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#सपने और उनके फल
sanatanpragati12 · 1 year
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सपने में सीढ़ी देखने का मतलब - Sapne Mein Sidhi Dekhna
सीढ़ी का स्वप्न फल शुभ या अशुभ !
आप सभी को नमस्कार! आज हम आपको सपने में सीढ़ी देखने के मतलब के बारे में बताने जा रहे हैं। सपनों की दुनिया में सीढ़ी के सपने के मतलब को जानने के लिए आपको इस लेख को ध्यान से पढ़ना चाहिए। इसके अलावा, हम आपको सीढ़ी चढ़ने और उतरने, छोटी या लंबी सीढ़ी के सपनों के बारे में भी बताएंगे। इससे आप अपने सपनों को समझ सकते हैं और उनसे संबंधित उचित निर्णय ले सकते हैं।दोस्तों, हर व्यक्ति के सपने उनकी खुशियों और…
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dainiksamachar · 3 months
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क्या अमेरिकी सपने को साकार करने के लिए H-1B Visa का अच्छा विकल्प है EB-5 वीजा?
: दुनियाभर में लाखों लोगों के बीच अमेरिकन ड्रीम एक बड़ा आकर्षण बना हुआ है। ऐसी अवधारणा लगातार फल-फूल रही है कि अमेरिका लोगों को असीमित आर्थिक अवसर प्रदान कर सकता है, जिससे वे जीवनयापन के उच्च स्तर का आनंद ले सकते हैं और बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में तक पहुंच हासिल कर सकते हैं। यही वजह है दुनियाभर से लाखों लोग अमेरिका में आकर रहना चाहते हैं या वहीं पर बस जाना चाहते हैं। भारतीय भी अमेरिकी जीवनशैली के आकर्षण से अछूते नहीं हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 4.9 मिलियन से ज्यादा की आबादी के साथ भारतीय-अमेरिकी अमेरिका की आबादी का लगभग 1.35 फीसद हिस्सा हैं और एशियाई अमेरिकियों का सबसे बड़ा समूह हैं, जो चीनी अमेरिकियों के बाद दूसरे नंबर पर हैं। भारतीय-अमेरिकी अमेरिका में सबसे ज्यादा कमाई करने वाला जातीय समूह भी हैं। भारतीयों को अमेरिका में रहकर काम करने या अमेरिका में बसने के लिए निर्धारित वीजा की आवश्यकता होती है। क्या अमेरिकी सपने को साकार करने के लिए काम आ सकता है या इससे अच्छा विकल्प EB-5 वीजा कार्यक्रम है, दोनों में क्या अंतर है, आइये जानते हैं सबकुछ। अमेरिका का H-1B वीजा कार्यक्रम H-1B वीजा अमेरिकी नियोक्ताओं (कंपनियों) को विशेष व्यवसायों में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। किसी विशेष व्यवसाय के लिए विशेष ज्ञान और स्नातक की डिग्री या समकक्ष कार्य अनुभव की आवश्यकता होती है। की मांग लगातार आपूर्ति से ज्यादा है, जिसके कारण अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) को प्राप्तकर्ताओं का चयन करने के लिए लॉटरी प्रणाली का उपयोग करना पड़ रहा है। गौर करने वाली बात है कि हाल के वर्षों में भारतीय-तकनीकी पेशेवरों ने एच-1बी प्राप्तकर्ताओं की लिस्ट में अपना दबदबा कायम रखा है। 2024 में 780,884 आवेदकों ने एच-1बी वीजा के लिए पंजीकरण कराया और केवल 188,400 का चयन किया गया। ये कम संभावनाएं पिछले कई वर्षों से बनी हुई हैं और इनमें बदलाव की संभावना नजर नहीं आती है।एच-1बी वीजा का उपयोग अमेरिका में रहने और काम करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह एक सीमित अवधि के साथ जारी होता है, जिसमें विस्तार कराया जा सकता है। यह वीजा तीन साल की अवधि के लिए मिलता है जिसे तीन महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है। इसका मतलब है कि इस वीजा के साथ आपके पास अमेरिकी सपने को साकार करने के लिए एक निश्चित अवधि होती है। वहीं, कार्यक्रम आपको इस काम के लिए एक असीमित अवधि प्रदान करता है, लेकिन इसके लिए आपको भारी लागत लगानी होती है। EB-5 वीजा कार्यक्रम EB-5 वीजा एक प्रकार से अमेरिका में निवेश करने का कार्यक्रम है, जिससे रोजगार का सृजन होता है। इसे इन्वेस्टर वीजा या निवेशक वीजा कहते हैं। यह वीजा आप्रवासी निवेशकों को अमेरिका में स्थायी निवास प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। ईबी-5 वीजा कार्यक्रम 1990 में शुरू किया गया था, जिसके प्राप्तकर्ताओं को अमेरिका में छोटे व्यवसाय स्थापित करने के बदले में ग्रीन कार्ड प्रदान किए गए। व्यवसायों में कम से कम 10 अमेरिकियों को नौकरी पर रखना जरूरी है। यह वीजा कार्यक्रम अब भी मौजूद है, लेकिन यह कबी बहुत लोकप्रिय नहीं रहा।वर्तमान में ईबी-5 वीजा कार्यक्रम के लिए आप्रवासियों को न्यूनतम 1.05 मिलियन डॉलर (आज की भारतीय करेंसी के हिसाब से 8 करोड़ 76 लाख रुपये से ज्यादा) का निवेश करना होता हालांकि, इस नियम का एक अपवाद है। अगर EB-5 के तहत निवेश परियोजना ग्रामीण क्षेत्र के लिए है या जहां उच्च बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है तो उस निवेश को घटाकर 800,000 डॉलर (आज के 6 करोड़ 67 लाख रुपये से ज्यादा) कर दिया जाता है। ईबी-5 के इतिहास में ज्यादातर आप्रवासी निवेशकों ने कम निवेश राशि का लाभ उठाया है।EB-5 वीजा कार्यक्रम का फायदा यह है कि निवेशक और उनके निकटतम परिवार के सदस्य (जीवनसाथी और 21 वर्ष से कम आयु के अविवाहित बच्चे) एकमुश्त निवेश के जरिये अमेरिका में स्थायी निवास प्राप्त कर सकते हैं। इस वीजा के लिए भाषा और शिक्षा की शर्त लागू नहीं होती है। इसके लिए किसी व्यावसायिक पृष्ठभूमि आवश्यकता नहीं है। यह विशिष्ट रोजगार मानदंडों से बंधा नहीं है। यह वीजा चूंकि निवेशक को ग्रीन कार्ड धारक बनाता है इसलिए उसे अमेरिका में आने-जाने की सुविधा होती है। उसके बच्चे अमेरिका के विश्वविद्यालयों में अमेरिकी निवासियों के समान ट्यूशन दर पर पढ़ सकते हैं। H-1B और एम्प्लॉयर स्पॉन्सरशिप के विकल्प के रूप में EB-5 ईबी-5 कार्यक्रम आवेदकों और उनके परिवारों को उनके इमिग्रेशन पथ पर काफी ज्यादा नियंत्रण प्रदान करता है और इम्पलॉयर स्पॉन्सरशिप से मुक्ति प्रदान करता है और सेल्प स्पॉन्सरशिप की अनुमति देता है, जिससे अमेरिका में सफल जीवन बनाने के लिए महत्वपूर्ण अवसर खुलते हैं। http://dlvr.it/T925gs
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vanmarkvans · 1 year
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अजा एकादशी, जिसे आनंदा एकादशी या अन्नदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, एक शुभ हिंदू उपवास दिवस है जो भाद्रपद के हिंदू चंद्र महीने में उज्ज्वल पखवाड़े (शुक्ल पक्ष) के 11 वें दिन (एकादशी) को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त और सितंबर के बीच आता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर. यह पवित्र दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है और लाखों भक्तों द्वारा भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है।
यहां अजा एकादशी व्रत और उसके महत्व का अवलोकन दिया गया है:
उपवास: अजा एकादशी मुख्य रूप से उपवास और प्रार्थना का दिन है। इस दिन भक्त अनाज, फलियाँ और अनाज खाने से परहेज करते हैं। इसके बजाय, वे फल, मेवे और डेयरी उत्पाद खाते हैं। कुछ लोग बिना भोजन या पानी के पूर्ण उपवास करना चुन सकते हैं।
आध्यात्मिक महत्व: माना जाता है कि अजा एकादशी में पापों को धोने और आत्मा को शुद्ध करने की शक्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को समर्पण के साथ करने से आध्यात्मिक विकास होता है और व्यक्ति भगवान विष्णु के करीब आता है।
पौराणिक कथा: अजा एकादशी से जुड़ी एक लोकप्रिय कथा है। ऐसा कहा जाता है कि अपनी सच्चाई और धर्म के प्रति समर्पण के लिए प्रसिद्ध राजा हरिश्चंद्र को अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनके पूर्वज उनके सपने में आए और उन्हें अजा एकादशी व्रत करने की सलाह दी, जिससे उन्हें अपनी कठिनाइयों को दूर करने में मदद मिलेगी। उनकी सलाह मानकर राजा ने व्रत रखा और अंततः उनकी कठिनाइयां कम हो गईं।
पूजा और प्रार्थना: भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, पवित्र स्नान करते हैं और भगवान विष्णु को समर्पित मंदिरों के दर्शन करते हैं। वे प्रार्थना करते हैं, विष्णु मंत्रों का जाप करते हैं और देवता की स्तुति में भजन (भक्ति गीत) गाते हैं। इस दिन अक्सर विष्णु सहस्रनाम (भगवान विष्णु के एक हजार नामों की एक सूची) का पाठ किया जाता है।
दान: अजा एकादशी के दिन जरूरतमंदों को दान देना और परोपकार के कार्य करना पुण्य माना जाता है। कई भक्त आध्यात्मिक योग्यता अर्जित करने के तरीके के रूप में कम भाग्यशाली लोगों को भोजन, कपड़े या पैसे दान करते हैं।
व्रत तोड़ना: व्रत आम तौर पर द्वादशी के दिन तोड़ा जाता है, जो एकादशी के 12वें दिन होता है। भक्त भगवान विष्णु को भोजन और पानी चढ़ाते हैं और फिर भोजन ग्रहण करते हैं, जिसमें अक्सर अनाज और सब्जियां शामिल होती हैं।
लाभ: माना जाता है कि अजा एकादशी का पालन करने से पापों की क्षमा, नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा और किसी की इच्छाओं की पूर्ति सहित कई लाभ मिलते हैं। इसे मोक्ष (मोक्ष) प्राप्त करने और भगवान विष्णु के निवास वैकुंठ में स्थान प्राप्त करने का एक साधन भी माना जाता है।
अंत में, अजा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो आध्यात्मिक विकास, शुद्धि और भगवान विष्णु के प्रति समर्पण पर जोर देता है। यह एक धार्मिक जीवन जीने और व्यक्तिगत और आध्यात्मिक कल्याण के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के महत्व की याद दिलाता है।
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hindistoryok01 · 1 year
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Pyaar Ka Pehla Adhyaya Shivshakti 23rd July 2023 Hindi Written Update
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एपिसोड की शुरुआत साक्षात्कारकर्ताओं द्वारा शक्ति को एक और मौका देने और कमरे से बाहर निकलते समय उसे वापस बुलाने से होती है। शक्ति कुर्सी पर बैठ जाते हैं
जबकि साक्षात्कारकर्ता कहते हैं कि वे शक्ति से संबंधित कोई भी सिद्धांत नहीं पूछेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि उनके अंकों से उन्हें उस क्षेत्र में अच्छा ज्ञान है।
साक्षात्कारकर्ता का कहना है कि वे आलोचनात्मक सोच और व्यावहारिक तर्क के आधार पर शक्ति का परीक्षण करेंगे जो दैनिक जीवन के लिए प्रासंगिक हैं और डॉक्टर बनने के लिए आवश्यक हैं।
शक्ति कहती है कि वह उनके सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है और उनसे सत्र शुरू करने के लिए कहती है जिसके बाद पहला साक्षात्कारकर्ता शक्ति से पूछता है कि अगर एक ही समय में कोई व्यक्तिगत आपात स्थिति और कोई चिकित्सा आपात स्थिति हो तो वह क्या करेगी।
अपनी आँखें बंद करते हुए, शक्ति को शिव के शब्द याद आते हैं जो उन्होंने उस अंधेरे कमरे में उससे कहा था कि वह उसका उत्साह बढ़ाए कि डॉक्टर अपने मरीजों के बारे में ही सोचते हैं और उसके आगे कुछ भी नहीं देखते हैं।
साक्षात्कारकर्ता उस उत्तर को सुनकर प्रसन्न होता है जो शक्ति अपने मरीज के कारण मौजूद डॉक्टर के बारे में देता है और उनके उद्देश्य से पहले कुछ भी नहीं आना चाहिए।
दूसरा साक्षात्कारकर्ता शक्ति से पूछता है कि वह डॉक्टर क्यों बनना चाहती है, जिस पर शक्ति जवाब देती है कि उसके माता-पिता ने उसे डॉक्टर बनने का सपना दिखाया था और भोलेनाथ ने उसे अपने सपने को हासिल करने का रास्ता दिखाया।
सभी उत्तर सही होने पर, श्री मेहता सोचते हैं कि उन्हें शक्ति को रद्द करने के लिए क्या कहना चाहिए और उनसे पूछते हैं कि उन्हें क्यों लगता है कि उन्हें डॉक्टर बनना चाहिए।
शक्ति का कहना है कि उन्हें लगता है कि डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना और भगवान के बराबर काम करना है और अगर भोलेनाथ चाहेंगे तो उन्हें उनकी मेहनत का फल जरूर मिलेगा.
श्री मेहता बताते हैं कि शक्ति अपने उत्तरों में कई बार भोलेनाथ कहती हैं और कहती हैं कि वे उस व्यक्ति को छात्रवृत्ति नहीं दे सकते जो विज्ञान के बजाय भगवान पर आंख मूंदकर विश्वास करता है।
शक्ति का कहना है कि उन्हें भोलेनाथ पर विश्वास है, क्योंकि हर कोई उनके दिल में है, पृथ्वी पर एक व्यवस्था बनाए रखने के लिए भगवान की नींव का पालन करता है और यहां तक कि डॉक्टर भी मरीजों को किसी भी सर्जरी से पहले भगवान में विश्वास रखने के लिए कहते हैं।
श्री मेहता पराजित महसूस करते हैं क्योंकि शक्ति कहते हैं कि अस्पतालों में भी मंदिर हैं क्योंकि लोगों को अपने दैनिक जीवन में चलाने के लिए आस्था आवश्यक है।
दूसरा साक्षात्कारकर्ता शक्ति से पूछता है कि वह विश्वास के बारे में क्या सोचती है और आंख मूंदकर अनुसरण करने के बारे में शक्ति जवाब देती है कि विश्वास तब होता है जब व्यक्ति जानता है
कि यदि वे इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं तो उन्हें परिणाम मिलेगा और यह अंध-विश्वास बन जाता है जब व्यक्ति बिना काम किए परिणाम की उम्मीद करता है।
शक्ति बाहर इंतजार करती है जबकि शिव कहता है कि वह निश्चित रूप से डॉक्टर बनेगी और पर्दा लगाती है जबकि नंदू उसे चिढ़ाता है कि उनके बीच कुछ चल रहा है।
इस बीच, मनोरमा यह सुनकर क्रोधित हो जाती है कि रिमझिम उस लड़के से नहीं मिलेगी और चूहे मारने वाली दवा खाकर मरने का प्रयास करके अपना नाटक शुरू करती है।
रिमझिम उस लड़के से मिलने के लिए राजी हो जाती है लेकिन कहती है कि अगर वह उसे पसंद नहीं करती है तो वह उसे मना कर देगी लेकिन मनोरमा खुद से कहती है कि रिमझिम को हां कहना होगा क्योंकि मनोरमा रिमझिम को अपनी प्रेम कहानी शुरू नहीं करने देगी।
उसी समय, साक्षात्कारकर्ता कमरे के बाहर शक्ति को बताते हैं कि उनका चयन हो गया है जिसे सुनकर शिव खुश हो जाते हैं और कहते हैं कि उनका कर्तव्य पूरा हो गया है।
शिव अपने साथ रहने के ���िए भोलेनाथ को धन्यवाद देते हैं और याद करते हैं कि शिव उनके सबसे बड़े मददगार थे और यह याद करके उनका दिल ज़ोर से धड़कने लगता है कि शिव उनके प्रति कितने दयालु थे।
उम्मीद करता हूँ आपको यह एपिसोड पसंद आया होगा अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे और नए एपिसोड के लिए हमारी वेबसाइट पर जरुर आये
Source link: - Pyaar Ka Pehla Adhyaya Shivshakti 23rd July 2023 Hindi Written Update -
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loktantraudghosh · 2 years
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पीएम स्वनिधि से जब मिला सहारा बहुत कठिन रहा हम्माली से फल विक्रेता तक का सफर II
पीएम स्वनिधि से जब मिला सहारा बहुत कठिन रहा हम्माली से फल विक्रेता तक का सफर II
खरगोन:-संजय यादव । कर्म से बढ़कर इस दुनिया मे कोई नही। कर्म के बल पर ही हम सब एक दूसरे के सहयोगी है। सुख दुख तो धूप और छांव की तरह है आते-जाते रहते है। ऐसा ठेले के सहारे जीविका चलाने वाले फल विक्रेता सुंदरलाल राठौर का मानना है। 56 वर्षीय सुंदरलाल वर्षाे पहले हम्माली किया करते थे। इसके बाद उन्होंने टोपली लेकर सब्जी बेचने का कार्य प्रारम्भ किया। इस बीच कोरोना की लहर ने उनके छोटे-छोटे सपने चकनाचूर कर…
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sant-rampal-ji · 4 years
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#कबीर_वाणी
मैं रोवत हूं सृष्टि को सृष्टि रोवत है मोहे हम दोनों के बियोग को समझ सकता ना कोई ❓❓
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भगवान कह रहे हैं कि मैं इन सभी जीव आत्माओं को रो रहा हूं जो मुझसे दूर हो चुके हैं और जो सभी सृष्टि पर जीव आत्माएं हैं वह सभी भगवान को रो रही हैं
मनुष्य प्राणी कैसा भी हो उसे भगवान की अवश्य होती है इसीलिए कोई मंदिर में चर्च में मस्जिद में गुरुद्वार में जाता है और हम सभी को ज्ञान ना होने के कारण अज्ञानी गुरु के कहने पर चलने के कारण हम सत भक्ति नहीं कर पा रहे और भक्ति का सही लाभ नहीं उठा पा रहे इस सृष्टि करें किसी भी मनुष्य को पूर्ण ज्ञान ना होने के कारण और एक लोक वेद को ज्ञान का आधार मानकर चल रहे हैं इसी कारण से हमें दुखों का सामना करना पड़ता है और हमारी भक्ति का गुलाब नहीं मिलता जो मीराबाई भक्ति ध्रुव को मिला .
इसीलिए तो रामायण में कहा गया है ❓ .
गुरु बिन वेद पढ़े जो ज्ञानी समझे ना सार रहे अज्ञानी❓ .
इससे सिद्ध होता है कि जो हमारे धर्म गुरु हैं उन्हें .#पवित्र शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान नहीं है .
और उन्हें यह पता नहीं है कि जो प्रभु हमें जन्म देता है और मारता है उसमें किस प्रभु का स्वार्थ है अर्थात जो हमें कष्ट देता है .
इन धर्म गुरुओं को शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान ना होने के कारण काल के जाल से नहीं तो वह खुद बच पा रहे हैं और नहीं हम जीवो को इस काल के जाल से निकाल पा रहे हैं और इसी कारण से हमें अपने किए हुए कर्मों का फल भोगना पड़ता है यहां तक की शास्त्रों में तो लिखा है सत भक्ति करने से अगले जन्मों के भी पाप कर्मों को काट देते हैं .
❓❓❓ अब आप खुद देखें प्रमाण सहित .
❓वेदों में वर्णन है कि भगवान संपूर्ण शांतिदायक है।वेदों में वर्णन है कि भगवान संपूर्ण शांतिदायक है। वह जो हमारे सारे पाप नष्ट करके हमें सुख प्रदान करता है। उसे ही सच्चा एवं सर्वोच्च भगवान कहा गया है।
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यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 भगवान के निम्न गुणों का वर्णन करता है:
उशिगसी कविरंघारिसि बम्भारिसि...
उशिगसी = (सम्पूर्ण शांति दायक) कविरंघारिसि = (कविर्) कबिर परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक कबीर है। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर (असि) है।
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 5
गीताजी अध्याय 5 श्लोक 29 में गीता ज्ञान दाता काल–ब्रह्म कह रहा है कि अज्ञानी लोग जो मुझे जगत का स्वामी और संपूर्ण सुखदायी भगवान मानकर मेरी साधना पर आश्रित हैं, वह मेरे से मिलने वाली अश्रेष्ठ(अस्थाई) शांति को प्राप्त होते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप वे लोग पूर्ण परमात्मा से मिलने वाली शांति से वंचित रह जाते हैं, अर्थात् उनका पूर्ण मोक्ष नहीं होता। उनकी शांति समाप्त हो जाती है और अनेक प्रकार के कष्ट सहने पड़ते हैं। इसलिए अध्याय 18 के श्लोक 62 में गीता ज्ञानदाता ने कहा है –
“हे अर्जुन! पूर्ण शांति की प्राप्ति के लिए तू सर्वभाव से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शान्ति को तथा सदा रहने वाला सत स्थान/धाम/लोक को प्राप्त होगा।” 
इसका प्रमाण अध्याय 7 के श्लोक 18 में भी है।
महत्वपूर्ण: काल (ब्रह्म) भगवान तीनों लोकों के भगवानों (ब्रह्मा - विष्णु - महेश) के और इक्कीस ब्रह्मांडो के स्वामी हैं, वे देवताओं के देवता हैं। इसलिए उन्हें महेश्वर (महादेव) भी कहा जाता है। अज्ञानतावश, मूर्ख समुदाय इस काल को दयावान परमात्मा मानते हुए इससे शांति प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए एक कसाई अपने पशुओं को चारा और पानी उपलब्ध कराता है, और उन्हें आश्रय प्रदान करके गर्मी और ठंड से बचाता है। इसके कारण वे जानवर कसाई को दयालु मानकर उससे प्यार करते हैं। लेकिन वास्तव में कसाई उनका दुश्मन है। वह अपने स्वार्थ पूर्ण उद्देश्य के लिए उन सभी जानवरों को काटता है, मारता है।
इसी तरह, काल भगवान दयालु दिखाई देता है लेकिन सभी जीवों को खाता है। इसलिए, यह कहा गया है कि उनकी शांति समाप्त हो जाती है अर्थात वे अत्यंत कष्ट का अनुभव करते हैं।
गीताजी अध्याय 15 के श्लोक 17 में कहा गया है कि उत्तम पुरुष, अर्थात श्रेष्ठ ईश्वर तो कोई और है, जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी का धारण-पोषण करता है। वह वास्तविक अमर परमात्मा है। उसे ही भगवान कहा जाता है। अपने बारे में गीता ज्ञान दाता ने अध्याय 11 के श्लोक 32 में कहा है कि “अर्जुन, मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। सभी लोकों (मनुष्यों) को खाने के लिए प्रकट हुआ हूं।” जिसके दर्शन मात्र से अर्जुन जैसा पराक्रमी भी अपनी शांति खोकर थरथर कांपने लगा। इसलिए इसी अध्याय 5 के श्लोक 24 से 26 में, गीता ज्ञानदाता के अतिरिक्त एक अन्य शांतिदायक ब्रह्म का उल्लेख है। इससे यह भी सिद्ध होता है कि गीता ज्ञान दाता शांति दायक ब्रह्म नहीं है, अर्थात् काल है।
विचार करें:  वह, जो किसी को गधा बनाता है, किसी को कुत्ता बनाता है, जो किसी के पैर काट देता है (क्योंकि यहां सभी भक्तात्माओं का मानना ​​है कि सब कुछ भगवान की कृपा से होता है। यहां तक ​​कि एक पत्ता भी उनके आदेश के बिना नहीं हिलता है), जो सभी को खाता है, और अर्जुन जैसे योद्धा को डराकर युद्ध का कारण बनता है और फिर युद्ध में किए गए पापों के परिणाम स्वरूप युधिष्ठिर को बुरे सपने भी देता है, फिर जो कृष्ण जी के माध्यम से यह बताता है कि आपको यज्ञ करना चाहिए क्योंकि युद्ध में आपके द्वारा किए गए पाप कष्ट दे रहे हैं, जो उनसे हिमालय में तप करवा कर उनके शरीर गलवाता है और फिर उन्हें नर्क भी भेजता है; ऐसे प्रभु को शांति दायक परमात���मा नहीं कहा जा सकता। अब पाठक स्वयं चिंतन कर सकते हैं।
वो दयालु भगवान कबीर साहिब जी हैं, जो सतलोक के स्वामी हैं। वो सुख के सागर हैं। सतलोक में कोई भी आत्मा दुखी नहीं है। काल लोक में यदि कोई भक्त सुख चाहता है तो उसे परमपिता परमात्मा, पूर्ण ब्रह्म, सनातन प्रभु, कबीर परमात्मा की भक्ति करनी होगी और पूरा जीवन उनकी शरण में रहकर जीना होगा।
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इस दंपति ने अपने शौक को बनाया अपना बिज़नेस
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हर किसी का सपना होता है कि वो कुछ ऐसा काम करे जिससे उसे बड़ी पहचान मिले। आज मार्केट में कई तरह के बिज़नेस आइडिया मौजूद हैं  लेकिन अधिकतर लोग सफल लोगों की देखा-देखी उनकी तरह ही बिज़नेस शुरू कर देते हैं। ऐसे में खुद की पहचान बनाना और सफलता पाना काफी मुश्किल हो जाता है। जिस तरह एक पेड़ को फल देने लायक बनाने के लिए खाद और पानी की जरूरत होती है वैसे ही बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए पैसे और यूनिक आइडिया की ज़रूरत होती है। बहुत से लोग अपनी परिस्थितियों का हवाला देते हुए बिज़नेस करने का ख्याल अपने मन से निकाल देते हैं। लेकिन केरल के एक दंपति ने ना केवल अपनी सफलता के सपने को देखा बल्कि उसे पूरा करने में सफल भी हुए हैं। एक आम सा जीवन जीने वाले गिरी और तारा ने अपने अनोखे आइडिया की मदद से आज अपनी खास पहचान बनाई है । गिरी बस ड्राइवर और तारा उसी बस में कंडक्टर हैं। उन्होंने परिस्थितियों को चुनौती देते हुए अपना खुद का काम शुरू किया। उन्होंने जी तोड़ मेहनत की और बस को एक नया रूप दिया है। तो आइए आज के इस लेख में हम आपको बताते हैं कि आप भी कैसे इस दंपति से प्रेरणा लेकर अपने बिज़नेस (Business) को यूनिक बनाते हुए किसी भी बिज़नेस में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
अपनी हॉबी को बनाया करियर
केरल के रहने वाले गिरी और तारा ने अपनी हॉबी को ही अपना करियर बनाया है। गिरी और तारा ने अपनी जेब से पैसे लगाकर बस को इतना सुंदर बनाया है। तारा और गिरी की मुलाकात 20-22 साल पहले हुई थी, जब गिरी 26 साल के और तारा 24 साल की थीं। घर वाले उनकी शादी को तैयार नहीं थे। ये वो समय था उनके पास नौकरी नहीं थी इसके चलते उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें, क्या नहीं। उन्हें सजावट करने और जगह-जगह जाने का शौक था। साथ ही वो अपनी पहचान बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने खुद का बिज़नेस शुरू करने का सोचा। उन्होंने केरल राज्य सड़क परिवहन निगम बस ली और इसके जरिए अपने शौक को काम में बदलने लगे।
बस को दिया नया रूप
कुछ अलग बिज़नेस करने वालों के लिए तारा और गिरी का यह बिज़नेस आइडिया काफी काम आ सकता है। तारा और गिरी ने अपनी बस को दूसरी बोरिंग बसों से बिल्कुल अलग बनाया। उन्होंने अपने खर्च पर बस की कायाकल्प ही कर दी। उन्होंने इसमें यात्रियों की सुरक्षा के इंतजाम से लेकर उनके मनोरंजन तक का ख्याल रखा। स्टेट बसों में होने वाली असमाजिक गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए उन्होंने बस में सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए इसके साथ ही यात्रियों की सुविधा के लिए बस में इमरजेंसी स्विच भी लगाए। मनोरंजन के लिए म्यूजिक सिस्टम और ऑटोमेटिक एयर फ्रेशनर लगाया। इतना ही नहीं लोगों को जगह बताने के लिए बस में एलईडी डेस्टिनेशन बोर्ड भी लगाया गया है।
दंपति ने मिलकर शुरू किया बिज़नेस
तारा और गिरी की तरह आप भी अपने पार्टनर के साथ मिलकर किसी भी बिज़नेस को शुरू कर सकते हैं। इस बिज़नेस में जहां गिरी बस ड्राइवर का काम करते हैं वहीं तारा कंडक्टर के रूप काम करती हैं । दोनों ने मिलकर अपने इस अनोखे आइडिया से बस की सूरत बदल कर खुद को नई पहचान दिलाई है। आज हर कोई उनके इस कार्य की प्रशंसा कर रहा है।
सोशल मीडिया का किया इस्तेमाल
इस दंपति ने अपने बिज़नेस प्रमोशन के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए ये अपने बिज़नेस को लोगों तक ले कर गये। उन्होंने रोजाना सफर करने वाले यात्रियों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया है। आप भी इस दंपति की तरह सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपने बिज़नेस का प्रमोशन कर सकते हैं। इसके लिए आप चाहें तो बिज़नेस कोच (Business Coach) की मदद ले सकते हैं।
बिज़नेस शुरू करना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है। अगर आपके पास एक अच्छा आइडिया और इच्छाशक्ति है तो आप भी तारा और गिरी की तरह अपना बिज़नेस शुरू कर सकते हैं। अपनी यूनीकनेस से खास पहचान बना सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अपना ��िज़नेस शुरू करनें में तारा और गिरी की यह कहानी आपकी मदद कर सकती है। आपको यह लेख कैसा लगा इसके बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में लिख सकते हैं।   इसके अलावा आप अगर एक  बिज़नेसमैन हैं और अपने  बिज़नेस में कठिन और मुश्किल परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो आपकी यह मुश्किल जल्द ही खत्म होने वाली है  क्योंकि आपको हम आपके  स्टार्टअप या बिज़नेस को आगे बढ़ाने में आपको एक पर्सनल बिज़नेस कोच का अच्छा मार्गदर्शन देने वाले हैं।  इसके लिए एकमात्र रास्ता है Leadership Funnel Program, यह प्रोग्राम आपके बिज़नेस की काया पलट सकता है।  इसके द्वारा आप अपने बिज़नेस में एक अच्छी हैंडहोल्डिंग पा सकते हैं और अपने बिज़नेस को चार गुणा बढ़ा सकते हैं ।
Source: https://hindi.badabusiness.com/business-motivation/this-couple-turn-their-hobby-their-business-10975.html
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पुराने समय की बात है। उस समय संत महापुरुष घूमते फिरते किसी किसी स्थान पर महीने दो महीने के लिए रुक जाया करते थे। ऐसे ही एक गाँव में एक संत आए हुए थे। उस समय गाँव के लोग बिजाई के लिए अपना अपना खेत तैयार कर रहे थे। एक लड़का उन संत का शिष्य हो गया और बड़े भाव से गुरू जी की सेवा करने लगा। वह अपने गुरू जी की सेवा में इतना तल्लीन हो गया कि उसे अपना खेत तैयार करने की सुध ही न रही, बीज बोने की बात तो दूर रही। विदाई का समय आया तो सब गाँव वाले इक्कट्ठे हुए। उनकी आपस की चर्चा से गुरू जी ने जान लिया कि यह लड़का तो इस वर्ष खेती से वंचित ही रह जाएगा। उनके झोले में और तो कुछ था नहीं। बस वे संत रास्ते के लिए अपने साथ कुछ पेठे के बीज रखा करते थे, जब भूख लगती थी तो खा लेते थे। तो झोले से पेठे के बीज ही निकाल कर उस लड़के को दे दिए। गुरू जी का प्रसाद समझकर, उस लड़के ने वे बीज अपने घर के आँगन में ही बो दिए। समय पाकर उसके आँगन में पेठे पैदा हो गए। शिष्य ने विचार किया कि यह तो मेरे गुरू जी की कृपा का फल है, इन पेठों को बेचना नहीं चाहिए, इन्हें तो घर में ही प्रयोग करना चाहिए। उसने एक पेठा काटा। पर उसकी हैरानी की कोई सीमा न रही जब उसने देखा कि उस पेठे के भीतर कोई बीज नहीं थे, बल्कि वह तो हीरों से भरा था। धीरे धीरे यह खबर सारे गाँव में फैल गई। अब तो सभी गाँव वाले, उन संत की ही प्रतीक्षा करने लगे। अगले वर्ष वे संत उसी गाँव में दोबारा आए तो सारा गाँव ही उनका शिष्य हो गया और उनकी सेवा में जुट गया। वे संत की सेवा करते और हीरे पाने की कल्पना कर, दिन रात अपने सुखद भविष्य के सपने बुना करते। इस प्रकार जानबूझ कर किसी ने भी खेत नहीं बोया। जब गुरू जी जाने लगे तो सब गाँव वाले गुरू जी को ले जा कर, अपना अपना खाली खेत दिखाने लगे और बीज माँगने लगे। गुरू जी भी झोले में से पेठे के बीज निकाल निकाल सबको देते चले। गुरू जी के जाते ही, गाँव वाले गुरू जी को भूल कर, उन बीजों को बोने में लग गए। फसल आने पर गाँव भर में पेठे ही पेठे हो गए, पर जब पेठे काटे तो वहाँ हीरा नाम की चीज नहीं थी, बीज ही बीज निकलने लगे। बेचारों ने वर्ष भर पेठे ही खाकर गुजारा किया। लोकेशानन्द कहता है कि कर्म ही पेठा है। आत्मा, परमात्मा ही हीरा है। कर्म तो सभी ने किया। एक जैसा किया। पेठे के बीज भी सभी को मिले। पेठे भी सभी के लगे। पर सभी को एक जैसा फल नहीं मिला। क्योंकि भाव में अंतर था। जिसने कर्म को सच्चे भाव से किया वो आत्मा रुपी हीरा पा गया। कर्म सही भाव से हो तो ही अर्थ है, वरना कर्म व्यर्थ है। https://www.instagram.com/p/CfQC7KSBn3Y/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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nationalnewsindia · 2 years
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ajayrathore4 · 3 years
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महंगाई की मार से गर्दिश में भविष्य
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आपदाओं के दौर में जिस प्रकार नई-नई महामारिया उभर कर  सामने आ रही है उसी प्रकार महंगाई भी एक महामारी का ही रूप है, जोकि कोरोना से पहले भी व्याप्त थी और आज कोरोनावायरस के साथ कोरोना से ज्यादा गति से इंसानों को लीलने का काम कर रही है। कोई भी इंसान इस बीमारी से तनिक भी अछूता नहीं  रहा है एक बार  किसी  को कोरोना बक्श देगा परंतु महंगाई रूपी बीमारी उसको पल पल मरने के लिए विवश कर रही है। एक तरफ व्यक्ति की आय क्षीण होती जा रही है और दिन प्रतिदिन  दूसरी तरफ महंगाई अपने चरम पर पहुंच रही है पेट्रोल डीजल खाद्य पदार्थों आवागमन के साधन फल सब्जियां सभी इतनी महंगाई की दर से बिक रही है कि लोगों की सांस फूल रही है खरीदने में बस केवल सामान्य नागरिक उसका दर्शन करके हैं कृतज्ञता प्राप्त कर रहे हैं। एवं एक समय का भोजन नसीब करने में पल पल अपनी इच्छाओं को मारते हुए जद्दोजहद कर रहे हैं। और सरकारें दिन प्रतिदिन उन पर कर बढ़ाकर महंगाई रूपी वायरस को और भी व्यापक रूप देने में मस्त है। सिर्फ एक स्वार्थ के लिए स्वयं के एस और आराम की पूर्ति के लिए सरकारें लोगों पर महंगाई का बोझ डाल रही हैं आज ही सरकार ने एक नया फैसला किसानों के हितों में लिया सुबह 11:00 बजे देश के प्रधानमंत्री महोदय ने किसानों के लिए लॉलीपॉप रूपी 2000 रूपये की किस्त प्रत्येक किसान के बैंक के अकाउंट में जमा की और दूसरी तरफ राज्य सरकार ने खेती में प्रयोग होने वाले उर्वरक खाद पर सीधे-सीधे ₹700 की वृद्धि कर दी जो खाद पहले किसानों को 1200 रुपए पर बैग प्राप्त होता था अब वही उन्नीस सौ रुपए पर बैग प्राप्त होगा। इस विकास की यात्रा में लोगों का सुखचैन समाप्त कर दिया है और दूसरी तरफ ऊंची ऊंची तकनीकों के माध्यम से खेती के ��पने दिखाकर महंगाई को इतनी ऊंचाई पर पहुंचा दिया है खेती करना तो अब स्वयं ही सपना बन गया है हमारा देश और प्रदेश कृषि प्रधान हुआ करता था लेकिन इस महंगाई की मार ले बैल गाड़ियां खत्म कर दी और  उनके स्थान पर ट्रैक्टर और कृषि यंत्र खिलौने हाथ में दे दिए जो अब भोजन के रूप में ₹100 लीटर का डीजल पीते हैं। अब वही ट्रैक्टर चलाने के लिए किसान को इतनी मेहनत करना पड़ेगी जितनी उसको हर बखर चलाने में नहीं करना पड़ती थी। यह कैसी हमारे देश और प्रदेश की विकास यात्रा है, जिसने किसान से लेकर आम जनता तक को महंगाई के यज्ञ में आहुति डाल रहे हैं। नेता मंत्री कभी लग्जरी गाड़ियों से नीचे नहीं उतरते उनके स्वयं के घर करोड़ों रुपए के बने हुए हैं लेकिन इन किसानों और आम आदमियों को आज भी वही दो वक्त की रोटी और एक जोड़ी कपड़े के लिए  जद्दोजहद करना पड रहा है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपने अपने उल्लू सीधा करने के लिए अपनी अपनी पॉलिसी का निर्माण अपने स्वार्थ के लिए करती जा रही हैं और आम जीवन गर्दिश में चला जा रहा है अब जरा सोचिए इस महंगाई में जब खाद्य तेल ₹170 प्रति किलो एवं डीजल पेट्रोल शतक लगा रहे हो, तब व्यक्ति को किसी स्थान पर जाने के लिए पदयात्रा करना पड़ेगी और बिना खाद्य तेल के भोजन करने की आदत डालना पड़ेगी यहां पर विपक्षी पार्टियां कुंभकरण की निंद्रा में आगोश रत हैं जिन्हें अब सत्तारूढ़ पार्टियों से प्रश्न करने में भी भय लगता है बात भी सही है हमने ही चुनाव किया था मंत्री विधायक और सांसदों का हम ने ही अपने बोट बेचकर उनको करोड़पति बनाने के लिए वोट दिए थे और अपनी सुऐक्षा से उनके पैरों की फुटबॉल बनने के लिए महंगाई रूपी हवा का कंप्लीट प्रेशर ले रखा था तो अब एक तरफ से केंद्र सरकार और दूसरी तरफ से राज्य सरकार बेचारी जनता और किसान अबकी बार दो वक्त की रोटी को है अपना विकास समझते हैं। कहने में आता है कि जनता को महंगाई से इतना त्रस्त कर दो कि वह केवल जीने को ही विकास समझें और यही विकास की परिभाषा आज की सरकारें निर्माण करनी है।
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gaanaliveent · 4 years
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The Kapil Sharma Show का नवीनतम एपिसोड हॉरर फिल्मों पर, होस्ट कपिल के स्टैंडअप के साथ शुरू होता है और वह अर्चना पूरन सिंह की टांग खींचता है और कहता है कि वह जानता है कि उसने कुछ डरावनी फिल्मों में अभिनय किया है। बॉलीवुड अभिनेत्री भूमि पेडनेकर एक एंट्री करती हैं और कपिल उनके साथ फ्लर्ट करते हैं। अभिनेत्री अर्चना से कहती है कि कुछ चीजें कभी नहीं बदलेंगी चाहे वह चुडैल हो या नायिका, कपिल निश्चित रूप से इश्कबाज होगा। अरशद वारसी भी मंच पर कपिल और भूमि से जुड़ते हैं और कहते हैं कि कपिल सिर्फ नायिकाओं के साथ फ्लर्ट करने के लिए शो पर काम करते हैं न कि पैसों के लिए।
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कपिल ने भूमी से शिकायत की कि कोई उनके शो से ड्रैगन फल चुरा रहा है, अर्चना पर निशाना लगाता है और वह कहती है, वह ड्रैगन फ्रूट नहीं खाती है। कपिल मजाक करते हैं कि लोग कहते हैं कि केवल एक अजगर ही उस फल को खा सकता है। अर्चना, भूमि और अरशद हँसी में फूट पड़े।
अरशद ने खुलासा किया कि उसने अपने ससुराल वालों से झूठ बोला है और उन्हें शो में आने के बारे में सूचित नहीं किया है क्योंकि वे महामारी के कारण उसके बारे में चिंतित हैं। कपिल दर्शकों को बताते हैं कि लॉक के दौरान भुमी मेकअप ट्यूटोरियल वीडियो शूट करेंगे और उन्हें 'ट्यूटोरियल' शब्द सीखने में तीन दिन लगेंगे। भूमि ने शेयर किया कि उसने अर्चना के इंस्टाग्राम वीडियो देखे और अपने गृहस्थ भाग्यश्री के प्रसिद्ध होने की भी बात की।
कपिल मजाक और अरशद से पूछता है कि चूंकि धमाल और गोलमाल का सीक्वल नहीं था, तो उसने ईएमआई का भुगतान करने का प्रबंधन कैसे किया, हर किसी ने जोर से हंस दिया। वह फिर अर्चना की टांग खींचता है और भूमि और अरशद को बताता है कि कैसे पूर्व में तालाबंदी के दौरान चेन छीनने का कारोबार चला। इसके बाद उन्होंने पिछले साल बैक टू बैक चार फ़िल्में करने के लिए भूमि को 'लाडकीयोन अक्षय कुमार' कहा और अरशद ने कहा कि वह 'लडकीयों की आमिर ख़ान' की भूमिका निभा रहे हैं और व्यवसायिक रूप से वह 'लद्दाखी के अक्षय कुमार' हैं।
करण कपाड़िया और माही गिल भी शामिल हो जाते हैं और कपिल कुछ मजेदार चुटकुले सुनाते हैं। वह करण से पूछता है कि वह अक्षय कुमार का बहनोई है किस समय वह उठता है और पूर्व जवाब देता है कि उसने बहुत कुछ सीखा है और सुबह 9 बजे उठता है।
कीकू शारदा उर्फ ​​बच्चा यादव स्टेज पर एंट्री लेते हैं और कपिल उन्हें स्ट्रगल के साथ एक बड़ा तरबूज कहते हैं। बच्चा एक स्किट प्रस्तुत करता है और वह एक निकास बनाता है।
अरशद वारसी ने बताया कि कैसे उन्होंने अपनी पहली फिल्म तेरे मेरे सपने का निर्माण किया, जिसे अमिताभ बच्चन ने बनाया था। उन्होंने साझा किया कि पहली बार जब वे बिग बी से मिले थे, जब उन्होंने उन्हें, चंद्रचूर सिंह और मुकुल देव को अपने घर पर आमंत्रित किया था। जब अमिताभ बच्चन ने उनसे पूछा कि उनके पास क्या है, जबकि चंद्रचूर और मुकुल ने जूस के लिए कहा, तो अरशद ने व्हिस्की के लिए कहा। ड्रिंक सर्व किए जाने के बाद और बिग बी एक मिनट के लिए मुड़े, चंद्रचूर और मुकुल ने अरशद का ग्लास छीन लिया और उनका ड्रिंक ले लिया। अरशद एक गिलास खाली करके बैठे थे और जब श्री बच्चन ने उन्हें देखा और देखा, तो उन्होंने कहा कि उन्हें धीरे जाना चाहिए। अरशद ने शेयर किया श्री बच्चन को लगा होगा कि वह इतना बड़ा शराबी (बेवड़ा) है।
माही गिल ने साझा किया कि उसे सेना में शामिल होना था लेकिन प्रशिक्षण के दौरान एक भयानक दुर्घटना के कारण वह सशस्त्र बलों में शामिल नहीं हुई। उसने इस घटना को सुनाया और कहा कि जब वह पैरासेलिंग कर रही थी और हवा में थी, जिस रस्सी से उसे बाँधा गया था वह एक ट्रक से जुड़ी हुई थी और वह टूट गई। वह जमीन पर गिर गई और एक महीने तक अस्पताल में रही। अरशद ने मजाक में कहा कि उसे सिर पर चोट लगी और उसने अभिनय में करियर बनाने का फैसला किया। माही ने मजाक में कहा कि गिरते समय वह अपने माता-पिता के बारे में अधिक भयभीत हो गई थी क्योंकि उसने अपने प्रेमी को प्रेम पत्र लिखा था।
कपिल सोशल मीडिया के बारे में बात करते हैं और पूछते हैं कि अरशद इंस्टाग्राम पर केवल 4 लोगों को ही क्यों फॉलो करता है। उन्होंने खुलासा किया कि वह इलियाना डिक्रूज का अनुसरण करते हैं क्योंकि वह बहुत अच्छी तस्वीरें साझा करती हैं, अर्चना कहती है कि अब वह आपको अनफॉलो कर देगी। कपिल ने कहानी सुनाने के बारे में एक घटना साझा की। उन्होंने कहा कि एक बार जब अक्षय पुणे में यात्रा कर रहे थे, तब उनके टीकेएसएस सेट से अक्षय उनके साथ थे। कार में, अक्षय ने उसे कहानी सुनाने के लिए कहा और हालाँकि अक्षय को बहुत यकीन था कि कहानी खराब है। उसने जानबूझकर लेखक को अपनी कार से ऐसी जगह पर उतार दिया जहाँ से उसे वापस आने के लिए बस भी नहीं मिल रही थी।
कपिल ने तब कुछ अफवाहें पढ़ीं और अरशद से पूछा कि ऐसी अफवाह है कि जया बच्चन आपको अल पचीनो कहेंगी और उन्होंने हां कहा। उन्होंने एक बार कहा था कि वह चाहती थीं कि मैं अल पैचीनो की फिल्म स्कारफेस की तरह करूं।
कृष्ण अभिषेक और कीकू धर्मेंद्र और सनी देओल के रूप में मंच पर पहुंचे। वे धर्मेंद्र को जन्मदिन की शुभकामनाएं ’देते हैं। कृष्ण मजाक करते हैं कि उन्होंने अपने शो से एक कुर्सी छीनना सीख लिया है, जिसमें अर्चना ने नवजोत सिंह सिद्धू की जगह ली है। वे हंसी की फुहारों में मेहमानों को छोड़कर एक प्रफुल्लित करने वाला स्किट प्रस्तुत करते हैं।
उन्होंने एक केक काटा और दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का जन्मदिन मनाया।
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abhay121996-blog · 3 years
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मोबाइल दूर रखकर सोना, फोकस के लिए लंबे बाल कटवा देना... यूं ही नहीं कोई नीरज चोपड़ा बन जाता है Divya Sandesh
#Divyasandesh
मोबाइल दूर रखकर सोना, फोकस के लिए लंबे बाल कटवा देना... यूं ही नहीं कोई नीरज चोपड़ा बन जाता है
‘जब सफलता की ख्वाहिश आपको सोने ना देजब मेहनत के अलावा और कुछ अच्छा ना लगेजब लगातार काम करने के बाद थकावट ना होसमझ लेना सफलता का नया इतिहास रचने वाला है’आप नीरज चोपड़ा के ट्विटर हैंडल पर जाएंगे तो सबसे पहले आपको ये पंक्तियां नजर आएंगी। ये महज ऊर्जा भरने वाली चंद पंक्तियां नहीं है। ये पंक्तियां नीरज के चरित्र, ट्रेनिंग और सपनों का प्रतिबिंब हैं। ये पंक्तियां बताती हैं कि चकाचौंध से दूर एक स्टार अपनी तपस्या में लीन है। आज उस तपस्वी को उन कई बरसों की तपस्या का फल मिल गया। नीरज ने वो कर डाला है जिसकी कल्पना कुछ बरसों पहले तक किसी ने भी नहीं की थी। लेकिन एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर नीरज ने हर भारतीय के मन में ओलिंपिक्स मेडल का बीज बोया और आज पूरा देश नीरज का आभारी नजर आ रहा है। नीरज से समय समय पर बातचीत में उनके व्यक्तित्व के कई पहलू सामने आए।Neeraj Chopra Story: ओलिंपिक गेम्स के 125 सालों के इतिहास में नीरज चोपड़ा ने भारत के लिए ��्रैक एंड फील्ड का पहला मेडल जीता है। यह पहला मेडल ही गोल्ड है। नीरज ने वो कर दिखाया है जो पीढ़ियों तक लोग याद रखने वाले हैं।’जब सफलता की ख्वाहिश आपको सोने ना देजब मेहनत के अलावा और कुछ अच्छा ना लगेजब लगातार काम करने के बाद थकावट ना होसमझ लेना सफलता का नया इतिहास रचने वाला है’आप नीरज चोपड़ा के ट्विटर हैंडल पर जाएंगे तो सबसे पहले आपको ये पंक्तियां नजर आएंगी। ये महज ऊर्जा भरने वाली चंद पंक्तियां नहीं है। ये पंक्तियां नीरज के चरित्र, ट्रेनिंग और सपनों का प्रतिबिंब हैं। ये पंक्तियां बताती हैं कि चकाचौंध से दूर एक स्टार अपनी तपस्या में लीन है। आज उस तपस्वी को उन कई बरसों की तपस्या का फल मिल गया। नीरज ने वो कर डाला है जिसकी कल्पना कुछ बरसों पहले तक किसी ने भी नहीं की थी। लेकिन एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर नीरज ने हर भारतीय के मन में ओलिंपिक्स मेडल का बीज बोया और आज पूरा देश नीरज का आभारी नजर आ रहा है। नीरज से समय समय पर बातचीत में उनके व्यक्तित्व के कई पहलू सामने आए।खुद कभी दावा नहीं ठोकाओलिंपिक्स में भाग लेने जा रहे ऐथलीटों द्वारा मेडल और गोल्ड लाने के दावे ठोकना कोई नई बात नहीं। भले ही वो ऐथलीट दुनिया के टॉप-15 में भी शामिल न हो। नीरज में 18 साल की उम्र में ही एक चैंपियन वाली चमक दिखी थी। सफलता दर सफलता हासिल करने के बावजूद वह हमेशा लो-प्रोफाइल रहे। हकीकत में मेडल का सच्चा दावेदार होने के बावजूद भी उन्होंने कभी ओलिंपिक्स मेडल जीतने का दावा नहीं ठोका। हमेशा यही कहा कि वो अपनी ट्रेनिंग कर रहे हैं और इवेंट में पूरी कोशिश करेंगे। करीब तीन साल पहले एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने के बाद नीरज नवभारत टाइम्स के दफ्तर आए थे। कुछ घंटों की उस विजिट में नीरज से अनगिनत सवाल हुए। अखबार के साथियों के अलावा NBT के पाठकों ने उनसे बार बार यही पूछा कि ओलिंपिक्स में क्या भारत को आप गोल्ड ला कर देंगे? लेकिन उन सवालों से कभी असहज नहीं हुआ और न ही उनके चेहरे के भाव से लगा कि वह कोई दावा कर रहे हैं। उन्होंने सरलता से हर बार मुस्कुराते हुए कहा, ‘जी पूरी कोशिश करूंगा।’इसलिए कटवा लिए बालतब उनके लंबे बालों की भी खूब चर्चा होती थी और उनके लुक की तुलना किसी ‘ग्रीक गॉड’ से की जाती थी। लेकिन ओलिंपिक्स जैसे ‘महा इवेंट’ में भाग लेने से कुछ दिनों पहले नीरज ने अपने इन लंबे बालों की कुर्बानी दे दी। अपने खेल के प्रति पूरी तरह से फोकस नीरज नहीं चाहते थे कि उनके लंबे बालों की वजह से उनके थ्रो में थोड़ी सी भी परेशानी ��ो। वो अपने कंधों पर सिर्फ जैवलीन का भार ही रखना चाहते थे। बालों को कटवाना भले ही बहुत से लोगों की नजरों में बहुत छोटी बात हो, लेकिन नीरज के लिए यह बड़ा कदम था। उन्हें अपने लंबे बाल बहुत पसंद थे, लेकिन ओलिंपिक्स मेडल और उनके बीच एक छोटी सी अड़चन आ जाए, ऐसा वह नहीं चाहते थे।मोबाइल दूर रखकर सोनामौजूदा दौर में सोशल मीडिया से दूर शायद ही कोई खिलाड़ी या ऐथलीट हो, लेकिन नीरज सबसे अलग हैं। जहां हर कोई लगभग हर दिन सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ अपडेट करता है, नीरज हफ्तों, महीनों इससे दूर ही नजर आते हैं। अपनी ट्रेनिंग में डूबे रहने वाले नीरज महीने में कभी कभार ही सोशल मीडिया पर ऐक्टिव होते हैं। उनसे सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखने की वजह पूछने पर उन्होंने कहा था, ‘ट्रेनिंग से समय मिले तो फिर ये सब करूं। इतना थक जाता हूं कि फिर मोबाइल को दूर रखकर सो ही जाता हूं।’ एक समय नीरज के वॉट्सअप नंबर पर डीपी में भी सिर्फ ‘फोकस’ शब्द लिखा था। उनका डीपी खेल और ट्रेनिंग के प्रति उनके फोकस का आइना था।नहीं चाहिए सुर्खियांजकार्ता में एशियन गेम्स के दौरान भारत की स्टार महिला रेसलर विनेश फोगाट के साथ नीरज के अफेयर की अफवाह उड़ी। खबर अखबार में भी आई। लेकिन नीरज नहीं घबराए। इस मसले पर उनसे फोन पर सीधे बात करके उनकी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की। मीडिया उनका पक्ष रखना चाहता था, लेकिन नीरज ने बहुत ही साफगोई से किसी भी प्रतिक्रिया से मना कर दिया। उन्होंने कहा, ‘अगर मैं इस मसले में सफाई दूंगा तो लोग समझेंगे कि जरूर कोई बात है। जबकि ऐसा कुछ है ही नहीं, तो फिर ऐसी बेकार की बातों पर प्रतिक्रिया देने से ऐसी अफवाहों की ही बल मिलेगा।’सर्जरी के बाद भी डिगे नहींएशियन गेम्स में गोल्ड जीतने के बाद बाद नीरज ने कोहनी का ऑपरेशन कराया और इस कारण वह करीब डेढ़ साल मैदान से दूर रहे। जब वह लौटे तो फिर कुछ दिनों बाद दुनिया पर कोरोना का संकट मंडराने लगा, जिसका असर उनकी ट्रेनिंग पर भी पड़ने लगा। उस वक्त वह टर्की में ट्रेनिंग कर रहे थे और उन्हें वापस स्वदेश लौटना पड़ा। उस ओलिंपिक्स के रद्द होने की चिंता हर ऐथलीट के चेहरे पर दिखने लगी थी। उस दौरान हुई बातचीत में नीरज ने उम्मीद जताई कि ओलिंपिक्स हो कर रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘दुआ तो यही रहेगी कि ओलिंपिक्स हों। भले ही कुछ दिनों बात ही हों। अगर ओलिंपिक्स नहीं हुए तो हजारों सपने टूट जाएंगे।’ऐसे आ गए जैवलिन में…देश में ज्यादातर नौजवान भले ही क्रिकेटर्स को अपना रोल मॉडल मानते हों, लेकिन नीरज ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उन्होंने बचपन से ही कभी क्रिकेटर बनने के बारे में नहीं सोचा। उनके अनुसार वह तो खिलाड़ी भी न होते क्योंकि बचपन में उनका वजन ज्यादा था इसलिए घरवालों ने अच्छी फिटनेस हासिल करने लिए उन्हें हर रोज स्टेडियम जाने की सलाह दी। वहां पहुंचने के बाद पहली बार कुछ सीनियर्स को जैवलिन थ्रो करते देखा और किस्मत से उनके हाथों में भी जैवलिन आ गई।
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hindistoryblogsfan · 4 years
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28 सितंबर, सोमवार को ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति से धृति और शुभ नाम के योग बन रहे हैं। इनका सीधा फायदा वृष, कर्क, सिंह, कन्या और वृश्चिक राशि वाले लोगों को मिलेगा। इन 5 राशियों को जॉब और बिजनेस में आगे बढ़ने के मौके मिल सकते हैं। रुका हुआ पैसा मिलने के योग हैं। निवेश और लेन-देन में भी फायदा हो सकता है। एस्ट्रोलॉजर डॉ. अजय भाम्बी के मुताबिक मिथुन, तुला, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों को फायदा तो होगा लेकिन कुछ कामों में रुकावटें भी आ सकती है। इनके अलावा मेष और धनु राशि वाले लोगों को पूरे दिन संभलकर रहना होगा।
एस्ट्रोलॉजर डॉ. अजय भाम्बी के मुताबिक 12 राशियों का फल
मेष - पॉजिटिव- आज का दिन परिवार व बच्चों के साथ समय व्यतीत करने का है। साथ ही शॉपिंग और मनोरंजन संबंधी कार्यों में भी समय व्यतीत होगा। आपके व्यक्तित्व संबंधी कुछ सकारात्मक बातें लोगों के सामने आएंगी। जिसके शुभ परिणाम आपके पक्ष में रहेंगे। नेगेटिव- किसी भी प्रकार की यात्रा को आज स्थगित ही रखें क्योंकि कुछ समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जलन की भावना से कुछ नजदीकी लोग ही आपका अहित करने की कोशिश करेंगे। इसलिए सब तरह से सावधान रहना आवश्यक है। व्यवसाय- कार्यक्षेत्र में थोड़ी सावधानी रखें, क्योंकि दोपहर बाद काम में कुछ गड़बड हो सकती है। कामयाबी की खुमारी में आप अपने करियर में कुछ गलत लक्ष्य का चुनाव ना करें। इसका नकारात्मक प्रभाव आपके व्यक्तित्व पर भी पड़ सकता है। लव- किसी विपरीत लिंगी व्यक्ति के प्रति आकर्षण आपको अपने लक्ष्य से भटका आएगा। जिसका असर आपके करियर तथा घर परिवार पर भी पड़ सकता है। स्वास्थ्य- स्वास्थ्य ठीक रहेगा। परंतु अधिक वजन वाले व्यक्तियों को रक्तचाप व थायराइड जैसी बीमारी गंभीर रूप ले सकती हैं, इसलिए सतर्क रहें। भाग्यशा��ी रंग- केसरिया, भाग्यशाली अंक- 9
वृष - पॉजिटिव- परिवार व रिश्तेदारों के साथ संबंध सौहार्दपूर्ण बनाने में आप कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेंगे। साथ ही बच्चों के भी कामों में मदद करने से उनमें सुरक्षा की भावना आएगी। विचारों का आदान-प्रदान उन्हें किसी नई दिशा का सुझाव दे सकता है। नेगेटिव- परंतु अधिक उदारता आपके लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकती है। कोई आपकी भावना का गलत फायदा उठा सकता है। जिसकी वजह से मन व्यथित रहेगा। विद्यार्थी व युवा वर्ग मौज मस्ती के चक्कर में अपने करियर से किसी प्रकार का समझौता ना करें। व्यवसाय- आज नौकरी पेशा लोग अपने लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम रहेंगे। कोई नई उपलब्धि भी हासिल हो सकती हैं। व्यवसाय में भी नए अनुबंध प्राप्त होने से लाभ के नए मार्ग भी प्रशस्त होंगे। लव- परिवार में सगाई, विवाह जैसी कुछ योजनाएं बनेगी। जिससे घर में उत्सव भरा वातावरण रहेगा। युवा वर्ग डेटिंग इत्यादि का भी आनंद लेंगे। स्वास्थ्य- स्वास्थ्य ठीक रहेगा। परंतु बहुत अधिक व्यस्तता की वजह से थकान जैसी स्थिति अनुभव होगी। साथ ही गर्मी से भी अपना बचाव रखें। भाग्यशाली रंग- नीला, भाग्यशाली अंक- 8
मिथुन - पॉजिटिव- आपके महत्वपूर्ण कार्यों में घर के वरिष्ठ व्यक्तियों का सहयोग आपके लिए भाग्योदय दायक वातावरण तैयार करेगा। हास-परिहास तथा मनोरंजन में भी समय व्यतीत होगा। आपकी कार्यकुशलता में भी वृद्धि होगी। नेगेटिव- किसी प्रकार की जल्दबाजी में आपका बना बनाया काम बिगड़ सकता है। साथ ही क्रोध की स्थिति से भी अपना बचाव करें। अपनी ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करें। आर्थिक मामलों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। व्यवसाय- सहयोगियों और कर्मचारियों के साथ चल रहा कोई मतभेद आज समाप्त होगा। कंप्यूटर और मीडिया से जुड़े व्यवसाय में भी कुछ अवसर प्राप्त होने की उम्मीद है। भूमि संबंधी निवेश की योजना सफल रहेगी इसलिए इस पर अपना अधिक ध्यान केंद्रित रखें। लव- परिवार में सुख शांति बनी रहेगी। विवाह के इच्छुक व्यक्तियों के लिए आज कोई शुभ समाचार मिल सकता है। स्वास्थ्य- चोट व एक्सीडेंट होने जैसी आशंका है। साथ ही एलर्जी जैसी बीमारी भी परेशान कर सकती है। भाग्यशाली रंग- बैंगनी, भाग्यशाली अंक- 8
कर्क - पॉजिटिव- कुछ रचनात्मक करने संबंधी योजनाएं बनेंगी और उन पर कार्य भी होगा। कुछ लोग आपको चुनौती दे सकते हैं परंतु आप उनको स्वीकार करेंगे और सफल भी रहेंगे। धार्मिक क्रियाकलापों की प्रति भी रुझान रहेगा। नेगेटिव- विरोधियों द्वारा कुछ मुश्किलें सामने आएंगी। अब यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप इनसे कैसे विजय प्राप्त कर सकते हैं। आपके पास योजनाएं तो बहुत है परंतु उन्हें क्रियान्वित कैसे करना है, इसमें मुश्किल आएगी। व्यवसाय- कार्यस्थल पर जितनी मेहनत करेंगे उसी के अनुरूप अनुकूल लाभदायक परिस्थितियां बनेंगी। किसी नजदीकी मित्र की सलाह आपके लिए फायदेमंद साबित होगी। इसलिए किसी भी दिक्कत में अनुभवी व्यक्तियों के साथ विचार विमर्श करना उचित रहेगा। लव- घर में किसी मुद्दे को लेकर तनाव उत्पन्न हो सकता है। माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए कुछ मनोरंजन संबंधी कार्यक्रम बनाएं। स्वास्थ्य- गिरने या एक्सीडेंट होने की आशंका है। वाहन या मशीनरी संबंधी उपकरण सावधानीपूर्वक उपयोग में लाएं। भाग्यशाली रंग- पीला, भाग्यशाली अंक- 7
सिंह - पॉजिटिव- रोजमर्रा व दैनिक कार्यों में आज अधिक व्यस्तता रहेगी। आप अपने सभी कार्यों को पूरे जोश और उत्साह से निभाएंगे। घर में किसी नवीन वस्तु की खरीदारी भी संभव है। लोग आपकी योग्यता व प्रतिभा की सराहना करेंगे। नेगेटिव- किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के साथ कोई कहासुनी हो सकती है, जिसकी वजह से रिश्तों में कड़वाहट आएगी। साथ ही आप किसी मुसीबत में पड़ सकते हैं। अतः क्रोध और जल्दबाजी पर नियंत्रण रखें। व्यवसाय- नौकरी तथा व्यवसाय के लिए परिस्थितियां अत्यंत अनुकूल है। रोजमर्रा की आमदनी में वृद्धि होगी एवं आय के नए स्त्रोत भी खुलेंगे। किसी नवीन कार्य की योजना भी बनेगी। इसलिए अपने काम के प्रति एकाग्र चित्त रहें। लव- जीवन साथी से कोई हल्की-फुल्की नोकझोंक हो सकती हैं जो कि समय रहते समाप्त हो जाएगी। किसी बाहरी व्यक्ति का अपने परिवार पर हस्तक्षेप ना होने दें। स्वास्थ्य- गर्मी से अपने आपको बचाकर रखें। सिर दर्द और ब्लड प्रेशर बढ़ने जैसी समस्या हो सकती है। भाग्यशाली रंग- लाल, भाग्यशाली अंक- 4
कन्या - पॉजिटिव- वर्तमान समय सपने साकार करने का है। बुजुर्गों के मार्गदर्शन से मुश्किल राह आसान हो जाएगी। धैर्यपूर्वक किए गए कार्यों का नतीजा भी शुभ मिलेगा। लाभ होगा पर धीमी गति से। नेगेटिव- काम को टालने की प्रवृत्ति नुकसान दे सकती है। परंतु जोखिम भरे कार्यों से दूर रहंे। प्रॉपर्टी संबंधी कोई विवाद भी उठ सकता है, परंतु धैर्य बनाकर रखने से जल्दी ही हल निकलेगा। व्यवसाय- कोशिश करके अपने आर्डर या काम को समय पर पूरा करने का प्रयास करें। तथा कोई नया काम को करने से पहले उसके बारे में पूरी स्टडी कर लेंगे तो ये कार्य आपके लिए अत्यधिक सुगम व लाभदायक सिद्ध होंगे। लव- अत्यधिक व्यस्तता के बावजूद पति-पत्नी के संबंधों में भावनात्मक लगाव बना रहेगा। साथ ही मनोरंजन संबंधी कोई कार्यक्रम भी बनेगा। स्वास्थ्य- चेस्ट संबंधी किसी प्रकार की दिक्कत महसूस हो सकती है। ब्लड प्रेशर व हृदय रोग होने की आशंका है। अपना अत्यधिक ध्यान रखें। भाग्यशाली रंग- क्रीम, भाग्यशाली अंक- 5
तुला - पॉजिटिव- आज अधिकतर समय सुख-सुविधा व मनोरंजन संबंधी कार्य में व्यतीत होगा। जिससे स्वयं को काफी हल्का-फुल्का और ऊर्जा युक्त महसूस करेंगे। भाग्य भी आपका सहयोग कर रहा है। अपने अधूरे कामों को निपटाने का उचित समय है। नेगेटिव- परंतु इस बात का ध्यान रखें कि दिखावे के चक्कर में फिजूलखर्ची हो सकती है। साथ ही कोई बड़ा झूठ बोलना भी भारी पड़ सकता है। विद्यार्थियों का अधिकतर समय दोस्तों के साथ गुजरेगा, जिसकी वजह से पढ़ाई में व्यवधान आएगा। व्यवसाय- प्रॉपर्टी या किसी आर्डर संबंधी डील करते समय कागजात वगैरह की अच्छी प्रकार जांच-पड़ताल अवश्य कर लें। व्यवसायिक ��तिविधियां अभी पूर्ववत ही रहेंगी। तथा लाभ के स्रोत भी मंद रहेंगे। लव- पारिवारिक वातावरण सुखद बनाने में जीवन साथी का पूरा सहयोग रहेगा। परंतु व्यर्थ के प्रेम संबंध में अपना समय नष्ट ना करें। स्वास्थ्य- गर्मी जनित परेशानी महसूस हो सकती है। सिर में दर्द जैसी शिकायत भी रहेगी। भाग्यशाली रंग- हरा, भाग्यशाली अंक- 6
वृश्चिक - पॉजिटिव- आज का ग्रह गोचर इंगित कर रहा है कि दूरदराज रह रहे संबंधियों और मित्रों से पुनः संपर्क स्थापित करें��� यह संपर्क आपके व उनके लिए भी फायदेमंद साबित होंगे। भाग्य आपका साथ दे रहा है। अपनी ऊर्जा का भरपूर उपयोग करें। नेगेटिव- इस बात का ध्यान रखें कि किसी को भी बिन मांगे सलाह ना दें। वरना इसका खामियाजा आपको ही भुगतना पड़ सकता है। साथ ही अपने गुस्से पर भी काबू रखें। संतान के साथ भी कुछ समय अवश्य व्यतीत करें। व्यवसाय- व्यवसायिक गतिविधियों में पिछले कुछ दिन से सुधार तो आ रहा है परंतु अभी स्थिति ज्यादा लाभदायक नहीं है इसलिए बजट बनाकर रखना अति आवश्यक है। नौकरी में आपके कार्यों की सराहना होगी। तथा उच्चाधिकारियों के साथ संबंध भी अच्छे रहेंगे। लव- व्यवसाय और परिवार दोनों में समन्वय बनाकर रखें। परिवार का कोई महत्वपूर्ण कार्य आपके मार्गदर्शन में पूर्ण होगा। स्वास्थ्य- स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। किसी प्रकार की चिंता ना करें। सिर्फ हल्का-फुल्का तनाव रह सकता है। भाग्यशाली रंग- केसरिया, भाग्यशाली अंक- 9
धनु - पॉजिटिव- घर में किसी नजदीकी रिश्तेदार या मित्रों के आगमन से खुशनुमा माहौल रहेगा। आवभगत में अधिकतर समय व्यतीत होगा। साथ ही खुलकर खर्च करने की भी इच्छा बनी रहेगी। घर में बच्चे की किलकारी संबंधी शुभ सूचना मिलने से खुशी भरा वातावरण रहेगा। नेगेटिव- जमीन-जायदाद से संबंधित मामलों में दिक्कत आ सकती हैं। जिसकी वजह से वाद-विवाद की स्थिति भी बनेगी। कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले उस पर गंभीरता से सोच-विचार कर लें। बेहतर होगा कि किसी अनुभवी व्यक्ति की सलाह भी अवश्य लें। व्यवसाय- किसी अनजान व्यक्ति से अपने व्यवसाय संबंधी कोई भी बातचीत या विचार विमर्श ना करें। दूसरों की दी गई सलाह आपके लिए नुकसानदेह हो सकती हैं। बेहतर होगा कि आज कोई महत्वपूर्ण निर्णय ना लें। सरकारी सेवारत लोगों को काम की अधिकता की वजह से तनाव रह सकता है। लव- विवाहेतर संबंध बनने की संभावना है। समय रहते इन सब कार्यों से दूर रहें और घर की खुशियों में ही अपनी खुशी महसूस करें। स्वास्थ्य- स्वास्थ्य ठीक रहेगा। परंतु अकारण ही किसी चिंता से नींद ना आने जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। मेडिटेशन पर ध्यान अवश्य दें। भाग्यशाली रंग- ऑरेंज, भाग्यशाली अंक- 3
मकर - पॉजिटिव- इस समय भाग्य लाभदायक उपलब्धियां देने वाला है। सिर्फ आपको अपने कार्यों के हर पहलू पर विचार करके उस पर काम करने की जरूरत है। लाभ के नए मार्ग भी प्रशस्त होंगे जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी। नेगेटिव- कभी-कभी सभी को खुश रखने की प्रवृत्ति आपके लिए नुकसानदायक स्थितियां भी उत्पन्न कर देती है। इसलिए अपने दिखावे की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाएं। अपने कार्यों के प्रति ज्यादा एकाग्र चित्त रहें। व्यवसाय- कार्यक्षेत्र में कोशिश करके सभी निर्णय स्वयं ही लें। दूसरों पर अधिक विश्वास करना नुकसान दे सकता है। कलात्मक तथा मीडिया क्षेत्र से जुड़े व्यवसाय में आज अप्रत्याशित लाभ होने की उम्मीद है। नौकरी पेशा व्यक्ति अपने सहयोगियों के साथ संबंध खराब ना करें। लव- विवाहित संबंधों में मधुरता रहेगी। तथा पारिवारिक वातावरण भी खुशनुमा बना रहेगा। प्रेम संबंधों से संबंधित कोई भूमिका बन सकती है। स्वास्थ्य- शरीर में कुछ कमजोरी रहेगी। अपना इम्यून सिस्टम मजबूत रखें। कुछ समय प्रकृति के सानिध्य में भी व्यतीत करें। भाग्यशाली रंग- सफेद, भाग्यशाली अंक- 8
कुंभ - पॉजिटिव- आज कोई महत्वपूर्ण निर्णय ना लेकर वर्तमान गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित रखें। साथ ही परिवार के सदस्यों का सहयोग भी आपके लिए लाभदायक रहेगा। आज कोई महत्वपूर्ण सूचना भी मिलेगी, उस पर गंभीरता से विचार करें। नेगेटिव- किसी महत्वपूर्ण वस्तु के खोने या चोरी होने की आशंका से तनाव रह सकता है। परंतु वस्तु घर पर ही मिल जाएगी इसलिए ज्यादा टेंशन ना लें। चचेरे भाई-बहनों के साथ संबंधों में खटास आ सकती है। इस समय आपका शांत बने रहना ही उचित है। व्यवसाय- व्यवसाय में कर्मचारियों व सहयोगियों पर आपका विश्वास व उचित व्यवहार उनकी कार्य क्षमता को बढ़ाएगा। उनकी सलाह भी आपके लिए लाभदायक रहेगी। नौकरीपेशा व्यक्ति सचेत रहें ऑफिस में किसी प्रकार की राजनीति चल सकती हैं। लव- जीवनसाथी का सहयोग आपके मनोबल व ऊर्जा को बनाकर रखेगा। आपका उन्हें कोई तोहफा देना संबंधों में और अधिक नजदीकियां लेकर आएगा। स्वास्थ्य- खानपान व दिनचर्या को संयमित तथा व्यवस्थित रखें। पेट संबंधी कोई दिक्कत उत्पन्न हो सकती है । भाग्यशाली रंग- हरा, भाग्यशाली अंक- 7
मीन - पॉजिटिव- आज कोई रुकी हुई पेमेंट मिलने से आर्थिक स्थिति अच्छी होगी। इस समय लाभ संबंधी ग्रह स्थितियां बनी हुई है। समय का भरपूर सहयोग करें। साथ ही अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पण आपके लिए नई उपलब्धियां बना रहा है। नेगेटिव- काम की अधिकता के कारण कुछ गुस्सा हावी रहेगा, साथ ही स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन आ सकता है। बच्चों की समस्याओं को सुलझाने में आपका सहयोग उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा। व्यवसाय- व्यवसाय में अभी वर्तमान परिस्थितियों पर अपना ध्यान केंद्रित रखें। अभी नई योजनाएं बनाने के लिए समय पक्ष में नहीं है। परंतु जल्दी ही परिस्थितियां आपके पक्ष में होंगी इसलिए उचित समय का इंतजार करें। लव- पति-पत्नी दोनों घर तथा व्यवसाय में सामंजस्य बनाकर चलेंगे। जिससे पारिवारिक तथा आपसी संबंधों में मधुरता बनी रहेगी। स्वास्थ्य- स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। परंतु ब्लड प्रेशर संबंधी समस्या जैसी दिक्कत हो सकती है। अपनी मनः स्थिति सामान्य बनाकर रखें। भाग्यशाली रंग- लाल, भाग्यशाली अंक- 3
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Aaj Ka Rashifal (Horoscope Today) | Daily Rashifal (28th September 2020), Daily Zodiac Forecast: Singh Rashi, Kanya, Aries, Taurus, Gemini Cancer Libra, And Other Signs
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रोज़ाना 5 रुपए दिहाड़ी पाने वाली ज्योति रेड्डी ने विदेश में खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी कहावत है कि सपने उन्हीं के सच होते हैं,जो सपने देखना किसी भी हाल में नहीं छोड़ते हैं। ऐसी ही कहानी है एनआरआई, ज्योति रेड्डी की, जिन्होंने जिंदगी में चल रही तमाम मुश्किलों को दरकिनार कर अपनी काबिलियत और मेहनत के बल बूते मात्र 5 रुपए रोज की मेहनताना से करोड़ों तक का सफर तय किया है। ज्योति का जन्म तेलंगाना के वारांगल जिले के एक गरीब परिवार में हुआ था, बचपन में उनकी मां का देहांत हो गया था। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से उनके परिवारवालों ने उन्हें एक अनाथालय में छोड़ दिया, यही रहकर ज्योति ने मन लगाकर पढ़ाई करनी शुरू कर दी और 10वीं का एग्जाम उन्होंने फर्स्ट डिवीजन से पास किया। लेकिन गरीबी के चलते वो आगे की पढ़ाई नहीं कर पाई। घर की माली हालत ठीक न होने के चलते उन्होंने पढाई छोड़कर खेतों में काम करना शुरू कर दिया। जहां उस वक़्त उन्हें मजदूरी के रूप में सिर्फ 5 रुपये मिलते थे। लेकिन ज्योति की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि 16 साल की उम्र में उनकी शादी उनसे 10 साल बड़े एक व्यक्ति से कर दी गई थी। शादी के दो साल बाद ही ज्योति 2 बच्चियों की मां बन चुकी थी,लेकिन घर की आर्थिक हालात ठीक न होने के चलते बच्चियों की परवरिश में मुश्किलें आने लगी। ऐसे में ज्योति एक बार फिर खेत में काम करने लगी। घर में पैसे की तंगी के चलते पति और पत्नी के बीच रोज झगड़े भी होते थे.लेकिन ज्योति ने सोच लिया था कि चाहें कुछ भी हो जाए अपने बच्चों को एक अच्छी जिंदगी जरूर देनी है, ज्योति ने मन ही मन सोचा जो तकलीफें मुझे उठानी पड़ी वो बच्चियों को नहीं उठाने दूंगी। ज्योति को खेत में काम करने के दौरान सिर्फ पांच रुपए का मेहनताना मिलता था, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मेहनत के साथ कार्य को जारी रखा। खेत में काम करने के साथ ही ज्योति ने कुछ लोगों से मिलना - जुलना शुरू कर दिया और कुछ समय बाद ज्योति को केंद्र सरकार की एक स्कीम के तहत नेहरू युवा केंद्र से जुड़ने का मौका मिला। इस संस्थान से जुड़ने के बाद उन्होंने फिर से अपनी पढ़ाई और साथ ही टाइपिंग भी करनी शुरू कर दी। कुछ समय बाद उन्होंने एडल्ट एजुकेशन टीचर के रूप में एक स्कूल में पढ़ाना शुरू किया और उस वक़्त उनकी मासिक आमदनी 120 रुपये थी। इस पैसे से वो बच्चों के लिए फल और दूध खरीद कर ले जाती थी। लेकिन उनके पति को उनका काम करना पसंद नहीं था, इसके बावजूद भी उन्होंने अपने काम को जारी रखा। 1992 में उन्हें 70 किलोमीटर दूर एक स्कूल में स्पेशल टीच https://www.instagram.com/p/CE6HPATgqCe/?igshid=4da4os809z4w
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पुराने समय की बात है। उस समय संत महापुरुष घूमते फिरते किसी किसी स्थान पर महीने दो महीने के लिए रुक जाया करते थे। ऐसे ही एक गाँव में एक संत आए हुए थे। उस समय गाँव के लोग बिजाई के लिए अपना अपना खेत तैयार कर रहे थे। एक लड़का उन संत का शिष्य हो गया और बड़े भाव से गुरू जी की सेवा करने लगा। वह अपने गुरू जी की सेवा में इतना तल्लीन हो गया कि उसे अपना खेत तैयार करने की सुध ही न रही, बीज बोने की बात तो दूर रही। विदाई का समय आया तो सब गाँव वाले इक्कट्ठे हुए। उनकी आपस की चर्चा से गुरू जी ने जान लिया कि यह लड़का तो इस वर्ष खेती से वंचित ही रह जाएगा। उनके झोले में और तो कुछ था नहीं। बस वे संत रास्ते के लिए अपने साथ कुछ पेठे के बीज रखा करते थे, जब भूख लगती थी तो खा लेते थे। तो झोले से पेठे के बीज ही निकाल कर उस लड़के को दे दिए। गुरू जी का प्रसाद समझकर, उस लड़के ने वे बीज अपने घर के आँगन में ही बो दिए। समय पाकर उसके आँगन में पेठे पैदा हो गए। शिष्य ने विचार किया कि यह तो मेरे गुरू जी की कृपा का फल है, इन पेठों को बेचना नहीं चाहिए, इन्हें तो घर में ही प्रयोग करना चाहिए। उसने एक पेठा काटा। पर उसकी हैरानी की कोई सीमा न रही जब उसने देखा कि उस पेठे के भीतर कोई बीज नहीं थे, बल्कि वह तो हीरों से भरा था। धीरे धीरे यह खबर सारे गाँव में फैल गई। अब तो सभी गाँव वाले, उन संत की ही प्रतीक्षा करने लगे। अगले वर्ष वे संत उसी गाँव में दोबारा आए तो सारा गाँव ही उनका शिष्य हो गया और उनकी सेवा में जुट गया। वे संत की सेवा करते और हीरे पाने की कल्पना कर, दिन रात अपने सुखद भविष्य के सपने बुना करते। इस प्रकार जानबूझ कर किसी ने भी खेत नहीं बोया। जब गुरू जी जाने लगे तो सब गाँव वाले गुरू जी को ले जा कर, अपना अपना खाली खेत दिखाने लगे और बीज माँगने लगे। गुरू जी भी झोले में से पेठे के बीज निकाल निकाल सबको देते चले। गुरू जी के जाते ही, गाँव वाले गुरू जी को भूल कर, उन बीजों को बोने में लग गए। फसल आने पर गाँव भर में पेठे ही पेठे हो गए, पर जब पेठे काटे तो वहाँ हीरा नाम की चीज नहीं थी, बीज ही बीज निकलने लगे। बेचारों ने वर्ष भर पेठे ही खाकर गुजारा किया। लोकेशानन्द कहता है कि कर्म ही पेठा है। आत्मा, परमात्मा ही हीरा है। कर्म तो सभी ने किया। एक जैसा किया। पेठे के बीज भी सभी को मिले। पेठे भी सभी के लगे। पर सभी को एक जैसा फल नहीं मिला। क्योंकि भाव में अंतर था। जिसने कर्म को सच्चे भाव से किया वो आत्मा रुपी हीरा पा गया। कर्म सही भाव से हो तो ही अर्थ है, वरना कर्म व्यर्थ है। https://www.instagram.com/p/CBi0L1oH8T7/?igshid=i9tlbiegpfu3
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merisahelimagazine · 4 years
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कहानी- कतराभर रूमानियत (Short Story- Katrabhar Rumaniyat)
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इस तरह से कमरे में अकेले एक अनजान लड़के के साथ. दुर्गा भी बाहर गई हुई थी. वह लड़का लेकिन बड़ी सहजता से उसके हाथ पर दवाई लगा रहा था. उनकी संस्कृति में इसे अजीब नज़रों से नहीं देखा जाता. चित्रा उसके स्पर्श से भीतर कहीं संकोच से भरकर असहज भी हो रही थी और रोमांचित भी. पहली बार ही तो था कि किसी लड़के ने उसका हाथ पकड़ा था, उसे स्पर्श किया था.
घर के सभी कामों से फुर्सत पाकर चित्रा ने अपना मोबाइल उठाया और फेसबुक खोलकर बैठ गई. पहले दोपहरभर समय काटने का साधन उपन्यास, कहानियां हुआ करते थे, फिर टीवी सीरियल आ गए और अब ये मोबाइल. पांच इंच के स्क्रीन पर पूरी दुनिया समाई है. पिछले साल छोटा बेटा अमेरिका से आया था, तो साधारण फोन की जगह ये स्मार्टफोन दिलवा गया था और साथ ही फेसबुक, मेल, व्हाट्सएप भी इंस्टॉल करके गया था दोनों फोन पर उनके और रमेश के. दोनों के फेसबुक और व्हाट्सअप अकाउंट भी बना दिए और उन्हें अपने फ्रेंड लिस्ट में भी जोड़ लिया.
“अब हम रोज़ वीडियो कॉल करके आपको देख सकेंगे और फेसबुक पर एक-दूसरे के फोटो भी देख पाएंगे.” बेटे ने बताया.
तब से दोनों नियम से अपना फेसबुक देखते हैं. देखते-ही-देखते घर-परिवार,
जान-पहचानवाले कितने ही लोग उनसे जुड़ गए. आभासी दुनिया की निकटता ने काफ़ी हद तक वास्तविक दुनिया की दूरियों के दर्द को मिटा दिया था. दोनों बेटों, बहुओं, पोते-पोतियों को रोज़ सामने हंसते-खेलते घर में घूमते हुए देखकर अब तो ये एहसास ही नहीं होता कि वे साथ नहीं हैं. सुबह-शाम खाने में क्या बना है, किसने क्या पहना है. मीनू ने क्या ड्रॉइंग बनाई है या मनु ने आज क्या शरारत की सब हाल पता होते हैं. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में लंदन, न्यूयॉर्क औैर भोपाल सब पांच इंच स्क्रीन पर एक हो जाते, तो लगता जैसे एक ही ड्रॉइंगरूम में सब बैठे हैं, वरना तो जब तक ये फोन नहीं था आंखें तरस जाती थीं बच्चों और पोते-पोतियों को देखने को और दिन काटे नहीं कटता था.
“अरे, देखो तो अनुज ने अपने सिएटल प्रवास के फोटो भी डाल दिए हैं.” चित्रा ने रमेश को बताया, तो वे भी अपना अकाउंट खोलकर अनुज के फोटो देखने लगे. यूं तो वे जब भी साल-दो साल में अनुज के पास अमेरिका जाते हैं अनुज उन्हें आसपास के शहरों में घुमा ही देता है, लेकिन तब भी बहुत सारा अमेरिका, इंग्लैंड तो उन्होंने अनुज-मनुज के डाले फोटो या वीडियो कॉल में ही देख डाला था.
थोड़ी देर बाद रमेश तो दोपहर की झपकी लेने चले गए, लेकिन चित्रा वहीं बैठी रही. किसी की फ्रेंड रिक्वेस्ट थी. देखा कोई अलेक्सांद्रे था. पहचान न हो, तो वे फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नहीं करती. इसे भी उन्होंने अनदेखा कर दिया. एक-दो संदेश भी थे. एक इंदौरवाली बहन का था और दूसरा अलेक्सांद्रे का. उत्सुकतावश उन्होंने संदेश पढ़ा कि एक अनजान व्यक्ति उन्हें क्यों संदेश भेज रहा है. लिखा था- ‘हेलो चित्रा, कैसी हो? इतने बरसों बाद तुम्हें यहां देखकर अच्छा लगा. उम्मीद है, मैं तुम्हें याद होऊंगा. फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी है, प्लीज़ स्वीकार कर लेना. बहुत-सी बातें करनी हैं तुमसे. संदेश का जवाब ज़रूर देना मैं प्रतीक्षा कर रहा हूं.”
पढ़कर चित्रा सोच में पड़ गई. लिखनेवाले के एक-एक शब्द में अपनापन और आत्मीयता झलक रही थी. जिस तरह से उसने चित्रा का नाम लेकर लिखा था, उससे ज़ाहिर था कि वो उसे अच्छे से पहचानता था, लेकिन वह तो इस नाम के किसी व्यक्ति को जानती नहीं. कौन है यह महानुभाव. उसने उसकी प्रोफाइल खोलकर उसके फोटो देखना शुरू किए. क़रीब उसी की आयु का एक व्यक्ति, जो क़दकाठी और चेहरे से सुखी, संतुष्ट लग रहा था. आयु की एक ओजस्वी और गौरवमयी छाप थी चेहरे पर. उसके घर और परिवार के फोटो भी थे. पत्नी, तीन बच्चे, घर. लेकिन तब भी उसका चेहरा नितांत अपरिचित ही लग रहा था. याद नहीं आ रहा था कभी अनुज-मनुज के यहां इंग्लैंड, अमेरिका के प्रवास के दौरान ऐसे किसी भी व्यक्ति से उसकी कोई जान-पहचान हुई होगी. वह आगे और फोटो देखने लगी. मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी...
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और उसके बाद ही एक 20-22 वर्षीय युवक का श्‍वेत-श्याम चित्र जिस पर नीचे लिखा था- अलेक्से.
चित्रा के दिल पर जैसे किसी ने एक अनजान-सी दस्तक दी. एक अनूठी-सी याद जो ठीक से अभी तक स्मृतियों में उभर भी नहीं पा रही थी, लेकिन कुछ अस्पष्ट-सी छवियां मन में कौंध रही थीं. मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी, विंग-ए, विंग-डी. चारों तरफ़ फैली ब़र्फ की चादर. हाथ में सामान के थैले पकड़े एक तरुणी, ब़र्फ की चादर पर संभलकर पैर रखते हुए अपने विंग की ओर बढ़ती हुई.
चित्रा ने अलेक्सांद्रे का संदेश दोबारा पढ़ा. हां, रशियन में ही तो लिखा है. तब उन्होंने भाषा पर ध्यान ही नहीं दिया था और तब अचानक ही 42-44 साल पुरानी एक स्मृति मानस पटल पर चलचित्र की भांति चलने लगी. तब वो 21-22 साल की थी. उन दिनों रशियन भाषा सीखने का काफ़ी चलन था. भोपाल में भी एक इंस्टीट्यूट था, जिसमें रशियन भाषा पढ़ाई जाती थी. उसे भी रशियन भाषा सीखने का मन हुआ और उसने ज़िद करके इंस्टीट्यूट में प्रवेश ले लिया. कुशाग्र बुद्धि चित्रा बड़ी लगन से सीखने लगी और हर टेस्ट में अव्वल आती. जब चार साल का कोर्स पूरा हो गया, तब इंस्टीट्यूट की तरफ़ से सालभर का डिप्लोमा कोर्स करने के लिए मॉस्को जाने का स्वर्णिम अवसर मिला. मां चाहती थी कि चित्रा अब शादी करके घर बसा ले, उम्र भी बीस पार हो चुकी थी, लेकिन पिताजी ने चित्रा की इच्छा का मान रखते हुए जाने की अनुमति दे दी और चित्रा चली आई थी सैकड़ों मील दूर अनजान देश की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने. अब तो यह सब एक सपने जैसा लगता है. भाग्य से उसे रूममेट आंध्र प्रदेश की रहनेवाली एक लड़की दुर्गा ही मिली. दूर पराये देश में कोई स्वदेशी मिलना तब किसी बहुत अपने, आत्मीयजन के मिलने जैसा ही सुखद लगा था दोनों को और जल्दी ही दोनों बहुत पक्की सहेलियां बन गईं.
चित्रा को रूम विंग-ए में मिला था और विंग-डी में कुछ दुकाने थीं, जहां ब्रेड, फल, सब्ज़ी आदि मिल जाया करता था. हर मंज़िल पर दो कॉरिडोर के मध्य एक किचन था, जिसमें गैस चूल्हे और कुछ बर्तन आदि रखे थे. यहां विद्यार्थी अपनी सुविधा से अपना खाना बना लिया करते थे. खाना अर्थात् सब्ज़ी या ऑमलेट और ब्रेड के साथ खा लेना. चित्रा तो अंडा खाती नहीं थी, तो अपने लिए गोभी-मटर कुछ बना लेती. क्लासेस के बाद वह अपनी किताब लेकर रूम की खिड़की के पास बैठ जाती और बाहर होता स्नो फॉल देखती रहती. उसे ब़र्फ गिरते देखना बहुत अच्छा लगता था. दुर्गा ने उसे बता दिया था कि ब़र्फ पर बहुत संभलकर चलना, ज़रा-सा ध्यान चूका और आप फिसलकर गिरे.
चित्रा बहुत ध्यान रखती, संभलकर चलती, तब भी एक दिन... वह डी-विंग से फल-सब्ज़ी के भरे दो बैग थामे अपने विंग की ओर लौट रही थी. समय देखने के लिए क्षण भर को उसने विंग के टॉवर पर लगी घड़ी की तरफ़ देख लिया और...
क्षणभर में ही वह फिसलकर धड़ाम से गिर पड़ी. हाथों से बैग छूट गए और फल-सब्ज़ी सब बिखर गए. थोड़ी देर तो दर्द और शर्म से वह सुन्न-सी पड़ी रही कि अचानक एक कोमल मगर मज़बूत हाथ ने उसे थामकर सहारा देकर उठाया.
“आपको ज़्यादा चोट तो नहीं आई. आप दो मिनट रुकिए मैं अभी आपका सामान समेट लेता हूं.” एक लड़के की आवाज़ थी यह.
वह तो हतप्रभ-सी खड़ी रह गई. उस लड़के ने जल्दी-जल्दी सारा सामान बैग में भरा. फिर चित्रा का हाथ थामकर बोला, “आइए, मैं आपको कमरे तक पहुंचा दूं.”
चित्रा यंत्रवत उसके साथ चलने लगी. उसे तो यह भी नहीं मालूम था कि यह लड़का है कौन.
“अरे, आपको तो चोट लग गई है.” कमरे में उसका सामान टेबल पर रखते हुए उसने चित्रा का हाथ पकड़कर सामने किया. कांच की चूड़ियां टूटकर कलाई में चुभ गई थीं और ख़ून बह रहा था.
“मेरे पास फर्स्ट-एड बॉक्स है, मैं अभी लाकर पट्टी बांध देता हूं.” इससे पहले कि चित्रा कुछ कहती वह चला गया और दो मिनट में ही वापस आकर उसके हाथ की ड्रेसिंग करने लगा. अब तक वह काफ़ी संभल चुकी थी. उसे संकोच हो आया. भारतीय संस्कार, पारिवारिक रूढ़ियां मन को घेेरने लगीं. इस तरह से कमरे में अकेले एक अनजान लड़के के साथ. दुर्गा भी बाहर गई हुई थी. वह लड़का लेकिन बड़ी सहजता से उसके हाथ पर दवाई लगा रहा था. उनकी संस्कृति में इसे अजीब नज़रों से नहीं देखा जाता. चित्रा उसके स्पर्श से भीतर कहीं संकोच से भरकर असहज भी हो रही थी और रोमांचित भी. पहली बार ही तो था कि किसी लड़के ने उसका हाथ पकड़ा था, उसे स्पर्श किया था.
अब चित्रा ने उसे नज़रभर देखा. सुनहरे घुंघराले बाल, गोरा-चिट्टा रंग, लंबा क़द, सुंदर नाक-नक्श, नीली आंखें.
“लो हो गया. कुछ ज़रूरत पड़े, तो मैं पीछेवाले कॉरिडोर में रूम नंबर पांच में रहता हूं. अरे, मैंने अपना नाम तो बताया ही नहीं, न तुम्हारा पूछा. मेरा नाम अलेक्सांद्रे है, सब लोग मुझे अलेक्से कहते हैं. तुम्हारा नाम क्या है?” अलेक्से ने पूछा.
“मेरा नाम चित्रा है.” चित्रा ने बताया.
“तुम भारतीय हो न?” अलेक्से ने उसके माथे पर लगी बिंदी को देखते हुए कहा.
“हां.” चित्रा ने संक्षिप्त उत्तर दिया.
“तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय बना लाता हूं.” और इससे पहले कि चित्रा उसे मना करती वह चला गया और थोड़ी देर बाद दो कप चाय और ब्रेड ले आया. चाय पीते हुए उसने थोड़ी-बहुत चित्रा के घर-परिवार के बारे में बात की और एक बार फिर से अपना कमरा नंबर बताकर चला गया. जाते हुए एक गहरी नज़र से उसे देखते हुए बोला, “कोई भी ज़रूरत हो, तो मुझे बता देना.”
चित्रा उसकी नज़र से सिहर गई. उसने हां में सिर हिला दिया. दुर्गा दो दिन के लिए बाहर गई थी. दो दिन अलेक्से ही उसके लिए सुबह की चाय बना लाता, ब्रेड सेंक देता. दोपहर और रात में उसके लिए मक्खन और नमक डालकर फूलगोभी उबाल देता, ताकि वह ब्रेड के साथ खा सके. और ख़ुद भी उसके साथ ही उसके कमरे में ही खा लेता. उसे हाथ पकड़कर क्लास में पहुंचा आता और शाम को वापस कमरे में छोड़ देता. चित्रा सोचती इस देश के लोगों के लिए यह सब कितना सहज है. न कोई उन्हें ग़लत निगाह से देखता है, न टोकता है. यही वे दोनों अगर भारत में होते, तो अब तक तो उन्हें लेकर न जाने कितनी बातें बन गई होतीं, न जाने कितने पहरे लग गए होते दोनों पर.
तमाम पारंपरिक, संस्कारित रूढ़ियों के बंधन में बंधे होने के बाद भी मन में न जाने कब अलेक्से के प्रति एक रूमानियत का बीज पनप गया. चित्रा ने मगर उसे सींचा नहीं, अंकुरित नहीं होने दिया. तटस्थता की रूखी-सूखी ज़मीन पर उसे पटककर रखा. वह अपने घर-समाज की वर्जनाएं जानती थी. और उसमें उन वर्जनाओं के बंधनों को तोड़ने का, अपने पिता के विश्‍वास को तोड़ने का साहस नहीं था. और न ही कभी अलेक्से ने अपनी सीमाओं का उल्लंघन करके ऐसी कोई बात ही कही. किन्तु क्या उसकी आंखों में कभी कुछ दिखाई नहीं दिया चित्रा को? चित्रा के मन की भीतरी परतों में यदि रूमानियत का एक बीज उत्पन्न हो गया था अलेक्से के प्रति, तो अलेक्से की आंखोंं में भी तो कतराभर रूमानियत लहरा जाती थी चित्रा के प्रति. लेकिन शायद वह भी भारतीय समाज से परिचित होगा अथवा उसमें भी अपने परिवार में एक विदेशी लड़की को बसा देने का साहस न होगा. अलेक्से की आंखों में लहराता रूमानियत का कतरा कभी शब्द बनकर होंठों तक नहीं आया.
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उसका स्पर्श, लेकिन चित्रा के जिस्म पर वर्षों तक छाया रहा. मन में प्रेम का पहला एहसास, तो उसी ने जगाया था. कोर्स पूरा होने पर चित्रा भारत वापस आ गई और आनन-फानन में मां ने उसका विवाह करवा दिया. वह स्कूल में रशियन भाषा की शिक्षिका बन गई. नौकरी, पति, बच्चे, घर-गृहस्थी की व्यस्तता में चित्रा ऐसी उलझी कि नीली आंखों की वह उजासभरी रूमानियत का बीज न जाने किन अंधेरों में गुम हो गया. फिर भी जीवन की कुछ रूखी वास्तविकताओं के बीच एक अनजान कोमल स्पर्श उसे सहला जाता. तब चित्रा को कभी मालूम ही नहीं पड़ा, लेकिन आज वह समझ पाई है. यह वही अलेक्से की आंखों में लहराता कतराभर रूमानियत का भीगा-सा एहसास ही था, जिसने चित्रा का मन जीवन के इस तपते बंजर मरुस्थल में भी भीतर से हमेशा हरा रखा. वरना आम भारतीय पतियों की तरह ही रमेश के लिए भी पति-पत्नी का रिश्ता बंद, अंधेरे कमरे में मात्र देह की संतुष्टि तक ही सीमित था. उसमें किसी सुकुमार, कोमल भावना की जगह ही कहां रही कभी, जिसके लिए वह उम्रभर तरसती रही.
लेकिन चाहे हज़ारों मील दूर ही सही, उसके अनजाने ही सही एक पुरुष के मन में उसके लिए कभी कतराभर रूमानियत रही थी और शायद अब भी है, तभी वह अभी तक भी चित्रा को भूला नहीं है. यह एहसास ही कितना सुखद है, इस उम्र में भी. अब प्रेमी या पति रूप में न सही, मगर इस एहसास को सच्ची दोस्ती के रूप में तो सहेज ही सकती है. निभा भी सकती है. और चित्रा ने मुस्कुराते हुए अलेक्से की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली और उसके संदेश का जवाब देने लगी.
डॉ. विनीता राहुरीकर
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