सरयू नदी के  थोड़े से  प्रवाह से  आप विचलित
क्यों ?
- निषाद राज! ऋषि का कर्तव्य अपनी तपो शक्ति और ज्ञान को
समाज की भलाई के लिये प्रयोग करना है। अपनी समस्याओं  से
ग्रस्त हो कर प्र कृति के बनाये  संसाधनो ं  से छेड़छाड़ करना नहीं ।
यदि अपन मुझे नदी पार करने की युक्ति बता सकें  तो बतायें ।
- ब्राह्मण श्रेष्ठ आपकी विस्तृत सोच को मैं प्रणाम करता हूँ। आपको
मै  सरयू  नदी अवश्य पार कराऊँगा।
(यह कहकर निक्रेतु वापस मुड़े  और थोड़े समय पश्चात अपने
साथ एक नौ का लेकर लौ टे)
निक्रेतु ने पु लस्थ्य को  नाव पर बै ठाकर सरयू  नदी के पार दक्षिणी
छो र पर उतार दिया।
पुलस्त्य- निषाद राज कृपा करके मुझे ये बतायें कि पारितोषिक के रूप में
मैं आपको क्या दे सकता हूँ?
निक्रेतु- आपके दर्शन ही मेरा पारितोषिक है महर्षि।
पुलस्त्य- मैं आपके कृतित्व एवं कर्तव्य परायणता को देखकर अत्यन्त हर्षित
हूँ। निषाद राज मैं आपको व�� देता हूँ कि आपके  वं श द्वारा
भगवान विष्णु के मानव अवतार को यह सरयू नदी पार कराने
का गौरव प्राप्त होगा और आपकी जाति इतिहास के  पन्नों में
अमर हो जायेगी।
निक्रेतु- महर्षि आपके द्वारा प्राप्त इस वर से मै धन्य हुआ। ऐ सा प्रतीत
होता है कि मेरे सारे लोेकों का उत्थान हुआ है। आपको
को टि-को टि प्र णाम मु निवर।
(महर्षि पुलस्त्य ने निक्रेतु को  वरदान देकर आगे  बढ़ने का
निश्यय किया।)
महर्षि- पुलस्त्य 15 दिनो की पै दल यात्रा कर तृणबिन्दु के आश्रम के द्वार
पर पहुचे।
वहाँ की चन्दन सी सुगन्ध वायु सुमे रु पर्व त से कल-कल ध्वनि
उत्पन्न करके बहते झरने माता प्रकृति के मुकुट से सुशोभित हो
रहे थे। ऐ सा शीतल वातावरण कि मानों  सूर्य की किरणों में
उष्णता की सामथ्र्यता ही नहीं की वहां की जलवायु को गर्म कर
सके  न हिमपातों में  इतनी शक्ति की जल को बर्फ में जमा सके।
सूर्य की रश्मियाँ केवल प्रकाश बिखेरने का कार्य मात्र ही कर
रही थीं और हिमपात से ऐसा प्रतीत होता था कि माता प्रकृति ने
उस स्थान को स्वच्छ श्वेत वस्त्र पहना रखा हो। ऐसा मनोरम
दृश्य देखकर महर्षि पुलस्त्य का मन अत्यन्त प्रसन्न हुआ। जल्द
ही उनकी भे ं ट महर्षि तृणबिन्दु से हुई। तृणबिन्दु ने उचित सम्मान
देकर ऋषि पुलस्त्य के आने का प्रयो जन पू छा।
पुलस्त्य- राजर्षि तृणबिन्दु मैं धर्मयात्रा भ्रमण हेतु निकला हूँ और कुछ समय
आपके आश्रम मे ं  रहकर तपस्या व जितेन्द्रया का कार्य करना
चाहता हूँ।
तृणबिन्दु- अहो भाग्य मुनिवर ये आश्रम आपके आतित्य में  उपस्थित है आप
जब तक चाहे ं  इस आश्रम मे ं  रहकर अपने कार्य कर सकते है ं ।
पुलस्त्य- मुझे सिर्फ आपके आश्रम का एक छोटा सा भाग ही चाहिये जहाँ
मै ं  एकाग्रता से ध्यान मग्न हो कर ईश्वर की साधना कर सकूँ।
तृणबिन्दु- ठीक है  मुनिवर आप जैसा उचित जानें  वै सा करें ।
(महर्षि पुलस्त्य ने आश्रम के स्थान पर चुनाव किया जो प्रकृति दृश्यों  से
गुथा हुआ था। आस-पास सुन्दर पुष्पों के बगान व शील ताड़ के  तरह-तरह
के वृक्षों से वनित था।)
प्रातः काल जब सूर्य देव अपने रथी के साथ आरूढ़ हो कर निकले  भी न
थे महर्षि ने  अपने नित्यक्रम को समाप्त कर पू जा की तैयारियाँ समाप्त कर ली
थी। हवन कुण्ड अग्नि देव की स्वर्ण  काया से परिपू र्ण  था। मं त्रो चारण व हवन
में होम पड़ने के साथ ही सू र्य दे व आकाश में लालिमा बिखेरते हुये प्रकट हुये।
अभी महर्षि ने  कुछ दे र ही पूजन किया होगा तभी उनका ध्यान पुष्प उपवनों से
आती कुछ शोर की ओर गया।
जहाँ महर्षि पुलस्त्य ने अपना स्थान नियत किया था वह स्थान इतना
मनो रम औ र सब ऋतुओ ं  मे ं  एक सा रहने वाला था की कई  नाग, गं धर्व,
राजर्षि कन्यायें वहाँ प्रवेश कर जाती थी और प्रकृति की गोद में विचरण करते
हुये कई प्रकार के वादन नृत्य और क्रीड़ायें करती थी। कन्याओं  द्वारा आपसी
परिहास से  उत्पन्न शोर महर्षि पुलस्त्य के  ध्यान में  विघ्न डाल दिया करता
था। पुलस्त्य ने दिनो ं  तक ऐ से शो रगुल को  सहन किया परन्तु एक दिन जब वे
शिव आराधना में लीन थे तो कन्याओं  की क्रीड़ ा से एक गें द ऋषि पुलस्त्य के
ह���न कुण्ड मे जा गिरी। जिसके  कारण पुलस्त्य ने क्रोध में  आकर ये शाप
दिया कि आज के बाद जो भी स्��्री उनके आश्रम में  रहने तक इस भाग में
प्रवेश करेगी वह गर्भवती हो जायेगी इस शाप को सुनकर वहाँ से  सभी स्त्रियाँ
भय के कारण चली गयीं।
कई दिन बीत गये  एक दिन राजर्षि तृणबिन्दु की पुत्री जिसका नाम
विश्वां शी था अपनी सहेली को खोजते हुये वहाँ पहुँची उसने पुलस्त्य को
तपस्यालीन देख लिया और उसका सम्पूर्ण शरीर पीला पड़ गया। वो घबराबर
अपने पिता के पास पहुँची और उन्हें सारी कथा कह सुनायी। राजर्षि तृणबिन्दु
भी एक महान तपस्वी थे उन्हों ने अपने ध्यान से सारी कथा सार समझा और
अपनी पुत्री को लेकर महर्षि पुलस्त्य के पास पहुँच कर निवेदन किया।
तृणबिन्दु- ऋषि श्रेष्ठ! ये मेरी कन्या विश्वांशी है ये आपके द्वारा प्रदत्त शाप
से पीड़ि त है। ऋषिवर इसे ये ज्ञान नहीं था कि आपने अपने
तपोबल से  आश्रम के  इस भाग को शापित कर रखा है। यह
भूलवश यहाँ चली आयी। मैं आपसे निवेदन करता हूँ ऋषिवर कि
मेरी इस कन्या को आप स्वयं  ही प्राप्त होने  वाली भिक्षा के रूप
मे ं  स्वीकार करें ।
तेजवान धर्मात्मा तृणबिन्दु के  निवेदन को महर्षि पुलस्त्य ने
विश्वां शी को पत्नी रूप में स्वीकार किया।
तत्पश्चात कई वर्ष वहाँ व्यतीत करके  महर्षि पुलस्त्य ने एक दिन
तृणबिन्दु से आश्रम से जाने की अनुमति माँगी औ र कहा-
पुलस्त्य- ब्राह्मण श्रे ष्ठ अब मै ं  अपनी धर्मयात्रा उत्तर दिशा मे ं  जाकर
निरन्तर रखना चाहता हूँ। इस उद्देश्य से मैं हिमालय की ओर
प्रस्थान करना चाहता हू ँ और आपकी पुत्री एवं अपनी पत्नी
विश्वां शी को आपके संरक्षण में छोड़े जा रहा हूँ।
विश्वां शी- सप्तऋषि, मैं आपकी भार्या हूँ जीवन के हर पथ पर आपके ऊपर
मे रा समान अधिकार प्राप्त है इसलिय मैं आपके साथ ही रहूँगी।
चाहे कार्य और मार्ग कितने ही दुर्गम हों।
(विश्वांशी के स्त्री हठ के कारण महर्षि पुलस्त्य को उन्हें  अपने
साथ ले जाने पर विवश होना पड़ा।)
सुदू र क्षेत्र पू र्व में  एक धर्म आयोजन पर सभी ऋषि और विद्वानों  का
जमघट लगा। धर्मचर्चा के उपरान्त परम पिता ब्रह्मा ने ऋषि भारद्वाज से
प्रसन्न हो कर उन्हे ं  एक रमणीय कन्या भे ं टस्वरूप प्रदान की जिसका नाम
अदिति था। कुछ वर्ष पश्चात देवी अदिति से  दो पुत्रों  का जन्म हुआ हेती औ र
प्रहेती दो नों ही बालक सूर्य के समान भीषण तेज वाले प्रतीत होते थे। एक
दिन ऋर्षि यज्ञोनुष्ठान हेतु आश्रम से बाहर थे। देवी अदिति अपने दोनों
नवजात शिशुओ ं  को  पालने मे ं  लेकर नदी तट से जल संग्रह हे तु गयी थी।
उसी समय भगवान श्री रुद्र माता पार्वती के साथ नभ यात्रा करते  हुये आकाश
मार्ग से वहाँ से गुजरे माता पार्वती के कानों में दो  नवजात शिशु ओ ं  का क्रंदन
गूँजा। माता प्रभु गंगाधर सहित वहाँ पहुँची और वात्सल्य भाव से पूर्ण, कोमल
हृदय वाली माता पार्वती ने दो शिशुओं  को देखा और उन्हें अपनी गोद में
उठाकर प्रेमपूर्वक शांत कराया उन्हें वरदान दिया कि वो शीर्घ ही अपनी माता
की उम्र के बराबर व्यस्क हो  जावें दोनों  बालक वरदान के परिणामस्वरूप
व्यस्क हो गये। दोनों ने माता और प्रभु रुद्र को प्रणाम कर अपने जीवन का
ध्येय पूछा। भगवान रुद्र ने हेती को मानव एवं पृथ्वी के हर जीव जन्तु की रक्षा
का भार सौंप कर राक्षस जाति की शुरुआत की। प्रहेती को पूजन आदि का
कार्य सौंपकर यक्ष जाति की शुरुआत की। दोनों ही पुरुष अपने-अपने
अनुयायियों को लेकर अपने कार्य में मग्न ह�� गये। हेती एक आत्मबल से
सम्पन्न अत्यन्त महत्वाकांक्षी पुरुष था उसने  अपने शौर्य और भीषण तेज से
काल को  प्र सन्न कर उसकी बहन याचनार्था से विवाह किया। प्रहेती ने वैतरणी
नदी के पश्चिमी तट पर एक नगर का निर्माण किया जिसे  अमरावती का नाम
दिया उसने  अपने अनुयायियों को जगत में  शांति बनाये रखने एवं  धर्म का
प्रचार करने हे तु लो कपाल के पदो ं  का आवं टन किया औ र देवराज इन्द्र के पद
पर उचित व्यक्ति को  बै ठाकर स्वयं घोर तप हेतु हिमालय प्रस्थान किया। हेती
को  याचानार्था के द्वारा एक महान प्र तापी पुत्र विद्युतकेश प्राप्त हुआ। विद्युतकेश
माता पार्वती के वरदान से शीर्घ ही व्यस्क हो गया और संध्या पुत्री का पत्नी
के रूप में वरण कर अपने कार्य में लगा रहा। विद्युत केश के द्वारा सं ध्या पुत्री
को तीन पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुयी जिनके नाम क्रमशः माल्यवान, सुमाली तथा
माली थे ये तीनों ही अपने पिता के समान तेज वाले  व अत्यन्त बलशाली थे।
तीनों  ही भाईयों ने दिव्य शक्तियों को प्राप्त करने हेतु तप आरम्भ कर दिया।
उत्तर दिशा में हिमालय पर महर्षि  पुलस्त्य जो कि तप एवं पूजन मे ं
लीन रहा करते  थे एवं  उनकी सेवा में देवी विश्वांशी सदैव तन्मयता से
प्रयासरत रहती थीं। जिस प्रकार मीठे वृक्षों  से सदैव मीठे फल प्राप्त होते हैं।
उसी प्रकार देवी विश्वां शी को महर्षि पुलस्त्य द्वारा पुत्र रत्न की प्राप्ति हुयी।
पुलस्त्य ने उसका नाम विश्रवा रखा। जैसे  उपेक्षित किये जाने पर रोग बढ़ ता
है दान देने  से धन भण्डार में  वृद्धि होती है। उसी प्रकार बालक विश्रवा भी
बढ़ने लगे । वे  ठीक अपने पिता के समान तेजस्वी, माता गं गा के जल के
समान निर्मल, नित्य व्यायाम के कारण पुष्ट शरीर वाले  हुये।  
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astrovastukosh · 9 months
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🌞आज का वैदिक हिन्दू पंचांग 🌞
👉दिनांक - 19 दिसम्बर 2023*
👉दिन - मंगलवार*
👉विक्रम संवत् - 2080*
👉अयन - दक्षिणायन*
👉ऋतु - हेमंत*
👉मास - मार्गशीर्ष*
👉पक्ष - शुक्ल*
👉तिथि - सप्तमी दोपहर 01:16 तक तत्पश्चात अष्टमी*
👉नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद रात्रि 12:02 तक तत्पश्चात उत्तराभाद्रपद*
👉योग - सिद्धि शाम 06:38 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
👉राहु काल - दोपहर 03:17 से 04:38 तक*
👉सूर्योदय - 07:15*
👉सूर्यास्त - 05:58*
👉दिशा शूल - उत्तर*
👉ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:29 से 06:22 तक*
👉निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:10 से 01:03 तक*
👉व्रत पर्व विवरण - नंदा सप्तमी*
👉विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
👉व्यतिपात योग - 19/20 दिसम्बर 2023
👉समय अवधि : 19 दिसम्बर शाम 06:38 से 20 दिसम्बर शाम 03:57 तक*
👉व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल 1 लाख गुना होता है । - वराह पुराण*
💥नंदा सप्तमी - 19 दिसम्बर 2023💥
👉मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी नंदा सप्तमी कहलाती है । इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक सूर्य भगवान का पूजन व व्रत करने पर मनुष्य की सारी इच्छा पूरी हो जाती है ।*
👉इस दिन को लोटे में चावल, तिल, कुंमकुम, केसर डालकर सूर्यो नारायण को अर्घ्य दें । तिल के तेल का दीपक दिखाये ।*
👉खाँड़ सहित दही और चावल थाली में लेकर सूर्य भगवान को भोग लगाये और प्रार्थना करे हमारे घर में आपके लिए ये प्रसाद तैयार किया है ये नैवेद्य आप सूर्य भगवान स्वीकार करें और हमारे घर में सब प्रकार से आनंद छाया रहें, सब निरोग रहें, दीर्घायु बनें । ऐसा करके उनको भोग लगाये और प्रसाद में थोड़ा-सा छ्त पर रख दें । घर के लोग भी प्रसाद में दही-चावल खुद भी खा लें ।*
👉भविष्य पुराण ब्राह्म पर्व : 100-102 अध्याय*
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Good Plant For Life बांस के पौधे को रखने कीसलाह दी जाती है
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Good Plant For Life बांस के पौधे को रखने कीसलाह दी जाती है - वास्तु शास्त्र और फेंगशुई दोनों का मानना है कि बांस के पौधे बेहद भाग्यशाली और शुभ होते हैं। माना जाता है कि बांस के पौधे को घर औरऑफ़िस में रखने से सौभाग्य, धन और भाग्य की प्राप्ति होती है। Good Plant For Life बांस के पौधे को रखने कीसलाह दी जाती है - घर की सीढ़ियां विकास का प्रतीक हैं और ऐसा ही बांस का पौधा है इसलिए, यदि आपकी सीढ़ी चौड़ी है, तो वहां बांस के पौधे को रखने कीसलाह दी जाती है। - इसके अलावा, बांस के पौधे को सीधे धूप में रखना बेहतर नहीं है क्योंकि इसकी वृद्धि के लिए इसकी अनुशंसा नहीं की जाती ह - यदि आपके घरमें सीढ़ियां नहीं हैं, तो आप बांस के पौधे को उत्तर–पश्चिम दिशा में रख सकते हैं।बांस एक वायु शोधक संयंत्र है जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और ऑक्सीजन उत्पन्न करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। इस प्रकार, इसे घर के अंदर एक गमले के पौधे के रूप में रखने से आपको सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिलती बांस का पौधा वायु शोधक के रूप में भी कार्य करता है. बांस के पौधे प्रदूषकों को कम करने में सहायक होते हैं. 2-3 तीन फीट की ऊंचाई तक बढ़ने वाले बांस के पौधों की देखभाल भी आसानी से होती है.   ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या Google news पर फॉलो करें. tejas24.Com पर विस्तार से पढ़ें व्यापार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें Read the full article
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lawyer-usa · 2 years
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Ganesh Chaturthi Date, Puja Vidhi, Mantra
  नमस्कार पाठक गणों  पूर्वांचल सामाचार में आप सभी का स्वागत है।
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भगवान गणेश बुद्वि के देवता के रूप में पूजे जाते है, ऐसी मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्यों एंव पूजा में सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा होनी चाहिए अन्यथा वह कार्य या पूजा पूर्ण नही माना जाता है।
आइये हम सभी भगवान गणेश व्रत ओर पूजा, मंत्र के बारे में स्पष्ट जानकारी प्राप्त करें।
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी व्रत रखा जाता है।
इस गणेश चतुर्थी को भादो पक्ष का विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र समेत देश के अन्य हिस्सों में मनाते हैं इस दिन गणपति की मूर्ति स्थापना की जाती है और विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं गणपती बप्पा को नौ दिनों तक घर पर या पंडालों में रखा जाता है और गणेश चतुर्थी के दिन विसर्जित कर दिया जाता है हालांकि लोग अपनी सार नौ दिन से कम दिनों के लिए भी गणपति स्थापना करते हैं इस गणेश चतुर्थी को भाद्रपद की विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है गणेश चतुर्थी की तिथि स्थापना और मुहूर्त पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ तीस अगस्त मंगलवार को दोपहर 3:33 तीन बजकर तैंतीस मिनट पर हो रहा है और इकतीस अगस्त बुधवार को दोपहर तीन बजकर बाईस मिनट पर इस तिथि का समापन हो रहा है ऐसे में उदयातिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी व्रत इकतीस अगस्त को रखा जाएगा इकतीस अगस्त को गणेश चतुर्थी की पूजा का समय दिन में ग्यार��� बजकर पांच मिनट से दोपहर एक बजकर अड़तीस मिनट तक है इस दिन गणपति बप्पा की पूजा के लिए आपको दो घंटे तैंतीस मिनट का समय प्राप्त होगा इस दिन रवि योग सुबह  5:58 ( पांच बजकर अट्ठावन ) 
मिनट से लेकर देर रात बारह बजकर बारह मिनट तक है ये योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ होता है गणपति स्थापना और विसर्जन इकतीस 31 अगस्त को गणपति स्थापना की जाएगी !Ganesh Chaturthi
आप पूजा मुहूर्त में ग्यारह बजकर पांच मिनट से दोपहर एक बजकर अड़तीस मिनट के बीच गणपति स्थापना कर सकते हैं इसके बाद नौ सितंबर दिन शुक्रवार को गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा का विसर्जन होगा गणेश चतुर्थी दो हज़ार बाईस चंद्रोदय समय गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना वर्जित होता है क्योंकि ये भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी है इस दिन चंद्रमा का उदय सुबह 9:26  नौ: बजकर छब्बीस मिनट पर होगा इस दिन चंद्रमा को देखने से झूठा कलंक लगता है मंगल मूर्ति भगवान गणेश की कृपा हम सभी पर बनी रहे ऐसी हमारी कामना है!
भगवान गणेश जी का शक्तिशाली मंत्र 
श्री गणेशाये नमः , गणपतये नमः,  वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि सम्प्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्यषु सर्वदा
भगवान गणेश का ध्यान करके हुए आप लोग इन मंत्रो को कम से कम 11 बार जरूर जपे इससे आपके जीवन में आये सारे कष्ट दूर होगा और मंगल ही मंगल होगा
गणपति के पूजा में माता गौरी की पूजा और साथ ही महादेव का भी पूजा अवश्य करें।
गणेश चतुर्थी क्या है इसे क्यों मनाया जाता है?
 गणेश चतुर्थी क्या है और इसे श्रद्धाभाव के साथ क्यों मनाया जाता है? चलिए इसे समझने के लिए इससे जुड़ी कथा को जानते हैं इस कथा का वर्णन शिवपुराण में रुद्रसंहिता चतुर्थं कुमार खंड के अध्याय तेरह से उन्नीस में मिलता है 
श्वेत कल्प में जब भगवान शंकर जी की अमोग त्रिशूल से पार्वतीनंदन दंडपाणी का मस्तक कट गया था तब पुत्रवत सलाह जगतजननी पार्वती जी अत्यंत दुखी हुई उन्होंने बहुत सी शक्तियां को उत्पन्न किया और उन्हें प्रलय मचाने की आज्ञा दे दी उन पर हम तेजस्विनी शक्ति, उन्हें सर्वत्र संहार करना प्रारंभ कर दिया प्रलय का दृश्य उपस्थित हो गया देवगढ़ हाहाकार करने लगी तब समस्त देवता मॉ जगदम्बा को प्रसन्न करने के लिए देवताओं ने उत्तर दिशा से हाथी का सिर लाकर शिवा पुत्र की धड़ से जोड़ दिया गया महेश्वर के तेज से पार्वती का प्रिय पुत्र जीवित हो गया अपने पुत्र गजमुख को जीवित देखकर माता पार्वती जी अत्यंत प्रसन्न हुई और अपने पुत्र का सत्कार करके उसका मुख चूमा और प्रेमपूर्वक उसे वरदान देते हुए कहा क्योंकि इस समय तेरे मुख पर सिंदूर दिख रहा है इसलिए मनुष्य को सदा सिंदूर से तेरी पूजा करनी चाहिए जो मनुष्य पुष्प चंदन, सुंदर गंध, नैवेद्य, रमणी, आरती, ताम्बूल और दान से तथा परिक्रमा करके तेरी पूजा करे गा उसके सभी प्रकार के विघ्न नष्ट हो जाएंगे उस समय दयामय पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि सभी देवताओं ने वही गणेश जी को प्रथम देव घोषित कर दिया उसी समय अत्यंत प्रसन्न महादेव ने अपने वीर पुत्र गजानन को अनेक वर प्रदान करते हुए कहा, विघ्ननाश के कार्य में तेरा नाम सर्वश्रेष्ठ होगा तो सबका पूज्य हैं, अतः अब मेरे संपूर्ण गणों का अध्यक्ष हो जा तदनंतर परम प्रसन्न आशुतोष ने गणपति को पुन वर प्रदान करते हुए कहा गणेश्वर तुम भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को चन्द्रमा का शुभोदय होने पर उत्पन्न हुआ है, जिस समय गिरिजा के सुंदर चित्र से तेरा रूप प्रकट हुआ उस समय रात्रि का प्रथम प्रहर बीत रहा था इसलिए उसी दिन से आरंभ करके उसी तिथि में प्रसन्नता के साथ प्रतिमा से तेरा उत्तम व्रत करना चाहिए वहाँ व्रत परम शोधन तथा संपूर्ण सिद्धियों का प्रदाता होगा दोस्तों फिर व्रत की विधि बदलते हुए गणेश चतुर्थी के दिन अत्यंत श्रद्धा भक्ति पूर्वक गजमुख को प्रसन्न करने के लिए किए गए व्रत, उपवास एवं पूजन के माहात्म्य का गान किया और कहा, जो लोग नाना प्रकार के उपचारों से भक्तिपूर्वक तेरी पूजा करेंगे, उनके विघ्नों का सदा के लिए नाश हो जाएगा और उनकी कार्यसिद्धि होती रहेंगी सभी वर्ण के लोगों को विशेषकर स्त्रियों को यह पूजा अवश्य करनी चाहिए 
पूजा विधि 
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