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#पूजा और आरती में क्या अंतर है?
bhaktibharat · 1 year
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✨ गणेशोत्सव 2023 - Ganeshotsav specials
गणेश-उत्सव महाराष्ट्र, गुजरात एवं मध्य प्रदेश के कुछ जगहों का सबसे उत्साहित करने वाला प्रसिद्ध त्यौहार है। अब नये भारत मे गणेशोत्सव धीरे-धीरे उत्तर के राज्यों मे भी मनाया जाने लगा है। आइए जानें! श्री गणेशोत्सव, श्री गणेश चतुर्थी, अनंत चतुर्दशी एवं गणपति विसर्जन से जुड़ी कुछ जानकारियाँ, प्रसिद्ध भजन एवं सम्वन्धित अन्य प्रेरक तथ्य..
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गणेशोत्सव क्यों कब, कहाँ और कैसे?
❀ श्री गणेश चतुर्थी
❀ अनंत चतुर्दशी / गणपति विसर्जन
गणेशोत्सव आरती
❀ जय गणेश जय गणेश
❀ शेंदुर लाल चढ़ायो
❀ श्री सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई: जय देव जय देव
श्री गणेश चालीसा
❀ गणेश चालीसा
गणेशोत्सव मेसेज
❀ गणेशोत्सव शुभकामना मेसेज
गणेश मंत्र
❀ वक्रतुण्ड महाकाय! श्री गणेश मंत्र
❀ गणेश शुभ लाभ मंत्र
❀ गणेश अंग पूजा मंत्र
❀ गजाननं भूत गणादि सेवितं
❀ गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि।
❀ श्री गणेशपञ्चरत्नम् - मुदाकरात्तमोदकं
❀ नामावली: श्री गणेश अष्टोत्तर नामावलि
❀ ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र
❀ हरिद्रा गणेश कवचम्
❀ संकटनाशन गणेश स्तोत्र - प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम
गणेशोत्सव भजन
❀ घर में पधारो गजानन जी
❀ गणपति आज पधारो, श्री रामजी की धुन में
❀ मेरे लाडले गणेश प्यारे प्यारे
❀ गाइये गणपति जगवंदन
❀ गौरी के नंदा गजानन, गौरी के नन्दा
श्री गणेश कथा
❀ अनंत चतुर्दशी की पौराणिक कथा
प्रेरक कहानी
❀ दद्दा की डेढ़ टिकट
❀ गणेश विनायक जी की कथा
❀ तुलसीदास जी द्वारा श्री रामचरितमानस की रचना
श्री गणेश मंदिर
❀ पुणे शहर के प्रसिद्ध मंदिर
❀ दिल्ली के प्रसिद्ध श्री गणेश मंदिर
❀ श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, मुंबई
❀ श्री कसबा गणपति मंदिर, पुणे
❀ दगडूशेठ गणपति मंदिर, पुणे
❀ सारसबाग गणपती मंदिर, पुणे
❀ बंगाली बाबा श्री गणेश मंदिर, जयपुर
❀ श्री सिद्धी गणेश मंदिर, गुरुग्राम
❀ गणेश टेकरी, नाथद्वारा
भोग प्रसाद
❀ पारंपरिक मोदक बनाने की विधि
❀ बेसन के लड्‍डू बनाने की विधि
❀ मावा के मोदक बनाने की विधि
❀ केसर मोदक बनाने की विधि
ब्लॉग
❀ संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी में क्या अंतर है?
❀ बटगणेश मंदिर, पुरी जगन्नाथ मंदिर में गणेश चतुर्थी
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parasparivaarorg · 27 days
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Importance of Temple in Home
Importance of Temple in the Home (राम दरबार)
“पारस परिवार” में आपका स्वागत है, जहाँ आकर बदल जाता है आपका संपूर्ण जीवन और जीवन में आती है बस खुशहाली ही खुशहाली। जहाँ दुःख और दर्द का होता है नाश और चेहरे पर आती है एक मुस्कान।
“पारस परिवार (Paras parivaar)”का मानना है कि खुशियाँ तभी मिलती हैं जब हम दूसरों की मदद करने में सदैव आगे रहते हैं। यानि असली ख़ुशी वो है जब हम दूसरे के चेहरे पर प्यारी सी एक मुस्कराहट बिखेर सकें और पारस परिवार इस नेक कार्य में हमेशा से आगे रहता है। पारस परिवार कभी भी छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब में अंतर नहीं करता है, उसके लिए सब एक समान हैं। वह कोशिश करता है कि सबके जीवन में खिली हुई धूप हो और दूर-दूर तक बस उजाला ही उजाला हो।
पारस परिवार एक सामाजिक-आध्यात्मिक संस्था (Socio-Spiritual Institution) है, जिसके संस्थापक और निदेशक “महंत श्री पारस भाई जी” (Mahant Shri Paras Bhai Ji) हैं। इस संस्था की नींव 17 सितंबर 2012 को रखी गई थी।
महंत श्री पारस भाई जी माँ चण्डी के दुलारे हैं। कहते हैं कि माँ अपने बच्चों को नेक ��ार्य करते हुए देखकर हमेशा खुश होती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं। शायद यही वजह है कि माँ के आशीर्वाद और उनकी कृपा से महंत श्री पारस भाई जी के अंदर अद्भुत शक्तियां समाहित हैं, जिन शक्तियों का प्रयोग वह जन कल्याण में करते हैं और समाज की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
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घर में मंदिर क्यों रखा जाता है
हमारे हिंदू धर्म में रामायण एक पवित्र ग्रंथ है और घर में रामायण रखना शुभ माना जाता है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार जिस घर में रामायण होती है उस घर में नकारात्मक शक्तियों का वास नहीं होता है। इसके अलावा मंदिर में राम दरबार भी लगाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घर में राम दरबार लगाकर पूजा करने से परिवार के संकट टल जाते है और राम जी की भी कृपा बनी रहती है। घर के मंदिर में राम दरबार लगाना शुभ माना जाता है और रोजाना भगवान राम की श्रद्धा भाव से पूजा करने से जीवन में कभी हार नहीं होती है। चलिये आज इस ब्लॉग में जानते हैं क्या है मंदिर में राम दरबार का महत्व ?
घर में राम दरबार का महत्व
हर घर में राम दरबार की पूजा जरूर की जाती है। महंत श्री पारस भाई जी का कहना है कि भगवान राम की पूरे दरबार के साथ पूजा अर्चना करने से घर में सुख और सौभाग्य आता है। इसके अलावा घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है और नेगेटिव एनर्जी दूर होती है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार रोजाना राम दरबार की पूजा करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है और कुंडली के जो भी ग्रह दोष होते हैं वो भी दूर होते हैं। मान्यताओं के अनुसार राम दरबार से परिवार के सदस्यों में हमेशा प्यार व एकता बनी रहती है।
कुछ लोग त्योहारों व शुभ अवसरों पर भी राम दरबार लगाते हैं। इसलिए राम दरबार का विधि-विधान से पूजन करें। भगवान राम का जीवन समाज के सामने एक पूर्ण आदर्श जीवन जीने का उदाहरण देता है। शास्त्रों में राम दरबार की पूजा का बहुत महत्व माना गया है। राम दरबार की पूजा से पारिवारिक क्लेश दूर होता है और सद्भावना बढ़ती है। भगवान राम की पूरे दरबार के साथ पूजा करने से आपका भाग्य जाग जाता है और आपका भाग्य तेजस्वी होता है। राम दरबार भगवान राम के सम्मान के दरबार को दर्शाता है,
जिसमें उनके साथ उनकी पत्नी सीता, उनके भाई लक्ष्मण और उनके प्रबल भक्त हनुमान हैं। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार राम दरबार को अपने घर या कार्यस्थल पर रखने से जीवन में शांति आती है और इससे एक आध्यात्मिक वातावरण स्थापित होता है।
घर के मंदिर में राम दरबार की पूजन विधि और नियम
यदि आप अपने घर के मंदिर में राम दरबार रखना चाहते हैं तो यह ध्यान रखें कि राम दरबार की विधि-विधान और श्रद्धा भाव से पूजा करें। सर्वप्रथम राम दरबार को गंगा जल से साफ करें। राम दरबार को किसी चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर रखना चाहिए। राम दरबार में भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी बैठे हुए होने चाहिए। राम दरबार को पूर्व दिशा में लगाना चाहिए क्योंकि इस दिशा को शुभ माना जाता है। राम दरबार में भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी को पीले रंगे के वस्त्र अर्पित करने चाहिए। भगवान राम जी को फल, पुष्प, रोली अक्षत आदि अर्पित कर, धूप और दीप जलायें। फिर आरती कर सबको प्रसाद दें। घर में लगे राम दरबार का दर्शन एवं पूजा, घर के सभी सदस्यों को करनी चाहिए। भगवान श्री राम ने धर्म और मर्यादा के लिए अपने जीवन में कभी समझौता नहीं किया।
राम दरबार के मुख्य सदस्य कौन हैं ?
घर में राम दरबार की फोटो होने से सदस्यों में त्याग और सहयोग की भावना होती है। राम दरबार यानि राम जी का दरबार, जिसमें वह पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और अपने भक्त हनुमान के साथ होते हैं। राम दरबार में सबसे मुख्य भगवान राम होते हैं। राम दरबार भगवान राम के राज्य का प्रतिनिधित्व करता है। इसे राम राज्य के नाम से भी जाना जाता है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कई ऐसे कार्य किये जो कि सभी लोगों के लिए एक आदर्श हैं। भगवान राम का जीवन धर्म, सत्य, प्रेम, सदाचार, करुणा और मर्यादा के लिए पूरी तरह समर्पित रहा है। यही मुख्य वजह भी है कि घर के मंदिर में भगवान राम का दरबार लगाया जाता है और उसका पूजन किया जाता है। राम दरबार में आप राम परिवार की प्रतिमाओं की स्थापना कर सकते हैं। राम दरबार जीवन और आत्मा के पूर्ण मिलन को दर्शाता है।
राम दरबार, भगवान राम के उनके सभी प्रिय सदस्यों के साथ संबंधों को दर्शाता है। उनकी पत्नी सीता, जो हर सुख-दुख में हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं और जिन्होंने एक आदर्श पति-पत्नी के रिश्ते का आदर्श उदाहरण स्थापित किया। भाई लक्ष्मण जो हमेशा भगवान राम के साथ छाया की तरह रहते थे और पूरे साहस और वीरता के साथ उनकी रक्षा करते थे। भाई लक्ष्मण ने हमेशा अपने भाई का साथ दिया चाहे कैसी भी चुनौती सामने आई हो। उन्होंने हमेशा विपरीत परिस्थितियों का डटकर मुकाबला किया। साथ ही हनुमान जी, जिनके दिल में राम और सीता बसते थे। वो भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हैं, वो भगवन राम के प्रति पूरी तरह समर्पित थे। उनकी भक्ति इससे जाहिर होती है कि वह अपनी भक्ति दिखाने के लिए अपनी छाती फाड़ने को भी तैयार रहते थे।
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blogalien · 3 years
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बुधवार की आरती कथा-विधि I सप्तवार व्रत कथा I
बुधवार की आरती कथा-विधि I सप्तवार व्रत कथा I
बुधवार की आरती कथा-विधि हिंदी में  Budhvar Vrat Katha   बुधवार की आरती कथा-विधि : बुधवार के व्रत की कथा और आरती किस प्रकार से कैसे करें ! हमारे सनातन में हर वार की व्रत कथा और आरती का महत्त्व बताया गया है ! सप्तवार व्रत कथा के बारे में जानने के लिए हम एक सप्तवार व्रत कथा की सीरिज ला रहे है ! इसको पढ़कर आप इसके महत्त्व को जाने !      -: सप्तवार व्रत,आरती कथा-विधि :- रविवार की आरती कथा-विधि सोमवार…
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jeetendraks · 6 years
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आस्था के नाम पर मानवता का विनाश (Destruction of humanity in the name of faith)
नमस्कार,
आज हम २१ सदी में जी रहे है, और हम आधुनिक युग में प्रवेश कर रहे है, लेकिन हमे अभी तक अपने आसपास हो रही अनेक घटनाओं व क्रियाओ को देखकर कई बार शंका होने लगती है कि क्या हम आधुनिक बन पा रहे है? आधुनिकता का प्रमुख लक्ष्ण है वैज्ञानिक तथा तार्किक दृष्टिकोण, परन्तु तथाकथित शिक्षित और जागरूक लोग भी जब ऐसे काम करते दिखाई देते है, जो वैज्ञानिकता से कोसो दूर हो तो शंका होने स्वाभाविक है। कुछ वर्ष पहले की बात है, मेरठ जिले की घटना जो हमने समाचार पत्र में पढ़ा था, की तांत्रिक के कहने पर सात वर्ष के बालक की हत्या करके उसे काली देवी की मूर्ति पर अर्पित कर दिया गया। यह काम किसी गैर ने नही, बल्कि बालक के माँ-बाप ने ही किया। अपने ही संतान को अपने हाथो मारकर इसलिए बलि चढ़ाए कि उन्हें विश्वास दिलाया गया था कि पुत्र की बलि पाकर काली माँ प्रसन्न होंगी और उनकी गरीबी तथा दुसरे कष्ट दूर हो जायेगा। कयोकि तांत्रिक ने उसे बताया था कि अपने पुत्र की बलि चढाने से आप के सारे कष्ट दूर हो जायेंगे।
       यदि इस प्रकार की घटने व्यक्तिगत विश्वास या आस्था तक सिमित होती तो बात दूसरी होती, किन्तु स्थिति दु:खद इसलिए है कि ये अमानवीय अपराध धर्म के नाम पर होते है। आमतौर पर इन धटनाओ को धार्मिक समर्थन मिलने के कारण इनका जोरदार विरोध नही हो पाटा तथा इनके विरुद्ध बोलने वालो को नास्तिक और अधार्मिक घोषित करके उनकी बात के महत्व को समाप्त कर दिया जाता है। झूठे धर्म का यह जोश और नशा कुछ लोगो के अपनी जान लेने को भी  दुष्प्रेरित करता है। किसी अज्ञात, अस्पष्ट और सूक्ष्म कामना की पूर्ति के लिए   दुसरो की बली और तथाकथित मोक्ष की चाह में आत्मदाह की धटनाये यही बताती है कि धर्म के चमत्कारों से मनोकामनाए पूरी हो सकती है। ये अन्धविश्वास अब भी  हमारे समाज में कई लोगो के मन में गहराई से जेड जमाए हुए है।
       चमत्कारों के प्रति आकर्षण और आस्था कुछ तो हमारी मनोवैज्ञानिक दुर्बलता का परिणाम है और कुछ हमारे परम्परागत संस्कारों का। शिक्षा, विज्ञान, और तर्कशील व्यक्तियों के प्रयासों से इन अन्धविश्वासो की धुल कुछ झडती है, परन्तु चमत्कारों के बल पर धर्म की दूकान चलाने वालो तथा धर्म के प्रचारको द्वारा अन्धविश्वासो को गरिमामंडित करने के सतत प्रयासों की कृपा से धुल की परत और मोती होने लगती है। नए-नए योगी, तथाकथित गॉडमैंन व अवतारी ��ुरुर्ष आये दिन प्रकट होकर अध्यात्म और धर्म की आड़ में लोगो को निष्क्रिय आस्था की अफीम खिलते रहते है।
       इन धर्म के ठेकेदारों ने परम्परागत विधियों से उपर उठकर प्रचार व प्रवचन की हाईटेक विधिय विकसित कर ली है। इनकी सभा अब विशाल पैमाने पर आयोजित होती है और टी वी, वीडियो, कम्पूटर आदि का सहारा लेकर अपनी बात नई पीढ़ी के लिए विश्वस्तरीय बनाने का प्रयास किया जाता है। यह पूरा आयोजन व्यावसायिक स्तर पर होता है। प्रवचन के आयोजन का प्रबंध बड़े-बड़े ठेकेदारों को सौपा जाता है तथा प्रचार के लिए विज्ञापन कंपनियों की मदद ली जाती है। इन उपायों से अंधविश्वास और निष्क्रिय आस्था का जहर लोहो को अधिक प्रभावी ढंग से दिया जाने लगा है। सोशल मिडिया और विज्ञापनों के माध्यम से तंत्र विद्या तथा ज्योतिष जैसी अनुमानजनित विद्याओं की आड़ में लोगो को भाग्यवादी बनाकर अनेक तथाकथित ज्योतिष एवं तांत्रिक अपना उल्लू सीधा कर रहे है।
       अब तो धर्म और नैतिकता के नाम पर स्वतंत्र टी वी चैनल भी  अन्धविश्वास की इन गलियों में घुस आये है। इससे धर्म-प्रचार ने एक सुव्यवस्थित व्यावसायिक रूप ले लिया है। दुर्भाग्य से कुछ राजनितिक,सामाजिक और सांस्कृतिक स्नाग्थान अपनी इस सोच था सत्ता-सुख के लोभ से प्रेरित होकर इस तरह के आयोजन का न केवल समर्थन कर रहे है, बल्कि उनमे सक्रीय योगदान करके उन्हें विस्वसनीयता तथा सामाजिक मान्यता प्रदान करके अन्धविश्वासो के अन्धकार को और घर बना रहे है। बड़ा विचित्र लगता है कि भौतिकता की दौड़ में जो वर्ग आधुनिक से अति आधुनिक बन्ने को उत्सुक है, वही विचार और आस्था के स्तर पर सदियों पीछे जाने पर तुले है।
       धर्म के नाम पर दूकान चलाने में इन लोगो के सफल होने का मुख्य कारण संभवतः यह है कि ईश्वर अथवा धर्म के संबंध में चर्चा करते हुए यही खा जाता है कि धर्म को समझने के लिए बुध्धि या दिमाग की नही, बल्कि श्रध्दा और भावना की आवश्यकता है। अन्धश्रध्दा के इस चश्मे का ही प्रताप है कि धार्मिक रुझान वाले अनेक लोगो को अवतारों का चोंगा पहनकर स्वार्थसिद्ध करने वालो का असली रूप दिखाई नही देता। वातानुकूलित कक्षों में निवास करने वाले ये आचार्य, भगवान और स्वामी दुसरो को त्याग और वैराग्य का उपदेश देते नही थकते। ये ईश्वरीय लोग अशिक्षित समुदाय को ही नही, शिक्षित वर्ग को भी गुमराह कर रहे है। आप आये दिन इन ढोंगियों को जेल में जाते देख सकते है।
       अगर मान भी लिया जाय कि ये लोग असंभव कार्य करने की शक्ति रखते है तो इसके लिए उनकी पूजा क्यों की जाय? यदि चमत्कार ही पूजा अथवा आस्था की कसौटी है तो उन वैज्ञानिको की पूजा क्यों नही की जाति जिन्होंने हमारे लिए चमत्कारपूर्ण अविष्कार किये है, और मनुष्य को चाँद तक पहुचा दिया है। उन वैज्ञानिको और चिकित्सको की आरती क्यों नहीं उतारी जाति जिन्होने औषधियों की खोज की जो मनुष्य का सर्वनाश करने वाले रोगों को नियंत्रित करने का चमत्कार कर दिखाया है।
       अगर आप में वास्तव में आस्था है तो आप के अंदर से क्रोध, घृणा, लोभ और अहंकार का कोई जगह आप के हृदय में रहता ही नही है। अगर आप अपने अंदर इन सब चीजो की मौजूदगी पाते है कही न कही एक भ्रम की चादर आप के मन के उपर चढ़ा हुआ है। इसे दूर करने के लिए आप को तर्कशील होना भी  जरुरी हो जाता है, और आप अपने भीतर उठ रहे प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रायस करते है तो निश्चित रूप से इस प्रकार के भ्रम से बाहर आने का एक सशक्त मार्ग मिल जाता है। आप ने अपने आस-पास बहुत सारे ऐसे बाबाओं का नाम और चमत्कारों के बारे में आवश्य सुना होगा जो आप हर समस्या का समाधान करने का दवा करते है, और जन-सधारण इनके चंगुल में फास भी जाते है। आज-कल के पढ़े लिखे युवा भी इस कुरीति का शिकार होते जा रहे है, वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अन्धविश्वास और चमत्कारों में पड़ जाते है, और अपना जीवन में मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर लेते है।
       ईश्वर अथवा किसी परमसत्ता में विश्वास, पूजा-अर्चना तथा अध्यात्म ये सभी मनुष्य की सहज प्रवृत्तिय है जो हमे शक्ति देती है। परन्तु अन्धविश्वासो और छोटे-मोटे चमत्कारों से प्रभावित होकर कर्म करने की बजाय तंत्र-मन्त्र में माध्यम से सफलता पाने की कामना करना नकारात्मक धारणा है जो हमे पतन की ओर ले जाति है। आस्था और अन्धविश्वास में सुक्ष किन्तु अति महत्वपूर्ण अंतर है। जन-समान्य में तर्क और विवेक का सनचार करके इस अंतर के बारे में समझ को विकसित करके ही हम उन्हें अंधविश्वासो तथा चमत्कारों की अंधी गलियों की बढने से रोक सकते है।
 धन्यबाद,
जितेन्द्र कुशवाहा
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hindistoryblogsfan · 4 years
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अभी अधिक मास चल रहा है। इस माह की पूर्णिमा गुरुवार, 1 अक्टूबर को है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। हिन्दी पंचांग के अनुसार अधिक मास तीन साल में एक बार आता है, इस कारण इस पूर्णिमा का महत्व काफी अधिक है। ये माह 16 अक्टूबर तक चलेगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार गुरुवार और पूर्णिमा के योग में नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने की परंपरा है।
अधिक मास की पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। सूर्य के मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें।
अभी कोरोना की वजह से नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर नदियों और तीर्थों के नामों का जाप करते हुए स्नान करना चाहिए। पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करना चाहिए। भगवान को हलवे का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
इस दिन सूर्यास्त के तुलसी के पास दीपक जलाएं। परिक्रमा करें। चंद्र उदय के बाद चांदी के लोटे में दूध भरकर चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित करें।
अधिक मास में भगवान विष्णु के साथ ही शिवजी, श्रीकृष्ण, श्रीराम, हनुमानजी और अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा करनी चाहिए।
तीन साल में एक बार आता है अधिक मास
हिन्दी पंचांग के अनुसार एक चंद्र वर्ष में 354 दिन होते हैं। जबकि एक सूर्य वर्ष में 365 दिन और करीब 6 घंटे होते हैं। इन दोनों सूर्य और चंद्र वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर रहता है। हर तीन साल में ये अंतर 1 महीने के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को खत्म करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास यानी अधिक मास की व्यवस्था की गई है।
पूर्णिमा पर घर में क्लेश नहीं करना चाहिए। अधार्मिक कामों से बचें। घर-परिवार और समाज में किसी का अनादर न करें। छोटे-बड़े सभी लोगों का सम्मान करें।
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More month's full moon on October 1, Yoga and coincidence being formed on this date, what to do and what not to do on this day
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bhaktibharat · 2 years
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✨ गणेशोत्सव 2022 - Ganeshotsav specials
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गणेशोत्सव क्यों कब, कहाँ और कैसे? ❀ श्री गणेश चतुर्थी❀ अनंत चतुर्दशी / गणपति विसर्जन
गणेशोत्सव आरती: ❀ जय गणेश जय गणेश❀ शेंदुर लाल चढ़ायो❀ श्री सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई: जय देव जय देव
श्री गणेश चालीसा: ❀ गणेश चालीसा
गणेशोत्सव मेसेज: ❀ गणेशोत्सव शुभकामना मेसेज
गणेश मंत्र: ❀ वक्रतुण्ड महाकाय! श्री गणेश मंत्र❀ गणेश शुभ लाभ मंत्र❀ गणेश अंग पूजा मंत्र❀ गजाननं भूत गणादि सेवितं❀ गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि।❀ श्री गणेशपञ्चरत्नम् - मुदाकरात्तमोदकं❀ नामावली: श्री गणेश अष्टोत्तर नामावलि❀ ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र❀ हरिद्रा गणेश कवचम्❀ संकटनाशन गणेश स्तोत्र - प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम
गणेशोत्सव भजन: ❀ घर में पधारो गजानन जी❀ गणपति आज पधारो, श्री रामजी की धुन में❀ मेरे लाडले गणेश प्यारे प्यारे❀ गाइये गणपति जगवंदन❀ गौरी के नंदा गजानन, गौरी के नन्दा
श्री गणेश कथा: ❀ अनंत चतुर्दशी की पौराणिक कथा
प्रेरक कहानी: ❀ दद्दा की डेढ़ टिकट❀ गणेश विनायक जी की कथा❀ तुलसीदास जी द्वारा श्री रामचरितमानस की रचना
श्री गणेश मंदिर: ❀ पुणे शहर के प्रसिद्ध मंदिर❀ दिल्ली के प्रसिद्ध श्री गणेश मंदिर❀ श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर, मुंबई❀ श्री कसबा गणपति मंदिर, पुणे❀ दगडूशेठ गणपति मंदिर, पुणे❀ सारसबाग गणपती मंदिर, पुणे❀ बंगाली बाबा श्री गणेश मंदिर, जयपुर❀ श्री सिद्धी गणेश मंदिर, गुरुग्राम❀ गणेश टेकरी, नाथद्वारा
भोग प्रसाद: ❀ पारंपरिक मोदक बनाने की विधि❀ बेसन के लड्‍डू बनाने की विधि❀ मावा के मोदक बनाने की विधि❀ केसर मोदक बनाने की विधि
ब्लॉग: ❀ संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी में क्या अंतर है?❀ बटगणेश मंदिर, पुरी जगन्नाथ मंदिर में गणेश चतुर्थी 📲 https://www.bhaktibharat.com/blogs/shri-ganeshotsav-specials
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