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#निर्मला सीतारमण का परिवार
honestnewsoaoer · 8 months
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Nirmala Sitharaman Presented An Interim Budget
अंतरिम बजट में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं, जानिए क्या बोलीं निर्मला सीतारमण Nirmala Sitharaman : 1 फरवरी 2024 को, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतरिम बजट पेश किया। इस बजट में करदाताओं को कोई नई छूट नहीं दी गई है और इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, स्टार्टअप के लिए टैक्स छूट को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। Nirmala…
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dainiksamachar · 8 months
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बजट में फुलझड़ी नहीं, बस आमदनी-खर्च का हिसाब.. निर्मला के बजट का प्लस-माइनस समझिए
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही कह दिया था, माफ करना- में कोई धमाका नहीं होगा, बस सरकार आमदनी-खर्च का हिसाब दे देगी। वह अपनी बात पर कायम रहीं। बजट में कोई फुलझड़ी नहीं थी लेकिन आप इसे उनकी आलोचना मत समझिए, यह तो उनकी प्रशंसा है। निर्मला के अंतरिम बजट से अर्थशास्त्री झूम उठे हैं। उन्होंने इसमें रेवड़ियां नहीं बांटीं और राजकोषीय घाटे में कमी का वादा किया। राजकोषीय घाटे का मतलब है, सरकार की आमदनी से अधिक खर्च। निर्मला ने बताया कि वित्त वर्ष 2024 में यह घाटा GDP का 5.8 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले बजट में इसके लिए 5.9 प्रतिशत का अनुमान रखा गया था। सरकार ऐसा इसलिए कर पाई क्योंकि उसे अच्छी आमदनी हुई। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2025 में यह 5.1 प्रतिशत रहेगा और उससे अगले साल 4.5 प्रतिशत। कोरोना महामारी, यूक्रेन युद्ध और अल निनो जैसी चुनौतियों के बीच यह बात खास मायने रखती है। कुछ आलोचक कह सकते हैं कि राजस्व घाटा तो वित्त वर्ष 2024 में GDP का 2.8 प्रतिशत रहा, जिसे कभी खत्म करने की बात कही गई थी और अगले वित्त वर्ष में भी यह 2 प्रतिशत रहने वाला है। कुछ अर्थशास्त्री यह भी कहेंगे कि सरकारी खजाने की सेहत तभी अच्छी मानी जाती है, जब प्राथमिक घाटा खत्म हो जाए। राजकोषीय घाटे में से सरकार की ब्याज देनदारी निकालने बाद जो रकम बचती है, उसे प्राथमिक घाटा कहते हैं। प्राथमिक घाटा शून्य हो तो उसका मतलब है कि सरकार जो भी उधार ले रही है, वह उससे निवेश करेगी। वित्त वर्ष 2024 में प्राथमिक घाटा 2.3 प्रतिशत रहा, लेकिन अगले साल इसके 1.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। शायद यह आने वाले वर्षों में खत्म हो जाए। बाजार पर असर सवाल यह भी है कि राजकोषीय घाटे को लेकर अंतरिम बजट से जो अच्छी खबर आई, उसका शेयर बाजार पर पॉजिटिव असर क्यों नहीं पड़ा? असल में मार्केट टैक्स छूट की उम्मीद कर रहा था, जो पूरी नहीं हुई और बजट से पहले शेयर बाजार में यूं भी अच्छी तेजी आ चुकी थी। इसलिए गुरुवार को इसमें मामूली गिरावट आई और निफ्टी 50 इंडेक्स 0.13 प्रतिशत नीचे बंद हुआ।कई जानकारों को लग रहा था कि वित्त मंत्री कुछ रेवड़ियों का ऐलान करेंगी। यूं तो अंतरिम बजट में ऐसा नहीं करना चाहिए, लेकिन पहले के कुछ वित्त मंत्रियों ने इस बंधन को नहीं माना था। 5 साल पहले पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था और तब उन्होंने पर्सनल इनकम टैक्स से छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया था। उन्होंने सैलरीड क्लास के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन में छूट के साथ अन्य रियायतें भी दी थीं। उन्होंने दावा किया था कि इससे मध्यवर्ग के 3 करोड़ करदाताओं को फायदा होगा, जो BJP का वोट बैंक माने जाते हैं। चुनाव और बजट गोयल के बजट से कुछ सप्ताह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को सालाना 6,000 रुपये देने की घोषणा की थी। इसे तेलंगाना की रायतू बंधु, ओडिशा की KALIA और राहुल गांधी की चुनाव जीतने पर हर किसान परिवार को 72,000 रुपये देने के वादे के मुकाबले में लाया गया था। रायतू बंधु योजना के तहत तेलंगाना में हर कटाई सीजन में किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ और KALIA के तहत ओडिशा के ग्रामीण इलाकों में रहने वालों को 10,000 रुपये का भुगतान किया जाता है। 2019 में BJP को भरोसा नहीं था कि वह आम चुनाव जीत जाएगी। दरअसल, कुछ महीने पहले मध्य भारत के तीन राज्यों में हुए चुनाव में वह हार गई थी। यूं तो मोदी अक्सर कहते हैं कि चुनाव रेवड़ियां बांटकर नहीं, परफॉरमेंस से जीते जाते हैं। इसके बावजूद BJP को तब रेवड़ियां बांटनी पड़ी थीं, भले ही दूसरी पार्टियों की तुलना में उसने कम फ्रीबीज दिए। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले हालात बिल्कुल अलग हैं। BJP को आम चुनाव में जीत का भरोसा है। मोदी की अप्रूवल रेटिंग 90 प्रतिशत तक है। किसी अन्य लोकतांत्रिक देश के लीडर के लिए ऐसी रेटिंग सपना है। कुछ समय पहले हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी को शानदार जीत मिली। मध्य प्रदेश में तो सत्ता में रहते हुए भी उसकी सीटें बढ़ गईं। आज उसे सत्ता विरोधी लहर का डर नहीं है इसलिए 5 साल पहले भले ही गोयल के लिए रेवड़ी बांटना राजनीतिक मजबूरी थी, निर्मला के सामने ऐसी मजबूरी नहीं है। BJP को परफॉरमेंस के दम पर लोकसभा चुनाव जीतने का यकीन है। इसलिए अंतरिम बजट में जब वह अपनी सरकार की एक के बाद एक उपलब्धियां बता रही थीं तो उनकी पार्टी के सांसद हर बड़े दावे पर मेजें थपथपा रहे थे। उन्होंने यह वादा भी किया कि पिछले 10 वर्षों में BJP के नेतृत्व में देश ने क्या हासिल किया है और उससे पहले के दशक में कांग्रेस सरकार ने क्या हासिल किया था, इस पर रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगी। देश की इकॉनमी आज भारत दुनिया के बड़े देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। पहले अग्रिम अनुमान में बताया गया कि वित्त वर्ष 2024 में देश की ग्रोथ 7.3 प्रतिशत रह सकती है,… http://dlvr.it/T2BzQX
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emkanews7 · 2 years
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Matasya Sampada Scheme 2023
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मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना 2023
योजना का नाम प्रधानमंत्री मत्स्य पालन योजना लॉन्च 10 सितंवर 2020आवेदन माध्यम ऑफलाइन योजना लाभ कौन ले सकता है भारत के नागरिक Matasya Sampada Scheme
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना क्या है
मत्स्य उद्योग एक व्यवसाय है ��िससे निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी कर सकता है एवं अच्छी आय प्राप्त कर सकता है तथा समाज के विकास में परिवर्तन लाया जा सकता है। विभिन्न माध्यमों से मत्स्य पालन व्यवसाय से  कई लोगों का अपना आर्थिक स्तर सुधरा है तथा सामाजिक विकास स्तर में भी काफी सुधार हुआ है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत 10 सितंबर 2020 को  प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गयी थी। इस योजना की शुरुआत आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत की गयी थी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 20000 करोड़ रुपये की योजना की सूचना दी थी। 20050 करोड़ रुपए की लागत वाली यह केंद्रीय योजना लागू की जाएगी। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 9407 और राज्य की हिस्सेदारी 4880 तथा लाभार्थियो की हिस्सेदारी 5763 करोड़ रुपए होगी। इस योजना को  वित्त वर्ष  2020-2021 से  2024-2025 तक 5 वर्ष की अवधी में लागू किया जाएगा। भारत विश्व में मछली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। मत्स्य क्षेत्र से देश में 11 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। यदि आप प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
प्रधानमंत्री मत्स्य पालन योजना का उद्देश्य 
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का उद्देश्य नीली क्रांति के माध्यम से देश में मत्स्यपालन के क्षेत्र में सतत विकास को सुनशिचित करना है इस योजना के दो घटक होंगे पहला केंद्रीय योजना और दूसरा केंद्र प्रयोजित योजना। केंद्रीय योजना के दो वर्ग होंगे एक लाभार्थी वर्ग और दूसरा गैर लाभार्थी वर्ग। रोज़गार सृजन गतिविधियों जैसे समुद्री शैवाल और मछली की खेती पर ध्यान दिया जाएगा। यह मछलियों की गुणवत्ता वाली प्रजातियों की नस्ल तैयार करने तथा उनकी विभिन्न प्रजातियाँ विकसित करने,बुनियादी ढाँचे के विकास और विपणन नेटवर्क आदि पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अतिरिक्त केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हमारा मंत्रालय विभिन्न प्रकार से मछली पालन, जहाजों,ट्रैसेबिलिटी,प्रयोगशाला नेटवर्क आदि को मजबूत करने में सहयोग प्रदान करेगा। इस योजना से पशुपालकों को उनके वेतन को दुगना करने में सहायता मिलेगी। भूमि और पानी के विकास,विस्तार और मछुआरे मछली पालकों की आमदनी को अधिक करने में सहायता मिलेगी। प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना मछुआरों और मछली पालकों को सामाजिक, भौतिक रुप से वित्तीय सुरक्षा मिलेगी और ये सुविधाएँ मत्स्य पालकों के लिये गुणवत्ता  सस्ती दर पर मत्स्य बीज की समय पर उपलब्धता,सुनिश्चित करके मत्स्य उत्पादन और उसकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेंगी और मछलियों के रोग निदान के साथ-साथ पानी और मिट्टी की परीक्षण सुविधाओं की आवश्यकता को भी पूरा करेंगी।
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मतस्य सम्पदा योजना
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लाभ
यह मत्स्य उद्योग बेरोजगारी दूर करने में सहायक है। रोजगार मूलक होने के कारण इस उद्योग के माध्यम से देश की पिछड़ी अवस्था में सुधार किया जा सकता है।मत्स्य पालन शुरू करने के पहले मत्स्य पालकों को उन्नत तकनीकी की जानकारी तथा प्रशिक्षण देना होगा। अगर मत्स्य पालन उन्नत तकनीकी से किया जाएगा तो निश्चित रूप से मत्स्य उत्पादकता बढ़ेगी और जब मत्स्य उत्पादकता बढ़ेगी तो आय में वृद्धि होगी और आय में वृद्धि होगी तो निश्चित रूप से सामाजिक विकास स्तर सुधरेगा क्योंकि आर्थिक अभाव में जहां निर्धन व्यक्तियों का जीवन-स्तर गिरा हुआ था उसमें सुधार होगा। परिवार के बच्चों को शिक्षित कर सकेंगे और जब बच्चे शिक्षित हो जाएंगे तो समाज मे उनका विकास स्तर ऊंचा होगा। योजना का लक्ष्य बागवानी को बढ़ाना, कृषि कचरे के प्रबंधन और उन्मूलन का आधुनिकीकरण करना और मत्स्य क्षेत्र में क्षमता का उपयोग करना। प्रत्यक्ष लाभकारी रोजगार के अवसरों का सृजन और उनकी आय में वृद्धि सहित अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों के रूप में इस संख्या में वृद्धि करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लक्ष्य 
- इस योजना को मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया है ताकि जिससे मछली उत्पादन में वृद्धि हो सकें। - मत्स्य पालन क्षेत्र में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर पैदा करना है। - वर्ष 2024-2025 तक मत्स्य उत्पादन में 70 लाख टन की वृद्धि करना। - वर्ष 2024-2025 तक मत्स्य निर्यात से होने वाली आय को 100000 करोड़ रुपए तक करना। - पैदावार के बाद होने वाले नुकसान को 20 से 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करना। - योजना के तहत सरकार बीमा उपलब्ध कराएगी ताकि उन्हें भी किसी भी प्रकार की दुर्घटना से होने बाली हानि से बचाया जा सके। - योजना का लक्ष्य बागवानी को बढ़ाना है,कृषि अपशिष्ट को कम करना है और मत्स्य क्षेत्र में क्षमता का उपयोग करना है। - 2024 तक मछुआरों और मछली श्रमिकों की आय का दोगुना करना। इस योजना में कुल 20000 करोड़ की सहायताराशि दी जा रही है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए दस्तावेज
- मछली पालन जल श्रोत प्रमाण पत्र - मत्स्य पालन निर्माण क्षेत्र का प्रमाण पत्र। - बैंक पास बुक - आधार कार्ड - पैन कार्ड - निर्धारित प्रारूप पर 100 रुपए का स्टांप पर नोटिस - स्थाई निवास प्रमाण पत्र
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना पंजीकरण कैसे करें
- इस योजना में रजिस्ट्रेशन करने के लिए केंद्र सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। - यहां पर आपको प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना का लिंक प्राप्त होगा। -  होमपेज पर अभी आवेदन करें पर क्लिक करें। - आवेदन पत्र खुलकर सामने आएगा। - यहां से आप आवेदन फॉर्म को डाउनलोड करें - अब आप हार्ड कॉपी निकालकर फॉर्म में दी हुई आवश्यक विवरण को भरे जैसे नाम,पिता / पति का नाम, जन्म तिथि,लिंग,जाति और अन्य जानकारी का उल्लेख करें। - प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना से संबंधित अधिकारी के पास फॉर्म को जमा करें। Bmlt course details in hindi 2023 मध्यप्रदेश फ्री लैपटॉप योजना 2023 | Free Laptop Yojana Read the full article
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loktantraudghosh · 2 years
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सीतारमण के आम बजट से खुश नजर आए मध्यमवर्गीय, आयकर की छूट बढ़ने से सबके चेहरे खिले - कांग्रेस ने बजट को बताया निराशाजनक
शिरीष सकलेचा-बड़ावदा –  मोदी सरकार ने बुधवार को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले का आखरी पूर्ण बजट पेश किया वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़ी घोषणाएं कि जिससे मध्यम वर्गीय परिवार राहत महसूस कर रहा है अधिकांश लोगों ने केंद्र सरकार के इस बजट को राहत भरा बताया है। लोगों का मानना है कि इस बजट में हर वर्ग के हितों का ध्यान रखा गया है कांग्रेस ने इसे चुनावी साल का बजट बताते हुए कहा कि इसमें किसानों व…
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chaitanyabharatnews · 3 years
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जन्मदिन विशेष: सेल्स गर्ल का काम करने वालीं निर्मला सीतारमण कैसे बनीं वित्त मंत्री, ऐसा रहा उनका राजनीतिक सफर
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चैतन्य भारत न्यूज पूर्व रक्षा मंत्री और वर्त्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आज 62वां जन्मदिन है। सीतरमं का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु राज्य के मदुरै में हुआ था। उनके पिता नारायण सीतारमण रेलवे में नौकरी करते थे और माता सावित्री हाउसवाइफ थीं। जन्मदिन के इस खास मौके पर आइए जानते हैं निर्मला सीतारमण के बारे में कुछ खास बातें-
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तमिलनाडु में हुआ निर्मला का जन्म वित्त मंत्री सीतारमण की शुरुआती पढ़ाई तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली से हुई और उन्होंने अर्थशास्त्र से ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने जेएनयू से इकोनॉमिक में मास्टर्स कर वहीं से एम। फिल। की उपाधि ली। जेएनयू में पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाताक डॉ परकाला प्रभाकर से हुई थी जिनसे बाद में उन्होंने शादी की। दोनों की एक बेटी है।
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शादी के बाद चली गईं लंदन जब सीतारमण पति के साथ लंदन में रहती थीं तो वहां वे घर का सजावटी सामान बेचने वाली एक दुकान में सेल्स गर्ल के तौर पर काम करती थीं। इसके बाद वह लंदन में कृषि इंजीनियर्स एसोसिएशन में भी रही और फिर लंदन के प्राइस वॉटरहाउस में सीनियर मैनेजर बनीं। भारत लौटने के बाद निर्मला सीतारमण ने कुछ समय तक हैदराबाद में सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी में डिप्टी डायरेक्टर के तौर पर काम किया।
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2008 में बीजेपी में शामिल हुईं निर्मला सीतरमण साल 2008 में बीजेपी में शामिल हुईं। वह अपने परिवार की एकमात्र सदस्य हैं, जो राजनीति से जुड़ी हुई हैं। बीजेपी का हिस्सा बनने के बाद उनका तेजी से उभार हुआ। अर्थव्यवस्था की समझ रखने और अच्छी इंग्लिश बोलने में सक्षम निर्मला सीतारमण जल्दी ही सुषमा स्वराज के बाद बीजेपी में ऐसी महिला नेत्री बनीं, जो किसी भी मुद्दे पर पार्टी का पक्ष रख सकती थीं। इसके चलते वह कुछ ही दिनों में टीवी पर पार्टी का अहम चेहरा बनकर उभरीं। विवादित बयानों से दूर रहने वालीं निर्मला सीतारमण पर पीएम नरेंद्र मोदी का भरोसा माना जाता है।
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रक्षा मंत्री के तौर पर बड़ी भूमिका निभाई 2010-14 तक वह पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद उन्होंने मंत्रालयों का भी प्रभार मिला। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्होंने वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), कॉरपोरेट मामलों की राज्यमंत्री, वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर काम किया। इसके बाद उन्हें राज्यसभा सदस्य रहते हुए रक्षा मंत्री बनाया गया। रक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने मोदी सरकार में बड़ी भूमिका निभाई और रफाल मामले से जुड़े विवादों को लेकर उन्होंने विपक्ष के हर वार को उन्होंने विफल साबित किया। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया है। इस पद पर पहुंचने वाली वह इंदिरा गांधी के बाद दूसरी महिला हैं। हालांकि इंदिरा गांधी पूर्णकालिक वित्त मंत्री नहीं थीं जबकि निर्मला सीतारमण पूर्णकालिक वित्त मंत्री हैं। ये भी पढ़े... निर्मला सीतारमण ने कश्मीरी शेर पढ़ इस अंदाज में पेश किया बजट   लाल कपड़े में बजट लेकर संसद पहुंची निर्मला सीतारमण, तोड़ी बरसों पुरानी परंपरा फोर्ब्स: दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं में शामिल निर्मला सीतारमण, रोशनी नाडर और किरण मजूमदार का भी नाम Read the full article
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groundzero-info · 3 years
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PM Ujjwala Yojana 2.0 : बिना एड्रेस प्रूफ के ही मुफ्त में मिलेगा एलपीजी गैस कनेक्शन, सरकार लागू करने वाली है नियम...
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गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले गरीब परिवारों को फ्री LPG कनेक्शन देने की योजना उज्ज्वला को केंद्र सरकार नई पैकेजिंग के साथ उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले रीलॉन्च करने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को उत्तर प्रदेश के महोबा जिले से उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत करेंगे। उज्ज्वला 2.0 के तहत लाभार्थी को गैस कनेक्शन के साथ-साथ स्टोव और पहली बार भरा हुआ सिलेंडर भी फ्री मिलेगा।
साल 2017 में यूपी में हुए विधानसभा चुनाव में केंद्र की उज्ज्वला योजना की काफी चर्चा हुई थी और बीजेपी की बड़ी जीत का श्रेय इसे भी दिया गया था। हालांकि, उज्ज्वला के पहले संस्करण में सरकार सिर्फ LPG कनेक्शन के लिए 1600 रुपए (डिपॉडिट मनी) की राशि की आर्थिक सहायता देती थी। इस योजना के तहत गैस कनेक्शन पाने वाले परिवार स्टोव और सिलेंडर के लिए बिना ब्याज के लोन ले सकते थे।
उज्ज्वला 2.0 के तहत केंद्र सरकार इस वित्तीय वर्ष में लगभग एक करोड़ गैस कनेक्शन गरीबों को मुफ्त में बांटेगी। आज से लगभग पांच साल पहले, यूपी चुनावों से पहले, पीएम मोदी ने 1 मई, 2016 को राज्य के बलिया जिले में इस योजना का पहला संस्करण (उज्ज्वला 1.0) लॉन्च किया था। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि उज्ज्वला 2.0 के अंतर्गत 800 रुपए से अधिक की कीमत वाला सिलेंडर और एक स्टोव मुफ्त में देने की उम्मीद है।
बटज में की गई थी घोषणा
इस साल के बजट में योजना की मंशा की घोषणा की गई थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को 2021-22 में 1 करोड़ नए लाभार्थियों के लिए योजना का विस्तार करने की घोषणा की थी। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा, उज्ज्वला योजना, जिसने 8 करोड़ परिवारों को लाभान्वित किया है, को 1 करोड़ से अधिक और लाभार्थियों को कवर करने के लिए विस्तारित किया जाएगा।
घर बैठे कर सकते हैं आवेदन
फ्री फर्स्ट रिफिल और स्टोव के साथ डिपॉजिट फ्री गैस कनेक्शन के अलावा इस योजना के नए रूप में ऑनलाइन आवेदन का प्रावधान होगा। अधिकारी ने बताया कि एक प्रवासी परिवार को अलग गैस कनेक्शन भी मिल सकता है। उन्होंने कहा, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूच��त जनजाति (एसटी) से संबंधित गरीब परिवारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
नोटरी हलफनामे की जरूरत नहीं
इस योजना के तहत आवेदकों को केवाईसी के लिए एक फॉर्म भरना होगा, जिसके लिए किसी नोटरी के हलफनामे की जरूरत नहीं होगी। वहीं, प्रवासियों के पास यदि निवास प्रमाण पत्र नहीं होगा तो उनको सेल्फ डिक्लेरेशन का ऑप्शन दिया जाएगा। लोग इसे कॉमन सर्विस सेंटर या फिर गैस कंपनियों की वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
Source : "GROUND ZERO"
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ideacitinews · 3 years
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नरेंद्र मोदी का नए मंत्रिमंडल में जानिए किसको कौन-सा मंत्रालय मिला
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जिला ब्यूरो अमित कुमार सिंह नरेंद्र मोदी का नए मंत्रिमंडल में जानिए किसको कौन-सा मंत्रालय मिला बुधवार को 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई जिनमें 28 राज्य मंत्री हैं, 15 लोगों को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है जिनमें से 7 का प्रमोशन हुआ है जबकि हुई 12 मंत्रियों की छुट्टी नरेंद्र मोदी—प्रधानमंत्री, कार्मिक, पेंशन, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह- रक्षा अमित शाह- गृह और सहकारितान नितिन गडकरी- परिवहन और राजमार्ग निर्मला सीतारमण- वित्त और कार्पोरेट मामले नरेंद्र सिंह तोमर – कृषि एस जयशंकर- विदेश मंत्री अर्जुन मुंडा– आदिवासी मामलेस्मृति ईरानी–महिला एवं बाल कल्याण पियूष गोयल– वाणिज्य, उद्योग, उपभोक्ता मामले और कपड़ा धर्मेंद्र प्रधान– शिक्षा, उद्यम और कौशल विकास प्रह्लाद जोशी– संसदीय मामले, कोयला और खनन नारायण राणे- लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्योग सर्बानंद सोनोवाल– पोर्ट, शिपिंग, जलमार्ग और आयुष मुख्तार अब्बास नक़वी–अल्पसंख्यक मामले वीरेंद्र कुमार- सामाजिक न्याय गिरिराज सिंह-ग्रामीण विकास और पंचायती राज ज्योतिरादित्य सिंधिया–नागरिक उड्डयन आरसीपी सिंह- इस्पात अश्विनी वैष्णव– रेलवे, संचार और सूचना प्रौद्योगिकीपशुपति कुमार पारस– खाद्य प्रसंस्करण गजेंद्र सिंह शेखावत– जलशक्ति किरेन रिजिजू- न्याय और कानून आरके सिंह- ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा हरदीप सिंह पुरी– पेट्रोलियम, गैस, आवास एवं शहरी विकास मनसुख मांडविया– स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, रसायन एवं उर्वरक भूपेंद्र यादव– पर्यावरण एवं वन, जलवायु परिवर्तन, श्रम एवं रोज़गार महेंद्र नाथ पांडे–भारी उद्योग पुरुषोत्तम रुपाला– पशुपालन, मत्स्य पालन और दुग्ध उत्पादन। जी. किशन रेड्डी– पर्यटन एवं संस्कृति अनुराग ठाकुर- सूचना प्रसारण, खेल और युवा स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह– सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन जीतेंद्र सिंह– विज्ञान और टेक्नोलॉजी, प्रधानमंत्री कार्यालय राज्य मंत्री श्रीपद नाईक– पोर्ट, शिपिंग और जलमार्गफग्गन सिंह कुलस्ते– इस्पातप ्रह्लाद सिंह पटेल– जलशक्ति, खाद्य प्रसंस्करण अश्विनी चौबे– उपभोक्ता मामले, वन एवं पर्यावरण अर्जुन राम मेघवाल– संसदीय मामले और संस्कृति जनरल वीके सिंह– परिवहन, राजमार्ग और नागरिक उड्डयन कृष्णपाल– ऊर्जा दनवे राव साहेब दादा राव– रेलवे और खनन रामदास आठवले–सामाजिक न्याय साध्वी निरंजन ज्योति–उपभोक्ता मामले संजीव बालियान– पशुपालन, मत्स्य पालन और दुग्ध उत्पादन नित्यानंद राय– गृह पंकज चौधरी- वित्त अनुप्रिया पटेल– उद्योग एवं वाणिज्य एसपी सिंह बघेल– न्याय और कानून राजीव चंद्रशेखर–कौशल विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी शोभा करांदलाजे– कृषि और किसान कल्याण भानु प्रताप सिंह वर्मा– लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्योग दर्शना विक्रम जरदोश– रेल, कपड़ा वी मुरलीधरन– विदेश मीनाक्षी लेखी– विदेश और संस्कृति सोम प्रकाश–वाणिज्य और उद्योग रेणुका सिंह सरूता– आदिवासी मामले रामेश्वर तेली– पेट्रोलियम और गैस कैलाश चौधरी– कृषि और किसान कल्याण अन्नपूर्णा देवी– शिक्षा ए नारायण स्वामी– सामाजिक न्याय कौशल किशोर– शहरी विकास एवं आवास अजय भट्ट– रक्षा और पर्यटन बीएल वर्मा–पूर्वोत्तर राज्य विकास अजय कुमार- गृह देवुसिंह चौहान–संचार भगवंत खुबा– रसायन एवं उर्वरक, नवीकरणीय ऊर्जा कपिल पाटिल–पंचायती राज प्रोतिमा भौमिक– सामाजिक न्याय डॉ. सुभाष सरकार– शिक्षा बीके कराड़- वित्त राजकुमार रंजन सिंह– विदेश भारती प्रवीण पवार– स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विश्वेश्वर टुडु– आदिवासी मामले, जल शक्ति शांतनु ठाकुर– पोर्ट, शिपिंग और जलमार्ग एम महेंद्र भाई–परिवार एवं बाल कल्याण, आयुष जॉन बारला– अल्पसंख्यक मामले एल मुरुगन–पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, सूचना-प्रसारण निशिथ प्रामाणिक– युवा और खेल Read the full article
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dainiksamachar · 2 years
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₹62,500 महीना कमाने वालों को टैक्स से फुल छूट, मोदी सरकार ने 2024 चुनाव में वोटों की बारिश का इंतजाम कर दिया!
नई दिल्ली: 1 अप्रैल 2023 से 7.50 लाख रुपये तक की सालाना कमाई टैक्स फ्री हो जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बजट घोषणा के मुताबिक, नए वित्त वर्ष 2023-24 से नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) में 7 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इस बार 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को नई टैक्स रिजीम में भी शामिल कर दिया गया है, इसलिए अब 7.50 लाख रुपये तक के सालाना वेतन पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। 7.50 लाख रुपये ऐनुअल सैलरी का मतलब होता है 62,500 रुपये का मासिक वेतन। सोचिए, देश में नौकरी पेशा वर्ग का कितना बड़ा हिस्सा 62,500 रुपये की मंथली सैलरी के दायरे में आ जाएगा! क्या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अगले वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर टैक्स छूट का यह बड़ा कार्ड खेला है?बजट को लेकर बीजेपी नेताओं में दिख रहा जोश बहुत कुछ कह रहा है। बजट के एक प्रावधान से चल दी बड़ी चाल समय-समय पर विभिन्न स्रोतों से आने वाली सर्वेक्षण रिपोर्टों से पता चलता है कि देश के करीब-करीब 90 प्रतिशत वर्कफोर्स को महीने में 62,500 रुपये की सैलरी नहीं मिलती है। 'भारत में आर्थिक असमानता की स्थिति' के नाम से प्रकाशित एक सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में 10 प्रतिशत वर्कफोर्स की सैलरी ही 25 हजार रुपये प्रति माह है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाह परिषद ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसे परिषद के अध्यक्ष बिबेक दबरॉय ने मई 2022 में जारी किया था। अगस्त 2019 में जारी पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे में कहा गया था कि 45 प्रतिशत श्रमशक्ति महज 10 हजार रुपये प्रति माह की सैलरी पाती है। वहीं, मनी9 जेब नाम की संस्था ने नवंबर 2022 में एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया। इसमें दावा किया गया है कि देश में औसतन 46 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय 15 हजार से भी कम है। जब पूरे परिवार की आमदनी 15 हजार रुपये प्रति माह है तो फिर औसतन 5 लोगों के परिवार में प्रति व्यक्ति आय तो औसतन 3 हजार रुपये ही हुई। 90% से ज्यादा सैलरीड लोगों को बड़ी राहत ध्यान रहे कि मौजूदा वित्त वर्ष में 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लग रही है। वो भी बिना किसी टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट के। पुरानी टैक्स व्यवस्था में टैक्स बचाने वाले विकल्पों को अपनाकर अपना टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये तक ले आता है तो उसे भी कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। हालांकि, 7-7.5 लाख रुपये सालाना कमाने वालों के लिए हर साल दो-ढाई लाख रुपये बचा पाना आसान नहीं होता। लेकिन अब नई टैक्स व्यवस्था में बिना किसी निवेश के 7.5 लाख रुपया सालाना यानी 62,500 रुपये की मासिक सैलरी टैक्स फ्री हो गई। इस दायरे में अनुमान के मुताबिक सैलरीड क्लास का 90 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा आ जाएगा जिसे वास्तव में टैक्स पर बड़ी राहत मिलेगी। http://dlvr.it/Shprcz
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emkanews7 · 2 years
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उज्ज्वला योजना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 2023
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उज्ज्वला योजना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 2023, उज्ज्वला योजना 2023 फ्री गैस सिलिंडर अप्लाई ऑनलाइन 
 प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना क्या है
गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं  के लिए इस योजना की शुरूआत मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तर प्रदेश के बलिया से शुरू की गई थी। इससे पहले जब गांव की महिलाएं चूल्हे खाना बनाती थी तो उन्हें चूल्हे में लकड़ियां,गोबर आदि से खाना बनाया जाता हैं। ऐसे में लकड़ियां जलाने पर काफी वायु प्रदूषण होता है  यह वायु प्रदूषण महिलाओं, बच्चों और हमारे पर्यावरण के लिए भी हानिकारक होता हैं। इसलिए सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरूआत की हैं। इस योजना की  घोषणा श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा की गई थी कि सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों को मुफ्त एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराया जाएगा। 
उज्जवला योजना की शुरुआत 2.0
पीएम मोदी जी ने 10 अगस्त 2021 को PM उज्ज्वला योजना 2.0 का शुभारंभ कर दिया है। इस योजना के अंतर्गत एक करोड़ गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन फ्री में दिया जाएगा। इसके पहले एलपीजी कनेक्शन 8 करोड़ परिवारों को दिया गया था। इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को न केवल मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन मिलेगा बल्कि साथ में पहला रिफिल और हॉट प्लेट भी मुफ्त मिलेगा।
उज्जवला स्कीम 2.0 
पहले उज्जवला योजना में सरकार LPG कनेक्शन के लिए 1600 रुपए की आर्थिक सहायता देती थी। इस योजना के अंतर्गत गैस कनेक्शन वाले परिवार स्टोव और सिलेंडर के लिए बिना ब्याज के लोन भी ले सकते थे। उज्जवला योजना 2.0 में LPG कनेक्शन के अलावा पहले सिलेंडर की रीफिलिंग भी फ्री होगी। इसके अलावा गैस चूल्हा भी मुफ्त में प्रदान किया जाएगा। उज्ज्वला योजना 2.0 में आवेदन के लिए जरूरी पेपर वर्क और डॉक्युमेंट को भी कम किया गया है। केवाईसी के लिए किसी नोटरी की जरूरत नहीं होगी। साथ ही दूसरी जगह पर रह रहे लोगों के पास अगर निवास प्रमाण पत्र नहीं है तो उन्हें सेल्फ डिक्लेरेशन का ऑप्शन भी मिलेगा। नौकरी शुदा लोगों और प्रवासी मजदूरों को इस से बड़ी राहत मिलेगी।
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उज्ज्वला योजना
फ्री गैस कनेक्शन योजना 2023 का उदेश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य बीपीएल सूची वाले गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन देना है। इस योजना की साहायता से लकड़ी चूल्हा से खाना बनाने वाली महिलाओ को धुआं से छुटकारा मिलेगा। यह योजना परिवारों को गरीबी रेखा से नीचे रह रही महिलाओं को रियायती दर पर एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने में सहायता करती है। इस योजना से एलपीजी गैस के उपयोग में वृद्धि होगी और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं,वायु प्रदूषण एवं वनों की कटाई को कम करने में यह योजना काफी मददगार सावित होगी। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत महिलाओं को खाना बनाने के लिए स्वस्थ ईंधन प्रदान करना हैं। इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को फ्री में सिलेण्डर दिया जाता हैं। फ्री सिलेण्डर के साथ-साथ गैस कनेक्शन भी दिया जाता हैं। इस योजना के लिए हमारे देश के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सन 2021–22 के बजट में एक करोड़ लोगों को एलपीजी गैस कनेक्शन देने की घोषणा की है। इस योजना की सहायता से प्रदूषण से भी छुटकारा पाया जा सकेगा तथा महिलाओं के स्वास्थ्य में भी सुधार हो सकेगा।
 प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लाभ 
- महिलाओं का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। - महिलाओं को खाना बनाने में आसानी होगी। - प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत अब गैस चूल्हे का प्रयोग होने से धुएँ से छुटकारा मिलेगा। - इस योजना का लाभ गरीबी रेखा से नीचे आने वाली महिलाओ को प्रदान किया जायेगा। -  महिलाओ को इस योजना के तहत निशुल्क LPG गैस कनेक्शन उपलब्ध कराया जायेगा। -  इस योजना की सहायता से वनों की कटाई कम होगी। - इस योजना से वायु प्रदूषण कम होगा।
उज्ज्वला योजना पात्रता
- आवेदक महिला होनी चाहिए। - आवेदक भारत का नागरिक होना चाहिए। - आवेदक की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। -  आवेदक गरीबी रेखा परिवार से नीचे होनी चाहिए। - इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने वाले के पास पहले से एलपीजी कनेक्शन नहीं होना चाहिए। - सभी के लिए E-KYC करना जरूरी है।
उज्ज्वला योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज
- निवास प्रमाण पत्र - जाति प्रमाण पत्र - बीपीएल राशन कार्ड - पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ - आधार कार्ड  - बैंक पासबुक - समग्र id
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उज्ज्वला योजना
नि:शुल्क गैस कनेक्शन के लिए महत्वपूर्ण तथ्य 
- हर लाभार्थी को महीने में एक फ्री सिलेंडर दिया जाना है। - पहले गैस सिलिंडर लेने पर दूसरे किश्त की राशि आवेदक के खाते में जाएगी। उसके बाद तीसरी क़िस्त प्रदान की जाएगी। - दो रिफिल के बीच 15 दिन का अंतराल होनी चाहिए। - जो परिवार योजना के लिए पात्र हैं उन्हें 1600 रुपये मिलेंगे। राशि को महिलाओं के खाते में स्थानांतरित किया जाएगा।  EMI की सेवा भी दी जाती है। - उज्जवला योजना देश के 715 जिलों को कवर करती है। - यह योजना केवल उन परिवारों के लिए है जो गरीबी रेखा से नीचे आते हैं। सरकार ने 2021-2022 के वित्तीय वर्ष में 8 करोड़ परिवारों को शामिल किया। गांव की बेटी योजना 2023 मध्य प्रदेश | गांव की बेटी योजना स्कॉलरशिप ऑनलाइन फॉर्म मध्यप्रदेश तीर्थ दर्शन योजना 2023
उज्जवला स्कीम 2.0 अप्लाई ऑनलाइन 
सबसे पहले आपको प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना आधिकारिक वेबसाइट  पर जाना है। इसके बाद आपके सामने वेबसाइट का होम पेज खुल जायेगा। अब आपको क्लिक हेयर आप्‍शन पर क्लिक करना होगा। जैसे ही आप इस आप्‍शन पर क्लिक करेंगे आपको इस पेज पर नीचे तीन ऑप्शन दिखाई  देगाा इंडेन, भारत पेट्रोलियम और एचपी। अब आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी एक विकल्प को चुनकर क्लिक here to अप्लाई ऑप्शन पर क्लिक करें। जैसे ही आप क्लिक here to अप्लाई ऑप्शन पर क्लिक करेंगे आपके सामने फार्म खुल कर आएगा। आपको इस एप्लीकेशन फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी जैसे फोन नम्‍बर,नाम आदि भरनी  होगी। अब आपको Generate option के बटन पर क्लिक करना होगा। तब इस प्रकार आप आवेदन कर पाएंगे।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना फॉर्म कैसे भरें
जो भी आवे��क फ्री गैस कनेक्शन एप्लीकेशन फॉर्म 2023 भरना चाहते है। योजना की आधिकारिक वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते है। अब आप फॉर्म में पूछी गयी सभी  जानकारी जैसे आधार कार्ड नंबर,मोबाइल नंबर,नाम,पता आदि भरे। इसके पश्चात् आवेदन फॉर्म के साथ अपने सभी दस्तावेज़ों को सलग्न करके अपने निकटतम गैस एजेंसी में जाकर जमा करें।  फॉर्म जमा करने के बाद गैस एजेंसी अधिकारी द्वारा आपका आवेदन फॉर्म तथा दस्तावेज़ सत्यापित कर 10 से 15 दिन के अंदर आपका एलपी जी गैस कनेक्शन दे  दिया जायेगा। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना हेल्पलाइन नंबर Ujjwala Helpline Number – 1906 Toll Free Number – 18002666696" Read the full article
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lok-shakti · 3 years
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पैकेज नहीं, बल्कि एक और दिखावा: राहुल गांधी ने सरकार के प्रोत्साहन उपायों की खिंचाई की
पैकेज नहीं, बल्कि एक और दिखावा: राहुल गांधी ने सरकार के प्रोत्साहन उपायों की खिंचाई की
महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित प्रोत्साहन उपायों पर सरकार पर निशाना साधते हुए, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि कोई भी परिवार अपनी दैनिक जरूरतों पर आर्थिक पैकेज खर्च नहीं कर सकता है और यह “एक और दिखावा” है। . सीतारमण ने सोमवार को छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए अतिरिक्त ऋण के 1.5 लाख करोड़ रुपये, स्वास्थ्य क्षेत्र के…
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abhay121996-blog · 3 years
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राहुल बजाज ने बजाज आटो का चेयरमैन पदा छोड़ा, नीरज बजाज होंगे नये चेयरमैन Divya Sandesh
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राहुल बजाज ने बजाज आटो का चेयरमैन पदा छोड़ा, नीरज बजाज होंगे नये चेयरमैन
नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) देश के सफलतम उद्योगपतियों में शामिल राहुल बजाज ने आखिरकार बजाज आटो के चेयरमैन का पद छोड़ने का फैसला कर लिया है। राहुल बजाज ने दुपहिया और तिपहिया वाहनों के क्षेत्र में बजाज आटो को खड़ा किया और उसे अग्रणी स्थान तक पहुंचाया। पुणे स्थित दुपहिया और तिपहिया वाहन बनाने वाली कंपनी बजाज आटो ने शेयर बाजारों को भेजी नियामकीय सूचना में कहा है कि उसके गैर- कार्यकारी चेयरमैन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा 30 अप्रैल 2021 को कामकाज समाप्त होने के समय से प्रभावी हो जायेगा। कंपनी ने राहुल बजाज के स्थान पर नीरज बजाज को नया चेयरमैन नियुक्त किया है। वह एक मई 2021 से कंपनी के चेयरमैन का कामकाज संभालेंगे। वहीं, राहुल बजाज कंपनी के चेयरमैन एमरीटस बने रहेंगे। उन्हें एक मई 2021 से पांच साल के लिये कंपनी का चेयरमैन एमरीटस बनाया गया है। राहुल बजाज वर्ष 1972 से ही कंपनी के गैर- कार्यकारी चेयरमैन का कार्यभार संभाले हुये हैं। वह बजाज आटो समूह से पिछले पांच दशकों से जुड़े हुये हैं। कंपनी ने नियामकीय सूचना में कहा है कि राहुल बजाज की आयु 83 साल हो गई है। अपनी बढ़ी उम्र को देखते हुये उनहोंने कंपनी के गैर- कार्यकारी निदेशक और चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया। कंपनी ने कहा है कि बजाज आटो समूह की सफलता में राहुल बजाज का बहुत अधिक योगदान रहा है। उनके पिछले पांच दशकों के लंबे अनुभव और कंपनी के हित में उनके अनुभव, ज्ञान और बुद्धि का एक सलाहकार के तौर पर समय समय पर लाभ उठाते हुये कंपनी के निदेशक मंडल ने उन्हें कंपनी का चेयरमैन एमेरीटस नियुक्त करने को मंजूरी दे दी। राहुल बजाज ने 1965 में बजाज समूह की कमान संभाली थी। उस समय भारत एक बंद अर्थव्यवस्था थी। उन्होंने कंपनी का नेतृत्व करते हुये बजाज चेतक नाम का स्कूटर बनाया। इस स्कूटर को काफी नाम मिला और इसे भारत के मध्यम वर्गीय परिवार की आकांक्षा का सूचक माना गया। इसके बाद कंपनी लगातार आगे बढ़ती चली गई। नब्बे के दशक में जब भारत में उदारीकरण की शुरुआत हुई और भारत एक खुली अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ गया और जापानी मोटर साइकिल कंपनियों से भारतीय दुपहिया वाहनों को कड़ी टक्कर मिलने लगी, उस समय भी राहुल बजाज ने कंपनी को आगे बढ़ाया। बजाज समूह की अग्रणी कंपनी बजाज आटो का कारोबार एक सम��� 7.2 करोड़ रुपये था जो कि आज 12,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है और उसके उत्पादों का पोर्टफोलियो भी बढ़ा है। राहुल बजाज के नेतृत्व में ही उनके उत्पादों को वैश्विक बाजार में स्थान मिला। देश के सबसे सफलतम उद्योगपतियों में से एक राहुल बजाज को उनके खुलकर बोलने के लिये जाना जाता है और वह 2006 से लेकर 2010 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे। नवंबर 2019 को मुंबई में इकोनोमिक टाइम्स के एक कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिजय मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में इस जाने माने उद्योगपति ने सरकार की आलोचना को लेकर उद्योगपतियों के डर के बारे में चुटकी लेते हुये कहा, ‘‘डर का यह माहौल, पक्के तौर पर हमारे दिमाग में है। आप (केन्द्र सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद हमारे भीतर यह विश्वास नहीं है कि आप आलोचना को सराहेंगे।’’
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gokul2181 · 4 years
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Sitharaman asked - where your government, why silence on rape? Rahul's answer - Our governments did not hide the incident | सीतारमण ने पूछा- जहां आपकी सरकार, वहां रेप पर चुप्पी क्यों? राहुल का जवाब- हमारी सरकारों ने घटना छिपाई नहीं
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Sitharaman asked - where your government, why silence on rape? Rahul's answer - Our governments did not hide the incident | सीतारमण ने पूछा- जहां आपकी सरकार, वहां रेप पर चुप्पी क्यों? राहुल का जवाब- हमारी सरकारों ने घटना छिपाई नहीं
Hindi News
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Sitharaman Asked Where Your Government, Why Silence On Rape? Rahul’s Answer Our Governments Did Not Hide The Incident
14 मिनट पहले
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होशियारपुर में 6 साल की बच्ची के साथ रेप और हत्या के मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। (फाइल फोटो)
होशियारपुर में 6 साल की बच्ची के साथ रेप की घटना पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तोड़ी चुप्पी
भाजपा पर साधा निशाना, कहा- हाथरस में पीड़िता के परिजनों को यूपी सरकार ने धमकाया
पंजाब के होशियारपुर में 6 साल की बच्ची के साथ रेप और फिर हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। भाजपा ने राहुल गांधी और कांग्रेस से सवाल पूछा तो राहुल खुद के बचाव में उतर आए।
भाजपा की तरफ से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “जहां आपकी सरकार नहीं है, वहां अगर रेप होता है तो उसके खिलाफ आप भाई-बहन गाड़ी में बैठकर पिकनिक की तरह प्रदर्शन करने जाते हैं। लेकिन, होशियारपुर नहीं, क्योंकि वहां कांग्रेस की सरकार है। इसलिए आप उस पर एक बात भी नहीं बोलेंगे। ऐसा क्यों? हर मुद्दे पर ट्वीट करने वाले राहुलजी ने होशियारपुर में बच्ची से हैवानियत पर एक भी ट्वीट नहीं किया? जबकि इस घटना को तीन दिन हो गए।”
इस पर राहुल गांधी ने ट्वीट करके जवाब दिया। लिखा, ”यूपी के विपरीत, पंजाब और राजस्थान की सरकारों ने ये इनकार नहीं किया कि लड़की के साथ बलात्कार हुआ है। ��सके परिवार को धमकाया नहीं और ना ही न्याय के रास्ते में रुकावट पैदा की। अगर वे ऐसा करते हैं, तो मैं वहां भी न्याय के लिए लड़ने जाऊंगा।”
Unlike in UP, the governments of Punjab and Rajasthan are NOT denying that the girl was raped, threatening her family and blocking the course of justice.
If they do, I will go there to fight for justice. #Hathras
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 24, 2020
कांग्रेस का डबल स्टैंड लोगों के सामने आ गया- जावड़ेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि राहुल अब क्यों नहीं बच्ची को न्याय दिलाने के लिए होशियारपुर जाते हैं? हाथरस में राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी लगातार राजनीति कर रहे थे। वहां के हालात खराब कर रहे थे। लेकिन, दोनों राजस्थान और पंजाब नहीं गए। कांग्रेस का डबल स्टैंड अब लोगों के सामने आ चुका है।
6 साल की बच्ची के साथ रेप करने के बाद लाश जला दी मामला होशियारपुर के टांडा की है। यहां 21 अक्तूबर को जिले के जलालपुर गांव में एक प्रवासी मजदूर की 6 साल की बेटी की कथित रेप और हत्या करने का आरोप है। आरोपियों ने हत्या करके बच्ची की अधजली लाश हवेली में छिपाकर रख दी थी। पीड़िता के पिता ने गुरप्रीत और सुरजीत नाम के दो लोगों पर केस दर्ज कराया है।
आरोप है कि गुरप्रीत लड़की को अपने घर ले गया था। वहां उसने बच्ची के साथ रेप किया और फिर दोनों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी। गुरप्रीत और सुरजीत रिश्ते में दादा-पोते हैं।
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kisansatta · 4 years
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राजमाता सिंधिया की 100 वीं जयंती पर पीएम मोदी ने जारी किया सिक्का
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नई दिल्ली : जनसंघ की संस्थापक राजमाता विजयाराजे सिंधिया की 100 वीं जन्म शताब्दी समारोह का समापन 12 अक्टूबर को उनकी जयंती के अवसर पर होगा। ग्वालियर में यह कार्यक्रम चेतकपुरी रोड स्थित बंधन गार्डन में प्रातः 9:30 बजे आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं पूर्व राज्यसभा सांसद प्रभात झा मुख्य रूप से उपस्थित रहे |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राजमाता विजयाराजे सिंधिया की 100वीं जयंती पर 100 रुपये के सिक्के का अनावरण किया है। कोरोना वायरस की वजह से एक वर्चुअल समारोह के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने इस सिक्के को देश को समर्पित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, ‘राजमाता सिंधिया ने अपना जीवन गरीब लोगों के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने साबित किया कि जन प्रतिनिधियों के लिए ‘राजसत्ता’ नहीं बल्कि ‘जन सेवा’ महत्वपूर्ण है।’
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कोरोना संकट के बीच आज देश की आर्थिक स्थित के बारे में जानकारी देंगी निर्मला सीतारमण
अनावरण के दौरान पीएम मोदी का सम्बोधन ….
नारी शक्ति के बारे में वो विशेष तौर पर कहती थीं कि जो हाथ पालने को झुला सकते हैं, तो वो विश्व पर राज भी कर सकते हैं। आज भारत की नारी शक्ति हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं हैं, देश को आगे बढ़ा रही हैं।
तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाकर, देश ने राजमाता सिंधिया के महिला सशक्तिकरण के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया है।
ये भी कितना अद्भुत संयोग है कि रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने जो संघर्ष किया था, उनकी जन्मशताब्दी के साल में ही उनका ये सपना भी पूरा हुआ है।
राजमाता के आशीर्वाद से देश आज विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। गांव, गरीब, दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, महिलाएं आज देश की पहली प्राथमिकता में हैं।
राजमाता एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व थीं। साधना, उपासना, भक्ति उनके अन्तर्मन में रची बसी थी। लेकिन जब वो भगवान की उपासना करती थीं, तो उनके पूजा मंदिर में एक चित्र भारत माता का भी होता था। भारत माता की भी उपासना उनके लिए वैसी ही आस्था का विषय था।
आपातकाल के दौरान तिहाड़ जेल से राजमाता ने अपनी बेटियों को चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने चिट्ठी में जो लिखा था उसमें बहुत बड़ी सीख थी। उन्होंने लिखा था- अपनी भावी पीढ़ियों को सीना तान कर जीने की प्रेरणा मिले इस उद्देश्स से हमें आज की विपदा को धैर्य के साथ झेलना चहिए।
कोई भी साधारण व्यक्ति जिसके अंदर योग्यता है, प्रतिभा है, देश सेवा की भावना है, वो इस लोकतंत्र में भी सत्ता को सेवा का माध्यम बना सकता है। राजमाता ने जीवन का महत्वपूर्ण कालखंड जेल में बिताया, आपातकाल के दौरान उन्होंने जो-जो सहा उसके साक्षी हममे से बहुत से लोग हैं।
विवाह से पहले राजमाता जी किसी राज परिवार से नहीं थीं, एक सामान्य परिवार से थीं, लेकिन विवाह के बाद उन्होंने सबको अपना भी बनाया और ये पाठ भी पढ़ाया कि जनसेवा के लिए, राजकीय दायित्व के लिए किसी खास परिवार में जन्म लेना ही जरूरी नहीं। राजमाता ने सामान्य मानवी के साथ, गांव-गरीब के साथ जुड़कर जीवन जिया, उनके लिए जीवन समर्पित किया।
हम राजमाता के जीवन के हर पहलू से हर पल बहुत कुछ सीख सकते हैं। वो छोटे से छोटे साथियों को उनके नाम से जानती थीं। सामाजिक जीवन में अगर आप हैं, तो सामान्य से सामान्य कार्यकर्ता के प्रति ये भाव हम सभी के अंदर होना चाहिए।
राष्ट्र के भविष्य के लिए राजमाता ने अपना वर्तमान समर्पित कर दिया था। देश की भावी पीढ़ी के लिए उन्होंने अपना हर सुख त्याग दिया था। राजमाता ने पद और प्रतिष्ठा के लिए न जीवन जीया, न राजनीति की।
ऐसे कई मौके आए जब पद उनके पास तक चलकर आए। लेकिन उन्होंने उसे विनम्रता के साथ ठुकरा दिया। एक बार खुद अटल जी और आडवाणी जी ने उनसे आग्रह किया था कि वो जनसंघ की अध्यक्ष बन जाएं। लेकिन उन्होंने एक कार्यकर्ता के रूप में ही जनसंघ की सेवा करना स्वीकार किया।
  https://kisansatta.com/pm-modi-issued-coin-on-the-100th-birth-anniversary-of-rajmata-scindia/ #PMModiIssuedCoinOnThe100ThBirthAnniversaryOfRajmataScindia PM Modi issued coin on the 100th birth anniversary of Rajmata Scindia National, Top, Trending #National, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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chaitanyabharatnews · 4 years
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जन्मदिन विशेष: सेल्स गर्ल का काम करने वालीं निर्मला सीतारमण कैसे बनीं वित्त मंत्री, ऐसा रहा उनका राजनीतिक सफर
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चैतन्य भारत न्यूज पूर्व रक्षा मंत्री और वर्त्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आज 61वां जन्मदिन है। सीतरमं का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु राज्य के मदुरै में हुआ था। उनके पिता नारायण सीतारमण रेलवे में नौकरी करते थे और माता सावित्री हाउसवाइफ थीं। जन्मदिन के इस खास मौके पर आइए जानते हैं निर्मला सीतारमण के बारे में कुछ खास बातें-
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तमिलनाडु में हुआ निर्मला का जन्म वित्त मंत्री सीतारमण की शुरुआती पढ़ाई तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली से हुई और उन्होंने अर्थशास्त्र से ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने जेएनयू से इकोनॉमिक में मास्टर्स कर वहीं ��े एम। फिल। की उपाधि ली। जेएनयू में पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाताक डॉ परकाला प्रभाकर से हुई थी जिनसे बाद में उन्होंने शादी की। दोनों की एक बेटी है।
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शादी के बाद चली गईं लंदन जब सीतारमण पति के साथ लंदन में रहती थीं तो वहां वे घर का सजावटी सामान बेचने वाली एक दुकान में सेल्स गर्ल के तौर पर काम करती थीं। इसके बाद वह लंदन में कृषि इंजीनियर्स एसोसिएशन में भी रही और फिर लंदन के प्राइस वॉटरहाउस में सीनियर मैनेजर बनीं। भारत लौटने के बाद निर्मला सीतारमण ने कुछ समय तक हैदराबाद में सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी में डिप्टी डायरेक्टर के तौर पर काम किया।
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2008 में बीजेपी में शामिल हुईं निर्मला सीतरमण साल 2008 में बीजेपी में शामिल हुईं। वह अपने परिवार की एकमात्र सदस्य हैं, जो राजनीति से जुड़ी हुई हैं। बीजेपी का हिस्सा बनने के बाद उनका तेजी से उभार हुआ। अर्थव्यवस्था की समझ रखने और अच्छी इंग्लिश बोलने में सक्षम निर्मला सीतारमण जल्दी ही सुषमा स्वराज के बाद बीजेपी में ऐसी महिला नेत्री बनीं, जो किसी भी मुद्दे पर पार्टी का पक्ष रख सकती थीं। इसके चलते वह कुछ ही दिनों में टीवी पर पार्टी का अहम चेहरा बनकर उभरी��। विवादित बयानों से दूर रहने वालीं निर्मला सीतारमण पर पीएम नरेंद्र मोदी का भरोसा माना जाता है।
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रक्षा मंत्री के तौर पर बड़ी भूमिका निभाई 2010-14 तक वह पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद उन्होंने मंत्रालयों का भी प्रभार मिला। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्होंने वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), कॉरपोरेट मामलों की राज्यमंत्री, वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर काम किया। इसके बाद उन्हें राज्यसभा सदस्य रहते हुए रक्षा मंत्री बनाया गया। रक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने मोदी सरकार में बड़ी भूमिका निभाई और रफाल मामले से जुड़े विवादों को लेकर उन्होंने विपक्ष के हर वार को उन्होंने विफल साबित किया। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया है। इस पद पर पहुंचने वाली वह इंदिरा गांधी के बाद दूसरी महिला हैं। हालांकि इंदिरा गांधी पूर्णकालिक वित्त मंत्री नहीं थीं जबकि निर्मला सीतारमण पूर्णकालिक वित्त मंत्री हैं। ये भी पढ़े... निर्मला सीतारमण ने कश्मीरी शेर पढ़ इस अंदाज में पेश किया बजट   लाल कपड़े में बजट लेकर संसद पहुंची निर्मला सीतारमण, तोड़ी बरसों पुरानी परंपरा फोर्ब्स: दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं में शामिल निर्मला सीतारमण, रोशनी नाडर और किरण मजूमदार का भी नाम Read the full article
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khabaruttarakhandki · 4 years
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मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतरा RSS से जुड़ा संगठन, अनिश्चितकालीन आंदोलन की दी चेतावनी
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BMS ने सरकारी उपक्रमों के निजीकरण, निगमीकरण और विनिवेश की नीति के खिलाफ प्रदर्शन किया (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ और मोदी सरकार अहम् आर्थिक सुधार के मसले पर आमने सामने खड़े हो गए हैं. बुधवार को भारतीय मज़दूर संघ के हज़ारों कार्यकर्ताओं ने देश के अलग अलग इलाकों में मोदी सरकार की अहम् सरकारी उपक्रमों के निजीकरण, निगमीकरण और विनिवेश की नीति के खिलाफ प्रदर्शन किया और रोलबैक की मांग की. 
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संघ परिवार में अहम आर्थिक सुधार के मसले पर अंदरूनी गतिरोध खुलकर सामने आ गया है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ के हज़ारों कार्यकर्ता बुधवार को सड़कों पर उतरे और मोदी सरकार पर  मज़दूरों के हितों के खिलाफ नीति बनाने का आरोप लगाया और मांग की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पब्लिक सेक्टर यूनिट्स के निजीकरण और विनिवेश का जो ऐलान किया है उसे तत्काल वापस लिया जाये.भारतीय मज़दूर संघ के जोनल सेक्रेटरी पवन कुमार ने एनडीटीवी से कहा, “अगर मोदी सरकार इन फैसलों को (निजीकरण, कॉर्पेटाइजेशन और विनिवेश) रोलबैक नहीं करेगी तो भारतीय मजदूर संघ इससे भी कड़ा निर्णय आगे करेगी” 
बीएमएस पूछा गया कि यह कड़ा निर्णय क्या हो सकता है? क्या आप आगे अनिश्चितकालीन आंदोलन भी कर सकते हैं? तो इसके जवाब में पवन कुमार ने कहा, ‘निश्चित रूप से, ये आंदोलन तब तक चलेगा अगर सरकार रोलबैक नहीं करेगी .’
भारतीय मज़दूर संघ के नेता और संघ परिवार में गतिरोध    बीएमएस मुनाफा कमाने वाली कंपनियों को बेचने के खिलाफ हैं. उनके मुताबिक रेलवे और डिफेन्स आर्डिनेंस फैक्ट्रीज बोर्ड के कोर्पोरटिजशन का फैसला गलत है. कोयला सेक्टर का कमर्शियलाइजेशन मज़दूर के हित म���ं नहीं और डिफेन्स जैसे स्ट्रेटेजिक सेक्टर में  एफडीआई को मंज़ूरी गलत फैसला है. 
इससे पहले भारतीय मज़दूर संघ को छोड़कर मोदी सरकार की नई आर्थिक सुधर के एजेंडे के खिलाफ 10 बड़े केंद्रीय श्रमिक संगठन लामबंद हो चुके हैं और उन्होंने 3 जुलाई को देश भर  में साझा विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है कोरोना संकट के इस दौर में जहाँ एक तरफ मोदी सरकार आर्थिक सुधार के नए अजेंडे के ज़रिये नए वित्तीय संसाधन जुटाना चाहती है वहीँ देश में बढ़ते मज़दूरों के संकट से भारतीय मज़दूर संघ और दूसरे बड़े श्रमिक संगठन इन फैसलों को रोलबैक करने को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ा रहे हैं. अब देखना होगा सरकार बड़े श्रमिक संगठनों के इस विरोध से कैसे निपटती है. 
सार्वजनिक उपक्रमों के विनि‍वेश के ख‍िलाफ धरना देंगे भारतीय मज़दूर संघ से जुड़े कर्मचारी
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abhay121996-blog · 3 years
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कोरोना वायरस से लड़ रहे देवदूतों का 50 लाख का बीमा कवर हो गया खत्म Divya Sandesh
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कोरोना वायरस से लड़ रहे देवदूतों का 50 लाख का बीमा कवर हो गया खत्म
नई दिल्ली कोरोना वायरस (COVID-19) से लड़ने वाले हेल्थ वर्कर्स के लिए अच्छी खबर नहीं है। The News Indian Express के मुताबिक सरकार ने उनके इंश्योरेंस कवर को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। इस योजना के तहत हेल्थ वर्कर्स की मौत होने पर परिजनों को 50 लाख रुपये तक का बीमा कवर मिलता है। इस योजना की शुरुआत मार्च 2020 में हुई थी। इसका उद्देश्य कोरोना हेल्थ वर्कर्स को सुरक्षा मुहैया कराना है जिससे कोरोना वॉरियर्स की मौत होने पर उनके परिवार की देखभाल हो सके।
सरकार ने यह फैसला ऐसे वक्त किया है जब देश में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले महीने राज्यों को भेजे सर्कुलर में कहा कि यह योजना 24 मार्च को खत्म हो जाएगी। इसके तहत तब तक केवल 287 दावों का निपटारा किया गया था। इस योजना के तहत करीब 22 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को विशेष बीमा कवर उपलब्ध कराया जा रहा है।
किसके लिए थी यह योजना यह बीमा सुविधा केंद्र और राज्य सरकारों के तहत आने वाले अस्पतालों में काम करने वाले चिकित्सकों, नर्सों, चिकित्सा सहायकों, साफ-सफाई कर्मियों तथा कुछ अन्य लोगों को उपलब्ध कराई जा रही है। इस योजना की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सफाई कर्मियों, वार्ड ब्वॉयज, नर्सों, आशा कर्मियों, सहायकों, चिकित्सकों तथा विशेषज्ञों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को इस विशेष बीमा सुविधा का लाभ मिलेगा। प्राइवेट सेक्टर के हेल्थ वर्कर्स को भी इस योजना में शामिल किया गया था।
इस बात का कोई आधिकारिक डेटा नहीं है कि देश में कोविड-19 के कारण कितने फ्रंटलाइन वर्कर्स की मौत हुई लेकिन देश में डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की मुताबिक कोरोना संक्रमण के कारण अब तक देश में कम से कम 739 एमबीबीएस डॉक्टरों की मौत हो चुकी है।
एक साल के लिए बढ़ाई गई थी योजना केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने 24 मार्च को राज्यों को लिखे पत्र में कहा कि इस योजना काफी कारगर रही और इसने कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले हेल्थवर्कर्स के परिवारों को काफी राहत दी। यह योजना 24 मार्च तक थी। भूषण ने लिखा कि 24 मार्च की आधी रात तक के सभी क्लैम इस योजना के तहत स्वीकार्य होंगे और सभी मान्य दावों को सौंपने के लिए एक महीने का समय दिया जाएगा। सीतारमण ने पिछले साल 26 मार्च को इस योजना की घोषणा की थी और पहले इसकी अवधि 90 दिन थी जिसे बाद में बढ़ाकर एक साल कर दिया गया था।
इस बीच डॉक्टरों ने योजना को आगे नहीं बढ़ाने के केंद्र के फैसले पर रोष जताया है। आईएमए के अध्यक्ष रवि वानखेडकर ने कहा कि यह दुखद फैसला है और सरकार की संवेदनहीनता को दिखाता है। सरकार ने यह फैसला ऐसे समय किया है जब हेल्थकेयर वर्कर्स कम संसाधनों में लोगों की जान बचाने में जुटे हैं। इस दौरान उन्हें कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।
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