🔸️काशी का अद्भुत विशाल भंडारा🔸️
600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व्यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होती है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार करवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती कम्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगें इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोहर ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी कि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर की अमर वाणी का अखंड पाठ, निःशुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
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26-27-28 नवंबर 2023
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मार्कण्डेय पुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित पृष्ठ 237) में श्राद्ध के विषय मे एक कथा का वर्णन मिलता है जिसमें रूची नामक एक ऋषि को अपने चार पूर्वज जो शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे, दिखाई दिए। “पितरों ने कहा कि बेटा रूची हमारे श्राद्ध निकाल, हम दुःखी हो रहे हैं।" रूची ऋषि ने जवाब दिया की पित्रामहों वेद में कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को मूर्खों की साधना कहा है, अर्थात यह क्रिया व्यर्थ व शास्त्र विरुद्ध है।
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लखनऊ, 11.05.2024 | मातृ दिवस 2024 के उपलक्ष्य में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज के तत्वावधान में सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज, इन्दिरा नगर, लखनऊ में "मातृ सम्मान" कार्यक्रम का आयोजन किया । कार्यक्रम के अंतर्गत सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज के कक्षा 1 से कक्षा 12 तक प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं की माताओं व विद्यालय की शिक्षिकाओं को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया साथ ही विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुति देकर अपनी माताओं का आभार व्यक्त किया व उन्हें सादर नमन किया | कार्यक्रम का शुभारंभ हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री महेंद्र अवस्थी तथा सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रीति कुशवाहा द्वारा दीप प्रज्वलित व मां सरस्वती जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने वहां मौजूद सभी महिलाओं को मातृ दिवस की बधाई दी और कहा कि, “माँ शब्द की गरिमा शब्दों में बयां नहीं की जा सकती क्योंकि अगर माँ नहीं होती तो बच्चों के अस्तित्व भी नहीं होते | दुनिया में माँ को भगवान का दर्जा दिया गया है | भगवान हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने माँ को बनाया | आज मातृ दिवस पर हम सभी माताओं को बधाई देते हैं तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं |"
ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री महेंद्र अवस्थी ने कहा कि, “हमारे लिए हर दिन मातृ दिवस की तरह होना चाहिए | हमें जीवन की पहली शिक्षा अपनी माँ से मिलती हैं | पुराणों में अन्न, धन और ज्ञान की देवी भी अन्नपूर्णा माँ, लक्ष्मी माँ और सरस्वती माँ है तथा जिस धरती पर हम रहते हैं वह भी हमारी धरती माँ है | जो संस्कार एक माँ अपने बच्चो को देती हैं वो कोई और नहीं दे सकता | माँ कभी भी अपने बच्चो के लिए बुरा नहीं सोचती | सभी बच्चे आज यहां से यही सीख लेकर जाएँ कि वह प्रतिदिन अपने माता-पिता का आदर करेंगे तथा अपनी माँ का सम्मान करेंगे |”
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उपस्थित सभी माताओं को मातृ दिवस की बहुत-बहुत बधाई | सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रीति कुशवाहा तथा सभी शिक्षिकाओं का हार्दिक आभार जिन्होंने मातृ दिवस कार्यक्रम का सफल आयोजन किया | साथ ही आगामी 20 मई को होने वाले चुनाव में 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों से मतदान करने की अपील करी ।
सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रीति कुशवाहा ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, “माँ से बड़ा कोई शब्द नहीं होता | जीवन में अगर हमें कोई कठिनाई आती है तो हम ईश्वर से पहले माँ को ही याद करते हैं |”
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 30 माताओं को सम्मानित किया गया जिनमे श्रीमती रेखा, श्रीमती सुमन गुप्ता, श्रीमती चंद्रा देवी, श्रीमती श्यामा, श्रीमती कमला देवी, श्रीमती विलाशा निषाद, श्रीमती मोनिका मिश्रा, श्रीमती कंचन, श्रीमती मोनिका मिश्रा, श्रीमती विमला केवट, श्रीमती गीतांजलि दुबे, श्रीमती लक्ष्मी, श्रीमती चंद्रावती चौरस, श्रीमती सुमन गुप्ता, श्रीमती शैल कुमारी, श्रीमती सारिका वर्मा, श्रीमती सुशीला, श्रीमती रंजना विश्वकर्मा, श्रीमती अनीता, श्रीमती रेखा देवी, राबिया खातून जी, श्रीमती कांति वर्मा, श्रीमती रीता मिश्रा, श्रीमती मीनू, श्रीमती सारिका वर्मा, श्रीमती मीना कश्यप, श्रीमती उर्मिला कश्यप, श्रीमती किरण देवी, श्रीमती कौशल्या साहू शामिल हैं ।
ट्रस्ट द्वारा सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज की शिक्षिकाओं श्रीमती राज लक्ष्मी, सुश्री हर्षबाला, श्रीमती विभा सिंह, सुश्री नीतिका, श्रीमती आराधना, सुश्री अर्चना कश्यप, सुश्री शालिनी, श्रीमती प्रीति, श्री प्रियांशु, सुश्री अंजू वर्मा, श्री हिमांशु, श्रीमती प्रीति, सुश्री अपर्णा गौड़, श्रीमती नीलम वर्मा, श्रीमती शशि लता, सुश्री शशि किरण को भी सम्मानित किया गया |
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती नीलम वर्मा ने किया |
समारोह में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री महेंद्र अवस्थी, सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रीति कुशवाहा, शिक्षिकाओं सहित माताओं, छात्र- छात्राओं व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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श्राद्ध-पिण्डदान गीता अनुसार कैसा है?
momen wentietlen
Anandmurti Gurumaa
हमारे पित्तरों के किये गए पाप पुण्य के भागीदार हम भी होते हैं।
हमें अपने पित्तरों के लिए दान, तर्पण आदि करने चाहिये।
गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है कि जो पित्तरों की पूजा करते हैं, वे पित्तर योनि प्राप्त करेंगे, मोक्ष नहीं होगा। जो भूत पूजते हैं, वे भूत बनेंगे। श्राद्ध करना पित्तर पूजा तथा भूत पूजा है।
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तुम दूर क्या चले गए इस शहर से,
हर एक पेड़ मुरझाया सा लगने लगा है।
वह नदी जो रोज हमारे आने का इंतजार करती थी,
आज पूछ रही है मुझसे की "वह कहा है?"
मेरी डायरी अब मुझे डांटने लगी है की "तुम ये लिखती किसके बारे में हो?"
जब छत पे जाती हूं टहलने रोज की तरह,
मुझसे सवाल करते है वह तारे सारे की "वह कहा है?"
आजकल तेरी गलियों से गुजरने लगी हूं रोज,
पर तेरे दरवाजे पर लगे ताले भी मुझे पूछने लगे है की "वह कहा है?"
अब उनके सवालों के जवाब देते देते मैं थक गई हूं।
पर तुम बताओ, कैसे हो? और वापिस आने का क्या इरादा है?
वैसे अब मुझसे भी इस शहर में रहा नही जाता,
मैं अब जिस भी शहर जाऊ तू उस शहर का लगता है।
तुझसे यह नाता मेरा कुछ पिछले जन्म का लगता है।
मैं जिस भी गली भटकूं लगता है तू यही कही है
हां क्युकी तुम यही कही हो मेरा दिल जानता है।
तुम यहां से चले क्या गए लगने लगा है मेरा मकान टूट गया हो कोई
एक यही वजह है मैं जारही हूं ये शहर छोडके
और ये बात तुमको छोड़के ये सारा शहर जानता है
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#GodMorningWednesday
परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि हे धमर्दास !
भवसागर यानी काल लोक से निकलने के लिए भक्ति की शक्ति की आवश्यकता होती है। परमात्मा प्राप्ति के लिए जीव मे सोलह (16) लक्षण अनिवार्य हैं। इनको आत्मा के सोलह सिंगार कहा जाता है।
#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं
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मानव जब भी सतगुरु या पूर्णसंत शब्द सुनता है तो अक्सर उसके मन में प्रश्न उठता है आखिर सतगुरु/पूर्णसंत कौन होता है और उसका हमारे जीवन में क्या महत्व है? हमें हमारे सद्ग्रंथों से जानकारी मिलती है कि सतगुरु पृथ्वी पर एकमात्र सच्चा संत होता है जिनकी शरण में जाकर मनुष्य शाश्वत स्थान अर्थात् सतलोक को प्राप्त कर सकता है। सतगुरु को तत्वदर्शी संत और बाखबर भी कहा जाता है। एक तत्वदर्शी संत सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान का ज्ञाता होता है जिसका उद्देश्य सतपुरुष यानि परम अक्षर ब्रह्म, सम्पूर्ण सृष्टि के निर्माता का सतभक्ति मार्ग भक्त समाज को प्रदान करना होता है। वहीं कबीर परमेश्वर जी सतगुरु का महत्व बताते हुए कहते हैं “कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दोनों निष्फल हैं, चाहे पूछो वेद पुराण।।” पढ़िये पूरा लेख और जानिए सतगुरु और सतभक्ति की जानकारी विस्तार से: https://bit.ly/48P2A2T
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