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#बाईसेक्सुअल
allgyan · 4 years
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समलैंगिकता और यौन आकर्षण -
आज के दौर में या कहे इन दिनों जो सबसे चर्चित शब्द 'समलैंगिकता या गे' रहा है कई देशों पिछले कई सालो में इस पर कई कानून भी बनाये गये| लेकिन सामन्य जनमानस में इसको लेकर कई भ्रांतिया है जिसके बारे में हम आज चर्चा करेंगे | और जितना भी हम इस बारे में जानते है उन भ्रांतियों को तोडने की कोशिश करेंगे |'समलैंगिकता' जो शब्द इससे ही आप इसके अर्थ को समझने की कोशिश तो जरूर कर सकते है |सामान लिंग के समूह या लोग समलैंगिकता का अर्थ किसी व्यक्ति का समान लिंग के लोगों के प्रति यौन और रोमांसपूर्वक रूप से आकर्षित होना है।
लेस्बियन और बाईसेक्सुअल और एलजीबीटी क्या है -
पुरुष अगर पुरुष के प्रति के आकर्षित होगा तो उसे 'पुरुष समलिंगी' कहते है |और अगर महिला -महिला की ओर आकर्षित होगी |उसे 'लेस्बियन ' कहते है | गे शब्द दोनों के लिए प्रयोग होता है |जो लोग महिला और पुरषों दोनों के प्रति आकर्षित होते है उन्हें 'उभयलिंगी ' कहते है |इंग्लिश में इन्हे 'बाईसेक्सुअल' भी कहा जाता है | ये सभी एलजीबीटी समुदाय के अंतर्गत आते है |इसके विपरीत, एक व्यक्ति बिना समलैंगिक यौन सम्बन्ध बनाए भी 'गे' हो सकता है। ऐसे व्यक्तियों के पास समलैंगिक के रूप में सामाजिक रूप से पहचान करना, शादी न करना, या पहले समलैंगिक अनुभव का अनुमान लगाने जैसे संभावित विकल्प हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उसी लिंग की तरफ़ आकर्षित होते हैं जिसके वे ख़ुद हैं, लेकिन न तो वे यौन गतिविधि में संलग्न होते हैं और न ही समलैंगिक के रूप में स्वयं की पहचान करते हैं। ऐसे लोगों के लिए अलैंगिक (asexual) शब्द लागू हो सकता है|
समलैंगिकता और धर्म-
समलैंगिकता  को कई लोग हेय दृष्टि से देखते है लेकिन ये प्रमाण मिले है की की मानव सभ्यता से ही ये अस्तित्व में रहा है |और तो और वातायन द्वारा लिखा गया -'कामसूत्र ' में इसपे पूरा का पूरा चैप्टर है |कामसूत्र महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित भारत का एक प्राचीन कामशास्त्र ग्रंथ है।यह विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धान्तों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है।ये संस्कृत में लिखी गयी है और बाद में इसे 1883  अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया |जैसा देखते है भारत के कई पुराणों में इनका उल्लेख मिलता है |
भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप, विष्णु का मोहिनी रूप, अर्जुन का बृहन्नला रूप, शिखंडी का लिंग परिवर्तन सभी से पूरा हिंदू धर्म वाकिफ है और इन्हें पूजनीय भी मानता है। हिंदू धर्म में इन सभी को भगवान की उपाधि दी गई है। भगवान के इन रूपों को भी सही मानते हुए पुराणों में जगह दी गई है।खजुराहो के मंदिर की दीवारों पर बनी कलाकृति भी इस बात की गवाह है कि उस समय भी समलैंगिक संबंध गलत नहीं माने जाते थे। केवल यहूदी, ईसाई धर्म और इस्लाम में इसे वर्जित करार दिया गया है। हालांकि पोप का कहना है कि समलैंगिक लोग भी उसी ईश्वर की संतान हैं जिसकी संतान हम हैं। हमें उन लोगों के प्रति भेदभाव नहीं करना चाहिए।
लेकिन इन सभी पुष्टियों और तर्कों के बाद भी सवाल अभी भी यही है कि क्यों और किस धर्म के नाम पर समलैंगिक संबंधों को गलत या पाप बताया जा रहा है किसी की अपने साथी चुनने की आजादी पर क्यों धर्म का ठप्पा लगाकर उसे रोकने की कोशिश की जा रही होती है |
क्या यौन वरीयता मनुष्य का अपना व्यक्तिगत मामला?
यौन वरीयता मनुष्य का अपना व्यक्तिगत मामला हो सकता है, लेकिन एक इसी आधार पर उसे पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता| इसके समर्थन से जुड़े लोगों का यह तर्क हैं कि व्यक्ति का आकर्षण किस ओर होगा यह उसकी मां के गर्भ में ही निर्धारित हो जाता हैंऔर अगर वह समलिंगी संबंधों की ओर आकृष्ट होते हैं तो यह पूर्ण रूप से स्वाभाविक व्यवहार माना जाना चाहिए लेकिन यहां इस बात की ओर ध्यान देना जरूरी है कि जब प्रकृति ने ही महिला और पुरुष दोनो को एक दूसरे के पूरक के रूप में पेश किया हैं. तो ऐसे हालातों में पुरुष द्वारा पुरुष की ओर आकर्षित होने के सिद्धांत को मान्यता देना कहा तक स्वाभाविक माना जा सकता हैं|इस तरह के भी तर्क दिए जाते रहे है |
समलैंगिकता पर संघर्ष और कानून को मान्यता -
समलैंगिकता के खिलाफ अंग्रेजों ने धारा 377 को 1860 में लागू किया था। 158 साल पुराने इस कानून के द्वारा समलैंगिकता को गैरकानूनी बताया गया है।अविभाजित भारत में वर्ष 1925 में खानू बनाम सम्राट का समलैंगिकता से जुड़ा पहला मामला था। उस मामले में यह फैसला दिया गया कि यौन संबंधों का मूल मकसद संतानोत्पत्ति है लेकिन अप्राकृतिक यौन संबंध में यह संभव नहीं है।
पहला शाही 'गे' होने की किसने की घोषणा -
2005 में गुजरात के राजपिपला के राजकुमार मानवेंद्र सिंह ने पहला शाही ‘गे’ होने की घोषणा की।बॉलीवुड भी इस विषय पर मुखर हुआ और ऐसे विषय पर फिल्मे बनी |हनीमून ट्रेवल प्रा लिमिटेड और दोस्ताना जैसी मूवी भी आयी |धीरे -धीरे तकनिकी का भी इसको साथ मिला |इंटरनेट पर गे डेटिंग वेबसाइटों की भरमार। गे कम्युनिटी और इन पर ब्लॉग्स से अटी पड़ी है साइटें एलजीबीटी अधिकार संयुक्त राष्ट्र के 94 सदस्य देश इनके समान अधिकारों का समर्थन करते हैं।फिर वो भी दिन आ गया जिसने भारत में 2017 अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में लैंगिक झुकाव को निजता के अधिकार से जोड़कर देखा।समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है और इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा|
समलैंगिकता मुस्लिम देशों और कहा वैध है -
कई  देशों पहले से ही अपने यहाँ इसे वैध किया है | जैसे लेबनान, कजाखिस्तान, माली, तुर्की, इंडोनेशिया, बहरीन, अल्बेनिया, अजरबैजान, नाइजर इन देशों में है मृत्युदंड सुडान, यमन, सऊदी अरब, ईरान, सोमालिया, नाइजीरिया, कतर, अफगानिस्तान, यूएई, मॉरीतानिया दुनिया के इन देशों ने इस साल किया वैध अर्जेंटीना (2010), ग्रीनलैंड(2015), दक्षिण अफ्रीका (2006), ऑस्ट्रेलिया (2017),आइसलैंड (2010), स्पेन (2005), बेल्जियम (2003), आयरलैंड (2015), अमेरिका (2015), ब्राजील (2013), स्वीडन (2009), कनाडा (2005),जर्मनी (2017), फ्रांस (2013), इंग्लैंड (2013)।हमारा मकसद ये रहता है की आपको सभी चीजें को जोड़कर एक जगह प्रस्तुत किया जाये |
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vilaspatelvlogs · 4 years
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Vikas Gupta ने कहा - हां, मैं बाईसेक्सुअल हूं, इन दो एक्टर पर लगाए गंभीर आरोप
Vikas Gupta ने कहा – हां, मैं बाईसेक्सुअल हूं, इन दो एक्टर पर लगाए गंभीर आरोप
[ad_1] विकास गुप्ता (Vikas Gupta) ने हालही में ट्विटर और इंस्टाग्राम पर अपनी बात खुल कर रखी है. [ad_2] Source link
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kisansatta · 4 years
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क्यों होती है लेस्बियन महिलाएं सम्बन्ध बनाने में बेस्ट, जानिए ये खास टिप्स
महिला और पुरुष के रिलेशनशिप की बात समाज स्वीकार तो कर लेता है पर कुछ ऐसे भी रिलेशनशिप है जो समाज आज भी स्वीकार करने से पीछे है। डरता है इस रिश्ते से। आज हम लेस्बियन रिलेशनशिप पर चर्चा करेंगे। इस रिलेशनशिप के बीच दो लड़कियों के बीच प्यार का संबंध होता है। क्या आपको पता है कि लेस्बियन महिलाएं सेक्स के दौरान चरमोत्कर्ष प्राप्त करने में उन महिलाओं से कहीं आगे हैं, जो केवल पुरुषों से संबंध बनाती हैं। एक शोध में यह खुलासा हुआ है। आजतक में छपी खबर के अनुसार एक स्टडी के मुताबिक सामान्य तौर पर पुरुष अपने परिचित पार्टनर के साथ सेक्स के दौरान औसतन 85 फीसदी चरमोत्कर्ष को प्राप्त करते हैं |
जबकि महिलाएं 63 फीसदी। अमेरिका के इंडियाना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा है कि लेस्बियन महिलाएं सेक्स के दौरान 75 फीसदी, स्ट्रेट रिलेशनशिप वाली महिलाएं 62 फीसदी, जबकि पुरुष और महिला दोनों से संबंध बनाने वाली (बाईसेक्सुअल) महिलाएं 58 फीसदी चरमोत्कर्ष को प्राप्त करती हैं। स्टडी के दौरान 21 से 65 उम्र के 6500 पुरुषों व महिलाओं को शामिल किया गया था। उनके अनुसार इसकी एक संभावित व्याख्या यह है कि लेस्बियन महिलाएं, महिलाओं के शरीर के हर उस भाग से परिचित होती हैं, जो उनमें जोश जगाता है। यही कारण है कि वह अपने महिला पार्टनर को चरमोत्कर्ष तक पहुंचाने में बेहतर साबित होती हैं। इस रिलेशनशिप को निभाने के लिए कुछ खास टिप्स की जरूरत होती है। आइए जानते हैं कौन से हैं वो टिप्स.
हर समय ये संभव नहीं होता कि आप अपने पार्टनर से जो उम्मीद रखें वह पूरी हो | इसलिए खुद का ध्यान रखें और अपने लेस्बियन पार्टनर का सपोर्ट करें |इससे रिलेशनशिप बेहतर बना रहेगा |
आप लेस्बियन हैं इसका मतलब ये नहीं है कि परंपरा और संस्कृति आपके लिए नहीं है | इनको अपनाते हुए सारे काम करें. पार्टनर एक दूसरे का हाथ पकड़कर चले, वॉक करें और प्यार से हग भी करें. एकसाथ घर और बाहर का काम करें |
रिलेशनशिप को हेल्दी बनाए रखने के लिए समय समय पर खुद के व्यक्तित्व में सुधार करना पहुत जरूरी होता है |खुद को सुधारे और अच्छे पार्टनर को चुनें | अपने व्यवहार में नयापन लाएं और कभी कभी रिश्ते में रिस्क भी उठाएं |
नेगेटिव बातें किसी भी रिश्ते को खराब कर देती हैं |ऐसे में अपने रिलेशनशिप में पॉजिटिव बातें करें |अपनी पार्टनर को कॉम्प्लीमेंट, हग और एफेक्शन जरूर करें |साथ ही बात बात पर उसकी तारीफ भी करें |दिमाग से रिश्ते को लेकर नकारात्मक सोच को निकाल दें |
रिश्ते में पार्टनर को कभी कभी सरप्राइज देना जरूरी होता है। इससे रिलेशनशिप हेल्दी बनता है. सरप्राइज देकर अपने पार्टनर को अचानक ढेर सारी खुशी दें। आप उसे फूल दे सकते हैं, कार्ड पर लव नोट लिखकर दे सकते हैं |किसी अच्छी जगह पर लंच या डिनर का प्रोग्राम रखें।
https://kisansatta.com/why-lesbian-women-are-the-best-in-relationships-know-these-special-tips38052-2/ #KnowTheseSpecialTips, #WhyLesbianWomenAreTheBestInRelationships know these special tips, Why lesbian women are the best in relationships Life, Trending #Life, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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currenttrending1 · 5 years
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Time की 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में मुकेश अंबानी सहित 3 भारतीय
Time की 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में मुकेश अंबानी सहित 3 भारतीय
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टाइम मैगजीन ने दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में तीन भारतीयों को शुमार किया है। इनमें रिलायंस इडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, भारत में एलजीबीटीयू (लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर) समुदाय के हक के लिए लड़ने वाली वकील अरुंधति काटजू और मेनका गुरुस्वामी शामिल हैं। टाइम मैगजीन ने 2019 के शीर्ष 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची बुधवार को जारी की। सूची में शीर्ष नेताओं,…
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nehakhosla · 6 years
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मोस्ट अवेटिड रिएलिटी शो ‘खतरों के खिलाड़ी 9’ इस साल रिलीज नहीं किया जाएगा। डायरेक्टर रोहित शेट्टी का ये थ्रिलर रिएलिटी शो अब अगले साल टीवी पर आएगा। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शो के ऑन एयर होने में अभी समय है और टीवी शो को 19 जनवरी 2019 को जारी करने की तैयारी चल रही है। इसकी वजह है सलमान खान का हिट शो 'बिग बॅास 12'।
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  दरअसल, शो में इतने दिन की देरी सलमान खान के सुपरहिट टीवी शो ‘बिग बॉस 12’ के चलते की जा रही है। ये शो इसी महीने सितंबर से ऑन एयर होना है। यही कारण मेकर्स ने ये फैसला किया है कि ‘खतरों के खिलाड़ी 9’ को अगले साल की शुरुआत में जारी किया जाए। बता दें ‘खतरों के खिलाड़ी 9’ में टीवी दुनिया के कई जाने माने सितारे हिस्सा ले रहे हैं।
करीना-तैमूर ने पहने एक रंग के कपड़े, मां-बेटे की ये जोड़ी दिखी कूल अंदाज में...
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  इस बार शो में भारती सिंह, जैन इमाम, हर्ष लिम्बाचिया, पुनीत पाठक, रिद्दिमा पंडित, आदित्य नारायण, बालिका वधू फेम अविका गौर जैसे सितारे हिस्सा ले रहे हैं।
अमिताभ की बेटी श्वेता ने लॅान्च किया नया फैशन स्टोर, बधाई देने पहुंचा पूरा बच्चन परिवार
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  अगर इंडिया फोरम की इस रिपोर्ट की मानें तो ये टीवी शो 19 जनवरी से ऑन एयर हो सकता है। खैर, अब तो सभी को इस शो से पहले सलमान खान के फेमस शो बिग बॅास को देखने की तैयारी कर लेनी चाहिए। इस शो में इस बार जोड़ियां दिखाई देंगी। साथ ही पहली बार एक टीवी रिएलिटी शो में बाईसेक्सुअल जोड़िया भी देखने को मिल सकती हैं। इस शो को लेकर फैंस काफी एक्साइटेड हैं।
70 के दशक में शोहरत हासिल करने वाली इस अभिनेत्री ने मौत के आखिरी दिनों में जी थी गुमनामी की जिंदगी...
साउथ की फिल्म में दिखेंगे महानायक अमिताभ बच्चन, लीड रोल में होगें ये सुपरस्टार!
मजाक में इस हॅालीवुड एक्ट्रेस ने पुलिस के सामने तानी खिलौने वाली बंदूक, पुलिस वालों ने ली जान...
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lazyupdates · 6 years
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धारा 377: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के विवेक पर छोड़ा समलैंगिकता पर फैसला समलैंगिकता पर देश में एक बार फिर से नए सिरे से बहस शुरू हो गई है। समलैंगिकता अपराध है या नहीं, इसे तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। मंगलवार (10 जुलाई) से जारी सुनवाई में कई तरह की बातें आने के बाद बुधवार (11 जुलाई) को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ से कहा कि समलैंगिकता संबंधी धारा 377 की संवैधानिकता के मसले को हम कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं। (Indian Express file photo by Partha Paul) केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दो वयस्कों के बीच सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी में लाने के मुद्दे पर, धारा 377 की संवैधानिक वैधता के बारे में फैसला वह उसके न्यायाधीशों के विवेक पर छोड़ता है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से केंद्र ने कहा कि इस दंडनीय प्रावधान की वैधता पर अदालत के फैसला लेने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। पीठ उन अर्जियों पर सुनवाई कर रही थी जिनमें शीर्ष अदालत के ही वर्ष 2013 के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें दो समलैंगिक वयस्कों के बीच सहमति से शारीरिक संबंधों को फिर से अपराध की श्रेणी में रख दिया गया था। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘दो वयस्कों के बीच सहमति से यौन संबंधों से जुड़ी धारा 377 की वैधता के मसले को हम अदालत के विवेक पर छोड़ते हैं।’’ बता दें कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार (10 जुलाई) को शुरू हुई थी। 2013 में समलैंगिकता को कोर्ट ने माना था अपराध इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2013 को सुरेश कुमार कौशल बनाम नाज फाउंडेशन मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए समलैंगिकता को अपराध माना था। 2 जुलाई 2009 को दिल्ली हाईकोर्ट ने धारा 377 को अंसवैधानिक करार दिया था। इस मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी और फिलहाल पांच जजों के सामने क्यूरेटिव बेंच में मामला लंबित है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर, डी वाय चंद्रचूड़, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच कर रही है। क्या है धारा 377? आईपीसी की धारा 377 के अनुसार यदि कोई वयस्‍क स्वेच्छा से किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित करता है तो, वह आजीवन कारावास या 10 वर्ष और जुर्माने से भी दंडित हो सकता है। समलैंगिकों को एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) भी कहा जाता है, जिसमें- लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर्स और क्वीर शामिल हैं। धारा 377 अप्राकृतिक यौन संबंधों को गैर-कानूनी बताती है। धारा 377: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के विवेक पर छोड़ा समलैंगिकता पर फैसला
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allgyan · 4 years
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समलैंगिकता या गे क्या है ?
समलैंगिकता और यौन आकर्षण -
आज के दौर में या कहे इन दिनों जो सबसे चर्चित शब्द 'समलैंगिकता या गे' रहा है कई देशों पिछले कई सालो में इस पर कई कानून भी बनाये गये| लेकिन सामन्य जनमानस में इसको लेकर कई भ्रांतिया है जिसके बारे में हम आज चर्चा करेंगे | और जितना भी हम इस बारे में जानते है उन भ्रांतियों को तोडने की कोशिश करेंगे |'समलैंगिकता' जो शब्द इससे ही आप इसके अर्थ को समझने की कोशिश तो जरूर कर सकते है |सामान लिंग के समूह या लोग समलैंगिकता का अर्थ किसी व्यक्ति का समान लिंग के लोगों के प्रति यौन और रोमांसपूर्वक रूप से आकर्षित होना है।
लेस्बियन और बाईसेक्सुअल और एलजीबीटी क्या है -
पुरुष अगर पुरुष के प्रति के आकर्षित होगा तो उसे 'पुरुष समलिंगी' कहते है |और ��गर महिला -महिला की ओर आकर्षित होगी |उसे 'लेस्बियन ' कहते है | गे शब्द दोनों के लिए प्रयोग होता है |जो लोग महिला और पुरषों दोनों के प्रति आकर्षित होते है उन्हें 'उभयलिंगी ' कहते है |इंग्लिश में इन्हे 'बाईसेक्सुअल' भी कहा जाता है | ये सभी एलजीबीटी समुदाय के अंतर्गत आते है |इसके विपरीत, एक व्यक्ति बिना समलैंगिक यौन सम्बन्ध बनाए भी 'गे' हो सकता है। ऐसे व्यक्तियों के पास समलैंगिक के रूप में सामाजिक रूप से पहचान करना, शादी न करना, या पहले समलैंगिक अनुभव का अनुमान लगाने जैसे संभावित विकल्प हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उसी लिंग की तरफ़ आकर्षित होते हैं जिसके वे ख़ुद हैं, लेकिन न तो वे यौन गतिविधि में संलग्न होते हैं और न ही समलैंगिक के रूप में स्वयं की पहचान करते हैं। ऐसे लोगों के लिए अलैंगिक (asexual) शब्द लागू हो सकता है|
समलैंगिकता और धर्म-
समलैंगिकता  को कई लोग हेय दृष्टि से देखते है लेकिन ये प्रमाण मिले है की की मानव सभ्यता से ही ये अस्तित्व में रहा है |और तो और वातायन द्वारा लिखा गया -'कामसूत्र ' में इसपे पूरा का पूरा चैप्टर है |कामसूत्र महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित भारत का एक प्राचीन कामशास्त्र ग्रंथ है।यह विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धान्तों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है।ये संस्कृत में लिखी गयी है और बाद में इसे 1883  अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया |जैसा देखते है भारत के कई पुराणों में इनका उल्लेख मिलता है |
भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप, विष्णु का मोहिनी रूप, अर्जुन का बृहन्नला रूप, शिखंडी का लिंग परिवर्तन सभी से पूरा हिंदू धर्म वाकिफ है और इन्हें पूजनीय भी मानता है। हिंदू धर्म में इन सभी को भगवान की उपाधि दी गई है। भगवान के इन रूपों को भी सही मानते हुए पुराणों में जगह दी गई है।खजुराहो के मंदिर की दीवारों पर बनी कलाकृति भी इस बात की गवाह है कि उस समय भी समलैंगिक संबंध गलत नहीं माने जाते थे। केवल यहूदी, ईसाई धर्म और इस्लाम में इसे वर्जित करार दिया गया है। हालांकि पोप का कहना है कि समलैंगिक लोग भी उसी ईश्वर की संतान हैं जिसकी संतान हम हैं। हमें उन लोगों के प्रति भेदभाव नहीं करना चाहिए।
लेकिन इन सभी पुष्टियों और तर्कों के बाद भी सवाल अभी भी यही है कि क्यों और किस धर्म के नाम पर समलैंगिक संबंधों को गलत या पाप बताया जा रहा है किसी की अपने साथी चुनने की आजादी पर क्यों धर्म का ठप्पा लगाकर उसे रोकने की कोशिश की जा रही होती है |
क्या यौन वरीयता मनुष्य का अपना व्यक्तिगत मामला?
यौन वरीयता मनुष्य का अपना व्यक्तिगत मामला हो सकता है, लेकिन एक इसी आधार पर उसे पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता| इसके समर्थन से जुड़े लोगों का यह तर्क हैं कि व्यक्ति का आकर्षण किस ओर होगा यह उसकी मां के गर्भ में ही निर्धारित हो जाता हैंऔर अगर वह समलिंगी संबंधों की ओर आकृष्ट होते हैं तो यह पूर्ण रूप से स्वाभाविक व्यवहार माना जाना चाहिए लेकिन यहां इस बात की ओर ध्यान देना जरूरी है कि जब प्रकृति ने ही महिला और पुरुष दोनो को एक दूसरे के पूरक के रूप में पेश किया हैं. तो ऐसे हालातों में पुरुष द्वारा पुरुष की ओर आकर्षित होने के सिद्धांत को मान्यता देना कहा तक स्वाभाविक माना जा सकता हैं|इस तरह के भी तर्क दिए जाते रहे है |
समलैंगिकता पर संघर्ष और कानून को मान्यता -
समलैंगिकता के खिलाफ अंग्रेजों ने धारा 377 को 1860 में लागू किया था। 158 साल पुराने इस कानून के द्वारा समलैंगिकता को गैरकानूनी बताया गया है।अविभाजित भारत में वर्ष 1925 में खानू बनाम सम्राट का समलैंगिकता से जुड़ा पहला मामला था। उस मामले में यह फैसला दिया गया कि यौन संबंधों का मूल मकसद संतानोत्पत्ति है लेकिन अप्राकृतिक यौन संबंध में यह संभव नहीं है।
पहला शाही 'गे' होने की किसने की घोषणा -
2005 में गुजरात के राजपिपला के राजकुमार मानवेंद्र सिंह ने पहला शाही ‘गे’ होने की घोषणा की।बॉलीवुड भी इस विषय पर मुखर हुआ और ऐसे विषय पर फिल्मे बनी |हनीमून ट्र���वल प्रा लिमिटेड और दोस्ताना जैसी मूवी भी आयी |धीरे -धीरे तकनिकी का भी इसको साथ मिला |इंटरनेट पर गे डेटिंग वेबसाइटों की भरमार। गे कम्युनिटी और इन पर ब्लॉग्स से अटी पड़ी है साइटें एलजीबीटी अधिकार संयुक्त राष्ट्र के 94 सदस्य देश इनके समान अधिकारों का समर्थन करते हैं।फिर वो भी दिन आ गया जिसने भारत में 2017 अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में लैंगिक झुकाव को निजता के अधिकार से जोड़कर देखा।समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है और इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा|
समलैंगिकता मुस्लिम देशों और कहा वैध है -
कई  देशों पहले से ही अपने यहाँ इसे वैध किया है | जैसे लेबनान, कजाखिस्तान, माली, तुर्की, इंडोनेशिया, बहरीन, अल्बेनिया, अजरबैजान, नाइजर इन देशों में है मृत्युदंड सुडान, यमन, सऊदी अरब, ईरान, सोमालिया, नाइजीरिया, कतर, अफगानिस्तान, यूएई, मॉरीतानिया दुनिया के इन देशों ने इस साल किया वैध अर्जेंटीना (2010), ग्रीनलैंड(2015), दक्षिण अफ्रीका (2006), ऑस्ट्रेलिया (2017),आइसलैंड (2010), स्पेन (2005), बेल्जियम (2003), आयरलैंड (2015), अमेरिका (2015), ब्राजील (2013), स्वीडन (2009), कनाडा (2005),जर्मनी (2017), फ्रांस (2013), इंग्लैंड (2013)।हमारा मकसद ये रहता है की आपको सभी चीजें को जोड़कर एक जगह प्रस्तुत किया जाये |
पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/38AyBhs
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globalexpressnews · 6 years
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को करेगा सुनवाई, केंद्र की सुनवाई टालने संबंधी याचिका ठुकराई नई दिल्ली: समलैंगिगता को अपराध मानने वाली IPC धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ 10 जुलाई यानी मंगलवार से सुनवाई शुरू करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चार हफ्ते के लिए सुनवाई टालने के आग्रह को ठुकरा दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सुनवाई टाली नहीं जाएगी. बता दें कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस मामले में सरकार को हलफनामा दाखिल करना है जो इस केस में महत्वपूर्ण हो सकता है. इसलिए केस को चार हफ्ते के लिए टाला जाए. CJI ने केंद्र से कहा कि मंगलवार को कल याचिकाकर्ता बहस करेंगे. केंद्र उसके बाद कर सकता है. समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ 10 जुलाई से करेगी सुनवाई समलैंगिगता को अपराध मानने वाली IPC धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंग्टन आर नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस इंदू मल्होत्रा का संविधान पीठ शामिल हैं, जो ममले की सुनवाई करेंगे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांग चुका है. एक याचिका हमसफर ट्रस्ट की ओर से अशोक राव कवि ने दायर की है जबकि दूसरी याचिका आरिफ जफर ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दोषपूर्ण है. याचिका में कहा गया है कि निजता के अधिकार के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के धारा 377 के फैसले को उलट दिया गया है. याचिका में हाल के हदिया मामले पर दिए गए फैसले का जिक्र किया गया है जिसमें शादीशुदा या गैर शादीशुदा लोगों को अपना पार्टनर चुनने का अधिकार दिया गया है. यूपी में लेस्बियन कपल ने रचाई शादी, दूल्‍हा बनकर आई थी एक लड़की पिछले 23 अप्रैल को द ललित सूरी हॉस्पिटैलिटी ग्रुप के कार्यकारी निदेशक केशव सूरी की याचका पर सुनवाई करते हुए भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. केशव सूरी ने अपनी याचिका में सेक्सुअल पसंद को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक अधिकार घोषित करने की मांग की है. अपनी याचिका में उन्होंने मांग की है कि आपसी सहमति से दो समलैंगिक वयस्कों के बीच यौन संबंध से अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होने के प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट समाप्त करे. सूरी ने वकील मुकुल रोहतगी के माध्यम से यह याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि आईपीसी की धारा 377 गैर कानूनी है. सूरी ने अपनी याचिका में कहा है कि वह आपसी सहमति से पिछले एक दशक से अपने एक वयस्क सहयोगी के साथ रह रहे हैं और वे देश के समलैंगिक, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर और क्वीयर समुदाय के अंग हैं. सूरी ने अपनी याचिका में कहा है कि अपनी यौनिक पसंद की वजह से उन्हें भेदभाव झेलना पड़ रहा है. इस बारे में नवतेज सिंह की भी एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. याचिका में कहा गया है कि देश में भारी संख्या में लोगों के साथ भेदभाव नहीं होने दिया जा सकता और उनको उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता. सूरी का यह कहना है कि एलजीबीटीक्यू समुदाय के बहिष्कार का मतलब है उनको नौकरी और संपत्ति के निर्माण से दूर रखना है जो उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ जीडीपी को प्रभावित करता है. हालांकि इस मामले को स���प्रीम कोर्ट संविधान पीठ को भेज चुका है. समलैंगिकता को अपराध बताने वाले कानून को रद्द करने की मांग वाली एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनवरी में समलैंगिकता अपराध है या नहीं? समलैंगिकों के संबंध बनाने पर IPC 377 के तहत कार्रवाई पर फिर से अपने पहले के आदेश पर फिर से सुप्रीम कोर्ट विचार करने को तैयार हो गया था. मामले को बड़ी बेंच मे भेजा गया था और पांच जजों के पीठ में मामला लंबित है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नाज फाउंडेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है क्योंकि हमे लगता है कि इसमें संवैधानिक मुद्दे जुडे हुए हैं। दो व्यस्कों के बीच शारीरिक संबंध क्या अपराध हैं, इस पर बहस जरूरी है. अपनी इच्छा से किसी को चुनने वालों को भय के माहौल में नहीं रहना चाहिए. कोई भी इच्छा को कानून के चारों तरफ नहीं रह सकता लेकिन सभी को अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार के तहत कानून के दायरे में रहने का अधिकार है. सामाजिक नैतिकता वक्त के साथ बदलती है. इसी तरह कानून भी वक्त के साथ बदलता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने को कहा था. टिप्पणियां
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allgyan · 4 years
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समलैंगिकता और यौन आकर्षण -
आज के दौर में या कहे इन दिनों जो सबसे चर्चित शब्द 'समलैंगिकता या गे' रहा है कई देशों पिछले कई सालो में इस पर कई कानून भी बनाये गये| लेकिन सामन्य जनमानस में इसको लेकर कई भ्रांतिया है जिसके बारे में हम आज चर्चा करेंगे | और जितना भी हम इस बारे में जानते है उन भ्रांतियों को तोडने की कोशिश करेंगे |'समलैंगिकता' जो शब्द इससे ही आप इसके अर्थ को समझने की कोशिश तो जरूर कर सकते है |सामान लिंग के समूह या लोग समलैंगिकता का अर्थ किसी व्यक्ति का समान लिंग के लोगों के प्रति यौन और रोमांसपूर्वक रूप से आकर्षित होना है।
लेस्बियन और बाईसेक्सुअल और एलजीबीटी क्या है -
पुरुष अगर पुरुष के प्रति के आकर्षित होगा तो उसे 'पुरुष समलिंगी' कहते है |और अगर महिला -महिला की ओर आकर्षित होगी |उसे 'लेस्बियन ' कहते है | गे शब्द दोनों के ��िए प्रयोग होता है |जो लोग ��हिला और पुरषों दोनों के प्रति आकर्षित होते है उन्हें 'उभयलिंगी ' कहते है |इंग्लिश में इन्हे 'बाईसेक्सुअल' भी कहा जाता है | ये सभी एलजीबीटी समुदाय के अंतर्गत आते है |इसके विपरीत, एक व्यक्ति बिना समलैंगिक यौन सम्बन्ध बनाए भी 'गे' हो सकता है। ऐसे व्यक्तियों के पास समलैंगिक के रूप में सामाजिक रूप से पहचान करना, शादी न करना, या पहले समलैंगिक अनुभव का अनुमान लगाने जैसे संभावित विकल्प हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उसी लिंग की तरफ़ आकर्षित होते हैं जिसके वे ख़ुद हैं, लेकिन न तो वे यौन गतिविधि में संलग्न होते हैं और न ही समलैंगिक के रूप में स्वयं की पहचान करते हैं। ऐसे लोगों के लिए अलैंगिक (asexual) शब्द लागू हो सकता है|
समलैंगिकता और धर्म-
समलैंगिकता  को कई लोग हेय दृष्टि से देखते है लेकिन ये प्रमाण मिले है की की मानव सभ्यता से ही ये अस्तित्व में रहा है |और तो और वातायन द्वारा लिखा गया -'कामसूत्र ' में इसपे पूरा का पूरा चैप्टर है |कामसूत्र महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित भारत का एक प्राचीन कामशास्त्र ग्रंथ है।यह विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धान्तों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है।ये संस्कृत में लिखी गयी है और बाद में इसे 1883  अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया |जैसा देखते है भारत के कई पुराणों में इनका उल्लेख मिलता है |
भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप, विष्णु का मोहिनी रूप, अर्जुन का बृहन्नला रूप, शिखंडी का लिंग परिवर्तन सभी से पूरा हिंदू धर्म वाकिफ है और इन्हें पूजनीय भी मानता है। हिंदू धर्म में इन सभी को भगवान की उपाधि दी गई है। भगवान के इन रूपों को भी सही मानते हुए पुराणों में जगह दी गई है।खजुराहो के मंदिर की दीवारों पर बनी कलाकृति भी इस बात की गवाह है कि उस समय भी समलैंगिक संबंध गलत नहीं माने जाते थे। केवल यहूदी, ईसाई धर्म और इस्लाम में इसे वर्जित करार दिया गया है। हालांकि पोप का कहना है कि समलैंगिक लोग भी उसी ईश्वर की संतान हैं जिसकी संतान हम हैं। हमें उन लोगों के प्रति भेदभाव नहीं करना चाहिए।
लेकिन इन सभी पुष्टियों और तर्कों के बाद भी सवाल अभी भी यही है कि क्यों और किस धर्म के नाम पर समलैंगिक संबंधों को गलत या पाप बताया जा रहा है किसी की अपने साथी चुनने की आजादी पर क्यों धर्म का ठप्पा लगाकर उसे रोकने की कोशिश की जा रही होती है |
क्या यौन वरीयता मनुष्य का अपना व्यक्तिगत मामला?
यौन वरीयता मनुष्य का अपना व्यक्तिगत मामला हो सकता है, लेकिन एक इसी आधार पर उसे पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता| इसके समर्थन से जुड़े लोगों का यह तर्क हैं कि व्यक्ति का आकर्षण किस ओर होगा यह उसकी मां के गर्भ में ही निर्धारित हो जाता हैंऔर अगर वह समलिंगी संबंधों की ओर आकृष्ट होते हैं तो यह पूर्ण रूप से स्वाभाविक व्यवहार माना जाना चाहिए लेकिन यहां इस बात की ओर ध्यान देना जरूरी है कि जब प्रकृति ने ही महिला और पुरुष दोनो को एक दूसरे के पूरक के रूप में पेश किया हैं. तो ऐसे हालातों में पुरुष द्वारा पुरुष की ओर आकर्षित होने के सिद्धांत को मान्यता देना कहा तक स्वाभाविक माना जा सकता हैं|इस तरह के भी तर्क दिए जाते रहे है |
समलैंगिकता पर संघर्ष और कानून को मान्यता -
समलैंगिकता के खिलाफ अंग्रेजों ने धारा 377 को 1860 में लागू किया था। 158 साल पुराने इस कानून के द्वारा समलैंगिकता को गैरकानूनी बताया गया है।अविभाजित भारत में वर्ष 1925 में खानू बनाम सम्राट का समलैंगिकता से जुड़ा पहला मामला था। उस मामले में यह फैसला दिया गया कि यौन संबंधों का मूल मकसद संतानोत्पत्ति है लेकिन अप्राकृतिक यौन संबंध में यह संभव नहीं है।
पहला शाही 'गे' होने की किसने की घोषणा -
2005 में गुजरात के राजपिपला के राजकुमार मानवेंद्र सिंह ने पहला शाही ‘गे’ होने की घोषणा की।बॉलीवुड भी इस विषय पर मुखर हुआ और ऐसे विषय पर फिल्मे बनी |हनीमून ट्रेवल प्रा लिमिटेड और दोस्ताना जैसी मूवी भी आयी |धीरे -धीरे तकनिकी का भी इसको साथ मिला |इंटरनेट पर गे डेटिंग वेबसाइटों की भरमार। गे कम्युनिटी और इन पर ब्लॉग्स से अटी पड़ी है साइटें एलजीबीटी अधिकार संयुक्त राष्ट्र के 94 सदस्य देश इनके समान अधिकारों का समर्थन करते हैं।फिर वो भी दिन आ गया जिसने भारत में 2017 अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में लैंगिक झुकाव को निजता के अधिकार से जोड़कर देखा।समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है और इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा|
समलैंगिकता मुस्लिम देशों और कहा वैध है -
कई  देशों पहले से ही अपने यहाँ इसे वैध किया है | जैसे लेबनान, कजाखिस्तान, माली, तुर्की, इंडोनेशिया, बहरीन, अल्बेनिया, अजरबैजान, नाइजर इन देशों में है मृत्युदंड सुडान, यमन, सऊदी अरब, ईरान, सोमालिया, नाइजीरिया, कतर, अफगानिस्तान, यूएई, मॉरीतानिया दुनिया के इन देशों ने इस साल किया वैध अर्जेंटीना (2010), ग्रीनलैंड(2015), दक्षिण अफ्रीका (2006), ऑस्ट्रेलिया (2017),आइसलैंड (2010), स्पेन (2005), बेल्जियम (2003), आयरलैंड (2015), अमेरिका (2015), ब्राजील (2013), स्वीडन (2009), कनाडा (2005),जर्मनी (2017), फ्रांस (2013), इंग्लैंड (2013)।हमारा मकसद ये रहता है की आपको सभी चीजें को जोड़कर एक जगह प्रस्तुत किया जाये |
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