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#मुस्लिम आध्यात्मिक नेता
rajesh-kumar-hp-74 · 6 months
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#Facts_About_EasterSunday
"पवित्र बाईबल में प्रभु मानव सदृश साकार का प्रमाण"
पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1:20 2:5 पर) परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाऐं। तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की।
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जीव हमारी जाति है, मानवधर्ममा हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई धर्म नहीं क
आध्यात्मिक नेता संत रामपाल जी
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Kabir Is God
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omprakashs-stuff · 1 year
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भगवान कबीर जी एक बार कमाल और शेख फरीद (उनके एक शिष्य) के साथ दिल्ली में अपने शिष्यों सम्मन (पिता), सेउ (पुत्र) और नेकी (मां) के पास गए। परिवार बहुत गरीब था। उस दिन उनके पास खाना नहीं था। उन्होंने (सम्मन और सेउ ने) रात में पास की दुकान से एक सेर आटा (1 सेर = 1 किलो लगभग) चोरी करने की योजना बनाई। सेउ ने भीतर जाकर अपने पिता सम्मन को आटा दिया। इसी बीच दुकान के मालिक की नींद खुल गई। उसने सेउ को पैर से पकड़ लिया। सम्मन ने अपनी पत्नी नेकी को आटा दिया। नेकी ने उससे कहा कि सेउ का सिर काट दो, नहीं तो दुकान-मालिक गुरुदेव को सज़ा दिलाएगा। सम्मन ने वैसा ही किया। प्रातः काल जब उन्होंने परमेश्वर कबीर जी तथा अन्य अतिथियों के लिए भोजन तैयार करवाया। भगवान कबीर जी ने सेउ को बुलाया। सेउ आया और खाना खाने के लिए पंगत में बैठ गया। सम्मन और नेकी यह देखकर हैरान रह गए कि सेउ की गर्दन पर कटे का कोई निशान भी नहीं है। इसके बाद उस मोहल्ले में कबीर साहेब के आशीर्वाद से सम्मन काफी धनी हो गया।
■ लाखों लोगों के असाध्य रोग ठीक किए
काशी में अपने 120 साल के लंबे प्रवास के दौरान, भगवान कबीर जी ने लाखों लोगों के असाध्य रोगों के साथ-साथ अन्य समस्याओं को भी ठीक किया। वे अपनी प्रिय आत्माओं को अपने आध्यात्मिक उपदेश देने के लिए काशी के अलावा एक दिन में सैकड़ों स्थानों पर प्रकट हो जाया करते थे। चूंकि तब दूरसंचार का कोई साधन नहीं था।
उस समय भारत की कुल आबादी लगभग चार करोड़ थी। भारत में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, इराक और ईरान भी शामिल थे। अस्पृश्यता भी चरम पर थी। उस समय, एक धानक/जुलाहा (बुनकर) के पूरे भारत में 64 लाख शिष्य थे। इससे पता चलता है कि वह एक सामान्य संत नहीं थे। वह स्वयं भगवान थे। और, हम उन्हें पहचान नहीं पाए।
भगवान कबीर जी आध्यात्मिक ज्ञान समझाते थे
भगवान कबीर जी हमारे पवित्र ग्रंथों के आधार पर आध्यात्मिक ज्ञान बताते थे, कबीर जी कहते थे "हिंदू और मुसलमान दोनों के पूजा के सही तरीके नही हैं। गीता देवताओं की पूजा के पक्ष में नहीं है, न ही हज़रत मोहम्मद ने कभी मांस खाया। ये अज्ञानी धर्मगुरु आपको गुमराह कर रहे हैं।” लेकिन हम उस समय अनपढ़ थे।
उस समय केवल ब्राह्मणों को ही शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति थी। नकली धर्मगुरु जनता को यह कहकर गुमराह करते थे कि कबीर जी अनपढ़ हैं। उन्हे पवित्र पुस्तकों का ज्ञान नहीं हो सकता क्योंकि उन्होंने उन्हें पढ़ा नहीं है । वह झूठा है।" उनके बहकावे में आकर हम कबीर परमेश्वर जी के दुश्मन हो गए। उस समय नकली धर्मगुरुओं के कारण लोगों में कबीर परमेश्वर के नाम के प्रति भी घृणा उत्पन्न हो गई थी।
कबीर परमेश्वर द्वारा बताए आध्यात्मिक ज्ञान को न समझकर लोग उन पर पथराव करने लगे थे, हिंदू धार्मिक नेता यह कहकर हिंदुओं को गुमराह करते कि “वह हमारे धर्म की आलोचना करता है। वह हमारी त्रिमूर्ति की आलोचना करता है।" मुस्लिम धार्मिक नेता कहते, "वह हमारे धर्म की आलोचना करता है। वह खुद को अल्लाह कहता है।" वे और गुमराह जनता कबीर साहेब जी को हर प्रकार से कष्ट देती रहती थी।
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meenumeenu · 1 year
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#संतरामपालजी_के_उद्देश्य
संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वाप��� लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।पूरी दुनिया आतंकवाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद से प्रभावित है। संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया में अमन शांति हो, लोग आपस में लड़े नहीं।
संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं :
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
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gurunathp · 2 years
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#AimOfSantRampalJi
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
🎯‛बेटा बेटी एक समान’ इस नारे को यथार्थता के धरातल पर स्थापित करना संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है। इसी कारण उन्होंने दहेज जैसी प्रथा का समूलनाश करने के लिए विवाह की सादगीपूर्ण विधि समाज को दी है।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि विश्व के सभी प्राणी वास्तविक परमेश्वर कबीर जी की सतभक्ति करे, समाज में कोई भी प्राणी दुखी न हो, हर समस्या का समाधान हो। धरती स्वर्ग समान बन जाए।
🎯संत रामपाल जी महाराज का मूल उद्देश्य एक ऐसे स्वच्छ समाज की स्थापना करना है जो चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, नशे से दूर हो।
🎯संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि दहेज के नाम पर किसी बेटी को प्रताड़ित न किया जाये। इसी के तहत संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में हजारों दहेज मुक्त विवाह संपन्न किये जा चुके हैं। जिससे समाज में दहे��� प्रथा के समाप्त होने की आस जग चुकी है।
🎯हम एक ऐसा मानव समाज तैयार कर रहे हैं, जो किसी भी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करके सबको न्याय दिलाएगा।
छोटा बड़ा, अमीर-गरीब की खाई को मिटायेगा। आध्यात्मिक तत्वज्ञान के आधार से भारत विश्व का एक महान राष्ट्र होगा। अन्य सर्व राष्ट्र भारत वर्ष का अनुसरण करेंगे।
- संत रामपाल जी महाराज जी
🎯फ़िल्मों में दिखाई गई अश्लील हरकतें, छोटे अर्ध नग्न कपड़ों का पहनना, चोरी, हत्या, गुंडागर्दी, गालियां जिसका सीधा दुष्प्रभाव युवा वर्ग पर पड़ रहा है।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि मानव समाज को इन सभी बुराईयों से दूर करके सत्य भक्ति पर लगाएं। संत रामपाल जी महाराज जी के लाखों अनुयायी बुराईयों को त्यागकर नेक जीवन जीने लगे हैं।
🎯कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाना ही है संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य
कबीर साहेब की वाणी है: कलयुग मध्य सतयुग लाऊं।
ताते सत कबीर कहाऊं।।
इस वाणी को कबीर साहेब जी ने वर्तमान समय के लिए बोला था, आज स्वय कबीर साहेब जी ही संत रामपाल जी महाराज के रूप में धरती पर आकर अपनी वाणी को सच कर रहे हैं।
संत रामपाल जी द्वारा चलाये मार्ग का मूल उद्देश्य है दुनिया में सतयुग जैसा माहौल बनाना।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
🎯नशा मुक्त समाज
संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझने के बाद उपदेश प्राप्त करते ही हर प्रकार का नशा छूट जाता है।
आज संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर लाखों अनुयायी नशा छोड़ चुके हैं।
🎯अपने निज घर सतलोक से परिचित करवाया
संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने निज घर अमर लोक (सतलोक) को भूल चुकी सभी आत्माओं को सैंकड़ों प्रमाण देकर सतलोक के स्थायी सुखों से परिचित करवाया जिससे जनता को एक ऐसे लोक का पता चला जहां जाने के बाद जन्म व मृत्यु नहीं होती।
संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं :
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
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rudrjobdesk · 2 years
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सूफी मौलवी के हत्या मामले में इस्तेमाल की गई कार हुई बरामद
सूफी मौलवी के हत्या मामले में इस्तेमाल की गई कार हुई बरामद
Image Source : FACEBOOK Khwaja Sayyad Chishti Highlights अफगानिस्तान के नागरिक थे मौलवी येवला के पास गोली मारकर की गई थी हत्या सोशल मीडिया पर हैं बड़ी संख्या में फॉलोवर Maharashtra News: महाराष्ट्र के नासिक जिले की पुलिस ने सूफी धर्मगुरु और अफगान नागरिक ख्वाजा सैयद जरीफ चिश्ती उर्फ जरीफ बाबा की हत्या में इस्तेमाल की गई कार गुरुवार को बरामद की। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। 38 वर्षीय चिश्ती…
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#संतरामपालजी_के_उद्देश्य
3 Days to go for Avataran Diwas
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया से भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी समाप्त हो। संत रामपाल जी के बताये तत्वज्ञान से उनके अनुयायी न तो रिश्वत लेते और न देते हैं। इससे भ्रष्टाचार मुक्त समाज तैयार होगा।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य भारत को सोने की चिड़िया बनाने का है। जहाँ सर्व धर्म, जाति के लोग प्रेम, भाईचारे के साथ रहें, जहाँ सभी सुखी रहें, सबको समान न्याय मिले, जहाँ किसी का शोषण न हो।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि युवाओं का नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान हो।
हर व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करे। कोई किसी को ठगे नहीं।
कबीर परमेश्वर जी की वाणी है –
कबीर, आप ठगाईये, और न ठगिये कोय।
आप ठगाये सुख होत है, और ठगे दुःख होय।।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
🎯‛बेटा बेटी एक समान’ इस नारे को यथार्थता के धरातल पर स्थापित करना संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है। इसी कारण उन्होंने दहेज जैसी प्रथा का समूलनाश करने के लिए विवाह की सादगीपूर्ण विधि समाज को दी है।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि विश्व के सभी प्राणी वास्तविक परमेश्वर कबीर जी की सतभक्ति करे, समाज में कोई भी प्राणी दुखी न हो, हर समस्या का समाधान हो। धरती स्वर्ग समान बन जाए।
🎯संत रामपाल जी महाराज का मूल उद्देश्य एक ऐसे स्वच्छ समाज की स्थापना करना है जो चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, नशे से दूर हो।
आज हकीकत में उनके ज्ञान से यह सम्भव हो रहा है।
🎯संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि दहेज के नाम पर किसी बेटी को प्रताड़ित न किया जाये। इसी के तहत संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में हजारों दहेज मुक्त विवाह संपन्न किये जा चुके हैं। जिससे समाज में दहेज प्रथा के समाप्त होने की आस जग चुकी है।
🎯हम एक ऐसा मानव समाज तैयार कर रहे हैं, जो किसी भी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करके सबको न्याय दिल��एगा।
छोटा बड़ा, अमीर-गरीब की खाई को मिटायेगा। आध्यात्मिक तत्वज्ञान के आधार से भारत विश्व का एक महान राष्ट्र होगा। अन्य सर्व राष्ट्र भारत वर्ष का अनुसरण करेंगे।
- संत रामपाल जी महाराज जी
🎯फ़िल्मों में दिखाई गई अश्लील हरकतें, छोटे अर्ध नग्न कपड़ों का पहनना, चोरी, हत्या, गुंडागर्दी, गालियां जिसका सीधा दुष्प्रभाव युवा वर्ग पर पड़ रहा है।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि मानव समाज को इन सभी बुराईयों से दूर करके सत्य भक्ति पर लगाएं। संत रामपाल जी महाराज जी के लाखों अनुयायी बुराईयों को त्यागकर नेक जीवन जीने लगे हैं।
🎯कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाना ही है संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य
कबीर साहेब की वाणी है: कलयुग मध्य सतयुग लाऊं।
ताते सत कबीर कहाऊं।।
इस वाणी को कबीर साहेब जी ने वर्तमान समय के लिए बोला था, आज स्वय कबीर साहेब जी ही संत रामपाल जी महाराज के रूप में धरती पर आकर अपनी वाणी को सच कर रहे हैं।
संत रामपाल जी द्वारा चलाये मार्ग का मूल उद्देश्य है दुनिया में सतयुग जैसा माहौल बनाना।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
🎯नशा मुक्त समाज
संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझने के बाद उपदेश प्राप्त करते ही हर प्रकार का नशा छूट जाता है।
आज संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर लाखों अनुयायी नशा छोड़ चुके हैं।
🎯अपने निज घर सतलोक से परिचित करवाया
संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने निज घर अमर लोक (सतलोक) को भूल चुकी सभी आत्माओं को सैंकड़ों प्रमाण देकर सतलोक के स्थायी सुखों से परिचित करवाया जिससे जनता को एक ऐसे लोक का पता चला जहां जाने के बाद जन्म व मृत्यु नहीं होती।
🎯पूरी दुनिया आतंकवाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद से प्रभावित है। संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया में अमन शांति हो, लोग आपस में लड़े नहीं।
संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं :
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
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mohanrathore · 2 years
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*🌺बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🌺
*#Aim_Of_SantRampalJiMaharaj
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया से भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी समाप्त हो। संत रामपाल जी महाराज के बताये तत्वज्ञान से उनके अनुयायी न तो रिश्वत लेते और न देते हैं।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य भारत को सोने की चिड़िया बनाने का है। जहाँ सर्व धर्म, जाति के लोग प्रेम, भाईचारे के साथ रहें, जहाँ सभी सुखी रहें, सबको समान न्याय मिले, जहाँ किसी का शोषण न हो।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि युवाओं का नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान हो।
हर व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करे। कोई किसी को ठगे नहीं।
कबीर परमेश्वर जी की वाणी है –
कबीर, आप ठगाईये, और न ठगिये कोय।
आप ठगाये सुख होत है, और ठगे दुःख होय।।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
🎯‛बेटा बेटी एक समान’ इस नारे को यथार्थता के धरातल पर स्थापित करना संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है। इसी कारण उन्होंने दहेज जैसी प्रथा का समूलनाश करने के लिए विवाह की सादगीपूर्ण विधि समाज को दी है।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि विश्व के सभी प्राणी वास्तविक परमेश्वर कबीर जी की सतभक्ति करे, समाज में कोई भी प्राणी दुखी न हो, हर समस्या का समाधान हो। धरती स्वर्ग समान बन जाए।
🎯संत रामपाल जी महाराज का मूल उद्देश्य एक ऐसे स्वच्छ समाज की स्थापना करना है जो चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, नशे से द���र हो।
आज हकीकत में उनके ज्ञान से यह सम्भव हो रहा है।
🎯संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि दहेज के नाम पर किसी बेटी को प्रताड़ित न किया जाये। इसी के तहत संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में हजारों दहेज मुक्त विवाह संपन्न किये जा चुके हैं। जिससे समाज में दहेज प्रथा के समाप्त होने की आस जग चुकी है।
🎯हम एक ऐसा मानव समाज तैयार कर रहे हैं, जो किसी भी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करके सबको न्याय दिलाएगा।
छोटा बड़ा, अमीर-गरीब की खाई को मिटायेगा। आध्यात्मिक तत्वज्ञान के आधार से भारत विश्व का एक महान राष्ट्र होगा। अन्य सर्व राष्ट्र भारत वर्ष का अनुसरण करेंगे।
- संत रामपाल जी महाराज जी
🎯फ़िल्मों में दिखाई गई अश्लील हरकतें, छोटे अर्ध नग्न कपड़ों का पहनना, चोरी, हत्या, गुंडागर्दी, गालियां जिसका सीधा दुष्प्रभाव युवा वर्ग पर पड़ रहा है।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि मानव समाज को इन सभी बुराईयों से दूर करके सत्य भक्ति पर लगाएं। संत रामपाल जी महाराज जी के लाखों अनुयायी बुराईयों को त्यागकर नेक जीवन जीने लगे हैं।
🎯कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाना ही है संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य
कबीर साहेब की वाणी है: कलयुग मध्य सतयुग लाऊं।
ताते सत कबीर कहाऊं।।
इस वाणी को कबीर साहेब जी ने वर्तमान समय के लिए बोला था, आज स्वय कबीर साहेब जी ही संत रामपाल जी महाराज के रूप में धरती पर आकर अपनी वाणी को सच कर रहे हैं।
संत रामपाल जी द्वारा चलाये मार्ग का मूल उद्देश्य है दुनिया में सतयुग जैसा माहौल बनाना।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
🎯नशा मुक्त समाज
संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझने के बाद उपदेश प्राप्त करते ही हर प्रकार का नशा छूट जाता है।
आज संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर लाखों अनुयायी नशा छोड़ चुके हैं।
🎯अपने निज घर सतलोक से परिचित करवाया
संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने निज घर अमर लोक (सतलोक) को भूल चुकी सभी आत्माओं को सैंकड़ों प्रमाण देकर सतलोक के स्थायी सुखों से परिचित करवाया जिससे जनता को एक ऐसे लोक का पता चला जहां जाने के बाद जन्म व मृत्यु नहीं होती।
🎯पूरी दुनिया आतंकवाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद से प्रभावित है। संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया में अमन शांति हो, लोग आपस में लड़े नहीं।
संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं :
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
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loksutra · 2 years
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नाशिकमध्ये मुस्लिम धर्मगुरूची गोळ्या घालून हत्या, अफगाणिस्तानातील ३५ वर्षीय 'सूफी बाबा'
नाशिकमध्ये मुस्लिम धर्मगुरूची गोळ्या घालून हत्या, अफगाणिस्तानातील ३५ वर्षीय ‘सूफी बाबा’
मुस्लिम गुरूची डोक्यात गोळी झाडून हत्या प्रतिमा क्रेडिट स्रोत: प्रतिकात्मक फोटो नाशिक जिल्ह्यातील येवला शहरात एका ३५ वर्षीय मुस्लिम आध्यात्मिक नेत्याची मंगळवारी चार अज्ञातांनी गोळ्या झाडून हत्या केली. मुस्लिम आध्यात्मिक नेता अफगाणिस्तानचा असल्याचे पोलिसांनी सांगितले. महाराष्ट्र (महाराष्ट्र) नाशिकमधील ३५ वर्षांचे मुस्लिम आध्यात्मिक नेते (मुस्लिम आध्यात्मिक गुरु) मंगळवारी चार अज्ञातांनी गोळ्या…
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pushkar63929 · 3 years
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#WednesdayMotivation
विश्व कल्याण के लिए संत रामपाल जी महाराज जी के उद्देश्य
संत रामपाल जी महाराज जी का कड़ा संदेश है
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।
संत रामपाल जी महाराज जी का मार्ग जाति, धर्म व उच्च पद से मुक्त है। संत रामपाल जी महाराज जी के यहाँ चाहे कोई भी जाति, धर्म, किसी भी उच्च पद प्राप्त भाई बन्धु जाए। वे सभी से प्यार और समभाव से पेश आते हैं। वहाँ न किसी को अपनी जाति का अभिमान होता है, न ही धर्म का और न किसी उच्च पद का।
संत रामपाल जी महाराज जी समाज में मानव धर्म को स्थापित करना चाहते हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी आध्यात्मिक मार्ग में फैले पाखंडवाद को समाप्त कर, सभी प्रमाणित धर्मग्रंथों की तुलनात्मक समीक्षा करके शास्त्रानुकूल भक्ति को जन सधारण तक पहुंचाना चाहते हैं। समाज में व्याप्त कुरीतियों का समूल नाश व दहेज प्रथा, मुत्युभोज, भ्रूण हत्या, छुआछूत, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार आदि से मुक्त समाज का निर्माण करना चाहते हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी चाहते हैं कि सभी प्राणी एक-दूसरे के साथ नेक व्यवहार करें। आपसी प्रेम व सद्भाव का वातावरण बने। संत रामपाल जी महाराज जी के अनुसार "वासुदेव कुटुम्बकम" सारा विश्व एक परिवार है। सभी प्राणी परमेश्वर के बच्चे हैं। जाति भेदभाव से परे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक सर्वोच्च परमेश्वर कबीर साहिब जी की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि समाज में कोई भी प्राणी किसी भी कारण दुःखी न हो। उनकी हर समस्या का समाधान हो। समाज बुराइयों रहित बने। मनुष्यों पर कोई भी आपदा न आए और धरती स्वर्ग समान बन जाए। संत रामपाल जी महाराज जी का एक ही सपना है दहेज़, नशा, पाखंड, भ्रष्टाचार, छुआछूत, रिश्वत खोरी से मुक्त हो भारत अपना।
संत रामपाल जी महाराज जी युवाओं का नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान करना चाहते हैं ताकि
हर व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करे। कोई किसी को ठगे नहीं।
कबीर परमेश्वर जी की वाणी है –
कबीरा आप ठगाइए और न ठगिए कोई।
आप ठगाए सुख होत है और ठगे दुःख होई।
संत रामपाल जी महाराज जी चाहते हैं कि सभी मानव चाहे वह किसी भी जाति, पंथ, रंग, धर्म के हों, वे सभी एक पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर लौटें जहां परम शांति व सुख है न जन्म है, न मृत्यु है।
संत रामपाल जी महाराज जी समाज में फैली बुराइयों को जड़ से खत्म करके एक स्वच्छ समाज तैयार करना चाहते हैं। समाज में फैली पाखंड पूजा को खत्म करके शास्त्रों में बताई सत भक्ति को जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी का लक्ष्य है कि विश्व में सम्पूर्ण प्राणी वास्तविक परमेश्वर कबीर जी की सतभक्ति करे, समाज में कोई भी प्राणी किसी भी कारण दुःखी न हो, उनकी हर समस्या का समाधान हो। समाज बुराइयों रहित बने। मनुष्यों पर कोई भी आपदा न आए और धरती स्वर्ग समान बन जाए।
संत रामपाल जी महाराज जी मानव समाज को सभी बुराइयों से दूर करके सत्य भक्ति पर लगाना चाहते हैं, जिससे आने वाली पीढ़ी अच्छे संस्कारों वाली हों। लाखों युवा वर्ग इन बुराईयों को त्यागकर नेक जीवन जीने लगे हैं।
कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाना संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है।
कबीर साहेब की वाणी है कि -
कलयुग मध्य सतयुग लाऊं।
ताते सत्य कबीर कहाऊं।।
इस वाणी को कबीर साहेब जी ने वर्तमान समय के लिए बोला था, आज स्वयं क��ीर साहेब जी ही संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में धरती पर आकर अपनी वाणी को सच कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा चलाये मार्ग का मूल उद्देश्य है दुनिया में सतयुग जैसा माहौल बनाना है।
संत रामपाल जी सतगुरु आए, पूर्ण ब्रह्म अवतार।
विश्व मैत्री, पूर्ण मोक्ष, होगा समाज सुधार।
अधिक जानकारी के लिए विजिट करें www.jagatgururampalji.org
#SaintRampalJi
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#संत_रामपाल_जी_के_उद्देश्य
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sant-rampal-ji · 4 years
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संत रामपाल जी महाराज जी सर्व धर्मों के पवित्र शास्त्रों पर आधारित ज्ञान देते हैं। गीता, वेद, क़ुरान, गुरुग्रंथ साहिब तथा बाईबल आदि हमारे सदग्रंथ हैं। संत रामपाल जी महाराज सबके प्रति नेक व्यवहार करना सिखाते हैं। वासुदेव कुटुम्बकम सारा विश्व एक परिवार है। सभी प्राणी परमेश्वर के बच्चें है। जाति भेद भाव से परे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी का मार्ग क्या है?
ईमानदारी से कार्य करना। किसी को ठगना नहीं।
कबीर परमेश्वर जी की वाणी है –
कबीरा आप ठगाइए और न ठगिए कोई।
आप ठगाए सुख होत है, और ठगे दुःख होई।।
सन्त रामपाल जी ने दिया कड़ा संदेश:
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।
उन्होंने जाति, धर्म व उच्च पद से मुक्त मार्ग बताया है। संत रामपाल जी के यहाँ चाहे कोई भी जाति, धर्म, किसी भी उच्च पोस्ट (पद) प्राप्त भाई बन्धु जाए। वे सभी से प्यार और समभाव से पेश आते हैं। वहां न किसी को अपनी जाति का अभिमान होता है, न ही धर्म का और न किसी उच्च पद का। कबीर पंथी – जो कबीर जी के बताए मार्ग पर चले
कबीर पंथी के क्या गुण (Quality) होते हैं?
कबीर पंथी शास्त्रानुकूल भक्ति करते हैं,जो कि शास्त्रों से प्रमाणित होती है। शास्त्रविरुद्ध पूजा नहीं करते हैं तथा श्राद्ध पूजा, पिण्ड दान, माता मसानी की पूजा तथा प्रेतों की पूजा आदि नहीं करते। सतभक्ति मार्ग पर चलते हैं।
क्या आपको पता है संत रामपाल जी कौन हैं?
संत रामपाल जी महाराज कबीर पंथी संत हैं। उनका जन्म 08 सितम्बर 1951 को गाँव धनाना, जिला सोनीपत, (हरियाणा प्रान्त) भारत वर्ष में हुआ। संत रामपाल जी महाराज सर्वगुण सम्पन्न संत हैं वे एक सच्चे सतगुरु भी हैं जो परमेश्वर के विषय में सच्चा ज्ञान बताते हैं।
संत रामपाल जी ही असली जगतगुरु हैं
संत रामपाल जी ही जगतगुरु हैं ,जो सारे संसार को भक्ति का सच्चा मार्ग प्रशस्त करते हैं। वे वही तत्वदर्शी सन्त भी हैं जिनके विषय में पवित्र गीता जी में बताया गया है। वे विश्वविजेता संत भी हैं जिन्होंने विश्व के सभी संतों, गुरुओं, शंकराचार्यों एवं धर्मगुरुओं को ज्ञान चर्चा में निरुत्तर किया है। वे धरती पर अवतार भी हैं वे स्वयं कबीर परमेश्वर जी के अवतार हैं। वे जगत के सभी दु:खों एवं जन्म मृत्यु के दीर्घ रोग से मुक्त कराने वाले/तारने वाले तारणहार भी हैं।
संत रामपाल जी का मूल उद्देश्य
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य क्या है? संत रामपाल जी का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर (Supreme God) कबीर जी की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक (सचखंड, अनन्त) की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक नेता (Spiritual Leader) जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उनकी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम (दीक्षा) ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज समाज सुधारक संत हैं
संत रामपाल जी ने प्रमाणित सत्य भक्ति साधना देने के साथ साथ समाजहित के लिए भी कई बड़े कदम उठाए हैं, वे चाहते हैं कि समाज में कोई भी प्राणी किसी भी कारण दुःखी न हो। उनकी हर समस्या का समाधान हो। समाज बुराईयों रहित बने। मनुष्यों पर कोई भी आपदा न आए और धरती स्वर्ग समान बन जाए। संत रामपाल जी महाराज जी का एक ही सपना है दहेज़, नशा, पाखंड, भ्रष्टाचार, छुआछूत, रिश्वत खोरी से मुक्त हो भारत अपना।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य समाज का सुधार करना है
आध्यात्मिक मार्ग में फैले पाखंडवाद को समाप्त कर सभी प्रमाणित धर्मग्रंथों की तुलनात्मक समीक्षा करके शास्त्रानुकूल भक्ति जन सधारण तक पहुंचाना
समाज में व्याप्त कुरीतियों का समूल नाश करना
दहेज प्रथा, मुत्युभोज, भ्रूण हत्या, छुआछूत, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार आदि से मुक्त समाज का निर्माण करना है
नशा मुक्त भारत बनाना। समाज में मानव धर्म का प्रचार, भ्रूण हत्या पूर्ण रूप से बंद करना
छुआ-छूत रहित समाज का निर्माण
समाज से पाखंडवाद को खत्म करना
भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण करना
समाज से जाति-पाति के भेद को मिटाना
समाज से हर प्रकार के नशे को दुर करना
समाज में शांति व भाईचारा स्थापित करना
विश्व को सतभक्ति देकर मोक्ष प्रदान करना
युवाओं में नैतिक और आध्यात्मिक जागृति लाना
समाज से दहेज रूपी कुरीति को जड़ से खत्म करना
सामाजिक बुराईयों को समाप्त करके स्वच्छ समाज तैयार करना
समस्त धार्मिक ग्रंथों के प्रमाण के आधार पर शास्त्र अनुकूल साधना समाज को देना ।
संघर्ष और विवाद
सन्त रामपाल जी महाराज भारतवर्ष में विवादित संत माने जाते हैं। लेकिन वे एक ऐसे महापुरुष हैं जिनके विषय में अधिकांश को सही जानकारी नहीं है जैसा कि आप सबको पता है कि संत रामपाल जी महाराज इस समय केंद्रीय जेल हिसार (हरियाणा) में झूठे केस में बंद हैं। जिन्होंने सभी धर्म के शास्त्रों से यह प्रमाणित कर दिया है कि कबीर जी भगवान हैं। उन्होंने सत्संगों में प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रमाण भी दिखाए हैं। सन्त रामपाल जी के अनुयायी उन्हें भगवान के तुल्य मानते हैं।
सन्त रामपाल जी के साथ विवाद क्यों हुआ?
वर्ष 2006 में संत रामपाल जी महाराज जी करौंथा आश्रम, जिला रोहतक स्थित सतलोक आश्रम में सत्संग कर रहे थे उस दौरान संत रामपाल जी और उनके अनुयायियों को आर्य समाज के प्रतिनिधि सभा के नेतृत्व में कुछ आपराधिक लोगों ने घेर लिया।
संत रामपाल जी महाराज जी के संघर्ष की कहानी उस समय की है जब सतलोक आश्रम करौंथा में लगभग 5 से 6 हजार अनुयायी मौजूद थे, हजारों की तादाद में उप्रदवी लोगों ने हथियारों के साथ आश्रम को बाहर से घेर रखा था। इसके पीछे कारण था पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश और उसमें लिखित त्रुटियां।
“आर्य प्रतिनिधि सभा”, दयानंद सरस्वती के आदर्शों पर चलने वाली संस्था है जो पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश को अपना आधार मानती है और इस विवाद की मुख्य जड़ यही पुस्तक थी। वही त्रुटियां आज भी सत्यार्थ प्रकाश में विद्यमान हैं। संत रामपाल जी महाराज जी ने जब जाना कि कबीर ही भगवान हैं तो उन्होंने लोगों को समझाने के लिए वेदों का अध्ययन करना शुरू किया, वे चाहते थे कि लोगो�� को प्रमाण देकर समझाने से श्रद्धालुओं का विश्वास कबीर जी में दृढ़ होगा, चूंकि हरियाणा में हिंदू संत महात्माओं ने अपने अधूरे ज्ञान से कबीर जी को केवल एक कवि ,संत और भक्त तक ही सीमित किया हुआ था।
इसलिए भी वेदों से प्रमाणित करना अनिवार्य था, वेदों का अध्य्यन करते करते संत रामपाल जी ने सोचा क्यों न वेदों का सार माने जाने वाले सत्यार्थ प्रकाश को पढ़ा जाए, क्योंकि वेदों का अनुवाद और सत्यार्थ प्रकाश की रचना दयानंद सरस्वती ने ही की थी, इसलिए सत्यार्थ प्रकाश को वेदों का सार मानते हुए जब संत रामपाल जी महाराज जी ने पढ़ा तो उनको बड़ी हैरानी हुई। आखिर ऐसा क्या पढ़ लिया था संत रामपाल जी ने जो उनको इतनी हैरानी हुई, तो चलिए जानते हैं।
आइए जानें सत्यार्थ प्रकाश किताब की सच्चाई क्या है?
दयानंद सरस्वती जी वेदों को आधार मानते थे लेकिन सत्यार्थ प्रकाश में उन्होंने वेदों के विपरीत लिखा हुआ था, सत्यार्थ प्रकाश वेदों के विपरीत होने के साथ साथ बेहूदी बातों से भरा पड़ा है जो कि सामाज को तहस नहस कर सकता था। सत्यार्थ प्रकाश के चौथे समुल्लास में अत्यंत शर्मनाक बातें लिखी हुई हैं। वेदों में और सत्यार्थ प्रकाश में ज़मीन आसमान का अंतर है और सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक को आम सभ्य नागरिक के सामने बता पाना भी मुश्किल है।
इसके अलावा महापुरुषों पर अभद्र और जातिगत टिप्पणी करना, सूर्य पर जीवन बताना जैसी बहुत सी अनर्गल बातों को पढा तो संत रामपाल जी महाराज जी ने सत्यार्थ प्रकाश में लिखी इन बेहूदी बातों पर आपत्ति व्यक्त की और आर्य प्रतिनिधि सभा से निवेदन किया कि सत्यार्थ प्रकाश में जो लिखा है वो वेदों के विरुद्ध है, इस पुस्तक से समाज में अराजकता और अंधविश्वास फैल रहा है, कृपया इस पुस्तक में जो त्रुटियां है उन्हें ठीक करें।
आर्य समाजियों का आश्रम पर हमला
आर्य प्रतिनिधि सभा ने संत रामपाल जी से नाराज़ होते हुए, समाचार पत्र के माध्यम से उनके विषय में निराधार आरोप लगाते हुए त्रुटियों को ठीक करने से इन्कार कर दिया और सत्यार्थ प्रकाश को सही बताते हुए उसे आर्य समाज की रीढ़ की हड्डी घोषित किया। इसके पश्चात संत रामपाल जी महाराज ने भी समाचार पत्र के माध्यम से लोगों को सत्यार्थ प्रकाश में लिखी त्रुटियों को बताना शुरू कर दिया। संत रामपाल जी का ऐसा करना आर्य प्रतिनिधि सभा को रास नहीं आया। संत रामपाल जी महाराज और उनके आश्रम को खत्म करने की नियत से कानून का सरेआम मज़ाक बनाते हुए हज़ारों की तादाद में शरारती तत्वों के साथ मिलकर आर्य प्रतिनिधि सभा ने सतलोक आश्रम करौंथा पर हमला बोल दिया। 
जिसमें गुरुकुल में पढ़ने वाले छोटे छोटे बच्चे भी शामिल थे, उनके माता पिता तक को नहीं पता था कि गुरुकुल में शिक्षा प्राप्ति के लिए भेजे गए उनके बच्चे किसी के आश्रम पर हमला करने गए हैं। आश्रम पर हमला करने आई भीड़ को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले, पानी की बौछारें और फिर हवाई फायर भी किए , लेकिन हिंसक भीड़ को आर्य प्रतिनिधि सभा ने इस कदर भड़काया हुआ था कि भीड़ पुलिस के ऊपर पथराव करने लगी। पुलिस ने भी जवाबी कार्यवाही की। इस दौरान एक सोनू नाम के लड़के की मौत हो गई। सोनू झज्जर के बागपत गांव का रहने वाला था।
इस पूरे विवाद में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भूमिका भी प्रमुख थी। बड़ी हैरानी की बात है कि जिस लड़के की मौत पुलिस के साथ हिसंक झड़प में हुई उसकी मौत का ज़िम्मेदार संत रामपाल जी को बना दिया गया और ये मामला कहीं न कहीं हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा की सहमति पर ही संत रामपाल जी पर बनाया गया।
सर्वविदित है की मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा अपने आपको पिछली कई पीढ़ियों से आर्य समाजी मानते हैं। बात केवल यही नहीं है बल्कि अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए खुद मुख्यमंत्री ने एक संत के खिलाफ इस तरह का बर्ताव किया। सतलोक आश्रम करौंथा के ऊपर हमला करने वाले उन उपद्रवियों को हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा ने 50 – 50 हज़ार रुपए का इनाम भी दिया। मतलब साफ है हिंसा करने वालों को तथा पुलिस पर पथराव करने वालों को इनाम दिया गया।
इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिला जब आप किसी के घर पर हमला करने के लिए जाएं, वहां गोलियां चलाएं, उन पर पथराव करें इस सब में यदि आपको चोट लगती है तो 50 हज़ार और मौत होती है तो 5 लाख का इनाम हरियाणा सरकार से पाएं। इस तरह की बेहूदगी भरी हरकत एक निर्दोष संत के साथ हरियाणा सरकार ने की और एक निर्दोष संत को और उनके 37 भक्तों को 21 महीने तक जेल में रखा गया। कोर्ट में आने वाले उनके अनुयायियों को पीटा गया। 21 महीने बाद जब संत रामपाल जी महाराज जी की ज़मानत होती है तो उसके बाद फिर से वैसा ही घिनौना कार्य हरियाणा सरकार ने किया।
संत रामपाल जी महाराज के जीवन के संघर्ष का दौर अभी थमा नहीं था ये तो शुरुआत भर थी, क्योंकि संत रामपाल जी महाराज ने जो आवाज़ सत्यार्थ प्रकाश में लिखी अज्ञानता के खिलाफ उठाई थी उस आवाज को दबाने के लिए हर वो ताकत संत रामपाल जी के ख़िलाफ़ खड़ी हो गई जो झूठ की बुनियाद पर अपना धंधा चलाने में लगे थे, उसमें चाहे खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री हों, या तत्कालीन समाचार पत्र या न्यूज़ चैनल सभी ने मिलकर झूठ का ऐसा पुलिंदा बनाया कि लोग संत रामपाल जी को घृणा की दृष्टि से देखने लगे क्योंकि तत्कालीन समाचार पत्रों की हैडलाइन देखकर कोई भी व्यक्ति सच को जानने की हिम्मत ही नहीं कर पाया और जो मीडिया ने दिखाया वो ही सच लगने लगा।
अखबार के मुख्य पेज पर सूत्रों के हवाले से ऐसी ऐसी खबरें छापी गईं जिसका कोई आधार नहीं था। झूठ जब हद से ज़्यादा छपने लगा तो SP रोहतक ने मीडिया को इस पर रोक लगाने के लिए कहा। 15 दिन तक मीडिया जब पूरी तरह लोगों में संत रामपाल जी की छवि को बदनाम कर चुका था तब अखबार के बीच एक कोने में खबर छपी कि SP रोहतक के अनुसार सतलोक आश्रम में कोई भी अवैध वस्तु नहीं मिली। लेकिन ये अपने आप में एक मज़ाक था उन लोगों के साथ जो मीडिया की खबरों को पढ़कर ये मान चुके थे कि संत रामपाल जी अपराधी हैं।
लगातार 21 महीने संत रामपाल जी जेल में सलाखों के पीछे संघर्ष करते रहे और उनके अनुयायी रोहतक कोर्ट के बाहर सड़कों पर आर्य समाज के कुछ गुंडो की गुंडई के खिलाफ संघर्ष करते रहे। सरकार को किसी भी तरह से संत के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, यहां तक कि FSL रिपोर्ट में भी ये साफ हो गया कि संत रामपाल जी का सोनू की हत्या में कोई हाथ नहीं है, न संत रामपाल जी को सोनू की हत्या में सीधा दोषी ठहराया जा सकता है।
यहां तक कि आश्रम में एक भी गैर लाइसेंसी हथियार नहीं मिला, बावजूद इसके संत रामपाल जी को 21 महीने जेल में रखा गया, आप खुद अंदाजा लगाएं की देश और समाज हित के लिए आवाज़ उठा कर संत ने क्या गुनाह किया था? लेकिन अपनी गंदी राजनीति को चमकाने के लिए संत रामपाल जी पर अत्याचार किये गए। उसके बाद 21 महीने जेल में रहने के बाद हाइकोर्ट से संत रामपाल जी महाराज जी को ज़मानत मिली। संत रामपाल जी महाराज के मानने वालों की संख्या पहले से ज़्यादा हो चुकी थी, लोग भी समझने लगे थे कि मीडिया ने उन्हें गुमराह किया है। भारत देश की मीडिया झूठी है किसी के विषय में गलत ख़बरें छाप देती है। भारत की मीडिया No.1 गुलाम मीडिया है। जिसने तारणहार संत के विषय म���ं गलत बोला है।
वर्तमान समय में पूर्ण व आधिकारिक गुरु जगतगुरु कौन है?
वर्तमान समय में पूर्ण व आधिकारिक गुरु जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हैं। जिन्होंने सर्व पवित्र धर्मों के पवित्र शास्त्रों से पवित्र ज्ञान सर्व भक्त समाज के समक्ष कर दिया है। पूर्ण गुरु की शरण में जाने से वास्तविक भक्ति, पूर्ण मोक्ष और सर्वकामनाएं पूर्ण होती हैं। तो देर न करें आज ही अविलंब जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नामदीक्षा लें और अपना कल्याण करवाएं।
संत रामपाल जी महाराज एक मात्र ऐसे संत हैं जिन्होंने ऐसा काम करके दिखा दिया जिसको आज तक कोई भी संत, महंत और महात्मा नहीं कर सके। उन्होंने परमेश्वर का यथार्थ ज्ञान सभी धर्मों के शास्त्रों से खोज कर सबके समक्ष पेश कर दिया है। वर्तमान में ऐसा कोई ज्ञानवान नहीं है जो संत रामपाल जी से ज्ञान चर्चा कर सके क्योंकि वे कई धर्मगुरुओं को ज्ञान चर्चा में निरुत्तर कर चुके हैं और बता चुके हैं कि तुम्हारा ज्ञान गलत, तुम्हारी साधना गलत। आप अपना भी नाश कर रहे हो और भोली आत्माओं को भगवान से दूर करके पाप के भागी और बन रहे हो। अगर उनके पास कोई उत्तर होता तो उधमस तार देते ये नकली धर्मगुरु क्योंकि इनके हाथ में पैसे, मीडिया, राजनेता लोग हैं। क्या पता संत रामपाल जी के बारे में क्या क्या बकवास कर देते टीवी पर, परंतु अब सबकी सांस थम गई है।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नामदीक्षा ले। आपको अपने घर बैठे ही निःशुल्क नाम दीक्षा मिल जाएगी। अधिक जानकारी के लिए पवित्र शास्त्रों के गूढ़ रहस्यों को जानने के लिए प्रतिदिन अवश्य देखिए संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन। सर्व पवित्र धर्मों के पवित्र शास्त्रों के आधार पर “साधना चैनल” पर शाम 7:30pm (IST).
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ashok-khelwal · 4 years
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S A NEWS
अवतरण दिवस (Avatar Diwas) : 8 सितम्बर (September) को क्या है?
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10 hours ago
8 September अवतरण दिवस (Avatar Diwas) dharti par avatar
8 September Avatar Diwas (अवतरण दिवस): जानिए 8 सितम्बर को क्या है?, 8 सितम्बर है जन्म दिवस एक महान शायरन तत्वदर्शी संत का या कहें समूची मानव जाति के तारणहार आदिपुरुष परमेश्वर के अंश का। आइये जानें कौन है वह तारणहार जो करेगा युग परिवर्तन।
8 September अवतार दिवस (Avatar Diwas) मुख्य बिंदु
पूरे विश्व के एकमात्र तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज हैं जिनका जन्म दिवस है 8 सितम्बर
नास्त्रेदमस, जीन डिक्सन, कीरो, अनंदाचार्य, प्रोफेसर हरार जैसे कई भविष्यवक्ताओं ने की सन्त रामपाल जी महाराज के विषय में भविष्यवाणियां
सभी धर्मों के धर्मग्रंथों को खोलकर गूढ़ रहस्यों को सामने लाये सन्त रामपाल जी महाराज, तत्वज्ञान से खोली नकली धर्मगुरुओं की पोल
21वीं सदी में आध्यात्मिक क्रांति के साथ तत्वज्ञान से सामाजिक सुधारों, दहेज मुक्त भारत, नशा मुक्त भारत बनाने की दिशा में अग्रसर सन्त रामपाल जी महाराज
भारत की पुण्यभूमि पर सदैव से होता रहा है अवतारों का अवतरण
8 September Avatar Diwas: मानवता के पूर्ण विकास का कार्य आदि काल से भारत की पुण्यभूम��� में होता रहा है। इसी पुण्यभूमि पर अवतारों का अवतरण आदि काल से होता आ रहा है। विडम्बना ही कही जाएगी कि दिव्य पुरुषों और अवतारों के जीवन काल में तत्कालीन शासन तंत्र और भोली जनता ने उनके दिव्य ज्ञान और आदर्शों को महत्व नहीं दिया। अपितु उनका विरोध व अपमान ही करते रहे, संतों के प्रति भोली जनता को भ्रमित करके ज्ञान प्रसार में बाधक बनकर पाप के भागीदार बने। भले ही उन संतों के पृथ्वी से प्रस्थान करने के बाद उनकी पूजा में जुट गए। यह हर युग में होता आया है और आज भी हो रहा है।
संत कष्ट सहकर भी सत्य के मार्ग पर अडिग
संत महापुरूष अगण्य कष्टों को सहकर भी सत्य के मार्ग पर अडिग रहते हैं। सत्य पर अडिग रहते हुए ईसा मसीह ने अपने शरीर में कीलों की भयंकर पीड़ा को झेला, सुकरात ने जहर का प्याला पिया, श्री राम तथा श्री कृष्ण जी ने भी यातनाएं सहीं।
सत्यपथ के खोजी परमतत्व के ज्ञाता सन्त को ढूंढ ही लेते हैं
पृथ्वी पर विवेकशील प्राणियों की भी कमी नहीं है। ऐसे सत्य पथ के खोजी लोग उस परम तत्व के ज्ञाता सन्त को ढूंढकर, उनकी आज्ञाओं को स्वीकार कर, उनके निर्देशानुसार मर्यादा में रहकर अपने मनुष्य जन्म को कृतार्थ करते हैं। वर्तमान में मानव समाज शिक्षित और बुद्धिजीवी है अतः वास्तविक सन्त का खोजी है।
सही सिद्ध हुई विश्व प्रसिद्ध भविष्यवक्ता श्री नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी
प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी में यह तक कहा है कि वह ग्रेट शायरन तीन ओर से समुद्र से घिरे देश में वे पांच नदियों वाले राज्य में होगा। उस ग्रेट शायरन की माताएं तीन बहनें होंगी, वह न मुस्लिम, न क्रिश्चियन बल्कि केवल हिन्दू ही होगा। उस महापुरुष की चार संतानें (दो बेटे व दो बेटियां) होंगी। उसका बहुत विरोध होगा और उसे देशद्रोह जैसे झूठे आरोपों में जेल भी जाना पड़ेगा।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के शतक 6 श्लोक 70 में नास्त्रेदमस ने कहा कि:
“मैं छाती ठोककर कहता हूं कि वह महापुरुष ऐसा ज्ञान बतलायेगा, जो आज से पहले किसी ने भी न सुना होगा, उसके ज्ञान को सुनकर सभी विद्वान कहलाने वाले धर्मगुरुओं को नतमस्तक होना पड़ेगा।”
नास्त्रेदमस ने अपने शतक 1 के श्लोक 50 में यह भी कहा है कि वह आदि पुरुष परमेश्वर का अंश व दुनिया का तारणहार होगा। नास्त्रेदमस जी ने भविष्यवाणी की थी कि जिस समय उस तत्वदृष्टा शायरन का आध्यात्मिक जन्म होगा उस दिन अंधेरी अमावस्या होगी। उस समय वह विश्व नेता तरुण नहीं, बल्कि प्रौढ़ होगा और संसार में प्रसिद्ध होगा। वह सन् 2006 होगा। वे विद्वान सन्त है जगत् गुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज।
8 September Avatar Diwas: तत्वदर्शी संत रामपाल जी का परिचय
8 September Avatar Diwas: संत रामपाल जी का जन्म 8 सितम्बर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में एक किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करके भारतवर्ष के हरियाणा राज्य सरकार के सिंचाई विभाग में कनिष्ठ अभियंता के पद पर अठारह वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988 में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की सत्यभक्ति मार्गीय परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की तथा तन-मन से सक्रिय होकर स्वामी रामदेवानंद जी द्वारा बताए भक्ति मार्ग से साधना की तथा परमात्मा का साक्षात्कार किया।
संत रामपाल जी को नाम दीक्षा 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को रात्रि में प्राप्त हुई। उस समय संत रामपाल जी महाराज की आयु 37 वर्ष थी। उपदेश दिवस (दीक्षा दिवस) को संतमत में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज को सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण कनिष्ठ अभियंता के पद से त्यागपत्र दे दिया जो हरियाणा सरकार द्वारा 16.5.2000 को पत्र क्रमांक 3492-3500, तिथि 16.5.2000 के तहत स्वीकृत है।
सन् 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर-घर, गांव-गांव, नगर-नगर में जाकर सत्संग किया। बहु संख्या में उनके अनुयाई हो गये। साथ-साथ ज्ञानहीन संतों का उनके बताए सत्य मार्ग के प्रति विरोध भी बढ़ता गया।
गांव करौंथा जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना
सन् 1999 में गांव करौंथा जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना की तथा एक जून 1999 से 7 जून 1999 तक परमेश्वर कबीर जी के प्रकट दिवस पर सात दिवसीय विशाल सत्संग का आयोजन करके आश्रम का प्रारम्भ किया तथा महीने की प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिन का सत्संग प्रारम्भ किया। दूर-दूर से श्रद्धालु सत्संग सुनने आने लगे तथा तत्वज्ञान को समझकर बहुसंख्या में अनुयाई बनने लगे। चंद दिनों में संत रामपाल महाराज जी के अनुयाइयों की संख्या लाखों में पहुंच गई।
नकली धर्मगुरुओं की खोली पोल
सन्त रामपाल जी महाराज ने विश्व के सभी धर्मगुरुओं को ज्ञान चर्चा के लिए ललकारा। जनता को भ्रमित करने वाले सभी धर्मगुरुओं की पोल खोली, धर्मग्रंथों को खोलकर वास्तविकता से परिचय करवाया और तत्वज्ञान बताया। धर्मगुरुओं ने जिन्होंने मात्र, पाखण्ड और आडम्बर के तहत अपने लाभ के लिए धर्म का सहारा लिया था उनकी सच्चाई से जनता को अवगत कराया और इसलिए बहुत विरोध का सामना करना पड़ा। सत्य और असत्य का फर्क धर्मशास्त्रों से खोलकर बताया और अकाट्य तर्कों के साथ सही आध्यात्मिक तत्वज्ञान बताया जो मोक्षदायक और सर्वसुख दायक है। नकली धर्गुरुओ के साथ अध्यात्मिक ज्ञान चर्चा यहाँ देखें
ज्ञान पिपासु पहचानने लगे सत्य ज्ञान
ज्ञानहीन संतों के अनुयाई तत्वदर्शी संत रामपाल जी के पास आने लगे वे उलटे अपने उन अज्ञानी आचार्यों तथा सन्तों से प्रश्न करने लगे कि आप सर्व ज्ञान अपने सद्ग्रंथों के विपरीत बता रहे हो। उदाहरण के लिए, संत रामपाल जी महाराज यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 को उद्धरित करते हुए बताते हैं कि “पूर्ण परमात्मा अपने भक्त के सर्व पाप नाश कर देता है” जब कि अन्य संत बताते हैं ‘‘परमात्मा अपने भक्त के पाप नाश नहीं करता।
दूसरा उदाहरण है कि पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में लिखा है कि परमात्मा सशरीर है। अग्ने तनुः असि। विष्णवै त्वं सोमस्य तनुर् असि।। इस मंत्र में दो बार गवाही दी है कि परमेश्वर सशरीर है। उस अमर पुरुष परमात्मा का सर्व के पालन करने के लिए शरीर है अर्थात् परमात्मा जब अपने भक्तों को तत्वज्ञान समझाने के लिए कुछ समय अतिथि रूप में इस संसार में आता है तो अपने वास्तविक तेजोमय शरीर पर हल्के तेजपुंज का शरीर ओढ कर आता है।
अज्ञानी संतों ने प्रारम्भ कर दिया दुष्प्रचार
संत रामपाल जी के तर्कपूर्ण ज्ञान से निरूत्तर होकर अपने अज्ञान का पर्दाफास होने के भय से उन अज्ञानी संतों ने दुष्प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया। 12.7.2006 को संत रामपाल जी महाराज को जान से मारने तथा आश्रम को नष्ट करने के लिए अपने अनुयाइयों से सतलोक आश्रम (Satlok Ashram) पर आक्रमण करवाया। पुलिस ने रोकने की कोशिश की जिस कारण से कुछ उपद्रवकारी चोटिल हो गये। असंतों के प्रभाव से सरकार ने सतलोक आश्रम को अपने आधीन कर लिया तथा संत रामपाल जी महाराज व कुछ अनुयाइयों पर झूठा केस बना कर जेल में डाल दिया। इस प्रकार 2006 में संत रामपाल जी महाराज अपने शास्त्र सम्मत ज्ञान के कारण अधिक विख्यात हुए।
सतलोक आश्रम बरवाला हिसार में असंतों ने नवंबर 2014 में की पुनरावृत्ति
संत रामपाल जी के भक्तों ने हिसार जिले के बरवाला नगर में एक आश्रम की स्थापना की। असंतों ने एक बार फिर 18 नवंबर 2014 को पुनरावृत्ति कि और संत रामपाल जी महाराज को सत्यवद के कारण पुनः जेल जाना पड़ा।
लेकिन यह अनोखा नहीं था इसके बारे में भी भविष्यवक्ता श्री नास्त्रेदमस जी ने पहले ही भविष्यवाणी कर रखी है और लिखा है कि मुझे दुःख इस बात का है कि लोगो के उससे परिचित न होने के कारण मेरा शायरन (तत्वदृष्टा संत) उपेक्षा का पात्र बना है। हे बुद्धिमान मानव ! उसकी उपेक्षा ना करो। वह तो सिंहासनस्थ करके अराध्य देव रूप में मान करने योग्य है। वह हिन्दू धार्मिक संत शायरन आदि पुरुष पूर्ण परमात्मा का अनुयाई जगत् का तारणहार है।
विश्व के सभी महान भविष्यवक्ताओं ने की भविष्यवाणी
सन्त रामपाल जी महाराज के विषय में विश्व के सभी प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं ने भविष्यवाणी की है जिनमें जॉन डिक्सन, नास्त्रेदमस, कीरो, प्रोफेसर हरार, अानंदाचार्य, फ्लोरेंस, डॉक्टर जुलर्वन, वेजिलेटिन आदि ने स्पष्ट बताया है कि भारत देश मे 21सवीं सदी के मध्य में घोर हाहाकार के समय एक महान शक्ति का उदय होगा जो समूची मानव जाति का उद्धार करेगी और प्राकृतिक परिवर्तन करेगी, हाहाकार को समाप्त करेगी। यह शक्ति एक गौर वर्ण के अधेड़ आयु के महापुरुष की होगी जो पांच नदियों वाले राज्य में जाट जाति से होगा। यह महापुरुष पूरे विश्व को नई आध्यात्मिक क्रांति से परिचित करायेगा, आरम्भ में इसे विरोध का सामना करना होगा किन्तु उसके बाद उसे अभूतपूर्व समर्थन प्राप्त होगा।
8 September Avatar Diwas: भारत के सन्त तुलसीदास और नानक जी की भविष्यवाणी
आदरणीय गुरु नानक देव जी ने भाई बाले की जन्मसाखी में बताया गया कि नानक जी के सचखंड जाने के पश्चात पंजाब की धरती पर जाट जाति से एक महापुरुष होगा जो कबीर जी तथा नानक जी जैसा महान होगा। जयगुरुदेव पन्थ के प्रसिद्ध प्रवर्तक और सन्त तुलसीदास जी ने अपनी शाकाहारी पत्रिका में 7 सितम्बर सन 1971 में लिखा कि वह महापुरुष जिसकी सभी प्रतीक्षा कर रहे हैं वह 20 वर्ष का हो चुका है।
■ पढें पुस्तक धरती पर अवतार
शास्त्रों में तत्वदर्शी सन्त के प्रमाण
गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता ज्ञानदाता ने तत्वदर्शी सन्त की शरण में जाने के लिए कहा है। तत्वदर्शी सन्त की पहचान गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 से 4 में दी हुई है जिसमें बताया है कि उल्टे संसार रूपी वृक्ष के सभी अंगों का वर्णन जो सन्त करेगा वह तत्व को जानने वाला है। गीता के अध्याय 17 के श्लोक 23 में “ॐ-तत-सत” (सांकेतिक) तीन मन्त्रों को ही मोक्ष का साधन बताया है जिनके असली जाप तत्वदर्शी सन्त ही बताता है।
यजुर्वेद अध्याय 19 के मंत्र 25 व 26 में बताया कि पूर्ण तत्वदर्शी सन्त तीन बार मे नामदीक्षा की प्रक्रिया पूरी करता है और दिन में तीन बार की भक्ति विधि देता है। तीन बार में नाम उपदेश का वर्णन सामवेद संख्या नम्बर 822 में भी बताया है।
कुरान शरीफ के अध्याय सूरत उल फुरकान 25:59 में बताया है कि उस छः दिन में सृष्टि की रचना करने वाले अल्लाह कबीर तक जाने का रास्ता किसी बाख़बर (तत्वदर्शी सन्त) से पूछो । कुरान शरीफ के सूरत 42 की प्रथम आयत में भी तीन सांकेतिक मन्त्र “एन-सीन-काफ” का वर्णन मिलता है।
सन्त रामपाल जी महाराज देते है तीन स्तरों में मंत्र दीक्षा
सन्त रामपाल जी महाराज प्रथम नाम में पांच शक्तियों के नाम जाप देते हैं, दूसरा नाम सतनाम होता था अंत में सन्त रामपाल जी महाराज तीसरा नाम सारनाम देते हैं। दिन में तीन समय की आरती (नित्य नियम, रमैनी, संध्या आरती) जिसमे सुबह पूर्ण परमेश्वर की वंदना, दोपहर में विश्व के पूरे देवी देवताओं की स्तुति और संध्या के समय की स्तुति सन्त रामपाल की महाराज प्रदान करते हैं। वे तत्व को जानने वाले तत्वदर्शी हैं जिन्हें सभी शास्त्रों का अक्षरशः ज्ञान है। आदरणीय सन्त गरीबदास जी महाराज ने कहा है-
सतगुरु के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन विनोद |
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारह बोध ||
तत्वज्ञान के साथ किये समाजसुधारक कार्य
सन्त रामपाल जी महाराज ने मानव के सभी पक्षों का विवेचन किया, सही जीवन जीने के आदर्शों को सिखाया। सन्त रामपाल जी महाराज के शिष्य बनने के लिए कुछ नियम होते हैं जिनका आजीवन पालन करना होता है। उनमें प्रमुख है नशा न करना, दहेज का आदान प्रदान न करना। आज लाखों लोग सन्त रामपाल जी महाराज की शरण में आकर नशा पूरी तरह से छोड़ चुके हैं। केवल 17 मिनट में बिना दान दहेज के विवाह सुर्खियों का विषय बनते हैं।
लाखों बेटियाँ सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही हैं। न केवल समाज सुधारक कार्य बल्कि सन्त रामपाल जी महाराज की शरण में आने वालों ने अद्भुत लाभ गिनाए हैं, जिनमें एड्स, कैंसर जैसी भयानक बीमारियों के ठीक होने की बात अनुयायी करते हैं। स्वास्थ्य लाभ के साथ अद्भुत और अविश्वसनीय लाभ जिनमें आर्थिक लाभ भी सम्मिलित हैं, सन्त रामपाल जी महाराज की भक्ति विधि ने दिए हैं।
सन्त रामपाल जी महाराज ही करेंगे उद्धार
भारत को विश्वगुरु बनाएंगे सन्त रामपाल जी महाराज। उनके अद्भुत तत्वज्ञान ने समाज में क्रांति लायी है। ऐसा निर्मल, वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला आध्यात्मिक ज्ञान अब तक किसी ने नहीं दिया साथ ही सभी शास्त्रों में दिए तत्वदर्शी सन्त की पहचान भी केवल सन्त रामपाल जी महाराज पर ही खरी उतरती हैं। कबीर साहेब ने भविष्य में होने वाले 12 कबीर पन्थों का उल्लेख पहले ही अपनी वाणी में कर दिया था। कबीर साहेब ने अपने आने वाले सभी 12 पन्थों का उल्लेख पहले ही कर दिया है और यह भी बता दिया कि बारहवां पंथ जो गरीबदास जी द्वारा चलाया जाएगा वो कबीर साहेब का होगा जिसमें वे ही चलकर आएंगे।
8 September Avatar Diwas (अवतरण दिवस): SA News Channel
बारहवें पन्थ हम ही चलि आवैं, सब पन्थ मिटा एक पन्थ चलावैं |
प्रथम चरण कलियुग निरयाना, तब मगर मांडौ मैदाना |
आज वह समय है जब कलियुग की पूरी बिचली पीढ़ी का उद्धार होगा और यह उद्धार केवल अपने तत्वज्ञान से तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज करेंगे। सभी भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियां एवं सभी धर्मशास्त्रों में बताए सभी शास्त्रों के अनुसार सन्त रामपाल जी महाराज जी एकमात्र तत्वदर्शी सन्त हैं जिनकी शरण में आने से ही लाभ, मोक्ष और मानव जाति का कल्याण सम्भव है। सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग सुनें, टीवी पर प्रसारित हो रहे सत्संग सुनें, निःशुल्क आध्यत्मिक पुस्तकें मंगायें। तत्वज्ञान समझें और अविलंब सन्त रामपाल जी महाराज की शरण में आएं और अपना कल्याण करवाएं।
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chaitanyabharatnews · 4 years
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अयोध्या में 5 सदी बाद बनेगा भव्य राम मंदिर, जानिए शुरू से लेकर अब तक की कहानी
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चैतन्य भारत न्यूज अयोध्या. 05 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन होगा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शामिल होंगे। 5 अगस्त सुबह 8 बजे से अंतिम अनुष्ठान होगा। अयोध्या में पांच सदी के बाद अब राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। पिछले सप्ताह ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अयोध्या जाकर तैयारियों का जायजा लिया था। माना जाता है कि बाबर के दौर में अयोध्या में राम मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण कराया गया था। पिछले पांच सदी से यह विवाद था, जिसने देश की राजनीतिक दशा और दिशा को बदल दिया है। आजादी के बाद से अबतक इस विवाद ने देश की राजनीति को प्रभावित किया है। अयोध्या को लेकर देश भर में आंदोलन किए गए, कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई और सुप्रीम कोर्ट के जरिए राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। माना जाता है कि मुगल राजा बाबर 1526 में भारत आया था और उसके सेनापति मीर बाकी ने करीब 500 साल पहले 1528 में राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। साल 1528 तक उसका साम्राज्य अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच गया। दिसंबर 1949 में इस 'जन्मस्थान' पर भगवान राम और सीता माता की मूर्ति पाई गई। कहा जाता है कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति हिंदुओं ने रखवाई। वहीं हिंदुओं का दावा है कि यह एक चमत्कार था और इसे सबूत के तौर पर पेश करते हैं कि यह सचमुच श्री राम का जन्मस्थान था। मुस्लिमों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया। इसके बाद दोनों पक्षों ने कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया। फिर सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित कर यहां ताला लगवा दिया। जनवरी 1950 में हिंदू महासभा के गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद कोर्ट में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी। महंत रामचंद्र दास ने मस्जिद में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखने के लिए याचिका लगाई। इसी दौरान मस्जिद को 'ढांचा' के रूप में संबोधित किया गया। फिर 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के हस्तांतरण के लिए केस दर्ज किया। वहीं, मुस्लिमों की तरफ से साल 1961 में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने केस दर्ज कर मस्जिद पर अपने मालिकाना हक का दावा किया। यह केस 50 साल से अदालतों में चक्कर लगाता रहा। फरवरी 1984 में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हिंदुओं ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया। जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई। साल 1989 जून में बीजेपी ने इस मामले में विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन दिया। रामलला की तरफ से वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने मंदिर के दावे का मुकदमा किया। नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया। 25 सितंबर 1990 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिससे कि हिंदुओं को इस महत्वपूर्ण मु्द्दे से अवगत कराया जा सके। इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए और ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट ��ें आ गए। फिर 23 अक्टूबर को बिहार में लालू प्रसाद यादव ने आडवाण��� की रथ यात्रा को रुकवा कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया। लेकिन मंदिर निर्माण के लिए देशभर से लाखों ईंटे अयोध्या भेजी गईं। इसके बाद भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी। उन्होंने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया, जिसके बाद पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी। मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया था। साल 1991 जून में उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए जिसमें मुलायम सिंह यादव की सरकार हार गई। फिर उत्तरप्रदेश में बीजेपी की सरकार बन गई। 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दिया गया और इसी के साथ देश में दंगे शुरू हो गए। 30-31 अक्टूबर 1992 को धर्मसंसद में कारसेवा की घोषणा की गई। नवंबर में यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया। ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया। अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया। इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे। इसमें करीब 2000 लोगों के मारे गए। 16 दिसंबर 1992: मस्जिद ढहाने की जांच के लिए लिब्रहान आयोग बना जिसके जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में जांच शुरू की गई। 1994: इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस शुरू हुआ। सितंबर 1997: मस्जिद ढहाने को लेकर 49 लोग दोषी करार दिए गए। इसमें भारतीय जनता पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम भी थे। बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया। विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। जनवरी-फरवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने मामला सुलझाने के लिए अयोध्या समिति का गठन किया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। फिर विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए। फरवरी अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए। 13 मार्च 2002: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। अप्रैल 2002 में हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की। मार्च-अगस्त 2003: हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने विवादित स्थल के नीचे खुदाई की। इसके बाद पुरातत्वविदों ने कहा कि, मस्जिद के नीचे मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष के प्रमाण मिले हैं। मई 2003: सीबीआई ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लाल कृष्णा आडवाणी समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अगस्त 2003: लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए विशेष विधेयक लाने का प्रस्ताव को ठुकराया। अप्रैल-जुलाई 2004: लालकृष्ण आडवाणी ने अस्थाई मंदिर में पूजा की और कहा, मंदिर का निर्माण तो जरूर होगा। 4 अगस्त 2005: फैजाबाद की कोर्ट ने विवादित स्थल के पास हुए हमले के आरोप में चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा। जुलाई 2006: सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया। लेकिन मुस्लिम समुदाय ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। 19 मार्च 2007: राहुल गांधी ने कहा था कि, अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती। 30 जून-नवंबर 2009: बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में जांच के लिए गठित गठित लिब्रहान आयोग ने 17 साल बाद अपनी रिपोर्ट तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी। 26 जुलाई 2010: अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई। सितंबर 2010: हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की। लेकिन 28 सितंबर को हाईकोर्ट ने फैसला टालने की अर्जी खारिज की। 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांट दिया। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला। 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। इसके खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई। मार्च-अप्रैल 2017: 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से इस विवाद को सुलझाने की बात कही। साथ ही कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के और कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया। नवंबर-दिसंबर 2017: 8 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा था कि, अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर ही बनना चाहिए और वहां से थोड़ा दूर हटके मस्जिद बनना चाहिए। 16 नवंबर को आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने भी इस मामले को सुलझाने के लिए कोशिश की। इस मामले में उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की। 8 फरवरी 2018 को सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की। लेकिन उनकी यह अपील खारिज हो गई। 27 सितंबर 2018: कोर्ट ने 1994 के फैसले जिसमें यह कहा गया था कि 'मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं' को बड़ी बेंच को भेजने से इंकार कर दिया और कहा कि, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा। 29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टाल दी। 1 जनवरी 2019: पीएम मोदी ने कहा था कि, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जा सकता है। 8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। साथ ही पैनल को 8 हफ्ते के अंदर इस मामले की कार्यवाही खत्म करने का आदेश दिया। अगस्त 2019: 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को कहा कि, मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा। 6 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई होना शुरू हो गई। 16 अक्टूबर : अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रखा। 09 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना फैसला सुनाया। इसके तहत कोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को राम लला विराजमान को देने का आदेश दिया। साथ ही मस्जिद के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन माह के भीतर एक ट्रस्ट बनाने का आदेश भी दिया था।  05 फरवरी 2020 को राम मंदिर निर्माण के लिए पीएम मोदी ने संसद में 15 सदस्यीय श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान किया। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में फैसला दिया था और तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने की मियाद तय की थी। मोदी सरकार ने ट्रस्ट को कैबिनेट की मंजूरी दिलाने के बाद बिल संसद में पेश किया। 19 फरवरी 2020 को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक हुई। महंत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष चुना गया, जबकि VHP नेता चंपत राय को महामंत्री बनाया गया। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नियुक्त किए गए। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी बने। 19 जुलाई 2020 को राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक हुई, जिसमें पीएमओ को मंदिर के भूमि पूजन के लिए दो तारीखें भेजी गईं। पीएमओ के भेजे प्रस्ताव में 3 और 5 अगस्त में से किसी एक दिन पीएम मोदी को अयोध्या में भूमि पूजन के लिए आने का न्योता दिया गया। साथ ही मंदिर के डिजाइन को लेकर भी इस बैठक में अहम फैसले लिए गए। 25 जुलाई 2020 को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या का दौरा कर भूमि पूजन की तैयारियों का जायजा लिया। साथ ही उन्होंने पुष्टि करते हुए कहा कि 5 अगस्त को भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सीमित संख्या में ही लोग इस भव्य आयोजन में शामिल हो सकेंगे।   Read the full article
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mohanrathore · 2 years
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*🎄बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🎄*
#motivation #inspiration #nevergiveup #aim #leader #target #struggle #success #keepworking #hindistatus #hindiwriters #hindisuvichar
#SantRampalJiMaharaj 
#KabirisGod
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया से भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी समाप्त हो। संत रामपाल जी महाराज के बताये तत्वज्ञान से उनके अनुयायी न तो रिश्वत लेते और न देते हैं।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य भारत को सोने की चिड़िया बनाने का है। जहाँ सर्व धर्म, जाति के लोग प्रेम, भाईचारे के साथ रहें, जहाँ सभी सुखी रहें, सबको समान न्याय मिले, जहाँ किसी का शोषण न हो।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि युवाओं का नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान हो।
हर व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करे। कोई किसी को ठगे नहीं।
कबीर परमेश्वर जी की वाणी है –
कबीर, आप ठगाईये, और न ठगिये कोय।
आप ठगाये सुख होत है, और ठगे दुःख होय।।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
🎯‛बेटा बेटी एक समान’ इस नारे को यथार्थता के धरातल पर स्थापित करना संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है। इसी कारण उन्होंने दहेज जैसी प्रथा का समूलनाश करने के लिए विवाह की सादगीपूर्ण विधि समाज को दी है।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
🎯नशा मुक्त समाज
संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझने के बाद उपदेश प्राप्त करते ही हर प्रकार का नशा छूट जाता है।
आज संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर लाखों अनुयायी नशा छोड़ चुके हैं।
🎯अपने निज घर सतलोक से परिचित करवाया
संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने निज घर अमर लोक (सतलोक) को भूल चुकी सभी आत्माओं को सैंकड़ों प्रमाण देकर सतलोक के स्थायी सुखों से परिचित करवाया जिससे जनता को एक ऐसे लोक का पता चला जहां जाने के बाद जन्म व मृत्यु नहीं होती।
🎯पूरी दुनिया आतंकवाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद से प्रभावित है। संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया में अमन शांति हो, लोग आपस में लड़े नहीं।
संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं :
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
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hindistoryblogsfan · 4 years
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आपने महात्मा गांधी की तस्वीरों पर ग़ौर किया है? ज़्यादातर तस्वीरों में गांधी के क़रीब काफी लोगों की भीड़ दिखाई देती है.इस भीड़ में कुछ नाम ऐसे लोगों के रहे, जिन्हें भारत का लगभग हर नागरिक जानता है. मसलन जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल या कस्तूरबा  गांधी.
                              लेकिन गांधी के क़रीब रही इसी भीड़ में कुछ लोग ऐसे भी रहे, जिनके बारे में शायद कम ही लोग जानते हों.
हम आपको यहां कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो मोहनदास करमचंद गांधी के विचारों की वजह से उनके बेहद क़रीब रहीं.
इन महिलाओं की ज़िंदगी में गांधी का गहरा असर रहा और जिस रास्ते पर महात्मा ने चलना शुरू किया था, ये महिलाएं उसी रास्ते पर चलते हुए अपनी-अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ीं.
1. मेडेलीन स्लेड उर्फ मीराबेन, 1892-1982
मेडेलीन ब्रिटिश एडमिरल सर एडमंड स्लेड की बेटी थीं. एक ओहदेदार ब्रिटिश अफसर की बेटी होने के चलते उनकी ज़िंदगी अनुशासन में गुज़री.
मेडेलीन जर्मन पियानिस्ट और संगीतकार बीथोवेन की दीवानी थीं. इसी वजह से वो लेखक और फ़्रांसीसी बुद्धिजीवी रोमैन रौलेंड के संपर्क में आईं.
ये वही रोमैन रौलेंड थे, जिन्होंने न सिर्फ संगीतकारों पर लिखा बल्कि महात्मा गांधी की बायोग्राफी भी लिखी.
गांधी पर लिखी रोमैन की बायोग्राफी ने मेडेलीन को काफी प्रभावित किया. गांधी का प्रभाव मेडेलीन पर इस कदर रहा कि उन्होंने ज़िंदगी को लेकर गांधी के बताए रास्तों पर चलने की ठान ली.
गांधी के बारे में पढ़कर रोमांचित हुई मेडेलीन उन्हें ख़त लिखकर अपने अनुभव साझा किए और आश्रम आने की इच्छा ज़ाहिर की.
शराब छोड़ने, खेती सीखना शुरू करने से लेकर शाकाहारी बनने तक. मेडेलीन ने गांधी का अख़बार यंग इंडिया भी पढ़ना शुरू किया. अक्टूबर 1925 में वो मुंबई के रास्ते अहमदाबाद पहुंचीं.
गांधी से अपनी पहली मुलाकात को मेडेलीन ने कुछ यूं बयां किया, 'जब मैं वहां दाखिल हुई तो सामने से एक दुबला शख्स सफेद गद्दी से उठकर मेरी तरफ बढ़ रहा था. मैं जानती थी कि ये शख्स बापू थे. मैं हर्ष और श्रद्धा से भर गई थी. मुझे बस सामने एक दिव्य रौशनी दिखाई दे रही थी. मैं बापू के पैरों में झुककर बैठ जाती हूं. बापू मुझे उठाते हैं और कहते हैं- तुम मेरी बेटी हो.'
मेडेलिन और महात्मा के बीच इस दिन से एक अलग रिश्ता बन गया. बाद में मेडेलिन का नाम मीराबेन पड़ गया.
2. निला क्रैम कुक, 1972-1945
आश्रम में लोग निला नागिनी कहकर पुकारते. खुद को कृष्ण की गोपी मानने वाली निला माउंटआबू में एक स्वामी (धार्मिक गुरु) के साथ रहती थीं.
अमरीका में जन्मी निला को मैसूर के राजकुमार से इश्क हुआ.
निला ने साल 1932 में गांधी को बंगलुरु से खत लिखा था. इस खत में उन्होंने छुआछुत के ख़िलाफ किए जा रहे कामों के बारे में गांधी को बताया. दोनों के बीच खतों का सिलसिला यहां से शुरू हुआ.
अगले बरस फरवरी 1933 में निला की मुलाकात यरवडा जेल में महात्मा गांधी से हुई. गांधी निला को साबरमती आश्रम भेजते हैं, जहां कुछ वक्त बाद ही वो नए सदस्यों से खास जुड़ाव महसूस करने लगी थीं.
उदार ख्यालों वाली निला के लिए आश्रम जैसे एकांत माहौल में फिट होना मुश्किल भरा रहा. ऐसे में वो एक दिन आश्रम से भाग गईं. बाद में वो एक रोज़ वृंदावन में मिलीं थीं.
कुछ वक्त बाद उन्हें अमरीका भेज दिया गया, जहां उन्होंने इस्लाम कबूल लिया और कुरान का अनुवाद किया.
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3. सरला देवी चौधरानी (1872-1945)
उच्च शिक्षा, सौम्य सी नज़र आने वाली सरला देवी की भाषाओं, संगीत और लेखन में गहरी रुचि थी. सरला रविंद्रनाथ टैगोर की भतीजी भी थीं.
लाहौर में गांधी सरला के घर पर ही रुके थे. ये वो दौर था, जब सरला के स्वतंत्रता सेनानी पति रामभुज दत्त चौधरी जेल में थे. दोनों एक-दूजे के काफी क़रीब रहे.
इस करीबी को समझने का एक अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि गांधी सरला को अपनी 'आध्यात्मिक पत्नी' बताते थे. बाद के दिनों में गांधी ने ये भी माना कि इस रिश्ते की वजह से उनकी शादी टूटते-टूटते बची.
गांधी और सरला ने खादी के प्रचार के लिए भारत का दौरा किया. दोनों के रिश्ते की ख़बर गांधी के करीबियों को भी रही. हक जमाने की सरला की आदत के चलते गांधी ने जल्द उनसे दूरी बना ली.
कुछ वक्त बाद हिमालय में एकांतवास के दौरान सरला की मौत हो गई.
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4. सरोजिनी नायडू (1879-1949)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष सरोजनी नायडू.
गांधी की गिरफ्तारी के बाद नमक सत्याग्रह की अगुवाई सरोजिनी के कंधों पर थी. सरोजिनी और गांधी की पहली मुलाकात लंदन में हुई थी.
इस मुलाकात के बारे में सरोजिनी ने कुछ यूं बताया था, ''एक छोटे कद का आदमी, जिसके सिर पर बाल नहीं थे. ज़मीन पर कंबल ओढ़े ये आदमी जैतून तेल से सने हुए टमाटर खा रहा था. दुनिया के मशहूर नेता को यूं देखकर मैं खुशी से हंसने लगी. तभी वो अपनी आंख उठाकर मुझसे पूछते हैं, 'आप ज़रूर मिसेज़ नायडू होंगी. इतना श्रद्धाहीन और कौन हो सकता है? आइए मेरे साथ खाना शेयर कीजिए.''
जवाब में सरोजिनी शुक्रिया अदा करके कहती हैं, क्या बेकार तरीका है ये?
और इस तरह सरोजिनी और गांधी के रिश्ते की शुरुआत हो गई थी.
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5. राजकुमारी अमृत कौर (1889-1964)
शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली राजकुमारी पंजाब के कपूरथला के राजा सर हरनाम सिंह की बेटी थीं.
राजकुमारी अमृत कौर की पढ़ाई इंग्लैंड में हुई थी. राजकुमारी अमृत कौर को गांधी की सबसे क़रीबी सत्याग्रहियों में गिना जाता था. बदले में सम्मान और जुड़ाव रखने वाली राजकुमारी ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी.
1934 में हुई पहली मुलाकात के बाद गांधी और राजकुमारी अमृत कौर ने एक-दूसरे को सैकड़ों खत भेजे. नमक सत्याग्रह और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वो जेल भी गईं.
आज़ाद भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनने का सौभाग्य भी राजकुमारी अमृत कौर को मिला.
गांधी राजकुमारी अमृत कौर को लिखे खत की शुरुआत 'मेरी प्यारी पागल और बागी' लिखकर करते और खत के आखिर में खुद को 'तानाशाह' लिखते.
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6. डॉ सुशीला नय्यर (1914-2001)
सु���ीला प्यारेलाल की बहन थीं. महादेव देसाई के बाद गांधी के सचिव बने प्यारेलाल पंजाबी परिवार से थे.
मां के तमाम विरोध के बाद ये दोनों भाई-बहन गांधी के पास आने से खुद को नहीं रोक पाए थे. हालांकि बाद में गांधी के पास जाने से रोने वाली उनकी मां भी महात्मा की पक्की समर्थक बनीं.
डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद सुशीला महात्मा गांधी की निजी डॉक्टर बनीं. मनु और आभा के अलावा अक्सर गांधी जिसके कंधे पर अपने बूढ़े हाथ रखकर सहारा लेते, उनमें सुशीला भी शामिल थीं.
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वो कस्तूरबा गांधी के साथ मुंबई में गिरफ्तार भी गईं.
पूना में कस्तूरबा गांधी के आखिरी दिनों में सुशीला उनके साथ रही थीं. इसके अलावा सुशीला गांधी के ब्रह्मचर्य पर किए प्रयोगों में भी शामिल हुई थीं.
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7. आभा गांधी (1927-1995)
आभा जन्म से बंगाली थीं. आभा की शादी गांधी के परपोते कनु गांधी से हुई.
गांधी की प्रार्थना सभाओं में आभा भजन गाती थीं और कनु फोटोग्राफी करते थे. 1940 के दौर की महात्मा गांधी की काफी तस्वीरें कनु की ही खीची हुई हैं.
आभा नोआखाली में गांधी के साथ रहीं. ये वो दौर था, जब पूरे मुल्क में दंगे भड़क रहे थे और गांधी हिंदू-मुस्लिम के बीच शांति स्थापित करने की कोशिश में जुटे हुए थे.
नाथूराम गोडसे ने जब गांधी को गोली मारी, तब वहां आभा भी मौजूद थीं.
इमेज कॉपीरइटGANDHI FILM FOUNDATIONImage captionअपनी अनुयायी आभा और मनु के साथ महात्मा गांधी
8. मनु गांधी ( 1928-1969)
बहुत हल्की उम्र में मनु महात्मा गांधी के पास चली आई थीं.
मनु महात्मा गांधी की दूर की रिश्तेदार थीं. गांधी मनु को अपनी पोती कहते थे.
नोआखाली के दिनों में आभा के अलावा ये मनु ही थीं, जो अपने बापू के बू़ढ़े शरीर को कांधा देकर चलती थीं.
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जिन रास्तों में महात्मा गांधी के कुछ विरोधियों ने मल-मूत्र डाल दिया था, इन रास्तों पर झाड़ू उठाने वालों में गांधी के अलावा मनु और आभी ही थीं.
कस्तूरबा के आखिरी दिनों में सेवा करने वालों में मनु का नाम भी सबसे ऊपर आता है.
मनु की डायरी पर गौर करें तो उससे ये जानने में काफी मदद मिलती है कि महात्मा गांधी के आखिरी के कुछ साल कैसे बीते थे.
Story Credit =>>  BBC Hindi :-https://www.bbc.com/hindi/india-42860712
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rambhaj · 3 years
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#Aim_Of_SantRampalJiMaharaj
🙏🙇कलयुग में सतयुग आऐगा🙇🙏
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया से भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी समाप्त हो। संत रामपाल जी के बताये तत्वज्ञान से उनके अनुयायी न तो रिश्वत लेते और न देते हैं। इससे भ्रष्टाचार मुक्त समाज तैयार होगा।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य भारत को सोने की चिड़िया बनाने का है। जहाँ सर्व धर्म, जाति के लोग प्रेम, भाईचारे के साथ रहें, जहाँ सभी सुखी रहें, सबको समान न्याय मिले, जहाँ किसी का शोषण न हो।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि युवाओं का नैतिक व आध्यात्मिक उत्थान हो।
हर व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करे। कोई किसी को ठगे नहीं।
कबीर परमेश्वर जी की वाणी है –
कबीर, आप ठगाईये, और न ठगिये कोय।
आप ठगाये सुख होत है, और ठगे दुःख होय।।
संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
‛बेटा बेटी एक समान’ इस नारे को यथार्थता के धरातल पर स्थापित करना संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है। इसी कारण उन्होंने दहेज जैसी प्रथा का समूलनाश करने के लिए विवाह की सादगीपूर्ण विधि समाज को दी है।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि विश्व के सभी प्राणी वास्तविक परमेश्वर कबीर जी की सतभक्ति करे, समाज में कोई भी प्राणी दुखी न हो, हर समस्या का समाधान हो। धरती स्वर्ग समान बन जाए।
संत रामपाल जी महाराज का मूल उद्देश्य एक ऐसे स्वच्छ समाज की स्थापना करना है जो चोरी, जारी, ठगी, रिश्वतखोरी, नशे से दूर हो।
आज हकीकत में उनके ज्ञान से यह सम्भव हो रहा है।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि दहेज के नाम पर किसी बेटी को प्रताड़ित न किया जाये। इसी के तहत संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में हजारों दहेज मुक्त विवाह संपन्न किये जा चुके हैं। जिससे समाज में दहेज प्रथा के समाप्त होने की आस जग चुकी है।
हम एक ऐसा मानव समाज तैयार कर रहे हैं, जो किसी भी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करके सबको न्याय दिलाएगा।
छोटा बड़ा, अमीर-गरीब की खाई को मिटायेगा। आध्यात्मिक तत्वज्ञान के आधार से भारत विश्व का एक महान राष्ट्र होगा। अन्य सर्व राष्ट्र भारत वर्ष का अनुसरण करेंगे।
- संत रामपाल जी महाराज जी
फ़िल्मों में दिखाई गई अश्लील हरकतें, छोटे अर्ध नग्न कपड़ों का पहनना, चोरी, हत्या, गुंडागर्दी, गालियां जिसका सीधा दुष्प्रभाव युवा वर्ग पर पड़ रहा है।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि मानव समाज को इन सभी बुराईयों से दूर करके सत्य भक्ति पर लगाएं। संत रामपाल जी महाराज जी के लाखों अनुयायी बुराईयों को त्यागकर नेक जीवन जीने लगे हैं।
कलयुग में सतयुग जैसा माहौल बनाना ही है संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य
कबीर साहेब की वाणी है: कलयुग मध्य सतयुग लाऊं।
ताते सत कबीर कहाऊं।।
इस वाणी को कबीर साहेब जी ने वर्त��ान समय के लिए बोला था, आज स्वय कबीर साहेब जी ही संत रा���पाल जी महाराज के रूप में धरती पर आकर अपनी वाणी को सच कर रहे हैं।
संत रामपाल जी द्वारा चलाये मार्ग का मूल उद्देश्य है दुनिया में सतयुग जैसा माहौल बनाना।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।
नशा मुक्त समाज
संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान समझने के बाद उपदेश प्राप्त करते ही हर प्रकार का नशा छूट जाता है।
आज संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर लाखों अनुयायी नशा छोड़ चुके हैं।
अपने निज घर सतलोक से परिचित करवाया
संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने निज घर अमर लोक (सतलोक) को भूल चुकी सभी आत्माओं को सैंकड़ों प्रमाण देकर सतलोक के स्थायी सुखों से परिचित करवाया जिससे जनता को एक ऐसे लोक का पता चला जहां जाने के बाद जन्म व मृत्यु नहीं होती।
पूरी दुनिया आतंकवाद, कट्टरवाद, नक्सलवाद से प्रभावित है। संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया में अमन शांति हो, लोग आपस में लड़े नहीं।
संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं :
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
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yarokiyari · 7 years
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बाबरी मस्जिद विध्वंस की 25वीं वर्षगांठ से ठीक एक दिन पहले आज सुप्रीम कोर्ट में रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर सुनवाई शुरू होगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले और पक्षकारों की दलीलों के मद्देनजर ये तय करेगी कि आखिर इस मुकदमे का निपटारा करने के लिए सुनवाई को कैसे पूरा किया जाए यानी हाईकोर्ट के फैसले के अलावा और कितने तकनीकी और कानूनी बिंदू हैं जिन पर कोर्ट को सुनवाई करनी है. सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस.अब्दुल नजीर भी होंगे. इस मुकदमे की सुनवाई के लिए सभी पक्षकार पूरी तैयारी से अदालत में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं. अयोध्या से दिल्ली पहुंचे रामलला विराजमान की ओर से पक्षकार महंत धर्मदास ने दावा किया कि सभी सबूत, रिपोर्ट और भावनाएं मंदिर के पक्ष में हैं. हाईकोर्ट के फैसले में जमीन का बंटवारा किया गया है जो हमारे साथ उचित न्याय नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी कोर्ट में दलील होगी कि यहां ढांचे से पहले भी मंदिर था और जबरन यहां मस्जिद बनाई गई, लेकिन बाद में फिर मंदिर की तरह वहां राम लला की सेवा पूजा होती रही अब वहीं रामजन्मभूमि मंदिर है. लिहाजा हमारा दावा ही बनता है. कोर्ट सबूत और कानून से न्याय करता है और सबूत और कानून हमारे साथ है. यानी रामलला के जन्मस्थान पर सुप्रीम कोर्ट भी सबूतों और कानूनी प्रावधान पर ही न्याय करेगा. शिया वक्फ बोर्ड का क्या है पक्ष दूसरी ओर शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी का कहना है कि कोर्ट में भी वो अपने बोर्ड का रुख ही दोहराएंगे. शिया वक्फ बोर्ड का तो मानना साफ है कि विवादित जगह पर राम मंदिर बने, रही बात मस्जिद की तो लखनऊ या फैजाबाद में मस्जिद अमन बने. वहां मुस्लिम भाई नमाज अदा करें. किसी को इसमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन चंद मुट्ठी भर धर्म के ठेकेदार हैं जिन पर विदेशी ताकतों का दबाव भी है वो नहीं चाहते कि अमन व भाईचारे से ये मामला हल हो. जबकि हमें हिंदू भावनाओं का सम्मान करते हुए भारत की शान बढ़ानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में भी उनका यही रुख रहेगा. यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से जब हमने कमाल फारुकी से संपर्क किया तो उनका कहना था कि अभी वो इस बारे में कुछ नहीं बोलेंगे, क्योंकि देश में वैसे ही माहौल खराब है. ऐसे में कोर्ट में सुनवाई आगे बढ़े तभी उनका बोलना उचित होगा. देश में अमन और भाईचारा रहे इस लिहाज से अभी कुछ भी बोलना उचित नहीं है. फिलहाल पूरे देश और दुनिया की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं कि सुनवाई की दिशा और रूपरेखा किस तरह आगे बढ़ती ह���. बता दें कि इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में दर्ज हैं, जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेज़ों को अनुवाद कराने की मांग की थी. तारीख दर तारीख जानें कब-कब क्या-क्या हुआ.... 1528 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया. 1949 में बाबरी मस्जिद में गुप्त रूप से भागवान राम की मूर्ति रख दी गई. 1984 में मंदिर निर्माण के लिए एक कमेटी का गठन किया गया. 1959 में निर्मोही अखाड़ा की ओर से विवादित स्थल के स्थानांतरण के लिए अर्जी दी थी, जिसके बाद 1961 में यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने भी बाबरी मस्जिद स्थल पर कब्जा के लिए अपील दायर की थी. 1986 में विवादित स्थल को श्रद्धालुओं के लिए खोला गया. 1986 में ही बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया गया. 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने देशव्यापी रथयात्रा की शुरुआत की. 1991 में रथयात्रा की लहर से बीजेपी यूपी की सत्ता में आई. इसी साल मंदिर निर्माण के लिए देशभर के लिए इंटें भेजी गई. 6 दिसंबर, 1992: अयोध्या पहुंचकर हजारों की संख्या में कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर दिया था. इसके बाद हर तरफ सांप्रदायिक दंगे हुए. पुलिस द्वारा लाठी चार्ज और फायरिंग में कई लोगों की मौत हो गई. जल्दबाजी में एक अस्थाई राम मंदिर बनाया गया. प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया. 16 दिसंबर, 1992: बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों की जांच के लिए एमएस लिब्रहान आयोग का गठन किया गया. 1994: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित केस चलना शुरू हुआ. 4 मई, 2001: स्पेशल जज एसके शुक्ला ने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित 13 नेताओं से साजिश का आरोप हटा दिया. 1 जनवरी, 2002: तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक अयोध्या विभाग शुरू किया. इसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था. 1 अप्रैल 2002: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर इलाहबाद हाई कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू कर दी. 5 मार्च 2003: इलाहबाद हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को अयोध्या में खुदाई का निर्देश दिया, ताकि मंदिर या मस्जिद का प्रमाण मिल सके. 22 अगस्त, 2003: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई के बाद इलाहबाद हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश किया. इसमें कहा गया कि मस्जिद के नीचे 10वीं सदी के मंदिर के अवशेष प्रमाण मिले हैं. मुस्लिमों में इसे लेकर अलग-अलग मत थे. इस रिपोर्ट को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने चैलेंज किया. सितंबर 2003: एक अदालत ने फैसला दिया कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए. जुलाई 2009: लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी. 26 जुलाई, 2010: इस मामले की सुनवाई कर रही इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने फैसला सुरक्षित किया और सभी पक्षों को आपस में इसका हल निकाले की सलाह दी. लेकिन कोई आगे नहीं आया. 28 सितंबर 2010: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाई कोर्ट को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया. 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इसके तहत विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा दिया गया. इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला. 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. 21 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही. 19 अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया. 9 नवंबर 2017: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बड़ा बयान दिया था. रिजवी ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनना चाहिए, वहां से दूर हटके मस्जिद का निर्माण किया जाए. 16 नवंबर 2017: आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने की कोशिश की, उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की.
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