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#उत्तर मुखी घर वास्तु
mypanditastrologer · 3 months
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वास्तु शास्त्र के अनुसार इन रंगों से खेलें होली, मिलेंगे सकारात्मक परिणाम
होली का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग सभी बैर भूलकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। होली के त्योहार का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, रंगों से होली खेलने के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। माना जाता है कि इन उपायों को अपनाया जाए, तो जीवन में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। आज हम आपको होली से जुड़े वास्तु के कुछ विशेष नियम बताने जा रहे हैं। इनसे आपका होली का त्योहार खुनशुना बन जाएगा।
उत्तरमुखी घर है, तो इन रंगों से खेले होली
वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर आप घर पर परिवार और दोस्तों के साथ होली मना रहे हैं, तो होली खेलते समय दिशाओं का ध्यान रखें। यदि आपके घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में खुलता है, तो आपका घर उत्तरमुखी है। उत्तर मुखी घर में होली खेलने के लिए पीला, हरा, नीला और हल्का नीला रंग अच्छा माना जाता है। इन रंगों से होली खेलने से जीवन की वर्तमान परेशानियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा आती है।
दक्षिणमुखी घर है, तो इन रंगों से खेले होली
यदि आपका घर दक्षिण दिशा की ओर है, तो आपको गुलाबी, बैंगनी, नारंगी और लाल रंग से होली खेलनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, इससे परिवार के सदस्यों का आत्मविश्वास बढ़ता है और आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहती है।
पूर्वमुखी घर है, तो इन रंगों से खेले होली
अगर आपका घर पूर्व दिशा की ओर है, तो घर में होली खेलते समय आपको गहरे रंग जैसे पीला, लाल, हरा, गुलाबी और नारंगी रंग का इस्तेमाल करना चाहिए। इन रंगों से होली खेलने से मान-सम्मान वृद्धि होती है। वहीं, अगर आपका घर पश्चिम दिशा की ओर है, तो आपको होली खेलने के लिए हल्के नीले, सुनहरे या सफेद रंग का उपयोग करना चाहिए। माना जाता है कि इससे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
Pandit Subham Shastri Ji
Call : - +91- 9888520774
To Know More Visit: https://www.astrologersubhamshastri.com/
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ragbuveer · 9 months
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌺 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌺
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (चतुर्दशी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-13-सितम्बर-2023
वार:-----------बुधवार
तिथी :--------14चतुर्दशी:-28:50
पक्ष:--------कृष्णपक्ष
माह:--------भाद्रपद
नक्षत्र:-------मघा:-26:01
योग:--------सिद्बि:-26:08
करण:-------विष्टि:-15:36
चन्द्रमा:------सिंह
सुर्योदय:------06:26
सुर्यास्त:-------18:41
दिशा शूल-------उत्तर
निवारण उपाय:---गुड का सेवन
ऋतु :---------------शरद ऋतु
गुलीक काल:---11:00से 12:32
राहू काल:-------12:32से14:04
अभीजित--------- नहीं है
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
लाभ:-06:26से07:58तक
अमृत:-07:58से09:30तक
शुभ:-11:00से12:32तक
चंचल:-15:36से 17:08तक
लाभ:-17:08से 18:41तक
🌓चोघङिया रात🌗
शुभ:-20:11से21:39तक
अमृत :-21:39से23:07तक
चंचल :-23:07से00:35तक
लाभ :-03:31से04:58तक
🙏आज के विशेष योग 🙏
वर्ष का175वाँ दिन, भद्रा समाप्त15:36, मास शिवरात्रि, अघोरा चतुर्दशी, पर्युषण पर्व प्रारम्भ (पंचमी जैन), सूर्य उफा.पर 27:26, संग सू.सू.स्त्री वाहन गज(हाथी), वर्षा श्रेष्ठ
👉वास्तु टिप्स👈
मास शिवरात्रि के दिन एक मुखी रुद्राक्ष की पूजा करके तिजोरी में जरुर रखे।
*सुविचार👏*
उत्पन्न और नष्ट होने वाली वस्तु को लेकर अपने को बड़ा अथवा छोटा मानना बहुत बड़ी भूल है, तुच्छता है। 👍🏻 राधे राधे...
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
पेट दर्द से बचने के लिए होम्योपैथी कोलोसिंथ 6 या 30 शक्ति का प्रयोग सर्वोत्तम है।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *मेष*
बेवजह झुंझलाहट रहेगी। विवाद को बढ़ावा न दें। शोक समाचार प्राप्त हो सकता है, धैर्य रखें। दौड़धूप अधिक होगी। लाभ में कमी रहेगी। पुराना रोग उभर सकता है। बिछड़े साथियों से मुलाकात होगी। क्रोध न करें।
🐂 *वृष*
थोड़े प्रयास से काम बनेंगे। प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कुसंगति से बचें। थकान महसूस होगी। रोजगार में वृद्धि होगी। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा मनोनुकूल रहेगी।
👫 *मिथुन*
घर में अतिथियों की आवाजाही रहेगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। उचित निर्णय ले पाएंगे। धनार्जन होगा। जल्दबाजी न करें। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य पर व्यय होगा।
🦀 *कर्क*
भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी व लापरवाही न करें, लाभ होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।
🦁 *सिंह*
स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। स्वास्थ्य पर खर्च होगा। यात्रा में जल्दबाजी न करें। कर्ज लेना पड़ सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें, बाकी सामान्य रहेगा। चिंता बनी रहेगी। झंझटों में न पड़ें। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे।
👰🏼 *कन्या*
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। शत्रु सक्रिय रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। आय में वृद्धि होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
⚖ *तुला*
योजना फलीभूत होगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। रोजगार व आय में वृद्धि होगी। निर्णय क्षमता बढ़ेगी। यात्रा सफल रहेगी। योजना फलीभूत होगी। आय के साधन बढ़ेंगे।
🦂 *वृश्चिक*
राजकीय सहयोग से काम बनेंगे। तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। बेरोजगारी दूर होगी। धनार्जन होगा। अपनी जानकारी गोपनीय रखें। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी।
🏹 *धनु*
वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। बनते काम बिगड़ेंगे। आवक बनी रहेगी। जोखिम न उठाएं। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। झंझटों से दूर रहें।
🐊 *मकर*
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। राजकीय सहयोग से काम बनेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। परिवार के सदस्य कार्य में सहयोग करेंगे। लाभ में वृद्धि होगी। विवाद न करें। राजकीय सहयोग से लाभ में वृद्धि होगी।
🏺 *कुंभ*
संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। मान में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। राजकीय सहयोग मिलेगा। धनार्जन होगा। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है।
🐬 *मीन*
रचनात्मक कार्य पूर्ण व सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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आज अध्ययन कक्ष के लिए कुछ विशेष वास्तु सुझाव- • पढ़ाई के लिए ईशान कोण यानी घर का उत्तरपूर्वी कोना शुभ रहता है। • पढ़ाई पूर्व मुखी बैठ कर करनी चाहिए। • पूर्व दिशा के अलावा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भी पढ़ाई की जा सकती है। • ध्यान रखें कि दक्षिण दिशा कि ओर मुंह करके पढ़ाई न करें, वरना पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है। • स्थानाभाव में पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके पढ़ाई की जा सकती है। • सुबह-सुबह पढ़ाई करना है ज्यादा फायदेमंद है। इस समय में मन शांत रहता है और एकाग्रता बनी रहती है। शांत मन से की गई पढ़ा गया लंबे तक याद रहता है। • अध्ययन कक्ष सदा साफ सुथरा और सुव्यवस्थित रहे। • पढ़ाई की मेज पर फालतू सामान रखने से बचें। आप अपने घर में इन बातों का ध्यान रखेंगे तो बच्चों को पढ़ाई का अधिक लाभ मिल सकता है। http://shashwatatripti.wordpress.com #vastulokesh #study https://www.instagram.com/p/CEaxUO-ndbK/?igshid=1jfly81u31jy1
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khabarbharat · 4 years
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वास्तु टिप्स: घर में उत्तर दिशा का फर्श बनवाते समय इन बातों का रखें ध्यान, धन-समृद्धि में होगी बढ़ोतरी
वास्तु टिप्स: घर में उत्तर दिशा का फर्श बनवाते समय इन बातों का रखें ध्यान, धन-समृद्धि में होगी बढ़ोतरी
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वास्तु शास्त्र में आचार्य इंदु प्रकाश आज बात करेंगे उत्तर मुखी भवन की उत्तरी दिशा के फर्श के बारे में। वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा के फर्श का निर्माण करवाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। एक तो इस दिशा के फर्श की ऊंचाई दक्षिण या पश्चिम दिशा के फर्श के जितनी नहीं रखनी चाहिए, उनसे कम ही रखनी…
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devendrasinghworld · 4 years
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वास्तु शास्त्र में आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए पूर्वमुखी भवन की विभिन्न स्थितियों में भवन निर्माण करवाते समय शुभाशुभ परिणामों के बारे में। किसी भी दिशा में भवन बनवाते समय उसके शुभ-अशुभ परिणामों के बारे में अच्छे से विचार कर लेना चाहिए। भवन की शुभ स्थिति को बनाए रखने के लिये क्या करना चाहिए और अशुभता से बचाव के लिये किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ये जानना बहुत जरूरी है। हम सबसे पहले पूर्वमुखी भवन की शुभता हेतु अपनाए जाने वाले पहलुओं पर चर्चा करेंगे। 
पूर्व मुखी भवन में पूर्व और उत्तर दिशाओं में खाली स्थान हो तो भवन स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ की दृष्टि से बहुत ही हितकारी है। लिहाजा पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशाओं में खाली स्थान जरूर छोड़ना चाहिए। ऐसा करने से धन और वंश के साथ-साथ स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहेगा। 
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#नवरात्र में #संपत्ति में ऐसे करें #निवेश अगर आप #संपत्ति में #निवेश करने, #मकान- #दुकान, #आफिस आदि खरीदने का मन बना रहे हैं, तो #नवरात्र इसके लिए उपयुक्त समय है। इन दिनों किया गया छोटा निवेश भी बढ़ी #सफलता दिलाता है। दक्षिण मुखी व पश्चिम मुखी #घर बेहद #शुभ होते है, परंतु इनका चयन कस्टमाईस्ड #वास्तु के अनुसार हो। नया घर बना रहे हैं तो नीवं के लिए सही दिशा से खुदाई शुरू किया जाना नितांत आवश्यक है। ऐसा नहीं किए जाने से निर्माण में तमाम किस्म की #बाधाओं का सामना करना पडता है। ईशान मुखी घर उनके लिए ठीक है जो पैसे के दृष्टिकोण से #जीवन व्यतीत नहीं कर रहे। ऐसी #प्रॉपर्टी न ले जिसका नार्थ ईस्ट और साउथ वेस्ट दोनों कटे हुए हो या इन दोनो दिशाओं में #टॉयलेट हो। साधारणतय: यह मान लिया जाता है कि साउथ ईस्ट यानी अग्नि कोण में #रसोई होना बहुत शुभ है परंतु ऐसा सभी के लिए उचित नहीं है साउथ ईस्ट में बनी रसोई आपको #धनहानि, #रिलेशनशिप में कड़वाहट, क़ानूनी #समस्या इत्यादि दिलवा सकती है। घर के मुखिया की जन्मतिथि में उपस्थित पाँच तत्वों के अनुसार इसको उचित दिशा में बनाना चाहिए। ऐसी प्रोपर्टी जिसके चारों तरफ बहता जल है या आप उसके चारों तरफ़ भ्रमण कर सकते है तो यह आपकी #आर्थिक #समृद्धि के लिए अति उत्तम है। #जल कृत्रिम भी हो सकता है। उत्तर व पूर्व दिशा में पश्चिम एवं दक्षिण की तुलना में ज्यादा खाली जगह छोडना शुभ है।
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दक्षिण मुखी भवन । दझिण मुखी भवन के बारे यह भ्रांति फैल गई है की दक्षिण मुखी भवन अशुभफलदायक होते है जबकि लोगो की यह विचार धारा सरासर गलत है क्योंकि सभी दिशाये ईश्वर द्वारा प्रकृति के नियमो के आधार पर आधारित है। कोई भी दिशा कभी गलत नही होती ।यदि किसी भी दिशा मे वास्तु के नियमो को ध्यान मे रखकर तथा वास्तु के नियमो के आधार पर निर्माण कार्य कराया जाये तो समस्याये पैदा होने की सम्भावना लगभग शुन्य हो जाती है । आज मकान भवन या भूमी लेते समय लोगो की पहली पसन्द पूर्व फिर उत्तर फिर पश्चिम व अंत मे मजबूर वश दझिण दिशा पसन्द करते है । हम दझिण मुखी भवन या प्लाट की बात कर रहे थे।यदि दझिण मुखी भवन का निर्माण वास्तु के नियमो को ध्यान मे रखकर करवाया जाये तो यह दझिण दिशा अन्य दिशाओ की तुलना मे बहुत ज्यादा यश सम्मान पाता है और यहाँ रहने वालो का जीवन वैभवशाली हो जाता है । इस परिवार के लोग चौतरफा तरक्की कर सुखी और अचछा जीवन जीता है । लोगो के दिमाग मे यह बात गहराई तक समाई हुई है कि दक्षिण मुखी भवन मे निवास करने वाले लोग कभी सुखी जीवन जी नही सकते हमेशा परेशानी मे रहते है जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है बस ध्यान रखना है की दझिण मुखी भवन का निर्माण मै वास्तु के नियमो का पालन किया गया हो। ऐसा भूखंड जिसमे दझिण मे ही सङक हो वह दक्षिण मुखी भूखंड कहलाता है ।दक्षिण मुखी भूखंड होने का सबसे ज्यादा प्रभाव घर की महिलाओ पर पङता है दक्षिण दिशा को सामान्यतः अशुभ माना गया है जबकि ऐसा नही है । दक्षिण दिशा काल पुरुष का बायां सीना किङनी फेफङा आते है ।यदि दक्षिण मुखी भूखंड पर निर्माण मे वास्तु के नियमो का पालन किया जाये तो यह दिशा अन्य दिशाओ मे रहने वाले लोगो से बेहतर परिणाम देती है ।वास्तु अनुसार निर्माण के बाद इस घर मे रहने वाले लोग उन्नतिशील व सुखदायक जीवन जीते है । बिना तोड़-फोड के वैदिक व वैज्ञानिक विधी से वास्तु परामर्श, धर्म-शास्त्रिय शंका- समाधान, कंप्यूटर कृत सटीक जन्मपत्रिका, वर-वधु गुण मिलान,सर्टिफाइड रत्न, विवाह, संतान, नौकरी, व्यवसाय की समस्या, शुद्ध विवाह, सभी प्रकार की व्यक्तिगत समस्या के समाधान, गृह प्रवेश- हवन आदि के मुहूर्त, रत्न परामर्श, कुंडली विश्लेषण,अंक ज्योतिष, (#Numerology), आदि के लिए संपर्क करे- श्रीनाथ ज्योतिष कार्यालय, पं. गजानन कृष्ण महाराज, हैदराबाद , 8985195822 #Gajanansays #Astrology #Vastu #Vaastu #South #Southdirection #Southfacingdirection (at Gajanan Krishna Maharaj)
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aajkarashifal · 7 years
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काम सुख में कमी का वास्तु से कुछ लेना देना है?
सद्गुरु स्वामी आनंदजी (आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषीय चिंतक) टिप्स ऑफ द वीक 1. तिजोरी के अंदर कुमकुम द्वारा श्रीं और हृीं लिखे पिरामिड रखने से धन आकर्षित होता है, ऐसा पिरामिड के शोध से जुड़े सूत्र मानते हैं। 2. उत्तर मुखी होकर अध्ययन करने से विद्यार्जन में विशेष प्रगति होती है ऐसा वास्तु के सिद्धांत कहते हैं। ये भी जानें राहु की महादशा 18 वर्षों की होती है। राहु वैचारिक समृद्धि, मानसिक दृढ़ता और अपार बौद्धिक क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। राहु की महादशा में 3, 6, या 9 वर्षों में शुभ या अशुभ का क्रम चलता है। छठे व आठवें वर्ष कष्टकारी होते हैं। निर्बलों की सेवा और शनिवार को उन्हें दान देने से राहुजनित कष्टों का निराकरण होता है, ऐसा मान्यताएं कहती हैं। प्रश्न: ज्योतिष में गुरु पूर्णिमा का क्या महत्व है? आर्थिक लाभ के लिए इस दिन कौन सी पूजा करनी चाहिए? शिरीष परांजपे उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा ज्योतिषीय नहीं, एक नितांत आध्यात्मिक पर्व है। यह स्वयं को बाहरी नहीं, आंतरिक रूप से सशक्त, समृद्ध और सामर्थ्य प्रदान करने का काल है। अपने गुरु की पूर्णता को स्वयं में अंगीकार करने का यह पर्व सीधे तौर पर तो भौतिकता से पृथक है, पर सनद रहे कि स्थूल और भौतिक लाभ सदैव आंतरिक क्षमता और योग्यता का अनुसरण करते हैं। प्रश्न: कालसर्प का कुयोग कितने सालों में खत्म होता है? प्रतीक त्रिपाठी उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि जन्म के समय राहु और केतु के मध्य समस्त ग्रहों के इकट्ठा होने को कालसर्प योग कहते हैं। योग और दशाओं में अंतर है। दशाएं चलायमान यानि परिवर्तनशील होती हैं और योग स्थिर। यह बदलते नहीं हैं। कालसर्प योग दरअसल मालव्य योग, गजकेशरी, रुचक योग, भद्र योग, बुद्धादित्य योग, हंसयोग या कुल दीपक जैसा एक योग हैं, जो यदि है, तो जीवन भर रहेगा, खत्म नहीं होगा। क���ल सर्प योग को कुयोग समझना बड़ी भूल है। इस योग ने ही बड़े-बड़े शूरवीरों, उद्यमियों, युग पुरुषों, राजनैतिक हस्तियों, अभिनेताओं और उद्योगपतियों को जन्म भी दिया और अर्श पर भी बिठाया है। काल सर्प योग अक्सर मध्य आयु के बाद बड़ी कामयाबी से नवाजता है। यह योग कभी-कभी शुरुआती संघर्ष का कारक बनता है, पर वह आरंभिक असफलता ही भविष्य की बड़ी सफलता का सबब बनती हैं। प्रश्न: घर में कांच की वस्तुएं बार-बार टूट फूट रही हैं। क्या वास्तु इसे अशुभ मानता है? उदय खेमका उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि सामान्य रूप से कही सुनी बातें, नवीन सिद्धांत और मान्यताएं घर में कांच के टूटने या टूटे-चिटके कांच की गृह में मौजूदगी शुभ नहीं मानती। यद्यपि इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। वास्तु के प्राचीन नियम इस विषय पर मौन है क्योंकि उस काल में कांच का प्रचलन शायद नहीं था। पर इसे प्राचीन वास्तु के उस सिद्धांत से भी जोड़कर देखा जा सकता है जो किसी भी प्रकार की फर्श, दीवार और छत की टूटन, दरार और सीलन को शुभ फल प्रदायक नहीं मानते हैं। प्रश्न: मैं जिसको पसंद करता हूं, मुझसे 22 साल छोटी है। क्या उम्र का इतना ज्यादा फासला दांपत्य जीवन पर कोई नकारात्मक प्रभाव डालेगा? जन्मतिथि- 14.08.1971, जन्म समय- 17.30, जन्म स्थान- मुंबई। अनिरुद्ध पाटील उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं आपकी राशि वृष और लग्न मकर है। लग्न में मंगल की उपस्थिति जहां आपको मांगलिक बना रही है, वहीं साथ में राहु की मौजूदगी इस योग को तीव्रता भी प्रदान कर रही है। अष्टमेश सूर्य पत्नी भाव में बैठकर दांपत्य जीवन के लिए चुनौतियां प्रस्तुत कर रहा है, वहीं साथ में उसके कट्टर शत्रु केतु और पंचमेश व कर्मेश शुक्र की मौजूदगी बेमेल प्रेम संबंधों से सतर्क रहने की ताकीद भी कर रहा है। विस्तृत विश्लेषण के लिए वर वधु दोनों की कुंडली की दरकार है। उम्र के फासले का प्रश्न ज्योतिषीय परिधि के बाहर है। यह व्यक्तिगत, मानसिक, पारिवारिक और सामाजिक रुचि और परिस्थितियों को देखकर ही लिया जा सकता है। प्रश्न: क्या काम सुख में कमी का वास्तु से कुछ लेना देना है? नए घर में शिफ्टिंग के बाद से पति के साथ संबंध प्रभावित हो रहे हैं। प्रमिला वाजपेयी उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि हां! इसके सूत्र आपके घर के वास्तु में गुंथे हो सकते हैं। अपने घर के उत्तर-पश्चिम कोने का सूक्ष्म विश्लेषण करें। घर का ये कोना आपके मन की आकांक्षाओं, आरजुओं और उमंगों के लिए जिम्मेदार है। यहां किसी भी प्रकार का दोष आपके काम सुख का बंटाधार कर सकता है। यहां दीवार या छत पर दर्पण या कांच की मौजूदगी, गंदगी, बहुत तीव्र प्रकाश आपकी यौन आकांक्षाओं के पतन का कारक बन सकता है। इसके अलावा दक्षिण-पूर्व कोण का नीचा या दोषपूर्ण होना अथवा वहां कोई गड्ढा होना भी व्यक्तिगत रिश्तों पर चोट पहुंचाता है। यह स्थिति नपुंसक न होकर भी बेमतलब के तनावों को थोप कर नपुंसकता का आभास कराती है। मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट। http://dlvr.it/PTG0MP
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devendrasinghworld · 4 years
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वास्तु शास्त्र में आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए भवन बनाते समय उसके शुभाशुभ विचारों की। वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी भवन को बनाते समय उसके शुभ-अशुभ परिणामों की तरफ विचार जरूर करना चाहिए और सुनियोजित योजना भी बनानी चाहिए। भवन के लिये भूखण्ड खरीदते समय या बनाते समय कई बार कुछ महत्वपूर्ण चीजों पर गौर करना छूट जाता है। इसलिए पहले से ही उसकी एक सही तरीके से योजना बना लेनी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक विचारों पर काम किया जा सके। 
दिशाओं के अनुसार भवन बनाने के लिये आठ स्थितियां बनती हैं। पहली स्थिति में पूर्वमुखी भवन आता है, जिसमें भवन का द्वार पूर्व दिशा में होता है दूसरी स्थिति में पश्चिम मुखी भवन आता है, जिसमें द्वार पश्चिम दिशा की ओर होता है। अगली स्थिति में उत्तर मुखी भवन होता है, जिसमें भवन का द्वार उत्तर दिशा की ओर होता है। इसके अलावा दक्षिण मुखी भवन, जिसमें दक्षिण दिशा की तरफ भवन का द्वार होता है।
ईशान मुखी भवन, जिसमें भवन का द्वार उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होता है। आग्नेय मुखी भवन, जिसमें भवन का द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर होता है। नैर्ऋत्य मुखी भवन, जिसमें भवन का द्वार दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ होता है और आखिरी स्थिति वायव्य मुखी भवन, जिसमें भवन का द्वार उत्तर-पश्चिम दिशा की तरफ होता है। ये तो थी एक भवन की विभिन्न दिशाओं में द्वार अनुसार संभावित स्थितियां।
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