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👤 Facial Recognition: Your face is your passport to entry! Facial recognition technology takes access control to the next level, identifying individuals based on their unique facial features. Enhance security and streamline access for employees and visitors alike with this futuristic solution.
📱 Mobile App Integrations: Why carry a keycard when you have your smartphone? Mobile app integrations transform your phone into a powerful access control tool, allowing you to unlock doors, grant access, and monitor security from anywhere, anytime. Convenience and security, all in the palm of your hand.
💼 Custom Access Permissions: Not all access is created equal! Advanced access control solutions offer customizable access permissions, allowing you to tailor access levels based on roles, responsibilities, and schedules. From employees to contractors, ensure the right people have the right access at the right time.
🌐 Seamless Integration: Access control doesn't operate in isolation – it's part of a larger security ecosystem. Advanced solutions seamlessly integrate with other security technologies like CCTV, alarms, and visitor management systems, creating a comprehensive security strategy that's greater than the sum of its parts.
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Abimed the Colposcope features 1,200,000 pixels and a focal distance of 10 mm to 400 mm. Its ergonomic design includes a high-resolution, adaptable Samsung CCD or Sony digital camera for enhanced imaging and diagnostics.
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Samsung Galaxy Cell Phone Review: A15 5G A Series
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Motorola Edge 2024: Stunning 50MP Camera Unveiled
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चंद्रयान-2 का 1 साल पूरा, चांद के लगाए 4400 चक्कर, 7 साल तक और करेगा काम
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) ने चांद की कक्षा में परिक्रमा लगाते हुए एक साल पूरा कर लिया है। उसकी तबीयत बिलकुल ठीक है और अभी सात साल का ईंधन उसके भीतर मौजूद है। यह धरती पर हमें नई-नई जानकारियां भेजता रहेगा। अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने बताया कि इस एक साल में चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चांद की कक्षा में 4400 चक्कर लगाए हैं।
Today #Chandrayaan2 completes one year on Moon orbit. #Chandrayaan2 was successfully inserted in to Lunar orbit on August 20, 2019.
For details visit: https://t.co/u9CUiuNJvA
— ISRO (@isro) August 20, 2020
इस मौके पर अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने मिशन से जुड़ा प्रारंभिक डेटा सेट जारी करते हुए बताया कि, भले ही विक्रम लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग में असफल रहा, लेकिन ऑर्बिटर ने चंद्रमा के चारों ओर 4400 परिक्रमाएं पूरी कर ली हैं और सभी आठ ऑन-बोर्ड उपकरण अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। ऑर्बिटर में उच्च तकनीक वाले कैमरे लगे हैं, ताकि वह चांद के बाहरी वातावरण और उसकी सतह के बारे में जानकारी जुटा सके।
बता दें चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 22 जुलाई 2019 को की गई थी। ठीक एक साल पहले 20 अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। इसरो के मुताबिक, इस समय ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगा रहा है। इसरो वैज्ञानिक जरूरत के मुताबिक इसकी ऊंचाई 25 किलोमीटर कम ज्यादा करते रहते हैं। ताकि किसी तरह का हादसा न हो। इससे कोई अंतरिक्षीय वस्तु न टकराए।
इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि, कई बार विभिन्न कारणों से ऑर्बिटर अपने तय रास्ते से भटक भी जाता है तो उसे वापस उसकी कक्षा में लाने के लिए बचे हुई ईंधन का उपयोग किया जाता है। ईंधन के जरिए इंजन ऑन कर उसे नि��्धारित कक्षा में वापास ले आया जाता है। बता दें 24 सितंबर 2019 से लेकर अब तक इसरो ने 17 बार ऑर्बिटर को चांद की कक्षा में पुनः स्थापित किया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह भटक गया था। बल्कि, इसे जरूरत के हिसाब से कक्षा में सेट किया जाता है। इसे ऑर्बिट मैन्यूवरिंग कहते हैं।
इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे टेरेन मैपिंग कैमरा-2 (TMC-2) ने चांद के 40 लाख वर्ग किलोमीटर सतह की हजारों तस्वीरें ली हैं। ये तस्वीरें उसने चांद की कक्षा 220 बार घूमते हुए ली। इसका रिजोल्यूशन 30 सेंटीमीटर है। यानी चांद की सतह पर अगर दो वस्तुएं 30 सेंटीमीटर की दूरी पर हैं, तो ये आसानी से उनकी स्पष्ट तस्वीरें लेकर उनमें अंतर दिखा सकेगा।
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TIPA Award Winning Lumix S1H 6K Full-Frame Mirrorless Camera for Photo & video
New 24.2 Megapixel LUMIX S1H is the world's first 6K full-frame mirrorless camera that delivers 4K video recording & high resolution image quality wins TIPA award
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Awesome Quad Camera to capture more. Go ultra high-res with a 48MP Main Cam for crisp, clear photos day and night. A 123° 8MP Ultra Wide Cam captures and #GalaxyA21s mobile having L-shape Quad Camera. Visit: https://bit.ly/38niXVQ or http://bit.ly/3hiHcZC #SamsungGalaxyExclusiveMobilePhoneShopNearMe #NewPhoneLatestModelShowroom #SamsungPhoneStore #Listoftop10bestsamsunglatestandroid #smartphonesmodels #DigitalpaymentsPromoteBenow #ContactlessSmartCafe #DigitalPlaza #A21s #ASeries #phoneshop #mobileshop #phonestore #mobilestore #phoneShowroom #mobileshowroom #electronicshop #ElectronicsStore #ElectronicDevices #ContactlessMobileShopNearMe #StaySafeStayHealthy #smartphoneshop #highresolutioncamera #A21squadcamera #A21s #a21store #a21ssamsung (at Chennai, India) https://www.instagram.com/p/CCJG_Z7DXDA/?igshid=ui1u0diw8qbf
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चंद्रयान-3 : फिर चांद पर जाने की तैयारियों में जुटा ISRO, सरकार से मांगे 75 करोड़
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. मिशन 'चंद्रयान-2' के असफल हो जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अगले मिशन 'चंद्रयान-3' पर काम करना शुरू कर दिया है। इसरो ने इस मिशन के लिए केंद्र सरकार से 75 करोड़ रुपए की भी मांग की है। हालांकि केंद्र ने पहले ही इसके लिए 75 करोड़ का बजट रखा है। लेकिन यह राशि इसरो के वर्तमान बजट से अलग है जिससे इसरो अपने तीसरे महत्वकांक्षी मून मिशन को अंजाम देगा।
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जानकारी के मुताबिक, इसरो के अलग-अलग केंद्रों में इस मिशन पर तेजी से काम चल रहा है। इसके लिए नवंबर 2020 तक की समयसीमा तय की गई है। इस मिशन की मदद से इसरो चंद्रयान-2 के दौरान पूर्वनिर्धारित अपनी खोज प्रक्रिया को जारी रखने की कोशिश करेगा।
कुल 666 करोड़ का बजट
सूत्रों के मुताबिक, 2019-2020 के दौरान इसरो ने सरकार से कुल 666 करोड़ रुपए का बजट मांगा है। इसमें से 11% से ज्यादा सिर्फ चंद्रयान-3 के लिए मांगा गया है। इसके अलावा 666 करोड़ रुपए में से 8.6 करोड़ रुपए साल 2022 के प्रस्तावित ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम, 12 करोड़ स्मॉल सैटलाइट लॉन्च वीइकल और 120 करोड़ लॉन्चपैड के डिवेलपमेंट के लिए मांगे गए हैं। बता दें इसरो ने सबसे ज्यादा मांग यूआर राव सैटलाइट सेंटर और सतीश धवन स्पेस सेंटर के लिए की है। इन दोनों के लिए संस्थान ने 516 करोड़ रुपए मांगे हैं।
नए मिशन में लैंडर और रोवर भेजा जाएगा
चंद्रयान-3 के लिए इसरो ने जो धनराशि की की मांग की है इसमें से 60 करोड़ रुपए मशीनरी, उपकरण और अन्य पूंजीगत काम में खर्च होंगे। इसके अलावा शेष 15 करोड़ रुपए राजस्व व्यय के तहत मांगे गए हैं। बता दें मिशन 'चंद्रयान-3' के लिए इसरो ने कई समितियां बनाई हैं। अक्टूबर से लेकर अब तक इन समितियों की तीन उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है। बैठकों में यह तय किया गया कि इस नए मिशन में सिर्फ लैंडर और रोवर को ही भेजा जाएगा। इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा क्योंकि इसरो के वैज्ञानिक इसके लिए चंद्रयान-2 के ही ऑर्बिटर का उप��ोग करेंगे।
चंद्रयान 2 नहीं कर सका था लैंड
गौरतलब है कि इसी साल सितंबर में इसरो ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। हार्ड लैंडिंग के कारण अचानक ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था। हालांकि ऑर्बिटर ठीक तरह से काम कर रहा है और वैज्ञानिकों का कहना है कि वह सात सालों तक अपना काम करता रहेगा।
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चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. मिशन 'चंद्रयान-2' के असफल हो जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अगले मिशन 'चंद्रयान-3' पर काम करना शुरू कर दिया है। इसरो ने इस मिशन के लिए केंद्र सरकार से 75 करोड़ रुपए की भी मांग की है। हालांकि केंद्र ने पहले ही इसके लिए 75 करोड़ का बजट रखा है। लेकिन यह राशि इसरो के वर्तमान बजट से अलग है जिससे इसरो अपने तीसरे महत्वकांक्षी मून मिशन को अंजाम देगा।
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जानकारी के मुताबिक, इसरो के अलग-अलग केंद्रों में इस मिशन पर तेजी से काम चल रहा है। इसके लिए नवंबर 2020 तक की समयसीमा तय की गई है। इस मिशन की मदद से इसरो चंद्रयान-2 के दौरान पूर्वनिर्धारित अपनी खोज प्रक्रिया को जारी रखने की कोशिश करेगा।
कुल 666 करोड़ का बजट
सूत्रों के मुताबिक, 2019-2020 के दौरान इसरो ने सरकार से कुल 666 करोड़ रुपए का बजट मांगा है। इसमें से 11% से ज्यादा सिर्फ चंद्रयान-3 के लिए मांगा गया है। इसके अलावा 666 करोड़ रुपए में से 8.6 करोड़ रुपए साल 2022 के प्रस्तावित ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम, 12 करोड़ स्मॉल सैटलाइट लॉन्च वीइकल और 120 करोड़ लॉन्चपैड के डिवेलपमेंट के लिए मांगे गए हैं। बता दें इसरो ने सबसे ज्यादा मांग यूआर राव सैटलाइट सेंटर और सतीश धवन स्पेस सेंटर के लिए की है। इन दोनों के लिए संस्थान ने 516 करोड़ रुपए मांगे हैं।
नए मिशन में लैंडर और रोवर भेजा जाएगा
चंद्रयान-3 के लिए इसरो ने जो धनराशि की की मांग की है इसमें से 60 करोड़ रुपए मशीनरी, उपकरण और अन्य पूंजीगत काम में खर्च होंगे। इसके अलावा शेष 15 करोड़ रुपए राजस्व व्यय के तहत मांगे गए हैं। बता दें मिशन 'चंद्रयान-3' के लिए इसरो ने कई समितियां बनाई हैं। अक्टूबर से लेकर अब तक इन समितियों की तीन उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है। बैठकों में यह तय किया गया कि इस नए मिशन में सिर्फ लैंडर और रोवर को ही भेजा जाएगा। इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा क्योंकि इसरो के वैज्ञानिक इसके लिए चंद्रयान-2 के ही ऑर्बिटर का उपयोग करेंगे।
चंद्रयान 2 नहीं कर सका था लैंड
गौरतलब है कि इसी साल सितंबर में इसरो ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। हार्ड लैंडिंग के कारण अचानक ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था। हालांकि ऑर्बिटर ठीक तरह से काम कर रहा है और वैज्ञानिकों का कहना है कि वह सात सालों तक अपना काम करता रहेगा।
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इसरो ने शुरू की मिशन 'चंद्रयान-3' की तैयारियां, अगले साल होगा लॉन्च
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. मिशन 'चंद्रयान-2' के असफल हो जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अगले मिशन 'चंद्रयान-3' पर भी काम करना शुरू कर दिया है। इसरो के अलग-अलग केंद्रों में इस मिशन पर तेजी से काम चल रहा है। इसके लिए नवंबर 2020 तक की समयसीमा तय की गई है।
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नए मिशन में लैंडर और रोवर ही भेजा जाएगा
मिशन 'चंद्रयान-3' के लिए इसरो ने कई समितियां बनाई हैं। अक्टूबर से लेकर अब तक इन समितियों की तीन उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है। बैठकों में यह तय किया गया कि इस नए मिशन में सिर्फ लैंडर और रोवर को ही भेजा जाएगा। इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा क्योंकि इसरो के वैज्ञानिक इसके लिए चंद्रयान-2 के ही ऑर्बिटर का उपयोग करेंगे। अगले सात सालों तक यह ऑर्बिटर काम करेगा। मंगलवार को ओवरव्यू (समीक्षा) कमिटी की बैठक हुई। जिसमें अलग-अलग समितियों की सिफारिशों पर चर्चा की गई। इस दौरान समितियों ने संचालन शक्ति, सेंसर, इंजिनियरिंग और नेविगेशन को लेकर अपने प्रस्ताव दिए हैं।
5 अक्टूबर को जारी किया जाएगा आधिकारिक नोटिस
इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि, चंद्रयान-3 पर कार्य तेज गति से चल रहा है। अब तक इसरो ने इसके 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं का खाका खींच लिया है। इनमें लैंडिंग साइट, नेविगेशन और लोकल नेविगेशन शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि पांच अक्टूबर को एक आधिकारिक नोटिस जारी किया गया है। गौरतलब है कि इसी साल सितंबर में इसरो ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। हार्ड लैंडिंग के कारण अचानक ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था। हालांकि ऑर्बिटर ठीक तरह से काम कर रहा है और वैज्ञानिकों का कहना है कि वह सात सालों तक अपना काम करता रहेगा।
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चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने भेजी चांद की तस्वीर, इसरो ने बताया- चांद की मिट्टी में मौजूद कणों के बारे में पता लगा
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चांद पर काले दाग क्यों? चंद्रयान-2 ने तस्वीर भेजकर खोला राज
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) का चंद्रयान-2 चांद के बारे में लगातार नए-नए खुलासे कर रहा है। भले ही चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर सही से चांद पर लैंडिंग न कर पाया हो लेकिन फिर भी ऑर्बिटर चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है और रोजाना चांद की नई और चौंकाने वाली तस्वीरें सामने ला रहा है। मंगलवार को इसरो ने दो तस्वीरें शेयर की है जिसमें लोग पहली बार चांद का रंगीन रूप देख सकते हैं।
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इन तस्वीरों को देखकर यह पता चल रहा है कि चांद की सतह पर काले दाग क्यों हैं? और उसकी सतह पर कितने गड्ढे (Crater) हैं? इसका खुलासा चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे डुअल फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर राडार (DF-SAR) ने किया है। इसने चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह का अध्ययन किया। बता दें डुअल फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर राडार के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि कहां गड्ढे हैं? कहां पहाड़ हैं? कहां समतल जमीन है? और कहां पत्थर पड़े हैं? इसरो के मुताबिक, अपने विकास के समय से ही चांद की सतह पर लगातार उल्का पिंडों, क्षुद्र ग्रहों और धूमकेतुओं की जबरदस्त बमबारी हुई। इसके कारण चांद की सतह पर अनगिनत संख्या में विशाल गड्ढे हो गए हैं। ये गड्ढे गोलाकार और विशाल कटोरे की शक्लों में हैं। इनमें से कई छोटे, सामान्य तो कई बडे़ और छल्लेदार भी हैं।
यह उपकरण चांद की सतह से 2 मीटर ऊंची किसी भी वस्तु की तस्वीर ले सकता है। उपकरण से दो तरह की किरणें निकलती हैं और उन किरणों के सतह से टकराने और उनके वापस लौटने के आंकड़ों को जुटाकर यह पता किया जाता है कि चांद की सतह पर क्या है? यह उपकरण चांद की सतह के ऊपर और नीचे दोनों की ही जानकारी देने में सक्षम है। इतना ही नहीं बल्कि इसके जरिए यह भी पता लगाया जा सकता है कि चांद की सतह पर कौन सा गड्ढा कब बना है? इसरो के मुताबिक, चांद पर मौजूद यह गड्ढे और उनकी परछाइयां ही चांद के चेहरे पर काले धब्बे से दिखाई पड़ते हैं।
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चैतन्य भारत न्यूज
बेंगलुरु. शुक्रवार को इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गईं तस्वीरें जारी की हैं। इन तस्वीरों में आपको चांद की अलग ही झलक देखने को मिलेगी। ये चांद की सतह की तस्वीर है, जिसमें चंद्रमा पर बड़े और छोटे गड्ढे नजर आ रहे हैं।
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इसरो ने कहा कि, 'आर्बिटर में मौजूद आठ पेलोड ने चांद की सतह पर मौजूद तत्वों को लेकर कई सूचनाएं भेजी हैं। चांद की सतह पर मौजूद आवेशित कणों का आर्बिटर पता लगा रहा है। ऑर्बिटर के पेलोड क्लास ने अपनी जांच में चांद की मिट्टी में मौजूद कणों के बारे में भी पता लगाया है। यह सब तब संभव हुआ जब सूरज की तेज रोशनी की वजह से चांद की सतह चमकने लगी।
बता दें कुछ दिन पहले ही ऑर्बिटर से खींची गईं तस्वीरों के जरिए इसरो ने लापता विक्रम लैंडर की लोकेशन मिलने की भी जानकारी दी थी। जानकारी के मुताबिक, ऑर्बिटर करीब 7.5 साल तक चांद की कक्षा की परिक्रमा लगाता रहेगा। विक्रम लैंडर 7 सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग करने वाला था जो नहीं हो पाई थी और इसके बाद विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया। फिर नासा और इसरो के वैज्ञानिकों ने विक्रम की हार्ड लैंडिंग की पुष्टि भी की।
चांद से 100 किमी दूर ऑर्बिटर
22 जुलाई को लॉन्च हुआ चंद्रयान-2 में लैंडर और रोवर को चांद पर उतरना था और ऑर्बिटर के पास चांद की परिक्रमा कर उसकी जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी थी। विक्रम लैंडर का तो अब तक कुछ पता नहीं लग सका है लेकिन ऑर्बिटर इस समय चांद की सतह से करीब 100 किमी के ऊपर से परिक्रमा कर रहा है।
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