गुमला : सदर अस्पताल में लगी भीषण आग, कई मशीनें जलकर राख
गुमला । सदर अस्पताल में बीती रात भीषण आग लग गई। आग डायलिसिस विभाग में लगी थी। आग लगने के बाद अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे। वहां मौजूद एक व्यक्ति ने तुरंत पुलिस और फायर ब्रिगेड को आग की सूचना दी। जिसके बाद मौके पर पहुंचकर दमकल की गाड़ी ने आग पर काबू पाया।
इस आगलगी में जानमाल के नुकसान की फिलहाल तक जानकारी नहीं है। हालांकि लाखों की संपत्ति जलकर राख होने की सूचना मिली है। आग…
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चुल्हे की रोटी (chulhe ki roti ) : माँ का प्यार
कहाँ गई वो चुल्हे की रोटी (chulhe ki roti ),
जिसमें माँ का प्यार छिपा होता था,
याद आते हैं वो घर के बर्तन,
जिन पर माँ का नाम लिखा होता था,
* * * * *
रोटी वो ही स्वाद लगती थी,
जिस पर लगी होती थी चुल्हे की राख,
रोम-रोम खुशी से उछल पडता था,
��िस रोटी पर लगे होते थे माँ के प्यारे हाथ,
याद आते हैं मुझे गर्मी के वो दिन भी,
माँ सबको बड़े प्यार से खिलाती थी,
कुछ कहे बिन…
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ब्रेकिंग: पेट्रोल-पंप में खड़ी स्कूटी में लगी आग,गाड़ी जलकर राख
छत्तीसगढ़ के दुर्ग. पटेल चौक स्थित पेट्रोल पंप पर मंगलवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया. स्कूटी सवार युवक पेट्रोल पंप में पेट्रोल भरवाने आया था. पेट्रोल भरवाने के बाद जैसे ही उसने गाड़ी का सेल्फ बटन दबाया गाड़ी से धुआं निकलने लगा. युवक घबराकर गाड़ी को छोड़कर तत्काल उससे दूर हो गया. देखते ही देखते गाड़ी पूरी तरह से आग की चपेट में आ गई.
स्कूटी में लगी आग को देख पेट्रोल पंप के कर्मचारी दौड़े और…
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#कबीर, जब ही सत्यनाम हृदय धरा, भयो पाप का नाश।
मानो चिंगारी अग्नि की, पड़ी पुराने घास।।
जो साधक पूर्ण परमात्मा की भक्ति पूर्ण गुरू से उपदेश प्राप्त करके आजीवन मर्यादा में रह कर करता है उसके सर्व पाप कर्म ऐसे नष्ट हो जाते है जैसे सुखे घास के बहुत बड़े ढेर को अग्नि की छोटी सी चिंगारी जला कर भस्म कर देती है। उसकी राख को हवा उड़ा कर इधर-उधर कर देती है ठीक इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा की भक्ति का सत्यनाम मन्त्र रूपी अग्नि घास के ढेर रूपी पाप कर्मों को भस्म कर देता है।
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मैं ने तो यूँही राख में फेरी थीं उँगलियाँ
देखा जो ग़ौर से तेरी तस्वीर बन गई .. !!!
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#SpiritualKnowledge
आध्यात्मिक ज्ञान
कबीर, जब ही सत्यनाम हृदय धरा, भयो पाप को नाश । जैसे चिनंगी अग्नि की, पडै पुरानै घास ।।
जैसे करोड़ टन सूखे घास का ढेर लगा हो। यदि उसमें एक तीली माचिस की जलाकर डाल दी जाए तो उस घास को राख बना देती है। फिर हवा चलेगी जो उस राख को भी उड़ाकर ले जाएगी। काम-तमाम हुआ।
इसी प्रकार करोड़ों जन्मों के भी पाप क्यों न हों, मेरे सच्चे मंत्र का जाप उसे जलाकर राख कर ���ेगा। भविष्य में कोई गलती न करना, कल्याण हो जाएगा।
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#GodMorningFridey
#NOIDAGBNUP16
कबीर, जब ही सत्यनाम हृदय धरा, भयो पाप का नाश।
मानो चिंगारी अग्नि की, पड़ी पुराने घास।।
जो साधक पूर्ण परमात्मा की भक्ति पूर्ण गुरू से उपदेश प्राप्त करके आजीवन मर्यादा में रह कर करता है उसके सर्व पाप कर्म ऐसे नष्ट हो जाते है जैसे सुखे घास के बहुत बड़े ढेर को अग्नि की छोटी सी चिंगारी जला कर भस्म कर देती है। उसकी राख को हवा उड़ा कर इधर-उधर कर देती है ठीक इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा की भक्ति का सत्यनाम मन्त्र रूपी अग्नि घास के ढेर रूपी पाप कर्मों को भस्म कर देता है।
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अगलगी में चार मुर्गी फार्म जलकर राख, 1000 मुर्गियां सहित लाखो की संपत्ति जलकर राख
मोतिहारी। कल्याणपुर थाना क्षेत्र के बखरी-कल्याणपुर पंचायत की सीमा पर स्थित बबुआवन गांव में अचानक लगी आग में चार मुर्गी फार्म जल कर राख हो गई। इस घटना में लगभग 1000 मुर्गियों के अलावा लाखो की संपत्ति जल गई। घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची फायर बिग्रेड की टीम ने भारी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
घटना मंगलवार की देर रात की है। फिलहाल आग लगने के कारणो का पता नहीं चल पाया है। पीड़ित मुर्गी फार्म…
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ऑस्ट्रेलिया के पूर्व टेस्ट कप्तान टिम पेन ग्रेड क्रिकेट में वापसी के लिए तैयार
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व टेस्ट कप्तान टिम पेन ग्रेड क्रिकेट में वापसी के लिए तैयार
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व टेस्ट कप्तान टिम पेन रविवार को एक्शन में वापसी करेंगे, जब वह 50 ओवर के प्रीमियर लीग में किंग्स्टन में न्यू टाउन के खिलाफ तस्मानिया विश्वविद्यालय के लिए मैदान में उतरेंगे।
पेन के जूनियर क्लब विश्वविद्यालय के कोच डेमियन राइट ने कहा, “वह खेलने के लिए उत्सुक है और हम उसे वापस पाकर रोमांचित हैं।” ऑस्ट्रेलियाई एसोसिएटेड प्रेस. “वह उतना ही फिट है जितना वह कभी रहा है। मानसिक रूप से…
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( #MuktiBodh_Part117 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part118
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 231
◆ वाणी नं. 146 :-
गरीब, बाण लगाया बालिया, प्रभास क्षेत्र कै मांहि।
सुक्ष्म देही स्वर्गहिं गये, यहां कुछ बिछर्या नाहिं���।146।।
◆ सरलार्थ :- श्री कृष्ण जी के पैर में बालिया नामक शिकारी ने तीर मारा। श्री कृष्ण जी की मृत्यु हो गई, परंतु सुक्ष्म शरीर स्वर्ग चला गया।(146)
◆ वाणी नं. 147- 149 :-
गरीब, दुर्बासा कोपे तहां, समझ न आई नीच।
छप्पन कोटि जादौं कटे, मची रुधिर की कीच।।147।।
गरीब, गूदड़ गर्भ बनाय करि, कीन्हीं बहुत मजाक।
डरिये सांई संत सैं, सुखदे बोलै साख।।148।।
गरीब, दश हजार पुत्र कटे, गोपी काब्यौं लूटि।
गनिका चढी बिवान में, भाव भक्ति सें छूटि।।149।।
◆ सरलार्थ :- एक समय दुर्वासा ऋषि द्वारिका नगरी के पास वन में आकर ठहरा। धूना अग्नि लगाकर तपस्या करने लगा। दुर्वासा ऋषि श्री कृष्ण जी के आध्यात्मिक गुरू थे।
{ऋषि संदीपनी श्री कृष्ण के अक्षर ज्ञान करवाने वाले शिक्षक (गुरू) थे।} दुर्वासा जी की ख्याति चारों ओर द्वारका नगरी में फैल गई कि ऐसे पहुँचे हुए ऋषि हैं। भूत, भविष्य तथा वर्तमान की सब जानते हैं। द्वारिका के निवासी श्री कृष्ण से अधिक किसी भी ऋषि व देव को नहीं मानते थे। उनको अभिमान था कि हमारे साथ श्री कृष्ण हैं। कोई भी देव, ऋषि व साधु हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। श्री कृष्ण को सर्वशक्तिमान मान रखा था।
द्वारिका के नौजवानों को शरारत सूझी। आपस में विचार किया कि साधु लोग ढोंगी होते हैं। इनकी पोल खोलनी चाहिए। चलो दुर्वासा ऋषि की परीक्षा लेते हैं। श्री कृष्ण के पुत्र प्रधूमन ने गर्भवती स्त्री का स्वांग धारण किया। पेट के ऊपर छोटा कड़ाहा बाँधा। उसके ऊपर रूई-लोगड़ रखकर वस्त्र बाँधकर स्त्री के कपड़े पहना दिए। उसका एक पति बना लिया। सात-आठ नौजवान यादव उनके साथ दुर्वासा के डेरे में गए और प्रणाम करके
निवेदन किया कि ऋषि जी आपका बहुत नाम सुना है कि आप भूत-भविष्य तथा वर्तमान की जानते हैं। ये पति-पत्नी हैं। इनके विवाह के बारह वर्ष बाद परमात्मा ने संतान की आश पूरी की है। ये यह जानना चाहते हैं कि गर्भ में लड़का होगा या लड़की। ये यह जानने के लिए उतावले हो रहे हैं। कृपया बताने का कष्ट करें। दुर्वासा ऋषि ने ध्यान लगाकर देखा तो सब समझ में आ गया। क्रोध में भरकर बोला, बताऊँ क्या होगा? सबने एक स्वर में कहा कि हाँ! ऋषि जी बताओ। दुर्वासा बोला कि इस गर्भ से यादव कुल का नाश होगा। चले जाओ यहाँ से। सब भाग लिए। गाँव में बुद्धिमान बुजुर्गों को पता चला कि बच्चों ने ऋषि दुर्वासा के साथ मजाक कर दिया। ऋषि ने यादव कुल का नाश होने का शॉप दे दिया है। जुल्म हो गया। सब मरेंगे। अब क्या उपाय किया जाए? सब मिलकर अपने गुरू तथा राजा श्री कृष्ण जी के पास गए तथा सब हाल कह सुनाया। श्री कृष्ण जी से कहा कि इस कहर से आप ही बचा सकते हो। श्री कृष्ण जी ने कहा कि उन सब बच्चों को साथ लेकर ऋषि दुर्वासा के पास जाओ। इनसे क्षमा मँगवाओ। तुम भी बच्चों की ओर से क्षमा माँगो। सब मिलकर ऋषि दुर्वासा के पास गए तथा बच्चों से गलती की क्षमा याचना करवाई। स्वयं भी क्षमा याचना की। ऋषि दुर्वासा बोले कि वचन वापिस नहीं हो सकता। सब वापिस श्री कृष्ण के पास आए तथा कहा कि दुर्वासा के शॉप से बचने का उपाय बताऐं। श्री कृष्ण ने कहा कि जो-जो वस्तु गर्भ स्वांग में प्रयोग की थी। उनका नामों-निशान मिटा दो। उन्हीं से अपने कुल का नाश होना कहा है। कपड़े-रूई-लोगड़ को जलाकर उनकी राख को प्रभास क्षेत्रा में नदी में डाल दो। जो लोहे की कड़ाही है, उसे पत्थर पर घिसा-घिसाकर चूरा बनाकर प्रभास क्षेत्र में दरिया में डाल दो। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी। द्वारिकावासियों ने अपने गुरू श्री कृष्ण जी के आदेश का पालन किया। लोहे की कड़ाही का एक कड़ा एक व्यक्ति को घिसाने के लिए दिया था। उसने कुछ घिसाया, पूरा नहीं घिसा। वैसे ही जमना दरिया में फैंक दिया।
घिसने से उस कड़े में चमक आ गई थी। एक मछली ने उसे खाने की वस्तु समझकर खा लिया। उस मछली को एक बालिया नाम के भील ने पकड़कर काटा तो कड़ा निकला। उसका लोहा पक्का था। बालिया ने उससे अपने तीर का आगे वाला हिस्सा विषाक्त बनवा
लिया। कड़ाहे का जो लोहे का चूर्ण दरिया में डाला था, उसका तेज-तीखे पत्तों वाला घास उग गया। पत्ते तलवार की तरह पैने थे। कपड़ों तथा रूई-लोगड़ (पुरानी रूई) की राख का
भी घास उग गया।
क्रमशः_________________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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#GodNightMonday
साखी-कबीर गुरु सीढ़ी (मर्यादा) से उतरे, शब्द (नाम) बिहूना (रहित) होय।
ताको काल घसीटही, राख सकै ना कोय ।।
जो शिष्य गुरु जी की सीढ़ी यानी भक्ति मार्ग से उतर जाता है उसको काल घसीटकर लेकर जाएगा उसको कोई नहीं छुड़वाएगा।
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#GodMorningTuesday
कबीर, जब ही सत्यनाम हृदय धरा, भयो पाप का नाহা। मानो चिंगारी अग्नि की, पड़ी पुराने घास ।।
जो साधक पूर्ण परमात्मा
की भक्ति पूर्ण गुरू से उपदेश प्राप्त करके आजीवन मर्यादा में रह कर करता है उसके सर्व पाप कर्म ऐसे नष्ट हो जाते है जैसे सुखे घ गास के बहुत बड़े ढेर को अग्नि की छोटी सी चिंगारी जला कर भस्म कर देती है। उसकी राख को हवा उड़ा कर इधर-उधर कर देती है ठीक इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा की भक्ति का सत्यनाम मन्त्र रूपी अग्नि घास के ढेर रूपी पाप कर्मों को भस्म कर देता है।
Sant Rampal Ji Maharaj
पाप रूपी घास
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साखी-कबीर गुरू सीढ़ी (मर्यादा) से उतरे,
शब्द (नाम) बिहूना (रहित) होय।
ताको काल घसीटही, राख सकै ना कोय।।
जो शिष्य गुरू जी की सीढ़ी यानि भक्ति मार्ग से उतर जाता है यानि गुरू जी द्वारा बताई भक्ति छोड़ देता है, उसका नाम समाप्त हो जाता है। उसको काल घसीटकर ले जाएगा, उसको कोई नहीं छुड़वाएगा।
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