अमेठी में अध्यक्ष पद का आरक्षण तय, सात दिनों में मांगी गई आपत्तियां
अमेठी में अध्यक्ष पद का आरक्षण तय, सात दिनों में मांगी गई आपत्तियां
अरविन्द कुमार
गौरीगंज अमेठी। नगर निगम अधिनियम में दी गई व्यवस्था के मुताबिक सबसे पहले अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षण होता है। इसके बाद क्रमश:एससी पुरुष,ओबीसी महिला,ओबीसी पुरुष,महिला और अंत में सीट को अनारक्षित रखा जाता है।
नगर निकायों के चुनाव में अध्यक्ष पद के आरक्षण को लेकर इंतजार खत्म हो गया है। प्रदेश सरकार ने निकाय चुनाव प्रक्रिया की शुरूआत करते हुए सोमवार को अध्यक्ष पद का अनंतिम…
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पंचायत चुनाव 2021: जौनपुर में बूथ पंचायत चुनव में उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के बीच झड़प
पंचायत चुनाव 2021: जौनपुर में बूथ पंचायत चुनव में उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के बीच झड़प
अमर उजाला नेटवर्क, जौनपुर
द्वारा प्रकाशित: लेखराज गौतम
अपडेटेड थू, 15 अप्रैल 2021 03:20 PM IST
मौके पर पहुंची पुलिस।
– फोटो: अमर उजाला
ख़बर सुनकर
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जौनपुर में पंचायत चुनाव के दौरान कई जगह पर मामूली विवादों में झड़प और मारपीट की भी घटनाएं हुईं। रेपुर के रूपचंद्रपुर में दो प्रत्याशियों के समर्थकों के बीच लाठी-डंडा और ईंट-पत्थर चले। इसमें पांच लोग घायल हो गए। एक की हालत गंभीर देख रेपुर…
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बलिया में पंचायत चुनव - पंचायत चुनाव: आपत्तियां जुटाने के लिए भीड़ उमड़ी
बलिया में पंचायत चुनव – पंचायत चुनाव: आपत्तियां जुटाने के लिए भीड़ उमड़ी
खबर सुनिए
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बलिया। दूसरी बार पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण के मामले में, उच्च न्यायालय के आदेश के बाद दूसरी बार प्रधान, ब्लॉक प्रमुख, क्षेत्र और जिला पंचायत सदस्य के वार्डों के लिए आरक्षण की सूची जारी की गई। सूची जारी होते ही आपत्तियों का दौर शुरू हो गया। ज्यादातर आपत्तियां प्रधान कार्यालय के आरक्षण में गड़बड़ी को लेकर थीं। सोमवार को जिला पंचायत राज विभाग की आपत्तियों को उठाने के लिए…
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यूपी पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर 485 दावे और आपत्तियां मिलीं Divya Sandesh
#Divyasandesh
यूपी पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर 485 दावे और आपत्तियां मिलीं
लखनऊ
यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की अनंतिम सूची जारी होने के बाद दावे और आपत्तियों के आने का सिलसिला थमा नहीं है। जिला पंचायतीराज अधिकारी निरीश चंद्र साहू ने सोमवार को बताया कि पहले ही दिन 485 दावे और आपत्तियां मिली हैं। इसमें सबसे ज्यादा 429 आपत्तियां प्रधानी पद के लिए मिली हैं।
ज्यादातर शिकायतें आरक्षण को लेकर की गई हैं। जहां पहले आधार 1995 आधार वर्ष मानकर सूची तैयार करवाई गई थी। वहीं इस बार आधार वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण तय किया गया है।
उन्होंने बताया कि जिला पंचायत सदस्य पद के लिए 10 और प्रमुख को लेकर 46 दावे और आपत्तियां आई हैं। उन्होंने बताया कि अभी दावा और आपत्तियां लेने की सीमा मंगलवार को खत्म हो जाएगी। इसके बाद 24 और 25 मार्च को दावों और आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। अंतिम आरक्षण सूची 26 मार्च को जारी कर दी जाएगी। इस काम में एडीओ पंचायत स्तर के कई अधिकारी काम पर लगे हुए हैं।
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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव: 425 महिलाओं के हाथ में होगी कमान, 23 मार्च को लिखी जाएंगी आपत्तियां, 26 को जारी होगी अंतिम सूची [Source: Patrika : India's Leading Hindi News Portal]
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव: 425 महिलाओं के हाथ में होगी कमान, 23 मार्च को लिखी जाएंगी आपत्तियां, 26 को जारी होगी अंतिम सूची [Source: Patrika : India’s Leading Hindi News Portal]
लखनऊ. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) को लेकर आरक्षण की सूची जारी कर दी गई है। सूची जारी होते ही कुछ ने खुशी का इजहार किया तो कुछ के चेहरे पर मायूसी छा गई। सूची को लेकर होने वाली आपत्तियां 23 मार्च को लिखी जाएंगी। जबकि 24-25 मार्च को सूची का निस्तारण होगा। इस बीच अंतरिम आरक्षण सूची में जिला पंचायतों के 60 वार्डों और 20 महिलाएं, क्षेत्र पंचायत प्रमुख 15 सीटों में पांच और 1193 ग्राम…
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देवरिया पंचायत चुनाव आरक्षण को लेकर तीसरे दिन दाखिल हुई 264 आपत्तियां
देवरिया पंचायत चुनाव आरक्षण को लेकर तीसरे दिन दाखिल हुई 264 आपत्तियां
पंचायतों के आरक्षण को लेकर तीसरे दिन शनिवार को भी लोगों ने भारी संख्या में आपत्ति दाखिल की। तीसरे दिन विभिन्न पदों के आरक्षण को लेकर 264 आपत्तियां आयीं। इस तरह अब कुल 907 आपत्तियां दाखिल हो चुकी हैं। इसमें सबसे अधिक 747 आपत्तियां ग्राम पंचायतों के आरक्षण को लेकर हैं। आपत्तियों के मामले में भलुअनी ब्लॉक सबसे आगे है। इस ब्लॉक विभिन्न पदों के लिए 140 आपत्तियां दाखिल हुई हैं।पंचायतों के आरक्षण की…
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UP Panchayat Chunav 2021: आरक्षण सूची पर मचा घमासान, 500 से अधिक आपत्तियां दर्ज
UP Panchayat Chunav 2021: आरक्षण सूची पर मचा घमासान, 500 से अधिक आपत्तियां दर्ज
बलरामपुर जिले में आरक्षण सूची को लेकर 500 से ज्यादा आपत्तियां दर्ज
UP Panchayat Chunav Aarakshan List: 8 मार्च तक आरक्षण सूची को लेकर आपत्तियां दर्ज कराई जायेंगी. सबसे ज्यादा आपत्तियां ग्राम पंचायतों में किये गये आरक्षण को लेकर है. कई जिला पंचायत क्षेत्रो में भी मानक के विपरीत जाकर आरक्षण किये जाने के आरोप लग रहे है.
बलरामपुर. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बलरमपुर (Balrampur) जिले में…
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आज से बढ़ जाएगी चुनावी सरगर्मी,चुनावी माहौल में रंग जाएंगे गांव।
आज से बढ़ जाएगी चुनावी सरगर्मी,चुनावी माहौल में रंग जाएंगे गांव।
आज से बढ़ जाएगी चुनावी सरगर्मी,चुनावी माहौल में रंग जाएंगे गांव।
पंचायत चुनाव आरक्षण की अंतिम सूची जारी होने के बाद आपत्तियां ली जाएंगी। 14 मार्च को फाइनल सूची जारी होगी लेकिन चुनावी सरगर्मी आज से ही काफी बढ़ जाने की सम्भावना है। गांव-गांव में प्रधान पद के दावेदार काफी समय से सक्रिय हैं लेकिन आरक्षण सूची को लेकर उनके दिलों में एक डर भी बैठा हुआ था। अंतिम सूची के बाद उन्हें काफी हद तक अपनी…
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Panchayat Chunav: प्रधान पद के आरक्षण पे आपत्तियां अधिक, कल से शुरू होगा निस्तारण जाने कब प्रकाशित होगीअंतिम सूची
Panchayat Chunav: प्रधान पद के आरक्षण पे आपत्तियां अधिक, कल से शुरू होगा निस्तारण जाने कब प्रकाशित होगीअंतिम सूची
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर आपत्तियां दर्ज कराने की अवधि सोमवार को पांच बजे पूरी हो जाने के बाद बुधवार से निस्तारण कार्य शुरू हो जाएगा। जिलों में दर्ज करायी गई आपत्तियों में ग्राम प्रधान पद के आरक्षण से संबंधित अधिक है। जिलों और ब्लाकों में सूचियों का अंतिम प्रकाशन 13-14 मार्च को होगा। 15 मार्च तक आरक्षण प्रक्रिया पूरी होगी।
निर्वाचन कार्यक्रम मार्च के…
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पंचायत चुनाव 2021: जौनपुर में उम्मीदवारों और समर्थकों द्वारा उपद्रव के कारण एक और आधे घंटे तक मतदान रुका - यूपी पंचायत चुनाव: जौनपुर में प्रत्याशी और समर्थकों के हंगामे से डेरामुखी रुका मतदान, जानें पूरा मामला
पंचायत चुनाव 2021: जौनपुर में उम्मीदवारों और समर्थकों द्वारा उपद्रव के कारण एक और आधे घंटे तक मतदान रुका – यूपी पंचायत चुनाव: जौनपुर में प्रत्याशी और समर्थकों के हंगामे से डेरामुखी रुका मतदान, जानें पूरा मामला
अमर उजाला नेटवर्क, जौनपुर
द्वारा प्रकाशित: लेखराज गौतम
अपडेटेड थू, 15 अप्रैल 2021 02:26 PM IST
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उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में पंचायत चुनाव के दौरान प्रशासनिक अव्यवस्था हावी रही। बक्शा ब्लॉक के सड़ेरी गांव में जिला पंचायत सदस्य के 13 उम्मीदवार प्रचार कर रहे थे, जबकि मतपत्र पर दस के ही उम्मीदवार चिह्न थे। इसकी जानकारी में केवल हंगामा मच गया।
प्रत्याशी और उनके समर्थकों ने…
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हरियाणा जाट आरक्षण -गयी भैंस पानी में -जग मोहन ठाकन
हरियाणा जाट आरक्षण : गई भैंस पानी में
चंडीगढ़ से जग मोहन ठाकन
हरियाणा में जाट आरक्षण का मामला फिर खटाई में पड़ता लग रहा है . पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देशानुसार हरियाणा सरकार ने अपने कर्मचारियों का जातिगत विवरण तैयार कर राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को आंकड़े मुहैया करवा दिए हैं . अब आयोग ने आम जन से इन आंकड़ों पर आपत्तियां मांगीं हैं . सितम्बर माह में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा में जाट समेत छह जातियों जट सिख , मूला जाट , रोड , बिशनोई तथा त्यागी को पिछड़े वर्ग में आरक्षण देने पर ३१ मार्च ,२०१८ तक रोक लगा दी थी . हाई कोर्ट ने मामला स्टेट बैकवर्ड क्लास को रेफ़र कर दिया था और बैकवर्ड क्लास कमीशन को कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इन जातियों के सामाजिक आर्थिक आंकडे इक्कठे कर ३१ मार्च , २०१८ तक कमीशन अपनी रिपोर्ट कोर्ट में जमा करे . याचिकाकर्ता ने जाट आरक्षण का विरोध करते हुए मुद्दा उठाया था कि जाटों का सरकारी नौकरियों में पहले से ही ज्यादा प्रतिनिधित्व है . याचिका कर्ता ने जाट आरक्षण एक्ट की संवैधानिक वैधता पर भी सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट के सम्मुख प्रदेश के शिक्षा विभाग के आंकड़े पेश करते हुए कहा था कि विभिन्न पदों पर ३० से ५६ % जाट पहले से ही काबिज हैं , तो फिर आरक्षण कोटा क्यों दिया जाए ? अब सरकार ने जो आंकड़े कमीशन को मुहैया करवाए हैं , वो भी याचिका करता के ही पक्ष को मजबूत कर रहे हैं . सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल सरकारी अमले २.४२ लाख में जाटों का वर्तमान प्रदेश की सरकारी नौकरियों में २८.२८ % प्रतिनिधित्व पहले से ही है . प्रथम श्रेणी पद (२४.४८ %) , द्वितीय श्रेणी ( ३०.२२ % ) , तृतीय श्रेणी (३१.०८ %) तथा चतुर्थ श्रेणी ( १४.१२ %) . एक अनुमान के अनुसार हरियाणा प्रदेश में जाटों की संख्या २५ से २८ % तक बताई जाती है . परन्तु पुष्टि हेतु पिछड़ा वर्ग आयोग ने अब सरकार से प्रदेश में विभिन्न जातियों की जनसँख्या के सही आंकड़े मांगे हैं . उल्लेखनीय है कि देशभर में २०११ में जातिगत गणना करवाई गयी थी ,परन्तु उसके आंकडे अभी तक सार्वजनिक नहीं किये गए हैं . अगर जातीय गणना के आंकड़ों को आधार बनाया जाता है तो जाटों का आरक्षण खटाई में पड़ सकता है . दूसरी तरफ सरकार द्वारा आयोग को दिए आंकड़ों की वैधता पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं . एक आरोप है कि सरकार ने इस गणना में कॉन्ट्रैक्ट पर लगे कर्मचारियों को इसमे नहीं जोड़ा है , दूसरी तरफ कुछ स्थाई कर्मचारियों / अधिकारियों को भी सही ढंग से श्रेणीबद्ध नहीं किया गया है . उत्तर प्रदेश से हरियाणा की जाट आरक्षण की राजनीति करने वाले अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यश पाल मलिक ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार ने किस आधार पर ये आंकड़े पेश किये हैं इसकी स्टडी कर रहे हैं . हरियाणा से ही भाजपा के एक जाट नेता एवं केंद्र सरकार में मंत्री बिरेंदर सिंह ने अपनी ही पार्टी की हरियाणा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार को यह भी सोचना चाहिए कि प्रदेश में २३ प्रतिशत ऐसे जाट हैं ,जिनकी आय अनुसूचित जाति के परिवारों से भी कम है , उन्हें आरक्षण की जरुरत है .
अगर आंकड़ों के आधार पर ही जाट आरक्षण तय होना है ,तो इसकी संभावना कम ही है कि जाट आरक्षण ले पाएंगे . क्योंकि हरियाणा में जाट पहले से ही अपनी जातीय गणना के बराबर सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व ले चुके हैं . संविधान तथा सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मुताबिक ५० प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता , जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि अनुच्छेद १५(४) एवं १६(४) के तहत किसी समाज या वर्ग का शैक्षणिक एवं सरकारी सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है . परन्तु क्या आंकड़ों के हिसाब से हरियाणा सरकार द्वारा इकोनोमिकली बैकवर्ड पर्सन यानि इबीपी के नाम पर दस प्रतिशत का आरक्षण सही है ? हरियाणा में 23 जनवरी , 2013 को एक ही दिन हरियाणा सरकार ने दो नोटिफ़िकेशन पत्र 59 एस डब्लू (1 ) – 2013 तथा 60 एस डब्लू ( 1 ) -2013 जारी किए थे । क्रमांक 59 के तहत राज्य में पाँच जातियों जाट , बिशनोई , जट्ट सिक्ख , रोड व त्यागी को दस प्रतिशत का आरक्षण विशेष पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत दिया था तथा क्रमांक 60 के तहत अन्य सर्वोच्च अगड़ी सवर्ण जातियों यथा ब्राह्मण , बनिया व राजपूत आदि को इकोनोमिकली बैक्वार्ड पर्सन ( ई बी पी ) श्रेणी के अंतर्गत 10 % का आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान किया गया था । जबकि हरियाणा सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इन अग्रणी जातियों को पहले से ही इनकी जन संख्या से कहीं अधिक प्रतिनिधित्व सरकारी नौकरियों में मिला हुआ हुआ है . उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक ब्राह्मण जाति हरियाणा में ८ प्रतिशत है ,परन्तु इसका प्रतिनिधित्व प्रथम श्रेणी सरकारी सेवाओं में १०.४७ % तथा द्वितीय श्रेणी में १३.४६% है . पंजाबी (अरोडा / खत्री ) का ११.८८% प्रथम श्रेणी पदों पर तथा १०.१६% द्वितीय श्रेणी पदों पर पहले से ही कब्ज़ा है , जबकि इनकी जन संख्या केवल ८% ही है . बनिया जाति की जन संख्या केवल ५% है परन्तु हरियाणा के प्रथम श्रेणी के १३.०१% पदों पर इनका प्रतिनिधित्व है ,जो सभी जातियों से अधिक है ,जबकि जाटों का प्रथम श्रेणी में भागीदारी २४.४८% ही है . हालाँकि जाटों का आरक्षण का मामला तीस लोगों की जान जाने तथा करोड़ों की संपत्ति सवाह होने के बावजूद सरकारों की लाली पॉप वाली टरकाऊ नीति के चलते कोर्ट व कमीशन के बीच झोले ले रहा है . जबकि हरियाणा में ई बी पी आरक्षण के नाम पर सामाजिक रूप से अग्रणी जातियों के व्यक्तियों को संविधान तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अंगूठा दिखाते हुए आज भी धड्ले से चालू है . हरियाणा में आर्थिक आधार पर आरक्षण की यह अनूठी पहल है , जहां सुप्रीम कोर्ट की 50% की सीमा रेखा का भी उल्लंघन होता है तथा इन्दिरा साहनी मामले में 1992 में सर्वोच्च न्यायालय के अगड़ी जातियों के आर्थिक रूप से गरीबों के लिए अलग से आरक्षण को अमान्य करार दिया जाने के बावजूद यह आरक्षण दिया जा रहा है । प्रश्न उठता है कि आंकड़ों के हिसाब से भी इन अगड़ी जातियों का पहले से ही हरियाणा में जन संख्या से फालतू प्रतिनिधित्व होने के बावजूद कैसे विशेष सवर्ण जातियों ब्राह्मण, बनिया ,राजपूत आदि अन्य जातियों को आर्थिक आधार पर ई पी बी (इकोनोमिकली बैक्वार्ड पर्सन) श्रेणी के तहत 10 % का विशेष आरक्षण सुप्रीम कोर्ट की दोनों आपतियों ( 50 % से अधिक आरक्षण की सीमा रेखा के बाहर तथा अगड़ी सवर्ण जातियों के आर्थिक आधार पर आरक्षण अमान्य ) को किनारा कर हरियाणा में यह आरक्षण अभी भी दिया जा रहा है ?
जाट आरक्षण का मामला सभी राजनैतिक दलों के लिए एस वाई एल की तरह वोट बटोरने का एक विकल्प बना हुआ है . भारतीय जनता पार्टी हरियाणा राज्य में जाटों के आरक्षण में ‘चित भी मेरी पट भी मेरी’ की पालिसी के तहत दोनों हाथों में लड्डू रखने की चाल चल रही है . अभी नवम्बर माह में एक ही दिन दो समानांतर रैलियों का आयोजन किया गया , एक जाट आरक्षण के पक्ष में तथा दूसरी विरोध में .परन्तु विशेष बात यह रही कि दोनों ही रैली भाजपा द्वारा प्रायोजित एवं समर्थित थी. जहाँ रोहतक के गाँव जस्सिया में यशपाल मालिक द्वारा जाट आरक्षण के पक्ष में आयोजित रैली में अपने आप को जाट हितेषी स्तम्भ मानने वाले भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री बिरेंदर सिंह ने दहाड़ लगाईं कि हम आरक्षण लेकर रहेंगे . दूसरी तरफ उसी दिन उसी समय हरियाणा की मध्य स्थली जींद में भाजपा के सांसद राज कुमार सैनी चिल्ला रहे थे कि किसी भी कीमत पर आरक्षण नहीं लेने दिया जायेगा . इस रैली में केंद्र की भाजपा सरकार में शामिल मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंदर कुशवाहा आरक्षण विरोधी रैली में सैनी के समर्थन में भाषण दे रहे थे .
राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि हरियाणा में जाट –गैर जाट का विभाजन भाजपा को खूब रास आ रहा है और भाजपा अगले २०१९ के लोकसभा चुनाव तक , जिसके साथ ही पार्टी हरियाणा विधान सभा चुनाव भी करवाने की नीति पर चल रही है , इस विभाजन को और मजबूत करना चाहती है ताकि उसे प्रदेश में गैर-जाटों की नाव के माध्यम से एक बार फिर बैतरनी पार करने का सफल अवसर मिल सके . वह अगले लोकसभा चुनाव तक अपना सांप सीढी का ऐसा खेल जारी रखना चाह रही है कि जाटों को लगे कि बस अब आरक्षण मिलेगा और गैर –जाटों को दृढ विश्वास हो जाये कि जाटों को आरक्षण बिलकुल नहीं दिया जायेगा .
हाल के गुजरात विधान सभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा पटेल आरक्षण की घोषणा पर भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा की गयी प्रतिक्रिया स्पष्ट संकेत दे र���ी है कि भाजपा ५०% की आरक्षण कैप का उल्लंघन करने के मूड में नहीं है .अरुण जेटली का यह कहना कि कांग्रेस द्वारा ५०% से अधिक के आरक्षण की घोषणा अपने आप को धोखे में रखने वाली है तथा संवैधानिक रूप से असंभव है एवं कभी भी कानूनी रूप से अनुमत्त नहीं है , सीधे सीधे ५०% से अधिक आरक्षण पर भाजपा का रूख बतला रही है . कांग्रेस द्वारा पटेलों को आरक्षण देने की घोषणा पर पहले से ही आरक्षण ले रहे अनुसूचित जाति , जनजाति ( आदिवासी ) एवं ओ बी सी श्रेणी के मत दाताओं को पटेलों के खिलाफ लामबद्ध कर भाजपा से जोड़ने के उद्देश्य के तहत भाजपा ने जातीय विभाजन की खूब लकीर खीची . इन जातियों को यह समझाने के पूरे प्रयास किये गए कि यदि पटेलों को आरक्षण मिलता है तो पूर्व में आरक्षण ले रही जातियों के हिस्से को काटकर ही आरक्षण दिया जायेगा . लुनावाडा डेटलाइन से इकनोमिक टाइम्स में छपी पी टी आई की एक खबर(दिसंबर ०९ ,२०१७ ) के मुताबिक प्रधान मंत्री नरेंदर मोदी ने एक जन सभा में कहा , “ मैं अपने मुस्लिम मित्रों से पूछना चाहता हूँ , क्या कांग्रेस ने उन्हें देश में कहीं भी आरक्षण दिया है ? क्या यह उनका झूठा वायदा साबित नहीं हुआ ? अब वे गुजरात की एक अन्य कम्युनिटी को आरक्षण का वायदा कर रहे हैं . वे उन्हें कहाँ से आरक्षण देंगे ? क्या वे ओ बी सी , आदिवासी तथा अनुसूचित जाति के कोटे से इसे छिनेंगे ?” मोदी के इस तर्क ने न केवल पटेलों के बिछोह से हुए वोट नुकसान की भरपाई की ,अपितु पूर्व में आरक्षित श्रेणी के लोगों को भाजपा से जोड़ने का काम भी सफलता पूर्व किया . हरियाणा में भी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ बी सी ) के तहत पूर्व में आरक्षण ले रही जातियों को भी जाटों के आरक्षण देने के मुद्दे पर गैर –जाट वर्ग के झंडे के नीचे भाजपा के ही एक सांसद राज कुमार सैनी द्वारा लामबद्ध किया जा रहा है और काफी हद तक सैनी को इसमें सफलता भी मिली है . क्यों भाजपा के ही सांसद द्वारा तीन साल से अधिक समय से किये जा रहे इस जातीय विभाजन पर भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व मौन साधे हुए है ? क्या यह सब उपरी निर्देश के तहत ही हो रहा है ? कहीं गुजरात नीति की तरह ही जाटों की प्रभावी राजनैतिक शक्ति के संतुलन के लिए हरियाणा में गैर-जाटों को भाजपा से जोड़ने के लिए तो भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व का कोई एजेंडा तो नहीं है ? मामला कुछ भी हो जाट आरक्षण की भैंस एक बार तो पानी में गोता लगाती प्रतीत हो ही रही है .
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गोरखपुर-बस्ती डिवीजन के पांच जिलों की पंचायत चुनाव 2021 आरक्षण सूची जारी
गोरखपुर-बस्ती डिवीजन के पांच जिलों की पंचायत चुनाव 2021 आरक्षण सूची जारी
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पांच जिलों गोरखपुर-बस्ती मंडल, बस्ती, संतकबीरनगर, देवरिया, कुशीनगर और महाराजगंज में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की अनंतिम सूची शनिवार देर रात जारी की गई। सूची जारी होते ही प्रखंड मुख्यालय से लेकर डीपीआरओ कार्यालय तक भीड़ जमा हो गई। कई ने सूची देखकर खुशी जाहिर की और कुछ लोगों के चेहरे पर निराशा थी। 23 मार्च तक आपत्तियां ली जाएंगी। 24-25 मार्च को आपत्तियों का…
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बड़ी खबर: उत्तराखंड सरकार ने सभी संवर्गों के प्रमोशन पर लगाई रोक, वजह जानने के लिए पढ़े पूरी खबर डेस्क। उच्च न्यायालय से पदोन्नति में आरक्षण देने के संबंध में पारित आदेश और इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका विचाराधीन होने के चलते प्रदेश सरकार ने राज्याधीन सेवाओं, शिक्षण संस्थाओं, सार्वजनिक उद्यमों, निगमों व स्वायत्तशासी संस्थाओं में सभी संवर्गों के लोकसेवकों के प्रमोशन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने यह आदेश कार्मिक एवं सतर्कता विभाग से जारी किया है। जिसमें अगले आदेश तक डीपीसी की बैठकों को भी स्थगित किया गया है। न्यायालय के अंतिम निर्णय आने तथा सरकार के स्तर पर कोई नीतिगत निर्णय लेने तक पदोन्नतियों पर रोक रहेगी। सभी विभागों को इस संबंध में आदेशित कर दिया गया है। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने दायर रिट याचिका ज्ञान चंद बनाम उत्तराखंड राज्य व अन्य में इसी वर्ष 1 अप्रैल को आदेश जारी किया गया था। इसमें आपत्तियां सामने आने के बाद सरकार ने इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है जो अभी न्यायालय में विचाराधीन है।
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पंचायत चुनाव २०२१: जौनपुर में पंचायत चुनव के लिए प्रथम चरण का मतदान शुरू
पंचायत चुनाव २०२१: जौनपुर में पंचायत चुनव के लिए प्रथम चरण का मतदान शुरू
अमर उजाला नेटवर्क, जौनपुर
द्वारा प्रकाशित: लेखराज गौतम
अपडेटेड थू, 15 अप्रैल 2021 11:36 AM IST
सार
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के पहले चरण का मतदान आज हो रहा है। इस दौरान जौनपुर जिले में चुनावी सरगमी के बीच लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है। आज 1740 ग्राम पंचायतों पर चुनाव हो रहे हैं।
कास्टिंग के लिए लाइन में खड़ी महिलाएं।
– फोटो: अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश में पंचायत…
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पंचायत चुनाव: पंचायत चुनव प्रथम चरण का मतदान 15 अप्रैल से शुरू।
पंचायत चुनाव: पंचायत चुनव प्रथम चरण का मतदान 15 अप्रैल से शुरू।
अमर उजाला नेटवर्क, जौनपुर
द्वारा प्रकाशित: लेखराज गौतम
अपडेटेड मैट, 14 अप्रैल 2021 01:08 PM IST
ख़बर सुनना
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जौनपुर जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 15 अप्रैल को होगा। जौनपुर के 21 ब्लाकों में 1740 ग्राम पंचायतों में सुबह सात बजे से मतदान शुरू हो जाएगा। कुल 5106 बूथों पर मतदान के लिए पूरी तैयारी हो गई है।
सभी ब्लॉक मुख्यालयों से बुधवार की मतदान सामग्री देकर…
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