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#विवाह ज्योतिषीय समाधान
विश्वसनीय ज्योतिषीय सेवाएं - एस्ट्रोलॉजी होरोस्कोप इंडिया सेंटर
एस्ट्रोलॉजी होरोस्कोप इंडिया सेंटर में, हम आपकी जीवन की सभी व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी करियर, शिक्षा, वित्त, विवाह, प्रेम, और रिश्तों के मामलों में आपको सटीक और प्रभावी ज्योतिषीय सलाह प्रदान करते हैं। हमारी वेबसाइट www.AstrologyHoroscopeIndiaDotcom पर जाकर, आप अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव का अनुभव कर सकते हैं। सटीक और विश्वसनीय ज्योतिषीय समाधान के लिए हमसे संपर्क करें।
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pavitrajyotish · 1 month
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PavitraJyotishDotcom: ज्योतिष के साथ बेहतर भविष्य की ओर
भारत की प्रमुख ज्योतिषीय वेबसाइट पवित्र ज्योतिष में आपका स्वागत है। पंडित उमेश चंद्र पंत और उनकी टीम के अनुभवी ज्योतिषी, करियर, विवाह, स्वास्थ्य और अन्य जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर सटीक सलाह और उपाय प्रदान करते हैं। वैदिक ज्योतिष में आधारित हमारे समाधान आपकी जीवन की चुनौतियों को आसान बना सकते हैं। वर्ष 2000 से सेवाएं प्रदान करते हुए, हम आपके लिए दैनिक राशिफल, मासिक ज्योतिषीय सलाह और व्यक्तिगत परामर्श की सुविधा भी उपलब्ध कराते हैं।
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astrorakesh1726 · 5 months
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वर बधु का कुंडली मिलान में क्या क्या देखना चाहिए?
कुंडली मिलान, जिसे ज्योतिषीय संगतता की जांच भी कहा जाता है, विशेष रूप से विवाह के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें वर और वधू की जन्म कुंडलियों का मिलान किया जाता है। इसमें कई पहलू शामिल हैं जिन्हें देखा जाता है:
अष्टकूट मिलान (अष्टकूट गुण मिलान): यह आठ अलग-अलग परमीटर्स पर आधारित होता है जो कुल मिलाकर 36 गुणों में से कितने गुण मिलते हैं, यह देखता है। इनमें वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट, और नाडी शामिल हैं। आम तौर पर, 18 से अधिक गुणों का मिलान होने पर शादी के लिए हरी झंडी दी जाती है।
मांगलिक दोष: मंगल ग्रह की स्थिति की जाँच की जाती है क्योंकि यदि एक कुंडली में मांगलिक दोष हो और दूसरी में नहीं हो, तो यह समस्या पैदा कर सकता है। मांगलिक दोष का समाधान तभी माना जाता है जब दोनों कुंडलियों में समान रूप से दोष हो या ���पाय के जरिए इसे कम किया जा सके।
भकूट दोष: यह राशि और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर होता है और इसे देखकर यह पता लगाया जाता है कि जीवन में स्वास्थ्य, धन, और संतान के लिए संगतता कैसी है।
नाडी दोष: यह संतान संबंधी मुद्दों और स्वास्थ्य के पहलुओं को देखता है। नाडी दोष का होना विशेष रूप से समस्याग्रस्त माना जाता है।
दशा संबंधी समय: कुंडली में विभिन्न ग्रहों की दशा और अंतर्दशा की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। यह जांचना जरूरी होता है कि शादी के बाद का समय दोनों के लिए शुभ हो।
सामंजस्य: भावनात्मक, मानसिक, और भौतिक स्तर पर सामंजस्य भी महत्वपूर्ण होता है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति से यह पता चलता है कि दोनों में सहयोग और समझ कैसी होगी।
सप्तम भाव: सप्तम भाव की स्थिति को भी देखा जाता है क्योंकि यह भाव विवाह और जीवनसाथी के साथ संबंधों को दर्शाता है। इस भाव के स्वामी की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है।
ये सभी बिंदु कुंडली मिलान के दौरान देखे जाते हैं ताकि वर और वधू के बीच सबसे अच्छी संगतता सुनिश्चित की जा सके। यदि आप कुंडली मिलान करवा रहे हैं, आप कुंडली मिलान सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है। जो आपको एक सटीक जानकारी दे सकता है।
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geeta1726 · 7 months
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नाडी दोष किसे ? कुंडली में प्राप्त ब्राह्मण वर्ण को या ब्राह्मण सरनेम को ?
नाडी दोष" एक ज्योतिषीय दोष है जो कुंडली मिलान में उत्पन्न हो सकता है और यह विवाही जीवन में कुछ सामस्यिक परेशानियों का कारण बन सकता है। नाडी दोष विवाह के संबंध में महत्वपूर्ण है, और यह दोष नाडी कुट मिलान के दौरान पति-पत्नी के बीच बने जीवन संबंधों की पुष्टि करने के लिए देखा जाता है।
नाडी दोष किसे हो सकता है:
नाडी दोष वहां उत्पन्न हो सकता है जहां जन्मपत्रिका में पति और पत्नी की नाडी एक सीधी रेखा में नहीं आती हैं, अर्थात नाडी कुट होता है।
नाडी दोष तीन प्रकार का हो सकता है: आद्य, मध्य, और अन्त नाडी दोष।
कुंडली में ब्राह्मण वर्ण या सरनेम:
नाडी दोष को तब कहा जाता है जब कुंडली मिलान में नाडी कुट होता है, और यह दोष जीवनसाथी के साथ संबंधित समस्याएं पैदा कर सकता है।
नाडी दोष का ब्राह्मण वर्ण के साथ कोई सीधा संबंध नहीं होता। यह केवल नाडी कुट के परिणाम के आधार पर होता है, जिसे किसी भी वर्ण के व्यक्ति में हो सकता है।
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र वर्ण का नाडी दोष उत्पन्न हो सकता है, और इसका समाधान उपायों द्वारा किया जा सकता है।
विवाही जीवन की सुरक्षा और सुख शांति के लिए, नाडी दोष का विशेषज्ञ करने के लिए आप टोना टोटका सॉफ्टवेयर का प्रयोग करना बेहतर होगा। जो
विभिन्न उपायों और पूजाओं के माध्यम से नाडी दोष का समाधान किया जा सकता है, लेकिन इसमें पूर्ण विश्वास के साथ किया जाना चाहिए
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horizonaarc1726 · 7 months
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विवाह से पहले कुंडली मिलान क्यों जरुरी है?
ज्योतिष में, विवाह से पहले कुंडली मिलान का महत्वपूर्ण स्थान है। कुंडली मिलान का उद्देश्य दो व्यक्तियों की कुंडली में विभिन्न ग्रहों और भावों के संयोजन की अध्ययन करके उनके जीवन, संबंध, और विवाह के बारे में ज्योतिषीय संकेतों को देखना है। इसका मुख्य उद्देश्य है सामंजस्य और सुखद विवाह के लिए साथी का चयन करना है।
यहाँ कुछ कारण हैं जिनसे कुंडली मिलान का महत्व सामग्री होता है:
गुण मिलान (Ashtakoot Guna Milan): कुंडली मिलान में अष्टकूट गुण मिलान एक प्रमुख हिस्सा है, जिसमें आठ गुणों की जाँच की जाती है - वर्ण, वैश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट, और नाड़ी। इन गुणों की मिलान से यह देखा जाता है कि दोनों पार्टनरों की कुंडलियों में संबंध कैसे हैं और क्या यह संबंध सुखद रह सकते हैं या नहीं।
दोष निवारण (Dosha Nivaran): कुंडली में किसी भी प्रकार के दोष (जैसे कि मंगल दोष, कालसर्प दोष, शनि साड़े साती आदि) का पता लगाना महत्वपूर्ण है। इन दोषों का समाधान किया जा सकता है ताकि विवाह के बाद किसी भी प्रकार की समस्या ना आए।
दृष्टि अंकित (Aspect Matching): कुंडली मिलान में यह देखा जाता है कि विवाहीता के लिए योग्य योग हैं या नहीं, और ग्रहों के दृष्टि कैसे असर करेंगे।
ग्रह मैत्री (Planetary Friendship): विवाहीता में ग्रहों के साथीपन का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। कुंडली मिलान में यह देखा जाता है कि ग्रह एक दूसरे के साथ कैसे साथी हैं और इससे कैसे संबंधित हैं।
ये सभी तत्व उपयुक्तता, संबंध और सुखद विवाह के लिए विचार किए जाते हैं। हालांकि, कुंडली मिलान केवल एक आधार होता है. जिसके लिए आप कुंडली मिलन सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है। जो आपको एक सटीक जानकारी दे सकते है और अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क कर सकते है। 8595675042
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astrotalk1726 · 7 months
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क्या कुंडली के सप्तम भाव में राहु और चंद्रमा का साथ होना वैवाहिक जीवन के लिए बुरा है?
कुंडली में राहु और चंद्रमा का सम्बन्ध सप्तम भाव में होने पर यह बताया जा सकता है कि व्यक्ति के विवाहित जीवन में कुछ चुनौतियाँ हो सकती हैं। यह योग विवाहित जीवन में विवाह संबंधी मुद्दों, जीवनसाथी के साथ सम्बंधों, और सामाजिक संबंधों में विचार कराता है।
राहु और चंद्रमा का संयोग सप्तम भाव में एक व्यक्ति को विवाह संबंधों में अस्थिरता और अनियमितता का सामना करने के लिए उत्पन्न कर सकता है। विवाहित जीवन में विवाद और आपसी समझौता की कमी हो सकती है।
यहां यह महत्वपूर्ण है कि कुंडली का संपूर्ण विश्लेषण किया जाए, और केवल एक योग के आधार पर निर्णय न किया जाए। व्यक्ति के व्यक्तिगत संदर्भों, प्रारंभिक शिक्षा, परिवार, प्रारंभिक विवाह और परिणाम, और अन्य ग्रहों की स्थिति के आधार पर यह प्रभाव भिन्न हो सकता है।
इसलिए, संपूर्ण ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए आप Kundli Chakra 2022 Professional Software की मदद ले। वे आपको विवाह संबंधित मुद्दों को समझने में मदद कर सकते हैं और संभावित समाधान प्रस्तावित कर सकते हैं।
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astrologyupdate · 2 years
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gururksharma · 2 years
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सुखी वैवाहिक जीवन के लिए 10 अचूक ज्योतिषीय उपाय !!!!!
पति-पत्नी का रिश्ता जोश, उत्साह और जोश से शुरू होता है, लेकिन देखा जाता है कि समय बीतने के साथ ही रिश्ता दोनों लोगों के लिए बोझ बन जाता है। समय बीतने के साथ रिश्ता निभाना बोझ बन जाता है। जोड़े भी स्थिति के स��थ तनाव का सामना करते हैं। हम अक्सर चकित हो जाते हैं कि कैसे प्यार और जुनून से भरा एक रिश्ता संकट और तनाव में समाप्त हो जाता है। लव मैरिज वाले जोड़ों को भी लड़ते हुए देखा जा सकता है। युगल के बीच समस्याएं आम हैं, इन समस्याओं को हल किया जा सकता है या अनदेखा किया जा सकता है। वैदिक ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान है जो आपकी सभी समस्याओं का समाधान कर सकता है।
नमस्ते!!!!! मैं हूं पंडित आरके शर्मा भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी। आज हम बात करेंगे कि हम वैदिक ज्योतिष की मदद से प्रेम समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
भारतीय वैदिक ज्योतिष पूरी तरह से ग्रहों की स्थिति पर आधारित है, इन ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन के हर पहलू को शारीरिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से प्रभावित करती है। यदि आप मुझसे पूछें कि क्या ज्योतिष से विवाह की समस्या का समाधान संभव है। जी हां कुछ उपायों से हम निश्चित रूप से प्रेम समस्या का समाधान कर सकते हैं।
क्या है शादी की समस्या के पीछे का कारण
जैसा कि मैंने ऊपर उल्लेख किया है कि ग्रहों की स्थिति सीधे संबंध को प्रभावित कर सकती है। वास्तविक कारण जानने का सबसे अच्छा तरीका दोनों सदस्यों की जन्म कुंडली पढ़ना है। मैं केवल आँख बंद करके उपायों का पालन करने की सलाह नहीं दूंगा। ये उपाय तभी काम करते हैं जब यह आपकी जन्म कुंडली के अनुसार किया जाए। हालांकि मैं इस लेख के अंत में कुछ ऐसे उपाय बताऊंगा जो सभी लोगों के लिए कारगर हैं।
ज्यादातर लोगों में से किसी एक में मंगल दोष होता है। सभी मामलों में यही प्रमुख कारण है। नकली पंडितों और ज्योतिषियों के संपर्क में आए लोग। इसलिए कोशिश करें कि पैसे बर्बाद न करें और केवल असली पंडित से संपर्क करें।
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए 10 अचूक ज्योतिषीय उपाय !!!!!
1. मंत्रों का जाप, पूजा करके भगवान सूर्य को प्रसन्न करने का ��्रयास करें।
यहाँ पढ़ें:- सूर्य के प्रभाव को दूर करने के उपाय (सूर्य को कैसे प्रसन्न करें
2. जानवरों और पक्षियों को खिलाएं यह एक सामान्य उपाय है यह हम सभी के लिए एक सामान्य अनुष्ठान होना चाहिए क्योंकि यह एक दया कार्य है हम सभी को पक्षियों और जानवरों को खिलाना चाहिए
3. हर शनिवार को सरसों के तेल में एक सिक्का डालकर शनि देव को अर्पित करें।
4. 16 शुक्रवार के दिन शुक्रवार के दिन भगवान लक्ष्मी को सफेद प्रसाद दें।
5. सूर्य, लक्ष्मी या शनि मंत्र का 108 बार जाप करें।
6. पूजा में कपूर का प्रयोग करें यह सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को जला देगा।
7. पत्नी को प्रत्येक गुरुवार को दूध के पानी से स्नान करना चाहिए।
8. हमेशा पहली रोटी गाय को दें।
9. दंपत्ति को मंगलवार, शनिवार और गुरुवार को अपने बाल कटवाने, नाखून काटने से भी बचना चाहिए।
10. जरूरतमंद लोगों को मिठाई का दान करें।
मेरी आखिरी सलाह है कि हमेशा एक-दूसरे का सामना करने की कोशिश करें। पति-पत्नी का रिश्ता सबसे खूबसूरत रिश्ता होता है। शादी से पहले कुंडली मिलान करने का रखें ध्यान, इससे आपकी कई समस्याओं से निजात मिलेगी
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unicastrology · 3 years
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Nam se kundali Milan: फ्री कुंडली विश्लेषण इन हिंदी
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अपने नाम और जन्म तिथि के माध्यम से फ्री कुंडली विश्लेषण इन हिंदी उपयोगी जानकारी प्राप्त करें। जानिए Janam Kundali और गुना मिलन के संबंध।
जब विवाह होता है, तो दो व्यक्तियों के बीच संबंध एक महत्वपूर्ण कार्य हो जाता है। free janam kundali Hindi एक जोड़े की वैदिक तुलनात्मक परीक्षा है। एक युगल की स्थिति को खोजने की कमजोरी से, कुंडली की योजना बनाना सुनिश्चित करता है कि एक विवाहित जीवन जीवंत, मजबूत और खुश है।
एक खुशहाल रिश्ते के लिए ऑनलाइन कुंडली मिलान का महत्व:
Kundali matching की व्यवस्था लोगों के वैदिक ज्योतिष पर निर्भर करती है। एक अप्रत्यक्ष जांच के आधार पर, अष्ट कूट समन्वय की खोजों ने रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए एक रास्ता साफ किया है, और बाद में कुंडली मैच से योगदान ऑनलाइन लेना रिश्तों की उपलब्धि के लिए एक निश्चित मार्ग है। फिर भी, दूल्हे और दुल्हन के लिए सीमाएं विशिष्ट हैं। free janam kundali analysis for marriage कुंडली मिलान के लिए, शुक्र ग्रह की स्थिति को विवाह का विचार और उस समय को चुनने के लिए माना जाता है जो विवाह के लिए सबसे उपयुक्त होगा।
विवाह के लिए कुंडली मिलान भविष्यवाणी or gun Milan by name:
ब्लिसफुल मैरिज लाइफ के kundli Milan by date of birth का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा दूल्हा और दुल्हन की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति है।
अष्ट कूट मिलान पद्धति के अनुसार, बंदूक मिलन में संदर्भित 36 दृष्टिकोणों को वर और वधू की कुंडली के बीच देखा जाता है। विवाह के लिए सबसे अच्छा मिलान तब देखा जाता है जब जोड़े के सभी 36 गुण हो सकते हैं।
समन्वय। नाम से कुंडली मिलान प्रेम विवाह या आपके जीवन में होने वाली व्यवस्था को प्रदर्शित कर सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपको एक सभ्य साथी और सुखी जीवन मिलता है, व्याख्या के साथ free kundali matching report आपक जन्म चार्ट में आपके परिचय में विभिन्न ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करता है।
कुंडली मिलान या गुण मिलान और उसका महत्व
Kundali matching for marriage की सहायता से, आप शादी से इनकार कर सकते हैं। विवाह की उपलब्धि इसी तरह एक अलग या विभाजन को दर्शाने वाले दृष्टिकोण पर विचार करके अनुमानित की जा सकती है।
सप्तम और अष्टम भाव के शासक और मंगल ग्रह की स्थिति दांपत्य जीवन की गुणवत्ता तय करती है और यह आशा करती है कि विवाह फलदायी होगा या नहीं। जन्म की तारीख के आधार पर कुंडली मिलान वैवाहिक कार्यों को करने के लिए सबसे उपयुक्त समय तय करने में मदद करता है।
फ्री कुंडली विश्लेषण इन हिंदी सेवा का ऑनलाइन लाभ कैसे उठाएं?
ऑनलाइन कुंडली हिंदी में (Online kundali in Hindi) लाभ उठाने के लिए, आप बस  tabij.in ज्योतिषीय साइट पर जा सकते हैं में लॉग इन कर सकते हैं। और उसी पर online free kundli in hindi विकल्प ढूंढ सकते हैं। एक बार जब आप इस पर क्लिक करते हैं, तो आपको केवल लड़की और लड़के दोनों के बारे में विवरण दर्ज करना होगा। और एक बार जब आप सभी विवरण सही ढंग से दर्ज कर लेंगे, तो हम आपके लिए कुंडली का मिलान करेंगे। इसके अलावा, आप ज्योतिषियों के साथ ऑनलाइन चैट कर सकते हैं या कुंडली मिलान के लिए ज्योतिषियों से बात कर सकते हैं।
शादी से पहले kundali matching की आवश्यकता:
गणेश कुंडली मिलान से ही आप अपने और अपने साथी के बीच के प्रत्येक स्तर पर अंदर और बाहर की समानता को जान सकते हैं। स्नेह में जोड़े के लिए समाधान हैं, जिनका कुंडलियाँ मेल नहीं खाते हैं। शादी की उपलब्धि तय करने के लिए Online gum milan का एक उल्लेखनीय कार्य है। फिर भी, कुछ अलग कारक भी हैं।
आपको एक से अधिक free astrology chart विश्लेषणों का परामर्श करने का प्रयास करना चाहिए और एक शक्तिशाली व्यवस्था का पता लगाने के लिए एक-एक कदम उठाना चाहिए।
इसलिए, उस विवाह को एक सुखी जीवन जीने के लिए भाग्यशाली बनाने के लिए सभी को कुंडली पढ़ने के लिए जाना चाहिए। अपनी निःशुल्क कुंडली प्राप्त करने के लिए अभी +91 9776190123 पर कॉल करें या tabij.in पर जाएं।
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supermamaworld · 4 years
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जन्मकुंडली में छिपे होते हे । जीवन के शुभ अशुभ घटनाओं के बहुत से रहश्य। जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है , खासकर जब वैदिक ज्योतिष की बात आती है । यह जीवन में सितारों और ग्रहों की चाल के विश्लेषण के माध्यम से व्यक्ति के करियर, शिक्षा, प्रेम जीवन, व्यक्तित्व और आभा को दर्शाता है। इसके पास सभी समस्याओं का समाधान है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए जन्मकुंडली एक ऐसी महत्वपूर्ण पत्री है जिसके माध्यम से उसके जीवन में आने वाली समस्याओं को हल किया जा सकता है । जन्मकुंडली को उस व्यक्ति के जन्म समय और तिथि के अनुसार बनाया जाता है जो परिणामों को मान्यता देता है । जन्मकुंडली क्या है? जन्मकुंडली एक पत्रिका है जिसे एक व्यक्ति के जन्म के समय व तिथि के आधार पर बनाया जाता है। इसके माध्यम से वह व्यक्ति अपने जीवन में होने वाली प्रत्येक स्थिति का जानकार बन सकता है । यह मूल रूप से वैदिक ज्योतिष शास्त्र पर आधरित होता है। इसमें व्यक्ति के जन्म के समय उस समय बन रही ग्रहों की दशा का संचालन किया जाता है। इसमें 12 विभिन्न भाव होते है । सरलता से जाने तो इसमें ग्रहों की स्थिति , दशा विश्लेषण, कुंडली में बनने वाले दोष व उनके उपायें का समावेश किया जाता है। क्यों जरुरी है जन्मकुंडली? हम सभी चाहतें है की हमें सदैव सफलता के मार्ग पर चले परन्तु यह मार्ग दर्शन कौन करेगा यह जानना जरुरी नहीं समझतें। किसी भी मौकें को अपनाने के लिए सही समय का ह��ना बहुत जरुरी है नहीं तो बनते कार्य भी विगड़ जातें है। सफलता के रास्तें पर आगे बढ़ने के लिए अपनी कुंडली में ग्रहों की स्थिति व दशा को जानना अतिआवश्यक होता है । जन्मकुंडली के माध्यम से ग्रहों का विवेचन किया जा सकता। इसकी सहायता है व्यक्ति अपने महत्वपूर्ण निर्णय जैसे की विवाह , करियर , पढ़ाई ,नौकरी और व्यापार के बारें में भी बहुत कुछ जान सकता है। जन्मकुंडली कब बनवानी चाहिए? जन्मकुंडली व्यक्ति को अपने जीवन के प्रमुख निर्णय को लेने में सहायक होता है। इसके माध्यम से वह अपने भविष्य के लिए तैयार हो सकता है। जन्मकुंडली द्वारा लिए गए निर्णय व्यक्ति को उच्चाईओं की और लेकर जातें है। वह कभी किसी कार्य में असफल नहीं होता। यदि किसी व्यक्ति के कुंडली में किसी प्रकार का दोष व नकारात्मकता का वास है तो उसे इस समस्या का समाधान भी जन्मकुंडली के माध्यम से ही मिल सकता है। वह जन्मकुंडली के आधार पर बताये गए व्रत , उपाय , पूजा -पाठ व जाप करके सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है। इसलिए इसे जितना जल्दी हो सकें बनवा लेना चाहिए। (at जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र) https://www.instagram.com/p/CDxpeo-gyTB/?igshid=aioe8xhv3s9m
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pavitrajyotish · 1 year
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पवित्र ज्योतिष द्वारा वैवाहिक परिशानियों का समाधान
इस वीडियो में अनन्या अपनी दोस्त काव्या से उसकी परेशानियों के बारे मे पूछ रही है एवं काव्या बता रही है कि उसे विवाह करने मे काफी दिक्कते आ रही हैं। अनन्या यहाँ पर काव्या को पंडित उमेश चंद्र पंत जी से विवाह से संबधित परेशानी के लिए ज्योतिषीय परामर्श हेतु बता रही है ताकि काव्या को विवाह का सही समाधान मिल सके ।
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astrorakesh1726 · 7 months
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नाड़ी दोष के सटीक निवारण क्या हैं?
नाड़ी दोष एक ज्योतिषीय गुण मिलान में एक महत्वपूर्ण फैक्टर है, जिसे कुंडली मिलान के दौरान देखा जाता है। यह दो व्यक्तियों के बीच विवाह के योग्यता और संबंध की परिस्थितियों के आधार पर होता है। नाड़ी दोष के समाधान के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:
पूजा और व्रत: नाड़ी दोष को शांत करने के लिए किसी पंडित या ज्योतिषाचार्य से सलाह लेकर पूजा और व्रत कर सकते हैं। विशेष रूप से, गुरुवार को श्री सूक्त का पाठ करना नाड़ी दोष को शांति करने में मदद कर सकता है।
दान और सेवा: दान और सेवा के माध्यम से नाड़ी दोष को शांत किया जा सकता है। इसमें गरीबों को भोजन, वस्त्र या धनराशि का दान शामिल हो सकता है।
मंत्र और पूजा: नाड़ी दोष के उपाय के रूप में किसी पंडित या ज्योतिषाचार्य के मार्गदर्शन में किसी विशेष मंत्र का जाप और पूजा कर सकते हैं।
योग और प्राणायाम: योग और प्राणायाम की प्राक्टिस नाड़ी दोष को समायोजित करने में मदद कर सकती है। योग के विभिन्न आसन और प्राणायाम तकनीकों का नियमित अभ्यास करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकता है और नाड़ीओं को बैलेंस कर सकता है।
धार्मिक और सामाजिक कार्य: धार्मिक और सामाजिक कार्यों में सक्रिय भाग लेना भी नाड़ी दोष को शांत करने में मदद कर सकता है। धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने और समाज में सेवा करने से प्राणी का संतुलन और शांति बनी रह सकती है।
किसी भी उपाय का चयन करने से पहले, ज्योतिष और धार्मिक आदर्शों के अनुसार के लिए आप कुंडली चक्र प्रोफेशनल २०२२ सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है। और अधिक जानकरी के लिए के लिए आप हमसे संपर्क 8595675042 कर सकते ही।
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hellodkdblog · 5 years
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विवाह मेलापक: एक अध्ययन:-
विवाह मेलापक: एक अध्ययन:- भाग-1.
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जब भी कोई यजमान हम से कुण्डली मिलान करने के लिए आग्रह करे तो सर्वप्रथम हम उससे एक प्रश्न अवश्य करें:प्रश्न:- यदि मेरी गणना में यह परिणाम आता है कि यह संबंध (proposal) आपके अनूकूल नही है, तब क्या आप यह proposal सरलता से छोड़ देंगे?अब यदि यजमान सहर्ष अपनी स्वीकृति दे तो हम यह मान लें कि इस यजमान की ज्योतिष में और हम पर पूर्ण आस्था है।अब हम यजमान को बताएगें कि :-( अ ) -कुंडली मिलान के चार सोपान हैं :-1-मंगलीक मिलान:- मुख्यत: भावी अनिष्ट का पता चलता है।2-कुछ विशेष विवाह मेलापक निषेध योग।3-गुण मिलान:- मुख्यतः वर एवं कन्या के आपस की समझदारी और सन्तान की सरलता से प्राप्ति का पता चलता है।4-प्रस्तावित वर-वधु की अन्य विशेषताएं:-i- चरित्र, ii-सन्तान योग, iii-वैवाहिक सुख, iv-सौभाग्य/बहुविवाह योग, v-लग्नेश-चतुर्थेश और दसमेश की स्थिति।और...( ब )- हमारी यह .....फीस है।{अब हम किसी के 🌸कुलपुरोहित तो है नही इसलिये दक्षिणा की भावना या फीस बोलने में संकोच न रखें }और दूसरी परिस्थिति में यदि हमारा यजमान यह संकेत दे कि,1-यह प्रपोजल बहुत मुसकिल से मिला है,2-सब देखे-भाले लोग है या रिश्तेदारी में से ही हैं,3-बात बहुत आगे बढ़ गई है...तब यह कहने की आवश्यकता नही कि यह यजमान केवल अपनी आत्मसन्तुष्ठी के लिए हमारी स्वीकृति चाहता है। उसे ज्योतिष में या हम पर कोई विशेष आस्था नही है।अपनी सेवाएं तो हमें दोनों परिस्थितियों में देनी ही हैं।अब कोई बेशक कहे के यह गंदा है, पर क्या करें ? आजीविका है धन्दा है। 
विवाह मेलापक के लिए हमारे पास दो प्रकार के यजमान आते हैं।1- वे जो केवल अपनी आत्मसन्तुष्ठी के लिए हमारी स्वीकृति चाहते हैं।2- वे जिन्हें ज्योतिष में और हम पर और हमारे ज्योतिषीय ज्ञान पर पूर्ण आस्था है।वे यजमान जो केवल अपनी आत्मसन्तुष्ठी के लिए हमारी स्वीकृति चाहते हैं हमें उन्हे सन्तुष्ठ करना ही चाहिए। यह अनैतिक कर्म नही है अपितु यह हमारा नैतिक दायित्व है।ज्योतिषफलित का उद्देश्य क्या है ? अन्ततः हमें अपने यजमान को उसके अनागत भविष्य को संभालने, सवांरने या उसके त्रिविध कर्मो से संभावित हुए शुभ और अशुभ फलों को सहन कर पाने के लिए मानसिक रुप से तैयार करना ही तो है।विश्वास कीजिए वह यजमान इस समय फंसा हुआ है। उसके पास दूसरा मार्ग नही है, और इस सत्य को वह यजमान जानता भी है। वह केवल आपसे आत्मसंबल चाहता है।....आपत्ति काले मर्यादा नास्ति। इस वेदवाक्य (महाभारत) का स्मरण कर उसकी सहायता करें।जहां तक "नैतिक धर्म" के पालन का प्रश्न है वह तो हमें अपने प्राणों की परवाह न करके भी करना चाहिए। लेकिन किसी अन्य पर यदि संकट उपस्थित हो तो उस समय प्रचलित आदर्श और मर्यादाओं से समझौता किया जा सकता है। यह "आपत्ति धर्म" कहलाता है।अब इस स्थिति से निबटने के लिए हम वर की पत्रिका को:1-कन्या की चंद्रराशि से, 2-कन्या के प्रसिद्ध नाम राशि से, 3-कन्या का नाम बदल कर, 4-खड़शास्त्रियो या स्वयंभू: गोल्डमैडलिस्टो द्वारा स्वरचित मंगल, राहू, नीचभंग आदि की काट के योगों का उपयोग से मेलापक कर सकते हैं।
अब यजमान की आंखों में भी चमक आ जाती है और फिर वह अपनी जेब में भी हाथ डाल...। 
अब बात... व्यवसाय की... ! .....समर्पण की ! मेलापक में "मंगलीक योग" !जातक का आयुष्य परीक्षण कर लेने के पश्चात यह सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा।ज्योतिषफलित का यह "स्थापित सत्य" है कि किसी मंगलीक जातक का मेलापक यदि ऐसे जातक से संपन्न किया जाय जो मंगलीक न हो तो विवाह 100% अनिष्टकारी सिध्द होता है।
अब मंगलीक कौन? 
1-उत्तर भारतीय परंपरा में जातक की जन्मकुंडली में यदि मंगलग्रह स्वयं लग्नभाव में हों या लग्नभाव से 4, 7, 8 या 12वें भाव में स्थापित है तो जातक मंगलीक है। (भाव सं 02 नही लेते )
2-जन्मकुण्डली के सौम्य अथवा कामसुख से संबंधित भाव जैसे स्वयं लग्नभाव में या लग्नभाव से 4, 7, 8 या 12वें भाव में मंगल के अतिरिक्त अन्य कोई दो क्रूरग्रह (सूर्य, शनि, राहू या केतु) की युति हो। [चंद्र और शुक्र से केवल बस्ता भारी। ]
यह "स्थापित सत्य" है कि :-
1-मंगल यदि कुंडली के लग्नभाव में हो तो जातक स्वच्छंद प्रवृत्ति वाला और क्रोधी स्वभाव का होता है।
2-इसी प्रकार द्वितीय में क्रूर ग्रह हो तो धनहीनता और कौटुम्बिक कलह, 
3-चतुर्थ में यह स्थिति हो तो दैनिक रोजगार में बाधा, 
4-कलत्रभाव से अग्नि-दुर्घटना, 
5--अष्टमभाव से आयु कष्ट एवं 
6--द्वादशभाव में क्रूर होने से अपव्यय,भ्रष्टशैया सुख से कष्ट पाता है।
अत: सन्तोषजनक मेलापक के लिए यहअनिवार्य है कि: 
1-वर एवं कन्या दोनों ही मंगलीक न हों या 
2-वर एवं कन्या दोनों ही मंगलीक हो।
मेलापक में ज्योतिषी दो शब्दों का उपयोग करते हैं :- 
( 1 ) -आंशिक (सौम्य) मंगलीक: -वह कुंडली जो मंगलीक तो हैं, लेकिन किसी अन्य योग के कारण उसका मंगलीक दोष समाप्त हो रहा है।
( 2 ) -क्रूर मंगलीय : 1-कुंडली मंगलीक है और दोष निवारण के लिए कुंडली में कोई स्थापित योग उपलब्ध नही है।आंशिक मंगलीक जातक का मेलापक हम इसी प्रकार के आंशिक (सौम्य) मंगलीक अथवा गैर मंगलीक कुंडली से कर सकते हैं किन्तु क्रूर मंगलीक जातक का मेलापक हमें अनिवार्य रुप से क्रूर मंगलीक कुंडली से ही करना चाहिए।
जहां समस्या है तो वही उसके समाधान के लिए फलित ज्योतिष में सदा मार्गदर्शन होता है। विद्वान एवं सुधिजन मित्रों के सम्मुख मंगलीक दोष निवारण के योग लिखने की आवश्यकता नही।
किन्तु कुछ तथ्यों पर चर्चा कर लेते हैं।
1-वर/कन्या की कुंडली में मंगल या दो क्रूर ग्रहों की युति जिस भाव (1,4,7,8 या12) में हो तो दूसरी कन्या/वर की कुंडली में उसी भाव विशेष में यह योग हो तो मंगलीय दोष का समाधान नहीं होता।
2-यदि 1,4,7,8 या 12 भाव में मंगल के साथ राहू या शनि की युति है तो मंगलीय दोष का समाधान नहीं होता। राहू या शनि मंगल के दोष का निवारण नही कर सकते।
मंगलग्रह को राहु,बुध और शनि से अधिक नैसर्गिक बलवान माना गया है।फलितज्योतिष शास्त्र में;
1-राह का दोष बुध के प्रभाव से नाश हो जाता है।
2-राहु+बुध दोनों के दोषों नाश शनि के प्रभाव से हो जाता है।
3-राहु+बुध+शनि के दोषों का नाश मंगल के प्रभा��� से हो जाता है। 
4-राहु+बुध+शनि+मंगल के दोषों का नाश बलवान शुक्र कर देते हैं।
5-राहु+बुध+शनि+मंगल+शुक्र के दोष नाश बलवान बृहस्पति कर देते हैं। 
6-राहु+बुध+शनि+मंगल+शुक्र+वृहस्पति के दोष को बलवान चन्द्रमा नष्ट कर देते हैं, 
7-उक्त सभी ग्रहों के दोषों का नाश सूर्य कर देते हैं। विशेषकर उत्तरायण के सूर्य कर देते हैं।{उत्तरायण यानि सूर्य जब मकर,कुम्भ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि पर गोचर कर रहे हैं} ।
विशेष:- यह दोषहरण इन ग्रहों की पूर्णदृष्टि या इन ग्रहों के साथ युति ! दोनों दशाओं में संभव है। किन्तु प्रतिबंध यह है कि दोषहारक ग्रह को षड़बल में इन ग्रहों से बलवान होना चाहिए।
"राहूदोषं बुधो हन्यात् उभयोस्तु शनैश्चर।त्रयाणां भूमिजो हन्ति चतुर्णा दानवार्चित:।।        पंचानां देवमंत्रि च षण्णां दोषस्तु चंन्द्रमा।सप्तदोषं रविर्हन्यात् विशेषात् उत्तरायणे।।
अगामी क्रम में अष्टकूट। 
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किसी युवक और युवती के परस्पर विवाह करने से पूर्व भारतीय ज्योतिष जगत में मेलापक के  1-आयुष्य, 2-मंगलीय दोष के निवारण के के लिए  " वशिष्ठ संहिता" में 18-कूटों (Point) का वर्णन हैं।लेकिन आचार्य नारायण दैवज्ञ ने अपने ग्रंथ "मुहूर्त मार्तण्ड" में एवं आचार्य राम दैवज्ञ ने अपने ग्रंथ "मुहूर्त चिन्तामणि" में केवल आठ कूट (परीक्षा) को महत्व दिया है।   उसके पश्चात आचार्य केशवार्क ने विवाह संबंधित अपने ग्रंथ " विवाह वृन्दावन " में "बृहज्ज्योतिष सार" एवं एवं "ज्योतिर्निबंध" आदि अन्य प्रसिद्ध ग्रंथो के मत का उल्लेख कर "अष्टकूट" को ही पर्याप्त माना।दक्षिण भारत में विवाह मेलापक के लिए अष्टकूट के स्थान पर दसकूट विधि का उपयोग किया जाता है जिसे "पोरथम" कहते हैं।
आज इस विषय पर हम उत्तर भारतीय परंपरा पर अध्ययन करेंगे। लेकिन अष्टकूटों के नाम, गुण-धर्म, उनको प्राप्त करने की विधि और (सारणी) आदि की चर्चा के बिना।क्योंकि मेरा मानना है कि इस ग्रुप के सदस्य मेरे मित्रों के लिए और विशेषकर वे जो ज्योतिष-व्यवसाय में हैं, उनके लिए यह "मेलापक" तो दैनिक कार्य है।अष्टकूट जांच विधि में एक मुख्य बात यह है कि यदि एक कूट में दोष है किन्तु उससे आगामी (दूसरा) कूट शुध्द है तो वह अपने पहले कूट के दोष समाप्त (लगभग) कर देता है। यह क्रम सातवे कूट " भृकुट" तक चलता है।लेकिन पिछले कूट का दोष कितना कम हुआ है कंप्यूटर जनित मेलापक में इसका ज्ञान (अभी तक तो) नही होता। अत: कई बार अच्छे मेलापक वाली जोड़ी को नकारा भी जा सकता है।  हम अष्टकूटों के दोषों को दूर करने वाले विभिन्न सूत्रों के आधार पर बनी एक ऐसी विधि को आपके सम्मुख रख रहें हैं जिसको यदि एक बार समझ लिया जाय तो फिर किसी सारणी की आवश्यकता शायद न बने। जी हां ! यह वास्तविकता है।यह विधि मेलापक के समय "अष्टकूटों" में पाए जाने दोषों को समाप्त (शोधन ) मानने के विभिन्न सूत्रों पर ही उनके "स्वभाविक और सरल रुप" में आधारित हैं।आश्चर्यजनक है! किन्तु सत्य है कि, ज्योतिषफलित के "अष्टकूट मेलापक" में भी " ग्रह " दलगत राजनीति से ही कार्य करते हैं।"स्वभाविक मित्रता" के आधार पर ग्रहों के दो दल हैं:-
(अ)-सूर्य, चंद्र, मंगल और बृहस्पति।(ब)-बुध,शुक्र और शनि।मेलापक की जांच करते समय सबसे पहले हम यह देख लें कि युवक और युवती की चन्द्रराशि, उसका नक्षत्र और नक्षत्र का चरण (पद) क्या है?इस प्रकार हमें 6-स्थिति मिलती हैं।
1- युवक और युवती ! दोनों के चंद्र एक ही राशि में (अलग-अलग नक्षत्र पदो में) स्थिति है। ...या
2- दोनों के चंद्र एक ही ग्रह की दो विभिन्न राशियों में है। ( जैसे शुक्र की वृषभ और तुला)। ...या
3- दोनों के चंद्र एक ही दल के दो विभिन्न ग्रहों की राशियों में हैं (जैसे सूर्य, चंद्र, मंगल और बृहस्पति में ही हैं )।
4-दोनों के चंद्र आस-पास की ऐसी दो राशियों में है जो स्वाभाविक मित्र नही है किन्तु दोनों के चंद्रमा एक ही नक्षत्र में हैं।5- दोनों के चंद्र एक ही राशि में और एक ही नक्षत्र में स्थिति है।6- दोनों के चंद्र अलग-अलग दल के ग्रहों की राशियों में हैं (जैसे एक का शुक्र की राशि वृषभ/तुला पर और दूसरे का बृहस्पति की राशि धनु/मीन पर)।अष्टकूट में गुण प्राप्ति:-
1- यदि युवक और युवती ! दोनों के चंद्र एक ही राशि में (अलग-अलग नक्षत्र पदो में) स्थिति है तो इस स्थिति में अष्टकूट के कुल 36 गुणों में से 34 -28* (संशोधित) तक के गुण मिल जाते है। मेलापक अति उत्तम मानना चहिए।
2- यदि दोनों के चंद्र एक ही ग्रह की दो विभिन्न राशियों ( जैसे शुक्र की वृषभ और तुला) में हैं तो इस स्थिति में 33-24* (संशोधित) तक के गुण मिल जाते है। मेलापक उत्तम मानना चहिए।
3- यदि दोनों के चंद्र एक ही दल के दो विभिन्न ग्रहों की राशियों में हैं ( जैसे सूर्य, चंद्र, मंगल और बृहस्पति में ही हैं ) तो इस स्थिति में 35-32 (संशोधित) तक के गुण मिल जाते है। मेलापक अति उत्तम मानना चहिए।
4-यदि दोनों के चंद्र आस-पास की ऐसी दो राशियों में है जो स्वाभाविक मित्र नही है किन्तु दोनों के चंद्रमा एक ही नक्षत्र में हैं तो इस स्थिति में 35-32 तक के (संशोधित) गुण मिल जाते है। यह मेलापक अति उत्तम मानना चहिए। जैसे:
4.1-मेष-वृष राशियों में मेलापक "कृतिका" के कारण, 
4.2-मिथुन-कर्क राशियों में मेलापक "पुनर्वसु" के कारण, 
4.3-सिंह -कन्या राशियों में मेलापक "उत्तराफाल्गुनी" के कारण,
4.4-तुला-वृश्चिक राशियों में मेलापक " विशाखा" के कारण, 
4.5-धनु-मकर राशियों में मेलापक "उत्तराषाढ़ा" के कारण, 
4.6-कुंभ-मीन राशियों में मेलापक "पूर्वाभाद्र"के कारण। अन्य स्थितियों में नही।
5- यदि दोनों के चंद्र एक ही राशि में और एक ही नक्षत्र में है तो दोनों की एक नाड़ी होने के कारण "नाड़ीदोष" बन जाता है।नाड़ी दोष के संबंध में "नारद संहिता" ने कहा है:
एक नाड़ी विवाहश्च गुणे: सर्वें: समन्वित:।वर्जनीभ: प्रयत्नेन दंपत्योर्निधनं।।
अर्थात:- वर-कन्या की नाड़ी एक ही हो तो विवाह वर्जनीय है, भले ही उसमें सारे गुण हों। अन्यथा पति -पत्नी के स्वास्थ्य और जीवन के लिए संकट की उत्पन्न होता है।
6- यदि दोनों के चंद्र अलग-अलग दल के ग्रहों की राशियों में है जो परस्पर शत्रु हैं। ( जैसे एक का शुक्र की राशि वृषभ/तुला पर और दूसरे का बृहस्पति की राशि धनु/मीन पर) तो इस स्थिति में अष्टकूट के कुल 36 गुणों में से मात्र 21-08 गुण मिल पाते है।स्थिति क्रम संख्या 5 और 6 में यदि युवक और युवती! दोनों के राशिपति एक ही ग्रह के "नवांश" में हों ( एक ही राशि या दोनों से एक ही ग्रह हो ) तो समस्त दोषों का शोधन हो जाता है। इस स्थिति में 35-32 तक के (संशोधित) गुण मिल जाते है। अन्यथा यह मेलापक अस्वीकार्य है। क्रमस:                                                                                                                                                                                                                              विवाह मेलापक: एक अध्ययन:- भाग-5. ************************
अनेंक अवसर ऐसे आते है कि जब हम सुनते हैं कि, पति-पत्नि में स्थाई वैमनस्यता है। दुराव है। तलाक की नौबत आ गई है, या किसी एक ने सदा के लिए साथ छोड़ दिया है, जबकि हमने तो पंडितों से कुंडली मिलान भी कराया था। फिर ऐसा क्यों हुआ?
आधुनिक विद्वान इस सबका मुख्य कारण मेलापक में केवल चंद्रराशि और चंद्र नक्षत्र को ही महत्व देना मानते है।
वर्तमान विद्वान पुरजोर कहते हैं कि कि जब संपूर्ण फलितज्योतिष अब " लग्न आधारित" है तो मेलापक " लग्न " के अनुसार क्यो नही?
आधुनिक विद्वान अपना दूसरा तर्क देते हैं कि जब आठ में से सात कूट राशिमित्रता के आधार पर ही है ( स्मरण रहें कि ग्रहों की नैसर्गिक मैत्री और लग्नानुसार ग्रहों की मैत्री समान है) तो अन्तिम कूट (नाड़ी) के परीक्षण के लिए चंद्र के नक्षत्र के स्थान पर लग्न का नक्षत्र क्यों नही?
इस सबके उत्तर में पुरातन विचारको के पास एक ही वेदवाक्य है, "चंद्रमा मनसो जात: । " जो अकाट्य है।
अत: परिपाटी के अनुसार मेलापक में युवक और युवती दोनों का 1-आयुष्य, 2-भाव संख्या 1, 4, 7, 8 और 12 में मंगलीय अथवा क्रूरतायोग, एवं 3- अष्टकूट आदि तीनों परीक्षण में सन्तुष्ठ हो जाने के पश्चात भी यदि निम्न " महादोष " किसी भी जातक / जातिका की कुंडली में मिल जाए तो विवाह संबंध स्पष्ट रुप से अस्वीकार कर दें।
1⃣ - युवक और युवती दोनों का जन्म कर्क लग्न में हो। [ दोनों को स्थाई बीमारी ]
2⃣ - युवक की जन्मकुंडली के अष्टमेष युवती का लग्नेश न हो। [ दुर्घटना / जीवनहानि ]
3⃣ - युवती की जन्मकुंडली के अष्टमेष युवक का लग्नेश न हो। [ दुर्घटना / जीवनहानि ]
4⃣ - युवक की जन्मकुंडली का अष्टमेष जिस राशि पर आसीन हो वह राशि युवती की लग्नराशि न हो।  --दुर्घटना। [ दुर्घटना / जीवनहानि ]
5⃣ - युवती की जन्मकुंडली के अष्टमेष जिस राशि पर आसीन हो वह राशि युवक की लग्नराशि न हो। [ दुर्घटना \ जीवनहानि]
6⃣ - युवक और युवती दोनों की जन्मकुंडली के छठे और बारहवे भाव में राहू या केतु हो। [प्रचण्ड वैमनस्यता -स्थाई क्लेश ]
7⃣ - युवक या युवती की जन्मकुंडली के लग्नभाव, दूसरेभाव और तीसरेभाव {तीनों } में सूर्य, शनि, मंगल राहु या केतु नामक ग्रह न हो। [ प्रचण्ड वैमनस्यता ]
8⃣ -युवक और युवती दोनों की जन्मकुंडली में सूर्य यदि एकराशि में हों तो उनके अंशमान में 10अंश से अधिक हो। [ प्रचण्ड वैमनस्यता ]
9⃣ -युवक और युवती दोनों की जन्मकुंडली में शुक्र यदि एकराशि में हों तो उनके अंशमान में 10अंश से अधिक हो। [ प्रचण्ड वैमनस्यता ]
🔟 -युवक और युवती दोनों की जन्मकुंडली में उनके सप्तमेश परस्पर अधिशत्रु (पंचधामैत्रि ) न हों। [ वैमनस्यता ]
1⃣1⃣ - युवक और युवती दोनों की जन्मकुंडली में उनके सप्तमेश त्रिक ( 6,8,12) भावों में न हों। [ सदा क्रोधी और दुखी ]
1⃣2⃣ - युवक और युवती दोनों की जन्मकुंडली में उनके भृगु सप्तम भाव में न हों। [ असीमित वासना ]
1⃣3⃣ - युवक और युवती दोनों की जन्मकुंडली में उनके सुख या जाया भावों में दो-दो पापी ग्रह न हो। [ सदा क्रोधी और दुखी ]
1⃣4⃣ - कन्या का चंद्रमा जिस राशि में हो उससे से दूसरी से छठी राशि तक वर की राशि न हो। [ वैमनस्यता ]
1⃣5⃣ - युवक और युवती दोनों की यदि एक ही राशि हो तो उनके जन्मनक्षत्र के पद (भाग या पद )एक न हो। [ पंगुसन्तान]
1⃣6⃣ - युवक और युवती! दोनों में से किसी एक का भी सुखभाव का स्वामि और धर्मभाव का स्वामि दोनों युति बनाकर यदि छठे भाव में हो। [अशुध्द वंश से संबंध ]
1⃣7⃣ - युवक या युवती! दोनों में से किसी एक का भी छठे भाव या सातवे भाव में शनि अपनी नीच राशि में हो। [अति चरित्र हीनता, निकृष्ठ आजीविका ]
1⃣8⃣ - युवक या युवती! दोनों में से किसी एक के भी सातवे भाव में शनि, बुध, शुक्र की राशि में अपनी राशि में न होकर शनि, बुध, शुक्र में से कोई दो ग्रह हों। [प्रजनन में अयोग्यता ]
1⃣9⃣ - युवक या युवती! दोनों में से किसी एक के भी तीनों लग्न (लग्नभाव, चंद्रभाव और सूर्यभाव) पाप भाव में हों या पाप प्रभाव में हों। [ असफल जीवन ]
2⃣0⃣- युवती की विसम राशि (अर्थात 3, 5, 7, 9 या 11) है तो युवक की राशि ऊससे छठी या आठवी हो तो । [अधम योग, अपवित्रता ]
🎇 -: विशेष :- 🎇
1- यदि युवक की राशि सम ( 2, 4, 6, 8, 10, 12) है और उससे आठवी राशि यदि युवती की हो तो वैवाहिक जीवन 🕎 बहुत मंगलमय 🕎 होता है।।
इतिशुभम्।
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पंडित संजय कुमार पांडेय शास्त्री जी (Online Pandit Ji) लगभग सभी प्रकार की रिश्ते की समस्या के लिए अपनी ज्योतिषीय परामर्श प्रदान करते है जिसमें प्रेम विवाह, मंगलिक समाधान, अंतर जाति विवाह, कुंडली मिलान, अतिरिक्त वैवाहिक मामलों, अपने प्यार को वापस और कई और शामिल है।वह एक विश्व प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ भारतीय ज्योतिषी और विशाल सलाहकार हैं जो लोगों के जीवन में समस्याओं का ख्याल रखने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं वह आपके प्रत्येक प्रश्न और ज्योतिषीय पूछताछ का उत्तर देंगे। ज्योतिष की भविष्य वाणियों के लिए, आपकी जन्मतिथि, जन्मस्थान और जन्म के समय की आवश्यकता है। Online Pandit Ji पंडित संजय कुमार पांडेय भारत में सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी हैं।उनके ऑनलाइन ज्योतिष को पूरे शब्द में प्राथमिकता दी जाती है।
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क्यों होती है विवाह में देरी? जानिए आसान एवं अचूक उपाय!
विवाह दो आत्माओं का एक पवित्र संघ है, जहां एक आदर्श जीवन साथी खोजना सबसे वांछित घटनाओं में से एक है जो किसी व्यक्ति के जीवन में हो सकता है। विवाह और वैवाहिक प्रतिज्ञा किसी व्यक्ति के लिए मनोवैज्ञानिक परिपक्वता प्रदान करने और जीवन के सभी पहलुओं में बेहतर अभिविन्यास देने के लिए कहा जाता है। शादी के बाद, दो आत्माएं एक ही इकाई के रूप में अपने जीवन का नेतृत्व करती हैं, भले ही वे अस्थायी रूप से दूरी से अलग हो जाएं।
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दुनिया भर के अधिकांश स्थानों में, 24-28 वर्ष की आयु को किसी व्यक्ति के विवाह के लिए आदर्श समय माना जाता है। इसके अनुरूप, कानूनी अनिवार्यताएं हैं जो लोगों के लिए न्यूनतम शादी की आयु के संबंध में लोगों को बांधती हैं। उदाहरण के तौर पर, भारत में, एक लड़की कम से कम 18 वर्ष की होनी चाहिए जबकि एक लड़का कम से कम 21 वर्ष का होना चाहिए मानसिक रूप से, शारीरिक रूप से और मनोवैज्ञानिक रूप से विवाह के लिए उपयुक्त होना चाहिए। यहां तक ​​कि यदि कोई व्यक्ति उस चरण में शादी नहीं करता है जिसे शादी करने का आदर्श समय माना जाता है, तो ऐसा कोई कारण नहीं है कि देर से विवाह सफल नहीं होगा और जीवन साथी, उनके परिवार और उनके आसपास के हर किसी के लिए आकर्षक होगा।
 हालांकि, यह संभव है कि देर से शादी कुछ मामलों में कुछ मुद्दों का कारण बन सकती है। देर से शादी करने के प्रभाव देर से विवाह के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाले सबसे प्रमुख मामले जीवन भागीदारों के बीच संगतता मुद्दे हैं, जिसमें भागीदारों प्रत्येक के साथ सभी आवश्यक समायोजन करने में असमर्थ हैं। वे कभी-कभी अपने साथी को स्वीकार करने में कठिनाई का सामना कर सकते हैं। देर से विवाह में ऐसी असंगतता का कारण बनने का एक संभावित कारण यह है कि साझेदार एक अलग आयु वर्ग के हो सकते हैं, और उनमें से कुछ पीढ़ी के अंतर भी हो सकते हैं। वैकल्पिक रूप से, बच्चे के असर वाले मुद्दे अक्सर देर से विवाह से जुड़े होते हैं। बार-बार, हम कुछ मामलों में आते हैं, जिनके साथ विवाहित होने वाले जोड़ों में बच्चों को जन्म देने में समस्या होती है, या उन्हें समझने में कठिनाई होती है। देर से शादी से जुड़ी समस्याओं के लिए ज्योतिषीय समाधान ज्योतिष जोड़ों को सामान्य रूप से देर से विवाह से जुड़े सभी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। ग्रहों का प्रभाव लोगों को उनके जीवन साथी के साथ अधिक संगतता खोजने में मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है कि वैवाहिक जीवन आनंदित हो।
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कुंडली मिलान –
कुंडली मिलान की सहायता से, ज्योतिष आदर्श जीवन साथी को खोजने में मदद कर सकता है जैसे कि दोनों साथी पूरी तरह से एक दूसरे से संबंधित हैं और उनके जीवन में कोई समस्या या अशांति नहीं है। कुंडली मिलान सुनिश्चित करता है कि एक विवाहित जीवन सकारात्मक ऊर्जा के साथ प्रचुर मात्रा में है।
रत्न और पूज जैसे उपचार –
कुंडली मिलान के अलावा, यह सुनिश्चित करने के अन्य तरीकों से कि वैवाहिक जीवन आनंदित रहता है, रत्नों और पूजाओं के रूप में कुछ दैनिक उपचार होते हैं। रत्नों के उपयोग के साथ, एक व्यक्ति अपनी धारणा में सुधार कर सकता है और अपने विवाहित जीवन में खुशी वापस ला सकता है, जबकि पूजा सुनिश्चित करती है कि किसी व्यक्ति के जीवन में कोई बुराई नहीं है और ग्रहों के बुरे प्रभावों को खत्म कर दिया गया है।
परामर्श –
एक अनुभवी और सक्षम ज्योतिषी के माध्यम से, एक जोड़े अपने विवाहित जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। ज्योतिषी ज्योतिषीय रीडिंग तक पहुंचने और अपने विवाहित जीवन को बेहतर बनाने के लिए जरूरी आवश्यक समाधान प्रदान करने की स्थिति में होगा।
समय-समय पर ज्योतिष की सहायता लेना एक जोड़े के विवाहित जीवन में सभी कठिनाइयों को प्राप्त करने के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है, और अपने जीवन को जितना खुश था उतना खुश कर सकता है।संबंधित मुद्दों के बारे में अधिक जानकारी और संकल्प के लिए, आज एस्ट्रोप्रेडिक्शन से संपर्क करें !!
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aajkarashifal · 7 years
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क्या पीरियड के समय पूजा-पाठ और जप से लगता है पाप?
(आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषीय चिंतक) सद्गुरु स्वामी आनंदजी टिप्स ऑफ द वीक * प्रतिष्ठान में कैश बॉक्स में धूल, सूखे पुष्प, बेकार की वस्तुएं, मकड़ी के जाले आर्थिक संकोच उत्पन्न कर सकते हैं, ऐसा वास्तु की सैद्धांतिक अवधारणा कहती है। * संकट के समय कागज या हथेलियों पर '24' का अंक बार-बार लिखने से समाधान की पृष्ठभूमि तैयार होती है, ऐसा अंकज्योतिष के सूत्र कहते हैं। * घर में असली या नकली हथियारों का साज-सज्जा में इस्तेमाल संकट व मानसिक अशांति को आमंत्रित कर सकता है, ऐसा मान्यताएं कहती हैं। ये भी जानें जिनकी हथेली में स्वास्तिक, कलश, कमल, रथ या वज्र का चिह्न होता वो असीम आनंद, महा ऐश्वर्य और राजतुल्य सुख भोगता है। ऐसा सामुद्रिक शास्त्र कहता है। - भविष्य पुराण के अनुसार जिसकी नाभि दक्षिणावर्त यानी दाहिनी ओर घूमी या मुड़ी होती है, वह प्रखर मस्तिष्क और तीव्र बुद्धि का स्वामी होता है। प्रश्न: मेरी दादी कहती हैं कि पीरियड के समय पूजा-पाठ या मानसिक जाप से पाप लगता है। क्या ये सत्य है/ -अनिता शर्मा उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि जिस प्रकार आप कभी भी अपने प्रेम, क्रोध और घृणा को प्रकट कर सकते हैं, जिस प्रकार आप कभी भी अपने मस्तिष्क में शुभ-अशुभ विचार ला सकते हैं, जिस प्रकार आप कभी भी अपनी जुबान से कड़वे या मीठे वचन बोल सकते हैं, उसी प्रकार आप कभी भी, कहीं भी, किसी भी स्थिति में प्रभु का ध्यान, उनका चिंतन, उनका स्मरण, उनका सिमरन या मानसिक जप कर सकते हैं। हां! परंपराएं और कर्मकांड, देव प्रतिमा के स्पर्श, मंदिर जाने या धार्मिक आयोजनों में शामिल होने की सलाह नहीं देती हैं। यदि हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, घृणा, द्वेष इत्यादि को मासिक धर्म के दौरान अंगीकार कर सकते हैं, तो भला शुभ चिंतन और सुमिरन में क्या आपत्ति है! प्रश्न: घर में बेकार या पुराने सामान कहां रखने चाहिए/ -स्मिता गोयल उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि घर में बेकार सामान होने ही नहीं चाहिए। घर में बेमतलब के सामानों का भंडारण शुभ फलों में कमी कर के तनाव का कारक बनता है। कम काम में आने वाले सामानों के स्टोरेज की सही दिशा नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम कोना है। यदि ये संभव न हो, तो फिर किसी भी कमरे के दक्षिण-पश्चिम दिशा में इसे रखा जा सकता है। ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व के कोने का इस्तेमाल इस तरह के सामान को रखने के लिए हर्गिज नहीं करना चाहिए। यथासंभव घर में बेकार के सामान रखने ही नहीं चाहिए। यह लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी यानी दरिद्रता का प्रतिनिधित्व करती है। प्रश्न: क्या घर में महाभारत रखना अशुभ है/ -रुद्र प्रताप सिंह उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि सामान्य रूप से महाभारत को विवाद, वैमनस्य, युद्ध, संहार, द्वेष, विघटन, नाश और शोक की कथाओं के रूप में ही देखा जाता है। यद्यपि महाभारत में जीवन को संवारने के और नसीहत लेने के ढेरों सूत्र छिपे हैं, पर सामान्य मान्यताएं और चलन घर में महाभारत रखने का निषेध ही करती रही हैं। परंतु सिर्फ एक पुस्तक रखने से हमारी सारी योग्यता और क्षमता धूल धूसरित होकर, हमारा जीवन तनावपूर्ण हो जाएगा, या दांव पर लग जाएगा, संभव नहीं है। लिहाजा बहुत-सी बातों की तरह इस परंपरा का भी कोई वैज्ञानिक या तार्किक कारण ज्ञात नहीं है। प्रश्न: हल्का और भारी मंगल क्या होता है/ क्या मैं खराब मंगली हूं/ मंगल की शांति का उपाय क्या है/ जन्म तिथि- 21.12.1996, जन्म समय- 15.24, जन्म स्थान- चेन्नै। -अनुष्का केडिया उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि कुंडली में मंगल यदि लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो, तो यह योग व्यक्ति को मांगलिक बनाता है। मंगल के साथ पापी ग्रहों की उपस्थिति या दृष्टि इसे क्रूर बनाती है, और शुभ ग्रहों की मौजूदगी या दृष्टि इस योग को सौम्यता प्रदान करती है।आपकी राशि मेष और लग्न वृष है। सप्तमेश और व्ययेश मंगल आपकी कुंडली के पंचम भाव में अपने परम शत्रु राहु के साथ पंचम भाव में विराजमान है। क्रूर या सौम्य तो छोड़िए, आप मांगलिक ही नहीं हैं। लिहाजा आपको मंगल शांति के किसी उपाय की कोई जरूरत नहीं है। प्रश्न: हथेली में हृदय रेखा में यदि विवाह रेखा मिल जाए, तो इसका क्या मतलब है/ -प्रीति अवस्थी उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि विवाह रेखा, यानि बुध पर्वत से निकलने वाली आड़ी रेखा, नीचे की ओर झुक रही हो, तो यह दांपत्य जीवन में तनाव को परिलक्षित करता है, लेकिन विवाह रेखा यदि नीचे झुककर हृदय रेखा में मिल जाए, तो यह दांपत्य जीवन में तनाव का लक्षण है। विवाह रेखा यदि झुक कर हृदय रेखा में समाहित हो जाए अथवा ह्रदय रेखा को काटकर नीचे चली जाए, तो यह योग जीवनसाथी के विछोह या संबंध विच्छेद का संकेत देता है। मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट। http://dlvr.it/Q0WGwT
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