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#जाने भी दो यारों
manas86 · 2 months
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स्टार जिसे 'जाने भी दो यारों' के लिए मिली थी बेहद कम फीस, आज उससे ज्यादा के पहनते हैं कपड़े https://www.abplive.com/entertainment/bollywood/naseeruddin-shah-fees-for-1983-movie-jaane-bhi-do-yaaro-was-15-thousand-but-now-his-net-worth-increased-2740951
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stackumbrella1 · 2 years
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Satish Kaushik Death: एक्टर सतीश कौशिक का दिल्ली में हार्ट अटैक से निधन, आखिरी फिल्म The Last Show में की थी एक्टिंग
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Satish Kaushik Death: मशहूर एक्टर अभिनेता सतीश कौशिक का दिल्ली में निधन हो गया है। बॉलीवुड में सतीश के निधन के बाद शोक की लहर है। बताया जा रहा है कि सतीश कौशिक अपने दोस्तों के कहने पर दिल्ली होली मनाने के लिए आए थे।
देर रात उनकी तबियत खराब हो गई, जिसके बाद उन्हें फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया, जहां उनको मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद उनके शरीर को दीनदयाल हॉस्पिटल ले जाया गया।
कौशिक के के मित्र अनुपम खेर ने बताया कि सतीश कौशिक किसी से मिलने के लिए गुड़गांव में एक फार्महाउस गए थे। फार्महाउस से लौटते समय सतीश कौशिक को हार्ट अटैक (Satish Kaushik Death) आया, जिसके बाद उन्हें गुड़गांव के फोर्टस हॉस्पिटल ले जाया गया था।
पोस्टमार्टम के बाद मुंबई जाएगा शव
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बता दें कि फिलहाल सतीश की डेड बॉडी (Satish Kaushik Death) दिल्ली के दीन दयाल अस्पताल की मार्चुरी में है। यहां दिन के 11 बजे एक्टर का पोस्टमार्टम होगा, जिसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। (Satish Kaushik Death)
इतने बजे मुंबई पहुंचेगा शरीर
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सतीश कौशिक (Satish Kaushik Death) ने एक्टिंग में वर्ष 1983 में फिल्म जाने भी दो यारों से करियर की शुरूआत की थी। कौशिक ने मिस्टर इंडिया, साजन चले ससुराल और आंटी नंबर वन जैसी कई हिट फिल्मों में अपनी एक्टिंग को सबके सामने साबित किया है।
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albertserra · 3 years
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Naseeruddin Shah and Ravi Baswani in Jaane Bhi Do Yaaro / जाने भी दो यारों (1983) dir. Kundan Shah
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asthanaval · 2 years
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दीपेश!
मित्र का अर्थ तब ही समझ आता है जब हम माता पिता के संरक्षण से थोड़ी थोड़ी देर के लिए बाहर निकलते हैं। जब हम माता पिता के साथ नहीं, आस पड़ोस के बच्चों के साथ खेलना आरम्भ करते हैं ; तब वे कुछ पल हमारे लिए दिन के सबसे सुंदर पल होते हैं। फिर हम स्कूल जाना आरम्भ करते हैं। पढ़ाई करते हैं, खेल सीखते हैं पर तब ही सबसे अच्छा अपने मित्रों के विषय में ही बात करना लगता है। स्कूल की दोस्ती भी संरक्षित होती है। विद्यालय के प्रांगण से बाहर नहीं जाते।
फिर महाविद्यालय में आकर दोस्तों के साथ जैसे पंख मिल जाते हैं। कक्षाओं के बाद, कभी कभी बीच में भी, कॉलेज से बाहर जा सकते हैं। ऐसी स्वतंत्रता का अनुभव इससे पहले नहीं हुआ होता। मेरे अनुभव में तो तब ही हुआ था। कॉलेज में जाकर मानो हम बहुत बड़े हो गए थे। बहुत रोमांच होता था बताने में कि हम कॉलेज में पढ़ते हैं। पढ़ने से अधिक अच्छा लगता था, नार्थ कैम्पस की गलियों में घूमना। बंग्लो रोड की दुकानों में जाना और सबसे अच्छा चाचा के छोले भठूरे खाना। तब तक हम खुद कमाते नहीं थे, जितनी भी सीमित पॉकेट मनी होती थी उसके हिसाब से कई बार दोस्त भी बँट जाते थे।
कॉलेज की बात करते ही अपने मित्र दीपेश की बात होती है। उसी के साथ नोर्थ कैम्पस का आनंद उठाया था। उससे सबसे पहले २४ साल पहले मिलना हुआ था। यही दिन थे जुलाई के। खाखी रंग की पैंटस और काले रंग की बॉन जोवी की टी शर्ट। उससे मिलते ही ऐसा लगा था कि मैं उसे हमेशा से जानती हूँ। बातों बातों मे पता चला था कि मेरे स्कूल के सहपाठी प्रियकांत का वह पड़ोसी है और बचपन का यार। मेरे सहपाठी के पिता हमारे स्कूल के टीचर भी थे। बस ऐसे ही एक और तार जुड़ गया था उस दोस्ती में।
कॉलेज के सभी सहपाठी बहुत अच्छे थे लेकिन पिछले चौबीस वर्षों में यदि कोई एक कॉलेज का दोस्त मेरे हर सुख दुख का साक्षी रहा है तो वह दीपेश। चाहे मेरे नेट का इम्तिहान हो या मेरे बच्चों का जन्दिन; ऐसा कभी नहीं हुआ कि उसने मेरे लिए दुआ न भेजी हो। दिल का एकदम साफ, सबको जितना भी बेबाक दिखे, भीतर से बहुत शर्मीला। सपने देखने से बहुत डरता था वो। मेरा ही दोस्त नहीं था वो, यारों का यार था, क्रिकेट खेलता था, गाना गाता था, अभिनय करता था, सबको हंसाता था पर मन से बहुत अकेला था और गम्भीर भी। बिना किसी प्रयास के दीपेश, मैं और सोनाली की मित्रत्रयी सी बन गई थी।
हमारी क्लास में बहुत सारे छात्र दिल्ली के बाहर से थे, हम एक जैसे से स्कूलों से थे और दिल्ली से, इसलिए भी हमारी कई बातें मिलती थीं। हम तीनों के साथ कभी गगनदीप होती, कभी टीना, कभी नितिन, कभी लवलेश। लेकिन हम तीनों अधिकतर साथ रहते थे। मैं और सोनाली मिल कर दीपेश को बहुत तंग करते थे। जैसे ही उसे किसी लड़की को देखते, देखते तो बस उसे कैसे लजाया जाए, हमसे बेहतर कोई नहीं जानता था। वो जितना सभी के सामने बेफिक्र बनता था उतना ही वह सबकी चिंता करता था।
वह अपने माता पिता, भाई भाभी आदि की बहुत बातें बताता था। माँ से उसे खास लगाव था और पापा लीवर के मरीज़ थे इसलिए उनकी बहुत चिंता भी करता था। मेरा तो डांस पार्टनर था। कॉलेज में कोई जैम सेशन ऐसा नहीं था जिसमें मैं और दीपेश आरम्भ से अंत तक नहीं रहते थे। मैं उसका मुकाबला तो नहीं कर सकती थी क्योंकि वह बहुत अच्छा डांसर था लेकिन वो मेरा साथ भरपूर निभाता था।
उसका स्वभाव ही ऐसा था, दूसरे को बेहतर महसूस कराना, मदद करना, हमेशा मुस्कुराना। वो इतना निस्वार्थ व्यवहार करता था कि कई बार लोग उसकी अवहेलना करते भी नहीं चूकते थे। वह दिखाता नहीं था लेकिन बहुत स्वाभिमानी था। मैं और सोनाली जब जब उससे भविष्य की बात करते, वह बाहर से हंसता पर अंदर से एक दुखी स्वर में बताता कि उसे दो -तीन ज्योतिषियों ने बताया है कि वह तीस या बत्तीस की उम्र में मर जाएगा। हम दोनों कभी उसे हंस कर, कभी प्यार से, कभी डाँट कर इस वहम को अपने दिल से निकालने को कहते।
वह इतना अच्छा क्रिकेटर था कि उसका सलेक्शन हिन्दू कॉलेज की क्रिकेट टीम में हो गया। उसे स्पोर्टस टीचर ने खुद बुला कर टीम में लिया। हम सब उसके लिए बहुत प्रसन्न थे। एक दिन आकर उसने बताया कि उसने टीम छोड़ दी है। बहुत पूछने पर कारण बताया कि क्रिकेट खेलने के लिए मंहगे जूते इत्यादि चाहिए होते हैं। वह अपने माता पिता से इन सबकी मांग नहीं करेगा। यह उसका स्वाभिमान था पर हमें उस समय नादानी लगी। हमने बहुत समझाने की कोशिश की कि अपना निर्णय वापिस लेले और अध्यापक से बात करके देखे, पर उसने नहीं मानी और बात को खत्म किया कहकर कि “अरे! तीस में तो मर जाना है मुझे” हिन्दू कॉलेज में एक संगीत का कार्यक्रम होता था, “तराना”।
उसने प्रथम वर्ष में ही तब नए गायक मिक्का का गाना “ सावन में लग गई आग” गाया और सभी उसके दीवाने हो गए। सभी को गाना इतना अच्छा लगा कि उसे दोबारा गाने को कहा गया। सभी उसे पहचानने लगे और मैं और सोनाली इतराने लगे कि दीपेश हमारा दोस्त है। जिस दिन दीपेश नहीं आता था, दिन बहुत बोरिंग होता था। वह आता था तो बहुत मस्ती होती थी। वह इतने लोगों की एक्टिंग कर के दिखाता, कभी गाना गाता। क्लास की लम्बी सीट पर बैठ जाता और अपना पसंदीदा गाना, “प्यार दीवाना होता है, मस्ताना होता है” ऐसे गाता जैसे पियानो बजा बजा कर गा रहा हो। हिन्दी साहित्य में तो उसकी प्रथम वर्ष में दाल नहीं गली, इसलिए दूसरे वर्ष से उसने बी ए पास में दाखिला ले लिया।
लेकिन इससे हमारी मित्रत्रयी पर कोई असर नहीं पड़ा। वो कई बार सोनाली और मेरा इंतज़ार क्लास के बाहर करता और हम तीनों अपने अपने सुख दुख सांझा करते। ऐसा कुछ नहीं था जो हमें एक दूसरे के बारे में ना पता हो। १९-२० साल की उम्र हमारे लिए बहुत बड़ी थी, हमारे छोटे छोटे संघर्ष भी हमारे लिए बहुत बड़े थे। घण्टों हम ऐसे विचारकों की तरह बात करते कि दुनिया बदल देंगे।
दीपेश ने तीन साल के कॉलेज के बाद अपने भाई के साथ मिलकर छोटा सा प्लास्टिक थैलों का बिज़नस शुरु किया, एक डांस क्लास भी जोइन की। सोनाली और मैं दूर हो गए लेकिन दीपेश हम दोनों से कभी दूर नहीं हुआ। उसे हम दोनों का न मिलना खलता था पर वह हम दोनों से अलग अलग हमेशा मिलने आता। मेरे घर में मेरे माता पिता, दादी, दीदी, जीजाजी, मेरी बचपन की सहेलियाँ, मेरे मामा के बच्चे, सभी के लिए दीपेश अपने घर का ही नाम हो गया था।
दीपेश ने मुम्बई जाने की सोची, श्यामक डावर की डांस क्लास में छात्र से इंस्ट्रकटर बन गया। फिरसे उसे एक मौका मिला, श्यामक डावर के ग्रुप के साथ विदेश जाने का। लेकिन उसके पास पासपोर्ट ही नहीं था। वह डांस क्लास के साथ साथ हर रोज़ ऑडिशन देता, मुंबई में रहना आसान नहीं था लेकिन उसने कई उसी के जैसे स्ट्रगलिंग एक्टर के साथ एक घर किराये पे लिया। कई बार साथ रहने वालों ने, कई बार यूं ही खुद को उसको अपना दोस्त कहने वालों ने, उसका फायद उठाया, बहुत बार उसके पैसे चोरी हुए, जेब कटी, पर वह हारा नहीं। जुटे रहना बहुत मुश्किल था। मैं अपनी पी एच डी के सिलसिले में मुम्बई गई। मैं, मेरी डॉक्टर सहेली प्रीति और मेरे मामा की बेटी अपराजिता। हम तीनों दीपेश के साथ एसल वल्ड गए। मुझे और दीपेश को रेन डांस वाला इलाका दिखा और हम जुट गए कॉलेज की यादें ताज़ा करने में। बहुत देर तक डांस करते रहे, दीपेश तो दीपेश था; एक सामय ऐसा आया कि उस जगह पर सभी लोग एक घेरा बना कर खड़े हो गए और दीपेश को नाचते कुछ ऐसे देखते रहे जैसे कोई सुपरस्टार नाच रहा हो और हर गाने के बाद ताली बजाने लगे।
मैं मुम्बई में अपनी दोस्त स्वाती के घर लगभग एक महीने रही। दीपेश मुम्बई के दूसरे छोर पर रहता था लेकिन हर दूसरे दिन हमसे मिलने आता था। ऐसा कोई केफे कॉफी डे नहीं जिसमें दीपेश, अपराजिता और मैं उस एक महीने में ना बैठें हों। तब उसे छोटे मोटे रोल मिलने शुरू हो गए थे, पर कोई पहचान नहीं मिली थी। पैसे की तंगी भी थी। पर तब भी उसका ज़ोर हमेशा इस बात पर होता था कि अपनी कॉफी के पैसे खुद ही देगा। कई बार जब मैं चुपचाप से पैसे दे आती थी तो उसे बिलकुल अच्छा नहीं लगता था।
उसने नया फोन लिया, तब नोकिया के फोन चलते थे। हम बांद्रा गए , पानी में खेलते रहे, कुछ ग़रीब बच्चे वहाँ खेल रहे थे और हमसे पैसे मांग रहे थे। दीपेश ने उनसे कहा, “पैसे बाद में दूंगा पहले दीदी और मेरे साथ फोटो खिचवाओ”। उन सभी बच्चों को दीपेश ने बहुत प्यार किया और उनके साथ पानी में खेलते खेलते इतना मग्न हो गया कि जेब में रखा नया फोन पानी से भर गया। ऐसा था दीपेश। उससे ज़्यादा मलाल मुझे और अपराजिता को हुआ। वो तो बस अपने पर हंसता रहा और हमें सांत्वना देता रहा।
२००६ नवम्बर में मेरी शादी पक्की हुई, तब तक वह मुंबई में बिज़ी होना शुरू हो गया था। लेकिन उसने दस पंद्रह दिन की छुट्टी ली। वो मेरा ही नहीं मेरे पति का भी उतना ही दोस्त था। शादी से पहले शायद १-२ सप्ताह के लिए हम हर रोज़ संगीत पर होने वाले कार्यक्रम की तैयारी करते। हम तब तक छब्बीस साल के हो चुके थे पर उसके साथ मिलर हरकतें बचपने से भरी ही करते थे। हंस हंस कर हमारा बुरा हाल हो जाता। दीपेश पूरे घर के लोगों का भी डांस टीचर था। उसने मेरे माता पिता के साथ, मेरी बहन के साथ, सहेली के साथ, सभी का साथ निभाया।  ब्राइड मेड का कॉनसेप्ट यदि मेरी शादी में होता तो दीपेश, मेरी चार पाँच सहेलियों के साथ छटी ब्राइड मेड ही होता। परिवार के सभी सदस्यों के लिए दीपेश घर का ही बच्चा था। सभी को कभी लगा ही नहीं कि वह बाहर का है। बाहर का था भी नहीं।  शादी के बाद भी जब लड़की फेरा लगाने आती है तब भी वहीं था, भाइयों के साथ। कभी मेरी सहेली, कभी भाई, तो आशिर्वादों के लड़ी लगाने में घर का बुज़ुर्ग बन जाता था।
जब दीपेश इकत्तीस साल का हुआ तब हर साल की तरह हमने फोन पर बात की और मैंने उससे कहा कि देख, “ अब तू जिंदा है और जीता ही रहेगा, उस ज्योतिष की बात को मन से निकाल अपना घर बसा”। क्योंकि जब भी उससे शादी की बात करो तब भी यही कहता था कि नहीं मेरा जीवन लम्बा नहीं है।
पर शायद बत्तीस साल के बाद, उसकी सोच में बदलाव आने लगा, उसने शायद वो डर अपने भीतर से निकाल दिया। उसे एफ आई आर सीरियल से और मलखान के रूप में शौहरत मिलना लगी थी। वो मुझे सोनाली के खुशहाल होने की बात बताता, प्रियकांत के बारे में भी बताता। दीपेश एक बार दोस्त कहलाये जाने पर दोस्ती छोड़ता नहीं था। वह मेरे मामा के घर भी जाता था जब भी दिल्ली जाता था। मेरे अन्य दोस्तों से भि मिलता था।
उसके लिए एकटर बनना उस दिन सफल हुआ, जब वह अपनी माँ को शिरडी लेकर गया और भीड़ में पुजारी जी ने उसे पहचान लिया और उसकी माँ को अधिक देर के लिए दर्शन की अनुमति दे दी। उस दिन उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। मुझे याद है कैसे गर्व से उसने इस बात को बताया था। वह पुजारी के पहचानने से नहीं, अपनी माँ की आँखों में उसके लिए प्रेम देख कर ऐसा आशवस्त हुआ था।
मैं अमेरिका से जब भारत जाती, वह अपने बिज़ी शुटिंग से समय निकाल कर मिलने ज़रूर आता। २०१७ में जब मैं मुम्बई गई तब मैं अपनी दोस्त स्वाती के घर परिवार सहित रूकी। स्वाती के बच्चों की मेरे बच्चों के साथ दोस्ती है। पर यह बात दीपेश को बहुत चुभी क्योंकि अब तक उसने मुम्बई में अपना घर बना लिया था। अपनी गाड़ी बना ली थी। वह चहाता था कि हम उसके घर रूकें। २०१७ के बाद से जब हमारी फोन पर बात होती वह तोते कि तरह एक ही बात रटता, “अब जब तू मुम्बई आएगी तो मेरे घर ही रुकेगी सबके साथ”।
जब उसने घर बनाया था तो एक एक कमरा वीडियो कॉल करके दिखाया था। वो इस बात से बहुत खुश था कि उसकी माँ उसके घर आकर रहती हैं। माँ ने उसे शादी करने के लिए भी राज़ी कर लिया था। बहुत ही प्यारी नेहा से जब उसकी शादी हुई तब भी उसने बहुत आग्रह किया था उसकी शादी पर आने का लेकिन मैं दो छोटे बच्चों को छोड़ कर नहीं जा पाई। उसका मलाल बहुत हुआ पर फिर तय किया कि २०२० में जरूर आउंगी। किसे पता था कि महामारी ऐसी आएगी कि जाएगी ही नहीं। २०२१ में संक्रांति १४ जनवरी के शुभ दिन छोटे दीपेश “मीत” का जन्म हुआ। दीपेश ने तब भी बार बार यही कहा कि अब तू आएगी तो मेरे घर रहान ही पड़ेगा। मीत और नेहा भी हैं अब तो।
उसने कभी अपनी मुसीबतों का बयान नहीं किया, उसने कभी अपने आप को दीन हीन नहीं बताया। कभी कुछ मांगा ही नहीं। पर हमेशा दिया, हर फोन कॉल में, हर मुलाकात में दुआ ही देता था। इस साल फरवरी में उसकी माँ नहीं रहीं। तब शायद दूसरी बार उसे इतना दुखी पाया, वो अकसर अपना दुख पी जाया करता था लेकिन म���ँ का जाना उससे सहा नहीं जा रहा था। उसे बहुत अच्छा लगता था कि अब वह माँ के लिए बहुत कुछ कर सकता है। उसके ही घर पर माँ ने दम तोड़ा। पिता और बड़े भाई तो कुछ वर्ष पहले जा चुके थे। इससे पहले जब उसने अपना दुख सांझा किया था वह था प्रियकांत की मृत्यु पर। वही प्रियकांत जो मेरा स्कूल का क्लासमेट था। प्रियकांत को जब दिल का दौरा पड़ा, तब दीपेश ही उसे हस्पताल लेकर गया, उसी ने दिल्ली से उसके माता पिता को बुलाया, उसी ने बार बार यह पता होने पर भी कि प्रियकांत का बचना मुश्किल है, उसकी पत्नी को सांत्वना दी। प्रियकांत की जुड़वा बेटियाँ तब मात्र एक वर्ष की थीं। मैंने इससे पहले दीपेश को कभी इतना दुखी नहीं महसूस किया था। क्योंकि मैं प्रियकांत को जानती थी इसलिए उसकी मृत्यु काल की  एक एक बात दीपेश ने मुझे कुछ ऐसे बताई थी कि मुझे लगता है मैं भी उस समय हस्पताल में थी। दीपेश को बार बार बुज़ुर्ग माता पिता और नन्ही बच्चियों का ख्याल आता रहा। उसने उस दिन जीवन की नश्वरता और व्यर्थता पर बहुत बात की। उसने इससे पहले भी परिवार में पिता और भाई की मृत्यु देखी थी, लेकिन मित्र को जाते देखना, वो भी इतने करीब से, भीतर तक बहुत घाव छोड़ जाता है। दीपेश अकसर जीवन के छोटा होने की और अपनी आयु की बात करता था। पतानहीं ऐसा क्या था जो उसे भविष्य के बारे में सोचने से रोकता था। जैसे उसे कुछ पता था।
पिछली बार जब उससे बात हुई तो पहली बार उसने भविष्य की बात की। उसने बताया कि वेब सीरीज़ के कुछ मौके उसे मिलने वाले हैं। मीत के लिए उसे अभी क्या क्या करना है। इतनी अधिक भविष्य की बातें इससे पहले कभी नहीं की थीं। बस हमसे हमारे बारे में ही पूछता था। अपनी बहुत कम कहता था। लगभग १६ -१७ साल तक मुम्बई में मेहनत करने के बाद, उसे इस वर्ष बेस्ट कॉमेडियन का अवार्ड भी मिला। हर रोज़ इंस्टाग्राम पर कोई रील लगाता था, सभी को हंसाता था। उसमें भी यदि उसका संदेश देखो तो बार बार यही कहता था “गॉड ब्लेस यू आल” सब कुछ तो ठीक चल रहा था, जैसा चलना चाहिए था पर फिर यह कैसा कहर? मुझे सोनाली का रोते हुए फोन आया कि यह क्या हो गया? हमारे जूनियर विदित ने हम दोनों को दीपेश के जाने की खबर दी। ये कैसा मज़ाक किया विधाता ने उसके साथ? पहली बार उसने अपने भविष्य के लिए इतना कुछ गड़ा और उसे अपने पास बुला लिया! उसका बेटा अभी डेढ़ साल का ही है, नेहा उससे उम्र में बहुत छोटी है। उन्होंने ऐसा क्या किया जो इतना भीषण दुख मिल गया। जीवन अचानक से इतना कलिष्ठ क्यों हो गया? पिछले चौबीस साल में दीपेश ने हमेशा हंसाया और आज सभी को रोता छोड़ गया! वो प्रियकांत की बेटियों के लिए चिंता करता था, लेकिन अब उसका अपना बेटा भी बस उतना ही बड़ा है।
जब जब ऐसी असमय मृत्यु होती है तब तब कितने प्रश्न मन में कौंधते हैं। तब तब बहुत कुछ व्यर्थ सा लगने लगता है। लेकिन हम भूल जाते हैं और फिर वही भौतिकतावादी बन कर किसी मायावी जंजाल में खो जाते हैं। दीपेश जाते जाते भी कितान कुछ सिखा गया, पर अबकी बार हंसा नहीं पाया। शायद खुद ही जीवन की हंसी उड़ा गया। जाते ही मुझे और सोनाली को मिलवा गया। अपने जाने से हमें अपने अंदर झांकने को कह गया। आंकने को कह गया कि क्या मन मुटाव, अहम, चोरी, कपट, मुनाफा, घाटा; व्यर्थ हैं समय गंवाने के लिए?
वो बता गया कि जीवन छोटा सही, फिर भी बड़ा हो सकता है। कितना धन कमाया, कितनी भौतिक चीज़े संजोई कोई याद नहीं करेगा। किस किस के दिल को छूआ और उसमें घर बनाया बस वही याद रहेगा। उसने अपने पीछे जो छोड़ा वह प्यार हमें हमेशा याद रहेगा। पतानही मैं कभी उन गानों को सुन पाउंगी जो उसे गाते सुने थे। पतानहीं कभी उन गानों पे थिरक पाउंगी जो उसके साथ परफोर्म किए थे।
इतनी जल्दी एक सच्चे मित्र को अलविदा कहना होगा सोचा नहीं था। करोना काल ने जीवन की क्षणभंगुरता को बहुत करीब से दिखा दिया है लेकिन ऐसी खबर के लिए कभी भी कोई तैयार नहीं होता। उसका मुस्कुराता चेहरा हमेशा स्मृतियों में भी मुस्कुराएगा। उसने कितनी ही ज़िंदगियों को अपनी कला से छुआ है, उनके साथ भी वह हमेशा रहेगा। अपने बेटे में भी कहीं न कहीं तो वो अब हमेशा जीएगा। बस हमें दिख नहीं पाएगा। अगली बार मुम्बई जाना कैसा रूखा होगा।
जीवन रुकता नहीं है, अभी भी दीपेश के बिना चलता रहेगा, लेकिन ऐसा अनमोल, सच्चा , निस्वार्थ मित्र फिरसे कहाँ मिलेगा? ऐसा लगा कि बहुत कुछ अधूरा छोड़ गया है वो, पर शायद यही जीवन है, जितना है उतना पूरा है।
सम्पूर्ण जीने की सोच दे गया। टीवी जगत का सितारा अब तारों में ही मिला गया। जीवन समझने की नहीं जीने की चीज़ है यह भी बता गया। बहुत से सवाल मथने के लिए छोड़ गया। एक बहुत अच्छा इंसान पृथ्वी से मिट गया।
अलविदा मित्र!
आस्था नवल २४ जुलाई २०२२
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rahulsinghji78 · 4 years
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तीन घंटे लाइन में लगकर सतीश शाह ने लगवाया कोरोना वैक्सीन का पहला डोज, बोले, 'वीआईपी एंट्रेंस नहीं ले��े पर मुझे डांट पड़ी'
वेटरन एक्टर सतीश शाह ने पिछले दिनों मुंबई में कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लगवाया। उन्होंने इसका पूरा अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर किया। सतीश शाह ने बताया कि उन्होंने वैक्सीन लगवाने के लिए कोई वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं लिया और आम आदमी की तरह ही लाइन में खड़े होकर वैक्सीन लगवाने का इंतजार किया।
नहीं उठाया वीआईपी ट्रीटमेंट का फायदा
सतीश शाह ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए बीकेसी में धूप में तीन घंटे तक खड़ा रहा। बाहर अफरा-तफरी का माहौल था लेकिन अंदर बहुत अनुशासित माहौल था। मुझे डांट भी पड़ी कि मैंने वीआईपी एंट्रेंस का फायदा क्यों नहीं उठाया लेकिन मुझे आरके लक्ष्मण के कॉमन मैन की तरह व्यवहार करके अच्छा लगा।'
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सतीश शाह की सोशल मीडिया पोस्ट पर एक फैन ने कमेंट करते हुए सवाल उठाए कि महामारी के दौर में भी वीआईपी कल्चर क्यों जरुरी है? इसपर सतीश शाह ने सफाई देते हुए समझाया कि वीआईपी के लिए कोई स्पेशल एंट्री नहीं थी लेकिन उम्रदराज वीआईपी और व्हील चेयर पर वैक्सीन लगवाने आए लोगों के लिए बैक डोर वैक्सीनेशन की सुविधा जरूर दी गई थी। अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने सतीश शाह की तारीफ करते हुए कहा, 'हमें आप पर गर्व है सर, हमें आपके जैसे और लोगों की जरूरत है'।
पिछले साल हुआ था कोरोना
सतीश शाह पिछले साल जुलाई में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती थे। इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया था, 'मैं बिलकुल ठीक हूं। प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मैंने खुद को क्वारेंटाइन कर रखा है। मुझे फीवर हुआ जिसको मैंने दवाई लेकर ठीक कर लिया लेकिन फिर मैंने टेस्ट करवाया तो मैं कोरोना पॉजिटिव निकला। इसके बाद मैं तुरंत अस्पताल में भर्ती हुआ। मैं सबको ये सलाह दूंगा कि जब भी ऐसी नौबत आए तो अपने और आसपास के लोगों की सेहत पर पैनी नजर रखें ताकि कोई कॉम्प्लिकेशन होने से पहले कदम उठा पाएं और डरे नहीं।'
69 साल के सतीश शाह ने जाने भी 'दो यारों', 'हम साथ-साथ हैं', 'ढूंढते रह जाओगे', 'फना', 'चलते-चलते' समेत कई फिल्मों में काम किया है।
और पढ़े और जाने
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myselfzero-blog · 6 years
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Life... The way you think
अक्सर जिंदगी को लेकर कितने परेशान रहते हैं । समझ नही आता कि वो सच मे परेशान हैं या एक दिखावा क्यूंकि अगर परेशान करने वाला कोई कारण है तो उसका समाधान भी होगा अगर नही है तो इसका मतलब है कि वो मृत्यु है और मृत्यु के विषय मे कोई पहले से जान तो सकता है नही, तो फिर ये परेशानी की वजह?
मैंने इस बात पर काफी सोचा और जो निष्कर्ष निकाला वो आज यहाँ आपको सुनाता हूँ।
सोचो अगर आपके पास 1 करोड़ रूपये हो तो आप क्या कर सकते हो?
सीधा सा सवाल है उत्तर भी सीधा सा ही है.. एक 3 कमरे का फ्लैट लूँगा एक कार और एक छोटा सा बिजिनेस करूँगा बस। अब ये मात्र एक कल्पना थी इसका हकीकत से कोई वास्ता नही था। परंतु अगर ऐसी बात को कोई दिल मे बैठा ले तो उसके दो परिणाम निकलते हैं
पहला ये की वो इसे अपना लक्ष्य मान कर खूब मेहनत करे और अपने सपने को हासिल करे जिसका रास्ता तो कठिन है पर मंजिल तक पहुचने की भी संभावना है।
दूसरा ये की वो बस उसी खयाल को हकीकत मान कर सोच सोच के जीता रहे जिसकी कोई मंजिल नही।
हमारे जीवन मे भी कुछ यही चल रहा है। जो चीज़ हमारे पास नही है उसके लिए हम खयाल बनाते जा रहे और लाखों में कुछ ही उसको पाने के लिए किस्मत से लड़ रहे और बाकी बस सोच रहे और सोच ही रहे हैं।
ये अच्छी बात है कि सपने बड़े होने चाहिए परन्तु उसे पाने का प्रयास उससे भी बड़ा होना ये ज्यादा महत्वपूर्ण है।
पर क्या पाना ही जिंदगी में सब कुछ है ? अगर कोई साईकल से चल रहा और गाड़ी के ख्वाब में डूब कर दिन रात मेहनत कर रहा और उसके चक्कर मे अपने वर्तमान का अंत कर रहा क्या ये सही है? क्या हम भविष्य को लेकर इतने ज्यादा चिंतित नही रहने लगे हैं कि अपना वर्तमान भूल चुके हैं ? मेहनत करो जरूर करो पर ऐसा भी क्या जो भविष्य के सुख के लिए आज को जीना ही छोड़ दो!
मेहनत करना और एक सही दिशा में मेहनत करना ज्यादा महत्व रखता है । कही ऐसा न हो कि तुम बड़ी खुशी को पाने के लिए छोटी छोटी खुशियों को नज़रंदाज़ करते जा रहे हो। कही ऐसा न हो कि यही छोटी छोटी खुशी भविष्य में वही बड़ी खुशी बन जाती जिसे तुम छोटा समझ कर छोड़ आये थे और अब पछतावे के अलावा कुछ न बचा रह जाये।
हम अक्सर वो चीज़ पाने की कोशिश करते हैं जो नही है पर जो है उसका आनन्द नही ले पाते और जब तक हमारी बहुप्रतीक्षित वस्तु मिलती है तबतक न उसका आनन्द रह जाता है न पहले से उपस्थित वस्तु का। हम दिखावे के लिए न जाने क्या क्या कर रहे पर सच मे कभी अपने दिल से पूछो क्या तुम अपने लिए सच मे कुछ कर रहे हो? मैं शर्त लगा के कह सकता हूँ जवाब में नही बोलोगे।
इतना याद रखना भौतिक वस्तु के सुख के लिए तुम मन के आनन्द को खोते जा रहे हो। वक़्त जो गुज़र जा रहा उसकी कीमत कोई नही चुका सकता । वो गुजरा हुआ वक़्त जब दर्द देना शुरू करता है तो मरते दम तक दर्द ही देता रहता है।
मेहनत करो लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहो पर हर पल को जीते हुऐ। हर पल ऐसे जीना सीखो की जब तुम अपने अतीत में झांक कर देखो तो तुम्हे अपने ऊपर गर्व हो न कि ये सोचना पड़े की काश ये किया होता तो कितना अच्छा होता।
हर गम को छुपा लो दिल मे यारों
इस दिल मे बहुत गहराई है।
जब जीना ही हर हालत में ये जिंदगी
तो मुस्कुरा कर जीने में क्या बुराई है?
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madhyakhabar · 2 years
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नसीरुद्दीन शाह को एक बार अभिनेता मित्र ने मारा था, ओम पुरी ने की थी उनकी मदद, जानिए क्या हुआ
नसीरुद्दीन शाह को एक बार अभिनेता मित्र ने मारा था, ओम पुरी ने की थी उनकी मदद, जानिए क्या हुआ
दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह आज 72 साल के हो गए हैं। उनका चार दशक लंबा करियर भारतीय फिल्म उद्योग में सबसे अग्रणी परियोजनाओं में से कुछ का दावा करता है। भारत में समानांतर सिनेमा का चेहरा होने के नाते, अभिनेता ने मासूम और जाने भी दो यारों जैसी महान फिल्मों में अभिनय किया है। ‘एंड देन वन डे’ नामक अपने संस्मरण में, अभिनेता ने एक घटना के बारे में बात की है जहां उन्हें एक अभिनेता मित्र जसपाल ने चाकू…
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chaitanyabharatnews · 3 years
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जन्मदिन विशेष: अदाकारी के शहंशाह हैं नसीरुद्दीन शाह, खास दोस्त ने ही की थी चाकू मारने की कोशिश
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चैतन्य भारत न्य��ज आज नसरुद्दीन शाह का जन्मदिन है। 20 जुलाई 1949 को जन्में नसीरुद्दीन शाह आज अपने आप में एक्टिंग के एक संस्थान बन गए हैं। नसीरुद्दीन शाह सिनेमा जगत के उन सितारों में से एक हैं, जिनकी चमक समय के साथ लगातार बढ़ती ही गई। जन्मदिन के इस खास मौके पर जानते हैं नसीरुद्दीन शाह के जीवन से जुड़ी खास बातें।
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नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी ने अपने करियर की शुरुआत लगभग एक साथ ही की थी। दोनों ने 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' में एक साथ एक्टिंग भी सीखी थी। नसीरुद्दीन ने मुख्यरूप से साल 1980 में आई फिल्म 'हम पांच' से काम करना शुरू कर दिया था। नसीरुद्दीन शाह ने 18 साल की उम्र में राज कपूर और हेमा मालिनी की फिल्म 'सपनो के सौदागर' में काम किया था लेकिन फिल्म रिलीज होने से पहले उनका सीन एडिट कर दिया गया था। फिल्म 'प्रेम अगन' में फिरोज खान ने अपने बेटे फरदीन खान के पिता के रोल के लिए नसीर साब को अप्रोच किया था लेकिन नसीर साब ने वह रोल करने से मना कर दिया क्योंकि नसीरुद्दीन शाह एक चैलेंजिंग रोल की चाहत रखते थे फिर आखिरकार फिरोज खान ने नसीर साब को गले लगाकर कहा, 'मैं आपकी भावनाओ को समझ सकता हूं।'
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नसीर साहब के खास दोस्त और सहपाठी राजेंद्र जसपाल ने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) की कैंटीन में पढ़ाई के दौरान उन्हें चाकू मारने की कोशिश की थी क्योंकि राजेंद्र को लगता था की जो फिल्में नसीर कर रहे हैं, वो उन्हें मिलनी चाहिए थी। नसीरुद्दीन शाह ने 'निशांत', 'आक्रोश', 'जाने भी दो यारों', 'अर्ध सत्य','कथा', 'मंडी', 'त्रिकाल', 'ए वेडनेसडे' जैसी और भी कई सुपरहिट फिल्में की है। भारतीय फिल्मों में योगदान के लिए भारत सरकार ने नसीरुद्दीन शाह को 'पद्म भूषण' और 'पद्म श्री' से सम्मानित किया। उन्हें फिल्म 'स्पर्श', 'पार' और 'इकबाल' फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।
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वहीं उनकी पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने 20 साल की उम्र में खुद से 15 साल बड़ी मनारा सीकरी से शादी की थी। मनारा का पहले से एक बच्चा भी था। मनारा से नसीरुद्दीन की एक बेटी हीबा शाह हैं। लेकिन यह शादी ज्यादा चल नहीं पाई और मनारा बेटी के साथ भारत छोड़कर पाकिस्तान चलीं गयीं। फिर नसीरुद्दीन शाह की दूसरी शादी रत्ना पाठक से हुई और इनके 2 बेटे इमाद शाह और विवान शाह हैं। Read the full article
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abhay121996-blog · 3 years
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बर्थडे स्पेशल 20 जुलाई: असाधारण प्रतिभा की बदौलत नसीरुद्दीन शाह ने हासिल किया खास मकाम Divya Sandesh
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बर्थडे स्पेशल 20 जुलाई: असाधारण प्रतिभा की बदौलत नसीरुद्दीन शाह ने हासिल किया खास मकाम
अपनी असाधारण अभिनय प्रतिभा की बदौलत इंडस्ट्री में खास मकाम हासिल करने वाले दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का जन्म 20 जुलाई, 1950 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में हुआ था। नसीरुद्दीन शाह की स्कूली पढ़ाई सेंट ऐंसेल्म अजमेर और सेंट जॉजेफ कॉलेज, नैनीताल से हुई थी। उन्होंने कला में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से स्नातक किया और इसके बाद वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली भी गए। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद नसीरुद्दीन अभिनय करने का सपना लिए मुंबई आ गए। यहां उन्हें महज 18 साल की उम्र में राज कपूर और हेमा मालिनी की फिल्म ‘सपनों के सौदागर’ में काम करने का मौका मिला। 
लेकिन फिल्म की एडिटिंग के दौरान उनका सीन फिल्म से काट दिया गया था। फिल्म रिलीज हुई और जब नसीरुद्दीन ने यह देखा तो उन्हें यह देखकर काफी दुःख हुआ, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इसके बाद नसीरुद्दीन पूरी शिद्द्त से लग गए अपने सपने को पूरा करने में। इसके बाद नसीरुद्दीन को साल 1975 में आई श्याम बेनेगल निर्देशित फिल्म ‘निशांत’ में अभिनय करने का मौका मिला। 
इस फिल्म में उनका किरदार बेहद छोटा था लेकिन वह अपने शानदार अभिनय के जरिये दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे । इसके बाद नसीरुद्दीन एक के बाद एक फिल्मों में नजर आये। इसके साथ ही वह थियेटर में भी हिस्सा लेते थे। नसीरुद्दीन गिनती आज बॉलीवुड के सबसे मंझे हुए अभिनेताओं में होती है। कई लोग उन्हें अभिनय का शहंशाह भी कहते है।नसीरुद्दीन ने फिल्मों में हर तरह के किरदार को बखूबी निभाया और दर्शकों के साथ-साथ फिल्म समीक्षकों की भी वाह वाही लूटी। 
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नसीरुद्दीन शाह ने ज्यादा उम्र होने के बाद भी फिल्मों में बोल्ड सीन देने से कभी परहेज नहीं किया। डर्टी पिक्चर, सात खून माफ, बेगम जान और डेढ़ इश्किया फिल्म में भी उन्होंने लव मेकिंग सीन दिए हैं। इन सब के अलावा नसीरुद्दीन की कुछ प्रमुख फिल्मों में ‘आक्रोश’, ‘जाने भी दो यारों’, ‘अर्ध सत्य’,’कथा’,’चमत्कार’, ‘मंडी’, ‘त्रिकाल’, ‘ए वेडनेसडे’ ,’हे राम’,’कृष’,’राम प्रसाद की तेरहवीं ‘ आदि शामिल हैं। अभिनय के अलावा नसरुद्दीन ने कुछ फिल्में भी निर्देशित की है। उन्होंने साल 2006 में आई दिवंगत अभिनेता इरफ़ान खान, कोंकणा सेन, परेश रावल अभिनीत फिल्म ‘यूँ होता तो क्या होता’ से बतौर निर्देशक एक नई शुरुआत की। 
इसके बाद उन्होंने पिंजरा, स्किन ऑफ़ मार्बल जैसी कुछ शार्ट फिल्में निर्देशित की। नसीरुद्दीन शाह को फिल्मों में उनके शानदार अभिनय के लिए फिल्म ‘स्पर्श’, ‘पार’ और ‘इकबाल’ फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा हिंदी सिनेमा में उनके सराहनीय योगदानों को देखते हुए भारत सरकार ने नसीरुद्दीन शाह को 1987 में पद्मश्री और 2003 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। 
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नसीरुद्दीन शाह की निजी जिंदगी की बात करे तो उन्होंने दो शादियां की हैं। उनकी पहली शादी परवीन मुराद (मनारा सिकरी) से हुई और उनकी एक बेटी हीबा शाह हैं, वहीं नसीरुद्दीन शाह की दूसरी शादी रत्ना पाठक से हुई और इनके 2 बेटे इमाद शाह और विवान शाह हैं। अपने शानदार अभिनय से लाखों दिलों को जीतने वाले नसीरुद्दीन शाह फिल्म जगत में अब भी सक्रिय हैं।
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everynewsnow · 4 years
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स्वरा भास्कर ने 'तनु वेड्स मनु' के निर्माताओं के साथ उनके अगले शीर्षक 'जहान मार यार' के लिए पुनर्मिलन किया - टाइम्स ऑफ इंडिया
स्वरा भास्कर ने ‘तनु वेड्स मनु’ के निर्माताओं के साथ उनके अगले शीर्षक ‘जहान मार यार’ के लिए पुनर्मिलन किया – टाइम्स ऑफ इंडिया
स्वरा भास्कर दिलचस्प परियोजनाओं को चुनने के लिए जाना जाता है और अब अभिनेत्री ने अपनी अगली फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ के लिए शूटिंग शुरू कर दी है। इसी के साथ एक्ट्रेस फिर से जुड़ गई हैं ‘तनु वेड्स मनु’ निर्माता विनोद बच्चन 11 लंबे वर्षों के बाद। फिल्म आज शुरू हो गई और फिल्म के सेट से तस्वीरें इंटरनेट पर सामने आई हैं। उसी के बारे में अपनी उत्तेजना व्यक्त करने के लिए स्वरा ने ट्विटर का सहारा भी लिया।…
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teekam1988 · 4 years
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कविता कौशिक ने 'जाने भी दो यारों' के महाभारत वाले सीन की Photo की शेयर, बोलीं- आज हम ऐसा सीन...
कविता कौशिक ने ‘जाने भी दो यारों’ के महाभारत वाले सीन की Photo की शेयर, बोलीं- आज हम ऐसा सीन…
कविता कौशिक (Kavita Kaushik) ने किया ट्वीट नई दिल्ली : कविता कौशिक (Kavita Kaushik) को टेलीविजन के अपने मशहूर किरदार चंद्रमुखी चौटाला की वजह से भरपूर प्यार मिलता है और उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग भी है. कविता कौशिक बिग बॉस 14 में भी आई थीं, लेकिन कुछ समय बाद वह अपनी मर्जी से शो छोड़कर चली गई थीं. कविता कौशिक सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और बहुत ही बेबाकी के साथ अपनी राय भी रखती हैं. कविता ने अपने…
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hindijankari · 4 years
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Gam Bhari shayari in Hindi July 2021- गम भरी शायरी हिंदी में
 गम भरी शायरी हिंदी में पढ़ना तो सभी पसंद करते है तो आपकी इसी पसंद के लिए हम अप्पके लिए लाये 2000+ गम भरी शायरी  हिंदी में शायरी जिन्हे आप अपने दोस्तों गर्लफ्रेंड  है और अपने फेसबुक पर स्टेटस डाल  सकते हो फोटो को डाउनलोड करके तो एन्जॉय करे हमारी इस वेबसाइट को 
haal kaisa hai aur mizaaj kaisa hai
kal to kal tha bata aaj kaisa hai
hamare saher main hai mohabbat ke dushman
tum batao tumhare saher main riwaaj kaisa hai
फना होने की इजाजत ली नहीं जाती
ये मोहब्बत है जनाब पूछ के की नहीं जाती
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मैं रेत नही जो मुट्ठी से फिसल जाऊ ,
वक़्त लगता है मुझे अपनों से बिछड़ने में
Apno Ki Chahato Ne Diya Kuch Aesa Fareb
Ki Rote Rhe Lipatkar Har Ek Aznabi Se Hum
Aaya Hi Tha Khyal Ki Aankhen Chalak Gyi
Aansu Kisi Ki Yaad Ke Kitne Kareeb Hai
Agar Koi Ladka Kisi Ladki Ke Liae Rota Hai
To Smajh Lo Usse Jyada Pyaar Use Koi Kar Nhi Sakta
insaan ko apne be bus hone ka andaza tab hota hai
jab wo kisi apno ko dekhne ke liye taras jaya katra hai
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Wo Mujhse Puchti Hai Door Jakar Khush Ho Na
Aankhe Pochkar Kahta Hoon Haan Bhut Khoosh Hoon Mai
वक्त पहचान लेगा तेरे इरादों को ,
कोशिश हजार कर लो छुपा नही पाओगे
राह चलते हुए अक्सर यह गुमां होता है
वो नज़र छुपके मुझे देख रही हो जैसे.
जरूरत हो तभी जलाओ अपने आप को
उजालों में चिरागों की अहमियत नहीं होती
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DIL TODNE WALI SHAYARI
सुकून ऐ दिल के लिए कभी हाल तो पूँछ ही लिया करो
मालूम तो हमें भी है कि हम आपके कुछ नहीं लगते
wo tere saher main aate hai dhadakna dil ka
har gali yaar mere teri gali ho jaise
बेवफा कहने से पहले मेरी रग रग का खून निचोड़ लेना
कतरे कतरे से वफ़ा ना मिले तो बेशक मुझे छोड़ देना
cahere pe banawat ka gussa aue aakhon me piyaar bhi hai
is shauk ada ko kya kahiye inkaar bhi iqraar bhi hai
यहाँ लोगो ने खुद पर इतने परदे दाल रखे है
किसी के दिल में क्या है नज़र आना बी मुश्किल है
मन के ख्वाब में मुलाक़ात होगी उनसे
पर यहाँ तो उसके बिना नींद आना बी मुश्किल है
andhere ab nahi daste ujale waar karte hai
wo dushman bhi nahi karte jo ab yaar karte hai
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uff uske rothne ki adayen bhi gajab ki thi
baat baat pe ye kahena soch lo phir mein baat nahi karungi
उफ़ उसके रोठने की अदाएँ भी गजब की थी
बात बात पे ये कहना शोच लो फिर मैं बात नहीं करूंगी
wo anjaan chala hai jannat ko paane ki khatir
be khabar ko ith,tela kar do ki maa baap ghar par hai
वो अनजान चला है जन्नत को पाने की खातिरबे
खबर को इत्तेला कर दो की माँ बाप घर पर है
फूल सूखे हुए गुलदान से कब निकलेंगे
जिंदगी! हम तेरे एहसान से कब निकलेंगे
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behte huwe ashkon kirawani nahi dekhi
maine gume-hazaron ki kahani nahi dekhi
jis din se mere haath se chuta hai tera haath
us din se koi shaam suhani nahi dekhi
मै नासमझ ही सहीं मगर वो तारा हूं
जो तेरी एक ख्वाहिश के लिये..सौ बार टूट जाऊं
zindagi tere kis kis baat par bharosha karo
shauk mujhe jeene ka hai par itna bhi nahi
खुद को कुछ इस तरह तबाह किया
इश्क़ किया क्या ख़ूबसूरत गुनाह किया
जब मुहब्बत में न थे तब खुश थे हम
दिल का सौदा किया बेवजह किया
फुर्सत में याद करना हो तो कभी मत करना
मैं तनहा ज़रूर हु मगर फुजूल नहीं
किसी को औकात याद दिलने के लिए जो अलफ़ाज़
हमारी जबान से निकलते है
वो दर हकीक़त दूसरों को हमारी औकात बता रहे होते है
mujhe kaafir kahoge to tumhara kya hoga
mera bhi wahi khuda nikla to tumhara kya hoga
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होने दो तमाशा मेरी भी ज़िन्दगी का
मैंने भी मेले मैं बहुत तालियाँ बजाई हैं
ये कयाम कैसा है रह में तेरे इश्क को किया हुआ
अभी चार काटें चुभे नहीं तेरे सब इरादे बदल गए
हर बात तेरी मानु न मुमकिन है
जिद छोड़ दे ए दिल अब तो बचचा नहीं रहा
मुझे ज़िन्दगी की दुआ देने वाले
हंसी आ रही है तेरी सादगी पर
दोस्त वो है जो दोस्ती का हक दोस्त की गैर मौजूदगी में अदा करे
और गैरों की महफिल में उसकी इज्ज़त की हिफाज़त करे
मिलती ही नहीं मुझे इस दुनियां के लिए फुरसत
सोये तो ख़्वाब तुम्हारा जागे तो ख्याल तुम्हारा
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Gum Bhari Shayari
suna hai haaton main mahendi rachye phirti hai
jo mujh se kehti thi bichede to nas kaar lunngi
न हमसफ़र न किसी हमनशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
tumse mohabbat thi bataya saare jahan ko
bus yahi baat tumko batana bhul gaye
humne mita diya jahan bhi likha tera naam
magar use apne dil se mitana bhul gaye
उसकी चाहत में हम रुस्वा सर-ऐ-बाजार हो गए
दिल ��ी हमने खोया और हम ही गुनहगार हो गए
Itni tehzeeb se pesh aana aadat hai tumhari
Ya mujhe qatal karne ki sazish hai tumhari
गलतफहमी की गुंजाईश नहीं सच्ची मोहब्बत में
जहाँ किरदार हल्का हो कहानी डूब ही जाती है
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं
लोग अब मुझ को तेरे नाम से पहचानते हैं
वो इश्क़ जो था कभी जूनून,उसे रोजगार बना लिया
कही जख्म बेच के आ गया कही कोई शेर सुना दिया
hamein pasand nahi har kisi par fida hone ki saheb
tumhara andaaz gajab ka tha hum sabhal na sake
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धोखा देती है अक्सर मासूम चेहरे की चमक
हर काँच के टुकड़े को हीरा नहीं कहते
hum itne bhi nahi badle ke bhul jayenge apno ko
jab koi muntazar hi na ho rabta accha nahi lagta
जो जिने की वजह है वो इश़्क है तेरा
जो जिने नही देता वो भी इश़्क है तेरा
na tujhe meri tanhaiyon ki fikar hai nah i bichadne ka gum hai
dil phir bhi ye samjhta hai ke to chahta hai mujhe apn ki tarah
नमक भर के मेरे जख्मो में,तुम क्या मुस्कुराते हो
मेरे जख्मो को देखो,मुस्कुराना इसको कहते है
बेनूर सी लगती है उससे बिछड़ के जिंदगी
अब चिराग जलते हैं मगर उजाला नहीं करते
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दुश्मनोँ ने दोस्ती का सिलसिला रहने दिया
उसके सारे खत जला दिये,फिर भी पता रहने दिया
in aakhon main bhi thi kabhi kisi heer ki tamanna
ye uljha huwa ladka bhi kabhi raanja huwa karta tha
इश्क़ में नशे में मैं चूर होता जा रहा हूँ
मैं तुम्हे लिखते लिखते मशहूर होता जा रहा हूँ
mujhe chhodne ka faisla roz karta hai wo shaks
magar is ka bus nahi chalta meri wafa ke samne
tujhe kya lagta hai mujhe teri yaad nahi aati pagal
koi apni barbadi kaise bhul sakta hai
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मुहब्बत करने से फुर्सत नहीं मिली यारों
वरना हम करके बताते नफरत किसे कहते हैं
jo khumaar hai tere ishq ka use maut kaise fanaa kare
wo to pahle maut se mar gaya tere ishq main jo zeba kare
क्या हसीन इत्तेफाक़ था तेरी गली में आने का
किसी काम से आये थे किसी काम के ना रहे
jis din tumhare naam par meri aankhon se bheeg jana chhod diya
us din apna har dard tumhein maaf kar dunga
आज टूट गया हूँ,तो बचकर निकलते हो
कल आईना था तो रुक-रुक कर देखते थे
RULANE WALI SHAYARI
महसूस करोगे तो हर जजबात समझ में आ जायेगा
लब्ज नहीं लहजे बयां करते है की मोहब्बत में गहरायी कितनी है
zindagi tujh ko mubarakh ho meri zindagi ke dard ka har ek pahel
kis tarah se gujari hai ye zindagi bus sirf khuda janta hai
अंदाज़ा मेरी मोहब्बत का सब लगा लेते हैं
जब तम्हारा नाम सुनकर हम मुस्कुरा देते हैं
khamosh reh kar saza kaate hai gunaho ki tarah
kasoor itna tha sirf ke be kasoo the hum
rukhta bhi nahi thik se chalta bhi nahi
ye dil tere baad sabhalta bhi nahi hai
ye saher kis aayine ka darbaan hai
ilzaam lagate huwe darta bhi nahi
मजबूर नही करेंगे तुझे वादे निभानें के लिए
बस एक बार आ जा अपनी यादें वापस ले जाने के लिए
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libaas ishq pahen kar qalandar ki tarah
teri yaad ke zahn main naachte hai dewano ki tarah
ख़याल जिसका था ख़याल में मिला मुझे
सवाल का जवाब भी सवाल में मिला मुझे
mujhe aksar apno se chahat ka shikwa raheta hai
Q k apno ne kabhi nahi chaha mujhe apno ki tarah
मै कोई छोटी सी कहानी नहीं था
बस पन्ने ही जल्दी पलट दिए तुमने
kasam lelo tumhare baad kisi ka khuwaab dekha ho
kisi ko chaha ho kisi humne socha ho kisi ki aazro ki ho
thudi si Mohabbat use bhi hogi
waqt sirf dil todhne ke liye kon barbaad karta hai
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dukh hota hai hamein sirf is baat ka
hum to sharabi the par hush wale kaise hamein bhul gaye
वक़्त मिले तो कभी रखना कदम दिल के आँगन में
हैरान रह जाओगे मेरे दिल में अपना मुकाम देख कर
mujhe kaise yaqeen aye mohabbat tum bhi karte ho
tumein jab bhi dekha hai muskurate huwe dekha hai
बक्श देता है खुदा उनको जिनकी किस्मत खराब होती है
वो हरगिज़ नहीं बक्शे जाएंगे जिनकी नियत खराब होती है
na jane us shaks ko ye kaisa huner aata hai
raat hoti hai to aakhon main uthar jata hai
सौ दर्द हैं महोब्बत में बस एक राहत हो तुम
नफ़रतें बहुत हैं जहाँ में बस एक चाहत हो तुम
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MOHABBAT STATUS
zaruri to nahi ke suraj sawera neze par aa jaye
badal jaye koi apna to qayamat toot padhti hai
गम की परछाईयाँ यार की रुसवाईयाँ
वाह रे मुहोब्बत तेरे ही दर्द और तेरी ही दवाईयां
kuch der ke liye muhe apni bahon main sulale
agar aankh khuli to utha dena na khuli to dafna dena
उन पंछियों को कैद में रखना आदत नही हमारी
जो हमारे दिल के पिंजरे में रहकर गैरों के साथ उड़ने का शौक रखते हों
tumhari nafrat pe bhi luta di apni jaan humne
socho agar wafa karte to hum kya karte
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balwant-0733 · 4 years
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एक तुम्हारे िसवा कौन है मेरा फिर किसके सहारे तनहा छोड़ जाते हो..?
कैसे नजर आते हैं बिखरे हुए ख्वाब मेरे एक रोज मेरी आंखों में झांक कर देखो..?
हमने वक्त से बहुत वफ़ा की लेकिन वक़्त हमसे बेवफाई कर गया..?
कुछ हमारे नसीब बुरे थे कुछ उनकी खुशियों के बारे में सोच गए..?
तुम क्या जानो क्या होती है तनहाई.. टूटे हुए पत्ते से पूछो क्या होती है "JUDAI"..?
यह बेवफाई का इल्जाम ना दो मेरे दोस्त इस वक्त से पूछो कब याद उसकी नहीं आई..?
यह जो मौसम है गुजर जाएगा दिल उसके बाद शायद बहल जाएगा..?
मैंने आजाद किया अपनी वफाओं से उसको बेवफाई की सजा मुझको सुना दी जाए..?
मैंने मांगी थी उजाले की एक किरण उनसे किसने कहा आग लगा दी जाए..?
उस से जुदा तो हो जाएंगे पर यूं लगता है मुझे जैसे जहां में कोई अपना नहीं रहा..?
वह बेवफा नहीं मगर इतना जरूर है पहले वह जिस तरह का था वैसा अब नहीं शायद उसकी मजबूरी होगी..?
इतनी वफाई से परेशान भी हो जाते हैं लोग नरम झोंके कभी तूफान भी हो जाते हैं..?
हमारा वक्त जो बदला तो तुझे ताजुब हुआ होगा की कैसे लोग काफिर भी तो हो जाते हैं..?
वफा के नाम से वह अनजान था किसी की बेवफाई से शायद परेशान था..?
हमने वफ़ा देनी चाहि तो पता चला हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे..?
हमारा भी प्यार करने का ख्याल नहीं बदला जब भी यह ख्याल आया खुद को अकेला पाया..?
ढूंढते रहे इस दुनिया में हमसफ़र.. किसी को धोखेबाज तो किसी को बेवफा ही नजर आया..?
आवाज उसे मेरी अब सुनाई नहीं देती अब तो दूर तक कोई उम्मीद भी दिखाई नहीं देती..?
एहसास उसे और सब लोगों का है बस मेरी ही वफाई उसे दिखाई नहीं देती..?
इस दुनिया में वफा करने वालों की कमी नहीं है "ziddu" बस प्यार ही उससे हो जाता है जो मिल नहीं पाता..?
लोग कहते हैं कि तुम्हारी आंखों का मंजर बहुत दिलकश है..?
अ यारों..
उसे क्या खबर के बारिश के बाद ही मौसम खुशगवार हुआ करता है..?
क्या मिलेगा ऐ पागल तुझे हम से वफा करके हम तो पैदा ही बेवफा हुए थे..?
आज खुद भी तनहा फिर रही हो ए जान हमें तनहा देखकर हम जानते हैं..?
ऐ पागल..
पता नहीं दुनिया बेवफा है या मुझमें ही कोई कमी है मैं नहीं जानता..?
ए दोस्तों जरूरी तो नहीं जो ख़ुशी दे उसी से मोहब्बत हो
प्यार तो अक्सर दिल तोड़ने वालों से भी हो जाता है..?
Do You Know How It Feels To Love Someone Who Doesn't Love you...?
मोहब्बत का अजीब कारोबार हमने किया..वह बेवफा नहीं जानता हूं मगर प्यार हमने किया..?
मजबूरी है उसकी अगर वह छोड़ गया तो..मत कहो बुरा उसको कसूर उसका नहीं तकदीर का है..?
खुदा ने काश मोहब्बत बनाई ना होती तो आज इस तरह हमारे प्यार की रुसवाई ना होती..?
काश उनके दिल में जरा सी मोहब्बत भी जाग जाए हमारे लिए तो हम चैन की नींद सो सकते हैं हमेशा के लिए..?
जाने क्यों लोग हमें आज��ाते हैं कुछ पल साथ रहने के बाद ��ूर चले जाते हैं..?
सच ही कहते हैं लोग कि सागर के मिलने के बाद लोग बारिश को भूल जाते हैं..?
हमारे आंसू वह मजबूरन जान ना सके मोहब्बत की कहानी वह मान न सके..?
कहा था उसने ऐ पागल जानसे मारने के बाद ही मरना वरना हम जी ना सकेंगे..?
दुनिया में कोई किसी के लिए कुछ नहीं करता.. मरने वाले के साथ हर कोई नहीं मरता..?
अरे मरने की बात तो दूर रही यहां तो जिंदगी है फिर भी कोई याद नहीं करता..?
याद आती है वह बाहों में गुजारी रात उसकी.. उसकी यादों को दिल से मिटाऊं कैसे..?
वह अपनी जिंदगी को जिए खुशी से यह दुआ है पर मैं अपने दिल को समझाऊं कैसे.....??
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khabaruttarakhandki · 4 years
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चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद LAC पर हथ‍ियारों के इस्तेमाल को लेकर सेना ने बदले नियम
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चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बाद LAC पर हथ‍ियारों के इस्तेमाल को लेकर सेना ने बदले नियम.
नई दिल्ली:
लद्दाख के गलवान घाटी (Ladakh’s Galwan Valley) में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद सेना ने LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर होने वाले ऐसे टकरावों के मद्देनजर नियमों में बदलाव किया है. नियम बदले जाने के बाद फील्ड कमांडर ही ‘असाधारण’ परिस्थितियों में आग्नेयास्त्रों के उपयोग को मंजूरी दे सकेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले भी कहा था कि सेना को जमीनी स्थिति से निपटने के लिए पूरी छूट दी गई है.
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दोनों सेनाओं के बीच 1996 और 2005 में हुए समझौते के प्रावधानों के अनुसार टकराव के दौरान आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल नहीं करने पर सहमति बनी थी. उस समय दोनों देशों ने एलएसी के दोनों ओर दो किलोमीटर के भीतर विस्फोटकों या आग्नेयास्त्रों का उपयोग नहीं करने पर भी सहमति व्यक्त की थी. दशकों पुराने नियमों में बदलाव पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के एक हफ्ते से भी कम समय के बाद हुआ है, जिसमें 20 भारतीय जवानों की जान चली गई थी. 
सेना ने हाल ही  में बताया था कि गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना का कोई भी जवान अब गंभीर रूप से घायल नहीं है और सबकी हालत स्थिर है. सेना के अधिकारियों ने बताया था, ‘हमारे सभी जवानों की हालत ठीक है और कोई भी सैनिक गंभीर नहीं है. लेह के अस्पताल में हमारे 18 जवान हैं और वह 15 दिन के भीतर ही ड्यूटी ज्वाइन कर लेंगे. इसके अलावा 56 जवान दूसरे अस्पतालों में हैं, जो मामूली तौर पर घायल हैं और वह एक हफ्ते भर के भीतर ही ड्यूटी पर लौट आएंगे.
बता दें कि 15 जून की शाम को बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू ने चीन के कमांडिंग ऑफिसर से समझौते का पालन करने को कहा और गलवान नदी के पास जगह को खाली करने को कहा. इस पर चीनी सेना का बर्ताव बहुत ही आक्रामक था. उन्होंने फौरन भारी संख्या में हमला बोल दिया और पत्थरबाजी शुरू कर दी और आयरन रॉड से मारना शुरू कर दिया. इस दौरान चीनी सैनिकों के डंडे पर बंधे कटीली तारों का भी इस्तेमाल किया, जिसमें कर्नल समेत सेना के 20 जवानों की जान चली गई.
चीन के कितने सैनिक मारे गए या घायल हुए इसकी जानकारी न तो सेना ने दी और न ही सरकार ने. हालांकि NDTV को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान चीन के करीब 45 सैनिक भी मारे गए.  
VIDEO: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक
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yourstatuslove · 5 years
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FB Status Hindi | Facebook Status In Hindi
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 Fb Status Hindi | Facebook Status In Hindi | Best Fb Status Hindi Mai Love: Hey guys today I will share my all-time best fb status for you. I hope that you will like this fb status Hindi that I have shared with you. I will share a good collection of facebook status in Hindi that will make your day today. Facebook is a good platform to share the best attitude status with friends so that's why I am going to share the best fb status in Hindi's attitude with you. I hope that you will enjoy this facebook status then do not forget to share these messages with your friends. So let's go for Fb status Hindi Mai now below. Whatsapp dp will be a good option for you if you are looking for some great Whatsapp images  
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fb status hindi
Fb Status Love
1)सब बोलते 🗣 है यार ☺ बता वो 👱 ‍कैसी है, तो यारों 👬 सुनो👂, दिखने ✌ मैं भोली  है, लेकिन बंदूक 🔫 कि गोली 💊 है कभी फ़ोन 📱 बीजी रहा तो डायरेक्ट ब्रेकअप 💔 कि धमकी 😂 देती 💔 है.. 2)👉 शौक नही हैं मुझे 👑 मशहुर होने का पर कया करु, लोग 😏 Personality देखते ही पहचान जाते है कि ये कोई 🤴 बिगड़ा हुआ Sehzaada 😎 हैं. 3)Is Duniya मै 🌍 कोई 🙄 तो होगी जो मूझसे👦 कहेगी, सुन 👂 पगले👦 Tu ❤ शायर है ✍  मै 👱‍ तेरी शायरी.. 4)ये Facebook है 👊जनाब , यहां आग 🗯 माचिस से नहीं अपने Style🕺 से लगती है.. 5)मेरी  शक्ल 👦 पे मत  जाना ☝ गोरी 👩 लोग  कहते 👫 है, मेरा  दिमाग 😎 म्यूजियम 🏫 में रखने  लायक है ।। 😜
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  6)एक दिन अपनी भी Entry शेर जैसी होगी ..जब शोर कम और खौफ ज्यादा होगा 😏 😎 7)हमारा नाम इतना भी कमजोर नही है… कि दो चार दुश्मनों की आवाज़ से बदनाम हो जाए 😏 😎 8)मेरा सलाम उनको जिन्होंने याद रखा मुझे ….. उनका भी बहुत शुक्रिया जो भूल गए मुझे 😎 9)इस दुनिया में‌ अपना एक अलग ही रुतबा है …दुश्मन हो या दुनिया हर एक के दिल पर अपना ही कब्जा है 😎😎 10)सिर्फ कपड़े ही नहीं सोच भी ब्रांडेड होनी चाहिए 😏 😎 Fb Status Hindi Mai
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11) 😌मेरी शराफत को कमजोरी ना समझ मैं हाथ जोड़ना👏 जानता हूं तो तोड़ना भी जानता हूं😎👊 । ।  #जिसके_खिलाफ_साजिश...👊ना_हो_वो 👑... 12)ये कभी *❌मत 🗣कहना* के *⏱वक़्त* मेरी ✊मुट्ठी *में 🌐कैद* है, 😊मैंने *वर्षो की 💞मोहब्बत* को *☝🏻पल मे 💔टुट्ते* 👁देखा तुम 👩 तो बस ☝... 13)लड़की की Hansi और कुत्ते की Khamosi पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए..!! 14)Attitude की बात मत कर… वो तो बचपन से है..पैदा हुआ तो 2 साल तक किसी से बात नहीं की.!! 15)AττiTυdΣ‬ तो ‪अपना‬ भी ‪‎खतरनाक‬ है ,जिसे‬ भुला ‪दिया‬ SO ‪‎भुला‬ दिया,फिर‬ एक ‪ही‬ शब्द ‪याद‬ रहता है,Wнo are U ? 16)“अकड़ उतनी ही दिखाना जितनी तेरी औकात हैं।” 17)“तुझसे मुहब्बत है बस इसलिये तेरे झूठ भी सच मान लेते हैं !” 18)“Oye तू तेरे ATTITUDE की फोटो खींच कर OLX पे बेच दे, क्योंकि पुरानी चीज हमें पसंद नहीं” 19)औकात की बात मत कर पगली, हम तो इंटरनेट भी मेन बेलेंस पर चलाते है”” 20)जीत हासिल करनी हो तो काबिलियत बढाओ, किस्मत की रोटी तो कुत्तेको भी नसीब होती है.!! 21)आजकल जिस उम्र में दिल टूट रहे है ,, उस उम्र में हमारी #नटराज_की_पेंसिल✏ टूटा करती थी. 22)दाढी रखने से हमे देवदास' मत समझ पगली, दाढी रखना भी हमारा एक #style ✌ है!! #jaan 23)#स्टैटस तो ☝हर कोई #डालता♂♂हैं #छोटे लेकिन ☹#मार्केट में #Image बनाने ♂में #टाइम लगता #__हे 24)लडकी पटाकर #girlfriend‌_बनाना मेरे लिये बडी #बात_नही लेकिन किसी बन्दी के आगे झुककर उसे #Propose करना, मेरे‌ #Attitude के बस‌ की #नही 25)आजकल तुम्हारे #भाई के #Status बहुत Famous हो रहे है इसलिए , जो #लड़की मेरी #Girlfriend बनना चाहती है वो मेरे #नाम की रजिस्ट्री करवा सकती है , वरना बाद में #टोकन लेकर #लाइन में खड़ा होना पड़ेगा New Fb Status
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26)ज़िन्दगी का ये हूनर भी, आज़माना चाहिए , जंग अगर दोस्तों से हो,तो हार जाना चाहिए ...😍😘😘 27)तू बहुत ज़रूरी है मेरी ज़िंदगी में इसलिए नही कि मै तेरे साथ बहुत खुश होता हूँ,बल्कि इसलिए कि तेरे बिना मै खुद को बहुत अकेला महसूस करता हूँ.. 28)शरीफों की शराफत 🙏 और हमारा कमीनापन 😛😜😝किसी को अच्छा नही लगता...🙉 29) ईतना ‪#‎Zoom‬ करके ना # देख # मेरी ‪#‎photo‬ ‪#‎पगली‬����हमे नजदीक से देखने की अनुमति तो ‪#‎GOVERNMENT‬# भी नही देती���� 30)तू नहीं मिली तो इस जहामें आग लगा दूंगा,और फिर भी ना मिली तो😎,# smart to हूं 😎‪#‎दूसरी‬ पटा लुंगा 31)किसी ki बुराई करने से Uske Character का पता Chalata है, उस व्यक्ति का Nahi। 32)ये To तुम्हारे LovE का नतीजा Hai, Warna हम इतनी Asani से सुधरने Walon में से Nahi थे। 33)अगर मेरी गलती है हो मुझसे ही कहना औरो से नहीं, क्योंकि सुधारना हमको है औरो को नहीं. 34)न ही तो गाडी है न ही तो बुलेट और न ही कोई हथियार है, सीने में मेरा जिगरा और दुसरे मेरे जिगरी यार है. 35)मै अगर शांत बैठा हूँ तो ये मत समझना कि आग नहीँ है मेरे अंदर, डरता हूँ कि कहीँ समन्दर कम ना पड़ जाये बुझाने के लिये. 36)किसी के कुंडली में शनि, और मन में मनी और हम से दुश्मनी तीनों ही खतरनाक है. 37)अगर बेवफाओं के सर पर सींग होते, तो मेरी वाली आज बारासिंगा होती. 38)जो लड़किया ज्यादा ऐटिटूड में रहती है वो मुझसे दूर ही रहे, क्योकि मुझको मनाना आता नहीं और भाव में किसी को देता नही. 39)किसी भी लड़की के सामने उसकी दोस्त की तारीफ़ करना मनो कि, पेट्रोल पंप पर सिगरेट पीने के बराबर है. 40)वो उसके इंतेज़ार में था और, वो किसी ओर के ही रंग में रंग चुकी थी. 41)दिल में बने रहन ही सच्ची शोहरत है, वर्ना मशहूर तो कत्ल करके भी हुआ जा सकता है... 42)मुझे Attitude के बादशाह का ख़िताब  मिल गया था, जब दो साल की Age में मुझे लड़की ने So Cute बोल के KISS किया और मैंने उसे झापड़ लगा दिया.... 43)लोग कहते है की मुझमें #ATTITUDE# बहोत है, मैंने भी कह दिया भगवान की देन छुपाई थोड़ी जाती है..? 44)मैं  कब का यमनगरी जाने को बेचैन हु....लेकिन यमराज कहते है, तू आने के लिए नहीं, भेजने के लिए पैदा हुआ है.... 45)ATTITUDE OR PERSONALITY की बात मत कर पगली, हम जिस गली मैं पैर रखते है न,,,,वहां की लड़कियां अक्सर कहती है,,,"बहरो फूल बरसाओ....मेरा महबूब आया है" 46)इतने अमीर तो नहीं कि सब कुछ खरीद लें…पर इतने गरीब भी नहीं हुए कि खुद बिक जाएँ। 47)“पैसे का तो पता नहीं Pagli,  पर कुछ जगह पर नाम ऐसा कमाया है की वहाँ Paisa नहीं मेरा Naam चलता है । 48)अरे ‪पगली‬ मेरा ‪Attitude‬ तो Airtel 4G से भी जादा ‪ ‎fast‬ है, एक बार ‪#‎Click‬ करके तो देख, बिना ‪#‎Loding‬ लिए सीधे ‪#‎Dil‬ मे उतर जाऊंगा. 49)पीने की capacity, जीने की strength, अकाउंट का balance, और नाम का खौफ कभी कम नहीं होना चाहिए 50)कभी मुकाबला करना हो तो मैदान में आना ….उपर वाले की कसम तलवार भी तेरी होगी 😏 और टुकड़े भी तेरे Peoples are searching for the term fb status in Hindi for a long time. As we know that fb status is very popular in India so that its a good time to share these facebook status with your friends. I hope that you have enjoyed these statuses that I have shared with you. Facebook is a large community of billions of peoples every day many peoples use attitude status to show their attitude with their friends. I hope that you will also show your with these attitude status in Hindi that I have shared with you Read the full article
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technibba · 5 years
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life comparison of anupam kher and naseeruddin shah  | दोनों एनएसडी से पासआउट, एक ने 100 तो दूजे ने 500 से ज्यादा फिल्मों में किया काम करियर:1975 में नसीर ने फिल्म 'निशांत' से डेब्यू किया था। इस फिल्म को बेस्ट फिल्म का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। ये फिल्म ऑस्कर के लिए भी नॉमिनेट हुई थी। बॉलीवुड में डेब्यू करने के दो साल बाद उन्होंने 1977 बेनजामिन गिलानी और टॉम ऑल्टर के साथ मिलकर मोटले प्रोडक्शन हाउस नाम से एक थिएटर ग्रुप की शुरुआत की थी। नसीर आज भी थिएटर से जुड़े हैं। उन्होंने 'मंथन', 'सुनैना', 'हम पांच' , 'चक्र',  'बाजार', 'सितम', 'गुलामी', 'हीरो हीरालाल', 'त्रिदेव' (1989), 'विश्वात्मा’ 'कृष', 'बेगम जान', निशांत, आक्रोश, स्पर्श, मिर्च मसाला, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, मंडी, जुनून, मोहन जोशी हाजिर हो और अर्थ सहित कई फिल्मों में काम किया है। शाह की पहली पाकिस्तानी फिल्म 'खुदा के लिए' थी। इसके बाद उन्होंने दूसरी पाकिस्तानी फिल्म 'जिंदा भाग' में काम किया।  करियर: अनुपम की डेब्यू फिल्म 1984 में आई 'सारांश' मानी जाती है इस फिल्म में 28 साल के अनुपम ने एक मिडिल क्लास रिटायर बूढ़े शख्स का किरदार निभाया था। लेकिन इससे पहले भी वे दो फिल्में 1981 में 'टाइगर सिक्सटीन' और 1982 में फिल्म 'आगमन' में काम कर चुके थे।अनुपम खेर के फ़िल्मी करियर में मिसाल, मेरे बाद, राम लखन, निशानेबाजी, त्रिदेव, राम लखन, नागिन और लुटेरे, खेल, शोला और शबनम, बेटा, डर, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, बड़े मियाँ छोटे मियां, हसीना मान जायेगी, कहो ना प्यार है, शिकार, कोई मेरे दिल से पूछे, एक अलग मौसम, क्या कूल हैं हम, यारां नाल बहारां, यारां नाल बहारां, जानेमन, प्रतीक्षा, आप की खातिर, उमर, विवाह, अपना सपना मनी मनी, शादी से पहले, खोसला का घोसला, चुप चुप के, लागा चुनरी में दाग, गौरी, जाने भी दो यारों, दिलरुबा, दस कहानि��ां, गांधी पार्क, अय्यारी , ताशकंद फाइल्स जैसी फिल्में शामिल हैं।  Source link
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