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#लौकी
kisanofindia · 1 year
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लौकी की खेती (Bottle Gourd Farming): लौकी की उन्नत किस्मों से किसान बढ़ा सकते हैं आमदनी
लौकी की खेती के लिए उपयुक्त है गर्म जलवायु
पेट और स्वास्थ्य के लिए अच्छी माने जाने वाली सब्ज़ियों में लौकी का मुख्य स्थान है। लौकी की खेती (Bottle Gourd Farming) देश के लगभग हर इलाके में होती है। लौकी की कई उन्नत किस्में हैं, जिनसे अच्छी पैदावार करके किसान आमदनी बढ़ा सकते हैं।
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लौकी की खेती (Bottle Gourd Farming): लौकी एक कद्दू वर्गीय सब्ज़ी है। भारत में लौकी को बहुत से नामों से जाना जाता है जैसे घिया, दूधी और कलाबश। लौकी की सिर्फ सब्ज़ी ही नहीं बनती, बल्कि रायते, हलवे से लेकर स्वादिष्ट मिठाई तक बनती है। हरी सब्ज़ियों में लौकी बहुत लोकप्रिय है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर व कई विटामिन्स होते हैं। लौकी की खेती भी बहुत मुश्किल नहीं है। सही जलवायु और उचित मिट्टी मिलने पर यह आसानी से उग जाती है।
अन्य फसलों की तरह ही लौकी की भी कई किस्में हैं जो बाकियों के मुक़ाबले उन्नत मानी जाती हैं, क्योंकि यह अच्छी पैदावार देती हैं। देश के लगभग हर इलाके में लौकी की खेती (Bottle Gourd Farming) बड़े पैमाने पर की जा रही है। यदि आप भी लौकी की खेती करते हैं, तो आपको इन किस्मों (Bottle Gourd Varieties) की जानकारी होनी चाहिए।
लौकी की उन्नत किस्में
अर्का नूतन (Arka Nutan)
लौकी की इस किस्म की पैदावार भी अच्छी होती है। ये हल्के हरे रंग की और लंबी होती है। इस किस्म की प्रति हेक्टेयर 46 टन तक की पैदावार होती है और 56 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है।
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अर्का श्रेयस (Arka Shreyas)
प्रति हेक्टेयर 48 टन तक की पैदावार देने वाली लौकी की यह किस्म लंबी नहीं, बल्कि थोड़ी गोलाई में और मोटी होती है। यह खुले परागण वाली किस्म है जो 60 दिनों में तैयार हो जाती है।
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essentiallyoutsider · 6 months
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चाहिए थोड़ा दुख
खबरें देखता रहता हूं दिन भर और
कुछ नहीं लिखता मैं
देखता हूं रील, तस्‍वीर और वीडियो
दूसरों का नाच गाना सोना नहाना
सब कुछ पर बेमन
सीने में जाने किसका है वजन
जो काटे नहीं कटता वक्‍त की तरह
गोकि मैं हूं बहुत बहुत व्‍यस्‍त और
ऐसा सिर्फ दिखाने के लिए नहीं है चूंकि
मैं फोन नहीं उठाता किसी का
मैं वाकई व्‍यस्‍त हूं, और जाने
किन खयालों में मस्‍त हूं कि अब
कुछ भी छू कर नहीं जाता
निकल लेता है ऊपर से या नीचे से
या दाएं से और बाएं से
सर्र से पर मेरी रूह को तो छोड़ दें
त्‍वचा तक को कष्‍ट नहीं होता।
ये जो वजन है
यही दुख का सहन है
वैसे कारण कम नहीं हैं दुखी होने के
दूसरी सहस्राब्दि के तीसरे दशक में, लेकिन
दुख की कमी अखरती है रोज-ब-रोज
जबकि समृद्धि इतनी भी नहीं आई
कि खा पी लें दो चार पुश्‍तें
या फिर कम से कम जी जाएं विशुद्ध
हरामखोर बन के ही बेटा बेटी
या अकेले मैं ही।
मैंने सिकोड़ लिया खुद को बेहद
तितली से लार्वा बनने के बाद भी
फोन आ जाते हैं दिन में दो चार
और सभी उड़ते हुए से करते हैं बात
चुनाव आ गया बॉस, क्‍या प्‍लान है
मेरा मन तो कतई म्‍लान है यह कह देना
हास्‍यास्‍पद बन जाने की हद तक
संन्‍यस्‍त हो जाने की उलाहना को आमंत्रित करता
बेकल आदमी का एकल गान है।
एक कल्‍पना है
जिसका ठोस प्रारूप कागज पर उतारना
इतना कठिन है कि महीनों हो गए
और इतना आसान, कि लगता है
एक रोज बैठूंगा और लिख दूंगा
रोज आता है वह एक रोज
और बीत जाता है रोज
अब उसकी भी तीव्रता चुक रही है
तारीख करीब आ रही है और धौंकनी
धुक धुक रही है
कि क्‍या 4 जून के बाद भी करते रहना होगा
वही सब चूतियापा
जिसके सहारे काट दिए दस साल
अत्‍यंत सुरक्षित, सुविधाजनक
बिना खोए एक क्षण भी आपा
बदले में उपजा लिए कुछ रोग जिन्‍हें
डॉक्‍टर साहब जीवनशैली जनित कहते हैं
जबकि इस बीच न जीवन ही खास रहा
न कोई शैली, सिवाय खुद को
बचाने की एक अदद थैली
आदमी से बन गए कंगारू
स्‍वस्‍थ से हो गए बीमारू
कीड़े पनपते रहे भीतर ही भीतर
बाहर चिल्‍लाते रहे फासीवाद और
भरता रहा मन में दुचित्‍तेपन का
गंदा पीला मवाद।
यार, ऐसे तो नहीं जीना था
सिवाय इस राहत के कि
जीने की भौतिक परिस्थितियां ही
गढ़ती हैं मनुष्‍य को
यह दलील चाहे जितना डिस्‍काउंट दे दे
लेकिन मन तो जानता है (न) कि
दुनिया के सामने आदमी कितनी फानता है
और घर के भीतर चादर कितनी तानता है।
अगर ये सरकार बदल भी जाए तो क्‍या होगा मेरा
यही सोच सोच कर हलकान हुआ जाता हूं
जबकि सभी दोस्‍त ठीक उलटा सोच रहे हैं
जरूरी नहीं कि दोस्‍त एक जैसा सोचें
बिलकुल इसी लोकतांत्रिक आस्‍था ने दोस्‍त
कम कर दिए हैं और जो बच रहे हैं
वे फोन करते हैं और मानकर चलते हैं
मैं उनके जैसी बात कहूंगा हुंकारी भरूंगा
मैं तो अब किसी को फोन नहीं करता
न बाहर जाता हूं मिलने
बहुत जिच की किसी ने तो घर
बुला लेता हूं और जानता हूं कि
दस में से दो आ जाएं तो बहुत
इस तरह कटता है मेरा क्‍लेश और
बच जाता है वक्‍त
चूंकि मैं हूं बहुत बहुत व्‍यस्‍त
बचे हुए वक्‍त में मैं कुछ नहीं करता
यह जानते हुए भी लगातार लोगों से बचता
फिरता हूं क्‍योंकि वे जब मिलते हैं तो
ऐसा लगता है कि बेहतर होता कुछ न करते
घर पर ही रहते और ऐसा
तकरीबन हर बार होता है
हर दिन बस यही संतोष
मुझे बचा ले जाता है
कि मेरा खाली समय कोई बददिमाग
पॉलिटिकली करेक्‍ट
बुनियादी रूप से मूर्ख और अतिमहत्‍वाकांक्षी
लेकिन अनिवार्यत: मुझे जानने वाला मनुष्‍य
नहीं खाता है।
लोगों को ना करते दुख होता है
ना नहीं करने के अपने दुख हैं
आखिर कितनों की इच्‍छाओं, महत्‍वाकांक्षाओं
और मूर्खतापूर्ण लिप्‍साओं की आत्‍यंन्तिक रूप से
मौद्रिक परियोजनाओं में
आदमी कंसल्‍टेंट बन सकता है एक साथ?
आपके बगैर तो ये नहीं होगा
आपका होना तो जरूरी है
रोज दो चार लोग ऐसी बातें कह के मुझे
फुलाते रहते हैं और घंटे भर की ऊर्जा
उनके निजी स्‍वार्थों की भेंट चढ़ जाती है
इतने में दस आदमी कांग्रेस से भाजपा में और
चार आदमी भाजपा से कांग्रेस में चले जाते हैं
हेडलाइन बदल जाती है
किसी के यहां छापा पड़ जाता है
तो किसी को जेल हो जाती है
फिर अचानक कोई ऐसा नाम ट्रेंड करने लगता है
जिसे जानने में बची हुई ऊर्जा खप जाती है।
मुझे वाकई ये बातें जानने का शौक नहीं
ज्‍यादा जरूरी यह सोचना है कि अगले टाइम
क्‍या छौंकना है लौकी, करेला या भिंडी
और किस विधि से उन्‍‍हें बनना है
यह और भी अहम है पर संतों के कहे
ये दुनिया एक वहम है और मैं
इस वहम का अनिवार्य नागरिक हूं
और औसत लोगों से दस ग्राम ज्‍यादा
जागरिक हूं और यह विशिष्‍टता 2014 के बाद
अर्जित की हुई नहीं है क्‍योंकि उससे पहले भी
मैं जग रहा था जब सौ करोड़ हिंदू
सो रहा था इस देश का जो आज मुझसे
कहीं ज्‍यादा जाग चुका है और
मेरे जैसा आदमी बाजार से भाग चुका है
भागा हुआ आदमी घर में दुबक कर
खबरें ही देख सकता है और गाहे-बगाहे सजने वाली
महफिलों में अपने प्रासंगिक होने के सुबूत
उछाल के फेंक सकता है।
दरअसल मैं इसी की तैयारी करता हूं
इसीलिए खबरें देखता रहता हूं
पर लिखता कुछ नहीं
बस देखता हूं दूसरों का नाच गाना
सोना नहाना सब कुछ
नियमित लेकिन बेमन।
कब आ जाए परीक्षा की घड़ी
खींच लिया जाए सरेबाजार और
पूछ दिया जाए बताओ क्‍या है खबर
और कह सकूं बेधड़क मैं कि सरकार बहादुर
गरीबों में बांटने वाले हैं ईडी के पास आया धन।
छुपा ले जाऊं वो बात जो पता है
सारे जमाने को लेकिन कहने की है मनाही
कि एक स्‍वतंत्र देश का लोकतांत्रिक ढंग से
चुना गया प्रधानमंत्री कर रहा था सात साल से
धनकुबेरों से हजारों करोड़ रुपये की उगाही
खुलवाकर कुछ लाख गरीबों का खाता जनधन।
सच बोलने और प्रिय बोलने के द्वंद्व का समाधान
मैंने इस तरह किया है
बीते बरसों में जमकर झूठ को जिया है
स्‍वांग किया है, अभिनय किया है
जहां गाली देनी थी वहां जय-जय किया है
और सीने पर रख लिया है एक पत्‍थर
विशालकाय
अकेले बैठा पीटता रहता हूं छाती हाय हाय
कि कुछ तो दुख मने, एकाध कविता बने
लगे हाथ कम से कम भ्रम ही हो कि वही हैं हम
जो हुआ करते थे पहले और अकसर सोचा करते थे
किसके बाप में है दम जो साला हमको बदले।
ये तैंतालीस की उम्र का लफड़ा है या जमाने की हवा
छूछी देह ही बरामद हुई हर बार जब-जब
खुद को छुवा
हर सुबह चेहरे पर उग आती है फुंसी गोया
दुख का निशान देह पर उभर आता हो
मिटाने में जिसे आधा दिन गुजर जाता हो
दुख हो या न हो, दिखना नहीं चाहिए
ऐसी मॉडेस्‍टी ने हमें किसी का नहीं छोड़ा
भरता गया मवाद बढ़ता गया फोड़ा
अल्‍ला से मेघ पानी छाया कुछ न मांगिए
बस थोड़ा सा जेनुइन दुख जिसे हम भी
गा सकें, ���जा सकें और हताशाओं के
अपने मिट्टी के गमले में सजा सकें
और उसे साक्षी मानकर आवाहन करें
प्रकृति का कि लौट आओ ओ आत्‍मा
कम से कम कुछ तो दो करुणा कि
स्‍पर्श कर सकें वे लोग, वे जगहें, वे हादसे
जिनकी खबरें देखता रहता हूं मैं
दिन भर और कुछ भी नहीं लिख पाता।
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astrovastukosh · 8 months
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आज दिनांक - 19 जनवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - पौष
पक्ष - शुक्ल
तिथि - नवमी रात्रि 07:51 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र - भरणी मध्य रात्रि 02:50 तक तत्पश्चात कृतिका
योग - साध्य दोपहर 12:46 तक तत्पश्चात शुभ
राहु काल - सुबह 11:28 से 12:50 तक
सूर्योदय - 07:23
सूर्यास्त - 06:18
दिशा शूल - पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:16 तक
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कठोर या चंचल स्वभाव बदलने की कुंजी
स्वभाव कठोर है तो कमल का ध्यान करें, स्वभाव कोमल हो जायेगा । चंचल स्वभाव है तो ऐसा चिंतन करें कि “मैं शांत आत्मा हूँ, चिद्घन आत्मा हूँ, चैतन्य आत्मा हूँ... चंचलता मन में है, उसको जाननेवाला, चल मन को जाननेवाला अचल मेरा आत्मा-परमात्मा है । ॐ ॐ ॐ....” थोड़े दिन में स्वभाव ठीक हो जायेगा ।
मनुष्य कितना भी पतित हो वह महान बन सकता है
‘ॐऽऽऽ...’ उच्चारण किया और जितनी देर उच्चारण किया उतनी देर शांत हो जाय, ध्यान में डूबता जाय । अगर ऐसा १०-१५ मिनट सुबह-शाम करे, गुरुगीता का पाठ करे, युवाधन-सुरक्षा के नियमों पर अमल करे और भगवान् को, सदगुरु को एकटक देखे, उनसे बातें करे, प्रेरणा ले फिर अंतर में डुबकी मारे तो कितना भी पतित, कैसा भी गिरा हुआ व्यक्ति हो, उसका पतन बंद होने लगेगा, मन पवित्र होने लगेगा । वह मंगल के रास्ते चल पड़ेगा ।
लक्ष्मीप्राप्ति व घर में सुख-शांति हेतु
तुलसी-गमले की प्रतिदिन एक प्रदक्षिणा करने से लक्ष्मीप्राप्ति में सहायता मिलती है ।
तुलसी के थोड़े पत्ते पानी में डाल के उसे सामने रखकर भगवद्गीता का पाठ करे । फिर घर के सभी लोग मिल के भगवन्नाम - कीर्तन करके हास्य - प्रयोग करे और वह पवित्र जल सब लोग ग्रहण करे । यह प्रयोग करने से घर के झगड़े मिटते है, शराबी की शराब छुटती है और घर में सुख शांति का वास होता है ।
#akshayjamdagni #hindu #hindi #rammandir #panchang
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kaynatkitchentable · 2 years
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Lauki Kofta Recipe In Hindi - लौकी के कोफ्ते बनाने की विधि
लौकी ऐसी सब्जी है जो हर घर मे बनाई जती है पर यहा ज्यदा किसी को भी पसंद नही होती और बच्चे तो इसे खाना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते पर मै आज आपके साथ लौकी से बनी एसी सब्जी share करुँगी जो सभी को बहोत ही स्वादिष्ट लगेगी और लौकी खाने के बहुत से फायदे भी होते है इसी लिए मै आपको इस लेख मे lauki kofta recipe in hindi के बारे मे बताऊंगी ।read more
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amansahab · 13 days
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लौकी खाने के फायदे 💯 . #health #fitness #reelitfeelit #trending 
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nidarchhattisgarh · 21 days
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यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में सबसे प्रभावी: लौकी की सब्जी
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foodzlife · 2 months
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लौकी के पराठे बिना भरे बिना फटे बिना एक बूँद पानी के झटपट बनाएं | Ghiya ...
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mrrachnakar · 2 months
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।।सब्जी क्या बनाना है।।
आदी काल से हर ग्रहणी को, सर अपना यहीं खपाना है। आज का काम हो गया, कल सब्जी क्या बनाना है।। आलू गोभी परवल टमाटर, भिंडी लौकी प्याज और मटर। बैंगन टिंडे तोरई और बिन्स, छोले राजमा पनिर बटर।। सबकी बारी हो गई अब, किसको रिपीट कराना है। आज का काम हो गया, कल सब्जी क्या बनाना है।।अदरक निंबू मिर्च और लहुसन, पालक धनिया कोथमीर। हर ग्रेवी का स्वाद बडाऐ, लोंग ईलाइची काजू कि गीर।। हींग का तडका खूब लगा कर, खाने…
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sundartatips · 3 months
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सपने में हरी मिर्च, लौकी और हरे चने का पौधा देखना देता हैं बेहद खास संकेत
सपने में हरी मिर्च, लौकी और हरे चने देखना देता हैं बेहद खास संकेत – सपने में कुछ ऐसी चीजे भी अक्सर दिखाई देती हैं जिनका उपयोग हम रियल लाइफ में अक्सर करते हैं। पेड़-पौधे और फुल-पत्तियां भी प्रकृति के बेहद खास अंग हैं। हरी मिर्च, हरे चने, तुलसी, केला, धान, एलोवेरा, लौकी और शमी के पौधे का सपनों में दिखना कोई आम बात नहीं हैं। स्वप्न शास्त्र के अनुसार इन पौधों और इसके फूलों का सपने में आना भविष्य से…
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ownnews2024 · 3 months
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Bottle Gourd Juice Benefits: रोजाना सुबह खाली पेट लौकी का जूस पीने से सेहत को मिलते हैं गजब के फायदे, वेट लॉस से लेकर बीपी को कंट्रोल करती है ये सब्जी
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imranjalna · 6 months
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इफ्तार पार्टी में बनाएं लौकी-मखाने की खीर और शाही टुकड़ा, सभी करेंगे आपकी तारीफ
इफ्तार पार्टी ऑर्गेनाइज करनी है और घर पर कुछ मीठा बनाना है तो शाही टुकड़ा और लौकी-मखाने की खीर ट्राई करें. इन दोनों ही चीजों का स्वाद मेहमानों के मुंह में घुल जाएगा. तो चलिए जानते हैं बनाने का तरीका. पूरे महीने लोग सुबह सहरी खाने के बाद पूरे दिन बिना पानी के रोजा रखते हैं और शाम को रोजा इफ्तार किया जाता है. कई लोग अपने घर पर रिश्तेदारों के साथ मिलकर इफ्तार पार्टी भी रखते हैं, अगर आप भी इफ्तार…
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sharpbharat · 7 months
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jamshedpur rural- चाकुलिया में एक बार फिर हाथियों का उत्पात, करेला और लौकी फसलों को किया बर्बाद
चाकुलिया: चाकुलिया प्रखंड की जमुआ पंचायत के गांवों में पिछले 15 दिनों से 40 जंगली हाथियों का दल भारी उपद्रव मचा रहा है. इस पंचायत में हाथी एक आपदा बन गए हैं. गरमा धान, सब्जी, केला की फसलों को रौंद कर किसानों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. बीती रात हाथियों के एक दल ने सानघाटी गांव में जमकर उत्पात मचाया. (नीचे भी पढ़े) हाथियों ने गांव के वरुण महतो के लगभग एक बीघा खेत में लगे करेला फसल को पैरों से…
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astrovastukosh · 9 days
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*🌞~ दिनांक - 12 सितम्बर 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग सटीक गणना के साथ ~🌞*
*⛅दिनांक - 12 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - नवमी रात्रि 11:32 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - मूल रात्रि 09:53 तक तत्पश्चात पूर्व आषाढ़ा*
*⛅योग - आयुष्मान रात्रि 10:41 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:08 से दोपहर 03:41 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:25*
*⛅सूर्यास्त - 06:46*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:39 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 01:01 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:12 सितम्बर 13 से रात्रि 12:59 सितम्बर 13 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - ज्येष्ठ गौरी विसर्जन*
*⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🚶‍♂️शारीरिक-मानसिक आरोग्य हेतु संजीवनी बूटी : पैदल भ्रमण🚶‍♂️*
*🔹कैसा भ्रमण है लाभदायी ?🔹*
*🔸पैदल भ्रमण करते समय शरीर सीधा व वस्त्र कम रहें । दोनों हाथ हिलाते हुए और नाक से गहरे गहरे श्वास लेते हुए भ्रमण करना चाहिए । गहरे श्वास लेने से प्राणायाम का भी लाभ मिलता है ।*
*🔸शारीरिक के साथ यह मानसिक स्वास्थ्य में भी लाभदायी है । इससे काम, क्रोध, ईर्ष्या आदि मनोदोषों का शमन होता है । एकाग्��ता विकसित होती है ।*
*🔸ओस की बूँदों से युक्त हरी घास पर टहलना अधिक हितकारी हैं । यह नेत्रों के लिए विशेष लाभकारी है । वर्षा के दिनों में भीगी घास पर टहल सकते हैं ।*
*🔸भ्रमण सामान्यरूप से शारिरिक क्षमता के अनुसार मध्यम गति से ही करें । सुश्रुत संहिता (चिकित्सा स्थान : २४.८०) में आता है : यत्तु चङ्क्रमणं नातिदेहपीडाकरं भवेत् । तदायुर्बलमेधाग्निप्रदमिन्द्रियबोधनम् ॥*
*🔸'जो भ्रमण शरीर को अत्यधिक कष्ट नहीं देता वह आयु, बल एवं मेधा प्रदान करनेवाला होता है, जठराग्नि को बढ़ाता है और इन्द्रियों की शक्ति को जागृत करता है ।'*
*🔹भ्रमण है अनेक रोगों में लाभकारी🔹*
*🔸स्नायु दौर्बल्य, मानसिक रोग, अनिद्रा, स्वप्नदोष, सर्दी, खाँसी, सिरदर्द, कब्ज, दुबलापन और कमजोरी आदि में टहलना रामबाण औषधि है ।*
*🔸इन रोगों में प्रातः भ्रमण का लाभ बताते हुए डॉ. कार्नेलिया ई. फिलिप्स, डी.ओ. कहते हैं : "मैं यह बात अपने ३० वर्षों के अनुभव से कह रहा हूँ, जिस अवधि में मैंने इन रोगों से पीड़ित न जाने कितने निराश, हताश और निरुपाय रोगियों को पूर्ण स्वास्थ्य लाभ कराया है । इसलिए मुझे दृढ विश्वास हो गया है कि खोये हुए स्वास्थ्य को फिर से पाने का यह कुदरती तरीका इतना प्रभावशाली है कि इसके बारे में चाहे जितना भी कहा जाय उसमें अतिशयोक्ति नहीं होगी ।"*
*🔸भ्रमण से मोटापा कम होता है, भूख खुलकर लगती है, पुराने कब्ज व अपच में यह उत्तम औषधि का काम करता है । यह युवकों में काम-वासना को नियंत्रित करता है ।*
*🔹आधुनिक अनुसंधानों के परिणाम🔹*
*आधुनिक अनुसंधानों में पाया गया है कि-*
*🔸पैदल चलने से संधिवात (arthritis) संबंधी दर्द कम हो जाता है । हर हफ्ते ५-६ मील (८-१० कि.मी.) तक पैदल चलने से संधिवात की बीमारी होने से भी बचा जा सकता है ।*
*🔸 जैसे-जैसे पैदल चलना बढ़ता जाता है । वैसे-वैसे कोरोनरी हृदयरोगों (हृदय की गति से भ्रमण करना अधिकांश व्यक्तियों के लिए रक्तवाहिनियों में अवरोध) के होने का जोखिम कम होता जाता है । आम जनता में कोरोनरी हृदयरोगों की रोकथाम के लिए भ्रमण को एक आदर्श व्यायाम के रूप में बढ़ावा देना चाहिए ।*
*🔸पैदल चलने से व्यक्ति की रचनात्मकता में औसतन ६० प्रतिशत तक की वृद्धि होती है ।*
*🔸भ्रमण उच्च रक्तचाप (hypertension) व टाइप-2 डायबिटीज होने के जोखिम को कम करता है ।*
*🔹ध्यान रखें🔹*
*🔸घास न हो तो नंगे पैर भ्रमण न करें । नंगे पैर भ्रमण रोगकारक, नेत्रज्योति व आयु नाशक है । भ्रमण प्रदूषणरहित स्थान पर करें । यदि यह सुविधा न हो सके तो अपने घर की छत के ऊपर गमलों में तुलसी, मोगरा, गुलाब आदि लगाकर सुबह- शाम उनके आसपास पैदल चल सकते हैं ।*
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mahavoicenews · 7 months
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कंटोला: एक बहुमुखी आणि पौष्टिक भाजी
कांटोला, ज्याला मणक्याचे करवंटी किंवा तिळगुळ म्हणूनही ओळखले जाते, ही एक अनोखी आणि बहुमुखी भाजी आहे जी भारतात मोठ्या प्रमाणावर लागवड केली जाते. त्याच्या विशिष्ट काटेरी बाह्य आणि कोमल मांसासह, कांटोला हा विविध प्रदेशातील विविध पाककृतींमध्ये एक लोकप्रिय घटक आहे.
कंटोला हा लौकी कुटुंबातील आहे आणि त्यात भरपूर पोषक, जीवनसत्त्वे आणि खनिजे आहेत. त्यात कॅलरीज कमी आहेत आणि आहारातील फायबरने भरलेले आहे, जे निरोगी आहार राखू इच्छिणाऱ्यांसाठी एक उत्कृष्ट पर्याय बनवते. याव्यतिरिक्त, कंटोला अँटिऑक्सिडंट्स, जीवनसत्त्वे ए आणि सी, लोह, कॅल्शियम आणि पोटॅशियमचा एक चांगला स्रोत आहे, जे संपूर्ण आरोग्य आणि कल्याणासाठी योगदान देतात.
भारतीय पाककृतीमध्ये, कँटोला विविध पदार्थांमध्ये वापरला जातो, ज्यात करी, स्ट्री-फ्राईज, सूप आणि लोणचे यांचा समावेश आहे. त्याची सौम्य चव आणि किंचित कडू चव मसाले आणि मसाल्यांबरोबर चांगली जोडते, ज्यामुळे डिशमध्ये खोली आणि जटिलता वाढते. कँटोला बहुतेक वेळा इतर भाज्या, मांस किंवा मसूर यांच्याबरोबर मिसळून चवदार आणि पौष्टिक जेवण बनवले जाते.
कंटोलाचा आस्वाद घेण्याचा एक लोकप्रिय मार्ग म्हणजे कंटोला भजी, जीरे, हळद आणि तिखट यांसारख्या मसाल्यांनी तयार केलेली एक साधी आणि चवदार तळणी. कांटोला मसाले, औषधी वनस्पती आणि शेंगदाणे यांचे चवदार मिश्रण देखील भरले जाऊ शकते, नंतर ते कोमल आणि चवदार होईपर्यंत शिजवले जाऊ शकते.
त्याच्या स्वयंपाकासंबंधी वापराव्यतिरिक्त, पारंपारिक भारतीय औषधांमध्ये त्याच्या औषधी गुणधर्मांसाठी कंटोला देखील महत्त्व���चा आहे. पचन सुधारणे, वजन कमी करणे आणि रोग प्रतिकारशक्ती वाढवणे यासह विविध आरोग्य फायदे आहेत असे मानले जाते. मधुमेह, संधिवात आणि श्वसनाचे विकार यांसारख्या आजारांवर उपचार करण्यासाठीही कंटोलाचा वापर केला जातो.
कांटोला ही एक बहुमुखी आणि पौष्टिक भाजी आहे जी विविध प्रकारचे पाक आणि आरोग्य फायदे देते. पारंपारिक पदार्थांमध्ये आनंद लुटला किंवा आधुनिक पाककृतींमध्ये समाविष्ट केलेला असो, कांटोला जेवणात चव, पोत आणि पौष्टिक मूल्य जोडते. पौष्टिक आणि औषधी गुणधर्मांच्या विपुलतेने, कंटोला भारतीय पाककृती आणि संस्कृतीत कायम राखला जातो आणि साजरा केला जातो.
अधिक माहितीसाठी :-
नेहा पांडसे मालिका
अमरावती आवाज
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amansahab · 2 months
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लौकी खाने के चमत्कारी फायदे 🥰
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hcnnews-blog · 8 months
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आपकी सुंदरता और बालों के लिए वरदान है लौकी, छिपे हैं कई राज
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