26 साल पूर्व घर से लापता हुआ बेटा साधु के वेश में पहुंचा घर,परिजन हुए भावुक
26 साल पूर्व घर से लापता हुआ बेटा साधु के वेश में पहुंचा घर,परिजन हुए भावुक
सहरसा। जिले के नवहट्टा प्रखंड के शाहपुर गांव में 26 वर्ष बाद साधु के वेश में परिवार से मिलने आये लापता बेटा को देख परिवार व ग्रामीण हतप्रद हो गये। पिता ने लापता बेटा को वर्षो पहले मृत मान चुका था।जब उसे सामने देखा तो वह फफक कर रो पड़ा। गेरुआ वस्त्र पहन कर घर लौटा बेटा भी अपने आंसू नहीं रोक सका। फिल्मी लगने वाले इस दृश्य को देख कर आस-पड़ोस के सैकड़ों लोग भी भावुक हो गए। पिता के साथ साथ पूरे परिवार…
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VIDEO: तुझ्याशिवाय आमचं लग्न होणं अशक्य होतं... त्या व्यक्तीबद्दल बोलताना अक्षया भावुक
VIDEO: तुझ्याशिवाय आमचं लग्न होणं अशक्य होतं… त्या व्यक्तीबद्दल बोलताना अक्षया भावुक
VIDEO: तुझ्याशिवाय आमचं लग्न होणं अशक्य होतं… त्या व्यक्तीबद्दल बोलताना अक्षया भावुक
Akshaya Deodhar and Hardeek joshi wedding छोट्या पडद्यावरील लोकप्रिय जोडी राणादा- पाठकबाई अर्थात हार्दिक जोशी आणि अक्षया देवधर यांनी खऱ्या आयुष्यातही एकमेकांचे आयुष्याचं जोडीदार झाले आहेत. या सेलिब्रिटी कपलच्या लग्नाची सोशल मीडियावर प्रचंड चर्चा झाली.
Akshaya Deodhar and Hardeek joshi wedding छोट्या पडद्यावरील…
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DAY 6003
Jalsa, Mumbai July 25, 2024 Thu 5:32 pm
Birthday - EF - Anjana Sridhar
Thursday, 25 July .. with love for the birthday .. ❤️ from the entire Ef family .. enjoy
... and the timing is ahead of its time so there is a pleasant feel to the DAY .. my greetings a bit early ..
the first day of the 16th season of KBC .. and the nerves and the apprehension and the tensions of the changes and the audience being receptive all rolled into one big bag of dhag, dhag, dhak in the region of the dhak dhak .. 🤣
day over slumber over over over .. a long over .. and now just lounging with the idea of an early night because the timetable says so ..
but never without a share of the accessories of the day - the pictures
not to break the routine the run is still on .. and the roar and the love of the audience still in place ,, phew !!
the contestants - well - are great many of much superior talent and immense knowledge and grace and our duty then to see they have an enjoyable evening ..
आते समय, बारिश का प्रकोप, ऐसा लगा फिर तैर के जाना पड़ेगा घर, लेकिन हो गया कुछ, और संभल के पहुँच गये । सब आपकी कृपा से ।
बातें करते समय जो हमारे खिलाड़ी हैं, गरम कुर्सी पे, उनसे इतना कुछ सीखने को मिलता है । उनके विचार, उनका जीवन, उनका संघर्ष, और उनका घृढ़ विश्वास की मेहनत करने से सब कुछ प्राप्त हो जाता है । भावुक कर देता है कुछ लोगों का जीवन हमें, और उनके लिए सद्भावना और उनके जीवन में ख़ुशियाँ फिर से आने का, इस माध्यम से, प्रेरित करता है सब को । उनकी जीत में हमें अत्यंत ख़ुशी होती है ।
ईश्वर की कृपा उनपर बनी रहे !
🙏
तो आज का समय यहीं समाप्त होता है , शुभ रात्रि, शुभ रात्रि , शुभ रात्रि !
अमिताभ बच्चन
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मुआविया ज़फ़र ग़ज़ाली मुस्तफ़ाई एक मनमोहक अति सुंदर व आकर्षक व्यक्ति हैं, अगर बात करें इनकी विशेषता की तो ये एक दार्शनिक, एक स्वतंत्र लेखक, एक कार्यकर्ता, एक प्रेरक वक्ता, एक समाज सुधारक, एक प्रभावशाली व्यक्ति, एक समाजवादी, एक स्वतंत्र लेखक, एक शोधकर्ता, एक भावुक कवि, एक उपन्यासकार, एक नाटककार, एक निबंधकार, एक पटकथा लेखक, एक लघु कहानी लेखक, एक कानूनी अध्ययन अनुसंधान केंद्र में शोधकर्ता एवम् मिस्र व ईरान के विश्व इस्लामी केंद्र से स्वतंत्र शोधकर्ता हैं। इसके अलावा क़ुरैश और क़ुरैशी सादात के महान भव्य सुनहरा एवम् पवित्र परिवार से संबंधित हैं तथा पवित्र व्यक्तित्व इब्ने शाकिर-उल्लाह हुज़ूर सेठ शाह हाजी बरकतउल��लाह क़ुरैश क़ुरैशी नक़्शबंदी अलैहिर्रहमा बॉम्बे महाराष्ट्र के पोते हैं।
इनके कुछ छंद अति लोक प्रिय हुए हैं जैसे....
फ़िरौन का अंदाज़-ओ-लहजा हम को ना दिखाना
शाह हमने हर इक दौर के जाबिर से बगावत की है
नूर ही नूर के क़ुरआन से चेहरे पे वो नूरी आँखें
उनकी इंजील सी पलकों में खुली ज़बूरी आँखें
मैं हज़रत-ए-अ'ब्बास का नौकर हूँ
और सैय्यद-ए-हुसैन मेरे मालिक हैं
शाह टकरा गया वो मुझ से ईमान के लिए
फिर मिरे ईमां से उसका कुफ्र बिख़र गया
ग़ज़ाली बस यूँ तिरी याद में दिन-रात मगन रहता है
अल्लाह दिल धड़कना तिरी वहदत की सदा लगता है
शाह दिल ठंडा है अल्लाह के ज़िक्र से मिरा
सो देख इस बर्फ़ ने क्या आग लगा रक्खी है
इक अल्लाह है जो दिल में बसा रहता है
शाह ये ईमान है जो तन्हा नही होने देता
दिल में बुग्ज-ए-फ़ातिमा और ज़ुबां पर मुस्तफ़ा मुस्तफ़ा
तमाम इबादत को खा जाएगी इक शिक़ायत-ए-फ़ातिमा
दूर वाला भी हो अहले सुन्नत तो अपना भाई
घर में कोई गुस्ताख़ तो उसकी मैय्यत छोड़ दे
मेरे क़ल्ब पे बोझ रहा ज़हन भी परेशां हुआ
बुतपरस्तों को देखकर मेरा बड़ा नुक़्सा हुआ
जिस्म सस्ते है बोहोत ही सस्ते
इतने सस्ते की निकाह महंगे हैं
हमे फिर मिटाने की ज़ालिम साज़िश कर रहे हैं
अपनी औकात से बाहर की ख़्वाइश कर रहे हैं
ग़ज़ाली हमे ज़माने में ढूंढने वाले
एक दिन ज़माने में हम को ढूंढेंगे
शाह जाता है ख़ून उजले परों को समेट कर
ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं कर्बल पे लेट कर
ना हुक़ूमत कभी मत उलझना ख़ुदाई से
ख़ुदाई बादशाहों से हुक़ूमत छीन लेती है
इसके अलावा आपने अपनी तन्हाई का इक अनोठा तथा अनोखा परिचय समाज को दिया था की,
मेरे साथ मेरी दुनियाँ में मेरी सबसे पुरानी साथी रहती है, मैं जब भी जहाँ से वापस आता हूँ या ख़ुद के अंदर से वापस आता हूँ, तो वो मेरा इस्तकबाल करती है मुझे गले लगाती है मुझे लाड करती है मुझे प्यार करती है इतना ही नही बल्कि घंटो-घंटो मेरे साथ बैठ कर मुझ से बाते करती है, क्या आपने नही देखा कितनी अनोखी है मेरी तन्हाई॥
इस जानकारी की पुष्टि अल्लामा हसन अली की किताब हुस्ने क़ायनात के करम नामे, हाफ़िज़ मख़दूम हुसैन के रिसाले हक़िकत के फैज़ नामे, मौलाना अबुल फ़ज़ल इमाम की किताब तिब्बियात के अहसान नामे, प्रोफेसर सीएनआर राव की किताब इंदजीत के शुभचिंतक पृष्ठ तथा सोलह अन्य पुस्तकों आदि से की गई है तथा यहां मुआविया ज़फ़र ग़ज़ाली मुस्ताफ़ाई का पूर्ण जीवन परिचय नही बताया गया है अनेकों जानकारी गुप्त रखी गई है। धन्यवाद॥
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लता जी की शख्शियत व उनके सुरों को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का शत शत नमन - हर्ष वर्धन अग्रवाल |
28.09.2022, लखनऊ | भारत की 'स्वर कोकिला' लता मंगेशकर जी की जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा "श���रद्धांपूर्ण पुष्पांजलि" का आयोजन ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय, 25/2G, सेक्टर-25 में किया गया | कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने 'स्वर कोकिला' भारत रत्न लता मंगेशकर जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण कर उन्हें श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि दी |
बताते चलें कि लीजेंड सिंगर भारत रत्न और Nightingale of India लता मंगेशकर दीदी भले ही इस दुनिया से रुखसत हो गईं हों, लेकिन उनकी मखमली आवाज हमेशा-हमेशा के लिए हमसब की रूह में उतर गई है । जमाना किसी का भी हो, रुहानी और खनकती आवाज का जादू हर उम्र-हर वर्ग के लोगों के सिर चढ़ कर बोलता है ।
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि "लता जी एक ऐसी शख्सियत थी जिनकी गायकी के मुरीद माननीय तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गाँधी से लेकर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी हैं, और यही कारण है कि वे प्रभावित होकर उनसे मिलने उनके घर तक पहुंच जाया करते थे । एक वक्त उस्ताद बड़े गुलाम अली खां लता जी की आवाज के कायल थे। गुलाम साहब ने लता जी की स्नेहभरी प्रशंसा पंडित जसराज के सामने भी की थी । ये वही गुलाम साहब हैं जिसके सामने हर संगीत प्रेमी का सिर सम्मान में झुक जाया करता है । सिर्फ संगीत प्रेमी ही नहीं, बल्कि उनकी गायकी को पसंद करने वाले हर-वर्ग के लोग शामिल हैं । बात तब कि है जब चीन के साथ 1962 के युद्ध के बीते एक साल ही हुए थे । 1963 में सैनिकों के बीच लताजी ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों ! जरा आंख में भर लो पानी’ गाकर सुनाया, उस एक पल ने जैसे सुननेवालों के दिल को झकझोर कर रख दिया, हर किसी की आंखें भर आईं, तो ऐसी थीं लता दीदी । इसके 50 साल बाद इस गीत की स्वर्ण जयंती सम्पन्न होने पर लता जी का यह गीत उन्हीं के मुख से सुनकर पीएम मोदी भी भावुक हो उठे । उन्होंने कहा- दीदी का यह गीत अमर है । पीएम ने कहा कि, आप वास्तव में भारत रत्न हैं, आपके गायन की जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है । लता दीदी, भले ही उदासी के ये वक्त निकल जाएं, मगर मसला तो आपकी यादों का है, आप हमारे ख्यालों में भी रहेंगी और दिल में भी, आपकी आवाजें हमने अपनी जिंदगी में उधार ली हैं, जिसकी याद में ब्याज भरती रहेंगी उम्र भर हमारी आंखें ।
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बहुत दिनों से मैं इंतजार कर रहा था कि कोई मुझे रेणु की मैला आँचल किताब भेंट में दें। मै अपने कई मित्रो के सामने भी इस विचार को रखा। लेकिन सब के सब निठल्ले निकले। अंत में हार कर सोचा, जाने भी दो मेरी ही गलती है। मेरे मित्रगण मेरे मज़ाकिया व्यवहार को कभी गंभीरता से लिए ही नहीं। वो मेरी इस मांग को भी मज़ाक ही समझ लिए हो।
कुछेक दिन पहले भैया से बात हो रही थी, उन्होंने मुझे बताया कि वो रेणु को पढ़ रहे हैं वो भी मैला आँचल। मुझसे रहा न गया, मै झट से अमेज़न से किताब को आर्डर कर दिया।
किताब मुझे कल मिली। जब मै लिफाफा को खोलकर किताब को पकड़ा तो नास्टैल्जिया हुआ। महज मै कक्षा छठी या सातवीं का विद्यार्थी रहा हूँगा। मेरे छोटे वाले मामाजी जो मेरे बड़े भैया से एकाध साल के ही बड़े होंगे, को शायद पढ़ने का शौक़ रहा होगा। वो पहली बार हमसबकों, मेरे तीनो भाई-बहन और माँ को बैठाकर, संवदिया, जो कि रेणु के ही लिखी हुई कहानी है, पाठ किया और हरेक गद्यांश को सरलता से समझाया। हालाँकि रेणु भाषावली हमलोगो के लिए जटिल बिलकुल भी नहीं है क्योंकि वो जिन बोली से अपने भाषावली बनाते थे वो हमारे लिए अनजान नहीं था ब्लकि हम ऐसे शब्दों और कहावतों को आम दिनों में जीते थे। लेकिन, साहित्य या यों कहे कि किसी भी कला कृति से वास्ता नहीं होने से, हममे वो कल्पान्तक भाव को पहचानना जटिलता जैसे ही लगाती थी। मामाजी ने उसे इतने सरल से बताया कि जब सवांदिया बड़ी बहुरानी के पाँव पकड़ कर, अंत में, रो रहा था तो मेरी माँ की भी आँखे नम हो गई थी। मै भी भावुक हो गया था पर रोया नहीं। मैं अपने आप को मर्द बनाने की ट्रेनिंग जो दे रहा था।
ख़ैर, संवदिया की शब्दावली, भावुकता से सराबोर और बरौनी जंकशन का जिक्र, मुझे रेणु से आत्मीय रूप से करीब लेकर आया। तब से रेणु की लिखी कहानियां हिंदी के टेक्सटबुक्स में ढूंढते रहता। और जो भी कहानी मिल जाती, उसे मैं छुप-छुपाकर पढ़ लेता। छुपाना इसलिए पड़ता था, क्योंकि घरवाले को लगता था कि कहानी या साहित्य पढ़ने के बदले कुछ रसायन भौतिक गणित पढ़े तो जिंदगी में कुछ कर पावे। जो कभी स्कूल की चौखट न देखे हो, और जीवन मजूरी में बीत रही हो तो शिक्षा रोटी-पानी का एक सम्मानपूर्ण जरिया बनकर रहा जाता है।
परन्तु मैं इस मामले में, अपनेआप को सौभग्यपूर्ण मानता हूँ की, बिना ज्यादा पढ़े लिखे मैं अपने कक्षा में ठीक-ठाक कर लेता था, घर वालो की सिर्फ फ़िक्र थी तो वो मेरी लिखावट की, जो अभी तक बनी रही है। इसी वजह से मैं कहानी और साहित्य में रूचि बनवाने में अपवाद रहा हूँ। जो भी हिंदी की किताब मिल जाती उसे मैं किसी कमरे के एक अकेलेपन वाले कोने जाकर पढ़ लेता। उसी समय महादेवी वर्मा, प्रेंचन्द, राहुल संकृत्यायन आदि के लिखे कहानियां और लेख पढ़ने का मौका मिला। कवितायेँ भी पढ़ी, लेकिन कहानियों के और झुकाव काफी था।
दिल्ली आने के बाद हिंदी से लगभग वास्ता ही नहीं रह गया था। फिर चतुर सेन की वैशाली की नगरवधू हाथ लगी, और फिर से हिंदी पढ़ना शुरू किया।
रेणु की मैला आँचल शायद मै स्कूल समय में पढ़ रखा हूँ। लेकिन यह ठीक से याद नहीं है कि पूरी पढ़ी थी या नहीं। शायद पूरी पढ़ ली थी क्योंकि, कल जब मै ऐसे ही पन्ने पलट रहा था, 'चकई के चक-धूम' वाले गान, जिसे रेणु ने मैला आँचल में जगह दिए, पर नजर गई। तब मुझे याद आया कि मै इसे पहले भी पढ़ा हूँ। हालाँकि, उस उसमे इसे समझने का न ही तजुर्बा था न ही उम्र और साथ ही साथ यादास्त भी आजकल धोखा देती रहती है। इसलिए कल फिर से इसे पढना शुरू किआ। मेरीगंज की कहानी पढ़कर आँखे भर आयी और लगा मतलबी दुनिया प्यार के पागलपन को कांके का ही पागलपन समझेगा।
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Best 100+ जान से ज्यादा प्यार करने वाली शायरी | jaan se jyada pyar shayari
jaan se jyada pyar shayari - सच्चा प्यार सभी सीमाओं और परिभाषाओं से परे होता है। यह इतनी शक्तिशाली शक्ति है कि यह किसी को उसके पास मौजूद चीज़ों से ज़्यादा देने के लिए मजबूर करती है - यहाँ तक कि खुद की ज़िंदगी से भी ज़्यादा। जो लोग सच्चा प्यार करते हैं, उनके लिए उनके प्रिय की खुशी उनके अस्तित्व का केंद्र बन जाती है, एक मार्गदर्शक प्रकाश जो उनके हर विचार और कार्य को आकार देता है। यह प्यार अनमोल और अतुलनीय है, जो उन्हें किसी भी चुनौती का सामना करने, किसी भी बाधा को तोड़ने और तूफान में अडिग रहने के लिए प्रेरित करता है। यह इतना गहरा प्यार है कि इसे न केवल देखा जाता है बल्कि गहराई से महसूस किया जाता है - एक दुर्लभ, सुंदर और गहरा रोमांटिक बंधन।
ऐसी दुनिया में जहाँ सच्चा प्यार दुर्लभ है, ऐसे दुर्लभ लोग हैं जो अपने साथी को खुद से ज़्यादा प्यार करते हैं। उन्हें अपने प्रिय की हर मुस्कान में खुशी मिलती है और उन्हें खुश देखकर उन्हें सबसे ज़्यादा संतुष्टि मिलती है। प्यार की यह गहराई, जिसे हम "jaan se jyada pyar shayari" कहते हैं, एक जादुई अनुभव है जहाँ भावनाएँ शुद्ध होती हैं, दिल एक दूसरे के साथ मिलकर धड़कता है, और दुनिया एक और खूबसूरत जगह बन जाती है।
जो लोग इतनी शिद्दत से प्यार करते हैं, उनके लिए एक खास तरह की कविता-शायरी मौजूद है, जो इन शक्तिशाली भावनाओं को प्रतिध्वनित करती है। चाहे वह प्यार के लिए किसी भी हद तक जाने की भावुक इच्छा हो या अपने साथी की खुशी को देखने की खुशी, यह शायरी इन भावनाओं की हर बारीकियों को बयां करती है। अगर आप उन लोगों में से हैं जो हद से ज़्यादा प्यार करते हैं, तो ये शब्द आपके दिल में गहराई से गूंजेंगे, जो आपके द्वारा महसूस किए जाने वाले असीम, शाश्वत प्रेम को दर्शाते हैं।
Pyar bhari shayari
कम खूबसूरत लोगों का प्यार
बहुत खूबसूरत होता है♥️…!!!!
जो आपका गुस्सा सहन करके भी
आपका ही साथ दे ,
उससे ज्यादा प्यार
आपको कोई नहीं कर सकता।
मेरी सुबह, मेरी हर शाम में,
जिक्र बस तेरा है,
काफ़िला तेरे प्यार का,
मेरी सांसों में ठहरा है.
खामोशी बोल देती है
जिसकी बातें नहीं होतीं,
प्यार उसे भी होता है
जिससे मुलाकाते नहीं होती….!
उमड़ घुमड मन में उठे,
साजन तेरा प्यार |
काले बादल में उठे,
ज्यों बिजली की धार ||
सांसें रुके तो भी,
तुम्हारा ही दीदार हो..!
बस इस क़दर,
मेरा तुमसे प्यार हो..!
प्रेमिका को खुश करने वाली शायरी
मनचाहा प्यार पाने के लिए..
चाहना भी मन से पड़ता है….!!
अब और क्या लिखूं उसकी
प्यारी मुस्कान के बारे मे..
बस कुछ यूं समझ लो
चमकता चाँद हैं लाखो सितारों में.
जिसे प्यार करते हो
उसको अपना खुदा बना लो
इश्क़ खुद बा खुद खूबसूरूत हो जायेगा।
सच्चा प्यार करने वाली शायरी
दिल पर प्यार की,
मोहर लगा कर भेजा हैं,
देर से आज उसे,
हमने घर भेजा हैं…!
अपनी self-respect को
भाड़ में झोंक कर
उससे प्यार करने की भीख मांगी थी मैने…..!!!!!
प्यार में एहसान नहीं
हक जताया जाता है।
सख़्त हाथो से भी
फ़िसल जाती हैँ कभी नाज़ुक अंगुलिया,
रिश्ते ‘ज़ोर’ से नही
‘प्यार मोहब्बत” से पकड़े जाते है।
गगन से भी ऊंचा मेरा प्यार है
तुझी पर मिटूंगा ये इकरार है
तू इतना समझ ले मेरे हमसफ़र
तेरे प्यार से मेरा संसार है।
मेरी सुबह, मेरी हर शाम में,
जिक्र बस तेरा है,
काफ़िला तेरे प्यार का,
मेरी सांसों में ठहरा है.
लिखूँ तो प्यार हो तुम,
सोचूँ तो इश्क़ हो तुम,
और चाहूँ तो मोहब्बत हो तुम,
अब चाहे लिखूँ, सोचूँ या चाहूँ,
मेरे हर कदम पर हमसफर हो तुम।
वादा करते है
उम्र भर तेरा इंतजार कर लेंगे,
तेरे जाने के बाद भी तुझसे प्यार करेंगे
माना मेरी किस्मत में तू नही लेकिन,
खुदा से तुझे पाने की दुआ हर बार करेंगे….!
दूर है एक दूजे से,,,
पर दिल में मोहब्बत बेशुमार है❤️❤️
थोड़ा मुस्किल हैं बेशक ,,,,,
पर ये long distance वाला प्यार है 🙈🙈🙈
वो एक लड़की मुझे पल भर में
खुश और उदास रखने की
ताकत रखती हे
ज़िंदगी में बार बार
सहारा नही मिलता,
बार बार कोई प्यार से
प्यारा नही मिलता,
है जो पास उसे संभाल के रखना,
खो कर वो फिर कभी
दुबारा नही मिलता…
तेरी याद तेरी तलब
तेरी ही आरज़ू है हर पल,
पर एक अजीब सा सुकून है
इस बेकरारी में भी…..❤🌸💫
सिर्फ तुम्हारी पसंद
बनकर रहूं मैं उम्र भर,
बस इतना ही काफी है मेरे लिए….💞❤💫
शायद तुझे नहीं पता..
मेरे लिए..तू है क्या …. !!!!
मै और उसको भूल जाऊं??
कैसी बात करते हो ,,
सूरत तो फिर भी सूरत है
वो नाम भी
बहुत प्यारा लगता है .😊
गहरे प्यार की शायरी
कोई भी नहीं जो
तेरी कमी पूरी कर सके
और कोई नहीं जिसे
मैं तेरी तरह प्यार कर सकूं
हम उनके रूठ जाने
पर फ़िदा होने लगे
हमे फिर प्यार आ गया
जब वह ख़फ़ा होने लगे।
प्यार तुझसे करते है तो,
झगडा करने..
कहीं और थोड़ी ना जायेंगे..🥲
प्यार भरा एहसास लिखा है
तुमको अपने पास लिखा है
पूरी दुनिया अपनी है पर
तुमको सबसे खास लिखा है।
पुकार लीजिए प्यार से हमें
हम दौड़े चले आयेंगे
तुम्हारा दिल ही तो है
मेरा आशियाना
इसे छोड़कर अब और
कहां जायेंगे !!
♥️🫶
सही इंसान से हुआ प्यार
दिल के सारे जख्म भर देता हैं।
खूबसूरत सी आँखें
प्यारा सा चेहरा
मीठी सी आवाज़
प्यारा सा आचरण
ये तो हुई मेरी बात 🥰
और सुनाओ कैसे हो आप?
हर लफ़्ज़ तेरे प्यार की
खुशबू में ढला है..
ये सिलसिला है इश्क़ का
जो तुमसे चला है।
अनमोल प्यार भरी शायरी
मेरे जितना प्यार उसे मिला ही नहीं
उसको को मेरे नाम से बुलाता है वो।
तुम जैसा न कोई है न
कोई हो पायेगा,
जो प्यार है हमें तुमसे
वो किसी और से न हो पाएगा।
जो मिल न सका
उसका इंतजार क्यों है
और जो मिल रहा
उस से इनकार क्यों है
बड़ा मुश्किल है समझाना खुद को
जिसे फ़िक़्र नही हमारी
उसके लिए इतना प्यार क्यों है
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समाजवादी पार्टी के मुखिया ने क्या बोला श्री अखिलेश यादव। ‘Work-life balance’ का संतुलित अनुपात किसी भी देश के विकास का एक मानक होता है। पुणे में एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में काम करनेवाली एक युवती की काम के तनाव से हुई मृत्यु और उस संदर्भ में उसकी माँ का लिखा हुआ भावुक पत्र देश भर के युवक-युवतियों को झकझोर गया है। ये किसी एक कंपनी या सरकार के किसी एक विभाग की बात नहीं बल्कि कहीं थोड़े ज़्यादा, कहीं थोड़े कम, हर जगह लगभग एक-से ही प्रतिकूल हालात हैं।
देश की सरकार से लेकर कॉरपोरेट जगत तक को इस पत्र को एक चेतावनी और सलाह के रूप में लेना चाहिए। यदि काम की दशाएँ और परिस्थितियाँ ही अनुकूल नहीं होंगी तो परफ��रमेंस और रिज़ल्ट्स कैसे अनुकूल होंगे। इस संदर्भ में नियम-क़ानून से अधिक आर्थिक हालातों को सुधारने की ज़रूरत है। सच तो ये है कि जिस प्रकार बेरोज़गारी है और काम व कारोबार सरकार की ग़लत नीतियों और बेतहाशा टैक्स की वजह से मंदी और घटती माँग का शिकार हुआ है, उससे व्यापारिक घाटे की ओर बढ़ते कारोबार पर कम-से-कम इम्प्लॉयिज़ से अधिक-से-अधिक काम करवाये जाने का ज़बरदस्त दबाव है। ऊपर-से-लेकर नीचे तक हर इम्प्लायी एक-दूसरे के दबाव में है। बड़े संदर्भों में देखा जाए तो दरअसल इस दबाव-तनाव का मूल कारण आर्थिक नीतियों की नाकामी है।
सरकार जिस दिन अपने को दोषी मानकर बदलाव लाएगी, सकारात्मक आर्थिक नीतियाँ बनाएगी, टैक्स सिस्टम और रेट को शोषणकारी न बनाकर लॉजिकल बनाएगी, वर्किंग कंडीशन्स को टेंशन फ़्री बनाएगी, उस दिन से सरकारी कर्मचारियों से लेकर काम-कारोबार-कॉरपोरेट जगत के इम्प्लॉयिज़ तक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगेंगे।
जब देश की मेंटल हेल्थ अच्छी होगी तभी तरक़्क़ी होगी। सरकार को इस संदर्भ में सबसे पहले अपनी सोच बदलनी होगी और काम करने के तरीक़ों को भी, जहाँ ज़्यादा-से-ज़्यादा घंटे काम करने का दिखावटी पैमाना नहीं बल्कि अंत में परिणाम क्या निकला, ये आधार होना चाहिए।
RememberingAnna
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20 सितम्बर 2024 : आपका जन्मदिन
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे कृष्णा*🌹
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
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#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
👍🏻👍🏻आध्यात्मिक गुरु 👍🏻राधे राधे 8764415587, 9610752236
जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ आपका स्वागत है #वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स की विशेष प्रस्तुति में। यह कॉलम नियमित रूप से उन पाठकों के व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में जानकारी देगा जिनका उस दिनांक को जन्मदिन होगा। पेश है दिनांक 20 को जन्मे व्यक्तियों के बारे में जानकारी : दिनांक 20 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 2 होगा। आप अत्यधिक भावुक होते हैं। आप स्वभाव से शंकालु भी होते हैं। दूसरों के दु:ख-दर्द से आप परेशान हो जाना आपकी कमजोरी है। ग्यारह की संख्या आपस में मिलकर दो होती है इस तरह आपका मूलांक दो होगा। इस मूलांक को चंद्र ग्रह संचालित करता है। चंद्र ग्रह मन का कारक होता है।
चंद्र के समान आपके स्वभाव में भी उतार-चढ़ाव पाया जाता है। आप अगर जल्दबाजी को त्याग दें तो आप जीवन में बहुत सफल होते हैं। आप मानसिक रूप से तो स्वस्थ हैं लेकिन शारीरिक रूप से आप कमजोर हैं। चंद्र ग्रह स्त्री ग्रह माना गया है। अत: आप अत्यंत कोमल स्वभाव के हैं। आपमें अभिमान तो जरा भी नहीं होता।
शुभ दिनांक : 2, 11, 20, 23, 25, 27, 29
शुभ अंक : 2, 11, 20, 29, 56, 65, 92
शुभ वर्ष : 2025, 2027, 2029, 2036
ईष्टदेव : श्रीकृष्ण, शनि महाराज के ईष्ट दे, भगवान शिव, बटुक भैरव
शुभ रंग : सफेद, हल्का नीला, सिल्वर ग्रे
कैसा रहेगा यह वर्ष
लेखन से संबंधित मामलों में सावधानी रखना होगी। बगैर देखे किसी कागजात पर हस्ताक्षर ना करें। किसी नवीन कार्य योजनाओं की शुरुआत करने से पहले बड़ों की सलाह लें। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति ठीक-ठीक रहेगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से संभल कर चलने का वक्त होगा। पारिवारिक विवाद आपसी मेलजोल से ही सुलझाएं। दखलअंदाजी ठीक नहीं रहेगी।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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गुजरात में बेरोजगार युवाओं की पीड़ा देखकर मैं भावुक हो जाता हूं। #राष्ट्...
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माता नंदा-सुनंदा माता नयना की नगरी में डोले पर निकलीं, श्रद्धालुओं ने भारी उत्साह तथा भावुक मन से शोभायात्रा पर पुष्प व अक्षत वर्षा के साथ किया विदा
-पिछले 8 दिनों से चल रहे 122वें श्रीनंदा देवी महोत्सव का हुआ समापननवीन समाचार, नैनीताल, 15 सितंबर 2024 (Mata Nanda-Sunanda on Palanquin for Procession)। श्रद्धालुओं के भारी उत्साह तथा भावुक मन के साथ की गयी पुष्पों व अक्षतों की वर्षा के साथ अपने मायके स्वरूप माता नंदा-सुनंदा माता नयना की नगरी से लगभग एक सप्ताह के प्रवास के बाद शोभायात्रा के साथ विदा हो गयी हैं।
रविवार यानी अवकाश का दिन होने तथा…
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क्यों है प्रभु श्री राम की मूर्ति का श्यामल रंग पारस से जाने?
पारस परिवार के संस्थापक, आदरणीय “महंत श्री पारस भाई जी” एक सच्चे मार्गदर्शक, एक महान ज्योतिषी, एक आध्यात्मिक लीडर, एक असाधारण प्रेरक वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो देश और समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करना। लोगों को अँधेरे से निकालकर उनके जीवन में रोशनी फैलाना।
“पारस परिवार” हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। पारस परिवार से जो भी जुड़ जाता है वो इस परिवार का एक अहम हिस्सा बन जाता है और यह संगठन और भी मजबूत बन जाता है। जिस तरह एक परिवार में एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। ठीक उसी तरह पारस परिवार भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का सम्मान करता है और जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ यह परिवार एकजुट की भावना रखता है ।
‘महंत श्री पारस भाई जी’ एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जहाँ जाति-धर्म के नाम पर झगड़े न हों और जहाँ आपस में लोग मिलजुलकर रहें। साथ ही लोगों में द्वेष न रहे और प्रेम की भावना का विकास हो। पारस परिवार निस्वार्थ रूप से जन कल्याण की विचारधारा से प्रभावित है।
इसी विचारधारा को लेकर वह भक्तों के आंतरिक और बाहरी विकास के लिए कई आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र (Spiritual Sector) की बात करें तो महंत श्री पारस भाई जी “दुख निवारण महाचण्डी पाठ”, “प्रार्थना सभा” और “पवित्र जल वितरण” जैसे दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जिससे वे भक्तों के दुखों का निवारण, उनकी आंतरिक शांति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए समर्पित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो पारस परिवार सामाजिक जागरूकता और समाज कल्याण के लिए भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लंगर, धर्मरथ और गौ सेवा जैसे महान कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा और मध्य प्रदेश में “डेरा नसीब दा” जैसे महान कार्य का निर्माण भी है, जहाँ जाकर सोया हुआ नसीब भी जाग जाता है।
अयोध्या में प्र���ु श्री राम जी के प्राण प्रतिष्ठा के उस दिव्य क्षण को हर कोई देखना चाहता था, हर कोई महसूस करना चाहता था, हर कोई इस पल का गवाह बनना चाहता था। यह सच है जिसने भी इस पल को देखा, वो भावुक हुए बिना नहीं रह पाया। जिसने भी गर्भगृह में विराजमान रामलला के विग्रह के चेहरे की पहली तस्वीर को देखा वो बस देखता ही रह गया। इसके बाद हर किसी के मन में यह बात जरूर थी कि आखिर प्रभु श्री राम की मूर्ति का श्यामल रंग क्यों है ? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं क्या है भगवान राम की मूर्ति के रंग के पीछे का रहस्य।
अयोध्या में श्री राम के बाल स्वरूप में मूर्ति का निर्माण
करोड़ों राम भक्तों का सपना 22 जनवरी 2024 को पूरा हो चुका है। इसके साथ 22 जनवरी की तारीख इतिहास के पन्नों में भी दर्ज हो गई है। पूरा देश राम नाम के रंग में रंगा हुआ है। हर किसी की जुबां पर सिर्फ और सिर्फ राम नाम है। सोमवार 22 जनवरी के दिन प्रभु श्री राम मूर्ति की प्राण पर प्रतिष्ठा की गयी। श्री राम के बाल स्वरूप में मूर्ति का निर्माण किया गया, यह मूर्ति श्यामल रंग की है। रामलला की आयु 5 वर्ष बताई गई है। गर्भगृह में विराजमान रामलला के चेहरे की जब पहली तस्वीर सामने आई तो यह बेहद ही सुंदर और अद्भुत था। इस पल की ख़ुशी ने हर किसी की आँख नम कर दी। बहुत ही भावुक कर देने वाला दृश्य था यह। मान्यता है कि जन्म भूमि में बाल स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है यही वजह है कि भगवान श्री राम की मूर्ति बाल स्वरूप में बनाई गयी है।
श्यामल रंग ही क्यों?
अयोध्या में श्री राम के बाल स्वरूप में मूर्ति का निर्माण किया गया है, जिसमें मूर्ति का रंग श्यामल है। प्रभु श्री राम की मूर्ति का निर्माण श्याम शिला के पत्थर से किया गया है और यह पत्थर अपने आप में बहुत खास माना जाता है। इस पत्थर का रंग काला ही होता है। यही वजह है कि मूर्ति का रंग श्यामल है।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि श्याम शिला की आयु हजारों वर्ष मानी जाती है। इसलिए इसके पीछे यह कारण है कि यह मूर्ति हजारों सालों तक अच्छी अवस्था में रहे और इसमें कोई भी बदलाव न हो। इसके अलावा सनातन धर्म में पूजा पाठ के समय मूर्ति का अभिषेक किया जाता है और मूर्ति को धूप, दीप, जल, चंदन, रोली, दूध और पुष्प आदि से अभिषेक किया जाता है। इन सभी चीजों से भी प्रभु श्री राम की मूर्ति को कुछ भी न हो इसका ध्यान रखा गया। इसके अलावा महर्षि वाल्मीकि रामायण में भगवान श्री राम के श्यामल रूप का वर्णन किया गया है। इसलिए प्रभु को श्यामल रूप में पूजा जाता है।
प्राण प्रतिष्ठा क्यों है जरूरी ?
प्राण प्रतिष्ठा हिंदू धर्म का प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है। प्राण का अर्थ हाेता है जीवन इसलिए प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ हुआ किसी भी मूर्ति या प्रतिमा में देवी देवताओं को आने का आह्वान करना। प्राण प्रतिष्ठा प्रक्रिया का मतलब है मूर्ति में प्राण डालना। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि इसलिए जब भी कोई मंदिर बनता है तो उसमें देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित की जाती है और उनकी पूजा से पहले उनमें प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। बिना प्राण प्रतिष्ठा के मूर्ति पूजन पूर्ण नहीं माना जाता है। मूर्ति में प्राण डालने के लिए मंत्र उच्चारण के साथ देवों का आवाहन किया जाता है।
श्यामल वर्ण माना जाता है शुभ
महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार शास्त्रों में यह वर्णन मिलता है कि प्रभु राम श्याम रंग के हैं। यानि प्रभु राम का बाल रूप, प्रभु राम का जन्म रूप सब श्यामल रंग का ही है। इसलिए यही कारण है कि 500 वर्ष के बहुत ही लंबे संघर्ष के बाद प्रभु श्री राम अपने भव्य महल में विराजमान हुए हैं और उनकी प्रतिमा का रंग श्यामल रखा गया है। इसके साथ ही शास्त्रों के अनुसार, कृष्ण शिला से बनी राम की मूर्ति खास होती है और इसलिए इस मूर्ति को श्याम शिला से बनाया गया है।
किसने किया है प्रभु श्री राम की प्रतिमा का निर्माण ?
राम मंदिर में प्रभु राम बालक राम के रूप में विराजमान हैं। 5 वर्ष के बालक के रूप में रामलला की प्रतिमा बनाई गई है। प्रतिमा का निर्माण मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया है। मूर्तिकार अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले हैं। अरुण योगीराज की कई पीढियां इसी काम से जुड़ी हुई हैं। उनके पिता योगीराज शिल्पी एक बेहतरीन मूर्तिकार हैं। अरुण योगीराज का कहना है कि मैं पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूँ और यह मेरे लिए सबसे बड़ा दिन है। भगवान रामलला का आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहा है और कभी-कभी मुझे लगता है जैसे मैं सपनों की दुनिया में हूँ।
प्रतिमा में कमल दल पर प्रभु राम विराजमान हैं। वहीं प्रतिमा के सबसे ऊपर स्वास्तिक और आभामंडल भी बनाया गया है। अरुण योगीराज ने सिर्फ रामलला की ही मूर्ति नहीं बनाई है, इसके अलावा भी उन्होंने कई और भी मूर्तियां बनाई हैं। अरुण योगीराज ने इंडिया गेट के पास स्थापित सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति बनाई है। अरुण योगीराज ने भगवान आदि शंकराचार्य की 12 फीट की मूर्ति बनाई है, जो कि केदारनाथ में है। अरुण योगीराज ने बताया कि वह अयोध्या मंदिर के लिए सबसे सुंदर और उत्तम प्रतिमा बनाना चाहते थे। इस दौरान वो 6 महीने तक अपने परिवार वालों तक से नहीं मिले।
रामलला की मूर्ति में बालत्व, देवत्व और राजकुमार तीनों की छवि
अरुण योगीराज ने रामलला की बेहद खूबसूरत मूर्ति का निर्माण किया है। रामलला की मूर्ति में बालत्व, देवत्व और एक राजकुमार तीनों की छवि दिखाई दे रही है। भगवान राम की मूर्ति की मुख्य विशेषताओं को देखें तो इसमें अनेक खूबियां हैं। प्रभु श्री राम की जो मूर्ति है उसका वजन करीब 200 किलोग्राम है। भगवान राम की मूर्ति कृष्ण शैली में बनाई गई है। मूर्ति में भगवान राम के कई अवतारों को तराशा गया है।
प्रभु श्री राम की बाल सुलभ मुस्कान ने सबको किया आकर्षित
रामलला की प्रतिमा में बालसुलभ मुस्कान ने लोगों को आकर्षित किया। हर कोई उनकी मुस्कान को बस निहारे जा रहा था। दरअसल भगवान राम की मूर्ति का निर्माण चेहरे की कोमलता, आंखों की सुंदरता, मुस्कुराहट और शरीर सहित अन्य कई चीजों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। मूर्ति बेहद ही भव्य और सुन्दर है। यह प्रतिमा 51 इंच ऊंची है, जो बहुत ही आकर्षक ढंग से बनाई गई है।
इसके अलावा भगवान श्रीराम की मूर्ति की लंबाई और ऊंचाई भारत के प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सलाह पर इस तरह से डिजाइन की गई है कि हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि राम नवमी को स्वयं भगवान सूर्य श्री राम जी का अभिषेक करेंगे। रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें सीधे उनके माथे पर पड़ेंगी और वह चमक उठेगा।
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मुलाने वडिलांचं स्वप्न पूर्ण केलं, सुवर्णक्षण कॅमेऱ्यात कैद! जनता भावुक…
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बाबांना कोणती भेट वस्तू द्यावी? हा प्रश्न सर्व मुलांच्या मनात येतो. अनेक जण गुगलवरही याचं उत्तर शोधतात. पण एका मुलाने वडिलांना अशी वस्तू भेट दिली की, ती भेट त्याच्या बाबांना खूप आधीपासून हवी होती. मुलाला माहित होतं की आपल्या बाबांना हीच वस्तू बऱ्याच दिवसांपासून हवीये, त्याने आपल्या वडिलांचं स्वप्न पूर्ण करायचं ठरवलं. हा…
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DAY 5999
Jalsa, Mumbai July 21, 2024/July 22 Sun/Mon 12:12 am
Birthday - EF - Hitesh Gohel
Monday, 22 July
आप, जी हाँ आप … 🙏
आप सब बधाई के पात्र हैं, ये स्नेह जो आप सब मुझे भर पूर देते हैं इसका मेरे पास कोई भी वर्णन नहीं है, केवल ये कि ये एक ऐसा भावुक क़र्ज़ है जिसे मैं लौटाने का प्रयत्न भी नहीं सोच सकता ।
इस मूसला धार बारिश में भी आप सब आये, ये आपका प्यार और स्नेह मेरे लिये कठिन है वापस करना , बस आभार मेरा और ढेर सारा आशीर्वाद, हालाँकि मैं इस लायक़ अपने को नहीं मानता हूँ ।।
आप सब स्वस्थ रहें, और कुशल मंगल रहें , यही मेरी प्रार्थना 🙏
अमिताभ बच्चन
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डॉक्टरों के साथ गतिरोध के बीच ममता बनर्जी ने कहा, "इस्तीफा देने को तैयार हूं"
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज राज्य सचिवालय में बैठक के लिए आमंत्रित जूनियर डॉक्टरों के समक्ष खड़े होकर एक भावुक भाषण में कहा कि उन्हें राज्य के शीर्ष पद से मोह नहीं है और वे “लोगों के हित में” पद छोड़ने के लिए तैयार हैं। डॉक्टरों को आश्वस्त करते हुए कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा बातचीत के लिए तैयार है। उनका गुस्सा उन लोगों पर निकला, जिन्होंने…
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Tata motors workers union : टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन ने दी टाटा मोटर्स के डीजीएम इआर को विदाई, पुणे हुआ है स्थानांतरण, अपने विदाई समारोह में भावुक हुए अमितेश पांडेय
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