गुजरात में जूनागढ़ के प्राथमिक स्कूल के तीन बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित
गुजरात में जूनागढ़ के प्राथमिक स्कूल के तीन बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित
गुजरात में जूनागढ़ जिले में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के तीन छात्र कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए, जिसके बाद एक सप्ताह के लिए स्कूल बंद कर दिया गया। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। जूनागढ़ जिला पंचायत शिक्षा समिति की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि कक्षा छह और सात के बच्चों में सोमवार को संक्रमण की पुष्टि हुई और उन्हें उनके घरों में पृथक-वास में रखा गया है। इसके बाद जिले के केशोद…
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मंगलवार को भी नगर निगम अतिक्रमण हटाने में एक्टिव रही
मंगलवार को भी नगर निगम अतिक्रमण हटाने में एक्टिव रही
मंगलवार को शहर के अनेक क्षेत्रों निगम की ओर से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई। टीम के दस्तों ने कांता खतूरिया कॉलोनी,जूनागढ़ के पीछे व बी के स्कूल के पास से अतिक्रमण हटाएं। इस दौरान निगम दस्ते को थोड़ा बहुत विरोध का सामना भी करना पड़ा। नगर निगम प्रशासन की ओर से मंगलवार को कांता खतूरिया कॉलोनी में अतिक्रमण के क ब्जे से बेशकीमती बीकानेर नगर निगम की अतिक्रमण के विरुद्ध कार्यवाही की। नगर निगम की…
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शिक्षा पर कोरोना संकट/ 08 अप्रैल तक बंद हुए आठ महानगरों के स्कूल व कॉलेज, विश्वविद्यालय की परीक्षाएं भी स्थगित Divya Sandesh
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शिक्षा पर कोरोना संकट/ 08 अप्रैल तक बंद हुए आठ महानगरों के स्कूल व कॉलेज, विश्वविद्यालय की परीक्षाएं भी स्थगित
गांधीनगर/अहमदाबाद। राज्य में कोरोना के बढ़ते प्रकोप से बचने के लिए रूपाणी सरकार ने आज फिर बड़ा निर्णय लिया। गुरुवार को कोर कमेटी की बैठक में 10 अप्रैल तक आठ महानगरों के स्कूलों और कॉलेजों में ऑफलाइन ��िक्षा बंद करने का फैसला किया है। अन्य क्षेत्रों में शिक्षण कार्य जारी रहेगा। बैठक के बाद शिक्षा मंत्री भूपेंद्रसिंह चुडासमा ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा, सूरत, गांधीनगर, जामनगर, भावनगर और जूनागढ़ में 10 अप्रैल तक ऑफ़लाइन शिक्षा बंद रहेगी।
उन्होंने बताया कि बुधवार को कैबिनेट की बैठक में भी कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के तरीकों पर चर्चा हुई। सरकार ने एक महीने पहले शुरू हुए स्कूल और कॉलेजों को फिर बंद करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि कॉलेज और विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को भी 10 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय इसके लिए एक नई समय सारिणी जारी करेगा। उन्होंने बताया कि 10 अप्रैल तक ऑनलाइन शिक्षा जारी रहेगी। साथ ही यूनिवर्सिटी के हॉस्टल खुले रहेंगे। छात्राें को छात्रावास में रह कर ही पढ़ाई करना होगा। उन्होंने बताया कि यह आदेश राज्य के सभी सरकारी व निजी स्कूलों और विश्वविद्यालयों पर लागू होगा।
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उल्लेखनीय है कि पिछले साल 16 मार्च से लगभग नौ माह तक स्कूल-कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों में शैक्षिक कार्य बंद था। बाद में सरकार ने अनलॉक प्रक्रिया के धीरे धीरे स्कूलों और कॉलेजों को फिर से खोल दिया था। लेकिन कोरोना की स्थिति बिगड़ने पर 19 मार्च से आठ महानगरों के स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। गुजरात में कोरोना के मामले बढ़ने से सरकार एक फिर सतर्क हो गई है। कोरोना से निपटने के लिए राज्य सरकार लगातार कड़े कदम उठा रही है। गुरुवार को इस संबंध में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने पत्रकारों से वार्ता की। रूपाणी ने कहा कि हमने कोरोना की हर स्थिति से निपटने की तैयारी कर ली है। अस्पताल में बिस्तर तैयार किए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लॉकडाउन का कोई विचार नहीं है।
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गुजरात में अनोखी शादी: 5.5 फीट की नेत्रहीन ने 13 साल बड़े 3 फीट के सरकारी टीचर के साथ फेरे लिए
गुजरात में अनोखी शादी: 5.5 फीट की नेत्रहीन ने 13 साल बड़े 3 फीट के सरकारी टीचर के साथ फेरे लिए
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गुजरात में सोमवार को यूं तो हजारों शादियां हुईं, लेकिन जूनागढ़ में हुई एक शादी सबसे अनोखी कही जा रही है। यहां 5.5 फीट की लड़की ने तीन फीट कद वाले लड़के के साथ सात फेरे लिए। दुल्हन की उम्र 29 साल और दूल्हे की उम्र 42 साल है।
रमेश भाई सडोदर गांव के सरकारी स्कूल में टीचर हैं।
शांता मकवाणा सत्यम सेवा युवक मंडल के गर्ल्स हॉस्टल में बचपन से रहती हैं। उन्हें जन्म से ही दिखाई नहीं देता। शांता ने…
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गुजरात पर खतरा, टकरा सकता है चक्रवाती तूफान ‘वायु’
नई दिल्ली ओडिशा में पिछले महीने 'फोनी' तूफान से मची तबाही के बाद अब पश्चिम में पर ऐसे ही एक भयानक तूफान का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, अरब सागर में पैदा हुआ ‘वायु’ महाराष्ट्र से उत्तर में गुजरात की ओर बढ़ रहा है। द्वारा मंगलवार को जारी बुलेटिन के अनुसार ‘वायु’ के 13 जून को गुजरात के तटीय इलाकों पोरबंदर और कच्छ क्षेत्र में पहुंचने की संभावना है। विभाग ने अगले 12 घंटों में चक्रवाती तूफान के और अधिक गंभीर रूप धारण करने की संभावना जताई है। उधर, गुजरात के अधिकारी ओडिशा में आए 'फोनी' तूफान के समय अपनाई गई तकनीक के बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक कर तैयारियों का जायजा लिया है। के मुताबिक उत्तर की ओर बढ़ता ‘वायु’ 13 जून को सुबह गुजरात के तटीय इलाकों में पोरबंदर से महुवा, वेरावल और दीव क्षेत्र को प्रभावित करेगा। इसकी गति 110 से 130 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है। उत्तरी महाराष्ट्र के तटों पर 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। 10 जिलों के स्कूल-कॉलेजों में 2 दिन की छुट्टी गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने पूरे राज्य में 13 से 15 जून तक तीन दिवसीय शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम रद्द कर दिया है। उन्होंने 'वायु' चक्रवात से संभावित रूप से प्रभावित होने वाले 10 जिलों में 13 और 14 जून को स्कूल और कॉलेजों में 2 दिन की छुट्टी घोषित कर दी है। गुजरात सरकार का हाई अलर्ट, NDRF तैनात मौसम विभाग ने इसके मद्देनजर सौराष्ट्र और कच्छ के तटीय इलाकों में 13 और 14 जून को भारी बारिश होने और 110 किमी प्रति घंटे की गति से तूफानी हवाएं चलने की चेतावनी जारी की है। इसे देखते हुए गुजरात सरकार ने भी ‘हाई अलर्ट’ जारी करते हुए सौराष्ट्र और कच्छ इलाकों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के जवानों को तैनात किया है। मछुआरों को सलाह, समुद्र में न जाएं सरकार ने तटीय क्षेत्रों में मछुआरों को अगले कुछ दिनों तक समुद्र में नहीं जाने की सलाह दी है। साथ ही बंदरगाहों को खतरे के संकेत और सूचना जारी करने को कहा गया है। 13 जून को 1 से 1.5 मीटर तक ज्वार उठने की संभावना है जिससे कच्छ, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जूनागढ़, दीव, गिर सोमनाथ, अमरेली और भावनगर के निचले जिलों में पानी भर सकता है। ओडिशा की तकनीक समझ रहा गुजरात गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मंगलवार को कहा कि तटीय इलाके में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार चक्रवात ‘वायु’ वेरावल तट के करीब 650 किमी दक्षिण में स्थित है। रूपाणी ने गांधीनगर में कहा कि कच्छ से लेकर दक्षिण गुजरात में फैली समूची तटरेखा को हाई अलर्ट पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि चक्रवात ‘फोनी’ के दौरान ओडिशा में अपनाई गई आपदा प्रबंधन तकनीक को सीखने और उसे लागू करने के लिए गुजरात के अधिकारी ओडिशा सरकार के साथ संपर्क में हैं। उन्होंने बताया, ‘हमने सभी संबंधित कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं और उन्हें ड्यूटी पर आने का निर्देश दिया गया है।’ उन्होंने कहा, ‘13 और 14 जून हमारे लिए बहुत अहम हैं। हमने सेना, एनडीआरएफ, तटरक्षक और अन्य एजेंसियों से राहत एवं बचाव कार्य के लिए मदद मांगी है। मानवीय क्षति कम से कम हो इसके लिए हम बुधवार से तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजेंगे।’ गुजरात बंदरगाह एवं यातायात विभाग की प्रधान सचिव सुनैना तोमर ने बताया कि राज्य के सभी बंदरगाहों पर आपदा प्रबंधन योजना लागू की गई है। गृह मंत्री ने तैयारियों का लिया जायजा उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को चक्रवाती तूफान की वजह से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों से निपटने के लिए राज्य और केंद्रीय मंत्रालयों और एजेंसियों की तैयारियों का जायजा लिया। एक उच्चस्तरीय बैठक में स्थिति की समीक्षा करने के बाद शाह ने वरिष्ठ अधिकारियों को लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने और सभी जरूरी सामग्रियों के रखरखाव जैसे बिजली, टेलीकम्युनिकेशन, स्वास्थ्य, पीने का पानी समेत अन्य चीजों को सुनिश्चित करने के लिए कहा है। इसके साथ ही तूफान से क्षति होने की स्थिति में इन चीजों को जल्द से जल्द बहाल करने के आदेश दिए। आधिकारिक बयान के अनुसार, उन्होंने नियंत्रण कक्षों के 24 घंटे अलर्ट रहने के भी निर्देश दिए। बयान के अनुसार, ‘एनडीआरएफ ने नौकाओं, ट्री-कटर्स, टेलिकॉम सामग्रियों के साथ अपनी 26 टीमों को तैनात किया है और गुजरात सरकार के आग्रह के आधार पर अन्य 10 टीमों को तैयार कर रही है। भारतीय तट रक्षक, नौसेना, थलसेना और वायुसेना को तैयार रखा गया है और निरीक्षक विमान और हेलिकॉप्टर हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं।’ http://dlvr.it/R6S0QX
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शहरी अल्पसंख्यकों के लिए गुजरात सरकार ने फंड नहीं किया जारी: केंद्र जो लापरवाह रवैया गुजरात सरकार ने शहरी अल्पसंख्यकों के मकान देने के प्रति बरक़रार रखा है क्या वो वैसा ही रहेगा? केंद्र सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों से तो यही पता चलता है कि नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम बनने और उसके बाद भी इन शहरी अल्पसंख्यकों के प्रति गुजरात सरकार का रवैया बरक़रार है। वैसे तो ज्यादातर अल्पसंख्यक गुजरात के बड़े शहरी इलाकों में आबाद हैं लेकिन इस समुदाय के बड़े और छोटे दोनों शहरों में रह रहे अल्पसंख्यकों के लिए गुजरात सरकार की तरफ से उनके मकान बनाने के लिए कोई मदद नहीं की गयी है लेकिन केंद्र ने इनके लिए 2033.08 करोड़ रुपये की मदद साल 2014-15 के लिए की थी,जबकि 2015 के आंकड़े मौजूद नहीं है। अल्पसंख्यकों को मकान बनाने के लिए पुरे मुल्क में 22346.39 करोड़ रुपये की मदद की गयी जबकि उसमे से 5226.47 करोड़ रुपये ही इस्तेमाल हुए हैं। जबकि गुजरात के ग्रामीण इलाकों के आंकड़े इन आंकड़ों से बहतर है। 2015-16 में 2589 लाभार्थियों को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत घर देने का मकसद था जिसमे से 2382 लोगों को ये मदद मिल सकी है। कच्छ, राजकोट और भरूच जिले के आठ ब्लॉकों में गुजरात के अल्पसंख्यकों की आबादी सबसे ज्यादा हैं। सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक आबादी कच्छ, जूनागढ़, पंचमहल, भरूच, साबरकांठा, अहमदाबाद, राजकोट, जूनागढ़ और बोरसाड़ जिले के आणंद में है। गुजरात के संयोजक मुजाहिद नफीस और माइनरिटी को-ऑर्डिनेशन कमेटी को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने जो आंकड़े मिले है उससे मालूम होता है कि 2014-15 में अल्पसंख्यक समुदाय के 670 लाभार्थियों को अपना या सामूहिक तौर पर छोटे उद्योग स्थापित करने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने तय किया होगा लेकिन राज्य सरकार ने इसे लेकर कोई काम नहीं किया है। 9000 लोगों को घर देने का मकसद पुरे मुल्क में तय किया गया था जिसमे से 5668 को हो इसकी मदद मिली है। स्वयं-सहायता समुदाय के 4424 अल्पसंख्यकों को मदद देने का मकसद था इनमे से किसी को भी लाभ नहीं मिल सका है। लाभ पाने वाले लाभार्थियों की संख्या पुरे देश में 67614 रही है जबकि अखिल भारतीय आंकड़ों के अनुसार लक्ष्य 60,000 का था। कौशल विकास 2014-15 के लिए लक्ष्य 5535 अल्पसंख्यक लोगों को ट्रेनिंग देने का था जबकि गुजरात सरकार ने किसी को नहीं दिया। 75,000 लोगों को अखिल भारतीय स्तर पर ट्रेनिंग देने का था जिसमे से सिर्फ 29,880 लोगों को फ़ायदा हुआ,उसके बाद के आंकड़े मौजूद नहीं है। 2006-07 के दौरान सर्व शिक्षा अभियान के लिए गुजरात सरकार की तरफ से एक भी प्राइमरी और अपर स्कूल नहीं बनायी गयी जहा अल्पसंख्यक ज्यादा हैं। प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम के लिए भो गुजरात सरकार ने कोई काम नहीं किया है ये आंकड़ों से पता चलता है। जहाँ अल्पसंख्यक आबादी घनी हैं उन जिलों में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल प्रोगाम के लिए कोई फंड नहीं जरी किया गया है हालाँकि पुरे देश में भी सिर्फ 22.41 फीसदी आबादी को ही इसका लाभ मिल पाया है। मल्टी-सेक्टोरल डेवलपमेंट प्रोग्राम पूर्व की यूपीए सरकार ने शुरू किया था जिसके तहत 710 ब्लॉकों, घनी अल्पसंख्यक आबादी वाले 66 शहरों और गांवों के 13 कलस्टरों को लागू करने का फैसला लिया गया था। एनडीए सरकार में भी एक आधिकारिक सूत्र के मुताबिक अल्पसंख्यकों की सामाजिक-आर्थिक बुनियाद मजबूत करने के लिए कोशिशे जरी है। हेल्थ सेंटर, पेयजल और सड़क परियोजनाओं और शिक्षा के लिया अल्पसंख्यकों को वित्तीय संसाधन देने का प्रावधान रखा गया है।
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