बोल बम के जयकारों से गूंज रही सतपुड़ा की वादी, साल में एक बार खुलता हैं यह शिव मंदिर
बोल बम के जयकारों से गूंज रही सतपुड़ा की वादी, साल में एक बार खुलता हैं यह शिव मंदिर
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Publish Date:Thu, 20 Feb 2020 12:14 PM (IST)
होशंगाबाद/विदिशा/रायसेन, जेएनएन। Mahashivratri 2020 : सतपुड़ा की रानी कही जाने वाली पचमढ़ी की वादियां इन दिनों बोल बम के जयकारों से गूंज रही हैं। त्रिशूल लिए हजारों श्रद्धालुओं में चौरागढ़ पहुंचने की धुन है। मप्र के होशंगाबादजिले के अतंर्गत सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में चौरागढ़ महादेव मंदिर मौजूद है, जहां महाशिवरात्रि तक चलने वाले आठ दिनी…
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महाशिवरात्रि 2020 : पचमढ़ी में भगवान शिव का अनोखा मंदिर, यहां श्रद्धालु चढ़ाते हैं दो क्विंटल तक के त्रिशूल
चैतन्य भारत न्यूज
21 फरवरी यानी शुक्रवार को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस खास अवसर पर हम आपको आज भोलेनाथ के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां मन्न्त पूरी होने पर श्रद्धालु यहां दो क्विंटल तक वजनी त्रिशूल भेंट करते हैं। आइए जानते हैं महादेव के इस अनोखे मंदिर के बारे में।
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मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले की पिपरिया तहसील में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में स्थित चौरागढ़ मंदिर है, जिसे नागलोक का मार्ग या नागद्वार के नाम से भी जाना जाता है। खास बात यह है कि, साल में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है। यहां हर साल महाशिवरात्रि पर एक मेला लगता है जिसमें भाग लेने के लिए लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं। नागद्वार के अंदर चिंतामणि नाम की एक गुफा भी है जो 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं। मन्न्त पूरी होने पर श्रद्धालु यहां महाशिवरात्रि पर एक इंच आकार से लेकर दो क्विंटल तक वजनी त्रिशूल भेंट करने आते हैं। करीब 200 साल से यहां महाशिवरात्रि पर आठ दिनी मेला लगने की परंपरा जारी है।
महाराष्ट्र से आते हैं सबसे ज्यादा श्रद्धालु
मेले में मध्यप्रदेश के अनेक जिलों के अलावा महाराष्ट्र, छतीसगढ़, गुजरात और राजस्थान से यहां श्रद्धालु आते हैं। चौरागढ़ मेला के नोडल अधिकारी जिला पंचायत सीईओ आदित्य सिंह का कहना है कि महाशिवरात्रि पर सबसे ज्यादा यहां महाराष्ट्र के लोग आते हैं। इस साल एक लाख से ज्यादा त्रिशूल भेंट होने का अनुमान है।
यहां की प्रमुख कथाएं
चौरागढ़ महादेव की मान्यता को लेकर अनेक कथाएं हैं। महादेव मंदिर के पुजारी बाबा गरीबदास के मुताबिक, एक कथा यह है कि भस्मासुर को वरदान देने के बाद भगवान शिव ने यहां निवास किया था। यहां का पूरा आदिवासी समाज शिवजी को बड़ादेव के रूप में पूजता है। वहीं दूसरी कथा है कि माता पार्वती ने महाराष्ट्र में एक बार मैना गोंड़नी का रूप धारण किया था। इस कारण महाराष्ट्र के लोग माता पार्वती को बहन और शिवजी को बहनोई मानकर यहां पूजन करने महाशिवरात्रि पर आते हैं। जबकि तीसरी कथा यह है कि यहां के तपस्वी चौरा बाबा को महादेव ने दर्शन देकर उन्हें चौरागढ़ के नाम से अमर होने और श्रद्धालुओं की मन्न्त पूरी करने का आशीर्वाद दिया था।
ऐसे पहुंचें चौरागढ़
चौरागढ़ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में है। यहां पचमढ़ी से 10 किमी तक वाहन जाता है। इसके बाद चार किमी पैदल रास्ता है। फिर 325 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर पहुंचते हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया है। पचमढ़ी तक सड़क मार्ग भोपाल, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, बैतूल, जबलपुर, नागपुर से जुड़ा हुआ है।
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