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#गंगा सप्तमी की तिथि
astroera11 · 4 months
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गंगा सप्तमी का पवित्र उत्सव
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गंगा सप्तमी का पवित्र उत्सव: धर्म, पर्यावरण और आध्यात्म का संगम 
हिंदू संस्कृति में, शुभ नदियों को देवताओं का वास माना जाता है, और उनमें से गंगा नदी का स्थान सर्वोपरि है। वो जीवनदायिनी, मोक्षदायिनी और पापहरणी मानी जाती है, जिसके पवित्र जल में स्नान करके भक्त पाप धोते हैं और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होते हैं। गंगा नदी से जुड़े अनेक त्योहार और पर्व मनाए जाते हैं, जिनमें से गंगा सप्तमी का विशेष महत्व है।
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सर्वाथ सिद्धि, लक्ष्मीनारायण व रवि योग में आज मनाई जाएगी गंगा सप्तमी व चित्रगुप्त जयंती
वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि के दिन श्री गंगा सप्तमी और भगवान चित्रगुप्त जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस वर्ष श्री गंगा सप्तमी एवं भगवान चित्रगुप्त जयंती 14 मई को पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग के सुयोग में मनाई जाएगी।
गंगा के स्मरण, दर्शन एवं स्नान करने मात्र से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति, यश-सम्मान में वृद्धि व सभी पापों का क्षय, अशुभ ग्रहों के कुप्रभाव में कमी व सकारात्मकता का वास होता है। इस दिन दान-पुण्य व धर्म कृत्य करने से जन्म-जन्मांतर तक इसका पुण्य मिलता है।
गंगा स्नान व पूजा और दान-पुण्य का महत्व
वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी की उदयातिथि में आ रही है। इसलिए गंगा सप्तमी 14 मई को मनाई जाएगी। इस पर्व पर गंगा स्नान, व्रत-पूजा और दान का विशेष महत्व है, जो लोग किसी कारण से इस दिन गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते वो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं। ऐसा करने से तीर्थ स्नान का ही पुण्य मिलता है।
पानी से भरी मटकी का दान का महत्व
इस दिन पानी से भरी मटकी का दान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। गंगा सप्तमी के दिन पुष्य नक्षत्र, फिर अश्लेषा नक्षत्र रहेगा। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग का संयोग भी बन रहा है। खासकर इस दिन गर एवं वणिज करण के योग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों करण को शुभ माना गया है। इन योग में स्नान-ध्यान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
बन रहे हैं शुभ संयोग
इस वर्ष सप्तमी तिथि का आरंभ 13 मई, को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 14 मई की शाम 6 बजकर 49 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए इस वर्ष गंगा सप्तमी 14 मई, दिन मंगलवार को पुष्य योग में मनाई जाएगी। इस बार गंगा सप्तमी के दिन कुछ शुभ संयोग का निर्मल भी हो रहा है, जिनके नाम हैं वृद्धि योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग, इस दिन पुष्य नक्षत्र भी रहेगा। ��न सभी कारणों से इस बार की गंगा सप्तमी बहुत खास मानी जा रही है।
Pandit Subham Shastri Ji
Call : - +91- 9888520774
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ragbuveer · 1 year
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल(षष्ठी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
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#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-26-अप्रैल-2023
वार:---------बुधवार
तिथी :-------06षष्ठि:-11:28
पक्ष:---------शुक्लपक्ष
माह:---------वैशाख
नक्षत्र:--------पुनर्वसु:-28:21
योग:---------सुकर्मा:-08:07
करण:--------तैतिल:-11:28
चन्द्रमा:-----मिथुन:-24:18/कर्क
सुर्योदय:-------06:09
सुर्यास्त:--------19:03
दिशा शूल-------उत्तर
निवारण उपाय:---गुड का सेवन
ऋतु :----------------ग्रीष्म-ऋतु
गुलीक काल:---10:48से 12:25
राहू काल:------12:25से14:01
अभीजित-------- नहीं है
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
लाभ:-06:09से07:47तक
अमृत:-07:47से09:25तक
शुभ:-11:01से12:37तक
चंचल:-15:51से 17:27तक
लाभ:-17:27से 19:03तक
🌓चोघङिया रात🌗
शुभ:-20:25से21:49तक
अमृत :-21:49से23:12तक
चंचल :-23:12से00:36तक
लाभ :-03:22से04:46तक
🙏आज के विशेष योग 🙏
वर्ष का36वाँ दिन, चन्दन छठ (बंगाल)गंगा सप्तमी गंगोत्पति, गंगापूजन, कुमारयोग समाप्त 11:28, मेला गुमाणो माता (करौली,राज.),
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
👉वास्तु टिप्स👈
उत्तरमुखी घर के बाहरी हिस्से में लाल या पीला रंग ना करवाएं।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*सुविचार*
सादगी से रहना चाहिये। विचार उत्तम होना चाहिए👍🏻राधे राधे
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
उबलते हुए पानी मे एक चम्मच अदरक का रस डाल ठंडा कर एक-एक घंटे में लेने से पतले दस्त बन्द हो जाते हैं।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
☀️ मेष राशि :- आज अत्यंत सावधानीपूर्वक दिन व्यतीत करने की भगवान श्री गणेश जी की सलाह है। सर्दी, कफ और बुखार के कारण स्वास्थ्य किसी का खराब हो सकता है। स्वजनों से वियोग होगा। मानसिक अस्वस्थता का अनुभव होगा।
☀️ वृषभ राशि :- आज परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। कुटुंब और मित्रों के साथ आनंद के पल बिताएंगे। आपकी आय और व्यापार-धंधे में वृद्धि होगी। रमणीय स्थान में पर्यटन का आयोजन होगा।
☀️ मिथुन राशि :- आज शारीरिक और मानसिक सुख बना रहेगा। नौकरी-व्यवसाय में आपके काम की तारीफ होगी। पदोन्नति का योग है। समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी। सरकारी कार्यों में सफलता मिलेगी।
☀️ कर्क राशि :- आज का ज्यादातर समय धर्म, ध्यान और देवदर्शन में लगेगा। किसी तीर्थ स्थान पर जाने का प्रसंग बनेगा। शारीरिक और मानसिक रूप से प्रफुल्लित रहेंगे। भाग्यवृद्धि के अवसर मिलेंगे।
☀️ सिंह राशि :- आज का दिन थोड़ा प्रतिकूल हो सकता है। स्वास्थ्य के सम्बंध में आपको विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। बाहर खाने-पीने से बचें। बीमारी के पीछे धन खर्च हो सकता है।
☀️ कन्या राशि :- आज का दिन अनुकूलता से परिपूर्ण रहेगा। जीवन-साथी के साथ आप निकटता के क्षण का आनंद उठा सकेंगे। दांपत्य-जीवन में मधुरता रहेगी। विपरीत लिंगीय व्यक्तियों की तरफ आकर्षण अनुभव करेंगे।
☀️ तुला राशि :- आज घर में शांति और आनंद का वातावरण रहेगा। सुखदायक घटनाएं घटेंगी। कार्य में यश और सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य बना रहेगा। नौकरी में सफलता मिलेगी। आर्थिक लाभ की संभावना रहेगी।
☀️ वृश्चिक राशि :- आज स्वास्थ्य के सम्बंध में थोड़ी शिकायत रहेगी। मानहानि की आशंका है। शेयर सट्टे में न पड़ने की भगवान श्री गणेश जी चेतावनी देते हैं। संभव हो तो यात्रा या प्रवास से बचें। विद्यार्थियों को पढ़ाई में सफलता मिलेगी।
☀️ धनु राशि :- आज तन-मन में स्फूर्ति का अभाव रहेगा। मन पर चिंता का भार रहेगा। पारिवारिक वातावरण कलुषित रहेगा। अनिद्रा और समय पर भोजन न मिलने से स्वभाव में चिड़चिड़ापन आएगा।
☀️ मकर राशि :- आज दैनिक कार्यों में अनुकूल परिस्थिति निर्मित होने पर राहत महसूस करेंगे। गृहस्थ-जीवन की समस्याएं हल होती हुई प्रतीत होंगी। संपत्ति सम्बंधी कामकाजों का हल मिलेगा।
☀️ कुंभ राशि :- आज वाणी पर संयम रखेंगे तो बहुत सी समस्याओं से बच जाएंगे। वाद-विवाद से दूर रहें। अनावश्यक खर्च पर अंकुश रखें। कार्य में कम सफलता मिलेगी। संतोष की भावना का अनुभव होगा।
☀️ मीन राशि :- आज का दिन आनंद और उत्साह से परिपूर्ण रहेगा। घर में किसी मांगलिक प्रसंग का आयोजन होगा। नए कार्य का आरंभ करने के लिए आज शुभ दिन है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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bhagyachakra · 1 year
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 14 जनवरी 2023 सूर्योदय :- 07:11 सूर्यास्त :- 18:02 सूर्य राशि :- धनु चंद्र राशि :- कन्या मास :- माघ तिथि :- सप्तमी वार :- शनिवार नक्षत्र :- हस्त योग :- अतिगण करण :- बव अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- कृष्ण ऋतू :- हेमंत लाभ :- 13:57 - 15:18 अमृत:- 15:19 - 16:39 शुभ :- 08:31 - 09:53 राहु काल :- 09:54 - 11:15 जय महाकाल महाराज :- *।। मकर सक्रांति ।।* *मकर संक्रांति पर गंगा स्नान :-* मकर संक्रांति के उपलक्ष्य पर नदियों में स्नान करने का अधिक महत्व है। इस दिन लोग गंगा मैया में स्नान करते हैं। इसलिए मकर संक्रांति के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें। यदि आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो प्रातः घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान अवश्य करे। *मकर संक्रांति पर सूर्य नारायण भगवान की उपासना :-* मकर संक्रांति पर सूर्य देव की उपासना करने का बहुत महत्व है। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा करना चाहिए। प्रातः स्नान और पूजा पाठ के पश्चात जल में कुमकुम और काले तिल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्यदेंवें। ऐसा करने से जीवन में सुख शांति बनी रहती है। *मकर संक्रांति पर दान पूण्य करने से विशेष पुण्यफल प्राप्त होता है :-* मकर संक्रांति के पर्व पर दान पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन आप जो दान करते हैं उसका कई गुना फल आपको मिलता है। मान्यता है कि इस दिन स्वर्ग के द्वार खुलते हैं ऐसे में इस दिन किया गया दान सीधे भगवान को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। आज का मंत्र :- ""|| ॐ शं शनैश्चराय नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 14 जनवरी 2023 ( शनिवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CnYgx7IrRIc/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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imsaki07 · 2 years
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गंगा दशहरा कब है, क्या है इस दिन का महत्व, घर बैठे कर सकते हैं गंगाजल के 10 प्रयोग #news4
Ganga Dussehra 2022 : प्रतिवर्ष वैशाख माह में गंगा सप्तमी और ज्येष्‍ठ माह में गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दोनों का ही अलग अलग महत्व है। आओ जानते हैं कि कैसे घर बैठे कर सकते हैं आप गंगाजल के 10 प्रयोग। गंगा दशहरा कब है : 09 जून 2022 को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष यह पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। क्या है इसका महत्व : कहते हैं कि गंगा सप्तमी को मां…
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xmtnews · 2 years
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Aaj ka Rashifal 8th May 2022: गंगा सप्तमी पर जानिए क्या कहते हैं आज आपकी राशि के सितारे
Aaj ka Rashifal 8th May 2022: गंगा सप्तमी पर जानिए क्या कहते हैं आज आपकी राशि के सितारे
आगरा आज रविवार का दिन है और तिथि है आठ मई। हिंदी पंचांग के अनुसार आज गंगा सप्तमी का पर्व है। माना जाता है आज के दिन मां गंगा का अवतरण हुआ था। आज के दिन गंगा स्नान का महत्व है। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार आज के दिन कई राशिवालों के सितारे बेहतरीन फल देंगे तो कुछ राशिवालों को सावधानी से कार्य करने की जरूरत है। मेष- आज किसी खास काम में भाई-बहन का सहयोग मिलेगा। आप अपने परिवार के सदस्यों…
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mwsnewshindi · 2 years
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गंगा सप्तमी 2022: जानिए शुभ मुहूर्त, अवसर का महत्व और पूजा विधि
गंगा सप्तमी 2022: जानिए शुभ मुहूर्त, अवसर का महत्व और पूजा विधि
छवि स्रोत: फ्रीपिक गंगा सप्तमी पर गंगा नदी में स्नान करें गंगा सप्तमी का हिंदू संस्कृति में बहुत महत्व है। गंगा सप्तमी प्रतिवर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल गंगा सप्तमी 8 मई 2022 को मनाई जाएगी। वह दिन रविवार है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन देवी गंगा का जन्म हुआ था, इसलिए इसे गंगा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दोपहर के समय मां गंगा की विशेष पूजा करने…
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artijaihind · 2 years
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करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं कानपुर कमिश्नर आईएएस राजशेखर
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jeevanjali · 1 month
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Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी पर अपनी राशि अनुसार करें मंत्रों का जापGanga Saptami 2024: गंगा सप्तमी हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष गंगा सप्तमी 14 मई को है। यह दिन मां गंगा को समर्पित है। इस दिन श्रद्धालु स्नान-ध्यान करने के बाद मां गंगा की पूजा-अर्चना करते हैं।
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bhagyachakra · 2 years
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 08 मई 2022 सूर्योदय :- 05:50 सूर्यास्त :- 18:58 सूर्य राशि :- मेष चंद्र राशि :- कर्क मास :- वैशाख तिथि :- सप्तमी वार :- सूर्यवार नक्षत्र :- पुष्य योग :- गंड करण :- वणिज अयन:- उत्तरायण पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- वसंत लाभ :- 09:06 - 10:45 अमृत:- 10:46 - 12:23 शुभ :- 14:02 - 15:40 राहु काल :- 17:20 - 18:58 जय श्री महाकाल :- *गंगा सप्तमी:-* देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे । शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ।। अर्थात:- हे देवी सुरेश्वरी, भगवती गंगे आप तीनों लोकों को तारने वाली हैं। शुद्ध तरंगों से युक्त, महादेव शंकर के मस्तक पर विहार करनेवाली, हे माँ हमारा मन सदैव आपके चरण कमलों में केन्द्रित है। माँ गंगा जन्मोत्सव की अनेकेश: बधाई। आज का मंत्र :- ""|| ॐ घृणि सूर्याय नमः।।||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय श्री महाकाल। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय श्री महाकाल🌹🙏 श्री महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 08 मई 2022 ( सूर्यवार ) जय श्री महाकाल। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CdSMHVxLOhV/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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imsaki07 · 3 years
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Ganga Saptami 2021: गंगोत्री में शिवजी की जटाओं से नीचे उतरी थीं मां गंगा #news4
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्गलोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गंगा सप्तमी पर्व मंगलवार, 18 मई 2021 को मनाया जा रहा है। जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता…
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kisansatta · 4 years
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गंगा सप्तमी: लॉकडाउन में कैसे उठाएं गंगा स्नान का पुण्य लाभ
भारत में प्रायः सभी पर्वों पर गंगा स्नान पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है।हिन्दू धर्म में गंगा नदी को मां की उपमा दी गई है। कहा जाता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से सभी पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा का अवतरण हुआ था। मान्यता है कि ऋषि भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा धरती पर आईं थीं। इसलिए इस दिन गंगा पूजन भी की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार गंगा सप्तमी 30 अप्रैल यानी कि आज है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है।
गंगा स्नान का पुण्य लाभ लेने के लिए सुबह स्नान के जल में पवित्र गंगाजल डालकर स्नान करें और मन ही मन मां गंगा का स्मरण करें। यदि घर पर गंगाजल स्टोर नहीं किया है तो भी घबराने की जरूरत नहीं है। मन में शुद्ध विचार रखें। यह भी किसी पूजा से कम नहीं है। भक्त रैदास ने एक बार कहा था कि मन चंगा तो कठौती में गंगा।दरअसल, जब कोई व्यक्ति किसी कारणवश गंगा नदी तक नहीं जा सकता, तो ऐसी स्थिति में वह घर पर रहकर भी पुण्यफल प्राप्त कर सकता है। इसके लिए घर में ही स्नान वाले जल में थोड़ा सा गंगा जल मिला कर स्नान करें। स्नान करते समय गंगा का ध्यान करें। ऐसा करने से आपको नदी में स्नान का फल प्राप्त होगा।
गंगा के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथाएं- गंगा के जन्म से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। एक पौराणिक कथा के मुताबिक गंगा का जन्म विष्णु के पैर में होने वाले पसीने की बूंद से हुआ है। एक कथा कहती है कि गंगा का जन्म ब्रह्मदेव के कमण्डल से हुआ है। एक मान्यता ये भी प्रचलित है कि राक्षस बलि से जगत को मुक्त करने के लिए ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के पैर धोए और जल को अपने कमण्डल में भर लिया। इससे गंगा उत्पन्न हुईं। गंगा को धरती पर लाने का प्रयत्न राजा भगीरथ ने किया था। उनके प्रयास से ही गंगा का धरती पर अवतरण हो पाया। ऐसा माना जाता है कि कपिल मुनि ने राजा सागर के 60000 पुत्रों को भस्म कर दिया था। उनके उद्धार हेतु राजा भगीरथ ने तपस्या की।
भगीरथ की तपस्या से मां गंगा धरती पर आने को तैयार तो हो गयीं लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी तीव्र जलधारा पृथ्वी पर प्रलय ला देगी। भगवान शिव के प्रयास से उनका वेग कम हो सकता है। तब राजा भगीरथ ने शिव जी से प्रार्थना की। भगवान शिव ने अपनी जटा से गंगा की तेज धारा को नियंत्रित कर धरती पर भेजा। तब उसमें राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की अस्थियां विसर्जित कीं और उनका उद्धार हुआ।
गंगा जयंती का महत्व – गंगा सप्तमी के दिन ही गंगा जी की उत्पत्ति हुई थी। इस दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से शिव जी की जटा में पहुंची थीं। इसलिए इस गंगा-पूजन का विशेष महत्व है। गंगा जयंती के दिन गंगा में स्नान करने तथा पूजन से सभी दुख-क्लेश दूर होते हैं। इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। अगर आप गंगा नदी में स्नान न कर सकें तो गंगा के जल की कुछ बूंदें पानी में डाल कर स्नान करें। इस प्रकार के स्नान से भी सिद्धि प्राप्त होती है। यश-सम्मान की भी प्राप्ति होती है। मांगलिक दोष से ग्रस्त व्यक्तियों को गंगा जयंती के अवसर पर गंगा-स्नान और पूजन से विशेष लाभ मिलता है।
इस दिन गंगा को धरती पर लाने वाले भगीरथजी की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है। उसके बाद लोगों में प्रसाद वितरित किया जाता है। यही नहीं भगवान शिव की आराधना भी इस दिन शुभ फलदायी मानी जाती है। गंगा पूजन के साथ-साथ दान-पुण्य कर��े का भी फल मिलता है। इस दिन किसी गरीब जरूरतमंद को अनाज, फल और मिष्‍ठान का दान करना चाहिए। हो सके तो कुछ दक्षिणा भी देनी चाहिए।
https://kisansatta.com/ganga-saptami-how-to-lift-ganga-bath-in-lockdown33781-2/ #GangaSaptamiHowToLiftGangaBathInLockdown, #LordShivaControlledTheSwiftCurrentOfTheGangesWithHisJetAndSentItToTheEarth Ganga Saptami: How to lift Ganga bath in lockdown, Lord Shiva controlled the swift current of the Ganges with his jet and sent it to the earth. Religious, Trending #Religious, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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jeevanjali · 1 month
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Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी के दिन जरूर करें मां गंगा के इन नामों का जाप , मिलेगा बहुत लाभGanga Saptami 2024: सनातन पंचांग के अनुसार गंगा सप्तमी 14 मई को है. यह त्यौहार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है।
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chaitanyabharatnews · 4 years
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आज है गंगा सप्तमी, जानिए कैसे हुई थी मां गंगा की उत्पत्ति
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चैतन्य भारत न्यूज गंगा को हिंदू धर्म में मां का दर्जा प्राप्त है। वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की सप्‍तमी को गंगा सप्‍तमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार गंगा सप्‍तमी 30 अप्रैल को यानी आज है। वैसे इस दिन को गंगा मां के दूसरे जन्‍म की तिथि के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, पहली बार धरती पर गंगा मां का आगमन ज्‍येष्‍ठ शुक्‍ल दशमी अर्थात दशहरे के दिन हुआ था। इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा भी कहा जाता है। आइये जानते है गंगा मां के अवतरण की कथा- गंगा के अवतरण की कथा एक पौराणिक कथा के अनुसार गंगा मां का जन्म भगवान विष्णु के पैर के पसीनें की बूंदों से हुआ है। वहीं दूसरी कथा में कहा गया है कि, गंगा मां का जन्म भगवान ब्रह्रा के कमंडल से हुआ था। इसके अलावा एक ये भी मान्यता है कि गंगा सप्तमी वाले दिन ही ब्रह्मलोक में रास करने के दौरान राधा-कृष्ण एक-दूसरे में इतने लीन हो गए कि दोनों मिलकर जल बन गए। उसी जल को ब्रह्मा ने अपने कमंडल में जगह दी। एक अन्य मान्यता है कि वामन रूप में राक्षस बलि से संसार को मुक्त कराने के बाद ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के चरण धोए और इस जल को अपने कमंडल में भर लिया। सबसे प्रचलित कथा में ये बताया गया है कि, भगीरथ पृथ्वी पर कपिल मुनि के श्राप से ग्रसित राजा सगर के 60,000 पुत्रों की अस्थियों के उद्धार और सभी प्रणियों के जीवन की रक्षा के लिए घोर तपस्या करके मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे। जब स्वर्ग लोक में बह रही गंगा मां धरती पर आने को तैयार हुईं तो पूरी धरती कांप उठी। उस दौरान राजा भगीरथ ने भगवान शिव से प्रार्थना कर गंगा मां के वेग (तेजी) को कम करने का आग्रह किया। फिर गंगा मां भगवान शिव की जटाओं में ��मा गईं थीं। इसके बाद गंगा मां कैलाश से बहते हुए फिर धराधाम पर आईं। ये भी पढ़े...   गंगा सप्तमी पर इस उपाय को अपनाकर हासिल करें धन का वरदान धन लाभ के लिए लाभदायक है मई महीना, यहां है इस महीने के तीज-त्योहारों की पूरी जानकारी Read the full article
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superksharma01 · 5 years
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Navratri 2019 date & time – नवरात्रि 2019 शुभ चौघड़िया मुहूर्त
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Navratri 2019 : जानें कब से शुरू हो रहे है नवरात्र ( JAI MATA DI )
 आपको ये जानकर बहुत खुशी होगी इस नवरात्रि माता रानी मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी. हमारे हिंदू धर्म में नवरात्र और बहुत से तौयार का बहुत अधिक महत्व है।  हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्र की शुरूआत 29 सितंबर 2019 से शुभारंभ हो रहे है जोकि 7 अक्टूबर 2019 तक होगे। इस बार पूरे नौ दिन मां दुर्गा की उपासना की जाएगी। वहीं 8 अक्टूबर को बहुत ही धूमधाम के साथ विजयदशमी यानि दशहरा के अलावा दुर्गा विसर्जन का त्योहार मनाया जाएगा। आपको बता दें कि इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार हो कर आएगी और उनका प्रस्थान भी घोड़े पर ही होगा।
शास्त्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों का बखान किया गया है. देवी के इन स्वरूपों की पूजा नवरात्रि में विशेष रूप से की जाती है. नवरात्रि के नौ दिन लगातार माता का पूजन चलता है.
  29 सितंबर, प्रतिपदा – बैठकी या नवरात्रि का पहला दिन- घट/ कलश स्थापना – शैलपुत्री 30 सितंबर, द्वितीया – नवरात्रि 2 दिन तृतीय- ब्रह्मचारिणी पूजा 1 अक्टूबर, तृतीया – नवरात्रि का तीसरा दिन- चंद्रघंटा पूजा 2 अक्टूबर, चतुर्थी – नवरात्रि का चौथा दिन- कुष्मांडा पूजा 3 अक्टूबर, पंचमी – नवरात्रि का 5वां दिन- सरस्वती पूजा, स्कंदमाता पूजा 4 अक्टूबर, षष्ठी – नवरात्रि का छठा दिन- कात्यायनी पूजा 5 अक्टूबर, सप्तमी – नवरात्रि का सातवां दिन- कालरात्रि, सरस्वती पूजा 6 अक्टूबर, अष्टमी – नवरात्रि का आठवां दिन-महागौरी, दुर्गा अष्टमी ,नवमी पूजन 7 अक्टूबर, नवमी – नवरात्रि का नौवां दिन- नवमी हवन, नवरात्रि पारण 8 अक्टूबर, दशमी – दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी
 Navratri 2019 : कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त ( JAI MATA DI )
 इस बार नवरात्र पर कलश स्थापना की बात करें तो इसका शुभ मुहूर्त सुबह 6.16 बजे से 7.40 बजे (सुबह) के बीच है। इसके अलावा दोपहर में 11.48 बजे से 12.35 के बीच अभिजीत मुहूर्त भी है जिसके बीच आप कलश स्थापना कर सकते हैं। बता दें कि अश्विन की प्रतिपदा तिथि 28 सितंबर को रात 11.56 से ही शुरू हो रही है और यह अगले दिन यानी 29 सितंबर को रात 8.14 बजे खत्म होगी।
  Navratri 2019 : कलश स्थापना की विधि ( JAI MATA DI )
 कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा के स्थान पर मिट्टी और पानी को मिलाकर एक समतल वेदी तैयार कर लें जिस पर कलश को रखा जाना है। इस मिट्टी से तैयार जगह के बीचों बीच कलश को रखें। कलश में गंगा जल भर दें। साथ ही कुछ सिक्के, इत्र, दूर्वा घास, अक्षत आदि भी डाल दें। कलश के चारों ओर जौ के बीच डालें। इसके बाद कलश के ऊपर आम की पत्तियां रखें और उसे ढक्कन से ढक दें। कलश के ऊपरी हिस्से पर मौली या रक्षा सूत्र बांधे। साथ ही तिलक भी लगाये।   कलश रखने के लिए आप मिट्टी की वेदी से अलग एक बड़े पात्र का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में आपको उस पात्र में मिट्टी भरनी होगी और उसमें जौ के बीज डालने होंगे। बहरहाल, अब कलश के ऊपर लाल कपड़े या लाल चुन्नी में ढका नारियल रख दें। नारियल को भी रक्षा सूत्र से बांधे। कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह भी जरूर बनायें। इसके साथ ही आपकी कलश स्थापना पूरी हो चुकी है और आप अपनी पूजा शुरू कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि अगले 9 दिनों तक उन हिस्सों में थोड़ा-थोड़ा पानी डालते रहें जहां आपने जौ के बीज डाले हैं।
 Navratri 2019 : पूजा विधि ( JAI MATA DI )
 कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा के स्थान पर मिट्टी और पानी को मिलाकर एक समतल वेदी तैयार कर लें जिस पर कलश को रखा जाना है। इस मिट्टी से तैयार जगह के बीचों बीच कलश को रखें। कलश में गंगा जल भर दें। साथ ही कुछ सिक्के, इत्र, दूर्वा घास, अक्षत आदि भी डाल दें। कलश के चारों ओर जौ के बीच डालें। इसके बाद कलश के ऊपर आम की पत्तियां रखें और उसे ढक्कन से ढक दें। कलश के ऊपरी हिस्से पर मौली या रक्षा सूत्र बांधे। साथ ही तिलक भी लगाये।   कलश रखने के लिए आप मिट्टी की वेदी से अलग एक बड़े पात्र का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में आपको उस पात्र में मिट्टी भरनी होगी और उसमें जौ के बीज डालने होंगे। बहरहाल, अब कलश के ऊपर लाल कपड़े या लाल चुन्नी में ढका नारियल रख दें। नारियल को भी रक्षा सूत्र से बांधे। कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह भी जरूर बनायें। इसके साथ ही आपकी कलश स्थापना पूरी हो चुकी है और आप अपनी पूजा शुरू कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि अगले 9 दिनों तक उन हिस्सों में थोड़ा-थोड़ा पानी डालते रहें जहां आपने जौ के बीज डाले हैं।
 नवरात्रि के 9 दिन और 9 देवियां
पहले दिन- शैलपुत्री दूसरे दिन- ब्रह्मचारिणी तीसरे दिन- चंद्रघंटा चौथे दिन- कुष्मांडा पांचवें दिन- स्कंदमाता छठे दिन- कात्यानी सातवें दिन- कालरात्रि आठवें दिन- महागौरी नवें दिन- सिद्धिदात्री
 दशहरे का शुभ संयोग
 नवमी के अगले दिन दशहरा का त्योहार है। 7 अक्टूबर 2019 को महानवमी दोपहर 12.38 तक रहेगी। इसके दशमी यानी दशहरा होगा। 8 अक्टूबर को विजयदशमी रवि योग में दोपहर 2.51 तक रहेगी। यह बहुत ही शुभ मानी गई है।
  दुर्गा पूजा
 अष्टमी तिथि – रविवार, 6 अक्टूबर 2019 अष्टमी तिथि प्रारंभ – 5 अक्टूबर 2019 से 09:50 बजे अष्टमी तिथि समाप्त – 6 अक्टूबर 2019 10:54 बजे तक
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शारदीय नवरात्रि इस दिन से शुरू, भगवान राम ने की थी इस पर्व की शुरुआत, जानें पूजा विधि और सभी तिथियां-
शारदीय नवरात्रि 2019, 29 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक रहेंगी। इस बार मां का आगमन एवं गमन घोड़े पर हो रहा है।
नवरात्रि 2019 पर्व 29 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक चलेगा। इस बार मां का आगमन एवं गमन घोड़े पर हो रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां शक्ति का घोड़े पर आना अशांति का सूचक होता है। लेकिन माता अम्बे की सच्चे मन से पूजा करना फलदायी साबित होगा। इस बार नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का मुहूर्त भी लंबा रहने वाला है। 29 सितंबर यानी नवरात्र के पहले दिन रात 10 बजकर 11 मिनट तक प्रतिपदा है। जिस कारण कभी भी कलश की स्थापना की जा सकती है।
 क्यों मनाई जाती है शारदीय नवरात्रि?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शारदीय नवरात्रि का कनेक्शन भगवान राम से है। ऐसा माना जाता है कि इन्होंने ही इस नवरात्र की शुरुआत की थी। भगवान राम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रों की पूजा शुरू की और ये पूजा उन्होंने लगातार नौ दिनों तक विधिवत की और इसके 10वें दिन भगवान राम ने रावण का वध कर दिया था। यही वजह है कि शारदीय नवरात्रों में नौ दिनों तक दुर्गा मां की पूजा के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है।
 नवरात्रि की तिथियां-
29 सितंबर 2019 (रविवार) – प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना, मां शैलपुत्री पूजा।
30 सितंबर 2019 (सोमवार) – द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी पूजा।
1 अक्टूबर 2019, (मंगलवार) – तृतीया तिथि, मां चंद्रघंटा पूजा।
2 अक्टूबर 2019 (बुधवार) – चतुर्थी तिथि, मां कूष्मांडा पूजा।
3 अक्टूबर 2019 (गुरुवार) – पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता पूजा।
4 अक्टूबर 2019 (शुक्रवार) – षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी पूजा।
5 अक्टूबर 2019 (शनिवार) – सप्तमी तिथि, मां कालरात्रि पूजा।
6 अक्टूबर 2019, (रविवार) – अष्टमी तिथि, मां महागौरी, दुर्गा महा अष्टमी पूजा
7 अक्टूबर 2019, (सोमवार) – नवमी तिथि, मां सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा
8 अक्टूबर 2019, (मंगलवार) – दशमी तिथि, दुर्गा विसर्जन, विजय दशमी (दशहरा)।
 नवरात्रि की पूजा विधि-
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इस दिन कलश स्थापना का सुबह का समय सबसे उत्तम माना गया है। इसके लिए सुबह उठकर नहाकर साफ सुथरे कपड़े पहन लें। व्रत रखने के इच्छुक व्रत रखने का संकल्प लें। अब किसी बर्तन या जमीन पर मिट्टी की थोड़ी ऊंची बेदी बनाकर जौ को बौ दें। अब इस पर कलश की स्थापना करें। कलश में गंगा जल रखें और उसके ऊपर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटा नारियल रखें और पूजन करें। पूजा के समय दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। साथ ही इस दिन से नौ दिनों तक अखंड दीप भी जलाया जाता है।
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