सुल्तानी माई मंदिर दिखा मां दुर्गा का अद्भुत रूप, महिषासुर का वद्ध करते हुए मां का विक्राल रूप प्रदर्शित किया जा रहा है।
सुल्तानी माई मंदिर दिखा मां दुर्गा का अद्भुत रूप, महिषासुर का वद्ध करते हुए मां का विक्राल रूप प्रदर्शित किया जा रहा है।
अररिया। अररिया के फारबिसगंज शहर के ऐतिहासिक सुल्तान पोखर स्थित सुल्तानी माई मंदिर हिन्दू व मुसलमानों भाइयों के बीच एकता का प्रतीक है। पोखर तट पर बने इस मंदिर में दोनों समुदायों के लोग एक साथ मन्नतें मांगते है। इस मंदिर के भीतर एक मजार भी है,जहां एक ओर हिन्दू समुदाय के लोग पूजा अर्चना करते है, तो वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग अपने आस्था की इबादत करते है।जहां मां भवगती वैष्णो देवी मंदिर सुल्तान पोखर…
ध्वजा रोहण करके हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने की हर घर तिरंगा अभियान में सहभागिता |
लखनऊ, 15.08.2024 | भारतवर्ष के 78वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के सेक्टर 25, इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में "ध्वजारोहण" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल व न्यासी डॉ. रूपल अग्रवाल ने ध्वजारोहण किया तथा उपस्थित लाभार्थियों एवं स्वयंसेवकों ने राष्ट्रगान गाकर तिरंगे झंडे को सलामी दी | लाभार्थियों को जलपान वितरित किया गया |
श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी तथा कहा कि, “स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए न केवल गर्व और सम्मान का दिन हैं, बल्कि यह हमें उन महान बलिदानों की भी याद दिलाता हैं, जिन्होंने हमें आजादी दिलाई । इस दिवस पर हम उन लाखों लोगों को नमन करते हैं जिन्होंने देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपनी जानें गंवाई और असहनीय पीड़ा सही । हमें इस दिन यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे । हमारे लिए यह स्वतंत्रता अमूल्य हैं और इसे संजोए रखना हमारा कर्तव्य हैं । आइए, हम सभी मिलकर अपने देश को एकजुट रखने का प्रण लें और स्वतंत्रता के इस पर्व को सच्चे अर्थों में मनाएं ।"
डॉ0 रूपल अग्रवाल ने कहा कि, “हमारा तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं हैं यह हमारी अस्मिता, हमारी पहचान और हमारे देश के गौरव का प्रतीक हैं, हमें इसे ऊँचा रखने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए । साथ ही हमें यह भी याद रखना चाहिए कि आजादी के साथ हमें अपने कर्तव्यों का भी पालन करना होगा ताकि हम अपने देश को और अधिक मजबूत, समृद्ध और सुरक्षित बना सकें । आइए, हम सभी मिलकर इस स्वतंत्रता दिवस को एक नई ऊर्जा और संकल्प के साथ मनाएं और अपने देश की सेवा में समर्पित रहें ।"
हाल ही में सेक्टर- 25 निवासी श्री आर.के शर्मा एवं श्रीमती निशा शर्मा के नौजवान पुत्र श्री अभिषेक शर्मा की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई, जिस पर उपस्थित सभी लोगों ने 1 मिनट का मौन रखकर श्री अभिषेक शर्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की |
"ध्वजारोहण" कार्यक्रम मे हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ. रूपल अग्रवाल, लाभार्थियों रिषभ, राशि, कोमल, निशु सोनी, राजकुमारी, नंदिनी, आयुषी, रितिका, हर्षिता, प्रिया रावत, वैभवी, वैभव, सोनी, सुषमा सिंह, मालती, नीतू सिंह, शल्लो, अनिता सिंह, राम, शिव, रीतम, राजेश तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
Har Ghar Tiranga Yatra | हर घर तिरंगा यात्रा | 78th Independence Day | 78वां स्वतंत्रता दिवस
Har Ghar Tiranga !!
भारत माता की जय, हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए लोगों को अपने अपने घर पर तिरंगा फहराने का हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने किया आह्वान |
लखनऊ, 14.08.2024 | माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर 'हर घर तिरंगा' अभियान के अंतर्गत, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट एवं चन्द्रशेखर आज़ाद बाल विद्या मंदिर, महामाया नगर, तकरोही, इंदिरा नगर, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में "तिरंगा यात्रा" निकाली गयी I तिरंगा यात्रा में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ0 रूपल अग्रवाल व करीब 250 स्वयंसेवकों व राष्ट्रभक्तों ने हाथ में तिरंगा झंडा लेकर महामाया नगर, तकरोही, इंदिरा नगर के सभी निवासियों को अपने-अपने घरों पर तिरंगा झंडा फहराकर भारत की आजादी के 78वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न को मनाने की अपील की I
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ0 रूपल अग्रवाल ने कहा कि, “आज का दिन हमारे लिए अत्यंत गर्व और सम्मान का दिन हैं क्योंकि हम तिरंगा यात्रा के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं । तिरंगा, जो हमारे देश के स्वाभिमान और स्वतंत्रता का प्रतीक हैं, हमें अपनी देशभक्ति, एकता और अखंडता की याद दिलाता हैं । तिरंगा यात्रा का उद्देश्य न केवल हमारे राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना हैं कि हम सभी देशवासी अपनी मातृभूमि के प्रति सच्ची निष्ठा और समर्पण का भाव रखें । यह यात्रा हमारे देश के शहीदों को श्रद्धांजलि देने का एक माध्यम भी हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई । हमारे तिरंगे में तीन रंग हैं - केसरिया, जो साहस और बलिदान का प्रतीक हैं; सफेद, जो शांति और सच्चाई का प्रतीक हैं; और हरा, जो समृद्धि और हरियाली का प्रतीक हैं । इन तीनों रंगों के बीच में बना अशोक चक्र हमें जीवन के सतत प्रवाह और प्रगति की याद दिलाता हैं । इस तिरंगा यात्रा के माध्यम से हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम अपने देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे । हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर देशहित को प्राथमिकता दें । आइए, हम सब मिलकर इस यात्रा को एक सफल और यादगार बनाएं, और देश के हर कोने में तिरंगे की शान को और ऊँचा करें । जय हिंद !”
तिरंगा यात्रा में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ0 रूपल अग्रवाल तथा चन्द्रशेखर आज़ाद बाल विद्या मंदिर के प्रबंधक श्री संतोष वर्मा, प्रधानाचार्या श्रीमती सीमा वर्मा, शिक्षकों यास्मीन जी, सुश्री अंजना, सुश्री अनिता, सुश्री सुमन, सुश्री प्रिया, सुश्री संगीता, सुश्री नीलम, सुश्री सभ्यता, साहिना जी, श्री राजकुमार, श्री विकास, छात्र-छात्राओं तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
समाज में सुधार की इच्छा, शौर्य, ऐसे अनेक गुणों के प्रतीक रहे छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर्श हमें लेना चाहिए – डॉ. मोहन भागवत, सरसंघचालक
एक प्रखर राष्ट्रभक्त होने के कारण शिवाजी ने सदैव यह प्रयास किया कि हिन्दुओं में एकता स्थापित हो और वे एक जुट होकर विदेशी आक्रान्ताओं के विरुद्ध हथियार उठाकर भारत माता को दासता से मुक्त कर सकें!
शिवाजी महाराज एक राष्ट्रवादी राजा थे, न की प्रांतवादी, भाषावादी!
उनका जीवन राष्ट्रीय था- तभी उनके गुरु उनके राज्याभिषेक मे नही आये और उपहार मे उनको भगवा वस्त्र दिया!
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र में आपका स्वागत है, जहाँ आप कर्मकांड पूजा विधि सीख सकते हैं। कर्मकांड का अभ्यास भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से आत्मिक शांति और संतोष की प्राप्ति में मदद करता है। यहाँ पर आप केवल 5 महीनों में कर्मकांड पूजा विधि की विधिवत तैयारी कर सकते हैं।
कर्मकांड का महत्व
कर्मकांड, जिसे हिन्दू धर्म में अनुष्ठान और पूजा विधियों का संग्रह माना जाता है, हमारे जीवन में विशेष स्थान रखता है। यह न केवल व्यक्तिगत भक्ति का साधन है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। कर्मकांड का अध्ययन हमें निम्नलिखित बातों का ज्ञान कराता है:
धार्मिक अनुष्ठान: कर्मकांड पूजा विधि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करने में मदद करती है, जो व्यक्ति को ईश्वर के निकट लाने का कार्य करती है।
सामाजिक एकता: सामूहिक पूजा और अनुष्ठान समुदाय को एकजुट करते हैं और आपसी संबंधों को मजबूत बनाते हैं।
आध्यात्मिक विकास: नियमित पूजा से व्यक्ति का मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। यह आत्मा को शुद्ध करने और सकारात्मकता लाने में सहायक है।
संस्कारों का पालन: कर्मकांड हमें संस्कारों और परंपराओं को बनाए रखने में मदद करते हैं, जो पीढ़ियों से आगे बढ़ते हैं।
प्रशिक्षण केंद्र का उद्देश्य
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र का उद्देश्य आपको कर्मकांड पूजा विधि का गहन अध्ययन और अभ्यास कराना है। यहाँ पर आप निम्नलिखित लाभ उठा सकते हैं:
विधिवत अध्ययन: आप कर्मकांड की विधियों को विस्तार से समझ सकते हैं और उन्हें सही तरीके से लागू कर सकते हैं।
ऑनलाइन क्लासेस: यह सुविधा आपको घर बैठे सीखने की अनुमति देती है। आप किसी भी समय और स्थान से कक्ष��ओं में शामिल हो सकते हैं।
अनुभवी शिक्षक: हमारे प्रशिक्षित शिक्षक आपको पूजा विधियों की विस्तृत जानकारी देंगे, जिससे आप इसे सही तरीके से सीख सकें।
कक्षाओं का विवरण
श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र में विभिन्न ऑनलाइन कक्षाएँ निम्नलिखित हैं:
कर्मकांड ऑनलाइन क्लास
समय: 04:00 PM से 05:00 PM
भागवत पुराण मूलपाठ ऑनलाइन क्लास
समय: 06:05 PM से 07:00 PM
भागवत पुराण साप्ताहिक कथा ऑनलाइन क्लास
समय: 07:30 PM से 09:00 PM
राम कथा ऑनलाइन क्लास
समय: 09:05 PM से 10:00 PM
कक्षा में जुड़ने की प्रक्रिया
आप कक्षा में शामिल होने के लिए नि���्नलिखित लिंक का उपयोग कर सकते हैं:
Join Zoom Meeting: Join Zoom Meeting
Meeting ID: 419 969 0017
Passcode: Radhe
सभी कक्षाओं में जुड़ने का लिंक वही है, इसलिए बस आपको समय का ध्यान रखना है।
कैसे तैयारी करें
कक्षा में शामिल होने के लिए निम्नलिखित सुझावों का पालन करें:
पंजीकरण: पहले से संपर्क करें और अपनी सीट सुनिश्चित करें।
सामग्री की तैयारी: कक्षा से पहले अध्ययन सामग्री को पढ़ें और किसी भी प्रश्न को नोट करें।
अनुशासन बनाए रखें: कक्षा में भाग लेते समय ध्यान और अनुशासन बनाए रखें ताकि आप बेहतर तरीके से सीख सकें।
कर्मकांड पूजा विधि की मूल बातें
कर्मकांड पूजा विधि में निम्नलिखित महत्वपूर्ण तत्व शामिल होते हैं:
पूजा की तैयारी: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री का संग्रह करना जैसे फूल, दीपक, धूप, और नैवेद्य।
शुद्धता का ध्यान: पूजा के समय शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। इसे मन, वचन, और क्रिया से पालन करना चाहिए।
मंत्रों का उच्चारण: सही मंत्रों का उच्चारण करना आवश्यक है, क्योंकि मंत्रों की शक्ति विशेष होती है। सही उच्चारण से पूजा का प्रभाव बढ़ता है।
नैवेद्य अर्पण: भगवान को भोग अर्पित करना और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करना महत्वपूर्ण है।
आरती और प्रार्थना: पूजा के अंत में आरती करना और प्रार्थना करना, ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का एक साधन है।
निष्कर्ष
कर्मकांड पूजा विधि केवल धार्मिक कृत्यों का पालन नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा है जो हमें सिखाती है कि जीवन को किस प्रकार से सार्थक बनाया जाए। श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से आप इस अद्भुत विधि का अध्ययन कर सकते हैं और अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं।
इस यात्रा में शामिल होकर आप न केवल कर्मकांड की विधियों को जानेंगे, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति का अनुभव भी करेंगे। हम आपके सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए यहाँ हैं। आइए, इस आध्यात्मिक यात्रा में कदम रखें और अपने जीवन को समर्पित करें।
भारत एक विशाल और विविधताओं से भरा देश है, जहाँ विभिन्न भाषाएँ, धर्म, जातियाँ, और सांस्कृतिक धरोहरें पाई जाती हैं। इस विविधता के बावजूद, देश की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए एक साझा भाषा का होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान विशेष महत्व रखता है। हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि देश के विभिन्न भागों को एकता के सूत्र में पिरोने वाली शक्ति है। राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है।
हिंदी: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में हिंदी ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, विभिन्न भाषाएँ बोलने वाले लोग एक मंच पर आए और एक साझा लक्ष्य के लिए लड़े। इस समय हिंदी ने संचार का प्रमुख माध्यम बनकर सभी को एक सूत्र में बाँधने का काम किया। महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, और सुभाष चंद्र बोस जैसे महान नेताओं ने हिंदी को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया, जिससे यह स्वतंत्रता आंदोलन की आवाज़ बन गई। आजादी के बाद, भारत के संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि हिंदी न केवल स्वतंत्रता संग्राम की भाषा रही है, बल्कि देश की एकता को बनाए रखने में भी इसका महत्व है।
सांस्कृतिक एकता में हिंदी का योगदान
भारत की सांस्कृतिक विविधता में हिंदी एक सेतु का काम करती है। विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में बोलचाल की अलग-अलग भाषाएँ और बोलियाँ हैं, परंतु हिंदी ने इन सबको एक मंच पर लाने का काम किया है। हिंदी फिल्मों, संगीत, साहित्य, और नाटकों ने भारतीय समाज के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। हिंदी सिनेमा ने न केवल भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया, बल्कि देश के अंदर भी लोगों को एक-दूसरे की संस्कृति और परंपराओं से परिचित करवाया। हिंदी के माध्यम से लोग एक-दूसरे की भावनाओं और विचारों को समझ पाते हैं, जिससे समाज में आपसी भाईचारा और सौहार्द बढ़ता है।
सामाजिक समरसता और हिंदी
हिंदी भाषा ने सामाजिक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह भाषा समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संवाद और विचार-विमर्श का सशक्त माध्यम बनी है। हिंदी, एक ऐसी भाषा है जिसे आम आदमी से लेकर उच्च वर्ग तक सभी लोग समझ सकते हैं। यह भाषा विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के लोगों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करती है। विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के लोग हिंदी के माध्यम से एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। इससे समाज में एक समरसता और सहयोग की भावना उत्पन्न होती है, जो राष्ट्रीय एकता को मजबूत करती है। इस प्रकार राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान समाज के विभिन्न हिस्सों को एक साथ लाने में अहम रहा है।
राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्र में हिंदी की भूमिका
स्वतंत्रता के बाद, भारत के संविधान निर्माताओं ने हिंदी को देश की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। यह निर्णय देश की अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया था। प्रशासनिक और राजनीतिक क्षेत्र में हिंदी का प्रयोग देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने का माध्यम बन गया। चाहे संसद हो या विभिन्न राज्यों की विधानसभाएँ, हिंदी के माध्यम से संवाद और निर्णय लिए जाते हैं। इससे देश के सभी नागरिकों को एक समान रूप से संचार की सुविधा मिलती है, जिससे राष्ट्रीय एकता को बल मिलता है।
हिंदी और शिक्षा
हिंदी शिक्षा के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह भाषा शिक्षा का एक प्रमुख माध्यम बनकर उभरी है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ हिंदी मातृभाषा नहीं है। हिंदी के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों से परिचित होते हैं, जिससे उनकी समझ में विस्तार होता है और वे राष्ट्रीय एकता की भावना को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। हिंदी माध्यम से दी गई शिक्षा लोगों को न केवल अपनी भाषा और संस्कृति से परिचित कराती है, बल्कि देश की अन्य भाषाओं और संस्कृतियों को समझने का अवसर भी प्रदान करती है।
हिंदी: एकता का प्रतीक
हिंदी भाषा राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गई है। भारत में कई क्षेत्रीय भाषाएँ और बोलियाँ होने के बावजूद, हिंदी ने पूरे देश को एकजुट रखने का कार्य किया है। हिंदी का सरल और प्रभावी स्वरूप इसे देश के विभिन्न हिस्सों में अपनाने के लिए अनुकूल बनाता है। हिंदी के माध्यम से लोग न केवल संवाद कर पाते हैं, बल्कि एक साझा राष्ट्रीय पहचान का अनुभव भी करते हैं। यह भाषा राष्ट्रीय पर्वों, आयोजनों, और सरकारी कार्यक्रमों में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है, जिससे देश की एकता और अखंडता को मजबूती मिलती है।
वैश्विक मंच पर हिंदी की भूमिका
हिंदी न केवल भारत के भीतर, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की एकता और पहचान को सशक्त कर रही है। हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख भाषा के रूप में मान्यता मिल रही है, और इसे संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भी स्वीकार किया जा रहा है। विदेशों में बसे भारतीय भी हिंदी के माध्यम से अपनी संस्कृति और मूल्यों को संरक्षित करते हैं। हिंदी भाषा ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे भारत की एकता और अखंडता का संदेश दुनिया भर में फैल रहा है।
हिंदी का भविष्य और राष्ट्रीय एकता
आज के समय में भी हिंदी राष्ट्रीय एकता की धारा को सशक्त बनाए हुए है। तकनीकी और डिजिटल युग में हिंदी ने अपनी महत्ता को बनाए रखा है। सोशल मीडिया, इंटरनेट, और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर हिंदी का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे यह स्पष्ट है कि हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है। हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता और उपयोगिता इसे भविष्य में भी राष्ट्रीय एकता का महत्वपूर्ण साधन बनाएगी।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। यह भाषा न केवल लोगों को जोड़ने का माध्यम है, बल्कि एक राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक भी है। हिंदी ने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, और राजनीतिक स्तर पर देश की एकता को सुदृढ़ किया है। आज के युग में भी हिंदी अपनी सशक्त उपस्थिति के साथ राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रही है। इसके माध्यम से भारत की विविधता में एकता का संदेश प्रकट होता है, जो देश की प्रगति और स्थिरता के लिए अनिवार्य है। राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान हर स्तर पर महत्त्वपूर्ण और अनमोल है, और भविष्य में भी यह देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में अपना योगदान देती रहेगी।
दक्षिण भारत की भव्य संस्कृति, कृषि समृद्धि व किसानों के उल्लास के प्रतीक, सामाजिक समरसता व एकता का संदेश देने वाले “ओणम पर्व” की समस्त देश व प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
दक्षिण भारत की भव्य संस्कृति, कृषि समृद्धि व किसानों के उल्लास के प्रतीक, सामाजिक समरसता व एकता का संदेश देने वाले “ओणम पर्व” की समस्त देश व प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
दक्षिण भारत की भव्य संस्कृति, कृषि समृद्धि व किसानों के उल्लास के प्रतीक, सामाजिक समरसता व एकता का संदेश देने वाले “ओणम पर्व” की समस्त देश व प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
A special assembly was conducted at St. Joseph’s Kindergarten School, Adampur to celebrate Hindi Diwas. The students participated enthusiastically, presenting poems and the thought of the day, all in Hindi. Various activities were organized to showcase the importance of the Hindi language. The school's principal Sudha Chaudhary addressed the students, highlighting the significance of Hindi Diwas and the rich heritage of the language. Teachers also contributed with beautiful performances that added to the spirit of the occasion. The event aimed to promote Hindi as a symbol of unity and cultural pride. Students and teachers alike took pride in their heritage, making the celebration memorable. The assembly not only instilled a sense of respect for the language but also encouraged everyone to use Hindi more in daily life.
सेंट जोसेफ किंडरगार्टन स्कूल, आदमपुर में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष सभा का आयोजन किया गया। छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, उन्होंने हिंदी में कविताएँ और दिन का विचार प्रस्तुत किया। हिंदी भाषा के महत्व को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। स्कूल की प्रधानाचार्या सुधा चौधरी ने छात्रों को संबोधित करते हुए हिंदी दिवस और भाषा की समृद्ध धरोहर के महत्व पर प्रकाश डाला। शिक्षकों ने भी सुंदर प्रस्तुतियों के साथ इस अवसर पर अपना योगदान दिया, जिसने कार्यक्रम की भावना को और बढ़ाया। इस आयोजन का उद्देश्य हिंदी को एकता और सांस्कृतिक गर्व के प्रतीक के रूप में प्रोत्साहित करना था। छात्र और शिक्षक दोनों ने अपनी धरोहर पर गर्व किया, जिससे यह समारोह यादगार बन गया। इस सभा ने न केवल भाषा के प्रति सम्मान की भावना जगाई बल्कि सभी को अपने दैनिक जीवन में हिंदी का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए भी प्रेरित किया।
हिंदी दिवस: भारतीय भाषा की महत्ता और पहचान - डॉ. इंद्रकुमार विश्वकर्मा
भारत विविध भाषाओं, संस्कृतियों, और परंपराओं का देश है। यहाँ भाषाओं का अद्वितीय संगम मिलता है, लेकिन हिंदी भाषा ने अपने व्यापक प्रसार और सहजता के कारण इस विविधता में एकता का प्रतीक बनकर उभरने का काम किया है। हिंदी दिवस प्रतिवर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व को समझाना, उसके विकास में योगदान देना और उसे एक वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित करना है। इस लेख में हम हिंदी…
भारत माता की जय, हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए लोगों को अपने अपने घर पर तिरंगा फहराने का हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने किया आह्वान |
लखनऊ, 14.08.2024 | माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर 'हर घर तिरंगा' अभियान के अंतर्गत, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट एवं चन्द्रशेखर आज़ाद बाल विद्या मंदिर, महामाया नगर, तकरोही, इंदिरा नगर, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में "तिरंगा यात्रा" निकाली गयी I तिरंगा यात्रा में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ0 रूपल अग्रवाल व करीब 250 स्वयंसेवकों व राष्ट्रभक्तों ने हाथ में तिरंगा झंडा लेकर महामाया नगर, तकरोही, इंदिरा नगर के सभी निवासियों को अपने-अपने घरों पर तिरंगा झंडा फहराकर भारत की आजादी के 78वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न को मनाने की अपील की I
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ0 रूपल अग्रवाल ने कहा कि, “आज का दिन हमारे लिए अत्यंत गर्व और सम्मान का दिन हैं क्योंकि हम तिरंगा यात्रा के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं । तिरंगा, जो हमारे देश के स्वाभिमान और स्वतंत्रता का प्रतीक हैं, हमें अपनी देशभक्ति, एकता और अखंडता की याद दिलाता हैं । तिरंगा यात्रा का उद्देश्य न केवल हमारे राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना हैं कि हम सभी देशवासी अपनी मातृभूमि के प्रति सच्ची निष्ठा और समर्पण का भाव रखें । यह यात्रा हमारे देश के शहीदों को श्रद्धांजलि देने का एक माध्यम भी हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई । हमारे तिरंगे में तीन रंग हैं - केसरिया, जो साहस और बलिदान का प्रतीक हैं; सफेद, जो शांति और सच्चाई का प्रतीक हैं; और हरा, जो समृद्धि और हरियाली का प्रतीक हैं । इन तीनों रंगों के बीच में बना अशोक चक्र हमें जीवन के सतत प्रवाह और प्रगति की याद दिलाता हैं । इस तिरंगा यात्रा के माध्यम से हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम अपने देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे । हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर देशहित को प्राथमिकता दें । आइए, हम सब मिलकर इस यात्रा को एक सफल और यादगार बनाएं, और देश के हर कोने में तिरंगे की शान को और ऊँचा करें । जय हिंद !”
तिरंगा यात्रा में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ0 रूपल अग्रवाल तथा चन्द्रशेखर आज़ाद बाल विद्या मंदिर के प्रबंधक श्री संतोष वर्मा, प्रधानाचार्या श्रीमती सीमा वर्मा, शिक्षकों यास्मीन जी, सुश्री अंजना, सुश्री अनिता, सुश्री सुमन, सुश्री प्रिया, सुश्री संगीता, सुश्री नीलम, सुश्री सभ्यता, साहिना जी, श्री राजकुमार, श्री विकास, छात्र-छात्राओं तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
समस्त देशवासियों को साहस और शौर्य के प्रतीक राष्ट्रीय महापर्व 78वें "स्वतंत्रता दिवस" की हार्दिक शुभकामनाएं ।
सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास का पालन करके, आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर एकता, विविधता और शांति के उन मूल्यों को बनाए रखने का संकल्प लें, जिन पर हमारा राष्ट्र खड़ा है ।
हिंदी दिवस 2024: राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक समृद्धि की ओर एक कदम
नई दिल्ली: आज देशभर में हिंदी दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। 14 सितंबर को हर साल मनाए जाने वाले हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी भाषा की महत्वता को उजागर करना और इसके संरक्षण व संवर्धन के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में कहा, “हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। यह हमारी विविधता में एकता का सशक्त माध्यम…
हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि हमारी एकता और अस्मिता की प्रतीक है। आइए, इस दिन पर हिंदी के प्रति अपने प्रेम को और भी मजबूत करें और अपनी भाषा को आगे बढ़ाने का संकल्प लें। हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
तीज महोत्सव: भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व परिचय तीज महोत्सव भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो मुख्यतः महिलाओं के लिए समर्पित है। यह त्योहार हर साल सावन मास की शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है और इसे खासतौर पर हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भारतीय समाज में न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। तीज का पर्व पतियों की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख-शांति की कामना के साथ मनाया जाता है। आइए, इस लेख में तीज महोत्सव की महत्ता, इसकी परंपराएँ, और इसके आयोजन की विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
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तीज महोत्सव की धार्मिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तीज महोत्सव का धार्मिक महत्व भारतीय हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा है। यह पर्व देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन देवी पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें अपना पति बनाया। इस तरह, तीज महोत्सव का एक महत्वपूर्ण पहलू पत्नी के रूप में पति की लंबी उम्र की कामना करना है। इसके अलावा, यह पर्व समृद्धि, खुशहाली और पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती का प्रतीक भी है। तीज की तैयारी और आयोजन तीज महोत्सव की तैयारी एक सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती है। महिलाएँ इस अवसर को खास बनाने के लिए अपने घरों को सजाने, विशेष पकवान तैयार करने और अपनी सुंदरता को बढ़ाने के लिए तरह-तरह की तैयारियाँ करती हैं। https://www.youtube.com/watch?v=SpMxs6Tb-0k
1. सज्जा और तैयारी: महिलाएँ इस दिन को विशेष बनाने के लिए अपने घरों को हरे-भरे पौधों, रंग-बिरंगे फूलों, और दीपों से सजाती हैं। घर के आंगन और आचार्य को विशेष रूप से सजाया जाता है। गांवों में विशेष रूप से झूले और रंग-बिरंगे झंडे भी लगाए जाते हैं। 2. व्रत और पूजा: तीज के दिन महिलाएँ उपवासी रहती हैं और पूरे दिन उपवासी रहकर देवी पार्वती की पूजा करती हैं। पूजा के दौरान वे विशेष मंत्रों और भजनों का उच्चारण करती हैं। महिलाएँ व्रत के नियमों का पालन करते हुए दिनभर केवल फल-फूल का सेवन करती हैं। इस दिन विशेष पूजा के लिए कुमकुम, चंदन, फूल, और मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं। 3. आहार और पकवान: तीज के पर्व पर विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें खासतौर पर दही वड़ा, पकोड़ी, खीर, और मिठाई शामिल होती हैं। इन पकवानों का स्वाद और उनका रंग-रूप इस त्योहार की सुंदरता को बढ़ाता है। महिलाएँ इन्हें एक-दूसरे के साथ बाँटती हैं और इस अवसर को खुशियों से भर देती हैं। तीज महोत्सव की सामाजिक और सांस्कृतिक विशेषताएँ https://www.youtube.com/watch?v=SpMxs6Tb-0k
1. झूला झूलना: तीज के दिन गांवों और शहरों में महिलाएँ विशेष झूलों का आनंद लेती हैं। ये झूले आमतौर पर रंग-बिरंगे कपड़े और फूलों से सजाए जाते हैं। झूला झूलने का आयोजन न केवल मनोरंजन के लिए होता है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है। 2. गीत और नृत्य: तीज महोत्सव के दौरान महिलाएँ पारंपरिक गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। ये गीत खासतौर पर इस त्योहार से जुड़े हुए होते हैं और इनमें पति-पत्नी के रिश्ते, परिवार की खुशहाली, और देवी पार्वती की पूजा का वर्णन होता है। नृत्य और गीत इस पर्व के उल्लास को और बढ़ाते हैं। 3. विवाह और पारिवारिक संबंध: तीज का पर्व परिवारिक एकता और रिश्तों की मजबूती को प्रोत्साहित करता है। इस दिन महिलाएँ अपने परिवार के साथ समय बिताती हैं, एक-दूसरे के साथ सहयोग करती हैं और पारिवारिक बंधनों को मजबूत करती हैं। यह अवसर परिवार की खुशहाली और एकता को संजोने का भी है। तीज के आधुनिक स्वरूप और बदलाव समय के साथ-साथ तीज महोत्सव का स्वरूप भी बदल गया है। आधुनिक जीवनशैली और व्यस्त दिनचर्या के कारण, कई लोग इस पर्व को पारंपरिक तरीके से नहीं मना पाते। हालांकि, इस पर्व की मुख्य भावनाएँ और धार्मिक महत्व आज भी समान हैं। शहरों में तीज के आयोजन में कई बदलाव हुए हैं, जैसे कि पारंपरिक झूलों की जगह रंग-बिरंगे कृत्रिम झूले और आधुनिक सजावट का प्रचलन हुआ है। इसके बावजूद, तीज की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता आज भी वैसी की वैसी ही बनी हुई है। https://www.youtube.com/watch?v=SpMxs6Tb-0k
निष्कर्ष तीज महोत्सव भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो केवल धार्मिक मान्यता के साथ नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व पतियों की लंबी उम्र, वैवाहिक संबंधों की मजबूती, और परिवार की खुशहाली की कामना के साथ मनाया जाता है। इसकी परंपराएँ, पूजा विधियाँ, और उत्सव की विशेषताएँ इसे एक अद्वितीय और समृद्ध पर्व बनाती हैं। तीज का पर्व भारतीय समाज में एकता, भाईचारे और खुशियों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो सदियों से हमारे सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा रहा है।