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#हार्ट अटैक से बचने के लिए कुछ उपाय
nityapandey · 1 year
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हार्ट अटैक से बचने के लिए क्या करे?
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हार्ट अटैक से बचने के लिए कुछ उपाय हैं जो निम्नलिखित हैं:
स्वस्थ आहार: स्वस्थ खाने का आदत बनाना हार्ट अटैक से बचाने के लिए बहुत जरूरी है। आपको अपने आहार में हरे सब्जियां, फल, अंडे, दूध और दही जैसे पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए। आपको तले हुए और तला हुआ भोजन कम खाना चाहिए और बाकी खाने में तेल, चीनी और नमक की मात्रा कम करनी चाहिए।
व्यायाम: व्यायाम करना हार्ट अटैक से बचने के लिए बहुत जरूरी है। न्यूनतम 30 मिनट तक रोजाना व्यायाम करना चाहिए जैसे चलना, दौड़ना या साइकिल चलाना। आप योग और मेडिटेशन जैसे सक्रिय ध्यान भी कर सकते हैं।
वजन कम करें: अधिक वजन हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाता है, इसलिए वजन कम करना बहुत जरूरी है। आपको वजन कम करने के लिए अपने आहार में कम कैलोरी वाले भोजन शामिल करने चाहिए और नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
धूम्रपान और शराब का सेवन न करें: धूम्रपान और शराब के सेवन से हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाया जाता है। इन चीजों से दूर रहना बहुत जरूरी है।
तनाव कम करें: तनाव हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाता है। आपको नियमित रूप से विश्राम लेना चाहिए और ध्यान भी करना चाहिए।
यदि आपको हार्ट अटैक के लक्षण जैसे दर्द या बेहोशी का सामना करना पड़ता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता के लिए किसी अस्पताल में जाना चाहिए। साथ ही, आपको नियमित रूप से अपनी स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए और अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
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ragbuveer · 9 months
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (चतुर्थी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
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#udaipur
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#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-31-दिसम्बर-2023
वार :- -------रविवार
तिथी :-----04चतुर्थी-11:56
पक्ष:------कृष्णपक्ष
माह:-----पौषमास
नक्षत्र:-----मघा:-29:42
योग:------प्रीति:-27:40
करण:-----बालव:-11:56
चन्द्रमा:------सिंह
सूर्योदय:-----07:29
सूर्यास्त:------17:52
दिशा शूल------पश्चिम
निवारण उपाय:---पान का सेवन
ऋतु :------- शिशिर ऋतु
गुलीक काल:---15:10से 16:30
‌राहू काल:---16:30से17:51
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:-------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
चंचल:-08:47से10:05तक
लाभ:-10:05से11:33तक
अमृत:-11:33से12:51तक
शुभ:-14:08से15:26तक
🌗चोघङिया रात🌓
शुभ:-17:52से19:34तक
अमृत:-19:34से21:14तक
चंचल:-21:14से22:54तक
लाभ :-02:30से04:10तक
शुभ :-05:50से07:29तक
🍁आज के विशेष योग🍁
वर्ष का 283वाँ दिन, श्री दीप- नारायणपुरी पुण्य,गुरु मार्गी 08:11, यमघण्टयोग दिन-रात,
🌺 👉 टिप्स 👈🌺
पौष मास में ज्यादा लाल वस्त्र ही पहने।
सुविचार
बड़ों की बातें हमेशा ध्यान से सुनो क्योंकि वे जब भी कुछ कहते है तो अपने तजुर्बे से कहते है।👍 राधे राधे...
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
इन ठंडे दिनों में हार्ट अटैक से बचने के लिए- पूरे गरम कपड़े पहनें, शीत से बचें, व्यायाम करते रहें, दिन में चार पाँच लौंग चबा लिया करें, पीपल के पत्ते के टुकड़े कर दस मिनट पानी में उवाल कर पानी को तीन बार में सुबह पी लिया करें, तली चीजों से बचें, भोजन के बाद पान का पत्ता चबाएँ, एक सेब रोज खाएँ।।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
☀️ मेष राशि :- आज जल्दबाजी में गलत फैसले लेने से बचें। रुके कार्यों में अचानक गती आ सकती है। सुख साधनों पर बड़ा खर्च आज संभव है। किसी कार्यक्रम की रूप रेखा बना सकते हैं। पुराना लेन-देन हो सकता है।
☀️ वृषभ राशि :- आज व्यवसाय में नई योजना लागू हो सकती है। व्यस्तता के चलते स्वास्थ बिगड़ सकता है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए और कड़ी मेहनत करनी होगी। बहनों से संबध में कड़वाहट आ सकती है। संतान सुख की प्राप्ति होगी।
☀️ मिथुन राशि :- आज मन की अस्थिरता के कारण फैसले लेने में सक्षम नहीं रहेंगे। अपने क्रोध पर अंकुश रखें। अपने संबंधों के कारण रुके कार्य को गती मिलेगी। मित्रों के साथ समय व्यतीत होगा। संतों का सानिध्य मिलेगा।
☀️ कर्क राशि :- आज आकस्मिक धन लाभ होगा। किसी बड़े निवेश का अंदेशा है, जो लाभदायक रहेगा। व्यापार व्यवसाय को नई उंचाई मिलेगी। विरोधी सक्रिय होंगे। जीवन-साथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। संतान सुख संभव है।
☀️ सिंह राशि :- आज नौकरी पेशा लोगों के लिए समय शुभ है। पारिवारिक समारोह की तैयारी में लगे रहेंगे। परिजनों का सहयोग मिलेगा। दांत संबंधित रोग से पीड़ित रहेंगे। पिता के साथ किसी महत्त्वपूर्ण विषय पर चर्चा होगी।
☀️ कन्या राशि :- आज अटके हुए काम पूरे होंगे। किसी विशेष व्यक्ति से मुलाकात होगी। अपने कार्य के प्रति आप समर्पित नहीं हैं। ध्यान देकर कार्य करें। जीवन-साथी के सहयोग से स्वकार्य पूरे होंगे। मौज-मस्ती में समय व धन खर्च होगा।
☀️ तुला राशि :- आज मांगलिक कार्यों में शामिल होंगे। संतान की उन्नति से प्रसन्न होंगे। अपने सहकर्मियों से मतभेद संभव है। विरोधी नुकसान पहुंचा सकते हैं। बाहर जाने के योग बन रहे हैं। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।
☀️ वृश्चिक राशि :- आज क्रोध की अधिकता रहेगी। किसी लाभकारी अवसर की तलाश में हैं। व्यापरिक नए सौदे लाभ देंगे। नए मित्र बनेंगे। समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी। विवाह प्रस्ताव सफल होंगे। बहनों का सहयोग मिलेगा।
☀️ धनु राशि :- आज स्वास्थ्य में सुधार होगा। पारिवारिक झगड़े बैठकर हल होंगे। आकस्मिक यात्रा हो सकती है। नई जिम्मेदारी मिलने से लोगों का नजरिया बदलेगा। अपने अधिकारियों से संबंधो में नजदिकियां आयेंगी। जीवन-संगनी का साथ मिलेगा।
☀️ मकर राशि :- आज सेना प्रशासन से जुड़े लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। विरोधी सक्रीय होंगे सतर्कता से समय व्यतीत करें। पेट संबंधित रोग से पीड़ित रहेंगे। आर्थिक लाभ होगा, भवन परिवर्तन संभव है।
☀️ कुंभ राशि :- आज अपने संपर्क का लाभ मिलेगा। मित्रों के साथ समय व्यतीत होगा। नए वस्त्र आभूषण की प्राप्ति हो सकती है। पारिवारिक माहौल आनंदप्रद रहेगा। पेट संबंधित रोग से ग्रस्त रहेंगे।
☀️ मीन राशि :- आज यात्रा के योग बन रहे हैं। नौकरी में पदोन्नति हो सकती है। परीक्षार्थी सफल होंगे। अपने व्यवहार से अधीनस्थों का दिल जीत लेंगे। घेरलू विवाद के कारण तनाव में रहेंगे। न्यायपक्ष अनुकूल रहेगा।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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merisahelimagazine · 4 years
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अब हृदय संबंधी रोगों में मिलेगा लाभः मंत्र-मुद्रा-मेडिटेशन के साथ (Mantra-Mudra-Meditation Therapy for Heart Disease)
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आजकल की तनावयुक्त व्यस्त जीवनशैली लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है. यही वजह है कि जहां कुछ सालों पहले तक हृदय संबंधी समस्याएं उम्रदराज़ लोगों को हुआ करती थीं,  वहीं अब ये युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही हैं.  आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दुनियाभर में लगभग 1.5 करोड़ लोगों की मौत हृदय रोग की वजह से होती है. इसमें 85 फीसदी मौतें सिर्फ हार्ट अटैक और स्ट्रोक की वजह से होती हैं.
भारत में  भी दिल की बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है. भारत की 1.30 अरब की आबादी में से 4.5 करोड़ लोग दिल की बीमारी से पीडि़त हैं. इस लिहाज से भारत में हृदय रोगियों की संख्या दुनिया में सर्वाधिक है. अमेरिका के एक रिसर्च जरनल में छपे लेख के मुताबिक़, 2015 तक भारत में 6.2 करोड़ लोगों को दिल से जुड़ी बीमारी हुई. इसमें से तकरीबन 2.3 करोड़ लोगों की उम्र 40 साल से कम है. यानी 40 फ़ीसदी हार्ट के मरीज़ों की उम्र 40 साल से कम है. भारत के लिए ये आंकड़े अपने आप में चौंकाने वाले हैं. healthdata.org के मुताबिक प्रीमैच्योर डेथ यानी अकाल मृत्यु के कारणों में 2005 में दिल की बीमारी का स्थान तीसरा था, लेकिन 2016 में दिल की बीमारी, अकाल मृत्यु का पहला कारण बन गया है.
 मधुमेह, उच्च रक्तचाप,  हाई कोलेस्ट्रॉल,  धूम्रपान एवं आनुवंशिक कारणों से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ रही है. लोगों को हृदय से जुड़ी कई बीमारियां होती हैं और इसके कई कारण हैं. भारत में पिछले 26 साल में दिल की बीमारी से मरने वालों की संख्या में 34 फीसदी बढ़त दर्ज हुई है. तनाव, अस्वस्थ जीवनशैली, फास्ट फूड का बढ़ता सेवन, खाने में नमक की अधिक मात्रा, एक्सरसाइज़ की कमी, धूम्रपान व शराब का सेवन इत्यादि इसके प्रमुख कारण हैं.
दिल की बीमारियों से बचने के लिए खानपान व जीवनशैली में सुधार के साथ-साथ मंत्र, मुद्रा व मेडिटेशन की शरण में जाकर आपको बेहद लाभकारी परिणाम मिल सकते हैं.
योग विज्ञान के अनुसार, हमारे हृदय के पास स्थित अनाहद चक्र का अंसतुलित होना हृदय रोगों का प्रमुख कारण है. आजकल लोग तनाव, एंजायटी, स्ट्रेस और फियर में जीवन व्यतीत करते है या उनकी जीवनशैली बदल गई है. जिसके कारण हृदय रोग होते हैं. इसके दूर करने के लिए मुद्रा विज्ञान में बहुत अच्छे उपाय बताए गए हैं.
 हृदय रोग दूर करने में संजीवनी या हृदय मुद्रा बहुत कारगर है. इस मुद्रा को लगाने के लिए तर्जनी से अंगूठे के बेस पर स्पर्श करें.  मध्यमा और अनामिका से अंगूठे के पोर को टच करें. तर्जनी वायु तत्व का प्रतीक है. हम उसे अग्नि तत्व यानी अंगूठे के पास लाकर उसे संतुलित करने की कोशिश करते हैं. अग्नि के पास स्पेस यानी मध्यमा को ले आते हैं, क्योंकि हृदय रोग इसलिए पैदा होता है, क्योंकि वहां यानी हृदय में स्पेस कम होता जाता है. उसके साथ पृथ्वी तत्व यानी अनामिका लाते हैं, क्योंकि हमें हृदय की मांसपेशियां और नाड़ियों को भी मजबूत करना है. उन्हें एक डायरेक्शन में लाना है.
हथेलियों में यह मुद्रा लगाकर हाथों को घुटने पर रखें. आंखें बंद करें और हृदय पर ध्यान केंद्रित करें. श्वास धीमे-धीमे लें. इसके साथ ॐनमः शिवायका जाप करें. हृदय में मंत्र का जाप करें. श्वास लेते हुए इस मंत्र का जाप करें और फिर श्वास रोकें. श्वास छोड़ने से पहले फिर से जाप करें और फिर श्वास छोड़ें. श्वास छोड़ने के बाद एक बार फिर मंत्र का जाप करें.
शिव कोई व्यक्ति या आकृति नहीं है. यह चेतन तत्व है. इससे मिलने से ब्लॉकेज व असंतुलन में संतुलन आता है. नमः का अर्थ है झुक जाना, समर्पित या अपर्ति हो जाना. हम इसके माध्यम से कहते हैं कि जो कुछ है, वो तेरा है. मेरा कुछ नहीं है. हुक्म भी उसका और आदेश भी उसका. शिवाय का अर्थ है शव के पार. शव तो मर गया, लेकिन उसके पार कौन है. कहते हैं कि जब शव मर जाता है तो बीच में कुछ निकलता है. वो परम तत्व यानी शिव तत्व है, इसलिए उसके साथ जो सदा था, सदा है और सदा रहेगा, वो शिवाय है. उसको हम प्रणाम करते हैं. इस मंत्र-मुद्रा का प्रवाह हृदय की तरफ बढ़ता है. इससे हृदय में शांति आती है.
मंत्र और मुद्रा संपन्न होते ही ध्यान में उतर जाएं. आप जितना गहरा ध्यान करेंगे, आपका रक्त उतना ही शुद्ध होगा, बैड कोलेस्ट्रॉल घटने लगेगा और हृदय संबंधी समस्याएं ख़त्म होने लगेंगी और दिल को नई शक्ति मिलेगी.
इस तरह ध्यान, मुद्रा और मंत्र का संगम अपने हृदय में नई शक्ति फूंक देगा. ध्यान लगाने के लिए दोनों हाथों को संजीवनी मुद्रा में रखकर लेट जाएं. आंखें बंद कर लें. शरीर को मुर्दा की तरह ढीला छोड़ दें. धीरे-धीरे ॐ नमः शिवाय का जाप करें. श्‍वास के साथ मंत्र चलते रहना चाहिए. जैसे-जैसे शरीर ढीला होता जाएगा, इस मंत्र की तरंगें पहुंचना शुरू हो जाएंगी. जैसे-जैसे इस मंत्र की तरंगें आपके शरीर में पहुंचें, इसी मंत्र को ध्यान बना लें.  इसी मंत्र का ध्यान लगा लें. मंत्र ही ध्यान हो जाएगा, ध्यान ही मंत्र हो जाएगा. आपके और मंत्र में कोई अंतर नहीं होना चाहिए. जैसे-जैसे आप ध्यान में उतरते जाएंगे, आपका रक्त व हृदय शुद्ध होते जाएगा.
सिर्फ हृदय संबंधी रोग ही नहीं, ध्यान और मंत्र-मुद्रा की मदद से आप जोड़ों में दर्द, ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, एंज़ायटी जैसी 1-2 नहीं, बल्कि 48 बीमारियों से निजात पा सकते हैं. इसके लिए  डाउनलोड करें वैदिक हीलिंग मंत्र ऐप. जिसमें 48 बीमारियों से संबंधित 48 मंत्रों व मुद्राओं के साथ-साथ 48 रोगों के लिए गाइडेड मेडिटेशन टेक्नीक यानी ध्यान के तरीक़ों की भी जानकारी दी गई है. इस तरह आप मंत्र, मुद्रा व ध्यान विज्ञान की इस प्राचीन विद्या का लाभ उठाकर स्वस्थ-निरोगी जीवन पा सकते हैं. ये ऐप एंड्रॉयड व आइओएस दोनों के लिए उपलब्ध है. मेडिटेशन की इन ख़ास तकनीकों के बारे में जानने के लिए 14 दिनों का फ्री ट्रायल पीरियड आज ही ट्राई करें और हमेशा स्वस्थ रहें.
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gethealthy18-blog · 5 years
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सीताफल के 10 फायदे और नुकसान – Custard Apple (Sitafal) Benefits and Side Effects in Hindi
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सीताफल के 10 फायदे और नुकसान – Custard Apple (Sitafal) Benefits and Side Effects in Hindi
सीताफल के 10 फायदे और नुकसान – Custard Apple (Sitafal) Benefits and Side Effects in Hindi Somendra Singh Hyderabd040-395603080 November 15, 2019
हमारे आसपास कई प्रकार के फल पाए जाते हैं, जिनमें से सीताफल भी प्रमुख है। सीताफल का सेवन व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य में होने वाली कई खामियों में कुछ हद तक सुधार कर सकता है, लेकिन यह लेख में बताई जा रही स्वास्थ्य समस्याओं का सटीक उपचार नहीं है। हां, यह आपको बीमार होने से बचा जरूर सकता है। स्टाइलक्रेज का यह लेख, सीताफल से होने वाले संभावित स्वास्थ्य लाभ के बारे में है। सीताफल खाने के फायदे के अलावा इसके कुछ नुकसान भी हैं। इस लेख में सीताफल खाने के फायदे के साथ आपको सीताफल खाने के नुकसान के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
आइए सबसे पहले जानते हैं कि सीताफल क्या है।
विषय सूची
सीताफल क्‍या है? – What is Custard Apple in Hindi
सीताफल एक स्वादिष्ट फल है, जो आसानी से फलों की दुकान में मिल जाएगा। इसकी बाहरी त्वचा हरे रंग की होती है, जो एक आवरण की तरह फल के अंदर मौजूद गूदे को ढककर रखती है। सीताफल को शुगर एप्पल और शरीफा के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एनोना स्क्वैमोसा (Annona squamosa) है। यह फल जब पक जाता है, तब इसे खाने के इस्तेमाल किया जाता है। सीताफल खाने के फायदे नीचे बताए जा रहा हैं। आप यहां दी गई जानकारी को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
सीताफल के फायदे – Benefits of Custard Apple (Sitafal) in Hindi
स्वास्थ्य के लिए सीताफल के फायदे कुछ इस प्रकार हैं।
1. स्वस्थ वजन के लिए
अगर कोई अपने वजन से परेशान है, तो इस स्थिति में सीताफल मदद कर सकता है। दरअसल, कम वजन होने का एक कारण यह भी है कि शरीर को जितनी ऊर्जा प्राप्त होती है, उससे कहीं ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है। वहीं, सीताफल को एक बेहतर ऊर्जा स्रोत वाले फल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जो वजन बढ़ाने में मदद कर सकता है (1), (2)। ध्यान रहे कि सीताफल के साथ-साथ अन्य डाइट व नियमित व्यायाम पर ध्यान देना भी जरूरी है।
2. अस्थमा के लिए
अस्थमा ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जो इन्फ्लेमेशन (फेफड़ों के रास्ते में सूजन) के कारण होती है (3)। यहां सीताफल के प्रयोग से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। यह एक बेहतरीन एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण वाला फल है (4)। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, एंटी-इंफ्लेमेटरी क्रिया अस्थमा के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है (5)। इसके लिए सीताफल के अर्क का सेवन किया जा सकता है।
3. हार्ट अटैक के खतरे को रोकने के लिए
हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए भी सीताफल का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, सीताफल में विटामिन-बी6 की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है (6)। एक डॉक्टरी रिसर्च के अनुसार, विटामिन-बी6 का सेवन, हृदय रोग के खतरे को कम कर सकता है (7)। इसमें हार्ट अटैक भी शामिल है।
4. पाचन स्वास्थ्य के लिए
अगर कोई पाचन प्रक्रिया को बेहतर रखना चाहता है, तो इस स्थिति में भी सीताफल काम आ सकता है। सीताफल खाने के फायदे में फाइबर की पूर्ति भी शामिल है (1)। वहीं, फाइबर की पूर्ति शरीर की पाचन क्रिया में भी सुधार करती है और साथ ही यह कब्ज की समस्या से भी लोगों को छुटकारा दिलाती है (8)।
5. डायबिटीज के उपचार में
डायबिटीज की स्थिति में सीताफल के लाभ उपयोग में लिए जा सकते हैं। दरअसल, सीताफल में एंटी-डायबिटिक गुण पाया जाता है। यह ब्लड ग्लूकोज के स्तर में सुधार करता है और डायबिटीज के लिए जिम्मेदार विभिन्न जोखिम को भी रोकने में प्रभावी रूप से कार्य कर सकता है (9)। इसके लिए सीताफल के गूदे की स्मूदी का सेवन किया जा सकता है। डायबिटीज में सीताफल लक्षणों को कम कर सकता है, उपचार नहीं कर सकता। बेहतर उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
6. ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए
ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने के लिए भी सीताफल का उपयोग किया जा सकता है। सीताफल में कुछ मात्रा मैग्नीशियम की होती है (1)। अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो सीताफल में मौजूद मैग्नीशियम के सेवन के जरिए उसे कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है। यह हाई ब्लड प्रेशर के कारण हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे को भी कम कर सकता है (10)।
7. कोलेस्ट्रोल को कम करने में
अगर कोलेस्ट्रोल के स्तर में अनावश्यक रूप से बढ़ोत्तरी हो जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। कोलेस्ट्रोल के स्तर को संतुलित बनाए रखने के लिए सीताफल को इस्तेमाल में ला सकते हैं। दरअसल, इसमें नियासिन विटामिन की मात्रा पाई जाती है (1)। नियासिन विटामिन का सेवन कोलेस्ट्रोल स्तर को संतुलित करके हृदय रोग, स्ट्रोक और हार्ट अटैक से बचाए रखने में लोगों की मदद कर सकता है (11)। ध्यान रहे कि आप कोलेस्ट्रोल की समस्या से पीड़ित हैं, तो घरेलू उपचार के साथ डॉक्टरी उपचार जरूर करवाएं।
8. एनीमिया को ठीक क��ने में
एनीमिया से बचने के लिए भी सीताफल खाने के लाभ देखे जा सकते हैं। एनीमिया एक मेडिकल कंडीशन है, जिसमें शरीर में रेड ब्लड सेल्स की कमी हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति के शरीर के सभी हिस्सों में खून के साथ ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा पहुंचने में परेशानी होती है। वहीं, सीताफल में आयरन व फोलेट की भी पर्याप्त मात्रा पाई जाती है और एनीमिया में आयरन व फोलेट की सबसे ज्यादा जरूरत होती है (1), (12)। इस प्रकार सीताफल के प्रयोग से एनीमिया के कुछ लक्षणों को कम किया जा सकता है। वहीं, अगर आप स्वस्थ हैं, तो एनीमिया से बचे रहे सकते हैं।
9. प्रेगनेंसी में सीताफल का सेवन
प्रेगनेंसी की स्थिति में भी सीताफल में मौजूद पोषक तत्व के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, सीताफल में आयरन व फोलेट की मात्रा पाई जाती है (1)। ये पोषक तत्व गर्भावस्था में एनीमिया को रोकने और न्यूरल ट्यूब दोष (Neural tube defect – बच्चों की रीढ़ और मस्तिष्क में जन्म के समय होने वाला दोष) से मां को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं (12), (13)। हालांकि, गर्भावस्था में सीताफल का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें, क्योंकि गर्भावस्था में इसके सेवन को लेकर अभी पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
10. स्वस्थ त्वचा और बालों के लिए
त्वचा को निखार देने के लिए भी सीताफल का सेवन काम आ सकता है। सीताफल में विटामिन-सी की मात्रा पाई जाती है (1)। विटामिन-सी त्वचा को सूर्य की हानिकारक पैराबैंगनी किरणों से बचाने में मदद कर सकता है (14)। साथ ही सीताफल में जिंक, आयरन, कैल्शियम व मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो बालों के लिए लाभदायक हो सकते हैं (15)। बेहतर होगा कि आप त्वचा विशेषज्ञ की सलाह पर ही इसका प्रयोग करें।
सीताफल के फायदे जानने के बाद अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि सीताफल में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
सीताफल के पौष्टिक तत्व – Custard Apple Nutritional Value in Hindi
सीताफल में निम्नलिखित पोषक तत्व पाए जाते हैं (1)।
पौष्टिक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम जल 73.23g ऊर्जा 94kcal ऊर्जा 393kJ प्रोटीन 2.06g टोटल लिपिड 0.29g ऐश (Ash) 0.78g कार्बोहाइड्रेट 23.64g फाइबर, कुल डाइटरी 4.4g मिनरल कैल्शियम 24mg आयरन 0.6mg मैग्नीशियम 21mg फास्फोरस 32mg पोटैशियम 247mg सोडियम 9mg  जिंक 0.1mg कॉपर 0.086mg सेलेनियम 0.6μg विटामिन  विटामिन सी, कुल एस्कॉर्बिक एसिड 36.3mg थायमिन 0.11mg राइबोफ्लेविन 0.113mg नियासिन 0.883mg पैंटोथैनिक एसिड 0.226mg विटामिन बी-6 0.2mg फोलेट (कुल,डीएफई,फूड) 14μg विटामिन ए, आईयू 6IU लिपिड फैटी एसिड टोटल, सैचुरेटेड 0.048g फैटी एसिड, टोटल मोनोअनसैचुरेटेड 0.114g फैटी एसिड, टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.04g ट्रिपटोफन 0.01g लाईसीन 0.005g मेथियोनीन 0.007g
लेख के अगले भाग में जानते हैं कि सीताफल को कैसे उपयोग किया जा सकता है।
सीताफल का उपयोग – How to Use Custard Apple (Sugar Apple) in Hindi
सीताफल को निम्न प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है-
सीताफल के अर्क का सेवन किया जा सकता है।
सीताफल के गूदे से बीज को निकालकर, इसकी स्मूदी बनाई जा सकती है।
सीताफल की सब्जी बनाकर खाई जा सकती है।
मिल्क शेक के जरिए भी सीताफल का सेवन कर सकते हैं(16)।
सीताफल खाने के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जिसके बारे में लेख के अगले भाग में जानकारी दी जा रही है।
सीताफल के नुकसान – Side Effects of Custard Apple (Sitafal) in Hindi
सीताफल के कुछ खास दुष्प्रभाव नहीं हैं और इस संबंध में अभी रिसर्च भी कम हुई है। अभी तक की उपलब्ध जानकारी के अनुसार अधिक मात्रा में सीताफल खाने से निम्न प्रकार के नुकसान हो सकते हैं:
सीताफल में मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है, जिसका अधिक सेवन मतली और पेट दर्द का कारण बन सकती है(1), (10)।
सीताफल खाते समय इसके बीज को निकाल लें, नहीं तो यह गले में फंस सकता है, जिससे दम भी घुट सकता है।
सीताफल का सेवन करने से पहले यह देख लें कि यह किसी भी प्रकार से चिड़ियां या किसी कीट से संक्रमित न हो। सीताफल का सेवन ऊपर बताई गई स्वास्थ्य समस्या का पुख्ता इलाज नहीं है, बल्कि यह उसे ठीक करने में और उसके खतरे को कम करने में मदद कर सकता है। सीताफल को अपनी डाइट में शामिल करने के लिए लोग ऊपर बताई गई विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं। सीताफल के लाभ या सेवन से जुड़ा अगर कोई सवाल आप हमसे पूछना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के जरिए हम तक अपनी बात अवश्य पहुंचाएं। साथ ही अगर कोई गंभीर बीमारी का उपचार करा रहा है, तो उस स्थिति में इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
The following two tabs change content below.
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Somendra Singh
सोमेंद्र ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 2019 में बी.वोक इन मीडिया स्टडीज की है। पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने पढ़ाई से अतिरिक्त समय बचाकर काम करना शुरू कर दिया था। इस दौरान सोमेंद्र ने 5 वेबसाइट पर समाचार लेखन से लेकर इन्हें पब्लिश करने का काम भी किया। यह मुख्य रूप से राजनीति, मनोरंजन और लाइफस्टइल पर लिखना पसंद करते हैं। सोमेंद्र को फोटोग्राफी का भी शौक है और इन्होंने इस क्षेत्र में कई पुरस्कार भी जीते हैं। सोमेंद्र को वीडियो एडिटिंग की भी अच्छी जानकारी है। इन्हें एक्शन और डिटेक्टिव टाइप की फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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hindiayurved-blog · 7 years
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12 Grapes Benefits | अंगूर खाने के फायदे | Angur ke fayde
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12 Grapes Benefits | अंगूर खाने के फायदे | Angur ke fayde
Benefits of Grapes in Hindi – Angoor ke Fayde
Benefits of Grapes Juice – आज इस लेख में अंगूर खाने के फायदे के बारें में जानेंगे। फलों में Angur का स्थान सबसे ऊपर है। इसे सौन्दर्यवर्धक और बलवर्धक फल कहना गलत नहीं होगा। अंगूर सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह हर उम्र के लोगो के लिए लाभकारी है। वैसे अंगूर को फलों की रानी भी कहा जाता है। Angoor आयु को बढ़ाने वाला बेहतरीन फल है। अंगूर के कई तरह किस्म होती है। जैसे – हरा, काला, बैंगनी, बीज रहित, छोटा और लम्बा इत्यादि। Angur ke Fayde.
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Angoor ke fayde – अंगूर का सेवन करने से यह शरीर में पानी की मात्रा को कम नहीं होने देता है। क्यूंकि अंगूर में पानी की मात्रा ज्यादा होती है। Angur / Grapes में एंटीऑक्सीडेंट होने के कारन यह शरीर से विषेले पदार्थ को बाहर निकालने में सहायक होता है।
Grapes Benefits in Hindi – Angur में सोडियम, ग्लूकोस, एसिड, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, सेलेनियम, आयरन, फाइबर और विटामिन A, B6, C इत्यादि होता है। अगर देखा जाये तो 100 ग्राम Angoor / अंगूर में मिनरल 0.6 ग्राम, फाइबर 2.9 ग्राम, प्रोटीन 0.72 ग्राम और कार्बोहाइड्रेट 18.1 ग्राम होती है। लगभग 15-25 प्रतिशत तक ग्लूकोस अंगूर में पाई जाती है। Angoor ke Fayde.
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अंगूर के बेहतरीन फायदे – Grapes Health Benefits in Hindi
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Grapes Benefits / अंगूर के फायदे / Angur ke fayde
1. कब्ज की समस्या में, अंगूर के फायदे – लगभग सभी बिमारियों की जड़ पेट होती है। इसीलिए स्वस्थ्य शरीर के लिए पेट का स्वस्थ्य रहना बहुत ही जरुरी है। आजकल हर उम्र के लोगो में कब्ज की समस्या हो रही है। रोजाना अंगूर का जूस पीजिये। यह पेट को साफ़ करने का काम करता है। इसमें आहार पचाने वाले रेशे होते है। जो आंतो को साफ़ करता है। Grapes Benefits in Hindi.
2. हड्डियों के लिए, अंगूर के फायदे – अगर आप रोजाना Angoor का सेवन कर रहे है तो आपको हड्डियों की समस्या नहीं होगी। चूँकि Grapes में आयरन और कॉपर अच्छी मात्रा में पाई जाती है। जो हड्ड्यों को मजबूत बनाती है। और हड्डियों को विकसित करती है। Angur ke Fayde.
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3. पथरी की समस्या में, अंगूर के फायदे – Grapes Juice में जरा सा केसर मिलाकर पीजिये। इसके अलावा मूत्राशय में होने वाली पथरी में लगभग 10 ग्राम काले Angur की लकड़ी के राख को पानी में मिलाकर पीजिये। ऐसा दिन में दो बार तक कर सकते है। Angoor ke Fayde.
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4. माइग्रेन की समस्या में, अंगूर के फायदे – Angoor का सेवन करने से यह माइग्रेन जैसी समस्या को भी दूर करती है। रोजाना सुबह सुबह एक गिलास शुद्ध Grapes Juice पीजिये। इसके अलावा 10-10 ग्राम मुलेठी और मिश्री लीजिये। अब 10 मुनक्का मिलाकर तीनो को पीस लीजिये। Angur ke Fayde.
Grapes ke Fayde | Benefits of Grapes in Hindi
5. गठिया की समस्या में, अंगूर के फायदे – Angur गठिया के रोग को कम करने की क्षमता रखता है। रोजाना Grapes खाने से गठिया रोग को कम किया जा सकता है। Angoor उन लवणों को निकालता है।  जिसकी वजह से शरीर में गठिया होती है। प्रतिदिन अंगूर का सेवन करें। आपको लाभ करें। Grapes Health Benefits.
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6. दिल के रोग में, अंगूर के फायदे – हृदय रोगियों की संख्या दिन ब दिन बढती जा रही है। Angoor आपके दि��� को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है। यह रक्त में नाइट्रिक ऑक्साइड के स्तर को नियंत्रण करता है। जिसके वजह से खून का थक्का (Blood Clotting) नहीं बनता है। और जब ब्लड क्लोटिंग नहीं होगा, तब हृदयघात यानी हार्ट अटैक का खतरा कम होगा। Grapes Benefits.
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7. मधुमेह की समस्या में, अंगूर के फायदे – जिन लोगों में मधुमेह की समस्या है। उन्हें प्रतिदिन Angur का सेवन करना चाहिए। यह शुगर की मात्रा को कम करने का काम करता है। Angoor ke Fayde.
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8. अंगूर के फायदे, किडनी के लिए – यह किडनी के लिए भी फायदेमंद है। इसमें प्रचुर मात्रा में पोटेशियम और पानी होता है। जो शरीर से विषेले पदार्थ को बाहर निकालता है। Angoor ke Fayde.
Grapes Benefits | अंगूर खाने के फायदे | Angur ke fayde
9. त्वचा के लिए फायदेमंद – यह स्किन के लिए बहुत ही लाभकारी है। इसके सेवन से त्वचा सम्बन्धी समस्या जैसे – झुर्री, डार्क सर्किल, मुहांसे और दाग धब्बों से छुटकारा दिलाता है। और त्वचा में निखार आ जायेगा।  Angoor में विटामिन ऐ और एंटीऑक्सीडेंट होता है। जो त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। Angur ke Fayde.
10. प्रतिरोधक क्षमता बढाता है – शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से बीमारियाँ न के बराबर होती है। Angur में मिनरल और विटामिन होता है। जिससे प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसीलिए Angoor का रोजाना सेवन करें। आपको फायदा होगा। Angoor ke Fayde.
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11. वजन को नियंत्रित करता है – आज के दौर में बढे वजन से हर उम्र के लोग परेशान है। अगर आप वजन को नियंत्रित करना चाहते है। तो Angoor / अंगूर को अपने डाइट में जरुर शामिल करें। Angur में फाइबर अधिक होने के कारन यह वजन बढ़ने नहीं देता है। Angoor ke Fayde.
12. बालों की समस्या में, अंगूर के फायदे – हर वर्ग के लोग बाल का झाड़ने की समस्या से जूझ रहे है। खासकर युवाओं में अगर बाल झड़ने की समस्या हो, तो उनको बहुत तनाव होता है। सबसे पहले ताजे Grapes ले और अच्छे से मसल लें। अब उसे बालों की जड़ो में अच्छे से लगाये। कुछ समय रहने दे, उसके बाद धो लीजिये। ऐसा 7 दिनों में एक बार अवश्य करें। Angur Juice का भी सेवन करें। Angur ke Fayde.
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Grapes Benefits / अंगूर के अन्य फायदे / Angoor ke anya fayde
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जिन्हें भूख न लगने की परेशानी है, उन्हें Angoor का सेवन करना चाहिए।
Angur / अंगूर के द्वारा अस्थमा के अटैक को कम किया जा सकता है।
यह याददास्त को बढ़ाने का काम करता है।
Grapes Seed दांतों के लिए फायदेमंद है।
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रोजाना Angoor का सेवन करने से काफी हद तक मोतियाबिंद जैसी बीमारी से बचा जा सकता है।
यह अल्जाइमार जैसे रोगों को भी कम करता है। Angoor ke Fayde.
प्रतिदिन अंगूर के सेवन से किडनी के रोग को कम किया जा सकता है। Angur ke Fayde.
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gethealthy18-blog · 5 years
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हरी मिर्च के 15 फायदे, उपयोग और नुकसान – Green Chili Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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हरी मिर्च के 15 फायदे, उपयोग और नुकसान – Green Chili Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
Nripendra Balmiki June 3, 2019
हरी मिर्च के बिना व्यंजनों की दुनिया अधूरी है। यह अपने तीखेपन के लिए जानी जाती है और इसे खाने का जायका बढ़ाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इसकी खासियत सिर्फ तीखेपन तक सीमित नहीं है, बल्कि कई वैज्ञानिकों शोधों में इसके औषधीय गुणों की पुष्टि हुई है। हरी मिर्च के इन तमाम गुणों की चर्चा हम इस लेख में करने जा रहे हैं। हमारे साथ जानिए हरी मिर्च के फायदे और इसे इस्तेमाल करने के विभिन्न तरीकों के बारे में।
विषय सूची
हरी मिर्च के फायदे – Benefits of Green Chili in Hindi 
1. हृदय स्वास्थ्य 
हृदय स्वास्थ्य को बरकरार रखने में हरी मिर्च के फायदे बहुत हैं। हरी मिर्च का तीखापन कोलेस्ट्रॉल के स्तर और प्लेटलेट्स के जमाव को नियंत्रित कर हृदय रोग और हार्ट अटैक के जोखिम को कम कर सकता है। भविष्य में हृदय रोग के खतरे से बचने के लिए भोजन में मिर्च की सीमित मात्रा ले सकते हैं (1)।
2. मधुमेह 
मधुमेह के मरीजों के लिए हरी मिर्च लाभकारी साबित हो सकती है। हरी मिर्च एक कारगर एंटी डायबिटिक के रूप में काम करती है। इसके पीछे कारण हरी मिर्च में कैप्साइसिन नामक खास तत्व का होना है, जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने का काम करता है (2), (3)। इसके अलावा, हरी मिर्च शरीर में लिपिड केटाबॉलिज्म को बढ़ाकर टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम कर सकती है (4)।
3. वजन नियंत्रित
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वजन नियंत्रित करने में भी हरी मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन की महत्वपूर्ण भूमिका देखी जा सकती है। कैप्साइसिन एंटी-ओबेसिटी की तरह काम करता है, जो वजन घटाने में मदद करता है और अतिरिक्त चर्बी को जमने से रोकता है (3), (5)।
4. रोग प्रतिरोधक क्षमता 
हरी मिर्च का एक महत्वपूर्ण लाभ रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना भी है। एक रिपोर्ट के अनुसार हरी मिर्च में इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने की क्षमता होती है। यह पेट के कीड़ों से भी मुक्ति देने का काम करती है (1)।
इसके अलावा हरी मिर्च विटामिन-ए से भी समृद्ध होती है, जो प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर शरीर को संक्रमण से दूर रखती है (6), (7)।
5. उच्च रक्तचाप 
उच्च रक्चचाप से परेशान मरीज हरी मिर्च का लाभ उठा सकते हैं। हरी मिर्च शरीर के विभिन्न भागों और कोशिकाओं में लिपिड केटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम करती है, जिससे उच्च रक्तचाप से छुटकारा मिल सकता है (4)।
6. आंखों के लिए
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अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए, आप विटामिन और खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। आखों के लिए विटामिन-ए, विटामिन-सी व विटामिन-ई प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को स्वस्थ रखते हैं। हरी मिर्ची इन सभी पोषक तत्वों से समृद्ध होती है, जो आंखों के लिए फायदेमंद हो सकती है (8), (6)।
7. हड्डी और दांत 
हड्डी और दांतों के लिए भी हरी मिर्च खाने के फायदे बहुत हैं। हरी मिर्च कैल्शियम से युक्त होती है, जो हड्डियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व माना जाता है। कैल्शियम एक खनिज है, जो हड्डी और दांत को मजबूत करता है और उनके विकास में मदद करता है (6), (9)।
8. पाचन स्वास्थ्य
पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने में हरी मिर्च अहम भूमिका अदा करती है। हरी मिर्च फाइबर से युक्त होती है, और पाचन स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है। फाइबर मल निकासी की प्रक्रिया को सरल बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं से निजात दिलाने का काम करता है (6), (10)।
9. जीवाणु संक्रमण 
हरी मिर्च विटामिन-सी और विटामिन-ए जैसे एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होती है, जो शरीर को बैक्टीरियल प्रभाव से मुक्त रखने का काम करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण पेट के अल्सर से भी निजात दिलाने का काम कर सकते हैं। इसके अलावा, मिर्च का प्रयोग लंबे समय से पेट के कीड़ों को मारने के लिए भी किया जा रहा है (11)।
10. कैंसर
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हरी मिर्च के लाभ यहां खत्म नहीं होते, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हरी मिर्च कैंसर जैसी घातक बीमारी से रोकथाम भी कर सकती है। यहां भी हरी मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन की भूमिका देखी जा सकती है। रिपोर्ट के अनुसार कैप्साइसिन एक कारगर एंटी कैंसर के रूप में काम करता है (5)।
11. तनाव
हरी मिर्च तनाव से छुटकारा देने का काम भी कर सकती है। हरी मिर्च विटामिन और मिनरल्स से समृद्ध होती है, जो तनाव को दूर करने का काम करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार विटामिन-बी की उच्च मात्रा मूड को बदलने का काम कर सकती है (12)।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार विटामिन-सी मधुमेह के मरीजों में चिंता (anxiety) को दूर करने का काम कर सकता है (6), (13)।
12. एनीमिया 
हरी मिर्च के फायदे में एनीमिया से राहत भी शामिल है। यह एक घातक बीमारी है, जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण होती है। लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में आयरन की अहम भूमिका होती है और इसकी कमी से यह समस्या उत्पन्न होती है (14)। शरीर में आयरन की पूर्ति के लिए हरी मिर्च का सेवन किया जा सकता है (6)।
13. मस्तिष्क स्वास्थ्य 
मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए भी हरी मिर्च का उपयोग किया जा सकता है। हरी मिर्च विटामिन-बी6, बी12 और फोलेट से जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध होती है, जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ावा देने का काम करते हैं। ये पोषक तत्व खासकर महिलाओं में याददाश्त को बेहतर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, आयरन युवा महिलाओं में मस्तिष्क कार्यप्रणाली में सुधार का काम करता है (6), (15)।
14. सर्दी और साइनस
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आम सर्दी और साइनस से लड़ने में हरी मिर्च आपकी मदद कर सकती है। यहां हरी मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन का महत्वपूर्ण रूप देखा जा सकता। एक रिपोर्ट के अनुसार लगातार दो हफ्ते तक कैप्साइसिन नोज स्प्रे का इस्तेमाल राइनाइटिस (बंद नाक) पर प्रभावी असर छोड़ सकता है (16)।
15. त्वचा के लिए
त्वचा के लिए भी हरी मिर्च के फायदे बहुत हैं। हरी मिर्च विटामिन-सी जैसे एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होती है, जो त्वचा के स्वास्थ्य के लिए खास पोषक तत्व माना जाता है। विटामिन-सी त्वचा में कोलेजन को बढ़ाने का काम करता है। विटामिन-सी का प्रयोग त्वचा को चमकाने, एंटी-एजिंग और सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाव वाले कॉस्मेटिक उत्पादों में भी किया जाता है (17)।
अब तो आप शरीर के लिए हरी मिर्च खाने के फायदे जान गए होंगे। आइए, अब जान लेते हैं कि इसमें कौन-कौन से पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं।
हरी मिर्च के पौष्टिक तत्व – Green Chili Nutritional Value in Hindi
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम पानी 93.89 ग्राम ऊर्जा 20kacl प्रोटीन 0.86 कुल लिपिड (वसा) 0.17 फाइबर, कुल डाइटरी 4.64 शुगर, कुल 2.40 मिनरल्स कैल्शियम 10 आयरन 0.34 मैग्नीशियम 10 फास्फोरस 20 पोटैशियम 175 सोडियम 3 जिंक 0.13 विटामिन थायमिन 0.057 राइबोफ्लेविन 0.028 नियासिन 0.480 विटामिन-बी6 0.224 फोलेट, डीएफई 10 विटामिन-बी12 0.00 विटामिन ए, RAE 18 विटामिन ए IU 370 विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल) 0.37 विटामिन-डी (डी 2 + डी 3) 0.0 विटामिन-डी 0 विटामिन-के (फाइलोक्विनोन) 7.4 लिपिड फैटी एसिड, कुल सैचुरेटेड 0.058 फैटी एसिड, कुल मोनोअनसैचुरेटेड 0.008 फैटी एसिड, कुल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.062 फैटी एसिड, कुल ट्रांस 0.000 कोलेस्ट्रॉल 0
हरी मिर्च खाने के फायदे और इसमें मौजदू पौष्टिक तत्वों के बाद नीचे जानिए कि इसका इस्तेमाल आप किस प्रकार कर सकते हैं।
हरी मिर्च का उपयोग – How to Use Green Chili in Hindi
खाने के लिए हरी मिर्च का उपयोग विभिन्न तरीके से किया जा सकता है। नीचे जानिए, आप किस प्रकार हरी मिर्च को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं :
हरी मिर्च का अधिकतर इस्तेमाल सब्जी बनाने के लिए किया जाता है, जहां हल्के और ज्यादा तीखेपन की जरूरत होती है। आप जरूरत के हिसाब से मिर्च की संख्या बढ़ा सकते हैं।
खाने के साथ कच्ची मिर्च का प्रयोग सलाद में किया जाता है। जिन्हें ज्यादा तीखा खाना पसंद है, वो कच्ची मिर्च दोपहर या रात के भोजन के साथ ले सकते हैं।
आप तली हुई मिर्च का सेवन भी भोजन के साथ कर सकते हैं। इसके लिए आप मिर्च को बीच में से हल्का लंबा काट लें और हल्का नमक छिड़कर तेल में अच्छी तरह फ्राई कर लें।
इसके अलावा, आप हरी मिर्च का अचार भी बना सकते हैं।
हरी मिर्च का उपयोग के तरीकों के बाद आइए अब जान लेते हैं कि हरी मिर्च के अत्यधिक सेवन से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।
हरी मिर्च के नुकसान – Side Effects of Green Chili in Hindi 
हरी मिर्च एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, जो कई तरह से आपको लाभ पहुंचा सकती है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन निम्नलिखित समस्याओं का कारण बन सकता है :
जिन्हें ज्यादा तीखा पसंद नहीं, उनके लिए हरी मिर्च का अत्यधिक सेवन पेट में जलन और डायरिया का कारण बन सकता है।
बवासीर से पीड़ित मरीजों के लिए हरी मिर्च नुकसानदायक हो सकती है।
कुछ हरी मिर्च बहुत ज्यादा तीखी होती हैं, जो मुंह में अधिक जलन पैदा कर सकती हैं।
ये थे हरी मिर्च से होने वाले सबसे कारगर स्वास्थ्य लाभ। अगर आप लेख में बताई गई किसी भी समस्या से पीड़ित हैं, तो नियमित रूप से हरी मिर्च का सेवन शुरू कर दें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि अगर इसके इस्तेमाल के दौरान कुछ शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो इसके सेवन पर रोक लगाएं और डॉक्टर से संपर्क करें। आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। किसी भी प्रकार के सुझावों और सवालों के लिए आप नीचे कमेंट बॉक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
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Nripendra Balmiki
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gethealthy18-blog · 6 years
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अलसी के फायदे, उपयोग और नुकसान – Flax Seeds (Alsi) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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अलसी के फायदे, उपयोग और नुकसान – Flax Seeds (Alsi) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
Arpita Biswas December 20, 2018
इस रफ्तार भरी जिंदगी में किसी के पास इतना भी समय नहीं है कि वो अपनी सेहत पर ध्यान दे सके। इस कारण ��न्हें कई बीमारियां घेर लेती है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने आहार में किसी ऐसी चीज को शामिल करें, जिससे आपको सभी तरह के पोषण मिल सकें और आप बीमारियों से भी दूर रहें। अलसी इन्हीं में से एक है। अलसी भले ही दिखने में छोटी हो, लेकिन इसके बीज के फायदे अनेक हैं। अलसी के औषधीय गुण बीमारियों पर रामबाण की तरह काम करते हैं। आज इस लेख में हम अलसी के फायदे बता रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद आप इसे अपने आहार में जरूर शामिल करेंगे।
अलसी क्या होती है?
इससे पहले कि हम आपको अलसी के फायदे बताएं, आप यह जान लें कि अलसी होती क्या है। अलसी को इंग्लिश में फ्लैक्ससीड (flaxseed) कहा जाता है और इसे तीसी के नाम से भी जाना जाता है। लोग कई वर्षों से इसका उपयोग कर रहे हैं और यह स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है।
अलसी के औषधीय गुण – Medicinal Properties of Flax Seeds in Hindi
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अलसी गुणों का खजाना है, लेकिन कई लोग आज भी इससे अनजान हैं। अलसी हमारे शरीर को कई बीमारियों से बचाकर स्वस्थ रखने में मदद करती है। शाकाहारी लोगों के लिए अलसी वरदान है, क्योंकि मछली में पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड अलसी में मौजूद होता है। साथ ही इसमें लिगनेंस एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर व अल्फा लिनोलिक एसिड भी मौजूद होता है (1) (2), जो आपके शरीर में होने वाली तरह-तरह की बीमारियां जैसे – डायबिटीज, दिल की बीमारी, पेट की परेशानी और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं को कम करते हैं। अलसी के औषधीय गुण मनुष्य के लिए अमृत से कम नहीं हैं।
अलसी के औषधीय गुण जानने के बाद अब वक़्त आ गया है, अलसी के फायदे जानने का। नीचे हम स्वास्थ्य के लिए अलसी खाने के फायदे बता रहे हैं।
अलसी के फायदे – Benefits of Flax Seeds in Hindi
यहां हम स्वास्थ्य, त्वचा और बालों के लिए अलसी के फायदे के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। सबसे पहले हम यह बताते हैं कि सेहत के लिए अलसी किस प्रकार फायदेमंद है।
सेहत/स्वास्थ्य के लिए अलसी के फायदे
सही वक्त पर संतुलित खाना न खाने और बेवक्त सोने से शरीर बीमारियों का घर बना देता है। ऐसे में जरूरी है कि आप वक्त रहते अपने सेहत पर ध्यान दें और अपने डाइट में सेहतमंद खाने को शामिल करें। ऐसे में अलसी एक अच्छा उपाय है। अब देर किसी बात की, अलसी के फायदों को पढ़ें और इसे अपने आहार में शामिल करें।
1. वजन कम करने के लिए
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हम काम तो करते हैं, लेकिन शारीरिक कम और मानसिक ज्यादा। ज्यादा समय लैपटॉप और कंप्यूटर के आगे गुजरता है। इससे वजन कब बढ़ने लगता है, पता ही नहीं चलता। साथ ही काम में अधिक व्यस्त होने के कारण खानपान पर ध्यान न देना, बाहर का तला-भुना खाना से वजन बढ़ने लगता है और कई बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं। ऐसे में अगर अलसी के बीज का सेवन किया जाए, तो यह परेशानी कम हो सकती है। अलसी के बीज में प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है, जो वजन को संतुलित रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जोकि लाभदायक फैट होता है। यह भूख को कम कर सकता है, जिससे आपका वजन कम होने में मदद मिल सकती है।
अलसी के बीज में मौजूद लिगनेन कोशिकाओं (cell) को काम करने में मदद करता है, जिस कारण आपका फैट कम हो सकता है। लिगनेन चयापचय (मेटाबॉलिज्म) को बढ़ाता है, जिस कारण भी आपका वजन कम हो सकता है। अलसी के बीज के पाउडर वजन कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, अध्ययनों से यह भी पता चला है कि अलसी के बीज फैट निकालने में मदद करता है, जिससे शरीर में वसा की मात्रा कम हो जाती है (3)।
2. ब्लड प्रेशर को करता है कम
जैसे ही इंसान तनाव में आने लगता है, तो उसके शरीर में कई तरह की बीमारियां घर करने लगती है और हाई ब्लड प्रेशर उन्हीं में से एक है। हाई ब्लड प्रेशर होने से दिल के दौरे का या ब्रेन हैमरेज होने के अलावा अन्य बीमारियों का खतरा रहता है। इसलिए, आप रोज जितनी जरूरत हो सके उतना व्यायाम करें और खानपान का ध्यान रखें। इसके लिए आप अपने खाने में अलसी के बीज को शामिल करें। इसमें लिनोलिक एसिड, लिगनेन व फाइबर होते हैं, जो कुछ हद तक ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं (4) (5)।
3. मधुमेह के लिए
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इन दिनों हर कोई मधुमेह से ग्रस्त है। इसलिए, जरूरी है कि लोग वक्त रहते इस पर ध्यान दें। मधुमेह में अगर अलसी का सेवन किया जाए, तो ब्लड शुगर का स्तर कुछ प्रतिशत तक कम हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें म्यूसिलेज होता है, जो एक प्रकार का फाइबर होता है। यह पाचन को नियंत्रित कर खून में ग्लूकोज कम करताा है।
इसके अलावा, प्रारंभिक अध्ययनों से यह भी पता चला है कि फ्लैक्ससीड्स मधुमेह को होने से कुछ हद तक रोक भी सकता है। इसमें एसडीजी नामक एक यौगिक होता है, जो टाइप-1 मधुमेह के जोखिम को कम कर सकता है और टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका को कम कर सकता है (6)।
4. सर्दी-खांसी में असरदार
बदलते मौसम के साथ सर्दी-जुकाम होना आम बात है, लेक��न अगर इस पर ध्यान न दिया जाए, तो यह ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी का भी रूप ले सकती है। ऐस में अगर आप अलसी के बीज को घरेलू उपाय के रूप में अपनाएंगे, तो सर्दी-जुकाम की परेशानी कम हो सकती है। सर्दी-जुकाम होने पर अलसी के पाउडर की चाय पिएं या फिर आप दो चम्मच अलसी को एक कप पानी में तब तक उबालें, जब तक वो गाढ़ा न हो जाए। अब इसको छान लें और इसमें तीन चम्मच शहद और नींबू का रस मिलाकर पिएं। आप अलसी के बीज को अपने सूप, स्मूदी या अन्य खाद्य पदार्थ में भी शामिल कर सकते हैं। अलसी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण मौजूद हैं। इसे प्राचीन काल से सर्दी-जुकाम के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है (7)।
5. कोलेस्ट्रॉल को करता है कम
जब बात आए कुछ हेल्दी खाने की, तो अलसी एक अच्छा ऑप्शन है, अलसी शरीर के हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और दिल की बीमारियों का खतरा भी कम करता है (8) (9)। आप हर रोज छोटे चम्मच से एक या दो चम्मच अलसी के पाउडर का सेवन करें। इससे आपका कोलेस्ट्रॉल काफी हद तक कम होगा और आपको एनर्जी भी मिलेगी, क्योंकि अलसी में फाइबर और ओमेगा-3 होता है, जो आपको ऊर्जा देगा।
6. दिल के लिए फायदेमंद
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शरीर को स्वस्थ रखना है, तो दिल को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। तनाव, गलत खानपान और कई अन्य कारणों से हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में अगर आप अलसी के बीज का सेवन शुरू करें, तो दिल की बीमारी का खतरा कुछ हद तक कम हो सकता है। अलसी के बीज में ओमेगा-3 फैटी एसिड मौजूद होता है, जो दिल के बीमारी का खतरा कम करता है (10) (11)। यह धमनियों के काम को सुधारता है। एक और अध्ययन के अनुसार, अगर कोई एएलए (ALA), जो एक तरह का ओमेगा-3 फैटी एसिड का प्रकार होता है, उसका सेवन करे, तो हार्ट अटैक का खतरा कम हो सकता है (12) (13)।
7. जोड़ों के दर्द या गठिया में खाएं अलसी
एक वक्त था जब हड्डियों और जोड़ों का दर्द बढ़ती उम्र की निशानी हुआ करती थी, लेकिन आजकल लगभग हर कोई हड्डियों और जोड़ों के दर्द से परेशान रहता है। कभी पूरा दिन कुर्सी पर बैठे रहने से, कभी जरूरत से ज्यादा दौड़-भाग करने से, तो कभी बदलते मौसम की मार से। कई बार लोग शुरुआत में इन दर्द को अनदेखा कर देते हैं, जो आगे चलकर मुसीबत बन जाता है। इसलिए, यह जरूरी है कि आप पहले से ही सावधानियां बरतें। आप जोड़ों के दर्द के लिए अलसी का सेवन कर सकते हैं या फिर अलसी के पाउडर को सरसों के तेल में गुनगुना करके जोड़ों पर लगाएं, आपको आराम मिलेगा। हालांकि, यह कहना थोड़ा मुश्किल हो सकता है कि अलसी के बीज गठिया में असरदार होगा या नहीं, लेकिन इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड एंटी-इंफ्लेमेटरी होता है, जिससे गठिया की परेशानी कम हो सकती है। इसलिए, यह कह सकते हैं कि अलसी के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों के दर्द या गठिया की बीमारी में काफी असरदार हो सकते हैं (14) (15)।
8. गर्भावस्था के दौरान अलसी का सेवन
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती को अपने गर्भ में पल रहे शिशु का खास ध्यान रखना होता है। इसलिए, गर्भावस्था में महिला को खानपान का ध्यान रखना जरूरी है, ऐसे में अगर अलसी का सेवन किया जाए, तो गर्भवती महिला के लिए काफी लाभकारी हो सकता है। अलसी में प्रचुर मात्रा में फाइबर, ओमेगा-3 और प्रोटीन होता है और एक गर्भवती महिला को इन सभी पोषक तत्वों की जरूरत होती है (1)। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को कब्ज की परेशानी होती है, लेकिन सीमित मात्रा में अलसी के सेवन से यह समस्या दूर हो सकती है, क्योंकि अलसी में फाइबर होता है, जो कब्ज से राहत दिला सकता है। वहीं प्रोटीन और ओमेगा-3 गर्भ में पल रहे शिशु के लिए महत्वपूर्ण होता है।
नोट: जैसा कि सभी जानते हैं कि गर्भावस्था महिला के लिए एक नाजुक दौर होता है और हर महिला की गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती है। अगर आपको किसी चीज से एलर्जी है या है, तो गर्भावस्था के दौरान अलसी खाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें। इसके अलावा, अलसी की तासीर गर्म होती है, इसलिए भी गर्भावस्था में इसके सेवन से पहले विशेषज्ञ की राय लें।
9. इम्यून सिस्टम के लिए
मनुष्य का इम्यून सिस्टम सही होना बहुत जरूरी है, अगर किसी का इम्यून सिस्टम ठीक नहीं है, तो वो बार-बार बीमारी का शिकार होने लगता है। किसी भी व्यक्ति को अपना इम्यून सिस्टम सही रखने के लिए न सिर्फ अपनी दिनचर्या पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि खाने का भी ध्यान रखना चाहिए। इम्यून पावर बढ़ाने के लिए आप अलसी का सेवन कर सकते हैं, इसमें एएलए (ALA) होता है, जो एक तरह का ओमेगा-3 फैटी एसिड है। अलसी में फाइबर, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व भी होते हैं, जो इम्यून पावर को बढ़ाने में मददगार होते हैं। इससे आपके शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता आती है (7)। आप अलसी के बीज या उसके पाउडर को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
10. लिवर के लिए अलसी
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व्यस्त दिनचर्या की वजह से लोग खानपान का ठीक से ध्यान नहीं रख पाते, नतीजतन पेट और लिवर संबंधी परेशानियां हो जाती हैं। इनसे बचने के लिए और लिवर को स्वस्थ रखने के लिए आप अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। इससे न सिर्फ आपको ऊर्जा मिलेगी, बल्कि आपका लिवर भी स्वस्थ रहेगा (16)। इसके सेवन के साथ-साथ आपको अपनी जीवनशैली और खानपान का खास ख्याल रखना होगा, तब जाकर आपको पेट और लिवर संबंधी समस्यायों से छुटकारा मिल पाएगा।
11. कैंसर से बचाव
एक वक्त था जब कैंसर कुछ गिने-चुने लोगों को ही होता था, लेकिन अभी की जीवनशैली की वजह से कैंसर सर्दी-जुकाम और बुखार की तरह बन चुका है। ऐसे में गुणों का खजाना माने जाने वाले अलसी का सेवन किया जाए, तो यह खतरा कुछ हद तक कम हो सकता है। कुछ अध्यनों के अनुसार रजोनिवृत्ति के बाद अगर महिलाएं अपने आहार में अलसी को शामिल करें, तो ब्रेस्ट कैंसर होने से बचा जा सकता है (17) (18)। अलसी के बीज कैंसर वाले मरीजों में ट्यूमर की वृद्धि को भी कम कर सकते हैं (19) (20)। अलसी के बीज में ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो कई तरह के कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद लिगनेन भी कैंसर ट्यूमर को बढ़ने से रोकता है (7)। शोध के अनुसार, अलसी के बीज से प्रोस्टेट कैंसर की आशंका कम हो सकती है (21)।
12. फंगल इंफेक्शन में फायदेमंद
कभी-कभी बदलते मौसम, धूल-मिट्टी या प्रदूषण की वजह से त्वचा संबंधी परेशानियां होने लगती है। इन्हीं परेशानियों में से एक है फंगल इन्फेक्शन, जिसमें त्वचा में खुजली व जलन होने लगती है और कभी-कभी तो त्वचा के ऊपरी सतह पर रैशेज, पपड़ी व लाल निशान उबर आते हैं। जरूरी नहीं कि यह सिर्फ बदलते मौसम के कारण ही हो, कभी-कभी दवाई के साइड इफेक्ट से भी फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप इस पर ध्यान दें। फंगल इंफेक्शन के लिए आप अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। अलसी में एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं, जिस कारण फंगल इंफेक्शन की परेशानी से बचाव हो सकता है (22)। अलसी में एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो फंगस को बढ़ने से रोकते हैं (23)।
13. किडनी के लिए
आजकल की लाइफस्टाइल की वजह से लोगों में तरह-तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। किडनी की बीमारी उन्हीं में से एक है। कम पानी पीना, गलत खानपान, डायबिटीज या यूटीआई (uti) जैसी समस्याएं कई बार किडनी की समस्या का कारण बन जाती हैं। इसलिए, जरूरी है कि वक्त रहते इस पर ध्यान दिया जाए। आप अपने आहार का खास ध्यान रखें और अपने खाने में अगर अभी तक आपने अलसी के बीज शामिल नहीं किए हैं, तो इसे शामिल करें। अलसी में मौजूद अल्फा लिनोलेनिक एसिड (Alpha Linolenic Acid – ALA) किडनी की परेशानी का जोखिम कुछ हद तक कम कर सकता है (24)। इसलिए, अगर किडनी की समस्या से बचना है, तो अलसी को अपनी डाइट में शामिल करें। साथ ही सही जीवनशैली को अपनाएं।
14. पेट में सूजन या गैस्ट्राइटिस (Gastritis)
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कई लोग पेट संबंधी समस्यायों से परेशान हो रहे हैं। इसका कारण सही वक्त पर खाना न खाना, ज्यादा तेल-मसाले वाला या बाहर का तला-भुना खाना। पेट की समस्या लोगों में भले ही आम हो, लेकिन हम इसे अनदेखा नहीं कर सकते। अगर इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह पेट में सूजन या अल्सर का रूप ले सकती है। इसलिए, यह जरूरी है कि आप अपने खानपान में सुधार करें और आहार में अलसी को शामिल कर पेट की सूजन को सही वक्त पर ठीक करें (25)। आप चाहें तो अलसी के तेल का भी सेवन कर सकते हैं। आप इसे सलाद या स्मूदी के साथ भी उपयोग कर सकते हैं। इसके तेल से भी पेट की परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है (26)।
15. ब्लड शुगर के लिए
ब्लड शुगर का संतुलित रहना बहुत जरूरी है, क्योंकि ब्लड शुगर का उतार-चढ़ाव आपको डायबिटीज का मरीज बना सकता है। ऐसे में ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखने के लिए आप अपनी डाइट में अलसी को शामिल करें। इसमें ब्लड शुगर को कम करने के गुण तो है ही साथ ही यह डायबिटीज के दौरान इस्तेमाल की जानें वाली दवाइयों का प्रभाव भी बढ़ाता है (27)।
16. बुखार में अलसी का सेवन
बदलते मौसम के साथ सर्दी-जुकाम और बुखार होना आम बात है। ऐसे में जरूरी है कि मौसम के शुरुआत से ही सावधानी बरती जाए। आप अलसी का सेवन कर सकते हैं, इसे कई सालों से आयुर्वेदिक औषधीय के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है। इसके एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण बुखार से बचाव कर सकते हैं (7) (28), आप चाहें तो अलसी के लड्डू खा सकते हैं।
17. गले में खराश के लिए
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मौसम ठंडा हो या गर्म गले में खराश की परेशानी कभी भी हो सकती है। अगर शुरुआत में गले की खराश पर ध्यान न दिया जाए, तो यह आगे चलकर बहुत बड़ा रूप भी ले सकती है। हालांकि, कई लोग तुरंत दवाइयों का भी सेवन शुरू कर देते हैं, जो कई बार सही नहीं होता है, इसलिए घरेलू उपाय आजमाने चाहिए। गले में खराश के लिए अलसी एक अच्छा घरेलू उपाय साबित हो सकता है। आप अपने गले को आराम देने के लिए एक कप पानी में दो से तीन चम्मच अलसी के बीज को तब तक उबालें, जब तक यह गाढ़ा न हो जाए। फिर इस पानी को छान लें और इसमें थोड़ा-सा शहद और नींबू का रस मिलाकर सेवन करें। अलसी को कई सालों से आयुर्वेदिक औषधि की तरह उपयोग किया जाता आ रहा है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गले की खराश को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं (7) (29)।
18. अस्थमा या दमे में करें सेवन
अस्थमा या दमा की समस्या किसी को भी हो सकती है। जिन्हें यह परेशानी होती है, उन्हें बदलते मौसम या धूल-मिट्टी और प्रदूषण से बचना चाहिए। इस दौरान अपना खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही कुछ घरेलू नुस्खे भी आजमाने चाहिए। दमे के मरीज अगर सुबह एक गिलास पानी में एक चम्मच अलसी के पाउडर को भिगो दें और शाम को इसे छानकर पिएं, तो दमे की परेशानी से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। ध्यान रहे कि आप कांच के गिलास का ही इस्तेमाल करें। आप इस पाउडर को सुबह पानी में भिगोकर शाम को सेवन कर सकते हैं या शाम को भिगोकर सुबह सेवन कर सकते हैं। इसमें मौजूद, ओमेगा-3 फैटी एसिड दमा की परेशानी से राहत दे सकता है (30)।
19. कान में दर्द के लिए अलसी
कई बार धूल-मिट्टी के वजह से, नहाते वक्त कान में पानी चले जाने से या अन्य कई कारणों से कान में संक्रमण हो जाता है और कान में असहनीय दर्द होता है। कई बार यह दर्द रात में भी होता है, लेकिन उस समय कोई दवाई घर में न होने से परेशानी खड़ी हो सकती है। ऐसे में अलसी का तेल कान दर्द से कुछ देर के लिए राहत दिला सकता है। हालांकि, अभी तक इसका कहीं कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन कई लोगों ने इस नुस्खे का अनुभव किया है।
20. दांत दर्द में अलसी के बीज
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आजकल दांत और मसूड़ों में दर्द की समस्या आम हो गई है। कभी ज्यादा मीठा खाने से कैविटी की परेशानी, कभी ठंड की वजह से मसूड़ों में सूजन और दर्द किसी को भी हो सकती है। जरूरी नहीं कि हर बार दवाई का सेवन किया जाए। आप दवा की जगह घरेलू उपाय भी कर सकते हैं, अलसी इन्हीं घरेलू उपायों में से एक है। आप अलसी को अपने स्मूदी में उपयोग कर सकते हैं। अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे हर प्रकार की सूजन या मसूड़ों की परेशानी दूर हो सकती है। अगर परेशानी ज्यादा दिनों तक हो, तो अपने डॉक्टर से चेकअप जरूर करवाएं (31)।
अब हम त्वचा के लिए अलसी खाने के फायदे जान लेते हैं।
त्वचा के लिए अलसी के फायदे – Skin Benefits of Flax Seeds in Hindi
स्वास्थ्य के लिए अलसी के लाभ तो आप जान ही गए हैं मुलायम, बेदाग़ त्वचा की चाहत हर किसी को होती है और इसके लिए लोग तरह-तरह के उपाय और घरेलू नुस्खे भी अपनाते हैं। इन्हीं घरेलू उपाय में अगर आप अलसी को शामिल करें तो आपकी त्वचा और खूबसूरत हो सकती है। नीचे हम त्वचा के लिए अलसी के बीज के फायदे आपको बता रहे हैं।
1. कील-मुंहासों के लिए अलसी
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कील-मुंहासे किसी को भी हो सकते हैं। इसके लिए लोग कई तरह की क्रीम, फेसवॉश या घरेलू उपाय का प्रयोग करते हैं। इन उपायों में अगर अलसी को शामिल किया जाए, तो कुछ हद कील-मुंहासों से छुटकारा पाया जा सकता है। आप चाहें तो हर रोज एक या दो चम्मच अलसी का सेवन करें या फिर आप इसे फेस मास्क की तरह भी उपयोग कर सकते हैं। नीचे हम फेस मास्क बनाने की विधि आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
अलसी का फेस पैक
सामग्री
एक चम्मच अलसी का पाउडर
तीन से चार चम्मच पानी
बनाने की विधि
आप अलसी के बीज का पाउडर बना लें। यह आपको बाजार से भी मिल जाएगा।
एक चम्मच अलसी के पाउडर को तीन चम्मच पानी में 10 से 15 मिनट के लिए भिगो दें।
कुछ देर बाद आप देखेंगे की यह चिपचिपा पेस्ट तैयार होने लगा है।
अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं।
फिर इसे सूखने दें।
उसके बाद चेहरे को ठंडे पानी से धोकर मॉइश्चराइजर लगा लें।
कैसे फायदेमंद है
अलसी पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें कई तरह के विटामिन, प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है (7) (32), जो त्वचा में ��िखार ला सकता है । इसके अलावा, इसके सेवन से कब्ज की परेशानी भी दूर हो सकती है (33) (34), जिस कारण शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं और कील-मुंहासों की परेशानी दूर होती है।
2. सोरायसिस में अलसी
सोरायसिस एक त्वचा संबंधी बीमारी है, यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। यह ज्यादातर कोहनी, हाथ-पैर, स्कैल्प, घुटनों, हथेलियों व पांव के तलवों में होती है। इसमें त्वचा पर लाल रंग के धब्बे नजर आने लगते हैं और खुजली या जलन हो सकती है। ऐसे में आप अलसी का तेल लगा सकते हैं। इसका एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की समस्याओं को कुछ हद तक दूर सकता है, लेकिन इस बारे में अपने डॉक्टर से बात जरूर करें, क्योंकि हर किसी की त्वचा एक जैसी नहीं होती है। अगर आपकी त्वचा में किसी भी चीज से जल्दी इंफेक्शन या एलर्जी होती है, तो पहले इसका पैच टेस्ट कर लें।
3. एक्जिमा में अलसी के बीज
दवाई के साइड इफेक्ट, ज्यादा साबुन या डिटर्जेंट के इस्तेमाल से, धूल-मिट्टी व अन्य कारणों से त्वचा में संक्रमण हो जाता है, एक्जिमा उन्हीं में से एक है। बार-बार खुजली या जलन होना या कभी-कभी रैशेज होना एक्जिमा के लक्षण होते हैं। इस बीमारी को दूर करने के लिए रोज एक या दो चम्मच अलसी का सेवन करें। एक्जिमा के साथ-साथ अलसी दाद जैसी त्वचा संबंधी परेशानी में भी फायदा करता है।
4. फोड़े-फुंसी के लिए
फोड़े-फुंसी की समस्या कभी भी हो सकती है। अगर यह ज्यादा बढ़ जाए, तो काफी कष्टदायी होता है। ऐसे में आप इसे कम करने के लिए शुरुआत में ही अलसी का लेप लगा सकते हैं। आप एक चौथाई अलसी के बीज को थोड़े या बराबर मात्रा में सरसों के साथ पीसकर लेप बनाकर लगाएं। इससे आपको कुछ हद तक आराम मिल सकता है। अगर आपको दर्द ज्यादा महसूस हो या आपको लगे कि ठीक होने में वक्त लग रहा है, तो एक बार डॉक्टर से जांच करवा लें।
5. एंटी-एजिंग के लिए
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धूल-मिट्टी, प्रदूषण, सूरज की हानिकारक किरणें और तरह-तरह की चीजों के इस्तेमाल से त्वचा रूखी, बेजान और वक्त से पहले झुर्रियों का शिकार होने लगती है। उम्र के साथ झुर्रियों का होना सामान्य है, लेकिन यह झुर्रियां अगर उम्र से पहले दिखने लगें, तो चिंता का कारण है। ऐसे में आप अलसी को घरेलू उपाय के तौर पर उपयोग कर सकते हैं। आप अलसी का तेल लगा सकते हैं या अलसी का सेवन भी कर सकते हैं। अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और कई अन्य तत्व मौजूद होते हैं (1), जो एंटी-एजिंग का काम करते हैं और झुर्रियों को कम कर सकते हैं। त्वचा को जवां रखने के लिए पोषक तत्वों की बहुत जरूरत होती है और यही पोषक तत्व आपको अलसी में आसानी से मिल जाएगा (35)। इसके अलावा, यह त्वचा को हाइड्रेट भी रखता है (36)।
6. स्ट्रेच मार्क्स के लिए अलसी
स्ट्रेच मार्क्स की समस्या सिर्फ गर्भावस्था में ही नहीं, बल्कि वजन बढ़ने और कई अन्य कारणों से भी होती है। स्ट्रेच मार्क्स आमतौर पर कमर, पेट, स्तन व जांघों पर होते हैं और इसे होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। अगर एक बार स्ट्रेच मार्क्स हो जाएं, तो उसके दाग मिटाने मुश्किल हो जाते हैं। इस पर अगर वक्त रहते ध्यान दिया जाए, तो इस दाग को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसे ठीक करने के लिए घरेलू उपायों का इस्तेमाल किया जा सकता है और अलसी के बीज उन्हीं में से एक हैं। अलसी स्ट्रेच मार्क्स को हटाने में सक्षम है। आप नहाने के बाद या सोने से पहले स्ट्रेच मार्क्स पर अलसी के तेल को लगा सकते हैं। इसके लगातार उपयोग से कुछ हद तक दाग कम हो सकते हैं। हालांकि, इसका कोई प्रमाण नहीं है, यह सिर्फ अनुमान व लोगों के अनुभवों पर आधारित है। इसके अलावा यह इस पर भी निर्भर करता है कि दाग कितने पुराने हैं।
इस लेख में हम आगे बात करेंगे कि अलसी बालों के लिए किसी प्रकार लाभकारी है।
बालों के लिए अलसी के फायदे – Hair Benefits of Flax Seeds in Hindi
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हर कोई चाहता है कि उसके बाल लंबे, घने, मुलायम, चमकदार और खूबसूरत हों। इसके लिए लोग बाजार में मिलने वाले केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। इनसे बाल अच्छे नजर आने की जगह रूखे और बेजान होकर गिरने लगते हैं। ऐसे में जरूरी है कि कुछ घरेलू उपायों को अपनाया जाए, अलसी उन्हीं में से एक है।
1. बालों को झड़ने से रोके अलसी
खूबसूरत लंबे बाल जब झड़ने लगते हैं, तो यह काफी दुखदायी होता है। बालों का झड़ना अक्सर मौसम की वजह से, पोषक तत्वों की कमी से या किसी चीज के साइड इफेक्ट से होता है। जरूरी नहीं कि आप हर चीज के लिए दवाइयों का ही सेवन करें, कुछ घरेलू नुस्खे और पोषक तत्वों के सेवन से भी आपके बालों का झड़ना कम हो सकता है (37)। बालों का झड़ना रोकने के लिए आप अलसी का उपयोग कर सकते हैं। अलसी में प्रचुर मात्रा में विटामिन, ओमेगा – 3 फैटी एसिड, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व हैं (1), जो बालों को जड़ों से मजबूत बनाते हैं। अलसी बालों की जड़ों को नमी प्रदान करती और उन्हें खूबसूरत व चमकदार बनाती है। आप अलसी का जेल बनाकर अपने बालों में लगा सकते हैं। इसकी विधि हम नीचे आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
अलसी का जेल
सामग्री
दो कप पानी
चार चम्मच अलसी के बीज
नोट: सामग्री आप अपनी आवश्यकतानुसार ले सकते हैं।
बनाने और लगाने की विधि
दो कप पानी को उबालें।
जब पानी उबलने लगे, तो इसमें चार चम्मच अलसी के बीज मिला दें।
अब इसे किसी चीज से ढककर 10 से 15 मिनट तक उबलनें दें।
इसके बाद गैस बंद कर दें और छान लें।
इस मिश्रण को आप सुबह बालों पर लगाएं और कुछ मिनट बाद धो लें।
कब लगाएं?
आप इसे हर रोज या हर दूसरे दिन सुबह लगा सकते हैं।
इसके अलावा, आप अलसी का तेल भी लगा सकते हैं या अलसी का सेवन भी कर सकते हैं।
2. डैंड्रफ के लिए अलसी
डैंड्रफ और स्कैल्प में खुजली की परेशानी किसी को भी हो सकती है। इसमें कई बार शैंपू भी असर नहीं कर पाते हैं। ऐसे में आप अलसी के तेल से बालों की मालिश कर सकते हैं। अलसी में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो डैंड्रफ और स्कैल्प की खुजली की समस्या को कम कर सकते हैं (29) (1)।
अलसी के पौष्टिक तत्व – Flax Seeds Nutritional Value in Hindi
अलसी के औषधीय गुण अनेक हैं। इसलिए, भारत में इसे आयुर्वेदिक औषधि के रूप में उपयोग किया जा रहा है। अलसी को सुपर फूड कहा जाता है, क्योंकि यह गुणों और पौष्टिक तत्वों का खजाना होता है। अलसी के फायदे बताने के बाद अब हम इसके पौष्टिक तत्व की सूची आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
प्रिंसिपल न्यूट्रिएंट वैल्यू पर्सेंटेज ऑफ आरडीए एनर्जी 534 Kcal 27% कार्बोहाइड्रेट 28.8 g 22% प्रोटीन 18.3 g 32.5% टोटल फैट 42.16 g 170% कोलेस्ट्रॉल 0 mg 0% डाइट्री फाइबर 27.3gm 68% विटामिन्स फोलेट्स 87 µg 22% नियासिन 3.08 mg 19% पैंटोथेनिक एसिड 0.985 mg 20% पायरीडॉक्सीन 0.473 mg 36% राइबोफ्लेविन 0.161 mg 12% थायमिन 1.64 mg 137% विटामिनए 0 IU 0% विटामिनसी 0.6 mg 1% विटामिनई 19.95 mg 133% विटामिनके 4.3 µg 3.5% इलेक्ट्रोलाइट्स सोडियम 30mg 2% पोटेशियम 813mg 17% मिनरल्स कैल्शियम 255 mg 22% कॉपर 1.12 mg 124% आयरन 5.73 mg 72% मैग्नीशियम 392 mg 98% मैंगनीज 2.48 mg 108% जिंक 4.34 mg 39% फाइटोन्यूट्रीएंट्स बीटा कैरोटीन 0 µg – लुटिनजियाजैंथिन 651 µg –
भले ही अलसी पोषक तत्वों का खजाना है, लेकिन आप याद रखें कि यह कोई जादू की गोली नहीं है कि आप तुरंत इसका सेवन करो और आपको फायदा नजर आने लगे। आपको इसके सेवन के बाद धैर्य रखना होगा और साथ ही अपनी जीवनशैली व खानपान का भी ध्यान रखना होगा।
अलसी खाने के फायदे बताने के बाद हम आपको यह भी बता रहे हैं कि अलसी कितने प्रकार की होती है।
अलसी के प्रकार – Types of Flax Seeds in Hindi
अलसी दो प्रकार के होते हैं।
भूरी अलसी – भूरी अलसी दिल के लिए फायदेमंद होती है और कोलेस्ट्रॉल को भी कम करती है।
पीली या सुनहरे रंग की अलसी – सुनहरी या पीली अलसी में प्रोटीन की मात्रा थोड़ी ज्यादा होती है।
ये दोनों ही अलसी के प्रकार आपको बाजार में मिल जाएंगे।
अलसी खाने का सही समय और सही तरीका – Best Way to Eat Flax Seeds in Hindi
अलसी के फायदे जानने के बाद आप इसे अपने आहार में शामिल करने का अगर सोच रहे हैं, तो इसके सेवन करने के बारे में भी विस्तार से जान लें। अलसी के बीज का अगर आप सेवन करते हैं, तो हो सकता है कि यह आपके शरीर से बिना पचे ही निकल जाए। अलसी खाने के फायदे तब और ज्यादा बढ़ जाएंगे, जब आप इसे सही समय और सही तरीके से खाएंगे। यहां हम आपको अलसी खाने का सही समय और सही तरीका बता रहे हैं।
आप अलसी को पाउडर के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। इससे आपको अलसी में मौजूद सारे पोषक तत्व मिलेंगे।
आप अलसी के बीज को 10 मिनट के लिए गर्म पानी में भिगो दें और फिर उसका सेवन करें।
अगर आप ठंडे पानी में अलसी के बीज भिगो रहे हैं, तो दो से तीन घंटे के लिए भिगोएं।
ध्यान रहे आप अलसी के बीज के साथ खूब पानी पिएं।
आप अलसी के लड्डू खा सकते हैं।
आप अपने नाश्ते के साथ, स्मूदी के साथ या सलाद के साथ भी अलसी खा सकते हैं।
आप अलसी के पाउडर को दही व दलिये में डालकर खा सकते हैं।
अलसी को खाने का सबसे अच्छा वक्त है सुबह का है। आप सुबह नाश्ते के साथ अलसी का सेवन करें।
अलसी को लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखें – How to Store Flax Seeds in Hindi
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कई लोगों के मन में सवाल आता होगा कि अलसी को सुरक्षित कैसे और कितने दिनों तक रख सकते हैं। इस बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं।
आप अलसी के बीज को किसी एयर टाइट जार में डालकर अच्छे से बंद करके फ्रिज में स्टोर करके रखें।
आप अलसी के बीज का पाउडर बनाकर उसे भी एयर टाइट कंटेनर में बंद करके फ्रिज में रख सकते हैं।
इसके अलावा आप जब भी अलसी खरीदने जाएं, तो उसकी पैकिंग की तिथि और कब तक इस्तेमाल कर सकते हैं वो तिथि भी देख लें।
इसके अलावा, अगर आप अलसी के बीज का सेवन या उसका उपयोग ज्यादा नहीं करते हैं, तो कोशिश करें कि उसका छोटा पैकेट ही खरीदें।
अलसी के नुकसान – Side Effects of Flax Seeds in Hindi
हर चीज का फायदा और नुकसान दोनों है, अगर किसी भी चीज का जरूरत से ज्यादा सेवन किया जाए, तो उसका नुकसान भी होता है। उसी तरह अगर अलसी के फायदे हैं, तो अलसी के नुकसान भी हैं। इसके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
जरूरत से ज्यादा अलसी खाने से पेट खराब की समस्या हो सकती है।
जिन्हें लो ब्लड प्रेशर की परेशानी है, वो अगर अलसी का सेवन करेंगे तो उनका ब्लड प्रेशर और कम हो सकता है।
अलसी की तासीर गर्म होती है, इसलिए गर्भावस्था में इसका सेवन खतरनाक हो सकता है।
अलसी से एलर्जी जैसे – रैशेज, जलन या खुजली की परेशानी हो सकती है।
अलसी का सेवन खून को पतला करता है। ऐसे में अगर आपको चोट लगे या घाव हो, तो घाव भरने में वक्त लग सकता है।
डायबीटीज के मरीज अगर अलसी का सेवन कर रहे हैं, तो हर कुछ दिनों में अपना ब्लड शुगर लेवल जांचते रहे, क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल बहुत कम कर देता है।
अलसी खाने के नुकसान के साथ-साथ यह भी जान लीजिए कि किन्हें अलसी नहीं खानी चाहिए।
अलसी किन किन लोगों को नहीं खाना चाहिए – Who Should Avoid Flax Seeds in Hindi
अलसी के नुकसान के साथ-साथ हम इस लेख में आपको यह भी बता रहे हैं कि किन किन लोगों को अलसी का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
बच्चों को अलसी का सेवन न कराएं।
गर्भवती महिलाएं या स्तनपान कराने वाली माताएं अलसी से परहेज करें। अगर उन्हें अलसी खानी भी है, तो एक बार डॉक्टर से पूछ लें।
जिनको मासिक धर्म के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग की परेशानी होती है।
जिन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर या ओवेरियन कैंसर रह चुका हो।
जिन पुरुषों को प्रोस्टेट की परेशानी हो।
जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां ले रही हों।
अलसी खाने के फायदे जानने के बाद आप इसे अपने खाने में जरूर शामिल करना चाहेंगे, लेकिन याद रखें कि अगर आपको किसी चीज से जल्दी एलर्जी होती है, तो इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से बात कर लें। इसके अलावा, डॉक्टर से जरूर पूछ लें कि इसे कब, कितना और कैसे खाना है, क्योंकि हर किसी के शरीर की बनावट और जरूरत अलग-अलग होती है। बेशक, अलसी खाने के फायदे हैं, लेकिन आपको इसके लिए धैर्य रखना होगा, क्योंकि इसका असर नजर आने में समय लगता है। अलसी खाएं और हमारे साथ अपने अनुभव कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें।
अच्छा खाएं, स्वस्थ रहें।
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12 Grapes Benefits | अंगूर खाने के फायदे | Angur ke fayde
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12 Grapes Benefits | अंगूर खाने के फायदे | Angur ke fayde
Benefits of Grapes in Hindi – Angoor ke Fayde
Benefits of Grapes Juice – आज इस लेख में अंगूर खाने के फायदे के बारें में जानेंगे। फलों में Angur का स्थान सबसे ऊपर है। इसे सौन्दर्यवर्धक और बलवर्धक फल कहना गलत नहीं होगा। अंगूर सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह हर उम्र के लोगो के लिए लाभकारी है। वैसे अंगूर को फलों की रानी भी कहा जाता है। Angoor आयु को बढ़ाने वाला बेहतरीन फल है। अंगूर के कई तरह किस्म होती है। जैसे – हरा, काला, बैंगनी, बीज रहित, छोटा और लम्बा इत्यादि। Angur ke Fayde.
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Angoor ke fayde – अंगूर का सेवन करने से यह शरीर में पानी की मात्रा को कम नहीं होने देता है। क्यूंकि अंगूर में पानी की मात्रा ज्यादा होती है। Angur / Grapes में एंटीऑक्सीडेंट होने के कारन यह शरीर से विषेले पदार्थ को बाहर निकालने में सहायक होता है।
Grapes Benefits in Hindi – Angur में सोडियम, ग्लूकोस, एसिड, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, सेलेनियम, आयरन, फाइबर और विटामिन A, B6, C इत्यादि होता है। अगर देखा जाये तो 100 ग्राम Angoor / अंगूर में मिनरल 0.6 ग्राम, फाइबर 2.9 ग्राम, प्रोटीन 0.72 ग्राम और कार्बोहाइड्रेट 18.1 ग्राम होती है। लगभग 15-25 प्रतिशत तक ग्लूकोस अंगूर में पाई जाती है। Angoor ke Fayde.
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अंगूर के बेहतरीन फायदे – Grapes Health Benefits in Hindi
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Grapes Benefits / अंगूर के फायदे / Angur ke fayde
1. कब्ज की समस्या में, अंगूर के फायदे – लगभग सभी बिमारियों की जड़ पेट होती है। इसीलिए स्वस्थ्य शरीर के लिए पेट का स्वस्थ्य रहना बहुत ही जरुरी है। आजकल हर उम्र के लोगो में कब्ज की समस्या हो रही है। रोजाना अंगूर का जूस पीजिये। यह पेट को साफ़ करने का काम करता है। इसमें आहार पचाने वाले रेशे होते है। जो आंतो को साफ़ करता है। Grapes Benefits in Hindi.
2. हड्डियों के लिए, अंगूर के फायदे – अगर आप रोजाना Angoor का सेवन कर रहे है तो आपको हड्डियों की समस्या नहीं होगी। चूँकि Grapes में आयरन और कॉपर अच्छी मात्रा में पाई जाती है। जो हड्ड्यों को मजबूत बनाती है। और हड्डियों को विकसित करती है। Angur ke Fayde.
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3. पथरी की समस्या में, अंगूर के फायदे – Grapes Juice में जरा सा केसर मिलाकर पीजिये। इसके अलावा मूत्राशय में होने वाली पथरी में लगभग 10 ग्राम काले Angur की लकड़ी के राख को पानी में मिलाकर पीजिये। ऐसा दिन में दो बार तक कर सकते है। Angoor ke Fayde.
यह भी जरुर पढ़े: पथरी का घरेलु उपचार
4. माइग्रेन की समस्या में, अंगूर के फायदे – Angoor का सेवन करने से यह माइग्रेन जैसी समस्या को भी दूर करती है। रोजाना सुबह सुबह एक गिलास शुद्ध Grapes Juice पीजिये। इसके अलावा 10-10 ग्राम मुलेठी और मिश्री लीजिये। अब 10 मुनक्का मिलाकर तीनो को पीस लीजिये। Angur ke Fayde.
Grapes ke Fayde | Benefits of Grapes in Hindi
5. गठिया की समस्या में, अंगूर के फायदे – Angur गठिया के रोग को कम करने की क्षमता रखता है। रोजाना Grapes खाने से गठिया रोग को कम किया जा सकता है। Angoor उन लवणों को निकालता है।  जिसकी वजह से शरीर में गठिया होती है। प्रतिदिन अंगूर का सेवन करें। आपको लाभ करें। Grapes Health Benefits.
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6. दिल के रोग में, अंगूर के फायदे – हृदय रोगियों की संख्या दिन ब दिन बढती जा रही है। Angoor आपके दिल को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है। यह रक्त में नाइट्रिक ऑक्साइड के स्तर को नियंत्रण करता है। जिसके वजह से खून का थक्का (Blood Clotting) नहीं बनता है। और जब ब्लड क्लोटिंग नहीं होगा, तब हृदयघात यानी हार्ट अटैक का खतरा कम होगा। Grapes Benefits.
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7. मधुमेह की समस्या में, अंगूर के फायदे – जिन लोगों में मधुमेह की समस्या है। उन्हें प्रतिदिन Angur का सेवन करना चाहिए। यह शुगर की मात्रा को कम करने का काम करता है। Angoor ke Fayde.
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8. अंगूर के फायदे, किडनी के लिए – यह किडनी के लिए भी फायदेमंद है। इसमें प्रचुर मात्रा में पोटेशियम और पानी होता है। जो शरीर से विषेले पदार्थ को बाहर निकालता है। Angoor ke Fayde.
Grapes Benefits | अंगूर खाने के फायदे | Angur ke fayde
9. त्वचा के लिए फायदेमंद – यह स्किन के लिए बहुत ही लाभकारी है। इसके सेवन से त्वचा सम्बन्धी समस्या जैसे – झुर्री, डार्क सर्किल, मुहांसे और दाग धब्बों से छुटकारा दिलाता है। और त्वचा में निखार आ जायेगा।  Angoor में विटामिन ऐ और एंटीऑक्सीडेंट होता है। जो त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। Angur ke Fayde.
10. प्रतिरोधक क्षमता बढाता है – शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से बीमारियाँ न के बराबर होती है। Angur में मिनरल और विटामिन होता है। जिससे प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसीलिए Angoor का रोजाना सेवन करें। आपको फायदा होगा। Angoor ke Fayde.
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11. वजन को नियंत्रित करता है – आज के दौर में बढे वजन से हर उम्र के लोग परेशान है। अगर आप वजन को नियंत्रित करना चाहते है। तो Angoor / अंगूर को अपने डाइट में जरुर शामिल करें। Angur में फाइबर अधिक होने के कारन यह वजन बढ़ने नहीं देता है। Angoor ke Fayde.
12. बालों की समस्या में, अंगूर के फायदे – हर वर्ग के लोग बाल का झाड़ने की समस्या से जूझ रहे है। खासकर युवाओं में अगर बाल झड़ने की समस्या हो, तो उनको बहुत तनाव होता है। सबसे पहले ताजे Grapes ले और अच्छे से मसल लें। अब उसे बालों की जड़ो में अच्छे से लगाये। कुछ समय रहने दे, उसके बाद धो लीजिये। ऐसा 7 दिनों में एक बार अवश्य करें। Angur Juice का भी सेवन करें। Angur ke Fayde.
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Grapes Benefits / अंगूर के अन्य फायदे / Angoor ke anya fayde
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जिन्हें भूख न लगने की परेशानी है, उन्हें Angoor का सेवन करना चाहिए।
Angur / अंगूर के द्वारा अस्थमा के अटैक को कम किया जा सकता है।
यह याददास्त को बढ़ाने का काम करता है।
Grapes Seed दांतों के लिए फायदेमंद है।
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रोजाना Angoor का सेवन करने से काफी हद तक मोतियाबिंद जैसी बीमारी से बचा जा सकता है।
यह अल्जाइमार जैसे रोगों को भी कम करता है। Angoor ke Fayde.
प्रतिदिन अंगूर के सेवन से किडनी के रोग को कम किया जा सकता है। Angur ke Fayde.
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What is Asthma - दमा (अस्थमा) के रोग - Hindi Ayurveda
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What is Asthma - दमा (अस्थमा) के रोग - Hindi Ayurveda
What is Asthma in Hindi / दमा क्या है
Asthma kya hai – अस्थमा फेफड़े से जुडी एक खतरनाक बीमारी है। जब श्वसन मार्ग (साँस लेने वाली नलिका) में किसी प्रकार का संक्रमण या सुजन हो जाता है। जिसकी वजह से सीने में जकड़न या साँस लेने में कठिनाई होती है, उसे “दमा” या “अस्थमा” कहते है। या यूँ कहे की यह एक प्रकार की एलर्जी है। जो साँस लेने में अवरोध उत्पन्न करती है। जो दौरे के रूप में आती है। साँस लेने में तकलीफ का होना, घबराहट, खांसी और सीने में जकड़न इन कारणों से “Asthma” को पहचाना जा सकता है। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकती है। चाहे बच्चा हो, जवान हो या वृद्ध हो।
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अस्थमा का रोग – कभी कभी Asthma Attack के दौरान मवाद जैसा कुछ निकलता है। यह मवाद खांसी के कारण फेफड़े में जमने वाला कफ़ होता है। इस कफ़ बहार निकालना बहुत ही कठिन होता है। समान्य व्यक्ति जब साँस लेता है। तब साँस लेते हुए बाहरी वातावरण से कण में पहुँच जाते है। इस प्रकार के कण को बलगम के द्वारा निकाला जा सकता है। लेकिन दमा के रोगी में बलगम अत्याधिक गाढ़ा बनता है।
हार्ट अटैक से बचने के उपाय
किडनी की बीमारी का उपचार
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Asthma Causes | दमा के कारण | अस्थमा Attack ke karan
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Asthma Causes in Hindi – हम सभी के घरों के अंदर और घरों के बाहर कई ईएसआई चीजे होती है। जिस वजह से अस्थमा की शुरुआत हो सकती है। वातावरण में बदलाव होने की वजह से भी अस्थमा का खतरा हो सकता है। मानव शरीर के श्वसन नलिका के चारो और मांसपेशीय होती है। लेकिन अस्थमा के दौरे के दौरान यही मांसपेशीय साँस लेने वाली नलिका को कसने का काम करती है। जिस कारण श्वास लेने में तकलीफ होने लगती है। चलिए जानते है उन कारणों को, जिनकी वजह से दमा की स्थिति हो सकती है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push();
हवा प्रदूषण के कारण।
गाड़ियों से निकलने वाला धुआं।
धुम्रपान करना।
दीवारों पर लगने वाले आयल कलर के कारण।
रक्त में किसी प्रकार का दोष होना।
हमेशा जुकाम, खांसी या नजला का होना।
साँस नालिकाओ में सुजन के कारण।
मोटापा भी एक कारण है।
अत्यधिक दवाओं के प्रयोग करने से कफ के सुख जाता है।
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दमा क्यों होता है – अस्थमा से कैसे बचा जा सकता है
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Heart Attack in Hindi | हार्ट अटैक से बचने के उपाय - Ayurveda in Hindi
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Heart Attack in Hindi | हार्ट अटैक से बचने के उपाय - Ayurveda in Hindi
Heart Attack in Hindi | हार्ट अटै�� से बचने के उपाय | Ayurveda in Hindi
आपके सीने में दर्द अगर बार बार होता हो, तो सावधान हो जाइये। यह ह्रदय रोग हो सकती है। इस बीमारी को हलके में ना ले। क्यूंकि दिल का रोग एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है। ख़राब आदतों की वजह से “Heart Attack” की समस्या बढती है। दिल मनुष्य के शरीर का अनमोल अंग है। स्वाथ्य के प्रति लापरवाही होने के कारण हम अपने नाजूक हृदय को खतरे में डाल देते है। सच कहे तो आधुनिक और बदलती हुई जीवन शैली की वजह से दिल का बीमारी का खतरा बढ़ गया है।
Heart Attack in Hindi | हार्ट अटैक से बचने के उपाय | Ayurveda in Hindi
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हृदयघात / Heart Attack in Hindi – पहले के समय में उम्रदराज लोगो में हृदय रोग होने का खतरा बना रहता था। लेकिन आज के दौर में यह बीमारी तो, नोजवानों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। ज्यादातर फ़ास्ट फ़ूड ऑयली और मसालेदार आहार का सेवन करना। व्यायाम और योग का न करना।
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Heart Attack in Hindi – दिल पुरे शरीर रक्त प्रवाह करने का काम करता है। जब किसी कारणवश रक्त वाहिका में रक्त थक्के जमने लगते है, जिस कारण रक्त प्रवाह में अवरोध उत्त्पन्न होता है। समय पर ईलाज नहीं होने की वजह से मौत भी हो सकती है। जो व्यक्ति वसायुक्त और मांसाहार भोजन करते है। उन व्यक्तियों में Heart Attack (दिल का दौरा) होने की संभावना लगभग 35% अधिक बढ़ जाती है।
हार्ट अटैक के लक्षण  – Heart Attack Symptoms in Hindi
Heart Attack Symptoms
दिल का असमान्य तरीके से धड़कना।
सीने में दर्द होना।
चक्कर आना।
सुजन आना।
अचानक पसीना आना।
घुटन महशुश होना।
हार्ट अटैक के लक्षण की सम्पूर्ण जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें
हार्ट अटैक से बचने के उपाय – Heart Attack in Hindi
1. Heart Care Tips in Hindi – सबसे पहले तली भुनी और फ़ास्ट फ़ूड से परहेज करे। हृदय रोग से बचने के लिए खाने पर नियंत्रण रखे। कम कैलोरी वाले पदार्थ का सेवन करे। नमक का प्रयोग कम कर दे।
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2. Heart Problem in Hindi – अपने वजन को नियंत्रित करे। बढे वजन के कारण हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए रोजाना कम से कम 15 मिनट तक व्यायाम करे। आप चाहे तो योग का भी अभ्यास कर सकते है। सुबह और शाम पैदल चलने का प्रयास करे।
3. Heart Care Tips in Hindi – वसा युक्त भोजन से दुरी बना ले। कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा होने की वजह से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
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4. Heart Problem in Hindi – दिल के लिए लौकी (Bottle Gourd) एक बेहतरीन ओषधी है। हृदय की नालियों में जब ब्लॉकेज हो जाता है। तब रक्त प्रवाह नहीं कर पाता है। जिस की वजह से Heart Attack आता है। ब्लॉकेज की स्थिति में छारीय चीजों का सेवन करे। चूँकि लौकी सर्वोत्तम छारीय पदार्थ है। इसलिए लौकी का जूस रोजाना सेवन करे। इसे रोजाना 200 से 300 मिलीग्राम पिये। आप चाहे तो सुबह खली पेट पी सकते है। या फिर नसते के आधे घंटे बाद पिये। ऐसा 90 दिनों तक करे, आपको अवश्य लाभ मिलेगा।
5. Heart Problem Solution in Hindi – तुलसी और पुदीना के पत्ते भी छारीय है। लौकी के जूस में 10-10 पत्ते पुदीना और तुलसी के मिलकर पिये। आपको फायदा होगा। कला नमक और सेंधा नमक भी छारीय है। ध्यान रहे आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग बिलकुल भी न करे।
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कुछ अन्य Heart Attack se bachne ke upay in hindi / urdu
रसेदार सब्जी को अपने भोजन में शामिल करे।
सुबह सुबह खली पेट कच्चे लहसुन का सेवन करे।
सलाद को अपने भोजन में शामिल करे।
शराब और धुम्रपान से परहेज करे।
शहद और गाजर का जूस मिलाकर पिये।
Heart Attack in Hindi / हार्ट की बीमारी का घरेलु ईलाज
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Heart Attack  in Hindi, Heart Problem in Hindi, Heart Care Tips in Hindi, Heart Attack se Bachne ke upay in Hindi, Heart Problem Symptoms in Hindi, ह्रदय रोग, दिल की बीमारी का ईलाज, Heart ki bimari ka upchar,
उम्मीद है “Heart Attack in Hindi” लेख आपको उपयोगी लगा होगा। प्लीज इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे। निचे दिए गए बटन को दबाकर अपने ट्वीटर, फेसबुक और गूगल प्लस अकाउंट पर शेयर करे।
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