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#बौनापन
sanskritiias · 2 years
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UPSC Current Affairs & Prelims Questions | Based on Newspaper | 29 Aug 2022 आज के इस वीडियो में निम्नलिखित टॉपिक पर चर्चा की गयी है। 👉 भारत और बांग्लादेश: संयुक्त नदी आयोग की बैठक 👉 पेन-प्लस रणनीति 👉 बेनामी लेनदेन अधिनियम 👉 प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2022 👉 धान का बौनापन 👉 स्मार्ट इंडिया हैकथॉन https://youtu.be/j30n9_aSaTw https://www.instagram.com/p/Ch2Vmsdv3Af/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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news-trust-india · 3 years
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UP Cabinet Decision: एसिड अटैक पीड़ित को मिलेगा दिव्यांग आरक्षण
UP Cabinet Decision: एसिड अटैक पीड़ित को मिलेगा दिव्यांग आरक्षण
लखनऊ। UP Cabinet Decision: उत्तर प्रदेश में अब एसिड अटैक पीड़ित को भी दिव्यांग आरक्षण का लाभ मिलेगा। योगी आदित्यनाथ सरकार ने बौनापन, रोगमुक्त कुष्ठ और बौद्धिक दिव्यांगता को भी नई आरक्षण सूची में शामिल किया है। बुधवार को मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बाद और पदों के पुनर्चिन्हांकन से नई श्रेणी के दिव्यांगों को लाभ मिलेगा। Monsoon Session Updates: संसद में विपक्ष का हंगामा UP Cabinet Decision: दिव्यांगजन…
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sablogpatrika · 3 years
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बेमिसाल शिक्षक और जनसरोकारों के लिए जूझने वाली योद्धा दविंदर कौर उप्पल
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  माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंचार विभाग की अध्यक्ष रहीं प्रो. दविंदर कौर उप्पल का जाना एक ऐसा शून्य रच रहा है, जिसे भर पाना कठिन है। वे एक बेमिसाल अध्यापक थीं, बेहद अनुशासित और अपने विद्यार्थियों से बहुत ज्यादा उम्मीदें रखने वालीं। उन्होंने पढ़ने- पढ़ाने, फिल्में देखने, संवाद करने और सामाजिक सरोकारों के लिए सजग रहते हुए अपनी पूरी जिंदगी बिताई। उनके पूरे व्यक्तित्व में एक गरिमा थी, नफासत थी और विलक्षण आत्मानुशासन था। वे लापरवाही और कैजुअलनेस के बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाती थीं। बेलाग और बेबाक। उन्हें अगर लगेगा कि यह ठीक नहीं है तो वे बोलेंगीं। जरूर बोलेंगी। सामने उनका विद्यार्थी है या कुलपति, इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता। एक बहुत छोटे शहर शहडोल के एक कस्बे से निकल चंडीगढ़, सागर होते हुए वे भोपाल में आईं। इन अनुभवों ने उन्हें गढ़ा था। बनाया था। वे माखनलाल विश्वविद्यालय के जनसंचार में मेरी अध्यापक रहीं। बाद के दिनों में मुझे उनके साथ काम करने का मौका उनके विभाग में ही मिला। मैं सौभाग्यशाली हूं कि उनकी अकादमिक विरासत और उनका विभागीय उत्तराधिकार भी मुझे मिला। मैं उनकी सेवानिवृत्ति के बाद दस वर्षों तक जनसंचार विभाग का अध्यक्ष रहा। वे बेहद गरिमामय और सहजता से नए नेतृत्व को तैयार का बड़ा मन रखती थीं। अपनी सेवानिवृत्ति के काफी पहले ही उन्होंने कुलपति के आदेश से मुझे विभाग का समन्वयक बनाने का आदेश जारी करवा दिया। उस समय के तत्कालीन कुलपति श्री अच्युतानंद मिश्र से मैंने कहा “सर मैडम के रहने तक उनके साथ ही काम करना ठीक है। छोटा सा विभाग है, दो लोगों की क्या जरूरत।” उन्होंने कहा कि “मैडम ने ही कहा कि संजय को अब जिम्मेदारियां संभालने का अभ्यास करना चाहिए।” मैंने मैडम से कहा “आप ऐसा क्यों कर रही हैं।”उन्होंने कहा कि“ अब मैं फिल्में देखूंगी, किताबें पढ़ूंगी। अब तुम संभालो। कल संभालना ही है, तो अभी प्रारंभ करो।”मैंमीडिया की दुनिया से आया था,इस तरह उन्होंने मुझे अकादमिक क्षेत्र के लिए तैयार किया। जनसंचार शिक्षा के क्षेत्र में, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में उनका नाम बहुत बड़ा है। वे शोध में खास रूचि रखती थीं और विद्यार्थियों को प्रेरित करती थीं। अनेक विद्यार्थियों में उन्होंने वह आग जगाई, जिसे लेकर वे जीवन युद्ध में सफल हो सके। संचार, विकास संचार, शोध और सिनेमा उनकी खास रूचि के विषय थे। विकास के मुद्दों पर उनकी गहरी रूचि थी, ताकि सामान्य जनों की जिंदगी में उजाला लाया जा सके। विकास और जिंदगी से जुड़े मुद्दों पर उन्होंने अनेक रेडियो कार्यक्रम बनाए। इसरो के साथ झाबुआ प्रोजेक्ट में काम किया। उनके ��ेडियो रूपक ‘एक कंठ विषपायी’ को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।इसे 2016 का सबसे अच्छा महिला कार्यक्रम घोषित किया गया। यह कार्यक्रम रशीदा बी और चंपा बाई पर केंद्रित था, जिनका परिवार भोपाल गैस त्रासदी ने बरबाद कर दिया था। भोपाल गैस त्रासदी के बाद गैस पीड़ितों के संर्घष में, नर्मदा बचाओ आंदोलन में भी उनका सहयोग रहा। वे सामाजिक सरोकारों से गहरे जुड़कर बड़ी संवेदना के साथ विषयों को रखती थीं। किंतु कहीं से उनके मन में किसी के प्रति दुराव नहीं था। अपने आग्रहों के साथ रहते हुए भी वे वैचारिक छूआछूत से भी दूर थीं, नहीं तो हम जैसे अनेक विद्यार्थी उनके निकट स्थान कैसे पाते। उनका दिल बहुत बड़ा था और मन बहुत उदार। ऊपर से कड़े दिखने के बाद भी वे गहरी ममता और वात्सलल्य से भरी हुई थीं। बहुत खिलखिलाकर हंसना और हमारी गलतियां भूल जाना, उनकी आदत थी। सागर विश्वविद्यालय से लेकर एमसीयू तक उनकी एक लंबी शिष्य परंपरा है। उनके विद्यार्थी आकाश की ऊंचाई पर हैं, लेकिन उनके सामने बौनापन महसूस करते। बिना समय लिए आप उनसे मिल नहीं सकते। उनकी अपनी जिंदगी थी, जो वे अपनी शर्तों पर जी रही थीं। मुझे नहीं पता कि कितने लोग मेरी तरह बिना समय लिए उनके पास चले जाते थे, पर पहुंचने पर वे थोड़ा अनमनी हो जाती थीं, कुछ देर बाद ही सामान्य होतीं। मैं जानता कि समय लेने पर वे कम से कम एक सप्ताह बाद ही बुलाएंगी, जबकि मेरी आदत है जिन रास्तों से गुजरो वहां अपनों के घर दस्तक देते जाओ। मेरे गुरू अब स्वर्गीय प्रो. कमल दीक्षित भी कहते थे –“फोन कर लिया करो पंडित अगर मैं इंदौर में होता तब।” मैं कहता “सर मैं दिल की आवाज पर चलता हूं, शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि आप न मिले हों।”उप्पल मैम हर चीज में टोकतीं पर मैं अपनी करता। वे पैरछूकर प्रणाम को बुरा मानती थीं,पर मैंने कभी उनकी बात नहीं मानी। पर वे कहना नहीं भूलतीं और बाद के दिनों में एक दिन उन्होंने कहा अब बहुत बड़े हो गए हो, अच्छा नहीं लगता। मैं उनसे कहता मैम हम अपने अध्यापक से बड़े कैसे हो सकते हैं। उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद अपनी बहुत सी किताबें, पत्रिकाएं मुझे दीं और हिदायत भी कि कुछ गंभीर लेखन करो। उन्हें मेरा अखबारी लेखन पसंद था, किंतु वे ज्यादा उम्मीदें रखती थीं। मेरी बेटी शुभ्रा के जन्म के मौके पर वे बहुत खुश हुयीं। घर आईं बहुत और प्यार जताया। ऐसे मौके पर उनका वात्सल्य साफ दिखता था। मेरी पत्नी भूमिका और बेटी शुभ्रा उनके लिए मुझसे ज्यादा खास थे। उनके हर फोन पर काम की बातें बाद में पहले शुभ्रा और भूमिका की चिंता रहती थी। मेरे आईआईएमसी के महानिदेशक बनने पर उनका फोन आया और बोलीं“बधाई डीजी साहब।” मैंने कहा “मैम आशीर्वाद दीजिए”। उन्होंने हंसते हुए कहा “वो तो तुम जबरिया ले ही लेते हो।” उनकी आवाज में एक अलग तरह की खुशी मैंने महसूस की। कालेज और स्कूलों में आती लड़कियां उन्हें पंसद थीं। वे स्त्रियों के अधिकारों और उनके सम्मान को लेकर बहुत सजग थीं। महिलाओं को अधिकार दिलाने के मुद्दों पर काम करना उनको भाता था। वे बहुत खुश होतीं जब ग्रामीण और सामान्य घरों से आने वाली छात्राएं कुछ बेहतर करतीं। उनका वे विशेष ध्यान और संरक्षण भी करती थीं। मुझे लगता है, संवेदना के जिस तल पर वे सोचती और काम करती थीं, हम वहां तक नहीं पहुंच पाए। हमारे हिस्से सिर्फ यह गर्व आया कि हम उप्पल मैम के विद्यार्थी हैं। काश उनके सुंदर, संवेदना से भरे और पवित्र मन का थोड़ा हिस्सा हमें भी मिलता तो शायद हम ज्यादा सरोकारी, ज्यादा मानवीय हो पाते। उनकी यादें बहुत हैं। मन विकल है। पूरी जिंदगी उन्होंने किसी की मदद नहीं ली, अब जब वे जा चुकी हैं तो भी हम उनसे बहुत दूर हैं, बहुत दूर। उन्होंने हमें कामयाब जिंदगी दी, नजरिया द���या और वे सूत्र दिए जिनके सहारे हम अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकते थे। लेकिन हमारे मन पर ताजिंदगी कितना बोझ रहेगा कि हम उनके आखिरी वक्त पर उनके पास नहीं हैं। मैं ही नहीं उनके तमाम विद्यार्थी ऐसा ही सोचते हैं। इस कठिन समय में उनका जाना अतिरिक्त दुख दे गया है। हमारी दुनिया और खाली हो गयी है। भावभीनी श्रद्धांजलि।  . 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chaitanyabharatnews · 5 years
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9 साल का ये मासूम कर रहा है मरने की मांग, करोड़ों लोगों ने देखा मां द्वारा शेयर किया यह वीडियो
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चैतन्य भारत न्यूज ब्रिस्बेन. यदि मासूम बच्चे अन्य किसी बच्चों से कुछ अलग नजर आएं और लोग उसे चिढ़ाएं तो निश्चिततौर पर उस मासूम को दुख होगा। ऐसा ही एक मामला ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन के एक स्कूल से सामने आया है। जहां 9 साल के छोटे कद के छात्र क्वादेन बेल्स को उसके साथी चिढ़ाते हैं जिससे वह इतना ज्यादा परेशान हो गया कि उसने मरने की इच्छा जाहिर कर दी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); 9 year old wanting to commit suicide due to being bullied. 💔💔💔🥺 pic.twitter.com/DysTrmlaiD — YouDontNeedToKnowMyName (@S11E11B11A) February 20, 2020 इस बच्चे की मां जब उसे स्कूल से वापस लेने गई तो वह खुद को रोक नहीं सका और रोने लगा। मां ने फैसला किया कि वह अपने बच्चे का वीडियो बनाएगी ताकि बुलीइंग  (बच्चों का एक दूसरे को सताना) के असर को लोगों, पैरेंट्स और शिक्षकों को दिखा सके। ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली मां और बच्चे का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है और इसे करोड़ों लोगों ने देखा है। क्वादेन बेल्स बौनापन की समस्या से जूझ रहा है और उसकी हाईट कम है। इसकी वजह से स्कूल में उसे बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता है। क्वादेन की मां याराका ने उसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया। Quaden - you’ve got a friend in me. #BeKind @LokelaniHiga https://t.co/8dr3j2z8Sy pic.twitter.com/jyqtZYC953 — Hugh Jackman (@RealHughJackman) February 20, 2020 हजारों लोग क्वादेन के समर्थन में आगे आए। वहीं खुद बौनेपन का सामना करने वाले एक कॉमेडियन ब्रैड विलियम्स ने बच्चे को अमेरिका बुलाकर डिजनीलैंड घूमाने के लिए GoFundMe कैंपेन शुरू कर दिया। ब्रैड ने कहा कि किसी भी बच्चे को इस तरह की तकलीफ नहीं पहुंचनी चाहिए। ब्रैड ने ऑनलाइन फंड इकट्ठा करने के दौरान सिर्फ 7 लाख रुपए की मांग की थी, लेकिन देखते ही देखते 12 हजार से अधिक लोग आगे आए और करीब 3 करोड़ 32 लाख रुपए इकठ्ठा हुए। ब्रैड ने बताया कि वह क्वादेन को अमेरिका घुमाएंगे। इसके बाद जो पैसा बचेगा उसे बौनेपन से जुड़ी चैरिटी संस्थाओं को दे दिया जाएगा। इसके अलावा क्वादेन को राष्ट्रीय रगबी लीग की इंडिजेनियस (स्वदेशी) ऑल स्टार्स टीम ने भी माओरी ऑल स्टार्स से होने वाले अपने मैच देखने के लिए आमंत्रित किया था। क्वादेन को एक्स मैन के सुपरहीरो वुलवरीन ने कहा- "मैं तुम्हारा दोस्त हूं, वुलवरीन ह्यू जैकमैन... क्या तुम जानते हो कि तुम अपनी सोच से ज्यादा शक्तिशाली हो। चाहे जो भी मैं तुम्हारा दोस्त हूं।' ये भी पढ़े... इंसान के सिर पर उग आया ‘सींग, डॉक्टर भी हुए हैरान, ऑपरेशन कर निकाला महिला के हाथ-पैर में 31 उंगलियां, गांव वाले बुलाते थे ‘डायन’, अब गिनीज बुक में नाम दर्ज अजब-गजब: महिला के दांतों-मसूड़ों में उग रहे हैं बाल, बीमारी देख डॉक्टर भी हुए हैरान जर्मनी के शख्स के मुंह से निकला दुनिया का सबसे लंबा दांत, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज Read the full article
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‘विश्व खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति’ (The State of Food Security and Nutrition in the World) एक वार्षिक रिपोर्ट है, जो संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), कृषि विकास अंतरराष्ट्रीय कोष (IFAD), यूनिसेफ (UNICEF), डब्ल्यूएफपी (World Food Programme) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया जाता है।
वर्तमान संदर्भ  
15 जुलाई, 2019 को संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (UNFAO) द्वारा ‘विश्व खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति, 2019’ नामक रिपोर्ट जारी किया गया।
यह रिपोर्ट भूख को समाप्त करने, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने और पोषण में सुधार लाने तथा पोषण के क्षेत्र में विश्लेषणात्मक प्रगति की सूचना उपलब्ध कराने के साथ ही सतत विकास लक्ष्य (SDG) 2030 को प्राप्त करने में आने वाली चुनौतियों से अवगत कराती है।
महत्वपूर्ण तथ्य
गौरतलब है कि वर्ष 2018 में 820 मिलियन (82 करोड़) से अधिक लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं था।
लगभग एक दशक की प्रगति के बाद विगत तीन वर्षों में भुखमरी से ग्रस्त लोगों की संख्या में सतत रूप से वृद्धि देखी गई।
विश्व भर में अल्प पोषित/न्यून पोषित लोगों की संख्या
वर्षसंख्या (मिलियन में)
2015785.4
2016796.5
2017811.7
2018821.6
वर्तमान रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में प्रत्येक नौवां व्यक्ति भुखमरी से ग्रस्त है, जबकि अफ्रीका में तो हर पांचवां व्यक्ति भूख से पीड़ित है।
लगभग 2 बिलियन लोग (वैश्विक जनसंख्या का 26.4%) खाद्य सुरक्षा के मध्यम स्तर (Moderate Level) और खाद्य सुरक्षा के गंभीर स्तर (Severe Level) से प्रभावित हैं।
5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु में मातृत्व और बाल कुपोषण का योगदान 45 प्रतिशत है।
वर्ष 2015 में विश्व स्तर पर लगभग 20.5 मिलियन या हर सातवां जीवित बच्चा, जन्म के समय कम वजन से प्रभावित था।
बच्चों में बौनापन (Stunting) अर्थात उम्र के सापेक्ष छोटा कद की समस्या में कमी पाई गई। वर्ष 2012 में ऐसे बच्चों की संख्या 165.8 मिलियन थी, जो वर्ष 2018 में कम होकर 148.9 मिलियन हो गई।
वर्ष 2018 में वैश्विक स्तर पर 5 वर्ष तक के 40.1 मिलियन बच्चे अधिक वजन (Overweight) से ग्रस्त हैं।
वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी और बेरोजगारी में वृद्धि तथा आय में गिरावट होने के कारण लोगों का भोजन और आवश्यक सामाजिक सेवाओं तक पहुंच, चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
विश्व में अल्पपोषण की व्यापकता/फैलाव (प्रतिशत में)
2005201020152018
विश्व14.511.810.610.8
अफ्रीका21.219.118.319.9
एशिया17.413.611.711.3
दक्षिण एशिया21.517.215.714.7
लैटिन व कैरेबियन अमेरिका क्षेत्र9.16.86.26.5
ओसनिया5.55.25.96.2
उत्तरी अमेरिका और यूरोप< 2.5< 2.5< 2.5< 2.5
सतत विकास लक्ष्य (SDG) 2030 का 2nd Goal ‘शून्य भूख’ को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति की निगरानी करना, भूख की समस्या को दूर करना, खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना और वर्ष 2030 तक कुपोषण के सभी रूपों को समाप्त करना इस रिपोर्ट का प्रमुख लक्ष्य है।
खाद्य सुरक्षा एवं पोषण रिपोर्ट : भारत
पिछले कुछ वर्षों में भारत के अंदर अल्पपोषण और कुपोषण की दरों में सुधार पाया गया। वर्ष 2006 से 2016 के बीच पांच वर्ष से छोटे बच्चों में स्टंटिंग की दर 48 प्रतिशत से कम होकर 38 प्रतिशत हो गई है।
भारत में कुपोषित लोगों की संख्या वर्ष 2004-2006 के सापेक्ष 25 करोड़ 39 लाख से कम होकर 2016-18 में 19 करोड़ 44 लाख हो गई है, साथ ही 18 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग में मोटापे के शिकार लोगों की संख्या में वृद्धि देखा गया।
भारत में पिछले कुछ वर्षों से भुखमरी से ग्रस्त लोगों की संख्या में कमी पाई गई। यह कमी लोक कल्याणकारी योजनाओं यथा पीडीएस के द्वारा मुफ्त या नाममात्र के मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना, मनरेगा या दूसरी योजनाओं के द्वारा निम्न मध्यम वर्ग को नियमित काम प्राप्त होने से आम-आदमी के खान-पान एवं जीवन शैली में सुधार पाया गया है। जिससे कुपोषण की समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों की संख्या में कमी देखी गई।
दूसरी तरफ विकास प्रक्रिया के द्वारा मध्यम आय वर्ग के आय में वृद्धि होने से उनके जीवन शैली (खान-पान) में बदलाव आया, जिससे मोटापे को बढ़ावा मिला।
विकासशील देशों में अल्पपोषण की समस्या अधिगम (Learning) परिणाम तथा उत्पादकता, दोनों ही दृष्टि से उच्च आर्थिक लागत का कारण बनती है। अतः बच्चों के आधारभूत विकास के लिए शिक्षा एवं पोषण के मध्य एक मजबूत सह-संबंध पाया जाता है।
निष्कर्ष
यह उचित ही है कि बिना खाद्य सुरक्षा की समस्या हल किए बगैर सतत विकास लक्ष्य 2030 को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा इच्छा शक्ति की कमी विशेष रूप से मानव निर्मित कारण अर्थात आपसी संघर्ष, आर्थिक संकट, जलवायु परिवर्तन, लोगों का प्रवास आदि के चलते भूख की समस्या पिछले कुछ वर्षों से बढ़ती जा रही है।
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cnnworldnewsindia · 6 years
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आंगनबाड़ी केंद्रों में हर माह होगा सुपोषण स्वास्थ्य मेला- Primary Ka Master
आंगनबाड़ी केंद्रों में हर माह होगा सुपोषण स्वास्थ्य मेला- Primary Ka Master
लखनऊ : मुख्य सचिव डॉ. अनूप चन्द्र पाण्डेय ने प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में हर महीने के पहले बुधवार को सुपोषण स्वास्थ्य मेला आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। कुपोषण से रोकथाम के लिए इसे सभी विभाग मिलकर जन आंदोलन के रूप में चलाएं। 1साथ ही तीन दिन के अंदर हॉट एंड कुक्ड फूड योजना शुरू करने व कुपोषण दूर करने के लिए चल रहे शबरी संकल्प अभियान के सफल संचालन के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलाने के निर्देश दिए हैं।1मुख्य सचिव शुक्रवार को अपने कार्यालय में राज्य पोषण मिशन की कार्यकारी समिति की बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शबरी पोषण मोबाइल एप के बेहतर संचालन के लिए प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों को स्मार्ट फोन उपलब्ध कराए जाएं। इस मौके पर राज्य पोषण मिशन ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 3498.88 लाख रुपये के अनुमानित खर्च का बजट पेश किया गया। इस पर समिति ने मुहर लगा दी। मुख्य सचिव ने कहा कि पोषण अभियान को जन अभियान के रूप में संचालित कराकर अधिक से अधिक पात्र लोगों को लाभांवित कराया जाए।उन्होंने पोषण अभियान के तहत मुख्य रूप से छह वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण की रोकथाम, बौनापन एवं एनीमिया की स्थिति में सुधार लाने के लिए कार्यक्रमों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 15-49 वर्ष की किशोरियों व महिलाओं में एनीमिया की कमी के साथ-साथ कम वजन की स्थिति में प्रति वर्ष दो से तीन प्रतिशत की कमी लायी जाए। 1बैठक में वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की प्रमुख सचिव मोनिका एस. गर्ग, खाद्य एवं रसद विभाग की प्रमुख सचिव निवेदिता शुक्ला वर्मा सहित कई अन्य अधिकारी मौजूद थे।
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Read full post at: http://www.cnnworldnews.info/2018/08/primary-ka-master.html
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🌹🌹🌹🕉️🕉️रक्षा बन्धन की अनंत शुभकामनाएं।🌹🌹🌹🌹
रक्षा बंधन पर्व का आधार है, श्री हरि विष्णु का वामन अवतार ( बौना अवतार)। आजादी के पूर्व मुगल और अंग्रेजी शासन में और आज़ादी के बाद 60 वर्ष बाद तक भी लोकतांत्रिक राज्य को, बौनापन एक दिव्यांग है , नहीं दिखा। धन्यवाद मोदी जी, डॉ थावरचंद गहलोत जी को, जिन्होंने बौनापन से ग्रस्त को भी दिव्यांग की श्रेणी में रखकर सम्मान ही नहीं, समावेशन भी दिया।
वन्दे मातरम। भारत माता की जय
सक्षम भारत समर्थ भारत
https://youtu.be/odwnvpCn6YY
🌹🌹🌹🕉️Eternal wishes for Raksha Bandhan.🌹🌹
Raksha Bandhan's basis of the festival, the Vamana avatar (dwarf avatar) of Shri Hari Vishnu. In the pre-independence Mughal and English rule, and even after 60 years of independence, the democratic state did not show dwarfism as a Divyang. Thanks Modi ji, to Dr. Thawarchand Gehlot ji, who not only gave respect to inclusion in the category of Divyang, but also gave inclusion to dwarfism.
vande Mataram, Bharat mata ki jay
saksham Bharat Samarth Bharat
https://youtu.be/odwnvpCn6YY
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mp3lyricsstuff · 5 years
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Australia: School student upset about height, angry child says mom I want to kill myself – स्कूली बच्चों ने कद को लेकर किया परेशान, गुस्से में आकर बोला बच्चा
खास बातें
ऑस्ट्रेलिया में स्कूली बच्चों ने कद को लेकर किया परेशान
गुस्से में आकर बोला बच्चा- मैं खुद को मारना चाहता हूं
मां ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर किया पोस्ट
ब्रिसबेन:
ऑस्ट्रेलिया की एक महिला ने अपने बेटे का एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया पर डाला, जिसे देखने के बाद आप सोच में पड़ जाएंगे. यारका बेयल्स के बेटे क्वाडेन के कद को लेकर स्कूली बच्चों द्वारा लगातार सताए जाने पर बच्चे ने तंग आकर खुद को मार डालने की बात कह डाली. इसी का वीडियो बनाकर उसकी मां ने लोगों संग शेयर किया है. बच्चा वीडियो में रोते-रोते खुद को मारने की बात कहता है. यारका बेयल्स ने बुधवार को ब्रिसबेन में अपने स्कूल से नौ साल के बेटे क्वाडेन को पिक किया था. फेसबुक पर वीडियो में देखा जा सकता है कि जो लड़का बौनापन महसूस करता है, वह अपने स्कूल की ड्रेस में है और कार की सीट पर निराश होकर झुकता हुआ दिखाई दे रहा है. वह गुस्से में आकर बोला, “मुझे एक रस्सी दो, मैं खुद को मारने जा रहा हूं.”
सना खान ने बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप पर तोड़ी चुप्पी, इंटरव्यू में बोलीं- 20 दिनों से नींद की गोलियां…
बच्चे की मां बेयल्स अपने बेटे को देखते हुए कहती हैं कि “मैंने अभी-अभी अपने बेटे को स्कूल से पिक किया है, जहां एक सताने वाली एक घटना मैंने देखी. जिस पर प्रिंसिपल को बुलवाया, और मैं चाहती हूं कि लोग, माता-पिता, शिक्षक इसके बारे में जानें कि सताने और परेशान करने पर कितना प्रभाव पड़ता है.” 
टिप्पणियां
CAA-NRC पर US अधिकारी ने कहा, PM मोदी के सामने धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा उठाएंगे ट्रंप
करीब 6.46 मिनट के लंबे वीडियो के दौरान क्वाडन ने कहा कि ‘मैं अपने दिल में छुरा घोंपना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि कोई मुझे मार डाले.’ क्वाडेन की मां ने कहा कि वह एक छात्र को उसके सिर पर थपथपाती और उसकी ऊंचाई का मजाक उड़ाते हुए देखा. बेयल्स ने कहा, “वह रोते हुए अपनी कार की ओर भागा क्योंकि वह नहीं चाहता था कि स्कूल में कोई घटना का दृश्य बने. मुझे लगता है कि मैं एक अभिभावक के रूप में असफल हो रही हूं. मुझे लगता है कि शिक्षा प्रणाली विफल हो रही है.”
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shimlatimes · 5 years
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jansamachar · 6 years
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देश में आदिवासी बच्‍चों में 43.8% बौनापन : स्वास्थ्य राज्‍य मंत्री
देश में आदिवासी बच्‍चों में 43.8% बौनापन : स्वास्थ्य राज्‍य मंत्री
राष्‍ट्रीय परिवार एवं स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-4 (2015-16), के अनुसार आदिवासी बच्‍चों में बौनापन 43.8%, , कृश्‍ता  27.4% और कम वजन की व्‍यापकता 45.3%   है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्‍य मंत्री अश्‍विनी कुमार चौबे ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मंगलवार को यह जानकारी दी।
मंत्री द्वारा दिया गया विवरण इस प्रकार है :
ग्रामीण बच्‍चों की तुलना में शहरी बच्‍चों में अधिक वजन का…
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rajatgarg79 · 6 years
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बौनापन
बौनापन क्या है?
बौनापन इंसानों में आनुवांशिक या चिकित्सा स्थिति के कारण लम्बाई कम होने को कहा जाता है। बौनापन आमतौर पर 4 फीट 10 इंच या उससे कम की वयस्क ऊंचाई को कहा जाता है। बौनेपन वाले वयस्क लोगों की औसत लम्बाई 4 फीट होती है।
अधिकतर जिन माता-पिता की औसत लम्बाई होती है, उनके बच्चों में बौनापन देखने को मिलता है।
बौनेपन से होने वाली समस्याओं से अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जिनमें से अधिकतर समस्याओं का इलाज किया जा सकता है। जीवनभर नियमित जांच करना महत्वपूर्ण है। उचित चिकित्सा देखभाल से अधिकांश बौने लोग आम लोगों जैसे सक्रिय और उनके बराबर लम्बी ज़िन्दगी ही जीते हैं। 
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via https://www.myupchar.com/disease/dwarfism
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chaitanyabharatnews · 5 years
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9 साल का ये मासूम कर रहा है मरने की मांग, करोड़ों लोगों ने देखा मां द्वारा शेयर किया यह वीडियो
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चैतन्य भारत न्यूज ब्रिस्बेन. यदि मासूम बच्चे अन्य किसी बच्चों से कुछ अलग नजर आएं और लोग उसे चिढ़ाएं तो निश्चिततौर पर उस मासूम को दुख होगा। ऐसा ही एक मामला ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन के एक स्कूल से सामने आया है। जहां 9 साल के छोटे कद के छात्र क्वादेन बेल्स को उसके साथी चिढ़ाते हैं जिससे वह इतना ज्यादा परेशान हो गया कि उसने मरने की इच्छा जाहिर कर दी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); 9 year old wanting to commit suicide due to being bullied. 💔💔💔🥺 pic.twitter.com/DysTrmlaiD — YouDontNeedToKnowMyName (@S11E11B11A) February 20, 2020 इस बच्चे की मां जब उसे स्कूल से वापस लेने गई तो वह खुद को रोक नहीं सका और रोने लगा। मां ने फैसला किया कि वह अपने बच्चे का वीडियो बनाएगी ताकि बुलीइंग  (बच्चों का एक दूसरे को सताना) के असर को लोगों, पैरेंट्स और शिक्षकों को दिखा सके। ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली मां और बच्चे का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है और इसे करोड़ों लोगों ने देखा है। क्वादेन बेल्स बौनापन की समस्या से जूझ रहा है और उसकी हाईट कम है। इसकी वजह से स्कूल में उसे बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता है। क्वादेन की मां याराका ने उसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया। Quaden - you’ve got a friend in me. #BeKind @LokelaniHiga https://t.co/8dr3j2z8Sy pic.twitter.com/jyqtZYC953 — Hugh Jackman (@RealHughJackman) February 20, 2020 हजारों लोग क्वादेन के समर्थन में आगे आए। वहीं खुद बौनेपन का सामना करने वाले एक कॉमेडियन ब्रैड विलियम्स ने बच्चे को अमेरिका बुलाकर डिजनीलैंड घूमाने के लिए GoFundMe कैंपेन शुरू कर दिया। ब्रैड ने कहा कि किसी भी बच्चे को इस तरह की तकलीफ नहीं पहुंचनी चाहिए। ब्रैड ने ऑनलाइन फंड इकट्ठा करने के दौरान सिर्फ 7 लाख रुपए की मांग की थी, लेकिन देखते ही देखते 12 हजार से अधिक लोग आगे आए और करीब 3 करोड़ 32 लाख रुपए इकठ्ठा हुए। ब्रैड ने बताया कि वह क्वादेन को अमेरिका घुमाएंगे। इसके बाद जो पैसा बचेगा उसे बौनेपन से जुड़ी चैरिटी संस्थाओं को दे दिया जाएगा। इसके अलावा क्वादेन को राष्ट्रीय रगबी लीग की इंडिजेनियस (स्वदेशी) ऑल स्टार्स टीम ने भी माओरी ऑल स्टार्स से होने वाले अपने मैच देखने के लिए आमंत्रित किया था। क्वादेन को एक्स मैन के सुपरहीरो वुलवरीन ने कहा- "मैं तुम्हारा दोस्त हूं, वुलवरीन ह्यू जैकमैन... क्या तुम जानते हो कि तुम अपनी सोच से ज्यादा शक्तिशाली हो। चाहे जो भी मैं तुम्हारा दोस्त हूं।' ये भी पढ़े... इंसान के सिर पर उग आया ‘सींग, डॉक्टर भी हुए हैरान, ऑपरेशन कर निकाला महिला के हाथ-पैर में 31 उंगलियां, गांव वाले बुलाते थे ‘डायन’, अब गिनीज बुक में नाम दर्ज अजब-गजब: महिला के दांतों-मसूड़ों में उग रहे हैं बाल, बीमारी देख डॉक्टर भी हुए हैरान जर्मनी के शख्स के मुंह से निकला दुनिया का सबसे लंबा दांत, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज Read the full article
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