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#रहम_करो_मूक_जीवों_पर
कबीर परमात्मा ने कहा है कि जिस माँ का तुम दूध पीते हो,घी खाते हो और फिर उसी को तुम काट रहे हो, आखिर कहाँ गई आपकी बुद्धि?
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कबीर 'जिस ममडी का दूध पीवत हो, धृत (घी) दूध बहु खाई, उसका फिर तुम कतल करत हो, लेकर करद कसाई।'
कबीर परमात्मा ने कहा है कि जिस माँ का तुम दूध पीते हो, घी खाते हो और फिर उसी को तुम काट रहे हो, आखिर कहाँ गई आपकी बुद्धि?
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कबीर परमात्मा ने कहा है कि जिस मांँ का तुम दूध पीते हो घी खाते हो और फिर उसी को तुम काट रहे हो आखिर कहां गई आपकी बुद्धि अधिक जानकारी के लिए देखें अनमोल सत्संग साधना टीवी शाम 7:30pm
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#MeatEaters_Are_Killer 💠 कबीर किस मंडी का दूध पीता हो, धृत(घी) दूध बहुत खाई, उसका फिर तुम कतल करत हो, लेकर करद कसाई। कबीर परमात्मा ने कहा है कि जिस माँ का तुम दूध पीते हो, घी खाते हो और फिर उसी को तुम काट रहे हो, आखिर कहां गई आपकी बुद्धि? अधिक जानकारी के लिए देखे साधना चैनल7:30pm https://www.instagram.com/p/B7OPdmslNj-UPfWXzLjuDUVoQJ6TIwSp0aPS6o0/?igshid=iorxxutgm71l
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#Allah_Kabir #StopEatingMeat #BanAnimalKilling #muhammad #islam #namaz #dua #hadis "जीव हत्या करना व मांस खाना महापाप है। ईद-उल-जुहा (बकरीद) मुस्लमान धर्म के लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। रमजान में महीने भर रोज़े रखना और कुछ दिन बाद वही मांस खाना शुरू कर देना कहाँ तक जायज़ है ? "कबीर, दिनको रोजा रहत हैं, रात हनत हैं गाय। यह खून वह बंदगी, कहुं क्यों खुशी खुदाय।। परमात्मा कबीर जी कहते है कि मुस्लिम दिन में तो रोजा रखते है और रात में गाय का मांस खाते है। यह तो एक जीव हत्या है यह अल्लाह की बन्दगी नही है��� अल्लाह के बनाये जीवों को ही मारकर खा जाने जैसा आदेश या सहमती कभी खुदा की नहीं हो सकती। जीव हत्या करने से व मांस खाने से कभी अल्लाह खुश नहीं हो सकता। अगर कलमा पढ़कर किसी निर्दोष जीव की गर्दन काटने से ही जीव स्वर्ग प्राप्ति करता है तो अपने पुत्रों को मुल्ला काजी इसी तरीके से स्वर्ग क्यों नही भेजते। परमेश्वर कबीर साहिब जी काजी मुल्लाओं पंडितों को समझाते हुए रहे है कि... "मोहम्मद ने कद मस्जिद पूजी, बाजीद ईद कद खादी। सुल्तानी कद पानी पूजैं, छाड़ तख्त गए गादी।।" "कलमा रोजा बंक निवाजा, कद नबी मोहम्मद किन्हया, कद मोहम्मद ने मुर्गी मारी, कर्द गले कद दीन्हया॥ यहाँ परमात्मा कह रहे कि कब मोहम्मद साहिब जी ने मस्जिद पूजी, कब बाजीद जी ने ईद मनाई, कब मोहम्मद जी ने कलमा रोजा बंग पढ़ा और कब मोहम्मद जी ने मुर्गी मारी.?? मुस्लमान धर्म के नबी हजरत मोहम्मद जी ने कभी भी मांस खाने की सलाह नहीं दी, वे स्वयं भी शुद्ध शाकाहारी थे, फिर मुस्लमान धर्म में इतना ज़ुल्म क्यों किया जा रहा है?? कबीर साहेब ने कहा कि... "जिस ममडी का दूध पीवत हो, धृत(घी) दूध बहु खाई, उसका फिर तुम कत्ल करत हो, लेकर करद कसाई।।" परमात्मा ने कहा कि जिस माँ का तुम दूध पीते हो, घी खाते हो और फिर उसी को तुम काट रहे हो कहाँ गई आपकी बुद्धि... "गरीब, मुर्गे से मुल्ला भये, मुल्ले से फिर मुर्ग, गरीबदास दोजख धसै, तुमने पावैं नहीं स्वर्ग।।" आज तुम मुर्गे को मार रहे हो कल फिर मुर्गा तुम्हें मारेगा। यह अदला बदला ऐसे ही चलता रहेगा जब तक कि तुम्हें यह तत्वज्ञान बताने वाला सदगुरु नहीं मिलेगा। कबीर अल्लाह कहते है-- "बदला कहीं न जात है, तीन लोक के माय। और सदगुरु मिले कबीर से तो सतलोक ले जाय"।। "काजी कलमा पढ़त है, बाँचे फेर कुरान, गरीबदास इस जुलम से, तेरे डूबे दोनो जिंहान"।। पहले काजी बकरे पर कलमा पढ़कर उसे हलाल करता है फिर पीछे कुरान का पाठ पढ़ता है, प (at Khairagarh) https://www.instagram.com/p/B03qjuuloBn/?igshid=1l8qqo4mfi5iz
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