मधुराष्टकम्: श्री कृष्ण की मधुरता का अद्वितीय स्तुति
नमस्कार दोस्तों! आज हम एक ऐसे भव्य भक्ति गीत की बात करेंगे जो भगवान श्री कृष्ण की दिव्य मधुरता का अद्वितीय स्तुति है - मधुराष्टकम्। यह एक अत्यंत पवित्र और भावनात्मक स्तोत्र है, जो कृष्ण के सभी गुणों और उनके मधुरता को बड़े सुंदर तरीके से प्रस्तुत करता है। आइए जानें कि इस अद्वितीय स्तुति में ऐसा क्या खास है और क्यों इसे एक बार जरूर सुनना चाहिए।
मधुराष्टकम् क्या है?
मधुराष्टकम् एक आठ श्लोकों का स्तोत्र है, जिसमें भगवान कृष्ण की मधुरता और उनके विभिन्न दिव्य गुणों का वर्णन किया गया है। इसे प्रसिद्ध संत चैतन्य महाप्रभु ने लिखा था, और इसका प्रत्येक श्लोक भगवान कृष्ण के एक खास गुण को समर्पित है। इस स्तोत्र में कृष्ण के रूप, उनका हंसना, उनके वचन, उनके पांव, उनकी माला और उनके विभिन्न अन्य गुणों की मधुरता का विस्तार से वर्णन किया गया है।
मधुराष्टकम् की विशेषताएँ
मधुरता का आदर्श चित्रण
मधुराष्टकम् भगवान कृष्ण की मधुरता का ऐसा चित्रण प्रस्तुत करता है, जो हर भक्त को उनके अद्वितीय और दिव्य स्वभाव की झलक दिखाता है। प्रत्येक श्लोक में कृष्ण की गुणों की मिठास और आकर्षण को वर्णित किया गया है।
भक्ति और संगीत का संगम
इस स्तोत्र की रचनाएँ केवल भक्ति ही नहीं, बल्कि संगीत और कविता का भी एक अनूठा संगम हैं। इसे पढ़ते या सुनते समय एक अद्भुत अनुभूति होती है जो भक्तों को भगवान की दिव्य उपस्थिति का एहसास कराती है।
उच्च आध्यात्मिक अनुभ���
मधुराष्टकम् का पाठ या श्रवण एक अत्यंत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। यह भक्तों को मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन प्रदान करता है, जिससे वे कृष्ण की मधुरता में खो जाते हैं।
मधुराष्टकम् का प्रभाव
मधुराष्टकम् का प्रभाव गहरा और स्थायी होता है। जब आप इस स्तोत्र को नियमित रूप से सुनते हैं या पाठ करते हैं, तो आप भगवान कृष्ण की मधुरता और उनके गुणों की गहराई को महसूस कर सकते हैं। यह आपको केवल एक भक्त के रूप में नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के रूप में भी प्रभावित करता है, आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाता है।
कैसे सुनें या पढ़ें मधुराष्टकम्?
ऑनलाइन संसाधन: आजकल कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर मधुराष्टकम् की रिकॉर्डिंग्स उपलब्ध हैं। आप इन्हें सुन सकते हैं और भक्ति का आनंद ले सकते हैं।
भजन संध्या: आप स्थानीय भजन संध्या या मंदिरों में भी मधुराष्टकम् सुन सकते हैं। वहाँ पर इसका सामूहिक पाठ भी किया जाता है, जो एक सामूहिक भक्ति अनुभव प्रदान करता है।
स्वयं का पाठ: अगर आप इसे स्वयं पढ़ना चाहें, तो भी आप इसका अभ्यास कर सकते हैं। इससे न केवल आपकी भक्ति की भावना बढ़ेगी, बल्कि आपको भगवान कृष्ण की मधुरता को गहराई से समझने का अवसर भी मिलेगा।
निष्कर्ष
मधुराष्टकम् एक ऐसा स्तोत्र है जो भगवान श्री कृष्ण की मधुरता और दिव्य गुणों को समर्पित है। इसका प्रत्येक श्लोक भगवान कृष्ण की मधुरता की विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है। अगर आप भक्ति में डूबना चाहते हैं और कृष्ण के मधुर गुणों का आनंद लेना चाहते हैं, तो इस अद्वितीय स्तोत्र को अवश्य सुनें और पढ़ें। - MADHURASHTAKAM | मधुराष्टकम् | Adharam Madhuram | अधरं मधुरं वदनं मधुरं
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Sad Shayari For Boys in Hindi | लड़कों के लिए सैड शायरी
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Sad Shayari For Boys Collection in Hindi
वो लौट आई है मानने को,
लगता है आजमा चुकी है ज़माने को..!!!
वहम से भी खत्म हो जाते है रिश्ते,
कसूर हर बार गलतियों का नही होता..!!!
वक्त-ए-रुखसत आ गया दिल फिर भी घबराया ही नहीं,
उसको हम क्या कहेंगे जिसको कभी पाया ही नहीं..!!!
ए दिल थोड़ा सा इंतजार कर,
उसे भी पता चल जाएगा उसने क्या खोया ह..!!!
समय से भी महंगी भावनाएं होती है,
जो समंझे उसी पर खर्च करो..!!!
शुक्र है मैसेज का जमाना है वरना,
तुम मेरे भेजे कबूतर भी मार डालते..!!!
पता तो मुझे भी था कि लोग बदल जाते हैं,
पर मैंने तुम्हें कभी उन लोगों में गिना ही नहीं..!!!
आज फिर की थी मोहब्बत से तौबा,
आज फिर तेरा चेहरा देखकर इरादा बदल लिया..!!!
इश्तिहार दे दो कि ये दिल खाली है,
वो जो आया था किराएदार निकला..!!!
चलते रहेंगे काफिले हमारे बाद भी यहां,
एक सितारा टूट जाने से आसमान खाली नहीं होता..!!!
उसे छूना जुर्म है तो इंतजाम मेरी फांसी का कर लो,
मेरे दिल की जिद है आज उसे सीने से लगाने की..!!!
तिनका सा मैं और समंदर सा इश्क,
डूबने का डर और डूबना ही इश्क..!!!
मेरी तमन्ना मेरा एतबार नहीं करती,
वो प्यार से बात तो करती है मगर प्यार नहीं करती..!!!
निभाना सकेंगे एक दिन मेरा किरदार,
मशवरे जो देते फिरते है हजार..!!!
Boy Sad Shayari in Hindi लड़कों के लिए सैड शायरी
खो देने के बाद ख्याल आता है,
कितना कीमती था वो वक्त, इंसान और रिश्ता..!!!
कुछ ठोकरों के बाद नजाकत आ गई मुझमें,
अब दिल के मशवरे पे भरोसा नहीं करता..!!
एक अजीब सी खबर है सुनोगे क्या,
मोहब्बत का हकीम मोहब्बत से मर गया..!!!
मैं ना आऊंगा तुम्हे उस तरह नजर,
जिस तरह मुझे तुमने पिछले साल देखा था..!!!
किस-किस से मोहब्बत के तूने वादे किए हैं,
हर रोज नया शख्स तेरा नाम पूछता है..!!!
जिस दिल में तेरा नाम बसा था हमने वह दिल तोड़ दिया,
न होने दिया बदनाम तुझे तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया..!!!
जालिम ज़ख्म पे ज़ख्म दिए जा रहा है,
शायद जान गया है उसकी हर एक अदा पे मरते हैं हम..!!!
थक सा गया है मेरी चाहतों का वजूद,
अब कोई अच्छा भी लगता है तो मैं इजहार नहीं करता..!!!
पुराना जहर नए नाम से पिला रहा है,
ये सरफिरा इश्क मुझे फिर से आजमा रहा है..!!!
उसके साथ जीने का एक मौका दे दे खुदा,
तेरे साथ तो हम मरके भी रह लेंगे..!!!
Very Sad Shayari For Boys in Hindi
वह आज घर से नकाब में निकली,
सारी गली उसके फिराक में निकली,
वो इनकार करती रही मेरी मोहब्बत से हमेशा,
आज मेरी ही तस्वीर उसकी किताब से निकली..!!!
कोई साबुत-ऐ-निशा नहीं होगा मोहब्बत का,
उसका नाम सुनते ही धड़कने बढ़ जाए तो समंझो मोहब्बत हैं..!!!!
तेरा गुरूर किसी और को ना कमियाब कर डाले,
तू गिनता रहे गुनाह दुसरो के और खुदा तेरा हिसाब कर डाले…!!!
हम तो फना हो गए उनकी आंखें देखकर,
ना जाने वह आइना कैसे देखे होंगे..!!!
अगली बार मिलो तो हाथ ना मिलाना,
क्योंकि तुम थम नहीं पाओगे और मैं छोड़ नहीं पाऊंगा.!!!
वो रोज नहाते है इसी उम्मीद में की,
एक दिन बेवफा होने का दाग मिट जाए..!!!
अगर बोलते तुम नही तो बुलाते हम भी नही,
खामोश जिसका जवाब हो उसे पुकारते हम भी नही..!!!
चार दिन की जिंदगी किस किस से कतरा के चलूं,
खाक हु मै खाक, पर क्या खाक इतरा के चलूं..!!!
मुझे समझना चाहते हो तो, सुनना सीखो,
मेरे हर लफ्ज़ के खास मतलब होते है..!!!
दुखो का लिफाफा, गमों की कहानी,
एक बेवफा से दिल लगाया उजड़ गई जवानी..!!!
इंतजार है मुझे जिंदगी के आखिरी पन्ने का,
सुना है आखिरी में सब ठीक हो जाता है..!!!
कुछ इस तरह से हमारी बातें कम हो गई,
कैसे हो, से शुरू हुई, ठीक हु पर खत्म हो गई..!!!
हकीकत जिद्द किए बैठी है चकनाचूर करने की,
मगर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है..!!!
ये मोहब्बत एक ऐसा खेल है,
जो सीख जाता है वही हार जाता है..!!!
Emotional Sad Shayari For Boys in Hindi with pic
नसीब मेरा मुझसे खफा हो जाता है,
अपना जिसको भी मानो बेवफा हो जाता है,
क्यू ना हो शिकायत मेरी नजरो को रात से,
सपना पूरा होता नही और सवेरा हो जाता है.!!!
मैं झुक गया तो वो सजदा समझ बैठे,
मैं इंसानियत निभा रहा था, वो खुद को खुदा समझ बैठे..!!!
तू चाहता है किसी और को पता ना लगे,
मैं तेरे साथ फिरू और मुझे हवा ना लगे.!!!
मैं चांद तोड़ कर तो लाने से रहा,
तू ज़िद करेगी तो एक आइना दे दूंगा..!!!
मुझे खामोश देख कर इतना क्यों हैरान होते हो दोस्त,
कुछ नही हुआ है बस भरोसा करके धोखा खाया है..!!!
कोई हुनर, कोई राज, कोई तरीका बताओ दोस्त,
दिल टूटे भी ना, साथ छूटे भी ना, कोई रूठे भी ना, और जिंदगी गुज़र जाए..!!!
यहां मजबूत से मजबूत लोहा टूट जाता है,
कई झूठे इकट्ठे हो तो सच्चा टूट जाता है..!!!
मुकद्दर की लिखावट का एक ऐसा भी कायदा हो,
देर से किस्मत खुलने वाले का दुगना फायदा हो..!!!
नजर और नसीब में भी क्या इत्तेफाक है,
नजर उसे पसंद करती हैं जो नसीब में नहीं होता…!!!
Sad Shayari For Boys Video in Hindi
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चाय का संबंध जुड़ा है--बोधिधर्म बोधिधर्म कोई अठारह सौ साल पहले चीन गया। बौद्ध सदगुरु था--अपूर्व! वह टाह नाम के पहाड़ पर वर्षों तक बैठा रहा; ध्यान करता रहा। टाह पहाड़ का नाम था, इसीलिए--टी। और टाह का एक उच्चारण चा भी है चीन में--इसीलिए चाय। उस पहाड़ से इसका संबंध जुड़ा।
कहानी बड़ी मधुर है। कहानी तो कहानी है...। लेकिन है अर्थपूर्ण। एक रात बोधिधर्म जागरण के लिए बैठा है; पूरी रात जागरण करना है; और झपकी आने लगी। तो उसने गुस्से में अपी आंख की दोनों पलकें उखाड़ कर फेंक दी। न रहेगी। पलकें, न झपकी आयेगी। न कुछ झपकने को ही बचेगा, तो झपकी कैसे आयेगी! न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। उसने पलकें उखाड़ कर फेंक दी। और कहानी बड़ी मधुर है; कहते हैं: उन्हीं पलकों से पहली दफा चाय का पौधा पैदा हुआ। वे पड़ी रहीं जमीन में; गल गई और उनसे जो पौधा पैदा हुआ, वह चाय बनी।
उस चाय को अब भी तुम पीते हो, तो नींद टूट जाती है। यह नींद तोड़ने के लिए ही फेंकी थी बोधिधर्म ने।
लेकिन बात सोचने जैसी है। बौद्ध है। बौद्ध है--ध्यान का मार्ग। इसलिए बौद्ध भिक्षु को चाय पीने की मनाही नहीं है। बौद्ध भिक्षु और कुछ न करे, चाय तो जरूर पीता है। चाय तो दिन में कई बार पीता है। सुबह का ध्यान चाय से शुरू होता है; ध्यान का अंत चाय से होता है।
तुम शायद चकित होओगे जानकर--कि चाय और बौद्ध भिक्षु! चाय तो नहीं पीनी चाहिए। लेकिन सदियों से बौद्ध भिक्षु पीता रहा है। और उसका उपयोग करता रहा है। और जापान में उन्होंने चाय को बिलकुल ही धार्मिक मूल्य और महत्व दे दिया है। चाय पीने को ही ध्यान की प्रक्रिया बना ली है। चाय बनाना; चाय भेंट करना; चाय पीना; इसमें घंटों लग जाते हैं। और इसको इतने बोधपूर्वक किया जाता है कि चाय की प्रक्रिया से ही ध्यान का काम हो जाता है।
टी सेरेमनी कहते हैं जापान में तो वे--चाय का उत्सव। जिनके पास कोई सुविधा है...। जैसे हिंदुस्तान में लोग घर में छोट�� सा मंदिर बना लेते हैं, ऐसे जापान में जिनके घर में थोड़ी सुविधा है, उनका चाय-घर अलग होता है: बगीचे के एक कोने में; दूर एकांत में; जहां लोग ऐसे जाते जैसे मंदिर में जा रहे हैं। क्योंकि ध्यान--जागरण।
और शराब की खोज की कथा है कि एक ईसाई फकीर ने की; डायोनिसस उसका नाम था। यह बात भी ठीक है, क्योंकि ईसाइयत भक्ति का मार्ग है। ये प्रतीक बड़े ठीक हैं।
भक्ति के मार्ग पर--विस्मरण; ध्यान के मार्ग पर--होश। भक्ति के मार्ग पर डूबना है; ध्यान के मार्ग जागना है। अंतिम परिणाम एक ही होता है। अगर तुम ध्यान के मार्ग पर चल-चल कर जागते रहे, जागते रहे, तो एक तरफ तुम जाओगे, और एक तरफ तुम पाओगे--खोते जा रहे हो। तुम्हारा ध्यान जागने पर रहेगा और खोने की घटना छाया की तरह घटेगी।
भक्ति के मार्ग पर तुम खोते जाओगे, और तुम पाओगे: एक तरफ जागरण आ रहा है। एक तरफ खोते जा रहे हो, एक तरफ जागरण आ रहा है। खोना तुम्हारी प्रक्रिया होगी; जागना परिणाम होगा। अंत में खोना और जागना एक साथ घट जाते हैं, जैसे कि एक ही सिक्के के दो पहलू।
भक्त का एक तरफ ध्यान रहता है; ध्यानी का दूसरी तरफ ध्यान रहता है। लेकिन सिक्का तो वही है।
तो चूंकि मैं मलूक की बात रहा हूं, इसलिए शराब का प्रतीक चुना है। उसे समझना।
कन थोरे कांकर घने-(संत मलूकदास)-प्रवचन-04
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