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#समलैंगिकता
rightnewshindi · 21 days
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History 6 September; आज के दिन सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से किया था बाहर, पढ़ें 6 सितंबर का इतिहास
History 6 September:  6 सितंबर का दिन (6 september ka itihas) भारत और विश्व इतिहास (aaj ka itihas) की नजरों से देखें तो काफी अहम है.आज ही के दिन 6 सितंबर 1889 को शरतचंद्र बोस का जन्म हुआ था. दरअसल शरतचंद्र बोस (Sarat chandra Bose), नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई थे. ऐसा कहा जाता है कि जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) को अंग्रेजों ने उनके घर पर नजरबन्द कर दिया था उस समय वो…
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thelunchbox2013 · 11 months
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desparately need a tshirt that says i <3 समलैंगिकता
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ahnewsworld · 2 years
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डेविड बेकहम कतर विश्व कप में अपनी राजदूत की भूमिका की आलोचना का जवाब देते हैं
डेविड बेकहम कतर विश्व कप में अपनी राजदूत की भूमिका की आलोचना का जवाब देते हैं
सीएनएन — इंग्लिश फ़ुटबॉल के दिग्गज डेविड बेकहम ने कतर के राजदूत के रूप में अपनी भूमिका को लेकर हो रही आलोचना को संबोधित किया है विश्व कपयह कहना “सकारात्मक है कि प्रमुख मुद्दों के बारे में बहस सीधे क्षेत्र में आयोजित होने वाले पहले विश्व कप से प्रेरित हुई है।” ब्रिटिश कॉमेडियन जो लाइकेट कतर के मानवाधिकार रिकॉर्ड, विशेष रूप से समलैंगिकता पर अपने रुख, जो कि खाड़ी राज्य में अवैध है, के कारण बेकहम…
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lok-shakti · 2 years
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मुस्लिम लीग ने लिंग-तटस्थ वर्दी और 'मिश्रित बैठने' के केरल सरकार के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई
मुस्लिम लीग ने लिंग-तटस्थ वर्दी और ‘मिश्रित बैठने’ के केरल सरकार के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई
मंगलवार, 13 दिसंबर को, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के नेता और पूर्व विधायक अब्दुर्रहीमन रंधानी ने यह कहते हुए विवाद खड़ा कर दिया कि स्कूलों में मिश्रित बैठने, लिंग-तटस्थ वर्दी, और कई अन्य शैक्षिक सुधार छात्रों के बीच “हस्तमैथुन और समलैंगिकता” को बढ़ावा देंगे। रंदथानी ने मंगलवार को कन्नूर में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के विरोध कार्यक्रम में केरल में वामपंथी सरकार के प्रस्तावित…
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balajeenews · 2 years
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कतर की राजकुमारी:-मैं अपने भाइयों से शादी नहीं करना चाहती थी
कतर की राजकुमारी:-मैं अपने भाइयों से शादी नहीं करना चाहती थी
कतर की एक राजकुमारी को ब्रिटेन में शरण लेनी पड़ी है क्योंकि उसे डर सता रहा है कि ट्रांसजेंडर होने की वजह से उसे ��्रताड़ित किया जा सकता है। फीफा वर्ल्ड कप 2022 की मेजबानी करने वाले खाड़ी देश में समलैंगिकता पर प्रतिबंध है। कुछ लीक दस्तावेजों के हवाले से संडे टाइम्स ऑफ लंदन ने ट्रांसजेंडर प्रिंसेस की कहानी दुनिया के सामने उजागर की है।दस्तावेजों के अनुसार, राजकुमारी कतर के शासक परिवार अल थानी की…
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telnews-in · 2 years
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No Central Nod For Transfer of Judge Who Made Headlines During Delhi Riots
No Central Nod For Transfer of Judge Who Made Headlines During Delhi Riots
न्यायमूर्ति एस मुरलीधर 2009 में समलैंगिकता को वैध बनाने वाली उच्च न्यायालय की पीठ का हिस्सा थे। नई दिल्ली: केंद्र ने मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित न्यायमूर्ति एस मुरलीधर के नाम को अभी तक मंजूरी नहीं दी है। सरकार ने 28 सितंबर को पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए एक और नाम को आज मंजूरी दे…
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allgyan · 4 years
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समलैंगिकता और यौन आकर्षण -
आज के दौर में या कहे इन दिनों जो सबसे चर्चित शब्द 'समलैंगिकता या गे' रहा है कई देशों पिछले कई सालो में इस पर कई कानून भी बनाये गये| लेकिन सामन्य जनमानस में इसको लेकर कई भ्रांतिया है जिसके बारे में हम आज चर्चा करेंगे | और जितना भी हम इस बारे में जानते है उन भ्रांतियों को तोडने की कोशिश करेंगे |'समलैंगिकता' जो शब्द इससे ही आप इसके अर्थ को समझने की कोशिश तो जरूर कर सकते है |सामान लिंग के समूह या लोग समलैंगिकता का अर्थ किसी व्यक्ति का समान लिंग के लोगों के प्रति यौन और रोमांसपूर्वक रूप से आकर्षित होना है।
लेस्बियन और बाईसेक्सुअल और एलजीबीटी क्या है -
पुरुष अगर पुरुष के प्रति के आकर्षित होगा तो उसे 'पुरुष समलिंगी' कहते है |और अगर महिला -महिला की ओर आकर्षित होगी |उसे 'लेस्बियन ' कहते है | गे शब्द दोनों के लिए प्रयोग होता है |जो लोग महिला और पुरषों दोनों के प्रति आकर्षित होते है उन्हें 'उभयलिंगी ' कहते है |इंग्लिश में इन्हे 'बाईसेक्सुअल' भी कहा जाता है | ये सभी एलजीबीटी समुदाय के अंतर्गत आते है |इसके विपरीत, एक व्यक्ति बिना समलैंगिक यौन सम्बन्ध बनाए भी 'गे' हो सकता है। ऐसे व्यक्तियों के पास समलैंगिक के रूप में सामाजिक रूप से पहचान करना, शादी न करना, या पहले समलैंगिक अनुभव का अनुमान लगाने जैसे संभावित विकल्प हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उसी लिंग की तरफ़ आकर्षित होते हैं जिसके वे ख़ुद हैं, लेकिन न तो वे यौन गतिविधि में संलग्न होते हैं और न ही समलैंगिक के रूप में स्वयं की पहचान करते हैं। ऐसे लोगों के लिए अलैंगिक (asexual) शब्द लागू हो सकता है|
समलैंगिकता और धर्म-
समलैंगिकता  को कई लोग हेय दृष्टि से देखते है लेकिन ये प्रमाण मिले है की की मानव सभ्यता से ही ये अस्तित्व में रहा है |और तो और वातायन द्वारा लिखा गया -'कामसूत्र ' में इसपे पूरा का पूरा चैप्टर है |कामसूत्र महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित भारत का एक प्राचीन कामशास्त्र ग्रंथ है।यह विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धान्तों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है।ये संस्कृत में लिखी गयी है और बाद में इसे 1883  अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया |जैसा देखते है भारत के कई पुराणों में इनका उल्लेख मिलता है |
भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप, विष्णु का मोहिनी रूप, अर्जुन का बृहन्नला रूप, शिखंडी का लिंग परिवर्तन सभी से पूरा हिंदू धर्म वाकिफ है और इन्हें पूजनीय भी मानता है। हिंदू धर्म में इन सभी को भगवान की उपाधि दी गई है। भगवान के इन रूपों को भी सही मानते हुए पुराणों में जगह दी गई है।खजुराहो के मंदिर की दीवारों पर बनी कलाकृति भी इस बात की गवाह है कि उस समय भी समलैंगिक संबंध गलत नहीं माने जाते थे। केवल यहूदी, ईसाई धर्म और इस्लाम में इसे वर्जित करार दिया गया है। हालांकि पोप का कहना है कि समलैंगिक लोग भी उसी ईश्वर की संतान हैं जिसकी संतान हम हैं। हमें उन लोगों के प्रति भेदभाव नहीं करना चाहिए।
लेकिन इन सभी पुष्टियों और तर्कों के बाद भी सवाल अभी भी यही है कि क्यों और किस धर्म के नाम पर समलैंगिक संबंधों को गलत या पाप बताया जा रहा है किसी की अपने साथी चुनने की आजादी पर क्यों धर्म का ठप्पा लगाकर उसे रोकने की कोशिश की जा रही होती है |
क्या यौन वरीयता मनुष्य का अपना व्यक्तिगत मामला?
यौन वरीयता मनुष्य का अपना व्यक्तिगत मामला हो सकता है, लेकिन एक इसी आधार पर उसे पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता| इसके समर्थन से जुड़े लोगों का यह तर्क हैं कि व्यक्ति का आकर्षण किस ओर होगा यह उसकी मां के गर्भ में ही निर्धारित हो जाता हैंऔर अगर वह समलिंगी संबंधों की ओर आकृष्ट होते हैं तो यह पूर्ण रूप से स्वाभाविक व्यवहार माना जाना चाहिए लेकिन यहां इस बात की ओर ध्यान देना जरूरी है कि जब प्रकृति ने ही महिला और पुरुष दोनो को एक दूसरे के पूरक के रूप में पेश किया हैं. तो ऐसे हालातों में पुरुष द्वारा पुरुष की ओर आकर्षित होने के सिद्धांत को मान्यता देना कहा तक स्वाभाविक माना जा सकता हैं|इस तरह के भी तर्क दिए जाते रहे है |
समलैंगिकता पर संघर्ष और कानून को मान्यता -
समलैंगिकता के खिलाफ अंग्रेजों ने धारा 377 को 1860 में लागू किया था। 158 साल पुराने इस कानून के द्वारा समलैंगिकता को गैरकानूनी बताया गया है।अविभाजित भारत में वर्ष 1925 में खानू बनाम सम्राट का समलैंगिकता से जुड़ा पहला मामला था। उस मामले में यह फैसला दिया गया कि यौन संबंधों का मूल मकसद संतानोत्पत्ति है लेकिन अप्राकृतिक यौन संबंध में यह संभव नहीं है।
पहला शाही 'गे' होने की किसने की घोषणा -
2005 में गुजरात के राजपिपला के राजकुमार मानवेंद्र सिंह ने पहला शाही ‘गे’ होने की घोषणा की।बॉलीवुड भी इस विषय पर मुखर हुआ और ऐसे विषय पर फिल्मे बनी |हनीमून ट्रेवल प्रा लिमिटेड और दोस्ताना जैसी मूवी भी आयी |धीरे -धीरे तकनिकी का भी इसको साथ मिला |इंटरनेट पर गे डेटिंग वेबसाइटों की भरमार। गे कम्युनिटी और इन पर ब्लॉग्स से अटी पड़ी है साइटें एलजीबीटी अधिकार संयुक्त राष्ट्र के 94 सदस्य देश इनके समान अधिकारों का समर्थन करते हैं।फिर वो भी दिन आ गया जिसने भारत में 2017 अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में लैंगिक झुकाव को निजता के अधिकार से जोड़कर देखा।समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है और इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा|
समलैंगिकता मुस्लिम देशों और कहा वैध है -
कई  देशों पहले से ही अपने यहाँ इसे वैध किया है | जैसे लेबनान, कजाखिस्तान, माली, तुर्की, इंडोनेशिया, बहरीन, अल्बेनिया, अजरबैजान, नाइजर इन देशों में है मृत्युदंड सुडान, यमन, सऊदी अरब, ईरान, सोमालिया, नाइजीरिया, कतर, अफगानिस्तान, यूएई, मॉरीतानिया दुनिया के इन देशों ने इस साल किया वैध अर्जेंटीना (2010), ग्रीनलैंड(2015), दक्षिण अफ्रीका (2006), ऑस्ट्रेलिया (2017),आइसलैंड (2010), स्पेन (2005), बेल्जियम (2003), आयरलैंड (2015), अमेरिका (2015), ब्राजी�� (2013), स्वीडन (2009), क��ाडा (2005),जर्मनी (2017), फ्रांस (2013), इंग्लैंड (2013)।हमारा मकसद ये रहता है की आपको सभी चीजें को जोड़कर एक जगह प्रस्तुत किया जाये |
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bharatlivenewsmedia · 3 years
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समलैंगिकता आजार असल्याचे सांगणाऱ्या डॉ. केळकरांची चौकशी; ‘इंडियन सायकियाट्रिक सोयायटी’कडून दखल
समलैंगिकता आजार असल्याचे सांगणाऱ्या डॉ. केळकरांची चौकशी; ‘इंडियन सायकियाट्रिक सोयायटी’कडून दखल
समलैंगिकता आजार असल्याचे सांगणाऱ्या डॉ. केळकरांची चौकशी; ‘इंडियन सायकियाट्रिक सोयायटी’कडून दखल ‘इंडियन सायकियाट्रिक सोयायटी’कडून दखल अकोला : समलैंगिकता हा एक आजार असून तो उपचारातून बरा होऊ शकतो, असा वादग्रस्त दावा करणारे अकोल्यातील मानसोपचार तज्ज्ञ डॉ. दीपक केळकर यांची  मानसोपचार तज्ज्ञांच्या ‘इंडियन सायकियाट्रिक सोयायटी’ (आयपीएस) संस्थेकडून चौकशी सुरू करण्यात आली आहे. ‘एलजीबीटीक्यू’ समुदायाला…
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lok-shakti · 2 years
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सिडनी में समलैंगिकों को ऐतिहासिक रूप से 'निष्पक्ष खेल' के रूप में देखा जाता है, अधिवक्ता समलैंगिक घृणा जांच को बताता है
सिडनी में समलैंगिकों को ऐतिहासिक रूप से ‘निष्पक्ष खेल’ के रूप में देखा जाता है, अधिवक्ता समलैंगिक घृणा जांच को बताता है
समलैंगिकों को “निष्पक्ष खेल” के रूप में देखा जाता था यदि वे किसी पुरुष की संगति में नहीं थे और जब उन्होंने यौन प्रस्ताव को ठुकरा दिया तो उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ा, अनसुलझी LGBTQ+ मौतों की जांच के बारे में बताया गया है। 1984 में न्यू साउथ वेल्स द्वारा समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के बाद के वर्षों में, कैरोल रूथचाइल्ड ने कहा कि समलैंगिकों को अभी भी केवल स्वयं होने के लिए गंभीर…
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everynewsnow · 4 years
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भूटान के कानूनविद समान यौन संबंधों को डिक्रिमिनेट करने के लिए वोट करते हैं
भूटान के कानूनविद समान यौन संबंधों को डिक्रिमिनेट करने के लिए वोट करते हैं
द्वारा: एपी | गौहाटी | अपडेट किया गया: 11 दिसंबर, 2020 2:11:10 बजे संशोधन ने आपराधिक संहिता के दो लेखों को स्पष्ट करने के लिए बदल दिया है कि “वयस्कों के बीच समलैंगिकता को अप्राकृतिक यौन संबंध नहीं माना जाएगा।” (स्रोत: गेटी इमेजेज / थिंकस्टॉक) भूटान की संसद ने एक ही-लिंग संबंधों को डिक्रिमिनेट करने के लिए मतदान किया है, एक मौजूदा कानून में संशोधन किया गया है जो इसे “अप्राकृतिक सेक्स” के रूप में…
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trendingwatch · 2 years
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रॉड स्टीवर्ट ने कतर में प्रदर्शन करने के लिए 1 मिलियन अमरीकी डालर का प्रस्ताव ठुकरा दिया
रॉड स्टीवर्ट ने कतर में प्रदर्शन करने के लिए 1 मिलियन अमरीकी डालर का प्रस्ताव ठुकरा दिया
द्वारा आईएएनएस लॉस एंजेलिस: ब्रिटिश रॉक लेजेंड सर रॉड स्टीवर्ट ने कतर में प्रस्तुति देने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जबकि उन्हें 10 लाख डॉलर से अधिक की पेशकश की गई थी। मध्य पूर्व देश में भीड़ का मनोरंजन करने के लिए सात अंकों की राशि की पेशकश की – जिसे आगामी विश्व कप की मेजबानी के लिए चुना गया है, लेकिन इस फैसले पर विवाद खड़ा हो गया है क्योंकि वहां समलैंगिकता अवैध है- 2021 में, 77 वर्षीय रॉक लेज��ंड…
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allgyan · 4 years
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समलैंगिकता और यौन आकर्षण -
आज के दौर में या कहे इन दिनों जो सबसे चर्चित शब्द 'समलैंगिकता या गे' रहा है कई देशों पिछले कई सालो में इस पर कई कानून भी बनाये गये| लेकिन सामन्य जनमानस में इसको लेकर कई भ्रांतिया है जिसके बारे में हम आज चर्चा करेंगे | और जितना भी हम इस बारे में जानते है उन भ्रांतियों को तोडने की कोशिश करेंगे |'समलैंगिकता' जो शब्द इससे ही आप इसके अर्थ को समझने की कोशिश तो जरूर कर सकते है |सामान लिंग के समूह या लोग समलैंगिकता का अर्थ किसी व्यक्ति का समान लिंग के लोगों के प्रति यौन और रोमांसपूर्वक रूप से आकर्षित होना है।
लेस्बियन और बाईसेक्सुअल और एलजीबीटी क्या है -
पुरुष अगर पुरुष के प्रति के आकर्षित होगा तो उसे 'पुरुष समलिंगी' कहते है |और अगर महिला -महिला की ओर आकर्षित होगी |उसे 'लेस्बियन ' कहते है | गे शब्द दोनों के लिए प्रयोग होता है |जो लोग महिला और पुरषों दोनों के प्रति आकर्षित होते है उन्हें 'उभयलिंगी ' कहते है |इंग्लिश में इन्हे 'बाईसेक्सुअल' भी कहा जाता है | ये सभी एलजीबीटी समुदाय के अंतर्गत आते है |इसके विपरीत, एक व्यक्ति बिना समलैंगिक यौन सम्बन्ध बनाए भी 'गे' हो सकता है। ऐसे व्यक्तियों के पास समलैंगिक के रूप में सामाजिक रूप से पहचान करना, शादी न करना, या पहले समलैंगिक अनुभव का अनुमान लगाने जैसे संभावित विकल्प हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उसी लिंग की तरफ़ आकर्षित होते हैं जिसके वे ख़ुद हैं, लेकिन न तो वे यौन गतिविधि में संलग्न होते हैं और न ही समलैंगिक के रूप में स्वयं की पहचान करते हैं। ऐसे लोगों के लिए अलैंगिक (asexual) शब्द लागू हो सकता है|
समलैंगिकता और धर्म-
समलैंगिकता  को कई लोग हेय दृष्टि से देखते है लेकिन ये प्रमाण मिले है की की मानव सभ्यता से ही ये अस्तित्व में रहा है |और तो और वातायन द्वारा लिखा गया -'कामसूत्र ' में इसपे पूरा का पूरा चैप्टर है |कामसूत्र महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित भारत का एक प्राचीन कामशास्त्र ग्रंथ है।यह विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धान्तों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है।ये संस्कृत में लिखी गयी है और बाद में इसे 1883  अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया |जैसा देखते है भारत के कई पुराणों में इनका उल्लेख मिलता है |
भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप, विष्णु का मोहिनी रूप, अर्जुन का बृहन्नला रूप, शिखंडी का लिंग परिवर्तन सभी से पूरा हिंदू धर्म वाकिफ है और इन्हें पूजनीय भी मानता है। हिंदू धर्म में इन सभी को भगवान की उपाधि दी गई है। भगवान के इन रूपों को भी सही मानते हुए पुराणों में जगह दी गई है।खजुराहो के मंदिर की दीवारों पर बनी कलाकृति भी इस बात की गवाह है कि उस समय भी समलैंगिक संबंध गलत नहीं माने जाते थे। केवल यहूदी, ईसाई धर्म और इस्लाम में इसे वर्जित करार दिया गया है। हालांकि पोप का कहना है कि समलैंगिक लोग भी उसी ईश्वर की संतान हैं जिसकी संतान हम हैं। हमें उन लोगों के प्रति भेदभाव नहीं करना चाहिए।
लेकिन इन सभी पुष्टियों और तर्कों के बाद भी सवाल अभी भी यही है कि क्यों और किस धर्म के नाम पर समलैंगिक संबंधों को गलत या पाप बताया जा रहा है किसी की अपने साथी चुनने की आजादी पर क्यों धर्म का ठप्पा लगाकर उसे रोकने की कोशिश की जा रही होती है |
क्या यौन वरीयता मनुष्य का अपना व्यक्तिगत मामला?
यौन वरीयता मनुष्य का अपना व्यक्तिगत मामला हो सकता है, लेकिन एक इसी आधार पर उसे पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता| इसके समर्थन से जुड़े लोगों का यह तर्क हैं कि व्यक्ति का आकर्षण किस ओर होगा यह उसकी मां के गर्भ में ही निर्धारित हो जाता हैंऔर अगर वह समलिंगी संबंधों की ओर आकृष्ट होते हैं तो यह पूर्ण रूप से स्वाभाविक व्यवहार माना जाना चाहिए लेकिन यहां इस बात की ओर ध्यान देना जरूरी है कि जब प्रकृति ने ही महिला और पुरुष दोनो को एक दूसरे के पूरक के रूप में पेश किया हैं. तो ऐसे हालातों में पुरुष द्वारा पुरुष की ओर आकर्षित होने के सिद्धांत को मान्यता देना कहा तक स्वाभाविक माना जा सकता हैं|इस तरह के भी तर्क दिए जाते रहे है |
समलैंगिकता पर संघर्ष और कानून को मान्यता -
समलैंगिकता के खिलाफ अंग्रेजों ने धारा 377 को 1860 में लागू किया था। 158 साल पुराने इस कानून के द्वारा समलैंगिकत��� को गैरकानूनी बताया गया है।अविभाजित भारत में वर्ष 1925 में खानू बनाम सम्राट का समलैंगिकता से जुड़ा पहला मामला था। उस मामले में यह फैसला दिया गया कि यौन संबंधों का मूल मकसद संतानोत्पत्ति है लेकिन अप्राकृतिक यौन संबंध में यह संभव नहीं है।
पहला शाही 'गे' होने की किसने की घोषणा -
2005 में गुजरात के राजपिपला के राजकुमार मानवेंद्र सिंह ने पहला शाही ‘गे’ होने की घोषणा की।बॉलीवुड भी इस विषय पर मुखर हुआ और ऐसे विषय पर फिल्मे बनी |हनीमून ट्रेवल प्रा लिमिटेड और दोस्ताना जैसी मूवी भी आयी |धीरे -धीरे तकनिकी का भी इसको साथ मिला |इंटरनेट पर गे डेटिंग वेबसाइटों की भरमार। गे कम्युनिटी और इन पर ब्लॉग्स से अटी पड़ी है साइटें एलजीबीटी अधिकार संयुक्त राष्ट्र के 94 सदस्य देश इनके समान अधिकारों का समर्थन करते हैं।फिर वो भी दिन आ गया जिसने भारत में 2017 अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में लैंगिक झुकाव को निजता के अधिकार से जोड़कर देखा।समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है और इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा|
समलैंगिकता मुस्लिम देशों और कहा वैध है -
कई  देशों पहले से ही अपने यहाँ इसे वैध किया है | जैसे लेबनान, कजाखिस्तान, माली, तुर्की, इंडोनेशिया, बहरीन, अल्बेनिया, अजरबैजान, नाइजर इन देशों में है मृत्युदंड सुडान, यमन, सऊदी अरब, ईरान, सोमालिया, नाइजीरिया, कतर, अफगानिस्तान, यूएई, मॉरीतानिया दुनिया के इन देशों ने इस साल किया वैध अर्जेंटीना (2010), ग्रीनलैंड(2015), दक्षिण अफ्रीका (2006), ऑस्ट्रेलिया (2017),आइसलैंड (2010), स्पेन (2005), बेल्जियम (2003), आयरलैंड (2015), अमेरिका (2015), ब्राजील (2013), स्वीडन (2009), कनाडा (2005),जर्मनी (2017), फ्रांस (2013), इंग्लैंड (2013)।हमारा मकसद ये रहता है की आपको सभी चीजें को जोड़कर एक जगह प्रस्तुत किया जाये |
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newsreadersin · 5 years
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Positive message by 'Shubh Mangal Jyada Savdhan' reaches the whole country: Ayushmann
Positive message by ‘Shubh Mangal Jyada Savdhan’ reaches the whole country: Ayushmann
Mumbai: Bollywood actor Ayushmann Khurrana is very happy these days because his recent released movie based on homosexuality, “Shubh Mangal Jyada Savdhan” is giving the excellent response at Bollywood box office.
“Shubh Mangal Jyada Savdhan”‘ is romantic-comedy movie based on the background of homosexuality is accompanied by newcomer Jitendra Kumar. In India, film has done a business of around Rs…
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sonita0526 · 5 years
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फिल्म समीक्षा: समीक्षा शुभ मंगल ज्यादा सावधान ’बताती है- श्रेष्ठता भी सहज और स्वाभाविक है
फिल्म समीक्षा: समीक्षा शुभ मंगल ज्यादा सावधान ’बताती है- श्रेष्ठता भी सहज और स्वाभाविक है
[ad_1]
संक्षेप में, शुभ मंगल सावधान बहुत दिलचस्प फिल्म है! फिल्म के कलाकार लगभग वही हैं, जो हो जीत हो! ’में जबरदस्त काम किया था।
आयुष्मान खुराना के बारे में पहले ही बहुत कुछ लिखा जा चुका है और वह इस फिल्म में भी निराश नहीं करते हैं। दरअसल कैमरों के सामने वो पहले से कहीं अधिक रिलैक्स और कॉनफिडेंट नजर आते हैं। हालांकि, इससे पहले भी श्रेष्ठता पर बॉलीवुड में कुछ फिल्में बनी हैं, जिन्होंने इस मुद्दे…
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sgtechs-in · 6 years
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धारा 377 के खत्म होने से हर अल्पसंख्यक तबके को मिली मौलिक अधिकारों की गारंटी हम अतीत में झांके तो लोकतांत्रिक व्यवस्था को भारत में पहली सीधी चुनौती सन 1975 में अपातकाल के माध्यम से मिली थी. Source link
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greport2018 · 6 years
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समलैंगिकता अब अपराध नहीं, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला न्यूज़ डेस्क।। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए भारत में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने एकमत से यह फैसला सुनाया जिसमे कहा गया कि धारा 377 अतार्किक और मनमानी है। LGBT समुदाय को अन्य लोगों की तरह समान अधिकार हैं। अपनी मर्ज़ी से दो वयस्क के बीच संबंध अपराध नहीं है। समलैंगिकता कोई मानसिक विकार नहीं है। यौन प्राथमिकता जैविक और प्राकृतिक है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई समलैंगिकों को कलंक न माने। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस कानून को लागू करवाने को है। भारतीय समाज इस कानून को किस तरह स्वीकार करेगा यह चुनौती होगी। लेकिन अब समलैंगिक समुदाय को डर-डर कर नहीं जीना पड़ेगा। उनके लिए 1947 के बाद यह दूसरी आज़ादी का दिन है।
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