Tumgik
#राजा धीरे धीरे
crzayfrog · 1 year
Text
Tumblr media Tumblr media Tumblr media
दोस्त की मां
मेरा नाम संतोष है और मैं हरियाणा के पानीपत का रहने वाला हूं। मैं अभी कक्षा बारहवीं का ही छात्र हूं और मेरे पिताजी का प्लाईवुड का काम है। उनका काम बहुत ही अच्छा चलता है। इसलिए उन्होंने मेरा एक बहुत ही बड़े स्कूल में एडमिशन करवाया है। मैंने अपनी दसवीं के बाद यहीं पर पढ़ना शुरू किया। जब मैं कक्षा 11 में आया तो मेरे बहुत दोस्त बने
उस सबसे दोस्त में एक ऐसा लड़का था जिसके साथ मेरा बहुत जमता था, उसका नाम तो नही पता पर हां वो कॉलेज की दोस्तों से काफी अलग था, एक दिन मैं जैसे क्लास रूम में पहुंचा तो मैडम ने मुझे उस लड़के से परिचित करवाई
संतोष ये है सूरज और ये बहुत होनहार और ईमानदार लड़का है, पढ़ने में काफी तेज है, तुम्हारी हर विषय में ये मदद करेगा, उस से मिलकर मुझे पहले भी बहुत खुशी हुआ था, अब हम एक अच्छे दोस्त बन गए थे
वो बहुत बड़े घर से था, पैसा दौलत धन की कोई कमी नही था, भगवान ने उसे सबकुछ दे रखा था, कार बंगलों सब कुछ
कुछ दिन बाद सूरज अपने मम्मी पापा के साथ आया था, साथ में कुछ सिक्योरिटी गार्ड था, हमने देखा तो सपने देखने लगा की लाश मुझे भी सूरज के जैसा पैसा धन दौलत रहता, पर सूरज के अंडर एक जबरदस्त अच्छाई थी की कभी वो पैसा का घमंड नहीं किया
उसका पापा सरकारी ट्रांसपोर्ट का मालिक था और मम्मी हाउसवाइफ थी, घर में एक बहन थी वो पुणे के हॉस्टल में इंजीनियरिंग कर रही थी, मतलब यूं कहे तो सभी सेटल थे
कुछ दिन बाद सूरज ने कहा की उसकी मम्मी का एनिवर्सरी है और वो कॉलेज के सभी छात्र और छात्राएं को इनवाइट किया और कुछ सर मैम को भी, सब उस दिन बहुत खुश था पर मुझे जाने की हिम्मत नही हुआ
मैं उस दिन जल्दी घर चला गया तबीयत खराब के बहाने से पर मुझे क्या पता था उस दिन मेरे जिंदगी का सबसे अनमोल राते होगा, मैं अपने घर में जाकर लेट गया और थोड़ी देर बाद मम्मी आई तो बोली मेरा राजा बेटा को क्या हुआ, आज नाराज लग रहा है
मैं शुरू से ही अपने मम्मी पापा को प्यार कर रहा था, क्योंकि पापा मम्मी ने कभी भी किसी भी समान खरीदने के लिए मुझे मना नही किए और ना कभी मुझे डांटा, पर उस दिन ऐसा लग रहा था की सूरज के सामने मेरा हैसियत बहुत कम है
मैं शाम को करीब बाजार जाकर हल्का सा नाश्ता किया और सोचने लगा की जाऊं की नही जाऊं, ये सोचते सोचते कब शाम 7 बज गया मुझे पता नही चला, मैं अपने घर लौटा तो देखा दरवाजा पर एक लंबी कार खड़ी चमक रही है
मैने सोचा शायद पापा को कोई कॉन्ट्रैक्ट देने आए होंगे, किसी मालिक का नंबर होगा पर वो मेरा दोस्त सूरज का था, उसके साथ उसकी मॉम रेखा भी आई हुई थी
रेखा उमर 39 साल हरी भरी गदरायी जवानी, एक हाउसवाइफ की तरह मेरे कमरे में ब्लैक साड़ी और लाल ब्लाउज में बड़ा सा काजल और बिंदिया लगाकर मेरे मम्मी से बात कर रही थी, वो अपने बड़े गले वाला ब्लाउज को ऐसे पहनी थी की उनका क्लीवेज साफ चमक रहा था, 36 का छाती, 32 का कमर और 38 का कहर ढाने वाला बम, उफ्फ अब मैं दोस्त को देखूं या उसकी मम्मी को
मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था, मैं उनको देख के ऐसे मदहोश हो गया था मानो वो कोई नशीले पदार्थ हो और मुझे उसका सेवन करना है
मैं खुद पर काबू किया और आंटी को हाई बोला और कहा आपने आने का कष्ट क्यूं किया, सूरज भाई गलत बात है, तुम मेरे कारण अपने मम्मी को परेशान करते हो, वैसे आंटी हैप्पी एनिवर्सरी
आंटी - थैंक्स बेटा पर ऐसे काम नही चलेगा, अपना टैलेंट दिखाना पड़ेगा, मैं भी देखूं की तुम कितना टैलेंटेड हो जैसे तुम्हारे बारे में सूरज कहता रहता है
जरूर जब भी आपको मेरा टैलेंटेड देखना हो आप मुझे एक बार याद कर लेना, मैं हाजिर हो जाऊंगा, आखिर दोस्त किसका हूं, ये बोलकर सब हंस पड़े
रात करीब 9 बज चुकी थी, उधर सूरज के पापा शराब का का कार्यक्रम जोड़ो शोरो से था, हवा की रुख और दोस्त की मम्मी की बदन की खुशबू एक तरफ
थोड़े देर बाद मैने कहा सूरज चलना है या यहीं एनिवर्सरी मनाना है, सूरज ने मेरा मम्मी पापा को कहा पर उन्होंने कहा की मुझे माफ करे, अब तो आप हम एक दोस्त की तरह हो गए हैं तो फिर कभी
थोड़े देर बाद सूरज और उसकी मम्मी आगे बैठ गई, रेखा कार ड्राइवर कर रही थी और सूरज सामने देख रहा था, थोड़े आगे जाने के बाद कार का मैन मिरर को मेरे बॉडी के तरफ करके अपने ही होंटो को कटने लगी
हम 5 मिनिट बाद सूरज के घर पहुंचे जहां सभी इकट्ठा हुए, रेखा ने बड़े ही उल्लास से केक काटी और और अपने पति और बेटे को खिलाई फिर धीरे धीरे सबमें बांट दी
थोड़े देर बाद फिर उसका पापा उस शराब ए जस्न में लग गए, इधर सूरज भी अपने मम्मी से कहा की आज के दिन वो भी शराब पिएगा, तो उसकी मां ने बड़े ही कठोड़ मन से कहा नही, पर सूरज का बार बार जिद करने पर मान गई
थोड़े देर बाद रेखा ने एक बीयर के बोटल में शराब और बीयर दोनो को मिक्सड करके लाई और अपने बेटे को पिला दी, धीरे धीरे अब सब अपने घर की ओर बढ़ने लगे
समय 11 बज चुका था सूरज और उसका पापा दोनो अपने बेडरूम में ढेर हो चुके थे इतना ताकत नही बचा था की खुद को दो स्टेप चला सके, इधर रेखा मुझे किसी भूखे शेरनी की तरह देख रही थी
मेरे पास आई और बोली आज रात तुम मुझे अपना बना सको तो बना लो नही तो मैं समझूंगी की तुम्हारा बदन सिर्फ दिखाने के लायक है
शाम से ही मेरा बुरा हालत था पर अब मुझे पूरा मौका मिला, मैने कहा अच्छा ये बात है, चलो कोई बात नही, तुम भी क्या याद रखेगी की किसी मर्द से मिली थी
मैने आगे बढ़ा और होंठ को अपने होंठ में भरते हुए स्मूच करने लगा और रेखा भी बहुत दिन की प्यासी शेरनी की तरह मेरा कॉक के ऊपर हाथ रख कर मसलने लगी
अब इनबॉक्स में चर्चा होगी
3 notes · View notes
trueenewshub · 1 month
Text
शीर्षक: डायनासोर का उदय और पतन: पृथ्वी के विशाल शासक
परिचय: कल्पना कीजिए एक ऐसे संसार की जहाँ विशाल जीव स्वतंत्र रूप से घूमते थे, भूमि, आकाश और समुद्र पर शासन करते थे। लाखों वर्ष पहले, पृथ्वी पर शक्तिशाली डायनासोरों का प्रभुत्व था, जो अपनी अद्भुत विशालता, शक्ति और रहस्य के कारण हमारी कल्पनाओं को आकर्षित करते थे।
अध्याय 1: डायनासोर का प्रारंभिक युग कहानी त्रैसिक काल से शुरू होती है, लगभग 23 करोड़ साल पहले, जब पृथ्वी पर पहले डायनासोर दिखाई दिए। ये प्रारंभिक डायनासोर छोटे, फुर्तीले थे और अन्य प्रागैतिहासिक सरीसृपों के साथ रहते थे। ये एक नए युग के अग्रदूत थे, जो धीरे-धीरे उन विशाल जीवों में विकसित हो रहे थे, जो अगले 16 करोड़ वर्षों तक पृथ्वी पर राज करेंगे।
अध्याय 2: स्वर्णिम युग - जुरासिक काल समय के साथ, डायनासोर कई प्रजातियों में विकसित हो गए, जिनमें से प्रत्येक अपने वातावरण के लिए विशिष्ट रूप से अनुकूलित थी। जुरासिक काल डायनासोर का स्वर्णिम युग था, जहाँ लंबे गले वाले ब्रैकियोसॉरस, खतरनाक एलोसॉरस, और तेज़ वेलोसिरैप्टर जैसी प्रजातियाँ पृथ्वी पर घूमती थीं। यह घने जंगलों, विशाल रेगिस्तानों, और अंतहीन मैदानों का समय था, जहाँ सभी आकार और प्रकार के डायनासोर फल-फूल रहे थे।
अध्याय 3: क्रीटेशस काल के राजा क्रीटेशस काल ने और भी अधिक विविधता लाई, जहाँ सबसे प्रसिद्ध डायनासोर जैसे विशाल टायरानोसॉरस रेक्स, बख्तरबंद एंकिलोसॉरस, और सींग वाले ट्राइसिरैप्टरस दिखाई दिए। इस काल में फूलों वाले पौधों का ��दय हुआ, जिसने परिदृश्य और कई शाकाहारी डायनासोरों के आहार को बदल दिया।
अध्याय 4: डायनासोर के युग में जीवन इन विशाल जीवों के लिए जीवन आसान नहीं था। कहानी डायनासोरों के दैनिक संघर्षों पर प्रकाश डालती है - शिकार और भोजन से लेकर शिकारियों से बचने और संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा तक। हम उन विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों का अन्वेषण करते हैं, जिनमें वे रहते थे, जैसे घने जंगल, शुष्क रेगिस्तान, और कैसे उन्होंने इन कठिन वातावरणों में जीवित रहने के लिए अनुकूलन किया।
अध्याय 5: रहस्यमय विलुप्ति डायनासोरों का शासन लगभग 6.6 करोड़ साल पहले अचानक और नाटकीय रूप से समाप्त हो गया, जिसे क्रीटेशस-पेलोजीन विलुप्ति घटना के रूप में जाना जाता है। कहानी इस सामूहिक विलुप्ति के पीछे के प्रमुख सिद्धांतों पर चर्चा करती है, जिसमें उल्कापिंड के प्रभाव, ज्वालामुखी गतिविधि, और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। हम वैज्ञानिकों द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्यों और इस घटना का पृथ्वी के इतिहास पर पड़े प्रभाव की भी जांच करते हैं।
अध्याय 6: डायनासोर की विरासत हालांकि डायनासोर अब समाप्त हो चुके हैं, उनकी विरासत जीवित है। कहानी बताती है कि कैसे डायनासोर आधुनिक पक्षियों में विकसित हुए और उनके जीवाश्मों ने हमारे ग्रह के इतिहास में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की है। यह भी बताता है कि कैसे डायनासोर फिल्मों, किताबों, और वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से आज भी हमारी कल्पना को मंत्रमुग्ध करते हैं।
निष्कर्ष: अंतहीन आकर्षण कहानी इस बात पर विचार करते हुए समाप्त होती है कि डायनासोर हमें क्यों आकर्षित करते रहते हैं। उनकी विलुप्ति के लाखों साल बाद भी, वे पृथ्वी के प्राचीन अतीत के रहस्य और भव्यता का प्रतीक बने हुए हैं। उनकी कहानी हमारे ग्रह पर जीवन की निरंतर बदलती प्रकृति और आगे आने वाली असीम संभावनाओं की याद दिलाती है।
यह कहानी आपकी Quora ऑडियंस को डायनासोर के उदय और पतन की एक अद्भुत यात्रा पर ले जाएगी, उन्हें एक संपूर्ण और मनोरम कथा प्रदान करेगी। अगर आप इसमें कुछ जोड़ना या बदलना चाहते हैं, तो मुझे बताएं!
0 notes
brijkerasiya · 1 month
Text
जन्मे रे जन्मे रे वीर प्रभु जन्मे लिरिक्स
जन्मे रे जन्मे रे वीर प्रभु जन्मे जन्मे रे जन्मे रे वीर प्रभु जन्मे, क्षत्रिय कुल में आज रे, हो जन्म लियो जिनराज रे, आई है सखियाँ देने बधाई, ढोल नगाड़े बाजे गूंजे शहनाई, पुष्प बरसे है नभ से आज रे, हो जन्म लियो जिनराज रे ॥ चैत्र सुदी तेरस की, मंगल घड़ी आई, राजा सिद्धार्थ के, आँगन खुशिया छाई, त्रिशला का नंद आया, मन मे आनंद छाया, पुष्प बरसे है नभ से आज रे, जन्म लियो जिनराज रे ॥ दुख की बदरी, धीरे धीरे…
0 notes
Text
सनातन हिंदु धर्म में पीपल का महत्व समझिये
पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए:-
मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु,
सखा शंकरमेवच ।
पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम,
वृक्षराज नमोस्तुते ।।
हिदु धर्म में पीपल के पेड़ का बहुत महत्व माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं और हमारे पितरों का वास भी माना गया है।
पीपल वस्तुत: भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:मूर्तिमान स्वरूप ही है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है की वृक्षों में मैं पीपल हूँ।
पुराणो में उल्लेखित है कि
--------------------------------
मूलतः ब्रह्म रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिणः।
अग्रतः शिव रुपाय अश्वत्त्थाय नमो नमः।।
अर्थात इसके मूल में भगवान ब्रह्म, मध्य में भगवान श्री विष्णु तथा अग्रभाग में भगवान शिव का वास होता है।
शास्त्रों के अनुसार पीपल की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना करने से समस्त देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं।
कहते है पीपल से बड़ा मित्र कोई भी नहीं है, जब आपके सभी रास्ते बंद हो जाएँ, आप चारो ओर से अपने को परेशानियों से घिरा हुआ समझे, आपकी परछांई भी आपका साथ ना दे, हर काम बिगड़ रहे हो तो
आप पीपल के शरण में चले जाएँ, उनकी पूजा अर्चना करे , उनसे मदद की याचना करें निसंदेह कुछ ही समय में आपके घोर से घोर कष्ट दूर जो जायेंगे।
धर्म शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को जीवन में पीपल का पेड़ अवश्य ही लगाना चाहिए । पीपल का पौधा लगाने वाले व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार संकट नहीं रहता है। पीपल का पौधा लगाने के बाद उसे रविवार को छोड़कर नियमित रूप से जल भी अवश्य ही अर्पित करना चाहिए। जैसे-जैसे यह वृक्ष बढ़ेगा आपके घर में सुख-समृद्धि भी बढ़ती जाएगी। पीपल का पेड़ लगाने के बाद बड़े होने तक इसका पूरा ध्यान भी अवश्य ही रखना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि पीपल को आप अपने घर से दूर लगाएं, घर पर पीपल की छाया भी नहीं पड़नी चाहिए।
मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति पीपल के वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित करता है तो उसके जीवन से बड़ी से बड़ी परेशानियां भी दूर हो जाती है। पीपल के नीचे शिवलिंग स्थापित करके उसकी नित्य पूजा भी अवश्य ही करनी चाहिए। इस उपाय से जातक को सभी भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
सावन मास की अमवस्या की समाप्ति और सावन के सभी शनिवार को पीपल की विधि पूर्वक पूजा करके इसके नीचे भगवान हनुमान जी की पूजा अर्चना / आराधना करने से घोर से घोर संकट भी दूर हो जाते है।
यदि पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर रविवार को छोड़कर नित्य हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो यह चमत्कारी फल प्रदान करने वाला उपाय है।
पीपल के नीचे बैठकर पीपल के 11 पत्ते तोड़ें और उन पर चन्दन से भगवान श्रीराम का नाम लिखें। फिर इन पत्तों की माला बनाकर उसे प्रभु हनुमानजी को अर्पित करें, सारे संकटो से रक्षा होगी।
पीपल के चमत्कारी उपाय
--------------------------------
शास्त्रानुसार प्रत्येक पूर्णिमा पर प्रातः 10 बजे पीपल वृक्ष पर मां लक्ष्मी का फेरा लगता है। इसलिए जो व्यक्ति आर्थिक रूप से मजबूत होना चाहते है वो इस समय पीपल के वृक्ष पर फल, फूल, मिष्ठान चढ़ाते हुए धूप अगरबती जलाकर मां लक्ष्मी की उपासना करें, और माता लक्ष्मी के किसी भी मंत्र की एक माला भी जपे । इससे जातक को अपने किये गए कार्यों के सर्वश्रेष्ठ फल मिलते है और वह धीरे धीरे आर्थिक रूप से सक्षम हो जाता है ।
पीपल को विष्णु भगवान से वरदान प्राप्त है कि जो व्यक्ति शनिवार को पीपल की पूजा करेगा, उस पर लक्ष्मी की अपार कृपा रहेगी और उसके घर का ऐश्वर्य कभी नष्ट नहीं होगा।
व्यापार में वृद्धि हेतु प्रत्येक शनिवार को एक पीपल का पत्ता लेकर उस पर चन्दन से स्वस्तिक बना कर उसे अपने व्यापारिक स्थल की अपनी गद्दी / बैठने के स्थान के नीचे रखे । इसे हर शनिवार को बदल कर अलग रखते रहे । ऐसा 7 शनिवार तक लगातार करें फिर 8वें शनिवार को इन सभी पत्तों को किसी सुनसान जगह पर डाल दें और मन ही मन अपनी आर्थिक समृद्धि के लिए प्रार्थना करते रहे, शीघ्र पीपल की कृपा से आपके व्यापार में बरकत होनी शुरू हो जाएगी ।
जो मनुष्य पीपल के वृक्ष को देखकर प्रणाम करता है, उसकी आयु बढ़ती है
जो इसके नीचे बैठकर धर्म-कर्म करता है, उसका कार्य पूर्ण हो जाता है।
पीपल के वृक्ष को काटना
-------------------------------
जो मूर्ख मनुष्य पीपल के वृक्ष को काटता है, उसे इससे होने वाले पाप से छूटने का कोई उपाय नहीं है। (पद्म पुराण, खंड 7 अ 12)
हर रविवार पीपल के नीचे देवताओं का वास न होकर दरिद्रा का वास होता है। अत: इस दिन पीपल की पूजा वर्जित मानी जाती है
यदि पीपल के वृक्ष को काटना बहुत जरूरी हो तो उसे रविवार को ही काटा जा सकता है।
शनि दोष में पीपल
-----------------------
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के बुरे प्रभावों को दूर कर,शुभ प्रभावों को प्राप्त करने के लिए हर जातक को प्रति शनिवार को पीपल की पूजा करना श्रेष्ठ उपाय है।
यदि रोज (रविवार को छोड़कर) पीपल पर पश्चिममुखी होकर जल चढ़ाया जाए तो शनि दोष की शांति होती है l
शनिवार की सुबह गुड़, मिश्रित जल चढ़ाकर, धूप अगरबत्ती जलाकर उसकी सात परिक्रमा करनी चाहिए, एवं संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे कड़वे तेल का दीपक भी अवश्य ही जलाना चाहिए। इस नियम का पालन करने से पीपल की अदृश्य शक्तियां उस जातक की सदैव मदद करती है।
ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।'
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है।
हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।
ग्रहों के दोषों में पीपल
ज्योतिष शास्त्र में पीपल से जुड़े हुए कई आसान किन्तु अचूक उपाय बताए गए हैं, जो हमारे समस्त ग्रहों के दोषों को दूर करते हैं। जो किसी भी राशि के लोग आसानी से कर सकते हैं। इन उपायों को करने के लिए हमको अपनी किसी ज्योतिष से कुंडली का अध्ययन करवाने की भी आवश्यकता नहीं है।
पीपल का पेड़ रोपने और उसकी सेवा करने से पितृ दोष में कमी होती है । शास्त्रों के अनुसार पीपल के पेड़ की सेवा मात्र से ही न केवल पितृ दोष वरन जीवन के सभी परेशानियाँ स्वत: कम होती जाती है
पीपल में प्रतिदिन (रविवार को छोड़कर) जल अर्पित करने से कुंडली के समस्त अशुभ ग्रह योगों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। पीपल की परिक्रमा से कालसर्प जैसे ग्रह योग के बुरे प्रभावों से भी छुटकारा मिल जाता है। (पद्म पुराण)
असाध्य रोगो में पीपल
---------------------------
पीपल की सेवा से असाध्य से असाध्य रोगो में भी चमत्कारी लाभ होता देखा गया है ।
यदि कोई व्यक्ति किसी भी रोग से ग्रसित है
वह नित्य पीपल की सेवा करके अपने बाएं हाथ से उसकी जड़ छूकर उनसे अपने रोगो को दूर करने की प्रार्थना करें तो जातक के रोग शीघ्र ही दूर होते है। उस पर दवाइयों का जल्दी / तेज असर होता है ।
यदि किसी बीमार व्यक्ति का रोग ठीक ना हो रहा हो तो उसके तकिये के नीचे पीपल की जड़ रखने से बीमारी जल्दी ठीक होती है ।
निसंतान दंपती संतान प्राप्ति हेतु पीपल के एक पत्ते को प्रतिदिन सुबह लगभग एक घंटे पानी में रखे, बाद में उस पत्ते को पानी से निकालकर किसी पेड़ के नीचे रख दें और पति पत्नी उस ज�� का सेवन करें तो शीघ्र संतान प्राप्त होती है ऐसा लगभग 2-3 माह तक लगातार करना चाहिये।
0 notes
reeteshblog28 · 2 months
Text
The Adventurous Story of King Veerbhadra and Pigeon Shwetank.
प्राचीन काल में एक समृद्ध राज्य था जिसके राजा वीरभद्र बहुत ही न्यायप्रिय और साहसी थे। एक दिन जब वे अपने महल के बगीचे में घूम रहे थे, तो उन्हें एक घायल कबूतर दिखाई दिया। कबूतर को देखकर राजा ने उसे गोद में उठा लिया और उसकी देखभाल करने लगे। धीरे-धीरे कबूतर स्वस्थ हो गया और राजा का प्रिय मित्र बन गया। राजा ने उसका नाम श्वेतांक रखा। आगे पढ़ें
Tumblr media Tumblr media
0 notes
pradeepdasblog · 9 months
Text
( #Muktibodh_part160 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part161
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 309-310
◆ राग निहपाल से शब्द नं. 1 :-
जालिम जुलहै जारति लाई, ऐसा नाद बजाया है।।टेक।।
काजी पंडित पकरि पछारे, तिन कूं
ज्वाब न आया है।
षट्दर्शन सब खारज कीन्हें, दोन्यौं दीन चिताया है।।1।।
सुर नर मुनिजन भेद पावैं, दहूं का पीर कहाया है।
शेष महेश गणेश रु थाके, जिन कूं पार न पाया है।।2।।
नौ औतार हेरि सब हारे, जुलहा नहीं हराया है।
चरचा आंनि परी ब्रह्मा सैं, चार्यों बेद हराया है।।3।।
मघर देश कूं किया पयांना, दोन्यौं दीन डुराया है।
घोर कफन हम काठी दीजौ, चदरि फूल बिछाया है।।4।।
गैबी मजलि मारफति औंड़ी, चादरि बीचि न पाया है।
काशी बासी है अबिनाशी, नाद बिंद
नहीं आया है।।5।।
नां गाड्या ना जार्या जुलहा, शब्द अतीत समाया है।
च्यारि दाग सें रहित सतगुरु, सौ हमरै मन भाया है।।6।।
मुक्ति लोक के मिले प्रगनें, अटलि पटा लिखवाया है।
फिरि तागीर करै ना कोई, धुर का चाकर लाया है।।7।।
तखत हिजूरी चाकर लागे, सति का दाग दगाया है।
सतलोक में सेज हमारी, अबिगत नगर बसाया है।।8।।
चंपा नूर तूर बहु भांती, आंनि पदम
झलकाया है।
धन्य बंदी छोड़ कबीर गोसांई, दास गरीब बधाया है।।9।। 1।।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 649-702 का सरलार्थ :- काजी तथा पंडितों ने विचार-विमर्श किया कि राजा सिकंदर को तो सिद्धि दिखाकर प्रभावित कर लिया। यह कुछ करने वाला नहीं है। तब उन्होंने कबीर परमेश्वर जी को शास्त्रार्थ की चुनौती दी।
◆ शास्त्रार्थ में भी काजी-पंडितों की किरकिरी हो गई तो सिकंदर राजा के पास फिर गए और कहा कि आप अपने सामने हमारी तथा कबीर जी की सिद्धि-शक्ति का परीक्षण करो।
हमारा मुकाबला (compitition) कराओ। उस समय भिन्न-भिन्न प्रकार के साधक, कोई कनफटा नाथ परंपरा से, दण्डी स्वामी, सन्यासी, षटदर्शनी वाले बाबा सब इकट्ठे हुए थे जो संत कबीर जी से ईर्ष्या करते थे। हाथों में पत्थर लेकर कबीर जी से कहने लगे कि तू हमारे देवताओं का अपमान करता है। हे जुलाहे! तुझे पत्थर मारेंगे। सिकंदर लोधी के पास जाकर पंडितों तथा मुल्ला-काजियों ने कहा कि कबीर जुलाहा पापी है। उसके दिल में दया
नहीं है। वह सबके धर्मों में दोष देखता है। हिन्दुओं से राम-राम नहीं करता तथा मुसलमानों से सलाम भी नहीं करता। कुछ और ही बोलता है। सत साहेब।
◆ संत गरीबदास जी ने तर्क दिया है कि उस काशी नगरी के सब ही नागरिकों की बुद्धि का नाश हो चुका था जो परमात्मा को तो नीच कह रहे थे तथा अपनी गलत साधना को उत्तम बता रहे थे और दयावान कबीर परमेश्वर जी को निर्दयी बता रहे थे। स्वयं जो सर्व व्यसन करते थे, लोगों को ठगते थे, अपने को श्रेष्ठ कह रहे थे।
◆ राजा सिकंदर ने कहा कि आप तथा कबीर एक स्थान पर इकट्ठे होकर अपना एक ही बार फैसला कर लो। बार-बार के झगड़े अच्छे नहीं होते। पंडित तथा अन्य हिन्दू संत एक ओर तथा कबीर जी तथा रविदास जी एक ओर।
एक निश्चित स्थान पर आमने-सामने बैठ गए। मध्य में 20 फुट की दूरी रखी गई जहाँ पर पत्थर की सुंदर टुकडि़यों पर देवताओं की मूर्तियाँ रखी थी तथा शर्त रखी गई कि पत्थर की एक शिला (सुंदर चकोर टुकड़ी) पर चारों वेद रखे जाएंगे तथा अन्य शिलाओं पर चाँदी, सोने तथा पत्थर के सालिग्राम (विष्णु तथा लक्ष्मी व गणेश आदि देवताओं की मूर्तियाँ) रखी जाएंगी। जिनकी सत्य भक्ति होगी, उनकी ओर शिला ही चलकर जाएगी।
◆ ऐसा ही किया गया। जब पत्थर की शिला पर देवताओं की मूर्ति रखी और पंडितजन वेद वाणी पढ़ने लगे। उसी समय कुत्ता आया और उन पत्थर के देवताओं के मुख में टाँग उठाकर मूतकर भाग गया। धो-मांजकर साफ करके फिर सजाए। फिर कुत्ता आया, मूत की धार मारकर दौड़ गया। परमेश्वर कबीर जी तथा संत रविदास जी बहुत हँसे। ऐसा तीन बार किया। फिर विशेष सुरक्षा में मूर्ति रखकर पहले पंडितों ने अपनी भक्ति प्रारम्भ की।
हवन किए, वेदों के मंत्रों का उच्चारण किया, परंतु जिस चौकी (सुसज्जित पत्थर की शिला जिस पर देव मूर्तियाँ रखी थी) टस से मस नहीं हुई। राजा सिकंदर ने कहा कि हे कबीर जी! आप अपनी भक्ति-शक्ति से इन देवताओं को अपनी ओर बुलाओ। कबीर जी ने कहा
कि राजन! जब उच्च जाति के स्वच्छ वस्त्रा धारण किए हुए स्नान किए हुए पंडितों से देवता अपनी ओर नहीं बुलाए गए तो मुझ शुद्र के पास इनके देवता कैसे आएँगे? सिकंदर लोधी
बादशाह ने कहा कि हे कबीर जी! आपकी सच्ची भक्ति है। आप इन देवताओं को बुलाओ।
कबीर जी ने सत्यनाम का श्वांस से जाप किया तथा रविदास के साथ अपनी महिमा के शब्द गाने लगे। उसी समय पत्थर की शिला तथा उन पर रखे पत्थर, पीतल के देवता अपने
आप सरक कर (धीरे-धीरे चलकर) सब कबीर जी की गोद में बैठ गए। यह देखकर पंडित जी उन अठारह बोध वाली पुस्तकों (चारों वेद, पुरण, छः शास्त्र, उपनिषद आदि कुल अठारह बोध यानि ज्ञान की पुस्तकें मानी गई हैं, को) वहीं पटककर चले पड़े क्योंकि उनको कुत्ते के मूत की बूँदें (छींटें) लग गई थी।
◆ सब उपस्थित नकली विद्वान विचार करने लगे कि कबीर जुलाहे यानि शुद्र जाति वाले के पास भक्ति कैसे गई? परंतु वे अभिमानी-बेईमान अज्ञानी पंडित तथा काजी-मुल्ला व अन्य संत फिर भी परमात्मा के चरणों में नहीं गिरे।
क्रमशः_________________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Tumblr media
0 notes
besthealdylife · 1 year
Text
आम खाने के फायदे और नुकसान।
नमस्कार दोस्तो।"best healdy life" में आपका स्वागत है।हम इस आर्टिकल में आम खाने के बेहतरीन फायदों के बारे में जानेंगे।आम गर्मियों में खाया जाने वाला सबका मनपसंद और सेहत के लिए सबसे अच्छा होता है।आम रस से भरा हुआ प्रसिद्ध फलों में से एक है।जिसे फलों का राजा में भी कहा जाता है।यही नहीं यह भारत का राष्ट्रीय फल भी है।इसका वैज्ञानिक नाम मेंगीफेरा इंडिका है।और यह यह जीनस मैंगिफ़ेरा और एनाकार्डियासी प्रजाति से संबंधित है जिसकी 1500 से अधिक प्रजातियां होती हैं।यह सबसे पहले भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन किया जाता था।जो धीरे धीरे अलग अलग हिस्सों में उगाया जाने लगा।भारत में सबसे अधिक आम का उत्पादन किया जाता है।आम का पेड़ लगभाग 50 से 60 मीटर ऊंचा होता है।यह पोषण तत्व से भरपूर होता है।जिसमे पोषण के रूप में ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेड,फाइबर,प्रोटीन,वसा, फॉलिक एसिड,कैरीटोनोइड,एनथेसियानिन,विटामिन ए,विटामिन सी,विटामिन ई,विटामिन के, विटामिन b_1,विटामिन b_ 2 ,विटामिन b_3,विटामिन b_5,विटामिन b_6,बी 12, मैग्निज,फोलेट,जिंक,बीटा कैरोटिन, कॉपर,आयरन,कैल्सियम,मैग्नीशियम,फास्फोरस,पोटेशियम,प्रोटीन,फाइबर,आदि होता है।तो आइए जानते है।पोषण से भरपूर इस फल के बेमिसाल फायदों के बारे में विस्तार से read more
0 notes
ragbuveer · 1 year
Text
*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (चतुर्दशी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*��पको और आपके पूरे परिवार को त्याग, समर्पण, अपनत्व, स्नेह, वात्सल्य और रक्षा के पर्व रक्षाबंधन, और भगवान लव-कुश के जन्मदिवस की अनन्त कोटि- कोटि शुभकामनाएं*
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-30-अगस्त-2023
वार:----------बुधवार
तिथी :--------14चतुर्दशी:-10:59
पक्ष:----------शुक्लपक्ष
माह:----------द्बितीय श्रावण
नक्षत्र:---------धनिष्ठा:-20:47
योग:----------अतिगंड:-21:33
करण:---------वणिज:-10:58
चन्द्रमा:-------मकर10:19कुम्भ
सुर्योदय:-------06:20
सुर्यास्त:--------18:56
दिशा शूल---------उत्तर
निवारण उपाय:---गुड का सेवन
ऋतु :---------------वर्षा-शरद ऋतु
गुलीक काल:---10:53से 12:27
राहू काल:-------12:27से14:02
अभीजित-------- नहीं है
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
लाभ:-06:20से07:54तक
अमृत:-07:54से09:28तक
शुभ:-11:03से12:37तक
चंचल:-15:37से 17:21तक
लाभ:-17:21से 18:56तक
🌓चोघङिया रात🌗
शुभ:-20:24से21:50तक
अमृत :-21:50से23:15तक
चंचल :-23:15से00:40तक
लाभ :-03:31से04:56तक
🙏आज के विशेष योग 🙏
वर्ष का161वाँ दिन, भद्रा प्रारम्भ
10:58से21:02 पृथ्वी-लोक अशुभ(दिशा) नैर्ऋत्य, रक्षाबंधन रात्रि 09:02 पश्चात, पूर्णिमा व्रत, नारिरली पूर्णिमा (दमन), कोकिला व्रत पूर्ण, संस्कृत दिवस,बुध अस्त पश्चिम में 14:43, शुक्ल यजु:-अथर्व तैतरीय श्रावणी,हयग्रीय जयंती, अवनी जयंती, कुलधर्म, झूलनयात्रा समाप्त, अन्वाधान, बलभद्र पूजा (उड़ीसा), पंचक प्रारम्भ 10:19, वज्रमुसलयोग 06:13से 20:47, राजयोग 10:58 से 20:47, कजरी पर्व (मध्य भारत), श्रवण पूजन, ऋषितर्पण, काण्वमाध्यन्दिन कात्या, अथर्वदेयी उपाकर्म, श्रावणी मरुस्थल,
*राखी बांधने का समय*:-
30अगस्त2023 को पूर्णिमा तिथि प्रातः 10:59से प्रारंभ हो जायेगी,इस दिन भद्रा 10:59से रात्रि 09:02तक रहेगी, अतः भद्रा प्रारम्भ के पूर्व एवं समाप्ति के पश्चात रक्षासूत्र (राखी) बांधें
👉वास्तु टिप्स👈
घर में बाथरूम और टॉयलेट एक साथ हैं तो आपके बाथरूम का प्रवेश द्वार उत्तरी या पूर्वी दीवार पर होना चाहिए।
🎗🏵🎗 *रक्षाबंधन -*
सनातन परंपरा में किसी भी कर्मकांड व अनुष्ठान की पूर्णाहुति बिना रक्षासूत्र बांधे पूरी नहीं होती। प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियां और महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं।
थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, चावल, दीपक व मिष्ठान्न आदि होते हैं। पहले अभीष्ट देवता और कुल देवता की पूजा की जाती है, इसके बाद रोली या हल्दी से भाई का टीका करके उसकी आरती उतारी जाती है व दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है।
भाई, बहन को उपहार अथवा शुभकामना प्रतीक कुछ न कुछ भेंट अवश्य देते हैं और उनकी रक्षा की प्रतिज्ञा लेते हैं। यह एक ऐसा पावन पर्व है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है। रक्षाबंधन के अनुष्ठान के पूरा होने तक व्रत रखने की भी परंपरा है।
यह रक्षाबंधन का अभीष्ट मंत्र है :-
*'येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल |*
*तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल' ||*
अर्थात जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा।
*🌅सुविचार🌅👏*
रक्षा के पवित्र बंधन को सदा निभाइये, अनमोल है बहनों पर सदां स्नेह लुटाइये।👍🏻
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*वजन कम करने के लिए आसान योग -*
*उष्ट्रासन -*
उष्ट्रासन स्लिम और टोनिंग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण योग आसन है। यह आपके कमर के आकार को कम करने में मदद करता है क्योंकि यह विशेष रूप से शरीर के उसी क्षेत्र पर काम करता है।
*उष्ट्रासन करने की विधि -*
सबसे पहले खाली पेट किसी खुली हवादार जगह पर एक चटाई बिछाकर बैठ जाएं। दोनों पैरों को सामने की तरफ फैलाएं और उसके बाद धीरे-धीरे दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर बैठ जाए। यह ठीक उसी तरह है जैसे आप वज्रासन की स्थिति में बैठते हैं। फिर धीरे-धीरे घुटनों के बल उपर की तरफ उठें और झुकते हुए पहले हाथ को पहली ऐड़ी और वैसे ही दूसरे हाथ को दूसरे पैर की ऐड़ी पर लगाएं। आप 10 से 15 सेकेंड इस स्थिति में रहें। फिर वापस पहले वाली स्थिति में आ जाएं।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
व्यावसायि‍क यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली होगी। धनार्जन होगा। चोट व रोग से बचें। व्यवसाय ठीक चलेगा। मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा के अवसर आएंगे। आमदनी में सुधार होगा। व्यापारिक स्थायित्व बढ़ेगा। मांगलिक उत्सवों में भाग लेंगे।
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
कार्यप्रणाली में सुधार होगा। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें। जीवनसाथी को सम्मान मिलने से मन प्रसन्न रहेगा। जोखिम के कामों से दूर रहें। नौकरी में ऐच्छिक स्थानांतरण, पदोन्नति के योग हैं। अध्ययन में रुचि बढ़ेगी।
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
तीर्थदर्शन हो सकता है। महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मेलजोल बढ़ेगा। प्रसन्नता रहेगी। संतान पक्ष की चिंता रहेगी। समस्याओं का हल ढूँढ सकेंगे। कर्ज लेने की प्रवृत्ति का त्याग करें। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। क्रोध-चिड़चिड़ाहट से कार्य नहीं करें।
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
जल्दबाजी न करें। विवाद से बचें। पुराना रोग उभर सकता है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। सोच-विचार के अनुरूप स्थितियां रह पाएंगी। व्यावसायिक प्रयास सफल होने के आसार हैं। परिवार में धार्मिक, मांगलिक कार्य हो सकते हैं।
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। प्रभावशाली व्यक्ति सहायता करेंगे। धनार्जन होगा। मानसिक-वैचारिक श्रेष्ठता रहेगी। आर्थिक स्थितियां विशेष लाभप्रद बन पाएंगी। दांपत्य जीवन संतोषप्रद रहेगा। व्यर्थ लोभ-लालच नहीं रखें।
👱🏻‍♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। भूमि व भवन आदि की खरीद-फरोख्त संभव है। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। रोजगार में अपने कार्य को महत्व देंगे। महत्वपूर्ण काम समय पर पूरे हो पाएंगे। नए कार्यों की योजना बनेगी। आशानुरूप लाभ होने के योग हैं।
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
चोट व रोग से बचें। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। निवेशादि लाभप्रद रहेंगे। परिवार के सदस्यों की तरक्की होगी। आमदनी से अधिक व्यय न करें। अपने कामों के प्रति सजगता रखना आवश्यक है।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। दु:खद समाचार मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। भागदौड़ रहेगी। कामकाज की अधिकता से तनाव बढ़ेगा। व्यावहारिक परेशानियां रहेंगी। छोटी-बड़ी तात्कालिक समस्याएं विचलित रखेंगी। व्यापारिक असंतोष रहेगा।
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
प्रयास सफल रहेंगे। मान-सम्मान मिलेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। लाभ होगा। दूसरों के व्यवहार से लाभ होगा। पूर्व नियोजित योजनाओं का क्रियान्वयन संभव है। रुके कार्यों की चर्चा होगी। संतान के कामों से सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
अतिथियों का आवागमन रहेगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। बेचैनी रहेगी। मान बढ़ेगा। झंझटों में न पड़ें। सहयोग, मार्गदर्शन नहीं मिल पाएगा। अर्थ संबंधी विवाद हो सकते हैं। संतान की चिंता रहेगी। सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना होगा। पारिवारिक कामकाज स्थगित रहेंगे।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
महत्वपूर्ण कार्यसिद्धि हो सकती है। मनोरंजक यात्रा होगी। निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। प्रमाद न करें। व्यावसायिक स्थिति में सुधार संभव है। कामकाज में मन लगेगा। निजी कार्यों में सावधानी, सतर्कता रखें। रुका पैसा प्राप्त होगा।
🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
कुसंगति से बचें। यात्रादि में जोखिम न लें। लेन-देन में सावधानी रखें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। धैर्य रखें। आय से अधिक व्यय से आर्थिक तंगी आने की आशंका है। साधारण मतभेद, चिड़चिड़ाहट रह सकती है। दूसरों के कहने में नहीं रहें। व्यापार मध्यम रहेगा।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media
0 notes
orstube · 1 year
Text
मणिपुर समस्या की जड़ें जानने की इच्छा है तो पढ़ें | Manipur Violence | मणिपुर में हिंसा की पूरी कहानी
Tumblr media
लेख बड़ा हैं लेकिन मणिपुर समस्या की जड़ें जानने की इच्छा है तो पढ़ें 👇
वो लोग जो Manipur का रास्ता नहीं जानते। पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानी शायद जानते हो लेकिन कोई दूसरे शहर का नाम तक नहीं बता सकते उनके ज्ञान वर्धन के लिए बता दूं "मणिपुर समस्या: एक इतिहास" जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पूर्वोत्तर की ओर भी कदम बढ़ाए जहाँ उनको चाय के साथ तेल मिला। उनको इस पर डाका डालना था। उन्होंने वहां पाया कि यहाँ के लोग बहुत सीधे सरल हैं और ये लोग वैष्णव सनातनी हैं। परन्तु जंगल और पहाड़ों में रहने वाले ये लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग हैं तथा इन सीधे सादे लोगों के पास बहुमूल्य सम्पदा है। अतः अंग्रेज़ों ने सबसे पहले यहाँ के लोगों को देश के अन्य भूभाग से पूरी तरह काटने को सोचा। इसके लिए अंग्रेज लोग ले आए इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था। इसके अंतर्गत कोई भी इस इलाके में आने से पहले परमिट बनवाएगा और एक समय सीमा से आगे नहीं रह सकता। परन्तु इसके उलट अंग्रेजों ने अपने भवन बनवाए और अंग्रेज अफसरों को रखा जो चाय की पत्ती उगाने और उसको बेचने का काम करते थे। इसके साथ अंग्रेज़ों ने देखा कि इस इलाके में ईसाई नहीं हैं। अतः इन्होने ईसाई मिशनरी को उठा उठा के यहां भेजा। मिशनरीयों ने इस इलाके के लोगों का आसानी से धर्म परिवर्तित करने का काम शुरू किया। जब खूब लोग ईसाई में परिवर्तित हो गए तो अंग्रेज इनको ईसाई राज्य बनाने का सपना दिखाने लगे। साथ ही उनका आशय था कि पूर्वोत्तर से चीन, भारत तथा पूर्वी एशिया पर नजर बना के रखेंगे। अंग्रेज़ों ने एक चाल और चली। उन्होंने धर्म परिवर्तित करके ईसाई बने लोगों को ST का दर्जा दिया तथा उनको कई सरकारी सुविधाएं दी। धर्म परिवर्तित करने वालों को कुकी जनजाति और वैष्णव लोगों को मैती समाज कहा जाता है। तब इतने अलग राज्य नहीं थे और बहुत सरे नगा लोग भी धर्म परिवर्तित करके ईसाई बन गए। धीरे धीरे ईसाई पंथ को मानने वालों की संख्या वैष्णव लोगों से अधिक या बराबर हो गयी। मूल लोग सदा अंग्रेजों से लड़ते रहे जिसके कारण अंग्रेज इस इलाके का भारत से विभाजन करने में नाकाम रहे। परन्तु वो मैती हिंदुओं की संख्या कम करने और परिवर्तित लोगों को अधिक करने में कामयाब रहे। Manipur के 90% भूभाग पर कुकी और नगा का कब्जा हो गया जबकि 10% पर ही मैती रह गए। अंग्रेजों ने इस इलाके में अफीम की खेती को भी बढ़ावा दिया और उस पर ईसाई कुकी लोगों को कब्जा करने दिया। How to Download Gadar 2 (2023) Hindi Audio Complete Movie in Full HD आज़ादी के बाद (Manipur): आज़ादी के समय वहां के राजा थे बोध चंद्र सिंह और उन्होंने भारत में विलय का निर्णय किया। 1949 में उन्होंने नेहरू को बोला कि मूल वैष्णव जो कि 10% भूभाग में रह गए है उनको ST का दर्जा दिया जाए। नेहरू ने उनको जाने को कह दिया। फिर 1950 में संविधान अस्तित्व में आया तो नेहरू ने मैती समाज को कोई छूट नहीं दिया। 1960 में नेहरू सरकार द्वारा लैंड रिफार्म एक्ट लाया जिसमे 90% भूभाग वाले कुकी और नगा ईसाईयों को ST में डाल दिया गया। इस एक्ट में ये प्रावधान भी था जिसमे 90% कुकी - नगा वाले कहीं भी जा सकते हैं, रह सकते हैं और जमीन खरीद सकते हैं परन्तु 10% के इलाके में रहने वाले मैती हिंदुओं को ये सब अधिकार नहीं था। यहीं से मैती लोगों का दिल्ली से विरोध शुरू हो गया। नेहरू एक बार भी पूर्वोत्तर के हालत को ठीक करने करने नहीं गए। उधर ब्रिटैन की MI6 और पाकिस्तान की ISI मिलकर कुकी और नगा को हथियार देने लगी जिसका उपयोग वो भारत विरुद्ध तथा मैती वैष्णवों को भागने के लिए करते थे। मैतियो ने उनका जम कर बिना दिल्ली के समर्थन के मुकाबला किया। सदा से इस इलाके में कांग्रेस और कम्युनिस्ट लोगों क��� सरकार रही और वो कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थन में रहे। चूँकि लड़ाई पूर्वोत्तर में ट्राइबल जनजातियों के अपने अस्तित्व की थी तो अलग अलग फ्रंट बनाकर सबने हथियार उठा लिया।
Tumblr media
पूरा पूर्वोत्तर ISI के द्वारा एक लड़ाई का मैदान बना दिया गया। जिसके कारण Mizo जनजातियों में सशत्र विद्रोह शुरू हुआ। बिन दिल्ली के समर्थन जनजातियों ने ISI समर्थित कुकी, नगा और म्यांमार से भारत में अनधिकृत रूप से आये चिन जनजातियों से लड़ाई करते रहे। जानकारी के लिए बताते चलें कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट ने मिशनरी के साथ मिलकर म्यांमार से आये इन चिन जनजातियों को Manipur के पहाड़ी इलाकों और जंगलों की नागरिकता देकर बसा दिया। ये चिन लोग ISI के पाले कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थक थे तथा वैष्णव मैतियों से लड़ते थे। पूर्वोत्तर का हाल ख़राब था जिसका पोलिटिकल सलूशन नहीं निकाला गया और एक दिन इन्दिरा गाँधी ने आदिवासी इलाकों में air strike का आर्डर दे दिया जिसका आर्मी तथा वायुसेना ने विरोध किया परन्तु राजेश पायलट तथा सुरेश कलमाड़ी ने एयर स्ट्राइक किया और अपने लोगों की जाने ली। इसके बाद विद्रोह और खूनी तथा सशत्र हो गया। 1971 में पाकिस्तान विभाजन और बांग्ला देश अस्तित्व आने से ISI के एक्शन को झटका लगा परन्तु म्यांमार उसका एक खुला एरिया था। उसने म्यांमार के चिन लोगों का मणिपुर में एंट्री कराया जिसका कांग्रेस तथा उधर म्यांमार के अवैध चिन लोगों ने जंगलों में डेरा बनाया और वहां ओपियम यानि अफीम की खेती शुरू कर दिया। पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड दशकों तक कुकियों और चिन लोगों के अफीम की खेती तथा तस्करी का खुला खेल का मैदान बन गया। मयंमार से ISI तथा MI6 ने इस अफीम की तस्करी के साथ हथियारों की तस्करी का एक पूरा इकॉनमी खड़ा ��र दिया। जिसके कारण पूर्वोत्तर के इन राज्यों की बड़ा जनसँख्या नशे की भी आदि हो गई। नशे के साथ हथियार उठाकर भारत के विरुद्ध युद्ध फलता फूलता रहा। 2014 के बाद Manipur की परिस्थिति: मोदी सरकार ने एक्ट ईस्ट पालिसी के अंतर्गत पूर्वोत्तर पर ध्यान देना शुरू किया, NSCN - तथा भारत सरकार के बीच हुए "नागा एकॉर्ड" के बाद हिंसा में कमी आई। भारत की सेना पर आक्रमण बंद हुए। भारत सरकार ने अभूतपूर्व विकास किया जिससे वहां के लोगों को दिल्ली के करीब आने का मौका मिला। धीरे धीरे पूर्वोत्तर से हथियार आंदोलन समाप्त हुए। भारत के प्रति यहाँ के लोगों का दुराव कम हुआ। रणनीति के अंतर्गत पूर्वोत्तर में भाजपा की सरकार आई। वहां से कांग्रेस और कम्युनिस्ट का लगभग समापन हुआ। इसके कारण इन पार्टियों का एक प्रमुख धन का श्रोत जो कि अफीम तथा हथियारों की तस्करी था वो चला गया। इसके कारण इन लोगों के लिए किसी भी तरह पूर्वोत्तर में हिंसा और अशांति फैलाना जरूरी हो गया था। जिसका ये लोग बहुत समय से इंतजार कर रहे थे। हाल ही Manipur में दो घटनाए घटीं:
Tumblr media
1. Manipur उच्च न्यायालय ने फैसला किया कि अब मैती जनजाति को ST का स्टेटस मिलेगा। इसका परिणाम ये होगा कि नेहरू के बनाए फार्मूला का अंत हो जाएगा जिससे मैती लोग भी 10% के सिकुड़े हुए भूभाग की जगह पर पूरे Manipur में कहीं भी रह, बस और जमीन ले सकेंगे। ये कुकी और नगा को मंजूर नहीं। 2. Manipur के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने कहा कि सरकार पहचान करके म्यांमार से आए अवैद्य चिन लोगों को बाहर निकलेगी और अफीम की खेती को समाप्त करेगी। इसके कारण तस्करों का गैंग सदमे में आ गया। इसके बाद ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने अपने दिल्ली बैठे आकाओं, कम्युनिस्ट लुटियन मीडिया को जागृत किया। पहले इन लोगों ने अख़बारों और मैगजीन में गलत लेख लिखकर और उलटी जानकारी देकर शेष भारत के लोगों को बरगलाने का काम शुरू किया। उसके बाद दिल्ली से सिग्नल मिलते ही ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने मैती वैष्णव लोगों पर हमला बोल दिया। जिसका जवाब मैतियों दुगुना वेग से दिया और इन लोगों को बुरी तरह कुचल दिया जो कि कुकी - नगा के साथ दिल्ली में बैठे इनके आकाओं के लिए भी unexpected था। लात खाने के बाद ये लोग अदातानुसार विक्टम कार्ड खेलकर रोने लगे। अभी भारत की मीडिया का एक वर्ग जो कम्युनिस्ट तथा कोंग्रस का प्रवक्ता है अब रोएगा क्योंकि पूर्वतर में मिशनरी, अवैध घुसपैठियों और तस्करों के बिल में मणिपुर तथा केंद्र सरकार ने खौलता तेल डाल दिया है। Read the full article
0 notes
khatushyamjistatus · 1 year
Text
खाटूश्यामजी की कहानी Khatu Shyam ji Real Story
श्री खाटू वाले श्याम जी की कहानी इस प्रकार है . यहा आप देखेंगे की किस तरह खाटू श्याम जी ने अपनी लीला रचकर अपने शीश को खाटू श्याम मंदिर के पास श्याम कुंड से अवतरित किया . जय हो आपकी खाटू श्याम जी खट्वा नगरी (खाटू धाम) में एक गाय जो रोज घास चरने जाती थी , रोज जमीन के एक भाग पर खडी हो जाती थी . उसके थनों से स्वता दूध की धार उस धरा में समां जाती थी जेसे की कोई जमीन के अन्दर से उस गौ माँ का दूध पी रहा है . घर पर आने के बाद गौ मालिक जब उसका दूध निकालने की कोशिस करता तो गौ का दूध उसे मिल नही पाता था . यह क्रम बहूत दिनों तक चलता रहा . गौ मालिक से सोचा की कोई न कोई ऐसा जरुर है जो उसकी गाय का दूध निकल लेता है .एक दिन उस गौ मालिक ने उस गाय का पीछा किया . उसने संध्या के समय जब यह नज़ारा देखा तो उसकी आँखे इस चमत्कार पर चकरा गयी . गौ माँ का दूध अपने आप धरा के अन्दर समाने लगा. गौ मालिक अचरज के साथ गाव के राजन के पास गया और पूरी कहानी बताई . राजा और उनकी सभा को इस बात पर तनिक भी यकीं नही आया . पर राजा यह जानना चाहता था की आखिर माजरा क्या है . राजा अपने कुछ मंत्रियो के साथ उस धरा पर आया और उसने देखा की गौ मालिक सही बोल रहा है . उसने अपने कुछ लोगो से जमीन का वो भाग खोदने के लिए कहा . जमीन का भाग जेसे ही खोदा जाने लगा , उस धरा से आवाज आई , अरे धीरे धीरे खोदो , यहा मेरा शीश है उसी रात्रि राजा को स्वपन आया की राजन अब समय आ गया है मेरे शीश के अवतरित होने का . मैं महाभारत काल में वीर बर्बरीक था और मेने भगवान श्री कृष्णा को अपना शीश दान में दिया दिया फलस्वरूप मुझे कलियुग में पूजित जाने का वरदान मिला है , खुदाई से मेरा शीश उसी धरा से मिलेगा और तुम्हे मेरा खाटू श्याम मंदिर बनाना पड़ेगा . सुबह जब राजा उठा तो तो स्वपन की बात को ध्यान रखकर कुदाई पुनः शरू करा दी , और फिर जल्द ही कलियुग देव श्री श्याम का शीश उस धरा से अवतरित हुआ .
0 notes
hindistoryok01 · 1 year
Text
ब्लडी मैरी की कहानी | Bloody Mary Real Story In Hindi and bhoot tree story
यह एक इंग्लैंड की कहानी है जहां पर एक राजा रहता था उसका नाम हेनरी था और उसकी बहुत सारी पत्नियां थी और उनकी पहली बेटी का नाम मैरी था और दूसरी बेटे का नाम एलिजाबेथ था लेकिन राजा मैरी से प्यार नहीं करते थे उसे पसंद भी नहीं करते थे
इसलिए उसके साथ बुरा व्यवहार करते थे औरनौकरों के साथ मिलकर मेरी भी महल की सफाई करती थी ओए इस बात का प्रजा को बिलकुल भी नहीं पता था मेरी कुछ भी बोलतीतो राजा उसकी कोई भी बात नहीं मानता था यह कहानी सन 1547 की है
जब राजा हेनरी की मौत किसीबीमारीसे हुई तो प्रजा के अनुसार राजा की पहली बेटी यानी कि मैरी को इंग्लैंड की राजगद्दी पर बिठाया गया और मेरी वहां की रानी बन गई उस समय इंग्लैंड के हालात कुछ ठीक नहीं थे इंग्लैंड दो धर्मों के बीच में बटा हुआ था और जंग छिड़ी हुई थी रानी मैरीचाहती थी कि इंग्लैंड में एक ही धर्म स्थापित हो लेकिन लोगों ने इस बात से साफ इनकार कर दिया था
इससे नाराज होकर मैरी ने लोगों को सजा देना शुरू कर दिया किसी के गले काटदिए जाते तो किसी को फांसी पर लटका दे जाता किसी को जिंदा दफना दिया जाता और किसी को जिंदा जला दिया जाता मैरी कि इस क्रूरता व्यवहार के लिए लोग मैरी से नफरत करने लगे और मैरीकोजब पता चलता कि लोगउससे नफरत करते हैं तो उन्हें भी मेरी जिंदा जला डालती मेरी का व्यवहार कुछ अजीब ही था
वह कुंवारी जवान लड़कियों कोमरतीऔरउनके खून से नहाती थी ऐसा वह रोजाना करती थी उसका मानना था कि जवान लड़कियोंकेखून से नहाने से वह जवान हो जाएगी क्योंकि वह जवान लड़कियों के खून से नहाती थी कुछ समय बाद रानीमैरी ने शादी कर ली और बीच में खबर आई की रानी मैरी गर्भवती है
जल्दी ही उसके राज्य में एक नया राजा पैदा होने वाला है इस बात सेसब जगह खुशी का माहौल था इस बात को सुनकर सब जगह खुशी का माहौल था लेकिन उस समय रानी मैरी के साथ एक अजीब घटना हुई वह गर्भवती थी लेकिन किसी भी बच्चे को उसने जन्म नहीं दिया और उसका पेट धीरेधीरे पहले जैसा सामान्य हो गया
इंग्लैंड में एक तांत्रिक रहा करते थे एक बड़े तांत्रिक ने बताया कि रानी के पेट में कोई बच्चा नहीं है बल्कि एक भूत निवास कर रहा है वह कभी पैदा होने वाला ही नहीं है और वह ही रानी मेरी को खून से नहाने के लिए प्रेरित करता है कुछ समय बाद रानी फिर से गर्भवती हुई और 7 महीने होने के बाद ही उसका पेट फिर से नॉर्मल हो जाता
ऐसा करते करते एकदिन रानी मैरी की मृत्यु हो गई और उसकी छोटी बहन एलिजाबेथ को इंग्लैंड की राजगद्दी पर बैठा है एलिजाबेथ अब इंग्लैंड की नई रानी बन गई लोगों पर खुशी का माहौल था रानी मैरिको बहुत ही कुर्रता से याद किया जाता था उसे लोग पसंद भी नहीं करते थे और उसे लोग शापित भी मानते थे
जब तक वह इंग्लैंड कीरानीथीतो इंग्लैंड का माहौल भी कुछ अच्छा नहीं था और हर जगह उसकी क्रूरता की बात होती थी लेकिन रानी मैरी के जाने के बाद इंग्लैंड में शांति हुई और खुशी का माहौल बिछाने लगा उसके ऊपर एक भूत का साया था तांत्रिकों का ऐसा कहना था इसीलिए लोगों रानी मैरी को ब्लड मैरी भी कहते थे जाना जाता था कीब्लड मैरी ही रानी मरी थी
भूत की कहानी : भूतिया पेड़ | Bhootiya Ped Story In Hindi
बहुत सालों पुरानी बात है एक शहर में एक राजा रहता था वह राजा प्रजा को बहुत ही खुश रखता था और उनकी देखरेख रखता था प्रजा हमेशा उसके हित के लिए कार्य करती थी और वहां की प्रजा भी बहुत खुश रहतीथी एक दिन एक बाज़ भूतिया पेड़ के बीज को लेकर उड़ गया और रोनक पुर पहुंचा और उस बीज को गिरा दिया
बीज कोई मामूली भी नहीं था जिस भी गीली मिट्टी पर वह गिरा उसी दिन से वह धीरे-धीरे बड़ा होने लगा वह पास में ही एक घर था एक व्यक्ति ने उस बिज़ को गिरते हुए देखा था पोधा भी उसके सामने बड़ा हुआ था उसने यह बात सब गाँव वालो को बतायी बड़े बुज़ुर्ग भी उसे देखने आये सब उस पोधे को देखकर हैरान हो गये वह बहुत ही अत्यंत काला था उसकी पत्तियां भी काली थी
उसकी डालियां भी बहुत काली थी लोगों ने इससे पहले इस तरह का काला पौधा कभी नहीं देखा था धीरे-धीरे यह बात पूरे शहर में फैल गई और दो-चार दिन में पौधा पेड़ बन गया था और बहुत ही गहरे काले रंग का था वह एक भूतिया पेड़ जैसा दिख रहा था लग रहा था कि यह एक भूतिया पेड़ है बाद में लोगों ने आपस में चर्चा की
भूतिया पेड़ बहुत ही भयानक था रात को उस भूतिया पेड़ से अजीब सी आवाजें आती थी चिल्लाने की आवाज आती थी कभी-कभी तो रोने की आवाज आती है दिन मेंकभी औरत की आवाज आती तो कभी आदमी की रोनेकीआवाज आती और उस पेड़ से अजीब सीबदबू आती थी गांव और शहर वाले उस पेड़ से आने वाली आवाजें सुन सकते थे कोई भी चैन की नींद नहीं सो पाता था
और सरपंच और गाव वालो ने उस पेड़ के बारे में राजा को बता दिया जब राजा उस पेड़ को देखने आए तो वह भी इस पेड़ को देखकर हैरान रह गए कहने लगे यह तो भूतिया पेड़ जैसा हीलग रहा है मने एसा पेड़ कभी नहीं देखा लोगों ने कहा हमें तो यकीन है यह एक भूतिया पेड़ है एक व्यक्ति ने इस बिज़ गिरने की घटना
राजा को बतायी बीच के गिरने के बाद यहां पर पहले पौधा बना और धीरे-धीरे पेड़ बन गया वह जादुई पेड़ ही है राजा ने भी कहा हां यह जादुई भूतिया पेड़ है इतना जल्दी बड़ा हो गया और किसी को पता भी नहीं चला मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है राजा ने कहा !
जब राजा को पता चला तो राजा ने तुरंत घोषणा की और कहा कि जो भी इस पेड़ को को काटेगा या खत्म कर देगा इसका नामोनिशान हटा देगा तो वह इनाम के तौर पर है उसे 10000 सोने के सिक्के देगा यही नहीं जो भी इस पेड़ को खत्म करेगा उसे मैं राजा बना दूंगा मेरे मरने के बाद,  वह व्यक्ति राजा बन जाएगा और मेरी गद्दी का हकदार बनेगा इतना सुनते ही पूरे शहर में अफरा-तफरी मच गई और पेड़ को खत्म करने के अलग अलग समाधान निकाले गए
सब ने अपना दिमाग लगाना शुरू कर दिया राजा के चतुर मंत्री भी अपना दिमाग लगाने लगे लेकिन कोई भी नष्ट नहीं कर पाया धीरेधीरेबाकिपेड़भीसड़नेलगे, गांव के व्यक्तियों ने हाथी से उस पेड़ को को हटवाने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे पेड़ को कुल्हाड़ी से काटने की कोशिश की तो पेड़ कटने के बाद सही हो जाता लोगों को विश्वास हो गया था वह भूतिया ही पेड़ है बहुत सारी तरकीब उपनायी लेकिन कुछ नहीं हुआ उस गांव में एक समझदार व्यक्ति रहता था जब उसे राजा की घोषणा का पता चला तो वह अपने गुरु जी के पास गया और भूतिया पेड़ के बारे में बताने लगा
गुरु जी को इस बात का पहले से ही ज्ञान था और वह कोई आमपेड़ नहीं है वहबहुत ही ज्ञानी थे  उसने और समझदार व्यक्ति से कहा अगर तुम उसे खत्म करना चाहते हो तो तुम्हें नमक की बोरियां पेड़ के आसपास गिरा देनी चाहिए और 7 दिन तक तुम्हें इंतजार करना होगा वह धीरे-धीरे अपने आप वहां से गायब होने लगेगा
इस तरकीब के बारे में जानते ही व्यक्ति दौड़ा-दौड़ा राजा के पास जाता है और कहता है कि आपको उस पेड़ के आसपास नमक की बोरियां डलवा देनी चाहिए राजा ने उसकी बात को स्वीकार किया और सैनिकों से कहवा कर नमक की बोरियां पेड़ों के चारों ओर डलवा दी और गांव और शहर के लोग उसे देखने आए थे लेकिन लोगों को यकीन नहीं हुआ धीरे-धीरे मैं पेड़ छोटा होता गया लेकिन पेड़ में से रोने की आवाज़े कम नहीं हुई लोग बहुत डरने लगे औररा जाने रात के समय में घर से बाहर निकलने से मना किया खासकर बच्चोको
7 दिन के अंदर अंदर पेड़ छोटा हुआ और मिट्टी में गायब होने लगा धीरे-धीरे वह पेड़ गायब हो गया और गांव और शहर के व्यक्ति बहुत खुश हो गए औरउसव्यक्ति को शाबाशी देने लगे राजा भी बहुत खुश हुआ और उस और ज्ञानी बाबा को10,000 सोने के सिक्के दिए ज्ञानी बाबा को अपना सलाहकार बना दियाऔर एक पत्र लिखा कि मेरे मरने के बाद यह व्यक्ति इस शहर का राजा होगा और मेरीगद्दी पर बैठेगा और यहां राज करेगा और ज्ञानी बाबा उनका सलाहकार होगा
कहानी से सीख : धैर्य और समझदारी
All horror story in hindi for kids
1 note · View note
nationalnewsindia · 2 years
Text
0 notes
drkirtikale · 2 years
Photo
Tumblr media
फरफंदों से गुजरते हुए सुनीला नारंग https://amzn.eu/d/bd किसी भी इंसान को यदि समझना चाहो तो हम सबसे पहले उस से नाता जोड़ते हैं मिलते-जुलते हैं उसके बारे में उसके परिवार के बारे में, उसकी रुचियां उसके अतीत उसकी उसकी महत्वाकांक्षाएं जानते हैं। कुल मिलाकर यूं कहिए कि एक व्यक्ति के पूरे व्यक्तित्व को यदि जानना चाहे तो फरफंदों संस्मरण एक ऐसा उदाहरण है जो कीर्ति मैम के व्यक्तित्व का आधार है। इस पुस्तक में कीर्ति मैम ने अपना बचपन, बाल सुलभ बुद्धि की सोच ,पारिवारिक संबंध, उस समय का सामाजिक जीवन, बचपन के खेल, शरारतें,भोलापन अल्हड़पन इन सब को इतना सुंदर वर्णित किया है कि पाठक अन्यत्र ही अपने बचपन की भूली बिसरी यादों में खो जाता है । आकाशवाणी, कलई खुल गई ,बंदरोबा इनमें कितनी प्यारी बाल सुलभ बुद्धि थी जो कहा गया वह मान लिया माना ही नहीं अपना भी लिया ।बिन पैसे के खेलों का आनंद, महाराज सिंह की गौशाला- एक जीत जैसे किसी राज्य का सेनापति युद्ध में हराए हुए राज्य की धनसंपदा थाल में सजाकर सिंहासन पर विराजमान अपने राजा को ससम्मान भेंट करता है । घर में बाल- रामलीला का मंचन ,सखुदाई का सुख ,घर की कामवाली बाई ,बाई से बहुबाई और फिर उसकी बहू का रूप चित्रण एवं सामाजिक परिवर्तन। छुआछूत के उस जमाने में बहु बाई को पानी पिलाना अपना सौभाग्य समझना उसके द्वारा ओक से पानी पीने का प्रशिक्षण पाकर बहू बाई को गुरु मानना। ऐसा कौन कर सकता है । फिर धीरे-धीरे किशोरावस्था में प्रवेश करती हुई किशोरी के मन की उथल-पुथल एक नया भीतर का संसार, अठखेलियां ,फ्रॉक से सलवार कुर्ता ।जब स्वयं किशोरी की मां बनी तो अपनी मां के पक्ष को भी समझा ।दे दना दन, पहली विदेश यात्रा , संजू मौसी की यादों का वीडियो, सिनेमा दर्शन, कलई के रूप में मामा की पोल का खुलना आदि बहुत ही सुंदर संस्मरण है। गणपति बप्पा मोरया ,नागपंचमी का मेला, दीपावली तब की, आषाढ़ी एकादशी में परम्पराओं एवम त्योहारों का सुखद वर्णन है। आनंद को भावभीनी श्रद्धांजलि ,शिक्षकों के प्रति समर्पण एवं कृतज्ञता का भाव ,आक थू- एक सामाजिक बुराई के प्रति घृणाभाव, लक्ष्मी को रोटी बनाते हुए याद करना, शेरू एक पालतू प्राणी के प्रति उदारता दर्शाता हुआ यह संस्मरण कीर्ति जी को एक रेशमी स्वप्न के रूप में स्वीट सिक्सटीन की ओर ले जाता है। विपदा के समय मे ईश्वर पर पूर्ण विश्वास,मायके का एहसास, पहली हवाई यात्रा में किस प्रकार हवाइयां उड़ी। 30 घंटे की ट्रेन के बाद चार आंखों का लगातार बरसते हुए पुनर्मिलन। नन्ही सहयात्री प्रज्ञा की सीख, होम डिलीवरी आदि अत्यन्त रोचक एवं प्रेरणादायक संस्मरणहै https://www.instagram.com/p/CnhPB2pPz-e/?igshid=NGJjMDIxMWI=
0 notes
thedhongibaba · 2 years
Text
🚩🚩हिन्दू राष्ट्र भारत (पब्लिक समूह) 🚩🚩:
*इतिहास में तीन बार हिन्दुओं का अस्तित्व समाप्त होने ही वाला था। वो समस्याएँ आज के परिदृश्य से ज्यादा भयानक थीं, क्योकि उस समय हिन्दुओं को जोड़ने के लिये कोई सोशल मीडिया नहीं था।*
*पहली चुनौती थी बौद्ध धर्म की। बौद्ध धम्म भले ही कोई अलग धर्म नहीं था, मगर उसने भारतवासियों में अहिंसा का जो बीज बोया, उसने भारत को लम्बे समय तक कष्ट दिया। तब पुष्यमित्र शुंग हुए, जिन्होंने मगध की सत्ता पर कब्जा किया और पुनः वैदिक क्रांति का संचार किया।*
*भारतीयों ने फिर से शस्त्र उठाकर लड़ना शुरू किया और सदियों तक भारत की रक्षा की, पर जिन इलाकों में बौद्ध धम्म प्रबल रहा वो इलाके अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रूप में अब इस्लामिक हैं।*
*दूसरा सबसे भयानक दौर था, जब 1576 में हल्दीघाटी में अकबर की विजय हुई। महाराणा प्रताप के बाद अब कोई हिन्दू राजा शेष नहीं था, जो उसे चुनौती देता। पर अकबर 1581 तक काबुल के अभियानों में उलझा रहा और धीरे-धीरे इस्लाम से उसका मोह भंग होता गया। कहने को अकबर का काल लगभग 50 वर्ष का था, मगर वह इस्लामिक क्रांति के लिये कुछ खास नहीं था।*
*तीसरा सबसे भयानक काल था औरंगजेब का। औरंगजेब ने भी 50 साल राज किया और शुरू के 25 वर्ष उसने सिर्फ रक्तपात किया। मार-काट वाली मुसलमानी नीति की बदौलत उसने अफगानिस्तान, पंजाब और कश्मीर में हिन्दुओं के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। गुरु तेग बहादुर जी और महाराज गोकुल सिंह जाट को इस्लाम के नाम पर कत्ल कर दिया। 1681 में उसे छत्रपति संभाजी महाराज ने चुनौती दी। यहाँ औरंगजेब ने गलती की। उसने मराठों को खत्म करने की प्रतिज्ञा ली और संभाजी से लड़ने महाराष्ट्र आ गया। अकबर ने अंतिम 25 वर्ष 'दीन ए इलाही' धर्म अपनाया था, वहीं औरंगजेब ने अंतिम 27 वर्षों तक मराठों से युद्ध किया। परिणाम ये हुआ कि मराठे विजयी हुए और औरंगजेब मारा गया।*
*पाण्डवों की जिस दिल्ली को विदेशी ताकतों ने नोच-नोच कर खाया, उसी दिल्ली को 1737 में पेशवा बाजीराव ने आजाद किया और 20 साल बाद उनके पुत्र पेशवा बालाजीराव ने उसी दिल्ली में हिन्दू स्वराज्य स्थापित किया।*
*इन तीन घटनाओं का तात्पर्य यह है कि भारत कभी इस्लामिक देश नहीं बनेगा, ना ही हिन्दू प्रभाव से शून्य होगा। जो लोग बिहार के एक एमएलए से डरे हुए हैं, वे ना डरें, बल्कि ये तो मौका है वो खुद ही को नंगा कर रहे हैं। आपको तो बस उनकी तस्वीरें वायरल करनी हैं। मुसलमानों को 'हिंदुस्तान' शब्द से नफरत है, ये बात कोई हिंदूवादी ना जानता हो, मैं तो ऐसा नहीं मानता। तो इसमें घबराने की बात क्या है? हो सकता है इस देश पर कभी उनका प्रभाव ज्यादा हो जाये। हो ���कता है इस देश में शरिया भी आ जाये, मगर अपने पूर्वजों पर भरोसा रखिये। हम फिर से उठेंगे। 1657 में जब औरंगजेब बादशाह बना था, तब किसने सोचा था कि 100 साल बाद 1757 में मुगल ही खत्म हो जाएँगे? इसी तरह, 2020 में किसने सोचा है कि 2120 में क्या होगा???*
*जब छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी सेना बनाई थी, तब उसमें सिर्फ 50 मराठा सैनिक थे। जब गोकुल सिंह जाट खड़े हुए थे, उनके साथ मात्र 40 जाट थे। जब गुरु हरगोविंद सिंह जी ने आह्वान किया था, तब उनके साथ मात्र 25 सिख थे। हेडगेवार जी का संघ 5 स्वयंसेवको से शुरू हुआ था। मगर आज देखिये, इन सभी के नाम पर आर्मी, रेजीमेंट्स और विशाल संगठन हैं। बात ये नहीं है कि आपका अंतिम लक्ष्य क्या है? बात ये है कि आप लोगों को प्रेरित करते हैं या हतोत्साहित। जब दिल्ली पर मराठों का शासन आया, तब तक शिवाजी महाराज के स्वर्गवास को 70 वर्ष हो चुके थे। पर जो शुरुआत उन्होंने की, वो हमें सीखना चाहिए। एक मुस्लिम नेता बयान देता है और आप सहम जाते हैं और बहकी-बहकी सी बातें करते हैं, तो बेहतर है आप पोस्ट ना लिखें... क्योकि आप निर्माण नहीं कर रहे हैं, सिर्फ जड़ें खोखली कर रहे हैं। इसलिये किसी मुस्लिम नेता से डरें नहीं, बल्कि उनकी सच्चाई उजागर करें और बारबार -'भारत इस्लामिक राष्ट्र बन जायेगा'- बोलकर अपने ही भाइयों का उत्साह कम ना करें। गीता का वह संदेश सदैव याद रहे- "हम थे भी, हम हैं भी और हम होंगे भी।"*
*आपसे निवेदन करता हूँ इस पोस्ट को हल्के में न लें।आपके पास जितने भी ग्रुप हैं, उन सभी ग्रुप में ये पोस्ट भेजें, आपका आभार धन्यवाद होगा।मैंने तो मेरा कर्तव्य निभा दिया, अब आपकी बारी। देश स��्वोपरि है, थोड़ा समय निकालकर पोस्ट जरूर पढ़ें। सोचें कि हिन्दू एकता क्यों जरूरी है!*🙏
*वे सभी हमारी एकता से घबराये हुए हैं! पिछले 4 सालों में 7 से 19 राज्यों में पैर पसारती BJP से सहमें हुए हैं। ओड़ीशा-बंगाल से तमिलनाडु तक की राजनीति में मोदी की धमक से डरे हुए हैं! उन्हें मालूम है कि अगले दो सालों में अगर मोदी जी के विजयरथ को नहीं रोका गया तो 2025 तक RSS - विहिप - HUV जैसे हिन्दूवादी संगठन के झण्डे के
नीचे हिन्दू इतने शक्तिशाली हो जायेंगे कि उन्हें दबाना नामुमकिन हो जायेगा! उनके लिए तो अगला वर्ष अस्तित्व की लड़ाई का है! हिन्दू वोट बैंक को क्षत-विक्षत करने का हर हथकण्डा अपनाया गया! बरसों की जातिवादी- तुष्टिकरण की राजनीति को यूँ बर्बाद होते देखना उनके लिए असहनीय है!*
         *शुरुआत JNU - मूल निवासी - बेमुला- अख़लाक़ से की गयी। कभी गुजरात के दलितों-पटेलों को भड़काया, तो कभी हरियाणा के जाटों को और कभी महाराष्ट्र के मराठों और दलित को! विरोधी खुलकर मैदान में हैं! वे चाहते हैं कि आप लड़ें।सवर्ण-दलित लड़े, जाट-सैनी, मराठा-पटेल, यादव-राजपूत-ब्राह्मण, जाटव-बुनकर-कुम्भार- सब आपस में कट मरें! उन्हें बस आपके टूटने का इंतज़ार है!*
      *भीम आर्मी का गठन और बीच सड़क पर गाय काटकर खाना या फिर बाबा साहेब अम्बेडकर की तस्वीर के आगे प्रभु हनुमान जी का अपमान- ये सभी उसी साजिश का हिस्सा है!वे पाकिस्तान से मोदी जी को हटाने की मिन्नत कर चुके हैं! सेना का मनोबल तोड़ने की कोशिश रोज की जाती है। उन्होंने आतंकी - नक्सली - हुर्रियत-पत्थरबाज तक का भी समर्थन करके देख लिया! EVM और इलेक्शन कमीशन, CBI जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर उँगली उठा चुके! तैयार रहिये, इस साल इनसे भी बिकट परिस्थितियाँ खड़ी की जाएँगी! आपको उकसाने - भड़काने का हर संभव प्रयास किया जायेगा! नरेन्द्र मोदी की समझ-बूझ और सोशल मीडिया की जागरूकता से अब तक उनके सारे पासे उलटे पड़ रहे हैं। हर वार खाली जा रहा है। प्रभु की कृपा रही, तो मोदी जी आगे भी विरोधियों को जोरदार पटखनी देंगे! राज्यसभा में बहुमत भी हो गया। सदियों के बाद आई है यह समग्र हिन्दू -एकता, इसे यूँ न खोने दें! हम सबको व्यक्तिगत दुश्मनी और अहं की लड़ाई को छोड़कर इस एकजुटता को बनाए रखने का समय है। आँखें पूरी खोलिए भाइयों.... 🙏🏽*
          *याद रखिये, निशाने पर न ब्राह्मण हैं, न जैन हैं, न मराठा हैं, न वैश्य हैं, न राजपूत हैं, न गुर्जर हैं, न दलित हैं, न पिछड़े हैं। स्थान और अवसर के अनुसार जातियाँ बदलेंगी, क्योंकि... निशाने पर हिन्दू हैं, निशाने पर हिन्दू धर्म है, निशाने पर भारत है, निशाने पर भारतीयता है। इनको तोड़ना ही उनका मकसद है। वो JNU वाला नारा याद है न? "भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह... इंशा अल्लाह।"*
          *देश-विरोधी और हिन्दू-विरोधी शक्तियाँ अपना काम शुरू कर चुकी हैं। अब बारी हमारी और आपकी है। हमें और आपको केवल और केवल इतना ही करना है कि जातिवाद, ऊँच-नीच, अगड़े-पिछड़े, भाषावाद, क्षेत्रवाद आदि सभी तरह के भेदभाव भुलाकर एक रहना है, संगठित रहना है। भूल जाइए आप ब्राह्मण हैं, बनिया हैं या ठाकुर हैं, SC/ST या बाल्मीकि हैं। हम सब केवल हिन्दू हैं। दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है हमारे और आपके पास।*
*🚩  जय माँ भारती  🚩*
🙏 अनिल पंडित* 🙏
0 notes
pradeepdasblog · 1 year
Text
( #MuktiBodh_Part79 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part80
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर (151-153)
‘‘नेकी-सेऊ(शिव)-सम्मन के बलिदान की कथा‘‘
एक समय साहेब कबीर अपने भक्त सम्मन के यहाँ अचानक दो सेवकों (कमाल व शेखफरीद) के साथ पहुँच गए। सम्मन के घर कुल तीन प्राणी थे। सम्मन, सम्मन की पत्नी नेकी और सम्मन का पुत्र सेऊ। भक्त सम्मन इतना गरीब था कि कई बार अन्न भी घर पर नहीं होता था। सारा परिवार भूखा सो जाता था। आज वही दिन था। भक्त सम्मन ने अपने गुरुदेव कबीर साहेब से पूछा कि साहेब खाने का विचार बताएँ, खाना कब खाओगे? कबीर साहेब ने कहा कि भाई भूख लगी है। भोजन बनाओ। सम्मन अन्दर घर में जा कर अपनी पत्नी नेकी से बोला कि अपने घर अपने गुरुदेव भगवान आए हैं। जल्दी से भोजन तैयार करो। तब नेकी ने कहा कि घर पर अन्न का एक दाना भी नहीं है। सम्मन ने कहा पड़ोस वालों से उधार मांग लाओ। नेकी ने कहा कि मैं मांगने गई थी लेकिन किसी ने भी उधार आटा नहीं दिया। उन्होंने आटा होते हुए भी जान बूझ कर नहीं दिया और कह रहे हैं कि आज तुम्हारे घर तुम्हारे गुरु जी आए हैं। तुम कहा करते थे कि हमारे गुरु जी भगवान हैं। आपके गुरु जी भगवान हैं तो तुम्हें माँगने की आवश्यकता क्यों पड़ी? ये ही भर देगें तुम्हारे घर को आदि-2 कह कर मजाक करने लगे। सम्म��� ने कहा लाओ आपका चीर गिरवी रख कर तीन सेर आटा ले आता हूँ। नेकी ने कहा यह चीर फटा हुआ है। इसे कोई गिरवी नहीं रखता। सम्मन सोच में पड़ जाता है और अपने दुर्भाग्य को कोसते हुए कहता है कि मैं कितना अभागा हूँ। आज घर भगवान आए और मैं उनको भोजन भी नहीं करवा सकता। हे परमात्मा! ऐसे पापी प्राणी को पृथ्वी पर क्यों भेजा। मैं इतना नीच रहा हूँगा कि पिछले जन्म में कोई पुण्य नहीं किया। अब सतगुरु को क्या मुँह दिखाऊँ? यह कह कर अन्दर कोठे में जा कर फूट-2 कर रोने लगा। तब उसकी पत्नी नेकी कहने लगी कि हिम्मत करो। रोवो मत। परमात्मा आए हैं। इन्हें ठेस पहुँचेगी। सोचेंगे हमारे आने से तंग आ कर रो रहा है। सम्मन चुप हुआ। फिर नेकी ने कहा आज रात्रि में दोनों पिता पुत्र जा कर तीन सेर (पुराना बाट किलो ग्राम के लगभग) आटा चुरा कर लाना। केवल संतों व भक्तों के लिए | तब ��ड़का सेऊ बोला माँ - गुरु जी कहते हैं चोरी करना पाप है। फिर आप भी मुझे शिक्षा दिया करती कि बेटा कभी चोरी नहीं करनी चाहिए। जो चोरी करते हैं उनका सर्वनाश होता है। आज आप यह क्या कह रही हो माँ? क्या हम पाप करेंगे माँ? अपना भजन नष्ट हो जाएगा। माँ हम चौरासी लाख योनियों में कष्ट पाएंगे। एैसा मत कहो माँ। माँ आपको मेरी कसम। तब नेकी ने कहा पुत्र तुम ठीक कह रहे हो। चोरी करना पाप है परंतु पुत्र हम अपने लिए नहीं बल्कि संतों के लिए करेंगे। नेकी ने कहा बेटा - ये नगर के लोग अपने से बहुत चिढ़ते हैं।
हमने इनको कहा था कि हमारे गुरुदेव कबीर साहेब (पूर्ण परमात्मा) आए हुए हैं। इन्होंने एक मृतक गऊ तथा उसके बच्चे को जीवित कर दिया था जिसके टुकड़े सिंकदर लोधी ने
करवाए थे। एक लड़के तथा एक लड़की को जीवित कर दिया। सिंकदर लोधी राजा का जलन का रोग समाप्त कर दिया तथा श्री रामानन्द जी (कबीर साहेब के गुरुदेव) जो सिंकदर लोधी ने तलवार से कत्ल कर दिया था वे भी कबीर साहेब ने जीवित कर दिए थे। इस बात का ये नगर वाले मजाक कर रहे हैं और कहते हैं कि आपके गुरु कबीर तो भगवान हैं तुम्हारे घर को भी अन्न से भर देंगे। फिर क्यों अन्न (आटे) के लिए घर घर डोलती फिरती हो?
बेटा ये भोले प्राणी हैं यदि आज साहेब कबीर इस नगरी का अन्न खाए बिना चले गए तो काल भगवान भी इतना नाराज हो जाएगा कि कहीं इस नगरी को समाप्त न कर दे। हे पुत्र! इस
अनर्थ को बचाने के लिए अन्न की चोरी करनी है। हम नहीं खाएंगे। केवल अपने सतगुरु तथा आए भक्तों को प्रसाद बना कर खिलाएगें। यह कह कर नेकी की आँखों में आँसू भर आए और कहा पुत्र नाटियो मत अर्थात् मना नहीं करना। तब अपनी माँ की आँखों के आँसू पौंछता हुआ लड़का सेऊ कहने लगा - माँ रो मत, आपका पुत्र आपके आदेश का पालन करेगा। माँ आप तो बहुत अच्छी हो न।
अर्ध रात्रि के समय दोनों पिता (सम्मन) पुत्र (सेऊ) चोरी करने के लिए चल दिए। एक सेठ की दुकान की दीवार में छिद्र किया। सम्मन ने कहा कि पुत्र मैं अन्दर जाता हूँ। यदि कोई व्यक्ति आए तो धीरे से कह देना मैं आपको आटा पकड़ा दूँगा और लेकर भाग जाना। तब सेऊ ने कहा नहीं पिता जी, मैं अन्दर जाऊँगा। यदि मैं पकड़ा भी गया तो बच्चा समझ कर माफ कर दिया जाऊँगा। सम्मन ने कहा पुत्र यदि आपको पकड़ कर मार दिया तो मैं और तेरी माँ कैसे जीवित रहेंगे? सेऊ प्रार्थना करता हुआ छिद्र द्वार से अन्दर दुकान में प्रवेश कर गया। तब सम्मन ने कहा पुत्र केवल तीन सेर आटा लाना, अधिक नहीं। लड़का सेऊ लगभग तीन सेर आटा अपनी फटी पुरानी चद्दर में बाँध कर चलने लगा तो अंधेरे में तराजू के पलड़े पर पैर रखा गया। जोर दार आवाज हुई जिससे दुकानदार जाग गया और सेऊ को चोर-चोर करके पकड़ लिया और रस्से से बाँध दिया। इससे पहले सेऊ ने वह चद्दर में बँधा हुआ आटा उस छिद्र से बाहर फैंक दिया और कहा पिता जी मुझे सेठ ने पकड़ लिया है। आप आटा ले जाओ और सतगुरु व भक्तों को भोजन करवाना। मेरी चिंता मत करना। आटा ले कर सम्मन घर पर गया तो सेऊ को न पा कर नेकी ने पूछा लड़का कहाँ है? सम्मन ने कहा उसे सेठ जी ने पकड़ कर थाम्ब (Piller) से बाँध दिया। तब नेकी ने कहा कि आप वापिस जाओ और लड़के सेऊ का सिर काट लाओ। क्योंकि लड़के को पहचान कर अपने घर पर लाएंगे। फिर सतगुरु को देख कर नगर वाले कहेंगे कि ये हैं जो चोरी करवाते हैं। हो सकता है सतगुरु देव को परेशान करें। हम पापी प्राणी अपने दाता को भोजन के स्थान पर कैद न दिखा दें। यह कह कर माँ अपने बेटे का सिर काटने के लिए अपने पति से कह रही है वह भी गुरुदेव जी के लिए। सम्मन ने हाथ में कर्द (लम्बा छुरा) लिया तथा दुकान पर जा कर कहा सेऊ बेटा, एक बार गर्दन बाहर निकाल। कुछ जरूरी बातें करनी हैं। कल तो हम नहीं मिल पाएंगे। हो सकता है ये आपको मरवा दें। तबसेऊ ने उस सेठ (बनिए) से कहा कि सेठ जी बाहर मेरा बाप खड़ा है। कोई जरूरी बात करना चाहता है। कृप्या करके मेरे रस्से को इतना ढीला कर दो कि मेरी गर्दन छिद्र से बाहर निकल जाए। तब सेठ ने उसकी बात को स्वीकार करके रस्सा इतना ढीला कर दिया कि गर्दन आसानी से बाहर निकल गई। तब सेऊ ने कहा पिता जी मेरी गर्दन काट दो। यदि आप मेरी गर्दन नहीं काटोगे तो आप मेरे पिता नहीं हो। सम्मन ने एक दम करद मारी और सिर काट कर घर ले गया। सेठ ने लड़के का कत्ल हुआ देख कर उसके शव को घसीट कर साथ ही एक पजावा (ईटें पकाने का भट्ठा) था उस खण्डहर में डाल आया।
जब नेकी ने सम्मन से कहा कि आप वापिस जाओ और लड़के का धड़ भी बाहर मिलेगा उठा लाओ। जब सम्मन दुकान पर पहुँचा उस समय तक सेठ ने उस दुकान की दीवार के छिद्र को बंद कर लिया था। सम्मन ने शव की घसीट (चिन्हों) को देखते हुए शव के पास पहुँच कर उसे उठा लाया। ला कर अन्दर कोठे में रख कर ऊपर पुराने कपड़े (गुदड़) डाल दिए और सिर को अलमारी के ताख (एक हिस्से) में रख कर खिड़की बंद कर दी। कुछ समय के बाद सूर्य उदय हुआ। नेकी ने स्नान किया। सतगुरु व भक्तों का खाना बनाया। सतगुरु कबीर साहेब जी से भोजन करने की प्रार्थना की। नेकी ने साहेब कबीर व दोनों भक्त (कमाल तथा शेख फरीद), तीनों के सामने आदर के साथ भोजन परोस दिया। साहेब कबीर ने कहा इसे छः दौनों (मिट्टी का बर्तन) में डाल कर आप तीनों भी साथ बैठो। यह प्रेम प्रसाद खाओ। बहुत प्रार्थना करने पर भी साहेब कबीर नहीं माने तो छः दौनों में प्रसाद परोसा गया। पाँचों प्रसाद खाने के लिए बैठ गए। तब साहेब कबीर ने कहा --
आओ सेऊ जीम लो, यह प्रसाद प्रेम। शीश कटत हैं चोरों के, साधों के नित्य क्षेम।।
सेऊ धड़ पर शीश चढ़ा, बैठा पंगत मांही।
नहीं घरैरा गर्दन पर, वही सेऊ अक नाहीं।।
साहेब कबीर ने कहा कि हे सेऊ! आओ भोजन खाओ। सिर तो चोरों के कटते हैं। संतों (भक्तों) के नहीं।
उनको तो क्षमा होती है। साहेब कबीर ने इतना कहा था उसी समय सेऊ के धड़ पर सिर लग गया। कटे हुए का कोई निशान भी गर्दन पर नहीं था तथा पंगत (पंक्ति) में बैठ कर भोजन करने लगा। बोलो कबीर साहेब (कविरमितौजा) की जय। सम्मन तथा नेकी ने देखा कि गर्दन पर कोई चिन्ह भी नहीं है। लड़का जीवित कैसे हुआ?
अन्दर जा कर देखा तो वहाँ शव तथा शीश नहीं था। केवल रक्त के छीटें लगे थे जो इस पापी मन के संशय को समाप्त करने के लिए प्रमाण बकाया था। सत साहिब।।
ऐसी-2 बहुत लीलाएँ साहेब कबीर (कविरग्नि) ने की हैं जिनसे यह स्वसिद्ध है कि ये ही पूर्ण परमात्मा हैं। सामवेद संख्या नं. 822 में कहा है कि कविर्देव अपने विधिवत् साधक साथी
की आयु बढ़ा देता है।
क्रमशः________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Tumblr media
0 notes
amarnathviswkarma · 2 years
Text
Cमुसलमाननहींसमझेज्ञानकुरआन_Part13 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
मुसलमाननहींसमझेज्ञानकुरआन_Part14
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरआन"
पेज नंबर 34-36
उदाहरण:- एक समय एक व्यक्ति की दोस्ती एक पुलिस थानेदार से हो गई। उस व्यक्ति ने अपने दोस्त थानेदार से कहा कि मेरा पड़ोसी मुझे बहुत परेशान करता है। थानेदार (S.H.O.) ने कहा कि मार लट्ठ, मैं आप निपट लूंगा। थानेदार दोस्त की आज्ञा का पालन करके उस व्यक्ति ने अपने पड़ोसी को लट्ठ मारा, सिर में चोट लगने के कारण पड़ौसी की मृत्यु हो गई। उसी क्षेत्र का अधिकारी होने के कारण वह थाना प्रभारी अपने दोस्त को पकड़ कर लाया, कैद में
डाल दिया तथा उस व्यक्ति को मृत्यु दण्ड मिला। उसका दोस्त थानेदार कुछ मदद नहीं कर सका। क्योंकि राजा का संविधान है कि यदि कोई किसी की हत्या करेगा तो उसे मृत्यु दण्ड प्राप्त होगा। उस नादान व्यक्ति ने अपने मित्र दरोगा की आज्ञा मान कर राजा का संविधान भंग कर दिया। जिससे जीवन से हाथ धो बैठा। ठीक इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा की आज्ञा की अवहेलना करने वाला पाप का भागी होगा। क्योंकि कुरआन शरीफ (मजीद) का सारा ज्ञान ब्रह्म (काल/ज्योति निरंजन, जिसे आप अव्यक्त कहते हो) का दिया हुआ है। इसमें उसी का आदेश है तथा पवित्र बाईबल में केवल उत्पत्ति ग्रन्थ के प्रारम्भ में पूर्ण प्रभु का आदेश है। पवित्र बाईबल में हजरत आदम तथा उसकी पत्नी हव्वा को उस पूर्ण परमात्मा ने बनाया। बाबा आदम की वंशज संतान हजरत ईस्राईल, राजा दऊद, हजरत मूसा, हजरत ईसा तथा हजरत मुहम्मद आदि को माना है। पूर्ण परमात्मा तो छः दिन में सृष्टि रचकर तख्त पर विराजमान हो गया। बाद का सर्व कतेबों (कुरआन शरीफ आदि) का ज्ञान ब्रह्म (काल/ज्योति निरंजन) का प्रदान किया हुआ है। पवित्र कुरआन का ज्ञान
दाता स्वयं कहता है कि पूर्ण परमात्मा जिसे करीम, अल्लाह कहा जाता है उसका नाम कबीर है, वही पूजा के योग्य है। उसके तत्वज्ञान व भक्ति विधि को किसी बाखबर (तत्वदर्शी संत) से पता करो। इससे सिद्ध है कि जो ज्ञान कुरआन शरीफ आदि का है वह पूर्ण प्रभु का नहीं है।(साखी 21) जब काजी के पुत्र की मृत्यु हो जाती है तो काजी को कितना कष्ट होता है। पूर्ण ब्रह्म(अल्लाह कबीर) सर्व का पिता है। उसके प्राणियों को मारने वाले से अल्लाह खुश नहीं होता।(साखी 22) दर्द सबको एक जैसा ही होता है। यदि बकरे आदि का गला काट कर हलाल किया कहते हो तो काजी तथा मुल्ला अपना गला छेदन करके हलाल किया क्यों नहीं कहते यानि अपनी जान प्रिया लगती है, क्या बकरे को अपनी जान प्रिया नहीं है?(साखी 23) जिस समय बकरी को मुल्ला मारता है तो वह बेजुबान प्राणी आँखों में आंसू भर कर म्यां-म्यां करके समझाना चाहता है कि हे मुल्ला मुझे मार कर पाप का भागी मत बन। जब परमेश्वर के घर न्याय अनुसार लेखा किया जाएगा उस समय तुझे बहुत संकट का सामना करना पड़ेगा।(साखी 24) जबरदस्ती (बलात्) निर्दयता से बकरी आदि प्राणी को मारते हो, कहते हो हलाल कर रहे हैं। इस दोगली नीति का आपको महा कष्ट भोगना होगा। काजी तथा मुल्ला व कोई भी जीव हिंसा करने वाला व्यक्ति पूर्ण प्रभु के कानून का उल्लंघन कर रहा है, वह वहाँ धर्मराज के दरबार में खड़ा-खड़ा पिटेगा। यदि हलाल ही करने का शौक है तो काम, क्रोध, मोह, अहंकार, लोभ आदि को कर। पाँच समय नमाज भी पढ़ते हो तथा रमजान के महीने में दिन में रोजे (व्रत) भी रखते हो। शाम को गाय, बकरी, मुर्गी आदि को मार कर माँस खाते हो। एक तरफ तो परमात्मा की स्तुति करते हो दूसरी ओर उसी के प्राणियों की हत्या करते हो। ऐसे प्रभु कैसे खुश होगा? अर्थात् आप स्वयं भी पाप के भागी हो रहे हो तथा अनुयाईयों (साहबाओं) को भी गुमराह करने के दोषी होकर जहन्नम में गिरोगे।(साखी 28 से 33)
कबीर परमेश्वर कह रहे हैं कि हे काजी!, हे मुल्ला! आप पीर (गुरु) भी कहलाते हो। पीर तो वह होता है जो दूसरे के दुःख (पीड़) को समझे उसे, संकट में गिरने से बचाए। किसी को कष्ट न पहुँचाए। जो दूसरे के दुःख में दुःखी नहीं होता वह तो काफिर (अवज्ञाकारी) बेपीर (निर्दयी) है। वह पीर (गुरु) के योग्य नहीं है।(साखी 36) उत्तम खाना नमकीन खिचड़ी है उसे खाओ। दूसरे का गला काटने वाले को उसका बदला देना पड़ता है। यह जान कर समझदार व्यक्ति प्रतिफल में अपना गला नहीं कटाता। दोनों ही धर्मों के मार्ग दर्शक निर्दयी हो चुके हैं। हिन्दूओं के गुरु कहते हैं कि हम तो एक झटके से बकरे आदि का गला छेदन करते हैं, जिससे प्राणी को कष्ट नहीं होता, इसलिए हम दोषी नहीं हैं तथा
मुसलमान धर्म के मार्ग दर्शक कहते हैं हम धीरे-धीरे हलाल करते हैं जिस कारण हम दोषी नहीं। परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा यदि आपका तथा आपके परिवार के सदस्य का गला किसी भी विधि से काटा जाए तो आपको कैसा लगेगा?(साखी 37 से 40) बात करते हैं पुण्य की, करते हैं घोर अधर्म। दोनों दीन नरक में पड़हीं, कुछ तो करो शर्म।। कबीर परमेश्वर ने कहा:-
हम मुहम्मद को सतलोक ले गया। इच्छा रूप वहाँ नहीं रहयो।
उल्ट मुहम्मद महल पठाया, गुज बीरज एक कलमा लाया।।
रोजा, बंग, नमाज दई रे, बिसमिल की नहीं बात कही रे।
भावार्थ:- नबी मुहम्मद को मैं (कबीर अल्लाह) सतलोक ले कर गया था। परंतु वहाँ न रहने की इच्छा व्यक्त की, वापिस मुहम्मद जी को शरीर में भेज दिया। नबी मुहम्मद जी को काल ब्रह्म से पर्दे के पीछे से जो आदेश मिला था, वह उस आदेश में काल ने भी रोजा (व्रत) बंग (ऊँची आवाज में प्रभु स्तुति करना) तथा पाँच समय की नमाज करना तो कहा था, परंतु गाय आदि प्राणियों को बिस्मिल करने(मारने) को नहीं कहा। कुरआन में बाद में फरिस्ते का आदेश लिखा है, वह महापाप है।
( शेष भाग कल )
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Tumblr media
0 notes