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#तमिल गीतकार
movienurture · 7 months
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धनुष एक भारतीय अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, गीतकार और पार्श्व गायक हैं जो मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में काम करते हैं। वह कुछ हिंदी, अंग्रेजी, तेलुगु और मलयालम फिल्मों में भी दिखाई दिए हैं। उन्होंने 2002 में अपने पिता कस्तूरी राजा द्वारा निर्देशित युग नाटक, थुल्लुवाधो इलमई के साथ अभिनय की शुरुआत की।
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currentnewsupdates · 2 years
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तमिल गीतकार ने 'शाकाहारी व्यंजन में चिकन के टुकड़े पहुंचाने' के लिए स्विगी की खिंचाई की
तमिल गीतकार ने ‘शाकाहारी व्यंजन में चिकन के टुकड़े पहुंचाने’ के लिए स्विगी की खिंचाई की
तमिल गीतकार और संवाद लेखक को शेष ने बुधवार को कहा कि Swiggy शाकाहारी व्यंजन में चिकन के टुकड़े परोस कर उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्विगी उद्यम द बाउल कंपनी से मकई के तले हुए चावल के साथ गोबी मंचूरियन का ऑर्डर दिया था, लेकिन डिश में चिकन के टुकड़े मिले। उन्होंने ट्वीट किया, “मैं अपने पूरे जीवन में एक सख्त शाकाहारी रहा हूं और मुझे यह सोचकर घृणा होती है कि…
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everynewsnow · 3 years
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How अयान ’से gan अनेगन’ तक: कैसे केवी आनंद ने अपनी फिल्मों के लिए अद्वितीय तमिल खिताब जीते
How अयान ’से gan अनेगन’ तक: कैसे केवी आनंद ने अपनी फिल्मों के लिए अद्वितीय तमिल खिताब जीते
दिवंगत तमिल फिल्म निर्माता केवी आनंद एक गहरे साहित्यिक अर्थ वाले नामों का चयन करने के लिए जाने जाते थे फिल्म के शीर्षक हमेशा एक कहानी के सार में एक खिड़की रहे हैं। और तमिल फिल्म निर्माता केवी आनंद, जिनका शुक्रवार सुबह निधन हो गया, अपने शीर्षकों में बहुत अधिक विचार रखने के लिए जाने जाते हैं। यह भी पढ़ें | सिनेमा की दुनिया से हमारे साप्ताहिक समाचार पत्र ‘पहले दिन का पहला शो’ प्राप्त करें, अपने…
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newskey21 · 3 years
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काना चीन में रिलीज, निर्माता शिवकाथिकेयन ने व्यक्त किया आभार
काना चीन में रिलीज, निर्माता शिवकाथिकेयन ने व्यक्त किया आभार
ऐश्वर्या राजेश स्टारर काना ने 18 मार्च को चीन में रिलीज़ होने पर इतिहास रच दिया। समीक्षकों द्वारा प्रशंसित स्पोर्ट्स ड्रामा रजनीकांत की 2.0 के बाद चीन में रिलीज़ होने वाली एकमात्र दूसरी तमिल फिल्म बन गई। काना का निर्देशन अभिनेता और गीतकार से निर्देशक बने अरुणराजा कामराज ने किया है। फिल्म ने एक निर्माता के रूप में शिवकार्तिकेयन की शुरुआत को भी चिह्नित किया। शिवकार्तिकेयन फिल्म में एक कैमियो भूमिका…
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currentnewsss · 3 years
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Dulquer Salmaan Records Energetic Rap Number For 'Hey Sinamika' In Just 90 Mins
Dulquer Salmaan Records Energetic Rap Number For ‘Hey Sinamika’ In Just 90 Mins
दुलकर सलमान ने सिर्फ 90 मिनट में ‘हे सिनामिका’ के लिए रैप सॉन्ग रिकॉर्ड किया (फोटो क्रेडिट – इंस्टाग्राम; हे सिनामिका पोस्टर) माना जाता है कि अपनी आगामी तमिल फिल्म ‘हे सिनामिका’ के लिए ‘अचममिल्लई’ गाना गा चुके अभिनेता दुलारे सलमान ने सिर्फ डेढ़ घंटे में ऊर्जावान रैप नंबर रिकॉर्ड किया है। गीत गाने से पहले, दलकर ने गीतकार माधन कार्की के साथ अपना तमिल उच्चारण सही किया, जिसके बाद वह रिकॉर्डिंग के लिए…
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insolubleworld · 3 years
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कमल हासन जयंती: अभिनय के दिग्गज का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
कमल हासन जयंती: अभिनय के दिग्गज का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
आप बहुमुखी हो सकते हैं लेकिन क्या आप कभी कमल हासन की तरह बहुप्रतिभाशाली हो सकते हैं। अभिनेता, निर्देशक, पटकथा लेखक, कोरियोग्राफर, निर्माता, पार्श्व गायक और गीतकार, ऐसा बहुत कम है जो तमिल सुपरस्टार नहीं कर सकता। 7 नवंबर को जन्मे 67 वर्षीय अभिनेता, 200 से अधिक फिल्मों के साथ, देश के सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में से एक हैं। आज उनके जन्मदिन पर, हम उनकी कुछ बेहतरीन फिल्मों के माध्यम से लेजेंड द्वारा सबसे…
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abhay121996-blog · 3 years
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18वीं शताब्दी की मराठा योद्धा रानी पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी की बायोपिक के साथ प्रोड्यूसर बनेंगे गीतकार मनोज मुंतशिर Divya Sandesh
#Divyasandesh
18वीं शताब्दी की मराठा योद्धा रानी पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी की बायोपिक के साथ प्रोड्यूसर बनेंगे गीतकार मनोज मुंतशिर
मुंबई। कवि व गीतकार मनोज मुंतशिर 18वीं शताब्दी की मराठा योद्धा रानी पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी की बायोपिक के साथ प्रोड्यूसर बनने के लिए तैयार हैं। मुंतशिर ने ट्वीट कर यह घोषणा की। उन्होंने लिखा, “एक मराठा योद्धा रानी, जिसकी कहानी हर भारतीय को पता होनी चाहिए।”
उन्होंने अपने ट्वीट में हैशटैग मनोज मुंतशिर एंटरटेनमेंट के अलावा अन्य कई हैशटैग का प्रयोग भी किया। इसके साथ ही मनोज ने ट्वीट के बीच में हर-हर महादेव भी लिखा।
A maratha warrior queen whose story must be known to every Indian. #ManojMuntashirEntertainment N #HumanBeingStudio proudly announce, #PunyshlokAhilayaaDevi. Har-Har-Mahadew! pic.twitter.com/Enb13Qkt3a— Manoj Muntashir (@manojmuntashir) April 8, 2021
ट्विटर पर मनोज ने आगामी फिल्म का एक पोस्टर भी साझा किया है।
यह खबर भी पढ़े: कोरोना से रक्षा और गुमशुदा बच्चों को ट्रैक करेगा यह अनोखा स्कूल बैग, जानिए कैसे?
इसकी पटकथा दिलीप भोसले ने लिखी है, जो फिल्म का निर्देशन भी करेंगे। यह चार भाषाओं – हिंदी, मराठी, तमिल और तेलुगू में रिलीज होगी। इसमें मुंतशिर ने लिरिक्स और डायलॉग भी लिखे हैं।
ManojMuntashirEntertainment and HumanBeingStudio announce biopic on iconic Maratha warrior queen, Punyashlok AhilyaDevi, who ruled over 28 years in Malva area of Middle & North India in 18th century.Her story resonates with millions of Indians who remember her with great respect pic.twitter.com/mQJImsbatU— Komal Nahta (@KomalNahta) April 8, 2021
ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा ने भी ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि यह फिल्म मराठा योद्धा पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी की बायोपिक बनेगी, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में मध्य और उत्तर भारत के मालवा क्षेत्र में 28 साल तक शासन किया था।
–आईएएनएस
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dailynews667 · 4 years
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धनुष अपकमिंग मूवीज़ 2020, 2021 और 2022 लिस्ट, रिलीज़ डेट, ट्रेलर और बजट
की सूची प्रस्तुत कर रहा है तमिल एक्टर धनुष द्वारा डेख न्यूज़। वेंकटेश प्रभु कस्तूरी राजा (जन्म 28 जुलाई 1982) को उनके मंच नाम से बेहतर जाना जाता है धनुषएक भारतीय फिल्म अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, लेखक, गीतकार, पटकथा लेखक और पार्श्व गायक हैं, जो मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में काम करते हैं। धनुषएक तमिल फिल्म अभिनेता का जन्म 28 जुलाई 1984 को हुआ। जन्म से उनका नाम वेंकटेश प्रभु है। वे निर्देशक…
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everynewsnow · 3 years
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केवी आनंद की आखिरी परियोजना: चुनावी राजनीति की पृष्ठभूमि में एक प्रेम कहानी
केवी आनंद की आखिरी परियोजना: चुनावी राजनीति की पृष्ठभूमि में एक प्रेम कहानी
लेखक-गीतकार काबिलन वैरामुथु ने दिवंगत निर्देशक के साथ अपने जुड़ाव के बारे में बात की केवी आनंद की सबसे हालिया फिल्म 2019 में थी; कप्पन, सुरिया, मोहनलाल और आर्य जैसे बड़े नामों को अभिनीत। हालाँकि, महामारी के प्रकोप के बाद से, आनंद एक ड्रीम प्रोजेक्ट पर कड़ी मेहनत कर रहे थे: चुनावी राजनीति की पृष्ठभूमि में एक प्रेम कहानी। प्रशंसित तमिल निर्देशक और छायाकार का शुक्रवार सुबह चेन्नई में निधन हो गया…
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अंक - 14 सितार वादक जयराम आचार्य को श्रद्धांजलि फ़िल्मी गीतों में जयराम आचार्य का योगदान ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है। 12 अप्रैल 2017 को सितार वादक, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित, पंडित जयराम आचार्य का निधन हो जाने से फ़िल्म-संगीत के धरोहर को समृद्ध करने वाले उन तमाम गुमनाम टिमटिमाते सितारों में से एक सितारा हमेशा के लिए डूब गया। यह कटु सत्य ही है कि किसी फ़िल्मी गीत की सफलता के पीछे अक्सर गायक, संगीतकार और गीतकार के हाथ को स्वीकारा जाता है, और लोग भूल जाते हैं उन तमाम वादकों को जि���के वाद्यों के टुकड़ों से गीतों का श्रॄंगार होता रहा है, जिनसे गीतों की सुन्दरता बढ़ती रही है। जयराम जी भी ऐसे ही एक सितार वादक थे जिन्होंने बहुत से कामयाब गीतों में सितार के सुन्दर टुकड़े बजाए पर उन गीतों के साथ उन्हें लोगों ने कभी याद नहीं किया। आइए आज उनके जाने के बाद उन्हें याद करें उन गीतों का ज़िक्र करते हुए जिनमें उनकी उंगलियों का जादू चला था सितार के ज़रिए। पेश-ए-ख़िदमत है ’चित्रकथा’ के अन्तर्गत लेख ’फ़िल्म-संगीत में सितार वादक जयराम आचार्य का योगदान’। जयराम आचार्य (4 जुलाई 1928 - 12 अप्रैल  2017) यह एक कड़वा सच है कि फ़िल्मी गीतों में साज़ों को बजाने वाले साज़िन्दों को वह मुकाम नहीं दिया जाता जो मुकाम गायकों, संगीतकारों और गीतकारों को दिया जाता है जबकि सच यही है कि किसी भी गीत की सफलता के पीछे इन साज़िन्दों का भी बेशकीमती योगदान होता है। यहाँ तक कि कुछ गीत तो उसमें शामिल साज़ों के टुकड़ों की वजह से यादगार हो जाते हैं। फ़िल्म ’परख’ के "ओ सजना बरखा बहार आई" गीत के शुरुआत में बजने वाले सितार के पीस के बग़ैर इस गीत को सुनना बिल्कुल वैसा है जैसे कि किसी के शरीर से सर को अलग कर दिया गया हो। फ़िल्म ’परख’ के इस गीत में सितार बजाने वाले फ़नकार का नाम है पंडित जयराम आचार्य, जिनका 12 अप्रैल 2017 को निधन हो गया। अफ़सोस की बात यह है कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होने के बावजूद उनकी मृत्यु की ख़बर अख़बारों में नहीं छपी, किसी रेडियो चैनल ने उन्हें याद नहीं किया। रेडियो पर शायद वो गाने बज रहे होंगे जिनमें उन्होंने सितार बजाए हैं, लेकिन न रेडियो प्रेज़ेन्टर को इस बात का पता है और न ही श्रोताओं को इस बात की ख़बर। जयराम आचार्य गुमनाम रह गए; और आज भी उनसे संबंधित अधिक जानकारी इन्टरनेट पर उपलब्ध नहीं है। जयराम आचार्य का जन्म तमिल नाडु में 4 जुलाई 1928 को हुआ था। उन्हें संगीत विरासत में ही मिली। उनके पूर्वज सितार और वायलिन के वादक थे। वर्ष 1939 में जयराम बम्बई आए फ़िल्मों में एक गायक बनने का सपना लेकर। उस समय पार्श्वगायन का इजाद हो चुका था, इसलिए जयराम के मन में एक पार्श्वगायक बनने की ही लालसा थी। पर पार्श्वगायन के आने के बावजूद वह ज़माना सिंगिंग् स्टार्स का ही था। इसलिए इस क्षेत्र में पाँव जमाना आसान काम नहीं था। दो वर्ष तक संघर्ष करने के बाद जयराम को 1941 की फ़िल्म ’मेरा संसार’ में कोरस में गाने का मौक़ा मिला। गीत था "नया ज़माना आया लोगों"। इस गीत में मुख्य गायक थे अरुण कुमार और कवि प्रदीप। जयराम को समझ में आ चुका था कि गायकी में क़दम जमाना आसान नहीं। उधर उनके पिता चाहते थे कि जयराज दिलरुबा साज़ को अपनाए और उसी में उस्ताद बने। लेकिन युवा जयराम को सितार से प्यार था। पिता के सुझाव पर वो दिलरुबा बजाने तो लगे थे, पर घर पर एक सितार भी हुआ करता था। एक दिन जयराम ने सितार उठाया और उसके तार छेड़ दिए। सितार के तार छेड़ते ही उन्हें समझ आ गया कि यही वह साज़ है जो उनका हमसफ़र है। वर्ष 1946 में जयराम आचार्य HMV कंपनी से जुड़ गए और वहाँ उन्हें सितार के दिग्गजों जैसे कि पंडित रविशंकर के संस्पर्श में आने का मौक़ा मिला और सितार की बहुत सी बारीक़ियाँ सीखी। आगे चलकर जयराम आचार्य वी. शान्ताराम के ’राजकमल कलामन्दिर’ से जुड़ गए। इस बैनर की 1953 की फ़िल्म ’तीन बत्ती चार रास्ता’ के दृश्य में सितार बजाने का मौका मिला जो उन्हीं पर फ़िल्माया गया। संगीतकार थे पंडित शिवराम कृष्ण। यह गीत था लता मंगेशकर का गाया "अपनी अदा पर मैं हूँ फ़िदा, कोई चाहे ना चाहे मेरी बला"। 1957 की फ़िल्म ’शारदा’ में सी. रामचन्द्र का संगीत था। इस फ़िल्म में लता और आशा का गाया एक यादगार डुएट था "ओ चाँद जहाँ वो जाए"। इस गीत में जयराम आचार्य ने सितार पर अपना कमाल दिखाया। इस तेज़ गति वाले गीत के रीदम और मिज़ाज के साथ ताल से ताल मिलाता हुआ उनके सितार ने एक अलग ही समा बांधा। 1958 में एक फ़िल्म आई थी ’अजी बस शुक्रिया’। इस फ़िल्म के लोकप्रिय गीत "सारी सारी रात तेरी याद सताये" गीत में जयराम आचार्य का सितार था। रोशन के संगीत में इस गीत के फ़िल्मांकन में नायिका जो एक गायिका हैं गीत गा रही हैं और बगल में तमाम साज़िन्दे अपने अपने वाद्य को बजा रहे हैं। तमाम साज़ों की भीड़ में जयराम जी का सितार भीड़ से अलग सुनाई देता है। 1960 की फ़िल्म ’परख’ के सदाबहार गीत "ओ सजना बरखा बहार आई" की बात हम कर चुके हैं। इस गीत में शैलेन्द्र, सलिल चौधरी और लता मंगेशकर की जितनी भूमिका, उतनी ही भूमिका जयराम आचार्य की भी है जिनकी जादुई सितार के टुकड़ों ने गीत को अमरत्व प्रदान कर दी है। यूं तो जयराम आचार्य ने समकालीन सभी बड़े संगीतकारों के साथ काम किया है, लेकिन राहुल देव बर्मन के साथ उनका रिश्ता कुछ अलग ही रहा है। पंचम के पहले पहले गीत "घर आजा घिर आए बदरा साँवरिया" में जो सितार के सुन्दर टुकड़े सुनने को मिलते हैं, वो जयराम जी की ही देन है। यह 1961 की फ़िल्म ’छोटे नवाब’ का गीत है जिससे पंचम ने अपनी फ़िल्मी सफ़र का आग़ाज़ किया था। मुख्यत: सितार, सारंगी और तबले से सुसज्जित इस गीत के इन्टरल्युड संगीत में सितार के बेहद ख़ूबसूरत टुकड़े सुनने को मिलते हैं। यह वह ज़माना था जब किसी भी गीत में तीन ट्रैक हुआ करते थे - एक गायक के लिए, एक परक्युशन के लिए और एक ऑरकेस्ट्रा के लिए। और इन तीनों ट्रैकों पर बजाने वाले साज़िन्दों को बेहद होशियार रहना पड़ता था ताक़ि वो अपने अपने पीस को पहली बार में ही बिल्कुल सही बजाएँ। और जयराम आचार्य इस बात को अच्छी तरह समझते थे। तभी उनके बजाए हुए पीसेस भीड़ में भी बिल्कुल साफ़ और प्रॉमिनेन्टली सुनाई देते हैं। एक साक्षात्कार में जब जयराम आचार्य से पूछा गया कि वो आख़िर फ़िल्म-संगीत में ही क्यों आए तो इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि फ़िल्म-संगीत में साज़िन्दों को बहुत जल्दी पेमेन्ट मिल जाता था जबकि शास्त्रीय संगीत के वादकों को बहुत दिनों तक इन्तज़ार करना पड़ता। कितनी ईमानदारी से उन्होंने इस कटु सत्य को कह दिया था! कला होने के साथ साथ सितार उनका पेशा भी था। घर चलाने के लिए पैसों की ज़रूरत थी। ऐसे में फ़िल्मों में न बजाते तो कैसे घर चलता भला! राहुल देव बर्मन से उनकी मुलाक़ात सचिन देव बर्मन के एक रेकॉर्डिंग् पर हुई थी। पंचम को याद करते हुए वो कहते हैं कि पहली बार जब उन्होंने पंचम को "पंचम दा" कह कर बुलाया था, तब पंचम ने उनसे कहा था, "पंचम दा मत कहो, पंचम कहो।" 1967 की फ़िल्म ’चंदन का पलना’ में पंचम का संगीत था। इसमें लता मंगेशकर की आवाज़ में भक्तिमूलक गीत था "ओ गंगा मैया, पार लगा दे मेरी सपनों की नैया"। इस गीत को सुर्सिंगार पुरस्कार के लिए मनोनित किया गया था। इस गीत में भी जयराम जी के सितार के सुन्दर टुकड़े सुनने को मिलते हैं। पंचम की यह ख़ासियत थी कि परक्युशन और रीदम के प्रयोग के बावजूद उनके संगीत में भारतीय संगीत का जड़ होता था। 1969 की प्रसिद्ध फ़िल्म ’प्यार का मौसम’ के गीत "मैं ना मिलूंगी नज़र हटा लो" में भी सितार का सुन्दर प्रयोग सुनाई देता है। 1972 की फ़िल्म ’गोमती के किनारे’ के मुजरे "आज तो मेरी हँसी उड़ाई जैसे भी चाहा पुकारा" में भी जयराम आचार्य के सितार ने इस गीत को यादगार बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। 1975 की फ़िल्म ’आंधी’ के गीतों के लिए बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया, सरोद वादक ज़रीन दारुवाला और सितार के लिए जयराम आचार्य को चुना गया था। "इस मोड़ से जाते हैं" गीत में सितार और सरोद दोनों का प्रयोग है। "तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं" गीत में भी जयराम जी के सितार का हस्ताक्षर है। इस गीत के शुरुआती संगीत के रूप में सितार के टुकड़े जैसे इस गीत के संकेत धुन की तरह सुनाई पड़ते हैं। हम आए दिन इन गीतों को सुनते रहते हैं सभी रेडियो चैनलों पर, लेकिन शायद ही कभी इन दो वादकों को याद करते हैं इन गीतों के साथ। यह अफ़सोस की ही बात है। 1968 की फ़िल्म ’आशिर्वाद’ के गीत "झिर झिर बरसे सावनी अखियाँ" जैसा असर वो 1970 की फ़िल्म ’गुड्डी’ के गीत "बोल रे पपीहरा" में चाहते थे। इसलिए वो अपने उन कलाकारों को इकट्ठा किया जिन पर वो भरोसा करते थे। ऑरकेस्ट्रेशन के लिए सेबास्टिअन, तबले के लिए वसन्त आचरेकर, परक्युशन के लिए लाला सत्तार, सरोद के लिए ज़रीन दारुवाला और सितार के लिए जयराम आचार्य को चुना गया। पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के उपलब्ध ना होने की वजह से बांसुरी पर थे सुमन्त राज जी। जब ऐसे दिग्गज फ़नकार इस गीत से जुड़े थे, तब जादू तो चलना ही था। गायिका वाणी जयराम अपने आप को ख़ुशक़िस्मत मानती हैं जो इतने बड़े बड़े कलाकारों ने उनके गीत में वाद्य बजाए। और इसके गीत के इन्टरल्युड में सितार की ही प्रमुख भूमिका रही। 1970 की ही फ़िल्म ’दस्तक’ में मदन मोहन का संगीत था। मजरूह सुल्तानपुरी की लिखी ग़ज़ल "हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह" एक सदाबहार ग़ज़ल है। इस ग़ज़ल के दोनों इन्टरल्युड्स में सिर्फ़ और सिर्फ़ जयराम आचार्य का सितार ही सुनाई देता है और क्या ख़ूब सुनाई देता है। लता जी की आवाज़ की मिठास के साथ सितार के टुकड़ों का रस, बस कमाल है! इसमें कोई शक़ नहीं कि इस ग़ज़ल को ख़ूबसूरती प्रदान करने में जयराम आचार्य का उतना ही हाथ है जितना हाथ लता-मजरूह-मदन मोहन का है। सितार के उन तमाम पीसेस के बिना यह ग़ज़ल उतनी ख़ूबसूरत न होती। 1977 में फिर एक बार सलिल चौधरी के संगीत निर्देशन में जयराम आचार्य को सितार बजाने का मौक़ा मिला। फ़िल्म थी ’आनन्द महल’। शास्त्रीय संगीत आधारित यह रचना थी "नि सा ग म प रे सा रे गा"। यह फ़िल्म प्रदर्शित न हो सकी जिस वजह से इस गीत को बहुत अधिक नहीं सुना गया। उल्लेखनीय बात यह कि यह जेसुदास का गाया पहला हिन्दी फ़िल्मी गीत था। इस गीत के इन्टरल्युड में सितार और सारंगी की ख़ूबसूरत जुगलबन्दी सुनने को मिलती है। जयराम आचार्य ने कई फ़िल्मों के पार्श्वसंगीत और शीर्षक संगीत में अमूल्य योगदान दिया। शंकर जयकिशन के संगीत में फ़िल्म ’ससुराल’ (1961) और ’ज़िन्दगी’ (1964) के टाइटल म्युज़िक में जयराम आचार्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ’ससुराल’ फ़िल्म के टाइटल म्युज़िक में "तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नज़र ना लगे चश्मेबद्दूर" गीत की धुन सितार पर उन्होने बजायी। इसी तरह से ’ज़िन्दगी’ फ़िल्म के टाइटल म्युज़िक में जयराम आचार्य ने बजायी "पहले मिले थे सपनों में और आज सामने पाया हाय कुरबान जाऊँ" की धुन। इसी तरह से शंकर जयकिशन के कई और फ़िल्मों में उन्होंने बजाए। 80 के दशक के आते आते जयराम आचार्य ने फ़िल्मों के लिए बजाना कम कर दिया। उन्हीं के शब्दों में उन्होंने 80 के दशक से ही फ़िल्मी कलाकारों से किनारा कर लिया और 1995 में उन्होंने सितार बजाना ही छोड़ दिया। आज जयराम आचार्य ��मारे बीच नहीं हैं, लेकिन फ़िल्म संगीत के धरोहर को अपने सितार के सुरीले टुकड़ों से समृद्ध करने के उनके अमूल्य योगदान को हम कभी नहीं भुला सकते। जयराम आचार्य हमेशा ज़िन्दा रहेंगे इन गीतों के माध्यम से। जब जब ये गीत सुने जाएँगे, उनकी यादें ताज़ा हो जाएँगी। सितार नवाज़ जयराम आचार्य को नमन! courtesy : http://radioplaybackindia.blogspot.com/search/label/jairam%20acharya
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chaitanyabharatnews · 6 years
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जुलाई में शुरू होगी जयललिता की बायोपिक की शूटिंग, कंगना को मिल रही करोड़ो में फीस
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टीम चैतन्य भारत दिवंगत अभिनेत्री व तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की बायोपकि फिल्म को लेकर पिछले काफी समय से चर्चाएं हो रही हैं। जयललिता की बायोपिक फिल्म के नाम का ऐलान उनके जन्मदिन पर ही हो गया था। बता दें फिल्म का नाम 'थलाइवी : द आयरन लेडी' होगा जिसमें कंगना रनौत लीड रोल निभाते हुए नज़र आएंगी। इस बायोपिक फिल्म को विजय द्वारा निर्देश���त किया जाएगा। हाल ही में यह खबर सामने आई है कि इस फिल्म की शूटिंग जुलाई से शुरू हो सकती है। कंगना को मिल रहे 12 करोड़ रूपए जानकारी के लिए बता दें 'थलाइवी' फिल्म तमिल, तेलुगू और हिंदी में बनेगी। इस फिल्म के डायलॉग लिखने का काम 'बाहुबली' और 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' जैसी फिल्मों के राइटर विजयेंद्र के प्रसाद कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही यह खबर सामने आई थी कि इस फिल्म के लिए कंगना रनौत को 24 करोड़ रुपये मिल रहे हैं। हालांकि, बाद में फिल्म के डायरेक्टर से जुड़े कुछ सूत्र ने इस खबर को गलत बताया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंगना को इस फिल्म के लिए बतौर फीस 12 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। जयललिता के बचपन से मृत्यु तक की कहानी फिल्म 'थलाइवी' के प्रोड्यूसर विष्णु वर्दन इंदुरी हैं। इस फिल्म को जयललिता का ऑफिशियल बायोपिक घोषित किया गया है और ऐसा इसलिए क्योंकि खुद जयललिता के भतीजे दीपक जयकुमार ने फिल्म को 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' दिया है। 'थलाइवी' फिल्म के म्यूज़िक डायरेक्टर जीवी प्रकाश कुमार, सिनेमेटोग्राफर नीरव शाह और इसके गीतकार मदन करकी हैं। इस फिल्म के जरिए जयललिता के बचपन से लेकर उनकी मृत्यु तक के जीवन को दिखाया जाएगा। Read the full article
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bollywoodpapa · 4 years
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फिल्म जगत पर राज़ करने वाली ये सदाबहार अभिनेत्रियों का बदल गया इतना लुक, तस्वीरें कर देगी हैरान!
New Post has been published on https://bollywoodpapa.com/277820/these-veternal-actresses-then-and-now-look-now-they-look-like-that/
फिल्म जगत पर राज़ करने वाली ये सदाबहार अभिनेत्रियों का बदल गया इतना लुक, तस्वीरें कर देगी हैरान!
दोस्तों आज बॉलीवुड जगत में एक से बढ़ कर एक खूबसूरत अभिनेत्रियां है जो काफी खूबसूरत है लेकिन गुजरे ज़माने में भी कई खूबूसरत अभिनेत्रियां है जिनकी खूबसूरती लाखो लोग दीवाने थे लेकिन आज उनका लुक वक्त के साथ काफी चेंज हो गया है।   एक समय में चर्चा में रहने वालीं ये अभिनेत्रियां अब लाइमलाइट से दूर हैं और अपनी लाइफ एन्जॉय कर रही हैं। इनका लुक भी पहले से काफी बदल गया है। ऐसे में बात करेंगे उन सदाबहार अभिनेत्रियों की जो एक समय में बॉलीवुड की पहचान हुआ करती थीं और अब उनका रंग रूप काफी बदल चुका है।
आशा पारेख
अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री रहीं आशा पारेख ने अपनी प्रतिभा के बलबूते बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाई। एक समय ऐसा था जब आशा पारेख के सभी दीवाने थे। आशा अपने जमाने की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस रही हैं।
वैजयंती माला
वैजयंती माला अपने दौर की बेहद खूबसूरत एक्ट्रेसेस में शुमार थीं। उन्होंने फिल्म साधना, नया दौर, संगम और गंगा जमुना जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया था। लेकिन आज वैजयंती माला की तुलना उनके पुराने लुक से की जाए तो बढ़ती उम्रे के चलते अब उन्हें पहचानना मुश्किल हो रहा है।
राखी गुलजार
एक वक्त पर राखी की गिनती बॉलीवुड की बेहतरीन अदाकाराओं में होती थी। बाद की फिल्मों में उन्हें मांं के रोल में भी पसंद किया जाने लगा। उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ कभी- कभी में लीड रोल प्ले किया था। इसके बाद उन्हें फिल्म त्रिशूल और कसमें वादे में भी देखा गया है। वहीं, राकेश रोशन की सुपरहिट फिल्म करण-अर्जुन में उन्हें शाहरुख-सलमान की मां के रोल में देखा गया था जो आज भी बहुत लोकप्रिय है। राखी ने गीतकार गुलजार से शादी की
सलमा आगा
बॉलीवुड की सुपर- डुपर हिट फिल्म ‘निकाह’ से बतौर एक्ट्रेस और प्लेबैक सिंगर मशहूर हुईं पाकिस्तानी मूल की अदाकारा सलमा आगा अब पूरी तरह से बदल चुकी हैं। निकाह के बाद उन्होंने हिंदी ही नहीं तमिल, तेलुगू और मलयालम फिल्मों में भी काम किया। सलमा की पहली ही फिल्म ‘निकाह’ पर काफी कॉन्ट्रोवर्सी हुई थी।
शर्मिला टैगोर
अपने ज़माने की पॉपुलर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के भी अपने अलग अंदाज थे। उन्हें सुपरहिट फिल्म अराधना के अलावा अमर प्रेम और कश्मीर की कली जैसी हिट फिल्मों में देखा गया है। शर्मिला एक्टर सैफ अली खान और सोहा अली खान की मां हैं। शर्मिला टैगोर अपने जमाने की बोल्ड अदाकारा थीं। कहा जाता है कि फिल्मी परदे पर पहली बार उन्हें ही बिकिनी पहने देखा गया था।
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currentnewsss · 3 years
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एथरक्कुम थुनिंधवन गीत वादा थंबी: जीवी प्रकाश, अनिरुद्ध रविचंदर, विग्नेश शिवन ने सूर्या फिल्म के लिए हाथ मिलाया
एथरक्कुम थुनिंधवन गीत वादा थंबी: जीवी प्रकाश, अनिरुद्ध रविचंदर, विग्नेश शिवन ने सूर्या फिल्म के लिए हाथ मिलाया
अभिनेता का पहला गाना सूर्या की आने वाली फिल्म एथार्ककुम थुनिंधवन बुधवार को जारी किया गया। वादा थांबी शीर्षक से, गीत डी इम्मान द्वारा रचित है। गीत विग्नेश शिवन द्वारा लिखा गया है, जो तमिल में बड़े स्टार फिल्मों के लिए परिचय गीत लिखने के लिए सबसे अधिक मांग वाले गीतकार बन रहे हैं। वादा थांबी को संयुक्त रूप से दो युवा संगीतकारों, जीवी प्रकाश और अनिरुद्ध रविचंदर ने गाया है। एथरक्कम थुनिंधवन 4 फरवरी…
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insolubleworld · 3 years
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कमल हासन का जन्मदिन: चाची 420 से विश्वरूपम तक, निर्देशक के रूप में उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्में
कमल हासन का जन्मदिन: चाची 420 से विश्वरूपम तक, निर्देशक के रूप में उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्में
कमल हासन आज यानी 7 नवंबर रविवार को अपना 67वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्हें एक अभिनेता, निर्देशक, पटकथा लेखक, निर्माता, पार्श्व गायक, गीतकार और यहां तक ​​कि एक राजनेता के रूप में भी जाना जाता है। हासन ने मुख्य रूप से तमिल सिनेमा में काम किया है, लेकिन उन्होंने कई तेलुगु, हिंदी, मलयालम, कन्नड़ और बंगाली फिल्मों में भी काम किया है। उन्होंने एक समृद्ध फिल्मी करियर जिया है, और चार राष्ट्रीय पुरस्कार और…
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abhay121996-blog · 3 years
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18वीं शताब्दी की मराठा योद्धा रानी पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी की बायोपिक के साथ प्रोड्यूसर बनेंगे गीतकार मनोज मुंतशिर Divya Sandesh
#Divyasandesh
18वीं शताब्दी की मराठा योद्धा रानी पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी की बायोपिक के साथ प्रोड्यूसर बनेंगे गीतकार मनोज मुंतशिर
मुंबई। कवि व गीतकार मनोज मुंतशिर 18वीं शताब्दी की मराठा योद्धा रानी पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी की बायोपिक के साथ प्रोड्यूसर बनने के लिए तैयार हैं। मुंतशिर ने ट्वीट कर यह घोषणा की। उन्होंने लिखा, “एक मराठा योद्धा रानी, जिसकी कहानी हर भारतीय को पता होनी चाहिए।”
उन्होंने अपने ट्वीट में हैशटैग मनोज मुंतशिर एंटरटेनमेंट के अलावा अन्य कई हैशटैग का प्रयोग भी किया। इसके साथ ही मनोज ने ट्वीट के बीच में हर-हर महादेव भी लिखा।
A maratha warrior queen whose story must be known to every Indian. #ManojMuntashirEntertainment N #HumanBeingStudio proudly announce, #PunyshlokAhilayaaDevi. Har-Har-Mahadew! pic.twitter.com/Enb13Qkt3a— Manoj Muntashir (@manojmuntashir) April 8, 2021
ट्विटर पर मनोज ने आगामी फिल्म का एक पोस्टर भी साझा किया है।
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इसकी पटकथा दिलीप भोसले ने लिखी है, जो फिल्म का निर्देशन भी करेंगे। यह चार भाषाओं – हिंदी, मराठी, तमिल और तेलुगू में रिलीज होगी। इसमें मुंतशिर ने लिरिक्स और डायलॉग भी लिखे हैं।
ManojMuntashirEntertainment and HumanBeingStudio announce biopic on iconic Maratha warrior queen, Punyashlok AhilyaDevi, who ruled over 28 years in Malva area of Middle & North India in 18th century.Her story resonates with millions of Indians who remember her with great respect pic.twitter.com/mQJImsbatU— Komal Nahta (@KomalNahta) April 8, 2021
ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा ने भी ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि यह फिल्म मराठा योद्धा पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी की बायोपिक बनेगी, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में मध्य और उत्तर भारत के मालवा क्षेत्र में 28 साल तक शासन किया था।
–आईएएनएस
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nehakhosla · 6 years
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चिन्मयी श्रीपदा के बाद साउथ की एक और सिंगर ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न की घटना के बारे में खुलासा किया है। इस सिंगर का नाम Sriranjani है। Sriranjani ने एक्टर जॉन विजय पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। इस बात का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि जॉन ने उनके साथ फोन पर अश्लील बातें की। Sriranjani ने बताया कि ये घटना साल 2014 की है। इस पूरी घटना का खुलासा Sriranjani ने अपने ट्विटर पर पोस्ट के जरिए की है।
  #MeToo This incident happened in 2014 with actor John Vijay. Thanks hubby @NOTamitbhargav for the nudge. And thanks @Chinmayi @TheRestlessQuil for making noise. I'm speaking up too! #TimesUp @muthupradeep you know when this happened. pic.twitter.com/EfzqdgDvVH
— Sriranjani T S (@Sri_TS) October 17, 2018
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आधी रात को किया फोन: Sriranjani ने लिखा, 'एक्टर जॉन विजय एक आनुवांशिक विकृती के व्यक्ति हैं। वहीं मैंने खुद उन कुछ लड़कियों को चेतावनी दी है जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में अलग-अलग समय में उनकी एजेंसी में इंटर्न के रुप में काम किया है। मैंने उनके साथ एक मजेदार इंटरव्यू किया था, जिसके एक महीने बाद उसने मुझे आधी रात को फोन किया और कहा कि वह परेशान था। मैंने उसे सुबह बात करने के लिए कहा लेकिन उसने मुझे बातों में उलझाना शुरू कर दिया। मैं आधी नींद में थी। वह धीरे-धीरे फोन सेक्स के लिए जोर देने लगा। इस तरह की कई और बातें Sriranjani ने अपने ट्वीट में लिखी।
  Thank you Sriranjini for speaking up. I know you shared your story with me last week. I did receive 3 other girls narrating their own incidents about John Vijay. Find the strength girls. Speak up. Doesnt matter if he is friends with your dad. https://t.co/FkYFJj3ocM
— chinmayi sripaada (@Chinmayi) October 17, 2018
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सिंगर चिन्मयी श्रीपदा ने वैरामुत्तु पर लगाए गंभीर आरोप: Sriranjani से पहले सिंगर चिन्मयी श्रीपदा ने तमिल कवि, गीतकार और लेखक वैरामुत्तु पर गंभीर आरोप लगाए। चिन्मयी ने अपनी बात को शेयर करते हुए कहा कि वैरामुत्तु ने अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर उनका शोषण किया और उन्हें धमकाया। चिन्मयी ने ट्विटर पर लिखा, 'ये उस समय की बात है जब हम स्व‍िट्जरलैंड गए थे। हमने परफॉर्म किया। परफॉर्मेंस के बाद जहां सब चले गए थे। वहीं वैरामुत्तु ने मुझे और मेरी मां को कार्यक्रम के बाद रुकने के लिए कहा। ऑर्गनाइजर ने मुझे वैरामुत्तु के पास होटल में विजिट करने को कहा। इस बात को सुनने के बाद, मैंने कहा, क्यों? तो जवाब मिला कॉ-ओपरेट। मैंने मना कर दिया। हमने उनसे भारत वापस भेजने को कहा। उन्होंने कहा- आपका कोई कॅरियर नहीं है।'
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